टेक कंपनी गूगल (Google) ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के आदेश के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
टेक कंपनी गूगल (Google) ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के आदेश के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गूगल ने कोर्ट से उसके खिलाफ दिए गए सभी निर्देशों को रद्द करने का अनुरोध किया है।
बता दें कि NCLAT ने गूगल पर लगाए 1,338 करोड़ रुपए के जुर्माने को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था। गूगल पर यह जुर्माना भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने लगाया है।
गूगल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हमने एंड्रॉयड मामले में NCLAT के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दायर की है। NCLAT ने यह सही पाया कि प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार से नुकसान को अभी साबित करने की जरूरत है, लेकिन इस शर्त को उसने CCI की ओर से जारी निर्देशों पर लागू नहीं किया और जुर्माने को बरकरार रखा।'
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गूगल ने कोर्ट में दलील दी है कि उसने मार्केट में अपनी स्थिति का गलत इस्तेमाल नहीं किया है और उसे जुर्माना चुकाने के लिए जिम्मेदार नहीं बनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही कंपनी ने यह भी बताने की अनुमति मांगी है कि एंड्रॉयड से कैसे भारतीय यूजर्स, डेवलेपर्स और OEMs को फायदा मिला है, साथ ही इसने कैसे भारत में डिजिटल परिवर्तन को रफ्तार दी है।
सीसीआई ने गूगल को एंड्रॉयड बाजार में अपने दबदबे के दुरुपयोग का दोषी ठहराते हुए उसे 10 कड़े निर्देश दिए थे और 1,336 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। गूगल ने इस फैसले को NCLAT में चुनौती दी थी। हालांकि NCLAT ने मार्च 2023 में आंशिक रूप से सीसीआई के आदेश को बरकरार रखा।
पिछले महीने ‘गूगल फॉर इंडिया’ (Google For India) के नौवें एडिशन की मेजबानी के दौरान तमाम घोषणाओं के बीच गूगल ने कहा था कि गूगल पे (Google Pay) और सरकार के बीच जल्द ही नई साझेदारी की घोषणा की जाएगी।
दिग्गज टेक कंपनी गूगल (Google) भारतीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप ‘Corover.ai’ में करीब चार मिलियन डॉलर का निवेश कर सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘Corover’ उन चुनिंदा भारतीय स्टार्टअप्स में से एक है, जो एक स्वदेशी बड़े भाषाई मॉडल (Large Language Model) को तैयार कर रहा है, जिसे ‘भारतजीपीटी’ (BharatGPT) कहा जाता है। यह एक दर्जन से अधिक भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करने का दावा करता है।
पिछले महीने ‘गूगल फॉर इंडिया’ (Google For India) के नौवें एडिशन की मेजबानी के दौरान तमाम घोषणाओं के बीच गूगल ने कहा था कि गूगल पे (Google Pay) और सरकार के बीच जल्द ही नई साझेदारी की घोषणा की जाएगी।
इसके साथ गूगल ने उस दौरान यह भी घोषणा की थी कि तमाम व्यवसाय, सरकारें, ब्रैंड्स और उद्योग जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Generative artificial intelligence) के लिए गूगल क्लाउड (Google Cloud) के साथ साझेदारी कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि ऐसे कंटेंट की जांच के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।
डीपफेक मामले में केंद्र सरकार ने अब अलर्ट मोड पर है। इस पर लगाम किस तरह से लगाया जाए, इसके लिए लगातार बैठकें की जा रही हैं और कड़े नियम बनाए जाने की कवायद की जा रही है। ताजा घटनाक्रम में केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि ऐसे कंटेंट की जांच के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।
सोशल मीडिया कंपनियों से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि डीपफेक कंटेंट के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एक वेबसाइट विकसित करेगा, जिस पर यूजर्स आईटी नियम के उल्लंघन के बारे में अपनी चिंताओं को बता सकते हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एमईआईटीवाई यूजर्स को आईटी नियमों के उल्लंघन के बारे में सूचित करने और एफआईआर दर्ज करने में सहायता करेगा।
मंत्री ने कहा कि पोस्ट शेयर करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और अगर वे यह खुलासा करते हैं कि पोस्ट कहां से आई है, तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा, जिसने सामग्री पोस्ट की है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अपनी उपयोग की शर्तों को आईटी नियमों के अनुरूप करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है। चन्द्रशेखर ने कहा कि आज से आईटी नियमों का उल्लंघन बिल्कुल बर्दाश्त नहीं (जीरो टॉलरेंस) किया जाएगा
बयान में कहा गया कि ऐसे किसी भी कंटेंट की रिपोर्ट किए जाने पर उसे रिपोर्टिंग के 36 घंटों के भीतर ही हटा दिया जाए और आईटी नियम 2021 के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। मंत्री ने कहा कि सरकार डिजिटल क्षेत्र में भारतीयों के लिए सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही केंद्र ने कहा कि डीपफेक के निर्माण और प्रसार पर 1 लाख रुपये का जुर्माना और तीन साल की जेल की कड़ी सजा का प्रावधान है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘डीपफेक’ के मुद्दे पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के प्रतिनिधियों के साथ गुरुवार को एक अहम बैठक की।
डीपफेक दुनिया भर में लोकतंत्र और सामाजिक संस्थानों के लिए एक गंभीर खतरा बनकर उभरा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से डीपफेक कंटेंट के प्रसार ने इस चुनौती को बढ़ा दिया है। ऐसे में डीपफेक वीडियो की रोकने के लिए सरकार रेगुलेशन लाने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसकी जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘डीपफेक’ के मुद्दे पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के प्रतिनिधियों के साथ गुरुवार को एक अहम बैठक की। उन्होंने कहा कि डीपफेक लोकतंत्र के लिए एक नया खतरा बनकर उभरा है और इस मुद्दे पर केंद्र सरकार सतर्क है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि कुछ ही हफ्तों में नियम का मसौदा तैयार होगा।
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि डीपफेक के जरिए गलत ऑडियो या वीडियो बनाया जाता है, जिससे सोसाइटी को नुकसान हो रहा है। इसके खिलाफ जल्द से जल्द कदम उठाने की जरूरत है। केंद्र सरकार के साथ हुई लंबी बैठक में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने अपने अंतरराष्ट्रीय अनुभव साझा किए और इस खतरे को स्वीकार किया। मीटिंग में सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के प्रतिनिधि मौजूद थे। AI की फील्ड में जो कंपनियां काम करती हैं, उनके भी प्रतिनिधि मौजूद थे। अगली मीटिंग दिसंबर के पहले हफ्ते में होगी, तब तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने सरकार से कहा है कि वे अपने स्तर पर जो कदम उठा सकते हैं, उठाएंगे।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने समय-समय पर सोशल मीडिया मध्यस्थों को उचित निगरानी करने और डीपफेक के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई करने की सलाह दी है।
बता दें कि चर्चा के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि सरकार, शिक्षा जगत, सोशल मीडिया कंपनियां और नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (एनएएसएससीओएम) संयुक्त रूप से डीपफेक का जवाब देने की दिशा में काम करेंगे। सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ बैठक में इस बात पर भी सहमति बनीं कि अगले 10 दिनों के भीतर निम्नलिखित चार स्तंभों पर कार्रवाई योग्य वस्तुओं की पहचान की जाएगी:
1. पता लगाना: ऐसी सामग्री पोस्ट करने से पहले और बाद में डीपफेक सामग्री का पता लगाया जाना चाहिए
2. रोकथाम: डीपफेक सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र होना चाहिए
3. रिपोर्टिंग: प्रभावी और शीघ्र रिपोर्टिंग और शिकायत निवारण तंत्र उपलब्ध होना चाहिए
4. जागरूकता: डीपफेक के मुद्दे पर व्यापक जागरूकता पैदा की जानी चाहिए
इसके अलावा, तत्काल प्रभाव से, एमईआईटीवाई डीपफेक के खतरे को रोकने के लिए आवश्यक नियमों का आकलन और मसौदा तैयार करने के लिए एक अभ्यास शुरू करेगा। इस उद्देश्य के लिए MEitY MYGov पोर्टल पर जनता से टिप्पणियां आमंत्रित करेगा।
चार स्तंभों वाली संरचना को अंतिम रूप देने के लिए दिसंबर 2023 के पहले सप्ताह में संबंधित हितधारकों के साथ एक अनुवर्ती बैठक फिर से आयोजित की जाएगी।
इससे पहले वह करीब नौ साल तक ‘केलॉग’ (Kellogg) कंपनी के साथ जुड़े हुए थे। इसके अलावा वह ‘यूनिलीवर’ (Unilever) में करीब 20 साल तक विभिन्न प्रमुख पदों पर अपनी भूमिकाएं निभा चुके हैं।
‘गूगल इंडिया’ (Google India) ने शेखर खोसला को वाइस प्रेजिडेंट (मार्केटिंग) के पद पर नियुक्त किया है। इससे पहले वह करीब नौ साल तक ‘केलॉग’ (Kellogg) कंपनी के साथ जुड़े हुए थे। इसके अलावा वह ‘यूनिलीवर’ (Unilever) में करीब 20 साल तक विभिन्न प्रमुख पदों पर अपनी भूमिकाएं निभा चुके हैं।
शेखर खोसला का स्वागत करते हुए ‘गूगल’ में एशिया पैसिफिक के वाइस प्रेजिडेंट (मार्केटिंग) साइमन काह्न (Simon Kahn) का कहना है, ‘हमें शेखर खोसला का स्वागत करते हुए काफी खुशी हो रही है। शेखर के पास एशिया पैसिफिक, मध्य पूर्व और अफ्रीका के उभरते और विकसित दोनों बाजारों में ब्रैंड्स को विकसित करने का काफी अच्छा अनुभव है।’
‘गूगल फॉर इंडिया’ (Google For India) के नौवें एडिशन में इस टेक्नोलॉजी कंपनी का कहना था कि डिजिटल सुरक्षा कार्यक्रमों के तहत 40 मिलियन भारतीयों को 15 विभिन्न भाषाओं में प्रशिक्षित किया जाएगा।
दिग्गज टेक कंपनी 'गूगल' (Google) ने गुरुवार को ‘गूगल फॉर इंडिया’ (Google For India) के नौवें एडिशन की मेजबानी की। कार्यक्रम के दौरान तमाम घोषणाओं के बीच गूगल ने कहा कि गूगल पे (Google Pay) और सरकार के बीच जल्द ही नई साझेदारी की घोषणा की जाएगी।
कंपनी का कहना था कि 350 मिलियन भारतीय Google Pay का उपयोग कर रहे हैं और पिछले 12 महीनों में UPI पर 167 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन किया गया है। गूगल ने यह भी घोषणा की कि तमाम व्यवसाय, सरकारें, ब्रैंड्स और उद्योग जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Generative artificial intelligence) के लिए गूगल क्लाउड (Google Cloud) के साथ साझेदारी कर रहे हैं।
कंपनी के अनुसार, डिजिटल सुरक्षा कार्यक्रमों (Digital Security Programmes) के तहत 40 मिलियन भारतीयों को 15 विभिन्न भाषाओं में प्रशिक्षित किया जाएगा। ‘साइबरपीस फाउंडेशन’ (CyberPeace foundation) को चार मिलियन के अनुदान से इस पहल को सपोर्ट किया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी ने इस बारे में सभी एंप्लॉयीज को एक मेल भेजा है। इससे पहले कंपनी में इसी साल मई में बड़े पैमाने पर छंटनी हुई थी।
प्रोफेशनल नेटवर्किंग साइट ‘लिंक्डइन’ (LinkedIn) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘लिंक्डइन’ ने दूसरे दौर की छंटनी की घोषणा की दी है। माना जा रहा है कि इस कदम से इंजीनियरिंग, प्रॉडक्ट, टैलेंट और फाइनेंस टीमों से जुड़े करीब सात सौ एंप्लॉयीज की नौकरी जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी ने इस छंटनी के बारे में सभी एंप्लॉयीज को एक मेल भेजा है।
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इस मेल में कहा गया है, ‘हमें ऐसे चुनौतीपूर्ण समय के बीच इस महत्वपूर्ण अपडेट को आप सभी के साथ साझा करने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन स्पष्टता की भावना से, तोमर और मैं अपने संगठन में किए जा रहे बदलावों के संबंध में कुछ न्यूज शेयर करना चाहते थे। जैसा कि हम वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) की योजना पर अमल कर रहे हैं, हमें यह भी देखने की आवश्यकता है कि हम कैसे काम करते हैं और किन चीजों को प्राथमिकता देते हैं, ताकि हम उन प्रमुख पहलों को पूरा कर सकें, जिनकी हमने पहचान की है और जिनका हमारे व्यावसायिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इसका अर्थ तेजी और जवाबदेही में सुधार करने के लिए अपने संगठनात्मक ढांचे को अपनाना, स्पष्ट स्वामित्व स्थापित करना, दक्षता और पारदर्शिता में सुधार करना है।’
इस मेल में यह भी कहा गया है, ‘इन निर्णयों के परिणामस्वरूप रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) में 563 भूमिकाएं कम हो गईं। इसके अलावा इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में 137 भूमिकाएं और प्रॉडक्ट में 38 भूमिकाएं कम की जा रही हैं। इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2024 की योजना में संसाधनों को बेहतर ढंग से संरेखित करने के प्रयास में हमारी इंजीनियरिंग टीम में 368 भूमिकाओं में कटौती होगी। हम अपने महत्वाकांक्षी रोडमैप में इस अंतर को भरने के लिए छोटी संख्या में नई भूमिकाएं ओपन करेंगे।’
गौरतलब है कि इसी साल मई में कंपनी ने 700 से ज्यादा एंप्लॉयीज को बाहर का रास्ता दिखाया था।
‘ट्रूकॉलर’ के को-फाउंडर, चेयरमैन और चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर नामी जर्रिंगलम का कहना है, ‘ट्रूकॉलर वैश्विक स्तर पर स्पैम के साथ-साथ धोखाधड़ी के प्रयासों की पहचान करने के लिए नंबर एक सॉल्यूशन है।
प्रमुख ग्लोबल कम्युनिकेशंस प्लेटफॉर्म ‘ट्रूकॉलर’ (Truecaller) ने बेंगलुरु की कंपनी ‘यूनोइडियो टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड’ (Unoideo Technologies Pvt Ltd) का अधिग्रहण किया है। यह कंपनी ‘ट्रस्टचेकर’ (TrustCheckr) सर्विस प्रदान करती है, जो SaaS (Software as a service) प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यवसायों को कस्टमर्स की जानकारी वेरीफाई करने और फोन नंबर व डिजिटल सिग्नल के आधार पर धोखाधड़ी के जोखिम का पता लगाने में मदद करती है।
कंपनी की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, ‘ट्रस्टचेकर’ की वर्तमान पेशकश ने विभिन्न इंडस्ट्रीज की रुचि को आकर्षित किया है, जिसमें बैंक, फिनटेक और वित्तीय संस्थान आदि शामिल हैं। यह अधिग्रहण उद्योगों के लिए ट्रूकॉलर के रिस्क इंटेलिजेंस टूल (risk intelligence tool) को मजबूती प्रदान करेगा, जिसे पिछले सप्ताह लॉन्च किया गया था।
इस बारे में ‘ट्रूकॉलर’ के को-फाउंडर, चेयरमैन और चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर नामी जर्रिंगलम का कहना है, ‘ट्रूकॉलर वैश्विक स्तर पर स्पैम के साथ-साथ धोखाधड़ी के प्रयासों की पहचान करने के लिए नंबर एक सॉल्यूशन है। हमारा मुख्य ध्यान कॉलरआईडी और स्पैम सुरक्षा पर रहा है, धोखाधड़ी वाली कॉल और संदेश विश्व स्तर पर अभूतपूर्व दर से बढ़ रहे हैं। स्पैमर की तुलना में जालसाज अलग तरीके से काम करते हैं, इसलिए हमारी धोखाधड़ी का पता लगाने की क्षमताओं को बढ़ाने में निवेश करना हमारे लिए स्वाभाविक विकास की क्रिया है।
इस अधिग्रहण से ट्रूकॉलर को एक बेहतरीन सेवा और क्षमता मिलेगी। हमारा मानना है कि यह हमारे यूजर्स के लिए वैल्यू लाएगा और हमारी वर्तमान इंडस्ट्री पेशकश को मजबूत करेगा, जिसमें नई लॉन्च की गईं रिस्क इंटेलिजेंस सर्विसेज शामिल हैं, जहां हम रिस्क और धोखाधड़ी को कम करने के लिए इंडस्ट्री को सपोर्ट करते हैं। धोखाधड़ी के बाहरी संकेतों के माध्यम से धोखेबाजों की पहचान करने में माहिर ट्रस्टचेकर के पास ट्रूकॉलर के आंतरिक संकेतों के साथ कौशल का संयोजन वास्तव में काफी प्रभावशाली होगा।’
बताया जाता है कि इस व्यावसायिक फैसले को वर्ष 2023 की चौथी तिमाही के दौरान अंतिम रूप दिया गया है और इसे मौजूदा नकदी के माध्यम से वित्तपोषित किया गया है। इसका नकदी प्रवाह पर मामूली प्रभाव पड़ेगा और 2023 के वित्तीय परिणामों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है।
यह तीसरी बार है जब स्टेकहोल्डर्स के अनुरोध पर यह समय सीमा बढ़ाई गई है। ट्राई का कहना है कि अब समय सीमा बढ़ाने के किसी भी अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
‘भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण’ (TRAI) ने प्रसारण व केबल सेवाओं के लिए नियामक ढांचे की समीक्षा पर परामर्श पत्र (कंसल्टेशन पेपर) पर टिप्पणियां (comments) और प्रति-टिप्पणियां (counter-comments) जमा करने की अंतिम तिथि एक बार फिर बढ़ा दी है। यह तीसरी बार है जब स्टेकहोल्डर्स के अनुरोध पर भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण ने यह समय सीमा बढ़ाई है।
बता दें कि ‘ट्राई’ ने आठ अगस्त को ‘प्रसारण और केबल सेवाओं के लिए नियामक ढांचे की समीक्षा’ पर एक परामर्श पत्र जारी किया था। परामर्श पत्र में उठाए गए मुद्दों पर स्टेकहोल्टर्स से टिप्पणियां प्राप्त करने की अंतिम तिथि शुरू में पांच सितंबर और प्रति-टिप्पणियों के लिए 19 सितंबर निर्धारित की गई थी।
‘ट्राई’ ने पहले टिप्पणियां और प्रति-टिप्पणियां जमा करने की तारीखें बदलकर 19 सितंबर और तीन अक्टूबर कर दी थीं। बाद में उन्हें क्रमश: तीन और 17 अक्टूबर कर दिया गया था।
इस बारे में ट्राई की ओर से कहा गया है, ‘समय सीमा बढ़ाने के लिए स्टेकहोल्डर्स से प्राप्त अनुरोधों पर अब परामर्श पत्र पर टिप्पणियां और प्रति-टिप्पणियां प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि को क्रमशः 10 अक्टूबर 2023 और 25 अक्टूबर 2023 तक आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।’
इसके साथ ही 'ट्राई' ने कहा है कि टिप्पणियां/प्रति-टिप्पणियां जमा करने के लिए समय सीमा को और बढ़ाने के किसी भी अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा।
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने गुरुवार को 'भवनों या क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए रेटिंग फ्रेमवर्क पर विनियमन' पर एक परामर्श पत्र जारी किया है।
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने गुरुवार को 'भवनों या क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए रेटिंग फ्रेमवर्क पर विनियमन' पर एक परामर्श पत्र जारी किया है। परामर्श पत्र में उठाए गए मुद्दों पर हितधारकों से 10 नवंबर, 2023 तक लिखित टिप्पणियां और जवाबी टिप्पणियां, यदि कोई हों, 24 नवंबर 2023 तक आमंत्रित की गई हैं।
प्राधिकरण के मुताबिक, डिजिटल कनेक्टिविटी व्यक्तिगत, व्यावसायिक और सामाजिक जीवन का अभिन्न अंग बन गई है। सेवाओं और विनिर्माण क्षेत्रों के डिजिटलीकरण में तेज वृद्धि ने दुनिया में क्रांति ला दी है, जिससे अर्थव्यवस्था, नवाचार, विज्ञान और शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य, स्थिरता, शासन और जीवन शैली तक हर चीज प्रभावित हुई है।
ट्राई ने कहा कि हाल के वर्षों में डिजिटल कनेक्टिविटी की मांग कई गुना बढ़ गई है। महामारी के दौरान डिजिटल कनेक्टिविटी की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया जा चुका है, जिससे हर वर्ग के उपयोगकर्ताओं की तरफ से मांग में वृद्धि देखी गई, भले ही उनका स्थान कुछ भी हो यानी वे कहीं भी रहते हों।
ट्राई ने आगे कहा कि वह विस्तृत अध्ययन कराकर देशभर में सेवा की गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है और सेवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए हितधारकों को उपयुक्त निर्देश जारी कर रहा है। भले ही, जमीनी स्तर पर दूरसंचार सेवाओं के कवरेज में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं, फिर भी उपयोगकर्ताओं खासकर भवनों/आवासीय या वाणिज्यिक क्षेत्रों के अंदर सेवा मांगों के लिए जरूरी गुणवत्ता के संदर्भ से अभी भी कमियां देखी जा रही हैं।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में ट्राई ने कहा कि भवनों के अंदर दूरसंचार सेवाओं की गुणवत्ता उपभोक्ता हितों की सुरक्षा का एक अभिन्न अंग है। ट्राई ने पहले ही 'डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए भवनों या क्षेत्रों की रेटिंग' पर 20 फरवरी, 2023 की सिफारिश सहित विभिन्न नीतिगत पहल कर ली हैं। इन सिफारिशों में सहयोगात्मक और आत्मनिर्भर दृष्टिकोण के माध्यम से उपभोक्ताओं को अच्छा डिजिटल कनेक्टिविटी अनुभव सुनिश्चित करने के लिए बिल्डिंग रेटिंग फ्रेमवर्क की शुरुआत करने का प्रावधान किया गया है।
एक नियामक ढांचा बनाने के लिए ट्राई ने अपनी टिप्पणियों और विश्लेषण में कहा है कि भवनों और क्षेत्रों के लिए रेटिंग फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन के उद्देश्य से विनियमन पर विचार विमर्श को “भवनों या क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए रेटिंग फ्रेमवर्क पर विनियमन पर” परामर्श पत्र जारी किया गया है। इसमें इमारतों और निर्बाध उपभोक्ता अनुभव के लिए क्यूओएस में सुधार के उद्देश्य से डिजिटल कनेक्टिविटी को ध्यान में रखा गया है।
ट्राई ने कहा कि यह दस्तावेज डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए भवनों या क्षेत्रों की रेटिंग की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है जो न केवल उपभोक्ताओं की वर्तमान अपेक्षाओं को पूरा करता है बल्कि प्रौद्योगिकियों के विकास या उपयोगकर्ताओं की मांग में बदलाव के साथ भविष्य के विस्तार या उन्नयन के लिए भी तैयार है। इस सीपी में सामान्य उपयोगकर्ताओं, सेवा प्रदाताओं और इकोसिस्टम के लिए रेटिंग ढांचे के लाभों पर भी चर्चा की गई है।
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि परामर्श पत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाए जा रहे तौर तरीकों और भारत में जीआरआईएचए या क्रेडिट रेटिंग जैसे रेटिंग ढांचे के आधार पर ‘डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए रेटिंग ढांचे’ के बारे में विस्तार से बताया गया है।
एंड्रॉयड मोबाइल पारिस्थितिकी में अपनी प्रभावी स्थिति का गलत फायदा उठाने के आरोप में इस सर्च इंजन पर 936 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
‘नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल’ (NCLAT) ने घोषणा की है कि वह ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ (CCI) द्वारा लगाए गए 936 रुपये के जुर्माने के आदेश के खिलाफ ‘गूगल’ (Google) की याचिका पर 28 नवंबर से सुनवाई शुरू करेगा।
बता दें कि एंड्रॉयड मोबाइल ईकोसिस्टम में अपनी प्रभावी स्थिति का गलत फायदा उठाने के आरोप में इस सर्च इंजन पर ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ द्वारा 936 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।पिछले साल अक्टूबर में ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने गूगल पर एकाधिकार की स्थिति का फायदा उठाने के लिए कुल 2,274.2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था।
ये जुर्माना दो अलग-अलग मामलों में लगाया गया था, जिसमें पहला करीब 1337 करोड़ रुपए का जुर्माना एंड्रॉयड मोबाइल उपकरण क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति का दुरुपयोग करने के मामले में 20 अक्टूबर को लगाया था, जबकि एक हफ्ते के भीतर ही दूसरा जुर्माना करीब 936.44 करोड़ रुपए का लगाया था। यह जुर्माना प्ले स्टोर की नीतियों में अनुचित व्यवहार के लिए लगाया गया था। इसके अलावा सीसीआई ने कहा था कि गूगल मोबाइल पर पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप को उपयोगकर्ताओं द्वारा हटाने पर रोक नहीं लगाएगा।
जनवरी 2023 में ‘NCLAT’ ने ‘CCI’ के आदेश के खिलाफ ‘Google’ को तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया था। ‘Google‘ ने ‘NCLAT‘ के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील भी दायर की थी, हालांकि बाद में उसने मामला वापस ले लिया था। ‘NCLAT’ ने अब कहा है कि मुकदमा करने वाले को ‘Google’ की अपील पर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करना चाहिए।