दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट जेमिनी द्वारा पीएम मोदी पर दी गई आपत्तिजनक प्रतिक्रिया के लिए भारत सरकार से माफी मांगी है
दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल (Google) ने अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट जेमिनी द्वारा पीएम मोदी पर दी गई आपत्तिजनक प्रतिक्रिया के लिए भारत सरकार से माफी मांगी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईटी और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के हवाले से कहा गया है कि गूगल ने प्रधानमंत्री मोदी से माफी मांगते हुए कहा है कि राजनीतिक विषयों के लिए उसका प्लैटफॉर्म जेमिनी भरोसेमंद नहीं है।
दरअसल, पीएम मोदी को लेकर पूछे गए सवाल पर जेमिनी की आपत्तिजनक प्रतिक्रिया को लेकर भारत सरकार ने गूगल को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था।
हुआ यूं कि एक यूजर ने गूगल के एआई चैटबॉट जेमिनी से पूछा था कि क्या नरेंद्र मोदी फासीवादी हैं? इस सवाल के जवाब में जेमिनी ने कहा, 'नरेंद्र मोदी भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता हैं। उन पर ऐसी नीतियां लागू करने का आरोप लगाया गया है। कुछ विशेषज्ञों ने इसे फासीवादी बताया है। ये आरोप कई पहलूओं पर आधारित हैं। इसमें भाजपा की हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा भी शामिल है।'
गूगल जेमिनी पर पक्षपात का भी आरोप लगा है, क्योंकि जेमिनी ने मोदी को फासीवादी कहा, जबकि यही सवाल जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप औ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बारे में पूछा गया तो उसने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
जेमिनी की इस प्रतिक्रिया के बाद केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने गूगल को कड़ी चेतावनी दी थी कि जेमिनी जिस तरह से जवाब दे रहा है वह आईटी के नियम 3 (1) (बी) और आपराधिक कानून के कई प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
अपने जवाब में गूगल के प्रवक्ता ने कहा, "हम इस मुद्दे को हल करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। यह कुछ ऐसा है जिस पर हम लगातार सुधार करने पर काम कर रहे हैं।" वहीं, गूगल ने स्वीकार किया है कि उसके प्लेटफॉर्म पर हमेशा भरोसा नहीं किया जा सकता।
हॉलीवुड के बड़े स्टार्स ने टेक कंपनियों गूगल और ओपनएआई (Open AI) के खिलाफ एकजुट होकर ट्रंप प्रशासन से कॉपीराइट कानूनों की सुरक्षा की मांग की है
हॉलीवुड के बड़े स्टार्स ने टेक कंपनियों गूगल और ओपनएआई (Open AI) के खिलाफ एकजुट होकर ट्रंप प्रशासन से कॉपीराइट कानूनों की सुरक्षा की मांग की है, जिससे इनका गलत इस्तेमाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनियों द्वारा न किया जा सके।
400 से अधिक मशहूर हस्तियों, जिनमें बेन स्टिलर, पॉल मैकार्टनी, ऑब्रे प्लाजा और ओलिविया वाइल्ड शामिल हैं, ने व्हाइट हाउस के विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति कार्यालय को एक खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने चिंता जताई है कि कुछ प्रस्ताव कॉपीराइट सुरक्षा को कमजोर कर सकते हैं।
यह पत्र ओपनएआई और गूगल द्वारा अमेरिकी सरकार को भेजी गई हालिया सिफारिशों के जवाब में आया है। इन टेक कंपनियों का तर्क है कि कॉपीराइट नियमों को कुछ हद तक ढीला किया जाए, जिससे अमेरिका एआई विकास में चीन जैसे देशों के मुकाबले अपनी बढ़त बनाए रख सके।
हालांकि, हॉलीवुड सितारे इस दावे को पूरी तरह खारिज करते हैं। उनका कहना है कि कॉपीराइट सुरक्षा को कमजोर करने से अमेरिका के रचनात्मक और ज्ञान आधारित उद्योगों का "मुफ्त में शोषण" होगा, जबकि गूगल और ओपनएआई जैसी कंपनियों के पास पहले से ही अपार संसाधन और राजस्व मौजूद हैं। पत्र में यह भी बताया गया है कि मनोरंजन उद्योग अमेरिका में 23 लाख से अधिक नौकरियां देता है और सालाना 229 अरब डॉलर की मजदूरी का योगदान करता है। इसके अलावा, यह अमेरिका की वैश्विक प्रभावशीलता और सॉफ्ट पावर को भी मजबूत करता है।
सेलिब्रिटीज का कहना है कि एआई मॉडल को बेहतर बनाने के लिए कॉपीराइट सुरक्षा को कमजोर करने या खत्म करने की कोई जरूरत नहीं है। वे चेतावनी देते हैं कि यह समस्या सिर्फ मनोरंजन जगत तक सीमित नहीं है, बल्कि अमेरिका के सभी ज्ञान आधारित क्षेत्रों—लेखक, प्रकाशक, फोटोग्राफर, वैज्ञानिक, आर्किटेक्ट, इंजीनियर, डिजाइनर, डॉक्टर और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स—को भी प्रभावित कर सकती है।
इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि एआई तकनीक के तेजी से विकास के बीच टेक और क्रिएटिव इंडस्ट्री के बीच तनाव बढ़ रहा है। पत्र में नवाचार और रचनाकारों के अधिकारों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया गया है।
जियो प्लेटफॉर्म्स (Jio Platforms) ने स्टरलिंक (Starlink) की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी SpaceX के साथ एक डील की है।
जियो प्लेटफॉर्म्स (Jio Platforms) ने स्टरलिंक (Starlink) की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी SpaceX के साथ एक डील की है। इस डील के तहत जियो भारत में अपने ग्राहकों को स्टरलिंक की ब्रॉडबैंड इंटरनेट सुविधाए मुहैया कराएगा।
यह डील इस शर्त पर आधारित है कि SpaceX को भारत में Starlink बेचने के लिए आवश्यक स्वीकृतियां (authorisations) मिलें। यदि SpaceX को यह स्वीकृतियां मिल जाती हैं, तो Jio और SpaceX यह पता लगाने के लिए मिलकर काम करेंगे कि Starlink किस तरह Jio की सेवाओं का विस्तार कर सकता है और Jio किस तरह उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए SpaceX की सीधी सेवाओं को और बेहतर बना सकता है।
Jio अपने रिटेल आउटलेट्स और ऑनलाइन स्टोर्स के माध्यम से Starlink समाधान उपलब्ध कराएगा।
इस डील के तहत दोनों पक्ष Jio की दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल ऑपरेटर (डेटा ट्रैफिक के हिसाब से) के रूप में स्थिति और Starlink की अग्रणी लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन ऑपरेटर के रूप में स्थिति का उपयोग करेंगे ताकि पूरे भारत, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में, भरोसेमंद ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान की जा सकें।
Jio न केवल अपने रिटेल आउटलेट्स में Starlink उपकरण पेश करेगा, बल्कि ग्राहक सेवा, इंस्टॉलेशन और एक्टिवेशन के लिए एक मजबूत तंत्र भी स्थापित करेगा।
SpaceX के साथ यह समझौता Jio की इस प्रतिबद्धता का हिस्सा है कि हर छोटे और मध्यम व्यवसाय, उद्यम और समुदाय को भरोसेमंद इंटरनेट की पूरी पहुंच मिले। Starlink, JioAirFiber और JioFiber की सेवाओं को पूरक बनाकर तेज इंटरनेट को सबसे मुश्किल स्थानों तक तेजी और किफायती तरीके से पहुंचाने में मदद करेगा।
Jio और SpaceX अन्य पूरक क्षेत्रों में भी सहयोग की संभावनाएं तलाश रहे हैं ताकि वे अपनी-अपनी बुनियादी ढांचा क्षमताओं का लाभ उठाकर भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को और मजबूत बना सकें।
रिलायंस Jio के ग्रुप सीईओ मैथ्यू उमेन ने कहा, "हर भारतीय को, चाहे वे कहीं भी रहते हों, सुलभ और उच्च गति वाला ब्रॉडबैंड प्रदान करना Jio की सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत में Starlink लाने के लिए SpaceX के साथ हमारा सहयोग हमारी इस प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है और सभी के लिए निर्बाध ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। Jio के ब्रॉडबैंड इकोसिस्टम में Starlink को शामिल करके, हम अपनी पहुंच का विस्तार कर रहे हैं और इस AI- संचालित युग में तेज ब्रॉडबैंड की विश्वसनीयता और उपलब्धता को बढ़ा रहे हैं, जिससे पूरे देश में समुदायों और व्यवसायों को सशक्त बनाया जा सके।"
SpaceX की प्रेजिडेंट व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर ग्विन शॉटवेल ने कहा, "हम भारत की कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने के लिए Jio की प्रतिबद्धता की सराहना करते हैं। हम Jio के साथ काम करने और भारत सरकार से स्वीकृति प्राप्त करने के लिए उत्साहित हैं, ताकि अधिक से अधिक लोगों, संगठनों और व्यवसायों को Starlink की उच्च गति इंटरनेट सेवाओं तक पहुंच प्रदान की जा सके।"
एल्फाबेट (Alphabet) की गूगल (Google) ने कथित तौर पर अपने क्लाउड डिवीजन में बड़े पैमाने पर छंटनी की है।
एल्फाबेट (Alphabet) की गूगल (Google) ने कथित तौर पर एक बार फिर बड़े पैमाने पर छंटनी की है। इस बार यह छंटनी अपने क्लाउड डिवीजन में की है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस छंटनी का असर सेल्स ऑपरेशंस से जुड़े 100 से कम एम्प्लॉयीज पर पड़ा है।
हालांकि, इस फैसले की सार्वजनिक रूप से घोषणा नहीं की गई है, लेकिन एक महीने पहले आई खबरों के अनुसार, गूगल ने अपने अमेरिकी एम्प्लॉयीज को एक मेमो भेजा था। यह मेमो उन एम्प्लॉयीज के लिए था जो Android, Pixel Hardware और अन्य प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे थे। इसमें एक "वॉलंटरी एग्जिट प्रोग्राम" की पेशकश की गई थी।
इस योजना के तहत, जो एम्पलॉयी स्वेच्छा से इस्तीफा देने के लिए तैयार थे, उन्हें कंपनसेशन की गारंटी दी गई थी।
यह छंटनी ऐसे समय में आई है जब गूगल के क्लाउड डिपार्टमेंट में धीमी वृद्धि दर्ज की गई है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी ने हाल ही में AI पर अपने खर्च को बढ़ा दिया है।
एल्फाबेट की कमाई ने भी कमजोरियों को उजागर किया है। गूगल क्लाउड का राजस्व 11.96 बिलियन डॉलर रहा, जो 30% की वृद्धि को दर्शाता है, लेकिन यह पूर्वानुमान से कम था। AWS और Azure से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण गूगल को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
B2B कंपनियों के लिए, यह क्लाउड मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है, जहां मल्टी-प्लेटफॉर्म रणनीतियां अधिक लोकप्रिय हो सकती हैं।
इसी बीच, एल्फाबेट का 2025 में AI इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 75 बिलियन डॉलर खर्च करने की योजना भी सामने आई है। यह शोध और विकास (R&D) को गति देने का संकेत देता है, लेकिन यह सवाल भी खड़े करता है कि कंपनी इन लागतों को विज्ञापनदाताओं तक कैसे पहुँचाएगी।
ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म Chegg ने गूगल के खिलाफ फेडरल एंटीट्रस्ट मुकदमा दायर किया है। यह मुकदमा 24 फरवरी 2025 को वॉशिंगटन डी.सी. की अमेरिकी जिला अदालत में दायर किया गया।
ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म Chegg ने गूगल के खिलाफ फेडरल एंटीट्रस्ट मुकदमा दायर किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि टेक दिग्गज की AI-समर्थित सर्च समरी उसके ट्रैफिक और राजस्व को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रही है।
यह मुकदमा 24 फरवरी 2025 को वॉशिंगटन डी.सी. की अमेरिकी जिला अदालत में दायर किया गया। यह किसी इंडिविजुअल कंपनी द्वारा गूगल के AI ओवरव्यू फीचर के खिलाफ दायर किया गया पहला एंटीट्रस्ट केस है।
Chegg का दावा है कि गूगल की AI-समर्थित समरी, जो सर्च रिजल्ट के शीर्ष पर दिखाई देती हैं, संभावित विजिटर्स को उसकी वेबसाइट पर जाने से रोक रही हैं। कंपनी का कहना है कि गूगल अपने सर्च प्रभुत्व का उपयोग थर्ड पार्टी कंटेंट से लाभ उठाने के लिए कर रही है, लेकिन उचित मुआवजा नहीं दे रही।
Chegg के सीईओ Nathan Schultz ने कहा कि यह मुकदमा सिर्फ उनकी कंपनी के लिए नहीं बल्कि डिजिटल पब्लिशिंग सेक्टर और ऑनलाइन सर्च के भविष्य को लेकर भी अहम है।
एजुकेशन टेक्नोलॉजी फर्म Chegg ने 2024 की चौथी तिमाही के लिए कुल शुद्ध राजस्व में 24% की साल-दर-साल गिरावट दर्ज की है और इस नुकसान के लिए सीधे तौर पर गूगल के AI ओवरव्यू को जिम्मेदार ठहराया है। इसके चलते, Chegg अब रणनीतिक विकल्पों की तलाश कर रहा है, जिसमें कंपनी का अधिग्रहण या निजीकरण शामिल हो सकता है।
वहीं, गूगल का कहना है कि उसके AI ओवरव्यू फीचर से सर्च अनुभव बेहतर होता है और कंटेंट डिस्कवरी के नए अवसर बनते हैं। कंपनी का दावा है कि वह रोजाना विभिन्न वेबसाइटों पर अरबों क्लिक भेजता है और AI ओवरव्यू वास्तव में अधिक साइटों तक ट्रैफिक बढ़ाने में मदद करता है।
यह कानूनी लड़ाई उन बढ़ती चिंताओं को उजागर करती है, जहां पब्लिशर्स AI-आधारित सर्च टूल्स को अनुचित प्रतिस्पर्धा मानते हुए इसके खिलाफ खड़े हो रहे हैं। इस मुकदमे का परिणाम डिजिटल पब्लिशिंग इंडस्ट्री और इंटरनेट सर्च के भविष्य के लिए दूरगामी प्रभाव डाल सकता है, जिससे यह तय होगा कि सर्च रिजल्ट में AI-जनित कंटेंट का उपयोग और उसका मुआवजा किस तरह निर्धारित किया जाएगा।
मेटा (Meta) ने फेसबुक पर लाइव वीडियो डाउनलोडिंग से जुड़ी पॉलिसी में बदलाव किया है।
मेटा (Meta) ने फेसबुक पर लाइव वीडियो डाउनलोडिंग से जुड़ी पॉलिसी में बदलाव किया है। कंपनी ने एक ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से घोषणा की है कि अब यूजर्स के लाइव ब्रॉडकास्ट एक निर्धारित समय के बाद अपने आप डिलीट हो जाएंगे। नई पॉलिसी के अनुसार, फेसबुक प्रोफाइल या पेज से किए गए लाइव स्ट्रीम वीडियो 30 दिनों के बाद हट जाएंगे।
19 फरवरी 2025 से लागू होगी नई पॉलिसी
मेटा ने पुष्टि की है कि यह नया नियम 19 फरवरी 2025 से प्रभावी कर दिया गया है। इसके तहत, यूजर्स को 30 दिनों के भीतर अपने लाइव वीडियो डाउनलोड करने का विकल्प मिलेगा। एक बार वीडियो हट जाने के बाद भी, यूजर इसे अगले 90 दिनों तक डाउनलोड कर सकेंगे।
आर्काइव सेक्शन में सेव होंगे हटाए गए वीडियो
जो वीडियो 30 दिनों के बाद हटाए जाएंगे, वे एक विशेष आर्काइव सेक्शन में चले जाएंगे। यूजर्स को उनके वीडियो डाउनलोड करने के लिए ईमेल और इन-ऐप नोटिफिकेशन के जरिए रिमाइंडर भी भेजा जाएगा। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए फेसबुक ने एक नया टूल भी पेश किया है, जिससे यूजर अपने लाइव वीडियो को व्यक्तिगत रूप से या एक साथ (Bulk) डाउनलोड कर सकेंगे।
व्यक्तिगत वीडियो डाउनलोड करने के लिए:
एक साथ (Bulk) कई वीडियो डाउनलोड करने के लिए:
इसके अलावा, यूजर फेसबुक पेज के एक्टिविटी लॉग में जाकर भी एक या अधिक वीडियो डाउनलोड कर सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) के मसौदा नियमों पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया की अवधि 2 मार्च 2025 तक बढ़ा दी है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) के मसौदा नियमों पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया (पब्लिक फीडबैक) की अवधि 2 मार्च 2025 तक बढ़ा दी है। पहले यह अंतिम तिथि 18 फरवरी तय की गई थी, लेकिन इंडस्ट्री जगत के हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस परामर्श अवधि को बढ़ाया गया है।
MeitY ने 3 जनवरी को इस बहुप्रतीक्षित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के मसौदा नियमों का अनावरण किया। यह कदम अगस्त 2023 में अधिनियम की प्रारंभिक अधिसूचना के 16 महीने बाद आया है, जो देश में व्यापक डेटा गोपनीयता कानून की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023, व्यक्तियों के अधिकारों और व्यक्तिगत डेटा को संभालने वाले व्यवसायों की जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है। यह अधिनियम व्यक्तियों को उनके व्यक्तिगत डेटा तक पहुंचने, उसे संशोधित करने या हटाने का अधिकार देता है, जबकि व्यवसायों को डेटा प्रोसेसिंग के लिए स्पष्ट सहमति प्राप्त करनी होगी और मजबूत सुरक्षा उपाय लागू करने होंगे।
यह अधिनियम सीमा-पार डेटा ट्रांसफर पर भी प्रतिबंध लगाता है, जिससे अनधिकृत पहुंच से डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
कानून को लागू करने और शिकायतों के समाधान के लिए एक समर्पित डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी (DPA) स्थापित की गई है। इस अधिनियम का पालन न करने पर कंपनियों को भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
चूंकि कंपनियों, ब्रांडों और विज्ञापनदाताओं को उपभोक्ताओं के डेटा तक व्यापक पहुंच प्राप्त होती है, इसलिए यह कानून डेटा गोपनीयता की सुरक्षा और वैध डेटा प्रोसेसिंग के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करता है। यह आने वाले वर्षों में भारत के डिजिटल परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मसौदा नियमों का सबसे उल्लेखनीय पहलू चरणबद्ध कार्यान्वयन दृष्टिकोण है। डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड (DPB) के चयन और कार्यप्रणाली से संबंधित पांच नियम तुरंत लागू होंगे, जबकि अन्य नियम बाद की तारीख में प्रभावी होंगे। यह चरणबद्ध दृष्टिकोण संगठनों को नए नियमों के अनुरूप धीरे-धीरे समायोजित करने की अनुमति देगा।
गूगल इंडिया के पब्लिक पॉलिसी हेड श्रीनिवास रेड्डी ने अपने पद से कथित तौर पर इस्तीफा दे दिया है।
गूगल इंडिया के पब्लिक पॉलिसी हेड श्रीनिवास रेड्डी ने अपने पद से कथित तौर पर इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि पिछले दो सालों में गूगल के पब्लिक पॉलिसी पद से यह दूसरी बार किसी वरिष्ठ अधिकारी का इस्तीफा हुआ है।
रेड्डी सितंबर 2023 में गूगल से जुड़े थे। इससे पहले वे माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल में कार्यरत थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गूगल के एक आंतरिक मेमो में कहा गया है कि उत्तरी यूरोप के पॉलिसी हेड इयरला फ्लिन (Iarla Flynn) भारत के लिए इंट्रिम पॉलिसी हेड के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
मेमो में यह भी कहा गया कि "भारत गूगल के लिए एक महत्वपूर्ण मार्केट है और हम इसकी सफलता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।"
टेक दिग्गज 'मेटा' आज 10 फरवरी को अपने कार्यबल के 5% यानी अनुमानित 3,000 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने की तैयारी में है
टेक दिग्गज 'मेटा' आज 10 फरवरी को अपने कार्यबल के 5% यानी अनुमानित 3,000 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने की तैयारी में है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेटा की ह्यूमन रिसोर्सेज (HR) की वाइस प्रेजिडेंट जेनेल गेल ने इस बारे में कंपनी के इंटर्नल पोर्टल पर जानकारी साझा की है।
मेमो के अनुसार, प्रभावित एम्प्लॉयीज को ईमेल के जरिए उनकी नौकरी की स्थिति के बारे में सूचित किया जाएगा। सूचना मिलने के एक घंटे के भीतर उनकी कंपनी की सिस्टम्स तक पहुंच बंद कर दी जाएगी। गेल ने सेवरेंस पैकेज (छंटनी के बाद मिलने वाले लाभ) से जुड़ी जानकारी भी साझा की है।
इनमें से कुछ पद भविष्य में दोबारा भरे जाएंगे, लेकिन इसके लिए कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं बताई गई है। जिन एम्प्लॉयीज के मैनेजर्स की छंटनी होगी, उन्हें नए रिपोर्टिंग हेड्स असाइन किए जाएंगे।
मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग पहले ही परफॉर्मेंस स्टैंडर्ड्स का हवाला देते हुए संभावित छंटनी के संकेत दे चुके थे।
जानी-मानी टेक्नोलॉजी कंपनी ‘गूगल’ (Google) ने विद्या श्रीनिवासन को कंपनी में एक अतिरिक्त भूमिका सौंपी है।
जानी-मानी टेक्नोलॉजी कंपनी ‘गूगल’ (Google) ने विद्या श्रीनिवासन को कंपनी में एक अतिरिक्त भूमिका सौंपी है। विद्या श्रीनिवासन के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, वह अब Ads के साथ-साथ Commerce का नेतृत्व भी करेंगी। इसके साथ ही विद्या श्रीनिवासन अब गूगल में Ads और Commerce की वाइस प्रेजिडेंट बन गई हैं।
अपनी लिंक्डइन पोस्ट में विद्या श्रीनिवासन ने लिखा है, ‘मैं यह शेयर करते हुए काफी उत्साहित हूं कि मैंने गूगल में Ads के साथ-साथ Commerce टीम (कंज्यूमर शॉपिंग, मर्चेंट शॉपिंग और पेमेंट्स) का नेतृत्व करने की विस्तारित भूमिका संभाल ली है। लोग हर दिन गूगल पर एक अरब से अधिक बार शॉपिंग करते हैं, और एआई उनके शॉपिंग अनुभव को हर कदम पर बदलने में मदद कर रहा है। शॉपिंग अनुभवों, मर्चेंट टूल्स और सुरक्षित भुगतान तक, मैं टीम के साथ मिलकर एआई इनोवेशन को और तेजी से आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं।’
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह पद पहले मारिया रेंज (Maria Renz) के पास था, जिन्होंने अब कंपनी छोड़ने का फैसला किया है। विद्या श्रीनिवासन ‘गूगल’ के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट (नॉलेज एंड इनफॉर्मेशन) निक फॉक्स को रिपोर्ट करना जारी रखेंगी।
टेक कंपनी 'मेटा' (Meta) ने 3600 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने की योजना बनाई है, जो कंपनी के कुल वर्कफोर्स का 5% है।
टेक कंपनी 'मेटा' (Meta) ने 3600 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने की योजना बनाई है, जो कंपनी के कुल वर्कफोर्स का 5% है। इन छंटनियों के तहत "लो परफॉर्मर्स" को टारगेट किया जाएगा और उनकी जगह नए नियुक्तियां की जाएंगी। यह जानकारी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में सामने आई है।
जुकरबर्ग का फोकस: परफॉर्मेंस और नई प्रतिभा
Meta के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इस कदम को परफॉर्मेंस मैनेजमेंट को मजबूत करने और "सबसे बेहतर टैलेंट" को बनाए रखने की दिशा में उठाया गया कदम बताया है। जुकरबर्ग ने कहा, "मैंने परफॉर्मेंस मैनेजमेंट का स्तर ऊंचा करने और लो परफॉर्मर्स को तेजी से हटाने का फैसला किया है। हम आमतौर पर परफॉर्मेंस में कमी वाले लोगों को एक साल के अंदर मैनेज करते हैं, लेकिन इस बार हम व्यापक प्रदर्शन-आधारित छंटनियां करेंगे।"
उन्होंने आगे कहा कि कंपनी का उद्देश्य 2025 में इन भूमिकाओं के लिए नई भर्तियां करना है। प्रभावित एम्प्लॉयीज को फरवरी 10, 2025 या अमेरिका के बाहर के एम्प्लॉयीज के मामले में बाद में सूचित किया जाएगा। जुकरबर्ग ने आश्वासन दिया कि छंटनी के दौरान प्रभावित एम्प्लॉयीज को पहले की तरह "जेनरस सेवरेंस" पैकेज दिया जाएगा।
कानूनी मोर्चे पर झटका
इसी बीच, Meta को एक और झटका उस समय लगा जब सोमवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने मल्टी-बिलियन डॉलर के क्लास एक्शन मुकदमे को रद्द करने की मांग की थी। इस मामले में विज्ञापनदाताओं ने Meta पर अपने विज्ञापनों के संभावित दर्शकों की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया है।
आंतरिक ज्ञापन का खुलासा
सोशल मीडिया पर लीक हुए एक आंतरिक मेमो में जुकरबर्ग ने यह भी कहा, "हम इस बार ज्यादा व्यापक और सख्त प्रदर्शन-आधारित छंटनियां करेंगे। हालांकि, उन एम्प्लॉयीज को हटाने का इरादा नहीं है जिनकी भविष्य की परफॉर्मेंस को लेकर हमें आशावाद है।"
जुकरबर्ग ने यह भी कहा कि इस निर्णय का उद्देश्य मजबूत टीमों का निर्माण करना और मानव कनेक्शन को सक्षम करने वाली अग्रणी तकनीक तैयार करना है।
एम्प्लॉयीज और उद्योग के लिए संदेश
Meta की इस घोषणा ने टेक इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है, जहां पहले से ही छंटनी का दौर चल रहा है। हालांकि, कंपनी का कहना है कि यह कदम संगठनात्मक दक्षता और दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उठाया जा रहा है।