काफी संकोच से जेटली जी के कार्यालय में फोन लगाकर स्थिति बतायी। लगा कि काफी नाराजगी झेलनी होगी इस बात के लिए कि आप इतने व्यस्ततम नेता का वक्त खराब कर रहे हैं
अरुण जी हमेशा कहते थे कि मुश्किलें आती हैं, बीमारी आती है, तकलीफें होती हैं, लेकिन काम किसी भी हाल में नहीं रुकना चाहिए-‘शो मस्ट गो ऑन’
पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली की याद में अटल बिहारी फाउंडेशन की ओर से रखा गया है आयोजन
मैं अरुण जी को जानता तो था पर उस दौरान कई साल से उनसे भेंट नहीं हुई थी
सन् 2020 के चुनाव में भाजपा अगर फिर से दिल्ली जीत जाती है तो अरुण जी के लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी
जेटली जी सामने हों और चर्चा-परिचर्चा न हो, ऐसा कैसे मुमकिन है? लेकिन आश्चर्य कि उस दिन बात राजनीति से हटकर हुई
जान लगा देने का जज्बा ही था कि लंबी बीमारी के बावजूद वो मोदी सरकार में न सिर्फ महत्वपूर्ण मंत्रालय संभालते रहे, बल्कि तमाम मोर्चों पर संकट मोचक की भूमिका भी निभाते रहे
नोटबंदी जैसा कठोर फैसला हो या फिर सरकारी बैंको के एनपीए को खत्म करने, जन-धन और वन रैंक, वन पेंशन जैसी योजनाएं लागू करने का काम जेटली जी जैसे फौलादी इरादों वाले वित्त मंत्री की बदौलत ही संभव हो पाया।
मीडिया का अरुण जी बहुत संम्मान करते थे लेकिन अपने अंतिम इंटरव्यू में उन्होंने राफेल पर कुछ मीडिया समूहों की पत्रकारिता पर बहुत दुख जताते हुए कहा था कि आपके जीवन में विश्वस्नीयता आपकी सबसे बड़ी चीज
अरुण जेटली को यह हुनर हासिल था कि वे राजनीति में पदार्पण से लेकर आख़िरी सक्रिय साँस तक अपनी असहमति को व्यक्त करते रहे। जब मैं इसे उनके हुनर की तरह याद करता हूँ तो