स्वाति मालीवाल ने शनिवार को आरोप लगाया था कि उनके पिता ने बचपन में उनका यौन उत्पीड़न किया था।
दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की प्रमुख स्वाति मालीवाल के एक बयान ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। दरअसल, स्वाति मालीवाल ने शनिवार को आरोप लगाया था कि उनके पिता ने बचपन में उनका यौन उत्पीड़न किया था।
उनके पिता उन्हें मारते थे। इससे बचने के लिए वह पलंग (बेड) के नीचे छिप जाती थीं। मालीवाल ने कहा कि वह स्कूल की चौथी कक्षा तक अपने पिता के साथ रहीं और तब ऐसा कई बार हुआ। लेकिन अब उनके इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। उनके पूर्व पति ने इन बयानों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि स्वाति को खुद पहल करते हुए अपना लाई डिटेक्टर टेस्ट कराना चाहिए, ताकि सच सामने आ सके।
इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने भी ट्वीट कर मालीवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने स्वाति मालीवाल के ही एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट अटैच किया, जिसमे साफ लिखा है कि वह अपने पिता पर गर्व करती हैं।
प्रखर ने ट्वीट में लिखा, ' फिर ये कौन से पिता थे जिन पर आप 2016 तक गर्व कर रही थीं? मुझे ये विश्वास है कि कोई भी बेटी पिता के बारे में झूठ नहीं बोलती। फिर वो झूठ कौन सा है? आज वाला या 2016 वाला? जबाव देना होगा, क्योंकि आपने दुनिया के सबसे पवित्र रिश्ते को कठघरे में खड़ा किया है।' उनके इस ट्वीट पर लोग जमकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और यह ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक प्रखर श्रीवास्तव के द्वारा किये गए इस ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं-
"मेरे पिता मेरा यौन शोषण करते थे" @SwatiJaiHind
— Prakhar Shrivastava (@Prakharshri78) March 11, 2023
तो फिर ये कौन से पिता थे जिन पर आप 2016 तक गर्व कर रही थीं? मुझे ये विश्वास है कि कोई भी बेटी पिता के बारे में झूठ नहीं बोलती। फिर वो झूठ कौन सा है? आज वाला या 2016 वाला? जबाव देना होगा, क्योंकि आपने दुनिया के सबसे पवित्र रिश्ते को… https://t.co/uIev4A2jOG pic.twitter.com/XSFyNwY2Uo
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सोशल मीडिया पर जो प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है वह इस प्रकार की धारणाओं को और भी बल दे रही है लेकिन वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई को ऐसा नहीं लगता है।
राजधानी दिल्ली में एक मोहम्मद साहिल नाम के लड़के ने अपनी दोस्त साक्षी की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसने उससे बात करना बंद कर दिया था। हालांकि मोहम्मद साहिल को पुलिस ने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन उसके बाद जो तस्वीर सामने आई है वह कई सवाल खड़े कर रही है।
दरअसल साहिल के हाथ में कलावा बंधा हुआ है जो कि हिंदू धर्म में एक पवित्र रक्षा सूत्र की तरह माना जाता है। इस फोटो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या साक्षी ने जब मोहम्मद साहिल से दोस्ती की थी तो क्या उसको पता था कि वह मुस्लिम है?
सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे के मुताबिक यह लव जिहाद का भी मामला हो सकता है। सोशल मीडिया पर जो प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है वह इस प्रकार की धारणाओं को और भी बल दे रही है लेकिन वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई को ऐसा नहीं लगता है।
उन्होंने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि मोहम्मद साहिल ने नाबालिग लड़की को मारा और उसकी हत्या कर दी। उन्होंने आगे लिखा कि इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि उस गली से लोग जब गुजर रहे थे तो किसी ने भी मोहम्मद साहिल को रोकने की कोशिश नहीं की। यह भयानक है, आगे राजदीप सरदेसाई लिखते हैं कि हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि सिर्फ 3 महीने पहले एक और साहिल गहलोत ने अपनी गर्लफ्रेंड नेहा की हत्या कर उसकी लाश को फ्रीज में ठूस दिया था इसलिए पागलपन से लव जिहाद चिल्लाने से पहले यह स्पष्ट करें कि अपराधी सभी समुदायों में है और सभी को इस मामले में कानून के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के द्वारा किए गए इस ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं-
Delhi shocker: a young man Mohammad Sahil stabbed a minor girl Sakshi several times, kicked and eventually bludgeoned her to death with a stone . What is even more shocking is that people were passing by the lane and no one even tried to stop it. Just awful. Don’t also forget…
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) May 29, 2023
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वारदात को अंजाम देने वाले लड़के का नाम साहिल है जिसे दिल्ली पुलिस ने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से गिरफ्तार कर लिया है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के शाहबाद डेयरी इलाके से एक ऐसी सनसनीखेज हत्या की वारदात सामने आई है जिसे देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए हैं। एक नाबालिग हिंदू लड़की की उसके बॉयफ्रेंड ने 21 बार चाकू से गोदकर हत्या कर दी।
चाकू से वार करने के बाद आरोपी ने पत्थर से भी लड़की को बार-बार कुचला और इस दौरान वहां मौजूद लोग तमाशबीन बने रहे और किसी ने भी मासूम नाबालिग को बचाने की कोशिश नहीं की।
वारदात को अंजाम देने वाले लड़के का नाम साहिल है, जिसे दिल्ली पुलिस ने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से गिरफ्तार कर लिया है। इस पूरे मामले पर पत्रकार प्रदीप भंडारी ने ट्वीट कर बड़ी साजिश की आशंका व्यक्त की है।
उन्होंने लिखा, 16 साल की मासूम नाबालिग साक्षी की बेरहमी से हत्या करने वाले के हाथ में कलावा है और उस 20 साल के दरिन्दे का नाम है 'मुहम्मद साहिल' उर्फ 'सरफराज'! कहीं ऐसा तो नहीं की बच्ची को मालूम ही नहीं था कि वह जिसके साथ रिलेशन में है, वो एक मुस्लिम है? और उसको गुमराह कर इसने अपने जाल में फंसाया हो और जब उसको सच्चाई मालूम चल गयी, तो उसकी हत्या कर दी? क्या ये लव जिहाद का केस है? क्या ये एक सुनियोजित साजिश है? सवाल तो खड़े होते हैं।
देश की राजधानी दिल्ली में हुए इस वीभत्स हत्याकांड के बाद लड़की की मां का बयान भी सामने आया है। लड़की की मां का कहना है कि आरोपी को फांसी की सजा मिलनी चाहिए। लड़की की मां ने यह भी बताया कि वह पिछले 10 दिनों से अपनी एक दोस्त के घर में रह रही थी और उस नाबालिग लड़की ने इसी साल दसवीं की परीक्षा भी पास की थी।
पत्रकार प्रदीप भंडारी के द्वारा किए गए इस ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं-
16 साल की मासूम नाबालिक साक्षी की बेरहमी से हत्या करने वाले के हाथ में कलावा है और उस 20 साल के दरिन्दे का नाम है 'मुहम्मद साहिल' उर्फ़ 'सरफ़राज़'
— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी)?? (@pradip103) May 29, 2023
कहीं ऐसा तो नहीं की बच्ची को मालूम ही नहीं था की वो जिसके साथ रिलेशन में है वो एक मुस्लिम है?
और उसको गुमराह कर इसने अपने जाल में… pic.twitter.com/w1kfjUyfmQ
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अभी नया संसद भवन देखा। पहले जब पार्लियामेंट हाउस जाते थे, तो हम कहते थे, देखो अंग्रेजों ने कितनी जबर्दस्त बिल्डिंग बनाई।
पीएम मोदी ने देश को नया संसद भवन समर्पित किया है। इस मौके पर उन्होंने नए संसद भवन में पहली बार संबोधन दिया। उन्होंने कहा, 'देश की विकास यात्रा में कुछ पल अमर हो जाते हैं। 28 मई 2023 का यह दिन ऐसा ही शुभ अवसर है। कांग्रेस समेत एक दर्जन से अधिक विपक्षी पार्टियां इस समारोह में शामिल नहीं हुए। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने ट्वीट कर इस कदम को गलत और अनुचित बताया।
उन्होंने लिखा, नई संसद के उद्घाटन समारोह में शामिल होकर लगा सभी दलों के नेता यहां होते, तो और अच्छा होता। संसद देश की होती है और प्रधानमंत्री किसी एक पार्टी के नहीं होते। उद्घाटन कौन करता है, इससे क्या फर्क पड़ता है? बेकार में इतना बड़ा इश्यू बनाया। बहिष्कार से मोदी का क्या गया? नुकसान तो विपक्ष का हुआ।
अपने एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, अभी-अभी नया संसद भवन देखा। पहले जब पार्लियामेंट हाउस जाते थे, तो हम कहते थे, देखो अंग्रेजों ने कितनी जबर्दस्त बिल्डिंग बनाई। हमारे बस का तो कुछ नहीं। वो जो बना गये, सो बना गये, लेकिन आज लगा अब अंग्रेज भी कहेंगे, हिन्दुस्तानियों ने कितनी कमाल की पार्लियामेंट बनाई। अब तक हम अंग्रेजों और मुगलों के बनाये भवन और महल देखते थे। मुझे गर्व है, आज ये बदल गया। खुशी है कि मुझे इस नई पहल का साक्षी बनने का अवसर मिला।
वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा के द्वारा किए गए इस ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं-
अभी अभी नया संसद भवन देखा. पहले जब पार्लियामेंट हाउस जाते थे, तो हम कहते थे, देखो अंग्रेजों ने कितनी ज़बर्दस्त बिल्डिंग बनाई. हमारे बस का तो कुछ नहीं. वो जो बना गये, सो बना गये. लेकिन आज लगा अब अंग्रेज भी कहेंगे, हिंदुस्तानियों ने कितने कमाल की पार्लियामेंट बनाई. अब तक हम…
— Rajat Sharma (@RajatSharmaLive) May 28, 2023
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वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक ने लिखा कि ये भवन राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है और इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
देश को नया संसद भवन मिल चुका है। पीएम मोदी ने पूरे विधि-विधान से इसका शुभारंभ किया। नए भवन में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। नई संसद को लेकर देश में राजनीति भी खूब हुई।
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक ने लिखा कि ये भवन राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है और इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। अपनी एक फेसबुक पोस्ट में जयदीप कर्णिक ने लिखा, नई संसद के उद्घाटन को लेकर पक्ष-विपक्ष, तर्क-वितर्क, सारे वाद-विवाद एक तरफ। महत्वपूर्ण बात ये है कि ये भवन इस बात का प्रतीक है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति होती क्या है? सरकार ठान ले तो क्या कर सकती है?
जहां एक ओर एक फ्लायओवर बनने में पांच साल से ज्यादा लग जाते हैं, जहां देश के कई गांव आज भी बिजली और साफ पानी को तरस रहे हैं, कई गली मोहल्लों की सड़कों पर केवल एक गड्ढा भरे जाने के लिए आवेदन पर आवेदन होने के बाद भी गड्ढा जस का तस है, जहां कई सरकारी स्कूल और अस्पताल अपनी टपकती छत और टूटे दरवाजों के ठीक होने का इंतजार कर रहे हों, वहां इतना भव्य और दिव्य संसद भवन, इतनी सुविधाओं और इतनी आधुनिकता के साथ केवल दो साल में बन जाना वाकई काबिल-ए-तारीफ है।
ये अद्भुत और प्रशंसनीय है। हर राजनीतिक दल, हर सरकार, हर राजनेता, हर मुख्यमंत्री, हर मंत्री, हर अधिकारी अगर इससे सबक ले और अपने-अपने क्षेत्र की हर परियोजना को इसी संकल्प शक्ति, इसी इच्छाशक्ति, इसी गति से पूरा करे तो सोचिए ये देश अगले कुछ ही सालों में कहां होगा? अगर ऐसा हो पाया तो ही हमारे लोकतंत्र का ये मंदिर, हमारी जम्हूरियत का ये सबसे बड़ा मरकज अपने सही उद्देश्यों को प्राप्त कर सकेगा।
वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक की इस फेसबुक पोस्ट को आप यहां देख सकते हैं-
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हालांकि देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत एक दर्जन से अधिक दलों ने संसद के उद्घाटन से दूरी बनाए रखी।
28 मई को वीर सावरकर की जयंती होती है और इसी दिन पीएम मोदी ने देश की नई संसद का उद्घाटन किया। उन्होंने, 'मन की बात' के 101वें एपिसोड को संबोधित करते हुए वीर सावरकर को याद किया।
उन्होंने कहा, वीर सावरकर के बलिदान और साहस से जुड़ी कहानियां आज भी भारतीयों को प्रेरित करती हैं। हालांकि देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत एक दर्जन से अधिक दलों ने संसद के उद्घाटन से दूरी बनाए रखी। इस मसले पर पत्रकार और लेखक नीरज बधवार ने ट्वीट करते हुए अपनी राय व्यक्त की है।
उन्होंने लिखा, वीर सावरकर उतने ही बड़े देशभक्त थे, जितने गांधी जी। वो उतने ही बहादुर थे जितने भगत सिंह। वह उतने ही दूरदर्शी थे जितने पटेल। वह उतने ही चतुर थे जितने चाणक्य। सावरकर पर सवाल उठाकर आप अपनी कुपढ़ता का परिचय तो दे सकते हैं, मगर इससे उनकी महानता पर रत्ती भर भी आंच नहीं आती।
आपको बता दें कि पीएम मोदी हर महीने के आखिरी रविवार को इस रेडियो कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित करते हैं। रेडियो कार्यक्रम 3 अक्टूबर 2014 को विजयादशमी के अवसर पर शुरू किया गया था।
पीएम मोदी ने कहा, वीर सावरकर के व्यक्तित्व में दृढ़ता और उदारता शामिल थी। उनके निडर और स्वाभिमानी स्वभाव ने गुलामी की मानसिकता की बिल्कुल भी सराहना नहीं की।
पत्रकार और लेखक नीरज बधवार के द्वारा द्वारा किए गए ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं-
वीर सावरकर उतने ही बड़े देशभक्त थे जितने गांधी जी। वो उतने ही बहादुर थे जितने भगत सिंह। वो उतने ही Visionary थे जितने पटेल। वो उतने ही चतुर थे जितने चाणक्य। सावरकर पर सवाल उठाकर आप अपनी कुपढ़ता का परिचय तो दे सकते हैं मगर इससे उनकी महानत पर रत्ती भर भी आंच नहीं आती। pic.twitter.com/ebJjSw83Ll
— Neeraj Badhwar (@nirajbadhwar) May 28, 2023
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अगर देश के नए संसद भवन के उद्घाटन की बात है तो ये उसी व्यक्ति का हक है जिसे देश की जनता ने जनादेश दिया है।
नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी है। कोर्ट ने कहा है कि इस तरह का आदेश देना उसका काम नहीं है।
इसी मुद्दे पर हिंदी न्यूज चैनल 'डीडी न्यूज' के डिबेट शो '5 की पंचायत' में वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने शो की एंकर 'रीमा पाराशर' के एक सवाल के जवाब में कहा कि आज हम इस बहस में पड़े हुए कि बड़ा कौन है? प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति! लेकिन वो समय याद करिए जब पीएम राजीव गांधी थे और राष्ट्रपति वेंकटरमण थे।
उस समय मॉस्को में आयोजित हुए 'इंडिया फेस्टिवल' में तत्कालीन राष्ट्रपति ने पीएम राजीव गांधी का संदेश पढ़कर सुनाया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में ना सिर्फ राष्ट्रपति बल्कि कई संवैधानिक पदों को अपमानित किया गया है।
अगर देश के नए संसद भवन के उद्घाटन की बात है, तो ये उसी व्यक्ति का हक है जिसे देश की जनता ने जनादेश दिया है। उन्होंने बताया कि जब इस संसद का पहला सत्र होगा तो जाहिर सी बात है उसकी शुरुआत देश की माननीया राष्ट्रपति ही करेंगी। उन्होंने कहा कि इस देश की आदिवासी महिला पूरे शानो शौकत और मान सम्मान के साथ सत्र की शुरुआत करेंगी।
वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी के इस वीडियो को आप यहां सुन सकते हैं-
“कांग्रेस शासनकाल में राष्ट्रपति पद को अपमानित किया गया…संवैंधानिक संस्थाओं को अपमानित किया गया…” सुनें, वरिष्ठ पत्रकार हर्ष वर्धन त्रिपाठी को
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) May 26, 2023
अभी जुड़ें: https://t.co/oK54ZKrYq9#5kiPanchayat | @RheemaParashar | @AnilaSingh_BJP | @Dr_Uditraj | @MediaHarshVT pic.twitter.com/NTqGp5SXTX
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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ऐसा कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि सेंगोल (राजदंड) को अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर आजादी के समय नेहरू को सौंपा था।
पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं, लेकिन उससे पहले कांग्रेस समेत तमाम बड़ी पार्टियों ने इसका बहिष्कार करने का निर्णय किया है।
कांग्रेस का कहना है कि देश के नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए, ना कि पीएम नरेंद्र मोदी के हाथ। दूसरी ओर राजदंड के प्रतीक 'सेंगोल' को लेकर भी एक नई बहस छिड़ गई है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ऐसा कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि सेंगोल (राजदंड) को अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर आजादी के समय नेहरू को सौंपा था। कांग्रेस के इस रुख पर वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने अपने शो में अपनी राय रखी है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ये कदम ठीक नहीं है। आपको इस देश में चुनाव लड़ना है या लन्दन में चुनाव लड़ना है? उन्होंने कड़ा रुख लेते हुए कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी के यही लक्षण रहे तो वो कभी चुनाव नहीं जीत सकते हैं। जब आप चुनाव हार जाते हैं, तो लोकतंत्र खतरे में आ जाता है।
आपको बता दें कि देश के गृह मंत्री अमित शाह ने सेंगोल के विरोध को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, पंडित नेहरू को तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ द्वारा भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में पवित्र सेंगोल दिया गया था। कांग्रेस ने इसे 'वॉकिंग स्टिक' समझकर एक संग्रहालय में भेज दिया।
वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री के इस वीडियो को आप यहां देख सकते हैं-
"देश का बहुमत किसी व्यक्ति के हाथ में नहीं होता है,जब जनता वोट देती है उससे पता लगता है"#WATCH: https://t.co/tljXSsZUVD#Amitabhagnihotri #Parliament #Sengol @Aamitabh2 @BJP4India @INCIndia @samajwadiparty @AamAadmiParty @aimim_national @AITCofficial @Mayawati @NitishKumar pic.twitter.com/fNVl5mmABW
— TV9 Uttar Pradesh (@TV9UttarPradesh) May 26, 2023
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कांकेर जिले के पखांजुर में खेरकट्टा परलकोट जलाशय के ओवर फ्लो में फूड ऑफिसर का एक लाख कीमत का मोबाइल गिर गया।
छत्तीसगढ़ के कांकेर में 1 लाख रुपए के मोबाइल के लिये एक अफसर पर 21 लाख लीटर पानी बहाने का आरोप है, जिससे डेढ़ हजार एकड़ के खेत में सिंचाई हो सकती थी। कांकेर जिले के पखांजुर में खेरकट्टा परलकोट जलाशय के ओवर फ्लो में फूड ऑफिसर का एक लाख रुपए की कीमत वाला मोबाइल गिर गया।
इसके बाद उसे खोजने स्थानीय लोग पानी में उतरे और जब फोन नहीं मिला तो 3 दिनों तक 30 एचपी के 2 डीजल पम्प लगाकर पानी को खाली किया गया, फिर फोन को निकाला गया। इस घटना के सामने आने के बाद पत्रकार प्रणव सिरोही ने ट्वीट कर अपना रोष व्यक्त किया।
उन्होंने लिखा, यह उदाहरण दिखाता है कि लोक-सेवक जनता के हितों को किस प्रकार ताक पर रखकर अपने पद के मद में चूर होकर अमानवीय एवं प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाली हरकतें करने से भी बाज नहीं आते। ऐसे अधिकारियों को ऐसी कड़ी सजा दी जानी चाहिए जो एक मिसाल बने। अन्यथा इनकी करतूतें बंद नहीं होने वालीं। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है कि उस अधिकारी को निलंबित किया जा चुका है।
पत्रकार प्रणव सिरोही के द्वारा किए गए इस ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं-
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— Pranav Sirohi (@pranavsirohi) May 26, 2023
युवाओं का आह्वान करते हुए आईआईएमसी के महानिदेशक ने कहा कि फेक न्यूज से बचने का मूल मंत्र है, ‘बुरा न टाइप करो’, बुरा न लाइक करो और बुरा न शेयर करो।'
भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने बिलासपुर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज 99 फीसदी खबरें सोशल मीडिया से आ रही हैं। सभी के सामने यह संकट है कि किस खबर को सही मानें और किसे नहीं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जो लिखा जा रहा है और सूचना दी जा रही है, उसे भी मुख्यधारा के पत्रकारों का काम समझा जा रहा है, जबकि दोनों अलग हैं। इसी वजह से आज मीडिया लिटरेसी की जरूरत है।
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि मोबाइल ने व्यक्ति के व्यवहार में बड़े पैमाने पर परिवर्तन किया है। आज की सबसे बड़ी आवश्यकता मीडिया साक्षरता है। लोगों को बताना पड़ेगा कि वे ‘फेक न्यूज’ और ‘हेट न्यूज’ से कैसे बच सकते हैं। मीडिया साक्षरता को लेकर एक व्यापक अभियान की आवश्यकता है। युवाओं का आह्वान करते हुए आईआईएमसी के महानिदेशक ने कहा कि फेक न्यूज से बचने का मूल मंत्र है, ‘बुरा न टाइप करो’, बुरा न लाइक करो और बुरा न शेयर करो।'
प्रो. द्विवेदी के अनुसार ऐसे समाचार या विचार, जो समाज में नफरत और निराशा फैला सकते हैं, उन्हें प्रकाशित करने से बचना चाहिए। समाज का हित और विकास ही पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य है और पत्रकारों को इसी दिशा में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि आपके समाचार का समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसका मूल्यांकन आपको स्वयं करना चाहिए। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की मर्यादा को ध्यान में रखकर पत्रकारों को समाज में तथ्य पेश करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि सूचना क्रांति ने पत्रकारिता के क्षेत्र को व्यापक और समृद्ध किया है। मीडिया को नकारात्मक पत्रकारिता के जाल में फंसने की बजाय, स्वस्थ पत्रकारिता सीखनी चाहिए और समाज में जो कुछ अच्छा काम हो रहा है, उसकी सूचना लोगों तक पहुंचानी चाहिए।
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सूरज की रैंक 917 आई है, लेकिन जिस हालात में उन्होंने पढ़ाई कर ये मुकाम हासिल किया है वो अंदर से आपको झकझोर देता है।
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने मंगलवार, 23 मई को सिविल सर्विस परीक्षा 2022 के परिणामों की घोषणा की है। इन परिणामों के सामने आने के बाद ही कई उम्मीदवारों के संघर्ष की कहानियां लोगों के सामने आई है।
वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर 'सुधीर चौधरी' ने अपने शो में एक ऐसे ही प्रतिभागी 'सूरज तिवारी' के संघर्ष की कहानी सुनाई जो कि आपके लिए प्रेरणा देने का काम करेगी। सुधीर चौधरी ने बताया कि UPSC 2022 की परीक्षा में सूरज की रैंक 917 आई है, लेकिन जिस हालात में उन्होंने पढ़ाई कर ये मुकाम हासिल किया है वो अंदर से आपको झकझोर देता है।
उन्होंने बताया, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के रहने वाले सूरज तिवारी के दोनों पैर नहीं हैं। एक हाथ भी नहीं है और दूसरे हाथ में सिर्फ 3 उंगलियां हैं। 6 साल पहले एक हादसे में उन्होंने शरीर के ये बेहद जरूरी अंग खो दिए। बात 2017 की है जब एक ट्रेन हादसे में ये सब कुछ हुआ। कुछ ही समय बाद सूरज के एक भाई की मौत हो गई। इससे घर की माली हालत और खराब हो गई।
सूरज के पिता राजेश तिवारी टेलर मास्टर हैं, लेकिन सूरज ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने UPSC की परीक्षा देने का इरादा किया। इसके लिए पूरी शिद्दत से तैयारी की और पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की है। वीडियो के अंत में सुधीर चौधरी ने इस देश के युवाओं से कहा कि आज आपको सूरज से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर 'सुधीर चौधरी' के द्वारा शेयर किए गए इस वीडियो को आप यहां देख सकते हैं-
रेल दुर्घटना में सूरज के हाथ पैर कट गये।पिता एक दर्ज़ी है।उनकी सारी कमाई सूरज के इलाज में खर्च हो गई।सूरज ने हार नहीं मानी।दिन रात पढ़ाई की, UPSC परीक्षा की तैयारी की।
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) May 25, 2023
आज सूरज एक IAS है।जो लोग अपने हालात और क़िस्मत को दोष देते रहते हैं।ये कहानी उनके लिए है । pic.twitter.com/qrelfNwhRP
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