कितना अजीब है। मैं उनसे कभी मिली नहीं, न कभी आमना-सामना हुआ फिर भी वो दिल में जगह बनाए हुए थी। आपने भी कई बार इस एहसास को जिया होगा।
पद्म पुरस्कार से सम्मानित बिहार की मशहूर गायिका शारदा सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं रहीं। मंगलवार को दिल्ली एम्स में उन्होंने देर शाम को आखिरी सांस ली। उनके निधन पर पत्रकार रुबिका लियाकत ने भी सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और शोक प्रकट किया। उन्होंने कहा कि आपसे ये रिश्ता कभी टूट नहीं पायेगा।
उन्होंने एक्स पर लिखा, शारदा सिन्हा जी के निधन की जब से ख़बर सुनी है मन बहुत उदास हो गया है। कितना अजीब है। मैं उनसे कभी मिली नहीं, न कभी आमना-सामना हुआ फिर भी वो दिल में जगह बनाए हुए थी। आपने भी कई बार इस एहसास को जिया होगा। सच कहूँ तो मुझे आज से 10-15 सालों पहले तो ये पता ही नहीं था कि छठ क्या है, छठी मइयाँ कौन हैं?
इस का महत्व क्या है? 2009-10 की बात है तब मैं न्यूज़ 24 में काम किया करती थी, उसी साल दिल्ली में छठ पूजा की कवरेज का मुझे मौक़ा मिला। ऑफ़िस में बिहार से ताल्लुक़ रखने वाले बहुत लोग थे, ख़ुद सुप्रिय सर और शाहदाब सर ने ग्राउंड पर जाने से पहले छठ के बारे में तफ़सील से बताया।
सुनने में जितना अग़ल था देखने में उससे ज़्यादा ख़ास। जब मैं यमुना के घाट पर पहुँची तो मंत्रमुग्ध हो गई। जहां तक नज़र जा रही थी महिलाओं का हुजूम था। पहली बार नाक से लेकर माथे तक सिंदूर लगाए महिलाओं को देख अचम्भे में पड़ गई। कभी इधर तो कभी उधर से मर्दों को ईख, फल, सूप ले जाते हुए देख रही थी ये सब कुछ बिजली की गति से मेरी आँखों से आगे बीत रहा था।
मन में हज़ार तरह के प्रश्न उठ रहे थे कि अचानक एक गीत जो कहीं दूर स्पीकर में बज रहा था सीधा कानों के रास्ते रूह में उतर गया। आवाज़ में खनक ऐसी की सब थम गया। वो शारदा सिन्हा ही थीं जिन्होंने छठ से, छठी मइयाँ से एसा रिश्ता बांधा कि हर साल छठ का पर्व आता और गीत के बोल जाने बग़ैर बस धुन मन में बजने लगती।
शारदा सिन्हा जी के निधन की जब से ख़बर सुनी है मन बहुत उदास हो गया है।
— Rubika Liyaquat (@RubikaLiyaquat) November 5, 2024
कितना अजीब है- मैं उनसे कभी मिली नहीं, न कभी आमना-सामना हुआ फिर भी वो दिल में जगह बनाए हुए थी…आपने भी कई बार इस एहसास को जिया होगा!
सच कहूँ तो मुझे आज से 10-15 सालों पहले तो ये पता ही नहीं था कि छठ क्या है,…
संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत इस मामले में निष्पक्ष, न्यायसंगत और पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया की उम्मीद करता है।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमलों के बीच विदेश सचिव विक्रम मिस्री अगले हफ्ते 9 दिसंबर को बांग्लादेश दौरे पर जाएंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मीडिया को यह जानकारी दी। इस दौरे में मिस्री अपने बांग्लादेशी समकक्ष से मुलाकात करेंगे इसके अलावा कई अन्य बैठकों का भी आयोजन किया जाएगा।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और सवाल पूछा कि कही भारत सरकार ने देर तो नहीं कर दी। उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, हिंदुओं पर व्यापक हमलों के बीच, विदेश सचिव विक्रम मिस्री बांग्लादेश दौरे पर जा रहे हैं। सवाल ये है कि क्या मोदी सरकार ने इस मुद्दे को बहुत समय से छोड़ा हुआ है? हर एक दिन जो बर्बाद हो रहा है वह हिंदुओं के खून को गिरा रहा है।
आपको बता दें, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद हिंदुओं पर हमले बहुत बढ़ गये है। पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय समेत अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाओं में वृद्धि हुई है।
संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत इस मामले में निष्पक्ष, न्यायसंगत और पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया की उम्मीद करता है।
Big BREAKING: Amidst widespread attacks on Hindus, Foreign Secretary Vikram Misri to visit Bangladesh on Dec 9 to hold talks with Younis regime.
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) December 6, 2024
The question is whether the Modi government has left it too late?
Every day wasted has drawn Hindu blood. pic.twitter.com/ULzv02S1iH
अकु श्रीवास्तव की नई किताब का विमोचन 9 दिसंबर शाम 4:30 बजे किया जायेगा। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद श्री सुधांशु त्रिवेदी जी होंगे।
‘पंजाब केसरी’ ग्रुप के हिंदी अखबार 'नवोदय टाइम्स' के एडिटर अकु श्रीवास्तव किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। देश के बड़े पत्रकारों में उनकी गिनती होती है। उन्होंने न सिर्फ पत्रकारिता बल्कि लेखन के क्षेत्र में भी अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त की है।
अकु श्रीवास्तव की नई किताब 'मोदी 3.0 और आगे: पटरी पर साख' का विमोचन 9 दिसंबर शाम 4:30 बजे किया जायेगा। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद श्री सुधांशु त्रिवेदी जी होंगे। इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार यशवंत देशमुख और अशोक श्रीवास्तव भी मंच की गरिमा बढ़ाने का कार्य करेंगे।
किताब का लोकार्पण कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में किया जाएगा। अकु श्रीवास्तव ने अपनी नई किताब के बारे में एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि, यों तो नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 6 महीने से ज्यादा बीत गए हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और एनडीए की सरकार कैसे लगातार तीसरी बार सत्ता में आई, कैसे अपेक्षाकृत उसकी सीटें कम रह गईं, कुछ बातें अब भी सामने नहीं आ पाई हैं।
चुनावों के दौरान कैसे संविधान के नाम पर उसके खिलाफ भावनाओं को भड़काने का काम किया गया, यह अब सब कुछ धीरे-धीरे साफ हो रहा है। विश्लेषक अलग-अलग तरीके से इनको विश्लेषित कर रहे हैं। लेकिन असली खेल तो चुनावों के बाद के 6 महीनों में ही हो गया।
प्रियंका वाड्रा ने संसद पहुंचते राहुल गांधी की छवि से अलग ये दिखा दिया है कि वो अपने संसदीय क्षेत्र के काम कराने के लिए अपना इगो बीच में नहीं लाने जा रहीं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने बुधवार को केरल के कई लोकसभा सदस्यों के साथ गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और वायनाड में भूस्खलन प्रभावित लोगों की मदद का आग्रह किया। संसद भवन परिसर स्थित शाह के कार्यालय में यह मुलाकात हुई। वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा का कहना है कि इस मुलाक़ात के कई सियासी मायने है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट कर अपनी राय दी।
उन्होंने लिखा, बहन प्रियंका ही राहुल गांधी के लिए बड़ी सियासी चुनौती साबित होने वाली हैं और इसके संकेत कल उस वक्त मिल गए जब वो अपने संसदीय क्षेत्र के काम के लिए टीम लेकर सीधा गृहमंत्री अमित शाह के पास चली गईं। राहुल गांधी से ऐसी उम्मीद भी करना मुश्किल है।
प्रियंका वाड्रा ने संसद पहुंचते राहुल गांधी की छवि से अलग ये दिखा दिया है कि वो अपने संसदीय क्षेत्र के काम कराने के लिए अपना इगो बीच में नहीं लाने जा रहीं जो कि राहुल गांधी की इगोइस्टिक छवि से एकदम उलट है। ऐसे में चुनाव पर चुनाव हराते राहुल गांधी को उनके गठबंधन के साथी तो नकार ही रहे हैं, कल को खुद के लोग भी नकारना शुरु ना कर दें। ये प्रतिस्पर्धा दिलचस्प होगी।
आपको बता दें, यह मुलाकात इस वजह से भी अहम कही जा सकती है क्योंकि गांधी परिवार की तरफ से केंद्र सरकार के किसी मंत्री और खास और पर गृह मंत्री से अपने लोकसभा क्षेत्र को लेकर इस तरह की मुलाकातें कम ही याद आती है।
बहन प्रियंका ही राहुल गांधी के लिए बड़ी सियासी चुनौती साबित होने वाली हैं और इसके संकेत कल उस वक्त मिल गए जब वो अपने संसदीय क्षेत्र के काम के लिए टीम लेकर सीधा गृहमंत्री अमित शाह के पास चली गईं। राहुल गांधी से ऐसी उम्मीद भी करना मुश्किल है। प्रियंका वाड्रा ने संसद पहुंचते राहुल… pic.twitter.com/3gEF775NiU
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) December 5, 2024
भाजपा और शिवसेना दोनों के लिए बेहतर यही था कि, एकनाथ शिंदे स्वयं उप मुख्यमंत्री बनें। अच्छा हुआ कि, शिंदे जी को देर से ही सही, लेकिन यह बात समझ आ गई।
महाराष्ट्र को नया मुख्यमंत्री मिल गया है। देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ले ली है। उनके साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने डिप्टी सीएम के पद पर शपथ ली। आखिरी समय तक एकनाथ शिंदे को लेकर सस्पेंस बना रहा कि वो राज्य की नई सरकार में शामिल होंगे या नहीं।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, यही होना था और यह बात लगातार मैं कह रहा था कि, इसके अलावा कोई विकल्प ही नहीं है। भाजपा और शिवसेना दोनों के लिए बेहतर यही था कि, एकनाथ शिंदे स्वयं उप मुख्यमंत्री बनें। अच्छा हुआ कि, शिंदे जी को देर से ही सही, लेकिन यह बात समझ आ गई। हालाँकि, उन्होंने बेवजह का रहस्य बनाकर अपना ही नुकसान किया। आगे उन्हें अपरिपक्व, बचकाना व्यवहार करने से बचना चाहिए।
आपको बता दें, महाराष्ट्र की राजनीति पर नज़र रखने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक़ पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के पास इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं था और उनके गुट के लिए बहुत ज़रूरी है कि वो राज्य की सत्ता में बना रहे। शिंदे को किसी भी हालत में, बीजेपी जो भी कहे, वो मानना ही पड़ता, क्योंकि बीजेपी के विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा है।
#MaharashtraCM @Dev_Fadnavis
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) December 5, 2024
DyCM @mieknathshinde @AjitPawarSpeaks
यही होना था और यह बात लगातार मैं कह रहा था कि, इसके अलावा कोई विकल्प री नहीं है। भाजपा और शिवसेना दोनों के लिए बेहतर यही था कि, एकनाथ शिंदे स्वयं उप मुख्यमंत्री बनें। अच्छा हुआ कि, शिंदे जी को देर से ही सही,…
2014 में देश ने पैराडाइम शिफ्ट लिया था और देश अब उससे पीछे जाने को तैयार नहीं है। 2024 का परिणाम एक अल्पविराम था। उसके बाद हरियाणा ,महाराष्ट्र में बहुत कुछ दिखा है।
देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एनडीए नेताओं की मौजूदगी में भव्य समारोह में तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने फडणवीस को शपथ दिलाई। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने एक टीवी डिबेट में अपने विचार व्यक्त किये।
उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट कर लिखा, 2014 में देश ने पैराडाइम शिफ्ट लिया था और देश अब उससे पीछे जाने को तैयार नहीं है। 2024 का परिणाम एक अल्पविराम था। उसके बाद हरियाणा ,महाराष्ट्र में बहुत कुछ दिखा है। भाजपा यदि कहीं निराश करती है तो दिक्कतें आतीं हैं लेकिन वातावरण ऐसा नहीं है कि लोग कांग्रेस के साथ खड़े हो जाएं।
आपको बता दें, शपथ लें के बाद सीएम फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने कैबिनेट विस्तार और विभागों के बंटवारे पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि कहा कि कुछ लोग महाराष्ट्र की कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे थे, तो मैं खुद इसपर बारीकी से नजर रखूंगा।
2014 में देश ने पैराडाइम शिफ्ट लिया था और देश अब उससे पीछे जाने को तैयार नहीं है। 2024 का परिणाम एक अल्पविराम था। उसके बाद हरियाणा ,महाराष्ट्र में बहुत कुछ दिखा है। भाजपा यदि कहीं निराश करती है तो दिक्कतें आतीं हैं लेकिन वातावरण ऐसा नहीं है कि लोग कांग्रेस के साथ खड़े हो जाएं । https://t.co/oE8pjDdyeR
— Awadhesh Kumar (@Awadheshkum) December 5, 2024
भारतीय जनता पार्टी और एनडीए की सरकार कैसे लगातार तीसरी बार सत्ता में आई, कैसे अपेक्षाकृत उसकी सीटें कम रह गईं, कुछ बातें अब भी सामने नहीं आ पाई हैं।
‘पंजाब केसरी’ ग्रुप के हिंदी अखबार 'नवोदय टाइम्स' के एडिटर अकु श्रीवास्तव किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। देश के बड़े पत्रकारों में उनकी गिनती होती है। उन्होंने न सिर्फ पत्रकारिता बल्कि लेखन के क्षेत्र में भी अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त की है। अकु श्रीवास्तव की नई किताब भी अब जल्द आ रही है। इस बात की जानकारी उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिये दी है।
उन्होंने लिखा, यों तो नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 6 महीने से ज्यादा बीत गए हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और एनडीए की सरकार कैसे लगातार तीसरी बार सत्ता में आई, कैसे अपेक्षाकृत उसकी सीटें कम रह गईं, कुछ बातें अब भी सामने नहीं आ पाई हैं।
चुनावों के दौरान कैसे संविधान के नाम पर उसके खिलाफ भावनाओं को भड़काने का काम किया गया, यह अब सब कुछ धीरे-धीरे साफ हो रहा है। विश्लेषक अलग-अलग तरीके से इनको विश्लेषित कर रहे हैं। लेकिन असली खेल तो चुनावों के बाद के 6 महीनों में ही हो गया।
पहले हरियाणा चुनाव, जिसे भारतीय जनता पार्टी के लिए हारी हुई बाजी माना जा रहा था, वहां लगातार तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपने दम पर सत्ता पर आ गई और उसके 2 महीने के भीतर ही देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र की सत्ता भी उसके पास दूसरी बार आ गई।
झारखंड का चुनाव जिसको भाजपा के लिए आसान समझा जा रहा था, वहां की सत्ता उसके हाथ से फिसल गई। सरकार संभालने के 6 महीनों में नरेंद्र मोदी ने गठबंधन की नई इबारत लिखने की कोशिश की। कई भ्रम को तोड़ा।
इन्हीं सब मुद्दों पर प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित मेरी नई किताब 'मोदी 3.0 और आगे: पटरी पर साख' आपके सामने अगले हफ्ते तक होगी। विमोचन समारोह दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में होना तय हुआ है और वहां आपको कुछ चर्चित और महत्वपूर्ण हस्तियों से बातचीत का मौका भी मिलेगा।
आईआईएमसी में पढ़ाई के दौरान एक ही सपना था कि किसी प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान से जुड़ जाएं और जबर काम करें। इंटर्नशिप के दौरान ही अमर उजाला जैसे बड़े संस्थान में नौकरी लग गई।
देश के जाने माने टीवी पत्रकार शरद शर्मा ने 17 साल के बाद एनडीटीवी को अलविदा कह दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिये बताया था कि वो अब अपना खुद का डिजिटल चैनल शुरू कर रहे हैं। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार विक्रांत यादव ने भी शरद शर्मा के साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया है।
इस बात की जानकारी उन्होंने खुद अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट करके दी है। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, आईआईएमसी में पढ़ाई के दौरान एक ही सपना था कि किसी प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान से जुड़ जाएं और जबर काम करें। इंटर्नशिप के दौरान ही अमर उजाला जैसे बड़े संस्थान में नौकरी लग गई।
अपने बैच में सबसे पहले नौकरी मिली थी। जितनी ख़ुशी पहली नौकरी मिलने पर हुई थी, पच्चीस साल नौकरी करने के बाद उसे छोड़ने पर तब के मुक़ाबले कई गुना संतोष हो रहा है। लग रहा है कि अब आगे का सफ़र थोड़ा मुश्किल लेकिन सुकून भरा होगा। आगे उन्होंने बताया कि 'The Swatantra' के साथ वो जुड़ रहे हैं। समाचार4मीडिया की टीम की ओर से विक्रांत यादव को अनेक बधाई।
IIMC में पढ़ाई के दौरान एक ही सपना था कि किसी प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान से जुड़ जाएं और जबर काम करें. इंटर्नशिप के दौरान ही अमर उजाला जैसे बड़े संस्थान में नौकरी लग गई. अपने बैच में सबसे पहले नौकरी मिली थी.
— VIKRANT YADAV (@ReporterVikrant) December 4, 2024
जितनी ख़ुशी पहली नौकरी मिलने पर हुई थी, पच्चीस साल नौकरी करने के बाद…
ये लोग मेरे वीडियो इस्तेमाल करते हैं, उन पर AI से मेरी जैसी आवाज़ लगाते हैं, पर वो आवाज़ मेरी नहीं है। मैं कोई दवाई नहीं बेचता। किसी शुगर की दवा को प्रचारित नहीं करता।
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा ने कल सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर बताया कि वो डीपफेक का शिकार हो रहे हैं। दरअसल उनके वीडियो और आवाज का इस्तेमाल करके लोग नकली दवाई बेच रहे हैं। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट कर लिखा, आजकल नकली दवाईयां बेचने वाले मेरे कई फेक वीडियो पोस्ट करते हैं।
ये डीपफेक हैं, फ़र्ज़ी हैं। ये लोग मेरे वीडियो इस्तेमाल करते हैं, उन पर AI से मेरी जैसी आवाज़ लगाते हैं, पर वो आवाज़ मेरी नहीं है। मैं कोई दवाई नहीं बेचता। किसी शुगर की दवा को, किसी वजन घटाने की दवा को, किसी घुटनों के दर्द की दवा को प्रचारित नहीं करता। ये सारे वीडियो झूठे हैं। इन पर विश्वास न करें।
मैंने साइबर क्राइम सेल में शिकायतें की हैं, पुलिस में शिकायत भी दी है। हाई कोर्ट में केस भी किया है लेकिन एक वीडियो हटवाते हैं, तो दूसरा आ जाता है। कभी अमिताभ बच्चन के साथ, तो कभी डॉ नरेश त्रेहन के साथ। ये सारे फेक है, फर्ज़ी हैं। इनको एक्सपोज करने में मुझे आपकी मदद चाहिए। आपको कहीं ऐसे फ़र्ज़ी वीडियो दिखाई दें, तो मुझे 9350593505 पर फौरन सूचित करें।
आजकल नकली दवाईयां बेचने वाले मेरे कई fake videos पोस्ट करते हैं. ये DeepFake हैं, फ़र्ज़ी हैं. ये लोग मेरे video use करते हैं, उन पर AI से मेरी जैसी आवाज़ लगाते हैं, पर वो आवाज़ मेरी नहीं है. मैं कोई दवाई नहीं बेचता. किसी Diabetes की दवा को, किसी Weight Loss की दवा को, किसी…
— Rajat Sharma (@RajatSharmaLive) December 4, 2024
पद पर रहते किसी उपराष्ट्रपति ने शायद, अपनी सरकार से पहली बार इतने कड़े सवाल पुछे और कृषि मंत्री से मंच पर ही समस्या के निदान के लिए आग्रह किया।
किसान आंदोलन को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सीधे केंद्र सरकार से सवाल उठाए हैं। उन्होंने मंगलवार को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सीधा सवाल पूछा कि आखिर किसानों से जो लिखित में वादे किए गए गए थे, उनका क्या हुआ। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर अपनी राय दी।
उन्होंने एक्स पर लिखा, उपराष्ट्रपति ने बातें काफ़ी गंभीरता से सामने रखते हुए, सरकार से किसानों की समस्याओं के निवारण और किसानों की मदद की गुहार लगाई है। पद पर रहते किसी उपराष्ट्रपति ने शायद, अपनी सरकार से पहली बार इतने कड़े सवाल पुछे और कृषि मंत्री से मंच पर ही समस्या के निदान के लिए आग्रह किया।
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने तो पद से हटने के बाद किसानों के मुद्दे पर सरकार पर सवाल उठाये थे। किसानों की समस्या वास्तविक है। ये किसी एक सरकार की वजह से नहीं है। लेकिन समस्या का समाधान निकालने वाली तो कोई एक सरकार ही होगी, तो मौजूदा सरकार क्यों नहीं?
आपको बता दें, उपराष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है। इसके आगे वह कहते हैं कि मान कर चलिए अपने रास्ता भटक गए हैं। हम उस रास्ते पर गए हैं जो खतरनाक है।
उपराष्ट्रपति ने बातें काफ़ी गंभीरता से सामने रखते हुए, सरकार से किसानों कि समस्याओं के निवारण और किसानों कि मदद कि गुहार लगाई है।
— Ajay Kumar (@AjayKumarJourno) December 4, 2024
पद पर रहते किसी उपराष्ट्रपति ने शायद, अपनी सरकार से पहली बार इतने कड़े सवाल पुछे और कृषि मंत्री से मंच पर ही समस्या के निदान के लिए आग्रह किया।… https://t.co/TkO5u24tBU
बांग्लादेश में जो लोग प्रताड़ित हो रहे हैं वो हिंदू हैं और हिंदुओं के लिए दुनिया में 56 या 57 देश नहीं हैं। उनके लिए सिर्फ भारत हैं। उनकी उम्मीदें सिर्फ भारत पर टिकी है।
बांग्लादेश में हिंदुओं और इस्कॉन पुजारियों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को देखते हुए इस्कॉन कोलकाता ने हिंदुओं और पुजारियों को एक सलाह दी है कि वे तिलक मिटा दें और तुलसी की माला छिपा लें, अपना सिर ढक लें और भगवा पहनने से बचें। जानकारी के मुताबिक हिंदुओं पर हमले बढ़ते ही जा रहे हैं।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अमिश देवगन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी बात रखी है। उन्होंने एक्स पर लिखा, बांग्लादेश में जो लोग प्रताड़ित हो रहे हैं वो हिंदू हैं और हिंदुओं के लिए दुनिया में 56 या 57 देश नहीं हैं। उनके लिए सिर्फ भारत हैं। उनकी उम्मीदें सिर्फ भारत पर टिकी है। ऐसे में भारत को बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए अब जल्द से जल्द खड़ा हो जाना चाहिए, क्योंकि हिंदुओं की जान की भी कीमत है।
आपको बता दें, बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की चुप्पी निंदनीय है। तख्ता पलट के बाद से नई सरकार हिंदुओं पर अत्याचार रोकने पर पूरी तरह से नाकाम रही है। बांग्लादेश में चिन्मय दास प्रभु समेत कई पुजारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। राधारमण दास ने ये भी दावा किया कि चिन्मय दास के वकील रमण रॉय को इतना पीटा गया कि वह आईसीयू में जिंदगी मौत की जंग लड़ रहे हैं।
बांग्लादेश में जो लोग प्रताड़ित हो रहे हैं वो हिंदू हैं...और हिंदुओं के लिए दुनिया में 56 या 57 देश नहीं हैं। उनके लिए सिर्फ भारत हैं। उनकी उम्मीदें सिर्फ भारत पर टिकी है। ऐसे में भारत को बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए अब जल्द से जल्द खड़ा हो जाना चाहिए, क्योंकि #HINDU LIVES MATTER pic.twitter.com/Co2j06brQH
— Amish Devgan (@AMISHDEVGAN) December 3, 2024