मज़हबी जुनून और पाकिस्तानी क्रिकेट की असली दिक्कत : नीरज बधवार

आप पिछले 5 ओलंपिक खेलों की पदक तालिका उठाकर देख लीजिए। सबसे ज़्यादा मेडल उन्हीं देशों ने जीते हैं, जिनकी प्रति व्यक्ति आय भी सबसे ज़्यादा है।

Last Modified:
Wednesday, 12 March, 2025
neerajbadhwar


नीरज बधवार, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक।

किसी भी मुल्क में खेलों की स्थिति उस मुल्क की आर्थिक या सामाजिक स्थिति से बहुत ज़्यादा अलग नहीं हो सकती। इसलिए जब लोग पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के खराब खेलने को सिर्फ क्रिकेट से जोड़कर देखते हैं, तो मुझे हैरानी होती है। अगर एक मुल्क आज हर तरह से बर्बाद है, तो ऐसा कैसे हो सकता है कि उसकी टीम एकदम परफेक्ट हो या वह वर्ल्ड क्लास हो जाए? आप पिछले 5 ओलंपिक खेलों की पदक तालिका उठाकर देख लीजिए।

सबसे ज़्यादा मेडल उन्हीं देशों ने जीते हैं, जिनकी प्रति व्यक्ति आय (per capita income) भी सबसे ज़्यादा है। भारत में भी पारंपरिक तौर पर क्रिकेट में सबसे ज़्यादा खिलाड़ी दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना या आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से आते दिखते हैं, जो आर्थिक तौर पर बाकी राज्यों से बेहतर हैं। इसलिए पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की खराब हालत के लिए सिर्फ उसके खिलाड़ियों को भला-बुरा कहना बड़ी मासूमियत होगी।

इसे थोड़ा और विस्तार से समझते हैं। किसी भी मुल्क के पास मोटे तौर पर तीन तरीकों से पैसा हो सकता है—या तो उसके पास अरब देशों की तरह ऑयल मनी हो, या उसके पास ऐसे प्राकृतिक संसाधन (natural resources) हों, या फिर उसके पास ऐसी तकनीक (technology) हो, जिसे दुनिया को बेचकर वह पैसा कमा सके। अफसोस कि पाकिस्तान में इन तीनों में से कुछ भी नहीं है। एक वक्त तक पाकिस्तान को आतंकवाद की लड़ाई में अमेरिका का कथित सहयोग करने के नाम पर पैसा मिलता रहा, मगर आज वह भी नहीं है। ले-देकर पाकिस्तान में आज सिर्फ पीसीबी (PCB) एक ऐसा संस्थान है, जिसके पास कुछ पैसा आता है—वह भी उसे आईसीसी (ICC) का पार्टनर होने के नाते ही मिलता है।

पाकिस्तान में अब जो भी हुकूमत में आता है, उसकी इस पैसे पर नज़र होती है। और जहाँ पैसा और नेता होते हैं, वहाँ क्या होता है, यह समझना मुश्किल नहीं है। यही वजह है कि पाकिस्तान में पिछले 3 सालों में 9 कोच बदले गए हैं। इस दौरान अलग-अलग फॉर्मेट में तकरीबन आधा दर्जन खिलाड़ियों को कप्तान बनाया गया है। घरेलू (domestic) क्रिकेट बर्बाद हो चुका है। पीएसएल (PSL) सिर्फ मन बहलाने के अलावा और कुछ नहीं है। जो खिलाड़ी जिस सीरीज़ में नहीं खिलाया जाता, वह उसी सीरीज़ में टीवी पर एक्सपर्ट बनकर उन खिलाड़ियों की आलोचना करने लगता है, जिनके साथ वह एक हफ्ते पहले तक खेल रहा था।

भारत में क्या आप इन सब चीज़ों की कल्पना भी कर सकते हैं?और जिस भी टीम में ऐसा माहौल होगा, जहाँ इतनी अनिश्चितता होगी, वहाँ खिलाड़ी और कोच कैसे परफॉर्म करेंगे, यह समझना मुश्किल नहीं है। पाकिस्तान बनने के इतने सालों बाद भी वहाँ के हुक्मरानों को यह समझ नहीं आया कि कभी भी "लॉटरी माइंडसेट" के साथ देश नहीं बनते। लॉटरी माइंडसेट मतलब—आतंकवाद के नाम पर लड़ाई के जरिए अमेरिका से पैसा मिल जाए, चीन को कॉरिडोर बनाने के लिए अपना देश दे दो ताकि वहाँ से पैसा आ जाए, यहाँ-वहाँ खुदाई करवा लो ताकि कहीं से कोई गैस या सोना मिल जाए।

ऐसा नहीं है कि यह काम बाकी मुल्क नहीं करते, मगर आप पाकिस्तान के आर्थिक विकास से जुड़ी ख़बरें इंटरनेट पर पढ़ें, तो आपको पता लगेगा कि इसके अलावा उनकी कोई और रणनीति (strategy) नहीं है।इन सालों में न उन्होंने संस्थानों में निवेश (investment) किया, न अपनी कोई स्वतंत्र विदेश नीति (independent foreign policy) बनाई, न लोकतंत्र को मज़बूत किया, न किसी संवैधानिक संस्थान को खड़ा होने दिया।

पाकिस्तान की सेना और सेना की चुनी हुई सरकारों ने पिछले 77 सालों से वहाँ की आवाम को सिर्फ मज़हब की अफीम चटाकर मूर्ख बनाया, और लोग खुशी-खुशी मूर्ख बनते भी रहे। पूरे मुल्क में नेताओं से लेकर खिलाड़ियों तक हर कोई इसी कोशिश में रहता है कि कैसे हर बार खुद को धर्म का रक्षक बनाकर लोगों की सहानुभूति बटोरी जाए। वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के खिलाड़ी और कप्तान भी एथलीट की तरह कम और मौलवियों की तरह ज़्यादा बर्ताव करते हैं?

पीएसएल के दौरान बाहर से आए खिलाड़ियों को "कन्वर्ट" करने की कोशिश करते हैं। कोचिंग देने आए मैथ्यू हेडन को कन्वर्ट करने की बातें होती हैं। इंग्लैंड खेलने जाते हैं, तो वहाँ के खिलाड़ियों को कन्वर्ट करने का प्रयास किया जाता है। इमरान खान कहते थे कि हिंदुस्तान से हर मैच हमारे लिए "जिहाद" की तरह होता था। इस टूर्नामेंट से पहले खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ कह रहे थे कि "तुम्हें हर हाल में हिंदुस्तान को हराना होगा।" क्या किसी मुल्क का प्रधानमंत्री किसी एक देश का नाम लेकर इस तरह की बातें करता है?

अब ऐसा कैसे हो सकता है कि जब मुल्क के तौर पर आपके पास तरक्की करने को लेकर कोई रोडमैप न हो, और आपकी टीम 2025 में भी यह सोचती हो कि हम धार्मिक जुनून के दम पर जीत जाएंगे? फिर आपका वही हश्र होगा, जो हो रहा है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 80 और 90 के दशक में जब तक खेलों में तकनीक नहीं आई थी, जब तक स्पोर्ट्स उतना डिमांडिंग नहीं हुआ था, तब तक जोश और जज़्बे से भी काम चल जाता था। लेकिन हॉकी से लेकर क्रिकेट तक जैसे-जैसे खेल प्रतिस्पर्धात्मक (competitive) होते गए और उनमें तकनीक का दखल बढ़ता गया, तो पाकिस्तान की टीम पीछे छूटती गई। उनकी हॉकी टीम तो ख़त्म हो चुकी है, और क्रिकेट टीम भी लगभग उसी स्थिति में पहुँच चुकी है—क्योंकि आज भी वे 30-40 साल पुराने माइंडसेट में जी रहे हैं कि "हममें तो बहुत जज़्बा है।"

ठीक इसी माइंडसेट के चलते पाकिस्तान भारत से चार-चार जंगें भी हार चुका है। जैसा कि पाकिस्तानी सीनियर पत्रकार हसन निसार कहते हैं, "पाकिस्तान ने चारों जंगें भारत पर थोपी हैं।" क्योंकि अरसे तक ये लोग इस माइंडसेट में जीते रहे कि "एक-एक मुसलमान चार-चार हिंदुओं को परास्त कर देगा।" मगर इन लोगों ने यह नहीं सोचा कि आज कोई 1650 वाले तरीकों से हाथों से लड़ाई नहीं लड़ी जा रही। आज युद्ध तकनीक से लड़े जाते हैं, न कि हाथ से। और यही समझने वाली बात है—कोई भी देश अगर तरक्की करना चाहता है, तो उसे तकनीकी विकास (technological advancement) करना होगा।

तकनीकी विकास तब होगा, जब देश का मिज़ाज (temperament) वैज्ञानिक होगा।वैज्ञानिक सोच अपनाने में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि जैसे ही आप इसे अपनाना शुरू करते हैं, तो सबसे पहले आपको अपने ही मज़हबी विश्वास दकियानूसी लगने लगते हैं और वे आपसे छूटने लगते हैं। और जो भी मुल्क या समाज इस धार्मिक कट्टरता की गर्त में धंसे रहना चाहता है, वह खुद को विज्ञान और तकनीक के जाल में फंसने ही नहीं देता।

यही सबसे बड़ा विरोधाभास (paradox) है। आप कट्टर बने रहकर उस चीज़ में विजेता बनना चाहते हैं, जिसकी पहली शर्त ही यह है कि आप कट्टरता त्याग कर विज्ञान को अपनाएँ। मगर आप अपनी धार्मिक कट्टरता की गुनूदगी में इतने मदहोश हैं कि न आप सच देख पा रहे हैं, न सुन पा रहे हैं... बस हैरान हुए जा रहे हैं कि "ऊपरवाला हमारे साथ यह क्या कर रहा है !"

( यह लेखक के निजी विचार हैं ) साभार - फेसबुक

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

पीएम मोदी मुर्शिदाबाद क्यों नहीं जा सकते: राजीव सचान

गांवों और विभिन्न स्थानों पर केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर नजर रखी गई है। 1093 फर्जी अकाउंट की पहचान की गई है।

Last Modified:
Wednesday, 16 April, 2025
rajeevksachan

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बीते दिनों जमकर हिंसा हुई। वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले थे जिसमें कम से कम 3 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान का कहना है कि पीएम मोदी को हिंसा पीड़ितों से मिलने जाना चाहिए।

उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर लिखा, यदि गुजरात दंगा पीड़ितों से मिलने वाजपेयी जा सकते हैं और मुजफ्फरनगर दंगा पीडितों से मिलने मनमोहन सिंह तो मुर्शिदाबाद की हिंसा के शिकार लोगों से मिलने पीएम मोदी क्यों नहीं जा सकते? मुर्शिदाबाद की हिंसा वैसे भी दंगा नहीं, अगस्त 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे जैसी बर्बरता है।

आपको बता दें, मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन काननू को लेकर हिंसा की किसी घटना को रोकने के लिए जंगीपुर, धुलियान, सुती और शमशेरगंज में BSF, CRPF, राज्य सशस्त्र पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

वक्फ कानून पर हिंसा लोकतंत्र और संविधान दोनों के लिए गंभीर : डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

हम यह दोहराना चाहते हैं कि 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद केंद्र, राज्य और ज़िला, तीनों स्तर की सरकारों की शक्तियाँ संविधान द्वारा परिभाषित हैं।

Last Modified:
Tuesday, 15 April, 2025
bangal

वक्फ कानून के खिलाफ हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। केंद्र सरकार भी इस मामले को लेकर काफी गंभीर है। वही बीजेपी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि वक्फ कानून पर हिंसा लोकतंत्र और संविधान दोनों के लिए गंभीर है। 

उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, समस्त संवैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के बाद बने संशोधित कानून के विरुद्ध जिस प्रकार की अनर्गल, चित्र-विचित्र बातें विपक्षी गठबंधन की सरकारों और नेताओं द्वारा की जा रही हैं, वह अत्यंत चिंताजनक है।

यदि कर्नाटक के मंत्री यह कहते हैं कि वे इस कानून को लागू नहीं करेंगे, यदि पश्चिम बंगाल में इसी प्रकार की बातें उठ रही हैं, और झारखंड के एक मंत्री यहाँ तक कह देते हैं कि उनके लिए संविधान से ऊपर शरिया है तो यह स्थिति लोकतंत्र और संविधान दोनों के लिए गंभीर खतरे की घंटी है। 

मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि देश की जनता की आँखें अब खुल चुकी हैं। उन्होंने देख लिया है कि यदि ऐसे लोगों के हाथों में सत्ता रही, तो भारत का संविधान खतरे में पड़ सकता है। हम यह दोहराना चाहते हैं कि 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद केंद्र, राज्य और ज़िला, तीनों स्तर की सरकारों की शक्तियाँ संविधान द्वारा परिभाषित हैं। 

कोई भी ज़िला पंचायत राज्य विधानसभा से पारित कानून की सीमाओं से बाहर नहीं जा सकती, और कोई राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा पारित कानून को नकार नहीं सकती। ऐसे में यदि कोई नेता या सरकार इस प्रकार की बातें करते हैं, तो इसका सीधा अर्थ है कि वे संविधान को जेब में रखते हैं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

दिल्ली के प्राइवेट स्कूल अब धंधा बन गए हैं : राणा यशवंत

दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी और पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के कामकाज पर सवाल उठाए।

Last Modified:
Tuesday, 15 April, 2025
ranayashwant

दिल्ली में पिछले कुछ सालों में प्राइवेट स्कूलों में हुई फीस की बढ़ोत्तरी को लेकर बवाल मचा हुआ है। कई अभिभावक स्कूलों की मनमानी को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि एसडीएम के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बनाई गई है, जो प्राइवेट स्कूलों का ऑडिट करेगी।

इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत का कहना है कि प्राइवेट स्कूल अब धंधा बन गए है। उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, प्राइवेट स्कूल धंधा हैं। धंधा का मतलब लूट, अन्याय, अराजकता और अंधेरगर्दी। फीस बढ़ गई। दे दो वरना अपना बच्चा वापस लो। किताब हर साल नई और महंगी होगी। ख़रीदो वरना बच्चा वापस ले जाओ।

यूनिफार्म सस्ती मिल रही है तो क्या हुआ, जहाँ से कहा जा रहा है, वहीं से लो वरना बच्चा वापस बुला लो। माता पिता अपनी जरूरतों और कमाई की लड़ाई निपटाने में हलकान हैं और ये प्राइवेट स्कूल वालों से नींद अलग हराम है। आपको बता दें, दिल्ली में शिक्षा पर सरकार अच्छा-खासा अमाउंट खर्च करती है।

दिल्ली के ओवरऑल बजट की बात करें तो इसमें 21% हिस्सेदारी शिक्षा विभाग की है। पूरे देश की बात करें तो शिक्षा पर कुल खर्च पिछले कुछ सालों में 12 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

दक्षिण 24 परगना में तनाव : सौरव शर्मा ने सीएम को लेकर कही ये बड़ी बात

इससे पहले शुक्रवार और शनिवार को वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मुर्शिदाबाद के सुती, धुलियान और जंगीपुर जैसे इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी।

Last Modified:
Tuesday, 15 April, 2025
sauravsharma

पश्चिम बंगाल में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ भड़की हिंसा के बाद तनाव का माहौल फैला हुआ है। भाजपा लगातार सीएम ममता बनर्जी पर हिंसा को रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगा रही है। वहीं, अब राज्य के दक्षिण 24 परगना में भी तनाव की स्थिति देखने को मिली है। इस बीच पत्रकार और एंकर सौरव शर्मा ने अपने सोशल मीडिया से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।

उन्होंने एक्स पर लिखा कि सामने मुसलमान हैं तो ममता बनर्जी की सरकार कोई एक्शन नहीं लेंगी। उन्हें पता है कि सरकार में रहने के लिए उन्हें मुसलमान वोट के साथ हिंदुओं का सिर्फ 10-15 पर्सेंट वोट चाहिए,वो मिल ही जाएगा। जब कोई ये सोचता है की मैं हार ही नहीं सकता तो वो किसी की बात क्यों सुनेगा। हार का डर ज़रूरी है।

आपको बता दें, दक्षिण-24 परगना में स्थिति को संभालने के लिए कई अधिकारियों समेत भारी संख्या में पुलिसबल को तैनात किया गया है। भांगर के साथ ही इसके आस-पास के इलाकों में हाई अलर्ट जारी किया गया। इसके कुछ देर बाद प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया गया।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

हिमाचल के अतिरिक्त महाधिवक्ता बने शिवेंद्र द्विवेदी : भूपेंद्र चौबे ने दी बधाई

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने बनारस के शिवेंद्र द्विवेदी को सर्वोच्च न्यायालय में अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया है। शिवेंद्र के पास 20 साल से अधिक का वकालत का अनुभव है।

Last Modified:
Tuesday, 15 April, 2025
bhupendra

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने बनारस के रामापुरा निवासी शिवेंद्र द्विवेदी को सर्वोच्च न्यायालय में हिमाचल प्रदेश के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया है। शिवेंद्र द्विवेदी के पास दो दशकों से अधिक वकालत का अनुभव है। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र चौबे ने सोशल मीडिया से एक पोस्ट कर शिवेंद्र द्विवेदी को बधाई दी है।

उन्होने एक्स पर लिखा, दिल्ली के सबसे बेहतरीन वकीलों में से एक को हिमाचल राज्य के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया जाता है। उभरते सितारे को शुभकामनाएं। आपको बता दें, दो दशकों के अभ्यास के साथ, द्विवेदी ने नागरिक और आपराधिक मुकदमेबाजी, विवाद समाधान और वाणिज्यिक मामलों में व्यापक काम किया है। वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन के सदस्य हैं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

राष्ट्रपति पर सुप्रीम कोर्ट सख्त : अवधेश कुमार ने कही ये बड़ी बात

कोर्ट ने उल्लेख किया कि सरकारिया आयोग ने इस विषय की ओर संकेत किया था और सिफारिश की थी कि अनुच्छेद 201 के अंतर्गत संदर्भों के शीघ्र निस्तारण के लिए निश्चित समयसीमा हो।

Last Modified:
Monday, 14 April, 2025
avdheshkumar

राज्य विधानसभाओं के विधेयकों पर राज्यपालों को कार्रवाई के लिए समयसीमा तय करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार निर्देश दिया कि राष्ट्रपति को ऐसे विधेयकों पर, राज्यपालों से प्राप्त होने की तारीख से तीन महीने के भीतर फैसला लेना होगा। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।

उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, जो सुप्रीम कोर्ट स्वयं वर्षों तक मामले लटकाए रखता है और फैसला नहीं देता है वह राज्यपाल तो छोड़िए राष्ट्रपति को आदेश दे रहा है कि आप विधेयकों पर 3 महीने में फैसला कर दीजिए। दो माननीय न्यायाधीशों जेबी पार्डीवाला और आर महादेवन ने ऐसा करते हुए संसदीय लोकतंत्र में निहित लक्ष्मण रेखा को लांघा है, अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया है।

अगर सुप्रीम कोर्ट विधेयकों को मंजूरी देने लगे तो फिर राज्यपाल और राष्ट्रपति की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को यदि उच्चतम न्यायालय की सर्वोच्चता का भान कराना है तो राष्ट्रपति के भी सर्वोच्चता गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। यह उन विधेयकों में ऐसा क्या है जिसके लिए राज्यपाल ने राष्ट्रपति तक के पास भेजा?

आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने, तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि द्वारा 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखने की कार्रवाई को अवैध और त्रुटिपूर्ण ठहराया है। जबकि वे विधेयक पहले ही राज्य विधानसभा द्वारा पुनर्विचारित किए जा चुके थे।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

जियो हॉटस्टार की पहल : रामनवमी पर अमिताभ बच्चन सुनाएंगे रामकथा

इसके साथ ही कैलाश खेर और मालिनी अवस्थी जैसे कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी जियो हॉटस्टार पर लाइव दिखाई जाएंगी।

Last Modified:
Saturday, 05 April, 2025
amitabh

इस साल राम नवमी के शुभ अवसर पर, जियो हॉटस्टार और बॉलीवुड मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने मिलकर एक खास पहल की है। यह साझेदारी राम नवमी समारोह को लाखों लोगों तक पहुंचाने के लिए की गई है। जियो हॉटस्टार के माध्यम से देशभर के दर्शक भगवान श्रीराम की कथा को सुनेगे।

जियोहॉटस्टार ने एक वीडियो पोस्ट किया है। वीडिया में अमिताभ बच्चन कहते हैं, युगों-युगों से इस धरती पर, कितने जन्में, कितने आये, उन सभी में बस एक वही क्यों ‘मर्यादा पुरषोत्तम’ कहलाये। इस रामनवमी पर आप सबके सामने राम कथा प्रस्तुत करने का अवसर मुझे दिया गया है।

अमिताभ ने आगे कहा, भगवान श्री राम के जन्मोत्सव का सबसे भव्य उत्सव रामनवमी आरती आप देख सकते हैं लाइव 6 अप्रैल को सुबह 8 बजे से दिनभर जियो हॉटस्टार पर। लाइव स्‍ट्रीमिंग में अयोध्या में की जाने वाली विशेष पूजा, मंदिरों में पवित्र अनुष्ठान, भद्राचलम, पंचवटी, चित्रकूट और आरती की स्‍ट्रीमिंग भी होगी।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

राहुल गांधी का नया एक्शन प्लान : आलोक मेहता ने कही ये बड़ी बात

कांग्रेस संगठन की मजबूती के लिए राहुल गांधी का नया एक्शन प्लान आया है। जिसके तहत कांग्रेस अब प्रोफेशनल नेताओं की नई खेप तैयार करेगी।

Last Modified:
Saturday, 05 April, 2025
rahulgandhi

कांग्रेस संगठन की मजबूती के लिए राहुल गांधी का नया एक्शन प्लान आया है। जिसके तहत कांग्रेस अब प्रोफेशनल नेताओं की नई खेप तैयार करेगी। फैलोशिप प्रोग्राम के जरिए नए नेताओं की फौज खड़ी करेंगे। प्रोग्राम के तहत हर साल देशभर से 50 पेशेवर लोगों का चयन होगा। इस मामले पर पद्मश्री आलोक मेहता ने भी सोशल मीडिया से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, आवेदक कृपया पुराना रिकॉर्ड देख लें। 

मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कैसा व्यवहार राहुल राज में हुआ ? युवा प्रोफेशनल और वफ़ादारों को किनारे किसने किया और घोटालेबाजों को महत्व मिला। शशि थरूर तो प्रोफेशनल भी हैं और चार चुनाव जीते। मनीष तिवारी तो नामी विधिवेत्ता और चुनावों में जीते। लेकिन क्या राहुल गांधी ने उनको पार्टी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बनाया? गौरव वल्लभ मैनेजमेंट गुरु हैं। उनको पार्टी क्यों छोड़नी पड़ी? राज्यों में तो हाल और बुरा है। 

आपको बता दें, पूर्व पीएम डॉ.मनमोहन सिंह के नाम से फैलोशिप प्रोग्राम लॉन्च किया गया है। 10 साल के प्रोफेशनल काम का अनुभव रखने वाले लोग आवेदन कर सकेंगे। टॉप लीडर का एक पैनल पेशेवर लोगों का चयन करेगा।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

इस मामले पर बोले राहुल शिवशंकर- बीजेपी के लिए कोई भी पार्टी से ऊपर नहीं

मिशन 2026 के लिए अन्नामलाई का बलिदान आपको बताता है कि भाजपा की चुनावी सफलता का एक कारण इस सिद्धांत का निर्मम पालन है कि कोई भी पार्टी से ऊपर नहीं है।

Last Modified:
Saturday, 05 April, 2025
rahulshivshankar

तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बदले जाने की चर्चा पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने ही मुहर लगा दी है। कोयम्बटूर में मीडिया से बातचीत में अन्नामलाई ने कहा कि नए अध्यक्ष के चयन की रेस में वे नहीं है और नए अध्यक्ष का चुनाव सभी नेता मिलकर एक मत से करेंगे।

इस जानकारी के सामने सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होने एक्स पर लिखा, मिशन 2026 के लिए अन्नामलाई का बलिदान आपको बताता है कि भाजपा की चुनावी सफलता का एक कारण इस सिद्धांत का निर्मम पालन है कि कोई भी पार्टी से ऊपर नहीं है। क्या सहमत है?

आपको बता दें, अध्यक्ष पद के लिए फिलहाल थेवर जाति से आने वाले नयनार नागेन्द्रन, दलित नेता और केंद्रीय मंत्री L मुरुगन और नाडार जाति से आने वाली तमिलइसई सौन्दरराजन के नाम की चर्चा चल रही है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

सुधीर चौधरी ने 'आजतक' को कहा- 'अलविदा'

इस ऐतिहासिक समझौते का उद्देश्य दूरदर्शन को भारतीय न्यूज टेलीविजन में फिर से एक प्रभावशाली शक्ति के रूप में स्थापित करना है।

Last Modified:
Saturday, 05 April, 2025
sudhirji

हिंदी न्यूज़ चैनल 'आजतक' में प्राइम टाइम एंकर की भूमिका निभा रहे सुधीर चौधरी ने यहां अपनी पारी को विराम दे दिया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने एक्स पर लिखा कि कल उनका आखिरी शो था और एक नए प्लेटफॉर्म पर वो जल्द आपसे मिलने वाले है।

दरअसल, समाचार4मीडिया ने आपको पहले ही इस बात की जानकारी दे दी थी कि सुधीर चौधरी जल्द ही 'आजतक' को अलविदा कहने वाले है। दरअसल प्रसार भारती ने वरिष्ठ पत्रकार, संपादक और न्यूज एंकर सुधीर चौधरी के साथ एक बड़ी डील की है, जो संभवतः इसकी अब तक की सबसे बड़ी मीडिया डील मानी जा रही है।

इस ऐतिहासिक समझौते का उद्देश्य दूरदर्शन को भारतीय न्यूज टेलीविजन में फिर से एक प्रभावशाली शक्ति के रूप में स्थापित करना है। इस परियोजना में सुधीर चौधरी प्रमुख भूमिका निभाएंगे और इससे देश का सबसे प्रभावशाली न्यूज शो बनने की संभावना है।

दूरदर्शन लंबे समय तक भारत में विश्वसनीय और प्रभावशाली न्यूज कवरेज का पर्याय रहा है। निजी न्यूज चैनलों के बढ़ने से इसका प्रभाव कम हो गया था। अब, सुधीर चौधरी की अगुवाई में दूरदर्शन को फिर से भारतीय पत्रकारिता का स्वर्ण मानक बनाने की योजना बनाई जा रही है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए