इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने अपनी राय व्यक्त की और उनका मानना है कि आने वाले समय में साइबर हमला एक बड़ी महामारी का रूप भी ले सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट 365 की सर्विसेस दुनियाभर में ठप होने की वजह से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसका बड़ा असर एविएशन सेक्टर, बैंकिंग सर्विसेस और दूसरी इमरजेंसी सर्विसेस पर पड़ रही है। इस पूरे आउटेज की वजह क्राउड स्ट्राइक के एक अपडेट को बताया जा रहा है।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने अपनी राय व्यक्त की और उनका मानना है कि आने वाले समय में साइबर हमला एक बड़ी महामारी का रूप भी ले सकता है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा, एक देश जो इस तबाही से बच गया वह है रूस।
प्रतिबंधों के कारण, रूसी अब माइक्रोसॉफ्ट क्लाउड सेवाओं और व्यावसायिक खुफिया उपकरणों तक नहीं पहुँच सकते। तो उन्होंने अपना खुद का निर्माण किया। भारत को भी इसी तरह की तकनीकी अतिरेक का निर्माण करना चाहिए। अगली महामारी साइबर हो सकती है।
और, जरूरी नहीं कि यह किसी आउटेज के कारण ही उत्पन्न हुआ हो। आपको बता दे, Crowd Strike एक साइबर सिक्योरिटी कंपनी है, जो माइक्रोसॉफ्ट और कई दूसरे प्लेटफॉर्म्स को साइबर हमलों से बचाने का काम करती है। कंपनी ने एक बड़ा अपडेट रिलीज किया था, जिसकी वजह से लोगों को इस दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कुछ लोग इसे साइबर अटैक से जोड़कर देख रहे हैं।
The one country that escaped the mayhem is Russia. Because of sanctions, Russians could no longer access Microsoft cloud services and business intelligence tools.
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) July 19, 2024
So they built their own!
India must build similar technical redundancy, too.
The next pandemic could be a cyber…
सुरक्षा एजेंसियों को इस दृष्टिकोण से भी जांच करनी चाहिए। रेल पटरियों को सुरक्षित रखने के लिए आगामी कुछ समय तक कठोर सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता उत्पन्न हो चुकी है।
इंडियन रेल करोड़ों भारतीयों की लाइफ लाइन है। हर दिन करोड़ों लोग अलग-अलग ट्रेनों से सफर करते हैं। कानपुर से लेकर अजमेर तक में ट्रेन को बेपटरी करने की बड़ी साजिश सामने आई है। कानपुर में रेलवे ट्रैक पर सिलेंडर मिलने के बाद अब राजस्थान के अजमेर जिले में रेलवे ट्रैक पर अलग-अलग जगहों पर करीब एक क्विंटल के सीमेंट ब्लॉक मिले हैं।
दिल्ली-हावड़ा रेल खंड को ही सबसे अधिक टारगेट किया जा रहा है। पिछले 6 दिनों में 2 पत्थरबाज़ी की घटनाएं और 3 रेलवे ट्रैक को डिरेल करने की कोशिशें हुई हैं। इस पूरे मामले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देना होगा।
उन्होंने अपने एक्स हैंडल से एक पोस्ट की और लिखा, हाल में पाकिस्तानी आतंकवादी फस्तुला गौरी ने एक ऑडियो जारी किया था जिसमें उसने अपने स्लीपर सेलों को रेल गाड़ियों को पलटने को कहा था। हाल में हमारे यहां की रेल दुर्घटनाओं में जिस तरह की साजिशें सामने आ रहीं हैं उसमें उसका यह आदेश महत्वपूर्ण हो जाता है।
सुरक्षा एजेंसियों को इस दृष्टिकोण से भी जांच करनी चाहिए। रेल पटरियों को सुरक्षित रखने के लिए आगामी कुछ समय तक कठोर सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता उत्पन्न हो चुकी है।
आपको बता दे,रेलवे में इस साल ऐसे कई हादसे हुए हैं, जहां ट्रैक पर कुछ रखे होने की वजह से ड्राइवर को इमरजेंसी ब्रेक लगानी पड़ी है या फिर कई बार ट्रेन बेपटरी हुई है। केवल राजस्थान में एक महीने में तीसरी बार ट्रेन को बेपटरी करने की साजिश हुई है।
हाल में पाकिस्तानी आतंकवादी फस्तुला गौरी ने एक ऑडियो जारी किया था जिसमें उसने अपने स्लीपर सेलों को रेल गाड़ियों को पलटने को कहा था। हाल में हमारे यहां की रेल दुर्घटनाओं में जिस तरह की साजिशें सामने आ रहीं हैं उसमें उसका यह आदेश महत्वपूर्ण हो जाता है। सुरक्षा एजेंसियों को इस…
— Awadhesh Kumar (@Awadheshkum) September 10, 2024
उस समय कांग्रेस के दंगाई नेताओं से बचने के लिए सिखों ने अपने केश कटवा दिए थे, पगड़ी पहनननी बंद कर दी थी और कड़ा उतार दिया था।
अमेरिका दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं और अपनी बात रख रहे हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भारत में सिखों के अधिकारों और उनकी स्थिति पर टिप्पणी की है, जिसको लेकर विवाद हो गया है।
राहुल ने कहा, लड़ाई इस बात को लेकर है कि क्या एक सिख को भारत में पगड़ी पहनने की इजाजत दी जाएगी? क्या एक सिख गुरुद्वारे में जा सकता है ? लड़ाई इस बात को लेकर है और यह सभी धर्मों के लिए है। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपने विचार व्यक्त किए।
अशोक श्रीवास्तव ने अपने एक्स हैंडल से लिखा, भारत से लेकर कनाडा और अमेरिका तक सिखों को खालिस्तान के नाम पर भारत के खिलाफ भड़काया जा रहा है और राहुल गांधी इस आग में केरोसिन डालने का काम कर रहे हैं। अमेरिका में वो सिखों से कह रहे हैं कि भारत में लड़ाई इस बात की है कि सिख पगड़ी पहन सकते हैं,या नहीं, कड़ा पहन सकते हैं या नहीं।
भारत में सिख शान से पगड़ी और कड़ा पहन कर घूमते हैं, इस बात को लेकर कहीं कोई विवाद नहीं। सिखों के पगड़ी और कड़ा पहनने पर सिर्फ एक बार लड़ाई हुई थी और वो साल 1984 था जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के नेताओं ने पगड़ी पहने, कड़ा पहने सिखों के गले में टायर डाल कर उन्हें जिंदा जला दिया था।
उस समय कांग्रेस के दंगाई नेताओं से बचने के लिए सिखों ने अपने केश कटवा दिए थे, पगड़ी पहनननी बंद कर दी थी और कड़ा उतार दिया था। इससे पहले और इसके बाद आज तक भारत में सिखों के पगड़ी और कड़ा पहनने पर विवाद नहीं हुआ। सैम पित्रोदा ने सही कहा राहुल गांधी पप्पू नहीं हैं। वो केरोसिन मैन हैं।
भारत से लेकर कनाडा और अमेरिका तक सिखों को खालिस्तान के नाम पर भारत के खिलाफ भड़काया जा रहा है और राहुल गांधी इस आग में केरोसिन डालने का काम कर रहे हैं। अमेरिका में वो सिखों से कह रहे हैं कि भारत में लड़ाई इस बात की है कि सिख पगड़ी पहन सकते हैं,या नहीं, कड़ा पहन सकते हैं या नहीं।… pic.twitter.com/BT6wxdRwRx
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) September 10, 2024
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय सोमवार को जौनपुर के बक्सा थाना क्षेत्र में मौजूद अगरौरा गांव में मंगेश के घर पहुंचे और उसके परिजनों से मुलाकात कर ढांढस बंधाया।
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में आभूषण कारोबारी के यहां से हुई डकैती के आरोपी मंगेश यादव के एनकाउंटर का मामला ठंडा पड़ता नहीं दिख रहा है। इस मामले में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार योगी सरकार पर हमला कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस पर सवाल खड़े कर रहे हैं। मंगेश यादव की हत्या की बात कह रहे हैं।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की और अपने विचार शेयर किये। उन्होंने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट की और लिखा, जाति ही पूछो बदमाश की। जब पुलिस वालों का हत्यारा विकास दुबे मारा गया तो कहा गया कि यूपी में ब्राह्मणों के साथ अन्याय हो रहा है।
जब कुख्यात माफिया सरगना अतीक अहमद मारा गया तो उसकी मौत पर आंसू बहाते हुए उसे मसीहा करार दिया गया। अब डेढ़ करोड़ की डकैती में शामिल मंगेश यादव मारा गया तो कुछ लोगों के आंसू थम नहीं रहे। यह भी एक तरह की बदमाशी ही है।
आपको बता दे, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय सोमवार को जौनपुर के बक्सा थाना क्षेत्र में मौजूद अगरौरा गांव में मंगेश के घर पहुंचे और उसके परिजनों से मुलाकात कर ढांढस बंधाया। अजय राय ने परिवार को हर संभव मदद करने का आश्वासन भी दिया। मंगेश यादव एनकाउंटर मामले को लेकर कांग्रस ने मांग की है कि मामले की जांच हाईकोर्ट के जज से कराई जाए।
जाति ही पूछो बदमाश की!
— Rajeev Sachan (@RajeevKSachan) September 9, 2024
जब पुलिस वालों का हत्यारा विकास दुबे मारा गया तो कहा गया कि यूपी में ब्राह्मणों के साथ अन्याय हो रहा है। जब कुख्यात माफिया सरगना अतीक अहमद मारा गया तो उसकी मौत पर आंसू बहाते हुए उसे मसीहा करार दिया गया। अब डेढ़ करोड़ की डकैती में शामिल मंगेश यादव मारा गया…
एक वेब-सीरीज़ ने IC 814 की हाइजैकिंग जैसी बड़ी आतंकी घटना में पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी और सोशल मीडिया में आउटरेज के बाद सब शांत हो गया।
नेटफ्लिक्स पर हाल ही में रिलीज हुई IC-814 द कंधार हाईजैक काफी विवादों में है। ये वेबसीरीज 24 दिसंबर 1999 को नेपाल से कंधार जा रही इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-814 के हाईजैक पर आधारित है। फिल्म के निर्देशक अनुभव सिन्हा पर आरोप है कि उन्होंने कई तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश किया है।
इस बीच पत्रकार और एंकर मानक गुप्ता का भी यह मानना है कि फिल्मों की तरह ही वेब सीरीज को भी सेंसर करना चाहिए। उन्होंने अपने एक्स हैंडल से एक पोस्ट की और लिखा, चाहे फ़िल्म्स हों या वेबसीरीज़, ऐतिहासिक घटनाओं पर बनने वाली फ़िल्मों को सेंसर से हो कर ही जाना चाहिए।
शुरू में चींटी बराबर फ़ॉण्ट में डिस्क्लेमर में लिख देते हैं , ये सीरीज़ सच्ची घटनाओं से इंस्पायर्ड है। अंदर अपने हिसाब से तथ्यों को छिपाया, तोड़ा-मरोड़ा जाता है। एक वेब-सीरीज़ ने IC 814 की हाइजैकिंग जैसी बड़ी आतंकी घटना में पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी और सोशल मीडिया में आउटरेज के बाद सब शांत हो गया।
सिर्फ़ हाईजैकर्स के असली नाम शुरू में (चींटी साइज़ फ़ॉण्ट में) लिख कर ख़ानापूर्ति कर दी गई, सरकार भी खुश और प्रोड्यूसर भी। अब तक की पीढ़ियाँ यही पढ़ती-सुनती आई हैं कि वो पाकिस्तान की करतूत थी। अब से हमारी आने वाली पीढ़ियाँ ये सीरीज़ देखेंगी और मानेंगी कि IC 814 की हाइजैकिंग अल क़ायदा ने की थी, पाकिस्तान रोल सिर्फ़ नॉन-स्टेट एक्टर्स तक सीमित था।
उसी तरह पाकिस्तान की हर आतंकी घटना पर उनके मन में शक पैदा होंगे। कल को करगिल, संसद हमला, 26/11 पर भी इसी तरह झूठ फैलाने का रास्ता खुल गया है। इस देश का कितना नुक़सान हो रहा है। सब जानते हैं।
बिल्कुल जायज़ सवाल है. चाहे फ़िल्म्स हों या वेबसीरीज़, ऐतिहासिक घटनाओं पर बनने वाली फ़िल्मों को सेंसर से हो कर ही जाना चाहिए
— Manak Gupta (@manakgupta) September 9, 2024
शुरू में चींटी बराबर फ़ॉण्ट में डिस्क्लेमर में लिख देते हैं - “ये सीरीज़ सच्ची घटनाओं से इंस्पायर्ड है”…अंदर अपने हिसाब से तथ्यों को छिपाया, तोड़ा-मरोड़ा… https://t.co/vw3ZSYSoCp
हालांकि तीन कट के बाद फिल्म की रिलीज में अब कोई रुकावट नहीं है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने फिल्म को ‘UA’ सर्टिफिकेट दिया है।
कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' ट्रेलर रिलीज के बाद से ही विरोध का सामना कर रही है। लगातार सिख समुदाय की तरफ से हो रहे विरोध की वजह से फिल्म को सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहा था। हालांकि तीन कट के बाद फिल्म की रिलीज में अब कोई रुकावट नहीं है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने फिल्म को ‘UA’ सर्टिफिकेट दिया है। 3 कट के साथ इसमें कुल 10 बदलाव किए गए हैं। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने अपने सोशल मीडिया से एक पोस्ट की और अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने एक्स हैंडल से एक पोस्ट करते हुए लिखा, क्या यह विचित्र नहीं है कि फ़िल्मों को रिलीज़ करने के लिए तो सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट चाहिए लेकिन वेबसीरीज के लिए ऐसी कोई आवश्यकता नहीं। कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी का तो सेंसर बोर्ड ने फैक्ट चेक कर लिया लेकिन पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई को क्लीन चिट देने वाली वेब सीरीज़ आईसी 814 को दिखाने से कोई गुरेज़ नहीं।
आपको बता दें कि जिन सीन्स में बदलाव की मांग की गई है उनमें से एक सीन में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन द्वारा भारतीय महिलाओं के प्रति की गई अपमानजनक टिप्पणी है। इसके अलावा विंस्टन चर्चिल की भारतीयों को खरगोशों की तरह प्रजनन करने वाले बताना शामिल है। सेंसर बोर्ड ने मणिकर्णिका फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को 10 बदलावों की लिस्ट भेजी है। इनमें अधिकतर दृश्य वे हैं, जिन पर सिख संगठनों की तरफ से आपत्ति जताई गई है।
क्या यह विचित्र नहीं है कि फ़िल्मों को रिलीज़ करने के लिए तो सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट चाहिए लेकिन वेबसीरीज के लिए ऐसी कोई आवश्यकता नहीं। कंगना रनोत की फिल्म इमरजेंसी का तो सेंसर बोर्ड ने फैक्ट चेक कर लिया लेकिन पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई को क्लीन चिट देने वाली वेब सीरीज़…
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) September 9, 2024
अभी अमेरिका में भी हिन्दी बोलने वालों के प्रति घृणा फैलाने का प्रयास कर रहे हैं, फिर भी हिन्दी भाषी बुद्धिजीवी और आम जनता राहुल गांधी को कैसे स्वीकार लेते हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तीन दिवसीय यात्रा पर अमेरिका पहुंचे हैं। कांग्रेस सांसद भारतीय प्रवासियों और भारतीय छात्रों से मुलाकात कर रहे हैं। अमेरिका में वो भारत के मौजूदा राजनीति हालात पर भी चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, लोकसभा चुनावों के बाद कुछ बदल गया है।
कुछ लोगों ने मुझसे कहा है कि चुनाव के बाद डर नहीं लगता अब, डर निकल गया अब। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया के एक पोस्ट की और लिखा, राहुल गांधी खतरनाक खेल, खेल रहे हैं। अमेरिका में जाकर भारतीय लोकतंत्र को तानाशाही बताने का प्रयास कर रहे हैं।
सभी संस्थाओं को बिका हुआ बताने की कोशिश कर रहे हैं। न्यायालय पर भी गंभीर टिप्पणी की है। अमेरिका जाकर भारत में केरोसिन छिड़कने का प्रयास राहुल गांधी कर रहे हैं। राहुल गांधी खतरनाक काम कर रहे हैं। आगे एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, एक बात मुझे आश्चर्यचकित करती है कि, उत्तर भारत या कहें कि, हिन्दी भाषी राज्यों को राहुल गांधी लगातार अपमानित करते रहते हैं।
अमेठी हार गए थे तो अमेठी के लोग उनको कम समझदार लगने लगे थे। अभी अमेरिका में भी हिन्दी बोलने वालों के प्रति घृणा फैलाने का प्रयास कर रहे हैं, फिर भी हिन्दी भाषी बुद्धिजीवी और आम जनता राहुल गांधी को कैसे स्वीकार लेते हैं। राहुल गांधी इतना खतरनाक खेल रहे हैं, फिर भी, आश्चर्यजनक।
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि संसद में मैं प्रधानमंत्री को सामने देखता हूं और मैं आपको बता सकता हूं कि श्री मोदी का विचार, 56 इंच का सीना, भगवान से सीधा संबंध, यह सब अब खत्म हो गया है, यह सब अब इतिहास है।
एक बात मुझे आश्चर्यचकित करती है कि, उत्तर भारत या कहें कि, हिन्दी भाषी राज्यों को राहुल गांधी लगातार अपमानित करते रहते हैं। अमेठी हार गए थे तो अमेठी के लोग उनको कम समझदार लगने लगे थे। अभी अमेरिका में भी हिन्दी बोलने वालों के प्रति घृणा फैलाने का प्रयास कर रहे हैं, फिर भी हिन्दी…
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) September 9, 2024
चारों तरफ अवैध निर्माण हो गए, वहां मुट्ठी भर दो- चार संख्या देखते-देखते कुछ हजार में हो गई लेकिन सरकार और प्रशासन कोई वहां हाथ डालने का साहस नहीं कर सका।
शांतिप्रिय राज्य हिमाचल की राजधानी शिमला इन दिनों बवाल से घिरी हुई है। शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली में मस्जिद में हुए अवैध निर्माण को लेकर मामला पूरे देश में गूंज गया है। हिंदू संगठनों ने संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने के लिए दो दिन का अल्टीमेटम दिया है। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने अपने सोशल मीडिया से एक पोस्ट कर इस मामले में अपनी राय व्यक्त की है।
उन्होंने अपने एक्स हैंडल से एक पोस्ट की और लिखा, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली बाजार में मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने तथा हो रही अवांछित मजहबी गतिविधियों को रोकने की मांग को लेकर लोगों का आक्रोश फूट पड़ा और वो सड़कों पर निकल आए।
सामान्यतया शिमला में इस तरह के प्रदर्शन नहीं देखे जाते। स्पष्ट है कि आम लोगों यानी हिंदुओं के लिए वहां सामान्य जीवन जीना कठिन हो गया है। अजीब स्थिति है। किसी मस्जिद में तीन-तीन मंजिल अवैध निर्माण हो गए, चारों तरफ अवैध निर्माण हो गए, वहां मुट्ठी भर दो- चार संख्या देखते-देखते कुछ हजार में परिणत हो गई लेकिन सरकार और प्रशासन कोई वहां हाथ डालने का साहस नहीं कर सका।
2010 से मामला शिमला नगर निगम आयुक्त के कोर्ट में है। 42 से ज्यादा सुनवाई हो चुकी है लेकिन वहां गतिविधियां जस की तस डरावनी है। आम लोगों ने चोरी, छीना-झपटी, मारपीट , हिंसा तथा लड़कियों - महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार आदि की न जाने कितनी शिकायतें पुलिस प्रशासन को की।
बावजूद रुकी नहीं। काफी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग वहां आ गए हैं। वह समूह में निकलते हैं, अपने मजहब का प्रचार करते हैं, आवश्यकता होने पर मार - पिटाई करते हैं लेकिन मुख्यमंत्री और उनके मंत्री कह रहे हैं कि जो कुछ भी होगा कानून और संविधान के तहत होगा।
नगर निगम आयुक्त का बयान है कि निर्माण अवैध है। तो अवैध निर्माण गिराने के लिए क्या 50 वर्ष मुकदमा चलेगा? अगर यही भवन हिंदुओं का होता तो क्या सरकार और प्रशासन को इतना समय लगता? आश्चर्य की बात है कि इस बीच भाजपा की सरकार भी वहां रही और उसे सब कुछ पता है।
बावजूद कार्रवाई नहीं हुई और आज उन्हें वहां से हटाना मुश्किल हो गया है। महिलाओं के लिए क्षेत्र से गुजरा कठिन हो गया है। दुकानदारों से झगड़ा कर उनके हाथ- पैर तोड़ दिए जाते हैं। सोचिए ! हमारे देश में क्या हो रहा है?
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली बाजार में मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने तथा हो रही अवांछित मजहबी गतिविधियों को रोकने की मांग को लेकर लोगों का आक्रोश फूट पड़ा और वो सड़कों पर निकल आए। सामान्यतया शिमला में इस तरह के प्रदर्शन नहीं देखे जाते। स्पष्ट है कि आम लोगों यानी… pic.twitter.com/4NEHEEnN48
— Awadhesh Kumar (@Awadheshkum) September 5, 2024
अब इससे पहले कि लोगों का विश्वास उनकी जाति जनगणना और 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी' वाले नारे से भी उठने लगे उन्हें तुरंत कर्नाटक में इसे लागू कर देना चाहिए।
कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश भारी आर्थिक संकट में फंस गया है। आर्थिक संकट इतना गहरा गया है कि 2 लाख कर्मचारी सितम्बर महीने में अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनरों को अगस्त महीने की सैलरी सितम्बर माह के 3 दिन होने के बाद भी नहीं मिली है।
इस बीच पत्रकार और एंकर सुशांत सिन्हा ने अपने सोशल मीडिया से एक पोस्ट कर कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी से एक मांग की है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल से लिखा, राहुल गांधी की खटाखट जैसी दूसरी क्रांतिकारी योजनाओं का ट्रेलर तो हिमाचल प्रदेश की बदहाल अर्थव्यवस्था में दिखने लगा है।
अब इससे पहले कि लोगों का विश्वास उनकी जाति जनगणना और 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी' वाले नारे से भी उठने लगे उन्हें तुरंत कर्नाटक में इसे लागू कर देना चाहिए। सरकार भी कांग्रेस की है, जातिगत जनगणना ऑलरेडी वहां हो रखी है.. कोई दिक्कत ही नहीं है।
कर्नाटक में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रिमंडल तक, हर सरकारी विभाग तक में उस जातिगत जनगणना की रिपोर्ट के हिसाब से जिसकी जितनी संख्या पाई गई है उसकी हिस्सेदारी तय कर दें। देश को भी समझ आ जाएगा कि कर्नाटक वाला फॉर्मूला देश में लागू करना है या नहीं। तो कब हो रहा है ये?
आपको बता दे, हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में ₹88,000 करोड़ से भी अधिक का कर्ज है। कांग्रेस सरकार ने बीते डेढ़ वर्ष में ही लगभग ₹19,000 करोड़ का कर्ज राज्य पर चढ़ाया है।
राहुल गांधी की खटाखट जैसी दूसरी क्रांतिकारी योजनाओं का ट्रेलर तो हिमाचल प्रदेश की बदहाल अर्थव्यवस्था में दिखने लगा है। अब इससे पहले कि लोगों का विश्वास उनकी जाति जनगणना और 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी' वाले नारे से भी उठने लगे उन्हें तुरंत कर्नाटक में इसे लागू…
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) September 5, 2024
कांग्रेस के मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने कब्जा करके अवैध मस्जिद बना ली है। बांग्लादेशी रोहिंग्या घुसपैठ करके बस गए हैं।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर सदन में नियम 62 के अंतर्गत मुद्दा उठाया गया। सदन में कांग्रेस के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि सरकारी जमीन पर यह मस्जिद बनी है। सरकारी जमीन पर एंक्रोचमेंट की गई है।
2019 तक मस्जिद पर अवैध रूप से चार मंजिल बन चुकी थी। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने अपने एक्स हैंडल से लिखा, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है।
कांग्रेस के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा के फ्लोर पर जो कुछ कहा उससे उन लोगों की आंखें खुल जानी चाहिए जो आंखें बंद करके मुस्लिम तुष्टीकरण कर रहे हैं। कांग्रेस के मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने कब्जा करके अवैध मस्जिद बना ली है।
बांग्लादेशी रोहिंग्या घुसपैठ करके बस गए हैं। लव जेहाद चल रहा है। आपको बता दें, मलाणा क्षेत्र में एक सितंबर को एक व्यवसायी पर कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने हमला कर दिया था। घटना के तुरंत बाद लोग संजौली के बाहर मलाणा क्षेत्र में इकट्ठा हुए और वहां एक मस्जिद को गिराने की मांग की।
हिमाचल प्रदेश में काँग्रेस की सरकार है.. काँग्रेस के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा के फ्लोर पर जो कुछ कहा उससे उन लोगों की आँखें खुल जानी चाहिए जो आँखें बंद करके मुस्लिम तुष्टीकरण कर रहे हैं ।
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) September 5, 2024
काँग्रेस के मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने कब्जा करके अवैध… pic.twitter.com/6iLYhd9Yzy
उस समय मेरी फ़ेवरेट टीचर निर्मला मैम से मैंने कहा कि आप घर चलकर मेरी मम्मी से बात करें तो हो सकता है वो मान जायें। स्कूल की छुट्टी होने के बाद वो मेरे घर आईं।
भारत में हर साल 5 सितंबर के दिन को टीचर्स डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। इस साल भी देश में शिक्षक दिवस मनाया गया। गौरतलब है कि माता-पिता के बाद गुरु ही हमें एक कामयाब इंसान और सशक्त बनाने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं।
पत्रकार और एंकर चित्रा त्रिपाठी ने भी इस मौके पर अपनी बचपन की गुरु को याद किया। उन्होंने अपने एक्स हैंडल से एक पोस्ट की और लिखा, मैं कक्षा 5वीं में थी। गोरखपुर से इलाहाबाद स्कूल ट्रिप पर मेरे घर वाले जाने नहीं दे रहे थे।
उस समय मेरी फ़ेवरेट टीचर निर्मला मैम से मैंने कहा कि आप घर चलकर मेरी मम्मी से बात करें तो हो सकता है वो मान जायें। स्कूल की छुट्टी होने के बाद वो मेरे घर आईं। मम्मी को समझाया और फिर मुझे तीन दिन की स्कूल ट्रिप पर जाने का मौक़ा मिला, तब अपने घर से पहली बार मैं इतनी दूर गई थी।
ऐसे अनगिनत मौक़ों पर हमारी मदद करने वाले और हमें आगे बढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस पर नमन। आपको बता दे, जब 1962 में डॉ. राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने, तो उनके कुछ छात्रों ने उनके जन्मदिन को विशेष रूप से मनाने का आग्रह किया।
इस पर डॉ. राधाकृष्णन ने सुझाया कि उनके जन्मदिन को अलग से मनाने के बजाय, इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाना अधिक उपयुक्त होगा। तब से ही इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
मैं कक्षा 5वीं में थी. गोरखपुर से इलाहाबाद स्कूल ट्रिप पर मेरे घर वाले जाने नहीं दे रहे थे. उस समय मेरी फ़ेवरेट टीचर निर्मला मैम से मैंने कहा कि आप घर चलकर मेरी मम्मी से बात करें तो हो सकता है वो मान जायें. स्कूल की छुट्टी होने के बाद वो मेरे घर आईं. मम्मी को समझाया और फिर मुझे… pic.twitter.com/aSP9v9loI9
— Chitra Tripathi (@chitraaum) September 5, 2024