कांग्रेस नेता राधिका खेड़ा ने कहा कि धर्म का साथ देने वालों का विरोध होता है और इसलिए मेरा भी विरोध किया गया।
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को लगातार अपने ही नेताओं की तरफ से बड़े आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच कांग्रेस के लिए एक और बुरी खबर आई है। राधिका खेड़ा ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, 'राधिका खेड़ा ने इस्तीफा देते हुए कहा है कि वो राम लला के दर्शन करने राम मंदिर गई थीं और तब से ही पार्टी में उन्हें परेशान किया जा रहा था। कांग्रेस के घोषणा पत्र का नाम न्याय पत्र है, पर दो दशक तक पार्टी की सेवा करने वालीं राधिका को राहुल गांधी न्याय नहीं दिला सके।'
आपको बता दें कि राधिका ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के एक नेता सुशील आनंद शुक्ला ने अपने दो साथियों के साथ रायपुर के पार्टी ऑफिस में उनके साथ अभद्रता करने की कोशिश की। लेकिन जब उन्होंने इसके बारे में पार्टी के शीर्ष नेताओं को जानकारी दी, तब आरोपी नेताओं के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
राधिका खेड़ा ने अपने इस्तीफे में लिखा कि हर हिंदू के लिए प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली पवित्रता के साथ बहुत मायने रखती है। रामलला के दर्शन मात्र से जहां हर हिंदू अपना जीवन सफल मानता है वहीं कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
राधिका खेड़ा ने इस्तीफा देते हुए कहा है कि वो राम लला के दर्शन करने #राम_मंदिर गई थीं और तब से ही पार्टी में उन्हें परेशान किया जा रहा था।
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) May 5, 2024
कांग्रेस के घोषणा पत्र का नाम न्याय पत्र है, पर दो दशक तक पार्टी की सेवा करने वालीं राधिका को राहुल गांधी न्याय नहीं दिला सके। https://t.co/esgkL9P2to
कितना अजीब है। मैं उनसे कभी मिली नहीं, न कभी आमना-सामना हुआ फिर भी वो दिल में जगह बनाए हुए थी। आपने भी कई बार इस एहसास को जिया होगा।
पद्म पुरस्कार से सम्मानित बिहार की मशहूर गायिका शारदा सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं रहीं। मंगलवार को दिल्ली एम्स में उन्होंने देर शाम को आखिरी सांस ली। उनके निधन पर पत्रकार रुबिका लियाकत ने भी सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और शोक प्रकट किया। उन्होंने कहा कि आपसे ये रिश्ता कभी टूट नहीं पायेगा।
उन्होंने एक्स पर लिखा, शारदा सिन्हा जी के निधन की जब से ख़बर सुनी है मन बहुत उदास हो गया है। कितना अजीब है। मैं उनसे कभी मिली नहीं, न कभी आमना-सामना हुआ फिर भी वो दिल में जगह बनाए हुए थी। आपने भी कई बार इस एहसास को जिया होगा। सच कहूँ तो मुझे आज से 10-15 सालों पहले तो ये पता ही नहीं था कि छठ क्या है, छठी मइयाँ कौन हैं?
इस का महत्व क्या है? 2009-10 की बात है तब मैं न्यूज़ 24 में काम किया करती थी, उसी साल दिल्ली में छठ पूजा की कवरेज का मुझे मौक़ा मिला। ऑफ़िस में बिहार से ताल्लुक़ रखने वाले बहुत लोग थे, ख़ुद सुप्रिय सर और शाहदाब सर ने ग्राउंड पर जाने से पहले छठ के बारे में तफ़सील से बताया।
सुनने में जितना अग़ल था देखने में उससे ज़्यादा ख़ास। जब मैं यमुना के घाट पर पहुँची तो मंत्रमुग्ध हो गई। जहां तक नज़र जा रही थी महिलाओं का हुजूम था। पहली बार नाक से लेकर माथे तक सिंदूर लगाए महिलाओं को देख अचम्भे में पड़ गई। कभी इधर तो कभी उधर से मर्दों को ईख, फल, सूप ले जाते हुए देख रही थी ये सब कुछ बिजली की गति से मेरी आँखों से आगे बीत रहा था।
मन में हज़ार तरह के प्रश्न उठ रहे थे कि अचानक एक गीत जो कहीं दूर स्पीकर में बज रहा था सीधा कानों के रास्ते रूह में उतर गया। आवाज़ में खनक ऐसी की सब थम गया। वो शारदा सिन्हा ही थीं जिन्होंने छठ से, छठी मइयाँ से एसा रिश्ता बांधा कि हर साल छठ का पर्व आता और गीत के बोल जाने बग़ैर बस धुन मन में बजने लगती।
शारदा सिन्हा जी के निधन की जब से ख़बर सुनी है मन बहुत उदास हो गया है।
— Rubika Liyaquat (@RubikaLiyaquat) November 5, 2024
कितना अजीब है- मैं उनसे कभी मिली नहीं, न कभी आमना-सामना हुआ फिर भी वो दिल में जगह बनाए हुए थी…आपने भी कई बार इस एहसास को जिया होगा!
सच कहूँ तो मुझे आज से 10-15 सालों पहले तो ये पता ही नहीं था कि छठ क्या है,…
सालों पहले पटना वाले आपके घर पर जाकर मैंने “बेटियाँ” कार्यक्रम आपके साथ रिकॉर्ड किया था। ना जाने कितने अनगिनत गाने आपने मुझे सुनाये थे उस दिन।
प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। वे दिल्ली एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम गंभीर स्थिति में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनके निधन पर पत्रकार चित्रा त्रिपाठी ने भी शोक व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, शारदा सिन्हा जी का निधन हम सभी के लिये अपूरणीय क्षति हैं।
बरसों पुराना रिश्ता रहा आपसे। सालों पहले पटना वाले आपके घर पर जाकर मैंने “बेटियाँ” कार्यक्रम आपके साथ रिकॉर्ड किया था। ना जाने कितने अनगिनत गाने आपने मुझे सुनाये थे उस दिन। माँ सरस्वती का साक्षात आशीर्वाद था आपको। हरा पान खाने की आप ख़ूब शौकीन थीं।
मुझसे बातचीत में कहा कि चित्रा यही एक बुराई है जो मुझसे नहीं छूटती। मैंने प्यार किया फ़िल्म में जब आपने गाना गया - कहे तोसे सजना” इसके बाद आपको फ़िल्म इंडस्ट्री से तमाम ऑफ़र आये। सबने कहा कि बिहार छोड़कर मुंबई में बस जाओ, लेकिन आपने बिहार को नहीं छोड़ा।
शारदा जी आप हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन यकीन मानिये पटना में जब आज आप पंचतत्व में विलीन हो रही होंगी तो ठीक उसी समय वो तमाम छठ व्रती जो देश और दुनिया के किसी भी कोने में होंगे वो आपके गाये हुए छठ गीत को सुनकर आपको अंतिम विदाई दे रहे होंगे।
आप पूरी पोस्ट को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
थोड़ी देर पहले एम्स हॉस्पिटल से घर पहुँची हूँ. शारदा सिन्हा जी ने यहीं पर अंतिम साँस ली. उनके बेटे अंशुमन जी और बेटी दोनों लोगों से ये जाना कि अस्पताल में आप आख़िरी दिनों में भी रियाज़ करती थीं. वो वीडियो भावुक कर देने वाला है.
— Chitra Tripathi (@chitraaum) November 5, 2024
शारदा सिन्हा जी का निधन हम सभी के लिये अपूरणीय… pic.twitter.com/LfqxrpohT4
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने यह फैसला सुनाया है। यूपी मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता बरकरार रखी है।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक घोषित किया है और यूपी मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता बरकरार रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ प्रावधानों को छोड़कर 'उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004' की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है।
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला खारिज करते हुए मदरसों को संवैधानिक मान्यता प्रदान कर दी है। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और सवाल पूछा कि आखिर मदरसा जाने वाले बच्चों का भविष्य कितना उज्जवल है?
उन्होंने एक्स पर लिखा, सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा शिक्षा पर मुहर लगा दी। उसके फैसले से मुस्लिम समाज खुश है, लेकिन वास्तव में उसे खुश होने के बजाय यह सोचना चाहिए कि आखिर मदरसा की शिक्षा हासिल करने वाले बच्चों का भविष्य कितना उज्ज्वल है? यदि मदरसा शिक्षा इतनी ही बेहतर है तो फिर संपन्न मुस्लिम परिवार अपने बच्चों को वहां क्यों नहीं पढ़ाते?
आपको बता दें, इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 22 मार्च को यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए सभी छात्रों का दाखिला सामान्य स्कूलों में करवाने का आदेश दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा शिक्षा पर मुहर लगा दी। उसके फैसले से मुस्लिम समाज खुश है, लेकिन वास्तव में उसे खुश होने के बजाय यह सोचना चाहिए कि आखिर मदरसा की शिक्षा हासिल करने वाले बच्चों का भविष्य कितना उज्ज्वल है? यदि मदरसा शिक्षा इतनी ही बेहतर है तो फिर संपन्न मुस्लिम परविरा अपने…
— Rajeev Sachan (@RajeevKSachan) November 5, 2024
एक बयान जारी करते हुए कंचन वर्मा ने कहा कि 27000 प्राथमिक विद्यालयों को निकटवर्ती विद्यालयों में विलय करते हुए बंद करने की बात कही जा रही है।
यूपी में 27 हजार प्राथमिक विद्यालय बंद होने की बात का सरकार ने खंडन कर दिया है। बेसिक शिक्षा की महानिदेशक कंचन वर्मा ने कहा कि मीडिया में जो खबरे चल रही है उनका कोई आधार नहीं है। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने एक्स पर लिखा, शासन ने कम छात्र वाले विद्यालयों का विलय करने का निर्णय वापस ले लिया है। लोकतंत्र में लोक का स्वर सुना ही जाना चाहिए। इस हेतु उत्तर प्रदेश सरकार का आभार। इससे पहले उन्होंने अपने एक ट्वीट में इस निर्णय पर विचार करने के लिए सरकार से कहा था।
उन्होंने लिखा, यूपी में 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करके उसका दूसरे विद्यालयों में विलय करने की योजना पर काम हो रहा है ,यह चर्चा है। गाँव में गरीब के बच्चे क्या घर से 3 -4 किलोमीटर दूर के स्कूल में पढ़ने जा सकते हैं? यह योजना तमाम बच्चों को स्कूली पढाई से दूर कर देगी। स्कूल सुधारिये ,उन्हें बंद या विलय करके घटाइए मत। अब जब इस बात का खंडन हो चुका है तो उन्होंने सरकार का आभार भी व्यक्त किया है।
बता दें, एक बयान जारी करते हुए कंचन वर्मा ने कहा कि 27000 प्राथमिक विद्यालयों को निकटवर्ती विद्यालयों में विलय करते हुए बंद करने की बात कही जा रही है। यह बिल्कुल भ्रामक एवं निराधार है। प्रदेश में किसी भी स्कूल को बंद नहीं किया जा रहा है।
यदि यह समाचार भ्रामक है तो इस सम्बन्ध में महानिदेशक स्तर से लिखित में खण्डन आना चाहिए - https://t.co/gK8xAsxHr0
— Amitabh Agnihotri (@Aamitabh2) November 4, 2024
हाल ही में हिन्दू मंदिर पर हुए हमले के बाद अब दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ने की करार पर है। कनाडा के हिन्दुओं को आये दिन खालिस्तान समर्थकों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है।
भारत और कनाडा के रिश्तों में धीरे धीरे खटास आती हुई दिखाई दे रही है। हाल ही में हिन्दू मंदिर पर हुए हमले के बाद अब दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ने की करार पर है। कनाडा के हिन्दुओं को आये दिन खालिस्तान समर्थकों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है। इससे पहले बांग्लादेश में हुई हिंसा में भी बड़े पैमाने पर हिंदुओं को निशाना बनाया गया था।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार आदित्य राज कौल ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और कहा कि अब तो कनाडा और बांग्लादेश के नागरिकों को भगवान ही बचा सकता है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, कनाडा और बांग्लादेश में इस बात को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा होती दिख रही है कि कौन सा देश पहले पाकिस्तान बनेगा। जस्टिन ट्रूडो और मुहम्मद यूनुस अपने देश में किसी भी लोकतंत्र, सहिष्णुता, कानून के शासन या अल्पसंख्यक अधिकारों को खत्म करने के लिए बेताब हैं। भगवान कनाडाई और बांग्लादेशी नागरिकों को बचाएं।
आपको बता दें, ब्रैम्पटन मंदिर के पुजारी ने एकता का परिचय देने का आग्रह किया और 'बंटोगे तो कटोगे' के नारे लगाए। ब्रैम्पटन मंदिर के पुजारी का कहना था कि अब सबको एक होना पड़ेगा। कनाडा में हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है। आप एकजुट रहेंगे तो सुरक्षित बने रहेंगे।
Canada and Bangladesh seem to have a fierce competition on which country will become Pakistan first. Justin Trudeau and Muhhamad Yunus are desperate to cripple their nation of any democracy, tolerance, rule of law or minority rights. God save Canadian and Bangladeshi civilians.
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) November 4, 2024
घटना के बाद आक्रोशित ब्रैम्पटन मंदिर के पुजारी ने कहा कि खालिस्तान समर्थकों का यह हमला पूरी दुनिया के हिंदुओं पर किया गया हमला है। जरूरत है कि हिंदू एकजुट हों।
कनाडा में लगातार हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जाता रहा है। एक बार फिर खालिस्तानी समर्थकों ने हिंदुओं और मंदिरों पर हमले किए हैं। खालिस्तानी मंदिर के परिसर में घुस गए और वहां लाठी-डंडों से लोगों की पिटाई भी की है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और कनाडा सरकार को आड़े हाथ लिया है और कहा कि उन्हें हिन्दू मंदिर पर हमले रोकने होंगे।
उन्होंने एक्स पर लिखा, कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमले बेहद निंदनीय हैं। इन्हें रोकना हमलावरों को क़ानूनी कार्रवाई की ज़द में लाना कनाडा सरकार की ज़िम्मेदारी है। उसे बिना किसी हीला हवाली के ये दोनों काम करने चाहिए। देश के सभी समुदायों दलों वर्गों को एक स्वर से इनकी निंदा करके भारतीयता को मज़बूत करना होगा।
आपको बता दें, ट्रूडो ने कहा है कि कनाडा में हर व्यक्ति को अपने विश्वास का स्वतंत्र और सुरक्षित रूप से पालन करने का अधिकार है। जस्टिन ट्रूडो ने आगे समुदाय की सुरक्षा और इस घटना की जांच के लिए त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए पील क्षेत्रीय पुलिस को धन्यवाद कहा है।
घटना के बाद आक्रोशित ब्रैम्पटन मंदिर के पुजारी ने कहा कि खालिस्तान समर्थकों का यह हमला पूरी दुनिया के हिंदुओं पर किया गया हमला है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि हिंदू एकजुट हों, अगर हम एकजुट नहीं होंगे तो सुरक्षित नहीं रह सकते।
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमले बेहद निंदनीय हैं।इन्हें रोकना हमलावरों को क़ानूनी कार्रवाई की ज़द में लाना कनाडा सरकार की ज़िम्मेदारी है।उसे बिना किसी हीला हवाली के ये दोनों काम करने चाहिए।देश के सभी समुदायों दलों वर्गों को एक स्वर से इनकी निंदा करके भारतीयता को मज़बूत करना होगा।
— विनोद अग्निहोत्री Vinod Agnihotri (@VinodAgnihotri7) November 4, 2024
खालिस्तानी समर्थकों ने ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर में भक्तों के एक समूह को निशाना बनाया है। इस घटना से हिंदुओं में बड़े स्तर पर आक्रोश फैल गया है।
कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की हिमाकत लगातार बढ़ रही है। वो खुलेआम भारत के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे हैं। यहां तक कि हिंदुओं और मंदिरों पर हमले भी कर रहे हैं। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और हिन्दुओं की इस दशा को लेकर अपना रोष प्रकट किया।
उन्होंने एक्स पर लिखा, हिंदू का वोट सबको चाहिए पर बांग्लादेश से लेकर कनाडा तक में हिंदुओं के साथ कुछ हो जाए तो इस देश के कुछ नेताओं के मुंह से चूं तक नहीं निकलती। अभी फिलिस्तीन में कुछ हो जाए तब देखिएगा कैसे छाती पीटते सब बाहर आ जाएंगे। 100 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं वाले देश में ये है हिंदू वोट की कीमत।
आपको बता दें, खालिस्तानी समर्थकों ने ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर में भक्तों के एक समूह को निशाना बनाया है। इस घटना से हिंदुओं में बड़े स्तर पर आक्रोश फैल गया है। प्रदर्शकारी जबरन परिसर में घुस गए और मंदिर प्रशासन के सदस्यों और श्रद्धालुओं पर हमला बोल दिया। उन्होंने महिलाओं व बच्चों को भी बेरहमी से पीटा। खुद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सामने आए और घटना की निंदा की।
हिंदू का वोट सबको चाहिए पर बांग्लादेश से लेकर कनाडा तक में हिंदुओं के साथ कुछ हो जाए तो इस देश के कुछ नेताओं के मुंह से चूं तक नहीं निकलती।अभी फिलिस्तीन में कुछ हो जाए तब देखिएगा कैसे छाती पीटते सब बाहर आ जाएंगे। 100 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं वाले देश में ये है हिंदू वोट की कीमत।
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) November 4, 2024
वायरल हो रहे वीडियो में दिखाई देता है कि हिंदू मंदिर के सामने पहले खालिस्तान समर्थकों की टोली गाड़ियों से आती है और वहां एकत्रित लोगों के साथ मारपीट करती है।
कनाडा के ब्रैम्पटन में एक हिंदू पूजा स्थल पर खालिस्तान समर्थकों की तरफ से हमला किया गया है। वायरल हो रहे वीडियो में दिखाई देता है कि हिंदू मंदिर के सामने पहले खालिस्तान समर्थकों की टोली गाड़ियों से आती है और खालिस्तानी झंडों के साथ वहां एकत्रित लोगों के साथ मारपीट करती है।
वहां की पुलिस की बीच-बचाव करती दिखती है। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, कनाडा से लेकर बांग्लादेश तक, हिंदू अल्पसंख्यकों को हमलों का सामना करना पड़ता है, फिर भी वैश्विक स्तर पर उदारवादी अक्सर उनकी दुर्दशा को नजरअंदाज कर देते हैं। अल्पसंख्यक अधिकारों की कहानी हिंदुओं तक क्यों नहीं फैलती?
आपको बता दें, कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हुए हमले को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सख्त लहजे में प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि ऐसे कृत्य भारत के संकल्प को कमजोर नहीं करेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि कनाडा में हिंदू मंदिर पर जानबूझकर हमला किया गया है और वह इसकी निंदा करते हैं।
From Canada to Bangladesh, Hindu minorities face attacks, yet globally, liberals often overlook their plight. Why doesn't the narrative of minority rights extend to Hindus? #Canada #hindulifematters
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) November 4, 2024
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह घटना शनिवार की है और लड़की ने देश के सख्त इस्लामी ड्रेस कोड के खिलाफ विरोध में अपने कपड़े उतारे।
एक ईरानी लड़की को यूनिवर्सिटी कैंपस में अपने कपड़े उतारने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह घटना शनिवार की है और लड़की ने देश के सख्त इस्लामी ड्रेस कोड के खिलाफ विरोध में अपने कपड़े उतारे।
ऐसा माना जा रहा है कि, हिजाब के खिलाफ ईरान की महिलाओं के संघर्ष को लेकर उस लड़की ने ऐसा किया। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार ऋचा अनिरुद्ध ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने एक्स पर लिखा, जो छद्म नारीवादी भारत में 'क्या पहनना है चुनने की आज़ादी' के नाम पर हिजाब को जस्टिफाय करने में लगी थीं वो हिजाब के खिलाफ ईरान की महिलाओं के संघर्ष पर कैसे मौन हैं? चाहती तो वो यही हैं कि भारत को भी ईरान बना दें पर यहां की 'असली नारीवादी' ऐसा होने नहीं देंगी।
आपको बता दें, ईरान की तेहरान आज़ाद विश्वविद्यालय की जिस प्रदर्शनकारी महिला का वीडियो दुनिया भर में वायरल हुआ और चर्चा का सबब बना, उसे ईरानी सरकार ने मानसिक रूप से बीमार बताया है। आज़ाद विश्वविद्यालय के जनसंपर्क निदेशक आमिर महज़ॉब ने पब्लिकली कहा कि महिला अपने पति से अलग रहती है, दो बच्चों की मां है और ‘मानसिक तौर पर बीमार’ है।
जो pseudo feminists भारत में "freedom to choose what to wear" के नाम पर हिजाब को justify करने में लगी थीं वो हिजाब के खिलाफ ईरान की महिलाओं के संघर्ष पर कैसे मौन हैं.. चाहती तो वो यही हैं कि भारत को भी ईरान बना दें पर यहां की real feminists ऐसा होने नहीं देंगी? #AhooDaryaei
— richa anirudh (@richaanirudh) November 4, 2024
न्यूजीलैंड की टीम भारत के खिलाफ जीत की हैट्रिक लगाकार WTC पॉइंट्स टेबल में पांचवे से चौथे स्थान पर पहुंच गई है। टीम के खाते में 54.54 प्रतिशत अंक है।
रोहित शर्मा की कप्तानी वाली भारतीय टीम को न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में ऐताहिसिक क्लीन स्वीप झेलनी पड़ी। स्पिनर एजाज पटेल ने मुंबई टेस्ट में 11 विकेट चटकाए। भारत का पहली बार घर पर तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में सूपड़ा साफ हुआ है।
इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने एक्स पर लिखा, जबकि वास्तविक क्रिकेट प्रशंसक कीवी टीम से 3-0 की हार के बाद गुस्सा जाहिर कर रहे हैं, आश्चर्यचकित न हों अगर कुछ दिनों में हम क्रिकेट के बारे में कम और आईपीएल रिटेंशन और नीलामी के बारे में अधिक बात करें।
हम यह बात करें कि किस खिलाड़ी को किसने कितने में खरीदा है? एक तरह से आईपीएल भारतीय क्रिकेट के लिए वरदान और अभिशाप दोनों रहा है। नई प्रतिभा और धन सृजन के लिए बेहतरीन मंच लेकिन इसने घरेलू क्रिकेट की चमक भी लगभग पूरी तरह छीन ली। सहमत होना?
आपको बता दें, टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में यह पहला मौका है जब भारत घर में कोई तीन मैच की सीरीज 3-0 से हारी हो। न्यूजीलैंड की टीम भारत के खिलाफ जीत की हैट्रिक लगाकार WTC पॉइंट्स टेबल में पांचवे से चौथे स्थान पर पहुंच गई है। टीम के खाते में 54.54 प्रतिशत अंक है।
While genuine cricket fans vent after a 3-0 loss to the Kiwis, don’t be surprised if in a few days time we are talking less about the cricket and more about IPL retentions and auctions and which player was bought by whom for how many crores. In a way, IPL has been a boon and a…
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) November 3, 2024