पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के सुर में सुर मिला रहे थे, जिन्होंने दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष रोकने में मदद के लिए ट्रंप को क्रेडिट दिया था।
इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने भारत के साथ तनाव कम करने में ट्रंप की कथित भूमिका के लिए खूब तारीफ की। इस दौरान शहबाज ने वॉशिंगटन से दोनों देश के बीच व्यापक बातचीत की सुविधा शुरू करने में मदद का आग्रह किया।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी का कहना है कि अमेरिका को लेकर अब भारत को रणनीति को बदलना होगा। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर लिखा, अमेरिका को लेकर अपनी रणनीति में बड़ा परिवर्तन करने की आवश्यकता है। अमेरिका को ट्रेड वाले मसले पर ही अब दबाना चाहिए।
ट्रेड वॉर जैसी स्थिति भी हो तो पीछे नहीं हटना चाहिए। ट्रंप जिस तरह से पाकिस्तान के साथ खड़े हो रहे हैं, उसके बाद उन्हें संदेह का लाभ नहीं मिलना चाहिए। आतंकवादी पाकिस्तान के विरुद्ध पिछले कार्यकाल की तुलना में इस कार्यकाल में ट्रंप में यू टर्न ले लिया है। मैं संबंध खराब करने की बात नहीं कर रहा हूँ। रणनीतिक तौर पर हमारे संबंध चीन के साथ भी रहते ही हैं।
आपको बता दें, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के सुर में सुर मिला रहे थे, जिन्होंने दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष रोकने में मदद के लिए ट्रंप को क्रेडिट दिया था।
#भारत को अमेरिका को लेकर अपनी रणनीति में बड़ा परिवर्तन करने की आवश्यकता है। अमेरिका को ट्रेड वाले मसले पर ही अब दबाना चाहिए। ट्रेड वॉर जैसी स्थिति भी हो तो पीछे नहीं हटना चाहिए। ट्रंप जिस तरह से पाकिस्तान के साथ खड़े हो रहे हैं, उसके बाद उन्हें संदेह का लाभ नहीं मिलना चाहिए।…
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) June 5, 2025
पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने कहा कि पीएम ने लोकसभा में अपने भाषण में 14 बार नेहरू का नाम लिया, क्या अब अतीत छोड़ वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में विपक्ष पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया है। उन्होंने खास तौर पर पंडित नेहरू के दौर में लिए गए निर्णयों की आलोचना करते हुए कहा कि सिंधु जल समझौता और अक्साई चिन जैसे मामलों में कांग्रेस की गलतियों के कारण देश को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर अपने 100 मिनट लंबे भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का नाम 14 बार लिया।
यानी लगभग हर सात मिनट में एक बार। नेहरू का निधन 1964 में हुआ था, यानी 61 साल पहले, लेकिन उनकी छाया अब भी मौजूद है। 'ऑपरेशन सिंदूर' मई 2025 की घटना थी। शायद अब हमें अतीत को कुरेदने की बजाय वर्तमान और भविष्य की ओर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए।
आपको बता दें, पीएम मोदी ने कहा कि अगर तत्कालीन नेतृत्व में दूरदृष्टि और समझ होती, तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को वापस लेने का निर्णय संभव था। उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के बाद लिए गए फैसलों की कीमत देश आज तक चुका रहा है।
Interesting: PM Modi mentioned former PM Jawaharlal Nehru as many as 14 times in his 100 speech on Op Sindoor, that’s roughly once every seven minutes. Nehru died in 1964, that’s 61 years ago but his shadow still looms! Op Sindoor was May 2025: maybe we need to look more to…
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) July 29, 2025
लोकसभा में राहुल गांधी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर पीएम मोदी के भाषण को लेकर कई सवाल उठाए। पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने संदेह जताया कि क्या राहुल गांधी ट्रंप की रणनीतिक मदद कर रहे हैं?
लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संसद में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा करते समय कुछ अहम मुद्दों को नजरअंदाज किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारत-पाक सीजफायर में भूमिका को लेकर कोई जवाब नहीं दिया।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने भी अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, पहलगाम के हत्यारे आतंकवादी मारे गए, पाकिस्तान पोषित आतंकवादी ठिकाने ध्वस्त किए गए, पाकिस्तानी हवाई पट्टियां अभी भी उपयोग लायक नहीं हैं। इसके बाद कांग्रेस के पास बहुत कुछ बचा ही नहीं था, लेकिन प्रियंका-राहुल ने अपनी सीमा भर कोशिश की।
राहुल को गुस्सा आना और गुस्से में गाली निकलना भी उसी जी-तोड़ कोशिश का प्रमाण था। इस सबके बाद मैंने ट्रंप का ताजा बयान फिर से सुना और मुझे अब संदेह हो रहा है कि, राहुल गांधी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मदद तो नहीं करना चाह रहे हैं।
वरना, क्या वजह होगी कि, ऐसे समय में जब अमेरिका हर कोशिश करके भारत पर दबाव बनाने में नाकामयाब है और अपनी शर्तों पर कारोबारी समझौता नहीं कर पा रहा है, राहुल गांधी भारत पर ही दबाव क्यों बनाना चाह रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में क्या हो सकता है, इसका अनुमान भी सामान्य व्यक्ति को नहीं लग पाता है।
पहलगाम के हत्यारे आतंकवादी मारे गए
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) July 30, 2025
पाकिस्तान पोषित आतंकवादी ठिकाने ध्वस्त किए गए
पाकिस्तानी हवाई पट्टियां अभी भी उपयोग लायक नहीं हैं
इसके बाद कांग्रेस के पास बहुत कुछ बचा ही नहीं था, लेकिन प्रियंका-राहुल ने अपनी सीमा भर कोशिश की
राहुल को गुस्सा आना और गुस्से में गाली निकलना भी…
पहलगाम ऑपरेशन केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि यह भारत के साहस, तकनीकी कौशल और राजनीतिक इच्छाशक्ति की त्रिवेणी का परिणाम था।
कुछ समय पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने निर्दोष नागरिकों पर हमला किया था। यह हमला इतना वीभत्स था कि देश की आत्मा तक कांप उठी। खासकर महिलाओं को निशाना बनाना, आतंक का सबसे घिनौना चेहरा था। इस बीच जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के बीच ऑपरेशन महादेव के तहत सेना ने पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड समेत तीन आतंकियों को मार गिराया।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने एक भावनात्मक पोस्ट कर भारतीय सेना की बहादुरी को सलाम किया। उन्होंने लिखा, भारतीय सेना के उन पराक्रमी जवानों को नमन जिन्होने पहलगाम नरसंहार के पाकिस्तानी आतंकवादियों को जहन्नुम पहुंचा दिया। खतरनाक जंगलों में, ख़राब मौसम में, ये काम बेहद मुश्किल था।
हमारी सेनाओं के अथक प्रयास, प्रधानमंत्री मोदी की खुली छूट और मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से ही ये संभव हो पाया। जिन दरिंदों ने हमारी माताओं, बहनों का सिंदूर मिटाया, उनका यही हश्र होना था। जय हिंद की सेना।
आपको बता दें, भारतीय सेना ने इस चुनौतीपूर्ण मिशन को अंजाम देने के लिए नवीनतम तकनीक, अदम्य साहस और रणनीतिक कौशल का परिचय दिया। आतंकियों को अत्यंत कठिन जंगल और पहाड़ी इलाके में ढूंढ निकालना कोई आसान कार्य नहीं था। इस ऐतिहासिक सफलता के पीछे केवल सैनिक बल ही नहीं, बल्कि राजनीतिक संकल्प भी रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'खुली छूट' नीति ने सुरक्षा बलों को बाधा-रहित कार्रवाई की पूरी स्वतंत्रता दी।
भारतीय सेना के उन पराक्रमी जवानों को नमन जिन्होने पहलगाम नरसंहार के पाकिस्तानी आतंकवादियों को जहन्नुम पहुंचा दिया. खतरनाक जंगलों में, ख़राब मौसम में, ये काम बेहद मुश्किल था. हमारी सेनाओं के अथक प्रयास, प्रधानमंत्री मोदी की खुली छूट और मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से ही ये संभव…
— Rajat Sharma (@RajatSharmaLive) July 29, 2025
असदुद्दीन ओवैसी के भारत-पाक क्रिकेट मैच पर बयान पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ओवैसी पर बात को भावुकता से घुमाने का आरोप लगाया।
असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में सवाल उठाया कि जब देश में हाल ही में बैसारन और पहलगाम में आतंकी हमलों में नागरिक मारे गए हैं, तो क्या ऐसे में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच खेला जाना नैतिक रूप से उचित है? उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा का मानना है कि ओवैसी बात को घुमा रहे हैं। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, औवेसी बात को घुमा रहे हैं। भावुकता का पुट दे रहे हैं।
भारत ने बहुपक्षीय प्रतियोगिताओं में पाकिस्तान के साथ खेलना कभी बंद नहीं किया। अगर भारत एशिया कप में नहीं खेलेगा तो पाकिस्तान को ही इससे फ़ायदा है क्योंकि उसे वॉकओवर मिल जाएगा। क्या भारतीय खेल प्रेमी चाहेंगे कि ऐसा हो?
आपको बता दें, सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हम कहते हैं कि हम पाकिस्तान का 80% पानी रोक रहे हैं, यह कहते हुए कि ‘खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते’। तो फिर आप क्रिकेट मैच खेलेंगे? मेरा ज़मीर मुझे यह मैच देखने की इजाज़त नहीं देता। क्या सरकार में इतनी हिम्मत है कि वो उन 25 मारे गए लोगों से कहे कि हमने ऑपरेशन सिंदूर में बदला ले लिया, अब आप पाकिस्तान के खिलाफ मैच देखें?
औवेसी बात को घुमा रहे हैं। भावुकता का पुट दे रहे हैं। भारत ने बहुपक्षीय प्रतियोगिताओं में पाकिस्तान के साथ खेलना कभी बंद नहीं किया। अगर भारत एशिया कप में नहीं खेलेगा तो पाकिस्तान को ही इससे फ़ायदा है क्योंकि उसे वॉकओवर मिल जाएगा। क्या भारतीय खेल प्रेमी चाहेंगे कि ऐसा हो? https://t.co/XfbpRze557
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) July 29, 2025
लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर हुई चर्चा सौहार्दपूर्ण रही। वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की शिष्टता और संतुलित नेतृत्व की प्रशंसा की।
संसद के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर चर्चा हुई, जो पूरी तरह सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हुई। इस सफल चर्चा का श्रेय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को दिया जा रहा है, जिन्होंने सदन में संतुलन बनाए रखा और सभी दलों को साथ लेकर चलने की कोशिश की।
इस बीच अमर उजाला समूह के वरिष्ठ सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री ने भी रक्षा मंत्री की तारीफ़ की। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट करते हुए लिखा कि जिस संयम, शिष्टता और राष्ट्रहित की भावना के साथ राजनाथ सिंह ने लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा को संभाला, वह प्रशंसनीय है।
विनोद अग्निहोत्री के अनुसार, आमतौर पर जब संसद में सुरक्षा या सैन्य अभियानों पर बहस होती है, तो वातावरण में तनाव या राजनीतिक खींचतान देखी जाती है। परंतु इस बार ऐसा नहीं हुआ। रक्षामंत्री ने न केवल विषय की गंभीरता को बनाए रखा, बल्कि विपक्ष को भी सम्मानजनक रूप से सुना और सभी पक्षों के विचारों का स्वागत किया।
आपको बता दें, रक्षा मामलों पर विपक्ष ने भी सरकार के प्रयासों की सराहना की और इसे 'सुरक्षा नीति में परिपक्वता का संकेत' बताया। विपक्षी नेताओं ने कहा कि ऐसे अभियान दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देखने योग्य होते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में शुरू हुई चर्चा सकारात्मक वातावरण में होने का श्रेय रक्षामंत्री @rajnathsingh को है उन्होंने अपनी बात पूरी दृढ़ता शालीनता से बिना आक्रामकता के कही।लोकतंत्र में दोनों पक्ष वैचारिक विरोधी होते हैं शत्रु नहीं।भाजपा में इस अटल परंपरा के वाहक राजनाथ जी हैं।
— विनोद अग्निहोत्री Vinod Agnihotri (@VinodAgnihotri7) July 29, 2025
वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत ने पानी की कीमतों में हो रही भारी बढ़ोतरी पर सवाल उठाते हुए कॉर्पोरेट कंपनियों की मुनाफाखोरी को उजागर किया। कैसे एक समय ₹5 की पानी बोतल अब ₹70 तक पहुँच गई।
वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत ने हाल ही में एक वीडियो के माध्यम से कॉर्पोरेट कंपनियों की मुनाफाखोरी पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने बताया कि कैसे ₹5 से ₹8 में मिलने वाला पानी अब ₹70 में बिक रहा है, यानी दूध से भी महँगा हो चुका है। उनके अनुसार, अगर देश में इसी तरह पानी को लेकर हाय-तौबा मचती रही, तो बड़ी कंपनियाँ इस संकट का फायदा उठाकर अरबों का कारोबार करती रहेंगी। राणा यशवंत की यह टिप्पणी न सिर्फ पानी की बढ़ती कीमतों पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस तरह आम जनता की ज़रूरत को मुनाफे का जरिया बनाया जा रहा है।
इस मुद्दे पर उन्होंने एक पोस्ट और की। उन्होंने लिखा, यह कोई पाँच सितारा होटल नहीं, बल्कि दिल्ली-मेरठ रोड पर स्थित एक सामान्य रेस्तराँ है। मुझे यह ज्ञात है कि अधिकतर बोतलबंद पानी ₹20 में उपलब्ध होता है। मैं स्वयं भी वही पीता हूँ, लेकिन यह जानकर आश्चर्य होता है कि ₹70 में भी पानी बिक रहा है और इसकी सरकारी मंज़ूरी भी है। किसान कई बार अपने आलू ₹4–5 प्रति किलो में भी नहीं बेच पाते।
कई वर्षों तक उचित मूल्य न मिलने के कारण वे खेत में ट्रैक्टर चला देते हैं। वहीं दूसरी ओर, लेज़, अंकल चिप्स जैसी कंपनियों को 50 ग्राम आलू के चिप्स ₹20 में बेचने की छूट है। यानी ₹400 प्रति किलो का मूल्य निर्धारण। यही स्थिति अस्पतालों की है, जहाँ दवा कंपनियाँ स्वयं ही अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) तय करती हैं और अस्पताल उन्हीं दरों पर मरीज़ों से वसूली करते हैं और इस पर सरकार की मौन स्वीकृति भी प्राप्त है।
उदाहरण के लिए, कई आवश्यक दवाएं जो सामान्य मेडिकल स्टोर पर ₹120 में मिलती हैं, वही दवाएं अस्पताल की फार्मेसी में ₹240 में बेची जाती हैं। यही स्थिति बोतलबंद पानी की है। चाहे वह टाटा का हो या अडानी का, अंततः वह H2O ही है। उनके नाम भर से उसमें कोई ‘सुरख़ाब के पर’ नहीं लग जाते। इसलिए ज़रूरी है कि इन कीमतों पर नियंत्रण लगाया जाए, ताकि आम जनता को राहत मिल सके।
इस देश में पानी 5-8 रुपए बोतल से आज 70 रुपए पर आ गया. दूध से महंगा पानी हो गया. अगर पानी की हाय तौबा ऐसी ही रही तो कॉर्पोरेट कंपनियाँ पानी पर ही अरबों का कारोबार बढ़ाती रहेंगी. pic.twitter.com/GHZafnXEs0
— Rana Yashwant (@RanaYashwant1) July 28, 2025
चिदंबरम ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को स्वीकार किया, लेकिन साथ ही तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर ही बयानबाज़ी की बात कही।
पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने हाल ही में एक बयान में कहा है कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे आतंकवादी पाकिस्तान से आए थे, इसका अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब तक सरकार इस संबंध में ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं करती, तब तक ऐसे दावे करना उचित नहीं होगा। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने हैरानी जताई है।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया से एक पोस्ट करते हुए लिखा कि इस प्रकार के बयानों से आतंकवाद के प्रति हमारी लड़ाई कमजोर हो जायेगी। उन्होंने लिखा, यह इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि जब भी बात पाकिस्तान और आतंकवाद की होती है, तो कुछ नेताओं की टिप्पणियाँ हमेशा संदेहास्पद होती हैं।
पी.चिदंबरम वही व्यक्ति हैं जिन्होंने 'भगवा आतंकवाद' का परिभाषा दी थी, जो कि सुरक्षा संबंधी मामलों में एक नई बहस का विषय बन गया। ऐसे में, चिदंबरम का बयान सुरक्षा एजेंसियों और देश के सामने उठाए गए कड़े कदमों पर सवाल उठाने जैसा है। ऐसे बयानों से केवल कंफ्यूजन उत्पन्न होता है और आतंकवाद के प्रति हमारी संगठित लड़ाई में बाधा आती है।
आपको बता दें, चिदंबरम ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को स्वीकार किया, लेकिन साथ ही तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर ही बयानबाज़ी की बात कही। अब इस पर राजनीतिक बहस भी शुरू हो गई है कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बोलने की समय-सीमा और शैली क्या होनी चाहिए।
आतंकी पाकिस्तान से आए, इसका क्या सबूत?' : ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम का विवादित बयान
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) July 28, 2025
पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा हाल ही में दिए गए बयान पर विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें उन्होंने आतंकी संगठन के संबंध में पाकिस्तान से आए आरोपों का सबूत मांगने का सवाल उठाया…
उनके छह और दोस्त भी उस पार्टी में मौजूद थे। पुलिस ने सभी साथियों से पूछताछ की और यह जानने का प्रयास किया कि दुर्घटना के समय कार में और कोई तो नहीं था।
नोएडा के सेक्टर-30 में चाइल्ड पीजीआई के पास शनिवार रात एक दर्दनाक हादसे में बीएमडब्ल्यू कार ने स्कूटी सवार परिवार को टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में 5 वर्षीय बच्ची आयत की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी, जबकि इलाज के दौरान अब उसके मामा राजा की भी जान चली गई। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार ऋचा अनिरुद्ध ने भी सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय दी।
उन्होंने लिखा, शर्त लगा लीजिए, यदि इस देश में इन दोनों धनाढ्य युवकों को कोई कठोर दंड मिल जाए। ऐसा होना संभव ही नहीं प्रतीत होता। उनके पिताओं की कहीं न कहीं तो कोई पहचान अवश्य होगी। चाहे वह किसी नेता से हो, पुलिस से या किसी न्यायाधीश से। अन्यथा पिताओं की अर्जित संपत्ति किस दिन काम आएगी?
और मद्यपान की जाँच-रिपोर्ट को झूठा सिद्ध करने में कितना समय लगता है? और क्या हम या आप प्रतिदिन उस मुक़दमे की जानकारी लेते रहेंगे? हमें कहाँ इतनी फ़ुरसत है? किसी की बेटी के साथ एम्बुलेंस में बलात्कार हो जाता है, कोई युवती आत्महत्या कर लेती है। असंख्य अपराध होते हैं जो भ्रष्टाचार के कारण दबा दिए जाते हैं।
मुक़दमे वर्षों चलते रहते हैं, और अपराधी निर्दोष घोषित कर दिए जाते हैं और न्यायमूर्ति महोदय से प्रश्न पूछने की अनुमति तक नहीं होती। आपको बता दें, पुलिस जांच में सामने आया कि दोनों आरोपी एक होटल में बर्थडे पार्टी से लौट रहे थे जहां शराब पी गई थी। उनके छह और दोस्त भी उस पार्टी में मौजूद थे। पुलिस ने सभी साथियों से पूछताछ की और यह जानने का प्रयास किया कि दुर्घटना के समय कार में और कोई तो नहीं था।
शर्त लगा लो अगर इस देश में इन दोनों रईस लड़कों को कोई कड़ी सज़ा मिल जाए!!! सवाल ही नहीं उठता..पापा की कहीं न कहीं तो पहचान होगी ही ..चाहे नेता जी से चाहे पुलिस से या जज से..वरना पापा के पैसे किस दिन काम आएंगे?और शराब की रिपोर्ट ग़लत साबित होने में कितनी देर लगती है?और कौन सा हम… pic.twitter.com/fraz6fY8Fm
— richa anirudh (@richaanirudh) July 28, 2025
इंडिया टीवी ने माना कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के कार्यालय को सील किए जाने की खबर बिना पुष्टि के चला दी गई थी। पीआईबी (PIB) ने इसे अफवाह बताया है।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हुई कि भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कार्यालय सील कर दिया गया है और उन्हें तुरंत सरकारी आवास खाली करने को कहा गया है। इस पर कई न्यूज़ चैनलों ने भी रिपोर्टिंग की, जिनमें प्रमुख चैनल 'India TV' भी शामिल था।
हालांकि अब 'India TV' ने खुद यह स्वीकार किया है कि उनसे यह खबर बिना पुख्ता पुष्टि के चला दी गई थी, जो बाद में गलत साबित हुई। चैनल ने अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा, ज़रूरी जानकारी। कुछ दिन पहले हमसे खबर चल गई थी कि उपराष्ट्रपति का दफ्तर सील कर दिया गया है। तुरंत घर खाली करने के लिए कहा गया है। बाद में जब हमने इसकी और डिटेल चेक की तो पता चला हमारी खबर का सूत्र गलत था। इसके लिए हम अपने दर्शकों से माफी मांगते हैं।
इस पोस्ट के ज़रिए चैनल ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनसे यह चूक अनजाने में हुई थी और अब वे इस गलती को स्वीकार करते हैं। आपको बता दें, सरकारी सूचना विभाग की फैक्ट चेक शाखा 'PIB Fact Check' ने भी इस खबर को अफवाह बताया और साफ किया कि उपराष्ट्रपति के कार्यालय को ना तो सील किया गया है और ना ही उन्हें तत्काल आवास खाली करने का कोई निर्देश दिया गया है।
'इंडिया टीवी' ने यह दर्शाया है कि मीडिया की गलती को स्वीकार करना और उसका सुधार करना ही जवाबदेही और भरोसे की पहचान है। साथ ही, यह घटना बताती है कि दर्शकों और पाठकों को किसी भी खबर को तथ्यात्मक रूप से जांचे बिना शेयर नहीं करना चाहिए।
जरूरी जानकारी - कुछ दिन पहले हमसे खबर चल गई थी कि उपराष्ट्रपति का दफ्तर सील कर दिया गया है.. तुरंत घर खाली करने के लिए कहा गया है.. बाद में जब हमने इसकी और डिटेल चेक की तो पता चला हमारी खबर का सूत्र गलत था.. इसके लिए हम अपने दर्शकों से माफी मांगते हैं.#VicePresident pic.twitter.com/nLtibeKOxM
— India TV (@indiatvnews) July 27, 2025
एबीपी न्यूज़ की वाइस प्रेसिडेंट चित्रा त्रिपाठी ने भी अपनी मां सरोज त्रिपाठी के नाम पर पेड़ लगाकर इस अभियान में भाग लिया। यह पहल प्रधानमंत्री मोदी के पर्यावरणीय प्रयासों का विस्तार मानी जा रही है।
दिल्ली के प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड ग्राउंड, रिज क्षेत्र में 'एक पेड़ मां के नाम 2.0' कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली सरकार के वन मंत्रालय द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश गिरीश कठपालिया, मंत्री सरदार मनजिंदर सिंह सिरसा, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, हरविंदर सिंह फुलका और अन्य कई प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित रहे। एबीपी न्यूज़ की वाइस प्रेसिडेंट चित्रा त्रिपाठी ने भी अपनी मां सरोज त्रिपाठी के नाम पर पेड़ लगाकर इस अभियान में भाग लिया।
यह पहल प्रधानमंत्री मोदी के पर्यावरणीय प्रयासों का विस्तार मानी जा रही है। इसका उद्देश्य है ,मां के प्रति श्रद्धा और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी को एक साथ जोड़ना। पेड़ एक मां की तरह होते हैं। जीवनदायी, पोषण देने वाले और सुरक्षा प्रदान करने वाले। जब हम मां के नाम एक पेड़ लगाते हैं, तो यह न केवल भावनात्मक श्रद्धांजलि होती है बल्कि पर्यावरण संरक्षण का एक स्थायी प्रतीक भी बन जाती है।
चित्रा त्रिपाठी ने कहा कि हर पेड़ मां की छांव का एहसास कराता है और यह कार्यक्रम औपचारिकता नहीं बल्कि भावनात्मक जुड़ाव है, जो धरती मां और जन्म देने वाली मां। दोनों के लिए सम्मान का भाव पैदा करता है। यह अभियान एक सामाजिक और सांस्कृतिक संस्कार है, जो जलवायु परिवर्तन के युग में पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ भावनात्मक चेतना भी जगाता है। पेड़-पौधे धरती मां का श्रृंगार हैं और हमें प्रेरित करते हैं कि हम प्रकृति के संरक्षण को अपनी जिम्मेदारी मानें और अधिकाधिक वृक्षारोपण करें।