मामला बढ़ने पर एजेंसी ने हटाई स्टोरी, एडिटर ने भी डिलीट किया इस मामले से जुड़ा अपना ट्वीट
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के बारे में एक आर्टिकल पब्लिश करने को लेकर न्यूज एजेंसी ‘एएनआई’ (ANI) काफी चर्चा में है। दरअसल, 29 सितंबर को एएनआई ने बुशरा बीबी के बारे में एक आर्टिकल पब्लिश किया था, जिसके कैप्शन में पीएम हाउस के स्टाफ के हवाले से बताया गया था कि पाकिस्तान की फर्स्ट लेडी बुशरा बीबी की तस्वीर आईने में दिखाई नहीं देती है। पाकिस्तान के ‘कैपिटल टीवी’ (Capital TV) के एक स्क्रीन शॉट के हवाले से एएनआई ने बताया था कि पाकिस्तान के पीएम हाउस के स्टाफ के अनुसार, बुशरा बीबी आईने में दिखाई नहीं देतीं।
Pakistan's first lady Bushra Bibi's image does not appear in mirrors: PM House staff
— ANI Digital (@ani_digital) September 29, 2019
Read @ANI story | https://t.co/H5eej6qq6R pic.twitter.com/b4Q17GIWu1
इस आर्टिकल को एएनआई की एडिटर स्मिता प्रकाश ने भी ट्वीट किया था, जिसे अब डिलीट कर दिया गया है। विवाद बढ़ने पर एएनआई ने बैकफुट पर आते हुए एक और आर्टिकल पब्लिश किया, जिसमें कहा गया, ‘ट्विटर यूजर्स इस रिपोर्ट पर आपस में बंट गए हैं कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी शीशे में दिखाई नहीं देती हैं।’
Twitterati divided over reports that Pakistan PM Imran Khan’s wife Bushra Bibi’s image doesn't form in mirrors
— ANI Digital (@ani_digital) September 29, 2019
Read @ANI story | https://t.co/W7cUTFdyyH pic.twitter.com/go42zqmOyE
इस आर्टिकल में न्यूज एसेंजी ने दावा किया, ‘कुछ पाकिस्तानी पत्रकारों का आरोप है कि यह पिक्चर फोटोशॉप से तैयार की गई है, एक पाकिस्तानी सूत्र का कहना है कि टीवी चैनल ने सही खबर चलाई थी, जिसे बाद में हटा दिया गया।’ हालांकि, बाद में एएनआई ने यह आर्टिकल डिलीट कर दिया।
‘ऑल्ट न्यूज’ (Alt News) में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, जब इस बारे में पड़ताल की गई तो ‘कैपिटल टीवी’ द्वारा किए गए इस तरह के कई ट्वीट मिले, जिसमें एएनआई की रिपोर्ट को झुठलाते हुए चैनल ने इनकार किया कि उन्होंने इस तरह की कोइ रिपोर्ट दी थी। अपने एक ट्वीट में ‘कैपिटल टीवी’ ने आरोप लगाया कि एएनआई ने उनके टेंपलेट के साथ फोटोशॉप से तैयार किया हुआ पोस्टर लगाया और गैरजिम्मेदाराना पत्रकारिता की।
Height of irresponsible journalism; Indian news agency tweets photoshopped poster of ‘fake news’ on official Twitter account, using Capital TV’s logo
— Capital TV (@CapitalTV_News) September 29, 2019
? Details: https://t.co/FrtEjZXoet#CapitalTV #ANI #IndianMedia #FakeNewsAlert @ANI @PTIofficial @ani_digital pic.twitter.com/oIF9M0JvFx
एक अन्य ट्वीट में ‘कैपिटल टीवी’ ने कहा कि करीब एक साल पहले एक फेक पोस्टर सर्कुलेट किया गया था, जिसके बारे में चैनल ने संघीय जांच एजेंसी (FIA) में शिकायत दर्ज कराई थी। इस बारे में ‘कैपिटल टीवी’ के डायरेक्टर नौशाद अली ने बताया कि उन्होंने संघीय जांच एजेंसी की साइबर क्राइम विंग में इसे लेकर पिछले साल शिकायत दर्ज कराई थी। वहीं, पुराने ट्वीट्स को खंगालने पर ‘कैपिटल टीवी’ के पत्रकार अनीक निसार का एक अक्टूबर 2018 का ट्वीट भी मिला, जिसमें कहा गया था कि चैनल की ओर से इस तरह की कोई न्यूज प्रसारित नहीं की गई।
For everyone who's been asking. This is #FakeNews , I gave no beeper on any such news and rest assured no such irresponsible news was aired by @CapitalTV_News pic.twitter.com/MglPJRfXzz
— Aniqa Nisar (@AniqaNisar) September 30, 2018
उन्होंने साइबर क्राइम विंग के पास की गई शिकायत को लेकर भी ट्वीट किया था।
?#CapitalTV files complaint in #FIA's Cyber-Crime Wing against those misusing its logo and branding and spreading the false and absurd news
— Capital TV (@CapitalTV_News) October 1, 2018
??? pic.twitter.com/iKrYB1OuQP
बता दें कि एएनआई की ओर से इस तरह दी गई सूचना को कई मीडिया आउटलेट्स ने अपने यहां इस्तेमाल किया था। ‘टाइम्स नाउ’ ने भी इसी तरह की हेडलाइन से एक आर्टिकल पब्लिश किया था, ‘Pakistan PM Imran Khan’s wife Bushra bibi’s reflection can’t be seen in a mirror, claims report’ (रिपोर्ट का दावा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी की इमेज शीशे में दिखाई नहीं देती है।)
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देश में पिछले दिनों फेक न्यूज के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसके चलते कई लोगों को अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ा है
सोशल मीडिया पर बढ़ते फेक न्यूज के मामलों से निपटने के लिए सरकार तमाम कवायद में जुटी हुई है। इसी कवायद के तहत सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वालों को अब अपना वेरिफिकेशन कराना पड़ सकता है। ‘अमर उजाला’ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक संसद के मौजूदा सत्र में सरकार इसको लेकर एक विधेयक पेश करने वाली है। इस विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद वॉट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर जैसे ऐप का इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स को अपना ‘केवाईसी’ (नो योर कस्टमर) कराना होगा।
इस रिपोर्ट के अनुसार, यूजर्स अपना केवाईसी आसानी से करा सकें, इसके लिए कंपनियों को अपने यहां सिस्टम तैयार करना पड़ेगा। केवाईसी के लिए पैन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या फिर पासपोर्ट जैसे सरकारी डॉक्यूमेंट दिए जा सकेंगे। सरकार का मानना है कि इस तरह से सोशल मीडिया पर चल रहे तमाम फर्जी अकाउंट्स पर रोक लग सकेगी। गौरतलब है कि फेक न्यूज की समस्या से सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम देश जूझ रहे हैं। अपने देश में पिछले दिनों फेक न्यूज के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसके चलते कई लोगों को अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ा है।
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भारत समेत दुनिया के तमाम देश फेक न्यूज की समस्या से जूझ रहे हैं। तमाम कवायद के बावजूद यह परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है
आज के दौर में फेक न्यूज के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। भारत समेत दुनिया के तमाम देश फेक न्यूज की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इससे निपटने के प्रयास नहीं किए जा रहे, लेकिन तमाम कवायद के बावजूद यह समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है।
ऐसे में जब वॉट्सऐप पर कोई न्यूज मिलती है तो अधिकांशत: आशंका रहती है कि क्या यह न्यूज सही है? कहीं यह फर्जी तो नहीं? सिर्फ वॉट्सऐप ही नहीं, सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म्स जैसे-फेसबुक और ट्विटर पर मिलने वाली अधिकतर न्यूज को लेकर भी कई लोग उसके सही अथवा फेक होने की आशंका से घिरे रहते हैं।
इस तरह की समस्या से निजात दिलाने के लिए ‘प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो’ (पीआईबी) ने कवायद शुरू की है। इसके तहत ‘पीआईबी’ ने एक ईमेल एड्रेस जारी किया है। ‘पीआईबी’ की ओर से जारी एक ट्वीट में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को किसी सूचना/न्यूज के फेक होने की आशंका हो तो उसे ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। वह उस सूचना/न्यूज का स्नैपशॉट अथवा यूआरएल pibfactcheck@gmail.com पर भेज सकता है।
यहां इसे चेक कर पता लगाया जाएगा कि क्या ये फेक है अथवा सही है। इसके बाद संबंधित व्यक्ति को इसके बारे में जानकारी दी जाएगी। फेक्ट चेक यूनिट में 'पीआईबी' के अधिकारियों को शामिल करने के साथ ही कांट्रै्क्ट के आधार पर कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की मॉनीटरिंग कर फेक न्यूज के बारे में पता लगाएंगे। पीआईबी की ओर से जारी ट्वीट में यह भी कहा गया है कि सिर्फ सरकारी विभागों/मंत्रालयों/सरकारी योजनाओं से संबंधित सूचना/न्यूज की ही चेकिंग की जाएगी।
पीआईबी द्वारा इस बारे में किए गए ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं।
Received a forward that looks too good to be true!!!
— PIB India (@PIB_India) November 28, 2019
or maybe came across a piece of news that you want verified !!
Send it across and we will Fact Check it for you, no questions asked ?#PIBFactCheck pic.twitter.com/9KxGDRg08I
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बेंगलुरु पुलिस ने सात यू-ट्यूबर्स को किया गिरफ्तार, बाद में थाने से मिली जमानत
भूत-प्रेत का वेश धारण कर लोगों को डराने वाले सात यू-ट्यूबर्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मामला कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु का है। पकड़े गए यू-ट्यूबर्स सोशल मीडिया पर फेमस होने के लिए डरावना मेकअप कर और उसी तरह के कपड़े पहनकर न सिर्फ रात में लोगों को डराते थे, बल्कि विडियो भी शूट कर लेते थे।
इसके बाद ये इन विडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करके लोगों के ज्यादा से ज्यादा लाइक, शेयर और कमेंट लेते थे। पुलिस के अनुसार, इन सभी को जमानती धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें थाने से ही जमानत दे दी गई।
Karnataka: 7 YouTubers arrested for dressing as ghosts& scaring unsuspecting commuters in Bengaluru. S Kumar, DCP North says,"The youths were forcefully stopping & scaring the passersby, they were arrested under bailable sections & given bail in the police station itself" (11.11) pic.twitter.com/2TcEv2TCP6
— ANI (@ANI) November 12, 2019
पकड़े गए सभी यू-ट्यूबर्स की पहचान शान मलिक, निवाद, सैम्युअल मोहम्मद, मोहम्मद अख्यूब, शाकिब, सयैद नाबील व युसूफ अहमद के तौर पर हुई है | इन्होंने ‘कूकी पीडिया’ (Kooky Pedia) नाम से यू-ट्यूब चैनल बना रखा है।
पकड़े गए लोग किस तरह लोगों को डराते थे, उसका विडियो आप यहां देख सकते हैं-
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कई विदेशी पब्लिकेशंस से जुड़ी यह महिला पहले भी सोशल मीडिया पर हो चुकी हैं ट्रोल
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूर्व इस बारे में एक ट्वीट करने पर महिला पत्रकार राणा अयूब पुलिस के निशाने पर आ गईं। राणा अयूब के इस ट्वीट पर अमेठी पुलिस ने न सिर्फ उन्हें ट्वीट हटाने को कहा बल्कि कार्रवाई की चेतावनी भी दी। बता दें कि शुक्रवार को राणा अयूब ने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘भारत के लिए कल का दिन बहुत बड़ा है। मुसलमानों के लिए आस्था की स्मारक बाबरी मस्जिद को छह दिसंबर 1992 को ढहा दिया गया था।‘ राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका पर टिप्पणी करने के साथ ही राणा अयूब ने अपने ट्वीट में यह उम्मीद भी जताई थी कि कल देश उन्हें निराश नहीं करेगा।
इसके बाद अमेठी पुलिस ने इस ट्वीट को ‘पॉलिटिकल कमेंट’ बताते हुए राणा अयूब से इसे डिलीट करने को कहा। अपने ट्वीट में अमेठी पुलिस का कहना था, ‘इस ट्वीट को तुरंत डिलीट करें नहीं तो पुलिस द्वारा आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’ बता दें कि कई विदेशी पब्लिकेशंस के लिए काम कर रहीं राणा अयूब पहले भी सोशल मीडिया पर ट्रोल हो चुकी हैं।
राणा अयूब द्वारा किए गए ट्वीट और अमेठी पुलिस द्वारा दी गई चेतावनी का स्क्रीन शॉट आप यहां देख सकते हैं-
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अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के अपेक्षित फैसले के मद्देनजर पुलिस काफी सतर्कता से उठा रही है कदम
अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के अपेक्षित फैसले के मद्देनजर वहां की पुलिस ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के बारे में चल रही खबरों का खंडन किया है। इसके साथ ही अयोध्या पुलिस ने ये भी साफ कर दिया है कि धार्मिक सौहार्द्र बिगाड़ने वालों के खिलाफ कठोर करवाई होगी। वहीं, उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओ.पी. सिंह ने कहा है कि अयोध्या मामले पर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर भड़काऊ पोस्ट करने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
अयोध्या पुलिस की सोशल मीडिया सेल की ओर से जारी पत्र की कॉपी आप यहां देख सकते हैं।
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इस योजना पर तीन मिलियन डॉलर तक का खर्च कर रही है सोशल मीडिया क्षेत्र की यह दिग्गज कंपनी
सोशल मीडिया क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ‘फेसबुक’ ने अपने प्लेटफॉर्म पर ‘न्यूज टैब’ (news tab) के लिए 200 मीडिया संस्थानों के साथ करार किया है। इस न्यूज टैब में दिन भर की प्रमुख राष्ट्रीय स्टोरीज पर फोकस किया जाएगा। बताया जाता है कि हेडलाइंस और न्यूज आर्टिकल के लाइसेंस के लिए फेसबुक तीन मिलियन डॉलर का भुगतान करेगी।
इस बारे में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग का कहना है, ‘दो चीजों को लेकर मैं काफी उत्साहित हूं। इनमें पहली अपने प्लेटफॉर्म पर न्यूज टैब शुरू करने को लेकर है और दूसरी न्यूज पब्लिशर्स के साथ बिजनेस पार्टनरशिप के बारे में है। मुझे लगता है कि यह पार्टनरशिप लंबी चल सकती है।’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फेसबुक ने कहा है कि वह जल्द ही भारत में अपनी पेमेंट सर्विस ‘वॉट्सऐप पे’ (WhatsApp Pay) शुरू करेगी। हालांकि, जुकरबर्ग ने अभी इसकी लॉन्चिंग के बारे में कोई समय सीमा नहीं दी है। जुकरबर्ग का कहना है, ‘इस बारे में भारत में हमारा परीक्षण चल रहा है। परीक्षण से पता चलता है कि काफी लोग इसे इस्तेमाल करना चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि हम भारत में जल्द ही यह सर्विस शुरू कर देंगे।’
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‘वॉट्सऐप’ द्वारा किए गए इस खुलासे के बाद यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है
लोकसभा चुनावों के दौरान पत्रकारों की जासूसी को लेकर किए गए ‘वॉट्सऐप’ (Whatsapp) के खुलासे के बाद यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है। दरअसल, वॉट्सऐप ने खुलासा किया है कि 2019 के आम चुनावों के दौरान भारत में कई शिक्षाविदों, वकीलों, पत्रकारों और दलित कार्यकर्ताओं की जासूसी के लिए ‘पेगासस’ (PEGASUS) नामक इजरायली स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया था।
टोरंटों यूनिवर्सिटी की साइबर सिक्योरिटी लैब ‘सिटीजन लैब’ ने हैकिंग के इस मामले की जांच में वॉट्सऐप की मदद की थी। हालांकि, वॉट्सऐप ने उन लोगों के नाम और सटीक संख्या का खुलासा नहीं किया था, जिनके फोन की निगरानी की गई, लेकिन अब धीरे-धीरे यह नाम सामने आने लगे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जो लोग इस जासूसी का शिकार हुए, उनमें चौथी दुनिया के प्रधान संपादक संतोष भारतीय समेत चार पत्रकार भी शामिल थे।
यह भी पढ़ें: वॉट्सऐप का बड़ा खुलासा, लोकसभा चुनाव में इस तरह हुई पत्रकारों की जासूसी
समाचार4मीडिया डॉट कॉम से लोकसभा के पूर्व सांसद और वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय का कहना है कि उन्हें 28 को पहले एक विदेशी लगने वाले नंबर से फोन आया, पर संदिग्ध नंबर लगने की वजह से उन्होंने उसे नहीं उठाया। फिर उसके बाद उन्हें उसी नंबर से वॉट्सऐप मेसेज मिला था, जिसमें संभावित हैक के बारे में बताया गया था। संतोष भारतीय के अनुसार, सिटीजन लैब के सदस्य द्वारा भेजे गए संदेश को उन्होंने नजरअंदाज कर दिया था। उस समय उन्हें लगा था कि हैकर ने ये संदेश भेजा है। उन्हें ये मेसेज मिले थे
My name is John Scott-Railton, I am the Senior Researcher at the Citizen Lab at the University of Toronto in Canada. The Citizen Lab works on tracking internet threats against civil society.
I'm a little bit familiar with who you are, based on our research into an ongoing case, and this message concerns a specific cyber risk that we believe that you faced earlier this year
I encourage you to use google figure out more about me and the Citizen Lab if you are suspicious. Our website is www.citizenlab.ca and my official e-mail if you would like to verify that I am real is jsr@citizenlab.ca
We should set up a time to talk. Again I apologize for the strangeness of such a contact, and understand that it may make you suspicious of me. Unfortunately there is no better way to do this kind of thing. I am more than happy to help you verify my identity before we talk more, if you prefer.
संतोष भारतीय के अनुसार, ‘मैं कोई बड़ा पत्रकार नहीं हूं। फिर मुझे क्यों निशाना बनाया गया, यह मेरी समझ से परे है। मुझे लगता है कि शायद निष्पक्ष पत्रकारिता करने वालों को निशाना बनाया गया है।’
संतोष भारतीय की जासूसी की बात जब ट्विटर पर आई तो कई लोगों ने उन्हें एंटी नेशनल कह ट्रोल करना शुरू कर दिया, इस पर संतोष भारतीय कहते हैं कि अगर मैं एंटी नेशनल हूं तो फिर अजीत डोभाल, राजनाथ सिंह या फिर अमित शाह भी एंटी नेशनल है। मैंने भी इन्हीं सबकी तरह देश के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए काम किया है। जेपी के साथ दूसरी आजादी की लड़ाई लड़ी है। क्या आधार कार्ड, कश्मीर और लोकसभा चुनावों में मेरा द्वारा पत्रकारिता करते हुए सरकार पर सवाल उठाना एंटी नेशनल एक्टिविटी है? उन्होंने कहा कि मुझसे सरकार को क्या डर है, मैं तो अदना पत्रकार हूं।
संतोष भारतीय के अलावा जासूसी के शिकार हुए लोगों में बीबीसी के पूर्व पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी का नाम भी सामने आ रहा है। शुभ्रांशु चौधरी इन दिनों छत्तीसगढ़ में बतौर एक्टिविस्ट काम कर रहे हैं। ‘चौथी दुनिया’ की खबर के मुताबिक, सिटिजन लैब ने उन्हें भी इस जासूसी के बारे में जानकारी दी थी। शुभ्रांशु ने बताया कि चूंकि वे बस्तर में शांति बहाली की दिशा में जुटे हुए हैं, इसलिए उन्हें निशाना बनाया गया।
बताया जा रहा है कि ‘जी मीडिया’ के अंग्रेजी न्यूज चैनल विऑन (WION) में काम कर रहे पत्रकार सिद्धांत सिब्बल भी पेगासस ’नामक इस स्पाईवेयर का शिकार हुए हैं। वहीं, इस स्पाईवेयर का शिकार हुए लोगों में स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा का नाम भी सामने आ रहा है। राजीव शर्मा के अनुसार, इस बारे में सिटीजन लैब की ओर से उन्हें भी कुछ समय पूर्व फोन आया था। फोन करने वाले ने मार्च से मई के बीच उनका फोन सर्विलांस पर होने की जानकारी दी थी। राजीव शर्मा का यह भी कहना है कि सिटीजन लैब की ओर से उन्हें फोन बदलने का सुझाव भी दिया गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
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31 अक्टूबर को पूरे दिन थैंक यू अरुण पुरी के हैशटैग के साथ सैकड़ों ट्वीट किए गए, इनमें आजतक और इंडिया टुडे की आलोचना भी की गई
जिस वक्त देश सरदार पटेल की जयंती मना रहा था, उस वक्त ट्विटर पर एक और ट्रेंड बड़ी तेजी से चल रहा था और वह था #ThankYouAroonPurie। जो लोग नहीं जानते कि अरुण पुरी कौन हैं, वह जान लें कि आजतक, इंडिया टुडे समूह के वही सर्वेसर्वा हैं। ऐसे में लोग यह जरूर जानना चाहेंगे कि लोग उन्हें थैंक यू क्यों लिख रहे थे। यह बड़ा ही दिलचस्प मामला है। दरअसल, लोग उन्हें इसलिए थैंक यू लिख रहे थे, क्योंकि ट्वीट करने वाले लोगों के मुताबिक अरुण पुरी ने अपने चैनल ‘आजतक’ पर हिंदू-मुस्लिम की जो डिबेट होती हैं, उन्हें कम करने का फैसला लिया है।
31 अक्टूबर को पूरे दिन थैंक यू अरुण पुरी के हैशटैग के साथ सैकड़ों ट्वीट किए गए। इसके बहाने न केवल अरुण पूरी को थैंक यू कहा गया, बल्कि आजतक और इंडिया टुडे ग्रुप की आलोचना भी की गई कि वह हिंदू-मुस्लिम डिबेट को बढ़ावा देता है। ऐसे में बहुत से लोगों ने उनके कई राष्ट्रवादी मिजाज के एंकर्स को नौकरी से निकालने की शर्त रखते हुए कहा, ‘मैं तभी कहूंगा- थैंक यू अरुण पुरी।’
इस हैशटैग के साथ इंडिया टुडे पत्रिका के पूर्व संपादक दिलीप मंडल का एक ट्वीट भी वायरल हो रहा था, जो आजकल दलित विचारक के रूप में स्थापित हो चुके हैं और संघ-मोदी विरोधी के रूप में भी। उन्होंने इस हैशटैग के साथ कई ट्वीट किए। जिनमें से प्रमुख ट्वीट यह है- ‘देश के सबसे बड़े हिंदी न्यूज चैनल आजतक के मालिक अरुण पुरी ने खुद हस्तक्षेप करके आदेश दिया है कि चैनल पर हिंदू-मुस्लिम के भड़काऊ कार्यक्रम कम किए जाएं। इसका असर कल से दिखेगा, इस हैशटैग को चलाएं #ThankYouAroonPurie।’
'आज तक' पर अब दंगा कराने वाले कार्यक्रम कम होंगे. मालिक अरुण पुरी का आदेश है. जो एंकर नहीं मानेगा, वो किसी और चैनल पर जाकर दंगा कराने के लिए स्वतंत्र होगा.
— Prof. Dilip Mandal (@dilipmandal) October 30, 2019
सवाल उठता है कि आप 'आज तक' पर क्या देखना चाहेंगे. @aroonpurie को टैग करके बताएं. ये हाशटैग जरूर लगाएं. #Thankyouaroonpurie
दिलीप मंडल के ट्वीट के बाद इस हैशटैग पर तमाम ट्वीट्स होते रहे और इनमें कई राष्ट्रवादी छवि के एंकर्स को भी निशाने पर लिया गया। कई लोगों ने अरुण पुरी की तारीफ की तो कई लोगों ने आजतक, इंडिया टुडे ग्रुप की आलोचना भी की। ऐसे में यह पता नहीं चल पाया कि अरुण पुरी ने ऐसा कोई आदेश आजतक या इंडिया टुडे ग्रुप के किसी चैनल की एडिटोरियल टीम को दिया भी है या नहीं या केवल कयास के आधार पर ही दिलीप मंडल और बाकी लोग इस ट्वीट को कर रहे हैं।
यह भी हो सकता है कि दिलीप मंडल का एजेंडा ये साबित करने का हो कि आजतक पर हिंदू-मुस्लिम डिबेट को ही टीआरपी के लिए प्राथमिकता दी जाती है। इस मुद्दे पर अभी तक टीवी टुडे ग्रुप का कोई भी बयान नहीं आया है, अगर कुछ आता है तो आपको अपडेट जरूर करेंगे।
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ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने दी इस बारे में जानकारी, 15 नवंबर को पूरी पॉलिसी का किया जाएगा खुलासा
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ‘ट्विटर’ (Twitter) ने कहा है कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर 22 नवंबर से राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगा देगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने इसकी घोषणा की है। डोर्सी ने एक ट्वीट में कहा है, ‘हमने वैश्विक स्तर पर ट्विटर पर सभी राजनीतिक विज्ञापनों को रोकने का निर्णय लिया है। हमारा मानना है कि राजनीतिक संदेश लोगों तक अवश्य पहुंचना चाहिए, लेकिन उसे खरीदा नहीं जाना चाहिए। क्यों? ये हैं कुछ कारण।’
We’ve made the decision to stop all political advertising on Twitter globally. We believe political message reach should be earned, not bought. Why? A few reasons…?
— jack ??? (@jack) October 30, 2019
डोर्सी के अनुसार, ’एक राजनीतिक संदेश तब लोगों तक पहुंचता है, जब लोग किसी अकाउंट को फॉलो करते हैं या संदेश को रिट्वीट करते हैं। लेकिन विज्ञापन के कारण लोगों तक जबरन यह राजनीतिक संदेश पहुंचता है। हमारा मानना है कि इस निर्णय का पैसे को लेकर समझौता नहीं किया जाना चाहिए।‘ एक अन्य ट्वीट में डोर्सी का कहना है, ‘यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला नहीं है बल्कि यह राजनीतिक संदेश की पहुंच बढ़ाने के लिए भुगतान का मामला है।’ इस निर्णय के बारे में ट्विटर 15 नवंबर को अपनी पूरी पॉलिसी का खुलासा करेगा।
ट्विटर का यह कदम फेसबुक के सीईओ मार्ग जुकरबर्ग के उस निर्णय के विपरीत है, जिसमें जुकरबर्ग ने कहा है कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक नहीं लगाएंगे। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार एलिजाबेथ वॉरन फेसबुक पर झूठे राजनीतिक विज्ञापन चला रही हैं, ताकि यह उजागर किया जा सके कि यह प्लेटफॉर्म राजनेताओं को अपने मंच पर झूठ बोलने की कथित रूप से अनुमति कैसे देता है।
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फिलहाल वॉट्सऐप ने उन लोगों के नाम और सटीक संख्या का खुलासा नहीं किया है, जिनके फोन को ‘हाईजैक’ किया गया था
एक बेहद चौंकाने वाले खुलासे में वॉट्सऐप ने कथित तौर पर पुष्टि की है कि भारत में कई शिक्षाविदों, वकीलों, पत्रकारों और दलित कार्यकर्ताओं की जासूसी के लिए ‘पेगासस ’नामक इजरायली स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह जासूसी 2019 के आम चुनावों के दौरान की गई।
‘पेगासस’ इजरायल के एनएसओ ग्रुप द्वारा साइबर जासूसी के लिए विकसित किया गया है। हालांकि, वॉट्सऐप ने उन लोगों के नाम और सटीक संख्या का खुलासा नहीं किया है, जिनके फोन को हाईजैक किया गया था। कंपनी ने यह दावा जरूर किया है कि उसने संबंधित उपयोगकर्ताओं से संपर्क करके उन्हें सूचित कर दिया था कि उनके हैंडसेट की निगरानी की जा रही थी।
यह खबर फेसबुक के स्वामित्व वाले वॉट्सऐप द्वारा इजरायल स्थित कंपनी के खिलाफ अमेरिकी संघीय अदालत में मुकदमा दायर करने के कुछ ही दिनों बाद आई है। वॉट्सऐप ने आरोप लगाया है कि इजरायली समूह ने दुनिया भर में लगभग 1,400 वॉट्सऐप उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए ‘पेगासस’ स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया।
वॉट्सऐप ने अदालत को यह भी बताया कि ‘पेगासस’ सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल आईओएस, एंड्रॉयड और ब्लैकबेरी ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले स्मार्टफोन को हाईजैक करने के लिए किया गया था। सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी ने इस साल मई में अपने उपयोगकर्ताओं को ऐप को अपग्रेड करने के लिए कहा था, ताकि उस सुरक्षा संबंधी कमी को दूर किया जा सके जो ऐसे मेलवेयर को स्मार्टफोन में प्रवेश करने देती है, जिसका इस्तेमाल जासूसी के लिए किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि यह दुर्भावनापूर्ण कोड 29 अप्रैल से 10 मई तक वॉट्सऐप सर्वर के माध्यम से प्रसारित किया गया।
बताया जाता है कि ‘पेगासस’ एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाया गया एक वॉट्सऐप स्पाइवेयर है, जिसे हैंडसेट की जासूसी के लिए इस्तेमाल किया गया था। दावा किया गया है कि वॉट्सऐप पर मिस्ड विडियो कॉल से भी ‘पेगासस’ को उपयोगकर्ताओं के स्मार्टफोन तक पहुंच मिल सकती है। इतना ही नहीं, मिस्ड विडियो कॉल से ऑपरेटर स्मार्टफोन मालिक की जानकारी के बिना उसका फोन खोल सकता है और स्पाइवेयर इंस्टॉल कर सकता है।
पेगासस के चलते हैकर ने उपयोगकर्ता के पासवर्ड, संपर्क, कैलेंडर ईवेंट, टेक्स्ट संदेश और यहां तक कि मैसेजिंग ऐप्स पर वॉयस कॉल सहित सभी डेटा को एक्सेस किया। रिपोर्टों के अनुसार, एनएसओ समूह का दावा है कि उसने ‘पेगासस’ को केवल सरकारी एजेंसियों को बेचा है और यह मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों सहित किसी की जासूसी के लिए डिजायन नहीं किया गया है।
वॉट्सऐप द्वारा किए गए खुलासे के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से तत्काल इस मामले पर संज्ञान लेते हुए सरकार को इस संबंध में जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया है।
Right to privacy is being blatantly attacked under BJP rule. When they failed to pass laws to snoop on citizens, the next step was to allow secret spying on Indians. The govt. must be held accountable for its actions. https://t.co/koxymQRMy9
— Congress (@INCIndia) October 31, 2019
वहीं, इस खुलासे के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि सरकार वॉट्सऐप के द्वारा नागरिकों की निजता के उल्लंघन को लेकर चिंतित है। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा कि सरकार ने इस मामले में वॉट्सऐप से जवाब मांगा है कि वह किस तरह की सुरक्षा देते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय ने सक्रियता दिखाते हुए वॉट्सऐप से जवाब मांगा है। वॉट्सऐप को जवाब देने के लिए चार नवंबर तक का समय दिया गया है।
रविशंकर द्वारा किए गए ट्वीट को आप यहां पढ़ सकते हैं।
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