मुंबई में भारी बारिश : रजत शर्मा ने उठाये ये बड़े सवाल

BMC का इस साल का बजट लगभग 75 हज़ार करोड़ रुपये है, जो कि सिक्किम, मिज़ोरम, मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड—इन पाँचों पूर्वोत्तर राज्यों के संयुक्त वार्षिक बजट से भी ज़्यादा है।

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Tuesday, 19 August, 2025
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मुंबई में पिछले 2–3 दिनों से हो रही भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। शहर में महज़ 6–8 घंटों में 177 मिमी और तीन दिनों में लगभग 550 मिमी बारिश दर्ज हुई, जिससे कई इलाकों में पानी भर गया है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय दी। उन्होंने लिखा, हर साल जब मुंबई में बारिश होती है, तो वही पुराना नज़ारा दोहराया जाता है। सड़कों पर, गलियों में और घरों तक पानी भर जाता है। लोग परेशान होते हैं, मुश्किलें झेलते हैं, लेकिन अब तो मानो उन्होंने इसे अपनी ज़िंदगी का 'नॉर्मल' हिस्सा मान लिया है।

सोचिए, ऐसा नहीं है कि मुंबई में पानी निकालने के लिए नालियां नहीं बनीं। शहर में लगभग 2000 किलोमीटर लंबे सतही नाले हैं, अंग्रेज़ों के ज़माने से चले आ रहे 440 किलोमीटर लंबे भूमिगत नाले हैं, इसके अलावा 269 किलोमीटर बड़े नाले और 87 किलोमीटर छोटे नाले फैले हुए हैं। फिर भी, ज़रा सी ज़्यादा बारिश होते ही ये पूरा सिस्टम फेल हो जाता है।

पैसे की भी कोई कमी नहीं है। BMC का इस साल का बजट लगभग 75 हज़ार करोड़ रुपये है, जो कि सिक्किम, मिज़ोरम, मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड—इन पाँचों पूर्वोत्तर राज्यों के संयुक्त वार्षिक बजट से भी ज़्यादा है। पिछले कई वर्षों में 'फ्लड कंट्रोल' और 'वॉटर लॉगिंग रोकने' के नाम पर हज़ारों करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन हालात वही के वही हैं। लगता है जैसे वह सारा पैसा पानी बनकर मुंबई की सड़कों पर उतर आया हो। नतीजा यह है कि हर साल बरसात आते ही स्कूल बंद, कॉलेज बंद, ट्रेनें रुकी हुईं, बसें ठप, और लोगों से कहा जाता है कि घर से बाहर न निकलें।

लेकिन सवाल यह है कि जब BMC खुद मान लेती है कि वह कुछ नहीं कर सकती, तो फिर इतना बड़ा बजट किस काम का? और फिर भी, अगर आप कभी मुंबई बरसात के मौसम में देखें, तो वहां के लोगों का जज़्बा आपको हैरान कर देगा। भारी बारिश, घुटनों तक पानी, रुकी हुई ट्रेनें, जाम हुई सड़कें, फिर भी मुंबईकर हिम्मत नहीं हारते। किसी तरह काम पर निकलते हैं, ज़िम्मेदारियाँ निभाते हैं। आखिर उनका गुनाह क्या है? उन्हें हर साल किस बात की सज़ा दी जाती है? क्या BMC इसका जवाब देगी?

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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने किया 'तन समर्पित, मन समर्पित' पुस्तक का भव्य लोकार्पण

डॉ. मोहन भागवत ने रमेश जी के प्रेरणादायक गुणों पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि कैसे उनके जीवन में त्याग, अनुशासन के प्रति अथक प्रतिबद्धता के आदर्श प्रतिबिम्बित हुए।

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Tuesday, 19 August, 2025
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नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में स्वर्गीय रमेश प्रकाश के जीवन और योगदान को समर्पित उनकी जीवनी प्रधान पुस्तक "तन समर्पित, मन समर्पित" का अत्यंत ही मार्मिक और प्रेरक लोकार्पण हुआ। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी, दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता जी, इंडिया टुडे समूह की अध्यक्ष श्रीमती कली पुरी जी और स्वर्गीय रमेश प्रकाश की पत्नी श्रीमती आशा शर्मा जी की गरिमामयी उपस्थिति ने इस अवसर को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया, क्योंकि प्रत्येक ने रमेश जी की असाधारण जीवन-यात्रा को प्रतिबिंबित किया, जिसमें समाज कल्याण के प्रति उनके समर्पण, उनकी अटूट सेवा भावना और राष्ट्र के प्रति उनके अटूट प्रेम का जश्न मनाया गया।

सभा को संबोधित करते हुए, डॉ. मोहन भागवत ने रमेश जी के प्रेरणादायक गुणों पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि कैसे उनके जीवन में त्याग, अनुशासन और सामाजिक सद्भाव के प्रति अथक प्रतिबद्धता के आदर्श प्रतिबिम्बित हुए। एक समर्पित कार्यकर्ता की पहचान उपाधियों, धन या सार्वजनिक प्रशंसा से नहीं, बल्कि आंतरिक अनुशासन, विनम्रता और व्यापक हित के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता से होती है। ऐसा व्यक्ति शांत, त्याग की भावना से परिपूर्ण होता है, हमेशा ज़िम्मेदारियों को निभाने के लिए तत्पर रहता है, कभी भी पहचान की चाह नहीं रखता, और हमेशा अपने उदाहरण से दूसरों को प्रेरित करता रहता है। रमेश जी इन गुणों के प्रतीक थे। उनकी सबसे बड़ी शिक्षाओं में से एक थी - राष्ट्र सेवा पारिवारिक ज़िम्मेदारियों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए।

गृहस्थ आश्रम के ढांचे के भीतर, उन्होंने हमें दिखाया कि कैसे परिवार का पालन-पोषण प्रेम और जिम्मेदारी से किया जा सकता है, और साथ ही, उसी भावना को समाज और राष्ट्र तक भी पहुँचाया जा सकता है। व्यक्तिगत कर्तव्यों को जनसेवा के साथ सामंजस्य बिठाकर, उन्होंने प्रदर्शित किया कि दोनों अलग नहीं, बल्कि पूरक हैं। डॉ. भागवत ने प्रकाश जी की असाधारण सादगी और समर्पण पर भी विचार किया, और इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसे व्यक्तित्व समाज के नैतिक ताने-बाने को मज़बूत करते हैं और बिना किसी पहचान या सामाजिक प्रतिष्ठा की लालसा के, रमेश जी ने राष्ट्र और उसके लोगों के कल्याण के लिए निरंतर परिश्रम किया, और अपने आदर्श की शांत उदात्तता से सभी को प्रेरित किया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान की सराहना की और इस बात पर ज़ोर दिया कि कैसे उनके मूल्य समाज की सेवा में पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।

भारत के बौद्धिक और मीडिया जगत की ओर से बोलते हुए, श्रीमती कली पुरी ने इस पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि यह राष्ट्र निर्माण में व्यक्तिगत त्याग के महत्त्व की समयोचित याद दिलाती है और पंच परिवर्तन के विचार के महत्त्व पर भी प्रकाश डालती है। यह पुस्तक रमेश प्रकाश जी की अथक यात्रा को दर्शाती है, जिनका जीवन निस्वार्थ सेवा, सामाजिक कल्याण और राष्ट्रीय उत्थान के लिए समर्पित था। सुरुचि प्रकाशन से सद्य: प्रकाशित यह पुस्तक रमेश प्रकाश जी की अथक जीवन-यात्रा को प्रकाशित करती है। एक ऐसा जीवन जो अनवरत निस्वार्थ सेवा, समाज कल्याण और राष्ट्र उत्थान के लिए समर्पित रहा।

प्रकाश जी सत्यनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ, अनुशासित तो थे ही, वे त्याग और देशभक्ति के उन आदर्शों के प्रतीक थे, जिन्हें आरएसएस ने सदैव पोषित किया है। सामुदायिक विकास और युवा लामबंदी से लेकर सांस्कृतिक संरक्षण और राष्ट्र निर्माण के प्रयासों तक, उनका कार्य पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। श्री सुमित मलुजा जी ने कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया और कहा- राष्ट्र के उत्थान और परम वैभव को अपने आचरण में उतार कर रमेश प्रकाश जी अमर हो गए।

इस कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता और रमेश जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरित-प्रभावित प्रशंसकों ने शिरकत की तथा राष्ट्र एवं समाज कल्याण के प्रति उनके सरल, विनम्र एवं पूर्णतः समर्पित जीवन को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही काफी बड़ी संख्या में विद्वान, साहित्यकार, पत्रकार, शोधार्थी, विद्यार्थी भी उपस्थित रहे। इतनी भारी संख्या के बीच "तन समर्पित, मन समर्पित" का लोकार्पण उसकी इस महत्ता को दर्शाता है कि यह केवल साहित्यिक अवसर मात्र नहीं, बल्कि जीवन-मूल्यों का उत्सव भी था, जिसने समस्त उपस्थित जनों को पुनः स्मरण कराया कि सेवा का सार राष्ट्र और उसकी जनता के प्रति अटूट समर्पण में सन्निहित है। सुरुचि प्रकाशन के श्री रजनीश जिंदल जी ने सभागार में उपस्थित सभी जनों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया तथा वंदे मातरम् गीत से कार्यक्रम का समापन हुआ।

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क्या सी.पी. राधाकृष्णन का विरोध कर पाएगी डीएमके: राजदीप सरदेसाई

एनडीए का यह फैसला राजनीतिक तौर पर रणनीतिक माना जा रहा है, क्योंकि तमिलनाडु में बीजेपी लंबे समय से अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

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Monday, 18 August, 2025
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एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। राधाकृष्णन अपनी साफ-सुथरी और गैर-विवादास्पद छवि के लिए जाने जाते हैं और तमिलनाडु के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।

उन्होंने लिखा, एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को चुनकर एक दिलचस्प फैसला लिया है। तमिलनाडु से आने वाले इस बीजेपी के वरिष्ठ नेता और आरएसएस के पसंदीदा चेहरे को चुनना राजनीतिक तौर पर प्रतीकात्मक है, क्योंकि यह वही राज्य है जहाँ बीजेपी अब तक मज़बूती से अपनी पकड़ नहीं बना पाई है और जहाँ आठ महीने बाद चुनाव होने वाले हैं।

क्या डीएमके उनके विरोध का जोखिम उठा पाएगी? क्या विपक्ष ऐसा मज़बूत उम्मीदवार ला पाएगा जो इस चुनाव में उन्हें वास्तविक चुनौती दे सके, जबकि हार लगभग तय मानी जा रही है? या फिर यह चुनाव बिना किसी टक्कर के हो जाएगा? और क्या हमें एक ऐसा उपराष्ट्रपति मिलेगा जो ‘रूल-बुक’ के हिसाब से काम करेगा न कि राजनीतिक प्लेबुक के हिसाब से? और आख़िरी सवाल: श्री धनखड़ कहाँ हैं?

आपको बता दें, एनडीए का यह फैसला राजनीतिक तौर पर रणनीतिक माना जा रहा है, क्योंकि तमिलनाडु में बीजेपी लंबे समय से अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। उनकी आरएसएस से जुड़ाव और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ अच्छे संबंधों को भी उनकी बड़ी ताकत माना जा रहा है।

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कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का चुनाव सामान्य प्रक्रिया : अखिलेश शर्मा

बीजेपी के कुछ सांसदों और पूर्व सांसदों ने खुले तौर पर या चुपके से बालियान का समर्थन किया, जो रूडी के लंबे समय तक पद पर बने रहने से असंतुष्ट थे। यह बीजेपी के भीतर आंतरिक असंतोष को दर्शाता है।

Last Modified:
Thursday, 14 August, 2025
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दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया (CCI) के हालिया चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दो वरिष्ठ नेताओं, राजीव प्रताप रूडी और संजीव बालियान, के बीच तीखी टक्कर देखने को मिली। कुछ लोगों के मुताबिक इस चुनाव ने बीजेपी के आंतरिक टकराव को उजागर किया। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।

उन्होंने लिखा, दिल्ली के कॉंस्टीट्यूशनल क्लब के चुनाव में बीजेपी के दो नेताओं की टक्कर और उसके परिणाम में ज़्यादा कुछ पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। यह लड़ाई केवल इस क्लब में लंबे समय से चली आ रही एक व्यवस्था के परिवर्तन के लिए लड़ी गई थी। दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में ऐसे कई क्लब हैं जहाँ पार्टी-पॉलिटिक्स से ऊपर उठ कर आपसी सहमति से लंबे समय से काम चलता आ रहा है।

यह चुनाव केवल इसी आपसी सहमति को चोट पहुँचाने के लिए लड़ा गया था। आपको बता दें, बिहार के सारण से पांच बार के लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री। रूडी पिछले 25 वर्षों से क्लब के सचिव (प्रशासन) रहे हैं और उन्होंने क्लब में कई आधुनिक सुविधाओं का विकास किया।

सूत्रों के अनुसार, बीजेपी के कुछ सांसदों और पूर्व सांसदों ने खुले तौर पर या चुपके से बालियान का समर्थन किया, जो रूडी के लंबे समय तक पद पर बने रहने से असंतुष्ट थे। यह बीजेपी के भीतर आंतरिक असंतोष को दर्शाता है।

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जनता से झूठ बोलते हैं विपक्ष और राहुल गांधी : डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

इंडी गठबंधन का दावा है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग कर मतदाताओं, खासकर समाज के कमजोर वर्गों, के नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हो रही है

Last Modified:
Thursday, 14 August, 2025
sir in bihar

इंडी गठबंधन और राहुल गांधी S.I.R. को लेकर सक्रिय रूप से विरोध प्रदर्शन और रणनीति बना रहे हैं। उनकी मुख्य मांग चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। दूसरी ओर, बीजेपी इसे संवैधानिक प्रक्रिया बताकर विपक्ष के आरोपों को खारिज कर रही है। यह मुद्दा बिहार सहित पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।

इस बीच बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने एक टीवी डिबेट में अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा, S.I.R को लेकर इंडी गठबंधन के लोग और राहुल गांधी बड़ी-बड़ी बातें तो कर रहे हैं, लेकिन एक भी आपत्ति इनकी पार्टियों की ओर से दर्ज नहीं की गई है।

चुनाव आयोग को ऑफिशियली ये लोग आपत्ति दर्ज नहीं करेंगे, केवल मीडिया में बयान देंगे पर आयोग से जवाब ऑफिशियल चाहिए। सोचिये जनता को कैसी टोपी पहनाने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव आयोग से आधिकारिक रूप से नियमानुसार आप लिखित में पूछेंगे नहीं, क्योंकि वह ग़लत होने पर आपको उसमें सजा होने और सदस्यता जाने का भी खतरा है।

ये सिर्फ चुनाव की हार-जीत का मुद्दा नहीं है, ये देश में घुसपैठियों के दम पर सत्ता कब्जाने का मुद्दा है और यह एक तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा का भी मुद्दा है। आपको बता दें, S.I.R. (Special Intensive Revision) मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य वोटर लिस्ट को अपडेट और सटीक करना है।

हालांकि, इंडी गठबंधन का दावा है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग कर मतदाताओं, खासकर समाज के कमजोर वर्गों, के नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हो रही है।

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आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सराहनीय: मानक गुप्ता

सड़क पर घूमते आवारा जानवर न तो हमारी संस्कृति का सम्मान करते हैं, न विरासत का, और न ही इंसानियत का परिचय देते हैं। ये केवल अराजकता, असभ्यता और असुरक्षा का संकेत हैं।

Last Modified:
Wednesday, 13 August, 2025
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखने और नसबंदी करने का आदेश दिया है। लेकिन इस फैसले पर विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पशु अधिकार संगठन PETA इंडिया ने इसे अमानवीय बताया है। उनका मानना है कि कुत्तों के लिए वैक्सीनेशन और नसबंदी बेहतर विकल्प हैं।

इस बीच टीवी एंकर और पत्रकार मानक गुप्ता ने भी इस मामले पर अपनी राय दी। उन्होंने एक्स पर लिखा, आवारा कुत्तों जैसा आदेश सभी आवारा पशुओं पर भी लागू होना चाहिए। हर तरह के आवारा जानवर लोगों की जान के लिए खतरा बने हुए हैं। आए दिन कहीं न कहीं उनका कोई नया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता है।

सड़क पर घूमते आवारा जानवर न तो हमारी संस्कृति का सम्मान करते हैं, न विरासत का, और न ही इंसानियत का परिचय देते हैं। ये केवल अराजकता, असभ्यता और असुरक्षा का संकेत हैं। इसलिए आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही दिशा में उठाया गया पहला कदम है। अब इसे रोकना नहीं चाहिए, बल्कि पूरे देश में सभी आवारा पशुओं पर यह आदेश लागू होना चाहिए।

आपको बता दें, कुछ लोग बढ़ते कुत्तों के हमलों और रेबीज के मामलों के कारण इस आदेश का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन शेल्टर होम की कमी को बड़ी चुनौती मानते हैं। मामला विवादास्पद बना हुआ है और सभी पक्ष इसे लेकर सक्रिय हैं।

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पीएम मोदी-ट्रंप दोस्ती की संभावना अब शून्य: हर्षवर्धन त्रिपाठी

अप्रैल में ट्रंप द्वारा वैश्विक स्तर पर टैरिफ लगाए जाने के बाद अमेरिका और चीन टैरिफ युद्ध में फंस गए थे। दोनों देशों ने एक-दूसरे के निर्यात पर भारी टैरिफ लगाए, जो तीन अंकों तक पहुंच गया था।

Last Modified:
Wednesday, 13 August, 2025
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए गए टैरिफ की अवधि को फिर से 90 दिन यानी नवंबर तक बढ़ा दिया है। इससे अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक रिश्ते फिलहाल स्थिर बने रहेंगे। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।

उन्होंने लिखा, यह एकदम स्पष्ट हो चला है कि, मोदी और ट्रंप में दोस्ती की स्थिति बनने की संभावना लगभग शून्य हो गई है। ट्रंप की लड़ाई अब सिर्फ और सिर्फ भारत से है। ट्रंप की इस तरह की हरकतों को चीन कैसे देख रहा है, इसका ठीक अनुमान अभी नहीं लग रहा है।

भारत के लिए कठिन समय है, लेकिन नेतृत्व की असली पहचान कठिन समय में ही होती है। हम भारत के लोग सामान्य स्थिति में औसत प्रदर्शन ही करते हैं। धकेले जाने पर श्रेष्ठ प्रदर्शन। बिना किसी आधार के ट्रंप हमारे देश के साथ जो कर रहे हैं, उसमें हमारे पास सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है।

आपको बता दें, अप्रैल में ट्रंप द्वारा वैश्विक स्तर पर टैरिफ लगाए जाने के बाद अमेरिका और चीन टैरिफ युद्ध में फंस गए थे। दोनों देशों ने एक-दूसरे के निर्यात पर भारी टैरिफ लगाए, जो तीन अंकों तक पहुंच गया था।

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सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का 'PETA' ने किया विरोध : सुमित अवस्थी ने कही ये बड़ी बात

सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों में शेल्टर भेजने के आदेश को PETA इंडिया ने 'अव्यावहारिक, तर्कहीन और अवैध' बताते हुए विरोध किया।

Last Modified:
Tuesday, 12 August, 2025
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दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों के भीतर शेल्टर में भेजने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर PETA इंडिया ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे 'अव्यावहारिक, तर्कहीन और अवैध' करार दिया। संगठन का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से न केवल कुत्तों, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी अराजकता और परेशानी बढ़ेगी।

इस आदेश के विरोध में इंडिया गेट पर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और रेस्क्यू संगठनों ने प्रदर्शन किया, जिसमें कई लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया। इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर सवाल उठाते हुए लिखा कि जब कोई आवारा कुत्ता राह चलते किसी बच्चे या व्यक्ति पर हमला करता है, तब क्या 'PETA' के सदस्य पीड़ित की मदद के लिए आगे आते हैं?

क्या वे घायल के इलाज में सहयोग करते हैं या यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम उठाते हैं कि ये खुले घूमते कुत्ते न किसी को काटें और न डराएं-जैसे उनके लिए कोई विशेष प्रशिक्षण या नियंत्रण व्यवस्था? वहीं, कई पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि अदालत का यह निर्देश दिल्ली सरकार और नगर निकायों के लिए अब तक के सबसे प्रतिगामी फैसलों में से एक है, जिससे कुत्तों को खाना खिलाने वालों से लेकर पशु प्रेमियों तक सभी में डर और असमंजस का माहौल बन गया है।

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क्या दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी कर्नाटक सरकार : अजय कुमार

कर्नाटक में जब कांग्रेस की ही सरकार है, तो क्या वह दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं कर सकती और आखिर किसका इंतज़ार कर रही है। जवाब दें, राहुल गांधी जी।

Last Modified:
Tuesday, 12 August, 2025
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सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोला है। अखिलेश यादव ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। उम्मीद है कांग्रेस पार्टी उन तमाम अधिकारियों के खिलाफ जो वोट चोरी में शामिल रहे है, कार्रवाई करेगी। इस बयान के बाद वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।

उन्होंने लिखा, विपक्ष के नेताओं की लंबी फ़ेहरिस्त में अखिलेश यादव की लाजवाब राजनीतिक सूझबूझ और चपलता उनकी अलग पहचान बन चुकी है। चाहे चुनाव आयोग के विरोध में सड़कों पर उतरकर हस्ताक्षर अभियान चलाना हो, बैरिकेड फांदना, हिरासत में लिया जाना हो या कांग्रेस को सीधे कटघरे में खड़ा करना।

हाल ही में उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर तीखा वार करते हुए कहा कि अगर उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार होती और अधिकारी-कर्मचारी चुनाव आयोग के साथ मिलकर वोट चोरी में शामिल पाए जाते, तो हम तुरंत कार्रवाई करते। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, उन्हें भी यही करना चाहिए।

यह बयान बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट पर 1,00,000 से अधिक वोट चोरी के गंभीर आरोपों के बीच आया है, जो राहुल गांधी ने लगाए हैं। सवाल यह है कि कर्नाटक में जब कांग्रेस की ही सरकार है, तो क्या वह दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं कर सकती और आखिर किसका इंतज़ार कर रही है। जवाब दें, राहुल गांधी जी, क्या आप दे पाएंगे? वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि बिहार में जनता भाजपा के खिलाफ वोट न डाल सके, इसलिए भाजपा जनता से वोट देने का अधिकार छीनना चाहती है।

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चुनाव आयोग को अब सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए : राजीव सचान

मीडिया द्वारा पूछे गए एक सवाल कि चुनाव आयोग ने आपको नोटिस का जवाब देने को कहा है, लेकिन आप जवाब नहीं दे रहे, पर राहुल गांधी ने कहा, ये चुनाव आयोग का डेटा है, मेरा डेटा थोड़ी है जो मैं साइन करूं।

Last Modified:
Tuesday, 12 August, 2025
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बिहार में मतदाता सूची संशोधन और कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ सोमवार को विपक्षी सांसदों ने संसद से चुनाव आयोग तक मार्च निकालने की कोशिश की। इस मार्च में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई विपक्षी दलों के सांसद शामिल थे। हालांकि, पुलिस ने बीच रास्ते में सभी को रोककर हिरासत में ले लिया।

इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि मतदाता सूची के सत्यापन को लेकर हो रहे इस पूरे विवाद की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट पर भी है। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने सत्यापन प्रक्रिया को मंजूरी तो दे दी, लेकिन अब भी इस मामले की सुनवाई जारी है। ऐसे में, तस्वीर साफ करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट की ही है और चुनाव आयोग को इस मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए।

वहीं, राहुल गांधी ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर अडिग हैं, जबकि चुनाव आयोग उनके आरोपों को बेबुनियाद बता रहा है। मीडिया द्वारा पूछे गए एक सवाल कि चुनाव आयोग ने आपको नोटिस का जवाब देने को कहा है, लेकिन आप जवाब नहीं दे रहे, पर राहुल गांधी ने कहा, ये चुनाव आयोग का डेटा है, मेरा डेटा थोड़ी है जो मैं साइन करूं।

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वायुसेना प्रमुख का बयान अमेरिका को अप्रत्यक्ष संदेश : भूपेंद्र चौबे

यह बात अमेरिकी लड़ाकू विमान बनाने वाले उद्योग को बिल्कुल पसंद नहीं आएगी, क्योंकि इससे उनकी अंतरराष्ट्रीय साख और भविष्य के सौदों पर असर पड़ सकता है।

Last Modified:
Monday, 11 August, 2025
bhupendra

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने खुलासा किया है कि मई 2025 में भारत ने पाकिस्तान के छह सैन्य विमानों को मार गिराया था। इनमें पाँच लड़ाकू विमान और एक बड़ा सर्विलांस विमान शामिल था। सबसे अहम बात यह रही कि इन विमानों में अमेरिकी निर्मित एफ-16 भी थे।

उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र चौबे ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, वायुसेना प्रमुख का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि हमारी टीमों ने पाकिस्तान को मात दी है, सिर्फ पाकिस्तान को संदेश देने के लिए नहीं है। यह अमेरिका को भी अप्रत्यक्ष संदेश है। पाकिस्तान के जिन विमानों को हमने मार गिराया, वे अमेरिकी एफ-16 थे। और यह काम हमने रूसी, फ्रांसीसी और स्वदेशी हथियारों के मिश्रण से किया।

इसका मतलब है कि अमेरिकी तकनीक से लैस विमान भी हमारी विविध और गैर-अमेरिकी हथियार प्रणाली के आगे टिक नहीं पाए। यह बात अमेरिकी लड़ाकू विमान बनाने वाले उद्योग को बिल्कुल पसंद नहीं आएगी, क्योंकि इससे उनकी अंतरराष्ट्रीय साख और भविष्य के सौदों पर असर पड़ सकता है। यानी यहां सैन्य ताकत दिखाने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीति और रक्षा बाज़ार की रणनीति, तीनों चीज़ें आपस में बड़ी चतुराई से जोड़ी गई हैं।

आपको बता दें, विशेषज्ञों का मानना है कि वायुसेना प्रमुख का यह बयान केवल पाकिस्तान को चेतावनी नहीं, बल्कि अमेरिका को भी संदेश है कि उसकी तकनीक भारत की बहु-स्रोत रक्षा प्रणाली के सामने कमजोर पड़ सकती है। इससे अमेरिकी रक्षा उद्योग की अंतरराष्ट्रीय साख और सौदों पर असर पड़ सकता है।

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