सोशल मीडिया कंपनी ‘फेसबुक इंडिया’ (Facebook India) की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
सोशल मीडिया कंपनी ‘फेसबुक इंडिया’ (Facebook India) की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी के अनुसार, उन्होंने जन सेवा में अपनी रुचि के अनुसार काम करने के लिए यह कदम उठाया है।
अपने इस कदम के बारे में अंखी दास ने कहा, ‘मैंने फेसबुक से इस्तीफा देने का निर्णय किया है ताकि जन सेवा में अपनी व्यक्तिगत रूचि के अनुसार काम कर सकूं। वर्ष 2011 में जब मैंने फेसबुक जॉइन किया था, तब देश में इंटरनेट का विकास काफी कम था और मैं सोचती थी कि सामाजिक और आर्थिक विषमता को कैसे दूर किया जाए। देश के लोगों को जोड़ने के अपने मिशन और उद्देश्य के तहत उस समय हम एक छोटा सा स्टार्टअप थे। नौ साल के लंबे समय के बाद मुझे लगता है कि यह मिशन काफी हद तक पूरा हो चुका है।’
वहीं, दास के इस निर्णय के बारे में ‘फेसबुक इंडिया’ के हेड अजीत मोहन ने कहा, ‘अंखी दास ने फेसबुक में अपने पद से हटने का निर्णय किया है। उन्होंने जन सेवा में अपनी रुचि के अनुसार काम करने के लिये यह कदम उठाया है। अंखी हमारे उन पुराने कर्मचारियों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत में कंपनी को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। वह पिछले नौ साल से अधिक समय से अपनी सेवा दे रही थीं। वह पिछले दो साल से मेरी टीम का हिस्सा थी। उन्हें जो भूमिका दी गई थी, उसमें उन्होंने शानदार योगदान दिया। हम उनकी सेवा के आभारी हैं और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं।’
गौरतलब है कि पिछले दिनों ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ में फेसबुक हेट-स्पीच रूल्स कोलाइड विद इंडियन पॉलिटिक्स शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट के बाद भारत में सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। अमेरिकी अखबार की इस रिपोर्ट में अंखी दास का जिक्र करते हुए कहा था कि फेसबुक भारत में बीजेपी नेताओं के हेट स्पीच के मामलों में नियम में ढील बरतता है। इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने बीजेपी-आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा था कि फेसबुक और वॉट्सऐप इनके कब्जे में हैं, जिसके जरिये ये नफरत और फेक न्यूज फैलाते हैं।
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एमेजॉन इंडिया की क्रिएटिव हेड अपर्णा पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दरअसल, शुक्रवार को कोर्ट ने वेब सीरीज ‘तांडव’ मामले में पुलिस केस का सामना कर रहीं अपर्णा पुरोहित को गिरफ्तारी से सुरक्षा दी है और कहा है कि पुरोहित को गिरफ्तार न किया जाए।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान OTT प्लेटफॉर्म के लिए लाई गई केंद्र की गाइडलाइंस पर भी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया, डिजिलटल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म के लिए लाए गए केंद्र के नए नियमों में पर्याप्त दम नहीं है और इससे प्रॉसिक्यूशन की शक्ति भी नहीं मिल जाती है।
बता दें कि अपर्णा पुरोहित की इलाहाबाद हाई कोर्ट में डाली गई अग्रिम जमानत की याचिका को कोर्ट ने 25 फरवरी को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इस मामले में गुरुवार को भी सुनवाई हुई थी।
अपर्णा पुरोहित का केस लड़ रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने उनके बचाव में कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए बनाए गए रेगुलेशन अभी हाल ही में आए हैं, ऐसे में वे उन रेगुलेशन को जल्द ही देखेंगे। उन्होंने अर्पिता के बचाव में यह भी कहा कि वह एमेजॉन की एक कर्मचारी हैं। ऐसे में कार्रवाई उनके खिलाफ होनी चाहिए जिन्होंने वेब सीरीज बनाई है।
कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि सोशल मीडिया पर नियंत्रण करने के लिए कोई मैकेनिज्म नहीं है। बिना किसी कानून के आप (सरकार) इस पर कंट्रोल नहीं कर सकते। कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई में कहा था कि ऐसे प्लेटफॉर्म्स की स्क्रीनिंग की जरूरत है क्योंकि अधिकतर प्लेटफॉर्म कभी-कभी पॉर्नोग्राफिक कॉन्टेंट भी दिखाते हैं।
बता दें कि विवादास्पद वेब सीरीज 'तांडव' में हिंदू देवी-देवताओं के प्रति कथित आपत्तिजनक कंटेंट डाले जाने के आरोप में लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में भी अपर्णा पुरोहित के साथ-साथ सीरीज के निर्देशक अली अब्बास, निर्माता हिमांशु कृष्ण मेहरा और लेखक गौरव सोलंकी तथा अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इन पर हिंदू देवी-देवताओं की छवि खराब करने का आरोप है। साथ ही आरोप लगाया गया है कि पीएम के किरदार को प्रतिकूल तरीके से दिखाया गया है। इसके बाद अपर्णा ने लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में अपना बयान दर्ज कराया था, फिर उन्होंने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका डाली थी।
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ऑस्ट्रेेलिया में सरकार के साथ टकराव बढ़ने के बाद सोशल साइट फेसबुक ने पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया में अपने प्लेटफॉर्म पर न्यूज देखने और शेयर करने पर रोक लगा दी थी।
ऑस्ट्रेलिया सरकार के साथ समझौता होने के बाद दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक वहां अपने प्लेटफॉर्म पर न्यूज देखने और शेयर करने पर लगाई रोक हटाने के लिए तैयार हो गई है। इस पूरे मामले पर फेसबुक का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार प्रस्तावित मीडिया लॉ में संशोधन के लिए राजी हो गई है। इसके बाद उसने ये फैसला किया है।
दरअसल ये पूरा विवाद तब शुरू हुआ, जब अस्ट्रेलिया की सरकार ने देश में एक मीडिया कोड लागू करने की घोषणा की। इस मीडिया कोड को वहां न्यूज मीडिया बार्गेनिंग कोड नाम दिया गया है। इस कोड के तहत कोई भी सोशल मीडिया कंपनी और टेक्नोलॉजी फर्म अपने प्लेटफॉर्म अगर कोई न्यूज लिंक दिखाती है या इस्तेमाल करती है, तो उसके लिए कंपनी को संबंधित मीडिया पब्लिशर को उसके लिए भुगतान करना होगा।
पिछले दिनों इस पर विवाद तब और बढ़ गया जब सरकार ने फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों को इस कोड के अंतर्गत लाने का फैसला किया। इसके बाद ही फेसबुक ने विरोध में पिछले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया में न्यूजफीड से समाचारों को ब्लॉक कर दिया था।
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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राम माधव का कहना है कि सरकार सोशल मीडिया को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने पर काम कर रही है। अपनी नई किताब ‘बिकॉज इंडिया कम्स फर्स्ट’ (Because India Comes First) के विमोचन के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में राम माधव ने यह बात कही।
‘प्रभा खेतान फाउंडेशन’ (Prabha Khaitan Foundation) की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में राम माधव ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया इतना शक्तिशाली हो गया है कि यह सरकारों को भी गिरा सकता है, अराजकता को बढ़ावा दे सकता है और लोकतंत्र को कमजोर कर सकता है, लेकिन उसे रेगुलेट करना मुश्किल है, क्योंकि यह सीमाओं से परे है।’ उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून इससे निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, इसलिए सरकार इसे रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने की दिशा में काम कर रही है।
बता दें कि किसान आंदोलन को लेकर ट्विटर द्वारा कुछ अकाउंट् बंद किए जाने को लेकर काफी विवाद छिड़ा हुआ है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारतीय कानूनों का पालन करने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट को नोटिस भी जारी किया था।
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लाइव रिपोर्टिंग के दौरान कई बार ऐसे वाक्ये देखने को मिले हैं, जो हैरान कर देने वाले होते हैं। ऐसे ही एक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे लाइव रिपोर्टिंग करने वाले एक टीवी पत्रकार को दिनदहाड़े गनपॉइंट पर लूट लिया जाता है।
दरअसल, ये घटना दक्षिण अमेरिकी देश इक्वाडोर (Ecuador) के रोमेरो कारबो मॉन्यूमेंटल स्टेडियम (Romero Carbo Monumental Stadium) के बाहर की है। वायरल वीडियो में एक फुटबॉल स्टेडियम (Football Stadium) के बाहर बंदूकधारी शख्स को देखा जा सकता है, जो गन दिखाकर टीवी रिपोर्टर और उसके साथ मौजूद बाकी लोगों से कैश और उनके पास मौजूद सामान मांगता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिपोर्टिंग करने वाले इस पत्रकार का नाम डिएगो ओर्डिनोला (Diego Ordinola) है। वहीं, इस बंदूकधारी शख्स ने कैप और मास्क पहना हुआ था, जिसकी वजह से इसका चेहरा ठीक से दिख नहीं रहा था, जो गन दिखाकर रिपोर्टर और उसके क्रू-मेंबर्स को धमकाता है। वह शख्स इनसे कैमरा और फोन देने को भी कहता है। डर के कारण क्रू में शामिल एक शख्स चोर को अपना डिवाइस दे देता है, जिसके बाद बंदूकधारी चोर वहां से भाग जाता है। फिर टीवी क्रू के सदस्य उसके पीछे भागते हैं, तभी दिखाई देता है कि वह मोटरसाइकल पर बैठकर अपने साथी के साथ जा रहा है।
घटना के बाद इसका वीडियो पत्रकार डिएगो ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है। डिएगो ने वीडियो के कैप्शन में लिखा है, ‘हम शांति से काम भी नहीं कर सकते, ये घटना मॉन्यूमेंटल स्टेडियम के बाहर दोपहर को 1:00 बजे हुई है। इक्वाडोर की पुलिस ने अपराधियों को पकड़ने का वादा किया है।’ डिएगो ने अपने ट्वीट में पुलिस को भी टैग किया है, जिसके बाद से ये वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है और दुनियाभर के लोग इसपर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
Ni siquiera podemos trabajar tranquilos, esto ocurrió a las 13:00 de hoy en las afueras del Estadio Monumental.
— Diego Ordinola (@Diegordinola) February 12, 2021
La @PoliciaEcuador se comprometió a dar con estos delincuentes. #Inseguridad pic.twitter.com/OE2KybP0Od
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ऑस्ट्रेलिया में सरकार और फेसबुक के बीच टकराव अब और ज्यादा बढ़ गया है। सोशल साइट फेसबुक ने ऑस्ट्रेलिया में न्यूज देखने और शेयर करने पर रोक लगा दी है।
ऑस्ट्रेलिया में सरकार और फेसबुक के बीच टकराव अब और ज्यादा बढ़ गया है। सोशल साइट फेसबुक ने ऑस्ट्रेलिया में न्यूज देखने और शेयर करने पर रोक लगा दी है। नए कानून के विरोध में फेसबुक ने ऐसा किया।
फेसबुक के इस बैन की चपेट में मौसम, राज्य स्वास्थ्य विभाग और पश्चिमी ऑस्ट्रेलियाई विपक्षी नेता आ गए हैं। यही नहीं फेसबुक ने ऑस्ट्रेलिया में खुद अपना पेज भी ब्लॉक कर दिया है।
इस पूरे मामले पर फेसबुक का कहना है कि उसने मीडिया लॉ के विरोध में यह कदम उठाया है। दरअसल कानून में फेसबुक और गूगल न्यूज जैसी कंपनियों को न्यूज दिखाने के लिए भुगतान करने का प्रावधान है।
बता दें कि फेसबुक के इस कदम से आपातकालीन सेवाओं पर बहुत बुरा असर पड़ा है। बैन के बाद ऑस्ट्रेलिया में कोरोना वायरस और चक्रवातों से जुड़ी जानकारी देने वाले पेज भी बंद हो गए। देश भर में स्वास्थ्य और मौसम संबंधी सेवाएं भी ठप हो गईं। इसके बाद मंत्रालयों और विभागों ने लोगों से उनकी वेबसाइट और ट्विटर हैंडल से जानकारी जुटाने की अपील की।
यही नहीं फेसबुक ने ऑस्ट्रेलियाई यूजर्स को देसी या विदेशी किसी भी न्यूज वेबसाइट की खबर को खोलने पर रोक लगा दी।
इससे पहले आस्ट्रेलिया की सरकार ने मंगलवार को कहा था कि मसौदा कानूनों में यह स्पष्ट करने के लिए संशोधन किया जाएगा कि गूगल और फेसबुक समाचारों के लिए प्रकाशकों को समाचार के लिंक पर पर प्रति क्लिक के बजाय एकमुश्त राशि का भुगतान करेंगे।
बता दें कि आस्ट्रेलिया के मंत्रियों ने पिछले हफ्ते फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और अल्फाबेट इंक और इसकी कंपनी गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई के साथ चर्चा भी की थी। आस्ट्रेलिया की कंजरवेटिव सरकार संसद का मौजूदा सत्र 25 फरवरी को संपन्न होने से पहले ‘न्यूज मीडिया बारगेनिंग कोड’ (समाचार मीडिया सौदेबाजी संहिता) को लागू करने की उम्मीद कर रही है।
वहीं, इससे पहले विवादित कानून पेश किए जाने पर गूगल ने भी ऑस्ट्रेलिया में अपने सर्च इंजन को बंद करने की धमकी दी थी। गूगल ने कहा था कि यदि यह विधेयक पेश किया गया तो आस्ट्रेलिया में उसका (गूगल का) सर्च इंजन बंद कर दिया जाएगा। फेसबुक ने भी धमकी दी थी कि यदि उसे समाचार के लिए भुगतान करने को मजबूर किया गया तो आस्ट्रेलियाई प्रकाशकों को समाचार साझा करने से रोक दिया जाएगा। फेसबुक ने अब यह धमकी अमल में ला दी है।
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गूगल को अब फ्रांस के 121 अखबारों व न्यूज वेबसाइट्स को 551 करोड़ रुपए चुकाने होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि उसने अपने प्लेटफॉर्म पर अखबारों व न्यूज वेबसाइट्स की खबरों के साथ विज्ञापन दिखाकर लाखों करोड़ो रुपए की कमाई की है।
दरअसल, फ्रांस के नए कानून के तहत उसने पिछले महीने फ्रांस के अखबारों के संगठन एपीआईजी अलायंस के साथ तीन वर्ष के लिए एक समझौता किया था, जिसके तहत गूगल को अखबारों की राजनीति व सामान्य खबरों पर आए विज्ञापन से हुई कमाई में से हिस्सा देना होगा। भुगतान दर हर इंटरनेट पर खबर देखे जाने की संख्या और सूचना के स्तर से अलग तय होगी। इस लिहाज से गूगल कितनी रकम चुकाएगा, यह अब सामने आया है। खास बात है कि यह पैसा उसे खबरों के छोटे स्वरूप को अपने प्लेटफॉर्म पर दिखाने के लिए चुकाना होगा।
शुरू में गूगल इसके लिए तैयार नहीं था। पेरिस न्यायालय ने अक्टूबर में गूगल को समझौता करने को कहा था। नवंबर में वह चंद कंपनियों से समझौते को राजी हुआ था, लेकिन प्रेस संस्थानों व एएसपी जैसी एजेंसियों ने इसे नकार दिया, जिसके बाद आखिर में गूगल को घुटने टेकने पड़े।
वहीं, 2014 में स्पेन के समाचार संगठनों को भी इसी प्रकार रकम चुकाने के लिए वहां कानून बनाया गया था। इस पर गूगल ने स्पेन में अपना ‘गूगल न्यूज’ सेक्शन ही बंद कर दिया ताकि कमाई में हिस्सा न देना पड़े। लिहाजा इसी तरह गूगल सर्च परिणामों में फ्रांसिसी समाचार संस्थानों का कंटेंट हटाने की तैयारी कर रहा था, जिस पर फ्रांस के प्रतिस्पर्धा आयोग ने उसे चेताया। अंतत: सरकार के सख्त रुख के आगे गूगल झुका। समझौते के साथ समाचार संस्थानों से मिले कंटेंट के अनुसार उनकी हिस्सेदारी तय होगी।
बता दें कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार भी इसी प्रकार कानून बनाने की राह पर है। गूगल इसका कड़ा विरोध कर रहा है, रोजाना नई धमकियां दे रहा है। माना जा रहा है कि अगले दो-तीन वर्षों में दर्जनों नए यूरोपीय देश भी फ्रांस जैसा कानून बना लेंगे।
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डिजिटल एडवर्टाइजिंग पर एकाधिकार को लेकर एक अमेरिकी न्यूज पब्लिशर ने गूगल व फेसबुक के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि अखबार के रेवेन्यू पर इसका प्रतिकूल असर पड़ा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कई अखबारों के स्वामित्व वाली ‘एचडी मीडिया’ (HD Media) की ओर से दायर मुकदमे में कहा गया है इन टेक्नोलॉजी कंपनियों के एकाधिकार को खत्म करना चाहिए, क्योंकि इससे देश भर के अखबारों के रेवेन्यू के प्राथमिक स्रोत को नुकसान पहुंच रहा है।
वेस्ट वर्जीनिया के दक्षिणी जिले में यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दायर इस मुकदमे में एचडी मीडिया का कहना है कि इन टेक्नोलॉजी कंपनियों ने ‘जेडी ब्लू’ (Jedi Blue) नामक एक गुप्त समझौते पर हस्ताक्षर करके अमेरिका में अविश्वास कानूनों (antitrust laws) का उल्लंघन किया है, जो उन्हें डिजिटल विज्ञापन बाजार पर प्रभुत्व प्रदान करता है।
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ऑस्ट्रेलिया के दबाव में आकर आखिरकार गूगल ने हार मान ली। ऑस्ट्रेलिया में न्यूज दिखाने के बदले पैसे का भुगतान करने का विरोध कर रहे गूगल (Google) ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार के सामने उनकी शर्तों को मान लिया है और ऑस्ट्रेलिया के 7 बड़े मीडिया संस्थानों को न्यूज दिखाने के एवज में पैसे का भुगतान करने पर अपनी सहमति जताई है।
अमेरिकी टेक कंपनी ने शुक्रवार को न्यूज शोकेस नाम का एक प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया, जिसमें समाचारों के लिए भुगतान किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले न्यूज शोकेस को गूगल ने पिछले साल जून में ब्राजील और जर्मनी में पेश किया था, लेकिन गूगल ने ऑस्ट्रेलिया के मीडिया संगठनों को अनिवार्य भुगतान की शर्तों को देख इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था। गूगल का कहना था कि यदि ऑस्ट्रेलियाई सरकार पैसे के लिए मजबूर करती है तो वह अपनी समाचार सेवा देश में बंद करेगी।
गूगल ने कुछ दिन पहले ही ऑस्ट्रेलिया में अपना सर्च इंजन बंद करने की धमकी दी थी। जवाब में ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिशन ने कहा था- ‘वह धमकियों पर जवाब नहीं देते हैं।’ इसके बाद गूगल को यह स्पष्ट संकेत चला गया था कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार किसी भी कीमत पर इस कानून से पीछे नहीं हटेगी।
लिहाजा पहले तो गूगल ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार के मीडिया संस्थानों को भुगतान करने को लेकर बनाए गए कानून का विरोध किया था, लेकिन अब 7 मीडिया संस्थानों के साथ डील कर न्यूज के लिए पैसे देने पर सहमति जता दी है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने ऐसा ही आदेश फेसबुक को भी दिया है। ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में गूगल की हिस्सेदारी 53% और फेसबुक की 23% है। इस कानून का पालन नहीं करने पर दोनों ही कंपनियों पर भारी-भरकम जुर्मान लगाने का भी प्रावधान है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।केंद्र सरकार की तरफ से जारी दिशानिर्देश के बाद ओटोटी पर मनमाने कंटेंट पर जल्द ही लगाम लग सकेगी।
एक तरफ जहां ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के जरिए दर्शक भरपूर मनोरंजन का लुत्फ उठा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार कई सारी शिकायतों के मद्देनजर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और उसके कंटेंट पर लगाम लगाने की तैयारी में है और इसे लेकर वह अब एक्शन मोड में नजर आ रही है।
केंद्र सरकार की तरफ से जारी दिशानिर्देश के बाद ओटोटी पर मनमाने कंटेंट पर जल्द ही लगाम लग सकेगी। लोकसभा में टीआरपी में छेड़छाड़ और ओटीटी कंटेन्ट के रेगुलेशन को लेकर सवाल के जवाब में सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाएगी। जावड़ेकर ने कहा कि टीआरपी में छेड़छाड़ और ओटीटी कंटेंट रेगुलेशन को लेकर जल्द ही दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
जावड़ेकर ने कहा कि ‘इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ ने OTT कंटेंट पर सेल्फ रेगुलेशन मेकेनिज्म बनाने को लेकर मंत्रालय को आश्वासन दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय ने शिकायतों के बाद ओटीटी प्लेटफार्मों और आईएएमएआई के साथ कई विचार-विमर्श किया।
टीआरपी में गड़बड़ी के बारे में, जावड़ेकर ने कहा कि बीएआरसी (BARC) अनुशासन परिषद ने कहा कि इसने पैनल की पवित्रता बनाए रखने के लिए कार्रवाई की। साथ ही उन सैंपल के खिलाफ 11 एफआईआर दर्ज की। मंत्रालय ने एक कमेटी को नियुक्त किया था जिसने टीआरपी से जुड़ी और अन्य एजेंसियों के बीच रेटिंग एजेंसियों और लेखा ऑडिट की कंपोजिशन में बदलाव को लेकर सिफारिशें की थीं। मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार प्राइवेट चैनलों के लिए नए अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग दिशानिर्देशों को जल्द ही अधिसूचित करेगी।
जावड़ेकर ने कहा कि प्रसार भारती से इस बारे में जानकारी मिली है कि प्राइवेट ब्रॉडकास्टर्स के कुछ चैनलों को डीडी फ्री डिश सब्रस्क्राइबर्स के सेटअप बॉक्स पर डाउनलिंक नहीं हो रहा है। यह स्थिति सिगन्ल के को-लोकेशन और फ्री-टू-एयर टीवी चैनल के संकेतों के एन्क्रिप्शन के लिए अनिवार्य आवश्यकता के नॉन मैनडेटरी होने की वजह से हुई है।
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माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ‘ट्विटर’ (Twitter) से एक बड़ी खबर निकलकर आई है। खबर यह है कि ‘ट्विटर’ इंडिया की हेड (Public Policy & Government Partnerships) महिमा कौल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफे का कारण निजी वजह बताया है।
बताया जाता है कि ट्विटर में वर्ष 2015 से कार्यरत कौल ने यहां जनवरी में ही अपना इस्तीफा दे दिया था, हालांकि इस पद पर नई नियुक्ति होने तक वह इस साल मार्च के अंत तक कंपनी में अपनी भूमिका निभाती रहेंगी।
इस बारे में ट्विटर की ग्लोबल पॉलिसी हेड मोनिक मेहे (Monique Meche) का कहना है, ‘यह ट्विटर में हम सभी के लिए एक नुकसान है, लेकिन अपनी इस भूमिका में पांच साल से अधिक समय के बाद हम महिमा के व्यक्तिगत जीवन में महत्वपूर्ण लोगों और रिश्तों पर ध्यान केंद्रित करने की उनकी इच्छा का सम्मान करते हैं। महिमा मार्च के अंत तक अपनी भूमिका में बनी रहेंगी।’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महिमा के इस्तीफे का हाल की उन घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है, जिसमें किसानों के विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विर को कुछ लोगों के ट्वीट्स और यूजर अकाउंट ब्लॉक करने के निर्देश दिए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार महिमा ने सरकार के इस आदेश से काफी पहले ही इस्तीफा देने का फैसला कर लिया था।
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