मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी दफ्तर में हुई इस मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने मीडिया के सामने बातचीत की
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनो विपक्षी दलों के नेताओं का समर्थन जुटा रहे हैं। दरअसल केंद्र सरकार के अध्यादेश को कानून बनने से रोकने के लिए इस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को विपक्षी नेताओं के समर्थन की बेहद आवश्यकता है।
इसी को लेकर उन्होंने लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी से भी मुलाकात की। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दफ्तर में हुई इस मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने मीडिया के सामने बातचीत की और अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को लेकर एक बयान दिया।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सभी पार्टियों को एक साथ आना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा यदि कल राजस्थान के खिलाफ सरकार कोई ऐसा अध्यादेश लाती है तो वह निश्चित तौर से कांग्रेस सरकार का साथ देंगे। उनके इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने ट्वीट कर बड़ी बात कही।
उन्होंने अरविंद केजरीवाल से पूछा कि आपकी यह सोच तो बिल्कुल सही है कि विपक्ष को एकजुट होकर सत्ता पक्ष से लोहा लेना चाहिए लेकिन गुजरात, पंजाब, हिमाचल और गोवा के चुनाव में आपकी यह सोच कहां चली गई थी। क्या आप यह कह रहे हैं कि अब राजस्थान के चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेंगे? क्या मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा के चुनाव में आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवार खड़े नहीं करेगी?
उन्होंने आगे लिखा कि कांग्रेस को यह भरोसा दे दीजिए और विपक्षी एकजुटता की बात कीजिए! क्या कर सकेंगे? पूरे विपक्ष में यही तो सबसे बड़ी चुनौती है हर किसी को अपने अपने किले की पड़ी है, देश के बारे में कौन सोच रहा है। आगे उन्होंने यह भी लिखा कि अब तो आम आदमी पार्टी नेशनल पार्टी बन गई है।
वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार के द्वारा किए गए ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं-
केजरीवाल - मुद्दा केजरीवाल का नहीं है, मुद्दे पूरे देश का है। 140 करोड़ भारतीयों का है, अब #Congress को तय करना है कि वो देश के साथ खड़ी है या #BJP के साथ, हम सबको एकजुट होकर #BJP का मुक़ाबला करना चाहिये। पत्ते की बात कही आपने #Kejriwal जी। विपक्ष को एकजुट होकर सत्ता पक्ष से लोहा… https://t.co/hGvk5me0lS
— Ajay Kumar (@AjayKumarJourno) May 30, 2023
78 वर्षीय ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले सबसे उम्रदराज उम्मीदवार हैं। दो बार महाभियोग का सामना कर चुके ऐसे पूर्व राष्ट्रपति हैं जिन्हें आपराधिक रूप से दोषी पाया गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस हार स्वीकार कर चुकी हैं। उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता सौंपने की बात कही है। मंगलवार को संपन्न हुए मुकाबले में ट्रंप ने हैरिस को मात दे दी है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की है।
उन्होंने लिखा, ट्रंप की जीत कई मायने में ऐतिहासिक है। एक शताब्दी के बाद किसी राष्ट्रपति को चार साल के अंतराल के बाद फिर राष्ट्रपति बनने का मौका मिला है। 78 वर्षीय ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले सबसे उम्रदराज उम्मीदवार हैं। दो बार महाभियोग का सामना कर चुके ऐसे पूर्व राष्ट्रपति हैं जिन्हें आपराधिक रूप से दोषी पाया गया।
ट्रंप की जीत के जितने चर्चे हैं उतने ही चर्चे कमला हैरिस की हार के भी हैं। आखिर क्या कारण है कि डेमोक्रेट्स ने चार साल में ही सत्ता गंवा दी? राजनीतिक विश्लेषक कमला हैरिस की हार के तीन कारण मानते है। ख़राब अर्थव्यवस्था। महंगाई। अवैध अप्रवासी।
दुनिया में अमेरिका की स्थिति में गिरावट ट्रंप को लोग भले ही उनके तंग, कट्टरपंथी नज़रिए के लिए कोसते हों, उन्होंने इन तीनों मुद्दों पर माहौल बनाया। ट्रंप ने आज कहा भी कि उन्होंने 900 सभाओं को संबोधित किया। डेमोक्रेटिक पार्टी और कमला हैरिस बार-बार कह रही थीं कि इस चुनाव में लोकतंत्र दाँव पर है, लेकिन यह मुद्दा मतदाताओं को लुभा नहीं पाया।
रॉयटर्स के मुताबिक एक्जिट पोल में तीन चौथाई मतदाता मानते हैं कि अमेरिका में लोकतंत्र खतरे में है। हैरिस कहती रहीं कि ट्रंप जीते तो अमेरिका में लोकतंत्र खतरे में आ जाएगा। लेकिन लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जैसा कि विश्लेषक डेविड अर्बन ने कहा, घर नहीं चल पा रहा है, तो लोकतंत्र एक विलासिता ही है।
ट्रंप ने अलग-अलग नस्ली समूहों का एक गठबंधन सा बनाया। गोरे मतदाताओं के अलावा लैटिन अमेरिकी मतदाताओं ने भी उनका साथ दिया क्योंकि सुरक्षा और महंगाई जैसे मुद्दों पर वे भी परेशान हैं। अंतिम बात। बाइडेन का पिछले चार सालों में जैसा प्रदर्शन रहा, लोगों ने उसे खारिज किया। साथ ही, कमला हैरिस की अस्पष्ट नीतियों ने भी युवा मतदाताओं में कोई ख़ास उम्मीद नहीं जगाई।
त्वरित टिप्पणी
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) November 6, 2024
ट्रंप की जीत कई मायने में ऐतिहासिक है। एक शताब्दी के बाद किसी राष्ट्रपति को चार साल के अंतराल के बाद फिर राष्ट्रपति बनने का मौका मिला है। 78 वर्षीय ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले सबसे उम्रदराज उम्मीदवार हैं। दो बार महाभियोग का सामना कर चुके ऐसे पूर्व राष्ट्रपति…
इतिहास खुद को दोहराता है। कभी सौ साल बाद तो कभी और पहले। तो 2016 का दौर अमेरिका में लौट आया। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के प्रेसिडेंट निर्वाचित हुए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने बाजी मार ली है। वह अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनेंगे। कमला हैरिस के भरतीय होने के बाद भी भारतीय मतदाताओ ने रिपब्लिकन कैंडिडेट डोनाल्ड ट्रंप को वोट किया है।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और बताया कि आख़िरकार किस मुद्दे पर अमेरिकी जनता ने डोनाल्ड ट्रम्प का साथ दिया। उन्होंने एक्स पर लिखा, इतिहास खुद को दोहराता है। कभी सौ साल बाद तो कभी और पहले। तो 2016 का दौर अमेरिका में लौट आया।
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के प्रेसिडेंट निर्वाचित हुए हैं। ऐसा वहां की मीडिया ने परिणामों के आधार पर प्रसारित किया है। लेकिन 2024 के चुनाव में एक अलग ही अमेरिका दिखा। विभाजित अमेरिका। बंटा हुआ अमेरिका। व्हाइट का अमेरिका। ब्लैक का अमेरिका। पुरुषों का अमेरिका। महिलाओं का अमेरिका।
ट्रंप का मीडिया। डेमोक्रेट का मीडिया। इसका कॉरपोरेट। उनका कॉरपोरेट।ग्रामीण अमेरिका। अर्बन अमेरिका। अवैध घुसपैठ अमेरिका का सबसे बड़ा मुद्दा रहा और ट्रंप को उसका अपार जनसमर्थन हासिल हुआ है। अमेरिका के अगले राष्ट्रपति। डोनाल्ड जे ट्रंप।
आपको बता दें, 78 साल की उम्र में ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं। 20 जनवरी, 2025 को शपथ लेने के समय वे 2020 में शपथ लेने वाले जो बाइडन से कुछ महीने बड़े होंगे।
इतिहास खुद को दोहराता है। कभी सौ साल बाद तो कभी और पहले। तो 2016 का दौर अमेरिका में लौट आया।
— Brajesh Misra (@brajeshlive) November 6, 2024
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के प्रेसिडेंट निर्वाचित हुए हैं। ऐसा वहां की मीडिया ने परिणामों के आधार पर प्रसारित किया है।
लेकिन 2024 के चुनाव में एक अलग ही अमेरिका दिखा।
विभाजित अमेरिका।… pic.twitter.com/VuCILMijrl
डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। इससे पहले ट्रंप साल 2017 से 2021 तक अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति रह चुके हैं।
डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। इससे पहले ट्रंप साल 2017 से 2021 तक अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति रह चुके हैं। भारत, ब्रिटेन समेत कई देशों ने डोनाल्ड ट्रंप को जीत की बधाई दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जीत वैश्विक तौर पर कई मायनों में अहम मानी जा रही है।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद अब कई लिबरल्स को नींद नहीं आएगी। भारत से लेकर अमेरिका तक भारत विरोधी मानसिकता रखने वाले अब ये सोचने में लग गए हैं कि कैसे डोनाल्ड ट्रंप को विलेन बनाकर पेश किया जाए।
भारत के खिलाफ मानसिकता रखने वाले जॉर्ज सोरोस से लेकर भारत के अंदर 370 समर्थक हो या फिर CAA विरोधी, खुद को लिबरल कहने वाले हों या फिर Deep State Funding करने वाले, ईरान से लेकर चीन तक सभी मानों शोक में डूब गए हैं।
आपको बता दें, अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फोन पर पहली बातचीत हुई है। पीएम मोदी ने ट्रंप से वार्ता करने के बाद अपने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर यह जानकारी शेयर की है।
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद अब कई लिबरल्स को नींद नहीं आएगी, भारत से लेकर अमेरिका तक भारत विरोधी मानसिकता रखने वाले अब ये सोचने में लग गए हैं कि कैसे डोनाल्ड ट्रंप को विलेन बनाकर पेश किया जाए, भारत के खिलाफ मानसिकता रखने वाले जॉर्ज सोरोस से लेकर भारत के…
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) November 6, 2024
कितना अजीब है। मैं उनसे कभी मिली नहीं, न कभी आमना-सामना हुआ फिर भी वो दिल में जगह बनाए हुए थी। आपने भी कई बार इस एहसास को जिया होगा।
पद्म पुरस्कार से सम्मानित बिहार की मशहूर गायिका शारदा सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं रहीं। मंगलवार को दिल्ली एम्स में उन्होंने देर शाम को आखिरी सांस ली। उनके निधन पर पत्रकार रुबिका लियाकत ने भी सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और शोक प्रकट किया। उन्होंने कहा कि आपसे ये रिश्ता कभी टूट नहीं पायेगा।
उन्होंने एक्स पर लिखा, शारदा सिन्हा जी के निधन की जब से ख़बर सुनी है मन बहुत उदास हो गया है। कितना अजीब है। मैं उनसे कभी मिली नहीं, न कभी आमना-सामना हुआ फिर भी वो दिल में जगह बनाए हुए थी। आपने भी कई बार इस एहसास को जिया होगा। सच कहूँ तो मुझे आज से 10-15 सालों पहले तो ये पता ही नहीं था कि छठ क्या है, छठी मइयाँ कौन हैं?
इस का महत्व क्या है? 2009-10 की बात है तब मैं न्यूज़ 24 में काम किया करती थी, उसी साल दिल्ली में छठ पूजा की कवरेज का मुझे मौक़ा मिला। ऑफ़िस में बिहार से ताल्लुक़ रखने वाले बहुत लोग थे, ख़ुद सुप्रिय सर और शाहदाब सर ने ग्राउंड पर जाने से पहले छठ के बारे में तफ़सील से बताया।
सुनने में जितना अग़ल था देखने में उससे ज़्यादा ख़ास। जब मैं यमुना के घाट पर पहुँची तो मंत्रमुग्ध हो गई। जहां तक नज़र जा रही थी महिलाओं का हुजूम था। पहली बार नाक से लेकर माथे तक सिंदूर लगाए महिलाओं को देख अचम्भे में पड़ गई। कभी इधर तो कभी उधर से मर्दों को ईख, फल, सूप ले जाते हुए देख रही थी ये सब कुछ बिजली की गति से मेरी आँखों से आगे बीत रहा था।
मन में हज़ार तरह के प्रश्न उठ रहे थे कि अचानक एक गीत जो कहीं दूर स्पीकर में बज रहा था सीधा कानों के रास्ते रूह में उतर गया। आवाज़ में खनक ऐसी की सब थम गया। वो शारदा सिन्हा ही थीं जिन्होंने छठ से, छठी मइयाँ से एसा रिश्ता बांधा कि हर साल छठ का पर्व आता और गीत के बोल जाने बग़ैर बस धुन मन में बजने लगती।
शारदा सिन्हा जी के निधन की जब से ख़बर सुनी है मन बहुत उदास हो गया है।
— Rubika Liyaquat (@RubikaLiyaquat) November 5, 2024
कितना अजीब है- मैं उनसे कभी मिली नहीं, न कभी आमना-सामना हुआ फिर भी वो दिल में जगह बनाए हुए थी…आपने भी कई बार इस एहसास को जिया होगा!
सच कहूँ तो मुझे आज से 10-15 सालों पहले तो ये पता ही नहीं था कि छठ क्या है,…
सालों पहले पटना वाले आपके घर पर जाकर मैंने “बेटियाँ” कार्यक्रम आपके साथ रिकॉर्ड किया था। ना जाने कितने अनगिनत गाने आपने मुझे सुनाये थे उस दिन।
प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। वे दिल्ली एम्स में भर्ती थीं। सोमवार की शाम गंभीर स्थिति में उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनके निधन पर पत्रकार चित्रा त्रिपाठी ने भी शोक व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, शारदा सिन्हा जी का निधन हम सभी के लिये अपूरणीय क्षति हैं।
बरसों पुराना रिश्ता रहा आपसे। सालों पहले पटना वाले आपके घर पर जाकर मैंने “बेटियाँ” कार्यक्रम आपके साथ रिकॉर्ड किया था। ना जाने कितने अनगिनत गाने आपने मुझे सुनाये थे उस दिन। माँ सरस्वती का साक्षात आशीर्वाद था आपको। हरा पान खाने की आप ख़ूब शौकीन थीं।
मुझसे बातचीत में कहा कि चित्रा यही एक बुराई है जो मुझसे नहीं छूटती। मैंने प्यार किया फ़िल्म में जब आपने गाना गया - कहे तोसे सजना” इसके बाद आपको फ़िल्म इंडस्ट्री से तमाम ऑफ़र आये। सबने कहा कि बिहार छोड़कर मुंबई में बस जाओ, लेकिन आपने बिहार को नहीं छोड़ा।
शारदा जी आप हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन यकीन मानिये पटना में जब आज आप पंचतत्व में विलीन हो रही होंगी तो ठीक उसी समय वो तमाम छठ व्रती जो देश और दुनिया के किसी भी कोने में होंगे वो आपके गाये हुए छठ गीत को सुनकर आपको अंतिम विदाई दे रहे होंगे।
आप पूरी पोस्ट को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
थोड़ी देर पहले एम्स हॉस्पिटल से घर पहुँची हूँ. शारदा सिन्हा जी ने यहीं पर अंतिम साँस ली. उनके बेटे अंशुमन जी और बेटी दोनों लोगों से ये जाना कि अस्पताल में आप आख़िरी दिनों में भी रियाज़ करती थीं. वो वीडियो भावुक कर देने वाला है.
— Chitra Tripathi (@chitraaum) November 5, 2024
शारदा सिन्हा जी का निधन हम सभी के लिये अपूरणीय… pic.twitter.com/LfqxrpohT4
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने यह फैसला सुनाया है। यूपी मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता बरकरार रखी है।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक घोषित किया है और यूपी मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता बरकरार रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ प्रावधानों को छोड़कर 'उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004' की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है।
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला खारिज करते हुए मदरसों को संवैधानिक मान्यता प्रदान कर दी है। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और सवाल पूछा कि आखिर मदरसा जाने वाले बच्चों का भविष्य कितना उज्जवल है?
उन्होंने एक्स पर लिखा, सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा शिक्षा पर मुहर लगा दी। उसके फैसले से मुस्लिम समाज खुश है, लेकिन वास्तव में उसे खुश होने के बजाय यह सोचना चाहिए कि आखिर मदरसा की शिक्षा हासिल करने वाले बच्चों का भविष्य कितना उज्ज्वल है? यदि मदरसा शिक्षा इतनी ही बेहतर है तो फिर संपन्न मुस्लिम परिवार अपने बच्चों को वहां क्यों नहीं पढ़ाते?
आपको बता दें, इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 22 मार्च को यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए सभी छात्रों का दाखिला सामान्य स्कूलों में करवाने का आदेश दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा शिक्षा पर मुहर लगा दी। उसके फैसले से मुस्लिम समाज खुश है, लेकिन वास्तव में उसे खुश होने के बजाय यह सोचना चाहिए कि आखिर मदरसा की शिक्षा हासिल करने वाले बच्चों का भविष्य कितना उज्ज्वल है? यदि मदरसा शिक्षा इतनी ही बेहतर है तो फिर संपन्न मुस्लिम परविरा अपने…
— Rajeev Sachan (@RajeevKSachan) November 5, 2024
एक बयान जारी करते हुए कंचन वर्मा ने कहा कि 27000 प्राथमिक विद्यालयों को निकटवर्ती विद्यालयों में विलय करते हुए बंद करने की बात कही जा रही है।
यूपी में 27 हजार प्राथमिक विद्यालय बंद होने की बात का सरकार ने खंडन कर दिया है। बेसिक शिक्षा की महानिदेशक कंचन वर्मा ने कहा कि मीडिया में जो खबरे चल रही है उनका कोई आधार नहीं है। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने एक्स पर लिखा, शासन ने कम छात्र वाले विद्यालयों का विलय करने का निर्णय वापस ले लिया है। लोकतंत्र में लोक का स्वर सुना ही जाना चाहिए। इस हेतु उत्तर प्रदेश सरकार का आभार। इससे पहले उन्होंने अपने एक ट्वीट में इस निर्णय पर विचार करने के लिए सरकार से कहा था।
उन्होंने लिखा, यूपी में 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करके उसका दूसरे विद्यालयों में विलय करने की योजना पर काम हो रहा है ,यह चर्चा है। गाँव में गरीब के बच्चे क्या घर से 3 -4 किलोमीटर दूर के स्कूल में पढ़ने जा सकते हैं? यह योजना तमाम बच्चों को स्कूली पढाई से दूर कर देगी। स्कूल सुधारिये ,उन्हें बंद या विलय करके घटाइए मत। अब जब इस बात का खंडन हो चुका है तो उन्होंने सरकार का आभार भी व्यक्त किया है।
बता दें, एक बयान जारी करते हुए कंचन वर्मा ने कहा कि 27000 प्राथमिक विद्यालयों को निकटवर्ती विद्यालयों में विलय करते हुए बंद करने की बात कही जा रही है। यह बिल्कुल भ्रामक एवं निराधार है। प्रदेश में किसी भी स्कूल को बंद नहीं किया जा रहा है।
यदि यह समाचार भ्रामक है तो इस सम्बन्ध में महानिदेशक स्तर से लिखित में खण्डन आना चाहिए - https://t.co/gK8xAsxHr0
— Amitabh Agnihotri (@Aamitabh2) November 4, 2024
हाल ही में हिन्दू मंदिर पर हुए हमले के बाद अब दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ने की करार पर है। कनाडा के हिन्दुओं को आये दिन खालिस्तान समर्थकों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है।
भारत और कनाडा के रिश्तों में धीरे धीरे खटास आती हुई दिखाई दे रही है। हाल ही में हिन्दू मंदिर पर हुए हमले के बाद अब दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ने की करार पर है। कनाडा के हिन्दुओं को आये दिन खालिस्तान समर्थकों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है। इससे पहले बांग्लादेश में हुई हिंसा में भी बड़े पैमाने पर हिंदुओं को निशाना बनाया गया था।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार आदित्य राज कौल ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और कहा कि अब तो कनाडा और बांग्लादेश के नागरिकों को भगवान ही बचा सकता है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, कनाडा और बांग्लादेश में इस बात को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा होती दिख रही है कि कौन सा देश पहले पाकिस्तान बनेगा। जस्टिन ट्रूडो और मुहम्मद यूनुस अपने देश में किसी भी लोकतंत्र, सहिष्णुता, कानून के शासन या अल्पसंख्यक अधिकारों को खत्म करने के लिए बेताब हैं। भगवान कनाडाई और बांग्लादेशी नागरिकों को बचाएं।
आपको बता दें, ब्रैम्पटन मंदिर के पुजारी ने एकता का परिचय देने का आग्रह किया और 'बंटोगे तो कटोगे' के नारे लगाए। ब्रैम्पटन मंदिर के पुजारी का कहना था कि अब सबको एक होना पड़ेगा। कनाडा में हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है। आप एकजुट रहेंगे तो सुरक्षित बने रहेंगे।
Canada and Bangladesh seem to have a fierce competition on which country will become Pakistan first. Justin Trudeau and Muhhamad Yunus are desperate to cripple their nation of any democracy, tolerance, rule of law or minority rights. God save Canadian and Bangladeshi civilians.
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) November 4, 2024
घटना के बाद आक्रोशित ब्रैम्पटन मंदिर के पुजारी ने कहा कि खालिस्तान समर्थकों का यह हमला पूरी दुनिया के हिंदुओं पर किया गया हमला है। जरूरत है कि हिंदू एकजुट हों।
कनाडा में लगातार हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जाता रहा है। एक बार फिर खालिस्तानी समर्थकों ने हिंदुओं और मंदिरों पर हमले किए हैं। खालिस्तानी मंदिर के परिसर में घुस गए और वहां लाठी-डंडों से लोगों की पिटाई भी की है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और कनाडा सरकार को आड़े हाथ लिया है और कहा कि उन्हें हिन्दू मंदिर पर हमले रोकने होंगे।
उन्होंने एक्स पर लिखा, कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमले बेहद निंदनीय हैं। इन्हें रोकना हमलावरों को क़ानूनी कार्रवाई की ज़द में लाना कनाडा सरकार की ज़िम्मेदारी है। उसे बिना किसी हीला हवाली के ये दोनों काम करने चाहिए। देश के सभी समुदायों दलों वर्गों को एक स्वर से इनकी निंदा करके भारतीयता को मज़बूत करना होगा।
आपको बता दें, ट्रूडो ने कहा है कि कनाडा में हर व्यक्ति को अपने विश्वास का स्वतंत्र और सुरक्षित रूप से पालन करने का अधिकार है। जस्टिन ट्रूडो ने आगे समुदाय की सुरक्षा और इस घटना की जांच के लिए त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए पील क्षेत्रीय पुलिस को धन्यवाद कहा है।
घटना के बाद आक्रोशित ब्रैम्पटन मंदिर के पुजारी ने कहा कि खालिस्तान समर्थकों का यह हमला पूरी दुनिया के हिंदुओं पर किया गया हमला है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि हिंदू एकजुट हों, अगर हम एकजुट नहीं होंगे तो सुरक्षित नहीं रह सकते।
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमले बेहद निंदनीय हैं।इन्हें रोकना हमलावरों को क़ानूनी कार्रवाई की ज़द में लाना कनाडा सरकार की ज़िम्मेदारी है।उसे बिना किसी हीला हवाली के ये दोनों काम करने चाहिए।देश के सभी समुदायों दलों वर्गों को एक स्वर से इनकी निंदा करके भारतीयता को मज़बूत करना होगा।
— विनोद अग्निहोत्री Vinod Agnihotri (@VinodAgnihotri7) November 4, 2024
खालिस्तानी समर्थकों ने ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर में भक्तों के एक समूह को निशाना बनाया है। इस घटना से हिंदुओं में बड़े स्तर पर आक्रोश फैल गया है।
कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की हिमाकत लगातार बढ़ रही है। वो खुलेआम भारत के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे हैं। यहां तक कि हिंदुओं और मंदिरों पर हमले भी कर रहे हैं। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और हिन्दुओं की इस दशा को लेकर अपना रोष प्रकट किया।
उन्होंने एक्स पर लिखा, हिंदू का वोट सबको चाहिए पर बांग्लादेश से लेकर कनाडा तक में हिंदुओं के साथ कुछ हो जाए तो इस देश के कुछ नेताओं के मुंह से चूं तक नहीं निकलती। अभी फिलिस्तीन में कुछ हो जाए तब देखिएगा कैसे छाती पीटते सब बाहर आ जाएंगे। 100 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं वाले देश में ये है हिंदू वोट की कीमत।
आपको बता दें, खालिस्तानी समर्थकों ने ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर में भक्तों के एक समूह को निशाना बनाया है। इस घटना से हिंदुओं में बड़े स्तर पर आक्रोश फैल गया है। प्रदर्शकारी जबरन परिसर में घुस गए और मंदिर प्रशासन के सदस्यों और श्रद्धालुओं पर हमला बोल दिया। उन्होंने महिलाओं व बच्चों को भी बेरहमी से पीटा। खुद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सामने आए और घटना की निंदा की।
हिंदू का वोट सबको चाहिए पर बांग्लादेश से लेकर कनाडा तक में हिंदुओं के साथ कुछ हो जाए तो इस देश के कुछ नेताओं के मुंह से चूं तक नहीं निकलती।अभी फिलिस्तीन में कुछ हो जाए तब देखिएगा कैसे छाती पीटते सब बाहर आ जाएंगे। 100 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं वाले देश में ये है हिंदू वोट की कीमत।
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) November 4, 2024