देश के चार बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु के लिए 19 से 22वें हफ्ते (तीन मई से 30 मई) के बीच की ‘रेडियो ऑडियंस मीजरमेंट’ (RAM) रेटिंग्सा जारी हो गई हैं।
देश के चार बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु के लिए 19 से 22वें हफ्ते (तीन मई से 30 मई) के बीच की ‘रेडियो ऑडियंस मीजरमेंट’ (RAM) रेटिंग्स जारी हो गई हैं। इन रेटिंग्स के अनुसार, मुंबई और दिल्ली के मार्केट में ‘फीवर एफएम’ का वर्चस्व रहा है, जबकि बेंगलुरु और कोलकता में क्रमश: ‘रेडियो सिटी’ और ‘रेडियो मिर्ची’ टॉप पर रहे हैं।
इन रेटिंग्स के अनुसार, मुंबई में पिछले चार हफ्तों के मुकाबले ‘फीवर एफएम 104’ की रेटिंग घटी है। पहले जहां यहां 17 प्रतिशत थी, वहीं अब यह 1.8 प्रतिशत घटकर 15.2 प्रतिशत पर आ गई। हालांकि, इस मार्केट में अब भी यह टॉप पर बना हुआ है। 14 प्रतिशत शेयर के साथ ‘रेडियो मिर्ची’ इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है। पिछले चार हफ्तों में इसकी रेटिंग्स का शेयर 13.6 प्रतिशत था। यानी इसमें 0.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। ‘रेडियो सिटी’ की रेटिंग में मामूली 0.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और पिछले चार हफ्तों के मुकाबले 13.6 प्रतिशत से बढ़कर यह 13.7 प्रतिशत हो गई है। मुंबई के लोगों ने 11 से 12 बजे के स्लॉट में सबसे ज्यादा रेडियो सुना है।
दिल्ली में 21.1 प्रतिशत के शेयर के साथ ‘फीवर एफएम’ ने टॉप पर जगह बनाई है, जबकि पहले यह 17.9 प्रतिशत था। इसके बाद दूसरे नंबर पर 14.7 प्रतिशत के साथ ‘रेडियो मिर्ची’ है। इसकी लिसनरशिप में भी 0.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर 13.6 प्रतिशत के साथ ‘रेडियो सिटी’ है, जिसकी लिसनरशिप में इस बार 1.2 प्रतिशत की गिरावट आई है। दिल्ली में नौ से दस बजे और उसके बाद 11 से 12 बजे के स्लॉट में सबसे ज्यादा रेडियो सुना गया है।
श्रोताओं के मामले में बेंगलुरु में 29.7 मार्केट शेयर के साथ ‘रेडियो सिटी’ टॉप पर रहा। पिछले चार हफ्तों के मुकाबले इसकी रेटिंग्स में 1.2 प्रतिशत का इजाफा हुआ। इस लिस्ट में 23.8 प्रतिशत के साथ ‘बिग एफएम 92.7’ ने दूसरे नंबर पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। पिछले चार हफ्तों के मुकाबले इसमें 0.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वहीं, 14 प्रतिशत रेटिंग्स के साथ ‘फीवर 104’ इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है। पिछले चार हफ्तों के मुकाबले इसमें 0.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। बेंगलुरु में रेडियो श्रोताओं की सबसे ज्यादा संख्या आठ से नौ बजे वाले स्लॉट में सबसे ज्यादा रही है। इसके बाद दूसरे नंबर पर 10 से 11 बजे वाला स्लॉट है।
कोलकाता की बात करें तो रेटिंग्स को लेकर 29.5 प्रतिशत मार्केट शेयर के साथ यह सबसे आगे बना हुआ है। इसके बाद 27.9 प्रतिशत के साथ ‘बिग एफएम’ दूसरे नंबर पर, जबकि 14.6 प्रतिशत के साथ ‘रेड एफएम’ तीसरे नंबर पर रहा। नौ बजे से 10 बजे के स्लॉट में श्रोताओं की संख्या (Listenership) सबसे ज्यादा रही।
रेडियो की दुनिया में जाना-माना नाम अमीन सयानी पिछले कुछ समय से उम्र संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे थे।
आवाज की दुनिया के जाने-माने फनकार और मशहूर रेडियो प्रजेंटर अमीन सयानी का निधन हो गया है। रेडियो की दुनिया में जाना-माना नाम अमीन सयानी पिछले कुछ समय से उम्र संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 91 वर्षीय अमीन सयानी को 20 फरवरी की शाम हार्ट अटैक आया था। आनन-फानन ने उन्हें नजदीक के एच. एन. रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल मे ले गया, जहां कुछ देर इलाज के बाद डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
अमीन सयानी के निधन के समाचार से उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्होंने अमीन सयानी के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है।
One of the greatest radio presenters, Ameen Sayani has passed away.
— Akashvani आकाशवाणी (@AkashvaniAIR) February 21, 2024
He was the iconic presenter of the popular radio show “Binaca Geet Mala”.#RIP #AmeenSayani @MIB_India @prasarbharati @airnewsalerts pic.twitter.com/S0aO4L5a1M
बता दें कि अमीन सयानी ने अपनी आवाज और कार्यक्रम की प्रस्तुति से देश-विदेश में काफी लोकप्रियता पाई थी। रेडियो सिलोन और फिर विविध भारती पर काफी लंबे समय तक चलने वाले हिंदी गीतों के उनके कार्यक्रम 'बिनाका गीतमाला' ने सफलता के तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए थे।
अमीन सयानी के नाम पर 54,000 से ज्यादा रेडियो कार्यक्रम प्रोड्यूस/वॉयसओवर करने का रिकॉर्ड दर्ज है। करीब 19,000 जिंगल्स के लिए आवाज देने के लिए भी उनका नाम लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है।
रेडियो हमेशा से सपनों और आकांक्षाओं का वाहक रहा है। एक छोटे से बक्से से निकली वह अनोखी आवाज, जिसने हर किसी की कल्पनाओं को अपनी ओर खींचा है और हम सभी की इससे कोई न कोई विशेष स्मृति जुड़ी हुई है।
रमेश मेनन, सीईओ, फीवर एफएम।।
रेडियो हमेशा से सपनों और आकांक्षाओं का वाहक रहा है। एक छोटे से बक्से से निकली वह अनोखी आवाज, जिसने हर किसी की कल्पनाओं को अपनी ओर खींचा है और हम सभी की इससे कोई न कोई विशेष स्मृति जुड़ी हुई है।
लेकिन सबसे बड़ा सबक जो हम सभी इस माध्यम से सीख सकते हैं वह है इसकी खुद को फिर से नए अंदाज में स्थापित करने की अद्भुत क्षमता। इस बदलती दुनिया में आगे बढ़ने के लिए हम सभी को कुछ ऐसा ही अपनाना चाहिए।
इसी ने हमें ‘फीवर एफएम’ (Fever FM) को एक ऐसे ब्रैंड के रूप में पुन: तैयार करने के लिए प्रेरित किया, जो नई दुनिया के अंदाज में धड़कता है। एक रेडियो स्टेशन के रूप में हम अच्छी तरह समझते हैं कि हमारी प्रतिस्पर्धा सिर्फ दूसरे रेडियो स्टेशन से नहीं, बल्कि हर उस प्लेटफॉर्म व ब्रैंड से है, जो कंटेंट तैयार कर रहा है।
इसलिए किसी भी परिवर्तन का विरोध करने के बजाय हमने इसे अपनाने का फैसला लिया है। जब हम कहते हैं कि ‘फीवर का रिमोट अब आपके हाथ में’ है तो यह उन्हीं लोगों को सशक्त बनाने और महसूस कराने का हमारा तरीका है, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि रेडियो संचार के सबसे शक्तिशाली साधनों में से एक बना रहे।
यह हमारी अपनी शक्तियों को पहचानना है-जिसमें स्टोरीटैलिंग की पावर के साथ-साथ म्यूजिक का जादुई स्पर्श शामिल है और नए जमाने (Gen Z) के कंटेंट इस्तेमाल करने के पैटर्न (consumption patterns) से तालमेल बिठाना है।
समय के साथ-साथ अब कैमरों का प्रवेश हो चुका है, ऐसे में हमारे स्टूडियो और आरजे को अब उतना ही दिखाने की जरूरत है, जितना उन्हें सुना जाता है। लेकिन जुड़ने और संवाद करने की क्षमता इस रिश्ते के केंद्र में रहेगी।
हम इस माध्यम और इसके द्वारा उपलब्ध कराए गए प्लेटफॉर्म के शुक्रगुजार हैं जो हमें वह बदलाव लाने में मदद करता है जो हम देखना चाहते हैं और जो मुद्दे हमारे लिए मायने रखते हैं, उन पर हम अपनी आवाज उठाते हैं।
क्लासिक रेडियो हमें सिखाता है कि शब्द किस तरह कमाल कर सकते हैं और हमें सशक्त बना सकते हैं। अच्छी और पुरानी स्टोरीटैलिंग कभी भी आउट ऑफ फैशन नहीं होगी। रामायण जैसे हमारे ऑडियो ड्रामाज को बहुत ज्यादा प्यार मिला है। यहां बैलेंस ही प्रमुख चाबी है- एक ऐसी आवाज बनना जो रहस्यमय जादू जैसा असर करती हो और एक ऐसा चेहरा तैयार करना, जो तुरंत पहचाना जा सके। एक ब्रैंड के रूप में, हमारा लक्ष्य रेडियो की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करना और युवाओं के जोश के साथ अपनी फ्रीक्वेंसी का तालमेल बिठाना है।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
रेडियो फेस्टिवल 2024 में, इंडस्ट्री के दिग्गजों ने रेडियो इंडस्ट्री में लीडरशिप रोल में महिलाओं के बदलते प्रतिनिधित्व पर चर्चा की
महिलाएं शुरुआती दिनों से ही रेडियो के सफर का हिस्सा रहीं हैं, फिर चाहे वह इंजीनियर्स हो, प्रड्यूसर्स, प्रजेंटर्स या फिर लीडर्स हों, लेकिन उन्होंने ट्रांसमिशन के रास्ते तैयार करने और विश्व स्तर पर रेडियो ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री को ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रेडियो फेस्टिवल 2024 में, मॉडरेटर स्मिता शर्मा (इंडिपेंडेंट मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट), डॉ. अनुराग बत्रा (चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ बिजनेसवर्ल्ड मीडिया ग्रुप और फाउंडर -एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप), निशा नारायणन (डायरेक्टर व सीओओ, रेड एफएम और मैजिक एफएम) के साथ ), गुंजन प्रिया (आकाशवाणी) और ओल्या बोयार (हेड ऑफ रेडियो -एशिया-पैसिफिक ब्रॉडकास्टिंग यूनियन) ने चर्चा की कि रेडियो इंडस्ट्री की नेतृत्वकारी भूमिकाओं में महिला प्रतिनिधित्व कैसा रहा है।
ब्रॉडकास्टिंग और रेडियो में महिलाओं के पास कितना नेतृत्व है, इस पर डॉ. अनुराग बत्रा ने चर्चा को शुरू करते हुए कहा, “आप गिलास को आधा भरा या आधा खाली देख सकते हैं। लीडरशिप जेंडर (लैंगिक) नहीं देखती और हमें किसी भी लीडरशिप की भूमिका को जेंडर के चश्मे से नहीं देखना चाहिए।''
उन्होंने कहा, आज टॉप 10 रेडियो स्टेशनों में से तीन का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं और इसे भारत में रेडियो पर जेंडर इक्वैलिटी की काफी प्रगतिशील स्थिति कहा जा सकता है।
रेड एफम की डायरेक्टर निशा नारायणन डॉ. बत्रा के इस कथन से सहमत दिखीं, लेकिन उनका मानना है कि यदि एक ही पद के लिए दो समान रूप से प्रतिभाशाली पुरुष और महिला उम्मीदवार हैं, तो उनका झुकाव एक महिला की ओर होगा क्योंकि उनकी प्रतिभा, उनकी क्षमताओं को सामान्य रूप से समाज द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है। महिलाएं यह साबित करने के लिए हर संभव कोशिश करती हैं कि वे हर किसी से बेहतर हैं, क्योंकि उन पर लगातार दबाव रहता है।
आकाशवाणी की गुंजन प्रिया के पास ऐसे अनुभव हैं जहां महिलाओं की लीडरशिप महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर अधिक आक्रामक रूप से चिंतित है। जब उन्हें अपने जेंडर के उत्थान या समर्थन के लिए अपनी स्थिति या शक्ति दिखाने का मौका मिलता है, तो वे पूरी कोशिश करती हैं और छोटी-छोटी चीजों पर भी अपना ध्यान केंद्रित करती हैं।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से बात करते हुए ABU की प्रवक्ता बोयार की राय अलग थी। उन्होंने बताया कि विशाल एशिया-प्रशांत क्षेत्र में इंडस्ट्री में महिलाओं की अनुपस्थिति है। उन्हें पहचानना आसान है क्योंकि उनकी संख्या बहुत कम है और उन्हें याद रखना भी आसान है। उन्होंने आगे कहा, “सरकारी और संगठनात्मक स्तर पर जेंडर पॉलिसी बनाने की जरूरत है, क्योंकि जब हम उन टॉप-5 लीडर्स की गिनती करना या उन्हें इंगित करना बंद कर देंगे, जिनमें एक विशिष्ट पेशे में महिलाएं हों, तभी समानता आएगी। विशेषकर जब पब्लिक सर्विस प्रोफेशन की बात आती हो, तो वहां बहुत कम महिलाएं हैं।
यह सिर्फ तीन-चार टॉप रेडियो जॉकीज के बारे में नहीं है, बल्कि ऐसी अधिकांश महिलाएं हैं जिन्हें गर्भावस्था के दौरान या अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए अपना करियर छोड़ना पड़ता है। एक बार जब वे इन कारणों से कार्यबल से गायब हो जाती हैं, तो वे फिर से प्रवेश नहीं कर पाती और कुछ कर भी लेती हैं तो उन्हें लोअर डेजिगनेशन ऑफर किया जाता है और इस तरह से उन्हें फिर से अपना करियर स्थापित करना होता है। तो हम इससे कैसे पार पाएं?
इस पर निशा नारायणन ने कहा कि ऑर्गनाइजेशन पॉलिसी को अपने पक्ष में रखना एक सचेत निर्णय है। जैसे ही वे मातृत्व अवकाश पर जाती हैं, हम उस पोजिशन को होल्ड पर रख देते हैं और केवल उस अवधि के लिए लोगों को काम पर रखते हैं, जब तक वह अवकाश पर होती हैं। रेड एफएम में सेल्स और मार्केटिंग जैसे कई विभागों का नेतृत्व महिलाएं करती हैं। लेकिन इसका यह मतलब कहीं नहीं है कि हम जेंडर इक्वैलिटी के मामले में अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर पहुंच गए हैं, लिहाजा और अधिक लीडरशिप पोजिशन के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने की जरूरत है।
आकाशवाणी के लिए काम करने वाली गुंजन प्रिया ने कहा कि सरकारी क्षेत्र में भी जेंडर इक्वैलिटी में सुधार हो रहा है लेकिन यह एक क्रमिक प्रक्रिया है। हालात पहले से बेहतर हैं।
लेकिन जब जेंडर इक्वैलिटी की बात आती है तो क्या इससे रेडियो जैसे माध्यम पर वास्तविक लोगों से बात करने में मदद मिलती है?
बोयार ने कहा, “आप सक्षम हैं, यह महसूस करने के लिए आपको खुद को देखना और सुनना चाहिए। यदि कोई आपके जैसा नहीं दिखता है, आपकी तरह चीजें नहीं देखता है, तो आप कारण पर कैसे विश्वास करेंगे? जेंडर इक्वैलिटी पर बहुत सारे पैनल और डिबेट्स हैं, जो ईमानदारी से इस मुद्दे को लड़ते रहे हैं। इतने सालों तक प्रसार भारती के पास केवल एक ही महिला थीं और वह भी चली गईं।''
उन्होंने कहा कि चूंकि रेड एफएम की टैगलाइन 'बजाते रहो' है, इसलिए उनके अधिकांश दर्शक पुरुष प्रधान हैं, लेकिन उनके पास बहुत सारे महिला-विशिष्ट शो और कैंपेंस हैं। हो सकता है कि अन्य रेडियो स्टेशनों को उनकी ब्रैंडिंग के आधार पर अधिक फीमेल ऑडियंस मिलें। इसलिए ऐडवर्टाइजर्स या लिसनर्स केवल जेंडर विशिष्ट नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में अधिकांश ऐडवर्टाइजर्स जेंडर विशिष्ट के होने बजाय बहुत ज्यादा युवा-केंद्रित हैं। ऐसा कहने के बाद, जब तक हमें ऐडवर्टाइजर्स या लिसनर्स का समर्थन नहीं मिलता, तब तक किसी विशिष्ट मामले को लेकर चिंता व्यक्त करना सही नहीं है।
अंत में डॉ. बत्रा ने कहा, “लोग कहते हैं कि रेडियो का अंत आ गया है, लेकिन मेरा मानना है कि आज रेडियो डिजिटल ऑडियो ब्रॉडकास्ट और यहां तक कि पॉडकास्ट बन रहा है। बहुत से कम्युनिटी रेडियो भी हैं। तो निश्चित रूप से रेडियो एक विशेष कट्टर पंथ को टार्गेट कर सकता है और आगे ऐसे ऐडवर्टाइजर्स को भी प्राप्त कर सकता है जो उस सेगमेंट को भी टार्गेट करते हैं।
रेडियो एक ऐसा पसंदीदा माध्यम है, जिसका ज्यादातर उपयोग घर पर किया जाता है और 10 में से 7 रेडियो भारतीय श्रोता प्रतिदिन 30 मिनट से 2 घंटे तक रेडियो सुनते हैं
रेडियो एक ऐसा पसंदीदा माध्यम है, जिसका ज्यादातर उपयोग घर पर किया जाता है और 10 में से 7 रेडियो भारतीय श्रोता प्रतिदिन 30 मिनट से 2 घंटे तक रेडियो सुनते हैं। एक स्टडी से इस बात का पता चला है।
'टोलुना' (www.toluna.com - एक ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनी जो वास्तविक समय में अंतर्दृष्टि और सर्वेक्षण प्रदान करती है) के एक हालिया स्टडी ने छोटे स्टेशनों (टियर II और III वाले बाजार) वाले स्थानों में भारतीय श्रोताओं की रेडियो खपत के बारे में जानकारी दी है।
यह स्टडी 30 टियर II और टियर III वाले भारतीय बाजारों में आयोजित किया गया था, जिसमें पिछले महीने 1200+ से अधिक उत्तरदाताओं (18-50 वर्ष की आयु) के इंटरव्यू लिए गए थे। कुछ बाजार भारत के उत्तर और पश्चिम में थे और उनमें अहमदाबाद, जयपुर, इंदौर, चंडीगढ़, नागपुर, भोपाल, सूरत, लुधियाना, उदयपुर और औरंगाबाद शामिल थे।
स्टडी में उल्लेख किया गया है कि 80% उत्तरदाताओं का दावा है कि वे नियमित रूप से रेडियो सुनते हैं। प्रोफेशनल्स के बीच श्रोताओं की संख्या अधिक है, क्योंकि ऐसा लगता है कि इस कैेटेगिरी में 10 में से 9 लोग रेडियो सुनते हैं। इस कैेटेगिरी के बाद गृहिणियां आती हैं, जबकि छात्र उपरोक्त दो कैटेगरी से कम रेडियो सुनते हैं और यह संख्या 66% है।
टोलुना स्टडी के अनुसार, 33% रेडियो श्रोताओं ने एफएम रेडियो को दैनिक मनोरंजन के लिए पसंदीदा माध्यम के तौर पर जगह दी है, इसके बाद वीडियो/म्यूजिक और स्ट्रीमिंग ऐप्स को स्थान दिया है।
स्टडी के कुछ मुख्य अंश इस प्रकार हैं:
74% रेडियो श्रोता हर सप्ताह तीन दिन से अधिक रेडियो सुनते हैं।
डिसिजन मेकर ग्रुप में प्रत्येक चार में से लगभग एक के लिए रेडियो सुनना दैनिक दिनचर्या का हिस्सा है।
10 में से 7 रेडियो श्रोता प्रतिदिन 30 मिनट से 2 घंटे तक रेडियो सुनते हैं।
10 में से 6 लोग घर पर रेडियो का इस्तेमाल करते हैं।
एचटी मीडिया ग्रुप ने एफएम रेडियो स्टेशन 'फीवर एफएम' को बंद करने का फैसला लिया है। ऑडियो बिजनेस के सीईओ रमेश मेनन ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए ये जानकारी दी है
एचटी मीडिया ग्रुप ने एफएम रेडियो स्टेशन 'फीवर एफएम' (Fever FM) को बंद करने का फैसला लिया है। ऑडियो बिजनेस के सीईओ रमेश मेनन ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए ये जानकारी दी है।
अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में रमेश मेनन ने कहा कि हमने अपने स्टेशन को बंद करने का यह कठिन निर्णय लिया है। यह निर्णय काफी विचार-विमर्श के बाद लिया गया है और यह मीडिया इंडस्ट्री में उभरते रुझानों की वजह से है। मैनेजमेंट अब रेडियो जॉकी, ऐडवर्टाइजर्स, पार्टनर्स, एम्प्लॉयीज और लिसनर्स के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता है, जिन्होंने इस स्टेशन का निर्माण किया और इसकी यात्रा में इसका समर्थन किया। आपकी निष्ठा और योगदान ने स्टेशन को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस फैसले पर कुछ एम्प्लॉयीज ने कृतज्ञता और कुछ ने निराशा व्यक्त की। फीवर एफएम में मार्केटिंग की वाइस प्रेजिडेंट मोनालिसा मंडल ने कहा कि इस कंपनी के साथ चार साल से अधिक समय के बाद अब इस तरह से अलग होना बेहद दुखद है। यह जानते हुए कि एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो रहा है, लिहाजा इस खबर से काफी दुखी हूं।
उन्होंने आगे कहा कि हालांकि यहां मेरे अनुभव हमेशा ही मेरी प्रोफेशनल जर्नी का हिस्सा रहेंगे। मैं अपने सभी सहयोगियों और साथियों का आभार व्यक्त करती हूं, जिन्होंने निरंतर समर्थन दिया है। अब तक की मेरी अपनी प्रोफेशनल जर्नी को एक आकार देने के लिए मैं कंपनी की बहुत आभारी हूं।
ऑडियो प्रॉडक्शन के हेड व क्रिएटिव आइडिएशन के प्रॉड्यूसर श्रीकांत अय्यर ने कहा कि सभी पुरानी स्मृतियों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। यह प्रयोग करने और सीखने की एक अविश्वसनीय यात्रा रही है... यहां बिताए गए हर पल को याद करूंगा। नई चुनौतियों और अवसरों की प्रतीक्षा में हूं।
वहीं, फीवर एफएम के कंटेंट हेड पीयूष सिंह ने कहा कि किसी के सपनों का अंत नहीं होता है। लेकिन कई बार किसी मोड़ पर आकर कई अच्छी चीजों का अंत हो जाता है। मैं आप सभी को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
'पॉकेट एफएम' (Pocket FM) ने सुयोग गोथी को वाइस प्रेजिडेंट व इंडिया कंट्री हेड के तौर पर नियुक्त किया है।
'पॉकेट एफएम' (Pocket FM) ने सुयोग गोथी को वाइस प्रेजिडेंट व इंडिया कंट्री हेड के तौर पर नियुक्त किया है। अपनी इस भूमिका में सुयोग कंपनी के को-फाउंडर्स रोहन नायक और निशांत केएस के साथ मिलकर काम करेंगे और इंडिया में कंपनी के ऑपरेशंस की जिम्मेदारी संभालेंगे।
सुयोग विविध अनुभव के साथ पॉकेट एफएम में शामिल हुए हैं, उन्होंने पहले 'फोनपे' (PhonePe) में काम किया था, जहां उन्होंने आखिरी बार मर्चेंट लेंडिंग डिवीजन का नेतृत्व किया था। सुयोग ने PhonePe के UPI पेमेंट बिजनेस को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने बिजनेस को बड़े पैमाने पर लॉन्च कर और उसे मैनेज कर अपने नेतृत्व और रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया।
पॉकेट एफएम में शामिल होने के बारे में अपना उत्साह व्यक्त करते हुए सुयोग गोथी ने कहा कि मैं पॉकेट एफएम का हिस्सा बनकर रोमांचित हूं। पॉकेट एफएम एक ऐसी कंपनी है जो वास्तव में ऑडियो एंटरटेनमेंट में क्रांति ला रही है। मैं अपने मिशन को आगे बढ़ाने, इनोवेशन को बढ़ावा देने और देश भर की विविध ऑडियो लैंडस्केप में वॉयस को सशक्त बनाने के लिए तत्पर हूं।
पॉकेट एफएम के को-फाउंडर व सीओओ निशांत केएस ने नियुक्ति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें पॉकेट एफएम परिवार में सुयोग गोथी का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। उनका बेहतर ट्रैक रिकॉर्ड और रणनीतिक दृष्टि विस्तार और नवाचार के लिए हमारे लक्ष्यों के साथ सहजता से मेल खाती है। हमें विश्वास है सुयोग भारत में पॉकेट एफएम की सफलता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को प्रसार भारती और रेडियो टेलीविजन मलेशिया (RTM) के बीच प्रसारण में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन को मंजूरी दे दी है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को प्रसार भारती और रेडियो टेलीविजन मलेशिया (RTM) के बीच प्रसारण में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन को मंजूरी दे दी है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय के मुताबिक, इस संबंध में 07 नवंबर को समझौता किया गया था, जिसमें प्रसारण, समाचारों के आदान-प्रदान और ऑडियो-विज़ुअल कार्यक्रमों के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करना शामिल है। इस समझौते से मलेशिया के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इसके साथ ही प्रसार भारती द्वारा विभिन्न देशों के साथ हस्ताक्षरित MoU की कुल संख्या 46 हो गई है।
उल्लेखनीय है कि प्रसार भारती राष्ट्र निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और देश और विदेश दोनों में सभी को सार्थक और सटीक सामग्री प्रदान करने पर निरंतर ध्यान केंद्रित करता है। ये समझौता ज्ञापन अन्य देशों में सामग्री के वितरण, अंतरराष्ट्रीय प्रसारकों के साथ साझेदारी विकसित करने और नई प्रौद्योगिकियों की मांगों को पूरा करने के लिए नई रणनीतियों की खोज में महत्वपूर्ण होंगे। इस समझौते का उद्देश्य संस्कृति, शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, खेल, समाचार और अन्य क्षेत्रों में कार्यक्रमों का आदान-प्रदान करना है।
सूचना-प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि सरकार को उम्मीद है कि साल के अंत तक एफएम रेडियो पर समाचार प्रसारण को अंतिम रूप दे दिया जाएगा
सूचना-प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि सरकार को उम्मीद है कि साल के अंत तक एफएम रेडियो पर समाचार प्रसारण को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हमें इसे कैबिनेट के सामने पेश करने से पहले ही हरी झंडी मिल गई है।
चंद्रा ने कहा, 'ट्राई ने अधिक महत्वपूर्ण जानकारी के प्रसार को सक्षम बनाने के लिए रेडियो पर समाचारों के प्रसारण की सिफारिश की है। हम मोबाइल सेट पर एफएम को वापस लाने का भी प्रयास कर रहे हैं, ताकि सीधे प्रसारण की सुविधा मिल सके। इससे एफएम की पहुंच भी बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि ऐसा करने से कोई भी रेडियो सुन सकता है और बहुत से लोग अब भी रेडियो सुनते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि खबरों का प्रसारण मुख्य रूप से लाइव है। अन्य माध्यमों में पहले से अपलोड की गए कंटेंट हैं और हो सकता है कि लाइव स्ट्रीमिंग न हो।
ट्राई एफएम रेडियो इंडस्ट्री में स्टेकहोल्डर्स के साथ कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा कर रहा है, जैसे लाइसेंस शुल्क की गणना, वर्तमान लाइसेंस अवधि का विस्तार, मोबाइल फोन में अंतर्निहित एफएम रेडियो रिसीवर की आवश्यकता और बहुत कुछ।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने हाल ही में निजी एफएम रेडियो चैनलों के लिए सीबीसी विज्ञापन दरों में वृद्धि की है। यह वृद्धि बेस रेट पर लगभग 43 प्रतिशत की वृद्धि के बराबर है। इसके अलावा, प्राधिकरण ने हाल ही में निजी एफएम रेडियो चैनलों को स्वतंत्र समाचार बुलेटिन प्रसारित करने की अनुमति देने की सिफारिश की है।
जब एक्सचेंज4मीडिया ने इंडस्ट्री प्लेयर्स से संपर्क किया तो वे एफएम रेडियो इंडस्ट्री के लिए इस तरह बदलावों की संभावनाओं को लेकर काफी उत्सुक और उम्मीद से भरे दिखे।
रिलायंस ब्रॉडकास्ट नेटवर्क के सीईओ ऐब थॉमस (Abe Thomas) ने कहा, 'हाल के दिनों में रेडियो इंडस्ट्री के लिए कुछ उल्लेखनीय विकास हुए हैं, चाहे वह सात साल बाद सरकारी विज्ञापन दरों में संशोधन हो या 808 एफएम लाइसेंस की ई-नीलामी की घोषणा हो या फिर ट्राई ने वार्षिक लाइसेंस शुल्क संरचना में संशोधन और रेडियो प्लेयर्स को समाचार और समसामयिक कार्यक्रम प्रसारित करने की अनुमति देने की सिफारिशें की हों। इन सुधारों से निश्चित रूप से राजस्व को बढ़ावा मिलेगा और रेडियो एफएम की पहुंच का विस्तार होगा।
एग्जिक्यूटिव रेडियो पर समाचार और समसामयिक मामलों के प्रसारण का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि यह श्रोताओं और विज्ञापनदाताओं का एक नया समूह लाएगा, जिससे रेडियो प्लेयर्स श्रोताओं के साथ व्यापक जुड़ाव का पता लगाने में सक्षम होंगे।
'माय एफएम' (My FM) के सीईओ राहुल नामजोशी भी लंबे समय से लंबित इन सकारात्मक सिफारिशों को देखकर खुश हैं और उनके अनुसार, अगर इसे लागू किया जाता है तो यह रेडियो कैटेगरी के लिए एक वरदान साबित होगा। हम इस विषय पर विस्तृत विचार-विमर्श करने, सभी हितधारकों को सुनने और फिर ऐसी मजबूत सिफारिशें देने के लिए ट्राई के आभारी हैं।
उनका मानना है कि सभी सिफारिशें इंडस्ट्री की वास्तविक दिक्कतों पर आधारित हैं और उन्हें उम्मीद है कि इन सिफारिशों का वास्तविक कार्यान्वयन होगा।
सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से वर्ष 2022 में 388 लाइसेंस और परमीशन दी गई हैं।
‘सूचना प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी कर बताया है कि एफएम रेडियो के लाइसेंस और परमीशन से कितनी कमाई हुई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय की ओर से वर्ष 2022 में 388 लाइसेंस और परमीशन दी गईं, जिससे 179 करोड़ रुपये का रेवेन्यू प्राप्त हुआ है।
इससे पहले वर्ष 2021 में भी लगभग इतनी ही यानी 386 परमीशन दी गई थीं और इससे 149 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला था, यानी वर्ष 2022 में इस रेवेन्यू में 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016 से 2017 और वर्ष 2019 से 2020 में इस रेवेन्यू में अचानक गिरावट देखी गई थी। वर्ष 2016 में लाइसेंस की संख्या 276 थी, जिसे वर्ष 2017 में बढ़ाकर 324 कर दिया गया था, इसके बाद भी रेवेन्यू करीब 50 प्रतिशत कम हो गया था।
वर्ष 2015 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के लिए काफी अच्छा और ऐतिहासिक वर्ष रहा, क्योंकि नए एफएम स्टेशनों की नीलामी और लाइसेंस शुल्क में वृद्धि के कारण रेवेन्यू में 2461 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी।
ऑडियो सीरीज प्लेटफॉर्म 'पॉकेट एफएम' (Pocket FM) ने कंटेंट मार्केटिंग के वाइस प्रेजिडेंट के रूप में विवेक भूटयानी (Vivek Bhutyani) की नियुक्ति किया है।
ऑडियो सीरीज प्लेटफॉर्म 'पॉकेट एफएम' (Pocket FM) ने कंटेंट मार्केटिंग के वाइस प्रेजिडेंट के रूप में विवेक भूटयानी (Vivek Bhutyani) की नियुक्ति किया है। विवेक को मीडिया, टेलीकॉम, रिटेल और एडटेक सहित अलग-अलग इंडस्ट्री में 20 से अधिक वर्षों का अनुभव है। वह साथ, विवेक कंपनी की कंटेंट मार्केटिंग स्ट्रैटजी व ऑर्गेनिक ग्रोथ में एक्सपर्ट हैं।
पॉकेट एफएम से पहले विवेक 'वेदांतु' (Vedantu) की लीडरशिप टीम का हिस्सा थे। उन पर वेदांतु के लिए ऑर्गेनिक ग्रोथ की जिम्मेदारी थी, जहां वे यूट्यूब की स्ट्रैटजी और ग्रोथ का नेतृत्व करते थे। 100 से अधिक एजुकेटर्स, शिक्षकों और कंटेंट प्रॉडक्शन टीम्स और क्रिएटर्स की एक विविध टीम का नेतृत्व करते थे।
पॉकेट एफएम में, विवेक इंटरनेशनल ग्रोथ चार्टर को आगे बढ़ाने के लिए इसके सीईओ व को-फाउंडर रोहन नायक और इंटरनेशनल ग्रोथ के वाइस प्रेजिडेंट ललित गंगवार के साथ मिलकर काम करेंगे।
विवेक भूटयानी ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, बेंगलोर से एमबीए किया है। उन्होंने निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स व कम्युनिकेशंस में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बी.ई.) भी किया है।