पॉलिसी का उद्देश्य दूरदर्शन और आकाशवाणी के विशाल टीवी और रेडियो आर्काइव से कंटेंट को मोनेटाइज करना और इसे ज्यादा लोगों तक पहुंचाना है
प्रसार भारती अपनी नई कंटेंट सिंडिकेशन पॉलिसी 2025 को मध्य नवंबर तक फाइनल करने वाला है। यह कदम प्रमुख इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स के साथ हुई सलाह-मशविरों के बाद उठाया जा रहा है।
'इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रसार भारती के सीईओ गौरव द्विवेदी ने बताया कि अगले 10–12 दिनों में हम इंडस्ट्री कंसल्टेशन आयोजित करेंगे। मुझे लगता है कि मध्य नवंबर तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
पॉलिसी का उद्देश्य दूरदर्शन और आकाशवाणी के विशाल टीवी और रेडियो आर्काइव से कंटेंट को मोनेटाइज करना और इसे ज्यादा लोगों तक पहुंचाना है। साथ ही, यह देश और विदेश के प्लेटफॉर्म्स के साथ स्ट्रैटेजिक कोलैबोरेशन की राह भी खोलेगी।
पॉलिसी के ड्राफ्ट और कंसल्टेशन नोट पिछले महीने OTT प्लेटफॉर्म्स, टीवी चैनल्स, रेडियो नेटवर्क्स, टेलीकॉम ऑपरेटर्स और कंटेंट एग्रीगेटर्स को भेजे गए थे। इसमें मोनेटाइजेशन मॉडल और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर फीडबैक मांगा गया।
पॉलिसी के अनुसार कंटेंट सिंडिकेशन को तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा- फ्री या पब्लिक, कमर्शियल और इंटरनेशनल।
फ्री या पब्लिक कैटेगरी: इसमें सरकारी विभाग, शैक्षणिक संस्थान और कम्युनिटी मीडिया गैर-व्यावसायिक, शैक्षणिक और जागरूकता उद्देश्यों के लिए कंटेंट इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही, कंटेंट में कोई बदलाव करने के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
कमर्शियल कैटेगरी: OTT प्लेटफॉर्म्स, टीवी चैनल्स, एग्रीगेटर्स, टेलीकॉम कंपनियां और इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट प्रोवाइडर्स कंटेंट का इस्तेमाल पेड लाइसेंसिंग, रिवेन्यू-शेयर एग्रीमेंट्स या बंडल्ड ऑफर के जरिए कर सकेंगे। एक्सक्लूसिव राइट्स मामले के हिसाब से दी जा सकती हैं।
इंटरनेशनल कैटेगरी: इसमें विदेशी ब्रॉडकास्टर्स, डायस्पोरा प्लेटफॉर्म्स और कल्चरल ऑर्गनाइजेशन शामिल होंगे। ये राइट्स ग्लोबल या टेरिटरी-स्पेसिफिक, एक्सक्लूसिव या नॉन-एक्सक्लूसिव आधार पर जारी की जा सकती हैं।
प्रसार भारती फ्लैट-फी लाइसेंसिंग, हाइब्रिड मिनिमम गारंटी + रिवेन्यू-शेयर और बार्टर-बेस्ड कंटेंट एक्सचेंज जैसे लचीले मोनेटाइजेशन मॉडल भी अपनाने पर विचार कर रहा है।
पॉलिसी में AI-संचालित ऐडवर्टाइजिंग, ब्लॉकचेन-एनबल्ड रॉयल्टी ट्रैकिंग और एड्रेसेबल टीवी जैसे नए टूल्स के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की बात भी कही गई है।
ड्राफ्ट के अनुसार, एक सिंडिकेशन रिव्यू कमिटी (SRC) बनाई जाएगी, जो सभी सिंडिकेशन अप्लिकेशन की समीक्षा करेगी ताकि संपादकीय, कानूनी और वित्तीय मानकों का पालन हो।
इसके अलावा, पॉलिसी में रेट कार्ड, ब्रांडिंग गाइडलाइन्स, मेटाडेटा टेम्प्लेट्स और प्रतिबंधित उपयोग के मामलों (जैसे राजनीतिक विज्ञापन और AI ट्रेनिंग के लिए बिना अनुमति कंटेंट इस्तेमाल) की भी जानकारी शामिल है।
प्रसार भारती ने अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, खासकर रेडियो और संबंधित सेवाओं पर स्ट्रीमिंग क्षमता बढ़ाने के लिए कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क सेवाओं पर फीडबैक आमंत्रित किया है।
देश के सार्वजनिक प्रसारक प्रसार भारती ने अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, खासकर रेडियो और संबंधित सेवाओं पर स्ट्रीमिंग क्षमता बढ़ाने के लिए कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क (CDN) सेवाओं पर फीडबैक आमंत्रित किया है। यह कदम प्रसार भारती की डिजिटल विस्तार रणनीति का हिस्सा है।
15 अक्टूबर 2025 को जारी एक ऑफिस मेमो में प्रसार भारती ने बताया कि वह GeM (Government e-Marketplace) पोर्टल पर CDN सेवाओं और डेटा डिलीवरी सॉल्यूशंस के लिए नई टेंडर प्रक्रिया शुरू करने वाला है। इन सेवाओं का उद्देश्य रेडियो चैनलों और अन्य डिजिटल ब्रॉडकास्ट की लाइव स्ट्रीमिंग को सुचारू बनाना है।
ड्राफ्ट तकनीकी विशिष्टताओं को संभावित बोलीदाताओं, ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEMs) और उनके अधिकृत डीलर्स या विक्रेताओं से इनपुट लेने के लिए प्रकाशित किया गया है। प्रसार भारती ने जोर दिया है कि सभी फीडबैक के साथ बजट का अनुमान भी भेजा जाए, ताकि टेंडर फाइनल करने से पहले संभावित लागत का वास्तविक आकलन किया जा सके।
उद्योग के विशेषज्ञों को 3 नवंबर 2025 तक अपने सुझाव और बजट को ade-it@prasarbharati.gov.in पर ईमेल करने के लिए कहा गया है।
यह पहल प्रसार भारती की IT और कंटेंट डिलीवरी इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने की दिशा में एक और कदम है। इसका उद्देश्य अकाशवाणी की लाइव स्ट्रीमिंग सेवाओं और प्रसार भारती न्यूज सर्विसेज (PBNS) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर एक्सेसिबिलिटी और यूजर अनुभव को बेहतर बनाना है।
फीडबैक आमंत्रण प्रसार भारती के असिस्टेंट डायरेक्टर (IT) सिम्मी मित्तल द्वारा जारी किया गया है, और इस ड्राफ्ट नोटिस को PBNS निदेशालय द्वारा प्रसार भारती की कॉर्पोरेट वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा।
चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सभी राजनीतिक दलों को दूरदर्शन और आकाशवाणी पर मुफ्त प्रसारण और टेलीकास्ट समय देने की घोषणा की है।
चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सभी राजनीतिक दलों को दूरदर्शन और आकाशवाणी पर मुफ्त प्रसारण व टेलीकास्ट के लिए समय देने की घोषणा की है। इसके तहत अब पार्टियों को डिजिटल टाइम वाउचर आवंटित किए जाएंगे।
यह पहल जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 39ए के तहत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य चुनाव अवधि के दौरान सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सरकारी मीडिया पर समान अवसर प्रदान करना है। चुनाव आयोग ने बताया कि इस बार यह व्यवस्था पूरी तरह आईटी आधारित डिजिटल सिस्टम पर होगी, जिससे पहले की मैनुअल वाउचर प्रक्रिया को खत्म किया जा रहा है।
प्रसारण और टेलीकास्ट का समय उम्मीदवारों की सूची जारी होने से लेकर मतदान की तारीख से दो दिन पहले तक उपलब्ध रहेगा। इस दौरान विभिन्न चरणों के लिए समय-सारणी लॉटरी के माध्यम से तय की जाएगी, जिसमें राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर के अधिकारी मौजूद रहेंगे।
प्रत्येक योग्य राजनीतिक दल को दूरदर्शन और आकाशवाणी दोनों पर 45 मिनट का मुफ्त प्रसारण समय दिया जाएगा। इसके अलावा, पिछले बिहार विधानसभा चुनावों में दलों के प्रदर्शन के आधार पर अतिरिक्त समय भी दिया जा सकता है। ये प्रसारण राज्य के क्षेत्रीय नेटवर्क्स पर प्रसारित किए जाएंगे, ताकि सभी इलाकों में बराबर पहुंच बनाई जा सके।
राजनीतिक दलों को अपने भाषणों की स्क्रिप्ट और रिकॉर्डिंग पहले से जमा करनी होगी और यह पूरी तरह चुनाव आयोग और प्रसार भारती के दिशा-निर्देशों के अनुरूप होनी चाहिए। रिकॉर्डिंग का काम दूरदर्शन/आकाशवाणी केंद्रों पर या ऐसे स्टूडियो में किया जा सकेगा जो प्रसार भारती के तकनीकी मानकों को पूरा करते हों।
इसके अलावा, प्रसार भारती दोनों प्लेटफॉर्म्स पर अधिकतम दो पैनल चर्चाओं या डिबेट्स का आयोजन भी करेगी, जिनमें प्रत्येक योग्य दल का एक प्रतिनिधि भाग ले सकेगा। इन चर्चाओं का संचालन एक मान्यताप्राप्त समन्वयक (मॉडरेटर) द्वारा किया जाएगा ताकि दर्शकों को संतुलित और जानकारीपूर्ण चर्चा देखने को मिले।
चुनाव आयोग ने कहा कि यह पहल चुनावी संवाद प्रक्रिया में पारदर्शिता, समान अवसर और डिजिटल कुशलता लाने के लिए की गई है, ताकि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की आवाज विश्वसनीय राष्ट्रीय मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से जनता तक पहुंच सके।
ट्राई (TRAI) ने प्राइवेट रेडियो ब्रॉडकास्टर्स के लिए डिजिटल रेडियो ब्रॉडकास्टिंग पॉलिसी तैयार करने के अपने सुझाव जारी किए हैं।
ट्राई (TRAI) ने प्राइवेट रेडियो ब्रॉडकास्टर्स के लिए डिजिटल रेडियो ब्रॉडकास्टिंग पॉलिसी तैयार करने के अपने सुझाव जारी किए हैं। इस प्रस्ताव में भारत में एनालॉग FM से डिजिटल रेडियो पर संक्रमण, लाइसेंसिंग शर्तें, ऑक्शन नियम और प्रमुख शहरों में स्पेक्ट्रम के रिजर्व प्राइस का रोडमैप तय किया गया है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने अप्रैल 2024 में TRAI से यह सुझाव मांगे थे कि निजी क्षेत्र के लिए डिजिटल रेडियो पॉलिसी कैसे बनाई जाए। सितंबर 2024 में जारी परामर्श पत्र और जनवरी 2025 में ओपन हाउस चर्चा के बाद, TRAI ने अब अपनी अंतिम सिफारिशें पेश कर दी हैं।
सिमुलकास्ट प्रणाली से संक्रमण:
TRAI ने सिफारिश की है कि डिजिटल रेडियो सेवाएं सिमुलकास्ट मोड में शुरू की जाएं। इसके तहत एक Broadcaster एक ही आवृत्ति पर एक एनालॉग FM चैनल, तीन डिजिटल चैनल और एक डेटा चैनल प्रसारित कर सकेगा। यह प्रणाली श्रोताओं और ब्रॉडकास्टर्स दोनों के लिए संक्रमण को आसान बनाएगी।
मौजूदा FM ब्रॉडकास्टर्स को स्वैच्छिक आधार पर सिमुलकास्ट पर जाने का विकल्प दिया जाएगा। इसके लिए उन्हें शहर में स्पेक्ट्रम के ऑक्शन द्वारा निर्धारित मूल्य और वर्तमान लाइसेंस अवधि के लिए पहले से भरी गई एंट्री फीस के बीच का अंतर भरना होगा। ऑक्शन पूरा होने के छह महीने के भीतर इस विकल्प का उपयोग करना होगा। डिजिटल सेवाओं के लिए चुने जाने के बाद ब्रॉडकास्टर्स को दो साल के भीतर संचालन शुरू करना होगा। TRAI ने कहा है कि एनालॉग FM बंद करने की अंतिम तारीख बाद में तय की जाएगी।
प्रौद्योगिकी और इन्फ्रास्ट्रक्चर:
नियामक ने जोर दिया कि भारत को VHF Band II फ्रीक्वेंसी रेंज में एक ही डिजिटल रेडियो तकनीक अपनानी चाहिए। सरकार इस तकनीक को ब्रॉडकास्टर्स और रिसीवर निर्माताओं से परामर्श के जरिए, ऑक्शन प्रक्रिया के माध्यम से या किसी अन्य उपयुक्त तरीके से तय कर सकती है।
TRAI ने डिजिटल सेवाओं के तेजी से रोलआउट के लिए ‘रेडियो ब्रॉडकास्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर’ नामक नई श्रेणी बनाने का सुझाव दिया है। ये संस्थाएं ब्रॉडकास्टर्स को सक्रिय और निष्क्रिय इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कर के दे सकती हैं, हालांकि यह डिजिटल सेवाएं शुरू करने के लिए अनिवार्य नहीं होगा। इसके अलावा, प्रसार भारती को निजी ब्रॉडकास्टर्स को अपनी भूमि, टॉवर और साझा ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है।
मूल्य निर्धारण और अधिकृत अवधि:
डिजिटल रेडियो ब्रॉडकास्टिंग के लिए अधिकृत अवधि 15 साल तय की गई है। ब्रॉडकास्टर्स को अपनी समायोजित सकल आय (AGR) का 4 प्रतिशत वार्षिक शुल्क देना होगा। सीमा, पर्वतीय और द्वीपीय क्षेत्रों में पहले तीन साल के लिए यह 2 प्रतिशत होगा और उसके बाद 4 प्रतिशत। ऑनलाइन स्ट्रीमिंग से होने वाली आय भी कुल राजस्व में गिनी जाएगी।
बाजार और प्रतिस्पर्धा:
TRAI ने कहा है कि किसी एक संस्था को किसी शहर में कुल फ्रीक्वेंसी का 40 प्रतिशत से अधिक रखने की अनुमति नहीं होगी। प्रत्येक शहर में कम से कम तीन अलग-अलग ऑपरेटर होंगे ताकि प्रतिस्पर्धा बनी रहे।
A+ और A श्रेणी शहरों में रिजर्व प्राइस:
TRAI ने चार ‘A+’ और नौ ‘A’ श्रेणी के शहरों में डिजिटल रेडियो सेवाओं के रोलआउट के लिए ऑक्शन कराने की सिफारिश की है। मेट्रो में रिजर्व प्राइस: मुंबई – 194.08 करोड़, दिल्ली – 177.63 करोड़, चेन्नई – 146.68 करोड़, कोलकाता – 79.96 करोड़। A श्रेणी शहरों में बेंगलुरु – 87.22 करोड़, हैदराबाद – 65.85 करोड़, पुणे – 41.26 करोड़, अहमदाबाद – 40.44 करोड़, नागपुर – 29.48 करोड़, जयपुर – 26.89 करोड़, सूरत – 25.89 करोड़, लखनऊ – 24.59 करोड़ और कानपुर – 20.52 करोड़।
श्रोताओं और ब्रॉडकास्टर्स को लाभ:
TRAI के अनुसार, डिजिटल रेडियो एनालॉग FM की तुलना में बेहतर ऑडियो अनुभव देगा। एक फ्रीक्वेंसी पर कई चैनल प्रसारित करने से श्रोताओं को विविध प्रोग्रामिंग मिलेगी और ब्रॉडकास्टर्स के लिए नई आय के अवसर खुलेंगे। डेटा चैनल के माध्यम से टेक्स्ट और सूचना सेवाएं भी उपलब्ध होंगी। ब्रॉडकास्टर्स अपने डिजिटल चैनलों की शैली चुन सकेंगे। सरकार को सलाह दी गई है कि डिजिटल रेडियो रिसीवर मोबाइल और कार इंफोटेनमेंट सिस्टम में उपलब्ध कराए जाएं।
TRAI ने कहा है कि डिजिटल रेडियो से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, उपभोक्ताओं को विकल्प मिलेंगे और ब्रॉडकास्टर्स अपने कंटेंट में विविधता ला सकेंगे। सिमुलकास्ट मॉडल मौजूदा FM सेवाओं को सुरक्षित रखते हुए डिजिटल प्लेटफॉर्म के विकास का संतुलित मार्ग प्रदान करेगा।
स्पॉटिफाई (Spotify) ने घोषणा की है कि इसके संस्थापक व CEO डेनियल एक (Daniel Ek) 1 जनवरी 2026 से एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के पद पर काम करेंगे।
स्पॉटिफाई (Spotify) ने घोषणा की है कि इसके संस्थापक व CEO डेनियल एक (Daniel Ek) 1 जनवरी 2026 से एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के पद पर काम करेंगे। कंपनी ने साथ ही Gustav Söderström, जो को-प्रेजिडेंट और चीफ प्रॉडक्ट व टेक्नोलॉजी ऑफिसर हैं और Alex Norström, जो को-प्रेजिडेंट और चीफ बिजनेस ऑफिसर हैं, को को-चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया है।
ये दोनों नए co-CEOs डेनियल एक को रिपोर्ट करेंगे और शेयरहोल्डर्स की मंजूरी मिलने पर कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का हिस्सा भी होंगे।
एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के रूप में, डेनियल का काम यूरोपीय चेयरमैन मॉडल के अनुसार होगा। वे कंपनी के पूंजी आवंटन, लंबी अवधि की योजना और वरिष्ठ टीम को मार्गदर्शन देने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
डेनियल एक ने कहा, “मैं हमेशा मानता था कि Spotify दुनिया भर में संगीत सुनने के तरीके में बदलाव ला सकता है। 700 मिलियन से ज्यादा यूजर्स के साथ हमने वास्तव में एक नई दिशा तय की है। पिछले कुछ सालों में मैंने दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन और रणनीति का बड़ा हिस्सा Alex और Gustav को सौंप दिया है। यह बदलाव सिर्फ उनके पदों को हमारे काम करने के तरीके से मेल खाने के लिए है। एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के रूप में मैं कंपनी की लंबी अवधि की योजना पर ध्यान दूंगा और Board व co-CEOs को जुड़े रखूंगा।”
Spotify के Lead Independent Director Woody Marshall ने कहा, “Board पिछले कई सालों से Daniel के साथ कंपनी की नेतृत्व संरचना पर काम कर रहा है। हमें Alex और Gustav पर पूरा भरोसा है। दोनों ने कंपनी में 15 साल से ज्यादा समय बिताया है और हमारी सफलता में अहम भूमिका निभाई है। यह भी बहुत खुशी की बात है कि Daniel सक्रिय रूप से शामिल रहेंगे और co-CEOs को मार्गदर्शन देंगे।”
नए co-CEOs ने संयुक्त बयान में कहा, “हम लंबे समय से साथ काम कर रहे हैं और Spotify को कई अलग-अलग चरणों से गुजरते देखा है। लगभग तीन साल पहले जब हम Co-Presidents बने थे, हमने अपनी टीम को सबसे अच्छा और मूल्यवान अनुभव बनाने पर लगातार ध्यान देने का काम सौंपा था। हमारे CEO के रूप में अलग अनुभव और दृष्टिकोण होंगे, लेकिन हम दोनों तेज़ी से काम करने में विश्वास रखते हैं और Daniel के पूरे सहयोग और मार्गदर्शन के साथ नई जिम्मेदारी शुरू करने के लिए उत्साहित हैं।”
ये सभी बदलाव 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगे।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने एफएम रेडियो चैनलों की नीलामी के लिए रिजर्व प्राइस को लेकर अपनी सिफारिशें जारी की हैं।
चहनीत कौर, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने एफएम रेडियो चैनलों की नीलामी के लिए रिजर्व प्राइस को लेकर अपनी सिफारिशें जारी की हैं। यह कदम सूचना-प्रसारण मंत्रालय की उस मांग के बाद उठाया गया है, जिसमें कई शहरों में निजी एफएम सेवाओं के विस्तार की बात कही गई थी।
यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब यह सेक्टर विज्ञापनदाताओं की कमजोर दिलचस्पी और हाल ही की नीलामी में खराब प्रतिक्रिया से जूझ रहा है।
ट्राई के अनुसार, मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के 18 कैटेगरी-ई शहरों में एफएम चैनलों की कीमत तय करने के लिए मार्गदर्शन मांगा था। इसमें छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, ओडिशा के राउरकेला और उत्तराखंड के रुद्रपुर को भी शामिल किया गया था।
सार्वजनिक परामर्श और ओपन हाउस चर्चा के बाद नियामक ने अपनी सिफारिशें अंतिम रूप दीं। रिजर्व प्राइस बिलासपुर के लिए 0.83 करोड़ रुपये, राउरकेला के लिए 1.20 करोड़ रुपये, रुद्रपुर के लिए 0.97 करोड़ रुपये और कैटेगरी-ई शहरों के लिए 3.75 लाख रुपये तय किए गए हैं।
कैटेगरी-ई मार्केट्स के लिए न्यूनतम नेट वर्थ की शर्त 30 लाख रुपये तय की गई है, जबकि अन्य शहरों के लिए थ्रेशोल्ड्स पहले की तरह ही फेज-III गाइडलाइंस के तहत रहेंगे। कैटेगरी-ई शहरों में सालाना ऑथराइजेशन फीस पहले तीन साल तक समायोजित सकल राजस्व (AGR) का 2% होगी, और उसके बाद 4% कर दी जाएगी।
नीलामियों में कमजोर मांग
नई प्राइसिंग व्यवस्था एक निराशाजनक नीलामी चक्र के बाद आई है। इंडस्ट्री से जुड़े एक एग्जिक्यूटिव ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, '235 लोकेशन्स पर 750 से ज्यादा स्टेशन ऑफर किए गए थे, लेकिन सिर्फ 43 शहरों में 55 स्टेशनों को खरीदार मिले। कई बड़े प्लेयर्स, जैसे रेडियो मिर्ची और रेडियो सिटी, दूर रहे। सच कहूँ तो मुझे नहीं पता कि इन लाइसेंसों के लिए कितने खरीदार मिलेंगे।'
उन्होंने आगे कहा, 'हाल की नीलामियां बहुत सफल नहीं रहीं क्योंकि इस सेक्टर की मुख्य परेशानियों का अभी तक हल नहीं हुआ है। इसी वजह से सिर्फ कुछ ही प्लेयर्स, जिन्हें अब भी संभावना दिखी, उन्होंने हिस्सा लिया।'
कम्युनिटी और प्राइवेट रेडियो की चिंताएं
ट्राई ने कुछ बड़े सुधार भी सुझाए हैं, जैसे निजी ब्रॉडकास्टर्स को प्रति घंटे 10 मिनट तक समाचार प्रसारित करने की अनुमति देना, लाइसेंस फीस को वन-टाइम एंट्री फीस से अलग करना और रेडियो कार्यक्रमों की स्ट्रीमिंग की सुविधा देना।
लेकिन ब्रॉडकास्टर्स का कहना है कि सिर्फ इरादा काफी नहीं होगा, असली समस्या अर्थशास्त्र (economics) की है। बड़े नेटवर्क्स ने छोटे प्लेयर्स की उन चिंताओं को भी दोहराया है जो धीमी नीतिगत क्रियान्वयन से जुड़ी हैं।
'रेड एफएम' और 'मैजिक एफएम' की डायरेक्टर और सीओओ निशा नारायणन ने कहा, 'हम एफएम रेडियो सेक्टर के लिए ट्राई के प्रस्तावित सुधारों का स्वागत करते हैं। यह देखकर अच्छा लगता है कि इतनी व्यापक सिफारिशें की गई हैं, जो इंडस्ट्री की जरूरतों की गहरी समझ को दर्शाती हैं।
'लेकिन असली महत्व समय पर क्रियान्वयन का है। सालों से रेडियो के लिए कई अच्छे नीतिगत सुझाव आए हैं, लेकिन वे लागू नहीं हुए। अगर इस बार भी तुरंत कार्रवाई नहीं हुई तो यह बिजनेस पर असर डालेगा और लंबे समय में इंडस्ट्री की वृद्धि को रोक सकता है। हम ईमानदारी से उम्मीद करते हैं कि इस बार सुधार जल्दी लागू किए जाएंगे ताकि इंडस्ट्री अपनी पूरी क्षमता हासिल कर सके और दर्शकों की बेहतर सेवा कर सके।'
'रेडियो मेवात' की संस्थापक अर्चना कपूर ने कहा कि नई गाइडलाइंस छोटे शहरों में व्यवहार्यता संकट (viability crisis) को हल नहीं करतीं। उन्होंने कहा, 'हाल की नीलामियों ने दिखा दिया कि छोटे शहरों का बाजार ऊंचे रिजर्व प्राइस और नगण्य विज्ञापन मांग की वजह से कितना गैर-आकर्षक है। जब तक रिजर्व प्राइस को बड़े पैमाने पर तर्कसंगत नहीं किया जाता और सरकारी विज्ञापन की गारंटी नहीं दी जाती, स्टेशनों के लिए टिके रहना मुश्किल होगा।
'कम्युनिटी रेडियो पहले से ही यही झेल रहे हैं। सामाजिक मूल्य होने के बावजूद वे वित्तीय रूप से टिकाऊ नहीं हैं क्योंकि छोटे शहरों के बाजारों में राजस्व मॉडल मौजूद ही नहीं हैं। जब तक इस संरचनात्मक समस्या को नहीं सुधारा जाता, एफएम और कम्युनिटी रेडियो दोनों ही खस्ताहाल रहेंगे।'
आगे की राह
फिलहाल, ट्राई की नई रिजर्व प्राइसिंग व्यवस्था ऑपरेटर्स के लिए खासकर छोटे (कैटेगरी-ई) शहरों में सेवाएं शुरू करना आसान बना सकती है। लेकिन जब तक लाइसेंस फीस, जीएसटी और समाचार प्रसारण जैसी पुरानी मांगों को नहीं माना जाता, इंडस्ट्री के प्लेयर्स को डर है कि एफएम रेडियो डिजिटल और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स के सामने और जमीन खोता जाएगा।
सभी स्टेकहोल्डर्स की राय साफ है: सुधार जरूरी हैं, लेकिन अब अमल में लाना और भी जरूरी है, वरना भारत के मीडिया परिदृश्य में एफएम रेडियो की प्रासंगिकता और घट जाएगी।
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने एफएम रेडियो चैनलों की नीलामी के रिजर्व प्राइस पर अपनी सिफारिशें जारी कर दी हैं
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने एफएम रेडियो चैनलों की नीलामी के रिजर्व प्राइस पर अपनी सिफारिशें जारी कर दी हैं। यह कदम सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) के उस अनुरोध के बाद आया है, जिसमें कई शहरों में निजी एफएम रेडियो का विस्तार करने की बात कही गई थी।
TRAI की विज्ञप्ति के अनुसार, मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के 18 श्रेणी ‘E’ शहरों के साथ-साथ बिलासपुर (छत्तीसगढ़), राउरकेला (ओडिशा) और रुद्रपुर (उत्तराखंड) के लिए एफएम चैनलों की नीलामी के रिजर्व प्राइस पर मार्गदर्शन मांगा था।
स्टेकहोल्डर परामर्श प्रक्रिया, जिसमें सार्वजनिक टिप्पणियां और ओपन हाउस चर्चा शामिल थी, के बाद TRAI ने अपनी अंतिम सिफारिशें तय कीं। प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
एफएम चैनल नीलामी के रिजर्व प्राइस बिलासपुर के लिए 0.83 करोड़ रुपये, राउरकेला के लिए 1.20 करोड़ रुपये, रुद्रपुर के लिए 0.97 करोड़ रुपये और श्रेणी ‘E’ शहरों के लिए 3.75 लाख रुपये तय किए गए हैं।
श्रेणी ‘E’ शहरों के लिए न्यूनतम निवल मूल्य की आवश्यकता 30 लाख रुपये होगी, जबकि अन्य शहरों के लिए आवश्यकताएं मौजूदा एफएम फेज-III पॉलिसी गाइडलाइंस के अनुसार रहेंगी।
श्रेणी ‘E’ शहरों में पहले तीन वर्षों तक वार्षिक प्राधिकरण शुल्क समायोजित सकल राजस्व (AGR) का 2% होगा, जिसके बाद यह 4% हो जाएगा। AGR की गणना में GST शामिल नहीं होगा।
श्रेणी ‘E’ शहरों में निजी प्रसारकों को अधिकतम तीन एफएम चैनल आवंटित किए जा सकेंगे, जबकि अन्य शहर श्रेणियों के लिए मौजूदा सीमा बरकरार रहेगी।
TRAI ने एफएम ऑपरेटरों को वित्तीय सहूलियत देने के लिए कुछ उपाय भी सुझाए हैं। इनमें निजी प्रसारकों को प्रति घंटे 10 मिनट तक समाचार प्रसारित करने की अनुमति, वार्षिक लाइसेंस शुल्क को एकमुश्त गैर-वापसी योग्य एंट्री शुल्क से अलग करना और रेडियो कार्यक्रमों की स्ट्रीमिंग की अनुमति शामिल है, जिसमें उपयोगकर्ता का नियंत्रण नहीं होगा।
प्राधिकरण ने प्रसार भारती की जमीन, टावर और ट्रांसमिशन ढांचे को रियायती दरों पर उपलब्ध कराने और सफल बोलीदाताओं को लचीले भुगतान विकल्प देने की भी सिफारिश की है।
टीवी टुडे नेटवर्क का रेडियो बिजनेस से बाहर निकलने का प्रस्ताव अटक गया है, क्योंकि क्रिएटिव चैनल ऐडवर्टाइजिंग एंड मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड (CCAMPL) ने इस डील से पीछे हटने का फैसला किया है।
टीवी टुडे नेटवर्क का रेडियो बिजनेस से बाहर निकलने का प्रस्ताव अटक गया है, क्योंकि क्रिएटिव चैनल ऐडवर्टाइजिंग एंड मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड (CCAMPL) ने इस डील से पीछे हटने का फैसला किया है। इंडिया टुडे ग्रुप की इस कंपनी ने पहले अपने 'इश्क एफएम' (Ishq FM) ब्रैंड के तहत एफएम रेडियो ऑपरेशंस को CCAMPL को बेचने के लिए करार किए थे, लेकिन अब यह प्रस्तावित लेनदेन रद्द हो गया है।
प्रसारक लंबे समय से अपने घाटे में चल रहे रेडियो बिजनेस से बाहर निकलने के विकल्प तलाश रहा था, जिसमें मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में उसके तीन एफएम स्टेशन शामिल हैं। इस साल फरवरी और मार्च में, टीवी टुडे ने स्टॉक एक्सचेंज को अपने MoU और इसके बाद CCAMPL के साथ हुए करारों की जानकारी दी थी, जिनमें बिक्री के साथ-साथ एक विज्ञापन बिक्री करार भी शामिल था।
अपने ताजा स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में, टीवी टुडे नेटवर्क ने कहा, “हमारी पहले दी गई जानकारी दिनांक 11 फरवरी 2025, 25 फरवरी 2025, 26 मार्च 2025 और सेबी लिस्टिंग रेगुलेशंस के रेगुलेशन 30 के तहत, यह सूचित किया जाता है कि क्रिएटिव चैनल ऐडवर्टाइजिंग एंड मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड (‘CCAMPL’) ने 9 सितंबर 2025 को भेजे गए ईमेल के जरिए कंपनी के साथ किए गए निम्नलिखित करारों को आगे जारी रखने में असमर्थता जताई है और इन्हें वापस ले लिया है: कंपनी और CCAMPL के बीच एफएम रेडियो ब्रॉडकास्टिंग ऑपरेशंस (मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में तीन एफएम रेडियो स्टेशन) की प्रस्तावित बिक्री के लिए हुआ एमओयू और उसका ऐडेंडम। इसके अलावा, कंपनी और CCAMPL के बीच हुआ विज्ञापन बिक्री करार और उसका ऐडेंडम भी।”
रिलीज में कहा गया, “नतीजतन, उपरोक्त करार अब रद्द हो गए हैं।”
CCAMPL के पीछे हटने के बाद टीवी टुडे नेटवर्क की रेडियो बिजनेस से बाहर निकलने की योजना अधर में लटक गई है। आजतक और इंडिया टुडे टीवी जैसे फ्लैगशिप न्यूज चैनल्स के लिए मशहूर यह कंपनी, वर्षों से इश्क एफएम को दोबारा स्थापित करने की कोशिशों के बावजूद इसे लाभदायक नहीं बना पाई है।
30 जून 2025 को समाप्त तिमाही के लिए, टीवी टुडे नेटवर्क के रेडियो ब्रॉडकास्टिंग के तहत बंद किए गए ऑपरेशंस से 1.25 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज हुआ, जबकि मार्च 2025 की तिमाही में यह 2.69 करोड़ रुपये था और पिछले साल की इसी अवधि में 14.16 करोड़ रुपये। इस सेगमेंट ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1 FY26) में कर पूर्व 5 लाख रुपये का घाटा दर्ज किया, जबकि मार्च 2025 की तिमाही में यह घाटा 3 लाख रुपये था और वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में यह कहीं अधिक 3.90 करोड़ रुपये का घाटा था।
भारतीय रेडियो इंडस्ट्री इस समय अपनी सबसे बड़ी छंटनी की मार झेल रही है। अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, विभिन्न नेटवर्क्स में लगभग 300 एम्प्लॉयीज की छंटनी की गई है।
चहनीत कौर, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारतीय रेडियो इंडस्ट्री इस समय अपनी सबसे बड़ी छंटनी की मार झेल रही है। अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, विभिन्न नेटवर्क्स में लगभग 300 एम्प्लॉयीज की छंटनी की गई है।
सूत्रों के अनुसार, केवल रेडियो सिटी (Radio City) ने ही 100–150 एम्प्लॉयीज को बाहर का रास्ता दिखाया है। नॉन-कोर फंक्शन्स में काम कर रहे एम्प्लॉयीज को हटाया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि वित्तीय दबावों के बीच कंपनियां अपने पारंपरिक रेडियो बिजनेस पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रही हैं और कटौती की लहर पूरे सेक्टर में फैल रही है।
रेडियो सिटी के पॉडकास्ट प्रोडक्शन वर्टिकल से प्रभावित एक एम्प्लॉयी (नाम न बताने की शर्त पर) ने पुष्टि की कि कंपनी अब सिर्फ अपने मुख्य व्यवसाय यानी रेडियो पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है। इसलिए जो पहल (इनीशिएटिव्स) रेडियो से जुड़ी नहीं हैं (जैसे पॉडकास्ट), उनमें काम करने वाले एम्प्लॉयीज से कहा जा रहा है कि वे कंपनी छोड़ दें। यह बयान गैर-रेडियो पहल से स्पष्ट रूप से दूरी बनाने को दिखाता है।
सूत्रों के मुताबिक, बिग FM (Big FM) ने भी विभिन्न वर्टिकल्स में लगभग 50–70 एम्प्लॉयीज को नौकरी से निकाल दिया है। My FM भी छंटनी कर रहा है, हालांकि सटीक संख्या साफ नहीं है।
यह छंटनी ऐसे समय में हो रही है जब पहले से ही वित्तीय दबाव रेडियो कंपनियों पर भारी पड़ रहे हैं और तिमाही नतीजे राजस्व और लाभप्रदता पर गहरे संकट को दिखा रहे हैं।
नंबर्स बताते हैं सच्चाई
वित्तीय दबाव कंपनियों की कमाई में साफ झलक रहा है। म्यूजिक ब्रॉडकास्ट लिमिटेड, जो रेडियो सिटी का संचालन करती है, ने 30 जून 2025 को समाप्त तिमाही में 2.17 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया। यह मार्च 2025 तिमाही के 2.58 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ से 184.11 प्रतिशत की गिरावट थी। कंपनी का प्रदर्शन साल-दर-साल आधार पर भी खराब रहा, हालांकि पिछले साल की इसी अवधि में 38.03 करोड़ रुपये के शुद्ध घाटे की तुलना में इस बार नुकसान 94.30 प्रतिशत कम हुआ। ऑपरेशंस से राजस्व घटकर 49.32 करोड़ रुपये रह गया, जो क्रमिक रूप से 17.25 प्रतिशत और Q1 FY25 के 54.67 करोड़ रुपये से 9.78 प्रतिशत कम है।
रेडियो सिटी की कमाई
डीबी कॉर्प के रेडियो बिजनेस (My FM आदि का संचालनकर्ता) के लिए Q1 FY26 में विज्ञापन राजस्व 39.2 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 38.8 करोड़ रुपये था, यानी सालाना आधार पर केवल 1.2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि। क्रमिक आधार पर राजस्व मार्च 2025 तिमाही के 37.8 करोड़ रुपये से 3.7 प्रतिशत बढ़ा। हालांकि, लाभप्रदता पर दबाव रहा। इस तिमाही के लिए EBITDA 11.5 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के 13.2 करोड़ रुपये से 13.1 प्रतिशत कम है।
मिर्ची ENIL का Q1 FY26 के लिए समेकित राजस्व 117 करोड़ रुपये रहा, जो साल-दर-साल 3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। घरेलू राजस्व 113 करोड़ रुपये तक पहुंचा, जिसमें 3.2 प्रतिशत की सालाना वृद्धि रही और यह मुख्य रूप से इवेंट्स, सॉल्यूशन्स और डिजिटल बिजनेस की मजबूत ग्रोथ से प्रेरित था। इस तिमाही का EBITDA 3.6 प्रतिशत बढ़कर 6.2 करोड़ रुपये हो गया।
कंपनी के वित्तीय परिणामों में कहा गया, “रेडियो विज्ञापन सेगमेंट दबा हुआ रहा, मुख्य रूप से Q1 FY25 के हाई बेस इफेक्ट के कारण, जब आम चुनावों के दौरान राजनीतिक विज्ञापन से एक बार का बड़ा उछाल मिला था।”
30 जून 2025 को समाप्त तिमाही के लिए एचटी मीडिया के रेडियो ब्रॉडकास्ट और एंटरटेनमेंट बिजनेस (फीवर FM) ने 31 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया। यह मार्च 2025 तिमाही के 82 करोड़ रुपये से बड़ी गिरावट थी और पिछले साल की समान अवधि के 35.7 करोड़ रुपये से भी 13.2 प्रतिशत कम रहा। इस तिमाही में घाटा बढ़कर 14.1 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले तिमाही में यह 10.1 करोड़ रुपये था और Q1 FY25 में 7.8 करोड़ रुपये। सालाना आधार पर घाटे में 81.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिखी।
RJ की विदाई से लेकर बंद होते ऑपरेशन्स तक
यह उथल-पुथल केवल इन्हीं नेटवर्क्स तक सीमित नहीं है। Ishq FM के कोलकाता स्टेशन ने लोकप्रिय आरजे सोमक घोष को नौकरी से निकाल दिया, जिन्होंने इंस्टाग्राम रील के जरिए अपनी स्थिति साझा की। उन्होंने बताया कि इस साल की शुरुआत में उनका चैनल नए मालिकों को बेच दिया गया था, लेकिन हैंडओवर के दौरान राजस्व संबंधी चुनौतियां सामने आईं, जिसके चलते नौकरियां गईं।
(टीवी टुडे नेटवर्क के बोर्ड ने अपने FM रेडियो ब्रॉडकास्टिंग ऑपरेशन्स को बंद करने को मंजूरी दी थी, जिसमें मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में 104.8 FM फ्रीक्वेंसी के तहत संचालित तीन स्टेशन शामिल थे, जिन्हें Ishq FM के नाम से जाना जाता है।)
30 जून 2025 को समाप्त तिमाही के लिए टीवी टुडे नेटवर्क के बंद हो चुके रेडियो ब्रॉडकास्टिंग ऑपरेशन्स का राजस्व 1.25 करोड़ रुपये रहा, जबकि मार्च 2025 तिमाही में यह 2.69 करोड़ रुपये था और पिछले साल की समान अवधि में 14.16 करोड़ रुपये। इस सेगमेंट ने Q1 FY26 में कर पूर्व 5 लाख रुपये का घाटा दर्ज किया, जबकि मार्च 2025 तिमाही में घाटा 3 लाख रुपये और Q1 FY25 में 3.90 करोड़ रुपये था। 30 जून 2025 तक रेडियो बिजनेस की कुल परिसंपत्तियां 37.22 करोड़ रुपये और देनदारियां 10.11 करोड़ रुपये थीं।
रेडियो की प्रासंगिकता पर संकट
उद्योग पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह छंटनी और बढ़ते घाटे केवल अल्पकालिक लागत कटौती का परिणाम नहीं हैं, बल्कि भारत के तेजी से बदलते मीडिया परिदृश्य में रेडियो की घटती प्रासंगिकता का संकेत हैं।
फ्री कमर्शियल टाइम (FCT) से होने वाली आय, जो कभी प्राइवेट FM की रीढ़ थी, अब घट रही है क्योंकि विज्ञापनदाता अपना बजट डिजिटल और कनेक्टेड प्लेटफॉर्म्स की ओर मोड़ रहे हैं, जो ज्यादा सटीक टार्गेटिंग और मापने योग्य रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट का वादा करते हैं। परंपरागत रूप से रेडियो के लिए भरोसेमंद माने जाने वाले त्योहारी सीजन ने भी विज्ञापन वॉल्यूम में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं दी।
जैसे-जैसे दर्शक तेजी से स्ट्रीमिंग ऐप्स, पॉडकास्ट और शॉर्ट-फॉर्म वीडियो की ओर बढ़ रहे हैं, विज्ञापनदाताओं की रणनीति में रेडियो की स्थिति कमजोर हो रही है। बढ़ते ऑपरेटिंग खर्च और सुस्त विज्ञापनदाता भावना ने दबाव और बढ़ा दिया है, जिससे नेटवर्क्स को हेडकाउंट घटाने और गैर-कोर ऑपरेशन्स बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
जब तक इंडस्ट्री नए मोनेटाइजेशन मॉडल्स- चाहे डिजिटल एक्सटेंशन्स, ब्रैंडेड आईपी या हाइपरलोकल कम्युनिटी कंटेंट के रूप में, नहीं खोज पाती, तब तक भारत का प्राइवेट FM सेक्टर विज्ञापन हिस्सेदारी में गिरावट और घटती प्रासंगिकता के दुष्चक्र में फंसा रह सकता है।
नेहा आहूजा लगभग सात वर्षों से स्पॉटिफाई के साथ जुड़ी हुई हैं और 2019 में भारत की डायरेक्टर और मार्केटिंग की हेड के रूप में कंपनी में शामिल हुई थीं।
स्पॉटिफाई (Spotify) ने नेहा आहूजा को जापान और प्रशांत क्षेत्र (JAPAC) में ग्रोथ की डायरेक्टर के पद पर प्रमोट किया है। आहूजा लगभग सात वर्षों से स्पॉटिफाई के साथ जुड़ी हुई हैं और 2019 में भारत की डायरेक्टर और मार्केटिंग की हेड के रूप में कंपनी में शामिल हुई थीं।
वह FMCG, टेलीकॉम और मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर में मार्केटिंग प्रयासों का नेतृत्व करने का 20 वर्षों से अधिक का अनुभव साथ लाती हैं।
एक लिंक्डइन पोस्ट में उन्होंने साझा किया कि अपनी नई भूमिका में वह जापान, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में ग्रोथ इनिशिएटिव्स का नेतृत्व करेंगी। उन्होंने लिखा, “काम में रणनीति, मार्केटिंग, प्रोडक्ट-मार्केट फिट और पेमेंट्स शामिल हैं, जो सभी डेटा, प्रयोग और सांस्कृतिक समझ द्वारा निर्देशित होंगे।”
स्पॉटिफाई से परे, आहूजा Women in Tech® इंडिया के बोर्ड में सेवाएं देती हैं और इससे पहले वह वोडाफोन और प्रॉक्टर एंड गैंबल में भी भूमिकाएं निभा चुकी हैं।
समाचार4मीडिया से बातचीत में कृतिका ने बताया कि आध्यात्मिक साधना के दौरान उन्होंने यह जाना कि शब्द और आवाज उनकी superpowers हैं।
कम्युनिकेशन कोच और शानदार आवाज की धनी कृतिका कृष्णा ने हाल ही में अपने नए पॉडकास्ट ‘लगभग मोहब्बत’ (Lagbhag Mohabbat) के साथ पॉडकास्टिंग की दुनिया में कदम रखा है।
आवाज और शब्द उनकी सुपरपावर: समाचार4मीडिया से बातचीत में कृतिका ने बताया कि आध्यात्मिक साधना के दौरान उन्होंने यह जाना कि शब्द और आवाज उनकी superpowers हैं।
पॉडकास्ट की थीम: अयोध्या (उत्तर प्रदेश) की मूल निवासी कृतिका ये महसूस करती हैं, ‘हर दिल में कुछ कहानियां होती हैं-अधूरी, अनकही या यादों में कैद। यह पॉडकास्ट उन ही लम्हों को आवाज देता है, जहां मोहब्बत तो थी, पर पूरी न हो सकी। और अक्सर यही अधूरापन हमें अपने भीतर झांकने और दिव्य प्रेम को महसूस करने का मार्ग दिखाता है।’
विविध अनुभवों से समृद्ध यात्रा: आईआईटी दिल्ली से मास्टर्स करने के बाद कृतिका ने शिक्षा, नेतृत्व और वेलनेस के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया। जुलाई 2025 से वह एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में विजिटिंग फैकल्टी के रूप में कार्यरत हैं, जहां वे Conflict Management, Mind-Matter-Spirit- Consciousness, Spiritual & Indian Cultural Heritage जैसे विषय पढ़ाती हैं।
इससे पहले, उन्होंने Creatnet Learning & Leadership में फ़ैसिलिटेटर, बिज़नेस डेवलपमेंट और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में योगदान दिया। वहीं Creatnet Education में वे पार्टनरशिप डेवलपमेंट और यूथ प्रोग्राम्स की फैसिलिटेटर रहीं।
फ्रीलांसिंग और बहुमुखी प्रतिभा: वॉयस आर्टिस्ट, सेक्रेड स्पीकर, मॉडरेटर और इवेंट एंकर के रूप में भी कृतिका सक्रिय हैं। पिछले नौ वर्षों से वे वेलनेस, शिक्षा और आध्यात्मिक प्रोजेक्ट्स में अपनी सेवाएं दे रही हैं। कम्युनिकेशन, emotional intelligence और कम्युनिटी मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में भी उनकी पहचान मजबूत रही है। वह Heartfulness Institute से प्रमाणित मेडिटेशन ट्रेनर भी हैं। उन्होंने किस्से-कहानियों के साथ साथ कविताएं और गीत भी लिखे हैं।
समाचार4मीडिया की ओर से कृतिका कृष्णा को उनके नए सफर ‘लगभग मोहब्बत’ के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
कृतिका कृष्णा के इस पॉडकास्ट को आप यहां सुन सकते हैं।