करीब दो दशक से इस अखबार से जुड़ीं प्रियंका मेहता ने कुछ दिनों पहले ही मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा दिया है और फिलहाल नोटिस पीरियड पर चल रही हैं।
वरिष्ठ पत्रकार प्रियंका दुबे मेहता ने हिंदी अखबार ‘दैनिक जागरण’ (Dainik Jagran) में अपने करीब दो दशक पुराने सफर को विराम दे दिया है। वह इस अखबार के गुरुग्राम ब्यूरो में सीनियर रिपोर्टर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। उन्होंने कुछ दिनों पहले ही मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और फिलहाल नोटिस पीरियड पर चल रही हैं। समाचार4मीडिया से बातचीत में प्रियंका दुबे मेहता ने बताया कि वह फिलहाल कुछ समय तक ‘ब्रेक’ पर रहेंगी और इसके बाद अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगी।
बता दें कि प्रियंका दुबे मेहता को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का करीब दो दशक का अनुभव है। पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2004 में ‘दैनिक जागरण’, मेरठ से की थी। वहां कुछ समय अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद प्रबंधन ने वर्ष 2007 में उनका तबादला गुरुग्राम कर दिया, तब से वह यहीं पर थीं।
‘दैनिक जागरण’ में अपनी पारी के दौरान उन्होंने स्पोर्ट्स, फैशन, एजुकेशन, लाइफस्टाइल समेत तमाम बीट पर अपनी भूमिका निभाई। यहां तमाम फीचर पेज पर उनकी अहम भागीदारी रहती थी। उन्होंने लाइफ स्टाइल पर देशव्यापी कॉलम भी चलाया था, जिसे काफी सराहना मिली थी। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली और हरियाणा चुनाव में रिपोर्टिंग भी की है और दिल्ली के इतिहास पर काफी काम किया है।
मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली प्रियंका दुबे मेहता की पढ़ाई-लिखाई राजस्थान में उदयपुर से हुई है। उन्होंने हिंदी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। शुरू से ही पत्रकारिता की शौकीन प्रियंका दुबे पढ़ाई के दिनों में समय-समय पर ‘नवभारत टाइम्स’ और ‘जनसत्ता’ के लिए लिखती रहती थीं। बाद में उन्होंने पूर्ण रूप से पत्रकारिता में आने का फैसला लिया और ‘दैनिक जागरण’ से जुड़ गईं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।रिलायंस फाउंडेशन दृष्टि ने सेवा के अपने दो दशक पूरे कर लिए हैं। इस उपलक्ष्य में फाउंडेशन ने नेत्रहीन लोगों के लिए मराठी में ब्रेल अखबार का शुभारंभ किया है।
रिलायंस फाउंडेशन दृष्टि ने सेवा के अपने दो दशक पूरे कर लिए हैं। इस उपलक्ष्य में फाउंडेशन ने नेत्रहीन लोगों के लिए मराठी में ब्रेल अखबार का शुभारंभ किया है।
2012 में भारत का एकमात्र हिंदी पाक्षिक अंतरराष्ट्रीय ब्रेल अखबार लॉन्च किया गया था। इसे अब मराठी भाषा में भी लाया जा रहा है। नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड के सहयोग से निर्मित इस अखबार के मुख्य संपादक स्वागत थोराट हैं।
इस अखबार में खेल, व्यापार, शिक्षा, करंट अफेयर्स और मनोरंजन जगत की जुड़ी खबरों को कवर किया जाता है। अखबार में खाने-पीने की रेसिपी और पाठकों की कविताएं और लेख भी शामिल किए जाते हैं।
हर साल की शुरुआत में अखबार के पाठकों को एक ब्रेल टेबल कैलेंडर भी दिया जाता है। अखबार भारत सहित 16 देशों में 24000 लोगों तक पहुंचता है। अखबार का मराठी ब्रेल संस्करण आने से यह अब अधिक पाठकों तक पहुंचेगा।
रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन नीता अंबानी ने इस मौके पर कहा हमें खुशी है कि रिलायंस फाउंडेशन दृष्टि ने 20 साल पूरे कर लिए हैं। दृष्टिबाधित लोगों के जीवन में रोशनी, खुशी और आत्मनिर्भरता लाने के सपने के साथ शुरू हुआ यह कार्यक्रम अब एक आंदोलन बन गया है। आने वाले समय में दृष्टिबाधित समुदाय, सम्मान और स्वतंत्रता के साथ जीवन जी पाए, इसके लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे। हमें खुशी है कि इस दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए हम हिंदी के अलावा मराठी में भी ब्रेल दृष्टि समाचार पत्र लॉन्च कर रहे हैं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।विष्णु शर्मा की 'इंदिरा फाइल्स' युवा पत्रकारों के लिए इसलिए काम की है, क्योंकि सोशल मीडिया के साये में पल रही ये पीढ़ी कम शब्दों में, स्पष्ट और टू-द-पॉइंट जानकारी चाहती है।
रिंकी वैश्य, पत्रकार ।।
वरिष्ठ पत्रकार, फैक्ट चेकिंग की दुनिया में खास तौर से सक्रिय रहने वाले और लेखक विष्णु शर्मा की तीसरी किताब ‘इंदिरा फाइल्स’ पाठकों के हाथ में है। जैसा कि नाम से जाहिर है कि किताब भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बारे में है और बुक जैकेट पर लिखे दो पैराग्राफ इस बात की तसदीक कर देते हैं कि किताब इंदिरा गांधी की आलोचना में लिखी गई है। किताब की भूमिका में ही लेखक ने स्पष्ट कर दिया है, ‘मैं कई मामलों में इंदिरा गांधी का प्रशंसक हूं, लेकिन उनका काला पक्ष ज्यादा मजबूत है।’ यह तो हुई लेखक के नजरिये की बात और पाठक इस बारे में क्या सोचते हैं, यह तो उनकी प्रतिक्रियाओं से ही पता चलेगा।
सवाल यह भी उठता है कि इंदिरा गांधी के बारे में और ऐसा क्या है, जिसे लोगों को जानने की जरूरत है? ज्यादातर लोग भी ऐसा ही सोचते हैं, लेकिन अगर गहराई से सोचें तो हम पाएंगे कि घटनाएं तो अपनी प्रकृति में वस्तुनिष्ठ होती हैं, उन्हें देखने-समझने का नजरिया अलग-अलग हो सकता है, और जब बात राजनीति और उससे जुड़ी घटनाओं की हो, तो यह बात और भी मौजूं हो जाती है। इस किताब में लेखक की शोधात्मक दृष्टि सामने आती है। वह कई बड़ी घटनाओं के संदर्भ में इंदिरा गांधी से जुड़े पहलुओं को लोगों के सामने रखता है। हाल ही में, जब उत्तर-पूर्व में कांग्रेस ने चुनावों में हार का सामना किया, तो लेखक ने वहां के एक शहर पर इंदिरा गांधी द्वारा हवाई जहाज से करवाई गई बमबारी और आईबी के द्वारा वहां के एक राज्य में सरकार बनाने के लिए सूटकेस प्रथा के बारे में बताया, जिसका ज़िक्र इस किताब में भी है। कई राज्यों में आज कांग्रेस जो खत्म होने के कगार पर है, उसकी नींव इंदिरा गांधी द्वारा ही रखने की बात लेखक ने किताब में कही है।
आपको इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी पर कांग्रेसियों द्वारा प्लेन हाईजैक की एक दिलचस्प कहानी इस किताब में पढ़ने को मिलेगी। अमृत पाल की अगुवाई में जो हुआ और पंजाब सरकार ने जैसे घुटने टेके, उसके बीज भी इंदिरा फाइल्स में भिंडरावाले की कहानी में मिलते हैं। हाल ही में आई अक्षय कुमार की मूवी बेलबॉटम हो या कंगना की आने वाली फ़िल्म इमरजेंसी, इनसे जुड़ी घटनाएं इंदिरा फाइल्स का हिस्सा हैं और तथ्यों पर आधारित हैं।
इंदिरा गांधी के तमाम निजी राज जो सीआईए, विकिलीक्स और केजीबी फाइल्स के साथ-साथ मार्गेट थैचर की फाइल्स में भी दबे पड़े थे, किताब में उनका उल्लेख कई लोगों को चौंका सकता है। इंदिरा गांधी की जो लौह महिला की छवि है, उसके चलते कुछ बातें संदेहास्पद लग सकती हैं, लेकिन लेखक ने हर अध्याय के बाद तथ्यों की पुष्टि के लिए रेफरेंस दिए हैं। किताब में 50 अध्याय हैं और कोई भी अध्याय एक दूसरे से सीधे जुड़ा नहीं है, इसलिए आप कभी भी कोई भी अध्याय पढ़ सकते हैं।
इस किताब की खूबी यह है कि आप इससे बोर नहीं होंगे। हर पेज पर एक-दो ऐसी घटनाएं मिलेंगी, जो आपको पहले से पता नहीं होंगी। फिर भी, बकौल लेखक, “...तमाम कोशिशों के बावजूद हर घटना का कोई न कोई पहलू छूटने के आसार तो रहते ही हैं, कुछ गलतियां भी हो सकती हैं... सो समय पर उनकी ओर ध्यान आकर्षित करें, ताकि अगले संस्करण में उन्हें सुधारा जा सके।”
विचारधाराओं के टकराव के इस दौर में यह किताब एक पाले में खड़ी हुई नजर आ सकती है, लेकिन एक पाठक के तौर पर आप इसे इतिहास देखने की एक और दृष्टि मान सकते हैं। किताब एक ओर इंदिरा गांधी के विरोधियों के लिए तो जानकारी प्रस्तुत करती ही है, लेकिन दूसरी ओर उनके प्रशंसकों के लिए भी इसमें कई नए चौंकाने वाले तथ्य हो सकते हैं।
इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों के अलावा यह किताब युवा पत्रकारों, शो प्रड्यूसर्स और यूट्यूब टीम के लिए बहुत ही काम की है। युवा पत्रकारों के लिए इसलिए काम की है, क्योंकि सोशल मीडिया के साये में पल रही ये पीढ़ी कम शब्दों में, स्पष्ट और टू-द-पॉइंट जानकारी चाहती है। उसके पास इतना समय नहीं है कि मोटी-मोटी किताबों को ढूंढ़कर पढ़े और फिर उसमें से अपने काम के तथ्य ढूंढे। ऐसे में ‘इंदिरा फाइल्स’ उन लोगों के लिए मददगार साबित हो सकती है। किताब यूट्यूब टीम और शो प्रोड्यूसर्स के लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि आजकल जमाना कॉन्टेंट का है। जितना अच्छा और यूनीक कॉन्टेंट, उतने ज्यादा वीडियो व्यू और रीच। राजनीति के इतने फैक्ट्स एक ही किताब में मिलना उनके लिए भी कम सुविधा की बात नहीं।
इस किताब को प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। सहयोगी संस्थान ज्ञान गंगा ने इसका पेपर बैक संस्करण छापा है, जिसकी कीमत 450 रुपए रखी है। कुछ डिस्काउंट भी है। इंदिरा फाइल्स अमेजन, फ्लिपकार्ट और उर्दू बाजार पर भी उपलब्ध है। किताब का किंडल संस्करण 244 रुपए में उपलब्ध है। किताब अभी 43 फीसदी छूट के साथ अमेजन पर केवल 257 रुपए में उपलब्ध है। आप इस लिंक पर जाकर अमेजन से किताब ऑर्डर कर सकते हैं।
(लेखिका डिजिटल पत्रकार हैं और 'अमर उजाला' और 'एनबीटी डॉट कॉम' में काम कर चुकी हैं)
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।मैगजीन पब्लिशिंग इंडस्ट्री से जुड़े तमाम लोगों को एक मंच पर लाने के लिए वर्ष 2006 में इस आयोजन की शुरुआत हुई थी। यह इस आयोजन का 12वां एडिशन है।
देश में पत्रिकाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) के प्रमुख इवेंट ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ (IMC) ने फिर दस्तक दी है। इस बार यह आयोजन नई दिल्ली के द ओबेरॉय होटल में 24 मार्च को आयोजित किया जाएगा।
बता दें कि मैगजीन पब्लिशिंग इंडस्ट्री से जुड़े तमाम लोगों को एक मंच पर लाने के लिए वर्ष 2006 में इस आयोजन की शुरुआत हुई थी, जिसमें एडिटर्स, पब्लिशर्स, मीडिया संस्थानों के डिजिटल हेड्स, पॉलिसीमेकर्स, मीडिया संस्थानों के मालिक, मार्केटर्स, मीडिया प्लानर्स के साथ ही रिसर्चर और इंडस्ट्री से जुड़े विश्लेषक शामिल होते हैं। यह इस आयोजन का 12वां एडिशन है।
हालांकि, इस बार एसोसिएशन चार साल के अंतराल के बाद और ऐसे समय में इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है, जब मैगजीन पब्लिशिंग ने कोविड के बाद के दौर में अपने पाठकों के लिए और अधिक प्रासंगिक बने रहने के लिए तमाम नए तरीके अपनाए हैं।
इस साल इस कांग्रेस की थीम रखी गई है कि कैसे डिजिटल युग में भी मैगजींस लोगों को जोड़े रखने के लिए (Building Engaged Communities) सबसे प्रभावी माध्यम हैं। इस कांग्रेस में देश-विदेश की जानी-मानी शख्सियतें बतौर स्पीकर एक मंच पर आएंगी और अपनी बात रखेंगी। इनमें नीचे दिए गए नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं।
- Minette Ferriera, Media 24, South Africa
- James Elliott, USA
- Jean-Paul Reparon, Agrimedia, Netherlands
- Jan Thoreson, Aller X, Norway
- James Hewes, President, FIPP
- Acharya Balakrishnan, Patanjali
- Shashi Sinha, IPG Mediabrands
- Tarun Rai, Wunderman Thompson
- Prasanth Kumar, Group M
- Ram Suresh Akella, Maruti Suzuki
- Kalli Purie, India Today
- Jayant Shriram, Innovation Media Consulting
- B Srinivasan, Ananda Vikatan
- Anant Nath, Delhi Press
- Manoj Sharma, India Today
- Dhaval Gupta, Cyber Media
- Annurag Batra, Business World
इस बारे में ‘एआईएम’ के प्रेजिडेंट बी श्रीनिवासन का कहना है, ‘मैंगजींस ऐसा माध्यम हैं, जिन्होंने हमेशा अन्य मीडिया की तरह पाठकों को जागरूक किया है, उन्हें कंटेंट प्रदान किया है और लोगों को तमाम विषयों के बारे में गहराई से जानने-समझने में सक्षम बनाया है। ऐसे दौर में जब फेक न्यूज का खतरा लगातार बढ़ रहा है और चैटजीपीटी जैसी तमाम नई-नई चीजें आ रही हैं, यह जरूरी है कि हम पॉलिसी, टेक्नोलॉजी और डिस्ट्रीब्यूशन के साथ-साथ पाठकों की जरूरतों के बारे में अपनी चिंताओं पर चर्चा करें और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग हमसे क्या उम्मीद करते हैं, इस बारे में भी एक मंच पर आकर बात करें। इसलिए इस तरह के आयोजन की बहुत जरूरत है।‘
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।इंदौर के एक होटल में अंग्रेजी दैनिक अखबार ‘द हिंदू’ के वरिष्ठ खेल पत्रकार की मौत हो गई
इंदौर के एक होटल में अंग्रेजी दैनिक अखबार ‘द हिंदू’ के वरिष्ठ खेल पत्रकार की मौत हो गई। पुलिस को पहली नजर में लगता है कि दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हुआ। पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) सम्पत उपाध्याय ने बताया कि 'द हिंदू' के वरिष्ठ उप संपादक (खेल) 57 वर्षीय एस. दिनाकर विजय नगर क्षेत्र के एक होटल के कमरे में सोमवार को बेसुध हालत में मिले, जिसके बाद उन्हें पास के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
डीसीपी ने बताया, ‘पहली नजर में लगता है कि चेन्नई निवासी दिनाकर की मौत होटल में दिल का दौरा पड़ने से हुई। हमें घटनास्थल पर फिलहाल कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है।’
डीसीपी ने बताया कि पुलिस ने दिनाकर के शव का पोस्टमॉर्टम कराया है और उनकी मौत के मामले की जांच जारी है। डीसीपी ने कहा कि वह वरिष्ठ खेल पत्रकार की मौत की पूरी जानकारी लेने के बाद ही इस मामले में कोई बयान दे सकेंगे।
मृतक पत्रकार के एक सहकर्मी ने बताया कि दिनाकर ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी स्पर्धा के तहत भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इंदौर में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच की रिपोर्टिंग की थी और 9 मार्च से शुरू होने वाले चौथे और अंतिम टेस्ट के लिए वह अहमदाबाद निकलने की तैयारी कर रहे थे।
सहकर्मी के मुताबिक, दिनाकर को मंगलवार सुबह की उड़ान से इंदौर से अहमदाबाद के लिए रवाना होना था। उन्होंने बताया कि दिनाकर के शोकसंतप्त परिवार में उनके बुजुर्ग पिता हैं। क्रिकेट के कवरेज के लिए दुनिया भर में घूम चुके दिनाकर अपनी मौत से पहले इसी खेल के बारे में लिख रहे थे। इंदौर के होलकरकालीन क्रिकेट की विरासत पर केंद्रित उनका अंतिम आलेख उनके निधन की खबर के साथ उनके मीडिया संस्थान ने मंगलवार को प्रकाशित किया।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।तमिलनाडु पुलिस ने एक लोकप्रिय हिंदी दैनिक अखबार के एक संपादक समेत दो लोगों के खिलाफ झूठी खबर फैलाने के आरोप में केस दर्ज किया है
तमिलनाडु पुलिस ने एक लोकप्रिय हिंदी दैनिक अखबार के एक संपादक समेत दो लोगों के खिलाफ कथित तौर पर झूठी खबर फैलाने के आरोप में केस दर्ज किया है।
बता दें कि इन पर आरोप है कि इन्होंने तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों के साथ मारपीट की खबरें प्रकाशित की थी। इसके साथ ही तमिलनाडु पुलिस ने भाजपा के यूपी प्रवक्ता प्रशांत उमराव को भी नामजद किया है।
तमिलनाडु पुलिस मुख्यालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि तिरुपुर उत्तर पुलिस स्टेशन ने अखबार के संपादक पर आईपीसी की धारा 153ए और 505 के तहत मामला दर्ज किया है। बयान के मुताबिक, अखबार के संपादक को यह बताना होगा कि उन्हें यह खबर कहां से मिली और क्या उन्होंने इसे सत्यापित किया। पुलिस ने कहा कि बड़े अखबारों को अधिक जिम्मेदार तरीके से खबरों को प्रकाशित करना चाहिए।
संपादक के अतिरिक्त तिरुपुर पुलिस ने ‘तनवीर पोस्ट’ के मालिक तनवीर अहमद के खिलाफ भी झूठी खबरें फैलाने के आरोप में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
इसी तरह, थूथुकुडी पुलिस ने अफवाह फैलाने के लिए आईपीसी की छह धाराओं के तहत उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रशांत उमराव पर भी मामला दर्ज किया है।
गौरतलब हो कि उमराव ने ट्वीट कर कहा था कि तमिलनाडु में 12 प्रवासी हिंदी भाषी लोगों को एक कमरे में बंद कर दिया गया और उनकी मौत हो गई।
मीडिया रिपोर्ट् के मुताबिक, पुलिस ने इसकी पुष्टि की है और यह पूरी तरह झूठा पाया गया है और उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
तमिलनाडु के डीजीपी, सी सिलेंद्रबाबू ने तमिलनाडु में काम करने वाले हिंदी भाषी राज्यों के प्रवासी कामगारों के खिलाफ नफरत फैलाने की ऐसी घटनाओं का खंडन किया।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।हिंदी अखबार ‘दैनिक जागरण’ में साउथ दिल्ली के ब्यूरो प्रमुख रहे अरविंद कुमार द्विवेदी ने प्रबंधन को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
हिंदी अखबार ‘दैनिक जागरण’ में साउथ दिल्ली के ब्यूरो प्रमुख रहे अरविंद कुमार द्विवेदी ने प्रबंधन को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। दैनिक जागरण में 28 फरवरी उनका काम करने का आखिरी दिन था। समाचार4मीडिया से उन्होंने खुद इस खबर की पुष्टि की है।
अरविंद कुमार ने अब अपनी नई पारी की शुरुआत ईटीवी भारत से की है, जहां वह क्राइम बीट देख रहे हैं।
बता दें कि अरविंद पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता जगत में कार्यरत हैं। वर्ष 2014 से ‘दैनिक जागरण’ में कार्यरत हैं और यहां रहते हुए उन्होंने क्राइम, राजनीति, पर्यावरण, शिक्षा व सामाजिक सरोकार से जुड़ी खबरों को कवर किया।
इससे पहले वह इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) नई दिल्ली में बतौर रिसर्च एसोसिएट (मीडिया) में कार्यरत थे। वह अमर उजाला, नोएडा; हिन्दुस्तान, लखनऊ और आई नेक्स्ट, इलाहाबाद में बतौर रिपोर्टर काम कर चुके हैं। कृषि, पर्यावरण, क्राइम व सामाजिक सरोकार संबंधी मुद्दों को कवर करने में उनकी काफी दिलचस्पी है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।दैनिक जागरण के बाहरी दिल्ली ब्यूरो प्रभारी रहे संजय सलिल को लेकर खबर है कि उन्होंने समूह को अपना इस्तीफा दे दिया है
दैनिक जागरण के बाहरी दिल्ली ब्यूरो प्रभारी रहे संजय सलिल को लेकर खबर है कि उन्होंने समूह को अपना इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि उन्हें जनवरी में डेस्क पर शिफ्ट कर दिया गया था, लेकिन स्वास्थ्य ठीक न रहने की वजह से उन्होंने इसकी जॉइनिंग नहीं ली थी। लिहाजा दो मार्च को उन्होंने प्रबंधन को अपना इस्तीफा सौंप दिया। समाचार4मीडिया से बातचीत में उन्होंने इसकी पुष्टि की है।
अपनी नई पारी को लेकर संजय सलिल ने बताया कि वह बिहार केंद्रित एक मैगजीन और वेबसाइट से जुड़ने जा रहे हैं, जिसकी दिल्ली में लॉन्चिंग की वह जिम्मेदारी संभालेंगे। हालांकि अभी इस मैगजीन के नाम का खुलासा उन्होंने नहीं किया है।
पत्रकारिता में डेढ़ दशक से ज्यादा का अनुभव रखने वाले संजय सलिल वर्ष 2010 से दैनिक जागरण में कार्यरत थे। इस दौरान उन्होंने जूनियर रिपोर्टर, रिपोर्टर, सीनियर रिपोर्टर और फिर ब्यूरो चीफ का सफर तय किया। वह यहां क्राइम, कोर्ट, राजनीति, लोक निर्माण विभाग बीट कवर कर चुके हैं।
हरियाणा शिक्षक भर्ती घोटाला, बहुचर्चित गीतिका शर्मा आत्महत्या मामला और बवाना अग्निकांड, बुराड़ी में 11 लोगों की सामूहिक आत्महत्या मामले में कई एक्सक्लूसिव खबरें भी उन्होंने इस दौरान ब्रेक की।
इससे पहले वह बिहार के बेगूसराय में दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ व ‘आज’ समाचार पत्रों में बतौर रिपोर्टर कार्य कर चुके हैं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने बुधवार विभिन्न राज्यों के आगामी चुनावों के दौरान ‘पेड न्यूज’ के प्रकाशन के खिलाफ समाचार पत्रों को आगाह किया
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने बुधवार विभिन्न राज्यों के आगामी चुनावों के दौरान ‘पेड न्यूज’ के प्रकाशन के खिलाफ समाचार पत्रों को आगाह किया और इससे बचने की सलाह दी है।
प्रेस काउंसिल ने समाचार पत्रों को ‘पेड न्यूज’ पत्रकारिता आचरण-2022 के मानदंडों का पालन करने को कहा है।
प्रेस काउंसिल ने कहा कि अखबार को नेताओं द्वारा दिए गए बयानों का गलत अर्थ या गलत उद्धरण नहीं करना चाहिए। संपादकीय में भी उनके दिए बयानों की जो सही भावनाएं हैं, उसे वैसे ही प्रकाशित करना चाहिए, जैसा कि उन्होंने दिया है।
इसमें कहा गया है कि प्रतिस्पर्धी अखबारों में प्रकाशित राजनीतिक खबरें समान सामग्री वाली हैं, तो ऐसी खबरें पेड न्यूज होने का संकेत देती हैं।
पीसीआई ने कहा कि चुनाव के दिनों में दो समाचार पत्र एक ही खबर को शब्दशः प्रकाशित करते हैं, तो यह आकस्मिक नहीं होता है, बल्कि इससे स्पष्ट होता है कि ऐसी खबरें एक विचार के लिए प्रकाशित की गई हैं।
हालांकि, इस बीच पीसीआई ने कहा कि कैंपेन मीटिंग में फिल्मी सितारों की उपस्थिति के कारण उत्साह दिखाने वाली खबरों को पेड न्यूज नहीं कहा जा सकता है।
पीसीआई ने समाचार पत्रों को उम्मीदवारों की रिपोर्ट और इंटरव्यू प्रकाशित करने में संतुलन बनाए रखने की भी नसीहत दी है।
प्रेस काउंसिल ने समाचार पत्रों से यह भी कहा कि बिना सत्यापन के किसी भी राजनीतिक दल की जीत की भविष्यवाणी करने वाले किसी भी समाचार सर्वे को प्रकाशित न करें।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।इंडियन विमेन प्रेस कॉर्प्स, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, डिजिटल पत्रकार डिफेंस क्लिनिक, नेटवर्क ऑफ विमेन इन मीडिया इंडिया व डिजीपब समेत कई पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस पुस्तिका का विमोचन किया।
‘इंडियन विमेन प्रेस कॉर्प्स’ (IWPC), ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ (PCI), ‘डिजिटल पत्रकार डिफेंस क्लिनिक’ (DPDC), ‘नेटवर्क ऑफ विमेन इन मीडिया इंडिया’ (NWMI) एवं डिजीपब (DIGIPUB) समेत राष्ट्रीय राजधानी के तमाम पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों ने मिलकर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया परिसर में सीपीजे ट्रस्ट लॉ ‘अपने अधिकारों को जानें’ विधिक पुस्तिका का लोकार्पण किया।
अंग्रेजी और हिंदी भाषा में उपलब्ध यह व्यावहारिक मार्गदर्शिका पत्रकारों को भारतीय कानून के तहत उपलब्ध अधिकारों और कानूनी प्रावधानों की बेहतर समझ उपलब्ध कराती है। भारत में एक पत्रकार के अधिकार क्या हैं? आपराधिक कार्रवाई का सामना करने पर पत्रकार कैसे निवारण प्राप्त करते हैं? SLAPP सूट (सार्वजनिक भागीदारी के खिलाफ रणनीतिक मुकदमा) के मामले में एक पत्रकार क्या कर सकता है? ऑनलाइन दुर्व्यवहार का सामना करने पर एक पत्रकार कैसे निवारण प्राप्त करता है? जैसे तमाम अहम सवालों के जवाब इस मार्गदर्शिका में दिए गए हैं। कह सकते हैं कि यह मार्गदर्शिका पत्रकारों को अपने कानूनी अधिकारों को समझने की बढ़ती आवश्यकता की पूर्ति करती है।
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की वैश्विक निशुल्क सेवा ट्रस्टलॉ के माध्यम से एवं लॉ फर्म शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी ने भारत में पत्रकारों के लिए इस मार्दर्शिका को तैयार करने के लिए कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की है।
इस मार्गदर्शिका की लॉन्चिंग के मौके पर एशिया के लिए थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की कानूनी कार्यक्रम प्रबंधक जोनिता ब्रिटो मेनन का कहना था, ‘प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करना ऐसे समय में महत्वपूर्ण है जब गलत सूचना समाज को परेशान कर रही है। हमें अधिक उपकरण और संसाधन विकसित करने की आवश्यकता है, जिनका उपयोग मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए किया जा सकता है। सीपीजे द्वारा भारत में पत्रकारों के लिए अपने अधिकारों को जानें मार्गदर्शिका उस दिशा में एक बड़ा कदम है। थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन और ट्रस्टलॉ इस तरह की और पहलों का समर्थन करने के लिए तत्पर हैं।’
‘इंडियन विमेन प्रेस कॉर्प्स’ की कोषाध्यक्ष अंजू ग्रोवर का कहना था, ‘ऐसे तमाम मामले हैं, जहां पत्रकारों के खिलाफ कानून का गलत इस्तेमाल करने की कोशिश की गई। पत्रकारों को डराने-धमकाने की रणनीति का भी इस्तेमाल किया गया है। महिला पत्रकारों के साथ ऑनलाइन दुर्व्यहार भी बड़ी चिंता का विषय है।‘
‘डिजीपब‘ के महासचिव अभिनंदन सेखरी ने कहा, 'एक ऐसी कार्ययोजना बनाने की जरूरत है,जिससे पत्रकारों को कानूनी जानकारी मिल सके। उनका विश्वसनीय नेटवर्क जानता है कि कानूनी ढांचे को कैसे नेविगेट किया जाए। पत्रकारों के पास एक विश्वसनीय कानूनी स्रोत और सलाहकार होना चाहिए जो उनकी अनुपस्थिति में भी निर्णय ले सके। इसलिए स्वतंत्र पत्रकारों के लिए एक कानूनी कोष का निर्माण करना महत्वपूर्ण है।‘
‘नेटवर्क ऑफ विमेन इन मीडिया इंडिया‘ की नेहा दीक्षित ने कहा, ‘इस तरह का कानूनी गाइड होना महत्वपूर्ण है क्योंकि कानूनी प्रक्रिया की आवश्यकताओं को नेविगेट करना मुश्किल है और एक बड़ा कानूनी नेटवर्क है जो बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है,बल्कि टियर -2 और टियर -3 शहरों तक भी फैला हुआ है। स्वतंत्र पत्रकारों और उनके परिवारों को नैतिक और सामुदायिक समर्थन देने के लिए बयान जारी करना और पत्रकारों के खिलाफ मामलों का संज्ञान लेना आवश्यक है।‘
‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया‘ के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने इस मौके पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह मार्गदर्शिका पत्रकारों को रिपोर्टिंग करने में सहायक होगी। कानून के जानकार और डिजिटल पत्रकार डिफेंस क्लिनिक के प्रतिनिधि गौतम भाटिया ने विधिक पुस्तिका की सराहना करते हुए इसे एक अच्छा कदम बताया।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।वरिष्ठ पत्रकार व द हिंदू के पूर्व ब्यूरो चीफ आर. माधवन नायर का शुक्रवार रात कोच्चि में कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया।
वरिष्ठ पत्रकार व द हिंदू के पूर्व ब्यूरो चीफ आर. माधवन नायर का शुक्रवार रात कोच्चि में कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया। वह 68 साल के थे।
नायर ने पत्रकार के रूप में एक लंबी पारी खेली। अपने पत्रकारिता करियर का अधिकांश समय उन्होंने केरल के मालाबार से रिपोर्टिंग करने में बिताया, जहां वे कई वर्षों तक 'द हिंदू' के एकमात्र संवाददाता के तौर पर कार्यरत रहे। वह 2014 में कोझिकोड के ब्यूरो हेड के तौर पर सेवानिवृत्त हुए।
'द इंडियन एक्सप्रेस' के साथ अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत करने के बाद नायर 'द हिंदू' से जुड़ गए, जहां उन्होंने तीन दशकों तक काम किया। वह यहां डिप्टी एडिटर भी रह चुके हैं। उन्होंने राजनीति सहित विभिन्न विषयों पर खबरें की। व्यापक तौर पर उन्होंने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को कवर किया।
तिरुवनंतपुरम के रहने वाले नायर को ग्रामीण रिपोर्टिंग के लिए प्रतिष्ठित स्टेट्समैन अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका था। वह कालीकट विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के अध्ययन बोर्ड के सदस्य थे।
उनके परिवार में पत्नी सुचेता नायर, जो श्री शंकराचार्य यूनिवर्सिटी ऑफ संस्कृत (कालडी) की प्रो वाइस चांसलर रह चुकी हैं और कालीकट यूनिवर्सिटी की पत्रकारिता विभाग की हेड हैं और दो बेटियां अंजलि और अंजना हैं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।