विज्ञापनों की अधिकता के कारण हिन्दुस्तान, नवभारत टाइम्स और दैनिक जागरण में आज दो फ्रंट पेज बनाए गए हैं।
चुनावी मौसम में ‘जुबानी जंग’ न हो, ये तो संभव नहीं। दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर यह ‘जंग’ अब तेज हो गई है। वहीं, नागरिकता संशोधन कानून पर हिंसा को लेकर हुए खुलासे से राष्ट्रीय स्तर पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। इन दोनों खबरों ने आज दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अखबारों में प्रमुखता से जगह पाई है। सबसे पहले बात करते हैं दैनिक जागरण की, जहां विज्ञापनों के चलते दो फ्रंट पेज बनाये गए हैं। लीड सीएए हिंसा पर खुलासा है। प्रवर्तन निदेशालय ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हिंसा फैलाने के लिए पीपुल फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) द्वारा फंडिंग की गई थी। इतना ही नहीं, कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और वकील इंदिरा जयसिंह को भी बड़ा भुगतान किया गया। हालांकि, दोनों ही इसे अपने खिलाफ साजिश करार दे रहे हैं।
बोडोलैंड विवाद के अंत को दूसरी बड़ी खबर के रूप में जगह मिली है। अलगाववादी गुटों ने केंद्र एवं राज्य सरकार से समझौता कर अलग राज्य की मांग छोड़ दी है। वहीं, पाकिस्तान में शादी के मंडप से हिंदू दुल्हन को अगवा करने से जुड़े समाचार को भी प्रमुखता से लगाया गया है। दूसरे फ्रंट पेज को देखें तो यहां मोदी सरकार के एयर इंडिया बेचने के फैसले को लीड का दर्जा मिला है। सरकार अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। अमित शाह और केजरीवाल के बीच जुबानी जंग टॉप में चार कॉलम में है, साथ ही मशहूर बास्केटबॉल खिलाड़ी कोबी ब्रायंट के निधन से जुड़ा समाचार भी पेज पर है।
वहीं, हिन्दुस्तान में भी आज दो फ्रंट पेज हैं। शाहीनबाग को लेकर अमित शाह और केजरीवाल के बीच हुई जुबानी जंग को पहले फ्रंट पेज पर लीड लगाया गया है। निर्भया के दोषी की याचिका पर आज होने वाली सुनवाई और 60 साल पुराने बोडो विवाद के अंत को दो-दो कॉलम में रखा गया है। इसके अलावा पेज पर तीन सिंगल समाचार हैं।
दूसरे फ्रंट पेज को देखें तो लीड जेवर में जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों और पुलिस के बीच हुआ टकराव है। एयर इंडिया बेचने के सरकार के फैसले को भी प्रमुखता के साथ पाठकों के समक्ष रखा गया है। वहीं, चीन में कोरोना वायरस के आतंक के बीच भारत वहां फंसे देशवासियों को निकालने की कवायद में जुट गया है। सरकार की इस कोशिश के साथ ही दिल्ली के मौसम को भी फ्रंट पेज पर जगह मिली है।
नवभारत टाइम्स के पाठकों को भी आज दो फ्रंट पेज मिले हैं। पहले फ्रंट पेज की सबसे बड़ी खबर बास्केटबॉल खिलाड़ी कोबी ब्रायंट की हेलिकॉप्टर हादसे में हुई मौत है। इस दुर्घटना में उनकी बेटी की भी जान चली गई। दूसरी खबर निर्भया के दोषी की याचिका पर आज होने वाली सुनवाई है। चीफ जस्टिस का कहना है कि यदि किसी को फांसी होनी है तो उसकी याचिका पर सुनवाई से जरूरी कुछ नहीं हो सकता।
दूसरे फ्रंट पेज की शुरुआत नागरिकता संशोधन कानून पर हुई हिंसा से जुड़े खुलासे से हुई है। प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि यूपी में हिंसा के लिए 120 करोड़ की फंडिंग की गई थी। हालांकि, अखबार ने कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह पर लगे आरोपों को तवज्जो नहीं दी है। लीड शाहीनबाग पर केजरीवाल और अमित शाह में चल रही जुबानी जंग को बनाया गया है। एयर इंडिया बेचने के सरकार के फैसले के मामले में अखबार से चूक हो गई है। इस खबर को किसी भी रूप में फ्रंट पेज पर नहीं रखा गया है। अखबार के पहले फ्रंट पेज पर आधा पेज विज्ञापन होने के कारण यहां सिर्फ खबरों वाला भाग ही दिखाई दे रहा है, जबकि दूसरा फ्रंट पेज पूरा दिखाई दे रहा है।
आज अमर उजाला के फ्रंट पेज पर काफी कम जगह है। इसलिए खबरों को छोटा-छोटा करके लगाया गया है, ताकि पाठकों तक ज्यादा से ज्यादा समाचार पहुंचाए जा सकें। लीड नागरिकता संशोधन कानून पर हुई हिंसा से जुड़ा खुलासा है। इसी में सिब्बल की सफाई सहित कुछ अन्य खबरें भी हैं। एयर इंडिया बेचने के सरकार के फैसले को प्रमुखता के साथ दो कॉलम में रखा गया है।
वहीं, अनुराग ठाकुर द्वारा भीड़ से लगवाये गए ‘गोली मारो’ के नारे से जुड़ा समाचार डॉटेड बॉक्स में है। एंकर पर नजर डालें तो यहां निर्भया के दोषी की याचिक पर चीफ जस्टिस की टिप्पणी है, जिनका कहना है कि किसी को फांसी होनी है तो तुरंत सुनवाई जरूरी हो जाती है। इसके अलावा पेज पर दो सिंगल खबरें और यूपी में गंगा यात्रा की शुरुआत का फोटो है।
अब रुख करते हैं दैनिक भास्कर का। ‘दिल्ली चुनाव वाया शाहीनबाग’ इस टैगलाइन के साथ नेताओं की ज़ुबानी जंग को लीड का रूप दिया गया है। इसी में सीएए पर हिंसा से जुड़ा खुलासा भी है। चीन में फंसे भारतीयों को निकालने की सरकार की तैयारी दूसरी बड़ी खबर के रूप में है। वहीं, निर्भया के दोषी की याचिका पर चीफ जस्टिस की टिप्पणी को तीन कॉलम जगह मिली है।
एयर इंडिया बेचने के सरकारी फैसले को अखबार ने ज्यादा तवज्जो न देते हुए महज सिंगल में रखा है। हालांकि, खबर सरकार के फैसले से नहीं, बल्कि उसके खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले सुब्रमण्यम स्वामी से उठाई गई है। एंकर में ओलंपिक को लेकर जापान की तैयारियों पर प्रकाश डाला गया है। इसके अलावा पेज पर दो सिंगल सहित कुछ संक्षिप्त समाचार भी हैं।
सबसे आखिरी में बात करते हैं राजस्थान पत्रिका की। फ्रंट पेज की शुरुआत आकाश मिश्रा और अनीश परिहार की बाईलाइन से हुई है। जिन्होंने बताया है कि किस तरह आजादी के 72 साल बाद माओवादियों की मांद में तिरंगा फहराया गया। लीड बोडोलैंड विवाद का अंत है। अखबार ने इस खबर को सबसे ज्यादा विस्तार से समझाया है। हालांकि, दिल्ली चुनाव को लेकर चल रही जुबानी जंग और सीएए हिंसा पर खुलासे को फ्रंट पेज पर जगह न देना चौंकाने वाला फैसला है।
एयर इंडिया बेचने के सरकारी फैसले को अखबार ने संक्षिप्त में रखा है। निर्भया के दोषी की याचिका पर चीफ जस्टिस की टिप्पणी को जरूर प्रमुखता मिली है। इसके अलावा, टैक्स में गड़बड़ी करने वालीं 5000 कंपनियों के साथ ही कुछ अन्य समाचार पेज पर हैं। एंकर में लंदन के एक स्कूल के बारे में बताया गया है, जहाँ भू-तापीय ऊर्जा से खाना बनेगा।
आज का ‘किंग’ कौन?
1: लेआउट के मामले में आज दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका बेहतर नजर आ रहे हैं। वैसे, बाकी अख़बारों के फ्रंट पेज पर विज्ञापन इतना ज्यादा है कि उनके पास ज्यादा कुछ करने की गुंजाइश नहीं थी।
2: खबरों की प्रस्तुति की जहां तक बात है तो आज किसी एक को अव्वल नहीं कहा जा सकता। दैनिक जागरण को छोड़कर सभी ने अच्छा प्रयास किया है।
3: कलात्मक शीर्षक के मामले में आज अप्रत्याशित रूप से दैनिक जागरण ने सबको पछाड़ दिया है। अखबार ने एयर इंडिया बेचने के सरकारी फैसले को शीर्षक ‘एयर इंडिया का कॉकपिट छोड़ने को सरकार राजी’ के साथ पाठकों के समक्ष पेश किया है।
4: ख़बरों के लिहाज से नवभारत टाइम्स से आज चूक हो गई है। एयर इंडिया बेचने के फैसले को अखबार ने किसी भी रूप में फ्रंट पेज पर नहीं लिया है। वहीं, दैनिक जागरण और राजस्थान पत्रिका ने भी इस खबर को कम आंकने की भूल की है। पत्रिका के पेज पर कई ऐसी ख़बरें हैं, जिनके स्थान पर इस फैसले और दिल्ली की चुनावी जंग से जुड़े समाचारों को लगाया जा सकता था।
आप अपनी राय, सुझाव और खबरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। (हमें फेसबुक,ट्विटर, लिंक्डइन और यूट्यूब पर फॉलो करें)
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ के प्रेजिडेंट बी श्रीनिवासन का कहना है कि इन मांगों को माने जाने से ‘बीमार’ मैगजीन इंडस्ट्री को काफी मदद मिलेगी
‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर अपनी मांगों से उन्हें अवगत कराया है। इसके साथ ही ‘AIM’ ने इंडस्ट्री के लिए केंद्रीय बजट 2021 में इन मांगों पर विचार करने का अनुरोध किया है।
वित्तमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है, ‘कोविड-19 ने मैगजीन इंडस्ट्री को काफी प्रभावित किया है। महामारी ने इस इंडस्ट्री के एडवर्टाइजिंग रेवेन्यू पर काफी विपरीत असर डाला है। इसके कारण एडवर्टाइजर्स ने अपने विज्ञापन खर्चों में भी काफी कटौती की है। इसके अलावा अखबारों और मैगजींस के द्वारा कोरोनावायरस के फैलने की फर्जी खबरें भी सोशल मीडिया पर काफी चलीं। इन फर्जी खबरों से भी इंडस्ट्री को काफी नुकसान हुआ।’
इस संकट की ओर केंद्र का ध्यान लाने और उद्योग को स्थिरता की राह पर वापस लाने के उद्देश्य से वित्तमंत्री को लिखे गए पत्र में ‘AIM’ के प्रेजिडेंट बी श्रीनिवासन ने जीएसटी में छूट देने, आयात किए जाने वाले कागज से कस्टम ड्यूटी हटाने और सरकारी विज्ञापनों में ज्यादा हिस्सेदारी देने की मांग की है।
अपने पत्र में बी श्रीनिवासन का कहना है छपे हुए अखबार और मैगजींस की बिक्री पर कोई भी टैक्स लागू नहीं है। यह एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा है जो लगातार सरकारों द्वारा समाचार और सूचनाओं के प्रसार पर वित्तीय बोझ को दूर करने के लिए है। जबकि, अखबारों और मैगजींस की प्रिंटिंग पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगा हुआ है, जो छोटे और मध्यम पब्लिशर्स पर भारी पड़ रहा है। ऐसे में एसोसिएशन ने सरकार से अखबारों/मैगजींस की प्रिंटिग और प्रॉडक्शन में जीएसटी से छूट देने की मांग की है।
बी श्रीनिवासन का यह भी कहना है कि केंद्रीय बजट 2019 में न्यूज प्रिंट के आयात (import) पर दस प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगाने से इंडस्ट्री पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। बी श्रीनिवासन ने गुजारिश की है कि सरकार को न्यूज प्रिंट के आयात पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी को समाप्त कर देना चाहिए।
बी. श्रीनिवासन के अनुसार, ‘स्टैंडर्ड न्यूज (SNP) का घरेलू उत्पादन मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है, जबकि ग्लैज्ड न्यूजप्रिंट (GNP) और लाइटवेट कोटेड पेपर (LWC) का प्रॉडक्शन घरेलू स्तर (Indigenously) पर नहीं किया जा रहा है। ऐसे में यह तर्क देना कि कस्मट ड्यूटी घरेलू इंडस्ट्री को बचाने के लिए लगाई गई है, गलत है।’
इंडस्ट्री के निरंतर संरक्षण के लिए सरकार को धन्यवाद देते हुए ‘AIM’ ने सरकारी विज्ञापन खर्च में मैगजींस को ज्यादा हिस्सेदारी देने की मांग की है। यह खर्च सीमा इस समय एक प्रतिशत है, जिसे बढ़ाकर कुल विज्ञापन बजट का कम से कम 10 प्रतिशत करने की मांग की गई है।
इसके साथ ही एसोसिएशन ने सरकार से मैगजीन इंडस्ट्री को तीन साल के लिए टैक्स से छूट देने पर विचार करने की मांग भी की है। इसके अलावा भी सरकार के समक्ष कुछ अन्य मांगें रखी गई हैं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के एडिटर-इन-चीफ सुकुमार रंगनाथन ने कुणाल प्रधान के प्रमोशन की घोषणा की है।
‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) प्रबंधन ने वरिष्ठ पत्रकार कुणाल प्रधान को अखबार के मैनेजिंग एडिटर के पद पर प्रमोट किया है। अपनी नई भूमिका में कुणाल ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के सभी एडिशंस की देखरेख करेंगे और दिल्ली व एनसीआर एडिशंस का प्रबंधन करना जारी रखेंगे।
फॉरेन अफेयर्स एडिटर्स और फॉरेन करेसपॉन्डेंट के साथ-साथ सभी रेजिडेंट्स एडिटर्स अब कुणाल प्रधान को रिपोर्ट करेंगे। इसके साथ ही डेस्क, रीराइट डेस्क, स्पेशल प्रोजेक्ट एडिटर्स, हेल्थ टीम, एचटी नेक्स्ट और लीगल व स्पोर्ट्स ब्यूरो उन्हें रिपोर्ट करना जारी रखेंगे।
इस बारे में ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के एडिटर-इन-चीफ सुकुमार रंगनाथन का कहना है, ‘कुणाल प्रधान को अखबार के मैनेजिंग एडिटर के पद पर प्रमोट करने की घोषणा करते हुए मुझे काफी खुशी हो रही है। कुणाल हमारे साथ वर्ष 2016 से जुड़े हुए हैं और मेट्रो सेक्शन व दिल्ली एडिशन संभाल चुके हैं। गुरुग्राम एडिशन की लॉन्चिंग और एचटी री-डिजायन प्रोजेक्ट में प्रमुख भूमिका निभाने वाले लोगों में कुणाल प्रधान का नाम भी शामिल है। मैं कुणाल प्रधान को उनकी नई भूमिका के लिए शुभकामनाएं देता हूं।’
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।वायरल होती खबरों में कहा गया कि अखबार ने पहले पेज पर जम्मू-कश्मीर में पकड़े गए जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों की जगह इन दोनों की तस्वीर छाप दी है।
खुद को ‘सबसे आगे’ करार देने की कोशिश में कई बार ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जो ताउम्र सालती रहती हैं। 12 जनवरी को एक अखबार के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। दरअसल, 11 जनवरी को अनुष्का शर्मा और विराट कोहली पेरेंट्स बने। अनुष्का ने मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में बेटी को जन्म दिया, जिसके बाद से फैंस और तमाम सितारें उन्हें बधाइयां दे रहे हैं। टीवी हो या फिर अखबार, हर कहीं अनुष्का शर्मा और विराट कोहली के पेरेंट्स बनने की खबर छाई हुई है। इस बीच प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार जमकर ट्रोल होने लगा। कहा जा रहा था कि इस अंग्रेजी अखबार ने फ्रंट पेज पर ही अनुष्का शर्मा और विराट कोहली को आतंकवादी बता दिया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस अखबार का नाम 'द हिटवाड' बताया गया।
वायरल होती खबरों में कहा गया कि अखबार ने पहले पेज पर जम्मू-कश्मीर में पकड़े गए जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों की जगह इन दोनों की तस्वीर छाप दी है। सोशल मीडिया पर तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है, जिसके बाद तमाम सवालों के जवाब तलाशने के लिए जब हमने सर्च किया कि क्या यह अखबार का रियल पेज है या फिर किसी ने उसे एडिट कर दिया है, तो सर्च करने पर हमें अखबार का ई-पेपर का रियल पेज मिला, जो 12 जनवरी का है, जिसे देखने पर यह पता चलता है कि यह वायरल होती खबर सच नहीं है। दोनों ही खबर अलग-अलग प्रकाशित की गई है। हमारी पड़ताल में पता चला कि अखबार से गलती नहीं हुई है। ई-पेपर का लिंक आप यहां क्लिक कर देख सकते हैं-
https://www.ehitavada.com/index.php?edition=RMpage&date=2021-01-12&page=4
सोशल मीडिया पर जैसे ही ये फोटो शेयर की गई तो लोगों ने तुरंत इस पर अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी। लोग अखबार की इस गलती पर लगातार अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। कई लोगों ने इसे घटिया मजाक कह रहे हैं। अगले दिन का पेपर सर्च करने पर भी हमें किसी तरह की कोई गलती जैसी खबर देखने को नहीं मिली, यानी अखबार से गलती नहीं हुई है और न ही इस वायरल होती खबर पर उसने अपनी कोई प्रतिक्रिया दी है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक पत्रिका में छपे आलेख को लेकर यह अफवाह फैल गई कि विदेशों में भी योगी सरकार के कोरोना नियंत्रण की तारीफ हो रही है
अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक पत्रिका में छपे आलेख को लेकर यह अफवाह फैल गई कि विदेशों में भी योगी सरकार के कोरोना नियंत्रण की तारीफ हो रही है। इस खबर को कई मीडिया संस्थानों ने भी प्रकाशित किया। खबर थी कि अंतरराष्ट्रीय पत्रिका टाइम मैगजीन (Time Magazine) में कोरोना काल में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काम की तारीफ में तीन पन्नों का लेख प्रकाशित हुआ है, लेकिन यह हकीकत नहीं है।
दरअसल, फैक्ट चेक में पता चला है कि टाइम मैगजीन ने ऐसा कोई लेख प्रकाशित नहीं किया है, बल्कि यह एक प्रायोजित आलेख (Sponsored Content) है, या यूं कहें कि पत्रिका में छपा यह आलेख यूपी सरकार द्वारा दिए गए विज्ञापन का एक प्रारूप था। इसकी पुष्टि www.boomlive.in ने अपने फैक्ट चेक में की है।
टाइम मैगजीन में तीन पन्नों में छपे इस लेख पर न तो किसी रिपोर्टर का नाम लिखा है और न ही मैगजीन की कंटेंट-लिस्ट में ही इस लेख के शीर्षक का जिक्र है। यही नहीं, मैगजीन में जिस पन्ने पर यह लेख प्रकाशित किया गया है, उसके ऊपर 'कंटेंट फ्रॉम उत्तर प्रदेश' (Content From Uttar Pradesh) लिखा हुआ है। यानी यह टाइम मैगजीन के संपादकीय विभाग द्वारा प्रकाशित लेख नहीं है। इसलिए इसमें मैगजीन के किसी रिपोर्टर का नाम भी नहीं है। इस लेख में कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमियों के बाद भी जिस तरह से कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए कदम उठाए वह सभी के लिए अतुलनीय उदहारण है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।मनोज कुमार पांडेय और धर्मेंद्र सुशांत की नियुक्ति क्रमश: लोकभारती और राधाकृष्ण के लिए की गई है।
देश के प्रमुख प्रकाशन संस्थान ‘राजकमल प्रकाशन’ समूह ने दो कमीशनिंग एडिटर्स नियुक्त किए हैं। इसके तहत मनोज कुमार पांडेय और धर्मेंद्र सुशांत की नियुक्ति क्रमश: लोकभारती प्रकाशन और राधाकृष्ण प्रकाशन के लिए की गई है। बता दें कि ये दोनों प्रकाशन एक अरसे से राजकमल प्रकाशन समूह में शामिल हैं, लेकिन इनका अपना अस्तित्व और अपनी खासियत है। किसी भी पब्लिशिंग हाउस को आगे बढाने की जिम्मेदारी कमीशनिंग एडिटर्स के कंधों पर होती है।
जाने-माने लेखक मनोज कुमार पांडेय लंबे समय तक महात्मा गांधी इंटरनेशनल हिंदी यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट ‘हिंदी समय’ (Hindi Samay) की एडिटोरियल टीम का हिस्सा रहे हैं। वे हाल ही में प्रकाशित अपने नवीनतम कहानी संग्रह ‘बदलता हुआ देश’ से चर्चा में हैं। उनकी कई कहानियों के नाट्य-मंचन हुए हैं। कुछ पर फिल्में भी बनी हैं। कहानीकार होने के साथ-साथ मनोज कुमार कई उल्लेखनीय किताबों का संपादन भी कर चुके हैं।
वहीं, धर्मेंद्र सुशांत लंबे समय से साहित्य और पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं। वे कई प्रकाशनों में अंशकालिक संपादक तो रहे ही हैं, कुछ समय 'समकालीन जनमत' पत्रिका से भी जुड़े रहे हैं। 'प्रभात ख़बर' से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले सुशांत 'हिंदुस्तान' अखबार की संपादकीय टीम में लंबी पारी खेल चुके हैं। एक पुस्तक समीक्षक के रूप में भी उनकी खास पहचान है।
राजकमल प्रकाशन समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर अशोक माहेश्वरी ने कमीशनिंग एडिटर्स के तौर पर नई पारी शुरू करने को लेकर मनोज कुमार पांडेय और धर्मेंद्र सुशांत को बधाई दी है। अशोक माहेश्वरी का कहना है कि मनोज कुमार पांडेय और धर्मेंद्र सुशांत इन पब्लिकेशंस की विशिष्टता और महत्व के बारे में पाठकों को परिचित कराने में मदद करेंगे।
वहीं, राजकमल प्रकाशन समूह के एडिटोरियल डायरेक्टर सत्यानंद निरुपम का कहना है कि हिंदी पब्लिकेशंस को बदलते समय के साथ सामने आने वाली चुनौतियों को दूर करना होगा, नए पाठकों को हिंदी से जोड़े रखना होगा और संपादकीय टीम को पाठकों की विविधता को पहचानना होगा।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।युवा पत्रकार सौरभ गुप्ता ने हिंदी दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ में अपनी करीब छह साल पुरानी पारी को विराम दे दिया है।
युवा पत्रकार सौरभ गुप्ता ने हिंदी दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ में अपनी करीब छह साल पुरानी पारी को विराम दे दिया है। वह दिल्ली-एनसीआर में चीफ रिपोर्टर (स्पोर्ट्स) के तौर पर कार्यरत थे। उन्होंने अपना नया सफर अब ‘राजस्थान पत्रिका’ के साथ शुरू किया है। उन्होंने जयपुर में बतौर डिप्टी न्यूज एडिटर जॉइन किया है। वह यहां स्पोर्ट्स की कमान संभालेंगे।
दिल्ली के रहने वाले सौरभ गुप्ता को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का करीब 14 साल का अनुभव है। ‘हिन्दुस्तान’ से पहले उन्होंने ‘अमर उजाला’ में करीब आठ साल तक काम किया है। कई राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में उनके आर्टिकल प्रकाशित होते रहते हैं।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो सौरभ गुप्ता ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के अलावा वाईएमसीए से पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया है। समाचार4मीडिया की ओर से सौरभ गुप्ता को उनके नए सफर के लिए ढेरों शुभकामनाएं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।साल भर तमाम उतार-चढ़ावों के बीच प्रिंट मीडिया एक बार फिर रफ्तार पकड़ने लगा है और तमाम अन्य बिजनेस की तरह नुकसान से उबरने की कोशिश कर रहा है।
साल भर तमाम उतार-चढ़ावों के बीच प्रिंट मीडिया एक बार फिर रफ्तार पकड़ने लगा है और तमाम अन्य बिजनेस की तरह नुकसान से उबरने की कोशिश कर रहा है। ऐसे समय में जब प्रिंट मीडिया पुनरुत्थान की ओर बढ़ रहा है, इस ग्रोथ में क्षेत्रीय समाचार पत्र अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
साल 2020 की शुरुआत तमाम अखबारों के लिए खराब रही, क्योंकि कोरोनावायरस (कोविड-19) का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण उनका सर्कुलेशन काफी बाधित हुआ। मुंबई और दिल्ली जैसे कई बड़े मार्केट्स में तमाम अखबार पब्लिशिंग रोकने पर मजबूर हो गए।
इसका सीधा नतीजा विज्ञापन बिलों पर पड़ा और इसके परिणामस्वरूप इस सेक्टर को काफी नुकसान हुआ, जो 2019-20 की आखिरी तिमाही में ही नहीं बल्कि नए वित्त वर्ष की लगातार दो तिमाहियों में भी दिखाई दिया।
इस महामारी ने देश में पहले से ही परेशानियों से जूझ रही न्यूजपेपर इंडस्ट्री की समस्या और बढ़ा दी। सिर्फ छोटे ब्रैंड्स ही नहीं, बल्कि इस इंडस्ट्री के बड़े प्लेयर्स को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा।
बिजनेस इंटेलीजेंस फर्म ‘टोफलर’ (Tofler) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, ‘बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड’ (BCCL) ने 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए 451.63 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्शाया, जबकि इससे पहले वित्तीय वर्ष में इसे 484.27 करोड़ रुपये का कुल लाभ हुआ था।
कंपनी का ऐडवर्टाइजिंग रेवेन्यू भी 6,155.32 रुपये से घटकर 5,367.88 करोड़ रुपये रह गया। पब्लिकेशंस की बिक्री से मिलने वाले रेवेन्यू में भी गिरावट आई और यह 656.09 करोड़ रुपये से घटकर 629.96 करोड़ रुपये पर आ गया। सर्कुलेशन में कमी और विज्ञापनदाताओं की गैरमौजूदगी के कारण न्यूजपेपर इंडस्ट्री के लिए मार्केट काफी समय तक सूखा रहा। लेकिन प्रिंट ने मजबूती से लड़ाई की और वापसी की।
अप्रैल की बात करें तो स्थिति को देखते हुए तमाम अखबारों ने अपनी रणनीति बनानी शुरू की, इसके साथ ही जब सरकार ने अखबारों को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में शामिल किया तो प्रिंट पब्लिकेशंस को फिर मजबूती मिली। दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, ईनाडु, हिन्दुस्तान, पत्रिका ग्रुप, अमर उजाला, डेली थांथी, साक्षी, डेक्कन हेराल्ड, हिन्दुस्तान टाइम्स और दिव्य भास्कर समेत तमाम अखबारों ने अप्रैल के दूसरे हफ्ते में संयुक्त रूप से एक स्टेटमेंट जारी कर बताया कि फरवरी के आधार पर अखबारों का वितरण किस तरह 75 से 90 प्रतिशत तक स्थिर हो गया। अगले महीने ‘इंडियन रीडरशिप सर्वे’ (IRS) के आंकड़े आए। इसमें रीजनल अखबारों का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा और उन्होंने इस सेक्टर की ग्रोथ में अहम भूमिका निभाई।
मई में जारी इंडियन रीडरशिप सर्वे की रिपोर्ट 2019 की पिछली तीन तिमाही यानी पहली (Q1), दूसरी (Q2) और तीसरी तिमाही (Q3) के साथ चौथी तिमाही के ताजा आंकड़ों के औसत पर आधारित था। इससे पता चला कि विभिन्न केंद्रों पर रीडरशिप में कमी आई है। हालांकि, गहनता से अध्ययन करने पर स्पष्ट हुआ कि मेट्रो शहरों के बाहर रीजनल एरिया में पब्लिशर्स की ग्रोथ ज्यादा हुई।
कुछ प्रादेशिक अखबारों की टोटल रीडरशिप (total readership) में बढ़ोतरी देखी गई, जबकि कुछ की एवरेज इश्यू रीडरशिप (average issue readership) में बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि, देश के कुछ लोकप्रिय ब्रैंड्स जैसे अमर उजाला, लोकमत, दैनिक थांथी ने दोनों में बढ़ोतरी दर्ज की।
जुलाई में सरकार ने सरकारी विज्ञापनों के लिए नई गाइडलाइंस जारी कीं। प्रिंट मीडिया विज्ञापन नीति 2020 जिसे सरकारी विज्ञापनों की व्यापक संभव कवरेज के लिए तैयार किया गया था, भारतीय भाषा के दैनिक समाचार पत्रों के लिए फायदेमंद साबित हुई। क्योंकि इसमें विज्ञापन स्पेस (ad space) भी बढ़ाकर 50 से 80 प्रतिशत कर दिया गया। इसके अलावा नई पॉलिसी में प्रिंट में विज्ञापन का संतुलित डिस्ट्रीब्यूशन तय किया गया।
एक अगस्त 2020 से प्रभावी इन गाइडलाइंस में कहा गया है कि सरकार के सभी मंत्रालय या विभाग, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, स्वायत्त निकाय और सोसायटीज, केंद्रीय विश्वविद्यालय और भारत सरकार के सभी शैक्षणिक संस्थान अपने डिस्पले विज्ञापनों को ‘ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन’ के माध्यम से देंगे। इन गाइडलाइंस में साफ कहा गया है कि विज्ञापनों को जारी करते समय बीओसी सर्कुलेशन, भाषा, कवरेज क्षेत्र और पाठकों जैसे कारकों की विभिन्न श्रेणियों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करेगी।
जुलाई में प्रिंट की ओर एडवर्टाइजर्स फिर वापस आना शुरू हुए, जिसकी इंडस्ट्री को काफी जरूरत थी। हालांकि, रिकवरी की रफ्तार टियर-दो और टियर-तीन शहरों में अधिक थी। टैम एडेक्स (Tam AdEx) के डाटा के अनुसार, प्रिंट पर वापसी करने वाले विज्ञापनदाताओं में 75 प्रतिशत हिंदी और अंग्रेजी भाषा के थे।
राज्यों की हिस्सेदारी की बात करें तो 17 प्रतिशत ऐड वॉल्यूम शेयर के साथ उत्तर प्रदेश इस लिस्ट में सबसे ऊपर था, इसके बाद 10 प्रतिशत शेयर के साथ महाराष्ट्र और इसके बाद कर्नाटक व तमिलनाडु का नंबर था।
टैम डाटा के अनुसार, अप्रैल से जून की अवधि में 189 कैटेगरीज में 28000 से ज्यादा एडवर्टाइजर्स और 31300 से ज्यादा ब्रैंड्स ने खासतौर पर प्रिंट के लिए विज्ञापन दिया। एडवर्टाइजर्स की वापसी के कारण 13 अगस्त को दैनिक भास्कर ने अपने भोपाल एडिशन को 72 पेज का निकाला। इस दौरान दैनिक भास्कर में जिन सेक्टर्स के विज्ञापन दिए गए, उनमें रियल एस्टेट, इलेक्ट्रॉनिक ड्यूरेबल्स, ऑटोमोबाइल और एफएमसीजी शामिल रहे। इस पब्लिकेशन को सरकारी विज्ञापन भी प्राप्त हुए। अगस्त के पहले सप्ताह से टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी दिल्ली, गुरुग्राम, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद जैसे तमाम प्रमुख मार्केट्स में 30-40 से ज्यादा पेजों का अखबार पब्लिश करना शुरू कर दिया।
पिच मैडिसन एडवर्टाइजिंग रिपोर्ट 2020 के मिड ईयर रिव्यू के अनुसार, विज्ञापन देने वालों में एफएमसीजी, ऑटो और एजुकेशन जैसी कैटेगरीज आगे रहीं और वर्ष 2020 की पहली छमाही में प्रिंट पर विज्ञापन खर्च के मामले में इनका योगदान करीब 45 प्रतिशत रहा, जो वर्ष 2019 में 38 प्रतिशत था।
प्रिंट पर विज्ञापन खर्च के मामले में एजुकेशन सेक्टर 16 प्रतिशत शेयर के साथ एफएमसीजी सेक्टर से आगे निकल गया। एफएमसीजी सेक्टर 15 प्रतिशत शेयर के साथ दूसरे स्थान पर आ गया। प्रिंट पर विज्ञापन खर्च के मामले में ऑटो इंडस्ट्री 14 प्रतिशत शेयर के साथ तीसरे स्थान पर रही।
फेस्टिव सीजन प्रिंट के लिए काफी अच्छा रहा। विशेषज्ञों के अनुसार, इस दौरान टेलिविजन न्यूज को लेकर चल रहीं तमाम तरह की बहस ने भी प्रिंट को लाभ पहुंचाने में और मदद की। टैम एडेक्स डाटा के अनुसार, अन्य किसी ट्रेडिशनल मीडिया की तुलना में प्रिंट मीडिया को वर्ष 2019 और वर्ष 2020 दोनों में अक्टूबर से नवंबर के बीच काफी ज्यादा एडवर्टाइजर्स मिले। टीवी में इस साल अक्टूबर से नवंबर के बीच जहां 3400 एडवर्टाइजर्स मिले और रेडियो में इन एडवर्टाइजर्स की संख्या 2800 से कम थी, वहीं इसी अवधि में प्रिंट को 30900 से ज्यादा एडवर्टाइजर्स मिले।
हालांकि, साल के अंत से प्रिंट का रेवेन्यू बढ़ना शुरू हुआ है, लेकिन इंडस्ट्री के लिए इससे बुरा समय नहीं हो सकता, जब नुकसान के चलते उन्हें काफी कॉस्ट कटिंग करनी पड़ी। इसके परिणामस्वरूप कई लोगों को नौकरी से हटाया गया अथवा उनकी सैलरी में कटौती करनी पड़ी।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।राजकोट के एक पुलिस थाने में ‘स्टिंग ऑपरेशन' करने के लिए गए एक गुजराती अखबार के चार पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है
राजकोट के एक पुलिस थाने में ‘स्टिंग ऑपरेशन' करने के लिए गए एक गुजराती अखबार के चार पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इन चारों पत्रकारों ने राजकोट तालुका पुलिस स्टेशन में एक स्टिंग ऑपरेशन किया था और उसके आधार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित कर दावा किया था कि राजकोट के एक निजी अस्पताल में आग लगने के संबंध में गिरफ्तार तीन लोगों को वीआईपी सुविधाएं मुहैया कराई गईं।
हेड कॉन्स्टेबल जिग्नेश गढ़वी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने राजकोट में पत्रकार- महेंद्र सिंह जडेजा, प्रदीप सिंह गोहिल, प्रकाश रवरानी और इमरान होथी के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की है। इनमें तीन रिपोर्टर और एक फोटोग्राफर है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायत में कह गया है कि ये पत्रकार राजकोट तालुका पुलिस थाने में 1 दिसंबर की रात कथित तौर पर ‘स्टिंग ऑपरेशन' करने के लिए दाखिल हुए थे। यह कथित स्टिंग ऑपरेशन 27 नवंबर को राजकोट के कोविड-19 अस्पताल में आग लगने और वहां पांच मरीजों की मौत के संबंध में था।।
राजकोट तालुका पुलिस थाने के अधिकारी ने कहा कि चारों पत्रकार बिना अनुमति के प्रतिबंधित क्षेत्र में कथित रूप से घुस आए थे। उन्होंने कहा कि आग से संबंधित एक खबर दो दिसंबर को अखबार में तस्वीरों के साथ प्रकाशित हुई, जिसें कहा गया था कि अस्पताल में आग लगने के मामले के तीन आरोपियों के साथ VIP की तरह व्यवहार हो रहा है और उन्हें हवालात में रखने के बदले एक पुलिसकर्मी कक्ष में रखा गया है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों ने पुलिस थाने के कुछ वीडियो भी बनाए थे और विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर इन्हें साझा किया गया।
अधिकारी ने कहा कि आग मामले के तीन आरोपियों को 30 नवंबर को राजकोट तालुका पुलिस थाने लाया गया था और उन्हें पूछताछ के लिए एक अलग कक्ष में ले जाया गया था तथा उनके साथ VIP की तरह व्यवहार नहीं किया जा रहा। अधिकारी ने बताया कि चारों पत्रकारों के खिलाफ शु्क्रवार को भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। इस संबंध में किसी की गिरफ्तार नहीं हुई है।
वहीं दूसरी तरफ अखबार के संपादक देवेंद्र भटनागर ने एक अखबार को बताया कि पत्रकार पत्रकारिता धर्म का पालन कर रहे थे। भटनागर ने कहा, ‘अगर सरकार या पुलिस उन आरोपियों को बचा रही है, उन्हें सुविधा दे रही है और हम उन्हें बेनकाब कर रहे हैं तो हम केवल पत्रकारिता के धर्म का पालन कर रहे हैं। प्राथमिकी में कहा गया है कि हमने जो समाचार रिपोर्ट प्रकाशित की है वह गलत है।’
संपादक के अनुसार, उन्होंने (पुलिस) एफआईआर में जो बताया है वह यह है कि पत्रकारों ने उनके काम, उनके गुप्त काम में बाधा डाली। कब से पुलिस स्टेशन एक गुप्त स्थान बन गया? हमारी कानूनी टीम इस पर गौर कर रही है और हम कानूनी तरीके से जवाब देंगे।
पत्रकारों के खिलाफ आईपीसी धारा 186 (लोकसेवक के कार्यों में बाधा डालना), 114 (अपराध किए जाते समय उकसाने वाले की मौजूदगी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 72 ए (कानूनन अनुबंध के उल्लंघन में सूचना के प्रकटीकरण के लिए सजा), 84बी (अपराध के लिए उकसाना), 84सी (अपराध करने का प्रयास) व अन्य के तहत मामला दर्ज किया गया है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।
ग्रुप की ओर से इस बारे में जारी स्टेटमेंट में कहा गया है कि इन अखबारों की डिजिटल मौजूदगी बनी रहेगी
देश के बड़े मीडिया समूहों में शुमार ‘टाइम्स समूह’ (The Times Group) ने घोषणा की है कि वह कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी और इसके परिणामस्वरूप आए आर्थिक संकट को देखते हुए अपने टैबलॉयड अखबार ‘पुणे मिरर’ (Pune Mirror) का पब्लिकेशन बंद करेगा। इसके साथ ही ‘मुंबई मिरर’ (Mumbai Mirror) को साप्ताहिक अखबार के तौर पर री-लॉन्च किया जाएगा। माना जा रहा है कि इस निर्णय से ग्रुप से जुड़े करीब 1500 एम्प्लॉयीज बेरोजगार हो जाएंगे।
इस बारे में ग्रुप की ओर से एक स्टेटमेंट जारी किया गया है। स्टेटमेंट में टाइम्स ग्रुप का कहना है कि न्यूजपेपर इंडस्ट्री न सिर्फ रेवेन्यू के मामले में प्रभावित हुई है, बल्कि आयात शुल्क के कारण न्यूजप्रिंट की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। लंबे समय से उम्मीदों के मुताबिक परिणाम न मिलने और देश में आर्थिक मंदी को देखते हुए ग्रुप ने भारी मन से पुणे मिरर का पब्लिकेशन रोकने और मुंबई मिरर को वीकली के तौर पर री-लॉन्च करने का निर्णय लिया है। ग्रुप का कहना है कि इन अखबारों की डिजिटल उपस्थिति बनी रहेगी।
इस स्टेटमेंट में कहा गया है कि कई महीने के विचार-विमर्श के बाद हमने यह मुश्किल और कड़ा निर्णय लिया है। स्टेटमेंट के अनुसार, ‘हम अपेक्षाकृत कम समय में इस तरह के मजबूत ब्रैंड के निर्माण के लिए अपने पत्रकारों और अन्य स्टाफ के योगदान को महत्व देते हैं और उनकी कड़ी मेहनत व बेहतरीन प्रयासों के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं।’
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।देश-दुनिया में कोरोनावायरस (कोविड-19) का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। तमाम देश कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन ईजाद करने में लगे हैं।
देश-दुनिया में कोरोनावायरस (कोविड-19) का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। तमाम देश कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन ईजाद करने में लगे हैं। सरकार द्वारा भी लोगों को इस महामारी से बचाव के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके तहत सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने, मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने और बहुत ही आवश्यक न होने पर घरों से बाहर न निकलने पर जोर दिया जा रहा है।
ऐसे में दैनिक भास्कर ने भी पाठकों को जागरूक करने के लिए एक अभियान चलाया है। ‘अभी मास्क ही वैक्सीन है’ अभियान के तहत दैनिक भास्कर ने एक दिसंबर से अपने मास्टहेड (Masthead) में भी बदलाव किया है। इस बदलाव के तहत मास्टहेड पर मास्क की फोटो पब्लिश की जा गई है और दैनिक भास्कर में दैनिक व भास्कर के बीच भी कुछ अधिक दूरी रखी गई है, ताकि लोग मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का महत्व समझें।
इस अभियान के बारे में ‘डीबी कॉर्प लिमिटेड’ के मैनेजिंग डायरेक्टर सुधीर अग्रवाल का कहना है, ‘भास्कर ग्रुप ने समाज में अपनी भूमिका को हमेशा गंभीरता से लिया है। मास्टहेड को मास्क के साथ बदलने का यह क्रांतिकारी कदम है और इसे खासतौर पर मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए पाठकों को सचेत करने के लिए उठाया गया है।’
बताया जाता है कि दैनिक भास्कर के इस अभियान के सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। लोग अपनी दिनचर्या में मास्क शामिल कर रहे हैं और उन लोगों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं जो बिना मास्क के सार्वजनिक रूप से देखे जाते हैं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।