दैनिक जागरण में आज दो फ्रंट पेज बनाए गए हैं, वहीं नवभारत टाइम्स में तीसरे पेज को फ्रंट पेज का दर्जा मिला है।
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नीरज नैयर
आर्थिक सर्वेक्षण और निर्भया के दोषियों की टलती फांसी आज दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अखबारों की सुर्खियां हैं। सबसे पहले नजर डालते हैं उस अखबार पर, जिसने आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को सबसे आकर्षक अंदाज में पाठकों के समक्ष परोसा है, यानी राजस्थान पत्रिका। फ्रंट पेज पर लगभग आधा पेज और 6 कॉलम जगह लीड के नाम की गई है। अखबार ने अपनी खबर में सर्वेक्षण के हर पहलू को शामिल करने का प्रयास किया है।
दूसरी बड़ी खबर के रूप में कानून का मजाक उड़ाते निर्भया के दोषी हैं, जिनकी फांसी एक बार फिट टल गई और यह भी स्पष्ट नहीं है कि उन्हें कब सूली पर लटकाया जाएगा। चीन में फंसे भारतीयों को एयरलिफ्ट करने के लिए विमान रवाना हो गया है। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच वुहान में रहने वाले 400 भारतीयों को भारत लाया जा रहा है। वहीं, कर्नाटक में स्कूल को सीएए के विरोध का मंच बनाने वाले प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह दोनों खबरें प्रमुखता के साथ पेज पर हैं। इसके अलावा, दिल्ली चुनाव सहित कुछ अन्य समाचार भी हैं। एंकर में ग्रीस सरकार की समुद्री मार्ग से शरणार्थियों को रोकने की तैयारी को रखा गया है।

अब बात करते हैं नवभारत टाइम्स की, जहां तीसरे पेज को फ्रंट पेज बनाया गया है। इस पेज पर टॉप में दो खबरों को जगह मिली है। पहली, दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा का दांव है। पार्टी ने अपने धुर-विरोधी केजरीवाल की तर्ज पर जनता को ‘मुफ्त’ की सौगात का सपना दिखाया है। दूसरी खबर क्रिकेट से जुड़ी है। टीम इंडिया ने लगातार दूसरे मैच में सुपर ओवर में जीत दर्ज की। लीड, आर्थिक सर्वेक्षण है, जिसे खूबसूरत शीर्षक के साथ प्रस्तुत किया गया है। इसके अलावा, निर्भया के दोषियों को मिली राहत को भी प्रमुखता से रखा गया है। बार-बार फांसी टलना किसी राहत से कम नहीं है, क्योंकि गुनाहगार यही तो चाहते हैं। इसके अलावा पेज पर चार सिंगल समाचार हैं।

दैनिक भास्कर का रुख करें तो यहां कानून का मजाक उड़ाते निर्भया के दोषी और इंसाफ की आस में तरसती मां के दर्द को लीड का दर्जा दिया गया है। सामान्य खबर के साथ ही अखबार ने न्याय में हो रही देरी को लेकर निर्भया की मां के शब्दों में उनके दर्द से पाठकों को रूबरू कराने का प्रयास किया है। दूसरी और आखिरी बड़ी खबर के रूप में आर्थिक सर्वेक्षण को रखा गया है। इसके अलावा, संक्षिप्त में तीन समाचार हैं।

अब चलते हैं दैनिक जागरण पर, जहां दो फ्रंट पेज तैयार किए गए हैं। करने का सिलसिला बदस्तूर जाती है। पहले फ्रंट पेज की शुरुआत आर्थिक सर्वेक्षण वाले टॉप बॉक्स से हुई है। लीड नागरिकता संशोधन कानून पर सरकार के अडिग रुख को लगाया गया है। संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने जहां कानून की तारीफ की, वहीं मोदी ने राजग के साथियों से कहा है कि इस मुद्दे पर रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं है।
इसके अलावा, पेज पर निर्भया के दोषियों की टली फांसी और आर्थिक सर्वेक्षण में जोड़े गए ‘थालीनॉमिक्स’ को समझाती खबरें हैं। दूसरे फ्रंट पेज पर दिल्ली की जनता से भाजपा के चुनावी वादों को लीड के रूप में पेश किया गया है। वहीं, टीम इंडिया की जीत को फोटो के साथ जगह मिली है। इसके साथ ही शरजील से पूछताछ और सेना द्वारा मारे गए तीन आतंकियों से जुड़े समाचार को भी प्रमुखता के साथ फ्रंट पेज पर रखा गया है।


आज हिन्दुस्तान के फ्रंट पेज पर आधा पेज विज्ञापन है। अखबार ने सबसे अलग चलते हुए कोरोना वायरस के प्रकोप और बचाव की तैयारियों को लीड लगाया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को लेकर वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। वहीं, चीन में फंसे 700 भारतीयों को वापस लाने के लिए इंतजाम किये जा रहे हैं। चीन गए एक विमान के आज वापस आने की सम्भावना है। एनडीए की बैठक को टॉप में पूरे चार कॉलम जगह मिली है। इस बैठक में पीएम मोदी ने अपने साथियों से कहा है कि सीएए गलत नहीं है, लिहाजा बचाव की मुद्रा में न आएं। पेज पर तीसरी बड़ी खबर आर्थिक सर्वेक्षण है, जबकि निर्भया के दोषियों की टली फांसी और टीम इंडिया की जीत को सिंगल में रखा गया है।

सबसे आखिरी में रुख करते हैं अमर उजाला का। फ्रंट पेज पर दो बड़े विज्ञापन हैं, लिहाजा आर्थिक सर्वेक्षण एकमात्र खबर के रूप में है। सर्वेक्षण से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात को पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है।

आज का ‘किंग’ कौन?
1: लेआउट के हिसाब से कुछ करने की गुंजाइश आज सिर्फ राजस्थान पत्रिका के पास थी, बाकी अखबारों में काफी विज्ञापन है। यह कहना गलत नहीं होगा कि राजस्थान पत्रिका ने अच्छा फ्रंट पेज तैयार किया है।
2: खबरों की प्रस्तुति के मामले में भी आज राजस्थान पत्रिका अव्वल है। दूसरे स्थान पर अमर उजाला और दैनिक भास्कर को रखा जा सकता है। निसंदेह: दैनिक भास्कर ने निर्भया कांड से जुड़ी खबर को सबसे जुदा अंदाज में पेश किया है, लेकिन आज सबसे ज्यादा लोग बजट के बारे में पढ़ना चाहेंगे।
3: कलात्मक शीर्षक के लिहाज से ताज नवभारत टाइम्स के सिर सजेगा। लीड के शीर्षक में जनता की चाहत और अर्थव्यवस्था की हालत को बखूबी बयां किया गया है।
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ब्रिटेन के मशहूर टैब्लॉयड डेली मेल के मालिक DMGT ने अमेरिकी और यूएई की साझेदारी वाली कंपनी RedBird IMI के साथ एक बड़ी डील की है।
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Samachar4media Bureau
ब्रिटेन के मशहूर टैब्लॉयड 'डेली मेल' (Daily Mail) के मालिक DMGT ने अमेरिकी और यूएई की साझेदारी वाली कंपनी RedBird IMI के साथ एक बड़ी डील की है। इस डील के तहत DMGT द टेलीग्राफ मीडिया ग्रुप को 500 मिलियन पाउंड (654 मिलियन डॉलर) में खरीदने जा रहा है।
DMGT ने प्रेस रिलीज में बताया कि दोनों कंपनियों के बीच समझौता हो गया है और अब जल्दी ही सभी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। इस खरीद के बाद DMGT ब्रिटेन के सबसे बड़े दाएं झुकाव वाले मीडिया समूहों में से एक बन सकता है, इसलिए माना जा रहा है कि इस डील की जांच कंपटीशन रेगुलेटर भी करेगा।
पिछले हफ्ते ही RedBird Capital ने अचानक टेलीग्राफ खरीदने की अपनी कोशिश छोड़ दी थी। उसके बाद से फिर से अखबार के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई थी। यह अखबार करीब दो साल से बिक्री में अटका हुआ है।
DMGT का कहना है कि नई डील से अखबार के कर्मचारियों को “विश्वास और स्थिरता” मिलेगी। कंपनी का प्लान है कि टेलीग्राफ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बढ़ाया जाए, खासकर अमेरिका में। साथ ही उन्होंने साफ किया कि डेली टेलीग्राफ की एडिटोरियल टीम पूरी तरह स्वतंत्र रहेगी।
RedBird IMI ने 2023 में भी टेलीग्राफ खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने विदेशी नियंत्रण के खतरे और स्वतंत्रता की आजादी पर असर की आशंका को देखते हुए दखल दिया था। इसके बाद कानून में बदलाव भी किए गए, ताकि विदेशी ताकतें ब्रिटिश अखबारों पर नियंत्रण न कर सकें।
1855 में शुरू हुआ द टेलीग्राफ एक समय “Tory Bible” के नाम से जाना जाता था। 2023 में इसे मालिकाना कर्ज चुकाने के लिए बिक्री पर लगाया गया था। इस पर कई बड़े निवेशकों ने बोली लगाई थी।
अब, मौजूदा डील पर भी सरकार की संस्कृति मंत्री लीसा नैन्डी नजर रखेंगी और सार्वजनिक हित के आधार पर फैसला लेंगी।
DMGT के चेयरमैन जोनाथन हार्म्सवर्थ ने कहा, “मैं लंबे समय से डेली टेलीग्राफ की तारीफ करता आया हूं… यह ब्रिटेन का सबसे बड़ा और सबसे भरोसेमंद अखबार है।”
जम्मू-कश्मीर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने गुरुवार सुबह जम्मू में 'कश्मीर टाइम्स' के ऑफिस पर छापा मारा।
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Samachar4media Bureau
जम्मू-कश्मीर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने गुरुवार सुबह जम्मू में 'कश्मीर टाइम्स' के ऑफिस पर छापा मारा। यह अखबार कश्मीर का सबसे पुराना इंग्लिश न्यूजपेपर माना जाता है। एजेंसी का आरोप है कि अखबार का 'अलगाववादी और राष्ट्र-विरोधी समूहों के साथ साजिश' में हाथ हो सकता है।
SIA ने दावा किया कि छापे के दौरान ऑफिस से एक रिवॉल्वर, AK-सीरीज के 14 खाली कारतूस, AK की 3 जिंदा गोलियां, 4 फायर की हुई गोलियां, ग्रेनेड के 3 सेफ्टी लीवर और 3 संदिग्ध पिस्टल राउंड मिले हैं।
अखबार की संपादक और मालिक अनुराधा भसीन और उनके पति प्रभोध जमवाल, जो फिलहाल अमेरिका में बताए जा रहे हैं, ने इन छापों की निंदा की। उन्होंने कहा कि सभी आरोप 'निराधार' हैं और यह कार्रवाई 'उन्हें चुप कराने की कोशिश' है।
वहीं, जम्मू-कश्मीर के डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी ने कहा कि SIA तभी रेड करती है जब किसी मामले में पुख्ता आधार होता है, सिर्फ दबाव बनाने के लिए नहीं।
यह कार्रवाई उस वक्त हुई है जब कुछ दिन पहले J&K पुलिस ने फरीदाबाद में एक आतंकी मॉड्यूल पकड़ने का दावा किया था। इसमें कश्मीर के कम से कम तीन डॉक्टर गिरफ्तार हुए थे। साथ ही 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट में नौ लोगों की मौत का मामला भी जुड़ा है।
यह अखबार अनुराधा भसीन के पिता और वरिष्ठ पत्रकार वेद भसीन ने 1954 में शुरू किया था। कुछ साल पहले इसका जम्मू एडिशन बंद कर दिया गया और अब यह मुख्य रूप से ऑनलाइन चलता है।
SIA के मुताबिक, उन पर ये आरोप लगाए गए हैं कि वे आतंकी और अलगाववादी सोच फैलाने में शामिल हैं। उन पर यह भी आरोप है कि वे भड़काऊ, गढ़ी हुई और झूठी खबरें चला रहे थे, जिससे घाटी के युवाओं को गलत दिशा में ले जाया जा सकता था। एजेंसी का कहना है कि उनका काम लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी और अलगाव की भावना बढ़ा रहा था, जिससे शांति और कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी। इसके अलावा SIA का आरोप है कि उनकी रिपोर्टिंग और डिजिटल कंटेंट भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने जैसा था।
छापे के दौरान SIA टीम ने ऑफिस और संपादक के घर में दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और दूसरी सामग्री की भी जांच की। अधिकारियों का कहना है कि जांच के तहत अनुराधा भसीन से पूछताछ भी की जा सकती है।
एजेंसी के मुताबिक यह कार्रवाई उन नेटवर्क्स के खिलाफ है जो कथित तौर पर अलगाववादी नैरेटिव या अवैध प्रचार में शामिल हैं।
अपने बयान में अनुराधा और जमवाल ने कहा कि यह सब 'डराने और चुप कराने की कोशिश' है। उन्होंने सरकार से 'उत्पीड़न बंद करने और प्रेस की आजादी का सम्मान करने' की मांग की।
सरकार ने प्रिंट मीडिया यानी अखबारों के विज्ञापन की दरों में 26 फीसदी बढ़ाने का फैसला किया है।
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Samachar4media Bureau
सरकार ने प्रिंट मीडिया में विज्ञापन की दरों को 26 फीसदी बढ़ाने का फैसला किया है। अब ब्लैक-एंड-व्हाइट विज्ञापन के लिए एक लाख कॉपी वाले अखबारों में प्रति वर्ग सेंटीमीटर के लिए दरें 47.40 रुपये से बढ़ाकर 59.68 रुपये कर दी गई हैं।
सरकार ने समिति की उन सिफारिशों को भी मंजूर कर लिया है, जिनमें कलर विज्ञापनों के लिए प्रीमियम दरें और खास जगह पर विज्ञापन देने जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
प्रिंट मीडिया के विज्ञापन रेट इससे पहले 9 जनवरी 2019 को बदले गए थे। यह रेट तब 8th रेट स्ट्रक्चर कमेटी (RSC) की सिफारिशों पर आधारित थे और तीन साल के लिए लागू किए गए थे।
सरकार का कहना है कि विज्ञापन रेट बढ़ाने से कई फायदे होंगे। बढ़े हुए रेट से प्रिंट मीडिया को जरूरी आर्थिक मदद मिलेगी, खासकर तब जब डिजिटल और अन्य प्लेटफॉर्म्स से कड़ी टक्कर मिल रही है और पिछले कुछ सालों में लागत भी काफी बढ़ी है।
इस अतिरिक्त आमदनी से अखबार अपने कामकाज को बेहतर तरीके से चला सकेंगे, अच्छी पत्रकारिता बनाए रख सकेंगे और स्थानीय खबरों को समर्थन मिलेगा। आर्थिक रूप से मजबूत होने पर वे बेहतर कंटेंट तैयार कर पाएंगे, जिससे पाठकों को फायदा होगा।
सरकार का यह कदम बदलते मीडिया माहौल के हिसाब से भी है। प्रिंट मीडिया की अहमियत को मानते हुए सरकार चाहती है कि उसकी सूचनाएँ अलग-अलग माध्यमों के जरिए ज्यादा प्रभावी तरीके से जनता तक पहुंचें।
केशव मिश्रा इससे पहले करीब छह साल से अधिक नवभारत टाइम्स‘’ (Navbharat Times) में बतौर सीनियर सब एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
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Samachar4media Bureau
युवा पत्रकार केशव मिश्रा एक बार फिर ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) की टीम में शामिल हो गए हैं। उन्होंने नोएडा में चीफ सब एडिटर के पद पर जॉइन किया है। बता दें कि ‘अमर उजाला’ समूह के साथ केशव मिश्रा की यह दूसरी पारी है।
केशव मिश्रा इससे पहले करीब छह साल से अधिक नवभारत टाइम्स‘’ (Navbharat Times) में बतौर सीनियर सब एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। उन्होंने 'दैनिक जागरण', नोएडा में सब एडिटर के तौर पर डेस्क पर करीब दो साल तक अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद ‘नवभारत टाइम्स’ जॉइन किया था।
केशव मिश्रा ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से बतौर रिपोर्टर की थी। इसके बाद उन्होंने आगरा में ‘द सी एक्सप्रेस अखबार’ का दामन थाम लिया। यहां सब एडिटर के तौर पर उन्होंने करीब दो साल (नवंबर 2011-अगस्त 2013) तक अपनी सेवाएं दीं।
इसके बाद यहां से अपनी पारी को विराम देकर केशव मिश्रा 'दैनिक भास्कर' बठिंडा से जुड़ गए। इस अखबार से वह करीब दो साल (सितंबर 2013-मार्च 2015) तक जुड़े रहे और फिर 'अमर उजाला', रोहतक के साथ नई पारी शुरू कर दी।
जुलाई 2017 तक 'अमर उजाला' में काम करने के बाद केशव मिश्रा ने अगस्त 2017 में 'दैनिक जागरण' नोएडा में अपनी नई पारी का आगाज किया था और फिर यहां से वर्ष 2019 को बाय बोलकर वह ‘नवभारत टाइम्स’ आ गए थे, जहां से अपनी पारी को विराम देकर अब वह फिर से ‘अमर उजाला’ की टीम में शामिल हो गए हैं।
मूलरूप से प्रयागराज के रहने वाले केशव मिश्रा ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। समाचार4मीडिया की ओर से केशव मिश्रा को नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
धर्मेन्द्र सिंह वर्ष 2011 से लगातार इस अखबार के साथ जुड़े हुए हैं। वह करीब ढाई साल से बतौर एडिटर, हरियाणा के पद पर अपनी भूमिका निभा रहे थे।
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Samachar4media Bureau
‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) समूह ने वरिष्ठ पत्रकार धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया पर और अधिक भरोसा जताते हुए उन्हें अब और बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। इसके तहत उन्हें नेशनल पॉलिटिकल एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया है। साथ ही वह नेशनल ब्यूरो हेड के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे। वह दिल्ली से अपना कामकाज संभालेंगे।
बता दें कि ‘दैनिक भास्कर’ समूह ने करीब ढाई साल पहले भी धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया को प्रमोट कर एडिटर, हरियाणा के पद पर नियुक्त किया था। उससे पहले धर्मेन्द्र सिंह वर्ष 2021 से ग्वालियर में बतौर रेजिडेंट एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। वह दिल्ली में दैनिक भास्कर के नेशनल ब्यूरो में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। वह वर्ष 2011 से लगातार इस अखबार के साथ जुड़े हुए हैं।
मूल रूप से भिंड (मध्य प्रदेश) के रहने वाले धर्मेन्द्र सिंह को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2005 में ‘अमर उजाला’ मेरठ से की थी। इसके बाद वह इसी अखबार में नोएडा आ गए और बिजनेस पेज ‘कारोबार’ की कमान संभालने लगे। वर्ष 2008 में वह दैनिक भास्कर आ गए और इस समूह के बिजनेस अखबार ‘बिजनेस भास्कर’ में कॉरपोरेट इंचार्ज के तौर पर दिल्ली में अपनी पारी शुरू कर दी। यहां से उन्हें बिजनेस भास्कर का मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़ का प्रिंसिपल करेसपॉन्डेंट/ब्यूरो हेड बनाकर भोपाल भेज दिया गया।
इसके बाद उन्होंने यहां से बाय बोलकर ‘राजस्थान पत्रिका’ के समाचार पत्र ‘पत्रिका’ ग्वालियर में सिटी चीफ के रूप में अपनी नई पारी शुरू कर दी। हालांकि, यहां वह करीब एक साल तक ही कार्यरत रहे और वर्ष 2011 में फिर से ‘बिजनेस भास्कर’ लौट आए। करीब दो साल बाद इसी अखबार में इंदौर चले गए और फिर वर्ष 2014 में नेशनल आइडिएशन न्यूज रूम में ‘आ गए और वर्ष 2020 तक राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय खबरों पर काम किया। इसके बाद वह दिल्ली में दैनिक भास्कर के नेशनल ब्यूरो में आ गए और फिर कुछ समय बाद वर्ष 2021 में उन्होंने रेजिडेंट एडिटर के तौर पर ग्वालियर की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद अप्रैल 2023 में समूह ने उन्हें एडिटर (हरियाणा) की जिम्मेदारी सौंपी थी और अब उन्हें नेशनल पॉलिटिकल एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया है।
वर्ष 2014 से अप्रैल तक सात वर्ष में उन्होंने ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए राष्ट्रीय स्तर पर देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही विदेश यात्राएं भी कीं। इसमें वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले की ‘महाभारत-2019 भारत यात्रा’ के अलावा कोरोना काल के दौरान जून 2020 से अगस्त 2020 तक ‘कोरोना काल, देश का आंखों देखा हाल’ (उत्तर प्रदेश-बिहार की यात्रा) प्रमुख रहीं।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया ने भोपाल स्थित ‘माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय‘ से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। समाचार4मीडिया की ओर से धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब ने भी इस कार्रवाई की निंदा की और इसे “सूचना के मुक्त प्रवाह में बाधा डालने की कोशिश” बताया।
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Samachar4media Bureau
रविवार सुबह पंजाब के कई हिस्सों में अखबार समय पर नहीं पहुंच पाए। इसका कारण पुलिस द्वारा किए गए वाहन जांच अभियान को बताया जा रहा है, जिसमें खासकर वाणिज्यिक वाहन निशाने पर थे। होशियारपुर और जालंधर जिलों में डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर तक वाहन लगभग सुबह 7:30 बजे पहुंचे, जिससे पाठकों तक अखबार देर से पहुंचे। कई डिलीवरी ड्राइवरों ने बताया कि उन्हें अखबार के बंडल उतरवाकर जांच के लिए देना पड़ा।
लुधियाना के सिविल लाइंस, मॉडल टाउन, दुगरी और सराभा नगर इलाकों में अखबार 8:30 बजे तक पहुंचे। एक डिस्ट्रीब्यूटर ने कहा, “रविवार को पहले ही डिलीवरी का बोझ ज्यादा होता है, आज की जांच ने और देरी कर दी।”
अमृतसर में भी डिस्ट्रीब्यूटर्स ने देरी की शिकायत की। एक निवासी, लक्षविंदर सिंह ने बताया कि उनके तीन अखबारों में से केवल एक ही देर से पहुंचा, क्योंकि सप्लाई वाहन पुलिस जांच के लिए रोके गए थे।
इस घटना पर विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। प्रताप सिंह बाजवा ने इसे “पत्रकारिता पर हमला” करार दिया। उन्होंने कहा, “जिस मीडिया ने AAP को बनाया, वही अब इसे परेशान कर रही है।”
पंजाब बीजेपी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने कहा कि कई जगह अखबार वाहन रोके गए और केवल पुलिस जांच के बाद ही आगे बढ़ने दिए गए। उन्होंने कहा, “इमरजेंसी के बाद पहली बार मीडिया को डराने और दबाने की कोशिश की गई है।”
कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वल्लिंग ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा और इसे “पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए गंभीर मामला” बताया। कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा कि यह अभियान अरविंद केजरीवाल के चंडीगढ़ सरकारी बंगले में ठहरने की खबरों को दबाने के लिए किया गया।
शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि सरकार अखबारों पर इसलिए निशाना साध रही है क्योंकि कोई उनके खिलाफ रिपोर्ट न लिखे।
पंजाब पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि यह वाहन जांच सुरक्षा उपायों के तहत की गई थी। उन्होंने बताया कि पंजाब एक संवेदनशील सीमा राज्य है और पाकिस्तान की ISI ड्रोन और अन्य वाहनों के जरिए अवैध सामान, हथियार और विस्फोटक भेजने की कोशिश करती है। ऐसे में सुरक्षा बढ़ाने के लिए जांच जरूरी है। पुलिस ने कहा कि जनता को कम से कम परेशानी हो, यह सुनिश्चित किया जाएगा, लेकिन सख्त सुरक्षा व्यवस्था जरूरी है।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब ने भी इस कार्रवाई की निंदा की और इसे “सूचना के मुक्त प्रवाह में बाधा डालने की कोशिश” बताया। क्लब ने पंजाब सरकार से कहा कि अखबार वितरण में कोई रुकावट न हो और प्रेस की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाए।
तमिलनाडु न्यूजप्रिंट एंड पेपर्स लिमिटेड (TNPL) ने हाल ही में हुई अपनी बोर्ड मीटिंग में दूसरी तिमाही और छमाही के वित्तीय नतीजों की समीक्षा के साथ कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
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Vikas Saxena
तमिलनाडु न्यूजप्रिंट एंड पेपर्स लिमिटेड (TNPL) ने हाल ही में हुई अपनी बोर्ड मीटिंग में दूसरी तिमाही और छमाही के वित्तीय नतीजों की समीक्षा के साथ कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
कंपनी ने बताया कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की इस बैठक में थिरू मैथ्यू थॉमस को स्वतंत्र निदेशक (Independent Director) के रूप में नियुक्त की घोषणा की गई है। उनका कार्यकाल 27 अक्टूबर 2025 से 26 अक्टूबर 2028 तक रहेगा। यह नियुक्ति कंपनी के शेयरधारकों की मंजूरी के अधीन होगी।
कंपनी ने कहा कि थिरू मैथ्यू थॉमस के पास कॉर्पोरेट गवर्नेंस और प्रबंधन का लंबा अनुभव है और उनके जुड़ने से बोर्ड की विशेषज्ञता और निर्णय क्षमता और मजबूत होगी।
TNPL ने यह भी स्पष्ट किया कि थिरू मैथ्यू थॉमस किसी भी नियामक संस्था जैसे सेबी (SEBI) या अन्य किसी प्राधिकरण द्वारा निदेशक पद संभालने से प्रतिबंधित नहीं हैं। साथ ही, वे कंपनी के किसी अन्य निदेशक से पारिवारिक या व्यावसायिक रूप से जुड़े नहीं हैं और उनके पास TNPL के कोई शेयर नहीं हैं।
शेयरधारकों से उनकी नियुक्ति के लिए सहमति प्राप्त करने के उद्देश्य से कंपनी ने पोस्टल बैलेट की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला भी किया है। जिन लोगों के पास 24 अक्टूबर 2025 तक कंपनी के शेयर दर्ज होंगे, सिर्फ वही लोग इस प्रस्ताव (resolution) पर मतदान कर सकेंगे।
पोस्टल बैलेट प्रक्रिया की निगरानी के लिए आर. श्रीधरन एंड एसोसिएट्स के कंपनी सेक्रेटरी आर. श्रीधरन को स्क्रूटिनाइजर नियुक्त किया गया है। मतदान प्रक्रिया सीडीएसएल (Central Depository Services Limited) के ई-वोटिंग प्लेटफॉर्म के जरिए पूरी की जाएगी।
कंपनी ने बताया कि परिणामों की घोषणा के बाद उन्हें नियमानुसार अखबारों में प्रकाशित किया जाएगा।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक तनवीर सादिक ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में स्थानीय अखबारों और अन्य मीडिया संस्थानों को सरकारी विज्ञापन न दिए जाने का मुद्दा उठाया।
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Samachar4media Bureau
नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक तनवीर सादिक ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में स्थानीय अखबारों और अन्य मीडिया संस्थानों को सरकारी विज्ञापन न दिए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा कि आखिर कई सालों से इन प्रकाशनों को विज्ञापन क्यों नहीं मिल रहे हैं।
विधानसभा की कार्यवाही के दौरान बोलते हुए सादिक ने कहा, “अब तक मीडिया संस्थानों को राज्य सरकार की तरफ से कोई विज्ञापन नहीं दिया गया है। क्या सरकार इन्हें ‘देशविरोधी’ मानती है, या फिर इसके पीछे कोई और वजह है?”
उन्होंने आगे कहा, “यदि ये देशविरोधी हैं तो इन्हें बंद कर दीजिए, लेकिन यदि नहीं हैं तो फिर इन्हें भी बाकी अखबारों की तरह विज्ञापन मिलने चाहिए।”
सादिक ने कहा कि निष्पक्षता का तकाजा है कि हर अखबार को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए। उन्होंने कहा, “कलम को इतनी आजादी तो मिलनी ही चाहिए कि उसे रोका न जाए।”
नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक ने सरकार से अपील की कि वह सदन को बताए कि पिछले पांच, छह या सात सालों से कुछ अखबारों को विज्ञापन क्यों नहीं दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र मीडिया के लिए जरूरी है कि उसे अपना काम जारी रखने के लिए पर्याप्त समर्थन मिले।
सादिक ने कहा, “जब उनकी कलम मजबूत होगी, तभी वे हमारे खिलाफ या किसी और के खिलाफ लिख पाएंगे, लेकिन लिखने में रुकावट नहीं होनी चाहिए।”
उनका यह बयान विधानसभा में मौजूद सदस्यों का ध्यान इस ओर खींचने में कामयाब रहा कि स्थानीय मीडिया संस्थान कई वर्षों से सरकारी विज्ञापनों से वंचित हैं, जिससे उनके अस्तित्व पर असर पड़ रहा है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक तनवीर सादिक ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में स्थानीय अखबारों और अन्य मीडिया संस्थानों को सरकारी विज्ञापन न दिए जाने का मुद्दा उठाया।
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नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक तनवीर सादिक ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में स्थानीय अखबारों और अन्य मीडिया संस्थानों को सरकारी विज्ञापन न दिए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा कि आखिर कई सालों से इन प्रकाशनों को विज्ञापन क्यों नहीं मिल रहे हैं।
विधानसभा की कार्यवाही के दौरान बोलते हुए सादिक ने कहा, “अब तक मीडिया संस्थानों को राज्य सरकार की तरफ से कोई विज्ञापन नहीं दिया गया है। क्या सरकार इन्हें ‘देशविरोधी’ मानती है, या फिर इसके पीछे कोई और वजह है?”
उन्होंने आगे कहा, “यदि ये देशविरोधी हैं तो इन्हें बंद कर दीजिए, लेकिन यदि नहीं हैं तो फिर इन्हें भी बाकी अखबारों की तरह विज्ञापन मिलने चाहिए।”
सादिक ने कहा कि निष्पक्षता का तकाजा है कि हर अखबार को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए। उन्होंने कहा, “कलम को इतनी आजादी तो मिलनी ही चाहिए कि उसे रोका न जाए।”
नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक ने सरकार से अपील की कि वह सदन को बताए कि पिछले पांच, छह या सात सालों से कुछ अखबारों को विज्ञापन क्यों नहीं दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र मीडिया के लिए जरूरी है कि उसे अपना काम जारी रखने के लिए पर्याप्त समर्थन मिले।
सादिक ने कहा, “जब उनकी कलम मजबूत होगी, तभी वे हमारे खिलाफ या किसी और के खिलाफ लिख पाएंगे, लेकिन लिखने में रुकावट नहीं होनी चाहिए।”
उनका यह बयान विधानसभा में मौजूद सदस्यों का ध्यान इस ओर खींचने में कामयाब रहा कि स्थानीय मीडिया संस्थान कई वर्षों से सरकारी विज्ञापनों से वंचित हैं, जिससे उनके अस्तित्व पर असर पड़ रहा है।
सरकार पारंपरिक यानी अखबार, रेडियो और टीवी जैसे मीडिया माध्यमों को नई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से हो रहे असर से बचाने के लिए कई कदम उठाने की तैयारी कर रही है।
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Samachar4media Bureau
सरकार पारंपरिक यानी अखबार, रेडियो और टीवी जैसे मीडिया माध्यमों को नई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से हो रहे असर से बचाने के लिए कई कदम उठाने की तैयारी कर रही है। न्यूज एजेंसी एएनआई (ANI) के मुताबिक, सरकार इस दिशा में बड़े सुधारों पर काम कर रही है ताकि पारंपरिक मीडिया का संतुलन बना रहे।
प्रिंट मीडिया के लिए बढ़ेंगी विज्ञापन दरें
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार प्रिंट मीडिया के लिए विज्ञापन दरों में 26 फीसदी की बढ़ोतरी करने जा रही है। इस बढ़ोतरी का आधिकारिक नोटिफिकेशन 15 नवंबर के बाद जारी किया जाएगा। इससे अखबारों और पत्रिकाओं को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से इनकी आमदनी पर असर पड़ा है।
डिजिटल शिफ्ट से प्रभावित हो रही आजीविका
न्यूजल एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि पारंपरिक मीडिया का तेजी से डिजिटल फॉर्मेट में बदलना कई लोगों की आजीविका पर असर डाल रहा है, खासकर उन कर्मचारियों पर जो लंबे समय से प्रिंट सेक्टर में काम कर रहे हैं।
रेडियो के लिए हटेंगे नियमों के बंधन
रेडियो क्षेत्र में भी सरकार विकास की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए मौजूदा नियमों में ढील देने पर विचार कर रही है। फिलहाल कई तरह की रेगुलेटरी पाबंदियों के कारण यह सेक्टर अपनी पूरी क्षमता से नहीं बढ़ पा रहा है।
टीवी रेटिंग सिस्टम में सुधार की तैयारी
टीवी चैनलों के लिए सरकार रेटिंग सिस्टम में आ रही गड़बड़ियों को दूर करने पर भी काम कर रही है। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ऐसा सिस्टम बनाना चाहती है जो सभी चैनलों को बराबरी का मौका दे।
डीटीएच सेक्टर में भी सुधार की योजना
इसके साथ ही डीटीएच (डायरेक्ट टू होम) सेक्टर में भी सुधार की तैयारी चल रही है ताकि ‘फ्री डिश’ सेवाओं की पहुंच बढ़ाई जा सके और उनकी लागत कम की जा सके।
रेटिंग सुधार पर परामर्श पत्र तैयार
सूत्रों ने पुष्टि की है कि रेटिंग सुधारों को लेकर एक परामर्श पत्र (consultation paper) पहले ही तैयार किया जा चुका है। यह कदम सरकार के उस बड़े उद्देश्य का हिस्सा है, जिसके तहत वह पारंपरिक मीडिया को स्थिर करने और उसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बनाए रखने की दिशा में काम कर रही है।