कोरोनावायरस (कोविड-19) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन के कारण कुछ समय के लिए अखबारों की प्रिंटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन (वितरण) पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ा।
कोरोनावायरस (कोविड-19) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन के कारण कुछ समय के लिए अखबारों की प्रिंटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन (वितरण) पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ा। हालांकि, केरल का मार्केट इसका अपवाद रहा और वहां पर बिना किसी रुकावट के अखबारों का वितरण पहले की तरह जारी रहा। सिर्फ प्रादेशिक भाषा के अखबार ही नहीं, बल्कि अन्य अखबार जिनमें अंग्रेजी अखबार भी शामिल हैं, उन्हें राज्य में अखबारों के वितरण को लेकर किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। दूसरी ओर, भले ही देश के अन्य हिस्सों में अखबार का सर्कुलेशन फिर से शुरू हो गया है, लेकिन वितरण अभी भी लगभग 75-90% है।
इसका एक प्रमुख कारण अखबारों और सरकार द्वारा फेक न्यूज और गलत इंफॉर्मेशन के प्रसार को रोकने के लिए किया गया प्रयास था कि अखबारों के द्वारा कोविड-19 लोगों तक पहुंच सकता है। इसके लिए सभी अखबारों ने विडियो भी तैयार किए।
इस बारे में ‘मातृभूमि’ (Mathrubhumi) समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर एमवी श्रेयम्स कुमार का कहना है, ‘लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए हमने एक रणनीतिक दृष्टिकोण भी अपनाया। इसके लिए हमने विडियो तैयार कर लोगों को बताया कि अखबारों के प्रॉडक्शन में साफ-सफाई समेत तमाम एहतियात बरती जाती हैं। इस विडियो में हमने दिखाया कि यहां पर प्रिंटिंग के लिए ऑटोमैटिक प्रक्रिया अपनाई जाती है और प्रॉडक्शन की प्रक्रिया पूरी तरह से सैनिटाइज होती है। अपने न्यूजपेपर्स के वितरण को लेकर भी हम काफी सख्त प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं। अखबारों के ट्रांसपोर्टेशन और हैंडलिंग की पूरी प्रक्रिया में तमाम सुरक्षा उपायों का पान किया जाता है। इस प्रक्रिया में काम करने वाले साथ मुंह पर मास्क और हाथों में दस्तानों का इस्तेमाल करते हैं। इस जागरूकता कैंपेन के अलावा मलयाला मनोरमा ने यह भी सुनिश्चित किया कि इसे प्रिंटिंग के लिए कुछ घंटों पहले भेजा जाए, ताकि डिस्ट्रीब्यूशन में आने वाली बाधा को दूर किया जा सके।’
वहीं, ‘मलयाला मनोरमा’ के वाइस प्रेजिडेंट (मार्केटिंग, एडवर्टाइजिंग सेल्स) वर्गीस चांडी ने कहा, ‘केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने साफ कहा कि अखबार वितरण प्रभावित नहीं होगा और अखबारों से वायरस नहीं फैलता है, क्योंकि आखिरी छोर तक पूरी एहतियात बरती जाती है। आजकल फेक न्यूज की भरमार है, ऐसे में लोग सही खबर के लिए अखबार तलाशते हैं, क्योंकि अखबारों की विश्वसनीयता बहुत ज्यादा है। यहां के लोग विश्वसनीय सोर्स से इंफॉर्मेशन लेने में विश्वास रखते हैं। केरल की बात करें तो यहां के लोग छपे हुए पर ज्यादा विश्वास करते हैं।’
कुमार का कहना है, ‘इसके अलावा इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी भी अपनी ओर से आगे आई और इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी की केरल कमेटी ने सभी मलयालम अखबारों में एक विज्ञापन जारी कर फेक न्यूज से लड़ाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। इसने भी लोगों के बीच जागरकता फैलाने में अहम भूमिका निभाई।’
मीडिया इंडस्ट्री पर इस महामारी का सबसे ज्यादा प्रभाव विज्ञापन पर पड़ा है। खासकर प्रिंट मीडिया इससे काफी प्रभावित है। अनुमान है कि प्रिंट एडवर्टाइजिंग में 90 प्रतिशत से ज्यादा की कमी देखने को मिली है और केरल भी इससे अछूता नहीं रहा है। हालाँकि, विज्ञापनदाताओं की कुछ श्रेणियां हैं, जैसे ऑनलाइन एजुकेशन पोर्टल्स और हैंड सैनिटाइजर्स आदि, जो विज्ञापन जारी रखते हैं। इसके अलावा कई ब्रैंड्स ने कोरोनावायरस संबंधित विज्ञापनों का सहारा लिया है।
कुमार का कहना है, प्रिंट मीडिया को वापस ट्रैक पर आने के लिए उचित समय लगेगा और उसमें सभी मोर्चों पर प्रयास करने की जरूरत है, जिसमें मालिक, एंप्लाईज, सरकार और सहायक निकाय आदि शामिल हैं।
केरल में कोरोनावायरस के मामले कम होने के साथ ही चांडी ने उम्मीद जताई है कि केरल के कुछ जिले सरकार द्वारा ग्रीन ज़ोन के रूप में घोषित किए जाने वाले पहले जिलों में शामिल होंगे। चांडी के अनुसार, ‘केरल में एक समाचार पत्र की पहुंच किसी अन्य माध्यम से अधिक है और यह एक मजबूत माध्यम है।हालांकि कई इंडस्ट्री में अभी ठहराव है, हम कहना चाहते हैं कि जब भी एडवर्टाइर्स विज्ञापन के लिए तैयार होंगे, केरल भी पूरी तरह तैयार होगा क्योंकि यह मीडियम तैयार है।’
चांडी का कहना है, ‘एक बड़ी समस्या ये है कि अन्य शहरों में लोगों के बीच ये धारणा है कि यदि मुझे यहां अखबार नहीं मिलता है तो कहीं और भी ऐसा ही होगा, लेकिन केरल में कहानी पूरी तरह अलग है। मेरा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरू और चेन्नई आदि के एडवर्टाइजर्स से कहना है कि अपने मेट्रो शहरों की तुलना केरल से न करें, क्योंकि केरल काफी अलग है। केरल में अखबारों का डिस्ट्रीब्यूशन प्रभावित नहीं हुआ है और यह लगभग सौ प्रतिशत है।’
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।जर्नलिस्ट चंचल पाल चौहान का 21 अप्रैल की रात कोविड के कारण निधन हो गया। वे ‘इकनॉमिक टाइम्स’ ऑटो के फीचर एडिटर थे
जर्नलिस्ट चंचल पाल चौहान का 21 अप्रैल की रात कोविड के कारण निधन हो गया। वे ‘इकनॉमिक टाइम्स’ ऑटो के फीचर एडिटर थे और हिन्दुस्तान टाइम्स के नेशनल एडिटर चेतन चैहान के भाई थे।
चंचल पाल चैहान जिला शिमला के कोटखाई क्षेत्र के निवासी थे। चंचल ने ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ और ‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ के लिए शिमला और चंडीगढ़ में अपनी सेवाएं दी और इसके बाद दिल्ली में भी विभिन्न मीडिया संगठनों के साथ कार्य किया।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने वरिष्ठ पत्रकार चंचल पाल चैहान के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने परमात्मा से दिवंगत आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिजनों को इस अपूर्णीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चंचल पाल चैहान के निधन से राज्य ने एक अनुभवी और उत्कृष्ट पत्रकार खोया है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।दैनिक हिन्दुस्तान के वरिष्ठ संवाददाता रमेन्द्र सिंह नहीं रहे। कोरोना संक्रमण के चलते गुरुवार को उनका निधन हो गया।
दैनिक हिन्दुस्तान के वरिष्ठ संवाददाता रमेन्द्र सिंह नहीं रहे। कोरोना संक्रमण के चलते गुरुवार को उनका निधन हो गया। वाराणसी के भदवर स्थित हेरिटेज मेडिकल कॉलेज में उन्हें भर्ती कराया गया था।
उनके परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटी है। हरिश्चंद्र घाट पर उनकी अंत्येष्टि हुई। दो भाइयों के भी संक्रमित होने के कारण साढ़ू ने मुखाग्नि दी।
लगभग दो दशक पूर्व पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले रमेन्द्र सिंह वायरस की चपेट में आ गए थे। बुधवार रात तक वह अच्छी स्थिति में थे, लेकिन गुरुवार सुबह उनका ऑक्सीजन लेवल नीचे आने लगा। उनकी निगरानी कर रहे डॉक्टर ने गुरुवार सुबह वेंटीलेटर की व्यवस्था करने को कहा। रमेन्द्र सिंह को एंबुलेंस से हेरिटेज अस्पताल ले जाया गया। हेरिटेज में वेंटीलेटर की सुविधा मिली, लेकिन रमेन्द्र सिंह बचाए नहीं जा सके।
हरिश्चंद्र घाट पर मौजूद हिन्दुस्तान परिवार के सदस्यों ने हरदिल अजीज अपने साथी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी। कोरोना पीड़ितों की सेवा में अहर्निश लगे रहने वाले युवा सामाजिक कार्यकर्ता अमन कबीर ने जरूरी व्यवस्थाएं कराई।
विनम्रता, मिलनसारिता, सौम्यता के धनी रमेन्द्र सिंह ने विगत डेढ़ दशक के दौरान शैक्षणिक पत्रकारिता में विशिष्ट पहचान बनाई थी। बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा से जुड़े सभी आयामों पर उन्होंने सफल लेखनी चलाई। मौसम संबंधी खबरों में भी उनकी अच्छी दखल थी। इस दौरान उन्होंने कई युवाओं को अखबारनवीसी भी सिखाई। हिन्दुस्तान के दफ्तर से लेकर कार्यक्षेत्र तक सभी के लिए अजातशत्रु रहे रमेन्द्र सिंह के निधन की जिसने भी खबर सुनी, स्तब्ध रह गया। कई शैक्षणिक, सामाजिक और व्यापारी संगठनों ने वरिष्ठ पत्रकार के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।प्रिंट मीडिया का सर्कुलेशन और बिजनेस कोविड से पहले की तुलना में करीब 90 प्रतिशत तक पहुंच चुका है, इसके बावजूद न्यूज रूम्स का संकट दूर नहीं हुआ है।
ऐसी ही एक खबर ‘बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड’ (BCCL) कंपनी से आ रही है। खबर है कि देश भर में कंपनी के न्यूजरूम्स में छंटनी का नया दौर शुरू हो गया है। वर्ष 2020 के दौरान ‘टाइम्स लाइफ’ (Times Life) और ‘संडे ईटी’ (Sunday ET) जैसे एडिशन बंद होने के बाद ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’(TOI) और ‘इकनॉमिक टाइम्स’ (ET) में पिछले दो-तीन महीनों के दौरान कई एम्प्लॉयीज की छंटनी की जा रही है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, कंपनी के करीब 100 एम्प्लॉयीज को या तो नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया है अथवा पिछले कुछ महीनों में उनके कॉन्ट्रैक्ट को रिन्यू नहीं किया गया है।
हालांकि ‘संडे ईटी’ की लगभग पूरी टीम को नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया था, लेकिन छंटनी सिर्फ इसी टीम तक सीमित नहीं है। कंपनी के तमाम अन्य वर्टिकल्स जैसे-पॉलिटिकल ब्यूरो और स्पोर्ट्स टीम आदि को भी कम किया गया है। हाल ही में कोच्चि (Kochi) टीम के 15 एम्प्लॉयीज को भी जाने के लिए बोल दिया गया था। छंटनी (layoffs) और वेतन कटौती (paycuts) के दूसरे दौर में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ और ‘इकनॉमिक टाइम्स’ ने अलग-अलग रास्ते अख्तियार किए हैं। एक तरफ ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने जहां कथित तौर पर दूसरे दौर की वेतन कटौती का मार्ग अपनाया है, वहीं ‘इकनॉमिक टाइम्स’ ने विभिन्न ब्यूरो और एडिशंस में बड़ी संख्या में अपने एडिटोरियल स्टाफ को पिंक स्लिप (pink slip) सौंपी हैं।
सूत्रों का यह भी कहना है कि बड़ी संख्या में पत्रकारों को कंसल्टेंट के पदों पर शिफ्ट किया गया है। कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले तमाम पत्रकारों के कॉन्ट्रैक्ट को रिन्यू नहीं किया जा रहा है। अपना नाम न छापने की शर्त पर ‘ईटी’ के एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया, ‘हमें कहा गया कि आने वाले दिनों में और छंटनी होगी।’ पिछले एक साल में संपादकीय और गैर-संपादकीय कार्यों से जुड़े 1000 से अधिक एम्प्लॉयीज को बाहर का रास्ता दिखाया गया है।
लॉकडाउन के बामुश्किल एक महीने के भीतर बीसीसीएल ने छंटनी और वेतन कटौती की घोषणा की थी, लेकिन शायद यह फैसला देश में महामारी फैलने से पहले लिया गया था। कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में 484.27 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ (net profit) की तुलना में 31 मार्च 2020 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए 451.63 करोड़ रुपये के समेकित कुल नुकसान (consolidated net loss) की जानकारी दी थी। एक साल पहले पोस्ट किए गए 9611.42 करोड़ रुपये की तुलना में न केवल परिचालन राजस्व (revenue from operations) 9254.53 करोड़ रुपये तक गिरा, कंपनी की कुल आय भी 10467.53 करोड़ रुपये से घटकर 9733.45 करोड़ रुपये रह गई। कंपनी का विज्ञापन राजस्व (advertisement revenue) भी 6155.32 करोड़ रुपये से घटकर 5367.88 करोड़ रुपये रह गया, जबकि पब्लिकेशंस की बिक्री से होने वाला रेवेन्यू भी 656.09 करोड़ रुपये से घटकर 629.96 करोड़ रुपये पर आ गया।
बता दें कि इन सबकी शुरुआत लॉकडाउन के शुरुआती दौर में हुई थी, जब तमाम पत्रकारों को नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया था, उनके वेतन में भारी कटौती की गई थी अथवा उन्हें अवैतनिक (बिना वेतन के) अवकाश पर भेजा गया था।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ (Indian Express) और ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ (Business Standard) ने सबसे पहले सैलरी में कटौती की घोषणा की थी, जिसके बाद लगभग सभी प्रमुख अखबारों ने भी कुछ इसी तरह के कदम उठाए थे। तब से लेकर तमाम संस्थानों में छंटनी अथवा सैलरी कटौती का सिलसिला नहीं रुका है। हालांकि, इस साल मार्च में एम्प्लॉयीज को चेयरमैन ऑफिस की ओर से एक लेटर भी मिला था, जिसमें टीवीपी (TVP) और अन्य इन्सेंटिंव की घोषणा की गई थी। इस बारे में हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ने बीसीसीएल से इस बारे में उनका पक्ष जानना चाहा, लेकिन खबर लिखे जाने तक वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई थी।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जानकारी दी कि BOC ने वित्तीय वर्ष 2021 में 12 मार्च तक प्रिंट मीडिया व टीवी चैनलों पर कितने करोड़ रुपए की राशि खर्च की।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) के तहत आने वाले ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (BOC) ने वित्तीय वर्ष 2021 में 12 मार्च तक प्रिंट मीडिया और प्राइवेट सैटेलाइट चैनल्स पर 73.18 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, BOC द्वारा अखबारों सहित प्रिंट मीडिया पर 62.01 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जबकि प्राइवेट केबल एंड सैटेलाइट (C&S) चैनल्स पर 11.17 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहीं, इस दौरान सोशल मीडिया पर विज्ञापनों पर कोई खर्चा नहीं किया गया।
वहीं वित्तीय वर्ष 2020 में, सरकार ने प्रिंट मीडिया, केबल एंड सैटेलाइट (C&S) चैनल्स और सोशल मीडिया पर कुल मिलाकर 157.64 करोड़ रुपए की राशि खर्च की थी। इस दौरान लगभग 128.96 करोड़ रुपए प्रिंट मीडिया पर खर्च किए गए, जबकि इसके बाद प्राइवेट केबल एंड सैटेलाइट (C&S) चैनल्स पर 25.68 करोड़ रुपए और सोशल मीडिया 3 करोड़ रुपए पर खर्च किए गए।
इससे पहले वित्तीय वर्ष 2019 में विज्ञापन खर्च की बात की जाए तो, सरकार ने इस दौरान प्रिंट मीडिया पर 301.03 करोड़, टीवी चैनल्स पर 123.01 करोड़ और सोशल मीडिया पर 2.6 करोड़ रुपए खर्च किए। इस तरह से कुल मिलाकर 426.64 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई।
वित्तीय वर्ष 2016 में प्रिंट मीडिया और निजी चैनल्स पर बीओसी ने 624.23 करोड़ रुपए खर्च किए। इसके बाद वित्तीय वर्ष 2017 में 621.44 करोड़ रुपए और वित्तीय वर्ष 2018 में 572 करोड़ रुपए खर्च किए।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।शनिवार को मैगजीन ने जो कार्टून छापा है, उसमें इस बार ब्रिटिश राज परिवार पर तीखा प्रहार किया गया है।
फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका (मैगजीन) 'शार्ली हेब्दो' (Charlie Hebdo) एक बार फिर अपने कार्टून की वजह से विवादों में है। इस बार विवाद का कारण बना है यूनाइटेड किंगडम (यूके) की महारानी एलिजाबेथ और उनके पोते की बहू मेगन मर्केल का एक कार्टून।
दरअसल, शनिवार को मैगजीन ने जो कार्टून छापा है, उसमें इस बार ब्रिटिश राज परिवार पर तीखा प्रहार किया गया है। इस कार्टून के छपने के बाद से इसके खिलाफ विरोध देखा जा रहा है। इस कार्टून को टाइटल दिया गया है– मेगन ने बकिंघम क्यों छोड़ा। कार्टून में मेगन चीखती हुई कह रही हैं, क्योंकि अब मैं अब सांस भी नहीं ले सकती। कार्टून में यूके की महारानी एलिजाबेथ को उनके पोते हैरी की पत्नी मेगन मर्केल की गर्दन पर घुटने टिकाए दिखाया गया है।
बता दें कि इस तरह से गर्दन पर घुटने टिकाने को ‘नीलिंग’ कहते हैं। कुछ साल पहले नीलिंग की घटना के चलते ही अमेरिका में दंगे भड़के थे। अमेरिकी पुलिस का एक गोरा अधिकारी अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड के गर्दन पर घुटने से तब तक दबाव डालता रहा था, जब तक कि उसकी जान नहीं चली गई। नीलिंग का यह दृश्य अमेरिका में अश्वेतों के खिलाफ हिंसा का प्रतीक बन कर उभरा। अब इस तरह के कार्टून में मेगन को जॉर्ज फ्लॉयड और यूके की महरानी एलिजाबेथ को श्वेत पुलिस अधिकारी की जगह पर दिखाया गया है।
बता दें कि इसी मैगजीन ने पैगंबर मुहम्मद साहब का एक कार्टून छापा था, जिसकी वजह से ही करीब साढ़े पांच साल पहले मैगजीन के दफ्तर पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 12 लोग मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन अलकायदा ने ली थी।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।केरल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी कि सीपीआई एक अखबार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की योजना बना रही है
केरल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी कि सीपीआई एक अखबार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की योजना बना रही है और यह अखबार बीजेपी का मुखपत्र ‘जन्मभूमि’ है। दरअसल इस अखबार में रविवार को नट्टिका विधानसभा क्षेत्र से लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के उम्मीदवार सी.सी. मुकुंदन के निधन की एक गलत प्रकाशित हुई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह खबर त्रिस्सूर एडिशन में प्रकाशित की गई, लेकिन जब इस गलत खबर को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल मचा, तो अखबार ने अपना ई-एडिशन वापस ले लिया।
बता दें कि यह खबर छपने से एक दिन पहले ही सीपीआई ने एलडीएफ के कैंडिडेट के तौर पर नट्टिका विधानसभा क्षेत्र से उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की थी। अखबार में शोक समाचार कॉलम में उनकी तस्वीर के साथ यह खबर प्रकाशित की थी।
सीपीआई के जिला सचिव के.के. वलसराज ने कहा कि पार्टी इस तरह की गलत खबर प्रकाशित करने के लिए अखबार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी। मुकुंदन का परिवार इस फर्जी खबर को पढ़कर गंभीर मानसिक आघात से गुजर रहा है। इस स्थिति में, हमने अखबार के खिलाफ चुनाव आयोग से भी संपर्क करने का फैसला किया है।
सीपीआई त्रिस्सूर जिला समिति ने एक बयान में कहा कि यह बदनाम करने वाली खबर थी, जोकि जन्मभूमि द्वारा राजनीति की ऊंची जाति की फासीवादी मानसिकता को दर्शाता है।
वहीं, सीसी मुकुंदन ने इस विवाद पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, उन्होंने रविवार को फेसबुक पर अपने चुनाव अभियान की तस्वीरें पोस्ट कीं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।एडिटर्स गिल्ड ने जम्मू-कश्मीर स्थित अखबारों के एडिटर्स को उनकी रिपोर्टिंग या एडिटोरियल के लिए 'अनौपचारिक तरीके' से हिरासत में लिए जाने पर हैरानी जताई है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने जम्मू-कश्मीर स्थित अखबारों के एडिटर्स को उनकी रिपोर्टिंग या एडिटोरियल के लिए 'अनौपचारिक तरीके' से हिरासत में लिए जाने पर हैरानी जताई है। एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में 'द कश्मीर वाला' के एडिटर-इन-चीफ फहाद शाह की हाल में हुई हिरासत का जिक्र किया।
अपने बयान में EGI ने कहा कि शाह को कुछ ही घंटे हिरासत में रखने के बाद छोड़ दिया गया था, हालांकि ये तीसरी बार है जब अपनी लेखनी के लिए फहाद शाह को हिरासत में लिया गया है। एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि उनका यह मामला अकेला नहीं है। कई ऐसे पत्रकार हैं जो इस न्यू नॉर्मल का सामना कर रहे हैं कि सरकार के घाटी में शांति लौटने के नैरेटिव से कुछ भी अलग लिखने वालों को सुरक्षा बल हिरासत में ले सकते हैं।
The Editors Guild of India is shocked by the casual manner in which the editors of Kashmir based publications are routinely detained by security forces for reporting or for their editorials. pic.twitter.com/gvSfZIIm0v
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) March 8, 2021
एडिटर्स गिल्ड ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से ऐसी परिस्थिति बनाने की मांग की है, जहां प्रेस 'बिना किसी डर और तरफदारी' के अपना नजरिया जाहिर कर सके और खबरों की रिपोर्ट कर सके।
बता दें कि भारतीय सेना ने 30 जनवरी को 'द कश्मीर वाला' के एडिटर-इन-चीफ फहाद शाह और असिस्टेंट एडिटर यशराज शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। ये एफआईआर 27 जनवरी की एक न्यूज रिपोर्ट के लिए हुई थी, जिसमें कहा गया था कि सेना के लोगों ने शोपियां जिले में कथित तौर से एक स्कूल को गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम करने के लिए मजबूर किया था।
इसके अलावा भी कई ऐसे पत्रकार हैं, जिन पर कार्रवाई की गई है। 5 मई को दो फोटोजर्नलिस्ट को श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में प्रदर्शन शुरू होने के बाद पुलिस ने कथित तौर से पीटा था। पिछले साल 18 अप्रैल को फ्रीलांस फोटोजर्नलिस्ट मसरत जहरा पर उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स को लेकर UAPA लगाया गया था।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।तमाम आरोपों में घिरे ‘दैनिक भास्कर’ चंडीगढ़ के सिटी चीफ संजीव महाजन को प्रबंधन ने बर्खास्त कर दिया है। प्रबंधन ने संजीव महाजन की बर्खास्तगी की खबर अपने अखबार में भी पब्लिश की है।
तमाम आरोपों में घिरे ‘दैनिक भास्कर’ चंडीगढ़ के सिटी चीफ संजीव महाजन को प्रबंधन ने बर्खास्त कर दिया है। इसके साथ ही प्रबंधन ने संजीव महाजन की बर्खास्तगी की खबर अखबार में भी पब्लिश की है। इस खबर में बताया गया है कि संजीव महाजन, दैनिक भास्कर में रिपोर्टर था, इसके इस कृत्य को देखते हुए संस्थान ने उसे तुरंत प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। अब वह दैनिक भास्कर का एंप्लॉयी नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घर में घुसकर किडनैप करने, फर्जी व्यक्ति दिखाकर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवाने के आरोप में पुलिस की एसआईटी टीम ने संजीव महाजन को चंडीगढ़ के सेक्टर-37 स्थित घर से पिछले दिनों गिरफ्तार किया था।
इस मामले में पुलिस ने संजीव के अलावा एक अन्य आरोपित मनीष गुप्ता को भी गिरफ्तार किया है। मामले के अन्य आरोपितों की तलाश में पुलिस तमाम स्थानों पर छापेमारी कर रही है। इसके साथ ही संजीव महाजन के खिलाफ भी विभिन्न एंगल्स से जांच की जा रही है।
संजीव महाजन की बर्खास्तगी के संबंध में दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर की कॉपी आप यहां देख सकते हैं।
नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया (National Book Trust of India) के मलयालम विभाग के संपादक रुबिन डीक्रूज के खिलाफ यौन उत्पीड़न का एक मामला दर्ज किया गया है।
नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया (National Book Trust of India) के मलयालम विभाग के संपादक रुबिन डीक्रूज के खिलाफ यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) का एक मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि दिल्ली में काम कर रही एक मलयाली महिला ने रुबिन डी. क्रूज के खिलाफ यह मामला वसंत कुंज (उत्तर) पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया था।
महिला ने इस कथित तकलीफदेह शारीरिक हमले के बारे में एक फेसबुक (Facebook) पोस्ट भी डाला, जिससे उसे गुजरना पड़ा। महिला ने दावा किया है कि यह घटना 2 अक्टूबर, 2020 को हुई थी। उसने लिखा, ‘मैं हाल में कुछ परेशानियों से गुजर रही हूं । पिछले 25 वर्षो में लोगों में जो आत्मविश्वास और विश्वास पैदा हुआ है, उसे मैंने अपनी जड़ों से तोड़ा है। मैंने कुछ खास लोगों के असली चेहरे देखे, जो फेसबुक का उपयोग करते हैं।’
शिकायतकर्ता महिला का परिचय डी. क्रूज से कॉमन फ्रेंड के द्वारा हुआ था जब वह दिल्ली में एक किराए का घर ढूढ़ रहीं थीं। उनकी हर तरह से मदद करने का आश्वासन देकर डी. क्रूज ने उस महिला को कथित तौर पर अपने घर बुलाया और उस पर यौन हमला करके इस अवसर का फायदा उठाया।
वे लिखती हैं, 'मुझे वाम-प्रगतिशील नकाबपोश का असली चेहरा देखना था जो मानवाधिकारों और समानता के बारे में फेसबुक क्रांति ला रहे हैं। प्रगतिशील, जिन्होंने सार्वजनिक मित्रों और फेसबुक के माध्यम से हुई जान पहचान के नाम पर मुझे भोजन के लिए घर आमंत्रित किया था और एक छोटी मित्रतापूर्ण बातचीत के बाद अपना असली रंग दिखा दिया। अगले कुछ दिनों ने मुझे सिखाया कि शारीरिक रूप से यौन हमला झेलने के बाद सबसे ज्यादा मजबूत लोग भी मानसिक रूप से टूट जाते हैं।'
मैं बहुत थोड़े दोस्तों के लिए ईमानदारी से अपना आभार प्रकट करती हूं, जो अच्छे और बुरे दोनों समय में मेरे साथ खड़े रहे, मेरा परिवार (मेरी 72 साल की मां सहित) जिसने साहस और लोगों के साथ आगे बढ़ने के लिए कहा, जिसमें मेरी काउंसलिंग टीम भी शामिल है। मुझे एक बात सही लगी, उनके जैसे किसी को छोड़ना-मुक्त करना मेरे साथी मनुष्यों के साथ भी अन्याय था।' यह इस तकलीफदेह घटना पर लिखी उनकी लम्बी फेसबुक पोस्ट का एक अंश है।
डी.क्रूज सोशल मीडिया पर अपने प्रगतिशील विचारों के लिए भी जाने जाते हैं। यौन उत्पीड़न की शिकायत दिल्ली पुलिस के वसंत कुंज स्टेशन में 21 फरवरी, 2020 को की गयी थी। इस मामले ने अपनी तरफ लोगों का ध्यान तब खींचा जब पीड़ित लड़की ने इस बारे में फेसबुक पोस्ट लिखकर लोगों को बताया।
इस मामले में दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के डीसीपी, इंजीत प्रताप सिंह का कहना है कि रुबिन डी. क्रूज के खिलाफ धारा 354 (महिला के साथ मारपीट या आपराधिक बल लगाने का इरादा) के तहत फरवरी में वसंत कुंज उत्तर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि आरोपी और पीड़ित दोनों, जो विवाहित हैं, एक-दूसरे को जानते हैं। महिला का बयान दर्ज कर लिया गया है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
प्रिंट मीडिया कंपनी ‘जागरण प्रकाशन’ ने मंगलवार को कहा कि उसके निदेशक मंडल ने निवेशकों से 118 करोड़ रुपए के शेयर वापस खरीदने को मंजूरी दी है।
प्रमुख हिन्दी समाचार पत्र ‘दैनिक जागरण’ का प्रकाशन करने वाली प्रिंट मीडिया कंपनी ‘जागरण प्रकाशन’ ने मंगलवार को कहा कि उसके निदेशक मंडल ने निवेशकों से 118 करोड़ रुपए के शेयर वापस खरीदने को मंजूरी दी है।
शेयर बाजार को भेजी गई नियामकीय सूचना में उसने कहा है, ‘कंपनी के निदेशक मंडल ने... कंपनी के पूर्ण चुकता दो रुपए के अंकित मूल्य वाले कुल 118 करोड़ रुपए तक के इक्विटी शेयरों को वापस खरीदने को मंजूरी दी है। यह खरीद कंपनी के शेयरधारकों, उनके लाभार्थी स्वामियों से 60 रुपए प्रति शेयर तक के दाम पर नकद भुगतान के साथ होगी। शेयरों की यह खरीद कंपनी के प्रवर्तकों, प्रवर्तक समूह के सदस्यों और नियंत्रण वाले व्यक्तियों को छोड़कर अन्य शेयरधारकों से की जाएगी। शेयर खरीद की प्रक्रिया खुले बाजार से स्टॉक एक्सचेंज प्रणाली के जरिए होगी।’
कंपनी के मुताबिक, खुले बाजार से होने वाली इस खरीद में 1,96,66,666 शेयरों की खरीद होने का अनुमान है जो कि कंपनी के चुकता शेयरों का 6.99 प्रतिशत होगा। जागरण प्रकाशन ने कहा है कि इस खरीद प्रक्रिया के बारे में समयसीमा और अन्य सांविधिक ब्यौरा आने वाले समय में जारी किया जाएगा।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।