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HT ने कुणाल प्रधान पर जताया और अधिक भरोसा, अब दी ये जिम्मेदारी

‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के एडिटर-इन-चीफ सुकुमार रंगनाथन ने कुणाल प्रधान के प्रमोशन की घोषणा की है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 14 January, 2021
Last Modified:
Thursday, 14 January, 2021
Kunal Pradhan

‘हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स’ (Hindustan Times) प्रबंधन ने वरिष्ठ पत्रकार कुणाल प्रधान को अखबार के मैनेजिंग एडिटर के पद पर प्रमोट किया है। अपनी नई भूमिका में कुणाल ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के सभी एडिशंस की देखरेख करेंगे और दिल्ली व एनसीआर एडिशंस का प्रबंधन करना जारी रखेंगे।

फॉरेन अफेयर्स एडिटर्स और फॉरेन करेसपॉन्डेंट के साथ-साथ सभी रेजिडेंट्स एडिटर्स अब कुणाल प्रधान को रिपोर्ट करेंगे। इसके साथ ही डेस्क, रीराइट डेस्क, स्पेशल प्रोजेक्ट एडिटर्स, हेल्थ टीम, एचटी नेक्स्ट और लीगल व स्पोर्ट्स ब्यूरो उन्हें रिपोर्ट करना जारी रखेंगे।

इस बारे में ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के एडिटर-इन-चीफ सुकुमार रंगनाथन का कहना है, ‘कुणाल प्रधान को अखबार के मैनेजिंग एडिटर के पद पर प्रमोट करने की घोषणा करते हुए मुझे काफी खुशी हो रही है। कुणाल हमारे साथ वर्ष 2016 से जुड़े हुए हैं और मेट्रो सेक्शन व दिल्ली एडिशन संभाल चुके हैं। गुरुग्राम एडिशन की लॉन्चिंग और एचटी री-डिजायन प्रोजेक्ट में प्रमुख भूमिका निभाने वाले लोगों में कुणाल प्रधान का नाम भी शामिल है। मैं कुणाल प्रधान को उनकी नई भूमिका के लिए शुभकामनाएं देता हूं।’

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CNN-News18 को बाय बोलकर अब इस मीडिया समूह में बड़ी भूमिका निभाएंगे प्रांशु मिश्रा

अंग्रेजी न्यूज चैनल ‘सीएनएन न्यूज18’ (CNN News18) के यूपी ब्यूरो चीफ के तौर पर प्रांशु मिश्रा करीब सात साल से लखनऊ में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।

Last Modified:
Thursday, 01 June, 2023
Pranshu Mishra

अंग्रेजी न्यूज चैनल ‘सीएनएन न्यूज18’ (CNN News18) के यूपी ब्यूरो चीफ प्रांशु मिश्रा ने यहां से बाय बोल दिया है। वह करीब सात साल से लखनऊ में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।

विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, प्रांशु मिश्रा जल्द ही मीडिया में अपने नए सफर की शुरुआत ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (HT) से करने जा रहे हैं। यहां वह बतौर रेजिडेंट एडिटर (यूपी) अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगे और लखनऊ से अपना कामकाज देखेंगे।

बता दें कि प्रांशु मिश्रा ने मीडिया के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2001 में ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) से की थी। इसके बाद वह ‘दैनिक जागरण’ (Dainik Jagran) और ‘टाइम्स नाउ’ (Times Now) में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।

प्रांशु मिश्रा मूल रूप से लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले हैं। उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की है। समाचार4मीडिया की ओर से प्रांशु मिश्रा को उनके नए सफर के लिए अग्रिम बधाई और ढेरों शुभकामनाएं।

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डॉ. विजय दर्डा की नई किताब ने दी ‘दस्तक’, इन मायनों में है खास

नई दिल्ली के रफी मार्ग स्थित ‘कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया’ के स्पीकर हॉल में 30 मई को इस किताब का विमोचन किया गया।

Last Modified:
Wednesday, 31 May, 2023
Book Launch

लोकमत मीडिया ग्रुप के चेयरमैन व राज्यसभा के पूर्व सदस्य डॉ. विजय दर्डा की किताब- रिंगसाइड: अप, क्लोज एंड पर्सनल ऑन इंडिया एंड बियॉन्ड (RINGSIDE: Up, Close and Personal on India and Beyond) ने मार्केट में दस्तक दे दी है। नई दिल्ली के रफी मार्ग स्थित ‘कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया’ के स्पीकर हॉल में 30 मई को इस किताब का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सांसद शशि थरूर और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के पूर्व सलाहकार व लेखक डॉ. संजय बारू के मुख्य आतिथ्य में इस किताब का विमोचन हुआ। इस दौरान मंच पर ‘द प्रिंट’ के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता, जाने-माने एंकर, इंडिया टुडे टेलीविजन के कंसल्टिंग एडिटर व पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई और लोकमत मीडिया समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर देवेंद्र दर्डा मौजूद रहे।

पुस्तक विमोचन के बाद राजदीप सरदेसाई ने डॉ. विजय दर्डा से उनकी किताब को लेकर चर्चा भी की। इस चर्चा के दौरान डॉ. विजय दर्डा का कहना था कि पार्टी नेतृत्व से सवाल पूछना बगावत नहीं है। लोकतंत्र के नाते यह किसी भी व्यक्ति का अधिकार है। इसके साथ ही डॉ. दर्डा का यह भी कहना था कि कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे की तुलना में शशि थरूर बेहतर विकल्प होते।

देश की राजनीति में डॉ. विजय दर्डा के योगदान और इस किताब की चर्चा करते हुए डॉ. संजय बारू ने डॉ. विजय दर्डा की निष्पक्ष पत्रकारिता का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि चाहे आर्टिकल लेखन हो अथवा संसद में सवाल पूछने की बात हो, डॉ. विजय दर्डा हमेशा अपनी बात मुखर तरीके से रखने के लिए जाने जाते हैं। विदर्भ के लिए दर्डा के निरंतर प्रयासों का भी उन्होंने जिक्र किया। इस पर दर्डा का कहना था कि उन्हें पूरा विश्वास है कि यह प्रयास देर-सबेर जरूर सफल होंगे। 

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर का कहना था कि वर्तमान राजनीतिक माहौल में असहिष्णुता बढ़ रही है, विशेष रूप से आलोचना के लिए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक वर्ग और मीडिया के बीच संबंधों में धीरे-धीरे कमी आई है। थरूर के अनुसार, ‘इससे लोकतंत्र के आदर्शों को नुकसान पहुंचा है, यहां तक कि इससे प्रगति बाधित हुई है। राजनीतिक दलों, मीडिया घरानों, प्रोफेशनल्स और अन्य हितधारकों को तमाम मुद्दों को हल करने और देश को आगे बढ़ने में मदद करने के लिए मिलकर काम करने की सख्त जरूरत है।’

इस मौके पर शेखर गुप्ता ने क्षेत्रीय भारतीय पत्रकारिता की बढ़ती ताकत और प्रभाव के बारे में बात की। उनका कहना था, ‘भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां अखबारों के पाठक बढ़ रहे हैं, क्योंकि देश भर के लोग साक्षर हो रहे हैं और खबरों से जुड़े रहना चाहते हैं। इनमें मराठी, गुजराती से लेकर तेलुगु भाषा तक के पाठक शामिल हैं, जिनकी संख्या अंग्रेजी पब्लिकेशंस के पाठकों से कहीं अधिक है।’ शेखर गुप्ता का कहना था कि उन्होंने जानबूझकर 'वर्नाक्यूलर' शब्द से परहेज किया, क्योंकि राष्ट्र के निर्माण में देश की सभी भाषाएं समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।’

कार्यक्रम में राज्यसभा सदस्य प्रफुल्ल पटेल, BW बिजनेसवर्ल्ड व एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा, लोकसभा सदस्य वरुण गांधी, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, ‘भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद’ (ICCR) के प्रेजिडेंट डॉ. बिनय सहस्रबुद्धे, बीएसपी नेता दानिश अली और सीपीआई के नेता डी. राजा समेत तमाम वरिष्ठ राजनेता, नौकरशाह और वरिष्ठ पत्रकार मौजूद रहे। 

बता दें कि यह पुस्तक दर्डा के साप्ताहिक लेखों का एक संकलन है, जो वर्ष 2011 और वर्ष 2016 के बीच लोकमत मीडिया समूह के समाचार पत्रों और देश के अन्य प्रमुख राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दैनिक अखबारों में प्रकाशित हुए थे। इस किताब में विज्ञान, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, सामाजिक विकास, खेल, कला, संस्कृति, विदेश नीति और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़े शोधपूर्ण आलेख हैं। इसके अलावा इसमें प्रख्यात व्यक्तित्वों के बारे में टिप्पणियां भी शामिल हैं जिन्होंने भारत और दुनिया में सामाजिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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दैनिक भास्कर ने मुंबई में दी दस्तक, कॉन्सेप्ट के साथ मिलाया हाथ

देश के अग्रणी हिंदी दैनिक अखबारों में शामिल दैनिक भास्कर समूह के स्वामित्व वाला समाचार पत्र 'दैनिक भास्कर' मुंबई में लॉन्च हो गया है

Last Modified:
Wednesday, 31 May, 2023
Dainik Bhaskar

देश के अग्रणी हिंदी दैनिक अखबारों में शामिल दैनिक भास्कर समूह के स्वामित्व वाला समाचार पत्र 'दैनिक भास्कर' मुंबई में लॉन्च हो गया है।

देश की वित्तीय राजधानी शहर में एक समाचार पत्र को लॉन्च करना आसान काम नहीं है और पीआर डिलीवरी के दृष्टिकोण से दोगुना जटिल कार्य है। लिहाजा गहन खोज के बाद, भास्कर समूह ने टीम कॉन्सेप्ट को अपने पार्टनर के रूप में चुना, ताकि ब्रैंड को मैनेज करने में मदद मिल सके। 

कॉन्सेप्ट कम्युनिकेशन को उपभोक्ताओं के स्पेक्ट्रम की पूरी समझ है और साथ ही सब्जेक्ट कैटेगरीज का गहरा ज्ञान है, जो इसके पीआर समाधानों को कुछ इस तरह से प्रभावित करता है, जो दैनिक भास्कर की वर्तमान जरूरतों से मेल खाता है। 

कॉन्सेप्ट कम्युनिकेशंस के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक सुचांती ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'दैनिक भास्कर ग्रुप और कॉन्सेप्ट ग्रुप के बीच लंबे समय से जुड़ाव है। भारत के प्रमुख ब्रैंड्स में से एक यानी दैनिक भास्कर जैसा ब्रैंड्स का भरोसा हमारे लिए सर्वोपरि है। हम वास्तव में बहुत खुश हैं कि उन्होंने हमें इस तरह के प्रतिष्ठित लॉन्च के साथ साझेदारी करने के लिए चुना है। हम ब्रैंड के लिए लक्षित और प्रभावी समाधान तैयार करने के लिए तत्पर हैं।' 

भास्कर प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर कैलाश अग्रवाल ने कहा, 'हम देशभर में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने और नंबर-1 समाचार पत्र की अपनी वर्तमान स्थिति को मजबूत करने के सफर पर हैं। हम मजबूत पार्टनर्स की तलाश कर रहे थे, जो हमें मुंबई में हमारे ब्रैंड को लॉन्च करने में मदद कर सकें। हमने टीम कॉन्सेप्ट को व्यावहारिक और सक्रिय दोनों पाया। हमें विश्वास है कि वे हमारे इस सफर के लिए सही पार्टनर साबित होंगे।

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'द स्टेट्समैन' के साथ जुड़े वरिष्ठ पत्रकार व लेखक आदित्य कांत, निभाएंगे यह जिम्मेदारी

आदित्य कांत 'द स्टेट्समैन' में जाने से पहले 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' में चंडीगढ़ एडिशन के साथ काम कर रहे थे।

Last Modified:
Wednesday, 31 May, 2023
AdityaKant4512

जाने माने वरिष्ठ पत्रकार व लेखक आदित्य कांत सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर के तौर पर 'द स्टेट्समैन' के साथ जुड़ गए हैं।

गहन रिपोर्टिंग और संपादन में 27 वर्षों से भी अधिक का अनुभव रखने वाले आदित्य कांत 'द स्टेट्समैन' में जाने से पहले 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' में चंडीगढ़ एडिशन के साथ काम कर रहे थे।

इस खबर की पुष्टि करते हुए कांत ने उल्लेख किया कि 'द स्टेट्समैन' ने अपनी न्यूज वेबसाइट को नया रूप देने की विस्तृत योजना बनाई है, जो मुख्य रूप से न्यूज व एंटरटेनमेंट कंटेंट को एक अलग तरीके से देने पर ध्यान केंद्रित करेगी।

'द स्टेट्समैन डॉट कॉम' के डायरेक्टर विनीत गुप्ता ने कहा कि डिजिटल मीडिया में बदलते चलन को ध्यान में रखते हुए युवा और अनुभवी लोगों की एक टीम बनाई जा रही है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि पाठकों और दर्शकों को लगातार प्रामाणिक खबरें प्रदान की जा सके, जो द स्टेट्समैन की पुरानी परंपरा के अनुरूप है, लेकिन हम युवा पाठकों को भी जोड़ रहे हैं।

द स्टेट्समैन में शामिल होने से पहले, आदित्य कांत ने नई दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर और चंडीगढ़ जैसे शहरों में कई प्रमुख अंग्रेजी प्रकाशनों में प्रमुख संपादकीय पदों पर काम किया है।

नब्बे के दशक के मध्य में शिमला में एक स्थानीय दैनिक में एक ट्रेनी जर्नलिस्ट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने के बाद, उन्होंने देश के प्रमुख प्रकाशनों में वरिष्ठ संपादकीय पदों पर रहे और 'द टाइम्स ऑफ इंडिया', 'अहमदाबाद मिरर', 'हिन्दुस्तान टाइम्स', 'दिल्ली टाइम्स' और 'डीएनए' जैसे प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्रों के संस्करणों का संचालन किया। 

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‘BW बिजनेसवर्ल्ड’ ने कुछ यूं बयां किया मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के नौ सालों का सफर

भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार 30 मई, 2023 को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में निर्णायक जीत हासिल करने के नौ साल पूरे करने जा रही है।

Last Modified:
Monday, 29 May, 2023
Modi Government

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार 30 मई, 2023 को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में निर्णायक जीत हासिल करने के नौ साल पूरे करने जा रही है। राजनीति ऐसा परिदृश्य है, जिस पर किसी देश के विकास के लिए समय-समय पर निरंतर ध्यान देने और तमाम उपाय करने की आवश्यकता होती है। आज के दौर में भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है। हालांकि, ऐसा रातोंरात नहीं हुआ है, बल्कि इसके लिए सही दिशा में सतत प्रयास किए गए हैं और तमाम बड़े कदम उठाए गए हैं। पिछले नौ वर्षों के दौरान पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा इसे गति दी गई है।

इसके अलावा, अपनी नौवीं वर्षगांठ समारोह के हिस्से के रूप में सत्तारूढ़ पार्टी ने नरेंद्र मोदी प्रशासन के कल्याणकारी कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है, जिन्होंने विभिन्न प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभों के माध्यम से लाखों भारतीयों के जीवन स्तर में सुधार किया है।

बिजनेस मैगजीन ‘बिजनेसवर्ल्ड’ (BW Businessworld) ने एक खास पेशकश के जरिये प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इन नौ सालों के सफर को प्रस्तुत किया है। ‘बिजनेसवर्ल्ड’ की इस खास पेशकश में एनडीए सरकार के कार्यकाल में उल्लेखनीय उपलब्धियों, नवाचारों (innovations), विकास और कुछ चूकों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें इंडस्ट्री के कुछ विशेषज्ञों की राय भी शामिल है।

इस पेशकश के एक लेख में सड़क, राजमार्ग, रेलवे, विमानन, विदेशी मुद्रा भंडार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की भूमिका सहित बैंकिंग, शेयर बाजारों सहित तमाम क्षेत्रों में मोदी सरकार की महत्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला गया है। इसमें ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ (BSE) और ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’ (NSE) का प्रदर्शन भी शामिल है। अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और पांच ट्रिलियन डॉलर जीडीपी के महत्वाकांक्षी स्तर तक पहुंचने के लिए तमाम  उपायों के कार्यान्वयन पर भी इसमें प्रकाश डाला गया है। हालांकि, इस लेख में कृषि और किसान कल्याण, रोजगार सृजन, बेरोजगारी, शिक्षा और कौशल विकास व स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों की बात भी की गई है, जिनमें और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

बिजनेसवर्ल्ड के लिए अपने एक ओपिनियन कॉलम में श्रीनाथ श्रीधरन ने मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सफर और इसके नौ वर्षों के साथ-साथ इसके विकास और पहलों को वर्णानुक्रम (alphabetical order) में शामिल किया गया है।

इनमें 'आयुष्मान भारत', डिजिटल इंडिया, ग्लोबल लीडरशिप, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना समेत मोदी सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई 22 अन्य विकास योजनाएं और पहल शामिल हैं। इसमें बताया गया है कि कैसे मोदी प्रशासन और पार्टी के समर्पण ने कई महत्वपूर्ण पहलों के माध्यम से एक रचनात्मक समस्या-समाधान पद्धति का प्रदर्शन किया, जिसने भारत को समृद्धि और विकास के एक नए युग की ओर ले जाने का काम किया।

इस पेशकश में मोदी सरकार के नौ साल के सफर की उन पहलों और निर्णयों के बारे में भी बताया गया है, जिन्हें एक बेहतर और सहज रूप में लागू किया जा सकता था। इनमें से कुछ घटनाओं में 2016 की नोटबंदी, 2019 में सीएए और एनआरसी का कार्यान्वयन, 2020 में कृषि कानूनों व 2021 में इसकी फिर से अपील और 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन की पहली लहर और 2021 में दूसरी लहर को शामिल किया गया है। इसमें पीएम केयर्स (PMCARES) की लॉन्चिंग और सरकार द्वारा उपयोग या आवंटित की गई भारी मात्रा में राशि की पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी पर भी प्रकाश डाला गया है।

एक अन्य कॉलम में एस. रवि ने देश के विकास में प्रधानमंत्री के योगदान पर प्रकाश डाला है। इस कॉलम में उन्होंने ‘प्रधानमंत्री जनधन योजना’ का जिक्र किया है, जिसमें जीरो बैलेंस पर बैंकों में खाते खुलवाए गए। बीमा सेवाओं, क्रेडिट कार्ड और पेंशन का भी इसमें जिक्र है। इस योजना के तहत 47 करोड़ से अधिक खाते खोले गए हैं। टैक्स लीकेज को रोकने और सिस्टम में सुधार के लिए 2017 में जीएसटी की शुरुआत और इसे परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2022-23 के लिए कुल ग्रॉस कलेक्शन 18 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा, के बारे में भी इस कॉलम में लिखा गया है। इस कॉलम में नोटबंदी और डिजिटलीकरण के साथ-साथ अन्य पहलों जैसे कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन की 'मेक इन इंडिया' पहल के बारे में भी जिक्र किया गया है।

मोदी सरकार के दौर में बढ़ते विदेशी संबंधों पर एक फीचर स्टोरी भी इस पेशकश में शामिल है। इस फीचर स्टोरी में सबसे तेजी से बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के बढ़ते कद के साथ इसने देश को कई रूपों में कैसे लाभान्वित किया (जैसे- रूस और यूक्रेन संकट हो या G20 की मेजबानी) उस बारे में भी जिक्र किया गया है। इस फीचर स्टोरी में भारत के अपने पड़ोसी देशों के साथ बढ़ते संबंधों पर भी प्रकाश डाला गया है।

इस खास पेशकश के तहत ‘जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी’ (JNU) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ब्रजेश कुमार तिवारी के गेस्ट कॉलम को भी जगह दी गई है। इस कॉलम में उन्होंने वैश्विक अनिश्चितता के इस दौर में एनडीए सरकार के लिए बड़ी चुनौतियों पर प्रकाश डाला है। इसके अलावा एक अन्य फीचर स्टोरी ने मोदी सरकार की पिछले नौ वर्षों की प्रमुख योजनाओं जैसे स्टैंड अप इंडिया स्कीम, पीएमयूवाई, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के बारे में बात की गई है।

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भारत से निकलने वाला यह चीनी अखबार हुआ बंद, जानें इसके पीछे की वजह

इस अखबार को ली युन चिन ने 1969 में शुरू किया था। कोविड-19 के दौरान इसका पब्लिकेशन बंद कर दिया गया था।

Last Modified:
Thursday, 25 May, 2023
Newspaper

भारत से निकलने वाला संभवत: इकलौता चाइनीज अखबार ‘द ओवरसीज चाइनीज कॉमर्स ऑफ इंडिया’ करीब 50 साल के बाद बंद हो गया है। इसे ‘सियोंग पाउ’ (Seong Pow) के नाम से भी जाना जाता था। कोलकाता से निकलने वाले इस अखबार को मंदारिन भाषा में छापा जाता था, जो चीन की प्रमुख और आधिकारिक भाषा है।

इस अखबार को ली युन चिन ने वर्ष 1969 में शुरू किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, इसका आखिरी संस्करण मार्च 2020 में निकला। बताया जा रहा है कि भारत में मंदारिन जानने वालों की कमी इस अखबार के बंद होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है।

दरअसल, कोलकाता के टंगरा इलाके में चीनी लोगों की ज्यादा आबादी रहती है, उनके लिए यह अखबार निकाला जाता था। कोविड-19 की पहली वेब के दौरान जब लॉकडाउन लगा तो इस अखबार के दफ्तर पर भी ताला लग गया। इसी बीच उसी साल जुलाई में अखबार के संपादक कू साइ चांग (Kuo Tsai Chang) की भी मौत हो गई। उनकी मौत के बाद अखबार पूरी तरह से बंद हो गया। लॉकडाउन के दौरान इसके बंद होने से पहले चार पन्नों के इस अखबार की रोजाना लगभग 200 कॉपियां छपा करती थीं।

मीडिया रिपोर्ट्स में चाइनीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष चेन याओ हुआ के हवाले से कहा गया है कि अखबार का ऑफिस जिस टंगरा क्षेत्र में है, वहां पर चीनी आबादी घट रही है। टंगरा में जो थोड़े-बहुत युवा हैं, वे ठीक से मंदारिन पढ़-लिख नहीं सकते हैं। यही वजह है कि सियोंग पाउ के प्रकाशन को जारी रखना असंभव हो गया था।

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अखबारी कागज की कीमतों में आयी कमी, प्रिंट कंपनियों का बढ़ेगा मुनाफा

सूत्रों के मुताबिक, कागज की कीमत, जो पिछले वित्त वर्ष के दौरान 1000 डॉलर प्रति टन के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गई थी, अब घटकर लगभग 700 डॉलर रह गई है।

Last Modified:
Wednesday, 24 May, 2023
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अदिति गुप्ता, असिसटेंट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।

प्रिंट सेक्टर को एक बड़ी राहत मिली है। दरअसल, कागज की कीमत लगभग 30% तक गिर गई है, जोकि पिछले वित्त वर्ष में यह चिंता का कारण थी। इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि कागज की कम वैश्विक मांग के कारण इसकी कीमत में कमी आयी  है।

सूत्रों के मुताबिक, कागज की कीमत, जो पिछले वित्त वर्ष के दौरान 1000 डॉलर प्रति टन के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गई थी, अब घटकर लगभग 700 डॉलर रह गई है।

डीबी कॉर्प लिमिटेड ने चौथी तिमाही (Q4) के दौरान अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि न्यूजप्रिंट की कीमतों में वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में गिरावट जारी रही, जिससे उसे लाभ पहुंचने में मदद मिली और आने वाली तिमाहियों में इससे और अधिक लाभ होने की संभावना है।

कंंपनी ने आगे कहा कि अखबारी कागज की कीमतें, वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में 63,500 रुपए प्रति टन के उच्च स्तर से घटकर वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में 60,000 रुपए प्रति टन तक पहुंच गईं हैं। हमारा मिश्रित खरीद मूल्य वर्तमान में लगभग 55000 रुपए प्रति टन है। 

'एक्सचेंज4मीडिया' से बात करते हुए मातृभूमि ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर श्रेयम्स कुमार ने कहा, 'कीमतों में कमी आने की वजह कोविड के कारण दुनियाभर में कम खपत का स्तर रहा है और यह अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है, लेकिन अब यह ठीक होने की राह पर है।'

उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि भारत में अखबारी कागज की खपत कोविड के दौरान 40% कम हो गई। कस्टम ड्यूटी वही है, लेकिन अफवाहें हैं कि सरकार इसे कम करने की योजना बना रही है।

इसी तरह की राय रखते हुए, पंजाब केसरी के जॉइंट एमडी अमित चोपड़ा ने कहा कि कागज की कीमत में आयी कमी वैश्विक मांग में कमी और लॉजिस्टिक स्थिति में सुधार के चलते है और इससे प्रॉफिटिबिलिटी में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि कीमत में कमी पिछले साल के मध्य से चली आ रही है और इस वजह से छपाई की लागत में तो कमी आयी है, लेकिन रेवेन्यू नहीं बढ़ा है। लिहाजा, प्रॉफिटिबिलिटी में सुधार होगा।

चोपड़ा ने कहा, 'अखबार की कीमत घटने की वजह वैश्विक मांग में कमी और बेहतर लॉजिस्टिक स्थिति के कारण है। इससे पहले कोविड व्यवधानों के कारण माल ढुलाई की लागत बहुत बढ़ गई थी। सीमा शुल्क वही है, लेकिन डॉलर पिछले साल के मुकाबले और अधिक महंगा हो गया है।' 

हालांकि श्रेयम्स कुमार ने कहा कि कीमतों में इस गिरावट का असर अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही महसूस किया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में कीमत 700 अमेरिकी डालर प्रति टन है। अखबारी कागज की कीमत घटने से रेवेन्यू में वृद्धि नहीं होती है, यह केवल छपाई की लागत को कम करता है। हम आम तौर पर अखबारी कागज का आयात करते हैं और उसको स्टॉक करते हैं।

उन्होंने कहा, 'कीमतें पिछली तिमाही में ही कम हो गईं थी, इसलिए कीमतों में इस गिरावट का असर अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही दिखेगा।' 

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अखबारी कागज की आपूर्ति श्रृंखला मेंआयी दिक्कतें और रीसाइक्लिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले कागज के रॉ मटेरियल में आयी कमी के कारण 2022 में अखबारी कागज की कीमतें 1000 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गईं। 

कीमतें में अब धीरे-धीरे 1000 डॉलर से घटकर 850-900 डॉलर और अब लगभग 700 डॉलर तक पहुंच गई हैं।

हालांकि, मलयाला मनोरमा में मार्केटिंग एंड सेल्स के वाइस प्रेजिडेंट वर्गीज चांडी का इस परिदृश्य पर अलग ही विचार है। उन्होंने कहा कि पिछले चार-पांच वर्षों में, अखबारी कागज की कीमत में लगभग 90% की वृद्धि हुई है और रुपए के मुकाबले डॉलर की मजबूती के चलते अखबारी कागज की कीमत में कमी के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।   

उन्होंने कहा, 'पिछले साल यह 1050 डॉलर प्रति टन था और अब यह केवल 900 डॉलर है। पिछले चार से पांच वर्षों में अखबारी कागज की कीमत में लगभग 90% की वृद्धि हुई है। लागत कम होने का कोई आसार नहीं है। इसकी कीमत अभी भी बहुत ऊपर है।' 

उन्होंने कहा कि डॉलर विनिमय दर भी काफी बढ़ गई है। मुझे नहीं लगता कि अखबारों के पास सरप्लस फंड है। लिहाजा अखबारी कागज की कीमत कम होने का कोई सवाल ही नहीं है।'

सूत्रों की मानें तो अखबारी कागज की कीमत इस साल अक्टूबर तक और कम हो सकती है, जोकि 600 डॉलर प्रति टन तक पहुंचने की उम्मीद है।

वहीं, चोपड़ा ने कहा कि पंजाब केसरी, जो हर साल लगभग 30000-32000 टन अखबारी कागज की खपत करता है, कवर प्राइस में एक रुपए की कमी करके पाठकों को कटौती का लाभ देगा। 

उन्होंने एक्सचेंज4मीडिया को बताया कि अखबारी कागज की बढ़ी कीमतों के परिणामस्वरूप कवर की कीमतों में बढ़ोतरी हुई। पंजाब केसरी समूह कुछ दिनों में कवर मूल्य को 5 रुपए से घटाकर 4 रुपए करके पाठकों को कमी का लाभ देगा।

इंडस्ट्री प्लेयर के मुताबिक, 2021 में जनवरी से मार्च के बीच अखबारी कागज की कीमतें 450 डॉलर प्रति टन थी, जोकि 2022 में 1000 डॉलर प्रति टन के साथ शीर्ष पर पहुंच गई थी।

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Times Group में MoU को लेकर आई ये बड़ी खबर

सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक इस MoU के तहत समीर जैन को समूह के सभी अखबारों के साथ-साथ उनके ऑनलाइन एडिशन का पूरा कारोबार मिलेगा, जबकि विनीत जैन को टीवी-रेडियो बिजनेस और 3,500 करोड़ रुपये मिलेंगे।

Last Modified:
Saturday, 20 May, 2023
Time Group

‘टाइम्स ग्रुप’ (Times Group) में MoU (memorandum of understanding) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक, माना जा रहा है कि लंबे समय से चल रही इस प्रक्रिया को गुरुवार को अंतिम रूप दे दिया गया है।

सूत्रों का यह भी कहना है कि इस MoU के तहत समीर जैन को समूह के सभी अखबारों जैसे- ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘इकनॉमिक टाइम्स’, ‘नवभारत टाइम्स’ और ‘विजय कर्नाटक’ के साथ-साथ उनके ऑनलाइन एडिशन का पूरा कारोबार मिलेगा। वहीं, उनके छोटे भाई विनीत जैन को ब्रॉडकास्ट, रेडियो मिर्ची, एंटरटेनमेंट (ENIL) और अन्य बिजनेस जैसे फिल्मफेयर, फेमिना के साथ-साथ उनके ऑनलाइन एडिशन भी मिलेंगे। ‘ईटी मनी’ और ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘एमएक्स प्लेयर’ भी उनके पास बना रहेगा। वर्तमान में, एमएक्स प्लेयर के साथ सभी ऑनलाइन एडिशंस ‘टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड’ का हिस्सा हैं, जो जैन भाइयों के बीच विवाद का एक प्रमुख कारण था।

सूत्रों का यह भी कहना है कि चूंकि समूह का प्रिंट व्यवसाय रेवेन्यू के मामले में काफी बड़ा है, इसलिए विनीत जैन को इस MoU के तहत अपने बड़े भाई से कम से कम 3,500 करोड़ रुपये भी मिलेंगे। हालांकि, विभिन्न कारकों के आधार पर यह राशि 5,000 करोड़ रुपये तक भी जा सकती है।

सूत्रों का कहना है, ‘बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (BCCL) समूह के बीच MoU गुरुवार को दिल्ली में जैन भाइयों के लुटियन बंगले में हुआ। दोनों भाइयों ने इस MoU पर हस्ताक्षर किए, इसके बाद एक पारिवारिक पूजा हुई और दोनों भाइयों ने एक नई शुरुआत के तहत एक पौधे को मिलकर रोपा।’

एमओयू को एक कानूनी दस्तावेज में बदलने की जरूरत होती है और माना जा रहा है कि शीर्ष कानूनी फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास इस पहलू पर काम कर रही है।

मामले से जुड़े लोगों ने बताया, 'कंपनी से संबंधित अचल संपत्ति, जिसमें देशभर में विभिन्न संपत्तियां और प्रिंटिंग प्रेस शामिल हैं, का भी मूल्यांकन किया गया है और इसे दोनों भाइयों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाएगा।'

बता दें कि इस बारे मे समीर जैन, विनीत जैन और समूह की तरफ से किसी तरह की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

हालांकि, नाम न छापने की शर्त पर टाइम्स समूह के अधिकारियों ने बताया कि समीर जैन पहले से ही प्रिंट और विनीत जैन टीवी, रेडियो व टाइम्स इंटरनेट का कारोबार संभाल रहे थे। 

यूनिवर्सिटी और निवेश शाखा का मूल्यांकन बाद में किया जाएगा

बेनेट यूनिवर्सिटी की अधिकांश संस्थाओं को एक स्वतंत्र ट्रस्ट में रखा जाएगा व ट्रस्टियों द्वारा चलाया जाएगा और बाद में उनका मूल्यांकन व विभाजन किया जाएगा। टाइम्स ग्रुप की रणनीतिक निवेश शाखा ब्रैंड कैपिटल का अभी तक मूल्यांकन नहीं किया गया है। इसे बाद में विभाजित किया जाएगा।

ये निवेशक होंगे शामिल

माना जा रहा है कि समीर जैन ने MoU के तहत भुगतान के लिए धन की तलाश शुरू कर दी थी, ताकि वह अपने छोटे भाई को 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान कर सकें। सूत्रों के अनुसार, दोनों भाई अपनी-अपनी संस्थाओं के लिए और निवेशकों को भी अपने साथ जोड़ सकते हैं।

पांच इकाइयों का विलय

‘नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ (NCLT) के आदेश के क्रम में कंपनी के स्ट्रक्चर को नए सिरे से व्यवस्थित करने के तहत ‘BCCL’ अपनी पांच सहायक कंपनियों- माइंड गेम्स शो प्राइवेट (MGSPL), अनंत प्रॉपर्टीज प्राइवेट (APPL), अमृता एस्टेट्स प्राइवेट (AEPL), टाइम्स डिजिटल (TDL) टाइम्स जर्नल (TJIL) और विनाबेला मीडिया एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट (VMEPL) का भी विलय कर रही है। ‘नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ ने चार मई को विलय को मंजूरी दे दी थी और यह अप्रैल 2021 से प्रभावी होगी।

जटिल प्रक्रिया

देश की सबसे पुरानी और सबसे प्रभावशाली मीडिया कंपनियों में से एक टाइम्स ग्रुप (बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड या बीसीसीएल) कारोबार चलाने के तरीकों पर भाइयों के बीच बढ़ते मतभेदों के कारण लंबे समय से अनिश्चितता का सामना कर रही है। करीब दो साल से इस MoU की बात चल रही थी।

समीर जैन अपने भाई विनीत जैन से 10 साल बड़े हैं और BCCL के वाइस चेयरमैन के रूप में कार्य करते हैं, जबकि विनीत मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। लेकिन जब व्यापार कौशल, लाइफ स्टाइल और कंपनी के लिए विजन की बात आती है तो जैन बंधु कथित तौर पर एक-दूसरे से अलग दिखाई देते हैं।

मामले से जुड़े लोगों का दावा है कि कंपनी की संपत्ति को 70 से अधिक इकाइयों को विभाजित करने के लिए एक विस्तृत मूल्यांकन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, जिसमें सबसे जटिल में से एक टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड (टीआईएल) भी शामिल रही।

इस नीलामी की देखरेख के लिए दो मध्यस्थ नियुक्त किए गए थे। इसमें टेलीकॉम ऑपरेटर ‘भारती एयरटेल’ के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल और डालमिया परिवार के एक सदस्य शामिल थे, जो 1950 के दशक में कंपनी को जैन परिवार को सौंपने से पहले ‘BCCL’ के मालिक थे।

व्यवसायों की बिक्री

‘टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड’ पिछले दो वर्षों से अपने बिजनेस को मजबूत करने और घाटे में चल रही संस्थाओं को बंद करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।

कंपनी ने वर्ष 2022 की शुरुआत में रेस्टोरेंट बुकिंग ऐप ‘डाइनआउट’ (Dineout) के साथ-साथ शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म ‘एमएक्स टकाटक’ (MX TakaTak) को बेच दिया था। इसने हाल ही में अपनी दो कंटेंट वेबसाइट्स-MensXP और iDiva- और इसके क्रिएटर मैनेजमेंट वर्टिकल Hypp को Mensa Brands को बेच दिया था।

यह ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘एमएक्स प्लेयर’ को भी बेचने की प्रक्रिया में है। कंपनी अब इसे ऐसी कीमत पर बेचने के लिए ‘एमेजॉन’ के साथ बातचीत कर रही है जो कथित तौर पर इसकी अधिग्रहण लागत से कम है।

टाइम्स इंटरनेट ने एमएक्स प्लेयर को 2018 में अनुमानित 140 मिलियन डॉलर या लगभग 1,000 करोड़ रुपये में खरीदा था। सूत्रों का दावा है कि एमेजॉन ने लगभग 60 मिलियन डॉलर की पेशकश की है, जो इसकी खरीद लागत का लगभग आधा है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि Data.ai की स्टेट ऑफ मोबाइल 2023 रिपोर्ट के अनुसार, MX प्लेयर को भारत में सबसे अधिक डाउनलोड किया जाने वाला ऐप और 2022 में दुनिया में तीसरा सबसे अधिक डाउनलोड किया जाने वाला ऐप माना गया है।

इसकी फाइनेंसियल रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी की इकाई ‘ग्रेडअप’ (Gradeup) को पहले ही ‘एनसीएलटी’ की मंजूरी के जरिये ‘बायजू’ (Byju’s) के साथ मिला दिया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाइम्स इंटरनेट की शेयरहोल्डिंग में भी बदलाव हुआ है और टाइम्स ग्रुप की अलग-अलग संस्थाओं और परिवार के सदस्यों की हिस्सेदारी 2021-22 में बीसीसीएल को ट्रांसफर कर दी गई थी।

 

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‘मदर्स डे’ पर दैनिक भास्कर ने किया ये अनूठा प्रयोग

हर साल मई के दूसरे रविवार को ‘मदर्स डे’ मनाते हैं। इस दिन तमाम लोग अपनी मां को विश करके उन्हें फूल या गिफ्ट देते हैं और पूरा दिन उनके साथ बिताने की कोशिश करते हैं।

Last Modified:
Sunday, 14 May, 2023
Dainik Bhaskar

दुनियाभर के तमाम देशों में आज मदर्स डे मनाया जा रहा है। ऐसे में हिंदी दैनिक ‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) ने एक अनूठा प्रयोग किया है। दरअसल, ‘दैनिक भास्कर’ ने मदर्स डे के स्पेशल एडिशन में रिपोर्टर के नाम के साथ बाईलाइन में पहले मां का नाम भी लिखा है।

बता दें कि यह दिन हर मां के लिए समर्पित है। हर साल मई के दूसरे रविवार को ‘मदर्स डे’ मनाते हैं। इस दिन तमाम लोग अपनी मां को विश करके उन्हें फूल या गिफ्ट देते हैं और पूरा दिन उनके साथ बिताने की कोशिश करते हैं।

दैनिक भास्कर ने किस तरह खबरों में अपने रिपोर्टर की बाईलाइन से पहले उनकी मां का नाम दिया है, इसे आप यहां देख सकते हैं।

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‘मन की बात‘ पर शशि शेखर वेम्पती ने लिखी किताब, उपराष्ट्रपति ने किया विमोचन

नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में इस किताब का विमोचन हुआ। इस किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को विस्तृत रूप से परिभाषित किया गया है।

Last Modified:
Thursday, 27 April, 2023
Book Launch

नेशनल पब्लिक ब्रॉडकास्टर ‘प्रसार भारती’ (Prasar Bharati) के पूर्व सीईओ शशि शेखर वेम्पती की किताब ‘Collective Spirit, Concrete Action-Mann’ का बुधवार को विमोचन किया गया।

दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस किताब का विमोचन किया। ‘रूपा’(Rupa) पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित इस किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को विस्तृत रूप से परिभाषित किया गया है।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो पर प्रसारित होने वाले ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 30 अप्रैल को 100 एडिशन पूरे हो रहे हैं। ऐसे में इस किताब के 15 अध्यायों में उन मुद्दों की गहराई से पड़ताल की गई है, जिन्हें ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उठाया गया है। इनमें स्वास्थ्य और शिक्षा से लेकर इनोवेशन और उद्यमिता तक जैसे विषय शामिल हैं।

बताया जाता है कि इस किताब में शामिल स्टोरीज और तमाम लोगों के अनुभवों के माध्यम से पाठक आसानी से समझ सकेंगे कि कैसे इस कार्यक्रम ने सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित किया है और लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।

किताब के विमोचन के मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अलावा उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ और सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर समेत तमाम गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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