जानें, हर साल क्यों मनाया जाता है हिंदी पत्रकारिता दिवस

हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में 30 मई का खास महत्व है। यही कारण है कि 30 मई को हर साल हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Last Modified:
Thursday, 30 May, 2024
Journalism Day


हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में 30 मई का खास महत्व है। यही कारण है कि 30 मई को हर साल हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, इसी दिन वर्ष 1826 को पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने पहले हिंदी अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन किया था। उस दौरान अंग्रेजी, फारसी और बांग्ला में तो अनेक पत्र निकल रहे थे, लेकिन हिंदी में एक भी पत्र नहीं निकलता था। इसलिए 'उदन्त मार्तण्ड' का प्रकाशन शुरू किया गया। मूल रूप से कानपुर के रहने वाले पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इसे कलकत्ता (अब कोलकाता) से एक साप्ताहिक अखबार के तौर पर शुरू किया था। इसके प्रकाशक और संपादक भी वह खुद थे। यह अखबार हर हफ्ते मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था।

'उदन्त मार्तण्ड' के पहले अंक की 500 प्रतियां छपीं। हिंदी भाषी पाठकों की कमी की वजह से उसे ज्यादा पाठक नहीं मिल सके। इसके अलावा हिंदी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण उन्हें समाचार पत्र डाक द्वारा भेजना पड़ता था। डाक दरें बहुत ज्यादा होने की वजह से इसे हिंदी भाषी राज्यों में भेजना भी आर्थिक रूप से महंगा सौदा हो गया था। पैसों की तंगी की वजह से 'उदन्त मार्तण्ड' का प्रकाशन बहुत दिनों तक नहीं हो सका और आखिरकार 4 दिसम्बर 1826 को इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया।

यह अखबार ऐसे समय में प्रकाशित हुआ था, जब हिंदी भाषियों को अपनी भाषा के पत्र की आवश्यकता महसूस हो रही थी। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर ‘उदन्त मार्तण्ड‘ का प्रकाशन किया गया था। वह ऐसा दौर था जब भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करने का बीड़ा पत्रकारिता ने अपने कंधों पर उठाया था। देश की आजादी से लेकर, साधारण आदमी के अधि‍कारों की लड़ाई तक, हिंदी भाषा की कलम से इंसाफ की लड़ाई लड़ी गई। वक्त बदलता रहा और पत्रकारिता के मायने और उद्देश्य भी बदलते रहे, लेकिन हिंदी भाषा से जुड़ी पत्रकारिता में लोगों की दिलचस्पी कम नहीं हुई, क्योंकि इसकी एक खासियत यह भी रही है कि इस क्षेत्र में हिंदी के बड़े लेखक, कवि और विचारक भी आए। हिंदी के बड़े लेखकों ने संपादक के रूप में अखबारों की भाषा का मानकीकरण किया और उसे सरल-सहज रूप देते हुए कभी उसकी जड़ों से कटने नहीं दिया।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

मद्रास हाई कोर्ट के निर्देश के बाद विकटन ने पीएम मोदी का हटाया कार्टून

विकटन मैगजीन ने अपनी वेबसाइट पर लगे प्रतिबंध के बाद एक विवादित कार्टून को हटा दिया है।

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 06 March, 2025
Last Modified:
Thursday, 06 March, 2025
Vikatan845

विकटन मैगजीन ने अपनी वेबसाइट पर लगे प्रतिबंध के बाद एक विवादित कार्टून को हटा दिया है। मैगजीन ने अपने बयान में कहा, "विकटन प्लस के 16 फरवरी 2025 के अंक (जो 10 फरवरी 2025 को प्रकाशित हुआ) के कवर पेज पर प्रकाशित कार्टून को माननीय मद्रास हाई कोर्ट के आदेश दिनांक 06-03-2025 (WP 7944/2025) के अनुपालन में हटा दिया गया है, यह आगे की न्यायिक प्रक्रिया के अधीन रहेगा।"

मैगजीन ने आगे कहा, "माननीय हाई कोर्ट द्वारा विचाराधीन मुद्दा, जैसा कि 06-03-2025 के आदेश में दर्ज है, यह है कि क्या यह कार्टून संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार में सुरक्षित है, या फिर यह आईटी एक्ट की धारा 69A के तहत प्रतिबंध के दायरे में आता है।"

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मद्रास हाई कोर्ट ने सूचना-प्रसारण मंत्रालय को विकटन वेबसाइट पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने का निर्देश दिया। यह प्रतिबंध उस कार्टून को लेकर लगाया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जंजीरों में दिखाया गया था और उनके सामने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खड़े थे।

यह ऑनलाइन मैगजीन कथित तौर पर अमेरिका से भारतीय अप्रवासियों के निर्वासन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी की आलोचना कर रही थी।

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, विकटन के वकील विजय नारायण ने अदालत में तर्क दिया कि यह कार्टून देश की "संप्रभुता और अखंडता या अमेरिका के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों" को प्रभावित नहीं करता। न्यायमूर्ति भरत चक्रवर्ती ने मैगजीन को अस्थायी रूप से कार्टून वाले पेज को हटाने का निर्देश दिया।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

डिजिटल युग में प्रिंट का नया दौर, विज्ञापन से कमाए ₹20,272 करोड़

पारंपरिक और डिजिटल मीडिया की प्रतिस्पर्धा में, टीवी के सुनहरे दिन अब पहले जैसे नहीं रहे, लेकिन प्रिंट मीडिया एक बार फिर तेजी से उभर रहा है और इसके आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 05 March, 2025
Last Modified:
Wednesday, 05 March, 2025
Print78452

चहनीत कौर, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ।।

पारंपरिक और डिजिटल मीडिया की प्रतिस्पर्धा में, टीवी के सुनहरे दिन अब पहले जैसे नहीं रहे, लेकिन प्रिंट मीडिया एक बार फिर तेजी से उभर रहा है और इसके आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं।

पिच-मेडिसन ऐडवरटाइजिंग रिपोर्ट 2025 के अनुसार, प्रिंट मीडिया ने 2022 में 18,470 करोड़ रुपये, 2023 में 19,250 करोड़ रुपये और 2024 में 20,272 करोड़ रुपये की कमाई की। ये आंकड़े महामारी से पहले के स्तर को पार कर चुके हैं और लगातार वृद्धि को दर्शाते हैं।

एक मीडिया विश्लेषक ने बताया कि डिजिटल माध्यम में ध्यान आकर्षित करने की प्रतिस्पर्धा बहुत कठिन हो गई है, क्योंकि वहां विज्ञापन कई अन्य सामग्रियों के बीच खो सकते हैं। इसके विपरीत, प्रिंट मीडिया एक केंद्रित वातावरण प्रदान करता है, जहां पाठक सक्रिय रूप से जुड़ते हैं और विज्ञापनदाताओं को एक निश्चित दर्शक वर्ग मिलता है।

विश्लेषकों के अनुसार, स्वास्थ्य सेवा, फार्मास्युटिकल्स, ऑटोमोबाइल, लाइफस्टाइल, रियल एस्टेट, शिक्षा, आभूषण, सरकारी विज्ञापन, हेल्थकेयर और BFSI (बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा) जैसे प्रमुख सेक्टरों ने प्रिंट मीडिया की मजबूती से वापसी में अहम भूमिका निभाई है। ये उद्योग अपने बाजार विस्तार और बिक्री वृद्धि के लिए प्रिंट मीडिया पर निर्भर हैं।

शीर्ष बढ़ते सेक्टरों में ऑटोमोबाइल सेक्टर ने 2023 से 2024 के बीच 7% की वृद्धि दर्ज की और इसका कुल विज्ञापन श्रेणी में 14% का योगदान रहा। इसके अलावा, FMCG सेक्टर ने 6% की वृद्धि के साथ 2024 में 12% हिस्सेदारी दर्ज की। उन्होंने हाई-विजिबिलिटी अभियानों के लिए प्रिंट मीडिया का उपयोग किया। वहीं, शिक्षा और रियल एस्टेट क्षेत्रों ने भी अपने प्रिंट विज्ञापन खर्च में क्रमशः 7% और 6% की वृद्धि की।

इसके अलावा, सरकार द्वारा बढ़ाए गए खर्च और संसदीय व राज्य चुनावों के कारण प्रिंट विज्ञापन 2019 के स्तर से भी आगे निकल गया है।

दैनिक जागरण i-next के सीईओ आलोक सनवाल के अनुसार, प्रिंट मीडिया ने कोविड-19 से पहले के स्तर को फिर से हासिल कर लिया है, और इसके पीछे कई कारण हैं। उन्होंने कहा, "यदि मुद्रास्फीति (महंगाई) को भी ध्यान में रखा जाए, तो भी प्रिंट ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है।"

सनवाल ने यह भी बताया कि प्रिंट मीडिया की डिजिटल मीडिया पर सबसे बड़ी बढ़त उसकी पहुंच (रीच) है।

उन्होंने कहा, "कई इलाकों में दिनभर में सिर्फ 2 से 6 घंटे तक ही बिजली उपलब्ध होती है। यह डिजिटल एक्सेस को प्रभावित करता है, लेकिन प्रिंट वहां भी पहुंचता है, जहां डिजिटल नहीं पहुंच सकता। यही वजह है कि मीडिया खपत के नजरिए से प्रिंट का महत्व बहुत ज्यादा है।"

दैनिक भास्कर न्यूजपेपर ग्रुप के प्रमोटर डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल ने भी इस बात पर जोर दिया कि प्रिंट मीडिया अब भी सबसे विश्वसनीय माध्यम है, जिसे जनता पूरी तरह से भरोसेमंद मानती है और उससे जुड़ाव महसूस करती है।

शीर्ष अखबारों के राजस्व (Revenue) आंकड़े भी प्रिंट मीडिया की मजबूत वापसी की पुष्टि करते हैं। उदाहरण के लिए, DB Corp की विज्ञापन से होने वाली कमाई वित्त वर्ष 2021 (FY21) में 1,008.4 करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2024 (FY24) में 20% बढ़कर 1,752.4 करोड़ रुपये हो गई।

इतना ही नहीं, कंपनी का टैक्स कटौती के बाद मुनाफा (Profit After Tax - PAT) भी जबरदस्त 44% कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) के साथ बढ़ा। यह FY21 में 141.4 करोड़ रुपये था, जो FY24 में बढ़कर 425.5 करोड़ रुपये हो गया।

यहां तक कि Condé Nast जैसी मैगजीन के प्रिंट सब्सक्रिप्शन (सदस्यता) भी अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं और लगातार बढ़ रहे हैं।

इस ग्रोथ का कारण बताते हुए Condé Nast के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप लोधा कहते हैं, "देशभर में आय (इनकम) बढ़ने के चलते पहले जो लोग सिर्फ विंडो शॉपिंग (देखकर ही संतोष कर लेने) तक सीमित थे, अब वे सब्सक्राइबर बन रहे हैं। बड़ी संख्या में नए पाठक समृद्ध जीवनशैली अपना रहे हैं और परिष्कृत (discerning) रुचियां विकसित कर रहे हैं।"

भारत प्रिंट मीडिया का एक मजबूत गढ़ बना हुआ है। Pitch-Madison Advertising Report (PMAR) 2024 के अनुसार, देश में कुल विज्ञापन खर्च (AdEx) में प्रिंट का हिस्सा 19% है। इसके मुकाबले, दुनियाभर में प्रिंट का विज्ञापन खर्च में हिस्सा सिर्फ 3% है, जिससे पता चलता है कि भारत अब भी इस माध्यम पर अन्य देशों की तुलना में अधिक निर्भर है।

Madison Media के वाइस प्रेसिडेंट मनोज सिंह का कहना है कि भारत में प्रिंट मीडिया के विज्ञापन बाजार में ऊंचे हिस्से का कारण कई कारक हैं। उन्होंने कहा कि प्रिंट की किफायती कीमत, इसकी व्यापक पहुंच, गहरी जड़ें जमाए हुए पाठकीय आदतें, और भाषा व भौगोलिक विविधता को पूरा करने की क्षमता इसे भारत में विज्ञापनदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम बनाती है। इसी कारण, भले ही पूरी दुनिया डिजिटल की ओर बढ़ रही हो, भारत में प्रिंट विज्ञापन का प्रभाव अब भी बरकरार है।

साकाल मीडिया ग्रुप के सीईओ उदय जाधव के अनुसार, समाचार पत्र पढ़ने की आदत और विश्वसनीयता (reliability) ही इसके स्थिर सर्कुलेशन (प्रसार) के मुख्य कारण हैं। उन्होंने कहा, "भारत में अखबार पढ़ना एक पुरानी परंपरा है, जो अक्सर लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा होती है। 

इसके अलावा, उन्होंने बताया कि, "भौतिक रूप से समाचार पत्र पढ़ने से जानकारी को लंबे समय तक याद रखने (information retention) और विज्ञापन को पहचानने (ad recall) में मदद मिलती है। कई नियमित पाठक आज भी अखबार को डिजिटल या टीवी की तुलना में सबसे विश्वसनीय और भरोसेमंद सूचना का स्रोत मानते हैं। यही भरोसा (trust factor) विज्ञापनदाताओं के लिए बहुत जरूरी है, जो अपनी ब्रांड प्रतिष्ठा (brand reputation) बनाना चाहते हैं।"

डीबी ग्रुप के एक कार्यकारी ने कहा, “भारत की 90% आबादी टियर II, III और IV शहरों में रहती है। इन गैर-मेट्रो बाजारों में जीवनशैली अलग होने के कारण, जहां लोगों को कम यात्रा करनी पड़ती है, उनके पास सुबह के समय 2-3 घंटे का समय होता है, जिसमें वे अखबार पढ़ सकते हैं। इसलिए प्रिंट मीडिया यहां जीवनशैली का एक अभिन्न हिस्सा बना हुआ है।”

दिलचस्प बात यह है कि 2024 में टीवी, प्रिंट और रेडियो में से प्रिंट को विज्ञापनदाताओं की सबसे कम गिरावट का सामना करना पड़ा, जैसा कि PMAR रिपोर्ट में बताया गया है। जहां टीवी में विज्ञापनदाताओं की संख्या में 23% की गिरावट देखी गई, वहीं प्रिंट में यह गिरावट मात्र 1% थी, जो नगण्य मानी जा सकती है। Madison के सिंह के अनुसार, इसका कारण क्षेत्रीय बाजारों में मजबूत मांग, किफायती लागत और राजनीतिक व सरकारी विज्ञापन खर्च में स्थिरता रहा।

संजवाल के अनुसार, प्रिंट विज्ञापन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: स्थानीय-से-स्थानीय और कॉर्पोरेट। स्थानीय विज्ञापनदाता, जो कुल प्रिंट विज्ञापनों का 60% हैं, प्रिंट को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि इसकी हाइपरलोकल पहुंच का कोई अन्य माध्यम विकल्प नहीं बन सकता। उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए, अगर कानपुर का कोई व्यवसाय कानपुर में विज्ञापन देना चाहता है, तो वह राष्ट्रीय टीवी चैनलों या बंटे हुए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की ओर शिफ्ट नहीं करेगा। रेडियो ही एकमात्र अन्य विकल्प हो सकता है, लेकिन वह भी केवल शहर-विशिष्ट होता है और प्रिंट जितना बहुआयामी नहीं है।”

महंगे घड़ियों के ब्रांड Rado के लिए, प्रिंट अभी भी प्रमुख विज्ञापन माध्यम बना हुआ है। Dabur के मीडिया प्रमुख, राजीव दुबे ने कहा कि जो लोग प्रिंट पढ़ते हैं, वे उसमें सच में रुचि रखते हैं क्योंकि वे इसके लिए भुगतान करते हैं और इसे चुनकर पढ़ते हैं। यह मुफ्त में उपलब्ध सामग्री के उपभोक्ताओं के लिए नहीं, बल्कि एक सोच-समझकर लिया गया निर्णय है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “कोई भी माध्यम 100% सही नहीं होता, लेकिन प्रिंट को अधिकांश समय सही माना जाता है।”

जाधव के अनुसार, कई विज्ञापनदाताओं ने वर्षों से प्रिंट प्रकाशनों के साथ मजबूत संबंध बनाए हैं, जो लगातार अच्छे नतीजे और आपसी भरोसे पर आधारित हैं। प्रिंट विज्ञापनों की ठोस उपस्थिति पाठकों पर लंबे समय तक प्रभाव छोड़ती है। विज्ञापनदाता प्रिंट को अपनी मीडिया योजनाओं का हिस्सा इसीलिए बनाते हैं क्योंकि यह विशिष्ट दर्शकों की जरूरतों के अनुसार तैयार किया जा सकता है।

अग्रवाल ने विश्लेषण किया कि चुनावी राज्यों को आमतौर पर अधिक धन और अनुकूल माहौल मिलता है, क्योंकि वहां मुफ्त कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं की जाती हैं, जिससे उपभोग बढ़ता है। इसी कारण प्रिंट मीडिया को 2024 के आम चुनाव के अलावा कुछ राज्यों के चुनावों से भी समर्थन मिला।

सिंह ने कहा कि स्थानीय व्यवसाय और नीति-निर्माता प्रिंट की पहुंच को महत्व देते हैं, खासकर टियर 2 और 3 शहरों में। ब्रांड भी 360-डिग्री अभियानों में प्रिंट का उपयोग करते हैं, जहां वे इसकी विश्वसनीयता को डिजिटल उपकरणों जैसे कि क्यूआर कोड के साथ जोड़कर उपभोक्ताओं की भागीदारी बढ़ाते हैं।

अखबारों की भाषा के आधार पर वॉल्यूम वृद्धि की बात करें तो मराठी और अंग्रेजी सबसे आगे रहे, जिनमें क्रमशः 5% और 4% की वृद्धि दर्ज की गई।

साकाल मीडिया के जाधव ने समझाया कि मराठी प्रकाशन एक विशिष्ट भाषाई और सांस्कृतिक बाजार की सेवा करते हैं। यह लक्षित पहुंच उन विज्ञापनदाताओं के लिए मूल्यवान होती है जो मराठी बोलने वाले दर्शकों से जुड़ना चाहते हैं। इस क्षेत्रीय बाजार की मजबूती के कारण प्रकाशन उच्च विज्ञापन दरें वसूल सकते हैं, क्योंकि विज्ञापनदाता इस जनसांख्यिकी तक पहुंचने के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार रहते हैं।

इसका एक और कारण मांग और आपूर्ति का सामान्य नियम भी है। जब विज्ञापन की मात्रा बढ़ती है, तो एक ही सीमित विज्ञापन स्थान के लिए अधिक विज्ञापनदाता प्रतिस्पर्धा करने लगते हैं। इस बढ़ती हुई मांग और प्रिंट प्रकाशनों में उपलब्ध सीमित स्थान ने एक प्रतिस्पर्धी माहौल बनाया। हमने इस बढ़ी हुई मांग का लाभ उठाकर विज्ञापन दरों में वृद्धि की। 

दुबे ने बताया कि यह वृद्धि जारी रहेगी, खासकर शहरी माध्यम के रूप में, जहां प्रभावशाली छवि बनाने की क्षमता अधिक होती है। यहां तक कि गूगल जैसी कंपनियां, जिनके पास यूट्यूब जैसे कई डिजिटल प्लेटफॉर्म हैं, फिर भी अपने फोन जैसे उत्पादों के विज्ञापन के लिए प्रिंट का उपयोग करती हैं।

वॉल्यूम बढ़ने के साथ-साथ विज्ञापन दरों में बढ़ोतरी पर सनवाल ने सुझाव दिया कि कुछ प्रकाशनों ने विज्ञापन दरों में 2-3% की वृद्धि की है। "यह केवल मूल्य सुधार नहीं है बल्कि मुद्रण, प्रकाशन और कर्मचारी खर्चों में हुई लागत वृद्धि को दर्शाता है। यहां तक कि 7-8% की वृद्धि भी उचित है, अगर बढ़ती परिचालन लागत को ध्यान में रखा जाए।"

वे केवल अपने डिजिटल चैनलों तक सीमित रह सकते थे, लेकिन वे प्रिंट का उपयोग इसलिए करते हैं ताकि प्रभाव बनाया जा सके, एक स्थायी छवि बनाई जा सके और अंततः बिक्री बढ़ाई जा सके।

लोढ़ा ने जोर दिया कि जैसे-जैसे प्रीमियम उत्पादों की मांग बढ़ रही है, वैसे ही संपन्न और मध्यम वर्गीय दर्शकों तक पहुंचने की जरूरत भी बढ़ रही है। अंग्रेजी प्रकाशन इस अवसर को बेहतरीन तरीके से उपलब्ध कराते हैं, इसलिए विज्ञापन दरें इस बढ़ती मांग के साथ आगे भी बढ़ेंगी।

दूसरी ओर, सिंह ने कहा कि मौजूदा प्रतिस्पर्धी बाजार स्थितियों को देखते हुए अंग्रेजी दैनिकों के लिए विज्ञापन दरों को बनाए रखना या बढ़ाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि, विज्ञापनदाताओं की मांग बढ़ने से उनका स्थान मजबूत होता है, फिर भी प्रकाशनों को एक संतुलित मूल्य निर्धारण रणनीति अपनानी पड़ सकती है। वे उच्च राजस्व के लिए प्रीमियम विज्ञापन स्थानों का लाभ उठा सकते हैं, साथ ही विज्ञापनदाताओं को बनाए रखने के लिए बल्क डील और बंडल ऑफर में लचीलापन दिखा सकते हैं।

अब भी और वृद्धि की गुंजाइश है। बीते वर्ष प्रिंट का कुल विज्ञापन खर्च (AdEx) में योगदान 19% था, जबकि 2019 से पहले इसका हिस्सा हमेशा 30% से अधिक रहा है। इसे फिर से बहाल किया जा सकता है, यदि नए IRS आंकड़े सामने लाए जाएं और विज्ञापनदाताओं का विश्वास और अधिक बढ़ाया जाए।

साकाल मीडिया के कार्यकारी अधिकारी का मानना है कि आईआरएस (इंडियन रीडरशिप सर्वे) को फिर से स्थापित करना बहुत महत्वपूर्ण है। मजबूत विज्ञापनदाता संबंध और डेटा-आधारित रणनीतियां प्रिंट मीडिया के पुनरुत्थान को आगे बढ़ाएंगी।

इसके अलावा, बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने, हाइब्रिड कंटेंट मॉडल, क्यूआर कोड इंटीग्रेशन और ऑगमेंटेड रियलिटी अनुभवों को जोड़ने से प्रिंट की हिस्सेदारी बढ़ सकती है। डिजिटल विज्ञापनों को प्रिंट के साथ जोड़कर भी यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार कर वहां प्रसार बढ़ाना, जहां विज्ञापनदाता ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, भी सहायक हो सकता है। साथ ही, व्यावसायिक टिकट वाले आयोजनों में भी अच्छा संभावित अवसर है।

"अगर हम इन सभी नई पहलों को पारंपरिक विज्ञापन के साथ स्मार्ट तरीके से मिलाते हैं, तो हम नए मानक स्थापित कर सकते हैं," उन्होंने कहा।

संवाल की तुलना यह बताती है कि डिजिटल का विकास मुख्य रूप से गूगल और मेटा तक सीमित है, जो डिजिटल विज्ञापन का 60-70% हिस्सा लेते हैं। इनके अलावा, बाकी डिजिटल स्पेस बिखरा हुआ और अपेक्षाकृत छोटा है, जितना लोग समझते हैं। यह स्थिति प्रिंट को खुद को फिर से स्थापित करने का अवसर देती है, जिसमें ब्रांडेड कंटेंट, नेटिव एडवरटाइजिंग और एक्सपीरियंसियल कैंपेन जैसी नई रणनीतियां मदद कर सकती हैं।

उदाहरण के लिए, मानसून के दौरान प्रिंट मीडिया संदर्भित विज्ञापन चला सकता है, जैसे मच्छर भगाने वाले उत्पादों के लिए, जो वर्तमान में डिजिटल और रेडियो के माध्यम से अधिक किया जाता है।

सिंह ने निष्कर्ष में कहा कि प्रिंट विज्ञापन खर्च (AdEx) का 30% से अधिक हिस्सा वापस पाने में समय लग सकता है, लेकिन क्षेत्रीय विस्तार, प्रिंट-डिजिटल एकीकरण, 360-डिग्री अभियान और श्रेणी-विशेष नवाचारों का मिश्रण प्रिंट की वृद्धि को तेज कर सकता है।

  

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

इस बड़े पद पर हिन्दुस्तान टाइम्स से जुड़ सकते हैं सत्यजीत सेनगुप्ता

हिन्दुस्तान टाइम्स मीडिया लिमिटेड से एक बड़ी खबर सामने आयी है। दरअसल, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, समूह में सत्यजीत सेनगुप्ता की नियुक्ति होने वाली है

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 03 March, 2025
Last Modified:
Monday, 03 March, 2025
SatyjitsenGupta7845

हिन्दुस्तान टाइम्स मीडिया लिमिटेड से एक बड़ी खबर सामने आयी है। दरअसल, 'एक्सचेंज4मीडिया' के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, समूह में सत्यजीत सेनगुप्ता की नियुक्ति हो सकती है, जो एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर (रेवेन्यू) के तौर पर कार्यरत होंगे। वह प्रिंट बिजनेस यूनिट के सीईओ समुद्र भट्टाचार्य को रिपोर्ट करेंगे। 

सत्यजीत सेनगुप्ता को मीडिया सेल्स व मार्केटिंग में गहरा अनुभव है। 2017 से अब तक वह दैनिक भास्कर ग्रुप में चीफ कॉर्पोरेट सेल्स एंड मार्केटिंग ऑफिसर के रूप में कार्यरत थे। मुंबई स्थित कॉर्पोरेट कार्यालय से काम करते हुए वह सीधे कंपनी के डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल को रिपोर्ट करते थे।

दैनिक भास्कर से पहले, सेनगुप्ता ने बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (टाइम्स ग्रुप) में अहम पदों पर काम किया है। उन्होंने एसोसिएट वाइस प्रेजिडेंट और गुरुग्राम मेट्रो हेड के रूप में टाइम्स ग्रुप के सभी प्रकाशनों के लिए राजस्व वृद्धि का नेतृत्व किया।

उनका अनुभव इंडिया टुडे ग्रुप में भी रहा है, जहां उन्होंने डिप्टी ब्रांच हेड इम्पैक्ट के रूप में उत्तरी क्षेत्र में ऐड सेल्स को मैनेज किया। उन्होंने इस पद पर चार साल से अधिक समय तक काम किया। सेनगुप्ता ने 1998 में इंडियन एक्सप्रेस से अपने करियर की शुरुआत की थी। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

ऋतिक रोशन बने Esquire India के पहले संस्करण के कवर स्टार

बॉलीवुड के सुपरस्टार ऋतिक रोशन को ‘एसक्वायर इंडिया’ (Esquire India) मैगजीन के पहले संस्करण के कवर स्टार के रूप में चुना गया है।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 01 March, 2025
Last Modified:
Saturday, 01 March, 2025
HritikRoshan45124

बॉलीवुड के सुपरस्टार ऋतिक रोशन को ‘एसक्वायर इंडिया’ (Esquire India) मैगजीन के पहले संस्करण के कवर स्टार के रूप में चुना गया है। यह मैगजीन दुनियाभर में अपने स्टाइल और कंटेंट के लिए मशहूर रही है और भारत में इसकी शुरुआत किसी बड़े धमाके से कम नहीं हो सकती थी।

बता दें कि 'एसक्वायर' मैगजीन दुनियाभर में पुरुषों की लाइफस्टाइल को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए जानी जाती है। 'एसक्वायर' का उद्देश्य हमेशा "पुरुष के सर्वश्रेष्ठ रूप" का जश्न मनाना रहा है और इस सोच को दर्शाने के लिए ऋतिक रोशन से बेहतर कोई और नहीं हो सकता।

ऋतिक रोशन: स्टारडम की नई परिभाषा

जो लोग साल 2000 में आए 'कहो ना… प्यार है' के जादू को याद रखते हैं, उन्हें पता होगा कि किस तरह एक ही रात में ऋतिक रोशन ने फिल्म इंडस्ट्री पर राज करना शुरू कर दिया था। उनकी ग्रीक गॉड जैसी पर्सनैलिटी, दमदार अभिनय और बेमिसाल डांसिंग स्किल्स ने उन्हें बॉलीवुड का नया सुपरस्टार बना दिया।

लेकिन ऋतिक सिर्फ दिलों की धड़कन बनने तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने हर बार खुद को साबित किया – फिर चाहे 'कोई... मिल गया' (2003), 'जोधा अकबर' (2008), 'सुपर 30' (2019) या 'विक्रम वेधा' (2022) जैसी फिल्में हों, या फिर 'धूम 2' (2006), 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' (2011), 'बैंग बैंग!' (2014) और 'वॉर' (2019) जैसी ब्लॉकबस्टर हिट्स।

Esquire की कवर स्टोरी: ऋतिक रोशन और उनका चार्म

25 साल पहले, उनकी पहली फिल्म ने उन्हें भारतीय सिनेमा के अगले बड़े सुपरस्टार के रूप में स्थापित किया था। उसके बाद ग्रीक गॉड, बॉक्स ऑफिस मैग्नेट जैसे कई खिताब उनके नाम होते चले गए। ऋतिक ने हर खिताब को बेहतरीन अंदाज में जिया और अपनी लीगेसी को और मजबूत किया। 

ऋतिक रोशन को फिल्म इंडस्ट्री में 25 साल हो चुके हैं, लेकिन उनकी स्टार पावर आज भी वैसी ही बनी हुई है। ऐसा उनके साथ बहुत कम देखने को मिला है कि बिना किसी नई फिल्म के भी उनकी लोकप्रियता कम नहीं होती।

Esquire India की पहली कवर स्टोरी में ऋतिक रोशन का यह चार्म और करिश्मा बखूबी नजर आएगा। मैगजीन के पहले अंक में स्टाइल, गहराई और दिग्गजों से जुड़ी ऐसी कई दिलचस्प कहानियां होंगी, जिनका खुलासा अगले कुछ दिनों में किया जाएगा।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

TAM AdEx: प्रिंट ऐडवर्टाइजिंग में मारुति सुजुकी व SBS बायोटेक का दबदबा बरकरार

TAM AdEx ने जनवरी से सितंबर 2024 के लिए अपनी प्रिंट ऐडवर्टाइजिंग रिपोर्ट में खुलासा किया है कि जनवरी से सितंबर 2023 की तुलना में इस माध्यम में ऐड स्पेस में 3% की वृद्धि हुई है

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 26 February, 2025
Last Modified:
Wednesday, 26 February, 2025
Print8451

TAM AdEx ने जनवरी से सितंबर 2024 के लिए अपनी प्रिंट ऐडवर्टाइजिंग रिपोर्ट में खुलासा किया है कि जनवरी से सितंबर 2023 की तुलना में इस माध्यम में ऐड स्पेस में 3% की वृद्धि हुई है, जो प्रिंट ऐडवर्टाइजिंग में सकारात्मक रुझान को दर्शाता है।

एजुकेशन सेक्टर प्रिंट ऐड स्पेस में अग्रणी बनकर उभरा है, जिसमें जनवरी से सितंबर 2024 के दौरान 17% की हिस्सेदारी दर्ज की गई। इससे यह संकेत मिलता है कि यह सेक्टर 2023 की समान अवधि की तुलना में अपनी प्रमुख स्थिति बनाए रखने में सफल रहा है। इस सूची में अन्य प्रमुख सेक्टर थे- सर्विस सेक्टर 15% हिस्सेदारी के साथ, ऑटोमोबाइल सेक्टर 14% के साथ, बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर 11% के साथ, रिटेल 8% के साथ, और उसके बाद पर्सनल एसेसरीज, फूड एंड बेवरेज, पर्सनल हेल्थ केयर, ड्यूरेबल्स आदि रहे।

शीर्ष छह सेक्टर्स ने जनवरी-सितंबर 2023 से जनवरी-सितंबर 2024 तक अपनी रैंकिंग बनाए रखी, जबकि टेलीकॉम प्रॉडक्ट्स की कैटेगरी ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की और सात स्थान की छलांग लगाते हुए 10वें स्थान पर पहुंच गई।

यदि प्रमुख कैटेगरीज की बात करें, तो कार कैटेगरी ने इस अवधि में अपनी स्थिति को मजबूत किया और कुल ऐड स्पेस में 7% हिस्सेदारी के साथ शीर्ष स्थान बरकरार रखा। दूसरे स्थान पर ‘मल्टीपल कोर्सेज’ की कैटेगरी रही, जिसने 2023 में अपने चौथे स्थान से छलांग लगाकर दूसरा स्थान प्राप्त किया।

इसी बीच, टू-व्हीलर कैटेगरी ने जबरदस्त वृद्धि दिखाई, जो 2023 में सातवें स्थान से ऊपर उठकर 2024 में तीसरे स्थान पर पहुंच गई और कुल ऐड स्पेस में 5% की हिस्सेदारी दर्ज की। इसके अलावा, शीर्ष 10 कैटेगरीज ने जनवरी-सितंबर 2024 के दौरान कुल ऐड स्पेस का 44% योगदान दिया।

मारुति सुजुकी इंडिया और एसबीएस बायोटेक ने शीर्ष दो ऐडवर्टाइजर्स के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी, जो जनवरी-सितंबर 2023 और जनवरी-सितंबर 2024 दोनों में अग्रणी बने रहे। इनके अलावा, हीरो मोटोकॉर्प, होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया, रिलायंस रिटेल, सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स, और एलआईसी ऑफ इंडिया जैसी कंपनियां प्रमुख ऐडवर्टाइजर्स में शामिल रहीं।

इस अवधि के दौरान, शीर्ष 10 ऐडवर्टाइजर्स ने कुल ऐड स्पेस का 14% योगदान दिया। खास बात यह रही कि ऑटोमोबाइल सेक्टर के चार ऐडवर्टाइजर्स शीर्ष 10 में बने रहे, जिससे इस सेक्टर की मजबूत स्थिति जाहिर होती है।

जनवरी-सितंबर 2024 में होंडा शाइन 100 ने शीर्ष स्थान हासिल किया, जो 2023 की समान अवधि की तुलना में एक उन्नति थी। इसके बाद होंडा एक्टिवा एच स्मार्ट, मारुति कार रेंज और एलेन करियर इंस्टीट्यूट प्रमुख स्थानों पर रहे। इसके अलावा, इस अवधि में 1.43 लाख से अधिक ब्रैंड सक्रिय रहे, जिससे ब्रांड की निरंतर उपस्थिति का संकेत मिलता है।

TAM AdEx रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष 10 ब्रांडों ने जनवरी-सितंबर 2024 के दौरान कुल ऐड स्पेस का केवल 5% हिस्सा लिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि विज्ञापन बाजार अत्यधिक बंटा हुआ है।

टू-व्हीलर कैटेगरी उन सेक्टर्स में शामिल रही जिन्होंने ऐड टाइमिंग में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की, जिसमें 49% की वृद्धि हुई। इसके बाद कार कैटेगरी में 20% की वृद्धि देखी गई। वृद्धि की प्रतिशत दर के संदर्भ में, कॉरपोरेट-फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट कैटेगरी ने शीर्ष 10 में सबसे अधिक 2.63 गुना वृद्धि दर्ज की।

रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी-सितंबर 2024 के दौरान प्रिंट ऐडवर्टाइजिंग में सेल्स प्रमोशन संबंधी ऐड ने कुल ऐड स्पेस में 29% हिस्सेदारी हासिल की। इनमें डिस्काउंट प्रमोशन संबंधी ऐड सबसे आगे रहा, जिसने 43% हिस्सेदारी ली, जबकि मल्टीपल प्रमोशन 42% हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर रहा।

कुल मिलाकर, प्रिंट माध्यम ने जनवरी-सितंबर 2024 के दौरान 1.17 लाख से अधिक सक्रिय ऐडवर्टाइजर्स को आकर्षित किया, हालांकि यह संख्या जनवरी-सितंबर 2023 में 1.20 लाख थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इसमें मामूली गिरावट दर्ज की गई है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

प्रधानमंत्री मोदी के प्रेरणादायक सफर पर आधारित 'द मोदी स्टोरी' का हुआ विमोचन

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) में 'द मोदी स्टोरी: परफॉर्म | रिफॉर्म | ट्रांसफॉर्म' नामक बहुप्रतीक्षित किताब का भव्य विमोचन किया गया।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 19 February, 2025
Last Modified:
Wednesday, 19 February, 2025
TheModiStory8954

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) में 'द मोदी स्टोरी: परफॉर्म | रिफॉर्म | ट्रांसफॉर्म' नामक बहुप्रतीक्षित किताब का भव्य विमोचन किया गया। यह कार्यक्रम पब्लिक डिप्लोमेसी फोरम द्वारा आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता फाउंडर प्रेसिडेंट रतन कौल और उपाध्यक्ष श्वेता महेंद्र ने की। इस अवसर पर प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों, बुद्धिजीवियों, मीडिया हस्तियों और साहित्य प्रेमियों ने भाग लिया, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणादायक यात्रा और उनके परिवर्तनकारी नेतृत्व को सम्मानित किया।

कार्यक्रम की शुरुआत माननीय मुख्य अतिथि डॉ. जितेंद्र सिंह के स्वागत के साथ हुई। उन्होंने अपने विचारोत्तेजक संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व के प्रभाव पर चर्चा की, जिसने भारत की शासन प्रणाली, अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्थिति को पुनर्परिभाषित किया है।

डॉ. सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी की जनता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता और उनकी सुधारवादी नीतियों को रेखांकित किया, जिन्होंने भारत के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदल दिया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी का शासन मॉडल समावेशिता, नवाचार और सत्यनिष्ठा पर आधारित है, जिससे हर नागरिक को विकास का लाभ मिल रहा है।

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक कुशलता का भी उल्लेख किया और बताया कि कैसे उनके नेतृत्व ने भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री की अंतरराष्ट्रीय नीतियों की सराहना की, जिसने न केवल वैश्विक साझेदारियों को मजबूत किया बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की आवाज को भी बुलंद किया।

भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रभारी मंत्री के रूप में डॉ. सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के वैज्ञानिक नवाचार और विकास पर विशेष ध्यान देने की सराहना की। उन्होंने चंद्रयान-3, गगनयान और भारत की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और जैव प्रौद्योगिकी में प्रगति जैसी उल्लेखनीय उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत वैश्विक तकनीकी और अंतरिक्ष उद्योग में एक अग्रणी देश के रूप में उभर रहा है।

अपने भाषण के समापन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को एक ऐसे नेता के रूप में वर्णित किया जो न केवल भारत को आज बदल रहे हैं बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए आत्मनिर्भर, तकनीकी रूप से उन्नत और वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली भारत की नींव भी रख रहे हैं।

लीडरशिप की विरासत: 'बीइंग मोदी' से 'द मोदी स्टोरी' तक

'द मोदी स्टोरी' इस सीरीज की दूसरी कड़ी है, जिसका पहला संस्करण 'बीइंग मोदी' था, जिसे 29 अगस्त 2014 को केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और प्रकाश जावड़ेकर के आशीर्वाद और संरक्षण में पब्लिक डिप्लोमेसी फोरम द्वारा प्रकाशित किया गया था।

इस किताब को गहन शोध के साथ लिखा गया है और इसमें दुर्लभ प्रसंगों और तस्वीरों को शामिल किया गया है। इसे नई दिल्ली स्थित वितस्ता पब्लिशिंग के सहयोग से प्रकाशित किया गया है। यह किताब प्रधानमंत्री मोदी के जीवन और नेतृत्व पर व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है।

  • कैसे उन्होंने साधारण जीवन से विश्व के सबसे प्रभावशाली नेताओं में अपनी जगह बनाई।

  • उनके नेतृत्व और दृष्टिकोण को आकार देने वाले निर्णायक क्षण।

  • उनके द्वारा किए गए परिवर्तनकारी सुधार और जनकल्याणकारी पहल, जिससे लाखों लोगों को लाभ हुआ।

  • उनकी वैश्विक मान्यता और कूटनीतिक रणनीतियां, जिसने भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत किया।

  • उनकी जीवन यात्रा की दुर्लभ तस्वीरों और कहानियों का संकलन।

यह किताब दृढ़ता, सुशासन और जनता-प्रथम दृष्टिकोण का प्रेरणादायक दस्तावेज है, जो युवाओं, नीति-निर्माताओं और सच्चे नेतृत्व को समझने के इच्छुक पाठकों के लिए अनिवार्य अध्ययन सामग्री है।

कार्यक्रम का समापन सभी सम्मानित अतिथियों, योगदानकर्ताओं और उपौौेस्थित लोगों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए किया गया, जिनकी उपस्थिति और समर्थन से यह विमोचन समारोह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

'द मोदी स्टोरी': नेतृत्व की एक अद्भुत गाथा, जो राष्ट्र को प्रेरित करती रहेगी!'

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

इंडियन रीडरशिप सर्वे पर MRUC ने बढ़ाया कदम, समय-सीमा का अभाव बना चिंता का विषय

MRUC ने इंडियन रीडरशिप सर्वे पर एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अपनी तकनीकी समिति को सर्वे के प्रश्नावली की समीक्षा करने और एक एजेंसी को शॉर्टलिस्ट करने का निर्देश दिया।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 19 February, 2025
Last Modified:
Wednesday, 19 February, 2025
IndianReadershipSurvey

कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर व ग्रुप एडिटोरियल इवेन्जिल्सिट, एक्सचेंज4मीडिया ।।

मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल इंडिया (MRUC) ने मंगलवार को इंडियन रीडरशिप सर्वे (IRS) पर एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अपनी तकनीकी समिति को सर्वे के प्रश्नावली की समीक्षा करने और एक एजेंसी को शॉर्टलिस्ट करने का निर्देश दिया।

हालांकि, किसी निश्चित समयसीमा के अभाव ने मीडिया और विज्ञापन उद्योग में सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे छह साल से रुके हुए अगले IRS सर्वे की समय-सीमा को लेकर संदेह बढ़ गया है।

पद्म भूषण से सम्मानित होर्मुसजी एन. कामा, जो MRUC के पूर्व अध्यक्ष और मुंबई समाचार के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, ने कहा, "MRUC ने IRS को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। तकनीकी समिति को अनुसंधान के लिए प्रश्नों का मूल्यांकन करने और सर्वेक्षण करने वाली एजेंसी को शॉर्टलिस्ट करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि, इस कार्य को पूरा करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है।"

इससे पहले एक्सचेंज4मीडिया ने रिपोर्ट किया था कि मीडिया मालिकों ने आगामी IRS के लिए उसी कॉस्ट-शेयरिंग फॉर्मूले को लागू करने पर सहमति जताई है, जो 2019 के सर्वेक्षण में इस्तेमाल किया गया था। 2019 में कॉस्ट का बंटवारा प्रिंट सर्कुलेशन के आधार पर तय किया गया था।

लागत से जुड़ी चिंताएं

आगामी सर्वे की लागत 2019 में खर्च किए गए 20 करोड़ रुपये से अधिक रहने की संभावना है, जबकि अंतिम आंकड़ा बोली प्रक्रिया के बाद तय किया जाएगा। यह वित्तीय बाधा सर्वे के लॉन्च में एक बड़ी अड़चन मानी जा रही है, खासकर तब जब आर्थिक अनिश्चितता ने अधिकांश हितधारकों को प्रभावित किया है।

MRUC ने अभी तक मीडिया मालिकों के लिए उनके योगदान जमा करने की कोई समयसीमा तय नहीं की है।

"भले ही धनराशि एकत्र कर ली जाए, MRUC को सर्वेक्षण एजेंसी को अंतिम रूप देने में कम से कम छह महीने लगेंगे। इसका मतलब है कि IRS वर्ष के अंत तक संभव नहीं दिखता," एक काउंसिल सदस्य ने कहा।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ किताब का विमोचन

जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना में रविवार को ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ पुस्तक का लोकार्पण हुआ।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 17 February, 2025
Last Modified:
Monday, 17 February, 2025
BookRelease845

जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना में रविवार को ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ पुस्तक का लोकार्पण हुआ। इस दौरान परिचर्चा का भी आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना के निदेशक नरेंद्र पाठक ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि कर्पूरी ठाकुर पर इस पुस्तक की रचना में कई शोधार्थियों, बुद्धिजीवियों, समाजवादियों और लेखकों के विचार को समाहित किया गया है। कोई भी पुस्तक समाज का आईना होती है और आने वाले पीढ़ी के लिए एक दस्तावेज होती है।

आगे उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय, आर्थिक, लैंगिक न्याय का जो संतुलन बनाया उसका परिणाम बिहार निरंतर विकास कर रहा है। इस पुस्तक को तैयार करने के दरम्यान अनेक बुद्धिजीवियों ने अपने-अपने विचार रखे हैं उसको इस पुस्तक में सम्मान दिया गया है। इस पुस्तक में शामिल किए गए आलेख कर्पूरी जी की कृतियों और उनके मूल्यों को स्थापित करने में मिल का पत्थर साबित होगी।

पूर्व विधायक एवं लोक नायक जय प्रकाश नारायण द्वारा स्थापित अवार्ड संस्था, नई दिल्ली के महासचिव दुर्गा प्रसाद सिंह ने कहा कि मैं इस कार्यक्रम का हिस्सा बन पाया। आगे उन्होंने कहा कि कर्पूरी जी सामान्य जीवन जीने वाले विशिष्ट व्यक्ति थे। हमने कभी सुना था झोपड़ी के लाल जब कर्पूरी जी के घर पहुंचा तो देखकर दंग रह गया। वे झोपड़ी में ही रहा करते थे। उनकी एक बात और मुझे याद है कि जब भी उनके आवास पर लोग मिलने के लिए जाते थे, जो सबसे पीछे बैठे होते थे उस आदमी को पहले बुलाकर उनकी बातों को सुना करते थे।

जनता दल (यू) के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ के द्वारा जनमानस के लिए जो सार्थक कदम उठाए गए वास्तव में वे आज भी प्रासंगिक है। कर्पूरी ठाकुर एक व्यक्ति नहीं विचार हैं। उनका जीवन ही एक संदेश है। उन्होंने समाजवाद की धारा पकड़कर खुद को समाज के लिए सौंप दिया। समाज में बदलाव की बुनियाद रखने वाले कर्पूरी ठाकुर हमेशा समाज के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। कर्पूरी जी के कई सपनों को बिहार के विकास पुरुष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरा कर रहे हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान ने कहा कि शोध है तो बोध है और बोध है तो प्रतिरोध दूर होता है। नॉलेज क्रियेशन पर काम किए जाने की जरूरत है। बिहार नॉलेज की इंडस्ट्री है। पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कर्पूरी संग्रहालय को शोध संस्थान की तरह संचालित करने की मांग की और कहा कि समाज में जो वैचारिक भेद है उन्हें दूर किया जाना चाहिए।

लोकार्पण-सह-परिचर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बिहार विधान सभा के उप सभापति प्रो. रामवचन राय ने कहा कि इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए मैं इतना ही कहूंगा कि ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ पुस्तक नई पीढ़ी के लिए उत्कृष्ट साबित होगी। इसे हर किसी को पढ़ना चाहिए। पुस्तक हर इंसान के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है। संवाद लोकतंत्र की पहचान होती है। इससे ज्ञान की समृद्धि होती है।

पेरियार-अम्बेदकर-लोहिया विचार मंच के अध्यक्ष डॉ. बिनोद पाल एवं उनके साथियों द्वारा मंच की तरफ से अतिथियों का स्वागत किया गया।

इस कार्यक्रम में शोधार्थी डॉ. कुमार परवेज, राम कुमार निराला, संतोष यादव, प्रो. वीरेन्द्र झा, किशोरी दास, पर्यावरणविद् गोपाल कृष्ण, साहित्यकार सुनील पाठक ने भी अपने विचारों को रखा। मंच का संचालन लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने करते हुए कर्पूरी ठाकुर जी की कृतियों पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में डॉ. मधुबाला, सलाहकार समिति जदयू बिहार के पूर्व सदस्य दीपक निषाद, इंदिरा रमण उपाध्याय, अरुण नारायण, धीरज सिंह, भैरव लाल दास, डॉ. दिलीप पाल, ललन भगत, प्रो. शशिकार प्रसाद, चन्द्रशेखर, विजय कुमार चौधरी सहित कई बुद्धिजीवी, साहित्यकार एवं पत्रकार उपस्थित रहे।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

PMAR रिपोर्ट: 2024 में दक्षिण भारतीय अखबारों का प्रिंट विज्ञापन में 19% योगदान

2024 का वर्ष दक्षिण भारतीय प्रिंट प्रकाशनों के लिए सहनशक्ति का रहा, जहां ऐड वॉल्यूम (ad volume) में विभिन्न भाषाओं में मिश्रित रुझान देखने को मिले।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 14 February, 2025
Last Modified:
Friday, 14 February, 2025
Print852

2024 का वर्ष दक्षिण भारतीय प्रिंट प्रकाशनों के लिए सहनशक्ति का रहा, जहां ऐड वॉल्यूम (ad volume) में विभिन्न भाषाओं में मिश्रित रुझान देखने को मिले। तमिल अखबारों में ऐड वॉल्यूम में मामूली 1% वृद्धि दर्ज की गई, जबकि कन्नड़ प्रकाशनों ने पिछले वर्ष के स्तर को बनाए रखा। हालांकि, तेलुगु और मलयालम अखबारों में क्रमशः 10% और 8% की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई। बता दें कि यह जानकारी हाल ही में जारी Pitch Madison Advertising Report 2025 के जरिए सामने आई है।

रिपोर्ट इस गिरावट का मुख्य कारण इन क्षेत्रों में कमजोर बाजार स्थितियों को बताती है, जिससे विज्ञापनदाताओं के विश्वास और बजट पर असर पड़ा हो सकता है।

यदि कुल प्रिंट ऐड वॉल्यूम में योगदान की बात करें, तो कन्नड़ अखबारों की हिस्सेदारी 5% पर स्थिर रही, जबकि तमिल की हिस्सेदारी 1% बढ़कर 6% हो गई। वहीं, तेलुगु और मलयालम अखबारों की हिस्सेदारी 1% कम होकर क्रमशः 5% और 3% रह गई— 2023 की तुलना में 2024 में।

भारत में कुल प्रिंट सेक्टर में 2024 में ऐड वॉल्यूम में कोई वृद्धि नहीं हुई। हालांकि, पहली तिमाही (Q1) में वॉल्यूम में 16% की वृद्धि दर्ज की गई, लेकिन इसके बाद की तिमाहियों में गिरावट देखी गई— Q2 में 6%, Q3 में 9% और Q4 में 1% की कमी 2023 की तुलना में।

दिलचस्प बात यह है कि ज्यादातर भाषाओं में ऐड वॉल्यूम में स्थिरता या गिरावट दर्ज की गई, लेकिन इसके विपरीत, 2024 में प्रिंट सेक्टर ने 5% राजस्व वृद्धि दर्ज की। प्रिंट सेक्टर ने 2024 में ₹20,272 करोड़ का एडेक्स (AdEx) दर्ज किया, जो पांच साल बाद पहली बार प्री-कोविड स्तर को पार करने में सफल रहा। लगातार दूसरे वर्ष, प्रिंट ने भारत में कुल विज्ञापन खर्च (AdEx) में अपनी 19% की हिस्सेदारी बनाए रखी।

इससे संकेत मिलता है कि वॉल्यूम में गिरावट या स्थिरता के बावजूद, उच्च विज्ञापन दरों और प्रीमियम प्राइसिंग रणनीतियों ने प्रकाशकों को लाभ बनाए रखने में मदद की। विज्ञापनदाता अब हाई-इंपैक्ट प्लेसमेंट्स, प्रीमियम स्लॉट्स और टार्गेटेड रीजनल कैंपेन में अधिक निवेश करने के लिए तैयार दिख रहे हैं, जिससे प्रिंट मीडिया का विश्वसनीय माध्यम के रूप में महत्व बरकरार है।

दक्षिण भारत के कुल ऐड वॉल्यूम में स्थिरता यह दर्शाती है कि, चुनौतियों के बावजूद, क्षेत्रीय प्रिंट मीडिया विज्ञापनदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम बना हुआ है। खासतौर पर FMCG, रिटेल और रियल एस्टेट जैसे सेक्टर अब भी स्थानीय स्तर पर उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिए प्रिंट विज्ञापन पर निवेश कर रहे हैं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

विष्णु शर्मा की नई किताब ‘कांग्रेस प्रेसिडेंट्स फाइल्स' का लोकार्पण आज

दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में रविवार को दोपहर ढाई बजे हॉल नंबर दो के लेखक मंच पर इस किताब का औपचारिक लोकार्पण होगा।

Samachar4media Bureau by
Published - Sunday, 09 February, 2025
Last Modified:
Sunday, 09 February, 2025
Congress Presidents Files

लेखक और पत्रकार विष्णु शर्मा की नई किताब ‘कांग्रेस प्रेसिडेंट्स फाइल्स' यूं तो आते ही चर्चा में थी लेकिन उसका औपचारिक लोकार्पण नहीं हुआ था, जो अब विश्व पुस्तक मेले के आख़िरी दिन यानी 9 फरवरी को होने जा रहा है। रविवार को दोपहर ढाई बजे हॉल नंबर दो के लेखक मंच पर इस किताब का औपचारिक लोकार्पण होगा। इस कार्यक्रम में तीन विशेष अतिथि अनुज धर, प्रखर श्रीवास्तव और अशोक श्रीवास्तव मंच पर होंगे।

कार्यक्रम के संचालन की बागडोर पत्रकार व लेखक नीरज बधवार को सौंपी गई है, जिनकी व्यंग्य पर लिखी गई किताबें ‘हम सब फ़ेक हैं’ और ‘बातें कम स्कैम ज़्यादा’बेस्ट्सेलर रह चुकी हैं। नेताजी बोस के गायब होने में रहस्य पर कई किताबें लिख चुके अनुज धर की एक किताब शास्त्री जी की मौत के रहस्य पर भी आ चुकी है। वहीं, श्रीवास्तव ब्रदर्स के नाम से मशहूर प्रखर और अशोक डीडी न्यूज़ के जाने माने चेहरे हैं।

प्रखर श्रीवास्तव की बुक ‘हे राम’ के कई संस्करण आ चुके हैं। वहीं अशोक श्रीवास्तव अपने डिबेट शो ‘दो टूक’ से काफी लोकप्रिय हो चुके हैं। हाल ही में आई उनकी बुक ‘मोदी Vs ख़ान मार्केट गैंग’ सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है।

लेखक विष्णु शर्मा भी अपनी किताबों इंदिरा फाइल्स, इतिहास के 50 वायरल सच, गुमनाम नायकों की गौरवशाली गाथाओं के लिए जाने जाते हैं। वह नीलेश मिश्रा के रेडियो शो के लिए कहानियां भी लिख चुके हैं। वह फिल्म समीक्षक भी हैं। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर जी म्यूजिक से आये उनके गीत को अनु मलिक ने  कंपोज़ किया था, जिस पर हजारों रील्स बनी थीं।

2025 की शुरुआत भी विष्णु शर्मा ने 26 जनवरी को अपना नया गीत रिलीज़ करके की है। संविधान के 75 साल पूरा होने पर ‘ये संविधान है‘ गीत जी म्यूजिक ने रिलीज़ किया, इसे भी अनु मलिक ने कंपोज किया है और आवाज़ दिव्य कुमार व अनु मलिक ने दी है।

उनकी किताब ‘कांग्रेस प्रेसिडेंट फ़ाइल्स’जाने-माने प्रकाशक प्रभात प्रकाशन ने छापी है और यह किताब गांधी जी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने से पहले के अध्यक्षों से जुड़ी तमाम दिलचस्प कहानियां बताती है, जिनमें से कई आज की पत्रकार पीढ़ी के लिए हैरतअंगेज साबित होंगी। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए