IRS: इन बड़ी वजहों से लगातार सफलता की इबारत लिख रहा दैनिक जागरण

पिछले दिनों 'मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल' (MRUC) द्वारा ‘इंडियन रीडरशिप सर्वे 2019’ की चौथी तिमाही (IRS 2019 Q4) के डाटा जारी किए गए हैं।

Last Modified:
Friday, 22 May, 2020
Dainik Jagran


पिछले दिनों 'मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल' (MRUC) द्वारा ‘इंडियन रीडरशिप सर्वे 2019’ की चौथी तिमाही (IRS 2019 Q4) के डाटा जारी किए गए हैं। यह रिपोर्ट इंडियन रीडरशिप सर्वे 2019 की पिछली तिमाही यानी पहली (Q1), दूसरी (Q2) और तीसरी तिमाही (Q3) के जारी किए गए डाटा पर आधारित है, जिसकी औसतन रिपोर्ट के बाद चौथी तिमाही के नतीजे तैयार किए गए हैं।

आइआरएस के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देशभर के छह करोड़ 87 लाख पाठकों, जिनमें अकेले उत्तर प्रदेश के ही 3.9 करोड़ पाठक शामिल हैं, ने दैनिक जागरण को अपना पसंदीदा अखबार बताया है। सर्वे में दैनिक जागरण लगातार पूरे देश के समाचार पत्रों में शीर्ष पर बना हुआ है। देश में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबारों की लिस्ट में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से दैनिक जागरण की कुल रीडरशिप (total readership) 30 प्रतिशत ज्यादा बनी हुई है।  

‘आईपीजी मीडियाब्रैंड्स इंडिया’ (IPG Mediabrands India) के सीईओ शशि सिन्हा के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में हिंदी मार्केट में दैनिक जागरण की काफी ग्रोथ हुई है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे मार्केट में जहां साक्षरता दर बढ़ी है और इसलिए वहां अखबार की रीडरशिप में भी इजाफा हुआ है।

सिन्हा का कहना है, ‘जागरण ने भी नए पाठकों पर काफी निवेश किया है। देश में अखबारों का कवर मूल्य इतना कम है कि कई बार अखबार सर्कुलेशन बंद हो जाता है, क्योंकि जब तक आपके पास स्थिर विज्ञापन रेवेन्यू नहीं होता है, तब आप जितनी बिक्री करते हैं, उतना ही आपको नुकसान होता है। दूसरों के विपरीत जागरण का सर्कुलेशन सिर्फ बढ़ा है,इसकी वजह से रीडरशिप भी बढ़ी है और उन्हें अपनी टॉप पोजीशन पर रहने में मदद मिली है।’

इस बारे में ‘जागरण प्रकाशन’ के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट (स्ट्रैटेजी, ब्रैंड और बिजनेस डेवलपमेंट) बसंत राठौड़ का कहना है, ‘पाठकों के लिए क्वालिटी कंटेंट तैयार करने पर किए गए मजबूत फोकस ने रीडरशिप की लिस्ट में नंबर वन रहने में मदद की है।’  उनका कहना है, ‘दैनिक जागरण के सात सरोकार इसकी एडिटोरियल पॉलिसी का हिस्सा है। ये सात सरोकार गरीबी उन्मूलन, स्वस्थ समाज, सुशिक्षित समाज, महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण और जनसंख्या नियोजन हैं। इन सरोकारों पर काम करने से लोगों से भावनात्मक जुड़ाव मजबूत होता है।’

आईआरएस की चौथी तिमाही के आंकड़ों के अनुसार, दैनिक जागरण न सिर्फ टोटल रीडरशिप (Total Readership) बल्कि एवरेज इश्यू रीडरशिप (average issue readership) में भी नंबर वन है। चौथी तिमाही में इस अखबार की एवरेज इश्यू रीडरशिप 16872000 पर पहुंच गई है। पिछले दो सर्वे (IRSs of 2017 और 2019) के दौरान अखबार की रीडरशिप लगातार 6.8 करोड़ और सात करोड़ रही है।

राठौड़ का कहना है, ‘दैनिक जागरण अपने सात सरकारों के साथ काफी बेहतर कंटेंट पाठकों को उपलब्ध कराता है। इसमें स्वास्थ्य से जुडे कॉलम के अलावा युवाओं पर केंद्रित सप्लीमेंट भी शामिल हैं, जिसमें रोजगार के अवसरों के बारे में भी बताया जाता है, इसके अलावा महिला पाठकों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए भी कंटेंट उपलब्ध कराया जाता है।’ विशेषज्ञों का कहना है कि अखबार की इतनी ज्यादा पाठक संख्या के कारण ही एडवर्टाइजर्स के लिए इसे नजरअंदाज करना काफी मुश्किल होता है। इसके अलावा कई अन्य कारक भी इसके पक्ष में काम करते हैं।

‘पीएचडी मुंबई’ (PHD Mumbai) के वाइस प्रेजिडेंट दिनेश व्यास के अनुसार, ‘दैनिक जागरण की रीडरशिप में लगातार वृद्धि इस तथ्य को दर्शती है कि लोकल कंटेंट ही किंग है, खासकर हिंदी भाषी मार्केट में। 11 राज्यों में 37 एडिशंस इसकी टोटल रीडरशिप में योगदान दे रहे हैं। इसके अलावा यह उचित मूल्य पर उलब्ध है, जिसका लाभ भी पाठकों को मिल रहा है। दैनिक जागरण डिस्ट्रीब्यूटर्स के द्वारा अपने ग्राहकों के आवास या कार्यालयों से पुराने अखबारों को रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित करने के लिए इकट्ठा करने का काम भी करता है, जिसमें मासिक सब्सक्रिप्शन पर छूट मिलती है।’

व्यास का कहना है, ‘यह अखबार कई सालों से चल रहा है और पाठकों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए यह सप्लीमेंट्स दे रहा है। पुरुष हो अथवा महिला, यह परिवार के सभी सदस्यों के लिए उनकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बेहतर कंटेंट उपलब्ध करा रहा है।’ विज्ञापन के मुद्दे पर व्यास ने कहा कि अखबार स्थानीय विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करता है, जिसमें छोटे एंटरप्रिन्योर्स से लेकर स्थानीय दुकानदार शामिल है, जो स्थानीय सप्लीमेंट्स में अपना विज्ञापन प्रकाशित करवाना चाहते हैं। इसके अलावा हिंदी भाषी मार्केट में इसकी ज्यादा रीडरशिप को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर के एडवर्टाइजर्स भी अपने विज्ञापन देते हैं।

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वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर फिर ‘अमर उजाला’ समूह से जुड़े, निभाएंगे बड़ी भूमिका

राजकिशोर करियर के शुरुआती दौर में ‘अमर उजाला‘ के साथ कानपुर में बतौर चीफ रिपोर्टर काम कर चुके हैं। इसके साथ ही वह वर्ष 2000 में ‘अमर उजाला‘ की पंजाब और हरियाणा लॉन्चिंग टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 06 September, 2025
Last Modified:
Saturday, 06 September, 2025
Rajkishor Amar Ujala

वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर के बारे में खबर है कि वह एक बार फिर ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) समूह के साथ जुड़ गए हैं। विश्वसनीय सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, राजकिशोर ने यहां पर बतौर सीनियर पॉलिटिकल एडिटर जॉइन किया है। अपनी इस भूमिका में वह नेशनल से जुड़े पॉलिटिकल मामले कवर करेंगे और प्रिंट व डिजिटल दोनों में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे।  

बता दें कि वर्तमान में ‘बुलंद भारत टीवी’ (Buland Bharat TV) नाम से अपना डिजिटल प्लेटफॉर्म चला रहे राजकिशोर की ‘अमर उजाला’ के साथ यह पहली पारी नहीं है। करीब दो दशक से सक्रिय पत्रकारिता कर रहे राजकिशोर करियर के शुरुआती दौर में ‘अमर उजाला‘ के साथ कानपुर में बतौर चीफ रिपोर्टर काम कर चुके हैं। इसके साथ ही वह वर्ष 2000 में ‘अमर उजाला‘ की पंजाब और हरियाणा लॉन्चिंग टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं।

करीब दो साल पहले ‘बुलंद भारत टीवी’ से पूर्व राजकिशोर ‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) की डिजिटल विंग में बतौर मैनेजिंग एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। दैनिक भास्कर से पहले राजकिशोर यूएस-यूके आधारित थिंकटैंक 'ग्लोबल पॉलिसी इनसाइट्स' (जीपीआई) के इंडिया चैप्टर में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे। साथ ही साथ वह इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल चैनल 'न्यूजतक' में कंसल्टेंट की भूमिका भी निभा रहे थे।

जाने-माने पत्रकार राजकिशोर ने मई 2016 में ‘एबीपी न्यूज‘ (ABP News) में बतौर पॉलिटिकल एडिटर जॉइन किया था। 2019 में उन्होंने 'एबीपी गंगा' को बतौर एडिटर लॉन्च कराया था। 2021 में 'एबीपी गंगा' छोड़कर वह एबीपी ग्रुप में एडिटर-एट-लॉर्ज बन गए। 

‘एबीपी न्यूज‘ से पहले राजकिशोर देश के बड़े हिंदी अखबारों में शामिल ‘दैनिक जागरण‘ से जुड़े हुए थे, जहां वह नेशनल चीफ ऑफ ब्यूरो के पद पर कार्यरत थे। ‘दैनिक जागरण‘ में 15 राज्यों के 42 संस्करणों के लिए राष्ट्रीय ब्यूरो का नेतृत्व करने वाले राजकिशोर न सिर्फ 15 राज्यों के स्टेट यूनिट्स के साथ समन्वय का काम देखते थे, साथ ही दैनिक जागरण के नेशनल इनपुट प्लान से लेकर जागरण डॉट कॉम, नई दुनिया तक के लिए नेशनल इश्यूज की खबरों को जुटाने वाली पूरे नेशनल ब्यूरो की अगुआई करते थे। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक विस्तृत इंटरव्यू भी कर चुके हैं, जो हिंदी मीडिया में पीएम का पहला इंटरव्यू था।

राजकिशोर ने 2003 में ‘दैनिक जागरण‘ जॉइन किया था। यहां के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पीएमओ, बीजेपी, संघ परिवार, प्रेजिडेंट हाउस, कांग्रेस, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय समेत कई बीट्स पर काम किया है।

समाचार4मीडिया की ओर से राजकिशोर को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।  

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GST में कटौती से प्रिंट मीडिया और एजेंसीज में लौटी उम्मीदों की नई लहर

सरकार ने हाल में GST में कटौती की घोषणा की है, जिसके चलते ये माना जा रहा है कि त्योहारों के समय विज्ञापन बाजार में फिर से तेजी देखने को मिलेेगी।

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Published - Friday, 05 September, 2025
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Friday, 05 September, 2025
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चहनीत कौर, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।

सरकार ने हाल में GST में कटौती की घोषणा की है, जिसके चलते ये माना जा रहा है कि त्योहारों के समय विज्ञापन बाजार में फिर से तेजी देखने को मिलेेगी। टैक्स का बोझ कम होने और मार्जिन सुधरने से विज्ञापनदाताओं का आत्मविश्वास लौटेगा। वैसे भी प्रिंट पब्लिशर्स कई सालों में सबसे अच्छे त्योहारी सीजन की तैयारी कर रहे हैं। 

उपभोक्ता पक्ष के आंकड़े भी इस उम्मीद को मजबूत कर रहे हैं। जियोस्टार फेस्टिव सेंटिमेंट सर्वे के मुताबिक, 92 फीसदी भारतीय इस साल त्योहारी खर्च को बनाए रखने या बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। प्रति व्यक्ति औसत खर्च करीब 16,500 रुपये रहने का अनुमान है। यह आंकड़े विज्ञापनदाताओं को निवेश बढ़ाने की नींव देते हैं, खासकर भरोसेमंद माध्यम जैसे प्रिंट में।

इस बीच TAM AdEx डेटा दिखाता है कि प्रिंट विज्ञापनों में दीवाली का सबसे ज्यादा दबदबा है, जो 28 फीसदी हिस्सेदारी रखती है। इसके बाद नवरात्रि/दुर्गापूजा 21 फीसदी और क्रिसमस/नए साल के विज्ञापन 15 फीसदी पर हैं।

विज्ञापनदाताओं का मनोबल बढ़ा

प्रचार कम्युनिकेशंस के मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश जैन ने कहा कि GST सुधारों से विज्ञापनदाताओं का मनोबल काफी बढ़ा है। उन्होंने कहा, “पहले हालात अच्छे नहीं थे क्योंकि उपभोक्तावाद कमजोर पड़ रहा था, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर दिख रहा था। लेकिन हाल की GST कटौतियों ने नई उम्मीद जगाई है और मुझे भरोसा है कि इससे कारोबार में मजबूती आएगी।” उन्होंने आगे कहा कि उनकी एजेंसी का कारोबार इस साल पिछले साल से “100 फीसदी बेहतर” रहने की उम्मीद है।

जगरण प्रकाशन के वाइस प्रेजिडेंट और दैनिक जगरण-इननेक्स्ट के नेशनल सेल्स मार्केटिंग हेड अनिर्बन बागची ने भी यही बात दोहराई। उन्होंने कहा कि विज्ञापन गतिविधियां पहले से ही नजर आने लगी हैं। “हमें उम्मीद है कि GST 2.0 सुधारों के बाद उपभोक्ता भावनाएं तेजी से सुधरेंगी और विज्ञापनदाता बजट को असरदार तरीके से तय करेंगे। इस बार त्योहारी विज्ञापन में डबल-डिजिट ग्रोथ की संभावना है। विज्ञापनदाताओं का उत्साह समय से पहले बुकिंग और ज्यादा विज्ञापन आवृत्ति में साफ दिखाई दे रहा है।”

हालांकि सभी पूरी तरह आशावादी नहीं हैं। नेक्सस एलायंस ऐडवर्टाइजिंग एंड मार्केटिंग के संस्थापक जोगेश भूटानी ने कहा, “प्रिंट सेक्टर के लिए हालात मिले-जुले रहेंगे। अगर GST में बदलाव नहीं हुए होते तो तस्वीर काफी निराशाजनक होती। ऑटोमोबाइल और एफएमसीजी जैसे सेक्टर दबाव में हैं और रिटेल, परिधान, खाद्य व किराना सेक्टर भी बहुत सक्रिय नहीं रहे। लेकिन GST कटौती से क्लाइंट्स खर्च करने को और तैयार होंगे, जो हौसला बढ़ाने वाला है।”

प्रिंट बना भरोसेमंद माध्यम

जैसे-जैसे ब्रैंड त्योहारी बजट बढ़ा रहे हैं, प्रिंट एक भरोसेमंद और बड़े पैमाने पर पहुंच बनाने वाले माध्यम के रूप में फिर से अपनी जगह बना रहा है, खासकर क्षेत्रीय बाजारों में।

जगरण प्रकाशन उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में अपनी मजबूत मौजूदगी के साथ रिटेल, ऑटो, ज्वेलरी, एफएमसीजी, रियल एस्टेट, मोबाइल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे कैटेगरी पर ध्यान दे रहा है। बागची ने कहा, “इस त्योहारी सीजन में प्रिंट ही मुख्य माध्यम रहेगा।”

एजेंसीज के लिए प्रिंट अभी भी ट्रेड-ड्रिवेन सेगमेंट में खास बढ़त रखता है। जैन ने कहा, “प्रिंट मीडिया ट्रेड और खासकर पुरुष उपभोक्ताओं के लिए बहुत असरदार है, इसलिए जब हम पुरुष-केंद्रित उत्पादों पर काम करते हैं तो हमेशा इसे रणनीति में शामिल करते हैं। जब लक्ष्य ट्रेड को बढ़ाना हो, तो प्रिंट सबसे सही विकल्प है।”

केरल में त्योहारी कैलेंडर ओणम से शुरू होता है और इस बार का सीजन विज्ञापन मांग की मजबूती को पहले ही साबित कर चुका है। मलयाला मनोरमा के वर्गीस चैंडी ने कहा, “ओणम यहां का सबसे बड़ा त्योहार है और पूरे उद्योग की नजरें इस पर रहती हैं। हर ब्रैंड सक्रिय है और सफलता की कहानी का इंतजार कर रहा है।” उन्होंने बताया कि प्रीमियम स्पेस पहले ही बुक हो गए थे। “ओणम के लिए हमारे जैकेट विज्ञापन साल की शुरुआत में ही पूरे भर गए थे। त्योहारों में इन्वेंटरी की समस्या रहती है।”

विज्ञापन दरों पर मतभेद

त्योहारी बजट बढ़ने के बावजूद प्रिंट विज्ञापन दरों में इजाफे पर राय बंटी हुई है।

चैंडी का कहना है कि दाम बढ़ाने की गुंजाइश नहीं है। “त्योहारी सीजन में प्रिंट विज्ञापनों की दरें कभी नहीं बढ़तीं। अब दाम तय करने में सप्लाई-डिमांड का समीकरण काम नहीं करता।”

दूसरी ओर, जगरण के बागची का मानना है कि प्रीमियम स्पॉट्स पर बढ़ोतरी संभव है। “जैसे-जैसे इन्वेंटरी भरती जाएगी, हम हाई-इम्पैक्ट पोजिशन और इनोवेशन की दरों में इजाफा देख सकते हैं।”

एजेंसियां हालांकि सतर्क हैं। जैन ने कहा, “मुझे विज्ञापन दरों में किसी बड़ी बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। वॉल्यूम पिछले साल जैसा या उससे बेहतर रहेगा, लेकिन दाम बढ़ने की संभावना नहीं है।”

भूटानी भी सहमत दिखे और कहा, “जैकेट और कवर जैसे प्रीमियम स्पॉट भी बेचना मुश्किल हो सकता है। मुझे प्रिंट विज्ञापन दरों में बढ़ोतरी नहीं दिख रही। बड़े प्रकाशनों के लिए भी इन स्पेस को बेचना चुनौतीपूर्ण रहेगा। बाजार कठिन है और दाम बढ़ाने की संभावना नहीं है।”

पिछले साल के आंकड़े बताते हैं कि प्रिंट को कितनी जमीन फिर से हासिल करनी है। TAM AdEx डेटा दिखाता है कि 2024 के त्योहारी सीजन में प्रिंट विज्ञापन वॉल्यूम पिछले साल से 4 फीसदी कम थे, हालांकि नवरात्रि में 2 फीसदी की बढ़त दिखी थी। प्रिंट का इस्तेमाल करने वाले विज्ञापनदाता और कैटेगरी भी क्रमशः 5 फीसदी और 7 फीसदी घट गए थे।

रणनीति और आगे की तस्वीर

प्रकाशक और एजेंसियां GST सुधारों से बने सकारात्मक माहौल के अनुरूप अपनी रणनीतियां बना रही हैं।

मलयाला मनोरमा ने पहले से योजना बनाने और क्लाइंट-फर्स्ट इन्वेंटरी मैनेजमेंट पर जोर दिया है। चैंडी ने कहा, “रणनीतियों में इन्वेंटरी को इस तरह मैनेज करना शामिल है कि क्लाइंट्स संतुष्ट रहें, पहले से तैयारी हो और कई कस्टमाइज्ड एक्टिवेशन ऑफर किए जाएं।”

जगरण एकीकृत त्योहारी पैकेज ला रहा है, जिसमें प्रिंट के साथ डिजिटल और हाइपर-लोकल एक्टिवेशन जोड़े जा रहे हैं, ताकि विज्ञापनदाताओं की समग्र कैंपेन की मांग पूरी हो सके। अनिर्बन ने कहा, “हम ऐसे कई खास त्योहारी पैकेज पेश कर रहे हैं जो विज्ञापनदाताओं की समग्र सोच से मेल खाते हैं।”

एजेंसियां GST से सुधरे ट्रेड माहौल का फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं। जैन ने कहा, “हमारी रणनीति GST सुधारों को ट्रेड बढ़ाने में इस्तेमाल करने की है। ट्रेड ऑडियंस तक पहुंचने के लिए प्रिंट सबसे सही माध्यम है।”

भूटानी ने हालांकि कहा कि तरीक़ा लगभग पारंपरिक ही रहेगा। “प्रिंट विज्ञापन अभी भी काफी हद तक एक कॉमोडिटी की तरह है। फोकस बेहतर दाम पर असरदार पैकेज तैयार करने पर होगा। इनोवेशन रुक गया है और मुझे इस साल कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखता।”

GST राहत से विज्ञापनदाताओं का भरोसा बढ़ा है और प्रिंट पब्लिशर्स एक अच्छे मौके पर खड़े हैं। ओणम ने मजबूत शुरुआत दी है, दिवाली की बुकिंग्स रफ्तार पकड़ रही हैं और ऑटो से लेकर ज्वेलरी तक सभी कैटेगरी खर्च बढ़ाने को तैयार हैं।

भले ही विज्ञापन दरों पर दबाव बना रहे, लेकिन नीतिगत समर्थन, क्षेत्रीय मजबूती और उपभोक्ता उत्साह का मेल यह संकेत दे रहा है कि 2025 का त्योहारी क्वार्टर प्रिंट विज्ञापन के लिए हाल के वर्षों में सबसे मजबूत साबित हो सकता है। 

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FY25 में HT मीडिया का शानदार प्रदर्शन, कंपनी को हुआ लाभ

एचटी मीडिया ने वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) में अपने प्रदर्शन में बड़ा सुधार दर्ज किया है। कंपनी ने FY24 में दर्ज किए गए ₹92 करोड़ के शुद्ध घाटे से उबरते हुए FY25 में ₹14 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 03 September, 2025
Last Modified:
Wednesday, 03 September, 2025
HTMedia56

एचटी मीडिया ने वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) में अपने प्रदर्शन में बड़ा सुधार दर्ज किया है। कंपनी ने FY24 में दर्ज किए गए ₹92 करोड़ के शुद्ध घाटे से उबरते हुए FY25 में ₹14 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया। यह ₹106 करोड़ का सुधार है, जो विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों में हुई वृद्धि से संभव हुआ।

कंपनी की कुल आय साल-दर-साल आधार पर 7.3% बढ़ी, जो FY24 के ₹1,886 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹2,025 करोड़ हो गई। परिचालन राजस्व 6.5% की वृद्धि के साथ ₹1,695 करोड़ से बढ़कर ₹1,806 करोड़ पर पहुंच गया।

हालांकि, विज्ञापन से होने वाली आय लगभग स्थिर रही और FY24 के ₹1,070.04 करोड़ के मुकाबले FY25 में ₹1,070.7 करोड़ पर रही। दूसरी ओर, गैर-प्रमुख आय स्रोतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। रद्दी, वेस्ट पेपर और पुराने प्रकाशनों की बिक्री से आय FY24 के ₹17.36 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹19.13 करोड़ हो गई।

प्रिंट सेगमेंट सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना रहा, जहां FY25 में राजस्व ₹1,393 करोड़ रहा, जो FY24 के ₹1,386 करोड़ से मामूली अधिक है। रेडियो से आय FY24 के ₹157 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹204 करोड़ पर पहुंच गई। वहीं, डिजिटल सेगमेंट ने सबसे मजबूत प्रदर्शन किया और 37% की छलांग लगाते हुए FY24 के ₹154 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹212 करोड़ पर पहुंच गया।

कंपनी का परिचालन प्रदर्शन भी काफी मजबूत रहा। EBITDA साल-दर-साल 58% बढ़कर FY24 के ₹118 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹187 करोड़ हो गया। वहीं, मूल्यह्रास और अमूर्त संपत्ति व्यय 17% घटकर FY24 के ₹119 करोड़ से कम होकर FY25 में ₹98 करोड़ रह गया। कुल खर्च FY24 के ₹1,964 करोड़ से मामूली बढ़कर FY25 में ₹2,003 करोड़ हो गया। हालांकि, विज्ञापन और बिक्री पर होने वाला खर्च FY24 के ₹124.5 करोड़ से दोगुने से अधिक बढ़कर FY25 में ₹233 करोड़ हो गया।

एचटी मीडिया की चेयरपर्सन और एडिटोरियल डायरेक्टर शोभना भरतिया ने इस मजबूत प्रदर्शन का श्रेय दक्षता उपायों और विभिन्न कारोबारों की मजबूती को दिया। उन्होंने कहा, “साल की शुरुआत में बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें राष्ट्रीय चुनावों से पहले आचार संहिता लागू होने के दौरान विज्ञापन माहौल का सुस्त रहना भी शामिल था। इसके बावजूद हमने साल का समापन उच्च राजस्व और बेहतर लाभप्रदता के साथ किया, जहां सभी कारोबारों ने कुल प्रदर्शन में सार्थक योगदान दिया। हमारा प्रदर्शन मूल्य निर्धारण अनुशासन, लागत प्रबंधन, बेहतर परिचालन दक्षता और अनुकूल कमोडिटी लागत चक्र के मेल का नतीजा रहा।”

प्रिंट सेगमेंट को लेकर भरतिया ने कहा कि राजस्व स्थिर रहा, लेकिन लाभप्रदता में उल्लेखनीय सुधार हुआ, जो कम समाचार प्रिंट कीमतों और सावधानीपूर्ण लागत नियंत्रण के चलते संभव हुआ। उन्होंने आगे कहा, “हमारे प्रमुख दैनिक हिन्दुस्तान टाइम्स, हिन्दुस्तान और मिं ने संपादकीय नेतृत्व जारी रखा और पाठकों का विश्वास बनाए रखा। इन ब्रैंड्स के डिजिटल विस्तार ने भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जिससे हमारी सामग्री अधिक और विविध पाठक वर्ग तक पहुंच रही है।”

डिजिटल और रेडियो कारोबारों की मजबूत वृद्धि तथा प्रिंट के स्थिर प्रदर्शन के साथ, एचटी मीडिया का यह सुधार विविधीकरण और अनुशासित कार्यान्वयन के लाभ को दर्शाता है। 

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करुणेश बजाज चुने गए 'ABC' के नए चेयरमैन, मोहित जैन संभालेंगे डिप्टी चेयरमैन की जिम्मेदारी

हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ने कुछ दिनों पहले ही सबसे पहले खबर दी थी कि करुणेश बजाज और मोहित जैन को ‘एबीसी’ में उक्त जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं।

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Published - Tuesday, 02 September, 2025
Last Modified:
Tuesday, 02 September, 2025
ABC Election

‘आईटीसी लिमिटेड’ (ITC Limited) में मार्केटिंग व एक्सपोर्ट्स के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट करुणेश बजाज को साल 2025-26 के लिए ‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशंस’ (ABC) का नए चेयरमैन चुना गया है। इसके साथ ही बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर और बोर्ड मेंबर मोहित जैन को डिप्टी चेयरमैन चुना गया है।

मुंबई में ‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशंस’ की वार्षिक आम बैठक (AGM) में हुए चुनाव में यह फैसला लिया गया। बता दें कि हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ने कुछ दिनों पहले ही सबसे पहले खबर दी थी कि करुणेश बजाज और मोहित जैन को ‘एबीसी’ में उक्त जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं।

यह भी पढ़ें: ITC के करुणेश बजाज बन सकते हैं ABC के नए चेयरमैन, BCCL के मोहित जैन होंगे वाइस चेयरमैन

बजाज वर्तमान चेयरमैन रियाद मैथ्यू, जो मलयाला मनोरमा ग्रुप के चीफ एसोसिएट एडिटर और डायरेक्टर हैं, की जगह लेंगे। बजाज एक अनुभवी बिजनेस लीडर हैं, जिन्हें दो दशकों से अधिक का इंडस्ट्री अनुभव है। मार्केटिंग इनसाइट और बिजनेस अक्यूमेन के दुर्लभ संयोजन के कारण उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मोहित जैन भी टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप से बीते दो दशकों से जुड़े हुए हैं। इससे पहले उन्होंने जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर और Huhtamaki में काम किया है। समय के साथ उन्होंने रणनीतिक समझ और मीडिया बिजनेस की गहरी जानकारी के लिए मजबूत प्रतिष्ठा अर्जित की है।

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Variety नवंबर 2025 में लॉन्च करेगा भारतीय संस्करण

ग्लोबल एंटरटेनमेंट न्यूज पब्लिकेशन 'वैरायटी' (Variety) आधिकारिक तौर पर भारतीय बाजार में प्रवेश कर रहा है।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 02 September, 2025
Last Modified:
Tuesday, 02 September, 2025
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ग्लोबल एंटरटेनमेंट न्यूज पब्लिकेशन 'वैरायटी' (Variety) आधिकारिक तौर पर भारतीय बाजार में प्रवेश कर रहा है। इस खबर को फिल्म ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने एक्स (X) पर एक पोस्ट के माध्यम से साझा किया।

आदर्श ने पोस्ट किया, "वैरायटी (Variety) भारत में प्रवेश कर रहा है – वैरायटी इंडिया की शुरुआत... वैरायटी, जिसे वैश्विक स्तर पर एंटरटेनमेंट बिजनेस न्यूज के सबसे भरोसेमंद और आधिकारिक स्रोत के रूप में जाना जाता है, ने वैरायटी इंडिया लॉन्च करने की घोषणा की है। यह लॉन्च Thursday Tales Publishing Pvt Ltd के साथ साझेदारी में किया जाएगा, जिसका नेतृत्व इंडस्ट्री के दिग्गज सरिता ए. तंवर और गौतम बी. ठक्कर करेंगे।”

भारत में इस संस्करण का मुख्यालय मुंबई में होगा और इसका नेतृत्व सरिता ए. तंवर करेंगी। उन्होंने आगे कहा, “यह फिल्म, टीवी, स्ट्रीमिंग, थिएटर और पॉप कल्चर को आकार देने वाली आवाजों को उजागर करेगा... इसका लॉन्च नवंबर 2025 में होना तय है।”

वैरायटी इंडिया की पूरी संपादकीय और नेतृत्व टीम का अनावरण आने वाले महीनों में किया जाएगा। 

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AIM ने GST काउंसिल को लिखा पत्र, मैगजीन पब्लिशिंग इंडस्ट्री को राहत देने की अपील

एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन्स (AIM) ने GST काउंसिल को पत्र लिखकर मैगजीन पब्लिशिंग इंडस्ट्री की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को रेखांकित किया है

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Published - Tuesday, 02 September, 2025
Last Modified:
Tuesday, 02 September, 2025
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एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन्स (AIM) ने GST काउंसिल को पत्र लिखकर मैगजीन पब्लिशिंग इंडस्ट्री की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को रेखांकित किया है और आगामी GST ढांचे के पुनर्गठन में तात्कालिक सुधारों की मांग की है।

27 अगस्त 2025 को लिखे अपने पत्र में AIM, जो 10 भाषाओं में 200 से अधिक मैगजींस और 40 से अधिक पब्लिशर्स का प्रतिनिधित्व करता है तथा 15 करोड़ भारतीयों तक पहुंचता है, ने सरकार से आग्रह किया कि टैक्स पॉलिसीज को प्रिंट और डिजिटल पब्लिशिंग की बदलती जरूरतों के अनुरूप बनाया जाए।

AIM ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस घोषणा का स्वागत किया जिसमें उन्होंने GST व्यवस्था में व्यापक सुधार का वादा किया था ताकि समानता और व्यवसाय करने में आसानी सुनिश्चित हो सके। हालांकि, एसोसिएशन ने कुछ गंभीर विसंगतियों को भी रेखांकित किया जो इस क्षेत्र को नुकसान पहुंचा रही हैं।

डिजिटल संस्करण पर GST – जहां प्रिंट मैगजीन और समाचारपत्रों को GST से छूट है, वहीं उनके डिजिटल संस्करण पर 18% GST लगता है। AIM ने तर्क दिया कि यह भारत की नॉलेज पर टैक्स न लगाने की पुरानी नीति के खिलाफ है और डिजिटल अपनाने को अनुचित रूप से दंडित करता है, खासकर तब जब पाठक तेजी से ऑनलाइन कंटेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं। AIM ने डिजिटल संस्करणों पर पूर्ण GST छूट की मांग की, ताकि प्रिंट और डिजिटल में समानता लाई जा सके।

न्यूजप्रिंट और लाइट वेट कोटेड (LWC) पेपर पर GST – AIM ने बताया कि न्यूजप्रिंट पर केवल 5% GST है, जबकि मैगजीन में मुख्य रूप से इस्तेमाल होने वाले LWC पेपर पर 12% कर लगाया जाता है, जबकि दोनों प्रकाशन के लिए आवश्यक इनपुट हैं। AIM ने काउंसिल से मांग की कि 70 जीएसएम तक के LWC पर GST पूरी तरह हटा दिया जाए या कम से कम इसे घटाकर 5% कर दिया जाए।

कवर पेपर पर GST – मैगजीन में इस्तेमाल होने वाला मोटा कवर पेपर वर्तमान में वाणिज्यिक पैकेजिंग सामग्री के अंतर्गत वर्गीकृत है और इस पर उच्च दर से कर लगता है। AIM ने मांग की है कि पंजीकृत पब्लिशर्स के लिए इसे या तो GST से मुक्त किया जाए या फिर इसे न्यूजप्रिंट की तरह 5% पर लाया जाए।

इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) – वर्तमान में पब्लिशर्स को केवल अनुपातिक आईटीसी की अनुमति है, क्योंकि प्रसार राजस्व (circulation revenue) पर GST नहीं लगता। AIM ने जोर देकर कहा कि इससे लागत अनुचित रूप से बढ़ जाती है, क्योंकि उत्पादन खर्च प्रसार और विज्ञापन के बीच अलग नहीं किए जा सकते। उसने सभी इनपुट पर पूर्ण आईटीसी की मांग की, चाहे प्रसार राजस्व कर-मुक्त ही क्यों न हो।

एसोसिएशन ने रेखांकित किया कि मैगजीन उद्योग बढ़ती इनपुट लागत, घटती विज्ञापन आय और डिजिटल व्यवधान से जूझ रहा है। ऐसे में एक तर्कसंगत GST ढांचा इस इंडस्ट्री के अस्तित्व और विकास के लिए बेहद अहम है।

प्रतिनिधित्व पर हस्ताक्षर करते हुए AIM के अध्यक्ष अनंत नाथ ने काउंसिल से आग्रह किया कि इन सुधारों पर प्रधानमंत्री की उस दृष्टि के अनुरूप विचार किया जाए, जिसमें उन्होंने एक व्यवसाय-हितैषी और कुशल GST ढांचे की बात कही थी, जो ज्ञान के प्रसार को कमजोर न करे। स्टोरी की तरह लगे?

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‘NBT’ में नमिता जोशी का ‘कद’ बढ़ा, संभालेंगी एक और बड़ी जिम्मेदारी

नमिता फिलहाल सीनियर एडिटर के पद पर कार्यरत हैं और लंबे समय से अखबार के फीचर सप्लीमेंट की कमान संभाल रही हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 29 August, 2025
Last Modified:
Friday, 29 August, 2025
Namita Joshi

हिंदी के प्रमुख अखबारों में शुमार ‘नवभारत टाइम्स’ (NBT) में वरिष्ठ पत्रकार नमिता जोशी का ‘कद’ बढ़ गया है। इसके तहत उन्हें संडे एडिशन का भी हेड बनाया गया है।

मौजूदा संडे एडिटर राजेश मित्तल के रिटायर होने के बाद नमिता यह जिम्मेदारी अगले हफ्ते से संभालेंगी। नमिता फिलहाल सीनियर एडिटर के पद पर कार्यरत हैं और लंबे समय से अखबार के फीचर सप्लीमेंट की कमान संभाल रही हैं। अब वह फीचर समूह के साथ-साथ संडे एनबीटी का भी नेतृत्व करेंगी।

बता दें कि नमिता जोशी का पूरा करियर ‘नवभारत टाइम्स’ से ही जुड़ा रहा है। उन्होंने यहां बतौर ट्रेनी शुरुआत की और धीरे-धीरे अपनी मेहनत व काबिलियत के दम पर अहम पदों तक पहुंची हैं। वह न्यूज डेस्क, फ्रंट पेज और नैशनल पेज जैसी टीमों की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं। एडिट पेज पर भी उन्होंने काफी समय तक काम किया है। पिछले दस वर्षों से वह फीचर टीम की हेड हैं।

महिला मुद्दों पर लगातार लिखते हुए नमिता ने अपनी अलग पहचान बनाई है। अखबार में वह ‘कभी सोचा है…’ नाम से कॉलम लिखती हैं, जिसमें महिलाओं से जुड़े संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय उठाए जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित होने वाली ऑल विमेन बाइक रैली की पूरी रूपरेखा भी वही तैयार करती हैं।

‘एनबीटी’ के चल रहे अभियान ‘बराबरी की भाषा’ को भी नमिता ही लीड कर रही हैं। इस कैंपेन के जरिए प्रोफेशनल शब्दों में महिलाओं के लिए नई शब्दावली गढ़ने की कोशिश की जा रही है। जैसे-सैनिक की महिला पहचान ‘सैनिक़ा’, कलाकार की महिला पहचान ‘कलाकारा’ आदि। इस पहल पर उनके लेख सोशल मीडिया में भी चर्चित रहे हैं।

समाचार4मीडिया की ओर से नमिता जोशी को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं।

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'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने जारी किया नया अंक, गेमिंग इकोसिस्टम में उथल-पुथल पर विस्तृत कवरेज

'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने अपना नवीनतम अंक जारी किया है। यह अंक उस ‘मोड़’ का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जो देश के सबसे गतिशील डिजिटल इंडस्ट्रीज में से एक के सामने आया है।

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Published - Friday, 29 August, 2025
Last Modified:
Friday, 29 August, 2025
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देश की प्रमुख बिजनेस पत्रिका 'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने अपना नवीनतम अंक जारी किया है, जिसमें ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और विनियमन विधेयक 2025 के पारित होने के बाद भारत के गेमिंग इकोसिस्टम को झकझोर देने वाले बदलावों पर विस्तृत रिपोर्ट शामिल है। यह अंक उस ‘मोड़’ का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जो देश के सबसे गतिशील डिजिटल इंडस्ट्रीज में से एक के सामने आया है।

गेमिंग इंडस्ट्री की घेराबंदी 

इस अंक की कवर स्टोरी बताती है कि किस तरह संसद के निर्णय ने रियल मनी गेम्स- जैसे रम्मी, पोकर और फैंटेसी स्पोर्ट्स को प्रतिबंधित करके भारत के गेमिंग परिदृश्य की रूपरेखा ही बदल दी। विश्लेषण दर्शाता है कि किस तेजी से यह विधेयक पारित हुआ और सिर्फ 72 घंटों में दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई, जिससे Dream11, MPL, Gameskraft, Zupee, WinZO और PokerBaazi जैसी दिग्गज कंपनियों के संचालन तुरंत ठप हो गए।
यह केवल एक नियामक बदलाव नहीं बल्कि पूरे इंडस्ट्री की रीसेटिंग है। हम उन प्लेटफॉर्म्स के टूटने के गवाह हैं, जो करोड़ों भारतीयों के लिए घरेलू नाम और सांस्कृतिक पहचान बन चुके थे।

आर्थिक असर का आकलन

आर्थिक विश्लेषण इस कानून की मानवीय कीमत को सामने लाता है। 250 मिलियन उपभोक्ताओं को अचानक अपने पसंदीदा गेमिंग प्लेटफॉर्म से अलग कर दिया गया। वित्तीय नुकसान ने भारत के निवेश परिदृश्य को गहराई तक प्रभावित किया, जिसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के ₹65,000 करोड़ एक ही विधायी कदम में मिटा दिए गए।

सबसे स्पष्ट असर विज्ञापन क्षेत्र पर पड़ा, जहां ₹10,000 करोड़ का वार्षिक बाजार पूरी तरह मिट जाने के कगार पर है। यह उथल-पुथल ₹4,500 करोड़ के गेमिंग विज्ञापन इकोसिस्टम में फैल गई है, जिससे मशहूर हस्तियों- एमएस धोनी, विराट कोहली, शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन के लिए तुरंत अनुबंधीय संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि अब उनके हाई-प्रोफाइल एसोसिएशन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के साथ कानूनी रूप से असंभव हो गए हैं।अस

इस नए अंक की जांच यह उजागर करती है कि प्रतिबंध ने कैसे गेमिंग कंपनियों से कहीं आगे तक संकट को फैला दिया है। डिजिटल विज्ञापन दिग्गज Google, YouTube और Meta भी भारी राजस्व प्रभाव के लिए तैयार हो रहे हैं, क्योंकि उनके विज्ञापन इन्वेंट्री का बड़ा हिस्सा गेमिंग-प्रेरित खर्च पर निर्भर है।

नियामक जटिलताएं

अंक में संतुलित कवरेज है, जिसमें केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस बयान को शामिल किया गया है कि यह कानून ‘उपभोक्ताओं की रक्षा करने, युवाओं को सुरक्षित रखने और लत व धोखाधड़ी के खतरे को समाप्त करने की एक निर्णायक पहल है।’ साथ ही, इसमें इंडस्ट्री की उन चिंताओं की भी चर्चा की गई है, जो प्रतिबंध की अनुपातिकता पर सवाल उठाती हैं।

विश्लेषण इंडस्ट्री की इस केंद्रीय चेतावनी पर भी प्रकाश डालता है कि ‘प्रतिबंध शायद ही कभी मांग को समाप्त करता है, यह उसे केवल भूमिगत ले जाता है।’ इससे यह सवाल उठता है कि कहीं यह बदलाव उपभोक्ता सुरक्षा के सरकार के घोषित उद्देश्यों को कमजोर न कर दे, क्योंकि लोग अब असं regulated या ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स की ओर रुख कर सकते हैं।

अंक में यह भी विस्तार से बताया गया है कि विधेयक किस तरह निषिद्ध रियल मनी वाले फॉर्मेट और अनुमेय श्रेणियों- जैसे ईस्पोर्ट्स और कैजुअल गेम्स के बीच अंतर करता है। यह carve-out (इंडस्ट्री के एक हिस्से को अलग कर देना), जहां नए विकास मार्ग खोल सकता है, वहीं इंडस्ट्री के सामने वर्गीकरण और अनुपालन को लेकर बड़ी जटिलताएं भी खड़ी करता है।

फिनटेक की सफलता से सबक

अंक गेमिंग इंडस्ट्री की नियामक चुनौतियों की तुलना फिनटेक सेक्टर के सफल विकास से करता है। फिनटेक उदाहरण बताता है कि कैसे वह इंडस्ट्री उपभोक्ता सुरक्षा और इनोवेशन के बीच प्रभावी संतुलन स्थापित करने में कामयाब रहा। जैसे ही भारत का गेमिंग इंडस्ट्री अपनी नई हकीकत से जूझ रहा है, फिनटेक मॉडल नियामकों, इंडस्ट्री और उपभोक्ता समर्थकों के बीच रचनात्मक संवाद का सबक देता है। लेकिन यह अभी भी खुला सवाल है कि क्या ऐसे सहयोगी दृष्टिकोण गेमिंग संकट में लागू हो सकते हैं।

'BW बिजनेसवर्ल्ड' का यह नया अंक डिजिटल और प्रिंट दोनों फॉर्मैट में उपलब्ध है। इसके डिजिटल संस्करण में और गहरी जानकारियाँ और पूरी रिपोर्ट पढ़ी जा सकती हैं।

'BW बिजनेसवर्ल्ड' के बारे में

44 साल की विरासत के साथ 'BW बिजनेसवर्ल्ड' भारत का सबसे तेजी से बढ़ता 360-डिग्री बिजनेस मीडिया हाउस है। 23 विशेष व्यावसायिक समुदायों और 10 मैगजीन के नेटवर्क के साथ, यह घरेलू और वैश्विक वर्टिकल्स में सक्रिय है, जहां सम्मेलन और मंच आयोजित करके व्यावसायिक नेताओं के बीच संवाद और सहयोग का अनुकूल माहौल बनाया जाता है। BW के सभी अंक डिजिटल रूप से भी उपलब्ध हैं, जिनमें ऑनलाइन और वीडियो स्टोरीज शामिल होती हैं, और हर अंक का ई-मैगजीन भी मिलता है।

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प्रिंट मीडिया की तिमाही रिपोर्ट: विज्ञापन से राहत, सर्कुलेशन पर चिंता बरकरार

देश की शीर्ष प्रिंट मीडिया कंपनियों ने Q1 FY26 में मिश्रित प्रदर्शन दर्ज किया, जिसने यह दर्शाया कि एक ओर विज्ञापन मांग में मजबूती रही तो दूसरी ओर प्रसार पर लगातार बने ढांचागत दबाव ने चुनौती पेश की।

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Published - Friday, 29 August, 2025
Last Modified:
Friday, 29 August, 2025
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चहनीत कौर, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।

देश की शीर्ष प्रिंट मीडिया कंपनियों ने Q1 FY26 में मिश्रित प्रदर्शन दर्ज किया, जिसने यह दर्शाया कि एक ओर विज्ञापन मांग में मजबूती रही तो दूसरी ओर प्रसार पर लगातार बने ढांचागत दबाव ने चुनौती पेश की। जहां कुछ हिस्सों में विज्ञापन मजबूत रहा, वहीं सब्सक्रिप्शन राजस्व पर दबाव बना रहा, जो बदलते कंजप्शन पैटर्न के बीच पाठकों से कमाई की लगातार चुनौती को उजागर करता है।

DB कॉर्प, एचटी मीडिया और जागरण प्रकाशन के लाभप्रदता रुझानों ने कंपनी-विशेष रणनीतियों और व्यापक उद्योग गतिशीलताओं दोनों को दर्शाया- चाहे वह उच्च लागत वाले इवेंट हों या डिजिटल विस्तार की पहल। तिमाही ने क्षेत्रीय और अंग्रेजी भाषा के प्रकाशकों के बीच स्पष्ट अंतर भी दिखाया। हिंदी अखबार, जिनकी स्थानीय बाजारों में गहरी पैठ है, अपेक्षाकृत मजबूत रहे और मुख्य बाजारों में स्थिर विज्ञापन खर्च से लाभान्वित हुए। वहीं, अंग्रेजी प्रकाशकों को अधिक दबाव झेलना पड़ा, क्योंकि मौसमी सुस्ती और प्रसार से कमाई की चुनौतियों ने राजस्व और लाभ दोनों को प्रभावित किया।

विज्ञापन राजस्व बना सहारा

प्रिंट के लिए विज्ञापन जीवनरेखा बना हुआ है, लेकिन तीनों प्रकाशकों के प्रदर्शन में अलग-अलग रुझान दिखे।

  • DB कॉर्प का विज्ञापन राजस्व साल-दर-साल 7% घटा, जिसका मुख्य कारण Q1FY25 में चुनाव से जुड़े बड़े खर्चों से बनी उच्च आधार रेखा रही। हालांकि समायोजित आधार पर प्रबंधन ने उच्च सिंगल-डिजिट वृद्धि पर जोर दिया, जो मुख्य बाजारों में मजबूत विज्ञापनदाता मांग को दर्शाता है।

  • जागरण ने सुस्ती को मात देते हुए विज्ञापन राजस्व में 5% की वृद्धि दर्ज की, जो बढ़कर ₹311.6 करोड़ हो गया। वृद्धि कई श्रेणियों में व्यापक रही, जिसमें एफएमसीजी, शिक्षा और सरकारी अभियानों ने गति दी। डिजिटल राजस्व ने भी सहारा दिया, जो साल-दर-साल लगभग 5% बढ़कर ₹23.4 करोड़ हो गया।

  • एचटी मीडिया ने विज्ञापन राजस्व में 17% साल-दर-साल बढ़त दर्ज की, जो ₹255 करोड़ तक पहुंचा। इसके अंग्रेजी अखबारों का विज्ञापन राजस्व 19% बढ़कर ₹140 करोड़ रहा, जबकि हिंदी खंड में 14% की वृद्धि होकर ₹116 करोड़ तक पहुंचा। हालांकि क्रमिक आधार पर, मार्च तिमाही के बाद मौसमी कमजोरी के चलते अंग्रेजी और हिंदी दोनों विज्ञापन राजस्व घटे।

प्रसार राजस्व में मिश्रित रुझान

प्रसार आय के मोर्चे पर मिश्रित तस्वीर रही।

  • DB कॉर्प का प्रसार राजस्व स्थिर रहा, जो ₹120.3 करोड़ रहा जबकि पिछले साल यह ₹119.2 करोड़ था। कंपनी को अनुशासित सब्सक्रिप्शन प्राइसिंग और स्थिर पाठक आधार से लाभ हुआ।

  • जागरण का प्रसार राजस्व भी लगभग अपरिवर्तित रहा, ₹84.9 करोड़ जबकि पिछले साल यह ₹85.5 करोड़ था, जो बताता है कि मूल्य निर्धारण अनुशासन और वॉल्यूम प्रबंधन ने कठिनाइयों के बावजूद आय को स्थिर बनाए रखा।

  • एचटी मीडिया का प्रसार राजस्व 22% घटकर ₹39 करोड़ रहा। प्रबंधन ने इसका कारण छूट वाले सब्सक्रिप्शन ऑफ़र्स के जरिए पाठक आधार बढ़ाने की रणनीति को बताया, जिसने अस्थायी रूप से राजस्व को दबा दिया, भले ही प्रसार वॉल्यूम में सुधार हुआ।

प्रिंट से परे: रेडियो और डिजिटल पर सहारा

रेडियो और डिजिटल जैसे सहायक कारोबारों ने प्रिंट-विशेष दबाव को संभालने और धीरे-धीरे मल्टी-प्लेटफॉर्म राजस्व मॉडल की ओर बढ़ने में मदद की।

  • DB कॉर्प की रेडियो डिवीजन ने स्थिर आय दी। रेडियो विज्ञापन राजस्व ₹39.2 करोड़ रहा, जो पिछले साल के ₹38.8 करोड़ से थोड़ा अधिक है। हालांकि, रेडियो EBITDA ₹13.2 करोड़ से घटकर ₹11.5 करोड़ रह गया। प्रबंधन ने कहा कि स्थानीय विज्ञापन मांग बढ़ रही है, लेकिन मार्जिन पर दबाव बना हुआ है।

  • जागरण के डिजिटल राजस्व Q1FY26 में बढ़कर ₹23.4 करोड़ हो गए, जो पिछले साल ₹22.3 करोड़ थे। यह वृद्धि कंपनी के मल्टी-प्लेटफॉर्म उपस्थिति बनाने में किए निवेश को दर्शाती है।

  • एचटी मीडिया को अपने रेडियो सेगमेंट में दबाव झेलना पड़ा। रेडियो राजस्व घटकर ₹31 करोड़ रह गया, जो पिछले साल ₹36 करोड़ था। कंपनी ने कहा कि यह आंशिक रूप से उच्च आधार प्रभाव के कारण हुआ। मार्जिन माइनस 21% रहा। इसके विपरीत, एचटी मीडिया के डिजिटल पोर्टफोलियो ने स्वस्थ वृद्धि दिखाई। इस खंड का राजस्व बढ़कर ₹56 करोड़ हो गया, जो साल-दर-साल 21% की वृद्धि है, हालांकि परिचालन मार्जिन अभी भी माइनस 38% पर है।

लाभप्रदता: आय का सहारा और लागत प्रबंधन

तीनों कंपनियों के शुद्ध लाभ में तीखा अंतर रहा।

  • DB कॉर्प का PAT 31% घटकर ₹80.8 करोड़ रहा, जो कम विज्ञापन राजस्व और EBITDA में कमी (₹190.9 करोड़ से घटकर ₹138.4 करोड़) के कारण हुआ। हालांकि क्रमिक आधार पर EBITDA 45% बढ़ा, क्योंकि न्यूजप्रिंट लागत में नरमी और खर्च प्रबंधन से मार्जिन 31% तक सुधरा।

  • जागरण ने 62.8% की मजबूत वृद्धि के साथ PAT ₹66.8 करोड़ दर्ज किया। इसे उच्च विज्ञापन राजस्व और अन्य आय में 123% उछाल (₹51.5 करोड़) से समर्थन मिला। हालांकि परिचालन लाभ ₹65.5 करोड़ से घटकर ₹63.8 करोड़ रहा, जिससे स्पष्ट हुआ कि शुद्ध लाभ वृद्धि में गैर-परिचालन आय का बड़ा योगदान था।

  • एचटी मीडिया Q1FY26 में ₹11.4 करोड़ के घाटे में चला गया, जबकि पिछली तिमाही में इसे ₹51.4 करोड़ का लाभ हुआ था। प्रबंधन ने कमजोर प्रसार राजस्व और उच्च लागत को मुख्य कारण बताया। हालांकि घाटा Q1FY25 के ₹27.6 करोड़ से कम रहा, जो साल भर में परिचालन लाभांश में कुछ सुधार को दर्शाता है।

आगे की राह: सतर्क आशावाद

प्रिंट क्षेत्र विज्ञापनदाताओं के भरोसे पर टिका हुआ है, लेकिन प्रसार पर संरचनात्मक दबाव और डिजिटल की ओर बदलाव चुनौती बने हुए हैं।

DB कॉर्प और जागरण के स्थिर विज्ञापन और प्रसार आंकड़े क्षेत्रीय बाजारों में हिंदी अखबारों की मजबूती को रेखांकित करते हैं। वहीं, एचटी मीडिया की मुश्किलें अंग्रेजी प्रकाशन की कठिनाइयों को उजागर करती हैं, जहां प्रसार से कमाई अभी भी कठिन बनी हुई है।

आने वाले समय में लागत प्रबंधन और न्यूजप्रिंट मूल्य प्रवृत्तियां मार्जिन को बनाए रखने में अहम होंगी। साथ ही, रेडियो और डिजिटल जैसे सहायक कारोबार राजस्व की अस्थिरता को संतुलित करने में और भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

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इस बड़े पद पर ‘HT City’ से जुड़े रोहित भटनागर

रोहित भटनागर इससे पहले करीब तीन साल से ‘द फ्री प्रेस जर्नल’ (The Free Press Journal) में अपनी भूमिका निभा रहे थे।

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 28 August, 2025
Last Modified:
Thursday, 28 August, 2025
Rohit Bhatnagar

‘एचटी सिटी’ (HT City) दिल्ली ने रोहित भटनागर को अपना नया एंटरटेनमेंट एडिटर नियुक्त करने की घोषणा की है। वह इससे पहले ‘द फ्री प्रेस जर्नल’ (The Free Press Journal) में इसी पद पर तीन साल तक अपनी भूमिका निभा चुके हैं।

रोहित भटनागर को प्रिंट, डिजिटल और टेलीविजन मीडिया में 16 साल से अधिक का अनुभव है।

भटनागर मुंबई की कई प्रमुख मीडिया संस्थाओं का हिस्सा रह चुके हैं, जिनमें ‘B4U’, ‘CNN-IBN’, ‘E24’, ‘Bollywood Now’, ‘डेक्कन क्रॉनिकल’, ‘मुंबई मिरर’ और ‘PeepingMoon’ भी शामिल हैं।

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