1995 जब में मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल (MRUC) द्वारा पहला इंडियन रीडरशिप सर्वे (IRS) किया गया, तब का भारतीय विज्ञापन इंडस्ट्री आज की तुलना में लगभग पहचानी ही नहीं जा सकती थी
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
राजीव दुबे, वाइस प्रेजिडेंट, हेड ऑफ इंडिया, डाबर इंडिया लिमिटेड ।।
1995 जब में मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल (MRUC) द्वारा पहला इंडियन रीडरशिप सर्वे (IRS) किया गया, तब का भारतीय विज्ञापन इंडस्ट्री आज की तुलना में लगभग पहचानी ही नहीं जा सकती थी। उस समय यह सेक्टर सिर्फ ₹3,000–4,500 करोड़ का था और कुल विज्ञापन खर्च का 70% प्रिंट पर जाता था। टेलीविजन अभी उभर रहा था और केबल टीवी बस क्षितिज पर दिखाई देने लगी थी।
आज की स्थिति देखें तो उद्योग ₹1.1 लाख करोड़ से ज्यादा का हो चुका है और कहानियां कहने के तरीक़े में जबरदस्त बदलाव आया है। IRS ने इन बदलावों के साथ 30 साल की यात्रा तय की है, अब समय है एक अपग्रेड का। 1995 के पहले IRS ने उसी वास्तविकता को दिखाया था- एक ऐसा दौर, जब प्रिंट मीडिया ही राजा था और बाकी सब पीछे थे।
आज का परिदृश्य
आज तस्वीर बिल्कुल अलग है। उद्योग ₹1.1 लाख करोड़ से अधिक पर पहुंच चुका है और इसका इंजन कहानियों और फॉर्मैट्स जितना ही एल्गोरिद्म और स्क्रीन से भी चलता है। प्रिंट का हिस्सा, जो कभी हावी था, अब लगभग 17%-19% पर आ गया है। डिजिटल विज्ञापन सबसे आगे है और कुल विज्ञापन खर्च का लगभग आधा हिस्सा लेता है, जबकि टेलीविजन का हिस्सा एक-तिहाई से भी कम है। यह वह दौर है जब स्क्रॉलिंग थंब और पलक झपकते ध्यान का राज है, जब OTT शो डिमांड पर देखे जाते हैं, न्यूज In Shorts जैसी ऐप्स पर पढ़ी जाती है, और शॉपिंग सर्च से शुरू होकर स्मार्टफोन पर टैप के साथ खत्म हो जाती है।
क्या बदला है और क्यों मीजरमेंट पीछे है?
लेकिन समस्या यह है कि इस बड़े बदलाव के बावजूद हमारी ट्रैकिंग, समझ और रणनीति बनाने के औजार पीछे रह गए हैं। IRS (Indian Readership Survey) अभी भी प्रिंट पर ज्यादा केंद्रित है, जो पुराने (एनालॉग) जमाने की सोच को दर्शाता है। जबकि मीडिया और विज्ञापन इंडस्ट्री अब डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को अपना चुकी है। आखिरी बार IRS ने सभी स्टेकहोल्डर्स की जरूरत को ठीक से 2019 में पूरा किया था, जब डिजिटल और ब्रॉडकास्ट चैनलों की भूमिका अपेक्षाकृत सीमित थी।
सच्चाई यह है कि विज्ञापन की सफलता अब “opportunity to see” (यानी कितने लोगों ने विज्ञापन देखा) से आगे निकल चुकी है। आज ब्रांड्स और एजेंसियां सिर्फ एक्सपोजर नहीं, बल्कि असली उपभोक्ता रुचि को पकड़ने और बनाए रखने पर ध्यान देती हैं। कंज्यूमर इंटरैक्शन से सीधे जुटाए गए first-party data signals अब कैंपेन रणनीति की नींव हैं। इन्हीं संकेतों से ब्रांड्स सचमुच पर्सनलाइज्ड कम्युनिकेशन कर पाते हैं, जिससे विज्ञापन ज्यादा प्रासंगिक होते हैं और कन्वर्जन बढ़ते हैं।
डेटा से आगे बढ़कर, कंज्यूमर cohorts यानी रुचियों, आदतों या व्यवहार के आधार पर बने समूहों की ताक़त को देखें—ये लेजर-फोकस्ड मैसेजिंग और बड़े पैमाने पर हाइपर-पर्सनलाइजेशन संभव बनाते हैं। या फिर वे प्रोग्रामैटिक प्लेटफॉर्म्स, जो मशीन लर्निंग से सही समय पर सही जगह विज्ञापन दिखाते हैं। उदाहरण के लिए, IPL 2023 से विज्ञापनदाताओं ने इन नए औजारों का असर पहली बार देखा—CTV प्लेटफॉर्म्स पर इंटरैक्टिव विज्ञापनों ने एंगेजमेंट पैदा किया। अब सिर्फ रीच नहीं, बल्कि एंगेजमेंट ही गोल्ड स्टैंडर्ड है।
भविष्य-तैयार, समग्र मीडिया सर्वे की जरूरत
इस वास्तविकता को देखते हुए, जरूरी है कि भारत अपने मीडिया यूनिवर्स को मीजरमेंटने का तरीक़ा दोबारा सोचे। कल्पना कीजिए, एक next-gen survey का जिसमें एक मिलियन से अधिक उत्तरदाता हों, और जो हर फॉर्मैट, क्षेत्र, आयु वर्ग और डेमोग्राफिक को कवर करे। भर्ती, इंटरव्यू और परिणाम AI एजेंट्स द्वारा संचालित हों—सर्वे ज्यादा संरचित, कुशल और ऑडिटेबल हो—और डेटा पारदर्शी व भरोसेमंद हो।
यह सर्वे सिर्फ impressions नहीं गिनेगा। इसमें प्रिंट, टीवी, मैगजीन, सोशल, शॉर्ट-फॉर्म वीडियो, OTT, डिजिटल न्यूज, ई-कॉमर्स—सब शामिल होंगे और उपभोक्ताओं की पूरी shopper journey को कैप्चर किया जाएगा। यह दिखाएगा कि भारतीय उपभोक्ता वास्तव में किन-किन क्रॉस-चैनल रास्तों से गुजरते हैं। यह हमेशा सक्रिय रहेगा, न कि सालाना धूल जमी हुई रिपोर्ट की तरह—और रियल टाइम में उपयोगी actionable insights देगा। यह वास्तव में cross-channel, cross-platform, cross-devices survey होगा।
उद्योग सहयोग: किन्हें शामिल होना चाहिए
इतनी महत्वाकांक्षी व्यवस्था अकेले नहीं बन सकती। हमें पूरे उद्योग का गठबंधन चाहिए—एजेंसियां, विज्ञापनदाता, मीडिया मालिक, ब्रॉडकास्टर, टेक कंपनियां, प्रोग्रामैटिक और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स, स्ट्रीमिंग खिलाड़ी और अन्य। जब पूरा इकोसिस्टम भाग लेगा, तभी भारत की बदलती मीडिया आदतों की व्यापक और समग्र तस्वीर मिलेगी।
एक व्यावहारिक क़दम यह होगा कि विज्ञापनदाताओं, पब्लिशर्स, एजेंसियों और टेक्नोलॉजी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ एक स्वतंत्र task force बने। यह संस्था मजबूत मीजरमेंटदंड तय करेगी, पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी और इंटीग्रेशन की चुनौतियों को हल करेगी। जैसे-जैसे हम और डेटा स्रोतों का उपयोग करेंगे, हमें उपयोगकर्ता की प्राइवेसी को प्राथमिकता देनी होगी, विविध आवाजों को शामिल करना होगा और टेक्नोलॉजी शिफ्ट्स के साथ बने रहना होगा।
फंडिंग: उद्योग के भविष्य में साझा निवेश
एक ऐसा सर्वे जो सबकी सेवा करे, उसकी फंडिंग सिर्फ कुछ लोग नहीं कर सकते। पारंपरिक रूप से प्रिंट पब्लिशर्स ने अधिकतर लागत उठाई है—लेकिन यह ढाँचा अब प्रासंगिक नहीं है। अब फंडिंग सामूहिक होनी चाहिए।
पब्लिशर्स और ब्रॉडकास्टर्स, जिन्हें प्रासंगिकता और विकास चाहिए
विज्ञापनदाता और एजेंसियां, जिन्हें सटीकता और actionable intelligence की जरूरत है
टेक कंपनियां और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, जिनके प्लेटफॉर्म, एल्गोरिद्म और ऐड प्रोडक्ट्स मजबूत और विश्वसनीय रीच व एंगेजमेंट डेटा पर निर्भर हैं
केवल तभी जब हर लाभार्थी निवेश भी करेगा, हमें न्यायपूर्ण गवर्नेंस, व्यापक भागीदारी और भरोसेमंद परिणाम मिलेंगे।
भारत के लिए क्यों जरूरी है- अभी और भविष्य में
एक आधुनिक, एकीकृत मीजरमेंट व्यवस्था सिर्फ तकनीकी अपग्रेड नहीं है- यह स्मार्ट कैंपेन प्लानिंग, क्रिएटिव इनोवेशन और उद्योग की विश्वसनीयता की नींव है। इसके साथ मार्केटर्स को साफ समझ मिलेगी, एजेंसियां आत्मविश्वास के साथ खर्च बांट सकेंगी, और जनता को ज्यादा प्रासंगिक और कम दखल देने वाले संदेश मिलेंगे। यह सिर्फ बराबरी करने की बात नहीं है, बल्कि नेतृत्व करने की है।
मैंने उद्योग को उसके स्याही-सने प्रिंट शुरुआती दौर से लेकर उसके आज के गतिशील डिजिटल वर्तमान तक विकसित होते देखा है। मुझे पूरा यक़ीन है: समय अब है। भारत को मानक तय करना चाहिए, सिर्फ पीछे नहीं चलना चाहिए।
आइए, वह मीजरमेंट व्यवस्था बनाएं जिसे एक दिन दुनिया अपनाना चाहेगी।
स्रोत और संदर्भ:
India Today Archive — Historic Industry Size
(ये लेखक के निजी विचार हैं)
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने संसद को बताया कि उसने अखबारों के खर्चों की समीक्षा कर ली है और उनकी लागत बढ़ने को ध्यान में रखते हुए प्रिंट विज्ञापनों के रेट में 26% बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने बुधवार को संसद को बताया कि उसने अखबारों के खर्चों की समीक्षा कर ली है और उनकी लागत बढ़ने को ध्यान में रखते हुए प्रिंट विज्ञापनों के रेट में 26% बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय ने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि अखबारों को कागज की कीमत बढ़ने, महंगाई और डिजिटल मीडिया से बढ़ती प्रतिस्पर्धा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन ने बताया कि 11 नवंबर 2021 को गठित 9वीं रेट स्ट्रक्चर कमेटी ने देशभर के बड़े, मध्यम और छोटे अखबारों से बातचीत की थी। कमेटी ने इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (INS), ऑल इंडिया स्मॉल न्यूजपेपर असोसिएशन (AISNA), और स्मॉल-मीडियम-बिग न्यूजपेपर सोसायटी (SMBNS) जैसे संगठनों के साथ भी लंबी चर्चा की।
कमेटी ने अखबार चलाने की लागत से जुड़े कई मुद्दों की जांच की, जैसे- समाचारपत्र के कागज की कीमतों में तेज बढ़ोतरी, महंगाई का दबाव, छपाई और प्रोडक्शन की बढ़ती लागत, कर्मचारियों के वेतन, और इम्पोर्टेड पेपर के दामों में उतार-चढ़ाव। इन सबको ध्यान में रखते हुए कमेटी ने अपनी सिफारिशें सरकार को भेजीं, जिन्हें सरकार ने पूरी तरह मंजूर कर लिया है।
नए रेट स्ट्रक्चर में कलर विज्ञापनों के लिए प्रीमियम रेट और बेहतर जगह पर विज्ञापन देने जैसी सुविधाएं भी शामिल हैं। सरकार का कहना है कि बढ़ा हुआ राजस्व अखबार उद्योग, खासकर छोटे और क्षेत्रीय प्रकाशनों को मजबूती देगा। इससे स्थानीय खबरों की व्यवस्था मजबूत होगी और मीडिया संस्थानों को कंटेंट पर बेहतर निवेश करने में मदद मिलेगी, जिससे जनता को भी ज्यादा लाभ मिलेगा।
देश की प्रतिष्ठित मैगजींस में शुमार 'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने अपना एक खास डबल स्पेशल एडिशन जारी किया है, जिसमें भारत के दो सबसे प्रभावशाली समूहों को एक साथ जगह दी गई है
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
देश की प्रतिष्ठित मैगजींस में शुमार 'BW बिजनेसवर्ल्ड' ने अपना एक खास डबल स्पेशल एडिशन जारी किया है, जिसमें भारत के दो सबसे प्रभावशाली समूहों को एक साथ जगह दी गई है- RightShift Fittest 40 Above 40 और BW Top 100 Marketers 2025. इस एडिशन में उन लीडर्स को दिखाया गया है जो आने वाले दशक में भारत के बिजनेस को नई दिशा दे रहे हैं, चाहे वो अपनी फिटनेस से हो या मार्केटिंग की समझ से।
इस बार RightShift Fittest 40 Above 40 की लिस्ट में लोगों का इतना ज्यादा उत्साह देखने को मिला कि 40 की जगह 45 लीडर्स को चुना गया। ये सभी अलग-अलग सेक्टर्स- कानून, मीडिया, खेल, टेक्नोलॉजी, फाइनेंस और बिजनेस से आते हैं, लेकिन इन सबकी सोच एक है: अच्छा लीडर बनने के लिए फिटनेस भी उतनी ही जरूरी है जितना स्किल।
इसके साथ ही इस एडिशन में BW Top 100 Marketers 2025 की लिस्ट भी शामिल है। इसमें उन मार्केटिंग प्रोफेशनल्स को जगह दी गई है जो AI, डिजिटल बदलाव और नए ग्राहक व्यवहार के दौर में ब्रांड्स को नई ऊंचाई दे रहे हैं। ये मार्केटर्स FMCG, ऑटो, टेक, वेलनेस, फाइनेंस और कई नए सेक्टर्स से हैं।
एडिशन में Lead Fit Forum की चर्चाओं को भी शामिल किया गया है, जहां देश के CEO, फाउंडर्स और सीनियर लीडर्स ने फिटनेस, पोषण, रिकवरी, मेंटल हेल्थ और डिसिप्लिन जैसे मुद्दों पर बात की। अब वेलनेस सिर्फ पर्सनल गोल नहीं, बल्कि कंपनियों की रणनीति का अहम हिस्सा बन रहा है।
यह डबल स्पेशल एडिशन BW Businessworld की उस सोच को आगे बढ़ाता है, जिसमें वह ऐसे लीडर्स को पहचान देता है जो भारत के विकास की अगली कहानी लिख रहे हैं।
BW Businessworld का यह नया एडिशन अब डिजिटल और प्रिंट दोनों फॉर्मेट में उपलब्ध है।
ब्रिटेन के मशहूर टैब्लॉयड डेली मेल के मालिक DMGT ने अमेरिकी और यूएई की साझेदारी वाली कंपनी RedBird IMI के साथ एक बड़ी डील की है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
ब्रिटेन के मशहूर टैब्लॉयड 'डेली मेल' (Daily Mail) के मालिक DMGT ने अमेरिकी और यूएई की साझेदारी वाली कंपनी RedBird IMI के साथ एक बड़ी डील की है। इस डील के तहत DMGT द टेलीग्राफ मीडिया ग्रुप को 500 मिलियन पाउंड (654 मिलियन डॉलर) में खरीदने जा रहा है।
DMGT ने प्रेस रिलीज में बताया कि दोनों कंपनियों के बीच समझौता हो गया है और अब जल्दी ही सभी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। इस खरीद के बाद DMGT ब्रिटेन के सबसे बड़े दाएं झुकाव वाले मीडिया समूहों में से एक बन सकता है, इसलिए माना जा रहा है कि इस डील की जांच कंपटीशन रेगुलेटर भी करेगा।
पिछले हफ्ते ही RedBird Capital ने अचानक टेलीग्राफ खरीदने की अपनी कोशिश छोड़ दी थी। उसके बाद से फिर से अखबार के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई थी। यह अखबार करीब दो साल से बिक्री में अटका हुआ है।
DMGT का कहना है कि नई डील से अखबार के कर्मचारियों को “विश्वास और स्थिरता” मिलेगी। कंपनी का प्लान है कि टेलीग्राफ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बढ़ाया जाए, खासकर अमेरिका में। साथ ही उन्होंने साफ किया कि डेली टेलीग्राफ की एडिटोरियल टीम पूरी तरह स्वतंत्र रहेगी।
RedBird IMI ने 2023 में भी टेलीग्राफ खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने विदेशी नियंत्रण के खतरे और स्वतंत्रता की आजादी पर असर की आशंका को देखते हुए दखल दिया था। इसके बाद कानून में बदलाव भी किए गए, ताकि विदेशी ताकतें ब्रिटिश अखबारों पर नियंत्रण न कर सकें।
1855 में शुरू हुआ द टेलीग्राफ एक समय “Tory Bible” के नाम से जाना जाता था। 2023 में इसे मालिकाना कर्ज चुकाने के लिए बिक्री पर लगाया गया था। इस पर कई बड़े निवेशकों ने बोली लगाई थी।
अब, मौजूदा डील पर भी सरकार की संस्कृति मंत्री लीसा नैन्डी नजर रखेंगी और सार्वजनिक हित के आधार पर फैसला लेंगी।
DMGT के चेयरमैन जोनाथन हार्म्सवर्थ ने कहा, “मैं लंबे समय से डेली टेलीग्राफ की तारीफ करता आया हूं… यह ब्रिटेन का सबसे बड़ा और सबसे भरोसेमंद अखबार है।”
जम्मू-कश्मीर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने गुरुवार सुबह जम्मू में 'कश्मीर टाइम्स' के ऑफिस पर छापा मारा।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
जम्मू-कश्मीर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने गुरुवार सुबह जम्मू में 'कश्मीर टाइम्स' के ऑफिस पर छापा मारा। यह अखबार कश्मीर का सबसे पुराना इंग्लिश न्यूजपेपर माना जाता है। एजेंसी का आरोप है कि अखबार का 'अलगाववादी और राष्ट्र-विरोधी समूहों के साथ साजिश' में हाथ हो सकता है।
SIA ने दावा किया कि छापे के दौरान ऑफिस से एक रिवॉल्वर, AK-सीरीज के 14 खाली कारतूस, AK की 3 जिंदा गोलियां, 4 फायर की हुई गोलियां, ग्रेनेड के 3 सेफ्टी लीवर और 3 संदिग्ध पिस्टल राउंड मिले हैं।
अखबार की संपादक और मालिक अनुराधा भसीन और उनके पति प्रभोध जमवाल, जो फिलहाल अमेरिका में बताए जा रहे हैं, ने इन छापों की निंदा की। उन्होंने कहा कि सभी आरोप 'निराधार' हैं और यह कार्रवाई 'उन्हें चुप कराने की कोशिश' है।
वहीं, जम्मू-कश्मीर के डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी ने कहा कि SIA तभी रेड करती है जब किसी मामले में पुख्ता आधार होता है, सिर्फ दबाव बनाने के लिए नहीं।
यह कार्रवाई उस वक्त हुई है जब कुछ दिन पहले J&K पुलिस ने फरीदाबाद में एक आतंकी मॉड्यूल पकड़ने का दावा किया था। इसमें कश्मीर के कम से कम तीन डॉक्टर गिरफ्तार हुए थे। साथ ही 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट में नौ लोगों की मौत का मामला भी जुड़ा है।
यह अखबार अनुराधा भसीन के पिता और वरिष्ठ पत्रकार वेद भसीन ने 1954 में शुरू किया था। कुछ साल पहले इसका जम्मू एडिशन बंद कर दिया गया और अब यह मुख्य रूप से ऑनलाइन चलता है।
SIA के मुताबिक, उन पर ये आरोप लगाए गए हैं कि वे आतंकी और अलगाववादी सोच फैलाने में शामिल हैं। उन पर यह भी आरोप है कि वे भड़काऊ, गढ़ी हुई और झूठी खबरें चला रहे थे, जिससे घाटी के युवाओं को गलत दिशा में ले जाया जा सकता था। एजेंसी का कहना है कि उनका काम लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी और अलगाव की भावना बढ़ा रहा था, जिससे शांति और कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी। इसके अलावा SIA का आरोप है कि उनकी रिपोर्टिंग और डिजिटल कंटेंट भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने जैसा था।
छापे के दौरान SIA टीम ने ऑफिस और संपादक के घर में दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और दूसरी सामग्री की भी जांच की। अधिकारियों का कहना है कि जांच के तहत अनुराधा भसीन से पूछताछ भी की जा सकती है।
एजेंसी के मुताबिक यह कार्रवाई उन नेटवर्क्स के खिलाफ है जो कथित तौर पर अलगाववादी नैरेटिव या अवैध प्रचार में शामिल हैं।
अपने बयान में अनुराधा और जमवाल ने कहा कि यह सब 'डराने और चुप कराने की कोशिश' है। उन्होंने सरकार से 'उत्पीड़न बंद करने और प्रेस की आजादी का सम्मान करने' की मांग की।
सरकार ने प्रिंट मीडिया यानी अखबारों के विज्ञापन की दरों में 26 फीसदी बढ़ाने का फैसला किया है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
सरकार ने प्रिंट मीडिया में विज्ञापन की दरों को 26 फीसदी बढ़ाने का फैसला किया है। अब ब्लैक-एंड-व्हाइट विज्ञापन के लिए एक लाख कॉपी वाले अखबारों में प्रति वर्ग सेंटीमीटर के लिए दरें 47.40 रुपये से बढ़ाकर 59.68 रुपये कर दी गई हैं।
सरकार ने समिति की उन सिफारिशों को भी मंजूर कर लिया है, जिनमें कलर विज्ञापनों के लिए प्रीमियम दरें और खास जगह पर विज्ञापन देने जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
प्रिंट मीडिया के विज्ञापन रेट इससे पहले 9 जनवरी 2019 को बदले गए थे। यह रेट तब 8th रेट स्ट्रक्चर कमेटी (RSC) की सिफारिशों पर आधारित थे और तीन साल के लिए लागू किए गए थे।
सरकार का कहना है कि विज्ञापन रेट बढ़ाने से कई फायदे होंगे। बढ़े हुए रेट से प्रिंट मीडिया को जरूरी आर्थिक मदद मिलेगी, खासकर तब जब डिजिटल और अन्य प्लेटफॉर्म्स से कड़ी टक्कर मिल रही है और पिछले कुछ सालों में लागत भी काफी बढ़ी है।
इस अतिरिक्त आमदनी से अखबार अपने कामकाज को बेहतर तरीके से चला सकेंगे, अच्छी पत्रकारिता बनाए रख सकेंगे और स्थानीय खबरों को समर्थन मिलेगा। आर्थिक रूप से मजबूत होने पर वे बेहतर कंटेंट तैयार कर पाएंगे, जिससे पाठकों को फायदा होगा।
सरकार का यह कदम बदलते मीडिया माहौल के हिसाब से भी है। प्रिंट मीडिया की अहमियत को मानते हुए सरकार चाहती है कि उसकी सूचनाएँ अलग-अलग माध्यमों के जरिए ज्यादा प्रभावी तरीके से जनता तक पहुंचें।
केशव मिश्रा इससे पहले करीब छह साल से अधिक नवभारत टाइम्स‘’ (Navbharat Times) में बतौर सीनियर सब एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
युवा पत्रकार केशव मिश्रा एक बार फिर ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) की टीम में शामिल हो गए हैं। उन्होंने नोएडा में चीफ सब एडिटर के पद पर जॉइन किया है। बता दें कि ‘अमर उजाला’ समूह के साथ केशव मिश्रा की यह दूसरी पारी है।
केशव मिश्रा इससे पहले करीब छह साल से अधिक नवभारत टाइम्स‘’ (Navbharat Times) में बतौर सीनियर सब एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। उन्होंने 'दैनिक जागरण', नोएडा में सब एडिटर के तौर पर डेस्क पर करीब दो साल तक अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद ‘नवभारत टाइम्स’ जॉइन किया था।
केशव मिश्रा ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से बतौर रिपोर्टर की थी। इसके बाद उन्होंने आगरा में ‘द सी एक्सप्रेस अखबार’ का दामन थाम लिया। यहां सब एडिटर के तौर पर उन्होंने करीब दो साल (नवंबर 2011-अगस्त 2013) तक अपनी सेवाएं दीं।
इसके बाद यहां से अपनी पारी को विराम देकर केशव मिश्रा 'दैनिक भास्कर' बठिंडा से जुड़ गए। इस अखबार से वह करीब दो साल (सितंबर 2013-मार्च 2015) तक जुड़े रहे और फिर 'अमर उजाला', रोहतक के साथ नई पारी शुरू कर दी।
जुलाई 2017 तक 'अमर उजाला' में काम करने के बाद केशव मिश्रा ने अगस्त 2017 में 'दैनिक जागरण' नोएडा में अपनी नई पारी का आगाज किया था और फिर यहां से वर्ष 2019 को बाय बोलकर वह ‘नवभारत टाइम्स’ आ गए थे, जहां से अपनी पारी को विराम देकर अब वह फिर से ‘अमर उजाला’ की टीम में शामिल हो गए हैं।
मूलरूप से प्रयागराज के रहने वाले केशव मिश्रा ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। समाचार4मीडिया की ओर से केशव मिश्रा को नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
धर्मेन्द्र सिंह वर्ष 2011 से लगातार इस अखबार के साथ जुड़े हुए हैं। वह करीब ढाई साल से बतौर एडिटर, हरियाणा के पद पर अपनी भूमिका निभा रहे थे।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) समूह ने वरिष्ठ पत्रकार धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया पर और अधिक भरोसा जताते हुए उन्हें अब और बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। इसके तहत उन्हें नेशनल पॉलिटिकल एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया है। साथ ही वह नेशनल ब्यूरो हेड के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे। वह दिल्ली से अपना कामकाज संभालेंगे।
बता दें कि ‘दैनिक भास्कर’ समूह ने करीब ढाई साल पहले भी धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया को प्रमोट कर एडिटर, हरियाणा के पद पर नियुक्त किया था। उससे पहले धर्मेन्द्र सिंह वर्ष 2021 से ग्वालियर में बतौर रेजिडेंट एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। वह दिल्ली में दैनिक भास्कर के नेशनल ब्यूरो में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। वह वर्ष 2011 से लगातार इस अखबार के साथ जुड़े हुए हैं।
मूल रूप से भिंड (मध्य प्रदेश) के रहने वाले धर्मेन्द्र सिंह को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2005 में ‘अमर उजाला’ मेरठ से की थी। इसके बाद वह इसी अखबार में नोएडा आ गए और बिजनेस पेज ‘कारोबार’ की कमान संभालने लगे। वर्ष 2008 में वह दैनिक भास्कर आ गए और इस समूह के बिजनेस अखबार ‘बिजनेस भास्कर’ में कॉरपोरेट इंचार्ज के तौर पर दिल्ली में अपनी पारी शुरू कर दी। यहां से उन्हें बिजनेस भास्कर का मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़ का प्रिंसिपल करेसपॉन्डेंट/ब्यूरो हेड बनाकर भोपाल भेज दिया गया।
इसके बाद उन्होंने यहां से बाय बोलकर ‘राजस्थान पत्रिका’ के समाचार पत्र ‘पत्रिका’ ग्वालियर में सिटी चीफ के रूप में अपनी नई पारी शुरू कर दी। हालांकि, यहां वह करीब एक साल तक ही कार्यरत रहे और वर्ष 2011 में फिर से ‘बिजनेस भास्कर’ लौट आए। करीब दो साल बाद इसी अखबार में इंदौर चले गए और फिर वर्ष 2014 में नेशनल आइडिएशन न्यूज रूम में ‘आ गए और वर्ष 2020 तक राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय खबरों पर काम किया। इसके बाद वह दिल्ली में दैनिक भास्कर के नेशनल ब्यूरो में आ गए और फिर कुछ समय बाद वर्ष 2021 में उन्होंने रेजिडेंट एडिटर के तौर पर ग्वालियर की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद अप्रैल 2023 में समूह ने उन्हें एडिटर (हरियाणा) की जिम्मेदारी सौंपी थी और अब उन्हें नेशनल पॉलिटिकल एडिटर के पद पर प्रमोट किया गया है।
वर्ष 2014 से अप्रैल तक सात वर्ष में उन्होंने ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए राष्ट्रीय स्तर पर देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही विदेश यात्राएं भी कीं। इसमें वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले की ‘महाभारत-2019 भारत यात्रा’ के अलावा कोरोना काल के दौरान जून 2020 से अगस्त 2020 तक ‘कोरोना काल, देश का आंखों देखा हाल’ (उत्तर प्रदेश-बिहार की यात्रा) प्रमुख रहीं।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया ने भोपाल स्थित ‘माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय‘ से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। समाचार4मीडिया की ओर से धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब ने भी इस कार्रवाई की निंदा की और इसे “सूचना के मुक्त प्रवाह में बाधा डालने की कोशिश” बताया।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
रविवार सुबह पंजाब के कई हिस्सों में अखबार समय पर नहीं पहुंच पाए। इसका कारण पुलिस द्वारा किए गए वाहन जांच अभियान को बताया जा रहा है, जिसमें खासकर वाणिज्यिक वाहन निशाने पर थे। होशियारपुर और जालंधर जिलों में डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर तक वाहन लगभग सुबह 7:30 बजे पहुंचे, जिससे पाठकों तक अखबार देर से पहुंचे। कई डिलीवरी ड्राइवरों ने बताया कि उन्हें अखबार के बंडल उतरवाकर जांच के लिए देना पड़ा।
लुधियाना के सिविल लाइंस, मॉडल टाउन, दुगरी और सराभा नगर इलाकों में अखबार 8:30 बजे तक पहुंचे। एक डिस्ट्रीब्यूटर ने कहा, “रविवार को पहले ही डिलीवरी का बोझ ज्यादा होता है, आज की जांच ने और देरी कर दी।”
अमृतसर में भी डिस्ट्रीब्यूटर्स ने देरी की शिकायत की। एक निवासी, लक्षविंदर सिंह ने बताया कि उनके तीन अखबारों में से केवल एक ही देर से पहुंचा, क्योंकि सप्लाई वाहन पुलिस जांच के लिए रोके गए थे।
इस घटना पर विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। प्रताप सिंह बाजवा ने इसे “पत्रकारिता पर हमला” करार दिया। उन्होंने कहा, “जिस मीडिया ने AAP को बनाया, वही अब इसे परेशान कर रही है।”
पंजाब बीजेपी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने कहा कि कई जगह अखबार वाहन रोके गए और केवल पुलिस जांच के बाद ही आगे बढ़ने दिए गए। उन्होंने कहा, “इमरजेंसी के बाद पहली बार मीडिया को डराने और दबाने की कोशिश की गई है।”
कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वल्लिंग ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा और इसे “पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए गंभीर मामला” बताया। कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा कि यह अभियान अरविंद केजरीवाल के चंडीगढ़ सरकारी बंगले में ठहरने की खबरों को दबाने के लिए किया गया।
शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि सरकार अखबारों पर इसलिए निशाना साध रही है क्योंकि कोई उनके खिलाफ रिपोर्ट न लिखे।
पंजाब पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि यह वाहन जांच सुरक्षा उपायों के तहत की गई थी। उन्होंने बताया कि पंजाब एक संवेदनशील सीमा राज्य है और पाकिस्तान की ISI ड्रोन और अन्य वाहनों के जरिए अवैध सामान, हथियार और विस्फोटक भेजने की कोशिश करती है। ऐसे में सुरक्षा बढ़ाने के लिए जांच जरूरी है। पुलिस ने कहा कि जनता को कम से कम परेशानी हो, यह सुनिश्चित किया जाएगा, लेकिन सख्त सुरक्षा व्यवस्था जरूरी है।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब ने भी इस कार्रवाई की निंदा की और इसे “सूचना के मुक्त प्रवाह में बाधा डालने की कोशिश” बताया। क्लब ने पंजाब सरकार से कहा कि अखबार वितरण में कोई रुकावट न हो और प्रेस की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाए।
तमिलनाडु न्यूजप्रिंट एंड पेपर्स लिमिटेड (TNPL) ने हाल ही में हुई अपनी बोर्ड मीटिंग में दूसरी तिमाही और छमाही के वित्तीय नतीजों की समीक्षा के साथ कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
तमिलनाडु न्यूजप्रिंट एंड पेपर्स लिमिटेड (TNPL) ने हाल ही में हुई अपनी बोर्ड मीटिंग में दूसरी तिमाही और छमाही के वित्तीय नतीजों की समीक्षा के साथ कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
कंपनी ने बताया कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की इस बैठक में थिरू मैथ्यू थॉमस को स्वतंत्र निदेशक (Independent Director) के रूप में नियुक्त की घोषणा की गई है। उनका कार्यकाल 27 अक्टूबर 2025 से 26 अक्टूबर 2028 तक रहेगा। यह नियुक्ति कंपनी के शेयरधारकों की मंजूरी के अधीन होगी।
कंपनी ने कहा कि थिरू मैथ्यू थॉमस के पास कॉर्पोरेट गवर्नेंस और प्रबंधन का लंबा अनुभव है और उनके जुड़ने से बोर्ड की विशेषज्ञता और निर्णय क्षमता और मजबूत होगी।
TNPL ने यह भी स्पष्ट किया कि थिरू मैथ्यू थॉमस किसी भी नियामक संस्था जैसे सेबी (SEBI) या अन्य किसी प्राधिकरण द्वारा निदेशक पद संभालने से प्रतिबंधित नहीं हैं। साथ ही, वे कंपनी के किसी अन्य निदेशक से पारिवारिक या व्यावसायिक रूप से जुड़े नहीं हैं और उनके पास TNPL के कोई शेयर नहीं हैं।
शेयरधारकों से उनकी नियुक्ति के लिए सहमति प्राप्त करने के उद्देश्य से कंपनी ने पोस्टल बैलेट की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला भी किया है। जिन लोगों के पास 24 अक्टूबर 2025 तक कंपनी के शेयर दर्ज होंगे, सिर्फ वही लोग इस प्रस्ताव (resolution) पर मतदान कर सकेंगे।
पोस्टल बैलेट प्रक्रिया की निगरानी के लिए आर. श्रीधरन एंड एसोसिएट्स के कंपनी सेक्रेटरी आर. श्रीधरन को स्क्रूटिनाइजर नियुक्त किया गया है। मतदान प्रक्रिया सीडीएसएल (Central Depository Services Limited) के ई-वोटिंग प्लेटफॉर्म के जरिए पूरी की जाएगी।
कंपनी ने बताया कि परिणामों की घोषणा के बाद उन्हें नियमानुसार अखबारों में प्रकाशित किया जाएगा।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक तनवीर सादिक ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में स्थानीय अखबारों और अन्य मीडिया संस्थानों को सरकारी विज्ञापन न दिए जाने का मुद्दा उठाया।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक तनवीर सादिक ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में स्थानीय अखबारों और अन्य मीडिया संस्थानों को सरकारी विज्ञापन न दिए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा कि आखिर कई सालों से इन प्रकाशनों को विज्ञापन क्यों नहीं मिल रहे हैं।
विधानसभा की कार्यवाही के दौरान बोलते हुए सादिक ने कहा, “अब तक मीडिया संस्थानों को राज्य सरकार की तरफ से कोई विज्ञापन नहीं दिया गया है। क्या सरकार इन्हें ‘देशविरोधी’ मानती है, या फिर इसके पीछे कोई और वजह है?”
उन्होंने आगे कहा, “यदि ये देशविरोधी हैं तो इन्हें बंद कर दीजिए, लेकिन यदि नहीं हैं तो फिर इन्हें भी बाकी अखबारों की तरह विज्ञापन मिलने चाहिए।”
सादिक ने कहा कि निष्पक्षता का तकाजा है कि हर अखबार को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए। उन्होंने कहा, “कलम को इतनी आजादी तो मिलनी ही चाहिए कि उसे रोका न जाए।”
नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक ने सरकार से अपील की कि वह सदन को बताए कि पिछले पांच, छह या सात सालों से कुछ अखबारों को विज्ञापन क्यों नहीं दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र मीडिया के लिए जरूरी है कि उसे अपना काम जारी रखने के लिए पर्याप्त समर्थन मिले।
सादिक ने कहा, “जब उनकी कलम मजबूत होगी, तभी वे हमारे खिलाफ या किसी और के खिलाफ लिख पाएंगे, लेकिन लिखने में रुकावट नहीं होनी चाहिए।”
उनका यह बयान विधानसभा में मौजूद सदस्यों का ध्यान इस ओर खींचने में कामयाब रहा कि स्थानीय मीडिया संस्थान कई वर्षों से सरकारी विज्ञापनों से वंचित हैं, जिससे उनके अस्तित्व पर असर पड़ रहा है।