‘एआईएम’ ने मैगजींस के डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ी समस्याओं को हल करने के लिए अपनी महत्वपूर्ण पहलों की प्रस्तुति दी और ‘दास्तान हब’ नामक मेगा ब्रैंडेड कंटेंट स्टूडियो का शुभारंभ किया।
देश में पत्रिकाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। दरअसल, पुर्तगाल के Cascais शहर में ‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ पीरियोडिकल पब्लिशर्स’ (FIPP) द्वारा आयोजित किए जा रहे वर्ल्ड मीडिया कांग्रेस, 2022 के पहले दिन ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई और दमदार प्रस्तुति दी।
इस दौरान ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने मैगजींस के डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ी समस्याओं को हल करने के लिए अपनी महत्वपूर्ण पहलों (initiatives) की प्रस्तुति दी और इसके साथ ही ‘दास्तान हब’ (Dastaan Hub) नामक अपनी तरह के पहले मेगा ब्रैंडेड कंटेंट स्टूडियो का शुभारंभ किया।
दुनिया भर के सबसे बड़े मैगजीन पब्लिशर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले 300 से अधिक कांग्रेस प्रतिनिधियों के सामने 'आनंदा विकतन' (Ananda Vikatan) के एमडी बी श्रीनिवासन, दिल्ली प्रेस के एग्जिक्यूटिव पब्लिशर अनंत नाथ और इंडिया टुडे के सीईओ मनोज शर्मा ने उस सहयोगात्मक पहलों के बारे में चर्चा की, जो कि इंडियन मैगजीन पब्लिशर्स ने महामारी के दौरान अपनाई थीं।
सत्र का शुभारंभ करते हुए बी. श्रीनिवासन, जो ‘एआईएम’ के प्रेजिडेंट भी हैं, ने कहा कि महामारी के दौरान भारतीय पब्लिशर्स ने डिस्ट्रीब्यूशन और एडवर्टाइजिंग से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए आपस में मिलकर एक फ्रेमवर्क तैयार किया। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह से महत्वपूर्ण सूचनाओं को शेयर करने के लिए पब्लिशर्स के बीच विश्वास का माहौल बनाया गया था और विभिन्न मॉडलों पर काम करते रहने के लिए व्यावहारिक और उचित समाधान न मिलने तक एक साझा प्रतिबद्धता (shared commitment) को अपनाया गया था।
एआईएम’ के महासचिव अनंत नाथ ने डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ीं समस्याओं को दूर करने के लिए अपनाई गई तीन चरणों वाली स्ट्रैटेजी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि सबसे पहले वर्षों से कमजोर हो रहे असंगठित एजेंसी नेटवर्क की समस्या का समाधान करने के लिए एजेंसी की मान्यता का सिस्टम शुरू किया गया, ताकि उन कार्यों और एजेंट्स की पहचान हो सके, जो मार्केट में बेहतर और प्रभावी तरीके से अपनी सेवा दे सकें। इसके पीछे विचार यह था कि पब्लिशर्स इन एजेंट्स के साथ सामूहिक रूप से काम करते हैं, उन्हें काफी काम देते हैं और उनके लिए वित्तीय प्रोत्साहन देते हैं और बदले में अपने लिए बड़े भौगोलिक क्षेत्रों में बेहतर मार्केट कवरेज सुनिश्चित करते हैं।
दूसरे, खराब सब्सक्रिप्शन डिलीवरी की समस्या को हल करने के लिए, एसोसिएशन ने 'मैगजीन पोस्ट' नामक नई डिलीवरी सर्विस शुरू करने के लिए भारतीय डाक विभाग के साथ हाथ मिलाया। इससे सबस्क्राइबर्स को लाइव ट्रैकिंग और एसएमएस अलर्ट जैसी सुविधाएं मिलती हैं।
तीसरा, शहरी भारत में 11,000 से अधिक केंद्रों में 600,000 से अधिक समाचार पत्र डिलीवरी ब्वॉयज के विशाल नेटवर्क के लिए एसोसिएशन एक तकनीकी कार्यक्रम पर काम कर रही है, ताकि इन विक्रेताओं और डिलीवरी ब्वॉयज को पत्रिका बेचने और सबस्क्रिप्शन की डिलीवरी के लिए नामांकित किया जा सके।
एआईएम के कोषाध्यक्ष (treasurer) मनोज शर्मा ने विश्व मंच पर ‘दास्तान हब’ नाम से मेगा ब्रैंडेड कंटेंट स्टूडियो का अनावरण किया, जिसे एसोसिएशन ने वर्ष की शुरुआत में लॉन्च किया था। स्टूडियो ने 100 से अधिक मैगजींस, 50 वेबसाइट्स और सोशल मीडिया चैनल्स की एडिटोरियल स्ट्रेंथ और पब्लिशिंग एसेट्स को एक साथ रखा है, ताकि मार्केटर्स को 10 भाषाओं में 150 मिलियन से अधिक पाठकों को इन दमदार ब्रैंड्स की स्टोरीज सुनाने का अवसर मिल सके। शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि यह विश्व स्तर पर अपनी तरह की अनूठी पहल है, जिसका उद्देश्य नवीनत और दमदार ब्रैंड की स्टोरीज को ऐसे बताना है, जैसे कि पहले कभी न बताई गई हो।
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वरिष्ठ पत्रकार और ‘दूरदर्शन’ में सीनियर कंसल्टिंग एडिटर प्रखर श्रीवास्तव की किताब ‘हे राम: गांधी हत्याकांड की प्रामाणिक पड़ताल’ ने मार्केट में दस्तक दे दी है। इस किताब का विमोचन 28 जनवरी 2023 को दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) में हुआ।
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि यानी 30 जनवरी से ठीक पहले आई इस किताब में इतिहास में छिपे ढेरों तथ्यों को उजागर किया गया है। ‘हे राम’ में प्रखर श्रीवास्तव ने लगभग दो दशक के अपने शोध के बाद गांधी हत्याकांड से जुड़ी परिस्थितियों और घटनाक्रम का विस्तार से वर्णन किया है।
बुक लॉन्चिंग के मौके पर एक परिचर्चा का आयोजन भी किया गया, जिसमें प्रसिद्ध इतिहासकार मीनाक्षी जैन, पराग टोपे और लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने भाग लिया। कार्यक्रम में समाजसेवी रघु हरि डालमिया, फिल्मकार सविता राज हिरेमठ, वरिष्ठ टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया और सुमित अवस्थी ने भी भागीदारी की।
तमाम प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी भूमिका निभा चुके और इस किताब के लेखक प्रखर श्रीवास्तव ने विमोचन कार्यक्रम में कहा, ‘एक पत्रकार के रूप में गांधी हत्याकांड पर शोध के दौरान मेरे हाथ कई ऐसे तथ्य लगे, जिनके बारे में मैंने पहली बार सुना था। इतिहास की पुस्तकें भी उस पर मौन हैं। कोई भी बड़ी घटना होती है तो उसके कुछ सबक होते हैं। दुर्भाग्य से गांधी हत्याकांड से कोई सबक सीखने का प्रयास नहीं किया गया। वो सबक क्या थे और कैसे वो आज भी हमारे देश और समाज में उथल-पुथल मचाए हुए हैं, इस बारे में मैंने अपनी किताब में बात की है।’
इतिहासकार मीनाक्षी जैन का कहना था, ‘ऐसा जताया जाता है कि हिंदू-मुस्लिम संघर्ष स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ही आरंभ हुआ, जबकि इसके ढेरों साक्ष्य 500 वर्ष पुराने मध्यकालीन इतिहास में भी मिलते हैं। जब हम इस सत्य से आंख मूंद लेते हैं तो कई समस्याएं पैदा होती हैं। विभाजन से लेकर आज तक ढेरों समस्याओं की जड़ में यही मूल कारण है।’ इसके साथ ही उन्होंने बधाई दी कि इतिहास लेखन में नए-नए क्षेत्रों के लोग जुड़ रहे हैं। वे उन संदर्भों और साक्ष्यों को सामने ला रहे हैं, जिन्हें राजनीतिक उद्देश्यों से छिपाया जाता रहा है। मीनाक्षी जैन ने कहा, ‘मैं प्रखर के काम को लंबे समय से देख रही हूं। मैंने उनके कई व्याख्यान सुने और पाया कि अपने विषय पर जिस तरह का शोध वे कर रहे हैं, वह अत्यंत दुर्लभ है। इस किताब में भारत के विभाजन के समय के पत्रों, डायरी और संस्मरणों को आधार बनाया गया है। इतिहास को देखने का यही तर्कसंगत दृष्टिकोण है।’
वहीं, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम पर पुस्तक ‘ऑपरेशन रेटलोटस’ लिखने वाले पराग टोपे ने कहा, ‘पश्चिमी समाजों में इतिहास एक राजनीतिक हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है। वैसा ही हमारे देश में भी दोहराने का प्रयास हुआ। हमारा समाज अपने इतिहास को कथा, कहानियों और लोकोक्तियों में सहेज कर रखता है।’
साहित्यकार और लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा कि साहित्य से लेकर इतिहास और विविध विषयों पर हिंदी में अच्छे लेखक मौजूद हैं, बस उन्हें प्रकाशक के सहयोग की आवश्यकता है। उनका कहना था कि हिंदी में पुस्तक लेखन का बहुत ही उज्ज्वल भविष्य है।
‘हे राम: गांधी हत्याकांड की प्रामाणिक पड़ताल’ किताब को ‘जनसभा’ प्रकाशन ने पब्लिश किया है। यह प्रखर श्रीवास्तव की पहली किताब है और इसे उन्होंने दो खंडों में लिखा है। दोनों खंड इसी किताब में समाहित हैं। ‘अमेजॉन’ (Amazon) के अलावा इस किताब को पब्लिशर की वेबसाइट https://jansabha.org/ व अन्य प्रमुख बुक स्टोर्स से भी प्राप्त किया जा सकता है।
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जानी-मानी पत्रकार और लेखक मृणाल पांडे की नई किताब ‘The Journey of Hindi Language Journalism in India: From Raj to Swaraj and Beyond’ का विमोचन 24 जनवरी को दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) में किया गया।
कार्यक्रम में मंचासीन मृणाल पांडे, हिंदी कवि और समालोचक अशोक वाजपेयी, ‘द वायर’ (The Wire) की एडिटर सीमा चिश्ती और ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ (The Indian Express) की नेशनल ओपिनियन एडिटर वंदिता मिश्रा ने इस किताब और हिंदी पत्रकारिता को लेकर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम की शुरुआत अशोक वाजपेयी के संबोधन से हुई। इसमें उन्होंने कहा कि इस किताब में हिंदी के बारे में ऐसे ढेर सारे तथ्य व आंकड़े दिए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि हिंदी पत्रकारिता में क्या हो रहा है। आज के दौर की बात करें तो हिंदी मीडिया की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। फिर चाहे बात उसकी नैतिकता से जुड़ी हो अथवा सत्ता के खिलाफ अपनी आवाज उठाने और सच को सामने रखने की। हिंदी अखबारों को लेकर मेरा मानना है कि अधिकांश में बड़े पैमाने पर फेक न्यूज है और वे किसी न किसी खास विचारधारा से चल रहे हैं, ऐसे में मैंने कुछ समय पहले हिंदी अखबार पढ़ना छोड़ दिया है। लेकिन, इस किताब की बात करें तो इसमें ऐसे ढेर सारी इंफॉर्मेशन हैं और तथ्यों के साथ आंकड़े दिए गए हैं, जो हमें हिंदी मीडिया के सफर के बारे में पर्याप्त जानकारी देते हैं। उन्होंने इस किताब के कुछ अंशों को पढ़कर भी सुनाया।
अशोक वाजपेयी के बाद वंदिता मिश्रा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इस किताब के माध्यम से मुझे हिंदी पत्रकारिता के अब तक के सफर के बारे में काफी कुछ पढ़ने-समझने को मिला है। रिपोर्टिंग के सिलसिले में मैं देश के तमाम हिस्सों में जाती रहती हूं, वहां मैं देखती हूं कि तमाम स्तरों पर हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारिता/पत्रकारों में काफी अंतर है। मृणाल पांडे जी की किताब इस अंतर को समझने में काफी सहायक है, उन्होंने अपनी किताब में तमाम तथ्य दिए हैं और हिंदी पत्रकारिता के अब तक के सफर को काफी विश्लेषण व आंकड़ों से सामने रखा है।
बाद में सीमा चिश्ती ने माइक संभाला और कहा कि मृणाल जी ने हिंदी पत्रकारिता के उद्भव से लेकर, इसके विकास और वर्तमान में इसकी स्थिति समेत तमाम प्रमुख पक्षों को आंकड़ों के साथ सामने रखा है। मेरे लिए तीन प्रमुख बातों को लेकर यह किताब काफी महत्वपूर्ण है। पहली बात तो यह कि इसमें ऐसा क्या है जो मैं इसे अपनी टेबल पर रखूं तो मृणाल जी ने इसमें काफी बेहतर तरीके से इस भाषा के सफर को सामने रखा है और बताया है कि अन्य भाषाओं के मुकाबले हिंदी पत्रकारिता के साथ किस तरह का व्यवहार किया गया।
दूसरी बात ये एक प्रमुख मीडिया संस्थान में काम करने के दौरान व जीवन के अन्य क्षेत्रों में अहम पदों पर अपनी भूमिकाएं निभाने के दौरान मृणाल जी ने चीजों को काफी नजदीक से देखा है और पाठकों के लिए अपने अनुभवों और तथ्यों के साथ इस किताब को लिखा है। तीसरी बात यह कि इसमें हिंदी पत्रकारिता के इतिहास के साथ-साथ वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसकी वास्तविक स्थिति के बारे में भी अपनी बात सामने रखी है।
इसके बाद किताब की लेखिका और पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे ने अपने विचार रखे। मृणाल पांडे ने कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र का कहना था कि भारत में 12 तरह की हिंदी बोली जाती है। उन्होंने इनके जो नाम दिए हैं, उनमें उर्दू मिश्रित हिंदी, बनारस की हिंदी और अवध की हिंदी आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी के बारे में हमारा जो रिकॉर्डेड इतिहास है, इसमें कई बातें झूठी हैं।
पं. युगल किशोर शुक्ल द्वारा निकाले गए हिंदी के पहले साप्ताहिक अखबार ‘उदंत मार्तंड’ का जिक्र करते हुए मृणाल पांडे का कहना था कि 20वीं शताब्दी के शुरुआती वर्षों की बात करें तो हिंदी के जितने भी बड़े नाम थे, वे रॉयल हाउसेज द्वारा पब्लिश किए जाते थे। जितने भी राजा-महाराजा होते थे, वे अपनी स्थानीय भाषा अथवा अंग्रेजी में बोलते-लिखते थे। इसके बाद उनके कहने पर हिंदी भाषी योग्य व्यक्ति की तलाश होती थी, जो हिंदी में उनकी बात को रखते थे। इसके बाद हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में हुए विस्तार से जुड़ी तमाम घटनाओं का जिक्र करते हुए मृणाल पांडे ने कहा कि उन्होंने अपनी किताब में इन बदलावों को पूरे तथ्यों और आंकड़ों के साथ रखा है।
कार्यक्रम के समापन से पूर्व सवाल-जवाबों का दौर भी चला। इस दौरान बुक लॉन्चिंग में शामिल अतिथियों ने मृणाल पांडे से किताब और पत्रकारिता को लेकर सवाल पूछे और उनकी राय जानी। बता दें कि इस किताब को जाने-माने पब्लिशिंग हाउस ‘ओरिएंट ब्लैकस्वान’ (Orient Blackswan) ने प्रकाशित किया है।
हिंदी पत्रकारिता पर मृणाल पांडे द्वारा अंग्रेजी में लिखी गई यह किताब उन लोगों के लिए काफी उपयोगी है, जो हिंदी ज्यादा नहीं जानते, लेकिन हिंदी पत्रकारिता का इतिहास जानना-समझना चाहते हैं। इस किताब में बताया गया है कि हिंदी पत्रकारिता ने राज से स्वराज तक कितना लंबा सफर तय किया है और अभी किस मुकाम पर है। इसके साथ ही इस किताब में मृणाल पांडे ने मीडिया के डिजिटलीकरण, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बढ़ते प्रभाव और विज्ञापनों पर भारी निर्भरता जैसे प्रमुख बिंदुओं को भी जगह दी है।
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देश के प्रतिष्ठित मीडिया समूहों में शुमार ‘राजस्थान पत्रिका’ (Rajasthan Patrika) से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आई है। इंडस्ट्री के उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से मिली इस खबर के मुताबिक, ‘राजस्थान पत्रिका‘ में नेशनल कॉरपोरेट हेड के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे राकेश गोपाल ने इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने करीब एक साल पूर्व ही यहां अपनी नई शुरुआत की थी। राकेश गोपाल का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में पता नहीं चल पाया है।
बता दें कि राकेश गोपाल को मीडिया में काम करने का 25 साल से ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह ‘आईटीवी नेटवर्क’ (iTV Network), ‘इंडिया टुडे’ (India Today)समूह, ‘एचटी मीडिया लिमिटेड’ (HT Media Ltd) और ‘बिजनेस वर्ल्ड’ (BW Businessworld) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
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अंग्रेजी दैनिक ‘द हिन्दू’ के वरिष्ठ छाया पत्रकार (सीनियर फोटो जर्नलिस्ट) के.वी. श्रीनिवासन का सोमवार को चेन्नई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 56 साल के थे। बता दें कि वह श्री पार्थसारथी पेरुमल मंदिर में ‘वैकुंठ एकादशी’ उत्सव को कवर कर रहे थे कि तभी उनके सीने में तेज दर्द उठा और वह बेहोश होकर गिर पड़े। हालांकि मंदिर में उन्हें तत्काल चिकित्सा दी गई और इसके बाद सरकारी रोयापेट्टाह अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डॉक्टर ने बताया कि उनका निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ है।
बता दें कि उनके परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं। वह अंग्रेजी दैनिक ‘द हिन्दू’ के साथ 20 वर्षों से जुड़े हुए थे।
तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि, मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन और सूचना मंत्री एम.पी. सामीनाथन ने श्रीनिवासन के निधन पर शोक प्रकट किया और शोकसंतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।
स्टालिन ने एक बयान में कहा कि राजकीय पत्रकार परिवार कल्याण कोष से उन्होंने मृतक के परिवार के लिए पांच लाख रुपए की वित्तीय सहायता जारी करने का आदेश दिया है। विभिन्न पत्रकार संघों ने श्रीनिवासन के निधन पर शोक प्रकट किया है।
विवेकानंद कॉलेज से संस्कृत में एमए करने वाले श्रीनिवासन ने मीडिया के साथ जुड़ने से पहले कुछ समय के लिए एक निजी कंपनी में टेलीफोन ऑपरेटर के तौर पर काम किया था। बाद में वह फ्रीलांस के तौर पर काम करने लगे। समाचार पत्रों के साथ उनका करियर 'द फाइनेंशियल एक्सप्रेस' के साथ शुरू हुआ। बाद में उन्होंने 'इंडियन एक्सप्रेस' के साथ काम किया। वह 2002 में द हिंदू से जुड़े। श्रीनिवासन समाज कल्याण की गतिविधियों में सक्रियता से हिस्सा लेते थे और श्री पार्थसारथी मंदिर में स्वयंसेवी थे।
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‘टाइम्स ग्रुप’ (Times Group) के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर समीर जैन कॉलमिस्ट के तौर पर सामने आए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के आज के अंक में ‘The Speaking Tree’ कॉलम में एक आर्टिकल लिखा है।
संपादकीय पेज पर ‘Having attained nirvana, Maa Heeraben will always inspire’ शीर्षक से लिखे गए इस आर्टिकल में समीर जैन ने पीएम की मां के बारे में लिखा है कि उन्होंने मोहमाया के बंधनों से मुक्त होकर महानिर्वाण प्राप्त किया है। बता दें कि पीएम मोदी की मां हीराबेन का 30 दिसंबर 2022 को निधन हो गया था। वह करीब 100 साल की थीं।
इस आर्टिकल में समीर जैन ने लिखा है, ‘मुझे कभी भी हीराबेन से मिलने का सौभाग्य नहीं मिला। लेकिन, जब मैं कुछ हफ्ते पहले प्रधानमंत्री से मिला तो इस मुलाकात के दौरान उन्होंने अपनी मां के प्रति जो श्रद्धा और स्नेह व्यक्त किया, उसमें मुझे हीराबेन के उल्लेखनीय और असाधारण व्यक्तित्व की स्पष्ट झलक मिली।’
यही नहीं, अपनी मां के निधन के तुरंत बाद काम पर लौटने के लिए समीर जैन ने पीएम मोदी की सराहना भी की है। समीर जैन ने लिखा है, ‘अपनी मां का अंतिम संस्कार करने और एक बेटे के रूप में अपने धर्म को पूरा करने के बाद प्रधानमंत्री तुरंत अपने कर्तव्यों पर लौट आए। पीएम के ऐसा करने के फैसले ने कई लोगों को चौंका दिया होगा, लेकिन यह एक बेटे का अपनी मां के प्रति प्यार और सम्मान व्यक्त करने का शांत और गरिमापूर्ण तरीका था।’
समीर जैन के अनुसार, ‘कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता हमेशा मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।’ राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्यपथ करने का उदाहरण देते हुए समीर जैन ने नागरिकों से पीएम मोदी की तरह राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य निभाने का आह्वान किया है।
मीडिया में करीब ढाई दशक से सक्रिय अनूप शर्मा पूर्व में 'अमर उजाला', ‘हिन्दुस्तान’ और ‘दैनिक जागरण’ में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
‘अमर उजाला’ (Amar Ujala), बरेली में करीब 10 वर्षों से सिटी इंचार्ज रहे वरिष्ठ पत्रकार अनूप शर्मा ने नए साल पर हिंदी दैनिक ‘अमृत विचार’ (Amrit Vichar) के साथ अपनी नई पारी शुरू की है। उन्होंने यहां पर बतौर डिप्टी न्यूज एडिटर जॉइन किया है।
मीडिया में करीब ढाई दशक से सक्रिय अनूप शर्मा पूर्व में ‘हिन्दुस्तान’, बरेली में सीनियर रिपोर्टर और ‘दैनिक जागरण’ में सिटी इंचार्ज के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। मूल रूप से बरेली के रहने वाले अनूप शर्मा ने वर्ष 1995 में ‘अमर उजाला’ से मीडिया में अपने करियर की शुरुआत की थी।
वर्ष 2003 तक बदायूं, पीलीभीत और रुद्रपुर ब्यूरो में बतौर रिपोर्टर काम करने के बाद उन्होंने ‘दैनिक जागरण’ जॉइन कर लिया। यहां करीब छह महीने रिपोर्टिंग के बाद उन्हें सिटी डेस्क इंचार्ज की जिम्मेदारी दी गई। वर्ष 2005 में ’दैनिक जागरण’ का न्यूज चैनल ’चैनल7’ लॉन्च हुआ तो उसमें उन्हें बरेली ब्यूरो का हेड बनाया गया। 2007 में चैनल बंद होने के बाद फिर फिर ’दैनिक जागरण’ में वापसी की।
इसके बाद यहां से बाय बोलकर उन्होंने वर्ष 2009 में बतौर सीनियर रिपोर्टर ’हिन्दुस्तान’ और वर्ष 2010 में यहां से बतौर सिटी इंचार्ज फिर ’अमर उजाला’ जॉइन कर लिया। अब अनूप शर्मा ने ’अमृत विचार’ के साथ मीडिया में अपना नया सफर शुरू किया है। समाचार4मीडिया की ओर से अनूप शर्मा को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
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तमाम अन्य इंडस्ट्रीज की तरह भारतीय मीडिया परिदृश्य में भी बड़े पैमाने पर उथल-पुथल देखी जा रही है। पिछले कुछ समय में इसमें काफी उलटफेर देखने को मिले हैं। अब इस कड़ी में ‘मिलेनियम पोस्ट’ (Millennium Post) का नाम भी शामिल हो गया है।
ऐसे दौर में जब प्रिंट मीडिया इंडस्ट्री कोविड के बाद अर्थव्यवस्था को लेकर मजबूती से उबर रही है, ‘मिलेनियम पोस्ट’ को एक नए बहुसंख्यक हिस्सेदार के रूप में काफी राहत मिली है। माना जा रहा है कि यह कदम ‘मिलेनियम पोस्ट’ के लिए गेम चेंजर साबित होगा।
दरअसल, सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार ‘टेक्नो इंडिया ग्रुप’ (Techno India Group) के एमडी सत्यम रॉय चौधरी ने ‘मिलेनियम पोस्ट’ में बहुसंख्यक हिस्सेदारी हासिल कर ली है। हालांकि, इस बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी है। बता दें कि‘टेक्नो इंडिया ग्रुप’ शिक्षा, स्वास्थ्य और हॉस्पिटैलिटी से जुड़ी कंपनियों के साथ ही ‘आज कल मीडिया’ (Aaj Kal media) समूह का संचालन भी कर करता है।
इस बारे में समूह के सीईओ संकू बोस (Sanku Bose) ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (e4m) को बताया, ‘हमारे पास काफी प्रतिष्ठित मीडिया स्कूल है और स्थानीय मीडिया में भी हमारी मजबूत उपस्थिति है, ऐसे में इस अंग्रेजी पब्लिकेशन की खरीद हमारी दीर्घकालिक व्यापार रणनीति का हिस्सा है और इससे हमारे मीडिया स्कूल के विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में अनुभव हासिल करने में काफी मदद मिलेगी।’
16 पन्नों के इस अंग्रेजी अखबार और इसके ऑनलाइन अवतार को वर्ष 2012 में शुरू किया गया था। ‘द पॉयनियर’ समूह (The Pioneer) के पूर्व वाइस चेयरमैन और ज्वॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर दरबार गांगुली (Durbar Ganguly) इसके प्रमोटर हैं। गांगुली इस पब्लिकेशन के डायरेक्टर और एडिटर बने रहेंगे। बता दें कि कोलकाता में एक एडिशन के साथ इस पब्लिकेशन का मुख्यालय दिल्ली में है।
सूत्रों के अनुसार, गांगुली ने संस्थान के लिए कठिन समय की बात स्वीकारते हुए कहा है कि नई पूंजी ने पब्लिकेशन के भविष्य और संसाधनों को पुनर्जीवित किया है। हालांकि, इस पूंजी के बारे में दोनों पक्षों की ओर से कोई जानकारी नहीं मिली है।
टैम एडेक्स (TAM AdEx) के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि वर्ष 2022 में अंग्रेजी अखबारों के विज्ञापन में कोविड से पहले की तुलना में 14 प्रतिशत और वर्ष 2021 की तुलना में 17 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। वहीं, हिंदी अखबारों की बात करें तो वर्ष 2022 में कोविड से पहले की तुलना में इसमें सात प्रतिशत की कमी आई है और वर्ष 2021 की तुलना में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
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देश में समाचार पत्रों का रजिस्ट्रेशन अब जल्द ही डिजिटल तरीके से होगा। समाचार पत्रों के पंजीयक कार्यालय (आरएनआई) अब डिजिटाइज होने की कवायद में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस बात की जानकारी टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की एक रिपोर्ट से निकलकर सामने आयी है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय के एक शीर्ष पदाधिकारी ने TOI को बताया कि समाचार पत्रों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के पूरा होने में पहले जहां कई महीने लग जाते थे, उसे घटाकर अब सिर्फ एक सप्ताह कर दिया जाएगा। वैसे समाचार पत्रों के पंजीयक कार्यालय में समाचार पत्रों के रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन करने का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है और यह अगले साल 31 मार्च से पहले तक पूरा होने की उम्मीद है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अतंर्गत इस मामले को देखने वाला नोडल विभाग 'डिजिटल इंडिया' और 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' इनिशिएट्व्स के तहत काम कर रहा है।
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प्रख्यात कवि, आलोचक एवं संपादक डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष की किताब 'हिन्दुत्व: एक विमर्श' का विमोचन 26 दिसंबर 2022 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने किया। नई दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित एकात्म भवन में सोमवार को हुए इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सुनील आंबेकर ने कहा कि विश्व शांति के लिए हिन्दुत्व बेहद जरूरी है। आधुनिक समय में हिन्दुत्व के नियमों को भूलने का परिणाम हम जीवन के हर क्षेत्र में महसूस करते हैं।
‘एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान’ के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डॉ. महेश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में आंबेकर का कहना था कि हिन्दुत्व का मूल तत्व एकत्व की अनुभूति है। वेदों में जिस एकत्व की बात कही गई है, उसे सामाजिक जीवन में महसूस किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसी एकत्व भाव के कारण हम एक रहे और आगे बढ़ते रहे। अब हमें अपने लिए नए मार्ग तलाशने हैं और हिन्दुत्व के नियम इस दिशा में हमारा मार्गदर्शन कर सकते हैं।
आंबेकर के अनुसार हिन्दुत्व के नियमों के अनुसार एक-दूसरे की चिंता करना जरूरी है। हमारे बीच प्रतिस्पर्धा हो, लेकिन एक-दूसरे को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिस्पर्धा हो। उन्होंने कहा कि देश के सामान्यजनों तक हिन्दुत्व की समझ को पहुंचाना राष्ट्रीय कार्य है और हम सभी को मिलकर यह कार्य करना होगा।
भारतबोध का पर्याय है 'हिन्दुत्व: एक विमर्श': प्रो. द्विवेदी
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित ‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने कहा कि डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष की किताब 'हिन्दुत्व: एक विमर्श' भारतबोध का पर्याय है। उन्होंने कहा कि इस किताब के माध्यम से हिन्दुत्व को उजाला मिलेगा। डॉ. तत्पुरुष किताब के माध्यम से एक सार्थक विमर्श हमारे सामने लेकर आए हैं, जिस पर चर्चा करना बेहद जरूरी है।
हिन्दुत्व के बिना दार्शनिक व्याख्या संभव नहीं : हितेश शंकर
‘पांचजन्य’ के संपादक और कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि हितेश शंकर ने कहा कि संसार की दार्शनिक व्याख्या हिन्दुत्व के बिना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इस किताब में पहले हिन्दुत्व, फिर भारत, भारतबोध और अंत में संस्कृति और स्वाधीनता की बात की गई है, जो आजादी के अमृतकाल में हम सभी के लिए मार्गदर्शक होगी। उन्होंने इस किताब को साहित्य से अकादमिक जगत की तरफ ले जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
वहीं, डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष को किताब के प्रकाशन के लिए बधाई दी। किताब के बारे में डॉ. तत्पुरुष ने कहा कि पराधीन मानसिकता के कारण लोगों द्वारा हिन्दुत्व की मनमानी व्याख्या कर जो भ्रामक निष्कर्ष निकाले जा रहे हैं, इस किताब के माध्यम से उस भ्रम को दूर करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर दो मत हो सकते हैं कि हिन्दुत्व भारतीयता का पर्याय है, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि हिन्दुत्व इसी देश और इसी मिट्टी की उपज है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकारों, लेखकों एवं साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। संचालन ‘दिल्ली विश्वविद्यालय’ में वरिष्ठ आचार्या प्रो. कुमुद शर्मा ने किया।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।क्या हो जब कोई अखबार ‘रील’ और ‘रियल’ का फर्क न पहचान पाए। दरअसल हुआ भी कुछ ऐसा ही
बॉलीवुड में कई ऐसे अभिनेता हैं, जो अपने किरदार में इस तरह से ढल जाते हैं, जिन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है, लेकिन तब क्या हो जब कोई अखबार इस तरह की गलती कर बैठे कि ‘रील’ और ‘रियल’ का फर्क न पहचान पाए। दरअसल हुआ भी कुछ ऐसा ही। वैसे समय से खबर प्रकाशित करने के दबाव में कई बार अखबारों में बड़ी गलतियां देखने को मिली हैं, लेकिन इस बार यह गलती ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ अखबार से हुई है।
दरअसल हुआ यूं कि फिल्म अभिनेता रणदीप सिंह हुड्डा एक दिलचस्प वाकया शेयर किया है, जो उनकी फिल्म 'मैं और चार्ल्स' को लेकर है, जिसमें उन्होंने बेहतरीन अभिनय का परिचय दिया था। इस फिल्म में उन्होंने ‘बिकिनी किलर’ चार्ल्स शोभराज का किरदार निभाया था, जिसे नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने अब रिहा कर दिया है। स्वास्थ्य कारणों के चलते शुक्रवार को उसे जेल से रिहा कर दिया गया।
इसी खबर को टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने अखबार में प्रकाशित किया, लेकिन उससे यहीं गलती हो गई कि उसने चार्ल्स की जगह चार्ल्स की भूमिका निभाने वाले रणदीप हुड्डा की तस्वीर छाप दी। तस्वीर में रणदीप चार्ल्स के लुक में हथकड़ी पहने नजर आ रहे हैं। रणदीप ने खुद अखबार के इस खबर की तस्वीर शेयर की है।
रणदीप हुड्डा ने ट्विटर पर अखबार की कटिंग के साथ दो और तस्वीर शेयर की, जिसमें से एक में वह चार्ल्स के किरदार में हथकड़ी लगाए नजर आ रहे हैं और दूसरी में चार्ल्स की असली तस्वीर है। इन तस्वीरों के साथ रणदीप ने पूछा, 'क्या यह परोक्ष रूप से मेरी तारीफ थी या आप सच में ‘रील’ और ‘रियल चार्ल्स’ शोभराज में कन्फ्यूज हो गए थे?'
Is that a back handed compliment @timesofindia or did you genuinely get confused between the "real" and “reel” Charles Sobhraj ? ?? pic.twitter.com/5Fa1DwMjra
— Randeep Hooda (@RandeepHooda) December 23, 2022
बता दें कि रणदीप की फिल्म 'मैं और चार्ल्स' 2015 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में चार्ल्स की काली दुनिया को दिखाया गया था। फिल्म का निर्देशन प्रवाल रमन ने किया था।
जानिए, कौन है चार्ल्स शोभराज?
चार्ल्स शोभराज का जन्म 6 अप्रैल 1944 को वियतनाम के साइगॉन में हुआ था। उसकी मां वियतनामी थी, जबकि पिता भारतीय थे। उसके जन्म के वक्त वियतनाम पर फ्रांस का कब्जा था। फ्रांस के कब्जे वाले देश में पैदा होने के कारण शोभराज के पास फ्रांस की नागरिकता है। चार्ल्स शोभराज का असली नाम हतचंद भाओनानी गुरुमुख चार्ल्स शोभराज बताया जाता है। जुर्म की दुनिया वो 'बिकिनी किलर' और 'द सर्पेंट' के नाम से भी जाना जाता है। वह एक कुख्यात हत्यारा है और इसी जुर्म में 2003 से अब तक नेपाल की जेल में बंद था। वह थाईलैंड, अफगानिस्तान, ईरान, हांगकांग समेत कई देशों की 20 से अधिक महिलाओं का हत्यारा बताया जाता है। उसकी ज्यादातर शिकार के शव बिकिनी में मिले थे, इसलिए वह बिकिनी किलर के नाम से जाना जाने लगा।
भारत में भी हो चुका है गिरफ्तार
शोभराज को साल 1976 में गिरफ्तार किया था। 1986 में कुछ समय को छोड़ दिया जाए, तो उसने भारत की जेल में 21 साल गुजारे। उस दौरान वह भाग गया था, लेकिन गोवा से दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया। 1997 में रिहा होने के बाद शोभराज पेरिस में रहा, लेकिन साल 2003 में उसने नेपाल का रुख किया।
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