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‘मोदी के व्यक्तित्व को सही मायनों में रेखांकित करती है अजय सिंह की ये किताब’

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के मुख्य आतिथ्य में 29 अगस्त की शाम दिल्ली स्थित ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ (IGNCA) में आयोजित एक कार्यक्रम में इस किताब का किया गया विमोचन

Last Modified:
Tuesday, 30 August, 2022
Book Launching

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अजय सिंह की किताब ‘आर्किटेक्ट ऑफ द न्यू बीजेपी: हाउ नरेंद्र मोदी ट्रांसफॉर्म्ड द पार्टी’ का विमोचन दिल्ली स्थित ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ (IGNCA) के सम्वेत ऑडिटोरियम में 29 अगस्त की शाम आयोजित एक कार्यक्रम में किया गया।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के मुख्य आतिथ्य में हुए इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के प्रेजिडेंट राम बहादुर राय, राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर महेश रंगराजन और पुस्तक के लेखक अजय सिंह मौजूद थे।

पुस्तक के विमोचन पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काट ढूंढ रहे हैं, लेकिन उन्हें यह मिल नहीं रही है। रक्षामंत्री ने कहा कि सांगठनिक क्षमता, जनता से जुड़ाव और उनकी मुश्किलों की जमीनी समझ की वजह से प्रधानमंत्री आज दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं।

राजनाथ सिंह का कहना था कि  ‘जनता से जुड़े रहिए, सफलता आपके कदम चूमेगी... यही प्रधानमंत्री मोदी का मूलमंत्र है।’ सिंह ने कहा कि मोदी के पास जो सांगठनिक क्षमता है, किसी दैवीय शक्ति के बिना संभव नहीं है।

राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय सिंह ने इस पुस्तक में बताया है कि किस तरह नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी की कायाकल्प की। उन्होंने बताया है कि 2014 की ऐतिहासिक विजय के बाद प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद कई ऐसे फैसले किए, जिसने न केवल आम लोगों को चौंकाया, बल्कि राजनीति के दिग्गज पंडितों को भी हैरान किया।

मोदी के सांगठनिक कौशल पर केंद्रित इस पुस्तक में बताया गया है कि एक रणनीतिकार के तौर पर नरेंद्र मोदी में ऐसी क्या विशेषता है, जो उन्हें बाकी नेताओं से अलग खड़ा करती हैं और भाजपा में जब भी मोदी को जो भी भूमिका मिली, उनकी बनाई रणनीति ने कैसे पार्टी को लाभ पहुंचाया।

अंग्रेजी में लिखी इस किताब को ‘पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया’ (PRHI) ने पब्लिश किया है।

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युवा पत्रकारों के लिए प्रेरक है वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश का जीवन: शिवराज सिंह

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में एक कार्यक्रम में न्यूज एजेंसी 'ANI' के फाउंडर और वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश की लिखी किताब ‘Reporting India’ के हिंदी संस्करण का विमोचन किया

Last Modified:
Tuesday, 28 March, 2023
Book Launch

न्यूज एजेंसी ‘एशियन न्यूज इंटरनेशनल’ (ANI)  के फाउंडर और वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश की लिखी किताब ‘रिपोर्टिंग इंडिया’ (Reporting India) के हिंदी संस्करण का सोमवार को विमोचन हुआ।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य में भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में इस किताब का विमोचन किया गया। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने किताब का विमोचन किया और वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश के जीवन को युवाओं के लिए प्रेरणा बताया।

उन्होंने कहा कि खुद के निर्माण के लिए व्यक्ति किस तरह अपने जुनून, जज्बे और जिद से सफलता के शीर्ष तक पहुंचता है, इसका उदाहरण वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश का जीवन है।

इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान का यह भी कहना था, ‘प्रेम प्रकाश ने अपनी योग्यता व लगन से पत्रकारिता के क्षेत्र में संघर्ष करते हुए लगातार 70 वर्ष अतुलनीय कार्य किया है। उनके इस विशाल अनुभव से युवा पीढ़ी बहुत कुछ सीख सकती है।’ इस किताब में भारत के विकास की कहानी में एक पत्रकार के रूप में प्रेम प्रकाश की सत्तर साल की यात्रा का पूरा लेखा-जोखा है।

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मीडिया परिदृश्य में मैगजींस की अपनी खास जगह है: मिनेट फरेरा

साउथ अफ्रीका में ‘Media24’ की जनरल मैनेजर (लाइफस्टाइल और कम्युनिटी न्यूज) मिनेट फरेरा ने बताया कि कैसे उनकी कंपनी मैगजीन पब्लिशिंग मॉडल को नए सिरे से तैयार कर रही है।

Last Modified:
Monday, 27 March, 2023
Minette Ferreira

देश में पत्रिकाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) ने चार साल के लंबे अंतराल के बाद दिल्ली में 24 मार्च को अपने प्रमुख इवेंट ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ (IMC) का एक बार फिर आयोजन किया।

दिल्ली में द ओबेरॉय होटल में आयोजित ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस‘ 2023 के मंच पर दुनियाभर के पब्लिशिंग इंडस्ट्री के दिग्गजों ने अपनी बात रखी। इस साल इस कांग्रेस की थीम रखी गई थी कि कैसे डिजिटल युग में भी मैगजींस लोगों को जोड़े रखने के लिए (Building Engaged Communities) सबसे प्रभावी माध्यम हैं।

इस मौके पर साउथ अफ्रीका में ‘Media24’ की जनरल मैनेजर (लाइफस्टाइल और कम्युनिटी न्यूज) मिनेट फरेरा (Minette Ferreira) ने बताया कि कैसे उनकी कंपनी मैगजीन पब्लिशिंग मॉडल को नए सिरे से तैयार कर रही है। इसके अलावा उन्होंने मैगजीन सबस्क्रिप्शन को लेकर भी अपनी बात रखी।  

फरेरा के अनुसार, ‘मीडिया परिदृश्य में मैगजींस अपनी अनूठी जगह रखती हैं और मुझे लगता है कि यह इसलिए भी अनूठी हैं, क्योंकि यह खास तरीके से स्टोरीज को पाठकों के सामने रख सकती हैं। मैगजींस एक बहुत ही खास तरीके से कम्युनिटीज से जुड़ सकती हैं। फिर चाहे आप एक ऐसी मैगजीन के बारे में बात कर रहे हैं जो एक बड़े समूह (एक मैगजीन जो बड़े पैमाने पर प्रकाशित होती है) के लिए लक्षित है या चाहे आप एक ऐसी मैगजीन के बारे में बात कर रहे हैं जो वास्तव में एक छोटे से समुदाय के लिए विशिष्ट है, मैगजींस समुदायों को जोड़ सकती हैं, चाहे वह बड़ा या छोटा।’

फरेरा का कहना था, ‘मैगजीन स्टोरीटेलिंग के साथ जुड़ी हुई हैं। इनमें सुंदर लेखन है, सुंदर स्टोरी हैं और मुझे लगता है कि यह कभी भी फैशन से बाहर नहीं होंगी।’ आज के तेजी से बढ़ते डिजिटल दौर के बारे में फरेरा का कहना था, ‘मुझे लगता है कि अधिकांश मैगजीन मीडिया कंपनियां डिजिटल माइग्रेशन से जूझ रही हैं और जब यह सवाल उठता है कि क्या हम फ़ायरवॉल के दृष्टिकोण से सफल होंगे। मुझे विश्वास है कि यह एक संयोजन होगा। हम इतने सालों से प्रिंट के खत्म होने की बात कर रहे हैं। फिर भी हम यहां हैं और हम अभी भी मैगजींस पब्लिश कर रहे हैं।’

फरेरा का मानना ​​है कि स्पर्श संबंधी अनुभव और मैगजींस की विलासिता को कभी भी ऑनलाइन अनुभव से बदला नहीं जा सकता है। लेकिन क्या एक मैगजीन ऑनलाइन दुनिया में रह सकती है, जिसके लिए भुगतान किया जाता है, तो मुझे विश्वास है कि यह हो सकता है।

अगर मैं किसी वेबसाइट पर जाती हूं तो वह विलासिता का क्षण नहीं है; इसमें वह चमकदार अनुभव नहीं है। यह उन अवसरों को खोजने के बारे में है। और मुझे लगता है कि फिर से इसका उत्तर स्टोरीटेलिंग में निहित है। मेरी नजर में अद्वितीय चीजें जो हम डिजिटल रूप से प्रस्तुत कर सकते हैं, वे चीजें हैं जो हम प्रिंट में नहीं कर सकते हैं। जो स्टोरी के पीछे की स्टोरी कह रही हैं। दरअसल, डिजिटल उस बाधा से निपटता है जो हमारे पास प्रिंट में है। यानी एक पब्लिशर के भौतिक उत्पाद पर सीमित मात्रा में अचल संपत्ति (खासकर स्पेस) है। बेशक, हमारे पास डिजिटल रूप से अचल संपत्ति की अंतहीन मात्रा है, लेकिन यह इस बारे में है कि आप उसके साथ क्या करते हैं। इसलिए, उसका अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने में, मैगजींस के लिए प्रीमियम कंटेंट के लिए बहुत अधिक मूल्य है। ऐसा कंटेंट जो स्पष्ट रूप से लोगों को आकर्षित करने वाला है।

फरेरा के अनुसार, ‘मुझे लगता है कि प्रीमियम कंटेंट के नजरिये से मैगजींस वास्तव में काफी अच्छा कर सकती हैं। सेलिब्रिटी कवर स्टोरी के साथ इंटरव्यू का वीडियो कौन नहीं देखना चाहेगा? पर्दे के पीछे की शूटिंग में क्या हुआ, यह कौन नहीं जानना चाहेगा। यह स्टोरीटेलिंग का का एक अलग तरीका है, जिससे प्रिंट गुजरा है। दर्शकों को जोड़े रखने के लिए आपको इसे मनोरंजक बनाना होगा। इसलिए मुझे लगता है कि यह डिजिटल स्पेस में स्टोरीटेलिंग के अलग-अलग तरीके खोज रही हैं।’

फरेरा के अनुसार, हम दक्षिण अफ्रीका में जो प्रयोग कर रहे हैं (और मुझे उम्मीद है कि एक साल में हम बताएंगे कि यह सफल रहा है), उसमें हम पेवॉल के दौर में अखबारों की मैगजींस के साथ बंडलिंग कर रहे हैं। यह वास्तव में इसलिए है क्योंकि मैगजींस एक अलग भूमिका निभाती हैं जो कि अखबार करते हैं।

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मैगजींस के भविष्य को लेकर उठ रहे सवालों का इंडस्ट्री के दिग्गजों ने कुछ यूं दिया जवाब

इंडियन मैगजीन कांग्रेस 2023 में जुटे इंडस्ट्री के दिग्गजों ने डिजिटल के तेजी से बढ़ते दौर में मैगजीन बिजनेस के भविष्य को लेकर अपने विचार रखे।

Last Modified:
Monday, 27 March, 2023
IMC Pannel

मैगजीन पब्लिशिंग इंडस्ट्री से जुड़े तमाम लोगों को एक मंच पर लाने के लिए शुरू हुई पहल ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ (IMC) का इस बार 24 मार्च को दिल्ली में आयोजन किया गया। यह इस आयोजन का 12वां एडिशन था। दिल्ली में द ओबेरॉय होटल में आयोजित ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस‘ 2023 में  जुटे दुनियाभर के पब्लिशिंग इंडस्ट्री के दिग्गजों ने डिजिटल के तेजी से बढ़ते दौर में मैगजीन बिजनेस के भविष्य को लेकर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम में इन दिग्गजों ने ‘Digital Paywall journey for magazines in India’ शीर्षक से आयोजित एक पैनल डिस्कशन में खुलकर अपने विचार रखे। इस सेशन में ‘आनंद विकटन’ के श्रीनिवासन बी, ‘AgriMedia‘ के जीन पॉल रेपरॉन, ‘Aller X’ के जेन थॉरसन, ‘दिल्ली प्रेस‘ के अनंत नाथ, ‘एचटी डिजिटल स्ट्रीम‘ के निखिल कनकेल शामिल रहे। इस सेशन को ‘RPSG group’ डीएन मुखर्जी ने मॉडरेट किया।

इस सेशन में चर्चा का प्रमुख विषय यह रहा कि डिजिटल के तेजी से बढ़ते दौर में मैगजीन बिजनेस का क्या भविष्य है। सेशन की शुरुआत करते हुए मुखर्जी ने पूछा कि क्या रीडर रेवेन्यू पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है और जितना संभव हो, उतना कंटेंट दिया जाए, जिसके लिए पाठक भुगतान करते हैं अथवा क्या अभी भी यह विश्वास है कि भारत में विज्ञापन समर्थित मॉडल ब्रैंड्स के लिए कुछ वैल्यू निर्माण कर सकता है? इस सेशन के दौरान यह मुद्दा भी उठा कि डिजिटल के बढ़ते दौर में मैगजींस को अपने अस्तित्व के लिए आवश्यक रेवेन्यू जुटाना कठिन हो गया है।  

इस दौरान श्रीनिवासन का कहना था, ‘यदि कंटेंट भुगतान करने लायक है, तो उसे पेवॉल (paywall) के पीछे होना चाहिए। हम इसका इस्तेमाल ऑडियंस को आकर्षित करने के लिए करते हैं। हमें यूजर्स को आकर्षित करना है और जब हम देखते हैं कि यूजर समय व्यतीत कर रहा है तो हम कंटेंट को पेड करते हैं। मेरा मानना है कि पेवॉल और नो पेवॉल के बीच एक मिश्रण होना चाहिए।’

अनंत नाथ का कहना था, ‘जब हमारे लिए कुछ भी काम नहीं आया  तो वर्ष 2018 में हमने अपने कंटेंट को पेवॉल के पीछे रखना शुरू कर दिया। लोग शुरुआत में इसके विरोधी थे, लेकिन मैगजींस को बचाने के लिए पेवॉल जरूरी था। मुझे लगता है कि मैगजींस में एडवर्टाइजिंग बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। हम एडवर्टाइजिंग की भूमिका को नकार नहीं सकते हैं।’

पेवॉल की सफलता दर के बारे में निखिल का कहना था, ’यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने किस प्रकार का पेवॉल सेट किया है, यानी क्या आप हार्ड पेवॉल (hard paywall),  मीटर्ड पेवॉल (metered paywall) या प्रोपेसिटी वॉल (propensity wall) का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक ब्रैंड के रूप में मिंट के लिए हम अपना करीब 25 प्रतिशत रेवेन्यू डिजिटल से लाते हैं। एक मुफ्त वेबसाइट से रेवेन्यू लाने वाली वेबसाइट तक पेवॉल मिंट के लिए काफी बेहतरीन काम कर रहा है।’

एक वैश्विक परिदृश्य के बारे में जीन का कहना था, ‘जब मैं खासतौर से नीदरलैंड के मार्केट की बात करूं तो मैंने देखा है कि पिछले एक दशक के दौरान पब्लिशर्स काफी सारा मुफ्त कंटेंट देकर इंटरनेट को आकार देने में मदद कर रहे हैं। इस समय हमें उस बेहतर क्वालिटी वाले कंटेंट को पेवॉल के पीछे शिफ्ट करने की जरूरत है। अच्छी क्वालिटी वाले कंटेंट के लिए भुगतान करना होगा।’ वहीं, जेन का इस बारे में कहना था, ‘शुरुआत में पेवॉल की अवधारणा काफी सामान्य थी, लेकिन अचानक यह काफी ऊपर जा रही है, क्योंकि अब पाठकों को इसकी आदत हो रही है।’

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मेरी नजर में इन बड़ी वजहों से पत्रकारिता के लिए भुगतान करते हैं लोग: जेम्स ह्यूज

‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) के प्रमुख इवेंट ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ (IMC) के 12वें एडिशन में FIPP के प्रेजिडेंट ने मैगजीन बिजनेस को प्रभावित करने वाले ग्लोबल ट्रेंड्स पर अपनी बात रखी।

Last Modified:
Monday, 27 March, 2023
James Hewes

देश में पत्रिकाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) के प्रमुख इवेंट ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ (IMC) में शुक्रवार को मैगजीन पब्लिशिंग इंडस्ट्री से जुड़े दुनियाभर के दिग्गजों ने शिरकत की। यह इस आयोजन का 12वां एडिशन था। इस बार चार साल के अंतराल के बाद ऐसे समय में इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ,  जब मैगजीन पब्लिशिंग ने कोविड के बाद के दौर में अपने पाठकों के लिए और अधिक प्रासंगिक बने रहने के लिए तमाम नए तरीके अपनाए हैं।

कार्यक्रम के दौरान मैगजीन मीडिया इंडस्ट्री के ग्लोबल ट्रेड एसोसिएशन ‘FIPP’ के प्रेजिडेंट जेम्स ह्यूज (James Hewes) प्रमुख वक्ता के रूप में एक बार फिर भारत आकर काफी खुश दिखे। इस दौरान ह्यूज ने मैगजीन एसोसिएशंस के महत्व, ग्लोबल ट्रेंड्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती मौजूदगी के बारे में विस्तार से बात की।

ह्यूज का कहना था कि एक लंबे समय बाद एक बार फिर भारत आकर उन्हें बहुत अच्छा लगा है। ह्यूज के अनुसार, ‘जब भी कोई इवेंट खत्म होता है, स्थगित होता है अथवा किसी कारण से रुक जाता है, तो हमेशा यह चिंता रहती है कि यह वापस होगा या नहीं। हमारे वैश्विक परिप्रेक्ष्य में इस तरह के इवेंट्स का होना काफी महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही यह भी काफी महत्वपूर्ण है कि स्थानीय इंडस्ट्री अपने पब्लिशिंग एसोसिएशंस को सपोर्ट करती है।’

ह्यूज ने यह भी कहा कि कभी-कभी इस तरह के इवेंट्स को केवल एक खर्च के रूप में देखा जाता है और लोग वास्तव में उस कम्युनिटी के मूल्यों को नहीं समझते हैं जो वे लाते हैं और जो काम करते हैं। ह्यूज का कहना था, ‘इस तरह के इवेंट्स काफी अच्छे होते हैं क्योंकि यह सभी लोगों को एक मंच प्रदान करते हैं और अपनी बात रखने का मौका देते हैं। इससे उन्हें एक-दूसरे के साथ मजबूती से जुड़कर काम करने का मौका मिलता है। वास्तव में, मीडिया परिदृश्य में इन एसोसिएशंस को संरक्षित करना और बढ़ावा देना और भी महत्वपूर्ण हो गया है, जो तमाम इंफ्लुएंसर्स और चैट जीपीटी (ChatGPT) जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स की मौजूदगी से कमजोर हो गए हैं।’

ह्यूज ने कहा, ‘मैंने गैरी स्मिथ की किताब ‘The AI Delusion‘ किताब पढ़ी। यह काफी अच्छी किताब है और इसमें बताया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है और यह कैसे काम करता है। यह न ब्रेन है और न ही कोई जादू है। इसमें सोचने की क्षमता नहीं है और न ही कभी होगी। न ही इसमें अपने आत्मजागरूकता है। यह सिर्फ एक कंप्यूटर प्रोग्राम है, जिसे बहुत अच्छी तरह से तैयार किया गया है। यह सूचना लेता है और बहुत ही ज्यादा तेजी व चतुराई से उसका विश्लेषण कर उसे वापस कर देता है, जो हमें एक नए रूप में प्राप्त होती है।‘

ह्यूज का कहना था कि हमें इस भ्रम में नहीं पड़ना चाहिए कि यह इंसानों की जगह ले लेता है। ह्यूज के अनुसार, ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अधिक दोहराव वाली चीजें कर सकता है, जैसे मार्केटिंग के लिए शॉर्ट कॉपी लिखना एक अच्छा उदाहरण होगा और इसके अलावा अन्य चीजें, जो आमतौर पर किसी को पसंद नहीं आतीं। चैट जीपीजी शायद मनुष्य की तरह ही ऐसा करता है और यह एक इंसान को एक उबाऊ काम से बचाएगा, ताकि वे कुछ और दिलचस्प कर सकें।’

इस कार्यक्रम के दौरान ह्यूज का यह भी कहना था, ‘मुझे लगता है कि लोग पत्रकारिता के लिए इस वजह से भुगतान करते हैं कि उनका मानना होता है कि वह भरोसे यानी ट्रस्ट और गुणवत्ता यानी क्वालिटी के लिए भुगतान कर रहे हैं। यह ऐसा कॉम्बिनेशन है जो अच्छी मानवीय पत्रकारिता को मशीनी पत्रकारिता या ऐसे लोगों द्वारा बनाए गए कंटेंट से अलग करता है, जो प्रोफेशनल्स नहीं हैं।’

ह्यूज के अनुसार, ‘यही कारण है कि हम अपनी बातचीत और अपने काम में इंफ्लुएंसर्स के बारे में ज्यादा बात नहीं करते हैं, क्योंकि वे लोग पत्रकार नहीं हैं। लेकिन एक इंफ्लुएंसर को लगता है कि पत्रकारिता ऐसी चीज है, जिसे कोई भी कर सकता है। यही कारण है कि तमाम पत्रकारिता स्कूल मौजूद हैं और यह भी एक कारण है कि पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त करने में बहुत समय और पैसा खर्च होता है, क्योंकि यह एक जॉब है और यह एक क्राफ्ट है। क्या हमारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उस क्राफ्ट के तत्वों को उठाएगा और उसे दोहराएगा? क्या तमाम पब्लिकेशंस द्वारा इसका व्यापक उपयोग होने जा रहा है? मुझे इसकी आशा नहीं है। मुझे ऐसा नहीं लगता। वास्तव में आप खुद चैट जीपीटी से पूछ सकते हैं। यह वास्तव में अपने बारे में काफी ईमानदार है। यह आपको बताएगा कि यह आत्म-जागरूक नहीं है, और आपको बताएगा कि यह राय रखने के लिए नहीं है। यह भविष्य की भविष्यवाणी करने के लिए नहीं है। जो पहले से हो चुका है उसे संश्लेषित करने के लिए यह है। इसलिए हमारा काम वहां छलांग लगाना है, जो यह नहीं कर सकता।‘

इसके साथ ही ह्यूज का यह भी कहना था, ‘कहा जा रहा है कि पेड पत्रकारों के बिना कोई पत्रकारिता नहीं है। कहने का मतलब है कि आपको पत्रकारिता का भुगतान करने का एक तरीका पता चल गया है, अन्यथा, यह अस्तित्व में नहीं है। पब्लिशर्स के लिए वास्तव में इसका मतलब केवल तीन चीजों में से एक है। या तो आपको इसके लिए भुगतान करने के लिए एक ऐडवर्टाइजर मिलता है (लेकिन उसकी एक सीमा होती है) या आप कंज्यूमर को इसके लिए सीधे पेवॉल या सबस्क्रिप्शन के रूप में भुगतान करने के लिए कहते हैं यानी आप कंज्यूमर से इसके लिए भुगतान करवाते हैं। अथवा आपको कंटेंट के लिए ऐसे कंज्यूमर मिलते हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से ट्रांजेक्शन करते हैं, जिसमें से आपको इसका एक शेयर मिलता है, जैसे कई कंपनियां कंटेंट क्रिएटर्स को कुछ शेयर देती हैं। इस तरीके से पैसे कमाने के अलावा वास्तव में कोई दूसरा निश्चित तरीका नहीं है। बाकी सभी इसी थीम पर हैं।’

ह्यूज का यह भी कहना था कि डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन डिजिटल एडवर्टाइजिंग या पेवॉल या जो भी हो, पर निर्भरता के लिए प्रिंट एडवर्टाइजिंग पर निर्भरता की अदला-बदली के बारे में नहीं है। डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन रेवेन्यू की विविधता के बारे में है, जिसमें कमाई के चार या पांच तरीके हैं, ताकि हम उस तरह के संकटों से दूर रहें, जिसमें हम रहते हैं और हमें नहीं पता होता कि किस तरह का झटका लगने वाला है और रेवेन्यू का कौन सा रास्ता बंद होने वाला है। ऐसे में आपको खुद को इस तरह के जोखिम से दूर रखना होगा।

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मैगजीन बिजनेस मुख्य रूप से इन तीन शब्दों के इर्द-गिर्द घूमता है: डॉ. अनुराग बत्रा

‘बिजनेसवर्ल्ड’ समूह के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ समूह के फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा का कहना है कि आने वाले दौर में मैगजीन प्लेयर्स के हाथों में होगी मीडिया बिजनेस की कमान

Last Modified:
Monday, 27 March, 2023
Dr Annurag Batra

देश में पत्रिकाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) के प्रमुख इवेंट ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ (IMC) का 24 मार्च को वृहद आयोजन किया गया। दिल्ली में हुए इस आयोजन में एडिटर्स, पब्लिशर्स, मीडिया संस्थानों के डिजिटल हेड्स, पॉलिसीमेकर्स, मीडिया संस्थानों के मालिक, मार्केटर्स और मीडिया प्लानर्स के साथ ही रिसर्चर और इंडस्ट्री से जुड़े विश्लेषक शामिल हुए और अपनी बात रखी।

कार्यक्रम में चर्चा हुई कि पिछले कुछ वर्षों में मैगजीन बिजनेस का किस तरह जबरदस्त विकास हुआ है और मैगजीन बिजनेस के लिए नए प्रतिमान क्या हैं। इसके साथ ही इस बात पर भी चर्चा हुई कि किस तरह तमाम मैगजींस कम्युनिटीज को आगे बढ़ाने के लिए कॉरपोरेट स्ट्रक्चर तैयार किया जा सकता है और मैगजींस किस तरह से अपनी कम्युनिटीज के बीच ब्रैंड इंगेजमेंट बढ़ा सकती हैं।

कार्यक्रम के दौरान ‘बिजनेसवर्ल्ड’ समूह के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ समूह के फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में मैगजीन बिजनेस भविष्य के मल्टीमीडिया प्लेटफॉर्म्स में तब्दील हो गया है। उन्होंने एक मैगजीन बिजनेस को परिभाषित करते हुए अपने संबोधन की शुरुआत की, जो मुख्य रूप से तीन शब्दों- कंटेंट, कम्युनिटी और कॉमर्स (Content, Community and Commerce) के इर्द-गिर्द घूमता है। उन्होंने उल्लेख किया कि जब बाजार में प्रत्येक प्लेयर व्यक्तिगत रूप से या सहयोगी रूप से आगे बढ़ता है, तो किस तरह से इंडस्ट्री का विस्तार होता है।

पिछले दो दशक में ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ने किस तरह सहज रूप से मीडिया इंडस्ट्री के लिए बी2बी मार्केटप्लेस बनाया है, इस बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. बत्रा ने यह भी उल्लेख किया कि कैसे उन्होंने मीडिया प्लेटफॉर्म को आगे बढ़ाने के लिए कंटेंट पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया, जो बहुत ही महत्वपूर्ण है।

स्पष्ट रूप से एक मीडिया प्लेटफॉर्म जो मार्केटिंग, एडवर्टाइजिंग और मीडिया कम्युनिकेशन कम्युनिटी में एक महत्वपूर्ण प्लेयर है, अपनी उच्च विश्वसनीयता वाले कंटेंट और दर्शकों के मजूबत आधार पर मार्केट में मजबूती से खड़ा है।

डॉ. अनुराग बत्रा के अनुसार, ‘एक्सचेंज4मीडिया मार्केटिंग और एडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री से जुड़े सभी लोगों के लिए एक होम पेज है, हम B2B स्पेस में होने वाली हर चीज पर विविध कंटेंट प्रदान करते हैं। इसके अलावा, हमारे बिजनेस के चार प्रमुख स्तंभ हैं-एक्सचेंज4मीडिया, मासिक पत्रिका ‘पिच’, साप्ताहिक पत्रिका ‘इम्पैक्ट’ और करीब 14 साल पहले हमने हिंदी में मीडिया पर एक न्यूज वेबसाइट ‘समाचार4मीडिया’ शुरू की थी। एक्सचेंज4मीडिया ने 72 से अधिक इवेंट्स आयोजित किए हैं। इसके अलावा बिजनेसवर्ल्ड ने 27 कम्युनिटीज तैयार की हैं, जिनमें होटल कम्युनिटी टॉप पर है। वहीं, बिजनेसवर्ल्ड आने वाले वर्षों में अन्य निवेशों के साथ सबस्क्रिप्शन मॉडल अपनाने के साथ-साथ 12 से 14 नई मैगजींस इस लिस्ट में जोड़ने की योजना बना रहा है।’

इसके साथ ही यह जानकारी देते हुए कि देश में मैगजीन बिजनेस किस तरह से भविष्य के मल्टीमीडिया प्लेटफॉर्म्स में रूपांतरित हो गए हैं, डॉ. बत्रा ने यह भी शेयर किया कि कैसे बिजनेसवर्ल्ड और एक्सचेंज4मीडिया ने अपने पंख फैलाए हैं और प्रिंट, इवेंट्स व रिसर्च से परे नई चीजें तलाश की हैं। ओटीटी और वीडियो अगले चरण हैं, जिन्हें कंपनी आने वाले वर्षों में शुरू करने की तैयारी में है। डॉ. बत्रा के अनुसार, ‘हम ब्रैंड और कंटेंट के बिजनेस में हैं। अपने बिजनेस को कैसे परिभाषित किया जाए कि लाभप्रदता मिल सके, इसका बेहतर उदाहरण इंडिया टुडे के साथ दिया जा सकता है, जिसने एक मैगजीन कंपनी के रूप में शुरुआत की और बाद में ब्रॉडकास्ट क्षेत्र में प्रवेश किया। इससे पता चलता है कि आने वाले वर्षों में शीर्ष मीडिया प्लेयर्स वे होंगे, जिन्होंने मैगजीन बिजनेस के साथ शुरुआत की है।’

इस कार्यक्रम के दौरान डॉ. बत्रा ने यह भी उल्लेख किया कि बिजनेस का विस्तार करने के लिए स्केल, बाजार की गहराई से समझ और मार्केट की क्षमता आदि प्वॉइंट्स पर फोकस करना जरूरी है। इसके साथ ही डॉ. बत्रा ने उन सभी कार्यों का जिक्र किया, जिनका पालन बिजनेस के समग्र विकास के लिए करना चाहिए। इनमें कंटेंट, इनसाइट्स, कनेक्टिविटी, एडवर्टाइजिंग, स्पॉन्सरशिप और सबस्क्रिप्शन मॉडल्स आदि शामिल हैं।

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रिलायंस फाउंडेशन दृष्टि ने मराठी में लॉन्च किया ब्रेल अखबार

रिलायंस फाउंडेशन दृष्टि ने सेवा के अपने दो दशक पूरे कर लिए हैं। इस उपलक्ष्य में फाउंडेशन ने नेत्रहीन लोगों के लिए मराठी में ब्रेल अखबार का शुभारंभ किया है।

Last Modified:
Saturday, 18 March, 2023
RelianceFoundation45885

रिलायंस फाउंडेशन दृष्टि ने सेवा के अपने दो दशक पूरे कर लिए हैं। इस उपलक्ष्य में फाउंडेशन ने नेत्रहीन लोगों के लिए मराठी में ब्रेल अखबार का शुभारंभ किया है।

2012 में भारत का एकमात्र हिंदी पाक्षिक अंतरराष्ट्रीय ब्रेल अखबार लॉन्च किया गया था। इसे अब मराठी भाषा में भी लाया जा रहा है। नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड के सहयोग से निर्मित इस अखबार के मुख्य संपादक स्वागत थोराट हैं।

इस अखबार में खेल, व्यापार, शिक्षा, करंट अफेयर्स और मनोरंजन जगत की जुड़ी खबरों को कवर किया जाता है। अखबार में खाने-पीने की रेसिपी और पाठकों की कविताएं और लेख भी शामिल किए जाते हैं।

हर साल की शुरुआत में अखबार के पाठकों को एक ब्रेल टेबल कैलेंडर भी दिया जाता है। अखबार भारत सहित 16 देशों में 24000 लोगों तक पहुंचता है। अखबार का मराठी ब्रेल संस्करण आने से यह अब अधिक पाठकों तक पहुंचेगा।

रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन नीता अंबानी ने इस मौके पर कहा हमें खुशी है कि रिलायंस फाउंडेशन दृष्टि ने 20 साल पूरे कर लिए हैं। दृष्टिबाधित लोगों के जीवन में रोशनी, खुशी और आत्मनिर्भरता लाने के सपने के साथ शुरू हुआ यह कार्यक्रम अब एक आंदोलन बन गया है। आने वाले समय में दृष्टिबाधित समुदाय, सम्मान और स्वतंत्रता के साथ जीवन जी पाए, इसके लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे। हमें खुशी है कि इस दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए हम हिंदी के अलावा मराठी में भी ब्रेल दृष्टि समाचार पत्र लॉन्च कर रहे हैं।

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एक तथ्यात्मक दस्तावेज है वरिष्ठ पत्रकार विष्णु शर्मा की 'इंदिरा फाइल्स'

विष्णु शर्मा की 'इंदिरा फाइल्स' युवा पत्रकारों के लिए इसलिए काम की है, क्योंकि सोशल मीडिया के साये में पल रही ये पीढ़ी कम शब्दों में, स्पष्ट और टू-द-पॉइंट जानकारी चाहती है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 15 March, 2023
Last Modified:
Wednesday, 15 March, 2023
IndiraFiles7851

रिंकी वैश्य, पत्रकार ।।

वरिष्ठ पत्रकार, फैक्ट चेकिंग की दुनिया में खास तौर से सक्रिय रहने वाले और लेखक विष्णु शर्मा की तीसरी किताब ‘इंदिरा फाइल्स’ पाठकों के हाथ में है। जैसा कि नाम से जाहिर है कि किताब भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बारे में है और बुक जैकेट पर लिखे दो पैराग्राफ इस बात की तसदीक कर देते हैं कि किताब इंदिरा गांधी की आलोचना में लिखी गई है। किताब की भूमिका में ही लेखक ने स्पष्ट कर दिया है, ‘मैं कई मामलों में इंदिरा गांधी का प्रशंसक हूं, लेकिन उनका काला पक्ष ज्यादा मजबूत है।’ यह तो हुई लेखक के नजरिये की बात और पाठक इस बारे में क्या सोचते हैं, यह तो उनकी प्रतिक्रियाओं से ही पता चलेगा।

सवाल यह भी उठता है कि इंदिरा गांधी के बारे में और ऐसा क्या है, जिसे लोगों को जानने की जरूरत है?  ज्यादातर लोग भी ऐसा ही सोचते हैं, लेकिन अगर गहराई से सोचें तो हम पाएंगे कि घटनाएं तो अपनी प्रकृति में वस्तुनिष्ठ होती हैं, उन्हें देखने-समझने का नजरिया अलग-अलग हो सकता है, और जब बात राजनीति और उससे जुड़ी घटनाओं की हो, तो यह बात और भी मौजूं हो जाती है। इस किताब में लेखक की शोधात्मक दृष्टि सामने आती है। वह कई बड़ी घटनाओं के संदर्भ में इंदिरा गांधी से जुड़े पहलुओं को लोगों के सामने रखता है। हाल ही में, जब उत्तर-पूर्व में कांग्रेस ने चुनावों में हार का सामना किया, तो लेखक ने वहां के एक शहर पर इंदिरा गांधी द्वारा हवाई जहाज से करवाई गई बमबारी और आईबी के द्वारा वहां के एक राज्य में सरकार बनाने के लिए सूटकेस प्रथा के बारे में बताया, जिसका ज़िक्र इस किताब में भी है। कई राज्यों में आज कांग्रेस जो खत्म होने के कगार पर है, उसकी नींव इंदिरा गांधी द्वारा ही रखने की बात लेखक ने किताब में कही है।

आपको इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी पर कांग्रेसियों द्वारा प्लेन हाईजैक की एक दिलचस्प कहानी इस किताब में पढ़ने को मिलेगी। अमृत पाल की अगुवाई में जो हुआ और पंजाब सरकार ने जैसे घुटने टेके, उसके बीज भी इंदिरा फाइल्स में भिंडरावाले की कहानी में मिलते हैं। हाल ही में आई अक्षय कुमार की मूवी बेलबॉटम हो या कंगना की आने वाली फ़िल्म इमरजेंसी, इनसे जुड़ी घटनाएं इंदिरा फाइल्स का हिस्सा हैं और तथ्यों पर आधारित हैं।

इंदिरा गांधी के तमाम निजी राज जो सीआईए, विकिलीक्स और केजीबी फाइल्स के साथ-साथ मार्गेट थैचर की फाइल्स में भी दबे पड़े थे, किताब में उनका उल्लेख कई लोगों को चौंका सकता है। इंदिरा गांधी की जो लौह महिला की छवि है, उसके चलते कुछ बातें संदेहास्पद लग सकती हैं, लेकिन लेखक ने हर अध्याय के बाद तथ्यों की पुष्टि के लिए रेफरेंस दिए हैं। किताब में 50 अध्याय हैं और कोई भी अध्याय एक दूसरे से सीधे जुड़ा नहीं है, इसलिए आप कभी भी कोई भी अध्याय पढ़ सकते हैं।

इस किताब की खूबी यह है कि आप इससे बोर नहीं होंगे। हर पेज पर एक-दो ऐसी घटनाएं मिलेंगी, जो आपको पहले से पता नहीं होंगी। फिर भी, बकौल लेखक, “...तमाम कोशिशों के बावजूद हर घटना का कोई न कोई पहलू छूटने के आसार तो रहते ही हैं, कुछ गलतियां भी हो सकती हैं... सो समय पर उनकी ओर ध्यान आकर्षित करें, ताकि अगले संस्करण में उन्हें सुधारा जा सके।”

विचारधाराओं के टकराव के इस दौर में यह किताब एक पाले में खड़ी हुई नजर आ सकती है, लेकिन एक पाठक के तौर पर आप इसे इतिहास देखने की एक और दृष्टि मान सकते हैं। किताब एक ओर इंदिरा गांधी के विरोधियों के लिए तो जानकारी प्रस्तुत करती ही है, लेकिन दूसरी ओर उनके प्रशंसकों के लिए भी इसमें कई नए चौंकाने वाले तथ्य हो सकते हैं।

इतिहास में रुचि रखने वाले लोगों के अलावा यह किताब युवा पत्रकारों, शो प्रड्यूसर्स और यूट्यूब टीम के लिए बहुत ही काम की है। युवा पत्रकारों के लिए इसलिए काम की है, क्योंकि सोशल मीडिया के साये में पल रही ये पीढ़ी कम शब्दों में, स्पष्ट और टू-द-पॉइंट जानकारी चाहती है। उसके पास इतना समय नहीं है कि मोटी-मोटी किताबों को ढूंढ़कर पढ़े और फिर उसमें से अपने काम के तथ्य ढूंढे। ऐसे में ‘इंदिरा फाइल्स’ उन लोगों के लिए मददगार साबित हो सकती है। किताब यूट्यूब टीम और शो प्रोड्यूसर्स के लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि आजकल जमाना कॉन्टेंट का है। जितना अच्छा और यूनीक कॉन्टेंट, उतने ज्यादा वीडियो व्यू और रीच। राजनीति के इतने फैक्ट्स एक ही किताब में मिलना उनके लिए भी कम सुविधा की बात नहीं।

इस किताब को प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। सहयोगी संस्थान ज्ञान गंगा ने इसका पेपर बैक संस्करण छापा है, जिसकी कीमत 450 रुपए रखी है। कुछ डिस्काउंट भी है। इंदिरा फाइल्स अमेजन, फ्लिपकार्ट और उर्दू बाजार पर भी उपलब्ध है। किताब का किंडल संस्करण 244 रुपए में उपलब्ध है। किताब अभी 43 फीसदी छूट के साथ अमेजन पर केवल 257 रुपए में उपलब्ध है। आप इस लिंक पर जाकर अमेजन से किताब ऑर्डर कर सकते हैं।

https://amzn.eu/d/b4MsMXq

(लेखिका डिजिटल पत्रकार हैं और 'अमर उजाला' और 'एनबीटी डॉट कॉम' में काम कर चुकी हैं)

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फिर सजेगा ‘Indian Magazine Congress’ का मंच, 24 मार्च को होगा आयोजन

मैगजीन पब्लिशिंग इंडस्ट्री से जुड़े तमाम लोगों को एक मंच पर लाने के लिए वर्ष 2006 में इस आयोजन की शुरुआत हुई थी। यह इस आयोजन का 12वां एडिशन है।

Last Modified:
Thursday, 09 March, 2023
Indian Magazine Congress

देश में पत्रिकाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) के प्रमुख इवेंट ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ (IMC) ने फिर दस्तक दी है। इस बार यह आयोजन नई दिल्ली के द ओबेरॉय होटल में 24 मार्च को आयोजित किया जाएगा।  

बता दें कि मैगजीन पब्लिशिंग इंडस्ट्री से जुड़े तमाम लोगों को एक मंच पर लाने के लिए वर्ष 2006 में इस आयोजन की शुरुआत हुई थी, जिसमें एडिटर्स, पब्लिशर्स, मीडिया संस्थानों के डिजिटल हेड्स, पॉलिसीमेकर्स, मीडिया संस्थानों के मालिक, मार्केटर्स, मीडिया प्लानर्स के साथ ही रिसर्चर और इंडस्ट्री से जुड़े विश्लेषक शामिल होते हैं। यह इस आयोजन का 12वां एडिशन है।   

हालांकि, इस बार एसोसिएशन चार साल के अंतराल के बाद और ऐसे समय में इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है, जब मैगजीन पब्लिशिंग ने कोविड के बाद के दौर में अपने पाठकों के लिए और अधिक प्रासंगिक बने रहने के लिए तमाम नए तरीके अपनाए हैं।

इस साल इस कांग्रेस की थीम रखी गई है कि कैसे डिजिटल युग में भी  मैगजींस लोगों को जोड़े रखने के लिए (Building Engaged Communities) सबसे प्रभावी माध्यम हैं। इस कांग्रेस में देश-विदेश की जानी-मानी शख्सियतें बतौर स्पीकर एक मंच पर आएंगी और अपनी बात रखेंगी। इनमें नीचे दिए गए नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं।

- Minette Ferriera, Media 24, South Africa

- James Elliott, USA

- Jean-Paul Reparon, Agrimedia, Netherlands

- Jan Thoreson, Aller X, Norway

- James Hewes, President, FIPP

- Acharya Balakrishnan, Patanjali

- Shashi Sinha, IPG Mediabrands

- Tarun Rai, Wunderman Thompson

- Prasanth Kumar, Group M

- Ram Suresh Akella, Maruti Suzuki

- Kalli Purie, India Today

- Jayant Shriram, Innovation Media Consulting

- B Srinivasan, Ananda Vikatan

- Anant Nath, Delhi Press

- Manoj Sharma, India Today

- Dhaval Gupta, Cyber Media

- Annurag Batra, Business World

इस बारे में ‘एआईएम’ के प्रेजिडेंट बी श्रीनिवासन का कहना है, ‘मैंगजींस ऐसा माध्यम हैं, जिन्होंने हमेशा अन्य मीडिया की तरह पाठकों को जागरूक किया है, उन्हें कंटेंट प्रदान किया है और लोगों को तमाम विषयों के बारे में गहराई से जानने-समझने में सक्षम बनाया है। ऐसे दौर में जब फेक न्यूज का खतरा लगातार बढ़ रहा है और चैटजीपीटी जैसी तमाम नई-नई चीजें आ रही हैं, यह जरूरी है कि हम पॉलिसी, टेक्नोलॉजी और डिस्ट्रीब्यूशन के साथ-साथ पाठकों की जरूरतों के बारे में अपनी चिंताओं पर चर्चा करें और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग हमसे क्या उम्मीद करते हैं, इस बारे में भी एक मंच पर आकर बात करें। इसलिए इस तरह के आयोजन की बहुत जरूरत है।‘

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‘द हिंदू’ के वरिष्ठ खेल पत्रकार की मौत, होटल में मिला शव

इंदौर के एक होटल में अंग्रेजी दैनिक अखबार ‘द हिंदू’ के वरिष्ठ खेल पत्रकार की मौत हो गई

Last Modified:
Thursday, 09 March, 2023
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इंदौर के एक होटल में अंग्रेजी दैनिक अखबार ‘द हिंदू’ के वरिष्ठ खेल पत्रकार की मौत हो गई। पुलिस को पहली नजर में लगता है कि दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हुआ। पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। 

पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) सम्पत उपाध्याय ने बताया कि 'द हिंदू' के वरिष्ठ उप संपादक (खेल) 57 वर्षीय एस. दिनाकर विजय नगर क्षेत्र के एक होटल के कमरे में सोमवार को बेसुध हालत में मिले, जिसके बाद उन्हें पास के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

डीसीपी ने बताया, ‘पहली नजर में लगता है कि चेन्नई निवासी दिनाकर की मौत होटल में दिल का दौरा पड़ने से हुई। हमें घटनास्थल पर फिलहाल कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है।’

डीसीपी ने बताया कि पुलिस ने दिनाकर के शव का पोस्टमॉर्टम कराया है और उनकी मौत के मामले की जांच जारी है। डीसीपी ने कहा कि वह वरिष्ठ खेल पत्रकार की मौत की पूरी जानकारी लेने के बाद ही इस मामले में कोई बयान दे सकेंगे। 

मृतक पत्रकार के एक सहकर्मी ने बताया कि दिनाकर ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी स्पर्धा के तहत भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इंदौर में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच की रिपोर्टिंग की थी और 9 मार्च से शुरू होने वाले चौथे और अंतिम टेस्ट के लिए वह अहमदाबाद निकलने की तैयारी कर रहे थे।

सहकर्मी के मुताबिक, दिनाकर को मंगलवार सुबह की उड़ान से इंदौर से अहमदाबाद के लिए रवाना होना था। उन्होंने बताया कि दिनाकर के शोकसंतप्त परिवार में उनके बुजुर्ग पिता हैं। क्रिकेट के कवरेज के लिए दुनिया भर में घूम चुके दिनाकर अपनी मौत से पहले इसी खेल के बारे में लिख रहे थे। इंदौर के होलकरकालीन क्रिकेट की विरासत पर केंद्रित उनका अंतिम आलेख उनके निधन की खबर के साथ उनके मीडिया संस्थान ने मंगलवार को प्रकाशित किया।

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इस मामले में अखबार के संपादक समेत दो लोगों के खिलाफ केस दर्ज

तमिलनाडु पुलिस ने एक लोकप्रिय हिंदी दैनिक अखबार के एक संपादक समेत दो लोगों के खिलाफ झूठी खबर फैलाने के आरोप में केस दर्ज किया है

Last Modified:
Monday, 06 March, 2023
FIR

तमिलनाडु पुलिस ने एक लोकप्रिय हिंदी दैनिक अखबार के एक संपादक समेत दो लोगों के खिलाफ कथित तौर पर झूठी खबर फैलाने के आरोप में केस दर्ज किया है।

बता दें कि इन पर आरोप है कि इन्होंने तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों के साथ मारपीट की खबरें प्रकाशित की थी। इसके साथ ही तमिलनाडु पुलिस ने भाजपा के यूपी प्रवक्ता प्रशांत उमराव को भी नामजद किया है।

तमिलनाडु पुलिस मुख्यालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि तिरुपुर उत्तर पुलिस स्टेशन ने अखबार के संपादक पर आईपीसी की धारा 153ए और 505 के तहत मामला दर्ज किया है। बयान के मुताबिक, अखबार के संपादक को यह बताना होगा कि उन्हें यह खबर कहां से मिली और क्या उन्होंने इसे सत्यापित किया। पुलिस ने कहा कि बड़े अखबारों को अधिक जिम्मेदार तरीके से खबरों को प्रकाशित करना चाहिए।

संपादक के अतिरिक्त तिरुपुर पुलिस ने ‘तनवीर पोस्ट’ के मालिक तनवीर अहमद के खिलाफ भी झूठी खबरें फैलाने के आरोप में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

इसी तरह, थूथुकुडी पुलिस ने अफवाह फैलाने के लिए आईपीसी की छह धाराओं के तहत उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रशांत उमराव पर भी मामला दर्ज किया है।    

गौरतलब हो कि उमराव ने ट्वीट कर कहा था कि तमिलनाडु में 12 प्रवासी हिंदी भाषी लोगों को एक कमरे में बंद कर दिया गया और उनकी मौत हो गई।

मीडिया रिपोर्ट् के मुताबिक, पुलिस ने इसकी पुष्टि की है और यह पूरी तरह झूठा पाया गया है और उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

तमिलनाडु के डीजीपी, सी सिलेंद्रबाबू ने तमिलनाडु में काम करने वाले हिंदी भाषी राज्यों के प्रवासी कामगारों के खिलाफ नफरत फैलाने की ऐसी घटनाओं का खंडन किया।

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