13 दिसंबर को दिल्ली के नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में हुई किताब की लॉन्चिंग
सीनियर मीडिया प्रफेशनल अमित खन्ना की नई किताब ‘WORDS SOUNDS IMAGES- A History of Media and Entertainment in India’ ने मार्केट में दस्तक दे दी है। 13 दिसंबर को दिल्ली के नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में इस किताब की लॉन्चिंग की गई। किताब की लॉन्चिंग के दौरान फिल्म अभिनेत्री और राज्यसभा सांसद जया बच्चन, मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर, ‘एनडीटीवी’ के प्रमोटर्स डॉ. प्रणॉय रॉय, ‘स्टार’ (Star) और ‘डिज्नी इंडिया’ (Disney India) के चेयरमैन और ‘द वॉल्ट डिज्नी कंपनी, एशिया पैसिफिक’ (The Walt Disney Company, Asia Pacific) के प्रेजिडेंट उदय शंकर, वरिष्ठ पत्रकार व ‘इंडिया टीवी’ के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी, न्यूज एजेंसी ‘एएनआई’ (ANI) की संपादक स्मिता प्रकाश, आईआईएमसी’ के पूर्व डीजी सुनील टंडन समेत मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की तमाम जानी-मानी हस्तियां मौजूद रहीं। इस मौके पर लोगों को मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के बारे में उनके विचार सुनने का मौका भी मिला। इस मौके पर एक पैनल डिस्कशन का आयोजन भी किया गया।
इस मौके पर अमित खन्ना का कहना था, ‘मेरे लिए हमेशा से नई-नई चुनौतियों को सामने लाना महत्वपूर्ण रहा है। भारत में डांस और म्यूजिक की काफी पुरानी परंपरा रहा है। इसके बाद प्रिंट आया, फिर रेडियो, टेलिविजन और अब डिजिटल, ऐसे में किस किताब में इन सभी को कवर किया गया है। मुझे इस किताब को लिखने का आइडिया छात्रों और युवा प्रफेशनल्स से बातचीत करने के दौरान आया, क्योंकि उनसे बातचीत के दौरान मुझे इस तरह की किताब की कमी महसूस हुई जो उन्हें भारतीय मीडिया और एंटरटेनमेंट के बारे में संपूर्ण जानकारी दे सके।’
इसके साथ ही अमित खन्ना का यह भी कहना था, ‘आजकल नेटवर्क सोसायटी का दौर है। मानव जीवन के इतिहास में यह पहला मौका है, जब चार-पांच मिलियन लोग एक-दूसरे से कनेक्टेड हैं। सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव के इस दौर में मैं मीडिया में आ रहे बदलावों को जानना और उनका विश्लेषण करना चाहता हूं।’ अमित खन्ना का कहना था कि सरकार को इस बारे में सिर्फ व्यापक नीतियां बनाने पर फोकस करना चाहिए। इसके अलावा इस बिजनेस में दूर रहना चाहिए। यह न केवल मीडिया और एंटरटेनमेंट बल्कि अन्य इंडस्ट्री के लिए भी सही है।
बता दें कि कला और मीडिया के क्षेत्र में रुचि रखने वालों के लिए यह किताब काफी उपयोगी है। इस किताब को अमित खन्ना ने लिखा है और इसे ‘हार्पर कोलिन्स’ (Harper Collins) पब्लिकेशन ने पब्लिश किया है। इस किताब की कीमत 1499 रुपए रखी गई है। किताब की खासियत की बात करें तो यह अपनी तरह की ऐसी पहली किताब है, जिसमें सिंधु घाटी की सभ्यता से लेकर 21वीं शताब्दी तक की मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के इतिहास को शब्दों में पिरोया गया है। इस किताब की शुरुआत में ही अमित खन्ना ने हड़प्पा और वैदिक सभ्यता का जिक्र किया है। इसके बाद वहां से होते हुए मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री आज जिस मुकाम पर पहुंची है, उसके बारे में काफी जानकारी देने का इस किताब में प्रयास किया गया है।
किताब के लेखक अमित खन्ना खुद एक फिल्म निर्माता, निर्देशक और गीतकार है, जिसकी वजह से वह इन गहरे विषयों को काफी बेहतर तरीके से किताब में शामिल कर पाए हैं। अमित खन्ना के करियर की बात करें तो उन्होंने वर्ष 1970 में अभिनेता और फिल्म निर्माता देव आनंद के प्रॉडक्शन हाउस ‘नवकेतन फिल्म्स’ के साथ बतौर एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर और राइटर के तौर पर की थी। वह अब तक 250 से ज्यादा फिल्मी-गैरफिल्मी गीत भी लिख चुके हैं। 80 के दशक में उन्होंने कई फीचर फिल्में, डॉक्यूमेंट्रीज, कॉमर्शियल और टीवी कार्यक्रम लिखे और उनका निर्माण व निर्देशन भी किया। 1989 में उन्होंने ‘प्लस चैनल’ के नाम से मीडिया और एंटरटेनमेंट कंपनी शुरू की। इस प्लेटफॉर्म के तहत उन्होंने तमाम टीवी प्रोग्राम्स, विभिन्न भाषाओं और जॉनर में म्यूजिक एलबम और ऑडियो बुक्स भी तैयार कीं। इसके अलावा वह ‘द इकनॉमिक टाइम्स’ (The Economic Times) समेत कई पब्लिकेशंस में एडिटोरियल एडवाइजर भी रह चुके हैं।
वह ‘रिलायंस एंटरटेनमेंट’ के फाउंडर चेयरमैन भी रह चुके हैं। मीडिया, एंटरटेनमेंट और कल्चर पर उनके एक हजार से ज्यादा आर्टिकल पब्लिश हो चुके हैं। पूर्व में वह ‘फिक्की’ (Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry) की एंटरटेनमेंट एंड कंवर्जेंस कमेटियों के साथ ही ‘सीआईआई’ (Confederation of Indian Industry) की नेशनल कमेटी और मीडिया एंड एंटरटेनमेंट के चेयरमैन भी रह चुके हैं। वर्ष 2007 से 2008 के दौरान वह प्रधानमंत्री की इंफॉर्मेशन, कम्युनिकेशन और एंटरटेनमेंट कमेटी के मेंबर भी रह चुके हैं। उन्हें अब तक कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इनमें ‘नेशनल अवॉर्ड फॉर फिल्म्स’ भी शामिल है। वह जामिया मिलिया इस्लामिया मीडिया रिसर्च सेंटर के अलावा पुणे और कोलकाता के फिल्म संस्थानों के गवर्निंग काउंसिल भी रह चुके हैं। इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड देने वाली जूरी में वह पहले भारतीय रह चुके हैं। इसके अलावा वह देश-विदेश के तमाम शिक्षण संस्थानों में लेक्चर भी दे चुके हैं। इससे पहले वर्ष 2013 में उनकी एक किताब Anant Raag; Infinite Verse पब्लिश हो चुकी है।
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‘इकनॉमिक टाइम्स’ (ET) के एडिटोरियल डायरेक्टर बोधिसत्व गांगुली ने यहां एक संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में अधिक रणनीतिक भूमिका निभाने के लिए अपने पद से हटने का फैसला लिया है।
वरिष्ठ पत्रकार श्रुतिजीत केके ने ‘इकनॉमिक टाइम्स’ (ET) के साथ अपनी नई पारी शुरू की है। उन्होंने यहां पर बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर जॉइन किया है। बता दें कि श्रुतिजीत केके इससे पहले भी दो बार इस पब्लिकेशन के साथ काम कर चुके हैं। पूर्व में वह ‘ईटी मैगजीन’ (ET Magazine) के एडिटर रह चुके हैं।
हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ने कुछ समय पहले खबर दी थी कि श्रुतिजीत केके ने अंग्रेजी के बिजनेस अखबार ‘मिंट’ (Mint) में एडिटर-इन-चीफ के पद से इस्तीफा दे दिया है। वहीं, ‘इकनॉमिक टाइम्स’ (ET) के एडिटोरियल डायरेक्टर बोधिसत्व गांगुली ने अब यहां संरक्षक और मार्गदर्शक (mentorship) की भूमिका निभाने के लिए अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला लिया है।
श्रुतिजीत केके की नियुक्ति के बारे में कंपनी के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (पब्लिशिंग) एस. शिवकुमार का कहना है, ‘श्रुतिजीत के पास मीडिया इंडस्ट्री में काम करने का काफी अनुभव और मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है। उन्होंने प्रिंट और डिजिटल दोनों प्लेटफॉर्म्स पर काम किया है। उभरते मीडिया परिदृश्य के बारे में उनकी गहरी समझ, चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटने और मीडिया ईकोसिस्टम के डिजिटलीकरण के अवसरों का लाभ उठाने की क्षमता उन्हें ईटी की लीडरशिप टीम के लिए खास बनाती है। हमारे साथ जुड़ने से पहले श्रुतिजीत ‘मिंट’ में एडिटर-इन-चीफ के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां उन्होंने असाधारण संपादकीय कौशल और नेतृत्व क्षमताओं का प्रदर्शन किया।’
इसके साथ ही शिवकुमार का कहना है, ‘जैसा कि इकोनॉमिक टाइम्स श्रुतिजीत के नेतृत्व में इनोवेशन, ग्रोथ और पत्रकारिता उत्कृष्टता के अपने अगले चरण की शुरुआत कर रहा है, मैं ईटी की अब तक की शानदार यात्रा में बोधिसत्व गांगुली को उनके सराहनीय योगदान और एक संरक्षक व मार्गदर्शक के रूप में अपनी पारी जारी रखने की इच्छा के लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं।’
गौरतलब है कि पूर्व में श्रुतिजीत ‘ईटी मैगजीन’ (ET Magazine), ‘हफपोस्ट’ (HuffPost) के इंडिया एडिशन के साथ भी काम कर चुके हैं। इसके अलावा वह ‘एप्पल इंक’ (Apple Inc) में इंडिया ऐप के स्टोर एडिटर के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
आशुतोष गुप्ता इससे पहले हिंदी दैनिक ‘दैनिक जागरण’ (Dainik Jagran) में करीब 13 साल से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां से कुछ समय पूर्व उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
पत्रकार आशुतोष गुप्ता ने अपनी नई पारी हिंदी दैनिक ‘जर्नी ऑफ सक्सेस’ (Journey Of Success) के साथ शुरू की है। उन्होंने गाजियाबाद के इस अखबार में बतौर स्थानीय संपादक जॉइन किया है। अखबार के संपादक सुबोध शर्मा और समाचार संपादक अशोक शर्मा ने बुके देकर आशुतोष गुप्ता को स्थानीय संपादक के पद पर कार्यभार ग्रहण कराया।
बता दें कि आशुतोष गुप्ता इससे पहले हिंदी दैनिक ‘दैनिक जागरण’ (Dainik Jagran) में करीब 13 साल से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां से कुछ समय पूर्व उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
मूल रूप से गाजियाबाद के रहने वाले आशुतोष गुप्ता को मीडिया में काम करने का करीब साढ़े 22 साल का अनुभव है। वर्ष 2001 में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने पत्रकारिता की दुनिया में कदम रख दिया था। आशुतोष गुप्ता ने प्रिंट के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी काम किया है।
समाचार4मीडिया से बातचीत में आशुतोष गुप्ता ने बताया कि दैनिक जागरण में 13 साल के कार्यकाल के दौरान उन्हें दो बार दिल्ली-एनसीआर का बेस्ट रिपोर्टर चुना गया था। इसके अलावा उन्होंने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री मुरादनगर का भत्ता घोटाला व शाहजहांपुर का फर्जी शस्त्र लाइसेंस घोटाला भी उजागर किया था। शाहजहांपुर मामले में आशुतोष गुप्ता की खबरों पर संज्ञान लेते हुए प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की थी। इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इस घोटाले को उजागर करने के लिए कलक्ट्रेट में आशुतोष गुप्ता को सम्मानित किया गया था।
आशुतोष गुप्ता ने बताया कि अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई के विरोध में आठ सितंबर 2009 को तमाम लोगों ने एनएच-24 पर विरोध प्रदर्शन किया। इस घटना में गुस्साए लोगों ने पुलिस-प्रशासन पर जमकर पथराव किया था। घटना की कवरेज के दौरान एडीएम सिटी सुनील कुमार श्रीवास्तव को बचाने के चक्कर में एक ईंट लगने से आशुतोष गुप्ता के पैर में फ्रैक्चर हो गया था, जिस वजह से वह करीब एक महीने तक बेड रेस्ट पर रहे थे। एडीएम को बचाने के लिए प्रशासन ने आशुतोष गुप्ता का कलक्ट्रेट में सम्मान किया था।
समाचार4मीडिया की ओर से आशुतोष गुप्ता को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
देश की प्रतिष्ठित बिजनेस मैगजीन 'बिजनेसवर्ल्ड' (BW BusinessWorld) का 23 सितंबर को रिलीज हुए नवीनतम अंक (Latest Issue) कई मायनों में खास है।
देश की प्रतिष्ठित बिजनेस मैगजीन 'बिजनेसवर्ल्ड' (BW BusinessWorld) का 23 सितंबर को रिलीज हुए नवीनतम अंक (Latest Issue) कई मायनों में बहुत खास है। दरअसल, इस इश्यू में एक से बढ़कर एक कॉलम्स, इंटरव्यूज और फीचर्स के द्वारा बिजनेस और एंत्रप्रेन्योरशिप की दुनिया के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला गया है। तेजी से विकसित हो रहे आर्थिक परिदृश्य में, जहां धन जुटाने की स्ट्रैटेजी काफी जटिल हो गई हैं, 'गाइड टू वेल्थ क्रिएशन' के साथ बिजनेसवर्ल्ड का नवीनतम अंक ‘G20 Summit Takeaways’ और टॉप मार्केटर्स के द्वारा गहराई से विस्तारपूर्वक जानकारी उपलब्ध कराता है।
देश के धनकुबेरों की गाथा (India's Wealth Creation Saga)
'बिजनेसवर्ल्ड' के नए अंक में संजीव बिखचंदानी और डॉ. ए वेलुमणि जैसे नवप्रवर्तकों (innovators) के साथ-साथ टॉप इंडस्ट्री लीडर्स बिन्नी बंसल और मिथुन सचेती के प्रेरणादायक सफर के बारे में बताया गया है। यह भी बताया गया है कि किस तरह से भारत में निजी क्षेत्र में धन सृजन की कहानी इसकी विविधता और गतिशीलता की विशेषता है।
जैसे-जैसे हम भारतीय वाणिज्य और एंत्रप्रेन्योरशिप लीडरशिप के इतिहास में गहराई से उतरते हैं, यह स्पष्ट हो जाता है कि व्यापार के लिए स्ट्रैटेजी और दृष्टिकोणों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं जो हमें एंत्रप्रेन्योर्स की अगली पीढ़ी के लिए भविष्य के रास्ते पर विचार करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके अलावा, इस इश्यू में बिजनेस इंडस्ट्री में न केवल समृद्ध इंडस्ट्रीज की स्थापना करने वाले बल्कि नए और अधिक साहसी मार्ग प्रशस्त करने वाले अग्रणी लोगों को भी कवर किया गया है।
इस इश्यू में ‘कैरेट लेन’ (Carat Lane) के साथ मिथुन सचेती के हालिया कदम के साथ-साथ बड़े नकदी सौदों को भी जगह दी गई है, जिनमें आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPOs) भी शामिल हैं। यह उभरती हुई स्टोरीलाइन एक प्रेरक खाका प्रस्तुत करती है, जिसमें भारत को एंत्रप्रेन्योरशिप द्वारा संचालित राष्ट्र में बदलने की क्षमता है। इस इश्यू में बताया गया है कि देश के उद्यमशीलता परिदृश्य का भविष्य नवाचार, दूरदर्शी नेतृत्व और उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए अटूट समर्पण की रोमांचक यात्रा का किस तरह से वादा करता है।
देश के टॉप मार्केटिंग लीडर्स
यही नहीं, इस इश्यू में देश के प्रमुख प्रभावशाली मार्केटिंग लीडर्स पर भी फोकस करते विशेष पैकेज शामिल किया गया है। ये मार्केटिंग लीडर्स अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर न सिर्फ मार्केटिंग को नया आकार दे रहे हैं, बल्कि टेक्नोलॉजी और क्रिएटिविटी के द्वारा महत्वपूर्ण परिवर्तनों में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। दरअसल, इन मार्केटिंग लीडरों द्वारा लिए गए निर्णयों का दूरगामी प्रभाव पड़ता है, जो कंपनी के संचालन के हर पहलू को प्रभावित करता है। इस नवीनतम अंक में देश के टॉप मार्केटर्स के सफर, उनके दृष्टिकोण और भविष्य की राह के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई है।
इस इश्यू में जिन टॉप मार्केटर्स को शामिल किया गया है, उनमें हरदीप बरार (Kia India); रंजीवजीत सिंह(Hero MotoCorp); विराट खुल्लर(Hyundai India); शशांक श्रीवास्तव (Maruti Suzuki India); शुभ्रांशु सिंह (Tata Motors); Abbey Thomas (Volkswagen Passenger Cards India); अनुजा मिश्रा (Honasa); इप्शिता चौधरी (Valvoline Cummins); सुमित माथुर (Paytm); साई नारायण (Policy Bazaar); राहुल तलवार (Max Life Insurance); आशीष मिश्रा (ACKO); पुनीथ बेकल (MasterCard); आकाश दीप बत्रा (DBS Bank); अपर्णा भवाल (KFC India & Partner Countries); अमन गुप्ता(boat Lifestyle); दमयंत सिंह खनोरिया (Oppo); सुनील नरूला (Panasonic Life Solutions India); आदित्य बब्बर (Samsung India); प्रशांत जैन (HP); पूजा बैद्य (Versuni India); अजय डांग (UltraTech Cement); अतीत मेहता(Byjus); ज्योति कुमार बंसल (Tata Power); चंदन मुखर्जी (Nestle India); नितिन सैनी (Mondelez India); साक्षी वर्मा मेनन (Kimberly Clark India); गुंजीत जैन (Colgate-Palmolive,India); सौरभ जैन (Reckitt–South Asia); वरुण कंधारी (Mars Wrigley); एस. प्रसन्ना राय (Wipro Consumer Care & Lighting); जोहर कपूसवाल (Ferrero India Brands); अंकित देसाई (Hershey Company); Amedeo Aragona (Ferrero India); गुंजन खेतान(Perfetti Van Melle India) और विनीत विश्वम्भरन (Adani Wilmar); तुषार मल्होत्रा (Bisleri); राज ऋषि सिंह (MakeMyTrip); हिमांशु खन्ना (Raymond); अमित तिवारी (TCS); अरविंद सक्सेना (NEC Corporation India); अमृता थापर(Microsoft); रोशनी दास (Intel Solutions & Service India); अपर्णा गिरधर (Swiggy); Karthi Marshan; दीपाली नायर(CK Birla Group); अजय कक्कड़ और देबब्रत मुखर्जी (Coca-Cola) शामिल हैं।
इनके अलावा इस इश्यू में ‘फिनोलेक्स केबल्स’ (Finolex Cables) के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन दीपक छाबड़िया ने 'लास्ट वर्ड' कॉलम में अपनी अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण को साझा किया है। उन्होंने कंपनी की विकास रणनीति और आगामी अवसरों समेत तमाम प्रमुख बिंदुओं पर विस्तार से अपनी बात रखी है।
स्पाइस जेट कंपनी की मैगजीन में एक जानवर को गलत बताया गया है, जिसके चलते कंपनी का मजाक बन रहा है।
दुनिया में कई ऐसे जीव होते हैं, जिनके शरीर की बनावट व रंग-रूप इतने ज्यादा समान होते हैं कि दूर से उनकी सही पहचान कर पाना मुश्किल होता है। लेकिन क्या हो जब मैगजीन से ये गलती हो जाए, क्योंकि तथ्यों की जांच परख कर ही मैगजीन में कंटेंट पब्लिश होता है, पर ऐसी ही एक गलती स्पाइस जेट की एक मैगजीन से हो गई, जिसका अब सोशल मीडिया पर मजाक बन रहा है।
आईएफएस अधिकारी परवीन कासवान ने हाल में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर एयरलाइंस की इस बड़ी गलती को उजागर किया है। स्पाइसजेट की तरफ से डिजाइन की गई मैगजीन में एक तेंदुए को 'चीता' बताया गया है।
आईएफएस अधिकारी परवीन कासवान ने एक्स (X) पर मैगजीन का पेज शेयर करते हुए लिखा- तो स्पाइस फ्लाइट के मुताबिक ये चीता है। धरती का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर। आपको क्या लगता है?
So Spice Flight magazine thinks it is a Cheetah. The fastest mammal on earth. What do you think ? @flyspicejet pic.twitter.com/UyxfQcihSK
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) September 19, 2023
फोटो में काले चकत्तों वाले एक जीव को जंगल में चलते दिखाया गया है,जो देखने पर भयानक लग रहा हैं। वैसे ये एक तेंदुआ है। तेंदुआ और चीते में काफी सामानताएं होती हैं। हालांकि, सबसे बड़ा फर्क उनकी चमड़ी पर पड़े धब्बों में होता है। इसके अलावा चीता ज्यादा तेज भागता है, तेंदुए उससे धीमा दौड़ता है। चीता की पूंछ, तेंदुए की तुलना में लंबी होती है। चीता का चेहरा छोटा और आंख से नाक तक में काली लकीरें बनी होती हैं।
इस सावल को देखकर कुछ लोग मौज लेने लगे। तो कई सीरियस होकर जवाब देने में लग गए। 19 सितंबर को शेयर किए गए इस पोस्ट को 70 हजार से ज्यादा व्यूज मिले हैं। एक ने लिखा- ये तो लेपर्ड है। दूसरे ने कहा- जैगुआर है सर। वहीं, एक अन्य ने मजाकिया अंदाज में लिखा- खाते-पीते घर के चीते ऐसे दिखते हैं।
उत्तर प्रदेश के अयोध्या व लखनऊ से प्रकाशित हिन्दी दैनिक जनमोर्चा की संपादक सुमन गुप्ता को हिन्दी समाचार पत्र सम्मेलन का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है
उत्तर प्रदेश के अयोध्या व लखनऊ से प्रकाशित हिन्दी दैनिक जनमोर्चा की संपादक सुमन गुप्ता को हिन्दी समाचार पत्र सम्मेलन का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। न्यूज एजेंसी यूनिवार्ता के मुताबिक, सुमन गुप्ता प्रेस काउंसिल आफ इंडिया की सदस्य भी हैं।
हिन्दी समाचार पत्र सम्मेलन की रविवार को रायपुर में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। यह बैठक निवर्तमान उपाध्यक्ष प्रो.बलदेवराज गुप्ता की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में प्रदीप जैन (दैनिक विश्व परिवार) एवं अंकुर दुआ (मुजफ्फरपुर बुलेटिन) को उपाध्यक्ष तथा सैय्यद रजा रिजवी को मंत्री मनोनीत किया गया। यह कमेटी अगले चुनाव होने तक कार्य करेगी।
‘पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ (PHDCCI) ने भारतीय भाषाई अखबारों के उदय और मीडिया इंडस्ट्री पर टेक्नोलॉजी के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए 13 सितंबर को अपनी पहली मीडिया समिट का आयोजन किया।
‘पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ (PHDCCI) ने भारतीय भाषाई अखबारों (Vernacular Newspapers) के उदय और मीडिया इंडस्ट्री पर टेक्नोलॉजी के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए 13 सितंबर को अपनी पहली मीडिया समिट का आयोजन किया। दिल्ली स्थित 'पीएचडी हाउस' में आयोजित इस समिट में सरकारी अधिकारियों से लेकर मीडिया संस्थानों से जुड़े प्रतिनिधि और शिक्षाविद् शामिल हुए। इस दौरान तमाम दिग्गजों का कहना था कि देश में अखबारों का सर्कुलेशन लगातार बढ़ रहा है, जिससे पता चलता है कि आज भी लोगों में अखबार का क्रेज है। अखबार आज भी खबरों के लिए सबसे विश्वसनीय माध्यम बने हुए हैं। पाठक दिन भर टीवी और डिजिटल मीडिया पर खबरें देखने के बाद भी अखबार पढ़ता है।
कार्यक्रम के दौरान सूचना-प्रसारण सचिव अपूर्व चन्द्रा ने भाषाई अखबारों के महत्व पर जोर दिया। अपूर्व चन्द्रा का कहना था, ‘मीडिया देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों से जुड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और सरकार स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।’
उन्होंने कहा कि अपनी शिक्षा प्रणाली और अन्य कारकों की वजह से हम अंग्रेजी पर बहुत अधिक निर्भर हैं। अंग्रेजी भारत में एक लोकप्रिय भाषा हो सकती है और राष्ट्रीय मीडिया में गहराई तक पैठ बना चुकी है, लेकिन क्षेत्रीय मीडिया मजबूत है और कंटेंट व रीडरशिप के मामले में लगातार बढ़ रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने रीजनल मीडिया को बढ़ावा देने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। सरकार और इंडस्ट्री के रूप में हमें क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने की दिशा में और ज्यादा काम करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने पब्लिशिंग हाउसेज से पाठकों की बदलती जरूरतों के अनुसार, नए-नए इनोवेशन करने और उन्हें अपनाने पर भी जोर दिया। अपूर्व चन्द्रा के अनुसार, ‘आज के दौर में युवा तेजी से छोटे फॉर्मेट्स में न्यूज का उपभोग (consumption) कर रहे हैं और मीडिया को उन तक पहुंचने के तरीके तलाशने की जरूरत है।’
‘PHDCCI’ के प्रेजिडेंट साकेत डालमिया का कहना था, ‘मीडिया न केवल सूचना का स्रोत है, बल्कि वह जनमत (public opinion) को आकार देने वाला भी है।’ इसके साथ ही उनका यह भी कहना था कि यह समिट मीडिया इंडस्ट्री के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने और उनसे निपटने के तरीके खोजने का एक अवसर है। वहीं, ‘PHDCCI’ के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. रंजीत मेहता का कहना था कि यह समिट देश में अपने तरह का पहला आयोजन है।
‘दैनिक भास्कर’ समूह के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर पवन अग्रवाल और ‘टाइम्स ग्रुप’ के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर मोहित जैन भी इस मीडिया समिट में शामिल हुए और अपने विचार रखे। पवन अग्रवाल ने क्षेत्रीय मीडिया के भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित होने पर जोर दिया और बताया कि प्रिंट मीडिया किस तरह से अभी भी समाचार के सबसे विश्वसनीय माध्यमों में से एक है। वहीं, मोहित जैन ने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अपूर्व चन्द्रा को धन्यवाद देते हुए मीडिया सेक्टर को आगे बढ़ाने वाले सरकार के प्रयासों की सराहना की।
वहीं, एक सेशन के दौरान ‘अमर उजाला’ के प्रबंध निदेशक तन्मय महेश्वरी का कहना था, ‘मीडिया में महिला पत्रकारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसका स्वागत किया जाना चाहिए।’ इसके साथ ही उनका यह भी कहना था कि इस तरह की चिंता बिल्कुल बेबुनियाद है कि नए दौर में अखबार समाप्त हो जाएंगे। ‘एबीपी’ समूह की सीईओ ध्रुबा मुखर्जी का कहना था कि हाइपरलोकल तक पहुंचना अखबारों की सबसे बड़ी ताकत है, जहां सामान्य रूप से बड़े टीवी न्यूज चैनल्स नहीं पहुंच पाते हैं। इसी सेशन में ‘ईनाडू’ समूह के निदेशक आई वेंकट ने फैक्ट चेक पर जोर देते हुए कहा, ‘विश्वसनीयता करने के लिए फैक्ट चेकिंग व्यवस्था को मजबूत बनाने की जरूरत है।’
मीडिया समिट के दौरान ‘पाठकों को आकर्षित करने और जोड़े रखने में किस तरह एडोटिरयल कंटेंट प्रमुख भूमिका निभा रहा है’ टॉपिक पर एक सेशन के दौरान ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री का कहना था, ‘पत्रकारिता लोकतांत्रिक पेशा है। अखबारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि टीवी और डिजिटल के जमाने में उसे अगले दिन सुबह भी जनता के लिए प्रासंगिक और उपयोगी बने रहना है।’ अखबारों के सामने चुनौती के बारे में उनका कहना था कि फेक न्यूज के जमाने में विश्वसनीयता सबसे बड़ी चुनौती है।
‘दैनिक भास्कर’ के नेशनल एडिटर लक्ष्मी पन्त का कहना था, ’निचले और छोटे इलाकों के पत्रकार आज व्यवस्था के सामने सबसे गंभीर प्रश्न उठा रहे हैं। नए लोग साक्षर हो रहे हैं। खबरों का उपभोग बढ़ रहा है। इसके प्लेटफार्म बदल रहे हैं।‘ इसके साथ ही उनका यह भी कहना था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कभी मनुष्य की कल्पनाशक्ति को खत्म नहीं कर सकता। लिखने का काम पत्रकार ही करेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उसे बेहतर रूप से दिखाने में मदद कर सकता है।‘वहीं, इस सेशन के दौरान ‘हिन्दुस्तान’ समूह के प्रबंध संपादक प्रताप सोमवंशी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सीखकर अपना काम बेहतर बनाने की कोशिश की जानी चाहिए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिर्फ खबरों को बेहतर रूप से दिखाने में मदद कर सकता है।
इस सेशन को वरिष्ठ पत्रकार और ‘एनडीटीवी’ के कंसल्टिंग एडिटर सुमित अवस्थी ने मॉडरेट किया। उनका कहना था कि आज आर्टिफिशियल एंकर की बात हो रही है, इसे अमर उजाला ने अपने डिजिटल पेज पर डेढ़-दो साल पहले दिखाया था। तब मेरे मन में सवाल आया था कि आज यह फॉर्मेट अखबार में आया है तो कल न्यूज रूम में टीवी के पास आएगा। उसका एक जवाब है कि यदि यहां कोई घटना हो जाती है तो एआई एंकर वही दिखाएगा/दिखाएगी जो उसे सिखाया जाएगा, लेकिन दर्शक या पत्रकार के रूप में जो आप लोग बताएंगे, वह एक एआई एंकर नहीं बता सकता है। कहने का मतलब है कि आपके इमोशन और इंटेलिजेंस को कोई चुनौती नहीं दे सकता है, वह आपका अपना है, इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से डरने की जरूरत नहीं है। सुमित अवस्थी का कहना था, ‘लिखने का काम पत्रकार ही करेंगे। यह कल्पनाशीलता और रचनाधर्मिता का क्षेत्र है, जिसकी कोई मशीन या कोई टेक्नोलॉजी तुलना नहीं कर सकती। बस करना यह है कि आप उस टेक्नोलॉजी को सीखो, उसे अपनाओ और अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करो।’
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुड मॉर्निंग इंडिया के ‘इंडिया न्यूज़’, ‘द डेली गार्जियन’ और ‘ द संडे गार्जियन’ के जयपुर संस्करणों का उद्घाटन बीते शुक्रवार को किया।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुड मॉर्निंग इंडिया के ‘इंडिया न्यूज़’, ‘द डेली गार्जियन’ और ‘ द संडे गार्जियन’ के जयपुर संस्करणों का उद्घाटन बीते शुक्रवार को किया। इस उद्घाटन समारोह का आयोजन राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में किया गया। समारोह का उद्घाटन मुख्यमंत्री द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम के दौरान सीएम गहलोत ने कहा कि यह राजस्थान के पत्रकारिता परिदृश्य में एक नए अध्याय की शुरुआत है, जिसका लक्ष्य लोगों तक विश्वसनीय और जमीनी स्तर की खबरें पहुंचाना है। इस अवसर पर, मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में पत्रकारिता के लिए अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने में सरकार अपनी ओर से पूरी कोशिश करेगी। इतना ही नहीं उन्होंने पत्रकारों की मांगों को पूरा करने के प्रयासों को जारी रखने का वादा भी किया। साथ ही हरदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय शुरू करने और पत्रकारों के लिए आवास और भूखंड योजनाएं स्थापित करने की भी बात कही।
मुख्यमंत्री ने माना कि लोकतांत्रिक समाज में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, खासकर ऐसे समय में जब बड़े पैमाने पर गलत सूचनाएं लोगों तक पहुंचाई जा रहीं हैं।
इस दौरान उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ खड़े होने के अपने प्रशासन के संकल्प पर भी प्रकाश डाला और पत्रकारों को समाज में अपनी भूमिका बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। सीएम ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पत्रकारिता में विजय सिंह पथिक और हरिदेव जोशी जैसे दिग्गजों के महत्वपूर्ण योगदान को याद किया और वर्तमान पत्रकारों से विरासत को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री गहलोत ने इस अवसर पर पत्रकारों के हित में सरकार द्वारा उठाए गए कदम के बारे में भी बताया, जिसके तहत पत्रकारों के बच्चों के लिए प्री और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति लागू करने से लेकर मुफ्त बीमा प्रदान करने और कोविड-19 महामारी के मद्देनजर वित्तीय सहायता की सुविधा प्रदान करने तक, उन्होंने क्षेत्र के लोगों के लिए एक सुरक्षात्मक व्यवस्था का आश्वासन दिया।
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने ‘मिशन 2030’ के तहत राजस्थान के लिए एक समृद्ध भविष्य का अनुमान भी लगाया, जिसमें आगामी सात वर्षों में राज्य की जीडीपी को 30 लाख करोड़ से अधिक करने का लक्ष्य रखा गया है। सीएम गहलोत ने न्यूनतम आय गारंटी अधिनियम और वंचित बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करने जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया, जिसका लक्ष्य राजस्थान को सामाजिक सुरक्षा में एक मॉडल राज्य के रूप में स्थापित करना है।
आईटीवी नेटवर्क के संस्थापक कार्तिकेय शर्मा ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और पत्रकारों के लिए शुरू की गई सहायक योजनाओं के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए आश्वासन दिया कि नए प्रकाशन विश्वास और विश्वसनीय पत्रकारिता का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया सहित कई प्रमुख हस्तियां उपस्थित रहीं, जिन्होंने नए लॉन्च किए गए समाचार पत्रों के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।कार्यक्रम के इस अवसर पर शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने राजस्थान द्वारा शिक्षा क्षेत्र में की गई उल्लेखनीय प्रगति पर जोर दिया।
अंग्रेजी अखबार ‘द इकनॉमिक टाइम्स’ (The Economic Times) ने तीन वरिष्ठ पत्रकारों विनय पांडेय, मल्लिका रोड्रिग्स और प्रणब ढल सामंत को प्रमोशन का तोहफा दिया है।
अंग्रेजी बिजनेस अखबार ‘द इकनॉमिक टाइम्स’ (The Economic Times) ने तीन वरिष्ठ पत्रकारों विनय पांडेय, मल्लिका रोड्रिग्स और प्रणब ढल सामंत को प्रमोशन का तोहफा दिया है। हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (e4m) को विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, नई जिम्मेदारियों के तहत प्रणब ढल अब इकनॉमिक टाइम्स में एग्जिक्यूटिव एडिटर (पॉलिटिक्स) बनाए गए हैं।
बता दें कि पूर्व में प्रणब ढल ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ (Times of India), ‘द प्रिंट’ (The Print) और ‘इंडियन एक्सप्रेस’ (Indian Express) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम कर चुके हैं। पॉलिटिकल बीट पर उनकी अच्छी पकड़ है।
रोड्रिग्स की बात करें तो वह 20 साल से ज्यादा समय से इस संस्थान के साथ हैं। उन्हें अब असिस्टेंट एग्जिक्यूटिव एडिटर की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वहीं, विनय पांडेय अब असिस्टेंट एग्जिक्यूटिव एडिटर की जिम्मेदारी संभालेंगे। वह भी विभिन्न भूमिकाओं में ‘इकनॉमिक टाइम्स’ के साथ दो दशक से ज्यादा समय से जुड़े हुए हैं।
'मीडिया संवाद 2023' कार्यक्रम में 'दैनिक भास्कर' के एडिटर लक्ष्मी प्रसाद पंत ने मीडिया के बदलते हुए परिदृश्यों और उनसे जुड़ी विभिन्न चुनौतियों के बारे में चर्चा की।
समाचार4मीडिया (samachar4media) ने पत्रकारिता के विभिन्न आयामों पर चर्चा करने और चुनौतियों की पहचान करने के लिए एक सितबंर को दिल्ली के इंटरनेशनल सेंटर में 'मीडिया संवाद 2023' कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां विभिन्न पैनल पर चर्चा की गई। इस दौरान 'दैनिक भास्कर' के एडिटर लक्ष्मी प्रसाद पंत ने मीडिया के बदलते हुए परिदृश्यों और उनसे जुड़ी विभिन्न चुनौतियों के बारे में चर्चा की।
इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मी प्रसाद पंत ने कहा कि करीब बाइस साल पहले जब मैं पत्रकारिता में आया था, तब भी हमारे सीनियर्स बोलते थे कि पत्रकारिता का संकट काल चल रहा है और आज भी यह विषय हमारे सामने है। मीडिया के सामने आ रही चुनौतियों को यदि मैं एक लाइन में समेटने की कोशिश करूं मुझे केदारजी की कविता याद आती है कि- 'चुप्पियां बढ़ती जा रही हैं उन सारी जगहों पर, जहां बोलना जरूरी था...' एक ये चेहरा है। लेकिन जो आज की पत्रकारिता है, वह रोमांच और चुनौती दोनों दौर से गुजर रही है। व्यक्तिगत तौर पर तो मुझे यह भी लगता है कि आज की पत्रकारिता एक सांस्कृतिक थकान के दौर से भी गुजर रही है। न्यूजरूम के भीतर और बाहर, अलग करने की जो बैचेनी है, छटपटाहट है, जो जिद है, वो खबरों को हांपने की स्थिति तक ला चुकी है। हम सभी ने देखा है कि न्यूजरूम में किस तरह से चीजें बदल रही हैं।
उन्होंने कहा कि चुनौती इस बात की भी है कि खबरें किस तरह से एक विचारधारा में सिमटती जा रही हैं। पत्रकारों ने अपनी पसंद के रंग भी चुन लिए हैं। वहीं सबसे बड़ा संकट, जिससे हम सभी रूबरू भी होते हैं, वह है 'विश्वसनीयत का संकट'। हर मीडिया समूह के सामने जो चुनौती है वह ये कि किस मीडिया समूह को हम विश्वसनीय मानें। न्यूजरूम में सबसे ज्यादा बेचैनी, सबसे ज्यादा बहस और सबसे ज्यादा छटपटाहट इसी शब्द को लेकर होती है।
वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मी प्रसाद पंत ने आगे कहा कि एक दूसरा पक्ष ये भी है कि पत्रकारों से ज्यादा सूचनाएं पाठकों के पास हैं। मिनी सेकेंड में खबरें लोड हो रही हैं। एक उदाहरण के तौर पर देखें तो जयपुर की आबादी है पैंसठ से सत्तर लाख के आस पास। लगभग पचास लाख लोगों के पास स्मार्टफोन्स हैं। वहीं जयपुर में जो हमारे पत्रकार काम करते हैं, उनकी संख्या लगभग सौ है। अब बताइए सौ लोग पचास लोगों का मुकाबला कैसे कर सकते हैं। इसलिए टेक्नोलॉजी ने मीडिया के सामनें एक यह भी चुनौती खड़ी की है। एक अन्य संकट ये भी है कि करीब चार सौ चैनल्स हैं, करीब बीस हजार से ज्यादा अखबार रजिस्टर्ड हैं, पर खबरें नहीं हैं। टीवी की स्क्रीन लगातार छोटी होती जा रही है। खिड़कियां इतनी खुल गईं हैं कि छत्तीस पत्रकार तो एक साथ स्क्रीन पर नजर आ जाते हैं।
अपनी बात रखते हुए उन्होंने आगे कहा कि कोविड के दौरान ये लगने लगा था कि अखबार अब खत्म हो जाएंगे। उस दौरान दैनिक भास्कर की सर्कुलेशन भी आधी से कम हो गई थी। उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर समझें तो हमारे ग्रुप की जो सर्कुलेशन थी वह 65 लाख के करीब-करीब थी, लेकिन कोविड के दौरान यह 20 से 30 लाख के आस-पास रह गई थी। उस समय ये लगने लगा था कि सबकुछ खत्म होने वाला है और अखबार तो बिल्कुल ही खत्म होने वाले हैं। लेकिन कोविड के दौरान पत्रकारों ने जो काम किया, प्रिंट मीडिया ने जो काम किया, दैनिक भास्कर ने जो काम किया, वह सरहनीय है। आप कल्पना नहीं कर सकते हैं कि आज जिस समय ये बात कर रहा हूं उस समय दैनिक भास्कर की सर्कुलेशन कोविड के पहले के समय जो थी, उससे भी आगे चली गई है। कोविड से पहले और कोविड के बाद एक बहुत बड़ा दायरा खड़ा हो गया है।
वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मी प्रसाद पंत का पूरा वक्तव्य आप नीचे देख-सुन सकते हैं:
'द पॉयनियर' (The Pioneer) में शोबोरी गांगुली (Shobori Ganguly) को एडिटर-इन-चीफ नियुक्त किया गया है।
'द पॉयनियर' (The Pioneer) में शोबोरी गांगुली (Shobori Ganguly) को एडिटर-इन-चीफ नियुक्त किया गया है। वह अखबार के हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करणों की मुद्रक (printer) व प्रकाशक (publisher) भी होंगी।
बता दें कि गांगुली दो दशकों से अधिक समय से अखबार से जुड़ी हुईं हैं और उन्होंने सीईओ व डायरेक्टर सहित विभिन्न पदों पर अखबार को अपनी सेवाएं दी हैं।
हाल ही में नरेन्द्र कुमार की मृत्यु से ही मुद्रक एवं प्रकाशक का पद रिक्त था। गांगुली डॉ. चंदन मित्रा (अब दिवंगत) की पत्नी हैं। उन्होंने अखबार के लिए एक्सटर्नल अफेयर्स की संपादक के तौर पर भी काम किया है।
वहीं, सितंबर 2021 में डॉ. मित्रा के निधन के बाद से ही एडिटर-इन-चीफ का पद भी रिक्त था।
पायनियर के 11 अंग्रेजी और चार हिंदी संस्करण हैं। इसकी एक वेबसाइट dailypioneer.com भी है। बताया जा रहा है कि अखबार भारी घाटे में है और उसने अपना डीएवीपी पैनल भी खो दिया है।