इससे पहले वह एडिटोरियल डायरेक्टर और उससे पहले अखबार के एडिटर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
एके भट्टाचार्य को ‘बिजेनस स्टैंडर्ड प्राइवेट लिमिटेड’ (Business Standard Private Limited) में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और एडिटोरियल डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। इससे पहले वह एडिटोरियल डायरेक्टर और उससे पहले अखबार के एडिटर थे।
इसके साथ ही कंपनी ने अपने बोर्ड में कुछ नए बदलाव भी किए हैं। इसके तहत ‘स्टार इंडिया’ (Star India) के पूर्व चेयरमैन और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर व ‘द वॉल्ट डिज्नी कंपनी, एशिया पैसिफिक’ के पूर्व प्रेजिडेंट उदय शंकर को बतौर नॉन एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर कंपनी बोर्ड में शामिल किया गया है।
वहीं, शिवेंद्र गुप्ता को कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर नियुक्त किया गया है। इससे पहले वह कंपनी के सीईओ थे।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।पत्रकारों ने इस घटना का विरोध किया और कार्य बहिष्कार कर दिया, जिसके चलते मणिपुर में रविवार को कोई अखबार प्रकाशित नहीं हुआ
मणिपुर में शनिवार 13 फरवरी की शाम दैनिक ‘पोकनाफाम’ के स्थानीय कार्यायल पर एक हथगोला फेंका गया, लेकिन कोई विस्फोट नहीं हुआ और उसे सुरक्षित तरीके से नष्ट कर दिया गया। बताया जा रहा है कि इस बीच कार्यालय में एक अज्ञात बदमाश ने लूटपाट भी की। इस घटना के संबंध में फिलहाल अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
वहीं, दूसरी तरफ मणिपुर के पत्रकारों ने इस घटना का विरोध किया और कार्य बहिष्कार कर दिया, जिसके चलते मणिपुर में रविवार को कोई अखबार प्रकाशित नहीं हुआ और न ही टीवी पर खबरें प्रसारित हुईं।
ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन (AMWJU) और एडिटर्स गिल्ड मणिपुर (EGM) ने हमले की निंदा की, जिसके बाद दोनों ही संगठनों ने कार्य बहिष्कार का फैसला किया था।
उधर, पुलिस ने बताया कि यह घटना शाम 6.30 बजे इम्फाल पश्चिम जिले के केशिमपत थियाम लेइकाई स्थित समाचार पत्र ‘पोकनाफाम’ के कार्यालय में हुई। पुलिस ने कहा कि ग्रेनेड का सेफ्टी पिन बरकरार पाया गया। सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि ग्रेनेड एक महिला द्वारा फेंका गया था, जो मोपेड पर आई थी। राज्य पुलिस के बम विशेषज्ञों ने विस्फोटक हथियार को मौके से हटा दिया।
घटना के पीछे अपराधियों को पकड़ने के लिए मणिपुर पुलिस द्वारा तलाशी अभियान चलाया गया है। क्षेत्र के सभी मीडिया हाउसों के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
पोकनाफम के संपादक अरीबम रोबिन्द्रो शर्मा ने कहा कि उन्हें किसी से भी तरह की धमकी या कुछ ऐसा नहीं मिला है, जो संदिग्ध हो।
इस हमले के विरोध में कीशामपाट थियाम लीकाई में पत्रकारों ने धरना दिया। बाद में मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह को एक ज्ञापन सौंपा गया और उनसे यह सुनिश्चित करने की अपील की गई कि राज्य में प्रेस स्वतंत्र रूप से काम कर पाए।
पुलिस के अनुसार हमले की वजह पता नहीं चल पाई है। किसी संगठन ने भी इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।इस लेटर पर ‘अमर उजाला’, ‘ईनाडु’, ‘हिन्दुस्तान’, ‘साक्षी’, ‘दैनिक जागरण’ ‘दैनिक भास्कर’ और ‘मलयाला मनोरमा’ के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हैं।
पिछले काफी समय से रुकी हुई भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे गति पकड़ रही है। तमाम अन्य बिजनेस के साथ भारतीय भाषाई अखबारों की ग्रोथ भी बढ़ रही है। ऐसे में अब सात प्रमुख भाषाई अखबार अपने स्टेकहोल्डर्स (stakeholders) के लिए एक कॉमन लेटर के जरिये एक साथ आगे आए हैं। इस लेटर में कहा गया है कि कोविड-19 से पहले की तुलना में सर्कुलेशन 80 से 90 प्रतिशत तक पहुंच गया है और 80 प्रतिशत से ज्यादा एडवर्टाइजिंग रिकवरी हो चुकी है।
लेटर में कहा गया है, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी रिकवरी कर रही है। वैक्सीन अभियान गति पकड़ रहा है और जीएसटी कलेक्शन भी अच्छी ग्रोथ दिखा रहा है। देश के टियर-दो और टियर-तीन मार्केट इस ग्रोथ में अहम भूमिका निभा रहे हैं। अखबारों का सर्कुलेशन भी बढ़ रहा है और यह जितना कोविड-19 से पहले था, उसके 80-90 प्रतिशत लेवल तक पहुंच गया है, इसके साथ ही एडवर्टाइजिंग रेवेन्यू भी कोविड-19 से पहले की तुलना में 80 प्रतिशत ग्रोथ प्राप्त कर चुका है।’
इस लेटर पर हस्ताक्षर करने वालों में ‘अमर उजाला’ के राजुल माहेश्वरी, ‘ईनाडु’ के आई वेंकट, ‘हिन्दुस्तान’ के राजीव बेओत्रा, ‘साक्षी’ के विनय माहेश्वरी, ‘दैनिक जागरण’ के शैलेष गुप्ता, ‘दैनिक भास्कर’ के गिरीश अग्रवाल और ‘मलयाला मनोरमा’ के जयंत मैमन मैथ्यू शामिल हैं।
इस रिकवरी के बारे में ‘दैनिक भास्कर ग्रुप’ के प्रमोटर डायरेक्टर गिरीश अग्रवाल का कहना है, ‘टियर दो और टियर तीन शहरों की ग्रोथ की वजह से भारतीय भाषाई अखबार पूरे मार्केट की ग्रोथ में अहम भूमिका निभा रहे हैं। अब जब मार्केट्स सामान्य स्थिति में पहुंचे हैं और तेजी से खुल रहे हैं, अखबारों का सर्कुलेशन स्तर भी कोविड-19 से पहले की तुलना में लगभग 85-87 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इसके अलावा समाचार पत्रों की विश्वसनीयता और भरोसा एक प्रमुख प्लस पॉइंट के रूप में उभरा है। खासकर फेक न्यूज के माहौल के बीच जिस तरह अखबारों ने अपनी विश्वसनीयत बनाए रखी है, ऐसे में अखबारों की संपादकीय शक्ति को मार्केट्स और पाठकों द्वारा सराहा जा रहा है।’
इस लेटर में अखबारों की ग्रोथ के साथ ही उसके कारणों पर भी बात की गई है। इस लेटर को आप यहां पढ़ सकते हैं।
प्रिंट मीडिया इंडस्ट्री इस बजट में न्यूजप्रिंट पर कस्टम ड्यूटी में पांच प्रतिशत छूट मिलने का इंतजार कर रही थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट 2021 के दौरान न्यूजपेपर पब्लिशर्स को कुछ राहत नहीं मिली है। कोरोनावायरस (कोविड-19) के मद्देनजर इस साल प्रिंट मीडिया इंडस्ट्री का सर्कुलेशन काफी प्रभावित हुआ है और इससे मुनाफे में कमी आई है। ऐसे में प्रिंट इंडस्ट्री इस बजट में अखबारों और मैगजींस में इस्तेमाल होने वाले कागज यानी न्यूजप्रिंट पर कस्टम ड्यूटी में पांच प्रतिशत छूट मिलने का इंतजार कर रही थी। हालांकि, बजट में इस तरह की कोई घोषणा नहीं की गई है।
बता दें कि पिछली साल प्रिंट मीडिया प्लेयर्सन ने उस समय राहत की सांस ली थी, जब न्यूजप्रिंट पर कस्टम ड्यूटी दस प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी गई थी। कस्टम ड्यूटी में कटौती से पब्लिशर्स के लिए लागत में भारी कमी आई थी।
हालांकि, जुलाई 2019 से पहले न्यूजपेपर बिजनेस में इस कैटेगरी के लिए किसी तरह की कस्टम ड्यूटी नहीं थी। ऐसे में पिछले साल कस्टम ड्यूटी में की गई कटौती की घोषणा का स्वागत किया गया था, क्योंकि इससे न्यूजप्रिंट में प्रति टन 1500 से 1700 रुपये की बचत हुई थी। देश में वर्तमान में सालाना रूप से 2.5 मिलियन टन न्यूजप्रिंट की मांग है।
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‘बिजनेस स्टैंडर्ड प्राइवेट लिमिटेड’ (Business Standard Private Limited) ने शिवेंद्र गुप्ता को मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया है। नई जिम्मेदारी मिलने से पहले वह कंपनी में सीईओ के पद पर काम कर रहे थे।
इसके साथ ही कंपनी ने अपने बोर्ड में कुछ नए बदलाव भी किए हैं। इसके तहत ‘स्टार इंडिया’ (Star India) के पूर्व चेयरमैन और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर व ‘द वॉल्ट डिज्नी कंपनी, एशिया पैसिफिक’ के पूर्व प्रेजिडेंट उदय शंकर को बतौर नॉन एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर कंपनी बोर्ड में शामिल किया गया है।
वहीं, एके भट्टाचार्य को कंपनी का एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और एडिटोरियल डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। इससे पहले वह एडिटोरियल डायरेक्टर और उससे पहले अखबार के एडिटर थे।
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हिंदी अखबार ‘दैनिक भास्कर’ पाठकों के लिए कुछ न कुछ नया और अलग करने का प्रयास करता रहता है। इसी कवायद के तहत उसने 25 जनवरी को भीलवाड़ा में एक कीर्तिमान रचा है। बताया जा रहा है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी अखबार का फ्रंट पेज बाकायदा कपड़े से ही तैयार किया गया है। कपड़े पर ही खबरों का प्रकाशन हुआ है। यह अंक 204 पेजों का प्रकाशित किया गया है।
ऐसा इसलिए, क्योंकि राजस्थान का भीलवाड़ा शहर ‘टेक्सटाइल सिटी’ के नाम से पूरे विश्व में मशहूर है। दरअसल ‘दैनिक भास्कर’ ने अपने भीलवाड़ा संस्करण के 15वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में पाठकों के लिए यह गौरवशाली अंक तैयार किया है। वस्त्रनगरी के रूप में ख्यात भीलवाड़ा के पाठकों को यह सौगात सोमवार के अंक में मिली। दैनिक भास्कर के मुताबिक, इस अंक की थीम गौरवशाली इसलिए रखी गई, क्योंकि ये भीलवाड़ा के संपूर्ण गौरव को बताने का प्रयास किया गया है।
बता दें कि इस विशेष अंक में ग्राउंड रिपोर्ट के अलावा ऐसी कहानियों का समावेश किया गया है, जिसने यह महसूस कराया कि भीलवाड़ा कितना गौरवशाली और वैभवशाली है। साथ ही ऐसी खबरें प्रकाशित की गई, जिससे पाठकों को यह पता चला कि भीलवाड़ा की पहुंच दुनिया में कहां-कहां तक है।
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प्रसिद्ध भारतीय उद्यमी और ‘ब्रिटिश हेराल्ड’ (British Herald) और ‘कोचीन हेराल्ड’ (Cochin Herald) मैगजीन के मालिक अंसिफ अशरफ अब हमारे बीच नहीं रहे।
प्रसिद्ध भारतीय उद्यमी और ‘ब्रिटिश हेराल्ड’ (British Herald) और ‘कोचीन हेराल्ड’ (Cochin Herald) मैगजीन के मालिक अंसिफ अशरफ अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका निधन संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शाहजाह में बुधवार सुबह हुआ।
दुबई में बिजनेस कर रहे अंसिफ में दो दिन पहले ही कोविड की पुष्टि हुई थी, लेकिन उन्हें पहले स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं थी। सांस लेने में तकलीफ के बाद बुधवार सुबह अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई।
अवॉर्ड विजेता रहे बिजनेसमैन अंसिफ ने 2017 में ‘ब्रिटिश हेराल्ड’ का अधिग्रहण किया था और बाद में इसे एक ऑनलाइन न्यूज व इंफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म के तौर पर लॉन्च किया। 2018 में, उन्होंने इस एक द्वि-मासिक ई-पत्रिका के तौर पर भी लॉन्च किया, जिसमें दुनिया के प्रमुख नेताओं को कवर किया जाता है। वे लंदन प्रेस क्लब (London Press Club) के सदस्य भी रहे हैं।
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पत्रकार डॉ. अतुल मोहन सिंह ने ‘अमर उजाला’ में करीब साढ़े तीन साल पुरानी अपनी पारी को विराम दे दिया है। उन्होंने अपना नया सफर दैनिक ‘स्वदेश’ के साथ शुरू किया है। उन्होंने लखनऊ में बतौर रेजीडेंट एडिटर जॉइन किया है।
मूल रूप से हूंसेपुर (हरदोई) के रहने वाले डॉ. अतुल मोहन सिंह को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का करीब 12 साल का अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत लखनऊ से पब्लिश होने वाले अखबार ‘स्पष्ट आवाज’ से की थी। इसके बाद ‘वॉयस ऑफ मूवमेंट’ ‘जनसंदेश’, ‘जन एक्सप्रेस’, ‘जनमत न्यूज’ और ‘अमर उजाला’ समेत तमाम अखबारों में विभिन्न जिम्मेदारी निभाने के बाद उन्होंने अब नई शुरुआत की है।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो 12वीं तक स्थानीय स्तर पर शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ का रुख कर लिया था। खास बात यह है कि उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ जाने वाले वह अपने गांव के पहले छात्र रहे हैं।
डॉ. अतुल मोहन सिंह पत्रकारिता की पढ़ाई करा रहे तमाम शिक्षण संस्थानों में समय-समय पर अतिथि अध्यापक के रूप में अध्यापन कार्य भी कराते रहते हैं। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के प्रकाशनों के लिए विगत चार वर्षों से कंटेंट राइटर/कॉपी राइटर के रूप में नियमित लेखन के अलावा वह देश के विभिन्न स्थानों से प्रकाशित होने वाली विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए नियमित लेखन भी करते रहते हैं।
समाचार4मीडिया की ओर से डॉ. अतुल मोहन सिंह को उनकी नई पारी के लिए ढेरों शुभकामनाएं।
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समाचार पत्र प्रकाशकों (News Print Publishers) ने सरकार से न्यूजप्रिंट पर लागू पांच प्रतिशत का आयात शुल्क हटाने की मांग की है। इस बाबत इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (INS) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक ज्ञापन सौंपा है। बजट से पहले सौंपे गए इस ज्ञापन में अखबारी कागज के आयात पर सीमा शुल्क कटौती, उद्योग को प्रोत्साहन पैकेज या कम से कम 50 प्रतिशत बढ़े शुल्क के साथ विज्ञापन जारी करने का आग्रह किया है।
समाचार पत्र उद्योग का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान मांग-आपूर्ति का असंतुलन पैदा होने से पिछले तीन महीनों में अखबारी कागज की कीमतों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी अगले महीने होने वाली है, जो प्रकाशकों को बुरी तरह प्रभावित करेगी। वहीं, घरेलू उत्पादकों ने पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति के लिए अपने कच्चे माल को स्टॉक कर लिया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट से पहले सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि यदि प्रिंट मीडिया के लिए इस समय प्रोत्साहन पैकेज दे पाना संभव नहीं है, तो विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) को अपने सभी विभागों के विज्ञापन 50 प्रतिशत बढ़े शुल्क के साथ जारी करने पर विचार करना चाहिए। इससे उद्योग को काफी मदद मिलेगी। इसके अलावा आईएनएस ने भारत के समाचार पत्र पंजीयक (आरएनआई) की प्रसार प्रमाणपत्र वैधता का विस्तार 31 मार्च, 2022 तक करने की मांग की है जिससे डीएवीपी की दरें अगले साल तक समान रहेंगी।
आईएनएस ने कहा कि ऐसा अनुमान है कि प्रिंट मीडिया को मौजूदा स्थिति से उबरने में दो से तीन साल लगेंगे।
इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (आईएनएस) के अध्यक्ष एल आदिमूलम ने कहा कि कोविड-19 महामारी से उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि महामारी के प्रभाव से उबरने के लिए समाचार पत्रों ने लागत घटाने के लिए अपने कई संस्करण बंद किए हैं। साथ ही उन्होंने अखबारों के पृष्ठ भी कम किए हैं और कर्मचारियों को भी हटाना पड़ा है। वहीं, ऐसे समय पर तो ज्यादातर समाचार पत्रों ने उन ग्रामीण क्षेत्रों में अखबार भेजना ही बंद कर दिया है, जहां 50 से कम प्रतियां जाती हैं। वितरण की लागत घटाने के लिए समाचार पत्रों ने यह कदम उठाया है।
आदिमूलम ने कहा कि सरकार ने महामारी के दौरान कुछ उद्योगों की प्रोत्साहन पैकेज से मदद की है। ‘हम भी कुछ प्रोत्साहन की उम्मीद कर रहे हैं।’
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जम्मू-कश्मीर सरकार ने 34 अखबारों को अपनी सूची से बाहर कर दिया है। वहीं सर्कुलेशन व प्रकाशन संबंधी अन्य दिशानिर्देशों का पालन न करने के चलते 13 अन्य अखबारों का विज्ञापन रोक दिया है। इसके अलावा, ‘कथित साहित्यिक चोरी’ और ‘दोषपूर्ण सामग्री’ के प्रकाशन की वजह से 17 अन्य समाचार प्रकाशनों को नोटिस जारी किए गए हैं।
न्यूज पोर्टल ‘दिप्रिंट’ की एक खबर के मुताबिक, सरकारी अधिकारियों ने बताया कि केंद्रशासित प्रदेश के दर्जनों समाचारपत्रों के कामकाज का पता लगाने और जांच करने के लिए चार महीने चली लंबी कवायद के बाद 7 दिसंबर को यह फैसला लिया गया था। प्रदेश प्रशासन ने कहा कि उन्हें इन संगठनों के खिलाफ कथित रूप से कदाचार और विज्ञापन नीति का उल्लंघन किए जाने की शिकायतें मीडिया बिरादरी के भीतर से ही मिल रही थीं।
रिपोर्ट के मुताबिक, यहां 17 अखबार प्रकाशनों को जारी नोटिस में समाचार संगठनों से जून 2020 में जारी नई मीडिया नीति के मानकों का पालन करने को कहा गया है, जिसके तहत सरकार ‘फेक न्यूज, साहित्यिक चोरी और अनैतिक और राष्ट्रविरोधी सामग्री’ के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और मीडिया के अन्य स्वरूपों की सामग्री की जांच करती है।
‘दिप्रिंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, उसके पास आधिकारिक दस्तावेज मौजूद हैं, जो दिखाते हैं कि समिति ने इस बात को ध्यान में रखा कि कुछ अखबार मार्च 2020 से कोविड-19 महामारी के कारण अपने मुद्दों को नियमित रूप से प्रकाशित नहीं कर पाए हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने ‘दिप्रिंट’ को बताया कि इसके बावजूद भी कई समाचार प्रकाशन कदाचार में लिप्त रहे हैं और अपनी प्रसार संख्या के बारे में गलत जानकारी देते रहे हैं। न्यूज पब्लिकेशन के खिलाफ कार्रवाई सरकार की तरफ से गठित समिति की तरफ से की गई व्यापक जांच और चार महीने लंबी कवायद के बाद की गई है।’
अधिकारी ने कहा, ‘2017-18 से ये पब्लिकेशन विज्ञापन नीति का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन कर रहे हैं और इन्होंने अपने प्रसार, स्वामित्व और प्रकाशन की गुणवत्ता से संबंधित मामलों में अधिकारियों को धोखा देने की कोशिश की है।’
रिपोर्ट के मुताबिक, जिन पब्लिकेशन पर कार्रवाई की गई है उनमें राइजिंग कश्मीर, गैलेक्सी न्यूज़, कश्मीर इमेजेज और अपना जम्मू शामिल हैं। यह फैसला 15 मई 2020 को गठित सरकार की इम्पैनलमेंट कमेटी ने लिया, जिसमें वित्त विभाग और सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
वहीं, जम्मू संभाग में मान्यता प्राप्त की सूची से बाहर होने वाले अखबारों में हिल पीपुल, नावीद, दैनिक कश्मीर टाइम्स, स्वर्ण स्मारिका, नई रोशनी, हाइट ऑफ लाइफ, जमीर-ए-खल्क, गैलेक्सी न्यूज़, अपना जम्मू, द अर्थ न्यूज और लोक शक्ति जैसे थोड़े-बहुत नामी अखबार शामिल हैं।
प्रसार संबंधी आंकड़ों में हेराफेरी के कारण विगरस न्यूज, स्टेट मॉनीटर और ट्रेड एंड जॉब आदि को सरकार ने सूची से बाहर किया है। कश्मीर में वादी गुलपीश, सदाकत-ए-रहबर, हक नवाज और सद-रंग सेहर सहित आठ समाचार पत्रों के प्रेस पर रोक लगाई गई है।
वहीं, सूची से बाहर किए गए जाने-माने पब्लिकेशन में कश्मीर इमेजेज का जम्मू संस्करण भी शामिल है, जिसने जनवरी 2018 के बाद से एक भी संस्करण प्रकाशित नहीं किया है। इसी तरह दिसंबर 2019 से अखबार की प्रतियां संयुक्त निदेशक के कार्यालय न भेजने के कारण राइजिंग कश्मीर के जम्मू संस्करण के लिए विज्ञापन बंद कर दिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक अधिकारी ने ‘दिप्रिंट’ को बताया कि सरकार ने यह कार्रवाई अखबारों के आकार या नाम के आधार पर नहीं बल्कि कथित कदाचार के कारण की है।
एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि प्रसार पर गलत आंकड़े देना, वास्तविक स्वामित्व के बारे में जानकारी छिपाना और छपी सामग्री, कागज की गुणवत्ता (रंगीन अखबारों को अधिक सरकारी धन मिलता है), इंटरनेट या अन्य समाचार पत्रों से प्रकाशन सामग्री की चोरी जैसे कुछ ऐसे कथित उल्लंघन थे जो जांच के दौरान सामने आए।
जांच से जुड़े रहे एक अन्य सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘अखबारों की प्रसार संख्या की जांच के लिए हमारी टीमों ने कई जगहों जैसे अखबार के स्टैंड और वेंडर्स की दुकानों पर छापे मारे और हमने पाया कि कुछ समाचार पत्र केवल सरकारी रिकॉर्ड में ही मौजूद थे। कुछ ऐसे अखबार भी पाए गए जिनकी केवल एक प्रति छापकर सूचना विभाग को भेजी गई थी।’
रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर में 164 प्रतिष्ठित प्रकाशन सूचीबद्ध हैं, जिनमें अखबार, मैगजीन, साप्ताहिक और पाक्षिक पत्र-पत्रिकाएं शामिल हैं। इनमें 41 अंग्रेजी दैनिक, 59 उर्दू दैनिक और 56 अंग्रेजी और उर्दू सप्ताहिक हैं।
जम्मू में 84 अंग्रेजी दैनिक, 31 उर्दू और 24 हिंदी दैनिक, 14 बहुभाषी (हिंदी/डोगरी) सप्ताहिक, 37 उर्दू सप्ताहिक और 30 अंग्रेजी सप्ताहिक सहित 248 प्रकाशन सूचीबद्ध हैं।
अब तक, जम्मू में 24 न्यूज पब्लिकेशन को सूची से बाहर किया गया है, 17 को नई मीडिया नीति 2020 अपनाने के लिए नोटिस भेजा गया है और पांच का विज्ञापन निलंबित किया गया है। वहीं, कश्मीर में 10 अखबारों को सूची से बाहर किया गया है और आठ अन्य के विज्ञापन निलंबित कर दिए गए हैं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।सीनियर जर्नलिस्ट संजय श्रीवास्तव ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर गहन शोध के बाद एक किताब लिखी है, जिसका नाम ‘सुभाष बोस की अज्ञात यात्रा’ है।
सीनियर जर्नलिस्ट संजय श्रीवास्तव ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर गहन शोध के बाद एक किताब लिखी है, जिसका नाम ‘सुभाष बोस की अज्ञात यात्रा’ है। इसे संवाद प्रकाशन, मेरठ ने प्रकाशित किया है।
23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जन्मतिथि है। देश इस साल उनकी 125वीं जन्मशती मना रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने इस साल नेताजी की याद में कई आयोजन लगातार करने की योजना की घोषणा भी की है।
पिछले 07 दशकों में सुभाष चंद्र बोस को लेकर न जाने कितने सवाल उठे हैं। 18 अगस्त 1945 को नेताजी का निधन तायहोकु में एक हवाई हादसे में बताया गया, लेकिन देश ने कभी इस पर विश्वास नहीं किया। नेताजी का निधन हमेशा रहस्य की परतों में लिपटा रहा। सुभाष चंद्र बोस के निधन से जुड़े रहस्य की जांच के लिए तीन आयोग बने। दो आयोगों यानि शाहनवाज खान और जस्टिस जीडी खोसला आयोग ने कहा कि नेताजी का निधन तायहोकु में हवाई हादसे में हो गया, लेकिन 90 के दशक के आखिर में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा गठित जस्टिस मनोज कुमार मुखर्जी आयोग ने कहा, उनका निधन हवाई हादसे में नहीं हुआ था।
50 के दशक में बने पहले जांच आयोग के सदस्य रहे सुभाष के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस ने बाद में खुद को आयोग की जांच रिपोर्ट से अलग कर अपनी असहमति रिपोर्ट तैयार की, जिसे उन्होंने अक्टूबर 1956 में जारी किया। इस रिपोर्ट में उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि सुभाष किसी हवाई हादसे के शिकार नहीं हुए बल्कि जिंदा बच गए। जापान के उच्च सैन्य अधिकारियों ने खुद उन्हें सुरक्षित जापान से निकालकर सोवियत संघ की सीमा तक पहुंचना सुनिश्चित किया।
अलग-अलग देशों की आला खुफिया एजेंसियों ने अपने तरीकों से इस तारीख से जुड़ी सच्चाई को खंगालने की कोशिश की। कुछ स्वतंत्र जांच भी हुई। कई देशों में हजारों पेजों की गोपनीय फाइलें बनीं। तमाम किताबें लिखीं गईं। रहस्य ऐसा जो सुलझा भी लगता है और अनसुलझा भी। हकीकत ये है कि 18 अगस्त 1945 के बाद सुभाष कभी सामने नहीं आए।
बहुत से लोग 80 के दशक तक दावा करते रहे कि उन्होंने नेताजी को देखा है। अयोध्या में रहने वाले गुमनामी बाबा को बेशक सुभाष मानने वालों की कमी नहीं। दो और बाबाओं के सुभाष होने की चर्चाएं खूब फैली, उसमें शॉलमारी आश्रम के स्वामी शारदानंद और मध्य प्रदेश में ग्वालियर के करीब नागदा के स्वामी ज्योर्तिमय को नेताजी माना गया।
जब देश आजाद हो रहा था, तब कांग्रेस के बड़े बड़े नेताओं को भी लगता था कि नेताजी जिंदा हैं। ये माना गया कि वो सोवियत संघ पहुंच गए हैं। महफूज हैं। बस एक शख्स था, जो कह रहा था कि नेताजी ने उसके सामने अस्पताल में आखिरी सांसें ली हैं, वो थे आजादी के बाद पाकिस्तान में जाकर बस गए कर्नल हबीब उर रहमान।
सुभाष की अज्ञात यात्रा बहुत रहस्यपूर्ण और कौतुहल लिए है। लेखक संजय श्रीवास्तव की नई किताब ‘सुभाष बोस की अज्ञात यात्रा’ उसी ओर देखने की कोशिश है। सुभाष पर उपजने वाले तमाम सवालों का जवाब खोजने के साथ तीनों जांच आयोगों की रिपोर्ट, बडे़ भाई सुरेश चंद्र बोस की अहसमति रिपोर्ट को विस्तार से पहली बार दिया गया है।
ये काफी तथ्यपरक और शोधपूर्ण तरीके से लिखी किताब है, जो सुभाष ही नहीं बल्कि उनके जीवन से जुड़े लोगों और सवालों पर नजर दौड़ाती है। सुभाष की अज्ञात यात्रा आज भी अज्ञात है।
किताब - सुभाष बोस की अज्ञात यात्रा
लेखक - संजय श्रीवास्तव
संवाद प्रकाशन, मेरठ
मूल्य 300 रुपए (पेपर बैक)
(अमेजन पर उपलब्ध)
पेज -288
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