‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने सरकार के समक्ष रखीं चुनौतियां, समाधान की अपील

इसके साथ ही ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की मांग भी की है, ताकि वह इन मुद्दों पर चर्चा कर सकें और समाधान के लिए मिलकर काम किया जा सके।

Last Modified:
Tuesday, 22 April, 2025
AIM.


40 से अधिक पब्लिशर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) ने मैगजीन इंडस्ट्री की स्थिरता को खतरे में डाल रही गंभीर चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार से अपील की है।

इस बारे में 17 अप्रैल 2025 को जारी एक ज्ञापन में ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने नियामक अस्पष्टताओं, लॉजिस्टिक समस्याओं और संस्थागत समर्थन की आवश्यकता जैसे मुद्दों पर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं।

‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने वर्ष 2023 में लागू हुए प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल्स (PRP) एक्ट को लेकर आशंका जताई है और कहा है कि यह ‘अखबारों’ और ‘पीरियोडिकल्स’ (पत्रिकाओं) के बीच स्पष्ट भेद करता है, जबकि 1867 का पुराना कानून (Press and Registration of Books Act) ऐसा नहीं करता था।

‘AIM’ के अनुसार, ‘इस नई परिभाषा के चलते रियायती डाक दर, रेल परिवहन, न्यूजप्रिंट पर कम कस्टम ड्यूटी और सरकारी विज्ञापन जैसी सुविधाओं की पात्रता को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई है। कुछ पब्लिकेशंस को डाक नवीनीकरण से इनकार किए जाने की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं।’

ऐसे में संस्था ने सरकार से अपील की है कि वह स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करे ताकि अखबारों और मैगजींस, दोनों को ही पूर्व में प्राप्त रियायतें और सुविधाएं पहले की तरह मिलती रहें।

‘AIM’ के अनुसार, ‘मैगजीन इंडस्ट्री पारंपरिक रूप से कम लागत वाले डिस्ट्रीब्यूशन के लिए भारतीय रेलवे पर निर्भर रही है। लेकिन हालिया नीतिगत बदलावों-जैसे कि उत्तरी रेलवे की पैसेंजर ट्रेनों में दोनों SLR डिब्बों का लीज पर जाना और यात्रियों के सामान की सीमा 400 किलोग्राम तक सीमित करना, ने इस मॉडल को बाधित कर दिया है। अब पब्लिशर्स को डिस्ट्रीब्यूशन के लिए कमर्शियल रेट या लीज कॉस्ट चुकानी पड़ रही है, जिससे लागत में इजाफा हो गया है।’

‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने मांग की है कि देशभर में जिन 18–20 ट्रेनों का इस्तेमाल मैगजींस डिस्ट्रीब्यूशन के लिए आम तौर पर होता है, उनमें कम से कम 1,000 किलो स्पेस आरक्षित किया जाए ताकि लॉजिस्टिक समस्याओं को कम किया जा सके।

संस्था ने यह भी आग्रह किया है कि सरकारी वित्त पोषित शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थानों में मैगजींस की सदस्यता को बढ़ावा दिया जाए। ‘AIM’ के अनुसार, ‘देश में 10 लाख से अधिक स्कूल, 58,000 उच्च शिक्षा संस्थान और 54,000 से अधिक सार्वजनिक पुस्तकालय हैं।’ संस्था ने सुझाव दिया है कि विभिन्न मंत्रालय सरकारी स्कूलों (जैसे कि केवीएस और जेएनवीएस), विश्वविद्यालयों और कॉलेजों (यूजीसी/AICTE द्वारा वित्त पोषित), सार्वजनिक पुस्तकालयों और अन्य संस्थानों में मैगजींस के सबस्क्रिप्शन के लिए बजट आवंटन को प्रोत्साहित करें। ‘AIM’ ने उल्लेख किया कि बिहार, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों ने पहले ही इस दिशा में पहल की है और यदि केंद्र सरकार सहयोग करे तो इस पहल को राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार दिया जा सकता है।

इसके साथ ही ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की मांग की है, ताकि वह इन मुद्दों पर चर्चा कर सकें और समाधान के लिए मिलकर काम किया जा सके।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

'मुंबई मिरर' की वापसी तय, जल्द शुरू होगा दैनिक संस्करण

टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप एक बार फिर 'मुंबई मिरर' को दैनिक अखबार के रूप में लॉन्च करने की तैयारी में है।

Last Modified:
Thursday, 08 May, 2025
MumbaiMirror784512

कंचन श्रीवास्तव।।

टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप एक बार फिर 'मुंबई मिरर' को दैनिक अखबार के रूप में लॉन्च करने की तैयारी में है। यह कदम न केवल प्रिंट पोर्टफोलियो को नई ऊर्जा देने की रणनीति का हिस्सा है, बल्कि इस बात का संकेत भी है कि ग्रुप को अब भी अपने मजबूत पाठक आधार और शहरी ब्रैंड की गहराई पर पूरा भरोसा है।

कंपनी के अधिकारियों ने एक्सचेंज4मीडिया से इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि ग्रुप 'मुंबई मिरर' को फिर से दैनिक अखबार के रूप में ला रहा है। यह पांच साल पहले एक बेहद पसंद किया जाने वाला प्रोडक्ट था और यह हमारी व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत हम अपने पूरे पोर्टफोलियो में नई गति लाने की कोशिश कर रहे हैं।

उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि एक महीने के भीतर पूर्ण पैमाने पर इसके पुनः लॉन्च होने की उम्मीद है। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि नए संस्करण की एडिटोरियल जिम्मेदारी किसे सौंपी जाएगी। जब 'मुंबई मिरर' को 2020 में बंद किया गया था, उस समय मीनल बघेल इसकी एडिटर थीं। वर्तमान में वे मुंबई में टहिन्दुस्तान टाइम्सट की रेजिडेंट एडिटर के रूप में कार्यरत हैं।

2020 के बाद से इसका संडे एडिशन लगातार जारी रहा, लेकिन दैनिक संस्करण की वापसी सिर्फ पुरानी यादों तक सीमित नहीं है। यह टाइम्स ग्रुप की एक बड़ी और बहुआयामी विकास योजना का हिस्सा है, जिसमें डिजिटल, इवेंट्स और कंटेंट-बेस्ड वर्टिकल्स में नए सिरे से निवेश की योजना भी शामिल है। सूत्रों का मानना है कि ग्रुप कुछ पहले बंद की गई पहलों को भी फिर से शुरू कर सकता है।

e4m ने टाइम्स ग्रुप के प्रेसिडेंट एंड हेड ऑफ रिस्पॉन्स सुरिंदर चावला से भी संपर्क किया है। उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर इस खबर को अपडेट किया जाएगा।

शुरुआत से पहचान तक: 'मुंबई मिरर' का सफर

29 मई 2005 को गेटवे ऑफ इंडिया पर भव्य अंदाज में लॉन्च हुआ था 'मुंबई मिरर'। आतिशबाजी, लेजर शो और तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख व अभिनेता अभिषेक बच्चन की उपस्थिति ने इसे खास बना दिया।

उस समय मुंबई के प्रिंट मीडिया क्षेत्र में बड़ा बदलाव हो रहा था। हिन्दुस्तान टाइम्स अपनी मुंबई एंट्री की तैयारी कर रहा था, जबकि दैनिक भास्कर और जी ग्रुप मिलकर DNA अखबार लाने की योजना में थे। ऐसे माहौल में टाइम्स ग्रुप ने TOI को प्रतिस्पर्धा से सुरक्षित रखने के लिए एक धारदार, शहरी टैब्लॉयड उतारने का फैसला किया।

लेकिन 'मुंबई मिरर' जल्द ही अपनी अलग पहचान और ताकतवर उपस्थिति के लिए जाना जाने लगा। सिर्फ छह साल में 200 करोड़ रुपये का ब्रैंड बन गया था, जैसा कि 2012 में उस समय के एक्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट (रेस्पॉन्स) भास्कर दास ने कहा था।

तेजी से शिखर पर और फिर ठहराव

लॉन्च के दिन ही 'मुंबई मिरर' मुंबई में दूसरा सबसे ज्यादा छपने वाला अखबार बन गया था, जिसकी प्रिंट रन दो लाख कॉपियों की थी। इसकी तेज हेडलाइंस, नागरिक केंद्रित पत्रकारिता और आसान फॉर्मेट ने इसे मुंबई के पाठकों में बेहद लोकप्रिय बना दिया।

विनीत जैन ने उस समय कहा था, “यह प्रिंट मार्केट के कुल विस्तार की ओर ले जाएगा—और अगर आंतरिक प्रतिस्पर्धा होती भी है, तो वह स्वस्थ है।”

TOI के साथ फ्री में बंटना शुरू हुआ यह टैब्लॉयड बाद में पुणे, बेंगलुरु और अहमदाबाद जैसे शहरों तक पहुंचा। हालांकि, दिसंबर 2020 में महामारी के आर्थिक दबाव के बीच, ग्रुप ने दैनिक संस्करण को स्थगित करने का ऐलान किया। स्टाफ को सूचित किया गया कि अखबार दो हफ्तों में बंद कर दिया जाएगा।

यह वही समय था जब टाइम्स ग्रुप को वित्त वर्ष 2020 में ₹451 करोड़ का घाटा हुआ था, जबकि पिछले साल उसने ₹484 करोड़ का मुनाफा दर्ज किया था।

'मुंबई मिरर' की यह वापसी सिर्फ एक अखबार की नहीं, बल्कि एक ऐसे दौर की है जिसने मुंबई की पत्रकारिता को नजदीक से देखा, छुआ और बदला भी। अब देखना होगा कि यह नई शुरुआत पुराने तेवर और नई सोच के साथ कैसा असर छोड़ती है। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

‘The Hindu’ ने कश्मीर में भारतीय जेट क्रैश होने के दावे वाला आर्टिकल हटाया, जताया खेद

यह आर्टिकल ‘द हिंदू’ की वेबसाइट पर पब्लिश किया गया था जो भारतीय वायु सेना के जेट विमानों के कश्मीर क्षेत्र में क्रैश होने से संबंधित एक अप्रमाणित रिपोर्ट पर आधारित था।

Last Modified:
Wednesday, 07 May, 2025
Hindu

‘द हिंदू’ (The Hindu) ने अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म से उस आर्टिकल को हटा दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि कश्मीर में तीन भारतीय फाइटर जेट दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे।

दरअसल, यह आर्टिकल ‘द हिंदू’ की वेबसाइट पर पब्लिश किया गया था जो भारतीय वायु सेना के जेट विमानों के कश्मीर क्षेत्र में क्रैश होने से संबंधित एक अप्रमाणित रिपोर्ट पर आधारित था। हालांकि, कुछ ही समय बाद यह आर्टिकल हटा लिया गया। अब उस लिंक को एक्सेस करने की कोशिश करने पर एक सामान्य एरर संदेश दिखाई देता है, जो बताता है कि वह पेज अब मौजूद नहीं है।

गौरतलब है कि जब यह आर्टिकल पब्लिश किया गया था, तब कई यूजर्स ने ऑनलाइन इसे देखा और कुछ ने उन दावों के स्रोत व सत्यापन पर सवाल उठाए थे। हालांकि, कुछ समय बाद ही इसे प्लेटफॉर्म से डिलीट कर दिया गया।

इस बारे में ‘द हिंदू’ की ओर से एक ट्वीट भी किया गया है। इस ट्वीट में कहा गया है, ‘हमने ऑपरेशन सिंदूर में शामिल भारतीय विमानों के बारे में एक पुरानी पोस्ट हटा दी है। भारत की ओर से ऐसी कोई आधिकारिक जानकारी रिकॉर्ड में नहीं है। इसलिए हमने अपने प्लेटफॉर्म से उस पोस्ट को हटाने का फैसला किया। हमें खेद है कि इसने हमारे पाठकों के बीच भ्रम पैदा किया।’

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

लाइफस्टाइल मैगजीन ‘Cosmopolitan India’ की नई संपादक बनीं स्निग्धा आहूजा

आहूजा को प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 15 वर्षों का गहन अनुभव है। फैशन, ब्यूटी और पॉप कल्चर को लेकर उनकी समझ बेहद समृद्ध मानी जाती है।

Last Modified:
Wednesday, 07 May, 2025
Snigdha Ahuja

‘इंडिया टुडे’ समूह की प्रतिष्ठित लाइफस्टाइल मैगजीन ‘Cosmopolitan India’ ने स्निग्धा आहूजा को अपना नया एडिटर नियुक्त किया है। आहूजा को प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 15 वर्षों का गहन अनुभव है। फैशन, ब्यूटी और पॉप कल्चर को लेकर उनकी समझ बेहद समृद्ध मानी जाती है।

अपनी नई भूमिका में वह ग्रुप के लग्जरी और लाइफस्टाइल बिजनेस की सीओओ साक्षी कोहली को रिपोर्ट करेंगी और ITG मीडियाप्लेक्स, नोएडा स्थित दफ्तर से कामकाज संभालेंगी।

इससे पहले वह रिलायंस ब्रैंड्स लिमिटेड की फैशन वेबसाइट ‘The Voice of Fashion’ में मैनेजिंग एडिटर थीं। साथ ही, उन्होंने AJIO के लग्जरी ई-कॉमर्स कंटेंट प्लेटफॉर्म ‘Ajio Luxe’ के लिए संपादकीय दिशा का नेतृत्व भी किया है।

स्निग्धा की नियुक्ति के बारे में इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जिक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ कली पुरी ने कहा, 'Cosmopolitan India की तरह ही स्निग्धा की आवाज बोल्ड, फ्रेश और ऊर्जा से भरपूर है। मुझे भरोसा है कि उनके नेतृत्व में यह ब्रैंड आज के दौर की जिज्ञासु और अभिव्यक्तिपूर्ण युवा ऑडियंस से और भी गहराई से जुड़ पाएगा।'

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष की नई किताब 'Reclaiming Bharat' की लॉन्चिंग 9 मई को दिल्ली में

इस कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज झा, वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई और राजनीतिक विश्लेषक प्रो. जोया हसन जैसी जानी-मानी हस्तियां पैनलिस्ट के रूप में शामिल होंगी।

Last Modified:
Wednesday, 07 May, 2025
Ashutosh Book

वरिष्ठ पत्रकार और ‘सत्य हिंदी’ न्यूज पोर्टल के को-फाउंडर आशुतोष अपनी नई किताब Reclaiming Bharat: What Changed in 2024 And What Lies Ahead लेकर आए हैं। इस किताब की लॉन्चिंग 9 मई, शुक्रवार को शाम 6:30 बजे दिल्ली के जवाहर भवन में की जाएगी।

इस अवसर पर 'The Future of Constitutional Democracy' विषय पर एक पैनल डिस्कशन भी होगा। इसमें राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज झा, वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई और राजनीतिक विश्लेषक प्रो. जोया हसन जैसी जानी-मानी हस्तियां पैनलिस्ट के रूप में शामिल होंगी। इस चर्चा का संचालन प्रख्यात लेखक और आलोचक अपूर्वानंद करेंगे।

Reclaiming Bharat वर्ष 2024 के आम चुनावों की गहराई से पड़ताल करती है। यह किताब इस बात की विवेचना करती है कि कैसे राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कारकों ने भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत हासिल करने से रोका। आशुतोष ने चुनावी राजनीति के सूक्ष्म संकेतों को जोड़ते हुए यह समझाने की कोशिश की है कि भारत इस वक्त किस मोड़ पर खड़ा है और आगे क्या संभावनाएं बन सकती हैं।

बता दें कि आशुतोष इससे पहले Hindu Rashtra; The Crown Prince: The Gladiator and the Hope–Battle for Change; Anna: 13 Days That Awakened India और Mukhaute ka Rajdharma जैसी चर्चित किताबें लिख चुके हैं। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

बच्चों की लोकप्रिय मैगजीन 'चंपक' पहुंची कोर्ट, BCCI पर लगाया ट्रेडमार्क के उल्लंघन का आरोप

दिल्ली प्रेस पत्र प्रकाशन (Delhi Press Patra Prakashan) द्वारा प्रकाशित इस दशकों पुरानी मैगजीन ने BCCI के खिलाफ ट्रेडमार्क उल्लंघन का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में दायर किया है।

Last Modified:
Thursday, 01 May, 2025
Champak7845

बच्चों की लोकप्रिय मैगजीन ‘चंपक’ और इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के बीच एक अनोखा कानूनी विवाद सामने आया है। दिल्ली प्रेस पत्र प्रकाशन (Delhi Press Patra Prakashan) द्वारा प्रकाशित इस दशकों पुरानी मैगजीन ने BCCI के खिलाफ ट्रेडमार्क उल्लंघन का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में दायर किया है। मामला IPL 2025 सीजन के दौरान लॉन्च किए गए रोबोटिक डॉग 'चंपक' से जुड़ा है, जिसका नाम मैगजीन के नाम से मेल खाता है।

इस रोबोट को 23 अप्रैल को एक सार्वजनिक वोटिंग के बाद पेश किया गया था। प्रकाशक का आरोप है कि BCCI ने बिना अनुमति ‘चंपक’ नाम का इस्तेमाल कर उनकी ब्रैंड पहचान और ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया है, जो बच्चों के लिए बनाए गए जानवरों पर केंद्रित चरित्रों से जुड़ा रहा है।

प्रकाशक की ओर से पेश वकील अमित गुप्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि भले ही रोबोटिक डॉग एक अलग प्रॉडक्ट हो, लेकिन इसका नाम मैगजीन की विशिष्टता को कमजोर कर सकता है।

हाईकोर्ट के जस्टिस सौरभ बनर्जी ने इस पर सवाल उठाया, “सीधा नुकसान कहां है? इस रोबोटिक डॉग से आपके ब्रैंड के व्यवसाय या प्रतिष्ठा पर वास्तव में क्या असर पड़ा है?”

कोर्ट ने यह भी कहा कि नाम की समानता मात्र से किसी ब्रैंड के व्यावसायिक लाभ उठाने की बात साबित नहीं होती, जब तक कोई स्पष्ट व्यावसायिक लाभ सामने न आए।

कोर्ट ने 'चीकू' का उदाहरण भी दिया, जो 'चंपक' मैगजीन का एक चरित्र है और साथ ही क्रिकेटर विराट कोहली का उपनाम भी रहा है। कोर्ट ने पूछा कि उस स्थिति में कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

इस पर गुप्ता ने जवाब दिया कि अनौपचारिक उपनाम और किसी प्रॉडक्ट को आधिकारिक रूप से ट्रेडमार्क नाम से लॉन्च करना दो अलग बातें हैं।

BCCI की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जे साई दीपक ने दलील दी कि ‘चंपक’ एक आम इस्तेमाल होने वाला शब्द है, जो एक फूल का नाम भी है। उन्होंने बताया कि रोबोटिक डॉग का विचार 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' यूनिवर्स से प्रेरित है और इसका उद्देश्य किसी ब्रैंड की प्रसिद्धि से लाभ उठाना नहीं था।

कोर्ट ने तत्काल रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि अभी तक इसके पक्ष में पर्याप्त सबूत नहीं हैं, लेकिन नोटिस जारी कर अगली सुनवाई की तारीख 9 जुलाई तय की है।

यह मामला तय करेगा कि IPL में ‘चंपक’ नाम का उपयोग वास्तव में ट्रेडमार्क का उल्लंघन है या केवल एक संयोग।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

कश्मीर को लेकर 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से हुई ये बड़ी चूक, मांगी माफी

टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने बयान में कहा कि यह गलती उत्तर प्रदेश के कुछ शुरुआती संस्करणों में हुई थी और यह चूक एक विदेशी न्यूज एजेंसी द्वारा भेजे गए फोटो कैप्शन के कारण हुई।

Last Modified:
Friday, 25 April, 2025
TOI784

प्रमुख अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से एक गंभीर चूक हो गई, जब उसके एक स्थानीय संस्करण में श्रीनगर स्थित डल झील की तस्वीर के नीचे कश्मीर को 'Indian controlled Kashmir' बताया गया। इस शब्दावली को लेकर जनता में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। सोशल मीडिया पर अखबार की आलोचना शुरू होने के बाद 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने तत्काल माफी मांगते हुए स्पष्टीकरण जारी किया।

अपने आधिकारिक बयान में अखबार ने कहा कि यह गलती उत्तर प्रदेश के शुरुआती संस्करणों के सीमित हिस्से में हुई थी और इसका कारण एक विदेशी न्यूज एजेंसी द्वारा भेजे गए फोटो कैप्शन का प्रयोग करना था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह त्रुटि अखबार के मुख्य राष्ट्रीय संस्करणों, ऑनलाइन वेबसाइट या ई-पेपर में नहीं हुई थी और जैसे ही इस गलती का पता चला, इसे तुरंत ठीक कर दिया गया।

'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने अपने बयान में दो टूक कहा, "हम पूरे देश की तरह स्पष्ट रूप से और मजबूती से यह दोहराते हैं कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। यह हमारी निरंतर संपादकीय नीति रही है, जो पूरी तरह भारत के संविधान और भारतीय जनभावना के अनुरूप है।"

अखबार ने कहा कि वह इस चूक को बहुत गंभीरता से लेता है और देशवासियों की भावनाओं का सम्मान करता है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने भरोसा दिलाया कि वह उच्चतम पत्रकारिता मूल्यों और भारत की एकता एवं अखंडता के प्रति पूरी तरह समर्पित है। उन्होंने कहा, "हम इस चूक के लिए गहरा खेद प्रकट करते हैं और भविष्य में इस तरह की त्रुटियों से पूरी सावधानी बरतने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

इंडिया टुडे ग्रुप ने लॉन्च किया HELLO! इंडिया, रुचिका मेहता होंगी एडिटर

इंडिया टुडे ग्रुप ने अपने लाइफस्टाइल पोर्टफोलियो में एक और नया नाम जोड़ते हुए HELLO! इंडिया के लॉन्च की घोषणा की है।

Last Modified:
Thursday, 24 April, 2025
HelloIndia7845

इंडिया टुडे ग्रुप ने अपने लाइफस्टाइल पोर्टफोलियो में एक और नया नाम जोड़ते हुए HELLO! इंडिया के लॉन्च की घोषणा की है। यह मैगजीन प्रिंट संस्करण के साथ ही डिजिटल प्लेटफॉर्म- वेबसाइट व सोशल मीडिया पर भी अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराएगी। इसके अलावा इसके प्रमुख कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

मैगजीन की संपादकीय टीम का नेतृत्व रुचिका मेहता करेंगी, जो बतौर एडिटर जिम्मेदारी संभालेंगी। लाइफस्टाइल मीडिया में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाली रुचिका इससे पहले HELLO! इंडिया की लॉन्चिंग एडिटर रह चुकी हैं और करीब 17 वर्षों तक इसका संचालन कर चुकी हैं।

वहीं, बिजनेस टीम का नेतृत्व इंडिया टुडे ग्रुप की लाइफस्टाइल व लग्जरी बिजनेस COO साक्षी कोहली करेंगी। साक्षी पिछले 17 वर्षों से ग्रुप से जुड़ी हुईं हैं और Harper’s Bazaar, Cosmopolitan और Brides Today जैसी मैगजींस के बिजनेस को लीड करती हैं। उनके पास मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में ब्रैंड बिल्डिंग, इवेंट्स और कम्युनिकेशन का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है।

इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जिक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ कली पुरी ने मैगजीन की लॉन्चिंग पर कहा, “HELLO! को अपने लाइफस्टाइल ब्रैंड्स में शामिल करना हमारे लिए बेहद उत्साहजनक है। भारत में सेलिब्रिटी और लग्जरी कल्चर तेजी से बढ़ रहा है और यह लॉन्चिंग का सबसे उपयुक्त समय है। मुझे पूरा यकीन है कि हम HELLO! को भारत में एक अग्रणी ब्रैंड बनाएंगे।”

HELLO! और HOLA S.L. ग्रुप के चेयरमैन एडुआर्डो सांचेज पेरेज ने कहा, “जैसे HOLA! अपनी 80वीं सालगिरह मना रहा है, वैसे ही HELLO! इंडिया का इस कहानी का हिस्सा बने रहना हमारे लिए गर्व और खुशी की बात है। हमें विश्वास है कि इसके पाठकों को इसमें हर बार कुछ नया और जश्न मनाने लायक मिलेगा।”

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ अखबारों का काला विरोध, पहले पन्ने पर दर्द व सवाल

पिछले दिनों पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के विरोध में बुधवार को कश्मीर के प्रमुख अखबारों ने अपने पहले पन्ने पर 'ब्लैकआउट' कर एक सशक्त प्रतीकात्मक विरोध दर्ज किया।

Last Modified:
Wednesday, 23 April, 2025
Newspaper8895

जम्मू-कश्मीर के मशहूर पर्यटन स्थल पहलगाम के बैसरन में मंगलवार दोपहर आतंकियों ने हमला किया। इस हमले में 28 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। इस भीषण आतंकी हमले के विरोध में बुधवार को कश्मीर के प्रमुख अखबारों ने अपने पहले पन्ने पर 'ब्लैकआउट' कर एक सशक्त प्रतीकात्मक विरोध दर्ज किया।  

'ग्रेटर कश्मीर', 'राइजिंग कश्मीर', 'कश्मीर उजमा', 'आफताब' और 'तमीले इरशाद' समेत घाटी के नामचीन अंग्रेजी और उर्दू दैनिकों ने परंपरागत डिजाइन को छोड़ते हुए अपने पहले पन्ने को पूरी तरह काले रंग में प्रकाशित किया। हेडलाइन और संपादकीय सफेद और लाल रंग में छापे गए, जिससे दर्द और आक्रोश का स्पष्ट संदेश उभरकर सामने आया।

‘‘ग्रुसम: कश्मीर गटेड, कश्मीरीज ग्रीविंग’’ (भयावह: कश्मीर तबाह, शोक में कश्मीरी) 'ग्रेटर कश्मीर' ने इस हेडलाइन के साथ हमले की गंभीरता को रेखांकित किया। इसके बाद लाल रंग में उपशीर्षक दिया गया ‘‘26 किल्ड इन डेडली टेरर अटैक इन पहलगाम’’ (पहलगाम में भयावह आतंकी हमले में 26 की मौत)।

अखबार के पहले पन्ने पर छपे संपादकीय का शीर्षक था, ‘‘द मैसकर इन द मेडो - प्रोटेक्ट कश्मीर्स सोल’’ (घाटी में कत्लेआम – कश्मीर की रूह की हिफाजत जरूरी), जिसमें निर्दोष जानों की क्षति पर गहरा शोक जताया गया और घाटी की शांति व सौंदर्य की छवि पर पड़े साये को लेकर चिंता जाहिर की गई।

संपादकीय में लिखा गया – “यह नृशंस हमला सिर्फ इंसानों पर नहीं, बल्कि कश्मीर की पहचान, संस्कृति, मेहमाननवाजी और अर्थव्यवस्था पर सीधा वार है। कश्मीर की आत्मा इस बर्बरता की घोर निंदा करती है और उन परिवारों के साथ गहरी संवेदना प्रकट करती है, जो यहां सुंदरता खोजने आए थे, लेकिन त्रासदी ले गए।”

लेख में यह भी उठाया गया कि जिस बेताब घाटी में यह हमला हुआ, वहां केवल पैदल या खच्चर के जरिए ही पहुंचा जा सकता है। ऐसे में इतने दुर्गम और पर्यटकों से भरे इलाके में हमला होना सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर चूक को दर्शाता है। “यह घटना खुफिया और समन्वय के स्तर पर गहरी खामी का संकेत है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह एक चेतावनी है जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।”

अखबारों ने सरकार, सुरक्षाबलों, सिविल सोसाइटी और आम नागरिकों से मिलकर एकजुट होकर आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की मांग की। संपादकीय में यह भी कहा गया, “कश्मीर के लोगों ने वर्षों से हिंसा झेली है, लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा। यह हमला हमें बांटने नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ एकजुट करने का अवसर होना चाहिए।”

अंत में आह्वान किया गया कि “आइए मिलकर यह सुनिश्चित करें कि पहलगाम की वादियों में फिर से हंसी गूंजे, गोलियों की आवाज नहीं। और कश्मीर, एक बार फिर अमन और तरक्की की मिसाल बने।”

यह संपादकीय प्रदर्शन न केवल घाटी की पत्रकारिता का साहस दिखाता है, बल्कि आम कश्मीरियों की आवाज को भी मुखर करता है – जो शांति चाहते हैं, और हर तरह की हिंसा के खिलाफ खड़े हैं।

इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय अखबार 'दैनिक जागरण' ने भी पहलगाम हमले के विरोध में अपना फ्रंट पेज ब्लैक एंड व्हाइट किया और शीर्षक दिया- कश्मीर में आतंकी हमला, 28 की मौत। यह शीर्षक लाल रंग में छापा गया। 

 
न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

हिन्दुस्तान में मधुर अग्रवाल बने दिल्ली-NCR के सर्कुलेशन सेल्स हेड

हिन्दुस्तान ब्रैंड टीम ने अपने मार्केटिंग और सर्कुलेशन विभाग में कुछ अहम नेतृत्व बदलावों की घोषणा की है।

Last Modified:
Saturday, 19 April, 2025
Hindustan89562

हिन्दुस्तान ब्रैंड टीम ने अपने मार्केटिंग और सर्कुलेशन विभाग में कुछ अहम नेतृत्व बदलावों की घोषणा की है। अब तक HH (हिन्दुस्तान हिंदी) मार्केटिंग का नेतृत्व कर रहे मधुर अग्रवाल को तुरंत प्रभाव से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लिए सर्कुलेशन सेल्स हेड की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

वहीं, HH मार्केटिंग की कमान अब सलील दीक्षित को सौंपी गई है। सलील वर्ष 2011 में HT मीडिया से जुड़े थे और शुरुआत में उन्होंने इनसाइट्स टीम में काम किया था। इसके बाद वे ब्रैंड मार्केटिंग, रणनीति और एक्सपीरिएंशल इवेंट्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रहे। हाल ही में उन्होंने HH इवेंट्स वर्टिकल में अपनी भूमिका निभाई थी।

HT मीडिया के मार्केटिंग हेड सौरभ शर्मा ने एक आंतरिक मेल में कहा, “अपनी नई भूमिका में सलील मुझे रिपोर्ट करेंगे। मैं मधुर और सलील- दोनों को उनकी नई जिम्मेदारियों के लिए बधाई देता हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र में नई ऊर्जा और दृष्टिकोण लेकर आएंगे।”

इन बदलावों को संगठन के भीतर सकारात्मक ऊर्जा और नेतृत्व क्षमता को आगे बढ़ाने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

रीडरशिप सर्वे की बहाली के लिए MRUC विज्ञापनदाताओं से ले सकता है मदद

2020 से रुकी हुई इंडियन रीडरशिप सर्वे को फिर शुरू करने की संभावनाएं नजर आ रही हैं। मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल इंडिया अब इस सर्वे के लिए विज्ञापनदाताओं को साथ जोड़कर फंडिंग का रास्ता तलाश रहा है

Last Modified:
Wednesday, 16 April, 2025
Print784

कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर व ग्रुप एडिटोरियल इवैन्जिलिस्ट, एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ।।

2020 से रुकी हुई इंडियन रीडरशिप सर्वे (IRS) को एक बार फिर शुरू करने की संभावनाएं नजर आ रही हैं। मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल (MRUC) इंडिया अब इस सर्वे के लिए विज्ञापनदाताओं को साथ जोड़कर फंडिंग का रास्ता तलाश रहा है।

MRUC के एक वरिष्ठ बोर्ड सदस्य ने 'एक्सचेंज4मीडिया' को बताया, 'मीडिया हाउस इस सालाना रीडरशिप सर्वे की लागत उठाने को तैयार नहीं हैं, ऐसे में विज्ञापनदाताओं से मदद ली जा सकती है ताकि फाइनेंशियल बोझ साझा किया जा सके।'

इस साल फरवरी में MRUC ने अपनी टेक्निकल कमेटी को निर्देश दिया था कि वह IRS के प्रश्नपत्र की समीक्षा करे और सर्वे के लिए किसी एजेंसी को शॉर्टलिस्ट करे। पिछले दो महीनों में पूरी योजना बना ली गई है।

एक अन्य बोर्ड सदस्य ने कहा, 'हम सर्वे शुरू करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते मीडिया मालिक फंडिंग में योगदान दें। हालांकि कई मीडिया हाउस ने भुगतान में असमर्थता जताई है। उनका कहना है कि पिछले दो वर्षों में विज्ञापन बाजार कमजोर रहा है, जिससे राजस्व पर असर पड़ा है। ऐसे में हम अब विज्ञापनदाताओं से फंडिंग पर विचार कर सकते हैं, क्योंकि सर्वे का लाभ उन्हें भी मिलेगा।'

कोविड के बाद पहली रीडरशिप स्टडी

यह प्रस्तावित सर्वे कोविड के बाद का पहला IRS होगा, जो मीडिया इंडस्ट्री पर व्यापक असर डाल सकता है। बीते वर्षों में डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स की ओर रुझान बढ़ने से पारंपरिक मीडिया का रीडरशिप बेस घटा है। वहीं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की आमदनी लगातार बढ़ रही है, जिससे इंडस्ट्री की संरचना बदल रही है।

एक मीडिया मालिक ने कहा, 'पिछले पांच वर्षों से IRS नहीं होने के चलते बाजारियों को आंख मूंदकर फैसले लेने पड़े हैं। वे इस सर्वे को वापस लाना चाहते हैं, लेकिन कोविड के बाद प्रिंट मीडिया की स्थिति बदल गई है, जिससे पब्लिशर सर्वे के नतीजों को लेकर आशंकित हैं। अगर हमें प्रिंट इंडस्ट्री को आगे ले जाना है तो यह गतिरोध खत्म करना जरूरी है।'

फंडिंग बनी सबसे बड़ी चुनौती

पहले, मीडिया मालिकों ने 2019 के कॉस्ट शेयरिंग मॉडल को बनाए रखने पर सहमति जताई थी, जिसमें योगदान प्रिंट सर्कुलेशन के आधार पर तय किया गया था। लेकिन आगामी सर्वे की लागत ₹20 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है, जो 2019 में खर्च हुई राशि से ज्यादा है। मौजूदा आर्थिक दबावों के चलते यह फंडिंग बड़ी रुकावट बन गई है।

MRUC अब विभिन्न वित्तीय विकल्पों पर विचार कर रहा है, जिनमें विज्ञापनदाता अहम भूमिका निभा सकते हैं। इन चर्चाओं का नतीजा ही तय करेगा कि IRS का भविष्य क्या होगा।

IRS के अलावा, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा रीडरशिप सर्वे माना जाता है और जो भारत में प्रिंट मीडिया की "आधिकारिक करेंसी" भी है, MRUC ने इंडियन आउटडोर सर्वे (IOS) और इंडियन लिसनरशिप ट्रैक (ILT) जैसे इनिशिएटिव्स भी शुरू किए हैं।

e4m की एक पूर्व रिपोर्ट के अनुसार, मीडिया मालिकों ने 2019 के समान ही कॉस्ट शेयरिंग फॉर्मूला लागू करने पर सहमति जताई थी, जिसमें हिस्सेदारी प्रिंट सर्कुलेशन के अनुसार तय की जाती थी। हालांकि MRUC ने योगदान जमा करने की कोई समयसीमा तय नहीं की थी।

काउंसिल के एक सदस्य ने कहा, 'भले ही पैसे इकट्ठा हो जाएं, MRUC को सर्वे एजेंसी फाइनल करने में कम से कम छह महीने लगेंगे। इसका मतलब है कि यह सर्वे साल के अंत से पहले शुरू नहीं हो सकेगा।'

पाठक आंकड़े: विज्ञापनदाताओं के लिए अहम

आखिरी बार IRS 2019 में हुआ था। 2020 में यह सर्वे पहले महामारी और फिर लागत संबंधी चिंताओं व स्टेकहोल्डर्स की घटती दिलचस्पी के चलते रुक गया था। कई अखबार, खासतौर पर अंग्रेजी डेली, आज भी सर्कुलेशन और राजस्व में महामारी से पहले की स्थिति तक नहीं पहुंच सके हैं।

IRS, जिसे MRUC इंडिया और रीडरशिप स्टडीज काउंसिल ऑफ इंडिया (RSCI) मिलकर करते हैं, एक समय दुनिया का सबसे बड़ा सतत सर्वे माना जाता था, जिसमें हर साल 2.56 लाख से ज्यादा प्रतिभागी शामिल होते थे।

यह सर्वे विज्ञापनदाताओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके आंकड़े तय करते हैं कि कौन-से अखबारों में विज्ञापन दिए जाएं। IRS भारत में प्रिंट व मीडिया खपत, डेमोग्राफिक्स, प्रोडक्ट ओनरशिप और 100 से ज्यादा प्रोडक्ट कैटेगरीज के उपयोग की जानकारी देता है।

डिजिटल की चुनौती में घिरा प्रिंट

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के वर्चस्व वाले मौजूदा परिदृश्य में प्रिंट मीडिया पर बदलाव का दबाव लगातार बढ़ रहा है। कई अखबारों ने सर्कुलेशन में 15–20% की कटौती की है और घाटे वाले संस्करणों को बंद कर दिया है। हाल के महीनों में प्रिंट विज्ञापनों से राजस्व में थोड़ी वृद्धि जरूर देखी गई है, लेकिन यह विज्ञापन दरों में गिरावट के चलते है, न कि ब्रैंड्स के कुल विज्ञापन खर्च में वृद्धि के कारण।

वर्तमान में प्रिंट मीडिया देश के कुल विज्ञापन खर्च का केवल 20% हिस्सा प्राप्त कर रहा है, जबकि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स 44% और टेलीविजन 32% हिस्सा लेते हैं।

इंडस्ट्री एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर पाठक संख्या से जुड़ा विश्वसनीय और अपडेटेड डेटा उपलब्ध हो तो विज्ञापनदाता प्रिंट में अपने बजट का बड़ा हिस्सा लगाने को तैयार हो सकते हैं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए