डिजिटल एंटरटेनमेंट की दुनिया में साउथ इंडिया के अग्रणी रणनीतिकारों में गिने जाने वाले लॉयड जेवियर ने aha प्लेटफॉर्म की लॉन्चिंग और उसकी रणनीतिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाई थी।
ZEE5 ने लॉयड सी जेवियर को मार्केटिंग के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट के पद पर प्रमोट किया है, साथ ही उन्हें तमिल और मलयालम भाषाई बाजारों के लिए बिजनेस हेड की नई जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। जेवियर ने यह जानकारी अपने लिंक्डइन पोस्ट के जरिए साझा की, जिसे उन्होंने एक “विनम्र और रोमांचक पल” बताया।
अपने पोस्ट में जेवियर ने लिखा, “मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूं कि मुझे ZEE5 में मार्केटिंग के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट के रूप में प्रमोट किया गया है और इसके साथ ही तमिल और मलयालम के लिए बिजनेस हेड की अतिरिक्त भूमिका भी दी गई है।”
पिछले कुछ वर्षों में लॉयड जेवियर ने 100 से अधिक टाइटल्स के लिए मार्केटिंग की अगुवाई की है। उनका ट्रैक रिकॉर्ड रचनात्मक दृष्टिकोण और क्षेत्रीय बाजार की समझ का संतुलन दर्शाता है। उनके पोर्टफोलियो में कई प्रभावशाली टाइटल्स शामिल हैं- जैसे तेलुगु में RRR, हनुमान, विकटाकवी; कन्नड़ में विक्रांत रोणा, मैक्स, अय्याना माने; तमिल में आयाली, कूसे मुनिसामी वीरप्पन, आयिंधम वेधम, विक्रम और मलयालम में आइडेंटिटी, एमटीवी नायर सर मनोरथंगल।
अपने पोस्ट में उन्होंने अपनी टीम्स, पार्टनर्स और मेंटर्स को धन्यवाद देते हुए लिखा, “इस यात्रा का हिस्सा रहे सभी लोगों को मेरा आभार। आपके भरोसे, हंसी-मजाक, चुनौतियों और लगातार सहयोग के बिना यह संभव नहीं होता। आइए मिलकर ऑन-स्क्रीन और ऑफ-स्क्रीन जादू रचते रहें।”
नई जिम्मेदारी के साथ जेवियर अब ZEE5 के दक्षिण भारत में रणनीतिक और क्रिएटिव दिशा की अगुवाई कर रहे हैं। इससे पहले वे ARHA, Network18, YuppTV और Deloitte जैसी कंपनियों में नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभा चुके हैं और मीडिया, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में 14 से 15 वर्षों का अनुभव रखते हैं।
डिजिटल एंटरटेनमेंट की दुनिया में साउथ इंडिया के अग्रणी रणनीतिकारों में गिने जाने वाले लॉयड जेवियर ने aha प्लेटफॉर्म की लॉन्चिंग और उसकी रणनीतिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाई थी। वर्तमान में वे ZEE5 के तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम मार्केट्स में विकास को गति दे रहे हैं।
कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि कंटेंट को रेगुलेट सरकार के बजाय खुद इंडस्ट्री के अंदर से आनी चाहिए।
ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स को लेकर निगरानी और रेगुलेशन (नियंत्रण) की बहस लगातार तेज होती जा रही है। इस बीच कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि कंटेंट को रेगुलेट सरकार के बजाय खुद इंडस्ट्री के अंदर से आनी चाहिए।
उनका कहना है कि एक स्वतंत्र इंडस्ट्री बॉडी द्वारा संचालित स्व-नियामक ढांचा ज्यादा प्रभावी, लचीला और रचनात्मक स्वतंत्रता के लिए अनुकूल होगा। इससे रचनाकारों को जवाबदेही के साथ अपनी कला प्रस्तुत करने की आजादी मिल सकेगी। एक्सपर्ट्स ने चेताया कि यदि सरकार सीधे हस्तक्षेप करती है, तो इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लग सकता है और ऑनलाइन कंटेंट पर अति-नियंत्रण की स्थिति बन सकती है।
इंडस्ट्री लीडर्स का कहना है, "नैतिक पहरेदारी (मोरल पुलिसिंग) से दीर्घकालिक परिणाम नहीं मिलते।" उनका मानना है कि टिकाऊ और संतुलित कंटेंट रेगुलेशन सिर्फ प्रतिक्रियात्मक बैन या वैचारिक फैसलों से नहीं, बल्कि एक सुव्यवस्थित ढांचे से संभव है। इसमें स्पष्ट कंटेंट गाइडलाइंस, एक विश्वसनीय व स्वतंत्र इंडस्ट्री-नेतृत्व वाली संस्था और दर्शकों की शिक्षा में निवेश शामिल होना चाहिए।
एक प्रमुख स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमें यह तय करने के बजाय कि लोग क्या देख सकते हैं, उन्हें सही जानकारी देकर सोच-समझकर निर्णय लेने में सक्षम बनाना चाहिए।” उनका मानना है कि यही तरीका रचनात्मक स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाता है, और एक स्वस्थ डिजिटल वातावरण को बढ़ावा देता है।
नियमन की जरूरत, लेकिन संतुलन के साथ
ओटीटी इंडस्ट्री के सामने इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही है कि वयस्क कंटेंट और अश्लीलता की रेखा कहां खींची जाए और यह तय करने का अधिकार किसे हो? कुछ लोग मानते हैं कि ज्यादा रेगुलेशन से इनोवेशन रुक सकता है, वहीं कुछ का कहना है कि अगर कंटेंट की स्पष्ट लेबलिंग, उम्र आधारित फिल्टरिंग और मॉडरेशन के मानक तय कर दिए जाएं तो एक संतुलित समाधान मिल सकता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब कंटेंट का रेगुलेशन व्यक्तिगत पसंद और राजनीति से प्रभावित होता है, तो इसके नाम पर कला, व्यंग्य, सामाजिक टिप्पणी और ऐतिहासिक प्रस्तुतियों तक को सेंसर किया जा सकता है।
"अश्लीलता की परिभाषा समय और संस्कृति के अनुसार बदलती रहती है, इसलिए किसी भी सरकार को इसे तय करने का एकतरफा अधिकार देना सेंसरशिप को बढ़ावा देना होगा," ऐसा कहना है पीटीपीएल इंडिया के सीओओ और पूर्व SonyLIV कार्यकारी पेप फिगेरेडो का।
उनका कहना है, “आज जरूरत इस बात की है कि हम एक पारदर्शी और संतुलित कंटेंट रेगुलेशन का ढांचा बनाएं जो समय की मांग के अनुसार हो। अगर कंटेंट गंभीर रूप से आपत्तिजनक नहीं है या जनविरोध नहीं हो रहा है, तो सरकार को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। वैसे भी अधिकतर प्लेटफॉर्म पेवॉल (सब्सक्रिप्शन) के पीछे काम कर रहे हैं, जहां दर्शक खुद निर्णय लेते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “वैसे रचनात्मक स्वतंत्रता की बात करें तो मेरे पास जोड़ने को ज्यादा कुछ नहीं है- सच कहूं तो आजकल के कई शो में रचनात्मकता होती ही नहीं है।”
“पहले यह तो तय करें कि अश्लीलता है क्या”
उत्तराखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता अभिषेक अंतवाल का कहना है कि जब तक यह स्पष्ट नहीं किया जाएगा कि 'अश्लील' किसे माना जाएगा, तब तक सरकार की कार्रवाइयाँ मनमानी लगेंगी। “जब ट्विटर और फेसबुक जैसे मुख्यधारा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी खुलेआम आपत्तिजनक कंटेंट उपलब्ध है, तब कुछ ऐप्स को बैन करने से सरकार के लक्ष्य पूरे नहीं होते।”
उनका यह भी कहना है कि “भारत की प्रशासनिक व्यवस्था अक्सर देरी, निष्क्रियता और लालफीताशाही से जूझती है। इस कारण सही समाधान समय पर नहीं आ पाते। ऐप्स को बैन करने से रचनात्मक अभिव्यक्ति पर एक डर का माहौल बनता है, जो अंततः रचनात्मकता को खत्म कर सकता है। टीवी इंडस्ट्री की तरह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए भी एक स्वतंत्र, मजबूत निगरानी तंत्र की जरूरत है।”
फिगेरेडो मानते हैं, “रचनात्मक स्वतंत्रता को सामाजिक जिम्मेदारी और ब्रांड रणनीति के साथ संतुलित करना होगा। जैसे-जैसे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म परिपक्व होंगे, उन्हें सोच-समझकर यह तय करना होगा कि वे किस तरह का कंटेंट बढ़ावा देना चाहते हैं और किस तरह के दर्शकों की सेवा करना चाहते हैं।”
वह कहते हैं कि भारत को ऐसी संस्था की जरूरत है जो सरकारी नियंत्रण से अलग, लेकिन प्रभावी हो—जैसे पहले Sony, Star और Viacom की 'One Alliance' थी—जो ओटीटी कंटेंट के नियमन में स्वतंत्रता और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित कर सके, खासतौर पर नाबालिगों के लिए।
उनका स्पष्ट कहना है: “डिजिटल युग को सही तरीके से समझने के लिए नैतिक घबराहट नहीं, बल्कि शिक्षा जरूरी है। बहुत समय से ओटीटी स्पेस में अभिव्यक्ति की आजादी को सनसनीखेज आलस के साथ भ्रमित किया गया है।”
रास्ता क्या है: नैतिक दहशत नहीं, मीडिया साक्षरता
एक्सपर्ट मानते हैं कि बैन किसी भी दीर्घकालिक समाधान का रास्ता नहीं है। इससे केवल डिमांड अंडरग्राउंड चली जाती है, जहां दर्शक वीपीएन और अवैध डाउनलोड जैसे रास्ते अपनाते हैं और इस तरह वे किसी भी निगरानी से पूरी तरह बाहर हो जाते हैं।
एक पूर्व प्लेटफॉर्म कार्यकारी ने कहा, “बात केवल बैन से शुरू और खत्म नहीं होनी चाहिए। असली चर्चा मीडिया साक्षरता से होनी चाहिए। क्या हम माता-पिता, युवाओं और कंटेंट क्रिएटर्स को यह सिखा रहे हैं कि कौन सा कंटेंट हानिकारक है और क्यों? या फिर सिर्फ सुर्खियों पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं?”
अधिकांश एक्सपर्ट मानते हैं कि समाधान तीन बिंदुओं पर आधारित होना चाहिए- पहला स्पष्ट कंटेंट गाइडलाइंस, दूसरा एक मजबूत इंडस्ट्री-नेतृत्व वाली संस्था और तीसरा दर्शकों की शिक्षा में निवेश।
फिगेरेडो कहते हैं, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कई बार बेवजह की सनसनी के रूप में देखा गया है। लेकिन इसका हल सेंसरशिप नहीं, बल्कि जवाबदेही, समझदारी और बेहतर कहानी कहने की कला है।”
कंटेंट रेगुलेशन: एक जटिल मसला
भारत सरकार ने पहले ‘ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल, 2024’ का मसौदा प्रस्तावित किया था, जिसका उद्देश्य पारंपरिक मीडिया और ओटीटी दोनों को रेगुलेट करना था। नवंबर 2023 में यह ड्राफ्ट सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया था, जिसमें यूट्यूब, इंस्टाग्राम, न्यूजलेटर राइटर्स जैसे डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स को भी रेगुलेशन के दायरे में लाने की बात थी।
इस मसौदे में एक विवादास्पद प्रावधान यह था कि अगर कोई कंटेंट क्रिएटर सरकार द्वारा तय सीमा को पार करता है, तो उन्हें कंटेंट प्री-सर्टिफिकेशन के लिए कंटेंट इवैल्यूएशन कमेटी (CEC) बनानी होगी- जैसे टीवी पर होता है।
हालांकि, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अगस्त 2024 में इस बिल को औपचारिक रूप से वापस ले लिया, जो यह दर्शाता है कि सरकार या तो इसे फिर से सोच रही है या दोबारा मसौदा तैयार करेगी। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि क्या सरकार इस बिल को पूरी तरह दोबारा बनाएगी या सिर्फ कुछ हिस्सों को संशोधित करेगी, क्योंकि अभी तक कोई नई घोषणा नहीं हुई है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “बिल की वापसी यह दिखाती है कि भारत के तेजी से बदलते डिजिटल मीडिया परिदृश्य में कंटेंट रेगुलेशन एक अत्यंत संवेदनशील और जटिल मामला है। अगर यह रेगुलेशन ज्यादा सख्त या व्यापक हो गया, तो यह विविध डिजिटल आवाजों को दबा सकता है।”
जैसे-जैसे सरकार आगे की रणनीति तय कर रही है, इंडस्ट्री लीडर्स लगातार यह अपील कर रहे हैं कि एक संतुलित ढांचा तैयार किया जाए- जो दर्शकों, खासकर बच्चों की सुरक्षा करे, लेकिन साथ ही रचनात्मक अभिव्यक्ति और ऑनलाइन क्रिएशन की स्वायत्तता का भी सम्मान करे।
जहां कुछ लोग इसे क्रिएटिव फ्रीडम (रचनात्मक स्वतंत्रता) पर हमला मान रहे हैं, वहीं एंटरटेनमेंट जगत का एक बड़ा वर्ग इस कार्रवाई का समर्थन कर रहा है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने हाल ही में हाल ही में सरकार ने IT एक्ट की धारा 69A का इस्तेमाल करते हुए 25 OTT प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया है, जिनमें ALTT, Ullu और कुछ अन्य कम चर्चित स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स शामिल हैं। इसका कारण यह बताया गया कि ये प्लेटफॉर्म्स अश्लील कंटेंट का प्रसारण कर रहे थे। इस फैसले ने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में बहस और आत्ममंथन शुरू कर दिया है।
जहां कुछ लोग इसे क्रिएटिव फ्रीडम (रचनात्मक स्वतंत्रता) पर हमला मान रहे हैं, वहीं एंटरटेनमेंट जगत का एक बड़ा वर्ग इस कार्रवाई का समर्थन कर रहा है।
रेडिफ्यूजन के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. संदीप गोयल कहते हैं, "दो गलत चीजें मिलकर कभी सही नहीं हो जातीं। ये प्लेटफॉर्म्स जिस तरह से बिना रोक-टोक के चल रहे थे, वो शुरू से ही एक समस्या थी। लेकिन यदि इन्हें ऐसे ही आपत्तिजनक कंटेंट दिखाने दिया जाता, तो स्थिति और भी खराब होती। इसलिए भले ही ये बैन देर से आया हो, लेकिन यह एक सही दिशा में उठाया गया कदम है।"
डॉ. संदीप गोयल ने आगे कहा, "जब आत्म-नियमन विफल हो जाता है, तो सरकार के पास कार्यकारी कार्रवाई का सहारा लेने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। रचनात्मक स्वतंत्रता भले ही एक व्यक्तिगत विचार हो, लेकिन अश्लीलता नहीं। यदि पोर्न की आसान उपलब्धता पर रोक को नकारात्मक माना जाए, तो भी ऐसा ही सही।"
OTT की स्वतंत्रता बनाम जिम्मेदारी
डॉ. गोयल की बातें उस व्यापक सोच को उजागर करती हैं जो लंबे समय से ओटीटी इंडस्ट्री में भीतर-ही-भीतर उबल रही थी। जहां कुछ लोगों को यह प्रतिबंध कठोर लग सकता है, वहीं इंडस्ट्री के कई जानकार मानते हैं कि यह वही बात है जिसे जिम्मेदार लोग सालों से कह रहे थे कि बिना कंटेंट स्टैंडर्ड्स और उम्र सीमा की व्यवस्था के कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने अपनी राह भटका ली थी।
एक सीनियर प्रड्यूसर और ALT बालाजी के पूर्व अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "ओटीटी पर कुछ तो रेगुलेशन होना चाहिए। फिल्मों के लिए CBFC है, टीवी पर आत्म-नियमन होता है, लेकिन ओटीटी तो बिल्कुल बेकाबू है। यदि पोर्न बनाना है तो साफ-साफ पोर्न बनाइए, लेकिन सॉफ्ट पोर्न बनाकर उसे 'कंटेंट' कहना कहां तक सही है?"
सस्ती डेटा दरें और मोबाइल पर आसान पहुंच बनीं समस्या
वह आगे जोड़ते हैं, "मैं एडल्ट कंटेंट के खिलाफ नहीं हूं, जब तक उसे साफ तौर पर लेबल किया जाए और उचित उम्र सत्यापन के बाद ही एक्सेस दिया जाए। लेकिन हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि दो चीजों का बड़ा सामाजिक प्रभाव पड़ा है- बहुत सस्ते डेटा प्लान और मोबाइल पर पोर्न या सॉफ्ट पोर्न की आसान उपलब्धता। रचनात्मक स्वतंत्रता की आड़ में इसे जायज ठहराना सही नहीं है। सिर्फ दृश्य ही नहीं, इन शोज में प्रयोग की जाने वाली भाषा और संवाद भी कई दर्शकों के लिए असहज हैं।"
“OTT को सिर्फ उत्तेजना तक सीमित करना दुर्भाग्यपूर्ण”
PTPL इंडिया के COO और SonyLIV के पूर्व अधिकारी पेप फिगेरेडो ने भी इस फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा, "डिजिटल कंटेंट सिर्फ अश्लीलता, नग्नता या सनसनीखेज चीजों तक सीमित नहीं होना चाहिए। इसमें रचनात्मकता, संस्कृति और मजबूत कहानी होनी चाहिए। माध्यम की क्षमता बहुत अधिक है, उसे सिर्फ उत्तेजना तक सीमित कर देना इसके मूल उद्देश्य को ही नुकसान पहुंचाता है।"
MIB ने IT Act की धारा 69A का किया इस्तेमाल
मंत्रालय ने आईटी एक्ट की धारा 69A के तहत इन प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी किए हैं, जिनमें ALTT, उल्लू और कई अन्य क्षेत्रीय व लघु स्तर के ओटीटी शामिल हैं।
70 से अधिक ओटीटी, अधिकतर लघु और हाइपरलोकल
भारत में लगभग 70 वीडियो ओटीटी प्लेटफॉर्म्स हैं। अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर एक दर्जन बड़े नामों को छोड़ दें, तो बाकी ज्यादातर छोटे और हाइपरलोकल हैं। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है, "जहां बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म्स अपने कंटेंट को लेकर सावधान रहते हैं, वहीं छोटे खिलाड़ी बिना किसी जवाबदेही के सिर्फ सब्सक्रिप्शन और व्युरशिप के पीछे भाग रहे हैं।"
मार्केट का भविष्य गुणवत्ता के साथ संतुलन पर निर्भर
PwC की रिपोर्ट ‘ग्लोबल एंटरटेनमेंट एंड मीडिया आउटलुक 2023–2027: इंडिया परस्पेक्टिव’ के अनुसार, भारत का वीडियो ओटीटी बाजार, जिसका नेतृत्व Amazon Prime Video, Netflix और Disney+ Hotstar (अब JioCinema) कर रहे हैं, 2027 तक $3.5 बिलियन का राजस्व पार कर सकता है। एक सीनियर एग्जिक्यूटिव कहते हैं, "बाजार जैसे-जैसे परिपक्व होगा, इन खिलाड़ियों को पहुंच और जिम्मेदारी के बीच संतुलन साधना होगा, नहीं तो वे अधिक रेगुलेटेड और गुणवत्ता-संवेदनशील डिजिटल भविष्य में पीछे छूट जाएंगे।"
ALTT: एक मिसाल जो भटक गई
ALTT का सफर इस बदलाव का बड़ा उदाहरण है। कभी भारत में ओटीटी का पायनियर रहा यह प्लेटफॉर्म ‘गंदी बात’ जैसे हिट्स के बाद एडल्ट कंटेंट की ओर झुक गया। शुरुआती प्रयोग ही इसकी पहचान बन गया, जिससे यह एक ऐसी दिशा में चला गया जहाँ से न तो वह विस्तार कर सका और न ही सम्मानजनक रूप से कमाई।
सरकारी कार्रवाई के बाद एकता कपूर ने स्पष्ट किया कि वह और उनकी मां शोभा कपूर 2021 से ALTT से किसी भी रूप में जुड़ी नहीं हैं।
फिगेरेडो सवाल उठाते हैं, "आज सभी फाउंडर कहते हैं कि अब उनका संबंध प्लेटफॉर्म से नहीं है, लेकिन क्या उन्होंने ही शुरुआत में इसकी दिशा तय नहीं की थी?"
प्रतिबंध ही हल नहीं है
हालांकि कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल बैन लगाना समाधान नहीं है। यह दर्शकों को टॉरेंट या वीपीएन जैसे अवैध विकल्पों की ओर मोड़ सकता है। एक ओटीटी विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं, "प्रतिबंध रुचि को कम नहीं करते, बल्कि उसे भूमिगत ले जाते हैं, जिससे निगरानी और नियंत्रण और मुश्किल हो जाता है।"
संतुलन की जरूरत
इसीलिए कई इंडस्ट्री लीडर्स एक संतुलित दृष्टिकोण की वकालत कर रहे हैं, जिसमें कंटेंट की पहुंच, यूजर एजुकेशन और रेगुलेशन साथ चले। सीधे प्रतिबंध की बजाय ऐसी रणनीति ज्यादा असरदार हो सकती है, जो रचनात्मकता को सुरक्षित रखते हुए समाज के हितों की रक्षा भी करे।
JioStar Entertainment ने अपने Connected TV (CTV) प्लेटफॉर्म के लिए पहली बार एक डेटा-समृद्ध प्लेबुक जारी की है, जो खासतौर पर एंटरटेनमेंट कंटेंट पर आधारित है।
JioStar Entertainment ने अपने Connected TV (CTV) प्लेटफॉर्म के लिए पहली बार एक डेटा-समृद्ध प्लेबुक जारी की है, जो खासतौर पर एंटरटेनमेंट कंटेंट पर आधारित है। यह रणनीतिक गाइड बताता है कि कैसे ब्रैंड CTV का इस्तेमाल करते हुए गहराई से कहानी कह सकते हैं और प्रीमियम भारतीय दर्शकों तक बेहतर तरीके से पहुंच सकते हैं। लंबे, इमर्सिव कंटेंट की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए यह प्लेबुक मार्केटर्स को स्पष्ट दृष्टिकोण देती है कि कैसे JioHotstar का CTV इकोसिस्टम बेहतर टार्गेटिंग, मजबूत एंगेजमेंट और मापने योग्य ब्रैंड परिणाम ला सकता है।
यह प्लेबुक ग्लोबल रिसर्च कंपनी Ipsos के साथ मिलकर विकसित की गई है- प्लेटफॉर्म एनालिटिक्स और थर्ड-पार्टी सर्वेक्षण को मिलाकर इसमें भारत में CTV के बढ़ते अवसर की पूरी तस्वीर दी गई है। जून 2025 में किए गए डेटा अध्ययन के अनुसार, भारतीय डिजिटल घरों में CTV अब प्राथमिक माध्यम बन चुका है।
JioStar के हेड ऑफ़ रेवेन्यू, एंटरटेनमेंट एवं इंटरनेशनल अजीत वर्गीज कहते हैं, “Connected TV अब सिर्फ एक स्क्रीन नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल घरों का नया केंद्र बन गया है। Co-viewing 3.1 गुना तक है, 90% दर्शक संपन्न घरों से हैं, और वॉच टाइम में 85% की बढ़त देखी गई है। ये प्लेबुक इस बदलाव का जवाब है कि ब्रैंड्स को CTV की कहानी कहने की पूरी क्षमता से जोड़ने के लिए तैयार किया गया है। अब प्रभाव केवल इंप्रेशन पर नहीं, बल्कि वास्तविक परिणामों पर मापा जा रहा है।”
Ipsos में रिसर्च के मैनेजिंग डायरेक्टर ज्योति मल्लाडी ने कहा, “डिजिटल इकोसिस्टम में CTV की ओर रुझान दर्शाता है कि परिवार कैसे साथ में देखते, साथ निर्णय लेते हैं। हमारा डेटा बताता है कि CTV दर्शक प्रीमियम होते हैं और बड़े पर्दे पर दी गई ब्रैंड मैसेजिंग को याद रखते हैं और उस पर प्रतिक्रिया करते हैं।”
JioHotstar पर CTV उपभोग 85% बढ़ा है, और कुल वॉच टाइम का 40% हिस्सा अब बड़े पर्दे से आता है। उपयोगकर्ता रोजाना 100 मिनट से अधिक CTV पर बिताते हैं (मोबाइल की तुलना में 1.5 गुना ज्यादा) जो साझा, गहराई-भरी देखने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
66% घरों में केवल एक CTV डिवाइस है, जो इसे परिवारिक अनुभव बनाता है।
Co-viewing फैक्टर 3.1 गुना है, यानी एक साथ देखने का आंकड़ा सर्वाधिक है।
दर्शकों में 90% उच्च या मध्यम आय वर्ग से जुड़े हैं, 81% NCCS AB वर्ग में, और 61% शीर्ष 8 मेट्रो शहरों में रहते हैं।
JioHotstar पर 19 भाषाओं में 22,000 से ज्यादा टाइटल्स हैं, 250+ ओरिजिनल शो, 2.6 लाख घंटे से ज्यादा कंटेंट, और 7,000+ अंतरराष्ट्रीय शो।
विशेष रूप से JioHotstar Specials के 91% दर्शक सदस्य (सब्सक्राइबर) होते हैं, जो (प्लेटफॉर्म औसत से 50% अधिक है) यह दिखाता है कि CTV का लंबा कंटेंट सिर्फ देखा ही नहीं जा रहा, बल्कि इसके लिए लोग भुगतान भी कर रहे हैं।
भाषाई विविधता में भी बदलाव देखने को मिल रहा है- जहां हिंदी (74%) और इंग्लिश (53%) की हिस्सेदारी ज्यादा है, वहीं मलयालम जैसी क्षेत्रीय भाषा की सामग्री अब पूरे भारत में फैली है। मलयालम के बड़े हिस्से (80%) को नॉन‑मलयाली दर्शक देख रहे हैं।
जैसे ही डिजिटल घर बड़े पर्दे के चारों ओर केंद्रित होते जा रहे हैं, JioStar का यह CTV प्लेबुक विज्ञापनदाताओं के लिए एक दर्शनीय, डेटा-समर्थित मार्गदर्शक बन गया है, जो याद रखने, ब्रैंड इमेज और व्यावसायिक परिणामों को उसी जगह बढ़ाने में मदद कर सकता है जहां यह सबसे ज्यादा मायने रखता है, यानी भारतीय लिविंग रूम में।
JioStar की इस पहल के साथ #ThinkCTVThinkJioHotstar का संदेश साफ है- अब ब्रैंड भी बड़े पर्दे पर सोचें।
जहां एक ओर इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) ने हमेशा की तरह सुर्खियां बटोरीं, वहीं JioStar के लिए असली जीत किसी और मोर्चे पर दर्ज हुई- सब्सक्रिप्शन से हुई कमाई।
जहां एक ओर इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) ने हमेशा की तरह सुर्खियां बटोरीं, वहीं JioStar के लिए असली जीत किसी और मोर्चे पर दर्ज हुई- सब्सक्रिप्शन से हुई कमाई। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1 FY26) में कंपनी के डिजिटल और टीवी प्लेटफॉर्म्स पर सब्सक्रिप्शन रेवेन्यू ने चुपचाप शानदार प्रदर्शन किया, जिसे खुद कंपनी ने ‘बेहद उत्कृष्ट’ करार दिया है। ये उस वक्त आया है जब टेलीविजन विज्ञापन बाजार FMCG ब्रैंड्स की घटती खर्च क्षमता और कॉर्ड-कटिंग ट्रेंड्स की मार झेल रहे हैं।
कंपनी के इन्वेस्टर अपडेट में कहा गया कि डिजिटल और टीवी दोनों माध्यमों पर सब्सक्रिप्शन से बेहतर कमाई और कड़े लागत नियंत्रण ने इस बेहतरीन प्रदर्शन में अहम भूमिका निभाई। दरअसल, IPL जैसे सीजनल इवेंट्स पर निर्भरता से आगे निकलते हुए JioStar ने कंज्यूमर-संचालित मॉनेटाइजेशन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाया है।
JioStar ने अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में ₹11,222 करोड़ का रिकॉर्ड रेवेन्यू और ₹1,017 करोड़ का EBITDA दर्ज किया। इस मजबूती के पीछे IPL 2025 की सफलता और डिजिटल-टीवी दोनों प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ता यूजर ट्रैक्शन रहा।
IPL के दौरान JioHotstar ने 287 मिलियन की रिकॉर्ड सब्सक्राइबर संख्या दर्ज की, वहीं जून 2025 में उसका मासिक मनोरंजन वॉच-टाइम अब तक का सबसे ज्यादा रहा। इससे यह साफ है कि अब डिजिटल सब्सक्रिप्शन भी कंपनी के मुनाफे का प्रमुख स्तंभ बन चुका है।
IPL 2025 ने टीवी और डिजिटल मिलाकर 1.19 अरब दर्शकों तक पहुंच बनाई। JioHotstar ने अकेले 652 मिलियन दर्शक जोड़े, पिछले साल की तुलना में 28% ज्यादा। IPL फाइनल ने डिजिटल पर 237 मिलियन दर्शकों और 55.2 मिलियन की पीक कॉन्करेंसी के साथ इतिहास रच दिया। टीवी पर भी फाइनल ने 189 मिलियन दर्शकों के साथ अब तक का सबसे ज्यादा देखा गया IPL मैच बनकर रिकॉर्ड बनाया।
हालांकि खेलों ने बड़े पैमाने पर व्युअरशिप दी, लेकिन JioHotstar का ओरिजिनल और इंटरनेशनल कंटेंट भी धीरे-धीरे दर्शकों को बांधने में कामयाब रहा। जून 2025 में ‘Criminal Justice’ इस साल का सबसे बड़ा ओटीटी ओरिजिनल लॉन्च बना, जबकि ‘Kesari 2’ सभी भाषाओं में सबसे ज्यादा देखी गई फिल्म बन गई। हॉलीवुड की ‘Captain America: Brave New World’ और ‘Mufasa: The Lion King’ जैसी फिल्मों ने भी प्रीमियम डिजिटल दर्शकों को खूब लुभाया।
लाइनियर टीवी की दुनिया में भी JioStar ने बड़े रणनीतिक कदम उठाए। Star Utsav और Colors Rishtey को DD Free Dish पर दोबारा लॉन्च कर FTA हिंदी GEC स्पेस में नई जान फूंकी। Star Utsav ने पहले ही दिन No.1 चैनल की पोजिशन पकड़ ली। Star Plus ने टॉप 10 में 6 शोज देकर हिंदी GEC कैटेगरी में अपनी बादशाहत कायम रखी। वहीं, Star Jalsha (बंगाल), Star Pravah (महाराष्ट्र), Asianet (केरल), और Star Maa (आंध्र-तेलंगाना) ने अपने-अपने राज्यों में मजबूत पकड़ बनाए रखी।
अब जबकि विज्ञापन बाजार दबाव में है, JioStar ने एक ऐसा हाईब्रिड मॉडल विकसित किया है जो बड़े इवेंट्स से स्केल तो पाता है, लेकिन सब्सक्रिप्शन और कंटेंट लॉयल्टी से स्थायित्व भी हासिल करता है। 35.5% एंटरटेनमेंट टीवी शेयर, तेजी से बढ़ता डिजिटल स्केल और सब्सक्राइबर बेस इस बात की गवाही देते हैं कि कंपनी भविष्य की तैयारी में आगे है।
कुल मिलाकर, JioStar अब सिर्फ एक ब्रॉडकास्टर या स्ट्रीमर नहीं, बल्कि एक कंटेंट और डिस्ट्रीब्यूशन पॉवरहाउस बनकर उभर रहा है, जिसकी बुनियाद अब सब्सक्रिप्शन रेवेन्यू पर टिकी है, न कि सिर्फ विज्ञापनों पर।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की मीडिया व एंटरटेनमेंट इकाई 'जियोस्टार' (JioStar) ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1 FY26) में शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल ₹11,222 करोड़ का सकल राजस्व दर्ज किया है
रिलायंस इंडस्ट्रीज की मीडिया व एंटरटेनमेंट इकाई 'जियोस्टार' (JioStar) ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1 FY26) में शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल ₹11,222 करोड़ का सकल राजस्व दर्ज किया है, जबकि ऑपरेशनल राजस्व ₹9,601 करोड़ रहा। कंपनी ने इस वृद्धि का श्रेय IPL 2025 सीजन की सफलता को दिया, जिसने टीवी और डिजिटल दोनों प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वृद्धि की।
FY25 (14 नवंबर 2024 से 31 मार्च 2025) में कंपनी की कुल कमाई ₹11,032 करोड़ थी, जो JioStar के विलय के बाद की पहली रिपोर्टिंग अवधि थी।
कंपनी का EBITDA ₹1,017 करोड़ रहा, जो ऑपरेशनल राजस्व पर 10.6% मार्जिन दर्शाता है। वहीं, शुद्ध लाभ (PAT) ₹581 करोड़ रहा, जो कि पिछली वर्ष की समान तिमाही के ₹229 करोड़ से दो गुना से अधिक है।
Q1 के अन्य वित्तीय आंकड़ों में ₹316 करोड़ का मूल्यह्रास (depreciation), ₹118 करोड़ की वित्तीय लागत, और ₹2 करोड़ के टैक्स खर्च शामिल हैं।
JioStar ने बताया कि IPL 2025 के दौरान JioHotstar पर 287 मिलियन सब्सक्राइबर्स जुड़े, जबकि टीवी के जरिए 800 मिलियन से अधिक दर्शकों तक पहुंच बनाई गई। JioHotstar ने इस तिमाही में एंड्रॉयड पर 1.04 बिलियन डाउनलोड्स पार कर लिए और औसतन 460 मिलियन से अधिक मासिक सक्रिय यूजर्स (MAUs) दर्ज किए। टीवी एंटरटेनमेंट में कंपनी की हिस्सेदारी 35.5% रही, जिससे इसकी पकड़ और मजबूत हुई।
IPL 2025 ने 1.19 बिलियन दर्शकों तक पहुंच बनाई, जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म JioHotstar पर 652 मिलियन दर्शक जुड़े, जोकि पिछले साल की तुलना में 28% की वृद्धि दर्ज की गई। टीवी पर 5.1 TVR और 514 बिलियन मिनट्स की वॉच-टाइम दर्ज की गई।
IPL 2025 का फाइनल डिजिटल इतिहास का सबसे बड़ा T20 मैच बन गया, जिसमें 237 मिलियन दर्शकों की पहुंच और 55.2 मिलियन की पीक कंकरेंसी रही, जो अब तक का सर्वाधिक रहा। टीवी पर यह मैच 189 मिलियन दर्शकों तक पहुंचा, जो IPL इतिहास का सबसे ऊंचा टीवी व्यूअरशिप आंकड़ा है।
क्रिकेट के अलावा, JioStar नेटवर्क ने ICC वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल जैसे महत्वपूर्ण खेल आयोजनों की मेजबानी की और भारत-इंग्लैंड के बीच 5 टेस्ट सीरीज के डिजिटल स्ट्रीमिंग राइट्स भी हासिल किए।
जून 2025 में JioHotstar ने अपनी अब तक की सबसे ऊंची मासिक वॉच-टाइम दर्ज की। "Criminal Justice" का नया सीजन 2025 का सबसे मजबूत OTT ओरिजिनल ओपनिंग बन गया, वहीं "Kesari 2" सभी भाषाओं में सबसे बड़ी मूवी रही।
अंतरराष्ट्रीय कंटेंट में भी दमदार प्रदर्शन रहा। "Captain America: Brave New World" दूसरी सबसे ज्यादा देखी गई मूवी बनी, जबकि "Mufasa: The Lion King" JioHotstar की सबसे ज्यादा देखी गई इंटरनेशनल मूवी बन गई।
JioStar के तहत Star Plus ने हिंदी GEC श्रेणी में लीडरशिप बरकरार रखी, इसके शीर्ष 10 में से 6 शो रहे। Star Utsav और Colors Rishtey को DD Free Dish पर दोबारा लॉन्च किया गया, जहां Star Utsav नंबर 1 चैनल बनकर उभरा।
वबीं, रीजनल चैनल्स जैसे Star Pravah, Star Jalsha, Star Maa और Asianet ने अपने-अपने मार्केट्स में नंबर 1 पोजिशन कायम रखी। बच्चों, युवाओं और अंग्रेजी दर्शकों जैसे स्पेशल जॉनर के वर्गों में भी JioStar की स्पष्ट लीडरशिप बनी रही।
IPL की सफलता, मजबूत डिजिटल पकड़ और विविधतापूर्ण कंटेंट लाइनअप के दम पर JioStar ने वित्त वर्ष की शुरुआत धमाकेदार तरीके से की है। कंपनी ने साबित कर दिया है कि वह पारंपरिक और डिजिटल दोनों मोर्चों पर दर्शकों और विज्ञापनदाताओं की पसंदीदा बनी हुई है।
OTT क्षेत्र में अपनी पेशकश को और मजबूत करते हुए Tata Play Binge ने अब प्रसार भारती के OTT प्लेटफॉर्म WAVES को अपने प्लेटफॉर्म पर शामिल कर लिया है।
OTT क्षेत्र में अपनी पेशकश को और मजबूत करते हुए Tata Play Binge ने अब प्रसार भारती के OTT प्लेटफॉर्म WAVES को अपने प्लेटफॉर्म पर शामिल कर लिया है। इस साझेदारी के तहत टाटा प्ले बिंज के यूजर्स अब WAVES की विविध और समृद्ध कंटेंट लाइब्रेरी का आनंद एक ही जगह पर उठा सकेंगे।
WAVES के जरिए दर्शकों को 12 भारतीय भाषाओं में 20,000 घंटे से अधिक का कंटेंट मिलेगा, जिसमें Byomkesh Bakshi, Fauji, Hum Log जैसे पुराने क्लासिक सीरियल्स से लेकर Sarpanch Sahab, Jaiye Aap Kahan Jayenge, और Della Bella जैसे नए शो तक शामिल हैं। WAVES केवल ऑन-डिमांड कंटेंट तक ही सीमित नहीं है, यह लाइव स्ट्रीमिंग की सुविधा भी देता है, जैसे कि अयोध्या से प्रभु श्रीराम लल्ला की आरती, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘मन की बात’, और कबड्डी वर्ल्ड कप, जर्मन फुटबॉल कप (पोकल), हॉकी इंडिया लीग जैसे खेलों का सीधा प्रसारण।
OTT और पारंपरिक प्रसारण के बीच की दूरी को मिटाते हुए WAVES अपने यूजर्स को 35 से अधिक लाइव टीवी चैनल्स तक पहुंच भी प्रदान करता है, जिससे दर्शकों को टीवी जैसी सुविधा और स्ट्रीमिंग जैसी लचीलापन- दोनों का अनुभव एक ही जगह मिलता है।
इस साझेदारी पर टाटा प्ले की चीफ कमर्शियल और कंटेंट ऑफिसर पल्लवी पुरी ने कहा, “Tata Play Binge की कल्पना हर भारतीय के लिए OTT कंटेंट को सुलभ बनाने के लिए की गई थी, और प्रसार भारती के साथ यह साझेदारी उसी दिशा में एक अहम कदम है। WAVES न केवल समावेशी और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध कंटेंट का खजाना है, बल्कि यह समय-समय से परे ऐसे शो भी लाता है, जिन्हें नई पीढ़ी के दर्शकों तक पहुंचाने की जरूरत थी। हमें गर्व है कि हम इस विरासत को भारतीय घरों तक पहुंचाने वाले पहले प्लेटफॉर्म हैं।”
प्रसार भारती के CEO गौरव द्विवेदी ने कहा, “WAVES को डिजिटलीकरण की दिशा में सार्वजनिक सेवा कंटेंट को आगे लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, ताकि आज की पीढ़ी भी इस विरासत से जुड़ सके। Tata Play Binge के साथ यह साझेदारी उस दृष्टिकोण को और मजबूत करती है। यह दूरदर्शन की विश्वसनीयता को एक आधुनिक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म की पहुंच और सुविधा के साथ जोड़ती है। अब परिवार, युवा और देशभर के दर्शक हमारी सांस्कृतिक गहराई और कहानी कहने की परंपरा को एक जगह पर अनुभव कर सकेंगे।”
यह साझेदारी दर्शकों को पुरानी यादों और नई तकनीक का संगम प्रदान करती है, जिसमें OTT के जरिए भारत की जड़ों से जुड़ी आवाजें हर घर तक पहुंचने लगी हैं।
एक समय था जब भारत के ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर हाई-स्टेक्स वेबसीरीज और करोड़ों रुपये की लागत वाली कहानियों की होड़ मची थी, लेकिन अब इस इंडस्ट्री में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।
एक समय था जब भारत के ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर हाई-स्टेक्स वेबसीरीज और करोड़ों रुपये की लागत वाली कहानियों की होड़ मची थी, लेकिन अब इस इंडस्ट्री में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। कभी प्रति एपिसोड ₹1-2 करोड़ तक खर्च करने वाले स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म अब अपने बजट को घटाकर ₹30 लाख से ₹1 करोड़ तक ले आए हैं, ये रकम प्रोड्यूसर और स्टार कास्ट के आधार पर तय हो रही है।
वेबसीरीज का बजट अब टीवी एपिसोड के बराबर
इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अधिकांश प्रोजेक्ट्स में 20 से 50 प्रतिशत तक की कटौती की गई है। इसका मतलब यह है कि एक घंटे की औसत वेबसीरीज के एपिसोड की लागत अब हिंदी टेलीविजन के 30 मिनट के एपिसोड (₹25-30 लाख) के आसपास आ गई है। कई स्टूडियो हेड्स ने exchange4media को बताया कि कुछ प्रस्तावित शो या तो पूरी तरह से कम स्केल पर लाए गए हैं या उनकी शर्तों पर फिर से बातचीत हुई है।
'हर बॉक्स टिक होना चाहिए तभी हरी झंडी'
एक ओटीटी कार्यकारी ने बताया, "स्पष्ट रूप से बाजार में सुस्ती आई है। अब प्लेटफॉर्म्स बड़े बजट के शोज को तभी हरी झंडी दे रहे हैं जब वे कास्ट, जॉनर, लागत और फ्रैंचाइज वैल्यू जैसे सभी मानकों पर खरे उतरते हैं।"
2019 से 2022 के बीच ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने सब्सक्राइबर बेस बढ़ाने की होड़ में प्रीमियम कंटेंट पर खूब खर्च किया। बड़े फिल्मी नाम, महंगे सेटअप और डिज़ाइनर स्क्रिप्ट्स पर दांव लगाया गया। लेकिन e4m की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में जहां कुल बजट ₹5500 करोड़ था, वहीं 2024 तक यह घटकर ₹2500 करोड़ रह गया है।
'कटौती नहीं, समझदारी है'- विक्रम मल्होत्रा
हालांकि कुछ निर्माता इसे कटौती नहीं बल्कि ‘बजट का पुनर्मूल्यांकन’ मानते हैं। Abundantia Entertainment के फाउंडर और सीईओ विक्रम मल्होत्रा ने कहा, “असल में कंटेंट बजट कम नहीं हुए हैं, बल्कि यह तय किया जा रहा है कि पैसा कहां और कैसे खर्च किया जाए। पहले बड़ी रकम थोड़े शोज पर लगाई जाती थी, अब वही पैसा ज्यादा संख्या में शोज पर खर्च हो रहा है, लेकिन प्रति यूनिट लागत कम रखी जा रही है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि जैसे-जैसे ओटीटी बाजार क्षेत्रीय शहरों और छोटे कस्बों तक फैल रहा है, प्लेटफॉर्म्स अब वॉल्यूम, निरंतरता और विविधता पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।
'मुनाफे का दबाव और थ्रिलर की थकावट'
इस बदलाव के पीछे कई कारण हैं। एक तो यह कि अधिकांश भारतीय ओटीटी प्लेटफॉर्म अभी भी घाटे में चल रहे हैं और निवेशक अब लाभ की स्पष्ट तस्वीर देखना चाहते हैं। दूसरा यह कि हाल के वर्षों में थ्रिलर और क्राइम ड्रामा जैसे फॉर्मूलों का अति प्रयोग हो चुका है, जिससे व्यूअरशिप में गिरावट आई है।
इसके अलावा दर्शक अब क्षेत्रीय कंटेंट, शॉर्ट फॉर्म वीडियो और ट्रू-क्राइम या डॉक्यूमेंट्री फॉर्मेट की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं, जिनकी लागत अपेक्षाकृत कम होती है।
टीवी जैसे लंबे फॉर्मेट की वापसी
इस बजट रीस्ट्रक्चरिंग के साथ अब ओटीटी पर टीवी-स्टाइल कंटेंट की वापसी देखी जा रही है। यानी छोटी-सीजन वाली फिल्मों जैसी वेबसीरीज के बजाय अब निर्माता पारंपरिक पारिवारिक ड्रामा, कॉमेडी और लंबे आर्क वाले शोज की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन बेहतर प्रोडक्शन वैल्यू के साथ।
ओटीटी प्लेटफॉर्म से जुड़े एक एग्जिक्यूटिव ने साफ कहा, "अब हम सिर्फ पैसा जलाने के लिए कंटेंट नहीं बना रहे। हमारा फोकस अब सस्ते, लेकिन चिपकाऊ और लंबे समय तक चलने वाले आईपी (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) बनाने पर है।”
बालाजी टेलीफिल्म्स के नितिन बर्मन का फॉर्मूला
बालाजी टेलीफिल्म्स के ग्रुप चीफ रेवेन्यू ऑफिसर नितिन बर्मन ने बताया कि ज्यादातर ओटीटी प्लेटफॉर्म दो किस्म की कंटेंट स्ट्रैटेजी अपना रहे हैं- पहली, बड़े स्टार्स और उच्च गुणवत्ता वाले कंटेंट वाली महंगी वेबसीरीज और दूसरी, कम बजट वाले मोबाइल/यूट्यूब दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई गई स्टोरी-ड्रिवन वेब सीरीज।
वे बताते हैं कि अब 50 से 70 एपिसोड वाले 'टीवी-प्लस-ओटीटी' हाइब्रिड फॉर्मेट लोकप्रिय हो रहे हैं, जो दर्शकों को प्लेटफॉर्म से जोड़े रखते हैं और लागत को भी संतुलित करते हैं।
अगले दौर की सफलता किस पर टिकी होगी?
जैसे-जैसे ओटीटी इंडस्ट्री कम खर्च वाली रणनीति की ओर बढ़ रही है, वैसे-वैसे उसका भविष्य कुछ निर्णायक बातों पर निर्भर करता है- जैसे कि मजबूत आईपी, स्केलेबिलिटी, और लंबे समय तक दर्शकों से जुड़ाव बनाए रखना।
अब जरूरत इस बात की होगी कि प्लेटफॉर्म समझें कि कौन सी कहानी वाकई में बड़े निवेश के लायक है और कौन-सी कंटेंट सीमित संसाधनों में भी प्रभावशाली तरीके से कही जा सकती है।
कोरियाई सर्वाइवल थ्रिलर ‘स्क्विड गेम’ का तीसरा सीजन नेटफ्लिक्स के रिकॉर्ड्स को ध्वस्त करते हुए दुनियाभर में छा गया है।
कोरियाई सर्वाइवल थ्रिलर ‘स्क्विड गेम’ का तीसरा सीजन नेटफ्लिक्स के रिकॉर्ड्स को ध्वस्त करते हुए दुनियाभर में छा गया है। 27 जून को वैश्विक स्तर पर रिलीज हुआ यह सीजन केवल तीन दिनों में 60.1 मिलियन व्यूज और 368.4 मिलियन घंटे की व्युअरशिप के आंकड़े पार कर गया। यह दूसरे सीजन के चार दिनों में हुए 68 मिलियन व्यूज के आंकड़े से भी तेज प्रदर्शन है और नेटफ्लिक्स पर किसी भी नॉन-इंग्लिश वेब सीरीज के लिए अब तक का सबसे सफल लॉन्च बन गया है।
हालांकि समीक्षक इस बात पर विभाजित हैं कि नया सीजन पहले के मुकाबले कितना प्रभावशाली है, लेकिन वैश्विक दर्शकों ने अपनी स्क्रीन के जरिए अपना फैसला सुना दिया है। शो की सच बोलती सामाजिक टिप्पणियां, तनावपूर्ण खेलों की परिकल्पना और गहरे चरित्र-निर्माण ने इसे कोरिया से परे दुनिया भर के दर्शकों से जोड़े रखा है।
नेटफ्लिक्स ने इस सीजन को लेकर अभूतपूर्व मार्केटिंग अभियान चलाया, जिसमें सियोल में आयोजित एक भव्य विक्ट्री परेड भी शामिल थी, जहां 38,000 से अधिक प्रशंसक जुटे। नेटफ्लिक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर भी ऐसा प्रचार दुर्लभ होता है और यह दर्शाता है कि कंपनी इस शो को केवल एक सीरीज नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक घटना के रूप में पेश कर रही है।
'स्क्विड गेम' की सफलता इस बात का प्रतीक है कि वैश्विक दर्शक अब नॉन-इंग्लिश कंटेंट को खुलकर अपना रहे हैं। लोग अब ऐसी कहानियों की तलाश में हैं जो स्थानीयता से जन्मी हों लेकिन वैश्विक भावना से जुड़ती हों। यह शो साबित करता है कि अगर कहानी दमदार हो और प्रोडक्शन क्वॉलिटी विश्वस्तरीय हो, तो भाषा कोई बाधा नहीं रह जाती।
भारत में पहले से ही कोरियाई पॉप कल्चर- जैसे K-ड्रामा, BTS और BLACKPINK जैसे K-पॉप बैंड्स, कोरियन स्किनकेयर और फूड ट्रेंड्स को जबरदस्त लोकप्रियता मिली हुई है। 'स्क्विड गेम' की रिकॉर्ड-तोड़ वापसी इस लहर को और भी मजबूत करती है। इससे यह संकेत मिलता है कि भारतीय दर्शक वैश्विक कहानियों के लिए पहले से कहीं ज्यादा तैयार हैं, बशर्ते उनमें स्थानीय संवेदनशीलता और मौलिकता हो।
यह लहर भारतीय कंटेंट क्रिएटर्स के लिए भी एक संकेत है कि अब समय आ गया है कि पारंपरिक, सुरक्षित फॉर्मूलों से आगे बढ़कर ऐसी कहानियां गढ़ी जाएं जो वैश्विक मंच पर चमक सकें। ‘स्क्विड गेम’ इस बात का प्रमाण है कि उच्च दांव पर टिकी, भावनात्मक रूप से गहराई लिए हुए कहानियां दर्शकों को अपने साथ जोड़ लेती हैं, भले ही समीक्षाएं मिली-जुली क्यों न हों।
तीसरे सीजन की थोड़ी अधिक डार्क और फैलाव लिए हुए कहानी को लेकर भले कुछ आलोचना हुई हो, लेकिन दर्शकों ने रिकॉर्ड स्तर पर देखने का सिलसिला जारी रखा। यह साबित करता है कि यदि भावनात्मक कनेक्ट और किरदारों की यात्रा मजबूत हो, तो समीक्षाएँ भी व्युअरशिप को नहीं रोक सकतीं।
जैसे-जैसे वैश्विक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है, 'स्क्विड गेम' जैसा शो यह मानक तय करता है कि किसी स्थानीय कहानी को वैश्विक घटनाक्रम कैसे बनाया जा सकता है। यह केवल एक हिट वेब सीरीज नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि साहसी, सांस्कृतिक रूप से जड़ित कहानियां विश्व मंच पर भी राज कर सकती हैं।
सावियो की लीडरशिप में प्राइम वीडियो ने ‘फर्जी’, ‘द फैमिली मैन’, ‘मिर्जापुर’, ‘मेड इन हेवन’ और ‘पाताल लोक’ जैसी प्रमुख वेब सीरीज के लिए कई पुरस्कार-विजेता कैंपेन लॉन्च किए।
चार साल तक प्राइम वीडियो में कंटेंट मार्केटिंग के सीनियर मैनेजर की भूमिका निभाने व भारत में पॉप कल्चर को गहराई से प्रभावित करने वाले और कई आइकॉनिक मार्केटिंग कैंपेन की अगुवाई करने के बाद सावियो सेरेजो (Savio Cerejo) ने अब कंपनी से विदाई लेने का फैसला किया है।
सावियो की लीडरशिप में प्राइम वीडियो ने ‘फर्जी’, ‘द फैमिली मैन’, ‘मिर्जापुर’, ‘मेड इन हेवन’ और ‘पाताल लोक’ जैसी प्रमुख वेब सीरीज के लिए कई पुरस्कार-विजेता कैंपेन लॉन्च किए। इन कैंपेंस ने सिर्फ दर्शकों का दिल ही नहीं जीता, बल्कि डिजिटल स्टोरीटेलिंग और कंज्यूमर एंगेजमेंट के क्षेत्र में नए मानक भी स्थापित किए। मीडिया और ऐडवर्टाइजिंग की दुनिया में उनके योगदान को हाल ही में 'एक्सचेंज4मीडिया' की “40 अंडर 40” लिस्ट में शामिल कर विशेष रूप से सराहा गया।
प्राइम वीडियो से पहले सेरेजो ने स्विगी के न्यू सप्लाई बिजनेस की मार्केटिंग और स्ट्रैटेजी संभाली थी और उससे पहले ITC में एक अहम भूमिका निभाते हुए ‘क्लासमेट’ जैसे भारत के अग्रणी स्टेशनरी ब्रैंड की ब्रैंडिंग और मार्केटिंग रणनीति को नई ऊंचाई दी थी।
IESE बिजनेस स्कूल और पुणे के SCMHRD से पढ़ाई कर चुके सेरेजो को हाई-इम्पैक्ट मार्केटिंग इनिशिएटिव्स बनाने, कस्टमर सेंट्रिक सोच रखने और बदलती बिजनेस जरूरतों के अनुरूप खुद को ढालने की उनकी क्षमता के लिए इंडस्ट्री में बेहद सम्मान प्राप्त है।
एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ने 11 जून को मुंबई में e4m Play Streaming Media Awards के छठे संस्करण का आयोजन किया।
एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ने 11 जून को मुंबई में e4m Play Streaming Media Awards के छठे संस्करण का आयोजन किया। यह भव्य शाम स्ट्रीमिंग मीडिया जगत की श्रेष्ठतम उपलब्धियों के उत्सव का साक्षी बनी, जहां विज्ञापन और मार्केटिंग इंडस्ट्री के शीर्ष ब्रैंड और लीडर्स मौजूद रहे। अवॉर्ड समारोह के ज़रिए उन प्रतिभाओं, इनोवेटिव प्लेटफॉर्म्स और प्रभावशाली ब्रैंड कैंपेन को सम्मानित किया गया जिन्होंने इस क्षेत्र में नई मिसाल कायम की।
इस साल के प्रमुख विजेताओं में JioStar ने बाजी मारी, जिसने कुल 4 अवॉर्ड अपने नाम किए, जिनमें 3 गोल्ड और 1 सिल्वर शामिल है। इसके अलावा जिन ब्रैंड्स ने सबसे अधिक अवॉर्ड जीते, उनमें Prime Video, Netflix, Sony LIV और Arha Media & Broadcasting Pvt. Ltd. प्रमुख रहे।
e4m Play Streaming Media Awards का उद्देश्य स्ट्रीमिंग मीडिया में उत्कृष्टता, नवाचार और रचनात्मकता के लिए टैलेंट, कंटेंट, ब्रैंड्स और प्लेटफॉर्म्स को पहचान और सम्मान देना है। यह अवॉर्ड्स एक सटीक और गहन प्रक्रिया के तहत चयनित किए जाते हैं, जिससे इस क्षेत्र की असली प्रतिभाओं को मंच मिल सके।
इस साल के अन्य गोल्ड विजेताओं में Mahindra Group, Manja, Bare Bones Collective, White Rivers Media, The Pokémon Company, Saregama India, Maddock Films, JioStar India Private Limited, L’Oréal Professionnel Paris, Audible, Zone Media, Lenovo और The Viral Fever जैसे नाम शामिल रहे।
2025 के e4m Play Streaming Media Awards को कुल पांच कैटेगरीज में बांटा गया था- ब्रैंड इंटीग्रेशन और मार्केटिंग, प्लेटफॉर्म, टैलेंट, स्ट्रीमिंग ऑडियो/पॉडकास्ट, कंटेंट और एक्सीलेंसी।
कंटेंट जूरी मीटिंग की अध्यक्षता मशहूर सिनेमैटोग्राफर और फिल्ममेकर संतोष सिवन ने की। उन्होंने इस साल विजेताओं के चयन की समावेशी और सुव्यवस्थित प्रक्रिया की सराहना की।
इस समारोह के एसोसिएट पार्टनर और एक्सक्लूसिव गिफ्टिंग पार्टनर के तौर पर Fixderma भी जुड़ा रहा, जिसने इस शाम को और खास बना दिया।
यह अवॉर्ड न सिर्फ एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के बदलाव को दर्शाते हैं, बल्कि आने वाले समय के डिजिटल ट्रेंड्स की दिशा भी तय करते हैं।