देश के प्रतिष्ठित मास कम्युनिकेशन शिक्षण संस्थान IIMC...
समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
देश के प्रतिष्ठित मास कम्युनिकेशन शिक्षण संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन के एलुमनी एसोसिएशन (IIMCAA) द्वारा जनसंचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वालों को ‘IIMCAA Awards 2019’ से सम्मानित करने के लिए जोर-शोर से तैयारी चल रही है। ये सभी अवॉर्ड्स दिल्ली स्थित आईआईएमसी मुख्यालय में 17 फरवरी 2019 को आयोजित एक समारोह में दिए जाएंगे।
इन अवॉर्ड्स के लिए विजेताओं का चयन मास कम्युनिकेशन से जुड़े दिग्गजों की जूरी द्वारा किया जाएगा। इसके लिए ‘IIMCAA’ की ओर से 14 जूरी का गठन किया गया है और प्रत्येक जूरी में तीन से ज्यादा मेंबर हैं। 33 कैटेगरी में विजेताओं का चयन करने के लिए दिल्ली स्थित ‘IIMC’ मुख्यालय में 27 जनवरी को 14 में से सात जूरी के मेंबर्स आपस में मिले। बाकी के सात जूरी के मेंबर्स की मीटिंग तीन फरवरी को होगी।
हालांकि, कुल 35 कैटेगरी में अवॉर्ड्स दिए जाएंगे, लेकिन ‘एलुमनी ऑफ द ईयर अवॉर्ड’ और पब्लिक सर्विस अवॉर्ड‘’ के विजेताओं का चयन ‘IIMCAA’ की सेंट्रल कमेटी द्वारा किया जाएगा। इन अवॉर्ड्स के तहत जूरी द्वारा चुने गए विजेताओं को कैश प्राइज के साथ-साथ टॉफी और सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा। 33 में से एक कैटेगरी (एग्रीकल्चर रिपोर्टिंग) में 51000 रुपए और बाकी अन्य कैटेगरी में 21000 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।
जूरी प्रक्रिया के बारे में ‘IIMCAA Awards 2019’ की संयोजक अनीता कौल बसु ने बताया, ‘IIMCAA का यह तीसरा सीजन है। इस पूरी कवायद का उद्देश्य उन छात्रों की उपलब्धियों को जानना व बताना होता है, जिन्होंने मास कम्युनिकेशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया हो।’
‘IIMCAA Awards 2019’ की को-ऑर्डिनेटर सिमरत गुलाटी ने कहा, ‘इस साल हमें 33 कैटेगरी के लिए लगभग 250 एंट्री मिली थीं, जो पिछले साल के मुकाबले दोगुनी से भी ज्यादा थीं। वर्ष 2018 में हमें 21 कैटेगरी में कुल 114 एंट्री मिली थीं। इस साल जूरी पैनल की संख्या भी छह से बढ़ाकर 14 कर दी गई है। खास बात यह है कि विजेताओं के चयन की प्रक्रिया को ज्यादा से ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए जूरी में अधिकांश नॉन एलुमनी मेंबर्स को शामिल करने की कोशिश की जाती है।’
इस बारे में ‘IIMCAA’ के प्रेजिडेंट और ‘ZEE Media’ के ग्रुप डिजिटल एडिटर प्रसाद सान्याल का कहना है, ‘इस कवायद का मुख्य उद्देश्य संस्थान के पूर्व छात्रों के बेहतरीन कार्यों और उनकी उपलब्धियों के बारे में बताने का प्रयास है। इसमें सिर्फ रिपोर्टर और एंकर्स को ही नहीं, बल्कि हम अखबार, टीवी व वेबसाइट्स के रोजाना के काम में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले डेस्क के उन साथियों को भी सम्मानित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्हें इंडस्ट्री में आमतौर पर खास पहचान अथवा अवॉर्ड नहीं मिल पाता है। इसी तरह एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन के क्षेत्र में कई कैंपेन को विभिन्न मंचों पर पहचान मिली चुकी है, उनसे जुड़े लोगों को भी हम सम्मानित कर रहे हैं।’
27 जनवरी को हुई मीटिंग में ये जूरी मेंबर्स शामिल रहे-
IIMCAA Awards 2019 Jury No. 7
Q W Naqvi, Chair
Sarvesh Tiwari
Parmanand Khetan
B 1- Print Production- Large Publications
B 2- Print Production- Medium & Small Publications
B 3- Broadcast Production- Large Network
B 7- Digital Production- Video
Jury No. 8
Nilanjana Jha, Chair
Nirendra Nagar
Suresh Kumar
Priyarag Verma
B 5- Digital Production- Content
B 6- Digital Production- Innovation
Jury No. 9
Deepak Chaurasia, Chair
Sumit Awasthi
Mehraj Dubey
Chandrika Joshi
RJ Raunac
B 8- Anchor/ Presenter/ Broadcaster [Audio]
B 9 - Anchor/ Presenter/ Broadcaster [Video]
Jury No. 10
Milind Khandekar, Chair
Shome Basu
Mike Sangma
B 10– Documentary Film Making
B 11- Photography– Amateur
B 12- Photography– Professional
Jury No. 11
Ashish Chakravarty, Chair
Anita Bose
Sambit Mohanty
Nitin Thakur
C 1- Advertising
C 2- Media Innovation
Jury No. 12
Prof. Jaishri Jethwaney, Chair
Sunila Dhar
Partha Ghosh
Samir Kapur
Sourav Das
C 3- Image Building (Public Relations)
C 4- Advocacy
C 5- Crisis Management
C 6- Image Management
Jury No. 13
Kavita Ayyagari, Chair
Tushar Bajaj
Neeraj Seth
Prateek Chaterjee
Karnika Kohli
C 7- Social Media Management- Small
C 8- Social Media Management- Big
C 9- Social Media Influencer
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भारत के पत्रकार संगठनों ने अल-जजीरा चैनल की एक महिला पत्रकार के मारे जाने की शनिवार को निंदा की। वेस्ट बैंक के जेनिन में इजराइली सेना की छापामार कार्रवाई के दौरान गोली लगने से महिला पत्रकार की मौत हो गई थी। संगठनों ने इस मामले में एक स्वतंत्र जांच की मांग भी की।
इंडियन वूमेन प्रेस कॉर्प्स, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और प्रेस एसोसिएशन ने यहां एक संयुक्त बयान में कहा, ‘हम अंतरराष्ट्रीय पत्रकार समुदाय और अन्य द्वारा इस घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग का समर्थन करते हैं। भविष्य में ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए।’
गौरतलब है कि शिरीन अबू अक्लेह (51) अरब जगत की एक चर्चित पत्रकार थीं। वह पिछले 25 वर्षों से अल जजीरा के सेटेलाइट चैनल के लिए इजराइली शासन में फलस्तीनी नागरिकों के जीवन पर रिपोर्टिंग करने के लिए जानी जाती थीं। बुधवार को वेस्ट बैंक के जेनिन शहर में इजराइली सेना की एक कार्रवाई के दौरान गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।मुंबई पहुंचने वाले हर युवा का सपना सच नहीं होता, लेकिन कुछ हासिल करने की जिद पाल ली जाए और उसके लिए मेहनत की अति कर दी जाए तो सफलता इंसान की मुट्ठी में आ ही जाती है।
मीतेन रघुवंशी, वरिष्ठ पत्रकार।।
‘कुछ पाने की जिद’ किस तरह एक सामान्य से व्यक्ति को फर्श से अर्श पर पहुंचा सकती है, इसकी मिसाल है अभिनेता मनोज बाजपेयी के संघर्ष की कहानी। मुंबई पहुंचने वाले हर युवा का सपना सच नहीं होता, लेकिन कुछ हासिल करने की जिद पाल ली जाए और उसके लिए मेहनत की अति कर दी जाए तो सफलता इंसान की मुट्ठी में आ ही जाती है। मनोज बाजपेयी की बायोग्राफी को पढ़ते हुए बार बार अहसास होता है कि उनके संघर्ष की दास्तां को हर उस युवा को पढ़ना चाहिए, जो किसी भी क्षेत्र में नाम बनाना चाहता है। मनोज बाजपेयी की बायोग्राफी हाल में बाजार में आई है, जिसे लिखा है वरिष्ठ पत्रकार पीयूष पांडे ने।
पीयूष पांडे पेशे से टीवी पत्रकार हैं और इन दिनों ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ में सीनियर पद पर हैं। लेकिन, उनका प्रोफाइल पत्रकार से अलग लेखक, संवाद लेखक, व्यंग्यकार का भी है। पीयूष के तीन चर्चित व्यंग्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। ‘कबीरा बैठा डिबेट में’ 2019 में प्रकाशित हुआ था, जिसने खासी सुर्खियां बटोरी थीं। इसके अलावा कोविड काल में पीयूष ने कॉमेडी सीरियल ‘महाराज की जय हो’ के कई एपिसोड के संवाद लिखे, जबकि कुछ बरस पहले आई फिल्म ब्लू माउंटेंस में वह एसोसिएट डायरेक्टर रह चुके हैं। लेकिन, बतौर व्यंग्यकार पीयूष अरसे से सक्रिय हैं। व्यंग्य अलग विधा है और बायोग्राफी लेखन बिलकुल अलग। लेकिन, पीयूष पांडे ने बहुत खूबसूरती से इस विधा को साधा है। पीयूष पांडे का मनोज बाजपेयी से पुराना परिचय है। लेकिन, इस जीवनी को लेकर जितना शोध किया गया है, उससे बायोग्राफी की विश्वसनीयता बहुत बढ़ जाती है। दरअसल, मनोज बाजपेयी की यह जीवनी एक फिल्मी सितारे की जीवनी नहीं है। मनोज बाजपेयी की यह जीवनी बिहार के एक छोटे से गांव से निकले एक युवा के संघर्ष की ऐसी कहानी है, जिसे ऐतिहासिक संदर्भ और अनूठी किस्सागोई दिलचस्प बनाते हैं। मसलन-जब पाठक पढ़ते हैं कि मनोज बाजपेयी गांव के जिस घर में रहते थे, वहां कभी गांधीजी भी आए थे तो पाठक चौंकते हैं।
अब कुछ किस्सों पर गौर फरमाइए-
मनोज के नाटक कौशल का एक उदाहरण उनके पिता राधाकांत बाजपेयी देते हैं। उन्होंने मुझे बताया, ‘एक बार ‘गार्जियन डे’ पर हम मनोज के स्कूल गए। वहां मनोज एक नाटक में हिस्सा ले रहा था। इसमें मनोज एक देहाती पंडित के चेले का रोल निभा रहा था। नाटक के एक दृश्य में पंडित जी और उनका चेला (मनोज) मंच पर आते हैं। चेला मिट्टी के एक बर्तन में मिठाई लाकर पंडित जी को देता है। पंडितजी बर्तन से एक-एक रसगुल्ला निकालकर खाते हैं। चेला उन्हें ललचाई नजर से देखता है। अचानक संवाद बोलते हुए एक रसगुल्ला पंडित जी के हाथ से फिसलकर मंच पर गिर जाता है। लेकिन जैसे ही रसगुल्ला स्टेज पर गिरता है, चेला फुर्ती से रसगुल्ला उठाता है और मुंह में डाल लेता है। ये सीन नाटक का हिस्सा नहीं था। लेकिन जिस चपलता से मनोज ने यह किया, उसे देखकर दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं। नाटक के मध्यांतर में मनोज मुझसे मिलने आया तो मैंने पूछा कि क्या वो हरकत नाटक का हिस्सा थी। वो बोला-नहीं। मैंने पूछा कि फिर कैसे किया? तो बोला-बस दिमाग में आया तो कर दिया। मुझे उसी वक्त लग गया था कि ये लड़का कुछ इधर-उधर का ही करेगा। इस नाटक का नाम था ‘बेमेल ब्याह’। इस नाटक में पहली बार मनोज ने बिना जाने वो कारनामा किया था, जिसे थिएटर और सिनेमा की भाषा में ‘इंप्रूवाइजेशन’ कहा जाता है।’
बेतिया के एक लड़के के लिए दिल्ली पहुंचना किसी सपने से कम नहीं था। दिल्ली का रंग ढंग मनोज के लिए अबूझ था। मनोज कहते हैं, ‘दिल्ली के शुरुआती दिनों की बात है। मुझे कुछ पता नहीं था। आलम ये कि मुझे 302 नंबर की बस पकड़ने को कहा गया तो मैं दो घंटे तक कमला नगर बस स्टॉप पर बसों की रजिस्ट्रेशन नंबर की प्लेट तकता रहा।’ इस किताब में 21 अध्याय हैं, जिसके शुरुआती अध्याय मनोज की पारिवारिक पृष्ठभूमि और मनोज के फिल्मी लत लगने के किस्सों से पटी पड़ी है। मनोज बाजपेयी कैसे बेतिया में फिल्म देखते हुए एक थिएटर में ऐसी लड़ाई में उलझ गए कि चाकू चल गए, उनके खिलाफ एफआईआर हो गई और उन्हें गोरखपुर भागना पड़ा-ऐसे तमाम किस्से किताब की शुरुआत में हैं।
पीयूष ने बेहद सरल भाषा में किताब को लिखा है और कई जगह उनका फिल्मी लेखन का अनुभव झलकता है, क्योंकि किताब पढ़ते हुए दृश्य दिमाग में कौंधने लगता है। खुद मनोज बाजपेयी ने एक इंटरव्यू में अपनी बायोग्राफी के विषय में कहा, ‘मुझे जीवन के कई पुराने किस्से याद आ गए, जिन्हें मैं भूल चुका था। पीयूष ने बहुत मेहनत से किताब को लिखा है और वो उन लोगों तक पहुंच गए हैं, जिनका मेरे जीवन में बहुत निकट संबंध रहा है।’ मनोज बाजपेयी की इस बायोग्राफी में कई ऐसे प्रसंग भी हैं, जिन्हें लेकर अभी तक ज्यादा कुछ नहीं लिखा गया या कहें कि इंटरनेट पर कोई जानकारी नहीं है। मसलन, उनकी पहली शादी के विषय में। या अनुराग कश्यप और रामगोपाल वर्मा से उनकी लड़ाई की असल वजह के विषय़ में।
मनोज बाजपेयी की इस जीवनी को उन लोगों के मनोज के विषय में अनुभव और खास बनाते हैं, जो उनसे बहुत करीब से जुड़े रहे हैं। लेखक ने अनुराग कश्यप, अनुभव सिन्हा, पीयूष मिश्रा, मकरंद देशपांडे, पंकज त्रिपाठी, प्रकाश झा, महेश भट्ट समेत कई नामचीन लोगों से बात की और उनकी बातों को मनोज की कहानी में इस तरह पिरोया है कि यह सब लोग कहानी का हिस्सा मालूम होते हैं।पेंगुइन इंडिया ने इस किताब को प्रकाशित किया है और हिंदी के बाद अंग्रेजी, मराठी और गुजराती संस्करण प्रकाशित होने वाले हैं।
(यह लेखक के निजी विचार हैं)
किताब का नाम- मनोज बाजपेयी : कुछ पाने की जिद
लेखक- पीयूष पांडे
पेज- 218
पब्लिशर- पेंगुइन इंडिया
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प्रख्यात पत्रकार वी.पी. रामचंद्रन अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका निधन बुधवार को कोच्चि के पास कक्कानाडु स्थित अपने आवास में हुआ। वह 98 वर्ष के थे। उनके परिवार ने मीडिया को यह जानकारी दी।
रामचंद्रन ने 1959 में लाहौर से न्यूज एजेंसी पीटीआई के अंतरराष्ट्रीय संवाददाता के तौर पर काम किया था। इसके बाद यूएनआई और एसोसिएट प्रेस न्यूज एजेंसी के साथ भी वे संवाददाता के रूप में काम कर चुके थे। 1978 में कार्यकारी संपादक के रूप में ‘मातृभूमि’ में शामिल हुए और बाद में वे ‘मातृभूमि’ अखबार के संपादक भी रहे।
वीपीआर के नाम से मशहूर रामचंद्रन ने 1990 के दशक में केरल प्रेस अकादमी के अध्यक्ष का पद भी संभाला था।
पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें केरल सरकार ने 2013 में सम्मानित किया था। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रामचंद्रन के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पीएम नरेंद्र मोदी के राजनीतिक जीवन के 20 वर्षों पर आई पुस्तक को राजनीति में सक्रिय लोगों के लिए गीता के समान बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 साल के सियासी सफर और उन पर दिए गए वक्तव्यों पर आधारित किताब ‘मोदी@ड्रीम्स मीट डिलीवरी’ (MODI@20 DREAMS MEET DELIVERY) 11 मई को लॉन्च की गई। दिल्ली के विज्ञान भवन में होने वाले एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने इस किताब का विमोचन किया। इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी मौजूद रहे।
बता दें कि यह किताब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बुद्धिजीवियों और विशेषज्ञों के वक्तव्यों का संकलन है। ‘ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन’ (BlueKraft Digital Foundation) ने इस किताब को संपादित किया है। पांच चैप्टर और 21 सेक्शन वाली इस किताब को रूपा पब्लिकेशन ने पब्लिश किया है। कार्यक्रम को दूरदर्शन की सीनियर कंसल्टेंट और न्यूज एंकर रीमा पाराशर ने होस्ट किया।
किताब की लॉन्चिंग के मौके पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जो लोग भारत के सर्वांगीण और समावेशी विकास पर विश्वास करते हैं, विशेषकर समाज सेवा में काम करते है, उनके लिए ये पुस्तक गीता के समान है। मोदी जी के 20 साल को सबने देखा है, लेकिन इससे पहले के उनके 30 सालों के सफर को जाने बिना यह अधूरा है।
वहीं, उपराष्ट्रपति ने पुस्तक के लेखकों को विश्लेषण और प्रस्तुति के लिए बधाई देते हुए कहा कि लेखकों ने पीएम मोदी की 20 साल की यात्रा को कुशलता से लिखा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि नरेंद्र भाई दामोदरदास मोदी ने पिछले 20 वर्षों में एक अलग स्थान बनाया है। वह लगभग 13 वर्षों तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और पिछले आठ सालों से देश के प्रधानमंत्री हैं।
पत्रकारिता, किताब, ड्रामा और संगीत के अलग-अलग क्षेत्रों में पुलित्जर पुरस्कार 2022 का ऐलान कर दिया गया है।
पत्रकारिता, किताब, ड्रामा और संगीत के अलग-अलग क्षेत्रों में पुलित्जर पुरस्कार 2022 का ऐलान कर दिया गया है। दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी समेत चार भारतीयों को फीचर फोटोग्राफी श्रेणी में प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया है। रायटर्स के दिवंगत दानिश सिद्दिकी को यह अवॉर्ड मरणोपरांत दिया गया है। इसके अलावा उनके सहयोगी अदनान अबिदी, सना इरशाद मट्टू, अमित दवे का नाम शामिल है।
दानिश सिद्दीकी और उनके सहयोगियों को ये पुरस्कार कोविड के दौरान उनके द्वारा खींची गई तस्वीरों के लिए दिया गया है।
38 वर्षीय दानिश सिद्दीकी पिछले साल जुलाई में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर कब्जे के दौरान हुए संघर्ष के कवरेज के दौरान गोली लगने से मारे गए थे। तब दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान में ड्यूटी पर थे। यह दूसरी बार है जब सिद्दीकी ने पुलित्जर पुरस्कार जीता है। रोहिंग्या संकट के कवरेज के लिए रॉयटर्स टीम के हिस्से के रूप में उन्हें 2018 में इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अफगानिस्तान संघर्ष, हॉन्गकॉन्ग विरोध और एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप की अन्य प्रमुख घटनाओं को व्यापक रूप से कवर किया था।
बता दें कि पुलित्जर पुरस्कार पत्रकारिता के क्षेत्र में अमेरिका का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है। इसकी शुरुआत 1917 से हुई थी।
रूस के हमले से तबाह यूक्रेन के पत्रकारों को साल 2022 के पुलित्जर पुरस्कार विशेष प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया है। पत्रकारिता के टॉप सम्मानित जूरी ने कैपिटल पर 6 जनवरी को हुए हमले, अफगानिस्तान से वापसी और फ्लोरिडा में सर्फसाइड कॉन्डोमिनियम के ढहने के दौरान कवरेज को भी मान्यता दी है। पुलित्जर पुरस्कार अमेरिका में समाचार पत्र, पत्रिका, ऑनलाइन पत्रकारिता, साहित्य और संगीत रचना में उपलब्धियों के लिए एक पुरस्कार है।
पत्रकारिता में विजेताओं की यहां देखें पूरी सूची-
ब्रेकिंग न्यूज रिपोर्टिंग:
विजेता: मियामी हेराल्ड के कर्मचारी, फ्लोरिडा में समुद्रतट अपार्टमेंट टावरों के ढहने के कवरेज के लिए
खोजी रिपोर्टिंग:
विजेता: रेबेका वूलिंगटन के कोरी जी. जॉनसन और टैम्पा बे टाइम्स के एली मरे, इनको फ्लोरिडा के एकमात्र बैटरी रीसाइक्लिंग प्लांट के अंदर अत्यधिक जहरीले खतरों को उजागर करने के लिए अवॉर्ड मिला है।
व्याख्यात्मक रिपोर्टिंग:
विजेता: क्वांटा पत्रिका के कर्मचारी, विशेष रूप से नताली वोल्चोवर, इनको वेब स्पेस टेलीस्कोप कैसे काम करता है, इस पर रिपोर्टिंग के लिए सम्मान मिला।
स्थानीय रिपोर्टिंग:
विजेता: बेटर गवर्नमेंट एसोसिएशन के मैडिसन हॉपकिंस और शिकागो ट्रिब्यून के सेसिलिया रेयेस को शिकागो के अधूरी भवन और अग्नि सुरक्षा संबंधी रिपोर्टिंग के लिए
राष्ट्रीय रिपोर्टिंग:
विजेता: द न्यूयॉर्क टाइम्स के कर्मचारी
अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टिंग:
विजेता: द न्यूयॉर्क टाइम्स के कर्मचारी
सार्वजनिक सेवा:
विजेता: वॉशिंगटन पोस्ट, 6 जनवरी 2021 कैपिटल हिल पर हमले की रिपोर्टिंग के लिए
फीचर लेखन:
विजेता: द अटलांटिक के जेनिफर सीनियर
फीचर फोटोग्राफी:
विजेता: अदनान आबिदी, सना इरशाद मट्टू, अमित दवे और रॉयटर्स के दिवंगत दानिश सिद्दीकी, भारत में कोरोना समय में फोटो के लिए मिला सम्मान
कॉमेंट्री:
विजेता: मेलिंडा हेनेबर्गर
आलोचना:
विजेता: सलामिशा टिलेट, द न्यूयॉर्क टाइम्स
इलस्ट्रेटेड रिपोर्टिंग और कमेंट्री:
विजेता: फहमीदा अजीम, एंथोनी डेल कर्नल, जोश एडम्स और वॉल्ट हिक्की
ऑडियो रिपोर्टिंग:
विजेता: फ्यूचूरो मीडिया और पीआरएक्स के कर्मचारी
उपन्यास:
विजेता: द नेतन्याहूस, लेखक- जोशुआ कोहेन
नाटक:
विजेता: फैट हैम, जेम्स इजामेसो द्वारा
जीवनी:
विजेता: चेजिग मी टू माई ग्रेव
कविता:
विजेता: फ्रैंक: सॉनेट्स, डायने सीस द्वारा
सामान्य गैर-कथा:
विजेता: अदृश्य बच्चा: एक अमेरिकी शहर में गरीबी, जीवन रक्षा और आशा, एंड्रिया इलियट द्वारा
संगीत:
विजेता: रेवेन चाकोन, वॉयसलेस मास के लिए
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सड़कों का नाम बदलने के क्रम में मंगलवार को रखे गए इस प्रस्ताव पर नगर निगम सदन की बैठक में मौजूद सभी पार्षदों ने ध्वनिमत से मुहर लगा दी।
प्रयागराज की प्रमुख सड़कों में शामिल क्लाइव रोड पर एक्सिस बैंक से जीएचएस चौराहे तक का हिस्सा अब पत्रकारिता, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) के नवोन्मेषक अतुल माहेश्वरी के नाम से जाना जाएगा।
‘अमर उजाला’ में छपी एक खबर के अनुसार, सड़कों का नाम बदलने के क्रम में मंगलवार को नगर निगम के सदन में सिविल लाइंस स्थित क्लाइव रोड का नाम अतुल माहेश्वरी मार्ग करने का प्रस्ताव रखा गया। इस प्रस्ताव पर सदन की बैठक में मौजूद सभी पार्षदों ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। जल्द ही सड़क पर बदले हुए नाम का बोर्ड भी लगा दिया जाएगा।
बताया जाता है कि यह प्रस्ताव वर्ष 2018 में नगर निगम को दिया गया था, लेकिन कोरोना के कारण यह अटका हुआ था। अब निगम की कमेटी से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इस प्रस्ताव को सदन के पटल पर रखा गया, जहां निगम के सदन में सर्वसम्मति से इस पर मुहर लग गई।
गौरतलब है कि पत्रकारिता में अतुल माहेश्वरी का अतुलनीय योगदान रहा है। वह करीब 37 वर्षों तक मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय रहे और अमर उजाला समूह को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अमर उजाला के प्रबंध निदेशक होने के साथ-साथ वह इंडियन न्यूज पेपर सोसाइटी में उत्तर प्रदेश शाखा के चेयरमैन, आईआरएस, सीआईआई जैसी संस्थाओं के सदस्य भी रहे थे।
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जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज है विचार। इसमें भी महत्वपूर्ण है सही विचार। विचार ही हमारे व्यवहार को तय करता है। व्यवहार हमारे कार्य को प्रभावित करता है और ये कर्म ही हमारे जीवन को तय करते हैं। यानी हमारा जीवन हमारे हाथ में होता है। हमारे विचार अच्छे हैं तो जीवन भी सफल होगा। उन्होंने कहा कि हमें अपने मन–विचारों पर संकल्प रखना चाहिए। हम देखें कि हमारी विचार प्रक्रिया सही दिशा में हो। यह विचार जाने-माने टीवी न्यूज एंकर श्रीवर्धन त्रिवेदी ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ‘एंकरिंग कला’ पर आयोजित विशेष व्याख्यान में व्यक्त किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि टीवी पत्रकारिता में लोग एंकर्स से प्रभावित होकर आते हैं लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिए कि इस क्षेत्र में काम के अन्य अवसर भी हैं। रिपोर्टिंग से लेकर शोध तक में अच्छे लोगों की आवश्यकता है। एंकरिंग में उच्चारण का बड़ा महत्व है। हमारी प्रस्तुति पर हमारी मातृभाषा का प्रभाव रहता है। शुद्ध उच्चारण के लिए बहुत अभ्यास करना होता है। इसके अलावा नामों का उच्चारण भी महत्व रखता है। एक एंकर को इसलिए हटाना पड़ गया क्योंकि उसने चीन के राष्ट्रपति के नाम को गलत ढंग से बता दिया। उन्होंने कहा कि एंकरिंग सिर्फ प्रस्तुति नहीं है, बल्कि उसके पीछे बहुत मेहनत रहती है। कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि आज पत्रकार को कम से कम एक विषय में पारंगत होना चाहिए। इससे पत्रकार को पहचान मिलती है। यह समय विशेषज्ञता का है।
वहीं, मुख्य वक्ता श्रीवर्धन त्रिवेदी ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में हमें हार नहीं माननी चाहिए। हमें अपने काम से प्रेम करना चाहिए। जब हम अपने काम से प्रेम करना सीख लेते हैं तो हमें भटकना नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि रिपोर्टिंग करें या एंकरिंग करें या फिर कोई और काम करें, हमें अपने काम पर विश्वास रखना चाहिए। यह विश्वास ही हमें सफलता दिलाता है। उन्होंने कहा कि हम पत्रकारिता में भले ही किसी से प्रेरित होकर आते हैं लेकिन समय के साथ हम स्वयं का मूल्यांकन कर लेते हैं और यह समझ लेते हैं कि हम किस काम के लिए बने हैं। सफलता का एक और मंत्र है–फोकस रहना। हमें अपने काम और लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए।
त्रिवेदी ने विद्यार्थियों को एंकरिंग के गुर सिखाते हुए कहा कि पत्रकारिता प्रोफेशन नहीं है, यह जीवन शैली है। यानी आपको पत्रकारिता को जीना पड़ता है। एंकर के लिए जरूरी है कि उसकी पकड़ कथ्य और तथ्य के साथ सत्य पर हो। अच्छा एंकर बनने के लिए आपको बहुत पढ़ना चाहिए।
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रस्तावना जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशीष जोशी ने रखी। उन्होंने कहा कि एंकर बनने के लिए सिर्फ अच्छा दिखाना और अच्छी आवाज ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि विविध विषयों का ज्ञान–समझ होना सबसे महत्वपूर्ण है। वहीं, संचालन विद्यार्थी अमृत प्रकाश ने और आभार प्रदर्शन सहायक प्राध्यापक डॉ. उर्वशी परमार ने किया। इस अवसर पर सभी विभागों के शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। ऑनलाइन माध्यम से खंडवा, रीवा और दतिया परिसर के विद्यार्थी भी आयोजन में शामिल हुए।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।एमओयू पर आईआईएमसी की ओर से महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने हस्ताक्षर किए।
भारतीय भाषाओं में अनुवाद और शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) नई दिल्ली और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के बीच मंगलवार को सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। एमओयू पर आईआईएमसी की ओर से महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने हस्ताक्षर किए।
सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि आईआईएमसी भारतीय भाषाओं के विकास को लेकर सजग है। संस्थान जम्मू और अमरावती परिसर में इसी वर्ष हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है। साथ ही इस वर्ष तीन परिसरों में डिजिटल पत्रकारिता पाठ्यक्रम की शुरुआत भी की जा रही है।
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि आईआईएमसी ने भारतीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकें तैयार करने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की है। इससे मीडिया में भारतीय भाषाओं के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप आईआईएमसी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम आरंभ करने की तैयारी में है।
भारतीय भाषाओं में अनुवाद की आवश्यकता पर जोर देते प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि हिंदी और भारतीय भाषाओं के विद्यार्थियों को उनकी अपनी भाषा में पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए दोनों संस्थान मिलकर प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय है। इस सहमति ज्ञापन के माध्यम से दोनों संस्थान भारतीय भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण मीडिया शिक्षण हेतु ठोस प्रयास करेंगे।
प्रो. शुक्ल ने कहा कि इस सहमति ज्ञापन से दोनों संस्थानों के मीडिया पाठ्यक्रम में एकरूपता लाने के प्रयास भी किए जाएंगे, साथ ही संचार एवं मीडिया शोध से जुड़े विभिन्न विषयों पर भी हम मिलकर काम करेंगे। इस अवसर पर आईआईएमसी के डीन (छात्र कल्याण) प्रो. प्रमोद कुमार ने कहा कि भारतीय जन संचार संस्थान 1965 से लेकर आज तक गुणवत्तापूर्ण मीडिया शिक्षा प्रदान कर रहा है और आईआईएमसी से तैयार पत्रकार देशभर के विभिन्न मीडिया संस्थानों में अग्रणी भूमिकाओं में हैं।
वहीं, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय वर्ष 1997 से हिंदी भाषा के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं के संवर्धन के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में कुल आठ विद्यापीठ हैं, जहां स्नातक और परास्नातक का अध्ययन और शोध कार्य होता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद उनके विश्वविद्यालय को भारतीय जन संचार संस्थान के अनुभवों का लाभ मिलेगा इस अवसर पर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्ल और आईआईएमसी के डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह भी उपस्थित थे।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।बेटे पर लगे आरोपों को लेकर मंत्री ने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम कर रहा है। भरोसा है कि पुलिस गहराई से जांच करेगी और सच्चाई का पता लगाएगी।
राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री महेश जोशी के बेटे रोहित जोशी के खिलाफ एक महिला पत्रकार ने दिल्ली में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीड़िता की शिकायत पर दिल्ली के सदर बाजार थाने में मंत्री के बेटे के खिलाफ जीरो एफआईआर दर्ज हुई है। इस जीरो एफआईआर को दिल्ली पुलिस ने सवाई माधोपुर ट्रांसफर किया है, क्योंकि सबसे पहले युवती के साथ दुष्कर्म सवाई माधोपुर में ही हुआ था। अब सवाईमाधोपुर पुलिस मामले की जांच करेगी। पीड़िता का कहना है कि राजस्थान में यह लोग केस दर्ज नहीं होने देते, इसलिए उसने दिल्ली पुलिस को मामले की शिकायत दी है।
वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीक माने जाने वाले जलदाय मंत्री महेश जोशी ने अपने बेटे पर लगे आरोपों पर कहा कि वह पूरे जीवन सत्य के रास्ते पर चले हैं। इस मामले को लेकर कानून अपना काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘मुझे भरोसा है पुलिस गहराई से जांच करेगी और सच्चाई का पता लगाएगी। मुझे अभी इस मामले में अभी इतना ही कहना है।‘
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, राजस्थान के एक न्यूज चैनल में कार्यरत करीब 23 वर्षीय पीड़िता ने मंत्री के बेटे पर शादी का झांसा देकर करीब तीन महीने पहले दिल्ली के एक होटल में दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है। युवती का आरोप है कि रोहित ने न सिर्फ उसके साथ मारपीट की बल्कि प्रेग्नेंट होने पर जबरन उसका गर्भपात भी करवा दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, युवती का कहना है कि करीब दो साल पहले फेसबुक पर रोहित से उसकी दोस्ती हुई थी। रोहित फेसबुक पर उससे बातचीत करने के दौरान पत्नी से परेशान होने की बात करता था. इसी बीच दोनों की नजदीकियां बढ़ी थीं। इसके बाद दोनों मिलने लगे। आठ जनवरी 2021 को रोहित उसे सवाई माधोपुर स्थित एक दोस्त के घर ले गया और नशीला पदार्थ पिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बेसुध होने पर रोहित ने उसके आपत्तिजनक फोटो भी खींच लिए।
युवती का आरोप है कि 20 अप्रैल 2021 को रोहित उसे जयपुर में एक फार्म हाउस पर ले गया और यहां उसकी मांग में सिंदूर भरकर बोला कि तुम अब मेरी पत्नी बन चुकी हो, जल्द ही शादी समारोह आयोजित करूंगा। इसके बाद वह उसे मनाली ले गया। अगस्त में गर्भवती होने पर जब उसने रोहित को यह जानकारी दी तो वह नाराज हो गया और उससे मारपीट की। युवती के अनुसार, रोहित ने इसके बाद उसका गर्भपात भी करवा दिया। युवती का कहना है कि रोहित से उसकी जान को खतरा है, इसलिए उसने नई दिल्ली के सदर बाजार थाने में मामला दर्ज करवाया है।
पीड़िता ने एफआइआर में कहा कि रोहित अपने मंत्री पिता के नाम पर धमकी देता था और कहता था कि वह उसका हाल भंवरी देवी जैसा करेगा। बता दें कि भंवरी देवी मामला करीब दस साल पहले चर्चा में आया था, जब उसकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले में तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार के मंत्री स्व. महिपाल मदेरणा और कांग्रेस विधायक मलखान बिश्नोई जेल जा चुके हैं। आरोप है कि दोनों के भंवरी के साथ अवैध संबंध थे और फिर उन्होंने ही उसकी हत्या करवाई थी।
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साप्ताहिक राष्ट्रीय पत्रिका ‘पांचजन्य’ (Panchjanya) और ‘ऑर्गनाइजर‘ (Organiser) अपनी यात्रा के पचहत्तर वर्ष पूरे कर रहे हैं। इस अवसर पर इन दोनों साप्ताहिकों की मूल कंपनी ‘भारत प्रकाशन’ (दिल्ली) लिमिटेड ने कैलेंडर वर्ष 2021 में किए गए कार्यों के लिए नौ श्रेणियों में मीडिया पुरस्कारों की घोषणा की है।
ये अवॉर्ड्स 22 मई को दिल्ली में चाणक्यपुरी के डिप्लोमैटिक एंक्लेव स्थित द अशोक होटल में सुबह नौ बजे से रात साढ़े आठ बजे तक होने वाले एक कार्यक्रम में प्रदान किए जाएंगे।
इस योजना के तहत आवेदन करने की तिथि एक मई 2022 से लेकर 15 मई 2022 तक रखी गई है। इन पुरस्कारों के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। इसके अलावा ‘भारत प्रकाशन’ के कार्यालय में हार्ड कॉपी जमा/भेज सकते हैं।
प्रविष्टियों का आकलन करने के लिए जूरी सदस्यों का एक पैनल गठित किया गया है। जूरी में प्रख्यात पत्रकार और शिक्षाविद शामिल हैं। इस संबंध में जूरी का निर्णय अंतिम होगा।
जिन नौ श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। वह इस प्रकार हैं।
हिंदी (प्रिंट, डिजिटल और एवी): यह विशिष्ट पुरस्कार हिंदी भाषा के लिए प्रिंट, डिजिटल और एवी मीडिया से प्रत्येक पत्रकार को प्रदान किया जाएगा, जिसका कवरेज उत्कृष्ट, स्वतंत्रता, गहराई, गुणवत्ता और प्रभाव वाला होगा।
अंग्रेजी (प्रिंट, डिजिटल और एवी): यह विशिष्ट पुरस्कार अंग्रेजी भाषा के लिए प्रिंट, डिजिटल और एवी मीडिया से प्रत्येक पत्रकार को प्रदान किया जाएगा, जिसका कवरेज उत्कृष्ट, स्वतंत्रता, गहराई, गुणवत्ता और प्रभाव वाला होगा।
क्षेत्रीय भाषा (प्रिंट, डिजिटल और एवी): यह विशिष्ट पुरस्कार क्षेत्रीय भाषा के लिए प्रिंट, डिजिटल और एवी मीडिया से प्रत्येक पत्रकार को प्रदान किया जाएगा, जिसका कवरेज उत्कृष्ट, स्वतंत्रता, गहराई, गुणवत्ता और प्रभाव वाला होगा।
पर्यावरण (प्रिंट, डिजिटल और एवी): यह विशिष्ट पुरस्कार जन जागरूकता और पर्यावरण के मुद्दों की समझ को बढ़ावा देने के लिए असाधारण योगदान के लिए किसी भी समाचार पत्र, पत्रिका या टेलीविजन में एक लेख या श्रृंखला के व्यक्ति को प्रदान किया जाएगा।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी (प्रिंट, डिजिटल और एवी): यह विशिष्ट पुरस्कार जन जागरूकता और विज्ञान और प्रौद्योगिकी की समझ को बढ़ावा देने के लिए असाधारण योगदान के लिए किसी भी समाचार पत्र, पत्रिका या टेलीविजन में एक लेख या श्रृंखला के व्यक्ति को प्रदान किया जाएगा।
व्यापार और आर्थिक पत्रकारिता (प्रिंट, डिजिटल और एवी): यह विशिष्ट पुरस्कार उस पत्रकार को प्रदान किया जाएगा जो व्यवसाय या अर्थव्यवस्था के किसी भी पहलू को कवर करते हुए स्वतंत्रता, कठोरता, गहराई और विश्लेषण के उच्चतम मानकों को दर्शाता है।
खेल (प्रिंट, डिजिटल और एवी): यह विशिष्ट पुरस्कार प्रिंट, डिजिटल और एवी मीडिया में प्रत्येक पत्रकार को प्रदान किया जाएगा, जिसका कवरेज नए रास्ते तलाशता है और खेल रिपोर्टिंग में एक नई दिशा पाता है।
कला, संस्कृति और मनोरंजन (प्रिंट, डिजिटल और एवी): यह विशिष्ट पुरस्कार कला, संस्कृति और मनोरंजन पर प्रिंट, डिजिटल और एवी मीडिया में प्रत्येक पत्रकार को प्रदान किया जाएगा, जिसका कवरेज बेहर होगा।
रचनात्मक अभियान के लिए पुरस्कार: यह विशिष्ट पुरस्कार जन जागरूकता और विज्ञान और प्रौद्योगिकी की समझ को बढ़ावा देने के लिए असाधारण योगदान के लिए किसी भी समाचार पत्र, पत्रिका या टेलीविजन में एक लेख या श्रृंखला के व्यक्ति को प्रदान किया जाएगा।
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