बहुत बारीक अंतर से विजेता बनने से चूके आवेदकों को जूरी स्पेशल मेंशन अवार्ड के तहत प्रमाण पत्र और ट्रॉफी से सम्मानित किया गया।
‘आईआईएमसी एलुमनी एसोसिएशन’ (IIMCAA) ने रविवार को इमका अवार्ड्स 2024 के विजेताओं के नाम का ऐलान और सम्मान किया। दिल्ली में आयोजित पुरस्कार समारोह में अनूप पांडेय को ‘जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर’ का पुरस्कार मिला, जिसके तहत उन्हें ट्रॉफी और प्रमाण पत्र के अलावा डेढ़ लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया। कृषि पत्रकारिता का अवार्ड शगुन कपिल को मिला, जिन्हें एक लाख रुपये का पुरस्कार मिला। बाकी विजेताओं को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र के अलावा 50-50 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।
पब्लिशिंग रिपोर्टिंग कैटेगरी में रजत मिश्रा, ब्रॉडकास्ट रिपोर्टिंग में अभिनव गोयल, प्रोड्यूसर में सुरभि सिंह, भारतीय भाषाओं की पब्लिशिंग रिपोर्टिंग में मोहम्मद साबिथ यू एम, भारतीय भाषाओं की ब्रॉडकास्ट रिपोर्टिंग में सतरूपा सामांतरे, विज्ञापन में सारांश जैन, पीआर में शिल्पी सिंह, एड एजेंसी में ओफैक्टर और पीआर एजेंसी में काइजन को विजेता का पुरस्कार मिला।
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इनके अलावा बहुत बारीक अंतर से विजेता बनने से चूके आवेदकों को जूरी स्पेशल मेंशन अवार्ड के तहत प्रमाण पत्र और ट्रॉफी से सम्मानित किया गया। जूरी स्पेशल अवार्ड की जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर कैटेगरी में अभिषेक अंगद, ऋत्विका मित्रा, आशुतोष मिश्रा, मनीष मिश्रा और निधि तिवारी, कृषि पत्रकारिता में दिवाश गहटराज, ब्रॉडकास्ट रिपोर्टिंग में परिमल कुमार और विष्णुकांत तिवारी, प्रोड्यूसर में रोहन कथपालिया, पीआर में सुप्रिया सुंद्रियाल और निखिल स्वामी को पुरस्कार मिला।
समारोह में पीआईबी के पूर्व प्रमुख महानिदेशक कुलदीप सिंह धतवालिया, एडीजी राज कुमार, दिल्ली सरकार के विशेष आयुक्त सुशील सिंह, भारत अमेरिका व्यापार परिषद के एमडी राहुल शर्मा, पत्रकार प्रो. गोविंद सिंह, नीलेश मिसरा, रूपा झा, अपर्णा द्विवेदी, लोला नायर, ज्ञानेश्वर, नितिन प्रधान, राजेश प्रियदर्शी, प्रभाष झा, आलोक कुमार, प्रियदर्शन, अनुपम श्रीवास्तव, सुमित अवस्थी, मनोज मलयानिल, प्रमोद चौहान, मिहिर रंजन, प्रसाद सान्याल, मनोज रूरकीवाल, हरवीर सिंह, एसपी सिंह, शिशिर सिन्हा, ओमप्रकाश, पीआर विशेषज्ञ समीर कपूर, हर्षेंद्र वर्धन, मार्केटिंग विशेषज्ञ श्रुति जैन, कल्याण रंजन, रोहित दुबे, सोनिया सरीन समेत अन्य लोग मौजूद रहे। इनमें ज्यादातर विजेता चुनने वाली जूरी का हिस्सा थे।
समरोह की अध्यक्षता इमका अध्यक्ष सिमरत गुलाटी ने की जबकि संचालन कार्यकारी अध्यक्ष गायत्री श्रीवास्तव ने किया। अवार्ड के ऑडिटर उन्नी राजन शंकर, संयोजक विनीत हांडा, समन्वयिका पूजा मिश्रा और महासचिव दीक्षा सक्सेना ने समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
इमका अवॉर्ड्स के विजेताओं की लिस्ट आप यहां देख सकते हैं।
Journalist of the Year – Mr. Anup Pandey
Agriculture Reporter of the Year – Ms. Shagun Kapil
Reporter of the Year (Publishing) – Mr. Rajat Mishra
Reporter of the Year (Broadcast) – Mr. Abhinav Goel
Producer of the Year (Broadcast) – Mr. Surabhi Singh
Indian Language Reporter of the Year (Publishing) - Muhammad Sabith U M
Indian Language Reporter of the Year (Broadcast) – Ms. Shatarupa Samantaraya
Ad Person of the Year – Mr. Saransh Jain
PR Person of the Year – Ms. Shillpi A Singh
Ad Agency of the Year - Ofactor
PR Agency of the Year – Kaizzen
JURY SPECIAL MENTION
Journalist of the Year – Mr. Abhishek Angad
Journalist of the Year – Ms. Ritwika Mitra
Journalist of the Year – Mr. Ashutosh Mishra
Journalist of the Year – Mr. Manish Mishra
Journalist of the Year – Ms. Nidhi Tiwary
Agriculture Reporter of the Year – Mr. Diwash Gahatraj
Reporter of the Year (Broadcast) – Mr. Parimal Kumar
Reporter of the Year (Broadcast) – Mr. Vishnukant Tiwari
Producer of the Year (Broadcast) - Mr. Rohan Kathpalia
PR Person of the Year – Ms. Supriya Sundriyal
PR Person of the Year – Mr. Nikhil Swami
वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार बिभुरंजन सरकार का निधन हो गया। उनका शव शुक्रवार दोपहर ढाका के मुंशीगंज के गजारिया उपजिला के चर बलाकी के पास मेघना नदी से बरामद किया गया।
वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार बिभुरंजन सरकार का निधन हो गया। उनका शव शुक्रवार दोपहर ढाका के मुंशीगंज के गजारिया उपजिला के चर बलाकी के पास मेघना नदी से बरामद किया गया। यह घटना उनके गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज होने के एक दिन बाद हुई।
पुलिस ने पुष्टि की कि शव नदी में तैरता हुआ मिला था, जिसे लगभग 3:45 बजे कलागाछिया रिवर पुलिस आउटपोस्ट के अधिकारियों ने बरामद किया और बाद में पोस्टमार्टम के लिए मुंशीगंज जनरल अस्पताल के मुर्दाघर भेजा गया। परिजनों ने शव की पहचान कर ली है।
71 वर्षीय सरकार बांग्ला दैनिक आजकेर पत्रिका में सीनियर एडिटर के रूप में कार्यरत थे। वह गुरुवार सुबह अपने सिद्देश्वरी निवास से बनस्री स्थित कार्यालय जाने के लिए निकले थे, लेकिन वहां कभी नहीं पहुंचे। उसी सुबह लगभग 9:15 बजे उन्होंने bdnews24.com को “खोला चिठी” (ओपन लेटर) शीर्षक से एक लेख ईमेल किया, जिसके साथ उन्होंने एक मार्मिक टिप्पणी लिखी, “आप इसे मेरी अंतिम रचना के रूप में प्रकाशित कर सकते हैं।” यह लेख बाद में पोर्टल के विचार अनुभाग में प्रकाशित किया गया।
पत्र में सरकार ने अपने जीवनभर के संघर्षों पर विचार किया था, जिनमें उनके और उनके बेटे की पुरानी बीमारियां, बेटी के करियर में आई बाधाएं, बीयूईटी से स्नातक करने के बावजूद बेटे को नौकरी न मिलना और परिवार पर बढ़ता वित्तीय दबाव शामिल था। उन्होंने अपने पांच दशक लंबे करियर को भी याद किया, जिसकी शुरुआत उन्होंने बतौर दैनिक आजाद के स्कूली संवाददाता के रूप में की थी। वर्षों के दौरान उन्होंने संगबाद और रुपाली में काम किया और दैनिक मातृभूमि और चलतिपत्र में संपादकीय भूमिकाएं निभाईं। वह मृदुभाषण के कार्यकारी संपादक रहे और 1980 के दशक में एंटी-एरशाद आंदोलन के दौरान “तारिक इब्राहिम” के नाम से कॉलम लिखते थे।
सरकार की अचानक मौत ने बांग्लादेश की मीडिया बिरादरी को झकझोर दिया है। सहकर्मियों और पाठकों ने पत्रकारिता में एक निडर आवाज के खोने पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर की निंदा करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर की निंदा करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है और इसकी तत्काल वापसी की मांग की है।
22 अगस्त 2025 को जारी एक बयान में क्लब ने कहा कि इस मामले में शर्मा पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने “निर्वाचित सरकारों को बदनाम करने की दुर्भावनापूर्ण मंशा” से टिप्पणी की, साम्प्रदायिक भावनाएं भड़काईं और राष्ट्रीय अखंडता को खतरे में डाला। एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 152 के तहत राजद्रोह का प्रावधान लगाया गया है, साथ ही धारा 196 और 197 के तहत वैमनस्य फैलाने और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ आरोप लगाने से संबंधित धाराएं भी शामिल की गई हैं।
प्रेस क्लब के अध्यक्ष गौतम लहरी और महासचिव नीरज ठाकुर द्वारा हस्ताक्षरित इस बयान में उल्लेख किया गया कि असम पुलिस की यह कार्रवाई ऐसे समय हुई है जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने द वायर के संपादकों सिद्धार्थ वरदराजन और करन थापर को इसी तरह के एक मामले में धारा 152 के तहत गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी। क्लब ने कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि असम पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसी तरह के मामले में दिए गए निर्देशों को संज्ञान में नहीं लिया… यह कार्रवाई असहिष्णुता और प्रेस स्वतंत्रता के प्रति बेहद कम सम्मान को दर्शाती है।”
प्रेस क्लब ने इस महीने की एक और घटना की ओर भी ध्यान आकर्षित किया जिसमें वरिष्ठ पत्रकार और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सचिव रूबेन बनर्जी शामिल थे। उनका ओड़िया भाषा का यूट्यूब चैनल Mu Ruben Kahuchhi बिना पूर्व सूचना के हटा दिया गया। प्लेटफॉर्म ने “सर्कम्वेंशन पॉलिसी” उल्लंघन का हवाला दिया, लेकिन रूबेन बनर्जी और उनके वकीलों की सभी अपीलों को बिना कोई स्पष्टीकरण दिए खारिज कर दिया।
इन दोनों मामलों को “असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले के स्पष्ट उदाहरण” बताते हुए प्रेस क्लब ने मीडिया संगठनों से एकजुट होकर विरोध दर्ज कराने और भारत में प्रेस स्वतंत्रता की रक्षा के संघर्ष को जारी रखने की अपील की है।
वरिष्ठ पत्रकार और एडिटर्स गिल्ड के महासचिव रूबेन बनर्जी के यूट्यूब चैनल ‘Mu Ruben Kahuchhi’ को यूट्यूब ने बंद कर दिया है।
देश में संपादकों की सबसे बड़ी संस्था ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (ईजीआई) ने वरिष्ठ पत्रकार व गिल्ड के महासचिव रूबेन बनर्जी के यूट्यूब चैनल ‘Mu Ruben Kahuchhi’ (जिसका मतलब है – ‘मैं रूबेन बोल रहा हूं’) को अचानक हटाए जाने पर गहरी चिंता जताई है।
बताया जा रहा है कि यूट्यूब ने बिना किसी पूर्व चेतावनी या जानकारी दिए चैनल को हटा दिया। रूबेन बनर्जी को 4 अगस्त को बताया गया कि उनका चैनल यूट्यूब की ‘Circumvention Policy’ का उल्लंघन करने के चलते बंद किया गया है।
एडिटर्स गिल्ड की ओर से जारी स्टेटमेंट में कहा गया है कि यह कार्रवाई बिना किसी स्ट्राइक, नोटिस या जवाब देने का मौका दिए की गई। गिल्ड ने यूट्यूब से मांग की है कि चैनल को तुरंत बहाल किया जाए और इसे हटाए जाने की वजह साफ-साफ बताई जाए।
Statement On the Abrupt Removal of Mr Ruben Banerjee’s Channel by YouTube@YouTubeIndia @GoI_MeitY @MIB_India @AshwiniVaishnaw @internetfreedom @Rubenbanerjee pic.twitter.com/RlAW4w0dHl
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) August 20, 2025
बता दें कि उड़िया भाषा में चलने वाला यूट्यूब चैनल सितंबर 2024 में शुरू हुआ था। इसमें जनहित से जुड़े मुद्दों जैसे- सामाजिक कल्याण, शिक्षा, महिला स्व-सहायता समूह और ओडिशा की राजनीति को कवर किया जाता था। इस यूट्यूब चैनल के 33,000 से ज्यादा सब्सक्राइबर थे और हाल ही में इसमें कुछ राजनीतिक नेताओं की आलोचनात्मक टिप्पणी भी दिखाई गई थी।
रूबेन बनर्जी इससे पहले ‘आउटलुक’ के ग्रुप एडिटर-इन-चीफ रह चुके हैं। वह ‘द इंडियन एक्सप्रेस’, ‘अल जजीरा’ और ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संगठनों से भी जुड़े रहे हैं।
‘इंडिया टुडे’ ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी स्वर्गीय रमेश प्रकाश के जीवन और योगदान को समर्पित उनकी जीवनी प्रधान पुस्तक ‘तन समर्पित, मन समर्पित’ के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं।
‘इंडिया टुडे’ (India Today) ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (आरएसएस) की कोर लीडरशिप में महिलाओं की मजबूत भागीदारी की वकालत की है।
वह 18 अगस्त को नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में स्वर्गीय रमेश प्रकाश के जीवन और योगदान को समर्पित उनकी जीवनी प्रधान पुस्तक ‘तन समर्पित, मन समर्पित’ के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। यह पुस्तक सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता और स्वर्गीय रमेश प्रकाश की पत्नी श्रीमती आशा शर्मा की गरिमामयी मौजूदगी में कली पुरी का कहना था कि भ्रष्टाचार को जीवनशैली के सामान्य हिस्से के रूप में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने आरएसएस के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए संगठन की सादगी, अनुशासन और दीर्घकालिक योजनाओं के प्रति अद्भुत क्षमता की सराहना की। उन्होंने‘पंच परिवर्तन’ दृष्टिकोण का ज़िक्र किया और इंडिया टुडे के‘ग्रॉस डोमेस्टिक बिहेवियर (GDB) नामक पहल की जानकारी दी, जो नागरिक अनुशासन, समावेशिता, लैंगिक समानता और भ्रष्टाचार जैसे मूल्यों के प्रति समाज के दृष्टिकोण को मापती है।
इसके साथ ही इस पुस्तक की सराहना करते हुए कली पुरी का कहना था यह राष्ट्र निर्माण में व्यक्तिगत त्याग के महत्त्व की समयोचित याद दिलाती है और पंच परिवर्तन के विचार के महत्त्व पर भी प्रकाश डालती है। यह पुस्तक रमेश प्रकाश जी की अथक यात्रा को दर्शाती है, जिनका जीवन निस्वार्थ सेवा, सामाजिक कल्याण और राष्ट्रीय उत्थान के लिए समर्पित था।
कली पुरी का कहना था, ‘प्रकाश जी सत्यनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ, अनुशासित तो थे ही, वे त्याग और देशभक्ति के उन आदर्शों के प्रतीक थे, जिन्हें आरएसएस ने सदैव पोषित किया है। सामुदायिक विकास और युवा लामबंदी से लेकर सांस्कृतिक संरक्षण और राष्ट्र निर्माण के प्रयासों तक, उनका कार्य पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।’
वहीं, मोहन भागवत का कहना था कि समाज में बदलाव तभी आएगा जब स्वयंसेवक के जीवन में बदलाव आएगा। केवल ज्ञान से परिवर्तन संभव नहीं है। उसके लिए अनुशासन, उदाहरण और अभ्यास आवश्यक है।
आरएसएस में महिलाओं की भागीदारी पर उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘जहां-जहां स्वयंसेवक हैं, वहां महिलाएं भी साथ होती हैं। महिलाओं के लिए वर्ष 1936 में शुरू की गई 'राष्ट्र सेविका समिति' एक समानांतर संगठन के रूप में कार्य करती है।’
इसके साथ ही उनका कहना था कि कई क्षेत्रों में महिलाएं निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा होती हैं, कोर बैठकों में आमंत्रित की जाती हैं और उनके सुझावों को स्वीकार भी किया जाता है। समाज का पचास प्रतिशत हिस्सा बाहर नहीं रखा जा सकता।
भागवत ने यह भी जोड़ा कि अलग-अलग राज्यों में प्रक्रियाएं भिन्न हो सकती हैं, लेकिन यही संघ की लचीलापन और विकासशील प्रकृति को दर्शाता है। उन्होंने संतुलन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि राष्ट्र सेवा कभी भी पारिवारिक दायित्वों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं, विरोधाभासी नहीं।
उत्तर प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए एक अहम पहल की है।
उत्तर प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए एक अहम पहल की है। राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (साचीव) के सहयोग से पत्रकारों को आयुष्मान कार्ड जारी करने और उनके संशोधन के लिए विशेष शिविर का आयोजन किया जाएगा। यह शिविर 21 और 22 अगस्त, 2025 को जिला स्तर पर आयोजित होगा।
जारी आदेश के अनुसार, जनपद स्तर पर संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि मान्यता प्राप्त पत्रकारों को इस शिविर की जानकारी दी जाए ताकि वे समय पर अपना व परिजनों का आयुष्मान कार्ड बनवा सकें या संशोधित करा सकें।
बता दें कि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत पत्रकार और उनके परिजन 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क उपचार लाभ प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें आयुष्मान कार्ड बनवाना आवश्यक है। विशेष शिविर में इसके लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
ESPN इंडिया के पहले सीईओ आर.के. सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं रहे। सिन्हा ESPN स्टार स्पोर्ट्स के भी सीईओ रहे थे।
ESPN इंडिया के पहले सीईओ आर.के. सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं रहे। सिन्हा ESPN स्टार स्पोर्ट्स के भी सीईओ रहे थे। उन्हें पेड टेलीविजन के शुरुआती दौर में दिशा देने का श्रेय दिया जाता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका 15 अगस्त को निधन हो गया। उनकी उम्र 75 वर्ष थी। इंडस्ट्री के वरिष्ठ लोगों ने आर.के. सिन्हा को भारतीय प्रसारण जगत के अग्रदूत के तौर पर याद किया, जिनकी दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता ने देश के टेलीविजन परिदृश्य को आकार दिया।
ICC के चीफ कमर्शियल ऑफिसर अनुराग दहिया ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, आर.के. सिन्हा किसी भी मायने में ‘टिपिकल ब्यूरोक्रेट’ जैसे बिल्कुल भी नहीं थे। उन्होंने डीडी-मेट्रो की परिकल्पना की और उसे लॉन्च किया। यह एक गतिशील, शहर-केंद्रित सेवा थी जिसने 1980 के दशक में भारतीय प्रसारण को नए तरह के मनोरंजन कार्यक्रमों की लहर के साथ बदल दिया।"
EQT के सीनियर एडवाइजर, पूर्व सीईओ आईसीसी, बोर्ड मेंबर मैनचेस्टर यूनाइटेड और पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्स मनु सॉहनी ने लिखा, "भारतीय खेल और मीडिया इंडस्ट्री के शुरुआती दिनों से ही वे इसके सच्चे अग्रणी और प्रबल समर्थक रहे। उन्होंने मुझे खेल और मीडिया इंडस्ट्री में पहला मौका दिया था और उनके साथ ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्स की स्थापना करना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी। भारतीय प्रसारण उद्योग पर उनके प्रभाव को लंबे समय तक याद किया जाएगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। आर.के. को श्रद्धांजलि और उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं।"
हाउस ऑफ IPs और हाउस ऑफ चीयर नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर राज नायक ने कहा, "ESPN स्टार स्पोर्ट्स में ऐड सेल्स हेड के रूप में काम करते समय मुझे आर.के. के साथ करीब से काम करने का सौभाग्य मिला। वे एक बेहतरीन इंसान और सच्चे सज्जन थे। उनकी पत्नी अनु और पूरे परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।"
वित्तीय वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत के मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर में मिला-जुला प्रदर्शन देखने को मिला।
अदिति गुप्ता, असिसटेंट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।
वित्तीय वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत के मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर में मिला-जुला प्रदर्शन देखने को मिला। ब्रॉडकास्ट कंपनियों ने राजस्व दबाव के बावजूद बड़े पैमाने पर मुनाफा बढ़ाया है, प्रिंट सेक्टर का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा, जबकि डीटीएच कारोबार लगातार घटती आय और बढ़ते घाटे से जूझता रहा।
ब्रॉडकास्ट सेक्टर में रिलायंस इंडस्ट्रीज की मीडिया और एंटरटेनमेंट इकाई जियोस्टार सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली कंपनी रही। अपने पहले ही Q1 नतीजों में कंपनी ने ₹581 करोड़ का मुनाफा कमाया, जबकि आय ₹11,222 करोड़ रही। कंपनी ने इसका श्रेय IPL 2025 सीजन की सफलता को दिया, जिसने टीवी और डिजिटल दोनों प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से ग्रोथ दिलाई।
नेटवर्क18 ने भी शानदार वापसी की। Q1 FY25 में ₹195 करोड़ के घाटे से Q1 FY26 में कंपनी ₹149 करोड़ के मुनाफे में आ गई, जो 176% का सुधार है। हालांकि, कंपनी की आय 15% घटकर ₹478 करोड़ रह गई। कंपनी के बयान के अनुसार, पिछली तिमाही में चुनाव-सम्बंधी विज्ञापनों का योगदान अधिक था, जिससे इस साल की तुलना में राजस्व कम रहा। इसके अलावा, कमजोर उपभोक्ता मांग और खेल आयोजनों से भरी तिमाही के कारण विज्ञापन माहौल नरम रहा। टीवी न्यूज इंडस्ट्री में विज्ञापन इन्वेंटरी की खपत साल-दर-साल आधार पर 20% से अधिक घटी, जो इस सेगमेंट की चुनौतियों को दर्शाता है।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) का मुनाफा 21% बढ़कर ₹143 करोड़ हो गया, लेकिन राजस्व 14% घटकर ₹1,850 करोड़ रह गया। इसका कारण विज्ञापन, सब्सक्रिप्शन और अन्य स्रोतों से होने वाली आय में तेज गिरावट रहा। FY26 की शुरुआत कंपनी के लिए चुनौतीपूर्ण रही, क्योंकि विज्ञापन माहौल में सुस्ती, FMCG सेक्टर का कम खर्च और लंबा खेल कैलेंडर, जून तिमाही की आय पर भारी पड़ा। हालांकि, अनुशासित लागत प्रबंधन की बदौलत कंपनी ने शुद्ध मुनाफे में 21% की वृद्धि दर्ज की।
सन टीवी की आय 1.28% बढ़कर ₹1,479 करोड़ रही, लेकिन मुनाफा 5.4% घटकर ₹529 करोड़ रह गया। Q1 FY26 में विज्ञापन से आय ₹289.94 करोड़ रही, जो पिछले साल की समान तिमाही के ₹323.77 करोड़ से कम है, यह विज्ञापन माहौल में लगातार कमजोरी को दिखाता है।
एनडीटीवी का घाटा 48% बढ़कर ₹70.6 करोड़ हो गया, हालांकि राजस्व 15% बढ़कर ₹112.5 करोड़ रहा। टीवी टुडे को सबसे बड़ा झटका लगा, जहां मुनाफा 85% गिरकर ₹7.35 करोड़ रह गया और राजस्व 34% घटकर ₹207.8 करोड़ पर आ गया।
प्रिंट सेक्टर ने Q1 FY26 में मिश्रित तस्वीर पेश की। एचटी मीडिया ने अपना घाटा 60% घटाकर ₹11 करोड़ कर लिया, जो Q1 FY25 में ₹28 करोड़ था। यह सुधार 6% की राजस्व वृद्धि (₹451 करोड़) से मिला। दूसरी ओर, डीबी कॉर्प का मुनाफा 31% घटकर ₹80.8 करोड़ रह गया, जबकि आय भी 4.7% घटकर ₹587 करोड़ हो गई। इसका मतलब है कि विज्ञापन और सर्कुलेशन, दोनों में दबाव रहा। जागरण प्रकाशन ने प्रिंट सेगमेंट में बढ़त बनाई, जहां मुनाफा 63% बढ़कर ₹66.76 करोड़ और आय 14.3% बढ़कर ₹442 करोड़ हो गई। यह मजबूती विज्ञापन बिक्री में वृद्धि और संचालन में दक्षता से आई।
डीटीएच सेगमेंट मीडिया इकोसिस्टम का सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाला हिस्सा बना रहा। डिश टीवी की आय 28% घटकर ₹329.4 करोड़ रह गई, जबकि घाटा Q1 FY25 के ₹1.6 करोड़ से बढ़कर Q1 FY26 में ₹94.5 करोड़ हो गया, यानी करीब 58 गुना इजाफा। भारती एयरटेल के डीटीएच बिजनेस की आय 2% घटकर ₹762.8 करोड़ रही। हालांकि मुनाफे के आंकड़े सामने नहीं आए, लेकिन आय में मामूली गिरावट बताती है कि इसका प्रदर्शन डिश टीवी जितना खराब नहीं रहा।
कुल मिलाकर, Q1 FY26 भारत के मीडिया उद्योग की बदलती तस्वीर को दर्शाता है। ब्रॉडकास्ट कंपनियों ने राजस्व चुनौतियों के बावजूद मार्जिन सुधारने के तरीके खोज लिए हैं, जिसमें जियोस्टार, नेटवर्क18 और ZEEL ने उल्लेखनीय लाभ कमाया। प्रिंट सेगमेंट अब भी विरोधाभासी रफ्तार पर है, जहां जागरण तेजी से आगे बढ़ रहा है, डीबी कॉर्प संघर्ष में है और एचटी मीडिया सुधार की दिशा में काम कर रहा है। डीटीएच कारोबार के सामने सबसे कठिन चुनौती है, क्योंकि ‘कॉर्ड-कटिंग’ और ओटीटी सेवाओं के तेजी से बढ़ते उपयोग से इसके सब्सक्राइबर और राजस्व लगातार घट रहे हैं।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने प्रेम भाटिया पत्रकारिता पुरस्कार और स्मृति व्याख्यान 2025 का आयोजन किया, जो भारतीय पत्रकारिता में उत्कृष्ट कार्य को सम्मानित करने की दिशा में एक नया अध्याय है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने प्रेम भाटिया पत्रकारिता पुरस्कार और स्मृति व्याख्यान 2025 का आयोजन किया, जो भारतीय पत्रकारिता में उत्कृष्ट कार्य को सम्मानित करने की दिशा में एक नया अध्याय है। यह कार्यक्रम 11 अगस्त को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सी.डी. देशमुख सभागार में हुआ, जिसमें देश के प्रमुख संपादक, पत्रकार और जनबुद्धिजीवी शामिल हुए।
इस वर्ष का पर्यावरण पत्रकारिता पुरस्कार केरल के स्वतंत्र पत्रकार जेफ जोसेफ पॉल कडिचीनी (Jeff Joseph Paul Kadicheeni) को दिया गया। चयन समिति में रामी छाबड़ा (अध्यक्ष), पी. साईनाथ (सह-अध्यक्ष) और सुजाता मधोक (विशिष्ट सदस्य) शामिल थे।
जेफ जोसेफ पॉल को केरल के इलायची हिल रिजर्व में उगाई जाने वाली इलायची की फसल पर कीटनाशकों के दुष्प्रभावों पर उनकी गहन और वैज्ञानिक रिपोर्टिंग के लिए सम्मानित किया गया। यह इलाका देश में शायद एकमात्र ऐसा स्थान है जहां इलायची एकमात्र फसल के रूप में उगाई जाती है। उनकी लगातार और प्रभावशाली पत्रकारिता ने पर्यावरण और जलवायु से जुड़े गंभीर मुद्दों को व्यापक स्तर पर उजागर किया।
राजनीतिक पत्रकारिता पुरस्कार पार्थ एमएन को मिला, जो विभिन्न न्यूज वेबसाइट्स के लिए स्वतंत्र पत्रकारिता करते हैं। चयन समिति में सीमा मुस्तफा (अध्यक्ष), आर. राजगोपाल और स्मिता गुप्ता (विशिष्ट सदस्य) शामिल थे।
पार्थ एमएन को अल्पसंख्यकों- विशेषकर मुसलमानों, ईसाइयों और आदिवासी समुदायों पर बहुसंख्यक हिंसा की गहन और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए सम्मानित किया गया। उनकी पत्रकारिता ने शासन, नीतियों, चुनाव और जन-जवाबदेही से जुड़े अहम मुद्दों को उजागर कर लोकतंत्र को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।
मुख्य अतिथि, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने दोनों विजेताओं को 1.5 लाख रुपये की राशि, ट्रॉफी, प्रशस्ति-पत्र और प्रमाणपत्र प्रदान किया। उन्होंने “न्यायपालिका और मीडिया: साझा सिद्धांत- समानताएं और भिन्नताएं” विषय पर प्रेम भाटिया स्मृति व्याख्यान भी दिया।
जस्टिस खन्ना ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा में न्यायपालिका और मीडिया की साझा जिम्मेदारी है और इन दोनों संस्थानों को “निष्पक्ष और निडर” रहकर जनता का भरोसा बनाए रखना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि ये संस्थाएं अपनी वैधता चुनाव से नहीं, बल्कि जन-विश्वास से पाती हैं।
उन्होंने “विषाक्त खबरों” से सावधान रहने की सलाह दी, यानी ऐसी खबरें, जो पूर्वाग्रह, पक्षपात या ध्रुवीकरण से प्रभावित हो। उन्होंने कहा कि मीडिया को सम्मानजनक भाषा, संतुलित दृष्टिकोण और विचारों के स्वस्थ आदान-प्रदान को बढ़ावा देना चाहिए। अदालत और न्यूजरूम की तुलना करते हुए उन्होंने कहा, “अगर तथ्य गलत या अधूरे हैं तो निर्णय भी त्रुटिपूर्ण होगा।”
जस्टिस खन्ना ने सोशल मीडिया से आने वाली चुनौतियों पर भी चर्चा की, जैसे गहराई से सोचने की क्षमता में कमी, ध्रुवीकृत बहसें और एल्गोरिदम-आधारित कंटेंट के कारण अल्पसंख्यक विचारों का हाशिये पर जाना। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पहुंच तो बढ़ाता है, लेकिन अक्सर संवाद के बजाय आक्रोश को बढ़ावा देता है।
उन्होंने जोर दिया, “बहस का उद्देश्य लोगों में एक-दूसरे के दृष्टिकोण को सुनने, समझने और स्वीकारने की क्षमता विकसित करना होना चाहिए, न कि सक्रिय विवादों में आग में घी डालना। नागरिकों की गरिमा का सम्मान अनिवार्य है। लगातार विषाक्त माहौल दिमाग को संकीर्ण कर देता है और लोकतंत्र की विश्वसनीयता और वैध शासन क्षमता को कमजोर करता है।”
जस्टिस सी.वी. कार्तिकेयन ने धोनी के साक्ष्य दर्ज करने के लिए एक एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया है, जो 20 अक्टूबर से 10 दिसंबर 2025 के बीच किसी उपयुक्त स्थान पर यह कार्य करेंगे।
मद्रास हाईकोर्ट ने पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की 2014 में दायर मानहानि याचिका पर ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया है। यह मामला 2013 के आईपीएल सट्टेबाजी घोटाले से जुड़ी उन कथित खबरों से संबंधित है, जिनमें धोनी का नाम जोड़े जाने पर उन्होंने आपत्ति जताई थी। याचिका में धोनी ने मीडिया संस्थानों और उनके प्रतिनिधियों के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की थी, साथ ही ₹100 करोड़ रुपये का हर्जाना भी मांगा था।
जस्टिस सी.वी. कार्तिकेयन ने धोनी के साक्ष्य दर्ज करने के लिए एक एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया है, जो 20 अक्टूबर से 10 दिसंबर 2025 के बीच किसी उपयुक्त स्थान पर यह कार्य करेंगे। अदालत का मानना है कि धोनी की अदालत में व्यक्तिगत उपस्थिति से अव्यवस्था फैल सकती है, इसलिए यह प्रक्रिया कोर्ट के बाहर तय स्थान पर होगी।
धोनी के वकील ने न्यायालय को पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है। धोनी ने यह याचिका ज़ी मीडिया कॉर्पोरेशन, सुधीर चौधरी (एडिटर एवं बिजनेस हेड, ज़ी न्यूज़), पूर्व आईपीएस अधिकारी जी. संपथ कुमार और न्यूज़ नेशन नेटवर्क प्रा. लि. के खिलाफ दायर की थी। धोनी का आरोप है कि इन संस्थानों और व्यक्तियों ने बिना किसी ठोस सबूत के उन्हें सट्टेबाजी प्रकरण से जोड़ा, जिससे उनकी छवि को गंभीर क्षति पहुँची।
पाञ्चजन्य ने इस पहल के माध्यम से विभाजन के उस सच को सामने लाने की कोशिश की है, जिसे लंबे समय तक दबा दिया गया था। डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए पाठक पाञ्चजन्य की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।
राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य इन दिनों भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान हुए हिंदुओं और सिखों के नरसंहार की दर्दनाक कहानियों पर आधारित एक विशेष सीरीज़ चला रही है। इस सीरीज़ का नाम है ‘विभाजन-विभीषिका’, जिसे पत्रिका के संपादक हितेश शंकर के मार्गदर्शन में प्रकाशित किया जा रहा है।
‘विभाजन-विभीषिका’ में उन सच्ची कहानियों को जगह दी गई है, जो दशकों तक मुख्यधारा की मीडिया और इतिहास के पन्नों से दूर रहीं। पाञ्चजन्य की टीम ने इन घटनाओं को संकलित करने के लिए उन हिंदुओं और सिखों का साक्षात्कार किया है, जिन्होंने 1947 के विभाजन के दौरान अपने परिजनों, घरों और जीवन की असंख्य स्मृतियों को खोया।
यह सीरीज़ उन पीड़ितों और प्रत्यक्षदर्शियों की आपबीती है, जिन्होंने अपनी आंखों के सामने धर्म के आधार पर हुए उस नरसंहार को देखा जिसमें 20 लाख से अधिक हिंदुओं और सिखों की हत्या हुई थी। कई लोगों ने बताया कि कैसे उन्होंने अमानवीय घटनाओं, हिंसा, बलात्कार और मजबूरन पलायन का सामना किया।
पाञ्चजन्य का यह प्रयास केवल घटनाओं को दर्ज करने भर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पाठकों के लिए साक्षात्कार के वीडियो और विभाजन पर आधारित पत्रिका की डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी उपलब्ध कराई गई है। इस सीरीज़ को पढ़ते समय पाठक न सिर्फ शब्दों में दर्ज दर्द महसूस करेंगे, बल्कि उन चेहरों और आवाज़ों से भी रूबरू होंगे जो इस त्रासदी के जीवित साक्षी हैं।
पाञ्चजन्य ने इस पहल के माध्यम से विभाजन के उस सच को सामने लाने की कोशिश की है, जिसे लंबे समय तक दबा दिया गया था। सीरीज़ को पढ़ने और डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए पाठक पाञ्चजन्य की आधिकारिक वेबसाइट panchjanya.com पर जा सकते हैं।