बहुत बारीक अंतर से विजेता बनने से चूके आवेदकों को जूरी स्पेशल मेंशन अवार्ड के तहत प्रमाण पत्र और ट्रॉफी से सम्मानित किया गया।
by
समाचार4मीडिया ब्यूरो
‘आईआईएमसी एलुमनी एसोसिएशन’ (IIMCAA) ने रविवार को इमका अवार्ड्स 2024 के विजेताओं के नाम का ऐलान और सम्मान किया। दिल्ली में आयोजित पुरस्कार समारोह में अनूप पांडेय को ‘जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर’ का पुरस्कार मिला, जिसके तहत उन्हें ट्रॉफी और प्रमाण पत्र के अलावा डेढ़ लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया। कृषि पत्रकारिता का अवार्ड शगुन कपिल को मिला, जिन्हें एक लाख रुपये का पुरस्कार मिला। बाकी विजेताओं को ट्रॉफी और प्रमाण पत्र के अलावा 50-50 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।

पब्लिशिंग रिपोर्टिंग कैटेगरी में रजत मिश्रा, ब्रॉडकास्ट रिपोर्टिंग में अभिनव गोयल, प्रोड्यूसर में सुरभि सिंह, भारतीय भाषाओं की पब्लिशिंग रिपोर्टिंग में मोहम्मद साबिथ यू एम, भारतीय भाषाओं की ब्रॉडकास्ट रिपोर्टिंग में सतरूपा सामांतरे, विज्ञापन में सारांश जैन, पीआर में शिल्पी सिंह, एड एजेंसी में ओफैक्टर और पीआर एजेंसी में काइजन को विजेता का पुरस्कार मिला।
यह भी पढ़ें: दिल्ली में हुआ ‘इमका अवार्ड्स 2024’ का शानदार आयोजन, यहां देखें कार्यक्रम की झलकियां
इनके अलावा बहुत बारीक अंतर से विजेता बनने से चूके आवेदकों को जूरी स्पेशल मेंशन अवार्ड के तहत प्रमाण पत्र और ट्रॉफी से सम्मानित किया गया। जूरी स्पेशल अवार्ड की जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर कैटेगरी में अभिषेक अंगद, ऋत्विका मित्रा, आशुतोष मिश्रा, मनीष मिश्रा और निधि तिवारी, कृषि पत्रकारिता में दिवाश गहटराज, ब्रॉडकास्ट रिपोर्टिंग में परिमल कुमार और विष्णुकांत तिवारी, प्रोड्यूसर में रोहन कथपालिया, पीआर में सुप्रिया सुंद्रियाल और निखिल स्वामी को पुरस्कार मिला।
समारोह में पीआईबी के पूर्व प्रमुख महानिदेशक कुलदीप सिंह धतवालिया, एडीजी राज कुमार, दिल्ली सरकार के विशेष आयुक्त सुशील सिंह, भारत अमेरिका व्यापार परिषद के एमडी राहुल शर्मा, पत्रकार प्रो. गोविंद सिंह, नीलेश मिसरा, रूपा झा, अपर्णा द्विवेदी, लोला नायर, ज्ञानेश्वर, नितिन प्रधान, राजेश प्रियदर्शी, प्रभाष झा, आलोक कुमार, प्रियदर्शन, अनुपम श्रीवास्तव, सुमित अवस्थी, मनोज मलयानिल, प्रमोद चौहान, मिहिर रंजन, प्रसाद सान्याल, मनोज रूरकीवाल, हरवीर सिंह, एसपी सिंह, शिशिर सिन्हा, ओमप्रकाश, पीआर विशेषज्ञ समीर कपूर, हर्षेंद्र वर्धन, मार्केटिंग विशेषज्ञ श्रुति जैन, कल्याण रंजन, रोहित दुबे, सोनिया सरीन समेत अन्य लोग मौजूद रहे। इनमें ज्यादातर विजेता चुनने वाली जूरी का हिस्सा थे।
समरोह की अध्यक्षता इमका अध्यक्ष सिमरत गुलाटी ने की जबकि संचालन कार्यकारी अध्यक्ष गायत्री श्रीवास्तव ने किया। अवार्ड के ऑडिटर उन्नी राजन शंकर, संयोजक विनीत हांडा, समन्वयिका पूजा मिश्रा और महासचिव दीक्षा सक्सेना ने समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
इमका अवॉर्ड्स के विजेताओं की लिस्ट आप यहां देख सकते हैं।
Journalist of the Year – Mr. Anup Pandey
Agriculture Reporter of the Year – Ms. Shagun Kapil
Reporter of the Year (Publishing) – Mr. Rajat Mishra
Reporter of the Year (Broadcast) – Mr. Abhinav Goel
Producer of the Year (Broadcast) – Mr. Surabhi Singh
Indian Language Reporter of the Year (Publishing) - Muhammad Sabith U M
Indian Language Reporter of the Year (Broadcast) – Ms. Shatarupa Samantaraya
Ad Person of the Year – Mr. Saransh Jain
PR Person of the Year – Ms. Shillpi A Singh
Ad Agency of the Year - Ofactor
PR Agency of the Year – Kaizzen
JURY SPECIAL MENTION
Journalist of the Year – Mr. Abhishek Angad
Journalist of the Year – Ms. Ritwika Mitra
Journalist of the Year – Mr. Ashutosh Mishra
Journalist of the Year – Mr. Manish Mishra
Journalist of the Year – Ms. Nidhi Tiwary
Agriculture Reporter of the Year – Mr. Diwash Gahatraj
Reporter of the Year (Broadcast) – Mr. Parimal Kumar
Reporter of the Year (Broadcast) – Mr. Vishnukant Tiwari
Producer of the Year (Broadcast) - Mr. Rohan Kathpalia
PR Person of the Year – Ms. Supriya Sundriyal
PR Person of the Year – Mr. Nikhil Swami
डॉ.वैद्य ने कहा कि भारतीय समाज पूरी तरह आत्मनिर्भर था और यह आयात नहीं, निर्यात करता था। विश्व के व्यापार में हमारी लगभग दो तिहाई भागीदारी थी जितनी ब्रिटेन व अमेरिका की मिलाकर भी नहीं थी।
by
Samachar4media Bureau
सुपरिचित चिंतक डॉ. मनमोहन वैद्य ने भारत की भारतीय अवधारणा को स्पष्ट करते हुए कहा है कि राष्ट्र का अर्थ नेशन नहीं है। भारत में एक राजा और एक भाषा नहीं थी किंतु उत्तर से दक्षिण तक समाज अध्यात्म और संस्कृति के मूल्यों से एकरूप रहा है। इसने ही सनातन राष्ट्र का निर्माण किया। यह समाज राज्याश्रित नहीं था और स्वदेशी समाज था।
डॉ. वैद्य माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता व संचार विश्वविद्यालय में आयोजित युवा संवाद को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन विद्यार्थियों के अध्ययन मंडल व पत्रकारिता विभाग ने संयुक्त रूप से किया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलगुरु श्री विजय मनोहर तिवारी ने की।
डॉ. वैद्य की इस सिलसिले में हाल में एक पुस्तक ‘हम और यह विश्व’ प्रकाशित हुई थी जिसका पिछले दिनों ही राजधानी में लोकार्पण हुआ था। डॉ.वैद्य ने कहा कि भारतीय समाज पूरी तरह आत्मनिर्भर था और यह आयात नहीं, निर्यात करता था। विश्व के व्यापार में हमारी लगभग दो तिहाई भागीदारी थी जितनी ब्रिटेन व अमेरिका की मिलाकर भी नहीं थी।
राष्ट्र के घर-घर में उद्यम होता था। उद्योग में मातृशक्ति का अद्भुद योगदान होता था। हमारे घर संपदा निर्माण के केन्द्र थे। इसी वजह से गृहिणी को गृहलक्ष्मी कहा गया है। आपने कहा कि उत्पादन में प्रचुरता, वितरण में समानता और उपभोग में संयम-यही भारत का विचार है। डॉ. वैद्य ने कहा कि भारत में सांस्कृतिक विविधता नहीं थी अपितु एक ही संस्कृति विविध रूपों में प्रकट होती है।
आध्यात्मिकता ने भारत के विचार को गढ़ा है। हमने विश्व कल्याण की बात की है। उन्होंने पराभूत मानसिकता को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2014 के बाद से भारत की बात को फिर से दुनिया में सुना जा रहा है। द संडे गार्जियन ने अपने संपादकीय में लिखा था कि भारत फिर से स्वाधीन हुआ है।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि धर्म भारतीय अवधारणा है जिसका कोई अंग्रेजी पर्याय नहीं है। भारत में धर्म का व्यापक अर्थ रहा है। समाज के उपकार के लिए उसको लौटाना धर्म माना गया। भारत धर्म पर चला। लोकसभा से लेकर हमारी तमाम बड़ी संस्थाओं के बोधवाक्य को धर्म से लिया गया।
तिरंगे के बीच अशोक चक्र वास्तव में धर्मचक्र है जिसका प्रवर्तन राजा अशोक ने किया। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय शब्द नहीं है। यह शब्द ईसाईयत के सत्ता में हस्तक्षेप के बाद सरकारों का चरित्र तय करने के लिए पश्चिम का गढ़ा गया शब्द है। 1976 में बिना किसी बहस के इसे भारतीय संविधान में शामिल कर लिया गया।
उन्होंने कहा कि राज्य को धर्म से ऊपर उठकर काम करना चाहिए, व्यक्ति धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सकता। इस अवसर पर कुलगुरु श्री विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि भारत क्या है और इसे समझने के लिए हमारी दृष्टि क्या होनी चाहिए, यह डॉ. मनमोहन वैद्य के चिंतन व लेखन से स्पष्ट होता है।
पत्रकारिता दुनिया को 360 डिग्री से देखने की कला है। यह दृष्टिकोण पत्रकारिता विश्वविद्यालय देता है। उन्होंने हम और यह विश्व की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें अल्लामा इकबाल के हम बुलबुले हैं इसको लेकर सर्वथा नया दृष्टिकोण दिया गया है।
डॉ. वैद्य ने इसे आगे बढ़ाते हुए कहा कि बुलबुले बाग में संकट आने पर उड़ जाती हैं, पौधे जल जाते हैं किंतु बाग से डिगते नहीं हैं। हम सब इस बाग के पौधे हैं। कार्यक्रम का संचालन छात्र राजवर्धन सिंह ने किया।
NDTV India ने नवंबर 2025 में सभी हिंदी न्यूज चैनलों को पीछे छोड़ते हुए YouTube पर नंबर वन पोजिशन हासिल कर ली है।
by
Samachar4media Bureau
NDTV India ने नवंबर 2025 में सभी हिंदी न्यूज चैनलों को पीछे छोड़ते हुए YouTube पर नंबर वन पोजिशन हासिल कर ली है। यह आंकड़े Databeings ने जारी किए हैं।
वहीं दूसरी तरफ NDTV 24x7 ने भी जून से दिसंबर 2025 तक लगातार छह महीने YouTube पर अपनी पकड़ बरकरार रखी है। ये जानकारी Playboard के डेटा में सामने आई है।
नवंबर में NDTV India ने अपने सबसे करीबी प्रतिद्वंद्वी से 700 मिलियन से ज्यादा व्यूज की बढ़त बनाई। वहीं NDTV 24x7 भी नवंबर में 48.2 मिलियन व्यूज आगे रहा।
NDTV के CEO और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल ने कहा कि यूट्यूब पर हिंदी और इंग्लिश दोनों में NDTV की मजबूत स्थिति दिखाती है कि चैनल ऐसा कंटेंट बना रहा है, जो लोगों पर असर डालता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया हर दिन जो चुनाव करती है, वह इन नंबरों में साफ दिखता है,जब लाखों लोग NDTV को पहली पसंद बनाते हैं, तो यह नेटवर्क की विश्वसनीयता और प्रभाव को और मजबूत करता है।
मनोज भावुक को यह सम्मान उनकी पुस्तक ‘भोजपुरी सिनेमा के संसार’ के लिए अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन की ओर से प्रदान किया गया।
by
Samachar4media Bureau
प्रसिद्ध भोजपुरी साहित्यकार मनोज भावुक को उनकी पुस्तक ‘भोजपुरी सिनेमा के संसार’ के लिए ‘चौधरी कन्हैया सिंह सम्मान’ से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें भोजपुरी के सबसे पुराने, संवैधानिक, प्रतिष्ठित और भरोसेमंद राष्ट्रीय संस्थान अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन की ओर से प्रदान किया गया।
यह सम्मान उन्हें संस्थान के 28वें अधिवेशन में बिहार सरकार के पर्यटन, कला, संस्कृति मंत्री अरुण शंकर प्रसाद ने प्रदान किया।
अमनौर, छपरा (बिहार) में यह तीन दिवसीय आयोजन 28 से 30 नवंबर 2025 तक चला, जिसमें बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, सड़क निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री नितिन नवीन, सांसद मनोज तिवारी, फिल्म अभिनेत्री अक्षरा सिंह, गायिका कल्पना पटोवारी, श्रम संसाधन मंत्री संजय सिंह टाइगर समेत देश-विदेश के कई साहित्यकारों, पत्रकारों, कलाकारों, शोधकर्ताओं और भोजपुरी क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों ने शिरकत की।
मनोज भावुक की यह पुस्तक भोजपुरी भाषा में भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर लिखी गई पहली पुस्तक है। इसे मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली ने प्रकाशित किया है। किताब में भोजपुरी सिनेमा की यात्रा का विस्तृत दस्तावेज़ीकरण है, जिसमें वर्ष 1931 से लेकर वर्तमान समय तक का इतिहास शामिल है।
अफ्रीका और इंग्लैंड में इंजीनियर के रूप में कार्य कर चुके मनोज भावुक को भोजपुरी सिनेमा और साहित्य के बीच सबसे मजबूत कड़ी माना जाता है।
उल्लेखनीय है कि मनोज भावुक सिर्फ भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार ही नहीं, बल्कि भोजपुरी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार भी हैं। आज देश के लगभग सभी बड़े गायक उनके गीत और गजलें गाते हैं। फिल्मों में उन्हें पहली बड़ी पहचान गीत ‘तोर बौरहवा रे माई’ से मिली थी।
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘आपन कहाये वाला के बा’ में सभी गीत उन्हीं के लिखे हुए हैं, जिन्हें एक साथ तीन पीढ़ियां सुन सकती हैं। भोजपुरी शब्दावली, संस्कृति और भाव-प्रवाह पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है।
एशियानेट के पूर्व एंकर और पत्रकार सनल पोट्टी का कोच्चि में निधन हो गया। वह 55 वर्ष के थे। सनल लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे
by
Samachar4media Bureau
एशियानेट के पूर्व एंकर और पत्रकार सनल पोट्टी का कोच्चि में निधन हो गया। वह 55 वर्ष के थे। सनल लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और पिछले काफी समय से इलाज चल रहा था। मंगलवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे एर्नाकुलम के मंजुम्मल सेंट जोसेफ हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली।
बताया जा रहा है कि दो साल पहले उनकी किडनी पूरी तरह फेल हो गई थी और 2018 में उन्हें स्ट्रोक भी आया था।
सनल पोट्टी लंबे समय तक एशियानेट के मॉर्निंग शो के एंकर रहे। इसके बाद उन्होंने 'जीवन टीवी' में प्रोग्रामिंग हेड व एंकर के रूप में काम किया। वह कलमश्शेरी स्थित एससीएमएस कॉलेज में पब्लिक रिलेशंस मैनेजर के तौर पर काम कर रहे थे, इसी दौरान उनका निधन हुआ। उनके निधन से मीडिया जगत में शोक की लहर है।
देश की स्पोर्ट्स टेक कंपनी str8bat ने अपनी कम्युनिकेशन और पब्लिक रिलेशन (PR) की जिम्मेदारी CPR Global को दे दी है
by
Samachar4media Bureau
देश की स्पोर्ट्स टेक कंपनी str8bat ने अपनी कम्युनिकेशन और पब्लिक रिलेशन (PR) की जिम्मेदारी CPR Global को दे दी है। अब CPR Global पूरे देश में मीडिया से जुड़ा काम संभालेगी, ताकि str8bat की पहचान और भी मजबूत हो सके।
2018 में गगन दागा, राहुल नागर और मधुसूदन आर द्वारा शुरू की गई str8bat खिलाड़ियों को रियल-टाइम डेटा के जरिए खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस सुधारने में मदद करती है। कंपनी के दो बड़े प्रॉडक्ट- str8bat Classic (स्मार्ट बैट सेंसर) और नया AI-आधारित str8bat Pro बैट स्पीड, बैट पाथ, इम्पैक्ट जोन जैसी जानकारी तुरंत दिखाते हैं, जिससे खिलाड़ी अपनी तकनीक को और बेहतर कर पाते हैं।
str8bat पहले से ही Cricket Australia, Rajasthan Royals और कई बड़ी क्रिकेट एकैडमी के साथ काम कर रही है। IPL 2025 में यह राजस्थान रॉयल्स की ऑफिशियल स्किलिंग पार्टनर भी रही। कंपनी को दिग्गज क्रिकेटर्स किरण मोरे और ग्रेग चैपल का समर्थन भी मिला हुआ है, जिससे इसकी विश्वसनीयता और बढ़ गई है।
कंपनी ने हाल ही में 10 देशों- भारत, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, यूके, त्रिनिदाद एंड टोबैगो सहित कई जगह में अपनी ऑफिशियल एंट्री का ऐलान किया है। str8bat का लक्ष्य है कि दुनियाभर के युवा खिलाड़ियों को टेक्नोलॉजी के जरिए और सक्षम बनाया जाए।
कंपनी को Exfinity Venture Partners, TRTL Ventures, Sadev Ventures, Techstars और SucSEED Indovation Fund जैसी बड़ी निवेश कंपनियों का समर्थन भी मिला है।
गगन दागा, Co-founder और CEO, ने कहा, 'हम ऐसी टेक बना रहे हैं जो क्रिकेटर्स को अपने खेल को नए नजरिये से समझने में मदद कर रही है। अब जब हम ग्लोबल स्तर पर विस्तार कर रहे हैं, CPR Global से जुड़कर हमें अपनी कहानी और बड़े दर्शकों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।'
चैताली पिशै रॉय, Founder, CPR Global, ने कहा, 'भारत से निकलकर दुनिया का खेल बदलने वाली ऐसी इनोवेशन को देखना प्रेरणादायक है। str8bat सिर्फ क्रिकेट को आसान नहीं बना रहा, बल्कि नई स्पोर्ट्स टेक कैटेगरी भी तैयार कर रहा है। इसके साथ काम करना और इसे दुनिया तक पहुंचाना हमारे लिए गर्व की बात है।'
इस स्मृति व्याख्यान में मुख्य अतिथि व वक्ता प्रो. गणेश देवी थे। प्रो. गणेश देवी प्रोफेसर एक भारतीय सांस्कृतिक कार्यकर्ता, साहित्यिक आलोचक और अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं।
by
Samachar4media Bureau
नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में डॉ. वेदप्रताप वैदिक द्वितीय स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। डॉ. वेदप्रताप वैदिक उन राष्टीय अग्रदूतें में से एक थे जिन्हें पत्रकारिता, राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र में और भारतीय भाषाओं के लिए संघर्षकरता के रूप में जाना जाता है।
वह ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (पीटीआई) की हिंदी समाचार एजेंसी 'भाषा' के लगभग दस वर्षों तक संस्थापक-संपादक रहे। वह पहले टाइम्स समूह के समाचारपत्र नवभारत टाइम्स में संपादक रहने के साथ ही भारतीय भाषा सम्मेलन के अंतिम अध्यक्ष थे। इस स्मृति व्याख्यान में मुख्य अतिथि व वक्ता प्रो. गणेश देवी थे।
प्रो. गणेश देवी प्रोफेसर एक भारतीय सांस्कृतिक कार्यकर्ता, साहित्यिक आलोचक और अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं, जो लुप्तप्राय भाषाओं और भारत की भाषाई विविधता के दस्तावेजीकरण के लिए जाने जाते हैं। कार्यक्रम में अशोक वाजपेयी, प्रो आशीष नंदी, पत्रकार रवीश कुमार, हरतोष बल, प्रो सुरिंदर जोधका, पम्मी सिंह, प्रो पार्थो दत्ता, प्रो विलियम पिंच तथा कई बुद्धिजीवी प्राध्यापक, पत्रकार, लेखक आदि शामिल हुए। स्मृति व्याख्यान का आयोजन वैदिक स्मृति न्यास की ओर से किया गया था। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अपर्णा वैदिक ने किया तथा सभी अतिथियों के प्रति आभार प्रो. अपूर्वानंद ने प्रकट किया।
उनका पॉडकास्ट ‘Being CEO with Deepali Naair’ नेतृत्व, निर्णय प्रक्रिया और संगठन संस्कृति पर आधारित है, जिसे श्रोताओं का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।
by
Samachar4media Bureau
मार्केटिंग और कॉरपोरेट कम्युनिकेशन की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाली और वर्तमान में ‘Biocon Biologics’ में ग्लोबल हेड (ब्रैंड एंड कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस) दीपाली नायर का आज जन्मदिन है।
उनका सफर कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स, फाइनेंसियल सर्विसेज, टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है, जो भारतीय मार्केटिंग इंडस्ट्री में उन्हें सबसे अनुभवी और बहुमुखी नेताओं की लिस्ट में शामिल करता है।
अपने वर्तमान भूमिका में वह वैश्विक स्तर पर ब्रैंड और कॉरपोरेट कम्युनिकेशन की स्ट्रैटेजी को दिशा देती हैं। इसमें ग्लोबल ब्रैंड पोजिशनिंग, डिजिटल मौजूदगी, रेग्युलेटरी और स्टैट्यूटरी कम्युनिकेशन, फाइनैंशल रिपोर्टिंग, मीडिया रिलेशंस और एम्प्लॉयर ब्रैंडिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की जिम्मेदारी शामिल है। उनका काम कई देशों और बिजनेस यूनिट्स के साथ जुड़ा हुआ है, जिससे वह कंपनी की वैश्विक छवि और दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
‘Biocon Biologics’ से पहले दीपाली नायर ‘CK Birla Group’ में ग्रुप चीफ मार्केटिंग ऑफिसर थीं, जहां उन्होंने विविध उद्योगों वाले इस समूह की ब्रैंड आइडेंटिटी और डिजिटल कनेक्ट को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
टेक्नोलॉजी सेक्टर में भी उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही है। IBM में उन्होंने कई अहम जिम्मेदारियां संभालीं, जिनमें बेंगलुरु डिजिटल सेल्स सेंटर के लिए डिजिटल सेल्स डायरेक्टर और JAPAC क्षेत्र (जापान, एशिया-पैसिफिक और चीन) के लिए डिजिटल सेल्स ग्रोथ लीडर शामिल हैं। वह IBM इंडिया और साउथ एशिया की CMO भी रहीं और इस दौरान उन्होंने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और मार्केटिंग स्ट्रैटेजी को नई दिशा दी।
वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में उन्होंने IIFL Wealth Group, HSBC ग्लोबल एसेट मैनेजमेंट और L&T Insurance जैसे प्रतिष्ठित संगठनों में मार्केटिंग, डिजिटल सेल्स और प्रोडक्ट से जुड़े कार्यों का नेतृत्व किया। IIFL में वह नॉन-एग्जिक्यूटिव बोर्ड सदस्य भी रहीं।
उनका करियर कंज्यूमर और मोबिलिटी सेक्टर से शुरू हुआ था। Tata Motors, BPL Mobile और Draft FCB-Ulka में काम करने के बाद उन्होंने Marico में Saffola और Mediker जैसे ब्रैंडस की मार्केटिंग संभाली। इसके बाद वह Mahindra Holidays की CMO रहीं और यहां उन्होंने मार्केटिंग, डिजिटल, एनालिटिक्स और इन्वेंटरी सेल्स की जिम्मेदारी निभाई।
कॉरपोरेट जगत में अपनी भूमिका से आगे बढ़कर दीपाली नायर इंडस्ट्री कम्युनिकेशंस में भी सक्रिय हैं। उनका पॉडकास्ट ‘Being CEO with Deepali Naair’ नेतृत्व, निर्णय प्रक्रिया और संगठन संस्कृति पर आधारित है और इसे श्रोताओं का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। अपने जन्मदिन के मौके पर दीपाली नायर का करियर और योगदान इंडस्ट्री में एक प्रेरक उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है। समाचार4मीडिया की ओर से दीपाली नायर को जन्मदिन की ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
देश के पहले निजी टीवी चैनल की शुरुआत कर बदल दिया मीडिया का चेहरा। 'जी टीवी' से शुरू हुआ सफर आज 190 देशों में पहुंचा।
by
Samachar4media Bureau
भारतीय मीडिया इंडस्ट्री के सबसे प्रभावशाली चेहरों में से एक और ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) के चेयरमैन एमेरिटस डॉ. सुभाष चंद्रा का आज जन्मदिन है। यह अवसर उनके उस असाधारण सफर को याद करने का है, जिसने भारतीय ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री की दिशा बदल दी।
डॉ. चंद्रा को अक्सर ‘भारतीय टेलीविजन का पिता’ कहा जाता है। उन्हें देश में पहले निजी सैटेलाइट टीवी चैनल लाने का श्रेय जाता है, जिसने भारत में मल्टी-बिलियन डॉलर की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का आधार तैयार किया।
उनकी कहानी देश में आर्थिक उदारीकरण के दौर में आए बड़े बदलाव की मिसाल है। वर्ष 1992 में, जब निजी प्रसारण की कल्पना भी नहीं थी, उन्होंने ‘जी टीवी’ लॉन्च किया। उस समय ‘दूरदर्शन’ का एकछत्र राज था, ऐसे में यह कदम तकनीकी और राजनीतिक दोनों ही स्तर पर बेहद साहसी माना गया। यही कदम आगे चलकर भारतीय मीडिया उपभोग के तरीके में बड़ा बदलाव साबित हुआ। इसके बाद उन्होंने ‘जी न्यूज’ की शुरुआत की, जो देश का पहला निजी न्यूज चैनल बना। इसी से उन्हें दूरदर्शी रणनीतिकार के रूप में पहचान मिली।
उनकी पहल के बाद जो मीडिया उद्योग विकसित हुआ, उसने पूरे इकोसिस्टम का चेहरा बदल दिया। उद्योग से जुड़े आंकड़ों के अनुसार, आज इस क्षेत्र में 50 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है—उस सेक्टर से, जिसकी शुरुआत उन्होंने की थी।
डॉ. चंद्रा का ब्रैंड ‘जी’ आज वैश्विक पहचान रखता है। यह नेटवर्क 190 देशों में पहुंच चुका है और प्रसारण, डिजिटल, फिल्म, संगीत और लाइव इवेंट सहित कई क्षेत्रों में अरबों दर्शकों तक कंटेंट पहुंचा रहा है, जो किसी भी भारतीय मीडिया कंपनी के लिए बड़ी उपलब्धि है।
मनोरंजन जगत के अलावा उनकी महत्वाकांक्षा ने अन्य क्षेत्रों को भी छुआ। ‘एस्सेल ग्रुप’ (Essel Group) के तहत उन्होंने पैकेजिंग, अवसंरचना, शिक्षा, तकनीक और मनोरंजन से जुड़े कई व्यवसाय खड़े किए। उनकी राजनैतिक भूमिका भी महत्वपूर्ण रही और वे हरियाणा से राज्यसभा सदस्य चुने गए।
भारतीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों ने भी उनके योगदान को सम्मान दिया है। वे इंटरनेशनल एमी डायरेक्टोरेट अवॉर्ड पाने वाले पहले भारतीय हैं—यह वैश्विक टेलीविजन जगत का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है।
डॉ. सुभाष चंद्रा ने अपने करियर में दूरदर्शिता, जोखिम उठाने की क्षमता और लंबे समय तक सोचने के नजरिए का अनोखा मेल दिखाया। भारतीय टीवी इंडस्ट्री का विस्तार, मीडिया उद्यमशीलता की नई संस्कृति और दर्शकों की पसंद—इन सभी पर उनके निर्णयों की छाप आज भी नजर आती है।
आज उनके जन्मदिन के अवसर पर, उनका यह सफर हमें याद दिलाता है कि एक साहसिक विचार भी इतिहास लिख सकता है—अगर उसके पीछे दृढ़ इच्छाशक्ति और विश्वास हो। समाचार4मीडिया की ओर से डॉ. सुभाष चंद्रा को जन्मदिन की ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) के वरिष्ठ पत्रकार आशीष दीक्षित का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को निधन हो गया।
by
Samachar4media Bureau
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) के जाने-माने पत्रकार आशीष दीक्षित का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को निधन हो गया। वह केवल 39 वर्ष के थे और लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे।
उनका अंतिम संस्कार महाराष्ट्र के ठाणे जिले के डोंबिवली में संपन्न हुआ।
आशीष दीक्षित 2022 में पीटीआई की वीडियो सेवा में वरिष्ठ संवाददाता के रूप में शामिल हुए थे। पत्रकारिता जगत में उनकी ईमानदारी और काम के प्रति समर्पण की हमेशा सराहना की जाती रही।
उनके परिवार में उनकी पत्नी और छह साल की बेटी हैं। उनके जाने से पत्रकारिता और उनके परिवार दोनों के लिए अपूरणीय क्षति हुई है।
कबड्डी चैंपियंस लीग (KCL) हरियाणा के युवा कबड्डी सितारों को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। यह लीग ग्रामीण स्तर की प्रतिभाओं को अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करेगी।
by
Samachar4media Bureau
हरियाणा में उभरती खेल प्रतिभाओं के लिए कबड्डी चैंपियंस लीग (KCL) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ₹4 करोड़ के खिलाड़ी पर्स के साथ अपने नए मिशन की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य गांव-देहात से निकलने वाले युवा कबड्डी खिलाड़ियों को आर्थिक सुरक्षा, पेशेवर प्रशिक्षण और राष्ट्रीय पहचान देकर भविष्य के अंतरराष्ट्रीय स्टार के रूप में तैयार करना है।
लीग की कमान द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित कोच बलवान सिंह और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी नवीन गोयत के मार्गदर्शन में संचालित की जा रही है। KCL का विज़न सिर्फ़ प्रतियोगिता कराना नहीं, बल्कि एक ऐसा इकोसिस्टम बनाना है जहाँ खिलाड़ी खेल के साथ सुरक्षित भविष्य देख सकें।
बलवान सिंह ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि KCL से निकलने वाले कई खिलाड़ी 2036 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और देश के लिए पदक जीतेंगे। उनके मुताबिक, युवा खिलाड़ियों को शुरुआती स्तर पर सही प्रशिक्षण और संसाधन मिलना बेहद जरूरी है, और KCL इसी दिशा में काम कर रही है।
वहीं स्टार रेडर नवीन गोयत ने हरियाणा के खिलाड़ियों की दशकों पुरानी मेहनत पर बात करते हुए कहा कि इतने वर्षों तक खिलाड़ियों को सही पहचान और आर्थिक लाभ नहीं मिला, लेकिन अब ₹4 करोड़ का पर्स उनके संघर्ष की असली कीमत साबित होगा।
इस लीग के ज़रिए खिलाड़ियों को न केवल उच्चस्तरीय कोचिंग और मेंटरशिप मिलेगी, बल्कि आधुनिक स्पोर्ट्स साइंस, फिटनेस सपोर्ट और रिकवरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही मीडिया कवरेज और डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए युवा एथलीटों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी, जिससे उनके प्रोफेशनल करियर को नई उड़ान मिल सकेगी।
KCL को सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि हरियाणा की खेल संस्कृति को सशक्त करने वाली एक व्यापक पहल के रूप में देखा जा रहा है, जिसका मकसद भारत को कबड्डी के वैश्विक नक्शे पर और मजबूत करना है।