‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) के सीएमडी उपेंद्र राय और जनरल वीके सिंह ने ‘ONGC मुंबई कारगिल सोल्जरथॉन’ को दिखाई हरी झंडी
‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) न्यूज चैनल के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने 'Fitistan – एक फिट भारत' द्वारा आयोजित कोलाबा मिलिट्री स्टेशन, मुंबई में 'ONGC मुंबई कारगिल सोल्जरथॉन' में शामिल हो कर वीर शहीदों को याद किया। यह आयोजन कारगिल युद्ध में भारत की जीत की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर किया गया।
सोल्जरथॉन में 10 किलोमीटर और 5 किलोमीटर की दो दौड़ें आयोजित की गईं, जिन्हें जनरल वीके सिंह और सीएमडी उपेंद्र राय ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौड़ में 7 हजार से भी ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया।
इस मौके पर उपेंद्र राय का कहना था, ‘आज की पीढ़ी योगा, फिटनेस, और स्वास्थ्य के महत्व को नहीं समझती, क्योंकि उन्हें अधूरी जानकारी मिलती है। आज के समय में पैकेज्ड फूड और प्रिजर्वेटिव्स उनके जीवन में जहर की तरह हैं। ऐसे में मेजर पूनिया और जनरल वीके सिंह सोल्जरथॉन का आयोजन कर समाज को फिट रहने के लिए जागरूक करते हैं। इस आयोजन का हिस्सा बनकर मैं गर्वान्वित महसूस कर रहा हूं।’
उन्होंने कहा, ’हर आदमी अपने कंफर्ट जोन में सीमित रहता है, लेकिन जो इससे बाहर निकलता है, वही मिसाल बनता है और दूसरों को प्रेरित करता है। आज के सोल्जरथॉन में 70 साल की बुजुर्ग महिला भी शामिल थीं, जो कई मैराथॉन दौड़ चुकी हैं। यह जुनून हम सभी में होना चाहिए।’
बता दें कि फिटिस्तान एक सामुदायिक पहल है, जिसकी स्थापना मेजर डॉ. सुरेंद्र पूनिया और शिल्पा भगत ने की है। इसका लक्ष्य भारतीयों का सबसे बड़ा फिट समुदाय बनाना है। कारगिल के शहीदों की याद में फिटिस्तान ने भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के सहयोग से एक फिटनेस चैलेंज भी शुरू किया था।
आज अरुण शर्मा का जन्मदिन है, जो मीडिया और ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री के एक दिग्गज हैं।
आज अरुण शर्मा का जन्मदिन है, जो मीडिया और ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री के एक दिग्गज हैं। दशकों के करियर में उन्होंने भारत के कुछ सबसे बड़े ब्रैंड्स की मार्केटिंग और मीडिया रणनीतियों को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है। उनकी नेतृत्व क्षमता, रणनीतिक सोच और इंडस्ट्री के प्रति उनकी गहरी समझ ने उन्हें इस क्षेत्र के सबसे सम्मानित प्रोफेशनल्स में शामिल किया है।
वर्तमान में वह IPG मीडियाब्रैंड्स के तहत इनिशिएटिव के COO और मैग्ना के मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। उनकी अगुवाई में इनिशिएटिव मीडिया डेटा-आधारित रणनीतियों और प्रभावी मार्केटिंग कैंपेंस के लिए जानी जाने लगी है, जिससे यह ऐडवर्टाइजिंग जगत में एक मजबूत पहचान बना चुका है।
IPG मीडियाब्रैंड्स से पहले, शर्मा भारती एयरटेल लिमिटेड में मीडिया हेड के रूप में कार्यरत थे। एयरटेल में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने मीडिया स्ट्रैटजी, प्लानिंग, बाइंग, डिप्लॉयमेंट, ROI मीजरमेंट और मार्केटिंग बजट मैनेजमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके योगदान से एयरटेल ने प्रतिस्पर्धी टेलीकॉम मार्केट में अपनी मजबूत पहचान बनाई।
एयरटेल से पहले, शर्मा ने कई प्रमुख मीडिया एजेंसियों में काम किया, जहां उन्होंने कोका-कोला, नेस्ले, जिलेट, जॉनसन एंड जॉनसन और GSK जैसे प्रतिष्ठित ब्रैंड्स की मार्केटिंग संभाली। मीडिया प्लानिंग और खरीद में उनकी विशेषज्ञता और उनकी रणनीतिक दृष्टि ने उन्हें मार्केटिंग क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बना दिया।
कॉरपोरेट जगत में अपनी उपलब्धियों के अलावा, शर्मा मीडिया इंडस्ट्री में भी सक्रिय रूप से योगदान देते हैं। वह कई महत्वपूर्ण बोर्ड्स और कमेटियों के सदस्य हैं, जिनमें iMedia समिट की एडवाइजरी बोर्ड, टेकक्रंच की एडवाइजरी बोर्ड, IRS की टेक्निकल कमेटी और ISA की मीडिया कमेटी शामिल हैं। इन संस्थाओं से उनका जुड़ाव यह दर्शाता है कि वह भारत में मीडिया और विज्ञापन इंडस्ट्री के भविष्य को आकार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
शर्मा की शिक्षा की नींव MICA | The School of Ideas से एमबीए के रूप में रखी गई, जिसने उनके शानदार करियर की बुनियाद बनाई। मार्केटिंग के प्रति उनका जुनून और तेजी से बदलते इस इंडस्ट्री को समझने की उनकी क्षमता ने उन्हें सहकर्मियों और इंडस्ट्री के अन्य प्रोफेशनल्स के बीच सम्मान दिलाया।
अरुण शर्मा के एक और सफल वर्ष के अवसर पर हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं। उनकी यात्रा आगे भी प्रेरणादायक बनी रहे और वह मीडिया इंडस्ट्री की नई पीढ़ी को सफलता की ओर ले जाएं।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, अरुण शर्मा!
16 फरवरी को जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना में ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ पुस्तक का लोकार्पण-सह-परिचर्चा संपन्न हुआ।
16 फरवरी को जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना में ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ पुस्तक का लोकार्पण-सह-परिचर्चा संपन्न हुआ। इस परिचर्चा में जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना के निदेशक नरेंद्र पाठक ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि कर्पूरी ठाकुर पर इस पुस्तक की रचना में कई शोधार्थियों, बुद्धिजीवियों, समाजवादियों और लेखकों के विचार को समाहित किया गया है। कोई भी पुस्तक समाज का आईना होता है तथा आने वाले पीढ़ी के लिए एक दस्तावेज होता है।
आगे उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय, आर्थिक, लैंगिक न्याय का जो संतुलन बनाया उसका परिणाम बिहार निरंतर विकास कर रहा है। इस पुस्तक को तैयार करने के दरम्यान अनेक बुद्धिजीवियों ने अपने-अपने विचार रखे हैं उसको इस पुस्तक में सम्मान दिया गया है। इस पुस्तक में शामिल किए गए आलेख कर्पूरी जी की कृतियों और उनके मूल्यों को स्थापित करने में मिल का पत्थर साबित होगी। पूर्व विधायक एवं लोक नायक जय प्रकाश नारायण द्वारा स्थापित अवार्ड संस्था, नई दिल्ली के महासचिव दुर्गा प्रसाद सिंह ने कहा कि मैं इस कार्यक्रम का हिस्सा बन पाया।
आगे उन्होंने कहा कि कर्पूरी जी सामान्य जीवन जीने वाले विशिष्ट व्यक्ति थे। हमने कभी सुना था झोपड़ी के लाल जब कर्पूरी जी के घर पहुंचा तो देखकर दंग रह गया। वे झोपड़ी में ही रहा करते थे। उनकी एक बात और मुझे याद है कि जब भी उनके आवास पर लोग मिलने के लिए जाते थे, जो सबसे पीछे बैठे होते थे उस आदमी को पहले बुलाकर उनकी बातों को सुना करते थे। जनता दल (यू) के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ के द्वारा जनमानस के लिए जो सार्थक कदम उठाए गए वास्तव में वे आज भी प्रासंगिक है।
कर्पूरी ठाकुर एक व्यक्ति नहीं विचार हैं। उनका जीवन ही एक संदेश है। उन्होंने समाजवाद की धारा पकड़कर खुद को समाज के लिए सौंप दिया। समाज में बदलाव की बुनियाद रखने वाले कर्पूरी ठाकुर हमेशा समाज के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। कर्पूरी जी के कई सपनों को बिहार के विकास पुरुष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरा कर रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान ने कहा कि शोध है तो बोध है और बोध है तो प्रतिरोध दूर होता है। नॉलेज क्रियेशन पर काम किए जाने की जरूरत है।
बिहार नॉलेज की इंडस्ट्री है। पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कर्पूरी संग्रहालय को शोध संस्थान की तरह संचालित करने की मांग की और कहा कि समाज में जो वैचारिक भेद है उन्हें दूर किया जाना चाहिए। लोकार्पण-सह-परिचर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बिहार विधान सभा के उप सभापति प्रो. रामवचन राय ने कहा कि इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए मैं इतना ही कहूंगा कि ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ पुस्तक नई पीढ़ी के लिए उत्कृष्ट साबित होगी। इसे हर किसी को पढ़ना चाहिए। पुस्तक हर इंसान के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है।
संवाद लोकतंत्र की पहचान होती है। इससे ज्ञान की समृद्धि होती है। पेरियार-अम्बेदकर-लोहिया विचार मंच के अध्यक्ष डॉ. बिनोद पाल एवं उनके साथियों द्वारा मंच की तरफ से अतिथियों का स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम में शोधार्थी डॉ. कुमार परवेज, राम कुमार निराला, संतोष यादव, प्रो. वीरेन्द्र झा, किशोरी दास, पर्यावरणविद् गोपाल कृष्ण, साहित्यकार सुनील पाठक ने भी अपने विचारों को रखा। मंच का संचालन लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने करते हुए कर्पूरी ठाकुर जी की कृतियों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में डॉ. मधुबाला, सलाहकार समिति जदयू बिहार के पूर्व सदस्य दीपक निषाद, इंदिरा रमण उपाध्याय, अरुण नारायण, धीरज सिंह, भैरव लाल दास, डॉ. दिलीप पाल, ललन भगत, प्रो. शशिकार प्रसाद, चन्द्रशेखर, विजय कुमार चौधरी सहित कई बुद्धिजीवी, साहित्यकार एवं पत्रकार उपस्थित रहे।
प्रसिद्ध ऐडवर्टाइजिंग क्रिएटिव लीडर Ari Weiss का निधन हो गया। वह 46 वर्ष के थे।
प्रसिद्ध ऐडवर्टाइजिंग क्रिएटिव लीडर Ari Weiss का निधन हो गया। वह 46 वर्ष के थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, Ari Weiss कैंसर से जूझ रहे थे।
Ari Weiss अपनी साहसिक इनोवेशन के लिए प्रसिद्ध थे और हाल ही में उन्होंने अपनी बुटीक एजेंसी शुरू की थी।
Ari Weiss ने कई एजेंसियों में भी काम किया था, जैसे कि BBH, DDB, और Widen+Kennedy.
2023 में, DDB ने उनकी नेतृत्व में कांस लायंस में नेटवर्क ऑफ द ईयर का पुरस्कार जीता था।
श्री प्रदीप सरदाना ने यह भी कहा कि राज कपूर ने अपनी ‘आवारा’ फिल्म से अपने नाम के साथ भारत के नाम को भी दुनिया में बुलंद किया।
महान फ़िल्मकार राज कपूर ने सिनेमा को जो योगदान दिया उसे दुनिया जानती है। लेकिन राज कपूर का रंगमंच से भी गहरा नाता रहा, नाट्य जगत के लिए भी उन्होंने बहुत कुछ किया। राज कपूर की जड़ों में रंगमंच की ही शक्ति थी, जिसने उन्हें शिखर पर पहुंचाया। उन्हीं राज कपूर ने 37 बरस पहले मुझसे बातें करते-करते, जब सदा के लिए आँखें मूँद लीं थीं तो मैं अवाक रह गया था।
उपरोक्त विचार वरिष्ठ पत्रकार और विख्यात फिल्म समीक्षक श्री प्रदीप सरदाना ने कल शाम को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में आयोजित ‘राज कपूर जन्म शताब्दी’ व्याख्यान में व्यक्त किए। जहां इन दिनों विश्व के सबसे बड़े नाट्य उत्सव ‘भारत रंग महोत्सव’ का आयोजन भी चल रहा है। राज कपूर के साथ अपने बरसों के अनुभव और संस्मरण सुनाते हुए श्री प्रदीप सरदाना ने महान फ़िल्मकार को लेकर ऐसी बहुत सी बातें साझा कीं, जिन्हें सुन सभी मंत्रमुग्ध हो गए। श्री सरदाना ने कहा-‘’राज कपूर ने 5 वर्ष की उम्र में अपना पहला नाटक ‘द टॉय कार्ट’ किया था।
बाद में जब उनके पिता पृथ्वीराज कपूर ने 1944 में अपने ‘पृथ्वी थिएटर’ की शुरुआत की तो पृथ्वी के पहले नाटक ‘शकुंतला’ की सेट डिजायन से प्रकाश और संगीत व्यवस्था का जिम्मा राज कपूर ने संभाला। साथ ही राज कपूर ने नाटक ‘दीवार’ में तो रामू की ऐसी भूमिका की, जिसके बाद फिल्मों तक में नौकर की भूमिका करने वाले चरित्र का नाम रामू या रामू काका हो गया। राज कपूर का यह नाट्य जगत से लगाव ही था कि 1948 में जब उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘आग’ बनाई तो उसकी कहानी भी नाट्य जगत से जुड़ी थी।
श्री प्रदीप सरदाना ने यह भी कहा कि राज कपूर ने अपनी ‘आवारा’ फिल्म से अपने नाम के साथ भारत के नाम को भी दुनिया में बुलंद किया। रूस, ताशकंद, ईरान और चीन जैसे कितने ही देशों में आज भी राज कपूर का जादू बरकरार है। राज कपूर से पहले और उनके बाद कितने ही अच्छे और दिग्गज फ़िल्मकार देश में आए। लेकिन उन जैसा ग्रेट शोमैन आजतक कोई और नहीं हुआ। यह संयोग था या उनसे पूर्व जन्म का कोई रिश्ता 1988 में राष्ट्रपति से फाल्के सम्मान लेने से पूर्व ही राज कपूर को जब अस्थमा का भयावह दौरा पड़ा।
तब मैं ही उन्हें राष्ट्रपति भवन की एंबुलेंस से एम्स लेकर गया। उनकी अंतिम चेतनावस्था में अस्पताल में उनकी पत्नी और मैं ही उनके साथ थे। जहां मुझसे बात करते हुए ही वह कौमा में चले गए थे। इस व्याख्यान में रंगमंच और सिनेमाई दुनिया के कई गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे।
समारोह में एनएसडी के पूर्व निदेशक और वर्तमान में ‘गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी’ के निदेशक प्रो॰ दिनेश खन्ना ने श्री प्रदीप सरदाना का स्वागत करते हुए कहा-‘’आज देश में सिनेमा के अच्छे समीक्षक और ज्ञाता बहुत कम रह गए हैं। लेकिन प्रदीप सरदाना जी अपने में सिनेमा का 100 बरस के दस्तावेज़ समेटे हुए हैं। उनकी स्मृतियों में ऐसे हजारों संस्मरण हैं जिन्हें घंटों दिलचस्पी के साथ सुना जा सकता है।
आदेश कुमार गुप्त ‘बीबीसी हिन्दी’ (BBC Hindi) के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे थे।
वरिष्ठ खेल पत्रकार आदेश कुमार गुप्त का निधन हो गया है। आदेश कुमार गुप्त कैंसर से जूझ रहे थे और कई महीनों से उनका इलाज चल रहा था। 12 फरवरी 2025 को उन्होंने अंतिम सांस ली।
आदेश कुमार गुप्त ‘बीबीसी हिन्दी’ (BBC Hindi) के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे थे। वह बीबीसी हिन्दी रेडियो के जरिये 'खेल और खिलाड़ी' कार्यक्रम के द्वारा सालों तक खेल की खबरें लोगों तक पहुंचाते रहे। bbchindi.com पर भी उन्होंने कई यादगार रिपोर्ट्स लिखीं।
इसके साथ ही वह आदेश ऑल इंडिया रेडियो में भी बतौर कंमटेटर और खेल पत्रकार अपना योगदान देते थे। स्पोर्ट्स की खबरों पर आदेश कुमार गुप्त की मजबूत पकड़ थी। कई बड़े खेल आयोजनों को उन्होंने कवर किया था। वह ‘बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्सवुमन ऑफ द ईयर अवॉर्ड्स’ के संस्थापक सदस्यों में भी शामिल थे।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शुभकामना संदेश में भारत एक्सप्रेस की सराहना की और मीडिया संस्थान के राष्ट्र निर्माण में योगदान को महत्वपूर्ण बताया।
भारत एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अपनी दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर 'नए भारत की बात-दिल्ली के साथ' मेगा कॉन्क्लेव का आयोजन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शुभकामना संदेश में भारत एक्सप्रेस की सराहना की और मीडिया संस्थान के राष्ट्र निर्माण में योगदान को महत्वपूर्ण बताया। भारत एक्सप्रेस के मेगा कॉनक्लेव का शुभारंभ केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दीप प्रज्जवलित कर किया। कॉन्क्लेव में देशभर से कई प्रमुख हस्तियां पहुंचीं।
जिनमें केंद्रीय मंत्री, सांसद, सियासी दलों के प्रवक्ता, पुलिस अफसर, संगीतकार, धर्माचार्य और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तित्व शामिल थे। श्री कल्कि धाम के पीठाधीश्वर एवं श्री कल्कि फाउंडेशन के संस्थापक आचार्य प्रमोद कृष्णम, उत्तर प्रदेश में भाजपा के लोकप्रिय नेता और सरोजिनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन, राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, दिल्ली पुलिस के ट्रैफिक DCP शशांक जायसवाल, और भोजपुरी गायिका कल्पना समेत कई हस्तियों ने लोगों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभकामनाएं देते हुए भारत एक्सप्रेस के योगदान की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि आजादी के अमृतकाल में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय मीडिया ने ऐतिहासिक बदलावों को न केवल देखा है, बल्कि उन्हें आकार भी दिया है। नए भारत की बात-दिल्ली के साथ’ मेगा कॉन्क्लेव में डीसीपी ट्रैफिक शशांक जायसवाल ने दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली और यातायात संचालन में पुलिस के प्रयासों पर प्रकाश डाला। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पीएम मोदी की नेतृत्व में देश के विकास की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने घोर निराशा के बीच देशवासियों को विश्वास दिलाया कि हम एक विकसित भारत का निर्माण कर सकते हैं।
कल्किधाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि सनातन धर्म कोई साधारण मत या संप्रदाय नहीं, बल्कि यह शाश्वत सत्य है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “सनातन न कभी मिटा है, न कभी मिटेगा”, जबकि इसके अलावा जितने भी मत-मजहब हैं, वे सभी मानव निर्मित हैं। राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा, कि देश को आजादी मिलने के बाद पिछले 70-75 सालों में हिंदू समाज को झूठ बोलने और सुनने की आदत हो गई है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आजकल कई लोग यह मानते हैं कि हिंदुत्व एक धोखा है, जबकि यह एक सत्य है।
उन्होंने भारतीय समाज में सत्य बोलने की आवश्यकता पर बल दिया। भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने सनातन धर्म के इतिहास पर अपने विचार रखे। उन्होंने पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ की बातों से सहमति जताई और कहा कि हिंदू धर्म सभी मत-मजहबों से बहुत पुराना है। उन्होंने यह भी बताया कि हिंदू धर्म की आयु लगभग 11,000 साल की है, जबकि अन्य मत-मजहबों का इतिहास इससे काफी छोटा है। भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने मीडिया के योगदान की भी सराहना की।
उन्होंने कहा कि मीडिया की भूमिका राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण होती है। उनके द्वारा प्रस्तुत की गई जानकारी और चर्चा ने जनता को जागरूक करने और महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का काम किया है। कॉन्क्लेव के दौरान भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेन्द्र राय के बेटे साद्यांत कौशल ने शास्त्रीय संगीत की सुंदर प्रस्तुति दी, जिसने वहां सभी उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
यूनिवर्सिटी के कुलगुरु का पद करीब छह महीने से खाली था। विजय मनोहर तिवारी पूर्व में मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त भी रह चुके हैं।
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार एवं लेखक विजय मनोहर तिवारी को ‘माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय’, भोपाल का नया कुलगुरु नियुक्त किया गया है। बता दें, करीब 6 महीने से खाली यूनिवर्सिटी में कुलगुरु के पद के लिए कई लोग दावेदारी में थे, लेकिन आखिर में विजय मनोहर तिवारी के नाम पर मुहर लगी।
सरकार के जनसंपर्क विभाग ने मंगलवार, 11 फरवरी को उनकी एमसीयू में कुलगुरु के रूप में नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं। इस पद पर उनका सेवाकाल चार साल रहेगा।
मध्यप्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त रह चुके विजय मनोहर तिवारी इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी रह चुके हैं। शानदार पत्रकारिता के लिए विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें गणेश शंकर विद्यार्थी पत्रकारिता सम्मान से भी अलंकृत किया जा चुका है।
बता दें कि विजय मनोहर तिवारी ने करीब 25 साल तक विभिन्न मीडिया समूहों में अपनी सेवाएं दी है। कुलगुरु के तौर पर उनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय महापरिषद के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री मोहन यादव की सहमति से हुई है।
नेताजी बोस के ग़ायब होने में रहस्य पर कई किताबें लिख चुके अनुज धर की एक किताब ‘इंडियाज़ बिगेस्ट कवर अप’ तहलका मचा चुकी है। उनकी एक किताब शास्त्री जी की मौत के रहस्य पर भी आ चुकी है।
लेखक पत्रकार विष्णु शर्मा की नई किताब ‘कांग्रेस प्रेसिडेंट फ़ाइल्स’ यूँ तो आते ही चर्चा में थी लेकिन उसका औपचारिक लोकार्पण नहीं हुआ था जो विश्व पुस्तक मेले के आख़िरी दिन यानी 9 फ़रवरी को हुआ और इस कार्यक्रम में तीन विशेष अतिथि मंच पर थे।
‘नेताजी मिशन’ के लिए मशहूर लेखक अनुज धर, गांधीजी हत्याकांड की पड़ताल पर लिखी किताब ‘हे राम’ के लेखक प्रखर श्रीवास्तव और ‘मोदी Vs ख़ान मार्केट गैंग’ के लेखक अशोक श्रीवास्तव। तीनों की ही ये किताबें धूम मचा चुकी हैं। सबसे दिलचस्प बात है कि कार्यक्रम के संचालन की बागडोर अपनी वन लाइनर के लिए मशहूर नीरज बधवार को सौंपी गई थी। जिनकी व्यंग्य पर लिखी गई किताबें ‘हम सब फ़ेक हैं’ और ‘बातें कम स्कैम ज़्यादा’ बेस्ट्सेलर रह चुकी हैं।
नेताजी बोस के ग़ायब होने में रहस्य पर कई किताबें लिख चुके अनुज धर की एक किताब ‘इंडियाज़ बिगेस्ट कवर अप’ तहलका मचा चुकी है, उनकी एक किताब शास्त्री जी की मौत के रहस्य पर भी आ चुकी है। देश विदेश के बड़े संस्थानों में उनको बोलने के लिये बुलाया जाता है तो श्रीवास्तव ब्रदर्स के नाम से मशहूर प्रखर और अशोक डीडी एंकर व लेखक हैं। इस अवसर पर अनुज धर ने कहा कि, विष्णु शर्मा अपनी किताबों में इतिहास के पन्नों से ऐसी दिलचस्प कहानियाँ ढूँढ कर लाते हैं, जो आपको हैरान कर देंगी।
उदाहरण के लिए उन्होंने बताया कि इस किताब में उन्होंने ऐसे कांग्रेस अध्यक्ष के बारे में लिखा है जो ना केवल भारतीय कॉल गर्ल्स की चिंता करता था बल्कि चीनी नागरिकों के लिए भी चिंतित था। प्रखर श्रीवास्तव ने कहा, मैंने केवल इस किताब से जाना कि सावरकर को फाँसी की सजा देने वाला जज भी कांग्रेस का अध्यक्ष रह चुका था। विष्णु शर्मा फैक्ट्स के मामले में काफ़ी मेहनत करते हैं और न्यूट्रल संदर्भ ग्रंथ से ही फैक्ट्स लेते हैं। अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि, आज इस तरह की किताबें नई पीढ़ियों के लिए वो सब लेकर आ रही हैं, जो अब तक छुपाया जा रहा था। और ये सब काम विष्णु शर्मा जैसे वो लोग कर रहे हैं, जो मूल रूप से पत्रकारिता करियर में थे।
इस मौक़े पर इस किताब को छापने वाले प्रकाशन संस्थान प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार और पीयूष कुमार ने उन चुनौतियों का ज़िक्र किया, जो इस तरह की किताबों को छापने में आती हैं। उन्होंने कहा कि, हम केवल ये चेक करते हैं कि फैक्ट्स का संदर्भ सही जगह से, सही तरीक़े से लिया गया है कि नहीं, फिर हम पूरी तरह लेखक का साथ देते है। लेखक विष्णु शर्मा भी अपनी किताबों इंदिरा फ़ाइल्स, इतिहास के 50 वायरल सच, गुमनाम नायकों की गौरवशाली गाथाओं के लिए जाने जाते हैं। उनकी सारी किताबें इस तरह की हैं कि कहीं से भी, किसी भी चैप्टर से पढ़ी जा सकती हैं, हर चैप्टर एक अलग कहानी है।
नीलेश मिश्रा के रेडियो शो के लिए महावीर चक्र विजेताओं पर कहानियाँ भी लिख चुके हैं। फ़िल्म समीक्षक भी हैं, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर जी म्यूजिक से आये उनके गीत को अनु मलिक ने कंपोज़ किया था, जिस पर 10 हज़ार रील्स बनी थीं। 2025 की शुरुआत भी विष्णु शर्मा ने 26 जनवरी को अपना नया गीत रिलीज़ करके की है।
संविधान के 75 साल पूरा होने पर ‘ये संविधान है ‘ गीत ज़ी म्यूजिक ने रिलीज़ किया, इसे भी अनु मलिक ने कंपोज किया है और आवाज़ दिव्य कुमार व अनु मलिक ने दी है। ये किताब अमेज़ोन, फ़्लिपकार्ट आदि सभी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर ऑनलाइन उपलब्ध है।
उन्होंने जून 2004 से अक्टूबर 2008 तक लगभग साढ़े चार साल तक ‘एक्सचेंज4मीडिया’ में संपादकीय टीम का नेतृत्व किया और इसकी प्रारंभिक वर्षों की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वरिष्ठ पत्रकार कल्याण कर का निधन हो गया है। वह कुछ वर्षों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे, उन्होंने सात फरवरी को अंतिम सांस ली। कल्याण कर के परिवार में उनकी पत्नी मिताली कर हैं।
कल्याण कर ने पत्रकारिता में लंबा समय बिताया। कल्याण कर वर्ष 1998 से 2000 तक ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’के बिजनेस एडिटर रहे। इसके बाद जून 2000 से जुलाई 2001 तक उन्होंने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’में रेजिडेंट एडिटर के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
उन्होंने जून 2004 से अक्टूबर 2008 तक लगभग साढ़े चार साल तक ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media.com) में संपादकीय टीम का नेतृत्व किया और इसकी प्रारंभिक वर्षों की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वर्ष 2008 के अंत में ‘एक्सचेंज4मीडिया’ छोड़ने के बाद भी वह मीडिया में सक्रिय रहे और विभिन्न वेबसाइट्स व व्यावसायिक प्रकाशनों के साथ काम करते रहे। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में उनकी सक्रियता थोड़ी कम हो गई थी।
उन्होंने जहां भी काम किया, अपने सहयोगियों के साथ गहरे रिश्ते बनाए और एक सकारात्मक छाप छोड़ी। तमाम जानने वालों और शुभचिंतकों ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देने और उनके परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।
मद्रास हाई कोर्ट ने पत्रकारों की निजता और प्रेस की स्वतंत्रता की सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।
मद्रास हाई कोर्ट ने पत्रकारों की निजता और प्रेस की स्वतंत्रता की सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी पत्रकार को उसके व्यक्तिगत डेटा को उजागर करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
जस्टिस जी. के. इलानथिरायन ने अन्ना यूनिवर्सिटी में यौन उत्पीड़न के एक मामले की जांच कर रही एसआईटी (विशेष जांच दल) की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी की। एसआईटी ने इस मामले की जांच के दौरान कई पत्रकारों को समन भेजा था और उनसे 50 से अधिक सवाल पूछे थे। इन सवालों में उनकी विदेश यात्राओं, संपत्तियों और निजी जीवन से जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में जानकारी मांगी गई थी, जिसे कोर्ट ने पूरी तरह अनुचित और निजता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पत्रकारों से उनकी व्यक्तिगत जानकारियां मांगना और उन पर दबाव बनाना न केवल मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि प्रेस को डराने-धमकाने की कोशिश भी है। कोर्ट ने इस बात को भी रेखांकित किया कि प्रेस की स्वतंत्रता और निजता एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।
चार पत्रकारों ने एसआईटी की इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उनके स्मार्टफोन जब्त कर लिए गए और उनसे पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन से जुड़े कई सवाल पूछे गए। कोर्ट ने एसआईटी को फटकार लगाते हुए कहा कि उसने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर पत्रकारों को परेशान किया। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी पत्रकारों के मोबाइल फोन और अन्य जब्त किए गए उपकरणों को 10 फरवरी तक वापस करे और उनसे आगे कोई भी अनावश्यक पूछताछ न करे।
कोर्ट ने यह भी पाया कि एसआईटी ने मामले की जांच के दौरान एफआईआर लीक करने वाले वास्तविक स्रोत का पता लगाने की कोशिश तक नहीं की। इसके बजाय, उसने सीधे पत्रकारों को निशाना बनाया, जो कि कानून की प्रक्रिया के विपरीत है। कोर्ट ने एसआईटी को निर्देश दिया कि वह अपनी जांच की प्रक्रिया को केस डायरी में दर्ज करे और भविष्य में पत्रकारों को अनावश्यक रूप से परेशान करने से बचे।
इस फैसले को प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि पत्रकार स्वतंत्र रूप से अपनी जिम्मेदारी निभा सकें, बिना किसी अनुचित दबाव या उत्पीड़न के।