त्रिपुरा के खायरपुर में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी माकपा के बीच हुए संघर्ष की कवरेज करने गए तीन स्थानीय पत्रकारों पर हमले की खबर सामने आई है
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से करीब 10 किलोमीटर दूर खायरपुर में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी माकपा के बीच हुए संघर्ष की कवरेज करने गए तीन स्थानीय पत्रकारों पर हमले की खबर सामने आई है। बता दें कि इस मामले में अब तक तीन अलग-अलग शिकायतें दर्ज की गई हैं, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
नव राजधानी परिसर क्षेत्र की उपमंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) प्रिया माधुरी मजूमदार ने बताया कि स्यंदन पत्रिका के प्राणगोपाल आचार्य, राइजिंग त्रिपुरा टीवी चैनल के पिंटू पाल और मृणालिनी, ईएनएन टीवी चैनल के बिस्वजीत देबनाथ पर रविवार को हमला किया गया।
एसडीपीओ ने बताया, ‘इस हमले में करीब चार-पांच व्यक्ति जख्मी हुए हैं और तीन पत्रकारों पर हमला किया गया है लेकिन वे घायल नहीं हुए हैं। इस मामले में तीन शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें से एक पत्रकार संगठन की ओर से की गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।’
अगरतला प्रेस क्लब ने घटना की निंदा की है और पत्रकारों पर हमले में शामिल लोगों को सख्त सजा देने की मांग की है। अगरतला प्रेस क्लब के सचिव प्रणब सरकार ने कहा कि क्लब के सदस्यों ने एसडीपीओ से मुलाकात की है और उन्होंने हमले में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सोमवार को जारी किए गए बयान में मीडिया अधिकारों के लिए काम करने वाले असेंबली ऑफ जर्नलिस्ट्स (एओजे) ने बताया कि यह घटना रविवार दोपहर को हुई। एओजे के महासचिव सनित देबरॉय ने बताया कि 7-8 उपद्रवियों के समूह द्वारा पत्रकारों के एक समूह पर तब हमला किया गया जब वे उस संघर्ष को कवर करने गए थे। बोधजंगनगर थाने में दर्ज करवाई गई रिपोर्ट में पत्रकारों ने बताया कि उपद्रवियों ने उनका कैमरा छीनने की कोशिश की और उन्हें धमकाया।
एओजे का दावा है कि पत्रकारों पर यह हमला कोई अचानक हुई घटना नहीं है, बल्कि सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के विवादित बयान, जहां उन्होंने ‘गलत कोविड-19 रिपोर्टिंग’ को लेकर मीडिया के एक वर्ग को ‘माफ न करने’ की बात कही थी, के बाद से ‘त्रिपुरा में मीडिया पर हो रहे लगातार हमलों का हिस्सा’ ही हैं।
गौरतलब है कि सितंबर महीने में मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने कहा था कि ‘कुछ अति उत्साहित अखबार’ राज्य में कोविड-19 की स्थिति के बारे में जनता में भ्रम फैला रहे हैं, जिन्हें मैं कभी माफ नहीं करूंगा।’ मीडिया संगठनों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा था कि राज्य सरकार मीडिया को अपना गुलाम बनाने की कोशिश कर रही है।
इस बीच मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा कि उनकी सरकार राज्य में पत्रकारों समेत हर किसी की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि त्रिपुरा में आयुष्मान भारत योजना के तहत काम कर रहे पत्रकारों को 5 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस कवर दिया जाएगा।
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‘भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण’ (TRAI) के पूर्व चेयरमैन राहुल खुल्लर का मंगलवार की सुबह निधन हो गया है। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। 1975 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी खुल्लर को मई 2012 में ट्राई का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। वह करीब तीन साल तक इस पद पर रहे।
खुल्लर ने ऐसे समय में ट्राई के मुखिया का पद संभाला था, जब दूरसंचार आपरेटरों ने स्पेक्ट्रम नीलामी पर नियामक की सिफारिशों के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से पोस्ट ग्रेजुएट खुल्लर ट्राई का चीफ नियुक्त होने से पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में सेक्रेटरी के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
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उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण के बाद विपक्षी दलों ने विधानसभा की पत्रकार दीर्घा में कवरेज के लिए मीडिया को नहीं बैठने देने का मुद्दा उठाया, जिसके जवाब में विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना काल के कारण पत्रकारों के लिए अलग व्यवस्था की गई थी और इस बारे में जल्द ही कोई फैसला लिया जाएगा।
नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने राज्यपाल के अभिभाषण के बाद पूछा कि विधानसभा में पत्रकार दीर्घा से पत्रकारों को क्यों दूर रखा गया है और क्या कोविड-19 केवल पत्रकारों को ही प्रभावित करता है, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और नेता विपक्ष को नहीं?
चौधरी की इस बात का समर्थन बहुजन समाज पार्टी के विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता अराधना मिश्रा ने भी किया। इस पर विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि कोरोना काल में पत्रकारों की सहमति से यह निर्णय लिया गया था कि मीडिया के लिए बैठने की अलग व्यवस्था कर दी जाए और उसी हिसाब से अलग व्यवस्था की गई थी।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों ने कोई आपत्ति नहीं जताई है। लालजी वर्मा और अराधना मिश्रा ने इस पर कहा कि कुछ पत्रकारों को अनुमति दी जानी जाए, जिससे कि वे सदन की कार्यवाही सही ढंग से देखें और उसकी रिपोर्टिंग करें। विधानसभा अध्यक्ष ने इसके जवाब में कहा कि इस पर कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में विचार कर लिया जाएगा।
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मध्यप्रदेश का स्टेट प्रेस क्लब हर साल की तरह पत्रकारिता पर केंद्रित अपना सालाना जलसा ‘भारतीय पत्रकारिता महोत्सव’ 19 फरवरी यानी आज से आयोजित कर रहा है, जोकि तीन दिनों तक चलेगा। मध्यप्रदेश का यह बहुप्रतिष्ठित का आयोजन रविन्द्र नाट्यगृह इंदौर में आयोजित किया जा रहा हैं। तीन दिनी इस बौद्धिक अनुष्ठान में पत्रकारिता, शिक्षा और सामाजिक सरोकारों से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर रोजाना टॉक-शो, परिचर्चा, परिसंवाद आदि कार्यक्रम होंगे। रोजाना रात्रि को 8 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
इस जलसे में गुजरात, दिल्ली,जम्मू कश्मीर, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों से तीन सौ से अधिक पत्रकार शिरकत करेंगे। इस बार का आयोजन भारत के महान शब्द शिल्पियों और संपादकों- राहुल बारपुते, राजेंद्र माथुर, शरद जोशी, प्रभाष जोशी और माणिक चन्द्र वाजपेई जी को समर्पित है। इन सभी ने इंदौर को अपनी कर्मस्थली बनाया।
19 से 21 फरवरी 2021 तक चलने वाले इस आयोजन में प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार और विभिन्न महाविद्यालयों में अध्ययनरत् शोधार्थी छात्र शामिल होंगे। पत्रकारिता महोत्सव के तहत रोजाना मीडिया की लक्ष्मण रेखा, देश की प्रगति और मीडिया, टूटता भरोसा, बढ़ता गुस्सा, महिला मुद्दे और मीडिया, भविष्य की मीडिया शिक्षा एवं कोरोना काल और पत्रकारिता विषय पर टॉक शो होंगे।
इस प्रतिष्ठित आयोजन में जहां मीडियाकर्मियों का सम्मान समारोह होगा, वहीं फैशन फोटोग्राफी पर वर्कशॉप भी होगी। तीनों दिन तीसरे प्रेस आयोग की मांग पर विभिन्न पत्रकार संगठन गंभीर चिंतन करेंगे। इस मौके पर ‘मीडिया की लक्ष्मण रेखा’ विषय पर केन्द्रित स्मारिका का प्रकाशन भी होगा।
असम के मंत्री हेमंत बिस्व सरमा की छवि खराब करने की कोशिश करने के आरोप में बुधवार को चार पत्रकारों समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया
असम के मंत्री हेमंत बिस्व सरमा की छवि खराब करने की कोशिश करने के आरोप में बुधवार को चार पत्रकारों समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसमें एक महिला पत्रकार भी शामिल है। इन पर ‘गलत मंशा’ से मंत्री की अपनी बेटी के साथ फोटो शेयर करने का आरोप है।
मंत्री की पत्नी ने पॉक्सो कानून के तहत गुवाहाटी के दिसपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की।
गुवाहाटी शहर के पुलिस आयुक्त मुन्ना प्रसाद गुप्ता ने बताया कि स्थानीय समाचार वेबसाइट ‘प्रतिबिंब लाइव’ के प्रधान संपादक तौफीकुद्दीन अहमद और समाचार संपादक आसिफ इकबाल हुसैन को साजिश की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा दो अन्य कर्मचारियों नजमुल हुसैन और नुरुल हुसैन को हिरासत में लिया गया, जिसके बाद उन्हें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
पुलिस ने कहा कि दो अन्य पत्रकारों शिवसागर में 'स्पॉटलाइट अस' के नांग नोयोनमोनी गोगोई और 'बोडोलैंड टाइम्स' की पुली मुचाहेरी को भी इस सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
वहीं, मंत्री सरमा ने पत्रकारों से कहा कि यह राजनीतिक साजिश का एक स्पष्ट मामला है, लेकिन इस हद तक नीचे जाने से संबंधित लोगों की घटिया मानसिकता झलकती है। यह फोटो गलत इरादे से पोस्ट किया गया। यह बड़ा ही परेशान करने वाला है, जिससे वह रात भर सो नहीं सके।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) जीपी सिंह ने कहा कि पुलिस यौन अपराध से बच्चों की सुरक्षा (पॉक्सो) अधिनियम के सख्त प्रावधानों के तहत ऐसे सभी प्रयासों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।
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‘भारतीय जनता युवा मोर्चा’ (बीजेवाईएम), दिल्ली के पूर्व सचिव मनीष मिश्रा ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ‘ट्विटर’ (Twitter) पर अपना अकाउंट सस्पेंड करने का आरोप लगाया है। मनीष मिश्रा का आरोप है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के गांधी परिवार पर अपने विचारों को सोशल मीडिया पर व्यक्त करने पर उनके ट्विटर अकाउंट पर प्रतिबंध लगा दिया है।
एक लिखित बयान में मिश्रा का कहना है कि इस तरह का निलंबन लोकतंत्र का अपमान करता है और बोलने की आजादी पर सवाल उठाता है। मिश्रा के अनुसार, ‘अगर किसी राजनीतिक दल के एक प्रमुख व्यक्ति के खिलाफ ट्वीट किया जाता है तो यह कैसे गलत है? यदि राजनीतिक बल पर लोगों को निशाना बनाया जा रहा है तो लोकतंत्र की दुनिया कैसे चलेगी?’
बता दें कि मिश्रा ने हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को लेकर एक ट्वीट किया था। भारत के संविधान का हवाला देते हुए मिश्रा ने कहा, ‘अनुच्छेद 19 (1) (ए) ने हमें वह अधिकार दिया है जो वैचारिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हक देता है। हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं, फिर भी हमने जो दृष्टिकोण हासिल किया है वह अत्याचार के काफी करीब है।’
मिश्रा ने हाल की स्थिति की तुलना वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल से करते हुए कहा, ‘इस बार भी सिर्फ उनके खिलाफ उठाने वाली आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है। गांधी परिवार के खिलाफ आवाज उठाने पर इस तरह के कदम उठाए जाते हैं, विशेषकर जब कोई उनसे सही सवाल करता है। उन्हें वास्तव में लोकतंत्र की परिभाषाएं सीखने की जरूरत है।’
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नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के अध्यक्ष और लेखक रास बिहारी ने नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बंगाल के सियासी परिदृश्य को को केंद्रबिंदु बनाकर लिखी गई अपनी तीन पुस्तकें 'रक्तांचल-बंगाल की रक्तचरित्र राजनीति', 'रक्तरंजित बंगाल लोकसभा चुनाव-2019' और 'बंगाल-वोटों का खूनी लूटतंत्र' भेंट कीं।
इस मौके पर नरेंद्र सिंह तोमर ने इन पुस्तकों को पठनीय बताते हुए कहा कि लेखक रास बिहारी ने कई वर्षों की मेहनत और तथ्यात्मक खोजपरक के उपरांत हर उस मुद्दे की गहराई से पड़ताल की है, जो बंगाल की सियासत पर असर डालता है। इस मौके पर रास बिहारी के साथ प्रेस कांउसिल ऑफ इंडिया के सदस्य तथा एनयूजे के संगठन सचिव आनंद राणा, एनयूजे के उपाध्यक्ष तथा वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप तिवारी, एनयूजे के कोषाध्यक्ष अरविंद सिंह, कार्यकारिणी सदस्य तथा पत्रकार विवेक जैन और पत्रकार डीआर सोलंकी भी मौजूद थे।
गौरतलब है कि वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी की इन तीनों पुस्तकों का विमोचन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने विक्टोरिया हॉल, कोलकाता में किया था। तीनों पुस्तकों को यश पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है।
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कर्नाटक के वरिष्ठ पत्रकार और लेखक निरंजन निक्कम अब हमारे बीच नहीं रहे। दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार रात उनका निधन हो गया। वे 66 साल के थे।
बताया जा रहा है कि दिल में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें मंगलवार की रात को बेंगलुरु स्थित कोलंबिया एशिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिवार ने इस बात की जानकारी दी कि इलाज से पहले ही उनका निधन हो गया।
निक्कम के परिवार में पत्नी, एक पुत्र और एक पुत्री है। निरंजन निक्कम, डेक्कन हेराल्ड के मैसूर ब्यूरो प्रमुख के रूप में रिटायर हो चुके थे। निक्कम ने कई वर्षों तक स्थानीय अग्रणी अंग्रेजी दैनिक ‘स्टार ऑफ मैसुरू’ के लिए भी काम किया था।
मैसुरू जिला पत्रकार संघ के सदस्यों ने निक्कम के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
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विश्व रेडियो दिवस के संदर्भ में, ‘मन का रेडियो’ विषय पर पीआईबी, भोपाल, आरओबी भोपाल और शोध पत्रिका ‘समागम’ द्वारा 17 फरवरी 2021 को पीआईबी भोपाल में दोपहर 3 बजे एक सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।
रेडियो की उपयोगिता, स्वीकार्यता और प्रभाव पर केंद्रित इस सेमिनार में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश, डॉक्टर सुदाम खाड़े, सचिव, जनसम्पर्क, मध्य प्रदेश, पूजा वर्धन, संयुक्त निदेशक, आकाशवाणी और दूरदर्शन समाचार मध्यप्रदेश, वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार, आकाशवाणी मध्य प्रदेश के कार्यक्रम प्रमुख विश्वास केलकर, माय एफएम भोपाल के कार्यक्रम प्रमुख विकास अवस्थी, आर.जे. अनादि और पीआईबी भोपाल के अपर महानिदेशक प्रशांत पाठराबे वक्ता के रूप में भाग लेंगे।
इस अवसर पर शोध पत्रिका ‘समागम’ के सामुदायिक रेडियो विशेषांक का लोकार्पण भी किया जाएगा। कार्यक्रम आप पीआईबी भोपाल के यू-ट्यूब चैनल, ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज पर लाइव भी देख सकते हैं।
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‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स’ से संबद्ध ‘नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया’ (NUJI) ने केंद्र सरकार से डिजिटल मीडिया के लिए पॉलिसी बनाने की मांग की है। देश में पत्रकारों के प्रमुख संगठन एनयूजे (आई) का कहना है कि डिजिटल मीडिया के माध्यम से फर्जी पत्रकार निजी स्वार्थों के लिए मीडिया का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे देशभर में पत्रकारों की साख पर संकट पैदा हो गया है।
एनयूजे (आई) के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में अध्यक्ष रास बिहारी ने कहा कि देश में पत्रकारों के लिए नेशनल रजिस्टर बनाने की जरूरत है। इसकी मांग लंबे समय से की जा रही है। इस बारे में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री से मुलाकात करके ज्ञापन दिया जाएगा। एनयूजे के महासचिव प्रसन्ना मोहंती ने कहा डिजिटल मीडिया के माध्यम से स्वतंत्र पत्रकार होने का दावा करते हुए बड़ी संख्या में फर्जी पत्रकार मीडिया की साख बिगाड़ने में लगे हुए हैं। एनयूजे के संगठन सचिव और प्रेस काउंसिल सदस्य आनंद राणा ने कहा कि डिजिटल मीडिया के नियमन से फर्जी पत्रकारों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाई जा सकती है।
एनयूजे उपाध्यक्ष प्रदीप तिवारी ने कहा कि डिजिटल मीडिया के माध्यम से फर्जी पत्रकार अपना-अपना एजेंडा साधने में लगे हैं। इन पर रोक लगाने की आवश्यकता है। एनयूजे कोषाध्यक्ष डा.अरविन्द सिंह ने कहा कि मीडिया की साख बरकरार रखने के लिए फर्जी पत्रकारों की चिह्नित करके उनके खिलाफ कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
‘दिल्ली पत्रकार संघ’ (DJA) के अध्यक्ष राकेश थपलियाल ने कहा कि डिजिटल मीडिया की आड़ में फर्जी पत्रकारों द्वारा राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को ब्लैकमेल करने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। बैठक में उत्तरप्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष रतन दीक्षित, एनयूजे के पूर्व उपाध्यक्ष विवेक जैन, जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष राकेश शर्मा, एनयूजे की कार्यकारिणी सदस्य अनिल अग्रवाल, रणवीर सिंह, दीपक सिंह, जम्प कोषाध्यक्ष डी आर सोलंकी, उपजा के कोषाध्यक्ष संतोष यादव, डीजेए के वरिष्ठ सदस्य अशोक किंकर, अमित गौड़ आदि ने सरकार से इस संबंध में जल्दी से जल्दी नीति बनाने की मांग की।
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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की ओर से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी की पुस्तक ‘कोविड-19 सभ्यता का संकट और समाधान’ पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। 12 फरवरी को ऑनलाइन रूप से हुई इस परिचर्चा की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष एवं जाने-माने पत्रकार पद्मश्री रामबहादुर राय ने की। परिचर्चा में स्वागत वक्तव्य लेखक, कलाविद एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी का रहा।
डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘कोविड-19 सभ्यता का संकट और समाधान’ पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘कैलाश सत्यार्थी ने पूरे विश्व में बाल मजदूरों के अधिकारों के प्रति चेतना जगाने का काम किया है। कैलाश जी एक सिद्धहस्त लेखक भी हैं जो जीवन के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालने का काम करते रहते हैं। उनकी कविताएं आपको रोमांच से भर देती हैं। आपके रोएं खड़े कर देती हैं। उनकी इस पुस्तक को पढ़ते हुए ऐसा बार-बार अहसास होता रहा कि हम किसी रिपोर्ताज से गुजर रहे हैं। कैलाश जी बिल्कुल सही कहते हैं कि लम्बे समय तक चलने वाला कोरोना संकट किसी जंतु या वायरस के द्वारा फैलाया संकट नहीं है, बल्कि यह सभ्यता का संकट है।’
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने कहा, ‘इस पुस्तक से नई सभ्यता का शास्त्र रचा जा सकता है। यह पुस्तक अपने आप में मौलिक है। मौलिक इस अर्थ में है कि कोरोना को लेकर जो षड्यंत्रकथाएं रची जा रही हैं, उनसे दूर जाकर यह बात करती है। यह पुस्तक भारत की नेतृत्वकारी भूमिका का भी प्रमाण है। कैलाश सत्यार्थी की पहचान है कि वे सत्य के खोजी हैं जो इस पुस्तक में भी दिखती है। इस पुस्तक में विचार की अमीरी के सूत्र छिपे हैं, जिसे लोगों को यदि समझाया जाए तो पुस्तक की सार्थकता बढे़गी।’ कोरोना महामारी और उससे उपजे संकट के संदर्भ में रामबहादुर राय ने कहा कि अभी अमावस की रात जरूर है, लेकिन यह पुस्तक हमें पूर्णिमा के चांद का भी आश्वासन देती है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि व राज्यसभा सदस्य सोनल मानसिंह का कहना था, ‘कैलाश जी की पुस्तक को छापकर प्रभात प्रकाशन ने अपने प्रकाशन में एक रत्नमणि जोड़ने का काम किया है। यह पुस्तक गागर में सागर है। कोरोना काल के दौरान अपने घरों के अंदर घुट-घुटकर रहने को मजबूर लोगों में जो एक मानसिक विकृति आ गई है, उसके प्रभाव की कैलाश जी अपनी पुस्तक में सम्यक व्याख्या करते हैं और साथ ही समाधान भी पेश करते हैं।’
इस मौके पर कैलाश सत्यार्थी ने कहा, ‘करुणा सकारात्मक, रचनात्मक सभ्यता के निर्माण का आधार है। करुणा में एक गतिशीलता है। एक साहस है और उसमें एक नेतृत्वकारी क्षमता भी है। करुणा एक ऐसी अग्नि है जो हमें बेहतर बनाती है। जब हम दूसरे को देखते हैं और उसके प्रति हमारे मन में एक जुड़ाव का भाव पैदा होता है, तो वह सहानुभूति है। जब हम महसूस करते हैं कि दूसरे का दुख, दर्द हमारी परेशानी है, तब वह संवेदनशीलता हो जाती है। लेकिन बिल्कुल अंदर का जो तत्व है वह है करुणा। यानी दूसरे के दुख-दर्द को अपना दुख-दर्द महसूस करके उसका निराकरण ठीक वैसे ही करें, जैसे हम अपने दुख-दर्द का करते हैं। महामारी से पीड़ित वर्तमान में दुनिया की जो स्थिति हो गई है, उससे निजात करुणा ही दिला सकती है। इसलिए करुणा का वैश्वीकरण समय की जरूरत है।
सुप्रसिद्ध गीतकार एवं सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने कैलाश सत्यार्थी के दार्शनिक पक्ष को इंगित करते हुए कहा, ‘इस पुस्तक को पढ़ते हुए मेरा विश्वास पुख्ता हो गया कि उन्होंने उसी विषय को उठाया है, जिस पर मैं सोच रहा था कि उन्हें उठाना चाहिए। कैलाश जी कोविड काल को व्यापक दृष्टिकोण से देखते हैं। उन्होंने सारे विषयों को करुणा केंद्रित कर दिया है। करुणा हमारे समय का मर्म है। कैलाश जी किताब के जरिये जिन सवालों को उठाते हैं, वे मनुष्य की ऐसी मूल समस्याएं हैं, जो कल भी थीं, आज भी हैं और कल भी रहेंगी।’ प्रसून जोशी ने इस मौके पर इस पुस्तक से एक कविता का भी पाठ किया।
वहीं, सुप्रसिद्ध लेखक एवं पूर्व राजनयिक डॉ. पवन के वर्मा का कहना था, ‘महामारी के दौर में गहन चिंतन को दर्शाती यह पुस्तक बहुत ही प्रासंगिक है। इस महामारी ने मध्यवर्ग को आत्मचिंतन करने का एक अवसर उपलब्ध कराया है। कैलाश जी जिस करुणा, कृतज्ञता, सहिष्णुता और उत्तरदायित्व की बात करते हैं, लोग अगर उसका पालन करने लगें तो उन्हें पूर्ण सुख (टोटल हैप्पीनेस) की प्राप्ति होगी। हमारे जैसे मध्यवर्गीय लोगों को करुणा, कृतज्ञता और उत्तरदायित्व जैसे मूल्यों को अपने जीवन में ज्यादा उतारने की जरूरत है, क्योंकि ये कमी हमसे ज्यादा किसी में नहीं है। इसको हमने कोरोना काल के दौरान घर लौटते दिहाड़ी मजदूरों के प्रति संवेदनहीन होकर दर्शा दिया है। पुस्तक की महत्ता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि कैलाश जी को इसका दूसरा खंड भी लिखना चाहिए।’
मशहूर लेखक एवं नेहरू सेंटर, लंदन के निदेशक अमीश त्रिपाठी ने कहा, ‘कैलाश जी ने बहुत महत्वपूर्ण विषय उठाया है। कोरोना के संदर्भ में ज्यादा चर्चा स्वास्थ्य और आर्थिक संकट को लेकर होती है। लेकिन लोगों के दिल और दिमाग पर उसका जो मानसिक प्रभाव पड़ा है वह सालों नहीं बल्कि दशकों तक नहीं मिटने वाला। कैलाश जी जैसे महान बुद्धिजीवी ने उसके मानसिक और आध्यात्मिक पक्ष को पकड़ा है जो दिल को छू जाता है। पुस्तक की यही सार्थकता है।’
सुप्रसिद्ध राजनीतिज्ञ एवं राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कैलाश जी ने पुस्तक में सभ्यता की चुनौतियां और समाधान दोनों पर बहुत बढि़या विचार किया है। सुधांशु त्रिवेदी ने कुछ नया करने का उपदेश देने वालों को आड़े हाथों लिया और कहा कि वे नया क्या कर लेंगे? जबकि हमारे पास पहले से ही कुछ ऐसी अनमोल चीजें हैं जो हमेशा नई, सदाबहार, कालजयी और प्रासंगिक रहेंगी।
परिचर्चा का संचालन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के डीन एवं कलानिधि के विभागाध्यक्ष प्रो. रमेशचंद्र गौड़ ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रभात प्रकाशन के प्रभात ने किया। इस पूरी परिचर्चा को आप यहां देख सकते हैं-
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