संक्रमण के खतरे को देखते हुए डॉक्टरों ने लोगों के उनसे मिलने-जुलने पर फिलहाल रोक लगा रखी है
वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय इन दिनों दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती हैं। यहां सात अक्टूबर को उनकी ओपन हार्ट सर्जरी हुई है। 73 वर्षीय राम बहादुर राय की सर्जरी डॉ. बिसोई ने की, जो कई घंटे तक चली।
राम बहादुर राय को अब आईसीयू से रूम में शिफ्ट कर दिया गया है, लेकिन संक्रमण की आशंका को देखते हुए अभी कई एहतियात बरती जा रही हैं। इसी के कारण डॉक्टरों ने फिलहाल लोगों के उनसे मिलने-जुलने पर भी रोक लगा रखी है। बताया जा रहा है कि हालत में और सुधार होने पर कुछ दिनों के भीतर ही उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा सकता है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।देश में पत्रकारों के प्रमुख संगठन ‘नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स’ (इंडिया) और ‘दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन’ (डीजेए) ने किसानों के प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों पर हुए हमले की निंदा की है।
देश में पत्रकारों के प्रमुख संगठन ‘नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स’ (इंडिया) और ‘दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन’ (डीजेए) ने किसानों के प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों पर हुए हमले की निंदा की है। सोशल मीडिया पर भी कई महिला पत्रकारों ने अपने साथ हुई छेड़खानी और बदसलूकी की शिकायतें की है।
एक स्टेटमेंट में एनयूजे (आई) के अध्यक्ष रासबिहारी का कहना है, ‘हम मीडिया पर हमले की निंदा करते हैं और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हैं। पत्रकारों को उनका काम करने दिया जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली पुलिस के जवानों पर जानलेवा हमले किए, यह घटना निंदनीय है। यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है। कई महिला पत्रकारों ने अपने साथ हुई बदसलूकी की शिकायतें की हैं।’
प्रेस काउंसिल के सदस्य और एनयूजे (आई) के संगठन सचिव आनंद राणा, डीजेए के अध्यक्ष राकेश थपलियाल और महासचिव के.पी मलिक ने कहा कि मीडियाकर्मियों से बदसलूकी और महिला पत्रकारों के साथ अभद्रता करने वाले प्रर्दशनकारियों की पहचान कर पुलिस को उनके खिलाफ खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए।
दोनों संगठनों की तरफ से कहा गया है कि मीडियाकर्मियों से साथ बदसलूकी की शिकायत प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री और भारतीय प्रेस परिषद से की जाएगी।
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— NUJ(India) (@NUJIndia) January 27, 2021
सरकार से पत्रकारों से हुई बदसलूकी की जांच की मांग@PMOIndia @HMOIndia @PrakashJavdekar@journoras @anand_rana @RakeshKhelToday @KPMalik10 @Journalist_PM pic.twitter.com/rCRrMALfKE
लैरी किंग ने 25 वर्षों से ज्यादा समय तक सीएनएन पर शो होस्ट किया था
अमेरिका के जाने-माने टॉक शो होस्ट लैरी किंग (Larry King) का शनिवार को निधन हो गया है। वह करीब 87 साल के थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लैरी किंग ने 25 सालों से ज्यादा समय तक सीएनएन पर ‘लैरी किंग लाइव’ शो होस्ट किया था।
किंग ने बराक ओबामा से लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और लेडी गागा समेत कई मशहूर हस्तियों, एथलीट्स व अन्य लोगों के इंटरव्यू लिए थे। इस लोकप्रिय शो के 6000 से ज्यादा एपिसोड करने के बाद लैरी किंग वर्ष 2010 में सेवानिवृत्त हुए थे।
किंग के वेरिफाइड फेसबुक अकाउंट पर शनिवार को उनके निधन के बारे में एक पोस्ट की गई है। इस फेसबुक पोस्ट में कहा गया है, 'गहरे दुख के साथ ओरा मीडिया अपने सह-संस्थापक, होस्ट और दोस्त लैरी किंग के निधन की घोषणा करता है, जिनकी आज सुबह 87 साल की उम्र में लॉस एंजिल्स स्थित सीडर-सिनाई मेडिकल सेंटर में मौत हो गई। 63 सालों तक रेडियो, टेलीविजन और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म्स पर लैरी के हजारों इंटरव्यू, पुरस्कार और वैश्विक प्रशंसा एक प्रसारक के रूप में उनकी अद्वितीय और स्थायी प्रतिभा के लिए साक्षी के रूप में खड़े हैं।'
बयान में किंग की मौत की वजह नहीं बताई गई है। हालांकि, सीएनएन ने उनके परिवार के करीबी सूत्र के हवाले से बताया है कि उन्हें जनवरी की शुरुआत में कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। किंग तमाम स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ चुके थे।
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हाथरस जाते वक्त गिरफ्तार किए गए जर्नलिस्ट सिद्दीकी कप्पन को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बातचीत करने की इजाजत दे दी है। वहीं कप्पन की रिहाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई अगले हफ्ते के लिए टाल दी है।
केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पेश हुए और उन्होंने कहा कि कप्पन की मां की हालत बहुत खराब है और वह बेहोशी की हालत में अपने बेटे से बात करना चाहती हैं, उन्हें देखना चाहती हैं, जिसके चलते इस संबंध में अर्जी लगाई गई है। कृपया कप्पन को उनकी मां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत करने दी जाए।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबडे की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। जब मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर सहमति जताई कि कप्पन की मां को उनसे बात करने दी जाए।
इस दौरान यूपी सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि इसे उत्तर प्रदेश सरकार पर छोड़ दिया जाए। अथॉरिटी इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सहूलियत की संभावना को देखेगी।
वहीं, इससे पहले यूपी सरकार ने कप्पन की जमानत का विरोध किया और कहा कि कप्पन पर पीएफआई के मेंबर होने का आरोप है। हाथरस कांड के समय शांति भंग करने का आरोप है।
केरल बेस्ड जर्नलिस्ट कप्पन को तब गिरफ्तार किया गया था, तब वे हाथरस जा रहे थे जहां एक युवती का गैंग रेप करने के बाद हत्या कर दी गई थी। PFI से संबध रखने के आरोप में कप्पन को हाथरस कांड के बाद यहां जाते समय गिरफ्तार किया गया था।
कप्पन की गिरफ्तारी के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में 2 दिसंबर को यूपी सरकार ने कहा था कि मामले की छानबीन के दौरान कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। हाथरस में दलित के गैंग रेप और मौत के बाद जर्नलिस्ट हाथरस जा रहा था तभी यूपी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। यूपी सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि कप्पन जिस अखबार में काम करने की बात कर रहे हैं वह दो साल पहले ही बंद हो चुका है। योगी सरकार ने एफिडेविट में कहा है कि पत्रकार संघ कप्पन की असलियत छिपाने की कोशिश कर रहा है।
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निगम कार्यालय नई दिल्ली में 21 जनवरी 2021 को आयोजित गोष्ठी में राजभाषा के अधिकाधिक प्रयोग पर दिया गया बल
बिजली मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम ‘आरईसी लिमिटेड’ (REC Limited) द्वारा 21 जनवरी 2021 को निगम कार्यालय, नई दिल्ली में राजभाषा गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. सुमीत जैरथ, सचिव, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार थे।
इस मौके पर डॉ. सुमीत जैरथ ने कहा कि राजभाषा के प्रति अनुराग और लगाव राष्ट्र प्रेम का ही एक रूप है। उन्होंने राजभाषा हिंदी के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए 12 ‘प्र’ यानी प्रेरणा, प्रोत्साहन, प्रेम, पुरस्कार, प्रशिक्षण, प्रयोग, प्रचार, प्रसार, प्रबंधन, प्रमोशन, प्रतिबद्धता और प्रयास की भूमिका पर चर्चा करते हुए कार्यालय में राजभाषा के अधिकाधिक प्रयोग पर बल दिया। इस मौके पर उन्होंने आरईसी द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना भी की।
गोष्ठी में बीएल मीणा, निदेशक (सेवा), राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय), आरईसी के सीएमडी संजय मल्होत्रा, निदेशक (तकनीकी) संजीव कुमार गुप्ता, निदेशक (वित्त) अजय चौधरी, मुख्य सतर्कता अधिकारी श्रीमती सुनीता सिंह एवं मुख्यालय के सभी विभागाध्यक्ष भी शामिल हुए। साथ ही सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रमुख भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे। इस मौके पर आरईसी में किए जा रहे राजभाषा कार्यों की संक्षिप्त प्रस्तुति भी दी गई।
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पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में गुरुवार रात हुई सड़क दुर्घटना में एक पत्रकार की मौत हो गई है जबकि एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिस ने यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि मृतक पत्रकार का नाम सोहम मल्लिक है, जबकि मयूख रंजन घोष नाम का एक और संवाददाता गंभीर रूप से घायल है।
पुलिस की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि गुरुवार रात सोहम मलिक और मयूखरंजन घोष दोनों ही एक ही बाइक पर लौट रहे थे, तभी लॉर्ड्स मोड़ पर यह दुर्घटना घटी। अंदेशा लगाया जा रहा है कि बाइक फिसली और वह सड़क के किनारे एक पेड़ से टकरा गई, जिसकी वजह से ये हादसा हुआ। वहीं इस बात की जांच-पड़ताल भी की जा रही है कि कहीं किसी वाहन ने पीछे से कोई टक्कर तो नहीं मार दी।
फिलहाल दोनों को खून से लथपथ हालत में एसएसकेएम अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने सोहम को मृत घोषित कर दिया और मयूख रंजन को आईसीयू में भर्ती किया गया है। उसके सिर पर गंभीर चोट लगी है। मयूख की एक आंख बुरी तरह से जख्मी हो गई है और वह कोमा में हैं। उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। घटना रात 3:00 से 4:00 के बीच की है।
दोनों की नई नई नौकरी लगी थी और वे एक नए न्यूज चैनल के लिए काम करते थे। दोनों लंबे समय से पत्रकारिता करते रहे हैं। सोहम की मौत से कोलकाता के मीडिया जगत में शोक की लहर पसरी हुई है।
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आगरा की जानी-मानी महिला रोग विशेषज्ञ एवं कोरोना वॉरियर डॉ. (स्वर्गीय) दिव्या प्रकाश की स्मृति में पित्ताशय की पथरी एवं गर्भाशय से संबंधित ऑपरेशन के लिए निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया।
आगरा में गुरु का ताल, सिकंदरा स्थित नवनिर्मित शांति वेद चिकित्सा संस्थान में 14 जनवरी 2021 से आयोजित तीन दिवसीय इस चिकित्सीय शिविर में सौ से अधिक ऑपरेशन करने की व्यवस्था की गई और रोजाना लगभग 30 ऑपरेशन किए गए।
डॉ. दिव्या प्रकाश के परिजनों के अनुसार,‘उनका (डॉ. दिव्या का) सपना था कि सामान्य जनता के हित से जुड़ा हुआ कोई नवीन सेवा कार्य किया जाए, जो आगरा एवं समीपवर्ती इलाकों में चिकित्सा के क्षेत्र में एक उदाहरण बने। दुर्भाग्य से कोविड-19 से चार माह तक संघर्ष करते हुए उनका स्वर्गवास हो गया और डॉ. दिव्या का यह स्वप्न उनके जीवन काल में अपूर्ण रह गया।’
डॉ. दिव्या के परिजनों ने उनके अधूरे स्वप्न को पूरा करते हुए इस शिविर को उन जरूरतमंदों को समर्पित किया है, जिन्हें इस शल्य चिकित्सा की अत्यन्त आवश्यकता थी।
लॉयन्स क्लब ऑफ आगरा विशाल के सौजन्य से आयोजित इस शिविर में डॉ. अजय प्रकाश, डॉ. संजय प्रकाश, डॉ. मधु प्रकाश, डॉ. श्वेतांक प्रकाश, डॉ. ब्लॉसम प्रकाश, डॉ. स्वाती प्रकाश, डॉ. शिवांक प्रकाश, डॉ. बीबी बंसल, डॉ. मिहिर गुप्ता, डॉ.एससी साहनी, नर्सिंग स्टाफ और समस्त शांति वेद परिवार का विशेष योगदान रहा।
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में नींद की दवा का ओवरडोज लेने से एक युवती की बुधवार रात को एक अस्पताल में मौत हो गई। बताया जा रहा है कि यह वही पीड़ित युवती है, जिसने अखबार के एक मालिक पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था।
एक पुलिस अधिकारी ने मीडिया को बताया कि एक किशोरी ने भोपाल में स्थित सरकारी बालिका आश्रय गृह में नींद की गोलियां खा ली थीं, इसके बाद उसे सोमवार रात को गंभीर हालत में सरकारी हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
वहीं, हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आईडी चौरसिया ने बताया कि किशोरी को सोमवार रात को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, बुधवार रात को उसकी मौत हो गई। जिला प्रशासन ने बुधवार को ही इस मामले में न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।
बता दें कि पिछले साल जुलाई में स्थानीय अखबार चलाने वाले 68 वर्षीय प्यारे मियां के खिलाफ पांच नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। पुलिस महानिरीक्षक (IG) उपेन्द्र जैन ने बताया कि जिस लड़की ने सोमवार रात को नींद की गोलियां खाई थीं, वह इन पांच पीड़ित बालिकाओं में से एक थी। उन्होंने बताया कि पीड़ित लड़कियों को सुरक्षा के मद्देनजर सरकारी बालिका आश्रय गृह में रखा गया था, इनमें से दो बालिकाओं की तबीयत सोमवार रात को बिगड़ गई, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने बताया कि इनमें से एक लड़की की हालत बेहद नाज़ुक होने पर सोमवार देर रात को ही उसे हमीदिया अस्पताल रेफर किया गया था। आईजी ने बताया कि घटना के बाद जिलाधिकारी ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही असली तस्वीर सामने आएगी।
इस बीच, कमला नगर थाना प्रभारी विजय सिसोदिया ने गुरुवार को बताया कि अत्यधिक मात्रा में नींद की गोलियों का सेवन करने वाली दुष्कर्म पीड़िता का हमीदिया अस्पताल में उपचार किया जा रहा था, लेकिन बुधवार रात को अस्पताल में उसकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि यह पता लगाया जा रहा है कि आश्रय गृह में उसे नींद की गोलियां कैसे मिलीं।
गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में भोपाल के रातीबड़ इलाके में पांच लड़कियों के नशे की हालत में घूमने के बाद प्यारे मियां और उसकी साथी स्वीटी विश्वकर्मा (21) के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. मियां पर आरोप है कि उसने नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण किया। पुलिस ने बाद में उसे जम्मू-कश्मीर से गिरफ्तार किया था।
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दूरदर्शन के एक वरिष्ठ अधिकारी ईटानगर स्थित अपने आधिकारिक आवास में मंगलवार 19 जनवरी को मृत पाए गए।
दूरदर्शन के एक वरिष्ठ अधिकारी ईटानगर स्थित अपने आधिकारिक आवास में मंगलवार 19 जनवरी को मृत पाए गए। वह 50 साल के थे।
दूरदर्शन के रीजनल न्यूज चैनल ‘डीडी न्यूज अरुणाचल’ ने ट्विटर के जरिए इसकी जानकारी दी कि ईटानगर स्थित दूरदर्शन केंद्र में निदेशक (इंजीनियरिंग) और कार्यालय प्रमुख के. मोरंग की मृत्यु हो गई। मोरंग, 1995 में भारतीय प्रसारण इंजीनियरिंग सेवा में शामिल हुए थे और वह पिछले चार साल से स्थानीय दूरदर्शन केंद्र के प्रमुख थे।
Shri K Morang, Director of Engineering & Head of Office of DDK Itanagar passed away early this morning. He was only 50 years old. He joined IBES in 1995 & was heading DDK Itanagar for last 4 yrs. RNU DDK family is deeply sadden by the early demise of Shri K Morang. RIP ? pic.twitter.com/x6BwVYKr8b
— DD NEWS ARUNACHAL (@DDNewsArunachal) January 19, 2021
बुधवार को मोरंग के शव का पोस्टमार्टम कराया गया, लेकिन खबर लिखे जाने तक उनके मौत का सटीक जानकारी नहीं मिल पाई है। वैसे आशंका जताई जा रही है कि मोरंग की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई होगी।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक अधिकारी की मौत के समय उनका परिवार साथ नहीं था। मोरंग ‘डीडी अरुणप्रभा’ चैनल की लॉन्चिंग टीम के मुख्य सदस्य थे।
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जम्मू-कश्मीर के जाने-माने पत्रकार और उर्दू अखबार ‘वादी की आवाज’ (Wadi ki Awaz) के मालिक और संपादक गुलाम नबी शैद (Ghulam Nabi Shaida) का निधन हो गया है। मंगलवार की रात उन्होंने श्रीनगर स्थित अपने आवास पर आखिरी सांस ली।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 70 वर्षीय शैद पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके परिवार में एक बेटी है। शैद की पत्नी का वर्ष 2015 में निधन हो गया था।
शैद के निधन पर मीडिया के साथ ही तमाम सामाजिक व राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोगों ने शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। ‘कश्मीर एडिटर्स गिल्ड’ (KEG) ने शैद के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि शैद को हमेशा उनमें काम और विनम्र स्वभाव के लिए जाना जाएगा।
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‘माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय’ (एमसीयू) और यूनिसेफ द्वारा आयोजित ‘जन-स्वास्थ्य और तथ्यपरक पत्रकारिता’ पर आधारित कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने विद्यार्थियों को बेहतर पत्रकारिता के गुर सिखाए। इस मौके पर प्रो. केजी सुरेश का कहना था, ‘स्वास्थ्य पत्रकारिता न केवल सामाजिक दृष्टिकोण से जरूरी है, बल्कि पत्रकारिता का विद्यार्थी होने के नाते ये आपके करियर के लिए भी आवश्यक है। इसलिए आपका कर्त्तव्य बनता है कि आप फेक कंटेंट को बेनकाब करें।‘
कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे प्रो. सुरेश ने कहा कि आजकल कोरोना को लेकर बहुत फेक कंटेंट आ रहा है, जिससे सनसनी फैल रही है। इसलिए ऐसे मामलों में सरकारी पक्ष जानना बहुत जरूरी है। बिना तथ्यों को जांचे-परखे कभी भी खबरों को प्रकाशित/प्रसारित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी पक्ष के साथ ही खबरों को प्रकाशित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नकारात्मक खबरें छापने का दूरगामी परिणाम होता है, इसलिए हमें सकारात्मक खबरें छापना चाहिए। कोरोनाकाल में अफवाहें, अटकलें फैलाईं जा रही हैं, जो तेजी से बढ़ती जा रही हैं, पत्रकारिता के विद्यार्थी होने के नाते आपको साक्ष्य आधारित पत्रकारिता करते हुए अपनी जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता की सराहना करते हुए प्रो. सुरेश ने कहा कि आजकल सूचना के लिए लोगों की भूख बढ़ गई है, अत: हमारा कर्तव्य बनता है कि हम पाठकों तक विश्वसनीय खबरों को पहुंचाएं। प्रो.सुरेश ने कहा कि पत्रकारिता का मूल कार्य सिर्फ सूचित करना, शिक्षित करना ही नहीं है, बल्कि लोगों को प्रेरित करना भी है। हेल्थ रिपोर्टिंग का महत्व बताते हुए प्रो. सुरेश ने कहा कि स्वास्थ्य पत्रकारिता को जिले स्तर तक ले जाने की आवश्यकता है। उन्होंने 29 जनवरी को पत्रकारों के लिए भी स्वास्थ्य पत्रकारिता पर कार्यशाला का आयोजन किए जाने की बात कही।
कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में वरिष्ठ पत्रकार संजय देव ने कहा कि कोरोनाकाल में खबरों की बाढ़ सी आ गई है लेकिन हमें तथ्यों की जांच-पड़ताल करके ही सही सूचनाओं को लोगों तक पहुंचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आशंकाएं एवं समाधान हर जगह से अलग-अलग आ रही हैं, हमें गंभीरता से इन्हें समझते हुए पत्रकारिता करनी चाहिए। हमारा फर्ज बनता है कि हम अफवाहों, अटकलों एवं भ्रमों का निवारण करें और समाज में एक सकारात्मक माहौल का निर्माण करें। स्वास्थ्य पत्रकारिता में डर का वातावरण न बनाने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि हमें तथ्यों के दायरे में रहते हुए समाज में उपयोगी जानकारियों को पहुंचाना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी ने विद्यार्थियों से कहा कि यदि आप स्वास्थ्य पत्रकारिता करना चाहते हैं इसमें विशेषज्ञता का होना बहुत आवश्यक है। आपको इससे संबंधित कुछ जरूरी जानकारियों का पता होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जांच-परख, तथ्य, कौशल एक स्वास्थ्य पत्रकार के पास होना जरूरी है। स्वास्थ्य पत्रकारिता बिना सिद्धांतों के नहीं करने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें वस्तुनिष्ठता, स्पष्टवादिता एवं परिशुद्धता का होना बहुत आवश्यक है। स्वास्थ्य पत्रकारिता को जिम्मेदारी की पत्रकारिता बताते हुए उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे समाज से हमदर्दी रखें, उनसे दूरी न बनाएं।
वरिष्ठ पत्रकार संजय अभिज्ञान ने कहा कि हेल्थ रिपोर्टिंग में खतरा बहुत है, क्योंकि फेक न्यूज से किसी के जीवन को बचाने की जगह उसे मौत के मुंह में भी पहुंचाया जा सकता है। अत: पत्रकारिता के विद्यार्थियों को इससे बचते हुए तथ्यपरक पत्रकारिता करनी चाहिए, पाठकों तक विश्वसनीय एवं सही सूचनाओं को पहुंचाना चाहिए। स्वास्थ्य पत्रकारिता का काम लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है। उन्होंने विद्यार्थियों से समाज हित में कलम उठाकर स्वास्थ्य पत्रकारिता करने की बात कही।
कार्यशाला का समन्वय एवं संचालन वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक लाल बहादुर ओझा ने किया। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. (डॉ.) अविनाश वाजपेयी, यूनिवर्सिटी कैंपस मेंटर डॉ. मणिकंठन नायर, प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर अंकित पांडे, विश्वविद्यालय के जनसंचार, प्रबंधन एवं कंप्यूटर एवं अनुप्रयोग विभाग के साथ ही नोएडा, खंडवा एवं रीवा परिसर के विद्यार्थी भी ऑनलाइन उपस्थित थे।
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