महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में तेलुगू भाषा और साहित्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 'महाराष्ट्र राज्य तेलुगू साहित्य अकादमी' की आधिकारिक घोषणा की है
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में तेलुगू भाषा और साहित्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 'महाराष्ट्र राज्य तेलुगू साहित्य अकादमी' की आधिकारिक घोषणा की है। यह पहल तेलुगू भाषी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अकादमी की गतिविधियों की निगरानी के लिए 11 सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया है, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार हरीश केन्ची सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल हैं।
समिति का नेतृत्व
इस समिति की अध्यक्षता महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री करेंगे, जो पदेन अध्यक्ष होंगे। समिति में राज्य सरकार के उच्चाधिकारियों, जैसे अपर मुख्य सचिव, उप सचिव, निदेशक और सांस्कृतिक मामलों के विभाग के संयुक्त निदेशक भी शामिल हैं। साथ ही, समिति में गैर-सरकारी सदस्यों के रूप में डॉ. पी.वी. रमण (कार्यकारी अध्यक्ष), जगनबाबू गंजि, अशोक कांते, रवि सांगेवनी, गुंडेरी श्रीनिवास, हरीश केन्ची, रवीना चव्हाण, रेणुका बुधराम, गजानन बेजनकीवार, श्रीनिवास कंडुकुरी और सतीश कनकम हैं। यह समिति तीन साल की अवधि के लिए कार्य करेगी।
तेलुगू भाषा और साहित्य का संरक्षण
सांस्कृतिक मामलों के निदेशक सचिन निम्बालकर ने इस अकादमी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि तेलुगू भाषा का संरक्षण और इसका प्रचार-प्रसार राष्ट्रीय एकता को मजबूत करेगा। अकादमी का उद्देश्य तेलुगू और मराठी समुदायों के बीच साहित्यिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही, तेलुगू साहित्य और अनुवादित कार्यों के प्रकाशन के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसके अलावा, तेलुगू साहित्य के क्षेत्र में आजीवन योगदान के लिए एक लाख रुपये का पुरस्कार भी दिया जाएगा।
महाराष्ट्र के विकास में तेलुगू समुदाय का योगदान
महाराष्ट्र के विकास में तेलुगू भाषी लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, चाहे वह निर्माण, उद्योग, कला या संस्कृति का क्षेत्र हो। इतिहासकार मनोहर कदम ने मुंबई के विकास में तेलुगू भाषी लोगों की भूमिका पर लिखा है, जो इस समुदाय के योगदान को रेखांकित करता है। स्वतंत्रता संग्राम, समाज सुधार आंदोलनों और संयुक्त महाराष्ट्र की मांग में भी तेलुगू समुदाय की भागीदारी अहम रही है।
भविष्य की योजनाएं
तेलुगू अकादमी के गठन से महाराष्ट्र और तेलुगू भाषी राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के साहित्यिक संगठनों के बीच सहयोग को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह पहल प्राचीन काल से चली आ रही सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगी। महाराष्ट्र सरकार ने इस महत्वपूर्ण कदम के लिए मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और अन्य संबंधित मंत्रियों का आभार व्यक्त किया है।
महाराष्ट्र राज्य तेलुगू साहित्य अकादमी के गठन से तेलुगू भाषा और संस्कृति के संरक्षण और प्रसार में नई दिशा मिलने की उम्मीद है, जिससे राज्य में साहित्यिक और सांस्कृतिक समृद्धि को और बल मिलेगा।
उत्तर प्रदेश के सम्भल जनपद में स्थित श्री कल्कि धाम में आचार्य प्रमोद कृष्णम की अगुवाई में चल रहे महायज्ञ में शामिल होने पहुंचे थे ‘भारत एक्सप्रेस’ के चेयरमैन, एमडी एवं एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय
‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) के चेयरमैन, एमडी एवं एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने उत्तर प्रदेश के सम्भल जनपद में स्थित श्री कल्कि धाम में चल रहे भव्य 108 कुण्डीय शिलादान महायज्ञ में भाग लिया। श्री कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम के साथ उन्होंने इस महत्वपूर्ण यज्ञ में आहुतियां दीं और मंदिर निर्माण के लिए शिलादान किया। इस मौके पर उपेंद्र राय का कहना था, ‘श्री कल्कि धाम मंदिर जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी ने किया, जिसका निर्माण 2030 तक होगा, आचार्य प्रमोद जी को इसे बनाने का जिम्मा मिला है, ये मंदिर अपने आप में ऐतिहासिक होगा और इसके बनने की कहानी भी इतिहास में दर्ज होगी।’
श्रेष्ठतम की चुनौती है निकृष्टतम: उपेंद्र राय ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे श्रेष्ठ बनने के लिए निकृष्ट चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है, उन्होंने बताया, ‘भगवान ने जब इंसान को बनाया तो देवताओं से कहा था कि मैंने एक बहुत ही उत्कृष्ट चीज बनाई है, वो है इंसान। इस पर देवताओं ने सवाल किया कि प्रभु आपने उत्कृष्ट ही बनाया तो सोने से बना देते, चांदी से बना देते, लोहे से बना देते, सबसे निकृष्ट मिट्टी से क्यों बनाया, जो रोज पैरों के नीचे लगती है? तब जवाब देते हुए भगवान ने कहा- श्रेष्ठतम को निकृष्टतम से होकर जाना पड़ता है. श्रेष्ठतम की चुनौती है निकृष्टतम, जब निकृष्टतम से ऊपर उठा तब जाकर श्रेष्ठ बना। इस प्रकार, अगर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भगवान कल्कि के मंदिर निर्माण का जिम्मा लिया है, तो उन्हें भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी, इनकी कहानी मुझे बहुत आकर्षित करती है। मैं इनकी कहानी से बहुत प्रभावित हूं।’
उपेंद्र राय ने संत को परिभाषित करते हुए कहा, ‘एक संत को ऐसा ही होना चाहिए। साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।’ आचार्य प्रमोद कृष्णम को लेकर उन्होंने बताया, ‘मैं आचार्य जी से बहुत-कुछ सीखता हूं। मैं जब इनसे राय मांगता हूं या जब बात करता हूं, तो ये फोन पर सहज ही उपस्थित हो जाते हैं। ये बहुत व्यस्त होते हैं, लेकिन इनका स्वभाव ऐसा है कि जब किसी का भी फोन आता है तो शांत मन से सुझाव देते हैं। तब हम लोगों को लगता है कि आचार्य जी कितने सुलभ उपस्थित हैं, इनकी यही सुलभता और संतों से इन्हें बहुत अलग करती है।’
सर्व धर्म समभाव की बात करते हुए उपेंद्र राय बोले कि आचार्य प्रमोद कृष्णम का सर्व धर्म समभाव उन्हें औरों से अलग करता है। उनकी सहजता, सहज-वाणी, उनका हिंदी उर्दू अंग्रेजी सभी भाषाओं पर विशेष ज्ञान, कोई जाति-वर्ग विशेष से भेद किए बिना सब लोगों को शामिल करना है। उनका जो सर्व धर्म समभाव वाला स्वभाव है, प्रशंसनीय है।
उन्होंने कहा, ‘आचार्य जी सबका स्वागत करते हैं। एक बार, इनसे एक सवाल पूछा गया था कि आप फारुख अब्दुल्ला का भी स्वागत करते हैं और संतों का भी करते हैं, तो इन्होंने कहा था कि उस फारुख अब्दुल्ला का स्वागत मैं क्यों न करूं, जिन्होंने हमारे कल्कि धाम में बैठकर कीर्तन गाए।’ उन्होंने आगे कहा कि आचार्य प्रमोद कृष्णम की सोच और कार्यशैली से वे बहुत प्रभावित हैं, जो न केवल सनातन धर्म के मूल्यों को बढ़ावा देती है, बल्कि समाज को जोड़ने का काम भी करती है।
इस अवसर पर कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने उपेंद्र राय का धन्यवाद करते हुए कहा, ‘मैं यहां इनकी उपस्थिति से प्रसन्न हूं। मैं इन्हें शुभाशीष देता हूं। श्री कल्कि धाम ट्रस्ट की ओर से मैं उपेंद्र राय जी और अन्य सज्जनों का आभार व्यक्त करता हूं। हम चाहते हैं कि इनका कल्कि धाम से एक अटूट संबंध स्थापित हो। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि 'भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क' जिस तरह से सनातन के कार्य में लगा है, उसी तरह आगे भी लगा रहे।’ श्री कल्कि धाम में 7 से 11 नवंबर तक चल रहे इस महायज्ञ में देश के कई प्रमुख संतों की उपस्थिति है, जो धर्म और अध्यात्मिकता के प्रति समर्पण का एक अद्भुत उदाहरण है।
ताजनगरी आगरा शुक्रवार 8 नवंंबर से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय फुटवियर फेयर 'मीट एट आगरा' के 16वें संस्करण की मेजबानी कर रही है।
ताजनगरी आगरा शुक्रवार 8 नवंंबर से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय फुटवियर फेयर 'मीट एट आगरा' के 16वें संस्करण की मेजबानी कर रही है। यह फेयर आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैंबर (AFMEC) द्वारा आयोजित किया गया है, जो 8, 9 और 10 नवंबर 2024 तक चलेगा। इस फेयर में दुनिया भर के 35 देशों के 200 से अधिक एग्जीबिटर्स भाग ले रहे हैं।
AFMEC के अध्यक्ष पूरन डावर ने आगरा ट्रेड सेंटर में आयोजित प्रेसवार्ता में जानकारी दी कि इस बार फेयर का आयोजन 7200 वर्ग मीटर के क्षेत्र में किया गया है। यहां नवीनतम मशीनरी, शू कंपोनेंट्स और अंतरराष्ट्रीय स्तर की तकनीकों का प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस आयोजन में 20,000 से अधिक विजिटर्स शामिल होंगे, जो फुटवियर उद्योग के विभिन्न घटकों और नई तकनीकों को समझने का अवसर प्राप्त करेंगे।
**व्यापारिक अवसर और उद्योग के लिए शिक्षा का मंच**
AFMEC के कन्वीनर कैप्टन ए.एस. राणा ने बताया कि इस फेयर में चमड़ा, सोल, शू एडेसिव, मशीनरी, और अन्य फुटवियर निर्माण सामग्री का प्रदर्शन किया जा रहा है। यह आयोजन न केवल व्यापारिक अवसरों को बढ़ावा देता है बल्कि इसे एक शैक्षिक मंच के रूप में भी देखा जा रहा है। इस फेयर के माध्यम से छात्र और युवा उद्यमी फुटवियर निर्माण की नवीनतम तकनीकों, उत्पादों और व्यापारिक रणनीतियों को सीख सकते हैं, जो उनके करियर को मजबूती प्रदान करेगा।
अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की ओर एक कदम
AFMEC के महासचिव राजीव वासन ने बताया कि इस बार फेयर में ताइवान, जर्मनी, ब्राजील, स्पेन, इटली और यूनाइटेड किंगडम सहित 35 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों की भागीदारी है। खासतौर पर ताइवान का एक विशेष प्रतिनिधिमंडल भी भाग ले रहा है, जो भारतीय उद्योगपतियों के साथ संभावित व्यापारिक संबंध स्थापित करने की कोशिश करेगा।
व्यापक स्तर पर आयोजन
वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश सहगल ने कहा कि 'मीट एट आगरा' ने अपने आयोजन के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष पहचान बनाई है। यह आयोजन न केवल भारतीय फुटवियर उद्योग के लिए एक बड़ा व्यापारिक मंच है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापारिक संपर्कों को बढ़ाने में सहायक है।
'मीट एट आगरा' की प्रमुख बातें
इस फेयर के उद्घाटन के अवसर पर उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष राकेश गर्ग और एलएसएससी के अध्यक्ष मुख्तारुल अमीन ने भाग लिया। इस मौके पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पांच समूहों को 'एक्सीलेंस अवार्ड' से सम्मानित किया गया। फेयर के दौरान कई सेमिनार और तकनीकी सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें उद्योग के विभिन्न मुद्दों जैसे भूमि अधिग्रहण, वित्त प्रबंधन और निवेश के अवसरों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
तीन दिन का आकर्षण
तीन दिवसीय इस आयोजन के हर दिन विभिन्न गतिविधियां और सत्र होंगे, जो प्रदर्शकों और आगंतुकों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए हैं। इसके साथ ही, आयोजन के आखिरी दिन 'बेस्ट एग्जीबिटर्स' को भी सम्मानित किया जाएगा।
फेयर की शुरुआत आज हुई, जिसमें विभिन्न देशों के प्रदर्शकों ने अपने उत्पादों और तकनीकों का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर AFMEC के सुधीर गुप्ता, अनिरुद्ध तिवारी, और अन्य वरिष्ठ सदस्य विशेष रूप से उपस्थित रहे, जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कंडुला सुब्रमण्यम ‘आउटलुक बिजनेस’, ‘बिजनेसवर्ल्ड’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके थे।
वरिष्ठ पत्रकार कंडुला सुब्रमण्यम का निधन हो गया है। इन दिनों वह गेस्ट लेक्चरार के रूप में ‘Transitional Economics’ में फ्रीलांस काम कर रहे थे। इससे पहले वह ‘Grant Thornton Bharat LLP’ में बतौर सलाहकार अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
सुब्रमण्यम को पत्रकारिता में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव था। वह ‘आउटलुक बिजनेस’ (Outlook Business) में एसोसिएट एडिटर के पद पर काम कर चुके थे। पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो सुब्रमण्यम ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एप्लाइड इकोनॉमिक्स में एम.फिल. की डिग्री प्राप्त की थी।
कंडुला सुब्रमण्यम अपने अब तक के करियर में आउटलुक बिजनेस, बिजनेसवर्ल्ड, इंडियन एक्सप्रेस, फाइनेंसियल एक्सप्रेस और बिजनेस स्टैंडर्ड जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संगठनों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके थे। उन्होंने वर्ष 1996 में अपने करियर की शुरुआत ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ (Business Standard) से की थी।
सुब्रमण्यम ने ऊर्जा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और अर्थव्यवस्था जैसे विषयों पर विशेष लेखन किया। उन्होंने इन विशेष क्षेत्रों पर कई न्यूज स्टोरीज और आर्टिकल्स लिखे। इसके अलावा, ऊर्जा क्षेत्र पर उन्होंने कई शैक्षणिक लेख भी लिखे। उनका एक पेपर ‘Thirteen Years of Power Sector Reform in India: are we still groping in the dark?’ UPenn द्वारा प्रकाशित किया गया था। उन्होंने विश्व बैंक, टेरी और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर ऊर्जा क्षेत्र पर अपनी कई प्रजेंटेशन भी दी थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पत्रकार सिद्धिकी कप्पन को उत्तर प्रदेश के एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में हर सप्ताह रिपोर्ट करने की शर्त से मुक्त कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पत्रकार सिद्धिकी कप्पन को उत्तर प्रदेश के एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में हर सप्ताह रिपोर्ट करने की शर्त से मुक्त कर दिया है। यह शर्त 2022 में अदालत द्वारा उनके जमानत आदेश के तहत लगाई गई थी। कप्पन को अक्टूबर 2020 में हाथरस में साम्प्रदायिक दंगे भड़काने की साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जहां एक दलित महिला के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई थी।
पत्रकार सिद्धिकी कप्पन ने 9 सितंबर, 2022 के अपने जमानत आदेश में संशोधन की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें पहले छह महीनों तक दिल्ली रहने की अनुमति दी गई थी और उसके बाद उन्हें अपने घर, जो कि केरल में है, जाने का अधिकार था।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा और संदीप मेहता की बेंच ने कहा, “हमारी राय है कि 9 सितंबर, 2022 के आदेश का शर्त संख्या 2 संशोधित किया जाना चाहिए। आवेदक को स्थानीय पुलिस स्टेशन पर रिपोर्ट करना आवश्यक नहीं होगा।”
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वकील रुचिरा गोयल ने अदालत को बताया कि राज्य इस आवेदन से चिंतित नहीं है क्योंकि कप्पन वर्तमान में केरल में रह रहे हैं और उन्हें वहां के स्थानीय पुलिस स्टेशन पर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी।
कप्पन के वकील ने कहा कि स्थानीय अदालत का आदेश यूपी स्थित पुलिस स्टेशन का संदर्भ देता है। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि उनके मुवक्किल का पासपोर्ट लौटाया जाए, जिसे उनके निवास से जब्त किया गया था। गोयल ने पासपोर्ट होने से इनकार करते हुए कहा, “हमने उनके दिल्ली निवास से कुछ पुस्तिकाएं और आपत्तिजनक पैम्प्लेट जब्त किए थे। हमारे पास उनका पासपोर्ट नहीं है।”
बेंच ने नोट किया कि पासपोर्ट लौटाने का निर्देश यूपी सरकार के खिलाफ नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “आवेदन (पासपोर्ट लौटाने सहित) में अन्य प्रार्थनाओं पर स्वतंत्र रूप से विचार किया जा सकता है,” जबकि मामले को निपटाया गया।
कप्पन को 6 अक्टूबर 2020 को हाथरस के निकट गिरफ्तार किया गया था और उन पर गंभीर अपराधों जैसे आपराधिक साजिश और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आरोप लगाए गए थे। उनकी जमानत याचिका अगस्त 2022 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा खारिज कर दी गई थी। यूपी सरकार ने आरोप लगाया कि कप्पन पत्रकारिता का उपयोग करके प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की गतिविधियों का प्रचार कर रहे थे।
कप्पन सभी आरोपों से इनकार करते हैं और उन पर UAPA की धारा 17 (आतंकवादी कृत्य हेतु धन जुटाना) और धारा 18 (आपराधिक साजिश) सहित राजद्रोह (धारा 124A) तथा भारतीय दंड संहिता (IPC) अंतर्गत अन्य अपराधों का आरोप लगाया गया है। गिरफ्तारी के समय कप्पन मलयालम न्यूज पोर्टल 'अज़ीमुखुम' (Azhimukhum) से जुड़े हुए थे और उन्होंने दावा किया था कि उन्हें PFI से जुड़े एक समाचार पत्र 'Thejas' के साथ काम करने की वजह से अनावश्यक रूप से जोड़ा जा रहा है।
यह दावा यूपी सरकार द्वारा खारिज कर दिया गया था, जिसने अज़ीमुखुम संपादक द्वारा दिए गए बयान पेश किए थे जिसमें कहा गया था कि चैनल ने उन्हें हाथरस घटना कवर करने हेतु नहीं भेजा था।
उन्हें उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह हाथरस जा रहे थे जहां एक दलित महिला का सामूहिक बलात्कार हुआ था और चार दिन बाद उसकी मौत हो गई थी।
जब कप्पन को जमानत मिली तो कोर्ट ने उनके खिलाफ प्रस्तुत सामग्री की साक्ष्य मूल्य पर सवाल उठाए थे लेकिन उन्होंने कप्पन पर कुछ शर्तें लगाईं थीं जैसे उनका पासपोर्ट जमा करना, मामले से संबंधित किसी व्यक्ति से संपर्क न करना तथा चल रही जांच में सहयोग करना शामिल हैं।
प्रसिद्ध फिल्म एडिटर निशाद युसुफ का बुधवार, 30 अक्टूबर की सुबह कोच्चि स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उनकी उम्र 43 साल थी।
प्रसिद्ध फिल्म एडिटर निशाद युसुफ का बुधवार, 30 अक्टूबर की सुबह कोच्चि स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उनकी उम्र 43 साल थी। मलयालम मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका शव रात करीब 2 बजे कोच्चि के पनमपिल्ली नगर में उनके अपार्टमेंट में पाया गया। पुलिस ने अभी तक मौत का कारण नहीं बताया है। फिलहाल मामले की जांच चल रही है।
फिल्म एम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ केरल (FEFKA) डायरेक्टर्स यूनियन ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर निशाद युसुफ की मौत की पुष्टि की। फिल्म संगठन ने निशाद की तस्वीर साझा करते हुए मलयालम में लिखा, "मलयालम सिनेमा को एक नई दिशा देने वाले संपादक निशाद युसुफ के असमय निधन को फिल्म जगत जल्दी स्वीकार नहीं कर पाएगा। FEFKA डायरेक्टर्स यूनियन की ओर से श्रद्धांजलि।"
हालांकि, क्षेत्रीय मीडिया ने उनके निधन को आत्महत्या की संभावना के रूप में बताया है, लेकिन पुलिस की ओर से इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। *मातृभूमि* के अनुसार, केरल पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और किसी भी संभावना को खारिज नहीं किया गया है।
निशाद युसुफ मलयालम और तमिल सिनेमा के लोकप्रिय फिल्म एडिटर थे। उन्होंने 'थल्लुमाला', 'उंडा', 'वन', 'सऊदी वेलक्का' और 'अडिओस अमिगोस' जैसी प्रमुख फिल्मों पर काम किया था। पिछले साल उन्होंने अपने करियर का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट साइन किया था, जिसमें अभिनेता सूर्या और बॉबी देओल की पैन-इंडिया फिल्म 'कंगुवा' शामिल है, जो 14 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है।
FEFKA के अनुसार, निशाद के पास अन्य प्रोजेक्ट्स भी थे, जिनमें मोहनलाल और ममूटी की आने वाली फिल्म 'बाजूका' और 'अलप्पुझा जिमखाना' शामिल हैं। हरिप्पाड के निवासी निशाद को 2022 में 'थल्लुमाला' के लिए राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
‘BW बिजनेसवर्ल्ड’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘e4m’ ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की माताजी श्रीमती ऊषा बत्रा की याद में दिल्ली में 28 अक्टूबर को प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।
‘BW बिजनेसवर्ल्ड’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की माताजी श्रीमती ऊषा बत्रा की याद में दिल्ली में 28 अक्टूबर को प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।
दिल्ली में लोदी रोड स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के मल्टीपर्पज हॉल में 28 अक्टूबर (सोमवार) को अपराह्न तीन बजे से आयोजित इस प्रार्थना सभा में श्रीमती ऊषा बत्रा को श्रद्धांजलि दी गई और उन्हें याद किया गया।
इस प्रार्थना सभा में डॉ. अनुराग बत्रा के परिजन, शुभचिंतक और तमाम मित्र शामिल हुए, जिन्होंने श्रीमती ऊषा बत्रा को याद करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी जिंदगी से जुड़ी कई घटनाओं व यादों का जिक्र किया।
बता दें कि श्रीमती ऊषा बत्रा का 25 अक्टूबर 2024 को देहांत हो गया था। वह लगभग साढ़े 83 वर्ष की थीं और पिछले कुछ दिनों से वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं। उनका इलाज दिल्ली के एक निजी अस्पताल में चल रहा था, जहां शुक्रवार की सुबह करीब छह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 25 अक्टूबर को ओल्ड गुरुग्राम के मदनपुरी स्थित श्मशान घाट में दोपहर करीब 12:30 बजे उनका अंतिम संस्कार किया गया।
श्रीमती ऊषा बत्रा लंबे समय तक शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत रहीं। उन्होंने शिक्षा और शिक्षकों के प्रशिक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण संस्थान ‘राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (SCERT), हरियाणा में अपनी जिम्मेदारी निभाई। वह सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुई थीं। श्रीमती ऊषा बत्रा को उनके स्नेह, दयालुता और आत्मीय व्यक्तित्व के लिए जाना जाता था।
श्रीमती ऊषा बत्रा की श्रद्धांजलि सभा की कुछ तस्वीरें आप यहां देख सकते हैं।
पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है। CPI(M) के पूर्व विधायक तन्मय भट्टाचार्य पर एक महिला पत्रकार ने यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है।
पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है। CPI(M) के पूर्व विधायक तन्मय भट्टाचार्य पर एक महिला पत्रकार ने यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है। महिला पत्रकार का कहना है कि इंटरव्यू के दौरान भट्टाचार्य उनके साथ आपत्तिजनक व्यवहार करते हुए उनकी गोद में बैठ गए।
महिला पत्रकार ने फेसबुक लाइव के जरिए इस घटना को साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि रविवार को जब वह तन्मय भट्टाचार्य का इंटरव्यू लेने उनके घर गई थीं, तो उन्होंने अनुचित व्यवहार करते हुए उनकी गोद में बैठने की कोशिश की। इसके बाद सोशल मीडिया पर मामला तेज़ी से वायरल हो गया और CPI(M) के भीतर हड़कंप मच गया।
घटना के बाद CPI(M) ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तन्मय भट्टाचार्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। CPI(M) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि पार्टी ने मामले की जांच के लिए एक आंतरिक कमेटी का गठन किया है। सलीम ने स्पष्ट किया कि पार्टी ऐसे किसी भी गलत व्यवहार का समर्थन नहीं करती और इस मामले को गंभीरता से लेकर उचित कार्रवाई करेगी।
CPI(M) ने कहा कि जांच पूरी होने तक भट्टाचार्य निलंबित रहेंगे और कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि तन्मय भट्टाचार्य के खिलाफ पहले भी शिकायतें आई थीं, जिन्हें अब इस जांच में भी शामिल किया जा सकता है।
पत्रकार का कहना है कि उन्हें पहले भी तन्मय भट्टाचार्य के घर पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था। उन्होंने बताया कि भट्टाचार्य को लोगों को छूने की आदत है और वह पहले भी उनका हाथ छू चुके हैं। हालांकि, पहले उन्होंने डर के कारण इसकी शिकायत नहीं की, लेकिन इस बार की घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया।
महिला पत्रकार ने बताया कि जब उनका कैमरामैन इंटरव्यू के लिए फ्रेम सेट कर रहा था, तो उसने तन्मय भट्टाचार्य को एक जगह बैठने के लिए कहा। इसी दौरान, भट्टाचार्य ने इसका फायदा उठाते हुए पहले अपनी जगह पूछी और फिर अचानक आकर उनकी गोद में बैठ गए। इस घटना को याद करते हुए पत्रकार की आवाज कांप उठी।
महिला पत्रकार ने फेसबुक लाइव में कहा कि उन्हें नहीं लगता कि CPI(M) अपने नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी, लेकिन उनका मानना है कि इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह कुछ व्यक्तियों की निजी प्रवृत्ति का परिणाम है। इस मामले की शिकायत बारानगर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई है और CPI(M) ने तन्मय भट्टाचार्य को निलंबित करते हुए आंतरिक जांच का आश्वासन दिया है।
गौरतलब है कि तन्मय भट्टाचार्य CPI(M) के सक्रिय सदस्य रहे हैं और उन्होंने 2016 से 2021 तक उत्तरी दमदम के विधायक के रूप में भी सेवा दी है।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में काशी के अभूतपूर्व विकास की सराहना की। उपेंद्र राय का कहना था, ‘पीएम मोदी का लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद बनारस में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ी है।'
महादेव की नगरी काशी में ‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) न्यूज चैनल की ओर से ‘काशी का कायाकल्प’ कॉन्क्लेव आयोजित किया गया। बनारस कैंट स्थित होटल रमाडा में कॉन्क्लेव के मंच पर ‘भारत एक्सप्रेस’ के सीएमडी एवं एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री रविंद्र जायसवाल ने दीप प्रज्वलन किया।
कॉन्क्लेव में उपेंद्र राय ने काशी के गौरवशाली इतिहास और ‘कायाकल्प’ के बारे में बात की। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में काशी के अभूतपूर्व विकास की सराहना की। उपेंद्र राय का कहना था, ‘बनारस अब निरंतर प्रगति कर रहा है। पीएम मोदी का लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद बनारस में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। पीएम द्वारा यहां काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनवाया गया। 2022 में 7 करोड़ से ज्यादा लोग बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने बनारस पहुंचे। यह संख्या और बढ़ सकती है।’
इसके साथ ही उपेंद्र राय का कहना था, ’बनारस का लिखित इतिहास तो 3 हजार साल पुराना है, हालांकि, जब महाभारत ग्रंथ पढ़ते हैं तो पता चलता है कि साढ़े 5 हजार वर्ष पूर्व, पितामह भीष्म हस्तिनापुर से काशी आए थे। भीष्म ने काशी नरेश की पुत्रियों- अंबा, अंबिका और अंबालिका के लिए आयोजित स्वयंवर में हिस्सा लिया था। इस स्वयंवर में भीष्म बिन बुलाए पहुंचे थे। उन्होंने वहां अन्य सभी राजाओं को चुनौती देते हुए राजकुमारियों का बलपूर्वक हरण किया और तीनों राजकुमारियों को अपने सौतेले भाई विचित्रवीर्य से विवाह करवाने के लिए हस्तिनापुर ले गए थे।’
उन्होंने आगे कहा, ’इस प्रकार हमारे पास काशी का साढ़े 5 हजार वर्ष पहले तक का लिखित इतिहास है। और बात जब सनातन धर्म की होती है, तो इसके 11,ooo वर्ष पुराना होने के प्रमाण मिलते हैं। दुनिया का कोई और मत या मजहब इतना पुराना नहीं है। सनातन धर्म को बाद में हिंदू धर्म कहा जाने लगा, इस हिंदू धर्म के भी 7 हजार साल पुराना होने के साक्ष्य मिलते हैं। जैन और बौद्ध धर्म का इतिहास लगभग 3 हजार साल पुराना है। ईसाई मजहब ढाई हजार साल पहले स्थापित किया गया। इस्लाम का इतिहास लगभग 1400 साल पुराना है। सिख संप्रदाय लगभग 500 साल पहले स्थापित हुआ।’
अपने वक्तव्य में मोक्ष का जिक्र करते हुए उपेंद्र राय बोले, ’अन्य सारे मत-मजहब नरक और स्वर्ग की सीढ़ी तक जाकर फंस जाते हैं। लेकिन सनातन धर्म मोक्ष की बात करता है और काशी मोक्षदायिनी नगरी है। धर्मग्रंथों में काशी को पृथ्वी का प्रवेश द्वारा कहा गया है। कहा जाता है कि जो एक बार काशी आकर बस जाता है और भगवान शिव-पार्वती का संवाद पढ़ेगा, तो वह कभी काशी छोड़कर नहीं जाता। उसकी वजह है कि काशी ‘मोक्ष’ प्रदान करने वाली नगर है। ‘मोक्ष’ वो है, जो आत्माओं को स्वर्ग-नरक से परे जाकर मिलता है। इसमें आत्मा सारे बंधनों से मुक्त हो जाती है।’
कॉन्क्लेव में राजनीति, शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कई विशिष्ट अतिथियों ने हिस्सा लिया।
‘एक्सचेंज4मीडिया’ ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की माताजी श्रीमती ऊषा बत्रा की याद में दिल्ली में 28 अक्टूबर को प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा
‘BW बिजनेसवर्ल्ड’ के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की माताजी श्रीमती ऊषा बत्रा की याद में दिल्ली में 28 अक्टूबर को प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा।
दिल्ली में लोदी रोड स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के मल्टीपर्पज हॉल में 28 अक्टूबर (सोमवार) को अपराह्न तीन बजे से होने वाली इस प्रार्थना सभा में श्रीमती ऊषा बत्रा को श्रद्धांजलि दी जाएगी और उन्हें याद किया जाएगा।
बता दें कि श्रीमती ऊषा बत्रा का 25 अक्टूबर 2024 को देहांत हो गया है। वह लगभग साढ़े 83 वर्ष की थीं और पिछले कुछ दिनों से वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं। उनका इलाज दिल्ली के एक निजी अस्पताल में चल रहा था, जहां शुक्रवार की सुबह करीब छह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
25 अक्टूबर को ओल्ड गुरुग्राम के मदनपुरी स्थित श्मशान घाट में दोपहर करीब 12:30 बजे उनका अंतिम संस्कार किया गया।
श्रीमती ऊषा बत्रा लंबे समय तक शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत रहीं। उन्होंने शिक्षा और शिक्षकों के प्रशिक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण संस्थान ‘राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (SCERT), हरियाणा में अपनी जिम्मेदारी निभाई। वह सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुई थीं। श्रीमती ऊषा बत्रा को उनके स्नेह, दयालुता और आत्मीय व्यक्तित्व के लिए जाना जाता था।
श्रीमती ऊषा बत्रा के निधन पर कई प्रमुख हस्तियों और इंडस्ट्री के दिग्गजों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है और शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
BW बिजनेस वर्ल्ड के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की मां श्रीमती ऊषा बत्रा का शुक्रवार 25 अक्टूबर को निधन हो गया।
BW बिजनेस वर्ल्ड के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप के फाउंडर व चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा की मां श्रीमती ऊषा बत्रा का शुक्रवार 25 अक्टूबर को निधन हो गया। वह 83 वर्ष की थीं और आज सुबह करीब 6 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
बता दें कि वह वृद्धावस्था संबंधित बीमारियों से ग्रसित थीं और पिछले कुछ दिनों से दिल्ली स्थित एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।
श्रीमती ऊषा बत्रा को उनकी दयालुता और स्नेह के लिए जाना जाता था और उनके जाने से परिवार, मित्र और करीबियों को गहरा आघात पहुंचा है।
उनका अंतिम संस्कार आज, 25 अक्टूबर को गुरुग्राम के मदनपुरी स्थित श्मशान घाट में दोपहर 12:30 बजे होगा।
डॉ. अनुराग बत्रा और उनके परिवार को इस कठिन घड़ी में सहानुभूति और संवेदनाएं व्यक्त करते हुए विभिन्न इंडस्ट्री के दिग्गजों व मित्रों ने दुख प्रकट किया और श्रद्धांजलि अर्पित की।
'समाचार4मीडिया' ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वे दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और बत्रा परिवार को इस मुश्किल समय में धैर्य और शक्ति प्रदान करें।