यह कार्यक्रम नई दिल्ली के रायसीना रोड स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित हुआ, जहां पत्रकारिता के मूल्यों को संरक्षित रखने के प्रति पत्रकारों की अटूट प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया गया।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2024 के अवसर पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और एक्रीडेटेड जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ने पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पत्रकारों को सम्मानित किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार दिनेश शर्मा को उनके पत्रकारिता क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम नई दिल्ली के रायसीना रोड स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित हुआ, जहां पत्रकारिता के मूल्यों को संरक्षित रखने के प्रति पत्रकारों की अटूट प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व सांसद और डीपीसीसी अध्यक्ष जय प्रकाश अग्रवाल ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में पत्रकारिता की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और निर्भीकता पर बल दिया। जय प्रकाश अग्रवाल ने कहा, "स्वतंत्र, निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता हमारे लोकतंत्र की बुनियाद है। पत्रकारों का धर्म है सत्य को निर्भीकता से जनता तक पहुँचाना।" उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारों के प्रयासों से समाज में सकारात्मक बदलाव आ रहा है और इस परिवर्तन को सराहा जाना चाहिए।
कार्यक्रम में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लाहिरी ने पत्रकारिता की एकता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को विभाजित नहीं किया जाना चाहिए और इसे संवाद के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उनका मानना था कि आज पत्रकारिता का दिन है, और सभी को मिलकर इसके अखंडता और भलाई के लिए काम करना चाहिए। गौतम लाहिरी ने प्रेस क्लब को "पत्रकारों का दूसरा घर" बताया और इसके प्रेस काउंसिल में प्रतिनिधित्व को एक बड़ी उपलब्धि करार दिया।
कार्यक्रम में रमाकांत गोस्वामी, पूर्व मंत्री, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार ने पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता, मीडिया और निष्ठा के क्षेत्र में बदलाव आ रहा है, और ऐसे समय में चुनौतियों का समाधान करना जरूरी है।
उन्होंने आगे कहा कि जब इस देश में सप्तऋषियों की बात की जाती है, उनकी वैज्ञानिक खोजों की बात की जाती है, जब इस देश में भगवान बुद्ध और महावीर जैसे प्रमाणिक लोग पैदा हुए।
इंडियन डेवलपमेंट फाउंडेशन (IDF) ‘IGNITE STEM PASSION: EMPOWERING SCIENCE TEACHERS’ कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम भारतीय विज्ञान शिक्षा में इनोवेशन और प्रेरणा के लिए समर्पित था। नई दिल्ली स्थित CSIR-नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
आईडीएफ के इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के सीएमडी एवं एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय शामिल हुए, जहां उन्हें सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, मैं अभी तक जहां कहीं भी बोल पाया हूं, कोशिश रहती है कि मैं आत्मा से बोलू और आपकी आत्मा तक पहुंचे।
जब हम सीएसआईआई के कैंपस में मौजूद हैं तो जाहिर है कि बात विज्ञान की होनी चाहिए, लेकिन ये भारत देश जो कभी बहुत वैज्ञानिक रहा, जिसके पुराणों में पुष्पक विमान तक की चर्चाएं रहीं। 5 हजार साल पहले जब महाभारत की लड़ाई हुई तो उसमें तमाम दिव्यास्त्रों, अग्नि अस्त्रों की चर्चा हुई, आज तमाम वैज्ञानिक उपलब्धियों के बावजूद भी, छोटी से छोटी टेक्नोलॉजी के लिए पश्चिम की तरफ देखना पड़ता है जो 5 हजार सालों का हमारा गौरवशाली इतिहास रहा, शायद पश्चिम की ओर हमें इसलिए देखना पड़ता है क्योंकि जो अल्लामा इकबाल की कविता है कि ‘कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा।
ये बात भी बिल्कुल सही है कि कभी हमारी हस्ती थी, कभी हमें सोने की चिड़िया कहा जाता था, लेकिन धीरे-धीरे कैसे हमारी हस्ती मिटती चली गई और हम गरीब देशों में शुमार होने लगे? कैसे हंगर इंडेक्स में हमारा नाम आने लगा? कैसे करप्ट देशों की सूची में हमारा नाम शामिल होने लगा? जब इसके बारे में सोचते हैं तो बड़ी निराशा होती है। मैं कोई राजनेता नहीं हू कि यहां पर पैकेज देकर जाऊंगा या हौसले देकर जाऊंगा, लेकिन थोड़ा बहुत आज आपको जगाने की कोशिश जरूर करूंगा।
जितना नुकसान तीन हजार साल की गुलामी ने नहीं किया, उतना नुकसान भारत देश में एक धारणा ने किया, और वह यह धारणा है-संसार, रुपया, पैसा, पद सब मोह माया है, और इस धारणा ने हमारी वैज्ञानिकता को भी अंदर तक डूबो दिया, जिस तरह से टाइटैनिक समंदर में डूब गया, उसी तरह से हमारी वैज्ञानिकता डूब गई। हम एक पूरी तरह से अंधविश्वास में भरोसा करने वाले देश बन गए।
उन्होंने आगे कहा कि जब इस देश में सप्तऋषियों की बात की जाती है, उनकी वैज्ञानिक खोजों की बात की जाती है, जब इस देश में भगवान बुद्ध और महावीर जैसे प्रमाणिक लोग पैदा हुए। आप लोग बुद्ध के आध्यात्म के बारे में जानते हैं, लेकिन शायद उनकी खोजों के बारे में नहीं जानते होंगे। इसलिए मैं आपको याद दिला देता हूं। आज के समय में जो पूरे जापान और चीन में एक्यूपंक्चर और एक्यूप्रेशर और तमाम बीमारियों को ठीक करने की कला या फिर जो आप नैचुरोपैथी आप देखते हैं ये सब बुद्ध की दी हुई चीजें हैं।
बुद्ध से पहले उस तरह की चीजों को कोई नहीं ला पाया था। इसलिए बुद्ध बहुत बड़े साधक होने के साथ ही बहुत बड़े वैज्ञानिक भी थे। इसके अलावा बुद्ध ने एक और खोज की थी, जब उनके पिता उन्हें एक योद्धा के तौर पर एक राजा के तौर पर तैयार करना चाहते थे, तब बुद्ध ने नए तरीके ईजाद किए, कि आदमी को कैसे मारा जाए कि वो मरे नहीं और दोबारा वह चेतना में आ जाए। ये जितने भी जूडो-कराटे यी फिर शरीर के किसी विशेष जगह को दबा देने पर वह मूर्छित हो जाए। ये सारी खोजें बुद्ध की हैं।
हालांकि बात यहां पर विज्ञान की हो रही है, इसलिए उसपर बात करेंगे। आदमी मूलत: तीन तलों पर जीता है। जो पहला तल है वह पशुओं का तल है। पशु जैसे पैदा होते हैं, वैसे बड़े हो जाते हैं। दूसरा तल है बुद्धों का, जो इस दुनिया में जिस संभावना के लिए आते हैं, उस संभावना को प्राप्त कर लेते हैं। जो बुद्ध होने के लिए आता है, वह पैदा हमारे और आपके जैसे होता है, लेकिन वह बुद्ध हो जाता है। इसी तरह से कोई गांधी होने के लिए आता है और वह गांधी हो जाता है। कबीर बनने के लिए आता है वह कबीर हो जाता है। कोई आइंस्टीन बनने के लिए आता है और आइंस्टीन बन जाता है। कोई बर्नाड शॉ बनने के लिए आता है और बर्नाड शॉ बन जाता है, लेकिन उसके बीच में एक तल है वह हम मनुष्यों का है।
जो काफी हताशा, निराशा, तनाव, महात्वाकांक्षा, अकेलापन और कुछ पा लेने की जिद, कुछ खो देने का गम, चिंता. जिस तनाव में हम खड़े हैं, वह हमारा तल है। जिसके लिए हम, इधर भी जा सकते हैं और उधर भी जा सकते हैं। उपेन्द्र राय ने एक कहानी का जिक्र करते हुए कहा, देर रात एक बूढ़ी औरत जोर-जोर से चिल्लाने लगी मुझे बचाओ, मेरे घर में आग लगी है। आवाज सुनकर मोहल्ले वाले लोग इकट्ठा हो गए।
लोगों ने बूढ़ी औरत से पूछा कि अम्मा आग कहां लगी है? तब वह बूढ़ी औरत जोर से हंसने लगी और कहा कि आग तो तुम सबके अंदर लगी है लेकिन तुम्हें दिखाई नहीं दे रही है। लोगों ने कहा कि आप किस आग की बात कर रही हैं? बूढ़ी औरत ने कहा कि आपको सिर्फ एक आग के बारे में पता है जो विज्ञान की बाल्टी से तो बुझा सकते हैं पानी भरकर, लेकिन जो अंदर की आग की है उसके बारे में तुम्हें पता नहीं है।
सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा, जो हमारा एजुकेशन का सिस्टम है, इंटेलिजेंट या फिर एक चैतन्य आदमी का निर्माण नहीं करती है। हमें ज्यादातर यह सिखाया जाता है कि चीजों को याद रखें, लेकिन आइंस्टीन जैसा वैज्ञानिक अपना डेली रूटीन भूल जाता था। एक कहानी मैंने पढ़ी है कहीं, कि आइंस्टीन टैक्सी में बैठे और अपना घर ही भूल गए। जब ड्राइवर ने पूछा कि कहां जाना है तो उन्हें अपना अड्रेस याद नहीं था। उन्होंने कहा कि मुझे अल्बर्ट आइंस्टीन के घर पहुंचा। जो टैक्सी वाले पता था। मैं इसलिए ऐसा कह रहा हूं कि अगर कोई बहुत अच्छी मेमोरी वाला इंसान है तो उसे इंटेलिजेंट मत समझ लेना। जो बहुत जीनियस होता है, अक्सर उसकी मेमोरी बहुत कम होती है। मेमोरी अच्छी होने का मतलब इंटेलिजेंट नहीं।
हां इतना जरूर है कि आज के समय में अनुशासन को लेकर बच्चों को बताया जाता है कि जिसकी मेमोरी बहुत अच्छी है, वह इंटेलिजेंट है, लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता, क्योंकि मेमोरी से इंटेलिजेंट का कोई भी संबंध नहीं है। दो अलग-अलग बातें हैं। जब भारत में साल 1975 में उन्नत बीज आने शुरू हुए तब पश्चिम ने कहा था कि आने वाले 40 से 50 साल में हम यह दुनिया में साबित कर देंगे कि जिस तरह से अनाज के बीज आते हैं उस तरह से IVF सेंटर पर बच्चे कैसे पैदा होंगे, उसमें ये 10 बीमारियां कभी नहीं होंगी।
बच्चा 70 से 80 साल तक जियेगा ही। इसके साथ ही पैदा होने वाले बच्चे की तस्वीर भी पहले से बनी होगी कि यह बच्चा जब पैदा होगा तो इसी तरह का होगा। आज जीन थेरेपी से संभव भी हो चुका है, लेकिन भारत जैसे देश में सबसे बड़ी दुविधा ये है कि जो शिक्षा की पद्धति है, वह पीछे की तरफ ले जाती है। आज हम मंगल पर पहुंच रहे हैं, चंद्रमा पर बहुत पहले जा चुके हैं, लेकिन बारे में कुछ मुट्ठी भर लोगों को पता है। मिल्की वे के बारे में, गैलेक्सी के बारे में। पूरे यूनिवर्स के बारे में जो जानकारी एक-एक बच्चे को पता होनी चाहिए, लेकिन फिर भी अगर 10 लोगों से पूछा जाए तो कुछ लोगों को बेसिक जानकारी भी नहीं है।
हालांकि सोशल मीडिया ने बहुत कुछ दिया है। वह बेसिक ज्ञान क्यों नहीं है, क्योंकि जवाहर लाल नेहरू जब देश के पहले पीएम बने तो उन्होंने एक बड़ी बुनियादी भूल की। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन बनाया, उसमें IAS, IFS, IPS, IRS जैसे पद तो दिए, लेकिन मेरा मानना है कि उनको इन सबके ऊपर एक सेवा देनी चाहिए थी इंडियन टीचर सर्विसेस (ITS) , अगर आईटीएस वो दे पाए होते तो भारत अमेरिका से कहीं ज्यादा शक्तिशाली राष्ट्र होता।
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता शेखर कपूर और संस्कार भारती के वासुदेव कामत जैसे बड़े नामों को शामिल किया गया है।
प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) की सोसायटी और कार्यकारी परिषद का पुनर्गठन किया गया है। संस्था की सोसायटी में कई नए नाम शामिल हुए हैं। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार, सेवानिवृत्त जनरल सैयद अता हसनैन, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता शेखर कपूर और संस्कार भारती के वासुदेव कामत जैसे बड़े नामों को शामिल किया गया है।
प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को सोसायटी अध्यक्ष के रूप में एक और कार्यकाल मिलने जा रहा है जो की पांच वर्षों के लिए होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोसायटी के अध्यक्ष और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उपाध्यक्ष बने रहेंगे। सोसायटी के सदस्यों की संख्या भी 29 से बढ़ाकर 34 कर दी गई है।
यह विस्तार संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी किए गए पुनर्गठन आदेश के तहत किया गया है। नई सोसायटी और परिषद का कार्यकाल पांच साल का होगा। हालांकि, कुछ पुराने सदस्यों को पुनर्गठन में बाहर कर दिया गया है। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय शामिल हैं।
मीडिया और विज्ञापन उद्योग के प्रख्यात हस्ताक्षर डॉ. भास्कर दास का आज निधन हो गया। वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे।
मीडिया और विज्ञापन उद्योग के प्रख्यात हस्ताक्षर डॉ. भास्कर दास का आज निधन हो गया। वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। डॉ. दास के निधन से भारतीय मीडिया जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके असाधारण करियर और दूरदर्शी नेतृत्व ने मीडिया उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
डॉ. भास्कर दास ने 1980 में बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (बीसीसीएल) में एक मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। अपनी कड़ी मेहनत और असाधारण दृष्टिकोण के दम पर वह धीरे-धीरे कॉर्पोरेट सीढ़ियां चढ़ते गए। टाइम्स ग्रुप (बीसीसीएल) में अपने छह साल के अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कंपनी के टर्नओवर को ₹1560 करोड़ से बढ़ाकर ₹4200 करोड़ तक पहुंचाया।
डॉ. दास ने ज़ी मीडिया, डीबी कॉर्प और रिपब्लिक टीवी जैसे अग्रणी मीडिया संगठनों में उच्च-स्तरीय नेतृत्व पदों पर भी काम किया। उन्होंने न केवल इन कंपनियों की आर्थिक प्रगति सुनिश्चित की बल्कि इन संगठनों की रणनीति और दृष्टिकोण को भी नया रूप दिया।
डॉ. दास को उनके सहयोगी "इनसाइट प्रोवोकेटर" और परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में याद करते हैं। वह केवल नेतृत्व करने वाले नहीं, बल्कि दूसरों को अवसर देने और उनकी प्रतिभा को निखारने वाले नेता थे।
उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में भी गहरी रुचि दिखाई। 800 से अधिक घंटों तक उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल, व्हार्टन स्कूल, एमआईटी, आईआईएम, मिका और आईएसबी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में छात्रों और पेशेवरों को प्रेरित किया। एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च (SPJIMR) में एक प्रोफेसर के रूप में उन्होंने भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र के भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाई।
डॉ. दास ने न केवल मीडिया और विज्ञापन जगत में एक स्थायी छाप छोड़ी, बल्कि अपने mentorship के जरिए अनगिनत लोगों को प्रेरित किया। उनकी विरासत उत्कृष्टता, समर्पण और नेतृत्व का प्रतीक है।
मीडिया और कॉर्पोरेट जगत में उनके योगदान को आने वाले वर्षों तक याद किया जाएगा। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।
राष्ट्रीय पत्रिका 'पाञ्चजन्य' की स्थापना की 78वीं वर्षगांठ मकर संक्रांति के अवसर पर मनाई जा रही है।
राष्ट्रीय पत्रिका 'पाञ्चजन्य' की स्थापना की 78वीं वर्षगांठ मकर संक्रांति के अवसर पर मनाई जा रही है। इसका आयोजन दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित दि अशोका होटल में 'बात भारत की अष्टायाम' नाम से किया जा रहा है।
कार्यक्रम की शुरुआत 14 जनवरी (मंगलवार) को सुबह 11 बजे से होगी। अतिथियों के तौर पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत व अन्य उपस्थित रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्रांति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में ‘पाञ्चजन्य’ साप्ताहिक का अवतरण हुआ था।
आयाम इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा आयोजित नृत्यधारा – द्वितीय में भरतनाट्यम की गहन अध्यात्मिकता, सुरुचिपूर्ण सुंदरता और पारंपरिक समर्पण का भव्य प्रदर्शन हुआ।
आयाम इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा आयोजित नृत्यधारा – द्वितीय में भरतनाट्यम की गहन अध्यात्मिकता, सुरुचिपूर्ण सुंदरता और पारंपरिक समर्पण का भव्य प्रदर्शन हुआ। यह आयोजन लिटिल थिएटर ग्रुप (LTG) ऑडिटोरियम में गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा के निर्देशन में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में भरतनाट्यम की पारंपरिक शैली को गुरु के.एन. दंडयुधापाणि पिल्लई की विधा के आधार पर प्रस्तुत किया गया। पुष्पांजलि, ध्यान श्लोकम, शिवाष्टकम, और तुलसीदास जी के भजन पर आधारित भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
प्रत्येक प्रस्तुति में नृत्य, भाव, और ताल का उत्कृष्ट समन्वय देखने को मिला। शिवाष्टकम में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों और तुलसीदास के भजन श्री राम चंद्र पर आधारित नृत्य ने भावनात्मक गहराई के साथ दर्शकों को छुआ।
गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा ने कहा, "नृत्यधारा – द्वितीय भरतनाट्यम की शाश्वत सुंदरता और समर्पण का उत्सव है। हमारा उद्देश्य इस परंपरा को संरक्षित रखना और नई पीढ़ी को प्रेरित करना है।"
यह आयोजन भरतनाट्यम की समृद्ध परंपरा और उसकी अद्वितीय सुंदरता का एक जीवंत उत्सव बनकर उभरा।
अगर इस दुनिया में कवि न होते तो यह पूरी तरह रसविहीन होती। कवि भावनाओं की दुनिया का शासक होता है, जो दिल और मन के जरिए लोगों के बीच प्रेम और मानवता का संचार करता है।
गाजियाबाद के हिन्दी भवन में आयोजित ‘है दिल की बात’ पुस्तक विमोचन और ‘दिव्य कवि-सम्मेलन’ के आयोजन में हिन्दी साहित्य से जुड़े दिग्गजों का समागम हुआ। इस भव्य कार्यक्रम में भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर कवि और कविताओं के महत्व पर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री बालेश्वर त्यागी, वरिष्ठ साहित्यकार और गौर ग्रुप के संस्थापक डॉ. बी.एल. गौड़, और महाकवित्री डॉ. मधु चतुर्वेदी भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर लोकप्रिय कवि मृत्युंजय साधक के ग़ज़ल संग्रह “दिल की बात” का विमोचन हुआ।
‘दिव्य कवि-सम्मेलन’ में अतिथियों का माला, अंगवस्त्रम्, और मोमेंटो देकर भव्य स्वागत किया गया। अपने संबोधन में सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा, अगर इस दुनिया में कवि न होते तो यह पूरी तरह रसविहीन होती। कवि भावनाओं की दुनिया का शासक होता है, जो दिल और मन के जरिए लोगों के बीच प्रेम और मानवता का संचार करता है।
इस हिंसावादी दौर में कवि सिखाता है कि प्रेम में हारना भी एक बड़ी जीत होती है। सीएमडी उपेन्द्र राय ने बताया, सच्चे कवि के भीतर अद्भुत विनम्रता होती है। उनका मन न तो जीतने में रस लेता है और न ही हारने में। कवि सिर्फ यह सोचता है कि आम आदमी के चेहरे पर मुस्कान कैसे लाई जाए। उनकी सोच दुनिया से अलग होती है। जहां आम लोग कठोर भाषा का इस्तेमाल करते हैं, वहीं कवि उसका उत्तर मखमली शब्दों से देता है। कवि अंधकार को दूर कर दिलों में प्रेम जगाने का प्रयास करता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कवि असली और नकली जीवन के बीच पुल का काम करता है। उन्होंने कहा, हमारा असली चेहरा वही है, जो जन्म से पहले का होता है या मृत्यु के बाद होता है। यह दुनिया हमें जो नकली चेहरा देती है, कवि उसे पार कर असलियत तक पहुंचता है और समाज को रास्ता दिखाता है।
मृत्युंजय साधक की पुस्तक “दिल की बात” की प्रशंसा करते हुए सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा, इस पुस्तक की कविताएं दिल को गहराई तक छूने वाली हैं। कुछ पंक्तियां खासतौर पर मेरे मन को भा गईं "हर हृदय में एक सा शक्ति पीर हूं, जोड़ दे जो सबको वही जंजीर हूं।"
इन शब्दों में अनुभव और ज्ञान का सागर समाहित है। सच्चा ज्ञान वही है, जो अनुभव से प्राप्त हो। कवि का ज्ञान उसकी कलम से निकलता है, जो उसके जीवन का सार होता है। अपने संबोधन का समापन उन्होंने मृत्युंजय साधक की एक और प्रेरणादायक पंक्ति पढ़ने के साथ किया "डर गया हो मौत से जो, वह मरा रह जाएगा।"
‘दिव्य कवि-सम्मेलन’ ने कविता की ताकत और उसके समाज में योगदान को रेखांकित किया। सीएमडी उपेन्द्र राय के विचारों ने इस कार्यक्रम को एक यादगार साहित्यिक आयोजन बना दिया।
‘इंडिया न्यूज’ चैनल पर उनका शो ‘एक कहानी विद डॉ. हरीश भल्ला काफी लोकप्रिय रहा। इस शो के माध्यम से उन्होंने तमाम पुराने किस्सों को नए अंदाज में लोगों के सामने पेश किया।
दिल्ली के सांस्कृतिक सम्राट के रूप में पहचाने जाने वाले डॉ. हरीश भल्ला का 10 जनवरी 2025 की रात निधन हो गया। उनकी अंतिम यात्रा 11 जनवरी को मुंबई के विले पार्ले पश्चिम स्थित वाघजीभाई वाडी श्मशान गृह (पवन हंस क्रेमेटोरियम) में संपन्न हुई।
मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के जावरा में जन्मे डॉ. भल्ला ने इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा शिक्षा प्राप्त की। दिल्ली में चिकित्सक और नशामुक्ति विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं देने के साथ-साथ, वे कला, संस्कृति, संगीत और थिएटर के प्रति अपने जुनून के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने 'गंगा-जमुनी तहज़ीब' के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, उन्होंने इंटरनेशनल मेलोडी फाउंडेशन की स्थापना की, जो भारतीय कला और शिल्प, पारंपरिक कला, लोककथाओं, शास्त्रीय संगीत और मध्यकालीन प्रदर्शन और दृश्य कलाओं के प्रचार-प्रसार में समर्पित थी।
डॉ. भल्ला ने अपने जन्मस्थान और कर्मभूमि के प्रति गहरा प्रेम प्रदर्शित करते हुए एमजीएम एलुमनी ग्लोबल फाउंडेशन की स्थापना की, जो इंदौर के पूर्व छात्रों और शिक्षकों को एकजुट करता है। उन्होंने मालवा मित्र मंडल और मध्य प्रदेश फाउंडेशन के माध्यम से मालवा और मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
सामाजिक स्वास्थ्य परियोजनाओं में उनकी सक्रियता उल्लेखनीय थी, विशेषकर नशामुक्ति, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा और तंबाकू सेवन के खिलाफ उनके अभियानों में। उनकी पहल 'राहत' के तहत मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में आयोजित स्वास्थ्य शिविरों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। इसके अलावा, उन्होंने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में भ्रष्टाचार के खिलाफ जनहित याचिकाएं दायर कीं और भारत में अंध विद्यालयों की स्थिति में सुधार के लिए प्रयास किए।
कला और संस्कृति के क्षेत्र में, डॉ. भल्ला ने कई प्रतिभाशाली कलाकारों को मंच प्रदान किया, विशेषकर उन कलाकारों को जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में कोई संरक्षक नहीं पाया। उनकी बहन, प्रसिद्ध गायिका शुभा मुद्गल के साथ मिलकर, उन्होंने इंटरनेशनल मेलोडी फाउंडेशन के माध्यम से कई कलाकारों को प्रोत्साहित किया और स्वर्ण युग के भूले-बिसरे कलाकारों को सम्मानित किया।
डॉ. हरीश भल्ला जाने-माने किस्सागो और संस्कृतिकर्मी थे। उनके घर पर कलाकारों का जमावड़ा होता रहता था। अनेक कलाकारों को उन्होंने निकट से देखा। उनकी किस्सा सुनाने की शैली भी विलक्षण थी। ‘इंडिया न्यूज’ चैनल पर उनका शो ‘एक कहानी विद डॉ. हरीश भल्ला काफी लोकप्रिय रहा। इस शो के माध्यम से उन्होंने तमाम पुराने किस्सों को नए अंदाज में लोगों के सामने पेश किया।
डॉ. हरीश भल्ला का जीवन समाज सेवा, कला, संस्कृति और चिकित्सा के प्रति समर्पण का प्रतीक था। उनकी सरलता, सकारात्मक दृष्टिकोण और बहुआयामी व्यक्तित्व के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा।
इतिहास के हिसाब से सनातन धर्म करीब करीब 11,000 साल पुराना धर्म है। सनातन धर्म के सामने कई धर्म पैदा हुए। बौद्ध, जैन या कोई धर्म हो, यह धर्म भारत भूमि से पैदा हुए।
ब्रह्माकुमारीज द्वारा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के बस कुंभ मेला क्षेत्र में आयोजित विशेष कार्यक्रम ‘स्वर्णिम भारत ज्ञानकुंभ’ में भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने शिरकत की। प्रयागराज में ‘ब्रह्मकुमारीज स्वर्णिम भारत ज्ञान कुंभ 2025’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन सेक्टर 7 कुंभ मेला क्षेत्र बजरंगदास मार्ग प्रयागराज में हुआ।
कार्यक्रम में भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के सीएमडी उपेन्द्र राय ने शिरकत की। इस दौरान ब्रह्मकुमारीज बहनों ने अंगवस्त्र देकर उनका स्वागत किया। इस कार्यक्रम में चैतन्य देवियों की झांकी होलोग्राफिक डिस्प्ले, लेजर शो आदि चीजें हुईं, जो प्रयागराज कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की बेहतरी के लिए लगाया गया।
इस दौरान भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने कहा कि हिंदू धर्म से उदार धर्म पृथ्वी पर अब तक कोई भी नहीं हुआ है। हालांकि हमारे मन को थोड़ा हताशा निराशा हुई, कोई संप्रदाय या उपधर्म आ गया, लेकिन हमने किसी को फांसी पर नहीं चढ़ाया। हमने उसको गले लगाया और सम्मान दिया।
असहमत रहते हुए भी उसे सहमति दिखाई। शंकराचार्य भगवान बुद्ध के बहुत विरोधी थे, लेकिन शंकराचार्य ने बुद्ध के बारे में जो विमर्श और चीजें लिखी हैं शायद वैसा विरोधी स्वभाव का होते हुए भी किसी दूसरे ने ऐसा नहीं लिखा। इतिहास के हिसाब से सनातन धर्म करीब करीब 11,000 साल पुराना धर्म है।
सनातन धर्म के सामने कई धर्म पैदा हुए। बौद्ध, जैन या कोई धर्म हो, यह धर्म भारत भूमि से पैदा हुए। इस्लाम 1400 साल पुराना धर्म है, इसी तरह से ढाई हजार- 3000 साल पुराना धर्म है यहूदी। यह सभी धर्म स्वर्ग नरक की सीढ़ियों तक जाकर फंस गए, लेकिन पूरी पृथ्वी पर सनातन धर्म ही केवल मोक्ष की बात करता है।
इसके पीछे भी बड़ा कारण था, क्योंकि सनातन धर्म को जो समय और गहराई मिली, वैसी समय की गहराई और लंबाई किसी और धर्म को नहीं मिली। जिन धर्म का उदय हुआ है उन्हें गहराई में जाकर देखें तो वह सभी सनातन धर्म के हिस्से हैं।
रविंद्र पुरी ने महाकुंभ के इतिहास से लेकर सनातन के त्याग पर चर्चा की। साथ ही अखाड़ों के महत्व को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की बात कही। डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा और राणा यशवंत मौजूद रहे।
प्रयागराज की पावन धरती पर संगम की जलधारा के करीब महाकुंभ में इंडिया न्यूज ने साधु-संतों का विशाल महामंच सजाया। 'महाकुंभ का महामंच' कार्यक्रम में सनातन धर्म से जुड़े अखाड़ों के तमाम साधु-संत शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने दीप प्रज्वलित कर की। इस दौरान द संडे गार्डियन फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा और इंडिया न्यूज के एडिटर-इन-चीफ राणा यशवंत मौजूद रहे।
साधु संतों के साथ कई राजनीति और बॉलीवुड हस्तियों ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की। रविंद्र पुरी ने महाकुंभ के इतिहास से लेकर सनातन के त्याग पर चर्चा की। साथ ही अखाड़ों के महत्व को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की बात कही। निर्मल अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर साक्षी महाराज ने मंच से कहा, मोदी-योगी राज ही सनातन युग है। तो बालकानंद गिरी ने कहा, सनातन को नहीं मानने वाले विवेकहीन हैं।
वहीं प्रेमानंद महाराज बोले, हिंदुओं को 4 बच्चे पैदा करने चाहिए। निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर महंत राजू दास ने चुनावी हिंदुओं पर तीखे तंज कसे। साथ ही बोले, 'सिर्फ सनातन धर्म है, बाकी दूसरा कोई धर्म नहीं है'। इसके अलावा ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म करने को लेकर सरकार को घेरा। साथ ही गौ रक्षा पर कानून बनाने की बात कही। इतना ही नहीं वो बोले, जब राम मंदिर पूरा बनेगा तभी वहां दर्शन को जाऊंगा।
वहीं संगीतकार अनु मलिक ने मंच से कहा, मां सरस्वती की कृपा से ही वो म्यूजिक डायरेक्टर बने। भजन गायक कन्हैया मित्तल ने सीएम योगी आदित्यनाथ के 'बंटोगे तो कटोगे' का नारा दोहराया। साथ ही बांग्लादेश के हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का मुद्दा उठाया।
सिंगर स्वाति मिश्रा ने 'राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी' 'आए गए रघुनंदन सजवादो द्वार-द्वार' गाने से समा बांध दिया। सिंगर कल्पना पटवारी ने भी 'बम बम बोल रहा है काशी' गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। भजन गायक सूर्य प्रकाश दुबे ने सुरों से संगम तट को भाव विभोर कर दिया। एक्टर सिद्धार्थ और अभिषेक निगम ने भी मंच से सनातन का संदेश देते हुए उनके लिए सनातन का क्या महत्व है ये बताया।
एक्ट्रेस अदा शर्मा ने महाकुंभ में शिव तांडव स्तोत्रम पर अपनी लाइव प्रस्तुति दी। साथ ही बताया कि वो सनातनी हैं, वेजिटेरियन हैं। भगवान शिव पर उनकी गहरी आस्था है। सतुआ बाबा, आचार्य महामंडलेश्वर आनंद अखाड़ा बालकानंद महाराज, अग्नि अखाड़े के सचिव संपूर्णानंद महाराज, अटल अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर विश्वात्मानंद सरस्वती ने भी इस महाआयोजन में शिरकत की। इस तरह महाकुंभ के महामंच में धर्म, आध्यात्म और विश्व की चुनौतियों के बारे में गहन मंथन किया गया।
भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेन्द्र राय ने अपने प्रारंभिक उद्बोधन में महाकुंभ के महत्व और आयोजन की तैयारियों के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने सनातन धर्म की महानता पर भी प्रकाश डाला।
भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क ने महाकुंभनगर प्रयागराज में ‘महाकुंभ: माहात्म्य पर महामंथन’ कॉन्क्लेव आयोजित किया। इस मेगा कॉन्क्लेव में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के अलावा विभिन्न अखाड़ों के प्रमुख, साधु-संत और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
कार्यक्रम का उद्घाटन भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन, सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने किया। भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेन्द्र राय ने अपने प्रारंभिक उद्बोधन में महाकुंभ के महत्व और आयोजन की तैयारियों के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने सनातन धर्म की महानता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दुनिया के तीन लाख धर्मों में केवल सनातन धर्म ही मोक्ष की बात करता है।
उपेन्द्र राय ने कहा, पृथ्वी पर धर्म और समुदायों की संख्या इतनी ज्यादा है कि इनको समझना मुश्किल है, लेकिन सनातन की लंबाई और गहराई इतनी है कि वो अन्य धर्मों से बहुत ऊपर है। बाकी मत मजहब स्वर्ग और नरक की सीढ़ी तक आकर ही फंस जाते हैं, हमारा सनातन धर्म इकलौता है, जो मोक्ष की बात करता है।
ये बात सबको नोट करनी चाहिए कि पूरी दुनिया के 3 लाख छोटे-बड़े धर्मों में एक सनातन ही है जो मोक्ष की बात करता है। मोक्ष का मतलब इच्छा-अनिच्छा के पार निकल जाना। यहां तक कि स्वर्ग में निवास करने वाले देवताओं ने भी प्रभु से प्रार्थना की है कि हे प्रभु… हमें मोक्ष प्रदान कीजिए, क्योंकि मोक्ष पाना बड़ा मुश्किल होता है। पृथ्वी लोक में भी जीते-जी मोक्ष पाने वाले गिने चुने ही होंगे। मीराबाई हों, संत कबीर हों, रैदास हों, सप्तऋषि हों या अन्य महर्षि हैं, उनका नाम ऐसे सत्पुरुषों में आता है।
उपेन्द्र राय ने यह भी कहा, हिंदू अनुयायियों से ज्यादा उदार दुनिया में कोई धर्म नहीं है, और गंगा का पानी अमृत समान है। उन्होंने महाकुंभ में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल का भी उल्लेख किया और बताया कि इस बार महाकुंभ के आयोजन में तकनीकी सुधारों को ध्यान में रखते हुए बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं। उन्होंने कहा, प्रयागराज में अब तक के सबसे भव्य महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
उपेन्द्र राय ने महाकुंभ की तैयारी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया और कहा, महाकुंभ में 40-50 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। इस आयोजन में अत्यधिक मात्रा में श्रद्धालु और संतजन शामिल होंगे, और सरकार ने इस आयोजन के लिए बेहतरीन व्यवस्था की है। उन्होंने इस अवसर पर महाकुंभ के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि यह संसार का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। कई बड़े देशों और महाद्वीपों जितने लोग तो इन दो महीनों के दौरान यहां जुटेंगे। जो इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
अपने समापन उद्बोधन में उपेन्द्र राय ने महाकुंभ के वैश्विक महत्व पर जोर देते हुए इसे विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम बताया। उन्होंने कहा, इन 45 दिनों के दौरान, यहां जुटने वाले लोगों की संख्या कई देशों और महाद्वीपों की आबादी से अधिक हो जाएगी, जिससे यह घटना एक अद्वितीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक घटना बन जाएगी।
भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेन्द्र राय ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से एक सवाल पूछा, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री मोदी, जो पहले से ही देश का नेतृत्व करने में उत्कृष्ट हैं, ओलंपिक की मेजबानी के लिए भारत की दावेदारी के प्रस्ताव पर विचार कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रयागराज, जो पहले से ही ओलंपिक से भी बड़े पैमाने पर आयोजन की मेजबानी कर रहा है, इस तरह के प्रतिष्ठित प्रयास के लिए एक मजबूत दावेदार हो सकता है।