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न्यूज चैनल्स को इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा: आचार्य प्रवीण चौहान (ज्योतिषाचार्य)

भविष्यवाणियां स्क्रिप्टेड टेक्स्ट नहीं होती हैं, जिन्हें लाइट, कैमरा और एक्शन की आवाज पर तैयार किया जा सकता है अथवा लिखा जा सकता है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Sunday, 13 November, 2022
Last Modified:
Sunday, 13 November, 2022
ACHARYA PRAVEEN CHAUHAN

आचार्य प्रवीण चौहान, ज्योतिषाचार्य।।

इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में चल रहे ‘टी-20’ (T20) वर्ल्डकप के मुकाबले के तहत पिछले दिनों हुए सेमीफाइनल मैच में भारत को इंग्लैंड के हाथों दस विकेट से करारी हार का सामना करना पड़ा, जिससे देश के लाखों क्रिकेटप्रेमियों का दिल टूट गया। हालांकि, जीत और हार तो किसी भी खेल का हिस्सा होते हैं। यह सब तो होता रहता है। लेकिन भारतीय टीम का हमेशा से गौरवशाली इतिहास रहा है और इसने खेलप्रेमियों का सिर हमेशा गर्व से ऊंचा किया है, ऐसे में इस करारी शिकस्त को लोग आसानी से पचा नहीं पा रहे हैं। लोगों ने इस हार के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए ट्विटर समेत तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का सहारा लिया। ऐसे में इस सप्ताहांत में मैच को लेकर ट्वीट्स और मीम्स की बाढ़ सी आ गई।     

सिर्फ इतना ही नहीं, इस बार शिकायत उनसे भी है, जो खेल को खेल नहीं रहने देते और तमाशा बनाकर रख देते हैं। खासतौर पर टीवी चैनल्स वाले। ऐसे में ट्रोलर्स ने इन्हें भी नहीं बख्शा। इस बार भी चैनल वालों ने अपने न्यूजरूम में ज्योतिषी बिठा रखे थे, जो ग्रह-नक्षत्र की स्थितियों से टीम की जीत की घोषणा कर रहे थे। इससे ज्यादा हंसी की बात और क्या हो सकती है कि एक प्रमुख न्यूज चैनल का प्राइम टाइम शो था, '11 ज्योतिषी बताएंगे, हम कप लाएंगे’। मैच से एक दिन पहले प्रसारित इस शो में 11 ज्योतिषियों को मैच में भारत के भाग्य की भविष्यवाणी करने के लिए आमंत्रित किया गया था। करीब ढाई घंटे तक चले इस शो में एंकर ने क्रिकेट की जर्सी पहन रखी थी और भारत की हार-जीत को लेकर 11 ज्योतिषयों की राय ली जा रही थी। इससे भी ज्यादा मजेदार बात यह थी कि इन सभी ने भारत की जीत की घोषणा भी कर दी थी। सवाल उठता है कि न्यूज चैनल्स को हवा के रुख के साथ चलना चाहिए? क्या यह खतरे की घंटी नहीं है कि वे अपनी दैनिक न्यूज कवरेज में क्या से क्या बन गए हैं?

न्यूज चैनल्स और इसके इस तरह के ज्योतिषीय फैक्ट चेकर्स की वजह से व्युअर्स वाकई में कंफ्यूज हो गए हैं। चैनल की अपनी जबरदस्त विश्वसनीयता के बावजूद मैं जानना चाहता हूं कि इस तरह की स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार था। क्या न्यूज चैनल के पास विषय विशेषज्ञ नहीं थे या ज्योतिषियों को लोकलुभावन राय देने के लिए बुलाया था या कुछ ज्योतिषियों की अक्षमता, जिन्होंने गलत भविष्यवाणी की।  

यूट्यूब पर शो की लाइवस्ट्रीमिंग पर तमाम लोगों ने अपने कमेंट्स दे रखे थे। इनमें से एक दर्शक का कहना था, ‘मैं इस बात से दुखी नहीं हूं कि भारत हार गया, लेकिन मुझे दुख है कि हमारे देश में ऐसे ज्योतिषी हैं।’ मैं तो बस कुछ हल्के-फुल्के हास्य और मनोरंजन वाले वीडियो तलाश कर रहा था, इसी दौरान मैं गलती से इस पर क्लिक कर बैठा और अब मैं इस स्थिति का लुत्फ उठा रहा हूं।

यह पहली बार नहीं है, जब चैनल इस तरह का ज्योतिषीय शो लेकर आया। आजकल तो लगभग सभी चैनल्स पर इसी तरह की प्राइम टाइम डिबेट्स दिखाई जाती हैं, जो निराधार होती हैं। कुछ दिनों पहले ही एक चैनल ने ‘चंद्रग्रहण 22 ज्योतिषयों के संग’ (Chandragrahan 22 jyotisho ke sang) नाम से एक शो चलाया। इस शो में एंकर ने चंद्रग्रहण पर 22 ज्योतिषियों की राय ली।

हो सकता है कि इस दौरान सिर्फ ये दो शो ऐसे रहे हों, जिन पर न्यूज चैनल ने किसी मुद्दे पर इतने लोगों की राय ली है। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि इस न्यूज चैनल के साथ-साथ कई प्रमुख न्यूज चैनल्स ज्योतिषीय शो से अथवा भविष्यवाणियों के लिए ज्योतिषियों से दूर रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि अब इन पर देश की भावनाएं हावी हो गई हैं।

मजाक के अलावा, यह न केवल प्राइम टाइम शो के लिए लापरवाही से तैयार की गई एक अवधारणा थी, बल्कि सट्टेबाजी के अवैध कार्यों के लिए एक न्योता भी था। इस तरह की ज्योतिषीय भविष्यवाणियों की लाइव-स्ट्रीमिंग और टेलीकास्टिंग सट्टेबाजी को बढ़ावा देती है। ऐसी ‘क्रिएटिव’ अवधारणाओं से न्यूज शो को क्या मिलता है? यह टीआरपी की दौड़ है, जिसमें संभावित दर्शकों और विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करने के लिए इस तरह के शो तैयार किए जाते हैं। मार्केट के अनुकूल कंटेंट को तैयार करने ने मीडिया बिजनेस को मुश्किल बना दिया है। क्या व्युअरशिप हासिल करने का सिर्फ यही एक तरीका है? लेकिन लाइव स्ट्रीमिंग कमेंट्स को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कंटेंट उस तरह का नहीं है, जिसे व्युअर्स देखना चाहते हैं। हालांकि, इस प्रमुख न्यूज चैनल पर आमतौर पर काफी विश्वसनीय कंटेंट होता है और बहुत ही ईमानदारी और विश्वसनीयता के साथ काफी बोल्ड न्यूज कवरेज कर रहा है।

शो के क्रिएटिव डायरेक्टर्स ने ज्योतिषियों के बजाय इंडस्ट्री के विशेषज्ञों को मैच पर अपनी राय देने के लिए आमंत्रित किया होता तो वह निश्चित रूप से अधिक विश्वसनीय होता। वास्तव में, इस तरह के शो को रेगुलेट करने के लिए ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन’ (NBDA) द्वारा उचित दिशा-निर्देश दिए जाने चाहिए, जिनमें वैज्ञानिकता का अभाव होता है और जो किसी भी तरह की सट्टेबाजी को बढ़ावा देते हों। यह बिल्कुल ऐसा होना चाहिए जैसा कि चुनाव आयोग ने अपनी गाइडलाइंस दे रखी हैं, जिनमें चुनाव के दौरान ओपिनियन पोल पर रोक लगाई गई है। दर्शक तथ्य आधारित खबरें देखना चाहते हैं और चैनल्स के लिए वैज्ञानिक सोच अपनाने का सही समय है।

इस तरह के शो न केवल मीडिया को हंसी का पात्र बनाते हैं, बल्कि ज्योतिष विज्ञान में अविश्वास को भी आमंत्रित करते हैं। भविष्यवाणियां करने में अंतर्ज्ञान हासिल करने के लिए अध्यात्म काफी अहम भूमिका निभाता है और इसे केवल साधु की तरह भगवा धारण करने से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। चमक-धमक से युक्त कैमरों वाले स्टूडियो के बजाय ज्योतिषीय भविष्यवाणियां केवल सर्वोच्च शक्ति को ध्यान में रखकर विश्वास के साथ पवित्र स्थान में की जाती हैं। भविष्यवाणी के ज्योतिषीय नियम कहते हैं कि सूर्यास्त के बाद पूर्वानुमान नहीं लगाते हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं विशुद्ध रूप से प्रचार आधारित होती हैं न कि किसी ज्योतिषीय मकसद से।

ज्योतिष समाज सेवा से जुड़ा पेशा है, यह मनोरंजन का साधन नहीं है। इसका काम मुसीबत में पड़े लोगों के मुद्दों को सुलझाना है और उन्हें उपाय प्रदान करना है। क्रिकेट मैच, शेयर बाजार और क्रिप्टो के लिए ज्योतिषीय भविष्यवाणियों का प्रयोग न केवल अनैतिक है, बल्कि ज्योतिष की पवित्रता का उपहास है। ज्योतिष का मतलब एकांत में अध्यात्मिक रूप से अभ्यास करना है। भविष्यवाणियां स्क्रिप्टेड टेक्स्ट नहीं होती हैं, जिन्हें लाइट, कैमरा और एक्शन की आवाज पर तैयार किया जा सकता है अथवा लिखा जा सकता है। ज्योतिष के विशुद्ध विज्ञान को शो बिजनेस के लिए दिखावटी आकर्षक कार्यक्रम के लिए कम करना इसके वास्तविक अर्थ के बिल्कुल विपरीत है।

लेकिन भारत-इंग्लैंड के सेमीफाइनल मैच की बात करें तो न्यूज चैनल ने 11 ज्योतिषियों को एक साथ बिठाकर स्क्रिप्टेड कंटेंट दिखाया, जिसकी कोई गरिमा नहीं हैं। क्या यह चैनल की ज्योतिषियों के प्रति विश्वास में कमी थी कि उसे कुछ ज्योतिषियों की जगह 11 ज्योतिषियों को बुलाना पड़ा? इस शो ने दर्शकों की आस्था और ज्योतिष की प्रतिष्ठा को एक तरह से नष्ट कर दिया। सवाल यह है कि शो द्वारा फैलाई गई गलत सूचना के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या वे 11 ज्योतिषी अथवा न्यूज चैनल के संपादक। चैनल को अपने व्युअर्स और ज्योतिषीय पेशे से जुड़े लोगों से माफी मांगनी चाहिए।

(नोट- यह लेखक के निजी विचार हैं। लेखक दिल्ली के प्रसिद्ध ज्योतिषी और हस्तरेखा विशेषज्ञ हैं। इनसे info@astropraveen.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

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मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर बीजेपी ने गिनाईं उपलब्धियां, इन फैसलों का किया जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पार्टी की ओर से नई दिल्ली में दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

Last Modified:
Saturday, 27 May, 2023
Modi Government

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पार्टी की ओर से नई दिल्ली के ‘द अशोका’ होटल में दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 25 और 26 मई को आयोजित इस कार्यक्रम में बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने न सिर्फ सरकार की उपलब्धियां बताईं, बल्कि मीडिया से संवाद भी किया।

केंद्रीय रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक स्लाइड शो के जरिये सरकार की उपलब्धियां बताते हुए नौ साल के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा किए गए तमाम प्रमुख कार्यों का ब्योरा दिया।इन प्रमुख फैसलों में उन्होंने कोविड-19 के दौरान देश भर में मुफ्त में हुए वैक्सीनेशन, डिजिटल क्रांति, तमाम परिवारों को पक्का घर, खुले में शौच से निजात के लिए किए गए प्रयास, उज्ज्वला योजना, घरों तक पानी पहुंचाने के लिए बिछाई गईं पाइप लाइन, गरीब व कमजोर तबके के लिए मुफ्त राशन योजना, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, आयुष्मान योजना, जनऔषधि केंद्रों की शुरुआत, एक रुपये में सैनिटरी पैड, एयरपोर्ट जैसे भव्य रेलवे स्टेशन आदि का विस्तार से जिक्र किया।

इसके बाद सरकार की उपलब्धियों को दर्शाती एक शॉर्ट फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया और उसके बाद रात्रिभोज का कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी, भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी, मुख्य प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ राजनेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य सैयद जफर इस्लाम, पूर्व पत्रकार व राजनेता शाजिया इल्मी समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ लीडर शामिल हुए।

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PM मोदी के नेतृत्व में सरकार के नौ साल पूरे, BJP ने इस कार्यक्रम में गिनाईं उपलब्धियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पार्टी के शीर्ष नेताओं ने 25 और 26 मई को दिल्ली में एक बड़ा आयोजन किया और सरकार की उपलब्धियां गिनाईं।

Last Modified:
Saturday, 27 May, 2023
BJP

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पार्टी के शीर्ष नेताओं ने 25 और 26 मई को एक बड़ा आयोजन किया और सरकार की उपलब्धियां गिनाईं।

दिल्ली के ‘द अशोका’ होटल में आयोजित इस कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी, भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी, मुख्य प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ राजनेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य सैयद जफर इस्लाम, पूर्व पत्रकार व राजनेता शाजिया इल्मी समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ लीडर शामिल हुए।

इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेपी नड्डा का कहना था, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के नौ साल का कार्यकाल पूरा होने के उपलक्ष्य में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। आप सभी लोग यहां उपस्थित हुए, इसके लिए मैं आपका आभारी हूं।’

वहीं, केंद्रीय रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक स्लाइड शो के जरिये सरकार की उपलब्धियां बताते हुए नौ साल के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा किए गए तमाम प्रमुख कार्यों का ब्योरा दिया। इसके बाद सरकार की उपलब्धियों को दर्शाती एक शॉर्ट फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।

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लोकमत मीडिया ग्रुप के चेयरमैन विजय दर्डा की किताब का 30 मई को होगा विमोचन

लोकमत मीडिया ग्रुप के चेयरमैन व पूर्व राज्यसभा सांसद की किताब- रिंगसाइड: अप, क्लोज एंड पर्सनल ऑन इंडिया एंड बियॉन्ड जल्द ही मार्केट में दस्तक देगी।

Last Modified:
Thursday, 25 May, 2023
VijayDardaBook4541

लोकमत मीडिया ग्रुप के चेयरमैन व राज्यसभा के पूर्व सदस्य विजय दर्डा की किताब- रिंगसाइड: अप, क्लोज एंड पर्सनल ऑन इंडिया एंड बियॉन्ड (RINGSIDE: Up, Close & Personal on India & Beyond) जल्द ही मार्केट में दस्तक देगी। 30 मई को इस किताब का विमोचन किया जाएगा।

यह कार्यक्रम मंगलवार, 30 मई 2023 को शाम 4.30 बजे नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के स्पीकर हॉल में आयोजित किया जाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व लोकसभा सांसद डॉ. शशि थरूर इस किताब का विमोचन करेंगे। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार व पूर्व संपादक संजय बारू भी इस गरिमामयी शाम में उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे।

इंडिया टुडे टेलीविजन के कंसल्टिंग एडिटर व पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई इस कार्यक्रम के दौरान विजय दर्डा से उनकी किताब को लेकर चर्चा करेंगे।

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मनाली में महिला पत्रकार से मारपीट, FIR दर्ज कर जांच में जुटी पुलिस

हिमाचल प्रदेश के मनाली में गोवा की महिला पत्रकार से मारपीट का मामला सामने आया है। महिला पत्रकार ने आरोप लगाया है कि करीब 20 लोगों ने उसके साथ मारपीट की है।

Last Modified:
Tuesday, 23 May, 2023
FIR

हिमाचल प्रदेश के मनाली में गोवा की महिला पत्रकार से मारपीट का मामला सामने आया है। महिला पत्रकार ने आरोप लगाया है कि करीब 20 लोगों ने उसके साथ मारपीट की है। महिला पत्रकार ने इस मामले में मनाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

जाह्नवी पत्नी अनसान सनी उम्र 31 वर्ष निवासी गोवा ने पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि वह पत्रकार हैं और 28 मार्च 2023 से मनाली गांव में रह रही हैं। जाह्नवी के अनुसार, वह किराए पर स्कूटी लेकर पति के साथ वशिष्ठ मंदिर गई थीं। वशिष्ठ मंदिर से आगे एक गली में स्कूटी पार्क करने को लेकर एक युवक ने एतराज जताया तो उनके पति स्कूटी पार्क करने के लिए दूसरी जगह चले गए। इस बीच उस युवक ने उनके साथ मारपीट और गालीगलौज की। पति के लौटकर आने पर वह युवक उनसे भी उलझ पड़ा और मारपीट की। इससे उनके पति को चोटें आई हैं।

जाह्नवी के अनुसार, इस दौरान उनकी सहेली अरुणिमा कौशिक व स्टेटली जैन भी आ गए। इस बीच स्थानीय लोगों ने उस युवक को वहां से हटा दिया। इसके बाद ग्रामीण उनसे ही उलझने लगे। इसके बाद करीब 20 लोगों ने उनके साथ मारपीट की।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि शांति भंग करने तथा मारपीट करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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वरिष्ठ पत्रकार डॉ. दिग्विजय सिंह के बेटे को कैंसर, मदद की अपील

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. दिग्विजय सिंह के 12 साल के बेटे श्रियांश वत्स को कैंसर हो गया है

Last Modified:
Monday, 15 May, 2023
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वरिष्ठ पत्रकार डॉ. दिग्विजय सिंह के 12 साल के बेटे श्रियांश वत्स को कैंसर हो गया है। श्रियांश नोएडा के कैंब्रिज स्कूल का छात्र है। बच्चे का ट्रीटमेंट दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टरों ने इलाज का खर्च 20 लाख रुपए से ज्यादा बताया है। वरिष्ठ पत्रकार दिग्विजय सिंह पैसे जुटाने के लिए हर तरह से प्रयासरत हैं। लिहाजा उन्होंने लोगों से मदद की अपील भी की है।

दिग्विजय सिंह की पत्नी तूलिका सिंह भी पत्रकार फ्रीलांस जर्नलिस्ट के तौर पर कार्यरत हैं।

वर्ष 2001 में पत्रकारिता की पारी शुरू करने वाले डॉ. दिग्विजय सिंह अपने दो दशक के लंबे करियर में ‘न्यूज वन इंडिया’, ‘आजतक’, ‘स्टार न्यूज’, ‘आईबीएन7’, ‘जी न्यूज’,  ‘न्यूज नेशन’ और ‘इंडिया टीवी’ जैसे चैनलों में अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। वह ‘दैनिक भास्कर’ ग्रुप की रेडियो डिवीजन ‘माई एफएम’ के लिए भी बतौर स्क्रिप्ट राइटर काम कर चुके हैं।

इसके अलावा उन्होंने ‘सोनी टीवी’ के शो प्रायश्चित, अदालत और ‘इमेजिन टीवी’ के चर्चित शो राखी का इंसाफ की क्रिएटिव टीम का नेतृत्व किया है। पत्रकार होने के साथ साथ डॉ. दिग्विजय सिंह कविता और कहानियों का लेखन भी करते हैं।

यहां दिग्विजय सिंह की पत्नी तूलिका सिंह का अकाउंट नंबर और फोनपे स्कैनर दिया गया है। आप यथासंभव मदद कर सकते हैं।  

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HC ने दिया 'सुदर्शन न्यूज' व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को इस तरह की खबरें हटाने का निर्देश

दिल्ली हाई कोर्ट सुदर्शन न्यूज सहित कुछ न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को एक मुस्लिम व्यक्ति पर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाने वाली खबरों को हटाने का आदेश दिया है।

Last Modified:
Saturday, 13 May, 2023
Delhi HC

दिल्ली हाई कोर्ट सुदर्शन न्यूज सहित कुछ न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को एक मुस्लिम व्यक्ति पर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाने वाली खबरों को हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, यूट्यूब, गूगल, ट्विटर, सुदर्शन न्यूज, ओडिशा टीवी, भारत प्रकाशन और सुरेश चव्हाणके को नोटिस भी जारी किया है।

जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच अजमत अली खान द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें यह मांग की गई है कि 19 अप्रैल को उसके खिलाफ एक महिला की ओर से जबरन धर्मांतरण की शिकायत को लेकर दर्ज एफआईआर से संबंधित खबरें हटाने का निर्देश दिया जाए।

याचिका में कहा गया है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस अभी जांच कर रही है और ऐसे में इस संबंध में सुदर्शन न्यूज और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर खबरें चलाकर जांच को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है और वीडियो का प्रसार स्वतंत्र जांच के साथ-साथ उनकी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन रहा है।

वहीं, सुनवाई के दौरान गूगल ने कहा कि इस मामले में एफआईआर पहले ही दर्ज की जा चुकी है, ऐसे में वीडियो अपलोड करने वाले का भी पक्ष सुना जाना चाहिए।

सुनवाई के दौरान न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन (NBDA) ने कहा कि जिस चैनल को प्रतिवादी बनाया गया है, वह उसके संगठन का सदस्य नहीं है।

वहीं, दूसरी ओर, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से पेश वकील ने कहा कि खान के 9 मई के ई-मेल में समाचार रिपोर्टों के लिंक शामिल हैं, इस पर गौर किया जाएगा। साथ यह भी कहा कि वह केवल छपी हुई खबरों पर ही गौर करता है, वेबसाइट पर अपलोड हुई सामग्री पर नहीं। उसके बाद कोर्ट ने यूट्यूब, गूगल, ट्विटर, सुदर्शन टीवी, ओडिशा टीवी, भारत प्रकाशन और सुरेश चव्हाणके को नोटिस जारी कर दिया। 

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी किया और मामले में की गई जांच के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया। जस्टिस सिंह ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील से शिकायतकर्ता से संपर्क करने और याचिका के लंबित होने के बारे में उसे सूचित करने को भी कहा है।

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स्वराज की आवाज उठाने वाले माधवराव सप्रे को वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने यूं किया याद

सप्रे जी पत्रकारिता के ऐसे पूर्वज हैं, जिन्होंने महात्मा गांधी से भी कई बरस पहले पूर्ण स्वराज और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अभियान छेड़ा था।

Last Modified:
Thursday, 11 May, 2023
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राजेश बादल, वरिष्ठ पत्रकार ।।

भोपाल का माधवराव सप्रे स्मृति समाचार संस्थान हिन्दुस्तान ही नहीं, समूचे विश्व में अनूठा है। यहां करोड़ों पन्नों में इस मुल्क की अद्भुत और दुर्लभ दास्तानें सुरक्षित हैं। पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर ने यह अनमोल उपहार हमें सौंपा है। इसी नायाब अभिलेखागार में माधवराव सप्रे की याद में ग्यारह और बारह मई को शानदार जलसा हो रहा है। इसमें देशभर के अनेक विद्वान हिस्सा लेने आ रहे हैं। प्रसंग के तौर पर बता दूं कि सप्रे जी पत्रकारिता के ऐसे पूर्वज हैं, जिन्होंने महात्मा गांधी से भी कई बरस पहले पूर्ण स्वराज और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अभियान छेड़ा था। 

अब बात हो जाए सप्रे जी की पत्रकारिता के बारे में-

आजादी से पहले हिंदी और हिंदी पत्रकारिता के विकास में गैर हिंदीभाषियों का योगदान अद्भुत और अविस्मरणीय है। इनमें महात्मा गांधी, कन्हैया लाल मानक लाल मुंशी, सी राजगोपालाचारी, प्रेमचंद और सरदार भगत सिंह जैसे कई नाम हैं। लेकिन माधवराव सप्रे का नाम सबसे ऊपर है। उस गुलाम हिन्दुस्तान में उन्होंने कलम और विचारों से लोगों को जगाने का जो काम किया, दुनिया के इतिहास में उसकी कोई मिसाल नहीं है। दरअसल माधव राव सप्रे भारतीय स्वाधीनता संग्राम के क्षितिज पर महात्मा गांधी के उदय से पहले बहुत बड़ा नाम था। उन्होंने 13 अप्रैल 1907 से लोकमान्य तिलक के लोकप्रिय मराठी केसरी का हिंदी में ‘हिंदी केसरी’ नाम से प्रकाशन किया। इसका उद्देश्य था- राजनीतिक गुलामी दूर करके पूर्ण स्वराज प्राप्त करना। ‘हिंदी केसरी’ में स्वतंत्रता सेनानियों का खुला समर्थन होता था, स्वराज हासिल करने के तरीकों पर वैचारिक आलेख छपते थे। स्वदेशी का प्रचार और विदेशी का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित करने वाला साहित्य छपता था। गोरी सरकार ये तेवर बर्दाश्त नहीं कर पाई। आखिरकार सप्रे जी और सहयोगी संपादक कोल्हटकर को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया। वे जेल में डाल दिए गए।

अलौकिक आभा से पत्रकारिता दमकती है पर, हिंदी केसरी उनका पहला शाहकार नहीं था। हिंदी केसरी से साल भर पहले उन्होंने नागपुर से मई 1907 में ‘हिंदी ग्रन्थमाला’ का प्रकाशन शुरू किया था। इसके लिए हिंदी ग्रन्थ प्रकाशन मण्डली का गठन किया गया था। उसमें भारत को आजाद कराने वाले ओजस्वी लेख प्रकाशित किए जाते थे। इस कड़ी में सप्रे जी के एक आलेख स्वदेशी आंदोलन और बायकॉट ने तो अवाम को झकझोर दिया था। जिस अंक में यह लेख छपा था, उस पर बंदिश लगा दी गई थी। ऐसे ही तेज तर्राट लेखों ने गोरी हुकूमत को हिला दिया था। गोरे इनसे भयभीत रहते थे। अंग्रेज सरकार ने डाकखाने से उन ग्राहकों के डाक के पते हासिल किए, जिन्हें हिंदी ग्रंथमाला के अंक भेजे जाते थे। फिर उन्हें मजबूर किया गया कि वे सप्रे संपादित ग्रंथमाला को मंगाना बंद कर दें। यही नहीं, सरकारी कर्मचारियों से कहा जाता था कि वे इन अंकों को पढ़ना बंद कर दें। यदि उनके पास ये अंक पाए जाते तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता। इसके बाद पुलिस उनके खिलाफ मामला दर्ज करती और तीन साल के लिए वे जेल में डाल दिेए जाते। हिंदी ग्रंथमाला से पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ के पेंड्रा रोड से सन 1900 की जनवरी में छत्तीसगढ़ मित्र का प्रकाशन प्रारंभ किया था। यह एक वैचारिक पत्रिका थी। कहा जा सकता है कि हिंदी में समालोचना का प्रारंभ छत्तीसगढ़ मित्र ने ही किया। हिंदी के अनेक जाने-माने लेखक इस पत्रिका में लिखते थे।

सप्रे जी ने 1904 में अर्थशास्त्र जैसे कठिन विषय की आसान शब्दावली तैयार कर दी थी। इस शब्दावली में अंग्रेजी के 1320 शब्दों के लिए हिंदी के 2115 नए शब्द गढ़े गए थे। दो साल बाद यह वैज्ञानिक शब्दकोश छपकर सामने आया। हिंदी भाषा इसके बाद बेहद अमीर हो गई। माधवराव सप्रे ने अपने छत्तीसगढ़ मित्र में छह कहानियां लिखीं। बाद में इन कहानियों को देवी प्रसाद वर्मा ने एक संकलन के रूप में प्रकाशित किया। इनमें एक टोकरी भर मिट्टी को हिंदी की पहली मौलिक कहानी माना गया। बताने की जरूरत नहीं कि एक भारतीय आत्मा के नाम से विख्यात दादा माखनलाल चतुर्वेदी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पंडित द्वारिका प्रसाद मिश्र और संविधान सभा के सदस्य रहे महान हिंदी सेवी सेठ गोविन्द दास के लेखन और पत्रकारिता को सप्रे जी ने ही तराशा था। पिछले साल इन्हीं विलक्षण माधवराव सप्रे के जन्म का 150वां साल था।  

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दुनिया को अलविदा कह गए 'द सोशल स्ट्रीट' के प्रताप बोस

इंटीग्रेटिड एडवर्टाइजिंग एजेंसी 'द सोशल स्ट्रीट' (The Social Street) के प्रताप बोस का निधन हो गया है। उन्होंने बुधवार यानी सुबह गुरुग्राम में अंतिम सांस ली।

Last Modified:
Wednesday, 10 May, 2023
Pratapbose51

इंटीग्रेटिड एडवर्टाइजिंग एजेंसी 'द सोशल स्ट्रीट' (The Social Street) के प्रताप बोस का निधन हो गया है। उन्होंने बुधवार यानी आज सुबह गुरुग्राम में अंतिम सांस ली।

बता दें कि बोस के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। तीन महीने पहले ही उन्हें एक बड़ी बीमारी का पता चला था और हाल ही में उनकी हालत ज्यादा खराब हो गई थी।

बोस ने 2015 में मार्केटिंग कम्युनिकेशन एजेंसी 'द सोशल स्ट्रीट' की सह-स्थापना की, लेकिन 2020 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने बता दें कि बोस ने ‘डीडीबी मुद्रा’ (DDB Mudra) से अलग होने के बाद जून 2015 में ‘द सोशल स्ट्रीट’ की स्थापना की थी। 'डीडीबी मुद्रा' में वह सीओओ के पद पर कार्यरत थे। वह पिछले 3.5 सालों से ऐडवर्टाइजिंग व मार्केटिंग कंसल्टेंट थे।

बोस 17 साल तक ओगिल्वी एंड माथर इंडिया ( Ogilvy & Mather India) के साथ भी रहे और विभिन्न पदों पर रहते हुए यहां अपना योगदान दिया। वह 2006 में इस कंपनी में सबसे कम उम्र के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर बने।

बोस पूर्व में ‘द एडवर्टाइजिंग क्लब’ (The Advertising Club) के प्रेजिडेंट भी रह चुके हैं।

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इस साल इन पत्रकारों को मिला ‘देवऋषि नारद सम्मान'

‘इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र’ के तत्वावधान में आठ मई, 2023 को आयोजित एक समारोह में विभिन्न श्रेणियों में 11 पत्रकारों को पत्रकारिता जगत में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए इस सम्मान से नवाजा गया।

Last Modified:
Monday, 08 May, 2023
Narad Award

‘इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र’ (IVSK) के तत्वावधान में आठ मई, 2023 को ‘देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान‘ समारोह का आयोजन किया गया। नई दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित महाराष्ट्र भवन के सभागार में आयोजित इस समारोह में विभिन्न श्रेणियों में 11 पत्रकारों को पत्रकारिता जगत में उनके योगदान के लिए  इस सम्मान से नवाजा गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर मुख्य वक्ता तथा प्रो. एस पी सिंह बघेल, राज्यमंत्री, विधि एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उदय माहुरकर, लेखक, इतिहासकार एवं सूचना आयुक्त, केन्द्रीय सूचना आयोग ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन से हुई। 

बता दें कि देवऋषि नारद जी की जयंती के अवसर पर समाज में मीडिया एवं पत्रकारिता जगत के अमूल्य योगदान को सम्मान देने के लिए ‘इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र’ द्वारा हर साल देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2009 में इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी। तब से हर वर्ष यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 और 2021 में इसका आयोजन नहीं हो सका था। इस साल इस आयोजन का 13वां एडिशन था।

जिन पत्रकारों को इस साल इस सम्मान से नवाजा गया। उनके नाम इस प्रकार हैं।

: स्वाति गोयल को स्त्री सरोकार/महिला संवेदना पत्रकारिता देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान- ‘स्वराज’ मैगजीन में वरिष्ठ संपादक के पद पर कार्यरत स्वाति गोयल शर्मा ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ और  ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में भी अपनी भूमिका निभा चुकी हैं।  

: डॉ. ओम प्रकाश यादव को ग्रामीण पत्रकारिता देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान- ‘दूरदर्शन समाचार’ (DD News) में संपादक के पद पर कार्यरत डॉ. ओम प्रकाश यादव कृषि एवं ग्रामीण विकास पर तमाम स्टोरी कर चुके हैं।  

: मनु त्यागी को देवऋषि नारद न्यूज रूम सहयोग सम्मान-‘दैनिक जागरण’ में चीफ सब एडिटर मनु त्यागी को पत्रकारिता का एक दशक का अनुभव है। दिल्ली-एनसीआर में कार्यरत रिपोर्टर्स के साथ समन्वय करके वह खबरों को नए रूप में प्रस्तुत करने में मदद करती हैं। वह दैनिक जागरण की फीचर पेज टीम का भी अहम हिस्सा हैं।  

: नरेन्द्र कुमार वर्मा को डिजिटल पत्रकार देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान- करीब 25 साल से पत्रकारिता के विभिन्न माध्यमों में कार्यरत रहे नरेन्द्र कुमार वर्मा वर्तमान में कई वेबसाइट्स और वेब चैनल्स में कंटेंट प्रदान करने का काम करते हैं। हरिद्वार कुंभ 2021 पर बनी उनकी डॉक्यूमेंट्री को जयपुर फिल्म फेस्टिवल में सम्मानित किया गया था। पत्रकारिता, राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर उनकी 12 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।

: शिवम दीक्षित को डिजिटल मीडिया देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान- ‘पांचजन्य’ में उपसंपादक शिवम दीक्षित करीब एक दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हैं। दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को शिवम दीक्षित ने अपनी स्टोरी में बेनकाब किया था।  

: ध्रुव कुमार को उत्कृष्ट छायाकार (प्रिंट) देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान- ‘दैनिक जागरण’ अखबार में चीफ फोटो जर्नलिस्ट के पद पर कार्यरत ध्रुव कुमार करीब 23 साल से अखबारों के लिए तस्वीरें क्लिक कर रहे हैं। दिल्ली में बम ब्लास्ट के दौरान उनके द्वारा खींची गई तस्वीरों ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था।

: अमित कुमार को उत्कृष्ट छायाकार (टी.वी) देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान- ‘न्यूज नेशन’ टीवी चैनल में वरिष्ठ कैमरामैन के पद पर कार्यरत अमित कुमार को राजनीतिक खबरों की लाइव रिपोर्टिंग में महारत हासिल है। उनके द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध की लाइव कवरेज भी की गई, जहां मिसाइल हमलों के बीच उन्होंने कुशलता के साथ फिल्मांकन का काम पूरा किया।

: हर्षवर्धन त्रिपाठी को उत्कृष्ट स्तम्भकार देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान- हर्षवर्धन त्रिपाठी इंडियन स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में विजिटिंग प्रोफेसर हैं। देश के तमाम सरकारी व निजी पत्रकारिता विश्वविद्यालयों के साथ वह अतिथि प्रोफेसर के तौर पर जुड़े हुए हैं। राजनीतिक एवं आर्थिक विषयों पर उनके आलेख नियमित तौर पर अखबारों में प्रकाशित होते रहते हैं। टीवी चैनल्स के डिबेट शो में भी वह बेबाकी के साथ अपनी राय रखते हैं।

: एस. वेंकट नारायण को विदेशी पत्रकारिता (भारत संबंधित पत्रकारिता) देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान- एस. वेंकट नारायण ‘नेटवर्क सेवन’ टीवी चैनल के साउथ एशिया प्रमुख हैं। विदेशी मीडिया संस्थानों के साथ कार्य करने का उनके पास लंबा अनुभव है। उनके द्वारा कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के इंटरव्यू किए गए हैं। एस. वेंकट नारायण द्वारा आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन.टी रामाराव की आत्मकथा भी लिखी गई है।

: सागर कुमार को उत्कृष्ट साहसिक पत्रकार देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान- सागर कुमार ‘सुदर्शन’ न्यूज चैनल में रिपोर्टर के पद पर कार्यरत हैं। उनके द्वारा लव जिहाद और गौतस्करों पर कई स्पेशल स्टोरी की गई हैं। पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में उनके द्वारा विदेशी मीडिया के दुष्प्रचार को बेनकाब किया गया था।  

इन सभी को प्रमाण पत्र, स्मृति चिन्ह, शॉल, पुस्तक तथा 11,000/- रुपये का चेक देकर सम्मानित किया गया।

इनके अलावा आदित्य राज कौल को उत्कृष्ट पत्रकार देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान दिया गया। आदित्य राज कौल ‘टीवी9’ में राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रणनीतिक मामलों के कार्यकारी संपादक हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद उनके द्वारा की गई खबरों को बहुत सराहा गया। यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच भारतीयों की स्वदेश वापसी पर उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भारतीय रणनीति पर खुलकर चर्चा की। इन्हें प्रमाण पत्र, स्मृति चिन्ह, शाल, पुस्तक तथा 51,000/- रुपये का चेक देकर सम्मानित किया गया।

विभिन्न श्रेणियों में प्राप्त प्रविष्टियों का अध्ययन कर सम्मानित होने वाले पत्रकारों का चयन करने के लिए एक सम्मानित निर्णायक मंडल (जूरी) का गठन किया गया था। निर्णायक मंडल में कंचन गुप्ता, वरिष्ठ सलाहकार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार; मयंक अग्रवाल, पूर्व सीईओ प्रसार भारती एवं प्रधान महानिदेशक दूरदर्शन एवं दूरदर्शन न्यूज; विष्णु प्रकाश त्रिपाठी, कार्यकारी संपादक, दैनिक जागरण; प्रिया कुमार, महानिदेशक, दूरदर्शन न्यूज़; प्रफुल्ल केतकर, संपादक, ऑर्गनाइजर; हितेश शंकर, संपादक, पांचजन्य; आनंद नरसिम्हन, प्रबंध संपादक, नेटवर्क 18; अतुल जैन, सामाजिक कार्यकर्त्ता तथा एवं महासचिव, दीनदयाल शोध संस्थान; नुपुर जे शर्मा, प्रधान संपादक, ऑप इंडिया शामिल थीं।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो. एस पी सिंह बघेल का कहना था कि देव ऋषि नारद पत्रकार सम्मान दिल्ली-एनसीआर के पत्रकारों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण सम्मान है। वहीं, मुख्य वक्ता नरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि मीडिया सहित समाज के सभी क्षेत्रों में स्व (भारतीयता) के भाव को जागृत करना होगा। वहीं, विशिष्ट अतिथि तथा समारोह की अध्यक्षता कर रहे उदय माहुरकर ने कहा कि 60 सालों तक देश में एक खास विचारधारा का प्रभाव हर क्षेत्र में दिखता था। उस वातावरण में सत्य के लिए संघर्ष करना पड़ता था। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए निर्णायक मंडल के अध्यक्ष कंचन गुप्ता ने चयन प्रक्रिया से अवगत कराया।

कार्यक्रम में प्रशांत जैन, समाजसेवी एवं चेयरमैन इंडिका पब्लिशर एवं किताबवाले की गरिमामय उपस्थिति रही। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र प्रचार प्रमुख अनिल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रान्त कार्यवाह भारत, दिल्ली प्रान्त प्रचारक जतिन, दिल्ली विश्व हिंदू परिषद् के अध्यक्ष कपिल खन्ना, सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक सुरेश चौहानके, आईटीवी नेटवर्क के फाउंडर तथा राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा, दैनिक जागरण के एग्जिक्यूटिव एडिटर विष्णु गुप्ता, दूरदर्शन के महानिदेशक प्रिया कुमार और 'आईआईएमसी' के महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी समेत बड़ी संख्या में पत्रकार शामिल हुए। इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र के उपाध्यक्ष रीतेश अग्रवाल ने इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र का परिचय दिया तथा इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष अशोक सचदेवा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' की रिपोर्ट भारत को नीचा दिखाने का प्रयास: NUJ (I)

नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) ने आपत्ति जताई है और यह कहते हुए इस रिपोर्ट की निंदा की है कि यह रिपोर्ट भारत को नीचा दिखाने का प्रयास है।

Last Modified:
Friday, 05 May, 2023
NUJI

वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे के मौके पर फ्रांस आधारित संस्था 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' (आरएसएफ) ने 3 मई को अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट में भारत की स्थिति पर चिंता जताई गई है, क्योंकि 2023 के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत 11 पायदान गिरकर 161वें स्थान पर पहुंच गया है। आरएसएफ ने पिछले साल 180 देशों के एक सर्वे में भारत को 150वां स्थान दिया था। वहीं इस रिपोर्ट पर अब नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) ने आपत्ति जताई है और यह कहते हुए इसकी निंदा की है कि यह रिपोर्ट भारत को नीचा दिखाने का प्रयास है।

नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता अन्य देशों की तुलना में काफी बेहतर है। इसके बावजूद भी कुछ विदेश संस्थाएं भारत को बदनाम करने की मंशा से ऐसी रिपोर्ट तैयार कर रही हैं, जो न केवल झूठी हैं बल्कि पूर्वाग्राही भी हैं। 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' की रिपोर्ट कमोवेश ऐसी ही है। इस रिपोर्ट में भारत को 181 देशों में 161वें स्थान पर बताकर भारत को नीचा दिखाने का प्रयास किया गया है।

एनयूजे(आई) ने कहा कि केवल यही पहली रिपोर्ट नहीं है, जिसमें यह विदेशी संस्थाएं ऐसे प्रयास करती दिखती हों। इससे पहले भी कई रिपोर्ट्स में पूर्वाग्राही मानसिकता से भारत को कमजोर दिखाने व बदनाम करने का प्रयास हुआ है।

नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक मलिक और महासचिव सुरेश शर्मा ने जारी एक बयान में कहा कि रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट पूर्वाग्राही और भारत के विरुद्ध षड्यंत्र है। इसलिए हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।

संस्था ने आगे कहा कि यदि भारतीय पत्रकारिता की वस्तुस्थिति का सही आकलन किया जाता तो रिपोर्ट जारी करने वाली संस्था को स्थितियां कुछ अलग ही नजर आतीं। भारत में पत्रकारों की एक ऐसी फौज है, जो देश की मौजूदा सरकार की तीखी आलोचना करती है। वे लोग सोशल मीडिया पर भी लगातार सरकार की आलोचना करते रहते हैं। कई समाचार चैनल, समाचार पत्र और वेबसाइट्स भी ऐसे हैं, जो हर छोटे-बड़े मुद्दे पर केंद्र की आलोचना से भरे पड़े रहते हैं। इन आलोचनाओं में कोई ठोस बुनियादी आधार भी नजर नहीं आता। केंद्र की सरकार की ओर से इस प्रकार के संस्थान, जो सरकार विरोधी गतिविधियों में संलग्न हैं कभी किसी भी प्रकार की प्रत्यक्ष कार्यवाही नहीं की गई है। ऐसे में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की यह रिपोर्ट भारत के संदर्भ में आधारहीन, बेबुनियाद, तथ्यों से परे और पूर्वाग्राही नजर आती है।

 नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) ने सूचना प्रसारण मंत्रालय से ये अपील की कि वह इस रिपोर्ट का संज्ञान लें और इसके प्रति अपना कड़ा विरोध दर्ज कराएं।

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