उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत से सोमवार से हो गई है। सत्र का पहला दिन काफी हंगामेदार रहा।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो
उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत से सोमवार से हो गई है। सत्र का पहला दिन काफी हंगामेदार रहा। सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले समाजवादी पार्टी के विधायकों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। पार्टी के सभी विधायक विधानभवन के प्रांगण में चौधरी चरण सिंह की मूर्ति के सामने तख्तियां और बैनर लेकर प्रदर्शन करने लगे। इस प्रदर्शन को कवर करने तमाम पत्रकार भी पहुंचे थे। इस दौरान सपा विधायकों की पुलिस के नोंकझोंक हुई कि तभी वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी पत्रकारों को दूर भगाने लगे। इस दौरान सुरक्षाकर्मियों ने पत्रकारों के साथ धक्का-मुक्की शुरू कर दी और मारपीट भी की। इस दौरान कई पत्रकारों को चोटें भी आई।
वहीं, इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) सतीश महाना से मिलकर नाराजगी जताई। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने मामले की जांच कराते हुए दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की बात कही है।
वहीं इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि मीडियाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार सत्ताधारियों की हताशा का प्रतीक है। जब सत्ता पत्रकारों पर प्रहार करने लगे तो समझ लो वो सच से डर गयी है।
मीडियाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार सत्ताधारियों की हताशा का प्रतीक है। जब सत्ता पत्रकारों पर प्रहार करने लगे तो समझ लो वो सच से डर गयी है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 21, 2023
वहीं, समाजवादी पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा गया कि तानाशाह भाजपा सरकार, चौथे स्तंभ पर वार। आज विधानसभा में पत्रकार साथियों पर भाजपा सरकार के इशारे पर हुआ हमला बेहद शर्मनाक। लोकतंत्र खत्म करने का प्रयास कर रही योगी सरकार। सत्ता के अहंकार में दमन कर रही सरकार।
तानाशाह भाजपा सरकार, चौथे स्तंभ पर वार !
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) February 20, 2023
आज विधानसभा में पत्रकार साथियों पर भाजपा सरकार के इशारे पर हुआ हमला बेहद शर्मनाक।
लोकतंत्र खत्म करने का प्रयास कर रही योगी सरकार।
सत्ता के अहंकार में दमन कर रही सरकार। pic.twitter.com/IG4R25Vzm7
लखनऊ विधानसभा में आज से प्रारंभ हो रहे यूपी बजट सत्र की कवरेज करने आए मीडिया कर्मियों के साथ सुरक्षा कर्मियों द्वारा अभद्रता व मारपीट की घटना, निंदनीय एवं शर्मनाक!
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) February 20, 2023
यह घटना लोकतंत्र पर एक बदनुमा दाग है।
दोषी सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ तत्काल हो कठोरतम कार्रवाई। pic.twitter.com/2T0CPJQybv
शर्मनाक! यूपी विधानसभा में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के साथ अभद्रता!
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) February 20, 2023
लखनऊ विधानसभा में बजट सत्र के दौरान सपा के विरोध प्रदर्शन की कवरेज कर रहे "इंडियन एक्सप्रेस" के फोटो जर्नलिस्ट विशाल श्रीवास्तव सहित मीडिया के अन्य साथियों के साथ हुई मारपीट की घटना,घोर निंदनीय है!
हो कार्रवाई। pic.twitter.com/UWNyJXO5rJ
उद्योग रिपोर्टों में बताया गया है कि टीवी के कुल स्क्रीन-काउंट 2024 में लगभग 190 मिलियन के स्तर पर था और 2026 तक इसे 214 मिलियन तक पहुँचने का प्रोजेक्शन दिया गया।
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Samachar4media Bureau
आलोक मेहता, पद्मश्री, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक।
दिल्ली-मुंबई में कई प्रभावशाली लोगों को यह ग़लतफ़हमी है कि अब कौन टीवी देखता है या कौन अख़बार या किताब पढ़ता है? खासकर बड़े सरकारी अफ़सर और कुछ ज़मीन की सच्चाई से कटे हुए कॉर्पोरेट प्रबंधकों को मैंने भी यह कहते सुना-देखा है। मैं उनसे असहमत रहता हूँ। मेरे जमीनी अनुभव के बजाय कोई सरकार या अधिकृत कॉर्पोरेट मार्केटिंग के तथ्य को ही विश्वास करना चाहे तो अधिकृत आँकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि 2025 की आवाज़ है। टीवी अभी जिंदा है, 230 मिलियन घरों और 900 मिलियन दर्शक इससे जुड़े हुए हैं।
तभी तो विश्व के शीर्ष नेताओं में से एक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत यात्रा के एक दिन पहले भारत के टीवी न्यूज़ चैनल आज तक और इंडिया टुडे को इंटरव्यू दिया। वैसे 2002 में भी उन्होंने भारत के टीवी चैनल एनडीटीवी (विष्णु सोम) और 2007 में भारतीय दूरदर्शन के लिए (राघव बहल को) इंटरव्यू दिए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम भारत के अधिकांश न्यूज़ चैनल प्रसारित करते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले नेशनल और रीजनल टीवी चैनल्स को इतने अधिक इंटरव्यू दिए, जो एक रिकॉर्ड है। फिर वह न्यूज़ चैनल्स के इवेंट्स में अपनी बातें लगातार रखते हैं। जनता पर सीधे संवाद का इससे अच्छा तरीका और कुछ नहीं हो सकता।
सरकारी और कॉर्पोरेट प्रबंधकों को इस तथ्य पर भी विचार करना चाहिए कि मीडिया और इंटरटेनमेंट सेक्टर की बढ़ती आय 2.5 लाख करोड़ से बढ़कर 2.7 लाख करोड़ रुपये इस बात का संकेत देती है कि आर्थिक मॉडल बदला पर मजबूत बना हुआ है। उसी समय, प्रिंट मीडिया ने भी 2025 की पहली छमाही में 2.77% सर्कुलेशन में वृद्धि दिखाकर लाभ दिया कि भरोसा अभी भी मौजूद है।
इन सब के बीच सबसे बड़ा खतरा और अवसर दोनों डिजिटल में हैं। जहाँ नियम, टेक्नोलॉजी और नागरिक-साक्षरता यह तय करेंगे कि अगला दशक मीडिया-स्वास्थ्य और लोकतंत्र के लिए सकारात्मक बनेगा या नहीं। वर्ष 2025 ने मीडिया-इकोसिस्टम के उस परिवर्तन को और स्पष्ट कर दिया जिसे कई लोग पिछले दशक से देख रहे थे। एक ओर पारंपरिक टेलीविजन (टीवी) की पहुँच और भरोसेमंदता बरकरार है, दूसरी ओर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म ओटीटी, सोशल मीडिया, न्यूज़ ऐप्स भी दर्शक और विज्ञापन की कमाई खींच रहे हैं। यही द्वैत न केवल दर्शक-व्यवहार बदलता है बल्कि मीडिया हाउसों के राजस्व, विज्ञापन मॉडल और नियंत्रण के स्वरूप को भी बदल रहा है।
उद्योग रिपोर्टों में बताया गया है कि टीवी के कुल स्क्रीन-काउंट 2024 में लगभग 190 मिलियन के स्तर पर था और 2026 तक इसे 214 मिलियन तक पहुँचने का प्रोजेक्शन दिया गया। इस वृद्धि से अनुमानित नई खरीद हर साल कई करोड़ स्क्रीन-वृद्धि के अनुरूप दिखती है। सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार 2025 में भारत में लगभग 230 मिलियन हाउसहोल्ड्स टीवी-नेटवर्क से जुड़े हुए हैं और कुल दर्शकों की पहुँच लगभग 900 मिलियन तक बताई गई है।
यानी टीवी की बेस-लाइन्स पहुँच विशाल है। यह ग्रामीण-अर्ध-शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक जानकारी पहुँचाने का सबसे किफ़ायती और प्रभावी माध्यम बना हुआ है। खासकर जहाँ इंटरनेट-पेनिट्रेशन या ब्रॉडबैंड-गति सीमित है। यह ऊँचा दर्शक-आधार टीवी को विशेषकर समाचार और राज्य/क्षेत्रीय सूचनाओं के लिए एक निर्णायक माध्यम बनाता है, भले ही युवा दर्शक अधिकतर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर जा रहे हों। टीवी की पारंपरिक सामग्री न्यूज़ बुलेटिन, क्षेत्रीय सीरियल्स, धार्मिक और ग्रामीण कार्यक्रम अभी भी उस जनसमूह को सबसे पहले पहुँचाती है जिसका डिजिटल पहुँच सापेक्ष कम है।
बड़े लोग भूल जाते हैं कि मोबाइल फोन देश के गरीब वर्ग तक पहुँचा है। बताते हैं कि 100 करोड़ मोबाइल सेट लोगों के पास हैं। लेकिन दिल्ली-मुंबई में सब्ज़ी-फल बेचने वाले या रिक्शा चालक या घरों में काम करने वाली महिलाएँ मोबाइल फोन सामान्यतः घर-परिवार या काम की बात करने-सुनने के लिए करती हैं, उस पर न्यूज़ या उससे जुड़े प्रोग्राम नहीं देखतीं। बच्चों की पढ़ाई में कुछ सहायक है।
इसी तरह विश्वास करना कठिन लग सकता है पर एबीसी सर्कुलेशन के प्रामाणिक आँकड़ों के अनुसार जनवरी-जून 2025 ऑडिट-पीरियड में दैनिक अख़बारों की औसत-क्वालिफ़ाइंग-सेल्स 29,744,148 (29.74 मिलियन) प्रतियाँ रहीं, जो कि जुलाई-दिसंबर 2024 के 28,941,876 (28.94 मिलियन) से 2.77% (लगभग 8.02 लाख प्रतियाँ) की वृद्धि थी।
इस वृद्धि का कारण कई क्षेत्रों में पाठक आज भी स्थानीय खबर, -सूचना, रोज़गार-सूचना और क्षेत्रीय भाषा की रिपोर्टिंग के लिए अख़बार पर भरोसा रखते हैं। कस्बों और गाँवों में ही नहीं, महानगरों में भी सामान्य लोग अख़बारों को विश्वसनीय और उपयोगी मानते हैं। हाँ, पाठकों या दर्शकों की बदलती रुचियों और उपयोगिता को प्राथमिकता ही सफलता देता है।
राहुल गांधी जैसे नेता डिजिटल क्रांति के भरोसे हैं। याद कीजिए राहुल गांधी ने केवल अर्नब गोस्वामी को एक टीवी इंटरव्यू दिया। फिर केवल डिजिटल यूट्यूब चैनल कर्ली टेल्स (ट्रैवल फूड इत्यादि के लिए प्रसिद्ध) को इंटरव्यू दिया। हाँ, भाषण प्रेस कॉन्फ्रेंस करते रहे और मीडिया कर्मियों की जातियों, मालिकों के नाम पूछकर अपमानित करते रहे। बहरहाल, उनका शौक बॉक्सिंग रहा है। इसी तरह उन्हें मांसाहार प्रिय है। भारत में अब भी शाकाहारी और धर्मप्राण आबादी की संख्या सर्वाधिक है। वह पारंपरिक मीडिया से अधिक जुड़ी हुई है।
यों डिजिटल पर नई पीढ़ी का समाचार देखना/पढ़ना बढ़ा है, पर भरोसा घट रहा है। रॉयटर्स इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट्स के अनुसार डिजिटल-न्यूज़ की पहुँच विशेषकर शहरी तथा युवा-वर्ग में व्यापक है, पर फेक-न्यूज़ और हेट-स्पीच का खतरा साथ में बढ़ रहा है। सोशल-मीडिया, मैसेजिंग-ऐप्स और वायरल वीडियो के माध्यम से ग़लत सूचनाएँ तेज़ी से फैलती हैं।
मैसेजिंग-ग्रुप्स (जैसे वॉट्सऐप): निजी/चैनल मैसेजिंग में वायरल अफवाहें सहजता से फैलती हैं—मॉडरेशन-ऐंड-टेकडाउन जैसी कार्रवाई अक्सर लागू नहीं होती। 2025 तक एआई-सक्षम ऑडियो/वीडियो एडिटिंग ने धोखे और गलत पहचान की घटनाएँ बढ़ा दी हैं। उनके लिए नियमों में -विशेष प्रावधान की कमी चिंता का मुद्दा है।
अब नियंत्रित कंटेंट और सत्यापन डिटेक्शन, ऑटोमेटेड सत्यापन टूल और स्टैंडर्ड-मेट्रिक्स की आवश्यकता बढ़ेगी। वर्तमान नियम इन नए जोखिमों के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। क़ानूनी संतुलन जैसे-जैसे डिजिटल पर नियंत्रण बढ़ेगा, अभिव्यक्ति-स्वतंत्रता और सेंसरशिप के बीच संतुलन करना होगा। नियमन के पारदर्शी और अपील-मेकैनिज़्म बेहद आवश्यक होंगे।
( यह लेखक के निजी विचार हैं )
चुनाव परिणामों की घोषणा पीसीआई के मुख्य चुनाव अधिकारी एमएमसी शर्मा और उनकी टीम ने रविवार शाम प्रेस क्लब के लॉन में तमाम पत्रकारों की मौजूदगी में की।
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Samachar4media Bureau
पत्रकारों के प्रमुख संगठन ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ (PCI) ने अपने इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोटी को क्लब की पहली महिला अध्यक्ष के रूप में चुना है। 13 दिसंबर को हुए इस चुनाव को ‘PCI’ के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में संगीता बरुआ पिशारोटी ने 1,019 वोट हासिल कर शानदार जीत दर्ज की। उनके मुकाबले अतुल मिश्रा को 129 और अरुण शर्मा को 89 वोट मिले। पिशारोटी के पैनल ने चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए पदाधिकारियों और प्रबंध समिति की सभी सीटों पर जीत हासिल की और 21-0 से क्लीन स्वीप किया।
महासचिव पद के लिए अफजल इमाम ने 948 वोट प्राप्त कर ज्ञान प्रकाश (290 वोट) को पराजित किया। उपाध्यक्ष पद पर जतिन गांधी ने 1,029 वोट हासिल कर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी प्रह्लाद सिंह राजपूत को 900 से अधिक मतों के अंतर से हराया। वहीं कोषाध्यक्ष पद पर अदिति राजपूत और संयुक्त सचिव पद पर पी.आर. सुनील निर्विरोध चुने गए।
16 सदस्यीय प्रबंध समिति का गठन
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की 16 सदस्यीय प्रबंध समिति के चुनाव में नीरज कुमार 932 वोटों के साथ शीर्ष स्थान पर रहे। उनके बाद अभिषेक कुमार सिंह (911), जहानवी सेन (903), अशोक कौशिक (892), कल्लोल भट्टाचार्य (882), प्रवीण जैन (878), अग्रज प्रताप सिंह (865), मनोज शर्मा (861), न्यानीमा बसु (851), पीबी सुरेश (838), वीपी पांडे (833), प्रेम बहुखंडी (831), स्नेहा भूरा (829), जावेद अख्तर (823), रेजाउल हसन लस्कर (781) और सुनील कुमार (780) को प्रबंध समिति का सदस्य चुना गया।
चुनाव परिणामों की घोषणा पीसीआई के मुख्य चुनाव अधिकारी एमएमसी शर्मा और उनकी टीम ने रविवार शाम प्रेस क्लब के लॉन में तमाम पत्रकारों की मौजूदगी में की।
परिणाम घोषित होने के बाद नवनिर्वाचित अध्यक्ष संगीता बरुआ पिशारोटी ने कहा कि यह जीत प्रेस क्लब के सदस्यों के उस विश्वास को दर्शाती है, जो उनके पैनल की सोच और स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा जिम्मेदार पत्रकारिता के मूल्यों के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर है।
पीसीआई के निवर्तमान अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने क्लब के सदस्यों का आभार जताते हुए कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि नई टीम प्रेस क्लब को और अधिक समावेशी, उत्तरदायी और समय की चुनौतियों के अनुरूप बनाएगी।
वहीं, निवर्तमान महासचिव नीरज ठाकुर ने कहा कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया हमेशा देश और विदेश के पत्रकारों के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था रहा है। क्लब की पहली महिला अध्यक्ष का चुनाव न केवल प्रगति का प्रतीक है, बल्कि यह समानता, विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति पीसीआई की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
श्री अधिकारी ब्रदर्स टेलीविजन लिमिटेड (Sri Adhikari Brothers Television Network Limited) जिसे जल्द ही Aqylon Nexus Limited के नाम से जाना जाएगा
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श्री अधिकारी ब्रदर्स टेलीविजन लिमिटेड (Sri Adhikari Brothers Television Network Limited) जिसे जल्द ही Aqylon Nexus Limited के नाम से जाना जाएगा, ने तेलंगाना सरकार के साथ एक MoU (Memorandum of Understanding) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत कंपनी तेलंगाना में 50 मेगावाट क्षमता वाला AI और Hyperscale ग्रीन डेटा सेंटर कैंपस विकसित करेगी।
कंपनी के मुताबिक, इस परियोजना में लगभग 4,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और यह करीब 20 एकड़ जमीन पर Fab City, Tukkuguda में बनेगा। MoU का हस्ताक्षर 9 दिसंबर 2025 को किए गए।
कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस परियोजना में तेलंगाना सरकार के साथ कोई शेयरधारिता नहीं है और इसका कंपनी के प्रमोटर या ग्रुप कंपनियों से कोई संबंध नहीं है। परियोजना के लिए कोई विशेष शेयर या बोर्ड पर नामांकन का अधिकार भी नहीं है।
MoU की वैधता दो साल की होगी और इसे किसी भी पक्ष द्वारा 30 दिन के लिखित नोटिस के साथ समाप्त किया जा सकता है। कंपनी ने कहा कि यह परियोजना आधुनिक तकनीक और पर्यावरण के अनुकूल उपायों के साथ तैयार की जाएगी।
यह बड़ा कदम SABT के लिए AI और डेटा सेंटर क्षेत्र में विस्तार का संकेत है और तेलंगाना में डिजिटल और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देगा।
एमएमसी शर्मा को मुख्य चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है। चुनाव अधिकारियों में सुभाष चंदर, विनोद सेठी, विजय लक्ष्मी, जेआर नौटियाल, नीरज कुमार रॉय, मनीष बेहड़, ई कृष्णा राव व अभिषेक प्रसाद शामिल हैं।
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‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ (पीसीआई) ने अपने पदाधिकारियों और प्रबंधन समिति के सदस्यों के लिए वार्षिक चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। क्लब की ओर से जारी नोटिस के अनुसार, चुनाव 13 दिसंबर 2025 को सुबह 10 बजे से शाम 6:30 बजे तक 1, रायसीना रोड, नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब परिसर में आयोजित किया जाएगा।
‘पीसीआई’ के महासचिव नीरज ठाकुर द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस में कहा गया है कि चुनाव प्रक्रिया 15 नवंबर 2025 को प्रबंधन समिति की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार होगी।
एमएमसी शर्मा को मुख्य चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है, जबकि अन्य चुनाव अधिकारियों में सुभाष चंदर, विनोद सेठी, विजय लक्ष्मी, जेआर नौटियाल, नीरज कुमार रॉय, मनीष बेहड़, ई कृष्णा राव और अभिषेक प्रसाद शामिल हैं।
चुनाव में कुल 5 पदाधिकारियों और 16 प्रबंधन समिति सदस्यों का चयन किया जाएगा। पदाधिकारियों में शामिल हैं- अध्यक्ष (1), उपाध्यक्ष (1), महासचिव (1), संयुक्त सचिव (1) और कोषाध्यक्ष (1)।
- नामांकन दाखिल करने की तिथि: 24 नवंबर 2025 से 3 दिसंबर 2025 तक (सुबह 11 बजे से शाम 5:30 बजे तक)
- नामांकन की जांच: 3 दिसंबर 2025 (शाम 5:30 बजे)
- नामांकन वापसी: 3 दिसंबर 2025 से 6 दिसंबर 2025 तक (शाम 5:30 बजे तक)
- मतदान: 13 दिसंबर 2025 (सुबह 10 बजे से शाम 6:30 बजे तक)
- मतगणना: 14 दिसंबर 2025 (सुबह 10:30 बजे से)
इस नोटिस में कहा गया है कि केवल वे सदस्य मतदान कर सकेंगे जिन्होंने मतदान के समय तक अपने बकाया का भुगतान चेक या नकद से कर दिया हो। प्रस्तावक और अनुमोदक को भी नामांकन पर हस्ताक्षर करने से पहले अपना बकाया साफ करना होगा।
पीसीआई ने स्पष्ट किया है कि क्लब का कोई भी सदस्य चुनाव में भाग ले सकता है, बशर्ते वह क्लब के ज्ञापन और अनुच्छेदों तथा कंपनियां अधिनियम 2013 के प्रावधानों का पालन करे। चुनाव बैलट पेपर से होगा, जैसा कि क्लब की पूर्व परंपराओं में रहा है।
आईटीवी फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. ऐश्वर्या पंडित ने इस दौरान पीएम को अपनी पुस्तक ‘Indian Renaissance–The Modi Decade’ भेंट की।
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‘आईटीवी नेटवर्क’ के फाउंडर और राज्य सभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ने हाल ही में अपनी पत्नी और ‘आईटीवी फाउंडेशन’ (ITV Foundation) की चेयरपर्सन डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा के साथ संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
मिली जानकारी के अनुसार, नौ दिसंबर को हुई यह बैठक बहुत सकारात्मक रही और कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई। कार्तिकेय शर्मा ने क्षेत्र की प्राथमिकताओं, चल रही पहलों और आगामी योजनाओं के बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराया।
यह मुलाक़ात आगे के कार्यों के लिए नई दिशा और प्रेरणा देने वाली रही। इस दौरान ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने अपनी लिखी पुस्तक ‘Indian Renaissance–The Modi Decade’ प्रधानमंत्री को भेंट की।
‘इंडियन ऑफ द ईयर 2025’ के विजेताओं की घोषणा 19 दिसंबर को की जाएगी। दो दशकों से यह मंच देश के उन व्यक्तियों को सम्मानित करता आ रहा है, जिन्होंने अपने विचारों, नवाचार और प्रभाव से भारत की दिशा बदली है।
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भारत की उत्कृष्ट प्रतिभाओं और असाधारण योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने वाला प्रतिष्ठित मंच NDTV एक बार फिर ‘इंडियन ऑफ द ईयर 2025’ अवॉर्ड्स के ज़रिए देश के श्रेष्ठतम चेहरों का उत्सव मनाने जा रहा है, जिसके विजेताओं की घोषणा 19 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित विशेष कार्यक्रम में की जाएगी।
पिछले दो दशकों से अधिक समय से यह सम्मान उन लोगों को दिया जाता रहा है, जिनके विचार, कर्म और नेतृत्व भारत की बदलती पहचान को नई दिशा देते हैं। इस वर्ष पुरस्कारों की थीम ‘आइडियाज़, इंस्पिरेशन, इम्पैक्ट’ रखी गई है, जो उन व्यक्तियों की यात्रा को दर्शाती है, जिन्होंने कल्पनाशीलता, साहस और उद्देश्य के साथ समाज को प्रभावित किया है।
इस बार 14 अलग-अलग श्रेणियों में विजेताओं के चयन के लिए एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल ने मंथन किया। उद्योग जगत के दिग्गज संजीव गोयनका के अलावा जूरी में राजीव मेमानी, शर्मिला टैगोर, पी. गोपीचंद, सिरिल श्रॉफ और राजीव कुमार जैसे नाम शामिल रहे, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों से आए नामांकनों की गहन समीक्षा की।
जूरी ने ऐसे व्यक्तियों का चयन किया है जिनका योगदान नवोन्मेष, राष्ट्र निर्माण, खेल, संस्कृति, व्यापार और सार्वजनिक जीवन में मिसाल बना है। एनडीटीवी नेटवर्क के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल ने कहा कि ‘इंडियन ऑफ द ईयर’ केवल सफलता का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सोच और सामाजिक संवाद को ऊंचा उठाने वालों का सम्मान है।
उन्होंने बताया कि यह मंच उन लोगों को पहचान देता है जो भारत के भविष्य को आकार दे रहे हैं। जैसे-जैसे देश नई संभावनाओं की ओर आगे बढ़ रहा है, यह पुरस्कार उन प्रेरणाओं का उत्सव बनेगा जो भारत की प्रगति के मार्ग को मजबूत कर रही हैं।
यह पॉडकास्ट आम लोगों और पुलिस के बीच की दूरी कम करने की दिशा में एक प्रभावी कम्युनिकेशन माध्यम साबित हुआ है।
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दिल्ली पुलिस के पॉडकास्ट ‘किस्सा खाकी का’ ने 200 एपिसोड पूरे कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। जनवरी 2022 में शुरू हुई इस पहल ने पॉडकास्टिंग की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। यह पॉडकास्ट आम लोगों और पुलिस के बीच की दूरी कम करने की दिशा में एक प्रभावी कम्युनिकेशन माध्यम साबित हुआ है।
‘किस्सा खाकी का’ उन सच्ची कहानियों को सामने लाता है, जिन्हें अक्सर मीडिया में जगह नहीं मिलती—जैसे किसी बच्चे को अपहरण से बचाना, साइबर ठगी रोकना, अपराधियों को पकड़ना या मानवीयता पर आधारित प्रकरण। इसने पुलिस की छवि को सिर्फ कानून-व्यवस्था से जोड़ने के बजाय एक संवेदनशील और जनसेवा वाली संस्था के रूप में भी प्रस्तुत किया है।
यह पॉडकास्ट दिल्ली पुलिस की सोशल मीडिया टीम द्वारा तैयार किया जाता है। पूरी परियोजना पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा, विशेष पुलिस आयुक्त (क्राइम) देवेश श्रीवास्तव और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजय त्यागी के निर्देशन में चल रही है।

इस पॉडकास्ट की शुरुआत उस समय हुई थी जब दिल्ली पुलिस का नेतृत्व राकेश अस्थाना के पास था। बाद में यह पहल संजय अरोड़ा के कार्यकाल में आगे बढ़ी और वर्तमान पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा के नेतृत्व में एक मजबूत पहचान बना चुकी है।
पॉडकास्ट की कहानियां लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख और मीडिया शिक्षिका प्रोफेसर (डॉ.) वर्तिका नंदा की आवाज में पेश की जाती हैं। वह जेल सुधार कार्यों और अपने ‘ तिनका तिनका जेल रेडियो’ के लिए भी जानी जाती हैं। हर रविवार दोपहर 2 बजे दिल्ली पुलिस के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इसका नया एपिसोड जारी होता है। 5 से 10 मिनट के इन एपिसोड्स में सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानियां सुनने को मिलती हैं।
यह पॉडकास्ट सिर्फ अपराधों की कहानी नहीं बताता, बल्कि उन अनकही इंसानी भावनाओं और प्रयासों को भी सामने लाता है, जिनमें पुलिस कर्मी अपने कर्तव्य से आगे बढ़कर लोगों की मदद करते हैं।
डॉ. वर्तिका नंदा के अनुसार, आज जब ‘ट्रू क्राइम’ कंटेंट तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, ऐसे समय में ‘किस्सा खाकी का’ एक सकारात्मक विकल्प के रूप में उभरा है। यह सिर्फ घटनाएं बयान नहीं करता, बल्कि भरोसा, संवाद और पारदर्शिता को भी बढ़ावा देता है। कई लोग इसे कंस्ट्रक्टिव जर्नलिज़्म का उदाहरण मानते हैं, जो समाज में सकारात्मक बदलाव और जागरूकता का संदेश देता है। इन पॉडकास्ट पर अकादमिक शोध किए जाने चाहिए।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजय त्यागी के अनुसार, ‘यह पॉडकास्ट जनता में पुलिस के प्रति विश्वास मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस श्रृंखला को बनाने में एसआई नीलम तोमर और उनकी टीम का भी अहम योगदान है, जो हर सप्ताह नए एपिसोड तैयार करवाती है। 200 एपिसोड पूरा होने के साथ ही ‘किस्सा खाकी का’ सिर्फ एक पॉडकास्ट नहीं, बल्कि दिल्ली पुलिस की पारदर्शिता, संवेदनशीलता और जनसंवाद का प्रतीक बन चुका है।’
दिल्ली पुलिस शुरू के 50 अंकों पर एक सुंदर कॉफी टेबल बुक का प्रकाशन कर चुकी है। इससे पुलिस स्टाफ का मनोबल खूब बढ़ा है। नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित डॉ. वर्तिका नंदा की किताब - रेडियो इन प्रिजन- में भी उन्होंने किस्सा खाकी का वर्णन किया है।
कार्यक्रम में राजनीतिक हस्तियां, साहित्यकार और वाजपेयी जी के प्रशंसक उपस्थित होंगे। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जननायक अटल जी की परिस्थितियों से उपजी प्रेरणा को दर्शाती है।
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Samachar4media Bureau
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशताब्दी के अवसर पर उनकी स्मृति को समर्पित एक महत्वपूर्ण पुस्तक 'अटल संग्राम' का विमोचन 17 दिसंबर को होने जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार अशोक टंडन द्वारा रचित यह पुस्तक वाजपेयी जी के जीवन, संघर्षों और राजनीतिक यात्रा का जीवंत चित्रण प्रस्तुत करती है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी तथा इंडिया टीवी के अध्यक्ष रजत शर्मा के विशेष आतिथ्य में यह समारोह संपन्न होगा। यह पुस्तक वाजपेयी जी के काव्य, वाक्पटुता और राष्ट्रनिष्ठा को विशेष रूप से उजागर करती है, जो पाठकों को प्रेरित करेगी। विमोचन समारोह कमला देवी सभागार (मल्टीपरपज हॉल), इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, लोधी रोड, नई दिल्ली में शाम 6 बजे आयोजित होगा।
कार्यक्रम में राजनीतिक हस्तियां, साहित्यकार और वाजपेयी जी के प्रशंसक उपस्थित होंगे। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक जननायक अटल जी की परिस्थितियों से उपजी प्रेरणा को दर्शाती है। संपादक श्री अशोक टंडन ने कहा, 'यह पुस्तक अटल जी के संग्राम को लोकप्रिय बनाने का प्रयास है।' इच्छुक पाठक प्रभात प्रकाशन से संपर्क कर सकते हैं। यह आयोजन वाजपेयी जी की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित होगा।
नई दिल्ली में आयोजित एचटी लीडरशिप समिट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निवेश, सुरक्षा, माफिया विरोधी अभियान और महिला सशक्तिकरण पर सरकार की उपलब्धियों को गिनाया।
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हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निवेश, कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा को लेकर सरकार के रुख को साफ शब्दों में रखा। उन्होंने कहा कि किसी भी उद्यमी की पहली प्राथमिकता सुरक्षा होती है और वही विकास की पहली सीढ़ी है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जब प्रदेश में पहले निवेश सम्मेलन की तैयारी शुरू हुई थी, तब कई उद्यमी यूपी आने से डरते थे, लेकिन सरकार के सख्त रुख और बेहतर कानून व्यवस्था के कारण वातावरण बदला। पहले निवेश सम्मेलन में जहां पांच हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव मिले थे, वहीं 2023 में हुए निवेश सम्मेलन में 45 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव आए, जिनमें से 15 लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावों पर जमीन पर काम शुरू हो चुका है।
माफिया और अपराध के खिलाफ चलाए गए अभियानों पर बोलते हुए सीएम योगी ने कहा कि जो लोग व्यवस्था पर बोझ बने हुए थे, उनसे धरती माता को मुक्ति मिली है। उन्होंने दोहराया कि सरकार ने उत्तर प्रदेश में अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति लागू की और उसे करके भी दिखाया।
महिला सुरक्षा पर उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि अगर किसी ने बेटी की सुरक्षा से खिलवाड़ किया तो अगला चौराहा उसके लिए अंतिम पड़ाव होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अपराधी कोई भी हो, उसे हर हाल में सजा मिलनी चाहिए। पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पहले हर जिले में माफिया का दबदबा था, लेकिन आज उत्तर प्रदेश माफिया मुक्त प्रदेश बन चुका है।
बुनियादी ढांचे पर बात करते हुए सीएम योगी ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में एक्सप्रेस-वे की गिनती मुश्किल से होती थी, लेकिन आज उत्तर प्रदेश तेजी से आधुनिक सड़क नेटवर्क की ओर बढ़ चुका है। महिला अधिकारों और सशक्तिकरण पर उन्होंने बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, मातृ वंदना योजना और नारी सशक्तिकरण से प्रेरणा लेकर प्रदेश में शिक्षा से लेकर विवाह तक बेटियों के लिए योजनाएं लागू की गई हैं।
स्नातक तक शिक्षा निशुल्क की गई है, विवाह के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है और नौकरी की इच्छुक महिलाओं के लिए विशेष अवसर तैयार किए गए हैं। सीएम योगी ने बताया कि यूपी पुलिस में महिलाओं के पद हजार से बढ़कर अब 44 हजार तक पहुंच चुके हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य व सुरक्षा सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है।
हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की तेज आर्थिक प्रगति का जिक्र करते हुए ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ शब्दावली पर कड़ा प्रहार किया।
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हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था और विकास की दिशा पर विस्तार से बात करते हुए ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ जैसे शब्दों को पुराने और ग़लत नजरिये का प्रतीक बताया। पीएम मोदी ने कहा कि हाल ही में आए भारत के दूसरे तिमाही के GDP आंकड़ों में 8 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की गई है, जो यह दिखाती है कि भारत अब केवल उभरती नहीं बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की प्रमुख ताकत बन रहा है।
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि मजबूत मैक्रो-इकोनॉमिक संकेत है कि भारत आज दुनिया का ग्रोथ ड्राइवर बन चुका है। पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था जब भारत 2 से 3 प्रतिशत की धीमी विकास दर तक सिमट गया था और उसी दौर में ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ जैसे शब्द गढ़े गए, ताकि यह भ्रम फैलाया जा सके कि भारत की धीमी प्रगति उसकी संस्कृति और सभ्यता के कारण है।
उन्होंने इसे गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब बताया और कहा कि कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी हर विषय में सांप्रदायिकता खोजते हैं, लेकिन उन्हें इस शब्द में कोई सांप्रदायिकता नजर नहीं आई। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 79 साल बाद भी भारत उस मानसिकता से बाहर निकलने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, जिसने देश की क्षमता पर संदेह किया।
उन्होंने मौजूदा सुधारों को राष्ट्रीय लक्ष्यों से जुड़ा बताते हुए कहा कि जब दुनिया मंदी की बात करती है, तब भारत प्रगति की नई इबारत लिख रहा है, जब दुनिया भरोसे के संकट से गुजर रही है, तब भारत भरोसे का स्तंभ बनकर खड़ा हो रहा है, और जब दुनिया बिखराव की ओर बढ़ रही है, तब भारत सेतु का काम कर रहा है।
अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का पहला चौथाई हिस्सा पूरा हो चुका है और इस दौरान दुनिया ने महामारी, युद्ध, तकनीकी बदलाव और आर्थिक अस्थिरता जैसे कई झटके झेले हैं, लेकिन इन तमाम अनिश्चितताओं के बीच भारत ने आत्मविश्वास, स्थिरता और तेज विकास के साथ अपनी अलग पहचान बनाई है।