अगले महीने मुंबई में वैश्विक मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर की बड़ी हस्तियां एक ऐतिहासिक आयोजन में जुटने जा रही हैं।
अगले महीने मुंबई में वैश्विक मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर की बड़ी हस्तियां एक ऐतिहासिक आयोजन में जुटने जा रही हैं। यह आयोजन है – World Audio Visual & Entertainment Summit (WAVES), जिसे भारत सरकार का समर्थन प्राप्त है और जिसकी पहल खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है।
इस चार दिवसीय समिट का आयोजन 1 से 4 मई के बीच मुंबई में किया जाएगा। इससे पहले यह समिट फरवरी में दिल्ली में होना था, लेकिन अब इसे स्थगित कर मुंबई में आयोजित किया जा रहा है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि इस समिट में 100 देशों के 5,000 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे और इसे हर साल मुंबई में आयोजित किया जाएगा।
इस समिट में Netflix के को-सीईओ टेड सारानडॉस और Amazon Prime Video के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट माइक हॉपकिन्स जैसे दिग्गज स्पीकर के तौर पर शामिल होंगे। दोनों ही कंपनियों के लिए भारत एक अहम बाजार बन चुका है, जहां युवा आबादी, बढ़ती इंटरनेट पहुंच और डिजिटल कंटेंट की भारी खपत ने नए अवसर खोल दिए हैं।
WAVES समिट के सलाहकार मंडल में कई नामी हस्तियां शामिल हैं, जिनमें Google के सीईओ सुंदर पिचाई, Microsoft के सीईओ सत्य नडेला, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, RPSG ग्रुप के चेयरमैन संजीव गोयनका, Sony Pictures Entertainment के सीईओ रवि आहूजा और Serum Institute के सीईओ अदार पूनावाला प्रमुख हैं।
WAVES के दौरान प्रधानमंत्री मोदी एक खास राउंडटेबल चर्चा करेंगे, जिसमें वैश्विक स्तर के CEO शामिल होंगे। इसके साथ ही ‘Global Media Dialogue’ के तहत विभिन्न देशों के सूचना और प्रसारण मंत्रियों की बैठक भी होगी, जहां मीडिया और एंटरटेनमेंट से जुड़े अहम नीतिगत मसलों पर बातचीत की जाएगी।
‘Thought Leaders Track’ के जरिए इंडस्ट्री से जुड़े गंभीर विषयों पर ब्रेकआउट सेशन और कॉन्फ्रेंस भी आयोजित होंगी। खास बात यह है कि इस समिट में भाग लेने वाले 50 से अधिक देशों के सूचना मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे और एक साझा WAVES मीडिया डिक्लेरेशन को अपनाए जाने की संभावना है।
भारत को वैश्विक क्रिएटिव पावरहाउस के तौर पर स्थापित करने की दिशा में यह समिट एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
रुबिका लियाकत की पत्रकारिता की सबसे बड़ी खासियत है उनका सवाल पूछने का स्पष्ट अंदाज और जनता से जुड़े मुद्दों को मजबूती से उठाने की प्रतिबद्धता।
‘नेटवर्क18’ (Network18) की कंसल्टिंग एडिटर और देश की चर्चित टीवी पत्रकार रुबिका लियाकत आज अपना जन्मदिन मना रही हैं। पत्रकारिता में तेज, स्पष्ट और सशक्त प्रस्तुति शैली ने उन्हें भारतीय टीवी पत्रकारिता की दुनिया में एक प्रमुख स्थान दिलाया है। रुबिका लियाकत की पत्रकारिता में उनके शब्दों का चयन, भाषा कौशल और बेबाक दृष्टिकोण विशेष रूप से दर्शकों को आकर्षित करते हैं। इन्हीं खूबियों ने उन्हें मीडिया जगत में खास पहचान दिलाई है।
समाचार4मीडिया की ओर से इस विशेष दिन पर रुबिका लियाकत को ढेर सारी शुभकामनाएं। इस मौके पर हम उनकी पत्रकारिता यात्रा को भी याद करते हैं, जिसने उन्हें हिंदी न्यूज चैनल्स में एक सशक्त और प्रभावशाली एंकर के रूप में स्थापित किया है।
बता दें कि रुबिका लियाकत का करियर टीवी पत्रकारिता के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक सफर रहा है। उन्होंने अपनी शुरुआत 2007 में ‘लाइव इंडिया’ चैनल से की थी, उसके बाद वह ‘न्यूज24’ में एंकर के रूप में आईं। फिर उन्होंने ‘जी न्यूज’ में रिपोर्टिंग और एंकरिंग की, जहां उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई।
मूल रूप से उदयपुर (राजस्थान) से ताल्लुक रखने वाली रुबिका लियाकत की पत्रकारिता की सबसे बड़ी खासियत है उनका सवाल पूछने का स्पष्ट अंदाज़, और जनता से जुड़े मुद्दों को मजबूती से उठाने की प्रतिबद्धता। वे सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहती हैं और तमाम राष्ट्रीय विषयों पर बेबाक राय रखती हैं।
2018 में एबीपी न्यूज के साथ जुड़ने के बाद, रुबिका ने दर्शकों के बीच अपनी विश्वसनीयता और निडरता से एक खास जगह बनाई। हालांकि, 2022 में उन्होंने एबीपी न्यूज को छोड़कर ‘भारत24’ जॉइन किया। इसके बाद वहां से बाय बोलकर अब वह ‘न्यूज18 इंडिया’ के साथ कंसल्टिंग एडिटर के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं।
रुबिका की पत्रकारिता की सबसे बड़ी खासियत है उनका सवाल पूछने का स्पष्ट अंदाज, और जनता से जुड़े मुद्दों को मजबूती से उठाने की प्रतिबद्धता। उनकी हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी पर मजबूत पकड़ उनके शब्दों में धार डालती है, जो उन्हें एक बेहतरीन पत्रकार बनाता है।
पत्रकारिता की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुकी रुबिका को इस दिन सोशल मीडिया पर भी अपार प्यार और समर्थन मिल रहा है, जो उनके योगदान को लेकर उनके फैंस का आदर और प्यार दिखाता है। सोशल मीडिया पर उनके प्रशंसक और शुभचिंतक उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाइयां दे रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार और ‘टीवी9 नेटवर्क’ (TV9 Network) में न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा ने अपनी बिटिया के जन्मदिन के उपलक्ष्य में सोशल मीडिया पर एक भावुक लेटर शेयर किया है।
वरिष्ठ पत्रकार और ‘टीवी9 नेटवर्क’ (TV9 Network) में न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा ने अपनी बिटिया के जन्मदिन के उपलक्ष्य में सोशल मीडिया पर एक भावुक लेटर शेयर किया है। इस लेटर को उन्होंने सात वर्ष पूर्व अपनी बिटिया के लिए लिखा था और अब इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया है। इस लेटर को आप यहां हूबहू पढ़ सकते हैं।
बिटिया का जन्मदिन
शिशु मेरे दिल के धड़कते हुए एक हिस्से का नाम है. काग़ज़ पत्तर में उसका नाम ईशानी दर्ज है. मेरी जाती हुई उम्र में आती हुई उम्मीदों को वही रौशन करती है. मेरे सामाजिक सरोकारों का वही हिस्सा है. मेरे सुख की बड़ी वजह है. खाने पीने पर पाबंदी लगाने वाली मेरी अभिवावक है. घर की महक, चहक, दहक, बहक और लहक का वह केन्द्र है. आज उसका जन्मदिन है. यह जन्मदिन ख़ास है. अगली बार और ख़ास होगा. Sharma Ishanee हमारे जीवन का उत्सव है. उसका होना उत्सव को महोत्सव में तब्दील करता है.
ख़ुश रहो. आबाद रहो ईशानी.
सात साल पहले ईशानी के विवाह के बाद उसके पहले जन्मदिन पर लिखा यह पत्र साझा कर रहा हूँ. जब पहली बार मैं उसके जन्मदिन पर मौजूद नहीं था.
बेटी ईशानी के नाम पत्र
प्रिय शिशु,
आज तुम्हारा जन्मदिन है. इसे यूँ भी लिख सकता हूँ कि मेरे जीवन का बड़ा दिन है. ऐसा पहली बार होगा कि हम तुम्हारे जन्मदिन पर साथ नही होंगे. चाहता तो था कि हम तुम्हें बिना बताए उमरिया पहुंचें. पर यह सम्भव नहीं हो पाया. हम यह जानते हैं कि तुम अब अपने घर बार वाली हो. अब यह सम्भव नहीं होगा कि तुम्हारा हर जन्मदिन हमारे साथ बीते. फिर भी न जाने क्यों लगता है कि ऐसा ही होना चाहिए था. कई बार ऐसा होता है कि हम उसे भी जीते जाते हैं जो नहीं होता या नहीं हो सकता है. इन आँखों मे तुम्हारे एक एक जन्मदिन की तस्वीर छाई हुई है. आंख झपकती है तो तुम एक नई तस्वीर में खिलखिलाती हो. तुम्हारा ये जन्मदिन अनायास ही मुझे उम्र के उन तमाम पड़ावों की ओर लिए जा रहा है जो तुम्हारे आगमन के इस दिन की खुशबू से गुलज़ार हो उठे. मैं तुम्हारे इस एक जन्मदिन में न जाने कितने बीते जन्मदिन मनाने बैठा हूँ. कभी कभी ऐसा भी लगता है कि जीवन और कुछ नहीं, बस इन्हीं सुनहरे दिनों की एक खूबसूरत जीवंत स्मारिका भर है.
मैं आखिर किस किस दृष्टांत के उदाहरण से तुम्हारी अनुपस्थिति की स्वाभाविकता को स्वीकार करूँ. ये जितना ही अनिवार्य है, उतना ही मुश्किल भी. अभिज्ञान शाकुन्तलम् में कालिदास ने लिखा है “अर्थों हि कन्या परकीय एव”. यह कभी पढ़ा था. लेकिन अब समझ आ रहा है. कन्या सचमुच पराया धन होती है. दूसरे की अमानत होती है. पाल-पोस कर आप बड़ा कीजिए. वह एक दिन आपके जीवन में ढेर सारा अपनापन देकर और एक ख़ालीपन छोड़कर चली जाएगी. ऐसा लगता है कि जैसे एक मेला ख़त्म हो गया. उड़ गईं आँगन से चिड़ियाँ. और घर अकेला हो गया. मैं तुम्हारा स्वभाव जानता हूँ. तुम जब साथ नहीं होती हो तब हमारे लिए और भी ज़्यादा चिंता व व्यग्रता से भरी होती हो. मेरे जीवन की हर चुनौती, हर मुश्किल पर अपनी परवाह के फूल उगाए हुए. मेरे बारे में सोचती हुई. देवी देवताओं से मन्नतें मांगती हुई. ये तुम हो. हर बेटी की आंख में एक माँ छिपी होती है. हमारे अनजाने में ही हमारे दुखों को समेटती हुई. हर पल, हर क्षण अपनी शुभाकांक्षाओं की बारिश से हमारे जीवन को आह्लादित करती हुई.
तुम्हारे जाने के बाद घर के सूनेपन ने उसके आकार को बढ़ा दिया है. यह संयोग है तुम्हारे साथ साथ ही पार्थ (पुरू) भी अपनी पढ़ाई के लिए विदेश चला गया. अब यहां केवल मैं, तुम्हारी माँ और जैरी बचे हैं. घर सांय सांय कर कहा है. जीवन, जो अनन्य उत्सव की चहल पहल हुआ करता था, एकदम से ठहर गया है. घर में क्या नहीं है, फिर भी कुछ नहीं है. बेटियां अकेले नहीं जातीं. वे अपने साथ पूरा घर ले जाती हैं. फूलों की रंगत सूनी है. ख़ुशबू सुहाती नहीं है. गौरैय्या चहकती नहीं हैं. हमारे समाज में लड़कियों के साथ बड़ी मुश्किल है. पहले वह अपने स्नेह में आपको बाँध लेती हैं. फिर आप उन पर हर बात के लिए आश्रित होते हैं. और एक दिन विवाह कर वह अपने घर चली जाती हैं. हमारे साथ भी यही हुआ. ईशानी कब जन्मी? कब घुटने के बल चलने लगी? कब वह स्कूल जाने लगी? कब परिवार के कामों में हाथ बँटाने लगी? कब हम सबकी दोस्त बनी? और कब वह वकील बन हमें नियम क़ायदे समझाने लगी? फिर कब अभिभावक बनकर हमारी देखभाल करने लगी. काल का एक चक्र पूरा हुआ. मैंने तुम्हारी बाल सुलभ चपलताओं में उस बचपन को कितनी बार जिया जो मुझे एक रोज़ दुनियादारी की उथलपुथल में अकेला छोड़ गया और फिर कभी नहीं लौटा. जीवन के तमाम उतार चढ़ाव के बीच, तुम सौभाग्य का टीका बनकर सदैव साथ रहीं. कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान लिखतीं हैं-
"मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी।
नन्दन वन-सी फूल उठी यह छोटी-सी कुटिया मेरी।।
पाया मैंने बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया।
उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया।।"
मुझे तुम्हारा पहला जन्मदिन याद आ रहा है. हम नए नए ९/१ डालीबाग में आए थे. उस घर में पहला आयोजन था. मित्रवर अशोक प्रियदर्शी और नरही वाले सुधीर ने मिल कर इन्तज़ाम किया था. अशोक अब भी याद आते हैं. पिता मैं और अभिभावक वो थे. शिशु किस स्कूल में जाएगी, कैसे जाएगी, इसकी चिन्ता वही करते थे. बहरहाल उन दिनों पास में पैसे कम थे लेकिन आयोजन बड़ा होता था. उसी के ठीक पहले तुमने खड़े होना और चलना शुरू किया था. शिशु गोद में ही रहती थी. किसी काम से हमने नीचे उतार खड़ा किया. और तुम खड़ी हो गयी. हमारे आश्चर्य का ठिकाना न रहा… अरे शिशु तो खड़ी हो गयी. मैं वैसे ही ख़ुशी से चिल्लाया था जैसे आर्किमिडीज अपने आविष्कार के बाद यूरेका यूरेका चिल्लाया था. और फिर कुछ ही रोज में तुम चलने लगीं. और तबसे चलते चलते फिर पीछे नहीं देखा.
यह सब तेज़ी से एक सपने की तरह घटा. अब ऐसा लग रहा है कि जैसे शिशु के बिना जीवन अधूरा है. तुम जब अपने घर के लिए विदा हुईं तो एक भरोसा साथ था, कि तुम जहाँ भी जाओगी, अपने दादा और नाना की बेहद क़ीमती विरासत साथ ले जाओगी. मैंने इस भरोसे को सुंदर भाग्य की छाया के तौर पर फ़लीभूत होते देखा. अब मैं उस दिन के इंतज़ार में हूँ, जब ईशानी मेरी बेटी के तौर पर नहीं, मैं उसके पिता के तौर पर जाना जाऊँगा. बेटियां एक रोज़ यूँ चली जाती हैं जैसे अपने हिस्से की सांस दहलीज पार कर जाए. हिंदी साहित्य का विद्यार्थी रहा हूँ. माखनलाल चतुर्वेदी की लिखी कविता "बेटी की विदा" न जाने कितनी बार पढ़ी है. उसके मायने भी समझे हैं पर तुम्हारे जाने के साथ ही ये कविता नए मायने लेकर फिर लौट आई. मैं इन मायनों को समझता हूँ. इनकी सामाजिकता के आगे नतमस्तक भी हूँ. फिर भी हृदय अपने हिस्से के सवाल पूछना नहीं भूलता. सवाल तो माखनलाल चतुर्वेदी जी को भी पूछने पड़े थे. सच इतना ही है कि बेटियां अपनी विदा के वक़्त ऐसा सवाल बन जाती हैं जिसे हम जानते समझते भी हल नहीं कर सकते. वे लिखते हैं-
"आज बेटी जा रही है,
मिलन और वियोग की दुनिया नवीन बसा रही है.
यह क्या, कि उस घर में बजे थे, वे तुम्हारे प्रथम पैंजन,
यह क्या, कि इस आँगन सुने थे, वे सजीले मृदुल रुनझुन,
यह क्या, कि इस वीथी तुम्हारे तोतले से बोल फूटे,
यह क्या, कि इस वैभव बने थे, चित्र हँसते और रूठे,
आज यादों का खजाना, याद भर रह जाएगा क्या?
यह मधुर प्रत्यक्ष, सपनों के बहाने जाएगा क्या?"
बेटी का जाना जीवन की कलकल बहती नदी पर एकदम से बांध बना देता है. जिस पानी को जीवन सींचने का मंत्र होना चाहिए, वही पानी आंख की कोरों में दरिया बनकर ठहर जाता है.
तुम्हारे साथ तुम्हारे दादा पं मनु शर्मा और नाना पं सरयू प्रसाद द्विवेदी की जो साहित्यिक और राजनीतिक विरासत है, उसे सहेज कर रखना. आगे बढ़ाना. तुम्हें इन दोनों बुजुर्गो की विरासत तुम्हें पहचान, सम्मान और शोहरत तो देंगे, पर इन्हें सम्भालना और आगे ले जाना तुम्हारी ज़िम्मेदारी होगी. तुमने अभी अभी तो अपना जीवन शुरू किया है. तुम्हें आगे बढ़ने में कई अड़चनें आएगी. लोग अपनी सोच, अपनी सीमाएं तुम पर थोपेंगे. पर परेशान न होना. वे तुम्हें बताएंगे, तुम्हें कैसे कपड़े पहने चाहिए, तुम्हें कैसे बर्ताव करना चाहिए, तुम्हें किससे मिलना चाहिए, तुम्हें कहां जाना चाहिए, कहां नहीं जाना चाहिए. पर इन सब प्रतिकूलताओं के बावजूद तुम अपने जीवन को उद्देश्य के पदचिन्हों पर आगे ले जा सकोगी. तमाम विषमताओं और प्रतिकूलताओं के बीच उसका निर्माण कर सकोगी. सच यही है कि तमाम आधुनिकताओं के बावजूद लड़कियों के लिए इस दुनिया में जीना अभी भी बहुत मुश्किल है. लेकिन मुझे विश्वास है कि तुममें इन हालात को बदलने का सामर्थ्य है. तुम्हारे लिए अपनी सीमाएं तय करना, अपने फैसले खुद करना, लोगों के फैसलों को नकारकर ऊपर उठना आसान नहीं होगा... लेकिन तुम सारी दुनिया की महिलाओं के लिए उदाहरण प्रस्तुत कर सकती हो. ऐसा कर दिखाओ, कि तुम्हारी उपलब्धि मेरी सारी उम्र की उपलब्धियों से कहीं ज़्यादा साबित हो.
बिटिया के जाने के बाद किसी पिता के पास क्या शेष रह जाता है? मालूम नहीं. पर हर पिता को जीवन में एक न एक दिन इस परीक्षा से दो चार होना पड़ता है. मेरी ज़िंदगी अख़बार की कितनी ही कतरनों में कहाँ कहां बिखरी पड़ी है, मुझे खुद नहीं पता. वो तुम ही थी जो इसे समेटकर रखती थीं. सँवारकर रखती थीं. शायद ये तुम्हारे रूप में मौजूद कोई संबल ही है जो तमाम उतार चढ़ाव के बीच मुझे जोड़कर रखता है. बाँधे रखता है. बिखरने नहीं देता. किसी भी लड़की की अपनी ज़िन्दगी होती है. और मां बाप की अपनी. एक का आगे बढ़ना और दूसरे का बिछुड़ना. यही नियति का खेल है. तुम आगे बढ़ो, कामयाबी की मंज़िलें तय करो. मैं शुभकामनाएँ ही दे सकता हूँ. कैफी आज़मी के शब्दों में-
"अब और क्या तिरा बीमार बाप देगा तुझे
बस इक दुआ कि ख़ुदा तुझ को कामयाब करे
वो टाँक दे तिरे आँचल में चाँद और तारे
तू अपने वास्ते जिस को भी इंतिख़ाब करे".
जानती हो? बेटियाँ ओस की बूंद के समान पारदर्शी और कोमल होती हैं. बेटा एक कुल को रौशन करता है, पर बेटियां दो-दो कुलों में अपनी शीतल चांदनी बिखेरती हैं. पुत्री पिता की धरोहर या कोई वस्तु नहीं, जो दान की जाए. यह सही है कि माता-पिता का घर उसका अपना घर होता है. पर उसका असली घर पति का घर ही होता है. पति की सेवा स्त्री का धर्म है. ये धर्म एकांगी नहीं, परस्पर है. स्त्री अपने पति की सहचरी ही नहीं मंत्री भी होती है. इसलिए उसे अपने पति को समय-समय पर उचित परामर्श देना चाहिए. सीप के बिना मोती, वैसे ही स्त्री के बिना पुरुष और पुरुष के बिना स्त्री अधूरी होती है. दोनों को अपना तन-मन-धन न्योछावर करते हुए अपना गृहस्थ जीवन खुशियों से भरना चाहिए. दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं.
जिंदगी में सब कुछ परफेक्ट नहीं होता, मगर हम उसे अपने लायक बनाने की कोशिश तो कर ही सकते हैं क्योंकि भगवान ने हमें सोचने और करने की शक्ति दी है. सकारात्मक सोच से हम हर विकट परिस्थिति को अपने अनुकूल बना सकते हैं. इसलिए जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं करना चाहिए. याद रखो, वचनों को निभाना, मर्यादा में रहना, विश्वास व दृढ़ता से कार्य करना, सदैव सुखदायी ही होता है. ससुराल में अधिकतर लड़कियों को तारतम्य बिठाने मे समय लगता है. पर इस मामले में हम और तुम दोनों भाग्यशाली हैं कि शर्मा जी का सज्जन और संत परिवार है. सचिन बेटे जैसे हैं. माता-पिता ही एक ऐसे साधन समान होते हैं, जिनकी शिक्षा से बेटी जान लेती है कि राह में फूल कम हैं, कांटे अनेक हैं और वह मुस्कुराते हुए कांटों पर चलना सीख लेती है। समझ जाती है कि यही है उसकी जिंदगी. इसे संवारने की जिम्मेदारी उसके कंधों पर है. इसलिए श्रद्धा, समर्पण, विश्वास, प्यार, धैर्य, प्रतिज्ञा और कर्तव्य की सीढ़ियां चढ़कर दूसरों की खुशी के लिए अपना सर्वस्व भुला दो. ज्ञात रहे कि सब्र का फल मीठा होता है.
आपने अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि हमारी बेटियां बेटों से कम नहीं हैं. जब भी कोई लड़की अपने मेहनत और अदम्य साहस के बलबूते पर कुछ भी कर दिखाती है तो लोगों के मुँह से अनायास ही निकल पड़ता है कि हमारी बेटी किसी बेटे से कम नहीं हैं. ऐसा क्यों कहा जाता है? इसका मतलब यह है कि हम पहले से ही यह मानते हैं कि लड़की लड़कों से कम होती हैं. इसीलिए जब वह कुछ कर दिखाती हैं तो लोगों को लगता है कि यह कार्य तो सिर्फ बेटे ही कर सकते हैं. अब यह कार्य बेटी ने कर दिखाया है तो इसका मतलब यह भी हमारे बेटे के बराबर हो गई है. क्या आपने कभी भी किसी को यह कहते सुना है कि हमारा बेटा किसी बेटी से कम नहीं? ऐसा क्यों होता है कि बेटे अव्वल और बेटी दोयम. कई लोग कहते हैं कि बेटा बेटी एक समान लेकिन क्या वह वाकई में समानता रखते हैं? आज हमें वाकई अपनी सोच बदलने की जरूरत है बेटियों के बारे में. जब तक हमारा समाज दोहरी मानसिकता रखेगा, तब तक यह मर्ज़ जाएगा नहीं. हम अगर चाहें तो अपने विचारों की सम्पूर्णता में बेटी शब्द को पुनर्परिभाषित कर सकते हैं. उसे उसकी गरिमा के नन्दन फूल दे सकते हैं. माखनलाल चतुर्वेदी लिखते हैं-
"कैसा पागलपन है, मैं बेटी को भी कहता हूँ बेटा,
कड़ुवे-मीठे स्वाद विश्व के स्वागत कर, सहता हूँ बेटा,
तुझे विदा कर एकाकी अपमानित-सा रहता हूँ बेटा,
दो आँसू आ गये, समझता हूँ उनमें बहता हूँ बेटा।"
इसे समझाने के लिए तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ. मंकगण एक ऋषि थे. महाभारत में इन्हें सप्तर्षि और मरूतो का जनक बताया गया है. इन्हें कश्यप का मानस पुत्र कहा जाता है. मंकगण सरस्वती के किनारे सप्त सारस्वत तीर्थ में तप कर रहे थे. वहीं इन्हें सिद्धि मिली और वो नृत्य करने लगे. नृत्य इतना भयानक था कि देवतागण डर गए कि नृत्य जारी रहा तो पृ्थ्वी रसातल में जा सकती है. देवगणों के अनुरोध पर भगवान शंकर ने मंकगण के पास जाकर उन्हें दर्शन दिए. उनकी साधना से प्रसन्न हो शंकर ने कहा- क्या चाहते हो, माँगो वत्स. मंकगण ने पुत्र की कामना की. शिव ने कहा- तुम्हारी साधना पूरी हुई है. वर मांगने का तुम्हारा नैसर्गिक अधिकार है. तुम्हारे दिल में भक्ति का अँकुर है इसलिए पूछना चाहता हूँ कि पुत्र क्यों? पुत्री क्यों नहीं? मंकगण ने कहा- प्रभु, पुत्र जीवन में सहायक रहता है पुत्री विदा हो ससुराल चली जाती है. भगवान हँसे और कहा, “वत्स मंकगण, तुम तपस्वी हो तुमने शास्त्रों का ठीक ढंग से अध्ययन नहीं किया है. तुम्हें यह बोध होना चाहिए की सहायक तो मनुष्य के कर्म होते है. कोई व्यक्ति विशेष किसी की सहायता नहीं करता. घर में पुत्र हो या पुत्री, उसे संस्कार और शिक्षा देकर उनके व्यक्तित्व को उन्नत करना माता पिता का दायित्व है. बच्चों से प्रतिदान की आशा पशु पक्षी भी नहीं करते, तुम तो मनुष्य हो. पुत्र पुत्री में भेदभाव अशुभ कर्म है”. मंकगण लज्जित हुआ. शिव के पैरों पर गिर पड़ा.
शिव ने सही कहा. अपाला, मैत्रेयी, गार्गी, अनुसूया, ये सब लड़कियाँ ही तो थीं. अपाला ऋषि अत्रि की बेटी थी. उन्हें चर्म रोग हो गया. पति ने उसे त्याग दिया. उसने तपस्या कर इन्द्र को प्रसन्न किया. उन्हें चर्म रोग से मुक्ति मिली. तब पति कृशाश्व उन्हें लेने पंहुचे. पर उन्होंने पति के घर न जाकर लोक कल्याण में अपना जीवन लगा दिया. यह था स्त्री स्वाभिमान. मुग़लों से लड़ते-लड़ते महाराणा प्रताप की स्थिति बहुत दयनीय हो गयी थी. उनकी बेटी चंपा बहुत भूखी थी. महाराणा थोड़े विचलित हुए. पर ग्यारह बरस की उस लड़की ने यह कहकर पिता को रोक दिया कि पिता जी मेरी भूख के कारण आप राजपुताने के स्वाभिमान को मुग़लों के सामने गिरवी न रखें. सुलोचना एक नाग कन्या थी और मंदोदरी मय की बेटी. रावण इसी मय का जामाता था. अपने ज़माने का महान वास्तुकार. इन दोनों लड़कियों का विवाह राक्षसी कुल में हुआ था. पर अपने आत्मसम्मान और दृढ़ता से इनकी गिनती दुनिया की महान नारियों में हुई.
हालांकि बदलते वक्त के साथ-साथ लोगों ने बेटियों की पढ़ाई तथा उनके आत्मनिर्भर रहने के महत्व को समझना शुरू कर दिया है. इसीलिए लोगों ने अब अपनी बेटियों को भी उच्च शिक्षा देना शुरू कर दिया है. पढ़े-लिखे परिवारों में खासकर जहां पर महिलाएं पढ़ी-लिखी हैं वो अपनी बेटियों के लिए जागरूक हो गई हैं क्योंकि वह शिक्षा के महत्व को समझती हैं. इसलिए वह अपनी बेटियों को हर तरह से मदद कर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ताकि उसकी बेटी जीवन में आत्मनिर्भर बने व सम्मान से सिर उठा कर जिए. इसी की बदौलत आज कई महिलाएं सफलता के सर्वोच्च मुकाम पर खड़ी हैं और लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही हैं.
बेटी का होना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है. एक पुरुष की जिन्दगी में पिता बनते ही कई बदलाव आते हैं. लेकिन जब वह बेटी का पिता बनता है, तो उसमें भावनात्मक रूप से बड़ा बदलाव आता है. वो पहले से अधिक इमोशनल हो जाता है और अपनी बेटी को अधिक प्यार करता है. बचपन से ही बेटियों के अन्दर यह विश्वास पैदा हो जाता है कि उसके पापा उसकी ख़ुशी के लिए पूरी दुनिया से लड़ सकते हैं और उसे हर चीज दिला सकते हैं. इसलिए उसके पापा उसके लिए केवल पापा नहीं, उसके हीरो बन जाते हैं.
बेटी एक खूबसूरत एहसास होती हैं. निश्छल मन की परी का रूप होती हैं. कड़कड़ाती धूप में ठंडी छाँव की तरह होती हैं. वो उदासी के हर दर्द का इलाज़ होती हैं. घर की रौनक और चहल पहल. घर के आंगन में चिड़िया की तरह. कठिनाइयों को पार करती हैं असंभव की तरह. महाकवि निराला ने अपनी बेटी सरोज की भावनाओं में अपने इहलोक और परलोक दोनों की सार्थकता महसूस की. उनकी बेटी समय से पहले स्वर्ग पहुंचकर उनके आगमन के मार्ग की ज्योति किरण बन जाती है. वो लिखते हैं-
"जीवित-कविते, शत-शर-जर्जर
छोड़ कर पिता को पृथ्वी पर
तू गई स्वर्ग, क्या यह विचार --
"जब पिता करेंगे मार्ग पार
यह, अक्षम अति, तब मैं सक्षम,
तारूँगी कर गह दुस्तर तम?"
बेटियां यही होती हैं. वे माँ बाप के जीवन का जीवित मोक्ष होती हैं. हर सवाल का सटीक जवाब होती हैं. इंद्रधनुष के सात रंगों की तरह. कभी माँ, कभी बहन, कभी बेटी होती हैं.
शिशु, तुम जीवन का सबसे खूबसूरत अध्याय हो. तुम्हारी उपस्थिति में मैंने जीवन के सबसे स्वर्णिम शिखर देखे हैं. बेहद मुश्किल के दिनों में तुम्हारी आशामयी आँखों में अपने हौसले का उफान लेता सागर देखा है. पिता होने के सौभाग्य को तुम्हारी छाया नित नया आयाम देती आई है. बेटियां बाप के जीवन का आशीर्वाद होती हैं, तुम जीवन में इस सत्य का भी साक्षात्कार बनकर आई हो. तुमसे पहले इसे सुना भर था. तुम आईं तो इसे महसूस कर देख लिया. तुम्हारा ये जन्मदिन खुशियों की मधुर वेणी से सुवासित हो. उत्साह और उमंग हर क्षण, हर लम्हे में तुम्हारी उंगलियां पकड़कर साथ चलें. तुम जब भी आओगी हम तुम्हारे जन्मदिन को फिर से मनाएंगे. मेरी उत्सवप्रियता से तो तुम परिचित ही हो. अपने जीवन के सबसे सुखद दिन को बार बार मनाने से बड़ा सौभाग्य और क्या होगा!
सदा सुखी रहो. सौभाग्यवती रहो. जय जय
(नोट: फेसबुक से साभार)
आशुतोष की पहचान एक बेबाक और निष्पक्ष आवाज़ के तौर पर है। वे समसामयिक मुद्दों पर तेज-तर्रार लेख लिखते हैं और सोशल मीडिया पर भी अपनी स्पष्ट राय रखने के लिए पहचाने जाते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने हाल ही में अपना 60वां जन्मदिन मनाया। इस खास मौके पर उनके कुछ करीबी मित्रों की एक गर्मजोशी भरी महफ़िल जमी, जहां बीते दिनों की यादें, दिलचस्प किस्से-कहानियां और पत्रकारिता की गपशप के साथ ठहाकों का दौर चलता रहा।
जाने-माने पत्रकार अजीत अंजुम ने इस मौके पर सोशल मीडिया पर भावुक अंदाज़ में लिखा, ‘परम मित्र आशुतोष जी साठ साल के हो गए। सीनियर सिटीजन का सरकारी दर्जा पाने के हकदार हो गए। हालांकि दिल और दिमाग से अभी जवान हैं।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि "ऐसी महफिलें बहुत ऊर्जावान बनाती हैं। अगले साल हम भी उनकी कैटेगरी में आ जाएंगे।‘
परम मित्र आशुतोष जी साठ साल के हो गए. सीनियर सिटीजन का सरकारी दर्जा पाने के हकदार हो गए. हालांकि दिल और दिमाग से अभी जवान हैं . खूब लिखना और बेबाक होकर बोलना उनकी खासियत है .
— Ajit Anjum (@ajitanjum) April 14, 2025
उनके जन्मदिन का मौका खास था , लिहाजा कुछ दोस्तों की महफ़िल जमी. पुराने दिनों की यादें, किस्से - कहानियां… pic.twitter.com/i76CTSJlFt
गौरतलब है कि डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘सत्यहिंदी’ के को-फाउंडर आशुतोष पत्रकारिता की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम हैं। लंबे समय तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय रहने के बाद वे स्वतंत्र लेखन और राजनीतिक विश्लेषण में जुटे हैं। वे आजतक और बाद में IBN7 जैसे प्रमुख चैनलों से जुड़े रहे हैं। रिपोर्टिंग से लेकर एंकरिंग और फिर संपादन की जिम्मेदारी निभाने तक, उन्होंने पत्रकारिता के हर पहलू में खुद को साबित किया है।
पत्रकारिता के बाद आशुतोष ने आम आदमी पार्टी के साथ राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी और पार्टी के प्रवक्ता के रूप में मुखर भूमिका निभाई। हालांकि बाद में उन्होंने राजनीति से किनारा कर लिया और फिर से लेखन और विश्लेषण की ओर लौट आए।
आशुतोष की पहचान एक बेबाक और निष्पक्ष आवाज़ के तौर पर है। वे समसामयिक मुद्दों पर तेज-तर्रार लेख लिखते हैं और सोशल मीडिया पर भी अपनी स्पष्ट राय रखने के लिए पहचाने जाते हैं। उनका 60वां जन्मदिन सिर्फ एक व्यक्तिगत उत्सव नहीं, बल्कि पत्रकारिता के एक समर्पित सफर की उपलब्धि का भी प्रतीक रहा। उनके जैसे पत्रकारों की उपस्थिति मीडिया जगत को संतुलन और गहराई प्रदान करती है।
यूनियन ने यूट्यूब की इस ग़ैर-पारदर्शी और संवाद-विहीन कार्यवाही को लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध बताते हुए कहा है कि यह घटना एक स्वतंत्र पत्रकार की आवाज को दबाने का प्रयास है।
‘दिल्ली यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स’ (DUJ) ने यूट्यूब चैनल ‘Knocking News’ को बिना स्पष्ट कारण के ब्लॉक किए जाने की घटना की कड़ी निंदा की है। यूनियन ने कहा है कि यह घटना एक स्वतंत्र पत्रकार की आवाज को दबाने का प्रयास है। वरिष्ठ पत्रकार गिरिजेश वशिष्ठ के इस चैनल को पहले हैक किया गया, फिर उस पर क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े वीडियो अपलोड किए गए और जब उन्होंने इसकी शिकायत की, तो यूट्यूब ने चैनल को ही निलंबित कर दिया गया। यूनियन ने यूट्यूब की इस ग़ैर-पारदर्शी और संवाद-विहीन कार्यवाही को लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध बताया है और चैनल की तत्काल, बिना शर्त बहाली की मांग की है।
इस घटनाक्रम के बाद देशभर से पत्रकारों, मीडिया संगठनों और दर्शकों ने Knocking News के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है। वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार, अजीत अंजुम, शीतल पी सिंह, राकेश कायस्थ और उर्मिलेश समेत कई स्वतंत्र आवाजों ने इस कार्रवाई को गलत बताया और गिरिजेश वशिष्ठ के पक्ष में खड़े हुए। ट्विटर, यूट्यूब और अन्य मंचों पर आम दर्शकों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया और ‘Knocking News को वापस लाओ’ जैसी मांगों को तेज़ी से उठाया। यूनियन के अनुसार, अब यह केवल एक चैनल की लड़ाई नहीं रही, यह पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए खड़े होने की मिसाल बन गई है।
‘DUJ’ ने इस मौके पर मीडिया पर हो रहे अन्य हमलों की भी याद दिलाई — जैसे कि नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को जब्त करना, हेराल्ड हाउस को खाली कराने की कार्रवाई, और मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर संपत्तियों पर कब्ज़ा करने के आदेश। यूनियन ने इन कार्रवाइयों को एक संगठित प्रयास बताया, जिसका उद्देश्य है विपक्षी मीडिया को आर्थिक और नैतिक रूप से तोड़ना, और मीडिया संस्थानों में काम करने वाले पत्रकारों की रोज़ी-रोटी को खतरे में डालना। यूनियन ने चेतावनी दी कि यदि ऐसे हमलों को अब नहीं रोका गया, तो देश का लोकतांत्रिक ढांचा और भी कमजोर हो जाएगा।
नेशनल हेराल्ड अखबार और उसकी मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की सख्त कार्रवाई के बाद कांग्रेस ने आज देशभर में विरोध प्रदर्शन किया।
नेशनल हेराल्ड अखबार और उसकी मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की सख्त कार्रवाई के बाद कांग्रेस ने आज देशभर में विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने ED दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन किया, जिसमें दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया।
इससे पहले, ED ने मंगलवार को इस हाई प्रोफाइल मामले में पहली चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके पुत्र और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के नाम शामिल हैं। इसके अलावा, यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड, डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड और डोटेक्स से जुड़े सुनील भंडारी को भी आरोपी बनाया गया है।
चार्जशीट के अनुसार, कांग्रेस नेताओं ने AJL की ₹2,000 करोड़ की संपत्तियों पर ‘यंग इंडियन’ नामक निजी कंपनी के माध्यम से केवल ₹50 लाख में नियंत्रण प्राप्त करने के लिए आपराधिक साजिश रची। यंग इंडियन में सोनिया और राहुल गांधी के पास 38-38% हिस्सेदारी है, जबकि शेष 24% दिवंगत कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास थी। ED के मुताबिक, इन नेताओं ने एआईसीसी द्वारा AJL को दिए गए ₹90.21 करोड़ के कर्ज को ₹9.02 करोड़ की इक्विटी में बदला और फिर वह पूरी हिस्सेदारी यंग इंडियन को ₹50 लाख में हस्तांतरित कर दी गई।
एजेंसी का दावा है कि इस प्रक्रिया से ‘अपराध से अर्जित आय’ ₹988 करोड़ रही और संबंधित संपत्तियों का मौजूदा बाजार मूल्य ₹5,000 करोड़ है। 12 अप्रैल को ED ने दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में स्थित ₹661 करोड़ की अचल संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की थी।
एजेंसी ने अपने आरोपपत्र में पीएमएलए की धाराओं 44, 45, और 70 के तहत अपराध की बात कही है और पीएमएलए की धारा 4 के तहत सजा की मांग की है, जिसके तहत सात साल तक की कैद हो सकती है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में यह मामला चल रहा है और इसकी अगली सुनवाई 25 अप्रैल को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में होगी। कोर्ट ने ED से मामले की केस डायरी भी तलब की है।
ED ने यह भी कहा है कि यंग इंडियन को कंपनी अधिनियम की धारा 25 के तहत ‘गैर-लाभकारी’ संस्था के रूप में स्थापित किया गया था, लेकिन जांच में यह सामने आया है कि कंपनी ने कभी कोई धर्मार्थ गतिविधि नहीं की और घोषित उद्देश्यों पर कोई खर्च नहीं किया गया। जांच में यह भी कहा गया है कि यंग इंडियन ने 414 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी की है, जो 2017 के आयकर विभाग के मूल्यांकन आदेश पर आधारित है।
कांग्रेस ने इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, “नेशनल हेराल्ड की संपत्ति जब्त करना कानून के शासन का मुखौटा पहनकर किया गया राज्य प्रायोजित अपराध है। यह प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा बदले की राजनीति और धमकाने का प्रयास है, लेकिन कांग्रेस और उसका नेतृत्व चुप नहीं बैठेगा।”
वहीं भाजपा ने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप दोहराए हैं। पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “ED का मतलब अब ‘डकैती तथा वंशवाद का अधिकार’ नहीं है। जिन्होंने जनता की संपत्ति को हड़पने का काम किया है, उन्हें अब उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।”
इसी बीच, मंगलवार को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा भी ED के ऑफिस पहुंचे, जहां उनसे गुरुग्राम के शिकोहपुर लैंड घोटाले को लेकर पूछताछ की गई।
14 अप्रैल को राहुल गांधी और सोनिया गांधी डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर संसद परिसर पहुंचे थे, जहां उन्होंने उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। अब वहीं, दोनों नेता एक बार फिर जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं और इस कानूनी लड़ाई की अगली कड़ी अदालत में तय होगी।
भारत समाचार के प्रधान संपादक ब्रजेश मिश्रा ने समाचार4मीडिया से बात करते हुए कहा कि Folk Bharat सिर्फ एक रियलिटी शो नहीं, बल्कि एक अभियान है।
भारत समाचार ने एक अनोखा और प्रभावशाली टीवी रियलिटी शो लॉन्च करने का ऐलान किया है जिसका नाम है ‘Folk Bharat’, जिसे भोजपुरी सुपरस्टार अक्षरा सिंह एंकर करेंगी। इस शो का उद्देश्य उत्तर प्रदेश और बिहार के युवाओं को उनके क्षेत्रीय भाषाओं में अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच देना है।
भारत समाचार के प्रधान संपादक ब्रजेश मिश्रा ने समाचार4मीडिया से बात करते हुए कहा कि Folk Bharat सिर्फ एक रियलिटी शो नहीं, बल्कि एक अभियान है। स्थानीय भाषा, संस्कृति और आवाज़ को राष्ट्रीय पहचान देने का। भारत समाचार इस शो के माध्यम से यह संदेश दे रहा है कि हर आवाज़ मायने रखती है, और जब वो अपनी ज़ुबान में होती है, तो असर कई गुना बढ़ जाता है।
उन्होंने बताया कि शो के ऑडिशन 20 अप्रैल से पटना, फिर गोरखपुर, वाराणसी और लखनऊ में आयोजित होंगे। विजेताओं को ₹10 लाख तक के इनाम मिलेंगे और साथ ही भारत समाचार टीवी पर प्रदर्शन का मौका भी मिलेगा। भारत समाचार अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म और टीवी नेटवर्क के ज़रिए इस शो को पूरे उत्तर भारत में प्रमोट कर रहा है।
तरक्की व विकास के रथ पर सवार यूपी किस तरह से आगे बढ़ेगा और लोगों के जीवनस्तर को नई दिशा कैसे दी जा सकती है, इस पर मंथन के लिए देशभर से विशेषज्ञ जुटेंगे।
17 अप्रैल से गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठा में अमर उजाला संवाद का मंच सज चुका है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में राजनीतिक मुद्दों से लेकर फिल्मों, खेलकूद, राष्ट्रीय सुरक्षा, समाजसेवा, कला-संस्कृति समेत कई विषयों पर परिचर्चाएं होंगी। प्रदेश के विकास सहित अन्य मुद्दों पर बातचीत की जाएगी।
तरक्की व विकास के रथ पर सवार यूपी किस तरह से आगे बढ़ेगा और लोगों के जीवनस्तर को नई दिशा कैसे दी जा सकती है, इस पर मंथन के लिए देशभर से विशेषज्ञ जुटेंगे। अमर उजाला के वैचारिक संगम 'संवाद' में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, केंद्रीय राज्यमंत्री जितिन प्रसाद शामिल होंगे और मंच पर अपने-अपने विचार रखेंगे।
इसके अलावा बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता इमरान हाशमी, लोकप्रिय फिल्म निर्देशक विशाल फुरिया, मशहूर अभिनेत्री नुसरत भरुचा, अदाकारा जूही बब्बर सोनी भी कार्यक्रम में शिरकत करेंगी। 'संवाद' की शुरुआत गुरुवार को लखनऊ में गोमती नगर के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में होगी। जिसमें प्रदेश के विकास समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी। देश की जानी-मानी शख्सियतें, नीति-नियंता, विचारक-विशेषज्ञ श्रोताओं से रू-ब-रू होंगे।
आयोजन की अध्यक्षता संस्थान के प्राचार्य, प्रोफेसर शिव कुमार गुप्ता ने की तथा विशिष्ट अतिथि मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल (MANIT) के सह प्राध्यापक डॉ. मनोज आर्य रहे।
भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी का कहना है सामाजिक परिवर्तन के लिए बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने पत्रकारिता को साधन बनाया और लगभग 36 साल की लंबी पत्रकारीय साधना के माध्यम से वैचारिक क्रांति की। प्रो.द्विवेदी आज क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, भोपाल में भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 134 वी जयंती समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।
आयोजन की अध्यक्षता संस्थान के प्राचार्य, प्रोफेसर शिव कुमार गुप्ता ने की तथा विशिष्ट अतिथि मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल (MANIT) के सह प्राध्यापक डॉ. मनोज आर्य रहे। प्रो.द्विवेदी ने कहा बाबा साहब ने समाज सुधार और सामाजिक समरसता के विचार को जनांदोलन में बदल दिया। वे संकल्प से सिद्धि के अप्रतिम उदाहरण हैं। प्रो.द्विवेदी ने कहा कि वे 'मूक समाज' को स्वर देकर उसके 'नायक' बने।
उनकी पत्रकारिता 'मूक नायक' से प्रारंभ होकर 'प्रबुद्ध भारत' तक जाती है, जो उनकी वैचारिक यात्रा को भी रेखांकित करती है। उच्च शिक्षित होने के बाद बाबा साहब ने अपनी पत्रकारिता का माध्यम अंग्रेजी के बजाए भारतीय भाषाओं को बनाया, क्योंकि वे सामान्य जनों का प्रबोधन करना चाहते थे।संस्थान के प्राचार्य प्रो. शिव कुमार गुप्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि समता मूलक समाज के निर्माण में बाबा साहब का योगदान अतुलनीय है। संस्थान के विद्यार्थियों आदित्य नायर एवं शिवांश पांडे के द्वारा बाबासाहेब के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. मनोज आर्य ने बाबा साहब के संघर्ष एवं समाज के लिए किए गए उनके कार्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसा कोई सेवा का क्षेत्र नहीं रहा जिसके बारे में बाबासाहेब ने मार्गदर्शन न किया हो। भारतीय विदेश नीति एवं सुरक्षा, श्रम सुधारों, सिंचाई व जल प्रबंधन एवं भाषा नीति आदि सभी विषयों पर उनके विचार एवं कार्य आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने विदेशी शक्तियों से मिले अनेक प्रलोभनों को ठुकरा कर बार-बार कहा कि हम प्रथम एवं अंतिम रूप से भारतीय हैं इसीलिए राष्ट्रहित हमारे लिए सर्वोपरि है।
कार्यक्रम का समापन मुख्य सलाहकार विद्यार्थी परिषद डॉ. सौरभ कुमार के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से संस्थान के अधिष्ठाता, प्रोफेसर जयदीप मंडल, प्रो. चित्रा सिंह, डॉ. सुरेश मकवाना, प्रो. रत्नमाला आर्या, डॉ. संजय पंडागले, डॉ. अश्वनी गर्ग, डॉ. राम प्रकाश प्रजापति, डॉ. मंजू, डॉ अलका सिंह, डॉ. कुलवीर सिंह, डॉ. प्रद्युम्न सिंह सहित संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी श्री महेश आसुदानी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
‘भारत एक्सप्रेस’ के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर ‘भारत डायलॉग्स वूमेन लीडरशिप अवॉर्ड 2025’ को किया संबोधित
समाज में बदलाव की मिसाल पेश करने वाली और विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाली महिलाओं को सम्मानित करने व उन्हें एक मंच प्रदान करने के लिए दिल्ली स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) में 13 अप्रैल को ‘भारत डायलॉग्स वूमेन लीडरशिप अवॉर्ड 2025’ (Bharat Dialogues Women Leadership Award 2025) का आयोजन किया गया।
‘भारत डायलॉग’ की ओर से यह आयोजन उन प्रेरणादायक महिलाओं को सम्मानित करने के लिए था, जिन्होंने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देकर महिला सशक्तिकरण को नई दिशा दी है। कार्यक्रम में ‘भारत एक्सप्रेस’ के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर शामिल हुए। उन्होंने अपने संबोधन में नारी शक्ति के योगदान की सराहना करते हुए उन्हें देश की प्रगति की धुरी बताया गया।
उपेन्द्र राय का कहना था कि भारत में या फिर पश्चिम में, जितने विचारक हुए, उन्होंने कहीं न कहीं स्त्रियों के बारे में बड़ी कठोर बातें कीं। यहां तक कि महात्मा बुद्ध ने भी कह दिया कि अगर स्त्रियां संघ में शामिल होंगी, तो संघ की आयु पांच सौ साल से ज्यादा नहीं होगी, लेकिन जब उनकी मां और पत्नी ने आग्रह किया, जब बुद्ध की ख्याति दुनिया भर मे चारों ओर फैल रही थी, तब उनकी मां ने भी कहा कि पुत्र मुझे भी तो मुक्ति का मार्ग चाहिए, और तुमने ऐसा क्यों कर रखा है कि स्त्रियां संघ में नहीं आ सकती हैं। क्या तुम अपनी मां में भी दोष देखते हो, तो वह अपने मां के इस आग्रह को टाल नहीं सके और संघ में प्रवेश दिया।
उपेन्द्र राय ने कहा, ‘130 साल महिलाओं को लगेंगे पुरुषों के बराबर सैलरी पाने में। और ये जो पीड़ा है, शायद इसी एक पीड़ा ने औरतों को इतना अपमानित किया कि औरतें अपना औरत होने का अस्तित्व भूलकर पुरुष बनने की दौड़ में लग गईं। पुरुषों की सत्ता ने बहुत पहले समझ लिया था कि परमात्मा आधा पुरुष है और आधा स्त्री। हमारे यहां कहा गया है कि ज्ञान की देवी सरस्वती हैं और शक्ति की देवी दुर्गा और धन की देवी लक्ष्मी। ये तीन चीजें मिलकर हमें पूरा संसार देती हैं। आदमी अपने जीवन में चाहता क्या है? धन, सम्मान, प्रेम और सुरक्षा।
इसके साथ ही उपेन्द्र राय ने यह भी कहा, ‘मैं आज आपको एक बात बोलता हूं आप 50 साल घड़ी मिलाकर रख लीजिए। पुरुष ने दुनिया पर शासन इसलिए किया, क्योंकि वह ताकतवर था, लेकिन अब शारीरिक ताकत की ज्यादा जरूरत नहीं रह गई है। अब इस दुनिया में वही शासन करेगा, जो क्रिएटिव होगा, जिसके अंदर धैर्य होगा, जिसके अंदर जितना क्षमा होगा, जिसके अंदर जितना प्यार होगा, जिसके अंदर जितनी कीर्ति होगी, जो कृष्ण कहते हैं। मैं कृष्ण की इस बात से सहमत हूं कि ये पहला मौका आया है कि स्त्रियां सही अर्थों में अगले 50 सालों में इस पृथ्वी पर शासन करेंगी। पुरुषों का शासन नहीं होगा। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि जितने भी AI के बेस्ट मॉड्यूल बनाए गए हैं, वह सब स्त्रियों ने बनाए हैं, उसमें पुरुषों का सिर्फ 10 फीसदी योगदान है।’
इस खास मौके पर स्वर्गीय राधिका राय लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड ऑफ द ईयर – रंजना कुमारी, वूमेन लीडर ऑफ द ईयर (पॉलिटिक्स) – चारू प्रज्ञा, वूमेन लीडर ऑफ द ईयर (मीडिया) – महक, वूमेन ऑफ द ईयर (गवर्नमेंट) – उमूल खैर, वूमेन लीडर ऑफ द ईयर (मार्केटिंग) – अनिका बोहरा, वूमेन लीडर ऑफ द ईयर (कॉरपोरेट कम्युनिकेशन) – ज्योत्सना दास नंदा, वूमेन लीडर इन हायर एजुकेशन – डॉ. पूजा चौहान, वूमेन लीडर इन एकेडमिक्स – डॉ. रचना और वूमेन लीडर ऑफ द ईयर (एंटरप्रेन्योरशिप) अवॉर्ड– समिता काबरा को दिया गया।
कार्यक्रम की खास झलकियां आप यहां देख सकते हैं।
दिल्ली में 12 अप्रैल को आयोजित समारोह में विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सभी ने रजत शर्मा और रितु धवन को बधाई दी और उनके वैवाहिक जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं।
‘इंडिया टीवी’ (India TV) के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और उनकी पत्नी व चैनल की मैनेजिंग डायरेक्टर रितु धवन ने 12 अप्रैल को अपनी शादी की 25वीं सालगिरह का भव्य आयोजन किया। यह समारोह दिल्ली में आयोजित हुआ, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सभी ने रजत शर्मा और रितु धवन को बधाई दी और उनके वैवाहिक जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं। वहीं, रजत शर्मा और रितु धवन ने अपने जीवन के 25 वर्षों की साझी यात्रा को याद करते हुए मेहमानों का आभार जताया।
इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान, कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) नेता केसी त्यागी, प्रसिद्ध हिंदी कवि कुमार विश्वास, कल्कि धाम के आचार्य प्रमोद कृष्णम, मशहूर व्यापारी और लेखक सुहैल सेठ, भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया और शहजाद पूनावाला जैसे कई जाने-माने मेहमानों ने शिरकत की।
इस विशेष अवसर पर विभिन्न कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। गौरतलब है कि रजत शर्मा और रितु धवन ने मिलकर ‘इंडिया टीवी’ को भारतीय मीडिया इंडस्ट्री में एक प्रमुख नाम बना दिया है। रजत शर्मा को जहां उनकी बेबाक पत्रकारिता और उनके लोकप्रिय शो ‘आप की अदालत’ के लिए जाना जाता है, वहीं रितु धवन न्यूज चैनल के संचालन और सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ @RajatSharmaLive और मैनेजिंग डायरेक्टर रितु धवन की शादी की 25वीं सालगिरह में शामिल हुए बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान। #RajatSharma #25thAnniversary #25YearsOfTogetherness #RituDhawan @BeingSalmanKhan pic.twitter.com/03HvgiFHKt
— India TV (@indiatvnews) April 12, 2025