छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने पहली बार प्रेस नोट जारी कर पत्रकारों को धमकी दी है।
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने पहली बार प्रेस नोट जारी कर पत्रकारों को धमकी दी है। एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) दक्षिण सब जोनल ब्यूरो की तरफ से जारी प्रेस नोट में पत्रकारों के नाम लिखकर उनके ऊपर सरकार के साथ चलने का आरोप लगाया गया है।
माओवादियों द्वारा जारी इस प्रेस नोट में जिन लोगों के नाम लिखे गए हैं उसमें करीब 18 साल से नक्सलियों के गढ़ में पत्रकारिता कर रहे बीजापुर के गणेश मिश्रा के साथ लीलाधर राठी, पी विजय, फारुख अली, शुभ्रांशु चौधरी के नाम शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेस नोट के जरिये ये भी कहा है कि सरकार हजारों की संख्या में ग्रामीणों को बेदखल करने के लिए खदान और बांध शुरू करने के लिए समझौता कर चुकी है। नक्सलियों ने पत्र के माध्यम से कहा है की इसलिए ही सुरक्षाबलों की नई कंपनी तैनात की जा रही है, जबकि जनता इसका विरोध कर रही है। पत्रकारों और समाजसेवियों पर इस पूरे मामले पर साथ देने का आरोप लगाते हुए नक्सलियों ने जनता के जनअदालत में सजा देने की बात कही है।
छत्तीसगढ़ के बस्तर में पत्रकारिता बेहद चुनौतीपूर्ण है। सच्चाई ये भी है की जब सरकार और नक्सलियों के बीच कोई वार्ता करनी होती है तब भी बस्तर के पत्रकार ही सरकार की मदद करते हैं। बस्तर के पत्रकारों के माध्यम से ही कई बार निर्दोषों को नक्सलियों के कब्जे से छुड़ाया गया है। इतना ही नहीं बस्तर संभाग के सभी नक्सल प्रभावित जिलों के पत्रकार जब कोई बड़ा नक्सली हमला होता तो पत्रकार के रूप में नहीं बल्कि मददगार बनकर खड़े हो जाते हैं। जान जोखिम में डालकर अंदरूनी इलाकों से खबर लेकर आते हैं, जिसके बाद वही खबर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबर बनती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, लंबे समय से बस्तर में काम कर रहे शुभ्रांशु चौधरी का कहना है की वो बस्तर में शांति चाहते हैं इसलिए बस्तर में ऐसे प्रयास करते रहते है जिससे इस इलाके में शांति आये। इसलिए नक्सलियों ने उनके बारे में ऐसा लिखा है। वहीं 18 साल से नक्सलियों के गढ़ से रिपोर्ट लाने वाले पत्रकार गणेश मिश्रा का कहना है कि उन्हें इस बात का बहुत दुःख है की उनके बारे में नक्सलियों ने ऐसा लिखा है। आज भी वो बीजापुर में किराए के मकान में रहते हैं। बीजापुर के अंदरूनी इलाकों से जरूरतमंदों की खबर देश और दुनिया के सामने लाते हैं। जान जोखिम में डालकर वो अपने पेशे के साथ खड़े रहते हैं उसके बाद भी उनके बारे में नक्सली इस तरह की बात लिख रहे हैं जिससे वो दुखी हैं।
इस पूरे मामले को छत्तीसगढ़ पुलिस ने गंभीरता से लिया है। बस्तर रेंज के आईजी पी.सुंदरराज ने एबीपी न्यूज को बताया कि पुलिस इस प्रेस नोट की जांच कर रही है। पत्रकारों और समाजसेवी सहित सभी नागरिकों के सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की है। किसे कितनी सुरक्षा दी जाएगी इस बात को हम सार्वजनिक नहीं कर सकते। वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है की ये नक्सलियों की बौखलाहट है जो बस्तर के उन पत्रकारों को धमका रहे हैं जो सबसे ज्यादा जोखिम लेकर पत्रकारिता कर रहे हैं। सरकार पत्रकारों के साथ है और उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है।
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छत्तीसगढ़ में लंबे समय से सूचना आयुक्त के दो खाली पड़े पदों पर राज्य सरकार ने नियुक्ति कर दी है।
छत्तीसगढ़ में लंबे समय से सूचना आयुक्त के दो खाली पड़े पदों पर राज्य सरकार ने नियुक्ति कर दी है। अहम बात ये है कि इन पदों पर पहली बार दो पत्रकारों के नाम पर मुहर लगी है। राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सूचना आयुक्त के पद के लिए पत्रकार धनवेंद्र जायसवाल और मनोज त्रिवेदी की नियुक्ति की है।
गौरतलब है कि लंबे समय से सूचना आयुक्त के दो पद खाली थे। पीसीसीएफ एके सिंह पिछले साल ही रिटायर हो चुके थे, जबकि मोहन पवार का कार्यकाल पिछले महीने ही खत्म हुआ है। इसके बाद से सूचना आयुक्त के पद खाली थे।
उल्लेखनीय है कि धनवेन्द्र जायसवाल का 25 साल का लंबा करियर पत्रकारिता का रहा है। वे छत्तीसगढ़ से प्रकाशित अलग-अलग अखबारों में न्यूज चैनलों में रहे हैं। वर्तमान में वे अभी तक एक न्यूज चैनल के स्टेट हेड के तौर पर काम कर रहे थे।
वहीं मनोज त्रिवेदी का भी दो दशक लंबा पत्रकारिता का अनुभव रहा है। वे अलग-अलग अखबारों में मार्केटिंग के क्षेत्र में पदस्थ रहे हैं। साथ ही विभिन्न विषयों पर उनका आलेख प्रतिष्ठित अखबारों में प्रकाशित होता रहता है। पत्रकारिता एवं मार्केटिंग क्षेत्र में उनकी गहरी पैठ है।
बता दें कि इन दोनों सूचना आयुक्त का कार्यकाल तीन साल का होगा। कार्यकाल के दौरान सूचना आयुक्त को लगभग 2.25 लाख रुपए की सैलरी और गाड़ी-बंगला सहित अन्य तमाम सरकारी सुविधाएं दी जाएगी।
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राजस्थान के पत्रकार जगत के लिए मंगलवार 2 मार्च 2021 का दिन बहुत ही दुखद भरा रहा। इसकी वजह है दो वरिष्ठ पत्रकारों का एक ही दिन दुनिया से रुखसत हो जाना। लंबे समय से कोरोना से जंग लड़ रहे वरिष्ठ पत्रकार संजय बोहरा और खेल पत्रकारिता के चेहरे रहे वरिष्ठ पत्रकार नन्हे खान का निधन हो गया है।
वरिष्ठ पत्रकार संजय बोहरा का पिछले 15 दिनों से कोविड डेडिकेटेड राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस में उपचार चल रहा था। तबियत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन मंगलवार सुबह उनकी अंतिम दुखद की खबर सामने आई, जिसके बाद पत्रकार जगत में शोक की लहर है। दुर्गापुरा मोक्षधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया। वहीं, कई नेताओं के साथ पत्रकारों ने उन्हें श्रदांजलि दी।
बोहरा बीबीसी, हिन्दुस्तान टाइम्स, एशियन ऐज, डीएनए, भास्कर व पत्रिका से जुड़े रहे थे। उनके परिवार में पत्नी और एक पुत्री है।
वहीं, क्रिकेट के पूर्व सचिव और खेल पत्रकारिता का जाना-माना चेहरा नन्हे खान भी जिंदगी की जंग हार गए। कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्होंने हौसला तो रखा, लेकिन उससे पूरी तरह से उभर नहीं सके। नन्हे भाई नाम से विख्यात रहे खान जेडीसीए के 30 साल टूर्नामेंट के सचिव भी रहे थे। नन्हे खान का दुनिया से यूं रुखसत हो जाना हर किसी को खल रहा है।
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने वरिष्ठ पत्रकार संजय बोहरा व खेल पत्रकार नन्हे खान के आकस्मिक निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। मिश्र ने ईश्वर से उनकी पुण्यात्मा को शांति प्रदान करने तथा उनके परिजनों को यह बिछोह सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना की है।
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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव एक पत्रकार के सवालों से इस कदर बौखला गए कि उन्होंने पत्रकार को बिका हुआ बता दिया।
हाथरस मामले में यूपी की मौजूदा सरकार को कठघरे में खड़े कर रहे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव एक पत्रकार के सवालों से इस कदर बौखला गए कि उन्होंने पत्रकार को बिका हुआ बता दिया। सोशल मीडिया पर घटनाक्रम का वीडियो वायरल होने के बाद उनकी किरकिरी शुरू हो गई और वे सत्ता पक्ष के निशाने पर आ गए।
दरअसल, जब उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित कर रहे थे, तो पहले उन्होंने योगी सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि हाथरस की बेटी रो रही है। उसे न्याय नहीं मिल रहा है और प्रदेश के मुखिया बंगाल में टहल रहे हैं। उन्होंने तीखा हमला करते हुए कहा कि पार्टी घमंड में चूर है और जातिवादी मानसिकता से काम कर रही है।
इसी फेर में एक पत्रकार ने अखिलेश यादव से पूछ लिया किया कि हाथरस मामले में 2018 में ही छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज हुआ था। इस पर अखिलेश यादव पहले बोले- सवाल यह नहीं है फिर अचानक ही वे आपा खो बैठे। और बोले- ‘तुम फिर बिक गए... बिक गए बस इतने में... बिक गए तुम’ इसके बाद अखिलेश यादव बोले- ‘जरा अपने चैनल का नाम बताइए? जो बिक गए हो तुम।’ उन्होंने एक बार फिर कहा, ‘अब कहां जाकर छिप गए हो? हैसियत है तो अपने चैनल का नाम क्यों नहीं बताते?’
इसके बाद उक्त पत्रकार ने अपने चैनल का नाम बताया- ‘प्राइम न्यूज’। अखिलेश के सवाल पर पत्रकार ने जब अपने चैनल का नाम बताया, तो सपा प्रमुख फिर तुनक कर बोले- ‘चैनल के बिके हुए आदमी हो।’ पत्रकार संग इस पूरी बातचीत में अखिलेश पत्रकार की हैसियत तक पहुंच गए थे। अब यह वीडियो वायरल हो रहा है और अखिलेश यादव सत्ता पक्ष के निशाने पर आ गए हैं।
अखिलेश यादव के इस वायरल वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए सुल्तानपुर के विधायक देवमणि द्विवेदी ने ट्वीट कर कहा, ‘अखिलेश जी हाथरस में बेटी को छेड़ने और उसके पिता को गोली मारने के कृत्य में आपकी समाजवादी के नेता गौरव सौगरा मुख्य आरोपी हैं और अभी तक फरार हैं। समाजवादी का नाम बदल कर अपराधवादी पार्टी कर लीजिए।’
भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने इस पर बताया कि सासनी क्षेत्र में घटित घटना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है। उनका सख्त आदेश है कि आरोपितों पर रासूका के तहत कार्रवाई की जाए। इसमें एक आरोपित गिरफ्तार किया जा चुका है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सासनीगेट क्षेत्र में बेटी से छेड़छाड़ की शिकायत करने पर आरोपी ने अपने साथियों के साथ मिलकर खेत में काम कर रहे लड़की के पिता की गोली मारकर हत्या कर दी और फरार हो गए। पुलिस ने इस मामले में 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने हत्यारोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसी बीच मृतक किसान की बेटी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह इंसाफ की मांग करती दिख रही है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बेटी रो-रो कर इंसाफ की गुहार लगा रही है। उसने बताया कि आरोपी ने पहले मेरे साथ छेड़खानी की जिस पर पापा ने केस कर दिया। इस बात से चिढ़कर उसने मेरे पापा को गोली मारी दी।
पीड़िता के पिता ने जुलाई 2018 में गौरव शर्मा नाम के आरोपित के खिलाफ अपनी बेटी के साथ छेड़छाड़ की शिकायत पुलिस थाने में दर्ज कराई थी। आरोपित गौरव शर्मा समाजवादी पार्टी का नेता है। वही समाजवादी पार्टी, जिसके मुखिया अखिलेश यादव इस मामले में प्रदेश की योगी सरकार को घेरते हुए ट्वीट कर रहे हैं।
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महाराष्ट्र में कोरोना वायरस की वजह एक और पत्रकार की जान चली गई। कोरोना के कारण बॉलीवुड पत्रकार आरती शेजवलकर का निधन हो गया। कोरोना के संक्रमण का पता चलने के बाद उनका इलाज मुंबई के नायर अस्पताल में चल रहा था।
बताया जा रहा है कि वह छह महीने की गर्भवती थीं, लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद प्रेग्नेंसी में उन्हें काफी समस्याएं आईं और उनका निधन हो गया।
आरती के निधन की खबर मशहूर सेलिब्रेटी फोटोग्राफर विरल भयानी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक तस्वीर शेयर कर दी है। श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वे कहते हैं, ‘बॉलीवुड पत्रकार आरती के निधन के बारे में सुनकर मैं दुखी हूं। वह बहुत ईमानदार थीं और अपने काम के लिए समर्पित थीं। वह एक फाइटर थीं और मनोरंजन की दुनिया में 24 घंटे काम करती थीं। वो फील्ड पर काम कर रहे लड़कों के लिए मां की तरह थीं और उनका काफी ध्यान रखती थीं। एक युवा रिपोर्टर को उन्होंने शराब पीने की लत छुड़वा दी थी। आरती प्रेग्नेंट थीं और कोविड के चलते हुई दिक्कतों की वजह से उनकी मौत हो गईं। जिंदगी कभी कभी बहुत ज्यादा निर्दयी होती है। ओम शांति।’
कोरोना अवधि के दौरान कई पत्रकार कोरोना से संक्रमित हो गए, जिनमें से यहां अब तक 25 से ज्यादा पत्रकारों की मौत हो चुकी है।
आरती के निधन की खबर सुन बॉलीवुड स्टार्स को भी बड़ा झटका लगा है और वे सोशल मीडिया के जरिए आरती को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। वरूण धवन ने आरती के साथ एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि वो अपने काम के प्रति बहुत मेहनती और ईमानदार थीं। वरूण ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इसके अलावा करिश्मा तन्ना, सोफी चौधरी, फिल्मफेयर के एडिटर जीतेश पिल्लई ने भी आरती की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
दैनिक जागरण समेत तमाम मीडिया संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे थे
दैनिक जागरण के पूर्व संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार दिलीप अवस्थी का मंगलवार को लखनऊ में निधन हो गया है। बताया जाता है कि वह उम्र जनित तमाम समस्याओं से जूझ रहे थे।
लखनऊ के मूल निवासी दिलीप अवस्थी को विभिन्न मीडिया संस्थानों में काम करने का 40 साल से ज्यादा का अनुभव था। उन्हें कुछ महीनों पूर्व ही ‘आउटलुक’ (Outlook) समूह में बतौर कंसल्टिंग एडिटर नियुक्त किया गया था।
दिलीप अवस्थी ने लखनऊ में ‘पॉयनियर’ अखबार के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। पूर्व में लगभग 13 साल तक वह ‘इंडिया टुडे’ के साथ जुड़े रहे थे। वह ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, लखनऊ में डिप्टी रेजिडेंट एडिटर के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुके थे।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य समेत तमाम लोगों ने दिवंगत आत्मा को सद्गति और शोकाकुल परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
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देश के प्रमुख मीडिया शिक्षण संस्थान ‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) ने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के साथ मंगलवार को एक समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस एमओयू का उद्देश्य पत्रकारिता और जनसंचार शिक्षा को प्रोत्साहन देना और मौलिक, शैक्षणिक एवं व्यावहारिक अनुसंधान के क्षेत्रों को परिभाषित करना है। आईआईएमसी की ओर से महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
प्रो. संजय द्विवेदी ने बताया कि इस एमओयू के माध्यम से दोनों संस्थान टीवी, प्रिंट मीडिया, डिजिटल मीडिया, जनसंपर्क और विज्ञापन जैसे विषयों पर शोध को बढ़ावा देंगे। उन्होंने कहा कि इस समझौते से हमें एक-दूसरे की कार्यप्रणालियों एवं अनुभवों को जानने एवं समझने का मौका मिलेगा। यह एमओयू अनुसंधान और शैक्षिक डेटा के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करेगा और संयुक्त कार्यक्रमों को आयोजित करने के अवसरों का भी जरिया बनेगा।
प्रो. द्विवेदी के मुताबिक, ‘आईआईएमसी का उद्देश्य आज की जरूरतों के अनुसार ऐसा मीडिया पाठ्यक्रम तैयार करना है जो छात्रों के लिए रोजगापरक हो। इस दिशा में हम महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के साथ मिलकर कार्य करने के लिए अग्रसर हैं। आईआईएमसी का उद्देश्य छात्रों और संकाय सदस्यों को देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से संपर्क प्रदान करना भी है। हमने आने वाले वर्षों में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग करने और अनुसंधान व शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने का लक्ष्य रखा है।’
वहीं, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने कहा, ’आईआईएमसी देश का सबसे प्रतिष्ठित जनसंचार संस्थान है। इस समझौते के माध्यम से हमें आईआईएमसी के पत्रकारिता एवं शोध अध्ययन के लंबे अनुभव का लाभ मिलेगा।’
इस अवसर पर आईआईएमसी के डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह, डीन (छात्र कल्याण) प्रो. प्रमोद कुमार, प्रो. सुनेत्रा सेन नारायण, प्रो. वीरेंद्र कुमार भारती, प्रो. सुरभि दहिया, प्रो. अनुभूति यादव, प्रो. संगीता प्रणवेंद्र, प्रो. राजेश कुमार एवं महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत कुमार भी मौजूद थे।
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‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (आईआईएमसी) द्वारा शुक्रवार को 'शुक्रवार संवाद' (Friday Dialogue) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार और ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ के पूर्व अध्यक्ष आलोक मेहता ने ‘पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। आलोक मेहता का कहना था,‘पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा को पवित्र मानकर उसका पालन कीजिए। यह मार्ग कांटों भरा भले ही हो, लेकिन यदि आपके पास पूरे तथ्य और प्रमाण हैं और आपको अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी है, तो आपको बेबाक होकर अपनी बात रखनी चाहिए।’
मेहता ने कहा कि पत्रकारिता करते समय किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं रखना चाहिए। मौजूदा दौर में अधिकतर लोग जिम्मेदारी से अपना काम कर रहे हैं, लेकिन कहीं-कहीं लोग अपनी लक्ष्मण रेखा को पार भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में आचार संहिता का सख्ती से पालन किया जाता है, लेकिन भारत में अब तक हम आचार संहिता को अनिवार्य रूप से लागू करने में सफल नहीं हो पाए हैं।
मेहता ने युवा पीढ़ी के पत्रकारों को आगाह करते हुए कहा कि उन्हें ध्यान रखना होगा कि वे सदैव सुनने को तैयार रहें। दूसरों को भी सुनिए। आप लोगों के प्रति पूर्वाग्रह न रखिए। धर्म, जाति आदि का उल्लेख करने से बचिए। अपराधी की कोई धर्म या जाति नहीं होती। एक व्यक्ति के कारण पूरे समुदाय को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। पहले लिखा जाता था कि दो समुदायों के बीच कोई मामला हुआ, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। आप इतनी सावधानी तो बरत ही सकते हैं कि किसी वर्ग और समुदाय को चोट न पहुंचे।
उनका कहना था कि पत्रकार अपनी आचार संहिता स्वयं तय कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम अपने अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं, यहीं से गड़बड़ होती है। मीडिया को अपने अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए।’
आलोक मेहता के अनुसार, ‘मीडिया को पारदर्शिता भी बरतनी होगी। आप यदि पत्रकारिता का पेशा चुनते हैं तो आपको भविष्य का ख्याल रखना होगा। आपको देखना होगा कि आने वाली पीढ़ियों को क्या मिलेगा। पत्रकारिता के मूल्यों का पालन कीजिए। आप ऐसे लिखिए कि लोगों को लगे कि यदि अमुक व्यक्ति ने लिखा है तो सही लिखा होगा। मीडिया का काम समाज में निराशा पैदा करना नहीं है।’
कार्यक्रम में आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी विशेष तौर पर उपस्थित थे। आईआईएमसी के डीन अकादमिक प्रो. (डॉ.) गोविंद सिंह ने आलोक मेहता का स्वागत किया। डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विकास पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) राजेश कुमार ने किया।
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‘भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण’ (TRAI) के पूर्व चेयरमैन राहुल खुल्लर का मंगलवार की सुबह निधन हो गया है। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। 1975 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी खुल्लर को मई 2012 में ट्राई का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। वह करीब तीन साल तक इस पद पर रहे।
खुल्लर ने ऐसे समय में ट्राई के मुखिया का पद संभाला था, जब दूरसंचार आपरेटरों ने स्पेक्ट्रम नीलामी पर नियामक की सिफारिशों के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से पोस्ट ग्रेजुएट खुल्लर ट्राई का चीफ नियुक्त होने से पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में सेक्रेटरी के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
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उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण के बाद विपक्षी दलों ने विधानसभा की पत्रकार दीर्घा में कवरेज के लिए मीडिया को नहीं बैठने देने का मुद्दा उठाया, जिसके जवाब में विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना काल के कारण पत्रकारों के लिए अलग व्यवस्था की गई थी और इस बारे में जल्द ही कोई फैसला लिया जाएगा।
नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने राज्यपाल के अभिभाषण के बाद पूछा कि विधानसभा में पत्रकार दीर्घा से पत्रकारों को क्यों दूर रखा गया है और क्या कोविड-19 केवल पत्रकारों को ही प्रभावित करता है, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और नेता विपक्ष को नहीं?
चौधरी की इस बात का समर्थन बहुजन समाज पार्टी के विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता अराधना मिश्रा ने भी किया। इस पर विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि कोरोना काल में पत्रकारों की सहमति से यह निर्णय लिया गया था कि मीडिया के लिए बैठने की अलग व्यवस्था कर दी जाए और उसी हिसाब से अलग व्यवस्था की गई थी।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों ने कोई आपत्ति नहीं जताई है। लालजी वर्मा और अराधना मिश्रा ने इस पर कहा कि कुछ पत्रकारों को अनुमति दी जानी जाए, जिससे कि वे सदन की कार्यवाही सही ढंग से देखें और उसकी रिपोर्टिंग करें। विधानसभा अध्यक्ष ने इसके जवाब में कहा कि इस पर कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में विचार कर लिया जाएगा।
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मध्यप्रदेश का स्टेट प्रेस क्लब हर साल की तरह पत्रकारिता पर केंद्रित अपना सालाना जलसा ‘भारतीय पत्रकारिता महोत्सव’ 19 फरवरी यानी आज से आयोजित कर रहा है, जोकि तीन दिनों तक चलेगा। मध्यप्रदेश का यह बहुप्रतिष्ठित का आयोजन रविन्द्र नाट्यगृह इंदौर में आयोजित किया जा रहा हैं। तीन दिनी इस बौद्धिक अनुष्ठान में पत्रकारिता, शिक्षा और सामाजिक सरोकारों से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर रोजाना टॉक-शो, परिचर्चा, परिसंवाद आदि कार्यक्रम होंगे। रोजाना रात्रि को 8 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
इस जलसे में गुजरात, दिल्ली,जम्मू कश्मीर, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों से तीन सौ से अधिक पत्रकार शिरकत करेंगे। इस बार का आयोजन भारत के महान शब्द शिल्पियों और संपादकों- राहुल बारपुते, राजेंद्र माथुर, शरद जोशी, प्रभाष जोशी और माणिक चन्द्र वाजपेई जी को समर्पित है। इन सभी ने इंदौर को अपनी कर्मस्थली बनाया।
19 से 21 फरवरी 2021 तक चलने वाले इस आयोजन में प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार और विभिन्न महाविद्यालयों में अध्ययनरत् शोधार्थी छात्र शामिल होंगे। पत्रकारिता महोत्सव के तहत रोजाना मीडिया की लक्ष्मण रेखा, देश की प्रगति और मीडिया, टूटता भरोसा, बढ़ता गुस्सा, महिला मुद्दे और मीडिया, भविष्य की मीडिया शिक्षा एवं कोरोना काल और पत्रकारिता विषय पर टॉक शो होंगे।
इस प्रतिष्ठित आयोजन में जहां मीडियाकर्मियों का सम्मान समारोह होगा, वहीं फैशन फोटोग्राफी पर वर्कशॉप भी होगी। तीनों दिन तीसरे प्रेस आयोग की मांग पर विभिन्न पत्रकार संगठन गंभीर चिंतन करेंगे। इस मौके पर ‘मीडिया की लक्ष्मण रेखा’ विषय पर केन्द्रित स्मारिका का प्रकाशन भी होगा।