टीबी मृत्यु दर, देश की औसत टीबी मृत्यु दर के बराबर थी, जहाँ टीबी की नए रोगी दर देश के औसत नए टीबी रोगी दर से कम थी, उन 347 जिलों को इस अभियान में शामिल किया गया है।
शोभा शुक्ला, बॉबी रमाकांत – सीएनएस।
भारत सरकार का 100 दिवसीय टीबी अभियान (7 दिसंबर 2024 से 24 मार्च 2025 तक) टीबी उन्मूलन की दिशा में एक सराहनीय कदम है। यह सरकार की ओर से एक देश व्यापी पहल है कि जिन लोगों को टीबी का खतरा सर्वाधिक है या जो लोग अक्सर टीबी या स्वास्थ्य सेवा से वंचित रह जाते हैं, उन तक टीबी की सर्वश्रेष्ठ सेवाएं पहुँचें।जब तक हर टीबी रोगी की सही जांच नहीं होगी तब तक उसे टीबी का प्रभावकारी इलाज कैसे मिलेगा?
जब तक उन्हें टीबी का प्रभावकारी इलाज नहीं मिलेगा, तब तक फेफड़े की टीबी फैलती रहेगी और टीबी से पीड़ित लोग भी अनावश्यक पीड़ा झेलते रहेंगे और टीबी मृत्यु का खतरा भी अत्यधिक रहेगा। इसीलिए यह 100 दिवसीय टीबी अभियान अत्यंत अहम है क्योंकि यह उन लोगों तक टीबी सेवाएं पहुँचाने के लिए केंद्रित है जो प्रायः स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में रहते हैं और जिन्हें टीबी की सही जाँच और उचित इलाज नहीं मिल पाता।
यह 100 दिवसीय टीबी अभियान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संभवत: पहला राष्ट्र-व्यापी प्रयास है कि सभी लोग जिन्हें टीबी होने का खतरा अधिक है, उनकी टीबी जांच होनी है। टीबी के लक्षण हों या न हों, सभी की एक्स-रे जाँच होगी, यदि इसमें संभावित टीबी निकलेगी तो टीबी की पक्की जाँच (मॉलिक्यूलर टेस्ट) के लिए उनको भेजा जाएगा। जिनको टीबी निकलेगी उनको टीबी के प्रभावकारी इलाज से जोड़ा जाएगा और जिनको टीबी (या संभावित टीबी) नहीं निकलेगी उनको टीबी से बचने वाले इलाज (लेटेंट टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी) दी जाएगी जिससे कि निकट भविष्य में भी उनको टीबी रोग न हो।
इस अभियान के तहत उन लोगों तक पहुँचने का प्रयास किया जा रहा है जो कुपोषित हैं, एचआईवी के साथ जीवित हैं, जिन्हें मधुमेह या डायबिटीज है, जो तंबाकू या शराब का सेवन करते हैं, जिनके किसी करीबी को टीबी रोग है, या अन्य किसी कारण से टीबी का खतरा अधिक है।टीबी के 4 लक्षण हैं: 3 हफ्तों से अधिक चलने वाली खाँसी, भूख न लगना या बिना करण वजन गिरना, बुखार होना या रात को बेवजह पसीना आना।
भारत सरकार के राष्ट्रीय टीबी सर्वेक्षण 2019-2021 के अनुसार, लगभग आधे टीबी रोगियों को कोई लक्षण था ही नहीं - उनके टीबी रोग होने की पुष्टि सिर्फ़ एक्स-रे होने पर हो सकी थी। देश के अनेक क्षेत्रीय टीबी सर्वेक्षण में भी यही निकल कर आया है कि आधे टीबी रोगियों को टीबी का कोई लक्षण था ही नहीं और एक्स-रे जाँच होने पर टीबी रोग की पुष्टि हो सकी - उन्हें जल्दी ही इलाज दिया गया और टीबी के फैलाव पर रोक लग सकी।
100 दिवसीय टीबी अभियान भारत के 33 प्रदेशों के 347 चिन्हित जिलों में चल रहा है (देश में लगभग 800 जिलें हैं)। जिन जिलों में टीबी मृत्यु दर, देश की औसत टीबी मृत्यु दर के बराबर या उससे अधिक थी, या जहाँ टीबी की नए रोगी दर देश के औसत नए टीबी रोगी दर से कम थी, उन 347 जिलों को इस अभियान में शामिल किया गया है।
कर्नाटक प्रदेश के सबसे अधिक जिले शामिल हैं (31), उसके बाद महाराष्ट्र (30)।विश्व के अनेक देशों (जो टीबी से अधिक प्रभावित हैं) में चिकित्सकीय जाँच लेबोरेटरी सेवाओं को जनता के क़रीब ले जाने के अनेक सफल प्रयास किए गए हैं।
तिमोर-लेसते देश में पिछले 3 सालों से एक छोटी-बस नुमा गाड़ी में एक्स-रे मशीन और भारत-निर्मित ट्रूनेट मॉलिक्यूलर टेस्ट, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुमोदित है, दूर-दराज इलाकों में जा कर लोगों की टीबी जाँच कर रही है और उन्हें टीबी सेवाओं से जोड़ रही है।
उसी तरह बांग्लादेश में भी अनेक बस-नुमा विशेष-परिवर्तित गाड़ियों में भारत-निर्मित एक्स-रे (प्रोरेड/प्रोग्नॉसिस) सालों से दूर-दराज इलाकों में लोगों तक संभावित टीबी की जाँच पहुँचा रहा है।यदि टीबी जाँच को जनता के पास ले जाना है तो यह आवश्यक है कि जाँच मशीन को चलाने के लिए लेबोरेटरी-नुमा व्यवस्था न लगे।
ट्रूनेट मॉलिक्यूलर टेस्ट और अल्ट्रा पोर्टेबल एक्स-रे मशीन दोनों ही बैटरी पर भी घंटों चलती हैं, दोनों का उपयोग बिना लेबोरेटरी-नुमा व्यवस्था के भी किया जा सकता है, और एक छोटे बैग में ले के जाया जा सकता है। एक्स-रे मशीन कुछ-कुछ 'डीएसएलआर' कैमरे जैसी दिखती है। यह एक्स-रे मशीन विशेष इसलिए भी है क्योंकि यह आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस युक्त है और कंप्यूटर-द्वारा संभावित टीबी की जाँच करती है।
ट्रूनेट मॉलिक्यूलर टेस्ट मशीन टीबी रोग की पक्की जाँच करती है (और टीबी के अलावा 40 से अधिक अन्य रोगों की भी पक्की जाँच कर सकती है जैसे कि हेपेटाइटिस, एचआईवी, मलेरिया, चिकनगुन्या, यौन संक्रमण, कोविड, आदि)।
दिल्ली और हरियाणा में मेदांता अस्पताल के टीबी-मुक्त भारत अभियान ने एक छोटी-बस नुमा गाड़ी को दूर-दराज इलाकों में भेज कर, पिछले 10 वर्षों में 10 लाख से अधिक लोगों को एक्स-रे जाँच उपलब्ध करवायी और जिनको टीबी निकली उनकी सरकारी टीबी कार्यक्रम से जुड़ने में सहायता की।
मेदांता अभियान में बस के अलावा एक मोटरसाइकिल पर स्वास्थ्यकर्मी भी एक पिट्ठू बैग (बैकपैक) में ट्रूनेट मशीन और प्रोरेड (प्रोग्नॉसिस) एक्स-रे को ले कर उन दूर-दराज इलाकों तक जाता है जहाँ चार-पहिया गाड़ी नहीं जा सकती।भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने पिछले माह ही बताया था कि भारत सरकार टीबी सेवाओं के विकेंद्रीकरण के लिए समर्पित है। टीबी जाँच लेबोरेटरी की संख्या 2014 में 120 थी जो 2024 में बढ़ कर 8,293 हो गई है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने हाल ही में एक लेख में लिखा था कि भारत में 7,700 मॉलिक्यूलर टेस्ट मशीन हैं। डॉ गुलेरिया ने लिखा कि ट्रूनेट भारत में निर्मित मॉलिक्यूलर टेस्ट है जिसके कारण टीबी जाँच की क़ीमत काफ़ी कम हुई है और टीबी जाँच में जो समय लगता था वह भी घट कर एक घंटा रह गया है।
उन्होंने कहा कि ऐसी ट्रूनेट जाँच जिले और ब्लॉक स्तर पर सक्रिय हैं। टीबी की पक्की जाँच के विकेंद्रीकरण में ट्रूनेट ने एक अहम भूमिका निभायी है।
100 दिवसीय टीबी अभियान के तहत, एक छोटी-बस नुमा गाड़ी जिसे निक्षय वाहन कहते हैं, इन जिलों में उन लोगों तक टीबी सेवाएं पहुंचा रही है जिन्हें टीबी का खतरा अधिक है। इस गाड़ी में एक्स-रे मशीन है जो बैटरी से भी चलती है और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस युक्त कंप्यूटर की मदद से संभावित टीबी की जाँच करती है।
जिन लोगों को संभावित टीबी निकलती है उनको टीबी की पक्की मॉलिक्यूलर टेस्ट जाँच उपलब्ध करवायी जाती है (या बलगम सैंपल इकट्ठा कर के निकटतम लेबोरेटरी में भेजा जाता है)।
भारत-निर्मित प्रोरेड (प्रोग्नॉसिस) एक्स-रे भी इन एक्स-रे मशीनों में से एक है।100 दिवसीय टीबी अभियान के तहत, असम के बारपेटा जिले से सरकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने एक तस्वीर साझा की है। इसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पारित और भारत में निर्मित ट्रूनेट मॉलिक्यूलर टेस्ट मशीन को एक छोटी सी लकड़ी की बेंच पर खुले में रखे हुए देखा जा सकता है जो जनता को टीबी की पक्की जाँच मुहैया करवा रही है।
ट्रूनेट से न केवल एक घंटे में टीबी की पक्की जाँच होती है वरन् यह भी पता चल जाता है कि दवा प्रतिरोधक टीबी है कि नहीं। इस तस्वीर में निक्षय वाहन को भी देखा जा सकता है।
100 दिवसीय टीबी अभियान के तहत उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने एएनआई को बताया कि भारत को टीबी मुक्त करने के लिए पिछले चंद सालों में उत्तर प्रदेश में टीबी जांच 4 गुना अधिक बढ़ी है। ट्रूनेट मॉलिक्यूलर टेस्ट मशीन और एक्स-रे मशीन की संख्या में भी वृद्धि हुई है। हिमाचल प्रदेश में भी निक्षय वाहन दूर-दराज इलाकों तक टीबी सेवाएं लोगों के निकट ले जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, बैजनाथ के निकट देओल गांव में एक दिन में जिस समुदाय के लोगों को टीबी खतरा अधिक है उनके 89 लोगों के एक्स-रे किए गए।
यह एक्स-रे मशीनें सरकारी पॉवर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा प्रदान की गई हैं। कांगड़ा जिले में 2 जनवरी 2025 तक, इस अभियान के तहत हज़ारों लोगों के एक्स-रे हुए, 2000 की टीबी जाँच हुई और 35 लोगों में टीबी रोग पाया गया - जिनको उचित उपचार उपलब्ध करवाया गया।
गोवा के पोंडा क्षेत्र में "हॉल केरी" गाँव में एक दिन में (2 जनवरी 2025) 113 लोगों के एक्स-रे किए गए जिनमें से 37 लोगों में संभावित टीबी निकली - जिनके बलगम सैंपल को मॉलिक्यूलर टेस्ट पक्की जांच के लिए निकटतम स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया। गोवा के बबल्याख़ली और नागमशीद बस्ती में भी एक दिन में 89 लोगों की एक्स-रे जाँच हुई। 31 दिसंबर 2024 को "आम कॉटोंबी" में अनेक लोगों की एक्स-रे जाँच हुई और 40 लोगों में संभावित टीबी निकली - जिनके बलगम सैंपल को ट्रूनेट मॉलिक्यूलर टेस्ट पक्की जांच के लिए भेजा गया।
भारत के सभी प्रदेशों में से गोवा सबसे पहला प्रदेश है जिसने टीबी की प्रथम जाँच के रूप में, माइक्रोस्कोपी जाँच को 100% मॉलिक्यूलर टेस्ट जाँच से प्रतिस्थापित किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 7-8 साल पहले सभी देशों से, टीबी की प्रथम जाँच के लिए माइक्रोस्कोपी जाँच को 100% मॉलिक्यूलर टेस्ट से प्रतिस्थापित करने के लिए आह्वान किया था। माइक्रोस्कोपी टीबी की कच्ची जाँच है जिसके द्वारा आधे या उससे भी कम टीबी रोग की पुष्टि होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पारित मॉलिक्यूलर टेस्ट से 1-2 घंटे में यह पक्का पता चलता है कि टीबी है या नहीं, और यदि टीबी रोग है तो रिफ़ैंपिसिन दवा से प्रतिरोधक है या नहीं।
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने हाल ही में बताया था कि निजी (प्राइवेट) स्वास्थ्य केंद्रों से भी टीबी रिपोर्टिंग में 8 गुना वृद्धि हुई है। गौर तलब है कि 2012 में भारत सरकार ने आदेश पारित किया था कि निजी स्वास्थ्य केंद्र भी सरकार को हर टीबी रोगी की पुष्टि करें। सरकार द्वारा हर महीने प्रत्येक टीबी रोगी को रू 500 सीधे बैंक खाते में दिए जाते हैं (पोषण आदि में सहयोग के लिए)। इस राशि को 1 नवंबर 2024 से बढ़ा कर रू 1000 कर दिया गया है। अब तक इस सहायता के तहत, 3000 करोड़ रुपए से अधिक राशि दी जा चुकी है।
पिछले लगभग 10 सालों में (2015-2023) के दौरान भारत की टीबी दर में 17.7% की गिरावट आई है और टीबी मृत्यु दर भी 21.4% कम हुई है। परंतु अभी भी, विश्व के सभी देशों की तुलना में भारत में सबसे अधिक टीबी रोग है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम टीबी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 28 लाख लोग को 2023 में टीबी हुई जिनमें से 24 लाख से अधिक को जाँच-इलाज मिला।
सभी लोगों को, टीबी लक्षण हों या न हों, एक्स-रे द्वारा संभावित टीबी की जाँच, और जिनको संभावित टीबी हो उनको मॉलिक्यूलर टेस्ट जाँच मिलनी ज़रूरी है - जिससे कि सभी टीबी रोगियों को बिना-विलंब सही प्रभावकारी इलाज मिल सके। इस 100 दिवसीय टीबी अभियान को हर दिन सक्रिय रखने की आवश्यकता है जब तक टीबी उन्मूलन का सपना साकार नहीं हो जाता।
शोभा शुक्ला, लखनऊ के लोरेटो कॉलेज की भौतिक विज्ञान की सेवा-निवृत्त वरिष्ठ शिक्षिका रहीं हैं और सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) की संस्थापिका-संपादिका हैं। बॉबी रमाकांत सीएनएस से संबंधित हैं।
दिल्ली में शुक्रवार की शाम आयोजित एक समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने डॉ. महेंद्र मधुकर को यह सम्मान प्रदान किया।
साहित्यिक कृति 'वक्रतुण्ड' के लेखक डॉ. महेंद्र मधुकर को जागरण साहित्य सृजन सम्मान से सम्मानित किया गया है। दिल्ली में शुक्रवार की शाम आयोजित एक समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने डॉ. महेंद्र मधुकर को यह सम्मान प्रदान किया।
उन्होंने डॉ. मधुकर को शाल ओढ़ाया, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक चिह्न भेंट किया। इसके साथ ही उन्हें 11 लाख रुपये की सम्मान राशि भी दी गई।डॉ. मधुकर ने भी इस दौरान शाह को अपनी तीन पुस्तकें भेंट की तथा उनके कार्य की सराहना की।
इस दौरान डॉ. मधुकर ने धर्मवीर भारती की पंक्ति 'सृजन की थकन भूल जा देवता..' का जिक्र करते हुए कहा कि लेखक साहित्यकार के लिए रचना सृजन आत्मिक अभिव्यक्ति और आत्मा की संतुष्टि जैसा है।’
'वक्रतुण्ड' को पुरस्कृत करने का निर्णय जूरी ने सर्वसम्मति से किया। इस समिति में जाने-माने गीतकार और कवि प्रसून जोशी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी व वरिष्ठ साहित्यकार डा. शरण कुमार लिंबाले शामिल रहे।
बता दें कि इस पुस्तक को ‘राजकमल प्रकाशन’ ने पब्लिश किया है। दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक स्वर्गीय नरेन्द्र मोहन जी की स्मृति में शुरू किया गया यह पहला जागरण साहित्य सृजन सम्मान है। यह सम्मान उन लेखकों को दिया जाता है जिनकी कृति ने अपनी पठनीयता, गुणवत्ता और विषय की गहराई से वर्षभर पाठकों और समीक्षकों — दोनों का ध्यान आकर्षित किया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें सरकार द्वारा वित्तपोषित प्रसारक प्रसार भारती को BCCI की टीम को “टीम इंडिया” या “भारतीय राष्ट्रीय टीम” कहने से रोकने की मांग की गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें सरकार द्वारा वित्तपोषित प्रसारक प्रसार भारती, जो दूरदर्शन और आकाशवाणी संचालित करता है, को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की टीम को “टीम इंडिया” (Team India) या “भारतीय राष्ट्रीय टीम” (Indian National Team) कहने से रोकने की मांग की गई थी।
याचिका में कहा गया था कि प्रसार भारती द्वारा एक निजी टीम को भारतीय राष्ट्रीय टीम के रूप में पेश करना गलत प्रस्तुतीकरण (misrepresentation) है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने अधिवक्ता रीपक कंसल द्वारा दायर इस याचिका को अदालत के समय की पूर्ण बर्बादी बताया।
कंसल ने अपनी याचिका में कहा था कि BCCI एक निजी संस्था है, जो तमिलनाडु सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत है। ऐसे में सार्वजनिक प्रसारकों द्वारा इसे “राष्ट्रीय टीम” के रूप में पेश करना गलत छवि बनाना है और इससे BCCI को अनुचित व्यावसायिक लाभ मिलता है। याचिका में दोहराया गया कि “प्रसार भारती द्वारा एक निजी टीम को राष्ट्रीय टीम के रूप में दिखाना भ्रामक है।”
याचिका के अनुसार, BCCI अपने आयोजनों और मैचों में भारत नाम, राष्ट्रीय ध्वज और अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों का उपयोग करती है और दूरदर्शन व आकाशवाणी द्वारा इनके प्रसारण से Emblems and Names (Prevention of Improper Use) Act, 1950 तथा Flag Code of India, 2002 का उल्लंघन होता है, जो राष्ट्रीय नाम, झंडे और प्रतीकों के उपयोग को नियंत्रित करते हैं। याचिका में कहा गया था, “किसी निजी संस्था द्वारा ‘India’ नाम का मनमाना उपयोग, बिना किसी वैधानिक अधिकार या अधिसूचना के, निष्पक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।”
अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि BCCI द्वारा अपने आयोजनों में भारतीय ध्वज का उपयोग करना और सार्वजनिक प्रसारकों द्वारा उसका प्रसारण करना किसी कानून का उल्लंघन नहीं है।
पीठ ने टिप्पणी की, “आज कोई भी व्यक्ति निजी तौर पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है। यदि आप अपने घर में झंडा फहराना चाहें तो क्या आपको रोका गया है? Emblems and Names Act, 1950 की धारा 3 का उल्लंघन कहां है? क्या आप यह कह रहे हैं कि यह टीम भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करती? यह टीम जो हर जगह जाकर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है, आप कह रहे हैं कि यह भारत की टीम नहीं है? यदि यह ‘टीम इंडिया’ नहीं है तो बताइए क्यों नहीं है?”
न्यायाधीशों ने आगे कहा, “क्या आपको पता है कि खेलों का पूरा ढांचा कैसे काम करता है? क्या आपके अनुसार केवल वही टीम ‘भारत’ का प्रतिनिधित्व करेगी जिसे खेल मंत्रालय के अधिकारी चुनें? यह अदालत के समय की बर्बादी है। आपको इससे बेहतर जनहित याचिकाएं दाखिल करनी चाहिए। हम इसे खारिज करने के पक्ष में हैं।”
कार्यक्रम के दौरान फंडिंग का फ्यूचर सत्र में एसबीआई के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि सरकार के सपोर्ट की बात करें तो एमएसएमई क्षेत्र में बेहतर इकोसिस्टम को बनाने में इससे मदद मिलती है।
देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को नई दिशा देने, उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए सशक्त बनाने और “वोकल फॉर लोकल” के विजन मजबूती देने के उद्देश्य से अमर उजाला की ओर से भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव, एक्सपो व अवार्ड्स 2025 का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम के दौरान फंडिंग का फ्यूचर सत्र में एसबीआई के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि सरकार के सपोर्ट की बात करें तो एमएसएमई क्षेत्र में बेहतर इकोसिस्टम को बनाने में इससे मदद मिलती है। कैपेक्स के लिए क्रेडिट फॉर्मल बैंकिंग सिस्टम से मिलती है। केवल बैंकों को डिपॉजिट लेने की मंजूरी है।
ऐसे में वे संसाधनों को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। आज 2.5 मिलियन लैंडेबल मर्चेंट हैं। कैश भारपे पर दिखता है। हम पार्टनरशिप मॉडल पर काम कर रहे है। वे पैसे मुहैया करवा रहे हैं। वे ऋण मुहैया कराने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
देश में एमएसएमई को ऋण मुहैया कराने के लिए बहुत बढ़िया इकोसिस्टम तैयार हुआ है। आज यदि किसी को मशीन खरीदना हो चाहे वह 20 लाख का हो तो लोन आसानी से उपलब्ध है। दुनिया पिछले 30-40 वर्षेों में पूरी तरह से बदल गई है।
ऐसा मैनुअल बैंकिंग से डिजिटल बैंकिंग की ओर बढ़ने से संभव हो पाया। सरकारी स्कीमों मुद्रा स्क्रीम, स्ट्रीट वेंटर स्कीमों के जरिए भी ऋण मुहैया कराने में मदद मिली है। हमें वेंचर कैपिटल को बढ़ाने की जरूरत है। हमें नई स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की जरूरत है चाहे वे सफल हों या नहीं। इसके लिए वेंचर कैपिटल को बढ़ाना पड़ेगा। यह हाई रिस्क कैपिटल है। इसके लिए इसके लिए बैंक आगे नहीं आते। इसे मुहैया कराने के लिए हमें कदम बढाने होंगे।
एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव के दौरान अभिनेता परेश रावल ने कहा कि एक्टिंग का फॉर्मूला बिजनेस की दुनिया में नहीं चल सकता है। मनुष्य हर आपदा और अवसर में ढल जाता है।
देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को नई दिशा देने, उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए सक्षम बनाने और “वोकल फॉर लोकल” के विजन को मजबूत करने के मकसद से अमर उजाला द्वारा आयोजित एमएसएमई फॉर भारत कार्यक्रम में अभिनेता परेश रावल ने कहा कि एक्टिंग का फॉर्मूला बिजनेस की दुनिया में नहीं चल सकता है। मनुष्य हर आपदा और अवसर में ढल जाता है।
मरते दम तक एक एक्टर को स्टूटेंड बने रहना होता है। यह बात बिजनेस लीडर्स भी सीख सकते हैं। हमें जीना है तो हम हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठक सकते हैं। हमें सर्वाइव करना ही पडे़गा। हम बड़े शुक्रगुजार हैं कि हमें नरेंद्र मोदी जैसे लीडर मिले हैं। वे अमेरिका से टक्कर ले सकते हैं।
वे इसलिए ऐसा कर सकते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि हम किसी पर डिपेंड नहीं करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वोकल फॉर लोकल वाले का हमेशा समर्थन करना चाहिए। वोकल फॉर लोकल एमएसएमई क्षेत्र का भी मंत्र होना चाहिए। किसी चीज पर पर्दा डालो तो अलग-अलग धारणाएं बन जाती है। उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म पर कहा कि यह रिसर्च से बनी है।
एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमनें मौजूद उद्योगों से सुझाव मांगे। उन्होंने बहुत सारे सुझाव दिए। वे खुश नहीं रहेंगे तो नए रास्ते नहीं खुलेंगे।
अमर उजाला एमएसएमई फॉर भारत कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहुंचे। यहां उन्होंने अमर उजाला की ओर से आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे लोगों का आभार जताया। उन्होंने कहा, 'समाचार के क्षेत्र के अलावा, विभिन्न क्षेत्रों में काम करना अमर उजाला की कार्य संस्कृति बन गई है।
इसके लिए पूरे समूह को बहुत बधाई। सभी को बहुत शुभकामनाएं।' उन्होंने कहा, देवभूमि उत्तराखंड (पूर्व प्रधानमंत्री) अटल बिहारी वाजपेयी के समय में नया राज्य बना। 2003 में मिले एक पैकेज के बाद राज्य में बुनियादी संरचनाओं का निर्माण शुरू हुआ।
इसमें उद्योगों का अहम योगदान रहा। पहले रोजगार के बहुत कम अवसर थे। पर वाजपेयी के समय में औद्योगीकरण का नया दौर शुरू हुआ। बाद में नीतियों में कई बदलाव किए गए। धामी ने अमर उजाला के मंच पर विजेताओं को अवार्ड भी प्रदान किए, जिसमें बरेली की वानरेती क्राफ्ट्स को सिल्वर अवार्ड, गाजियाबाद की ब्रेनटेक इंजीनियर्स को गोल्ड अवार्ड और डीके फिल्म्स को ब्रॉन्ज अवार्ड से सम्मानित किया गया।
एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव के दौरान केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि जिस शक्ति के साथ स्वदेशी अपनाने के लिए अपील की है, उससे देश को बहुत फायदा मिलेगा।
अमर उजाला की ओर से आयोजित एमएसएमई फॉर भारत कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा भी पहुंचे। एमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश में छोटे और मंझोले उद्योगों का विस्तार हो रहा है। अजय टम्टा ने कहा कि परिवहन क्षेत्र के विस्तार और स्वदेशी अपनाने से देश की अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी।
कार्यक्रम के दौरान राज्य मंत्री अजय टम्टा ने अमर उजाला एमएसएमई फॉर भारत अवार्ड के विजेताओं को भी सम्मानित किया। टम्टा ने कहा कि पीएम ने जिस शक्ति के साथ स्वदेशी अपनाने के लिए अपील की है, उससे देश को बहुत फायदा मिलेगा। आज छोटे-छोटे उत्पाद घर-घर तक पहुंच रहे हैं।
आज छोटे-छोटे उद्योग लगाने के क्षमतावान लोग थे उन्हें पहले कठिनाइयां होती थी। आज महिला समूहों को 15 लाख रुपये तक के लोन दिए जा रह हैं। देश में स्वदेशी मेले का कार्यक्रम चल रहा है। अमर उजाला का एमएसएमई फॉर भारत एक बहुत अच्छा आयोजन है।
अमर उजाला के एमएसएमई फॉर भारत कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए अनुराग सिंघी ने इंस्पायरिंग एमएसएमई सत्र दौरान एसमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों को संबोधित किया।
देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को नई दिशा देने, उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए सशक्त बनाने और 'वोकल फॉर लोकल' के विजन को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से अमर उजाला नई दिल्ली के भारत मंडपम में एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव, एक्सपो व एवं अवार्ड्स 2025 का आयोजन किया।
इस समारोह में उद्योग, मनोरंजन और एमएसएमई जगत की कई हस्तियां शामिल हुईं। अमर उजाला के एमएसएमई फॉर भारत कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए मूर सिंघी एवाइजर्स के मैनेजिंग पार्टनर अनुराग सिंघी ने इंस्पायरिंग एमएसएमई सत्र दौरान एसमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों को संबोधित किया।
360 वन वेल्थ की हेड ऑफ स्ट्रेटेजी आरती रामकृष्णन ने कार्यक्रम के दौरान अपने विचार साझा किए। आरती रामकृष्णन ने कहा कि देश के एमएसएमई क्षेत्र में विभिन्न मोर्चों पर कई तरह के सुधार हो रहे हैं। तकनीक का क्षेत्र हो या अनुकूल सरकारी नीतियों का- बीते वर्षों में एमएसएमई के लिहाज बड़े सकारात्मक बदलाव हुए हैं। सिंघी ने कहा कि आज के युवा उद्यमियों को रतन टाटा जैसे महान उद्यमी से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनसे प्रेरणा लेकर वे अपने उद्यम और देश की अर्थव्यवस्था को एक नया आकार दे सकेंगे।
बेंगलुरु पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शांति भंग करने वाले पोस्ट करने वालों के खिलाफ 37 मामले दर्ज किए और 18 लोगों को गिरफ्तार किया।
बेंगलुरु पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शांति भंग करने वाले पोस्ट करने वालों के खिलाफ 37 मामले दर्ज किए और 18 लोगों को गिरफ्तार किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये कंटेंट कथित रूप से सांप्रदायिक नफरत फैलाने, झूठी जानकारी देने, मानहानि करने या ऐसा कोई प्रलोभक मैसेज था जो सार्वजनिक शांति भंग कर सकता था।
बेंगलुरु सिटी के पुलिस कमिश्नर कार्यालय द्वारा जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, आरोपियों द्वारा साझा किए गए 41 सोशल मीडिया अकाउंट और 19 आपत्तिजनक पोस्ट्स को विभिन्न प्लेटफॉर्म्स से हटा दिया गया है।
शहर की सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल्स- जो सभी थानों से संचालित होती हैं, ऑनलाइन ऐसे कंटेंट पर नजर रख रही हैं जो तनाव भड़का सकता है या गलत जानकारी फैला सकता है। नियमित निगरानी के दौरान अधिकारियों ने कई ऐसे पोस्ट्स की पहचान की, जिनके आधार पर कानूनी कार्रवाई की गई।
पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी अविश्वसनीय या भड़काऊ कंटेंट का समर्थन, शेयर या समर्थन न करें। नागरिकों से कहा गया है कि कोई भी जानकारी साझा करने या उस पर टिप्पणी करने से पहले उसकी सत्यता जरूर जांचें।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, "जो लोग झूठी या भड़काऊ जानकारी फैलाकर कानून का उल्लंघन करेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"
कंपनी की चेयरपर्सन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर अनुराधा प्रसाद शुक्ला और एनएसई की एसोसिएट वाइस प्रेजिडेंट पार्वती मूर्ति उपस्थित रहीं। साथ ही कंपनी के प्रमुख नेतृत्व टीम के सदस्य भी मौजूद थे।
बीएजी कन्वर्जेंस लिमिटेड (डिजिटल न्यूज और कंटेंट इनोवेशन के प्रमुख खिलाड़ी) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के इमर्ज प्लेटफॉर्म पर आधिकारिक डेब्यू किया। बीएजी कन्वर्जेंस के शेयर आईपीओ मूल्य के मुकाबले 16% प्रीमियम पर डेब्यू हुए। शेयर एनएसई एसएमई प्लेटफॉर्म पर 87 रुपये के इश्यू मूल्य के खिलाफ 101 रुपये पर लिस्टेड हुए।
इस समारोह में कंपनी की चेयरपर्सन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर अनुराधा प्रसाद शुक्ला और एनएसई की एसोसिएट वाइस प्रेजिडेंट पार्वती मूर्ति उपस्थित रहीं। साथ ही कंपनी के प्रमुख नेतृत्व टीम के सदस्य भी मौजूद थे। अपने संबोधन में अनुराधा प्रसाद शुक्ला ने कंपनी की यात्रा पर प्रकाश डाला, जो स्थापना से लेकर डिजिटल मीडिया की शक्तिशाली कंपनी बनने तक की है। बीएजी कन्वर्जेंस ने न्यूज, इन्फोटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स जैसे कई क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है।
कंपनी की मजबूत डिजिटल उपस्थिति 23 भारतीय राज्यों, 2 केंद्र शासित प्रदेशों और अमेरिका, ब्रिटेन, मिडिल ईस्ट तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फैली हुई है। टेक्नोलॉजी और क्रिएटिविटी के माध्यम से कंटेंट क्रिएशन को नया रूप दे रही कंपनी के प्लेटफॉर्म्स वैश्विक स्तर पर 60 मिलियन से अधिक दर्शकों तक पहुंचते हैं। समारोह में चीफ बिजनेस ऑफिसर एंड ग्रुप एडिटर सुषांत मोहन ने होस्ट की भूमिका निभाई।
समारोह में नॉन-एग्जिक्यूटिव इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स चंदन के. जैन और अर्शित आनंद, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर विजेंद्र नेगी, ग्रुप सीएफओ अजय जैन, चीफ बिजनेस ऑफिसर सुशांत एस. मोहन, सीएफओ सुभोध गुप्ता, कंपनी सेक्रेटरी कृति जैन, संजीव कुमार, अमित सेठी, मानक गुप्ता तथा कंपनी एडवाइजर्स संजीव के. दुबे, शशि शेखर मिश्रा और अनामिका सूद भी उपस्थित रहे।
नेटफ्लिक्स इंडिया ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नॉलजी (IICT) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) के साथ मिलकर एक नई साझेदारी की है।
नेटफ्लिक्स इंडिया ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नॉलजी (IICT) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) के साथ मिलकर एक नई साझेदारी की है। इसका मकसद भारत में छात्रों को एवीजीसी-एक्सआर (एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी) क्षेत्र में प्रशिक्षण और अवसर प्रदान करना है। इस समझौते पर हस्ताक्षर फिक्की फ्रेम्स 2025 के दौरान किए गए।
संयुक्त बयान में कहा गया कि इस पहल के तहत नेटफ्लिक्स अपने क्रिएटिव इक्विटी फंड के माध्यम से IICT के साथ सहयोग में चयनित छात्रों को छात्रवृत्ति देगा। यह फंड मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में उन प्रतिभाओं के लिए बनाया गया है, जिन्हें अब तक कम मौके मिले हैं।
नेटफ्लिक्स, IICT की तीन प्रमुख परिषदों — शोध एवं विकास परिषद, अकादमिक परिषद और उद्योग विकास परिषद में भी हिस्सा लेगा। इन परिषदों में शिक्षा, उद्योग और नीति से जुड़े विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया जाएगा ताकि भारत के एवीजीसी-एक्सआर सेक्टर को नई दिशा मिल सके।
इस सहयोग के साथ नेटफ्लिक्स इंडिया अब एनवीडिया, गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट और एडोबी जैसी कंपनियों की कतार में शामिल हो गया है, जिन्होंने मई में वर्ल्ड ऑडियो-विजुअल एंटरटेनमेंट समिट के दौरान IICT के साथ साझेदारी की थी।
नेटफ्लिक्स इंडिया की ग्लोबल अफेयर्स डायरेक्टर महिमा कौल ने कहा, “मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में कौशल विकास और समान अवसर बढ़ाने के हमारे प्रयासों के तहत यह सहयोग भारत सरकार की एवीजीसी सेक्टर को मजबूत करने की दृष्टि के अनुरूप है।”
नेटफ्लिक्स, IICT को पाठ्यक्रम विकसित करने में मदद करेगा और उद्योग के विशेषज्ञों को छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इस पहल के तहत वर्कशॉप, मास्टरक्लास और गेस्ट लेक्चर आयोजित किए जाएंगे ताकि छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान और वैश्विक स्तर का प्रशिक्षण मिल सके।