e4m Revenue Leaders Summit में Zee Entertainment Enterprises Ltd. (ZEEL) के चीफ ग्रोथ ऑफिसर आशीष सहगल ने बदलते विज्ञापन परिदृश्य को ZEE द्वारा किस तरह से अपनाया जा रहा है, इस पर विस्तार से चर्चा की।
e4m Revenue Leaders Summit में Zee Entertainment Enterprises Ltd. (ZEEL) के चीफ ग्रोथ ऑफिसर आशीष सहगल ने भारत के सबसे बड़े मीडिया समूहों में से एक द्वारा बदलते विज्ञापन परिदृश्य को किस तरह से अपनाया जा रहा है, इस पर विस्तार से चर्चा की।
एक्सचेंज4मीडिया की सीनियर करस्पॉन्डेंट चहनीत कौर से बातचीत में सहगल ने ZEEL की रणनीति के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डाली, जिसमें AI को अपनाना, डेटा प्राइवेसी, रीजनल कंटेंट और रेवेन्यू टीमों को ब्रैंड्स के लिए सलाहकार भागीदारों (consultative partners) में बदलने जैसी बातें शामिल थीं।
बातचीत की शुरुआत थर्ड-पार्टी कुकी के खत्म होने के मुद्दे से हुई, जिसे सहगल ने एक अवसर के रूप में प्रस्तुत किया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि कुकी-आधारित टार्गेटिंग से आगे बढ़ना एक प्राइवेसी-फर्स्ट दृष्टिकोण अपनाने का मौका देता है, जो कंपनी के पास मौजूद मजबूत फर्स्ट-पार्टी डेटा पर आधारित है। उन्होंने कहा, “Zee5 जैसे प्लेटफॉर्म और कॉन्टेस्ट जैसे इंटरैक्टिव फॉर्मैट्स के जरिए हम डेटा को एक नियमबद्ध और सार्थक तरीके से एकत्र कर रहे हैं।”
उनके अनुसार असली बढ़त सिर्फ डेमोग्राफिक्स को समझने में नहीं, बल्कि उपभोक्ता की भावनाओं को पढ़ने, यह जानने में है कि किस बात से भावनात्मक जुड़ाव होता है, और उस अंतर्दृष्टि के आधार पर संवाद तैयार करने में है।
Artificial Intelligence, खासतौर पर जनरेटिव AI, ZEEL में दक्षता और पर्सनलाइजेशन को बढ़ाने का एक प्रमुख उपकरण बन गया है। यह जहां कंटेंट जनरेशन और कैंपेन एग्जिक्यूशन को तेज करता है, वहीं सहगल ने स्पष्ट किया कि यह मानवीय रचनात्मकता का विकल्प नहीं है।
उन्होंने कहा, “AI मानव मस्तिष्क की जगह नहीं लेता, बल्कि उसे और सक्षम बनाता है।”
AI के जरिए दोहराव वाले कामों को ऑटोमेट किया जा रहा है, जिससे टीमें अधिक रणनीतिक ढंग से सोचने में सक्षम होती हैं। इसका उपयोग कंटेंट क्रिएशन, ब्रैंड पार्टनरशिप या सेल्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से अनुकूल समाधान देने के लिए किया जा रहा है।
लगभग तीन दशक से मीडिया सेल्स से जुड़े सहगल का कहना है कि जहां विज्ञापनदाताओं की ROI को लेकर अपेक्षाएं नहीं बदलीं, वहीं न्यूनतम खर्च में अधिकतम प्रभाव की चाह अब पहले से कहीं ज्यादा जटिल हो गई है।
अब वह दौर नहीं रहा जब टेलीविजन पर कुछ विज्ञापन स्लॉट्स चलाकर बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाई जा सकती थी। आज के बिखरे हुए मीडिया माहौल में विज्ञापनदाता ऐसे समाधान चाहते हैं जो पूरे कंजम्प्शन फनल को कवर करें, किसी भी प्लेटफॉर्म पर काम करें, और सीधे व्यापारिक वृद्धि से जुड़े हों। उन्होंने बताया कि अब तो शुरुआती स्टार्टअप्स भी ऐसे रणनीतिक, ROI-केंद्रित समाधान मांग रहे हैं जो भीड़ में अलग नजर आएं।
इन मांगों को पूरा करने के लिए ZEEL अपने अंदरूनी टीमों को लगातार अपस्किल कर रहा है। पारंपरिक सेल्स माइंडसेट की जगह अब एक सलाहकार दृष्टिकोण लिया जा रहा है, जहां रेवेन्यू लीडर्स अब मार्केटर्स की तरह काम करते हैं।
सहगल ने कहा, “उन्हें सिर्फ हमारे इन्वेंटरी की जानकारी नहीं होनी चाहिए, बल्कि क्लाइंट के ब्रैंड लाइफसाइकल, प्रोडक्ट पोजिशनिंग और ऑडियंस बिहेवियर को भी समझना जरूरी है। अब हम सिर्फ GRPs नहीं बेच रहे, हम ऐसे कैंपेन तैयार कर रहे हैं जो संदर्भात्मक हों और परिणाम देने वाले हों।”
ZEEL की रणनीति का एक अहम स्तंभ उसका रीजनल कंटेंट के प्रति समर्पण है। 11 भाषाओं में 50 से अधिक चैनलों के साथ, नेटवर्क भारतीय दर्शकों की विविध सांस्कृतिक और भाषाई वास्तविकताओं को दर्शाने वाली कहानियाँ तैयार करने पर जोर देता है।
सहगल ने भारत को 'कई भारतों' का देश बताया, जिनमें हर एक की अपनी उपभोग प्रवृत्ति और प्राथमिकताएं हैं। उन्होंने कहा कि जी सिर्फ कंटेंट क्रिएटर नहीं है, बल्कि एक स्टोरीटेलर है, जो दर्शकों से उनके अपने तरीके से जुड़ने का प्रयास करता है, चाहे प्लेटफॉर्म कोई भी हो या स्थान कोई भी हो।
कंपनी की प्लेटफॉर्म-अज्ञेयवादी कंटेंट रणनीति में Bullet जैसे इनोवेशन भी शामिल हैं। एक माइक्रोड्रामा ऐप जो युवाओं की डोपामाइन-चालित शॉर्ट-फॉर्म देखने की प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
इस स्पेस में भी ZEEL पारिवारिक देखने की भावना बनाए रखता है। सहगल ने बताया, “हम ह्यूरिस्टिक या अत्यधिक पर्सनल कंटेंट से दूर रह रहे हैं। चाहे वह रोमांस हो, थ्रिलर या एक्शन, हम ऐसी स्टोरीज बनाना चाहते हैं जिन्हें लोग मिल-बैठकर देखें और फिर दोस्तों या परिवार के साथ उस पर चर्चा कर सकें।”
आगे की योजना पर बात करते हुए सहगल ने ZEEL के भविष्य को दो स्पष्ट प्राथमिकताओं से जोड़कर बताया: एक ओमनीचैनल इकोसिस्टम बनाना और उपभोक्ता-प्रथम कंटेंट तैयार करना।
उन्होंने स्वीकार किया कि आज का दर्शक व्यक्तिगत रूप से पहचाना और सुना जाना चाहता है- हर “हम” में उसे अपना “मैं” चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह अंतर्दृष्टि अब Zee की कहानी कहने की शैली में बुन दी गई है। “हम ऐसी स्टोरीज बना रहे हैं जो सभी के लिए हों, लेकिन जो हर व्यक्ति के दिल को भी छू सकें।”
क्या पारंपरिक ऐड सेल्स (ad sales) आज के बदलते प्लेटफॉर्म और बदलती ब्रैंड अपेक्षाओं के दौर में अब भी प्रासंगिक है? यही सवाल e4m रेवेन्यू लीडर्स कॉन्फ्रेंस में इंडस्ट्री के दिग्गजों ने उठाया।
क्या पारंपरिक ऐड सेल्स (ad sales) आज के बदलते प्लेटफॉर्म और बदलती ब्रैंड अपेक्षाओं के दौर में अब भी प्रासंगिक है? यही सवाल e4m रेवेन्यू लीडर्स कॉन्फ्रेंस में इंडस्ट्री के दिग्गजों ने उठाया। चर्चा का मुख्य बिंदु यह था कि किस तरह से आज के बिखरे हुए कंटेंट इकोसिस्टम और सलाहकार भूमिका की अपेक्षा करने वाले ब्रैंड्स के बीच ऐड सेल्स को खुद को कैसे बदलना होगा।
इस पैनल में HT मीडिया ग्रुप के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सत्यजीत सेनगुप्ता, ब्रैंडपल्स ग्लोबल की चीफ ग्रोथ ऑफिसर मोना जैन, Yaap के सीनियर पार्टनर मेनन कपूर और मोटोरोला मोबिलिटी (लेनोवो कंपनी) में इंडिया मार्केटिंग लीड (प्रीमियम और फ्लैगशिप फोन्स) लक्ष्य कात्याल शामिल थे। सेशन का संचालन स्नैप इंडिया की हेड ऑफ ऐडवरटाइजिंग सॉल्यूशंस नेहा जॉली सहनी ने किया।
सेशन की शुरुआत करते हुए मोना जैन ने यह स्पष्ट किया कि ऐड सेल्स का दौर खत्म होने की बात अतिशयोक्तिपूर्ण है। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि ऐड सेल्स खत्म हो गया है। सेल्स प्रोफेशनल वे लोग हैं जो ब्रॉडकास्टर या पब्लिशर का प्रस्ताव क्लाइंट तक पहुंचाते हैं।"
उन्होंने स्वीकार किया कि ब्रैंडेड कंटेंट की भूमिका काफी बढ़ गई है और अब सेल्स केवल एफसीटी बेचने या रेट नेगोशिएट करने तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, "आज के मार्केटर अपेक्षा करते हैं कि आप केवल पहुंच और इंप्रेशंस से आगे बढ़कर उनके साथ भावनात्मक और सांस्कृतिक स्तर पर जुड़ने वाले समाधान दें। सेल्स प्रोफेशनल को अपने आप को अपडेट करना होगा।"
मोना ने यह भी बताया कि किस तरह कंटेंट का इस्तेमाल कई प्लेटफॉर्म पर फैल चुका है, जिसमें टीवी, ओटीटी, यूट्यूब आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा, "आज का उपभोक्ता बेचैन है, उसे कुछ भी आसानी से नहीं बेचा जा सकता। प्रतियोगिता बहुत बढ़ गई है। ऐसे में ब्रैंड्स को इमोशनल कनेक्शन बनाना होगा।"
उन्होंने कहा कि इसके लिए सेल्स प्रोफेशनल्स को क्लाइंट के ब्रैंड, सेगमेंट, जियोग्राफी और ऑडियंस की गहरी समझ होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, "आज क्लाइंट चाहता है कि सेल्सपर्सन उसके साथ इंटेलेक्चुअल बातचीत कर सके, नहीं तो वह किसी और को मौका देगा।"
सत्यजीत सेनगुप्ता ने भी इस बात से सहमति जताई कि ऐड सेल्स खत्म होने की बात जल्दबाजी है। उन्होंने कहा, "मैंने 90 के दशक से ऐड सेल्स में काम किया है और हमारी 90-95% कमाई अब भी सीधे विज्ञापन से ही होती है।"
उन्होंने माना कि प्रोफेशन में बदलाव आया है। उन्होंने कहा, "20 साल पहले हम खुद को 'ब्रैंड सॉल्यूशन पार्टनर' कहने लगे थे, लेकिन असली फर्क टाइटल से नहीं, समझ से पड़ता है कि ब्रैंड सॉल्यूशन का असली मतलब क्या है।"
उन्होंने एक वाकया साझा किया, "हाल ही में मुंबई में एक नॉन-एडवरटाइजर से मिलने पर उसने सबसे पहले कहा, 'आपकी लैंग्वेज बदल गई है।' यही असल फर्क है। जब तक आप CMO से उसी भाषा में बात नहीं करेंगे, उसे मूल्य नहीं दिखेगा।"
उन्होंने निष्कर्ष में कहा, "तीन बातों का संतुलन बनाना जरूरी है- मार्केटर की समस्या, हमारे प्रोडक्ट्स और मार्केट इनसाइट्स। यदि आप इन्हें जोड़ देंगे, तो सही समाधान मिलेगा।"
बातचीत आगे बढ़ी तो चर्चा क्रिएटर-आधारित कैंपेन और विज्ञापनदाताओं व प्लेटफॉर्म के बीच बढ़ती दूरी की तरफ मुड़ी।
याॅप के मेनन कपूर ने कहा, "कंटेंट कंजम्प्शन का फॉर्मेट बदल गया है। पहले एक ad तीन से छह महीने तक चल जाती थी। आज 'तीन सेकंड रूल' लागू हो गया है। लोग सेकंडों में कंटेंट खा जाते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "10% लोग शायद इस वक्त भी reels देख रहे होंगे। भारत में हर तरह का कंटेंट देखा जाता है, यहां तक कि क्रिंज कंटेंट भी।"
उन्होंने यह भी कहा कि वाइरालिटी का पीछा करना गलत है। "अच्छा कंटेंट वही है जो आपके ब्रैंड के साथ लंबे समय तक जुड़ता है। केवल जो लोग देखना चाहें, वही कंटेंट मायने रखता है।"
मोना जैन ने छोटे बाजारों में राष्ट्रीय ब्रैंड्स की चुनौतियों की बात की। उन्होंने कहा, "कई ब्रैंड सोचते हैं कि स्थानीय भाषा या रीजनल इन्फ्लुएंसर से वे जुड़ जाएंगे, लेकिन हमारी स्टडी बताती है कि स्थानीय ब्रैंड्स का दशकों पुराना भावनात्मक जुड़ाव उन्हें आगे रखता है।"
उन्होंने कहा, "कई बार बड़े बजट होने के बावजूद राष्ट्रीय ब्रैंड स्थानीय ब्रैंड्स की बराबरी नहीं कर पाते, जब तक कि वे स्थानीय हीरो के साथ क्रिएटिव और नेचुरल स्टोरीटेलिंग नहीं करते।"
मोना जैन ने बताया कि अब ब्रैंड मुख्य रूप से प्रभाव को मापने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "अधिकतर ब्रीफ अब ब्रैंड लिफ्ट स्टडी, ब्रैंड पर्सेप्शन और कंटेंट एसोसिएशन पर आधारित होते हैं।"
उन्होंने बताया, "यह डेटा अब sales टीम के लिए हथियार बन गया है। अब केवल impressions बेचने का जमाना नहीं रहा, बल्कि ब्रैंड सेंटिमेंट और इमोशनल कनेक्शन बनाना पड़ता है।"
मोना जैन ने कहा, "आज सेल्सपर्सन को डेटा को समझने और इंटरप्रेट करने में माहिर होना पड़ेगा और मार्केटर की भाषा बोलनी होगी। तभी असली एंगेजमेंट बनेगा।"
बातचीत आगे बढ़ी कि किस तरह ब्रैंड्स को युवा और बिखरी हुई ऑडियंस तक पहुंचने के लिए अपने प्लेटफॉर्म, फॉर्मेट और मैसेजिंग में बदलाव करने होंगे।
सत्यजीत सेनगुप्ता ने बताया, "एचटी मीडिया के पास चार मजबूत प्लेटफॉर्म हैं- प्रिंट, डिजिटल, ऑडियो और ऑन-ग्राउंड एक्टिवेशन। हमारा रेडियो चैनल फीवर आज भारत का सबसे बड़ा पॉडकास्ट नेटवर्क है।"
उन्होंने ऑडियंस बिहेवियर का विश्लेषण करते हुए कहा, "लोगों की लाइफ स्टेज के अनुसार कंटेंट प्राथमिकता बदलती है। जैसे ही वे करियर में आते हैं, न्यूज और बिजनेस पढ़ना शुरू कर देते हैं।"
उन्होंने Mint जैसे ब्रैंड्स का उदाहरण दिया जो कॉलेजों में रेकमेंड किए जा रहे हैं।
उन्होंने युवा ऑडियंस को जोड़ने के लिए PACE और Hindustan Olympiad जैसी पहलों का जिक्र किया, जो हर साल 6 लाख से ज्यादा छात्रों तक पहुंचती है।
उन्होंने बताया, "हम '5C फ्रेमवर्क' का पालन करते हैं- Context, Connect, Create, Communicate और Calibrate। हर बार किसी भी ऑडियंस, खासकर युवा ऑडियंस तक जाने से पहले इन पांच स्टेप्स को फॉलो करते हैं।"
मेनन कपूर ने डिजिटल कैंपेन में क्रिएटिविटी और परफॉर्मेंस को संतुलित करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "यदि आप क्रिएटिविटी और परफॉर्मेंस को अलग मानेंगे तो नतीजे नहीं मिलेंगे, लेकिन पार्टनर बनाकर काम करेंगे तो शानदार रिजल्ट मिलेंगे।"
उन्होंने कहा, "कंटेंट क्वालिटी सीधे ad revenue को प्रभावित करती है। यदि कंटेंट अच्छा नहीं है तो चाहे कितना भी बजट लगा लो, काम नहीं करेगा।"
उन्होंने क्रिएटिव इन्वेस्टमेंट को भी महत्वपूर्ण बताया। "कई बार क्लाइंट केवल मीडिया पर ध्यान देते हैं, लेकिन रिपोर्ट खराब आने पर वे प्लेटफॉर्म को दोषी ठहराते हैं, न कि क्रिएटिव को।"
लक्ष्य कात्याल ने प्रीमियम प्रोडक्ट्स के लिए मार्केटिंग में ऑडियंस सेगमेंटेशन और स्टोरीटेलिंग की बात की। उन्होंने कहा, "जैसे Hyundai Creta और Creta N Line का एक जैसा ट्रीटमेंट नहीं हो सकता, वैसे ही Motorola H60 और H60 Ultra का भी नहीं हो सकता।"
लक्ष्य ने कहा, "प्रीमियम कंज्यूमर केवल फीचर्स नहीं, बल्कि स्टाइल और इमोशन खरीदता है।" उन्होंने कहा, "कंटेंट को शुरू से एंड-टू-एंड सोचना होगा। हाई-डेफिनिशन वर्टिकल फॉर्मेट, CTV, एयरपोर्ट टचप्वाइंट आदि का भी ध्यान रखना होगा।"
इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग पर लक्ष्य ने कहा, "अब केवल स्क्रिप्ट देने का जमाना नहीं रहा, बल्कि ब्रैंड और इन्फ्लुएंसर मिलकर कंटेंट क्रिएट करें तो वह ज्यादा असरदार होता है।"
अंत में उन्होंने कहा, "प्रीमियम पोजिशनिंग के लिए कंटेंट एंगेजमेंट में भी बदलाव करना होगा। केवल टेक्नोलॉजी की बातें करते रहने से ऑडियंस बोर हो जाएगी। AI आधारित टूल्स, QR इंटीग्रेशन और CTV जैसे इंटरैक्टिव टूल्स से जुड़ाव और वैल्यू दोनों मिलती है।"
एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप 6 अगस्त को बेंगलुरु में विशेष e4m-CNN कस्टम राउंडटेबल का आयोजन करने जा रहा है।
एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप 6 अगस्त को बेंगलुरु में विशेष e4m-CNN कस्टम राउंडटेबल का आयोजन करने जा रहा है। यह हाई-प्रोफाइल इवेंट ब्रैंडिंग की बदलती दुनिया पर गहन विमर्श के लिए कई दिग्गज लीडर्स, अनुभवी प्रोफेशनल्स और इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स को एक मंच पर लाएगा। नेटवर्किंग और ज्ञान-साझा करने के इस मंच से मार्केट की तेजी से बदलती परिस्थितियों में ब्रैंड और मार्केटिंग लीडर्स को व्यावहारिक रणनीतियों की दिशा मिलेगी।
इस बार राउंडटेबल की थीम है — ‘Shaping Brand Identity: The Evolution and Future of Purpose-Driven Branding’, यानी ब्रैंड की पहचान गढ़ना: उद्देश्य-प्रेरित ब्रैंडिंग का विकास और भविष्य।
प्रतिस्पर्धी व मूल्य-केंद्रित उपभोक्ता मार्केट में उद्देश्यशील ब्रैंडिंग तेजी से ऐसी कंपनियों की पहचान बन रही है जो सिर्फ मुनाफा नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और वास्तविकता के साथ आगे बढ़ना चाहती हैं। यह राउंडटेबल उस दिशा पर रोशनी डालेगा, जिसमें ब्रैंड्स अपने बिजनेस मॉडल के केंद्र में उद्देश्य को रखकर अपनी पहचान को दोबारा परिभाषित कर रहे हैं।
एक्सपर्ट्स की पैनल चर्चा में यह समझने की कोशिश की जाएगी कि ब्रैंड किस तरह पारंपरिक मार्केटिंग से आगे जाकर, उपभोक्ताओं से जुड़ने के लिए अर्थपूर्ण मूल्यों और कारणों को अपनाकर दीर्घकालिक संबंध बना सकते हैं।
चर्चा के मुख्य बिंदु होंगे:
ब्रैंड वैल्यू, डिफरेंशिएशन और लॉन्ग-टर्म रिलिवेंस में पर्पज की भूमिका
उपभोक्ताओं के विश्वास और निष्ठा को कायम रखने के लिए पारदर्शी संवाद और मूल्य-आधारित एक्शन का महत्त्व
यह आंकलन करने के लिए कौन से फ्रेमवर्क और मीट्रिक्स उपयोगी हैं कि पर्पज किसी ब्रैंड की पहचान, उपभोक्ता निष्ठा और व्यवसायिक परिणामों को किस हद तक प्रभावित कर रहा है
स्पीकर्स की लिस्ट में शामिल हैं:
रितेश कपूर, वाइस प्रेजिडेंट, मार्केटिंग व कम्युनिकेशंस, Accenture
अपूर्वा जानी, मार्केटिंग डायरेक्टर, Intel India
कविता श्रीनिवासन, हेड ऑफ मार्केटिंग – इंजीनियरिंग और R&D सर्विसेज, HCLTech
सौम्यजीत डे, ग्लोबल हेड – डिजिटल कैंपेन डिलीवरी और AI फॉर मार्केटिंग लीड, Thoughtworks
प्रशोब रवि, AVP और हेड – ब्रैंड एंड कम्युनिकेशंस, Zensar Technologies
लक्ष्मी हरिकुमार, डायरेक्टर ऑफ प्रोडक्ट मार्केटिंग (पूर्व – Freshworks, LinkedIn, EdgeVerve-Infosys)
विवेक साह, चीफ मार्केटिंग ऑफिसर, Syngene International Limited
अनुश्री तापुरिया, ग्लोबल लीड – डिजिटल एडवर्टाइजिंग, Thoughtworks
सैयद मेहर ताज, डायरेक्टर – ब्रैंड, मार्केटिंग एंड कम्युनिकेशंस, EY
मौलश्री शर्मा, असिस्टेंट वाइस प्रेजिडेंट मार्केटिंग, Zycus
सौरभ त्यागी, ग्रुप मैनेजर – मीडिया और PR, Titan Company Limited
विशाल निकोलस, EVP और हेड – स्ट्रैटेजी एंड सॉल्यूशंस, Dentsu (मॉडरेटर)
ऋषि राय, अकाउंट डायरेक्टर, CNN इंटरनेशनल कमर्शियल (को-मॉडरेटर)
कार्तिकेय शर्मा ने नई दिल्ली में आयोजित e4m Revenue Leaders Conference 2025 में मुख्य अतिथि के रूप में एक प्रेरणादायक संबोधन दिया।
कार्तिकेय शर्मा ने नई दिल्ली में आयोजित e4m Revenue Leaders Conference 2025 में मुख्य अतिथि के रूप में एक प्रेरणादायक संबोधन दिया। हरियाणा से राज्यसभा सांसद और ITV मीडिया के फाउंडर के रूप में, उनके भाषण का केंद्रबिंदु कारोबार में रेवेन्यू लीडरशिप की बदलती भूमिका रही।
उन्होंने इस पहल के लिए एक्सचेंज4मीडिया की सराहना करते हुए कहा कि रेवेन्यू किसी भी उद्यम की रीढ़ होता है। कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि इंडस्ट्री में जो AI-प्रेरित क्रांति आ रही है, वह नई तरह की रेवेन्यू लीडरशिप की मांग करती है। बीते एक सदी में मीडिया में आए तेज बदलावों पर विचार करते हुए उन्होंने कहा कि आज का बदलाव एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है, जिसे AI और उभरती तकनीकों से बल मिल रहा है।
उन्होंने कहा, “आज हम एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां दुनिया वैसी नहीं रहने वाली जैसी हम जानते हैं और यह बदलाव हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा तेजी से होने वाला है। वो समय आ चुका है। यह कोई भविष्य की बात नहीं है। यह पांच या दस साल बाद नहीं, बल्कि इसी क्षण हो रहा है।”
शर्मा ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने किस तरह 'ITV Next' प्लेटफॉर्म की कल्पना की थी। उन्होंने इसके विकास की यात्रा को रेखांकित करते हुए बताया कि कैसे यह एक विचार से निकलकर एक वैश्विक मंच और कमाई करने योग्य प्लेटफॉर्म बन गया। इसमें वैश्विक लीडर्स, अंतरिक्ष यात्रियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों की भागीदारी भी शामिल रही।
अपने संबोधन के अंत में उन्होंने ‘30 अंडर 30’ और ‘40 अंडर 40’ अवॉर्ड पाने वाले युवाओं की सराहना की और उन्हें यह याद दिलाया कि यह सम्मान सिर्फ एक मुकाम नहीं, बल्कि आगे की उड़ान का प्रस्थान बिंदु है। उन्होंने कहा, “आपकी ऊंचाई आपके कौशल (aptitude) से नहीं, आपके दृष्टिकोण (attitude) से तय होगी।” इसी सकारात्मक विचार के साथ उन्होंने अपना भाषण समाप्त किया।
मार्केटिंग एजेंसी 'ट्राइब्स कम्युनिकेशन' (Tribes Communication) ने IMPACT ‘50 मोस्ट इनफ्लुएंशियल वुमन 2025’ की लिस्ट के ऑफिशियल स्पॉन्सर के रूप में साझेदारी की है।
मार्केटिंग एजेंसी 'ट्राइब्स कम्युनिकेशन' (Tribes Communication) ने IMPACT ‘50 मोस्ट इनफ्लुएंशियल वुमन 2025’ की लिस्ट के ऑफिशियल स्पॉन्सर के रूप में साझेदारी की है। यह एजेंसी लंबे समय से इस प्रतिष्ठित पहल की साझेदार रही है और मार्केटिंग, ऐडवर्टाइजिंग और मीडिया इकोसिस्टम में नेतृत्व और विविधता को सम्मान देने वाले मंचों का निरंतर समर्थन करती रही है। इस साल भी Tribes इस पहल के साथ खड़ी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका में सशक्त करने और इंडस्ट्री में सकारात्मक बदलाव लाने वाली आवाजों को और अधिक मजबूती देने के लिए प्रतिबद्ध है।
IMPACT की यह 13वीं वार्षिक सूची उन प्रभावशाली महिलाओं को रोशनी में लाएगी, जो भारत में ऐडवर्टाइजिंग, मीडिया और मार्केटिंग की दिशा और भविष्य को तय कर रही हैं।
Tribes Communication के फाउंडर गौर गुप्ता, जो 2025 के IMPACT 50 अंडर 50 इनिशिएटिव को भी संचालित कर रहे हैं, ने कहा, “मार्केटिंग, ऐडवर्टाइजिंग, कम्युनिकेशन और मीडिया की दुनिया में आज सौभाग्य से बड़ी संख्या में महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं और यही महिलाएं इस इंडस्ट्री की रीढ़ हैं। खुद Tribes में भी हमने महिला लीडर्स को बढ़ावा दिया है और उन्हें सशक्त किया है।”
उन्होंने आगे कहा, “IMPACT टॉप 50 वुमन के साथ हमारी साझेदारी का उद्देश्य इंडस्ट्री में और अधिक महिला लीडर्स को आगे लाने का है। IMPACT 50 अंडर 50 के जरिए हम महिला आइकॉन्स को मंच देते हैं ताकि वे अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन सकें।”
गुप्ता ने इस मौके पर IMPACT मैगजीन की भूमिका की भी सराहना की और कहा, “e4m समूह के 25वें वर्ष और IMPACT के 22वें साल में यह पत्रिका इंडस्ट्री के लिए एक प्रेरणादायक संपादकीय प्रोडक्ट बन चुकी है। यह एकमात्र साप्ताहिक है, जिसका हर कोई इंतजार करता है और इसका हर अंक इंडस्ट्री में उम्मीद और आकांक्षा का प्रतीक है।”
IMPACT अब अपने 22वें साल में प्रवेश कर चुका है और इंंडस्ट्री की आवाज के रूप में इसकी भूमिका लगातार और भी अहम होती जा रही है। वहीं एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप अपने 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। ऐसे में इस साल की ‘IMPACT 50 मोस्ट इनफ्लुएंशियल वुमन’ सूची एक मील का पत्थर साबित होगी, जो प्रतिभा, नेतृत्व और प्रगतिशील सोच का उत्सव है।
एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप के फाउंडर व IMPACT के एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा, “IMPACT टॉप 50 वुमन इंडस्ट्री की महिला लीडर्स के लिए सबसे प्रतिष्ठित और प्रेरणास्पद सूची है। यह चयन पूरी तरह से जूरी-प्रणाली पर आधारित है, जिसकी अध्यक्षता श्री सैम बालसारा करते हैं। इस सूची में शामिल महिलाएं वास्तव में बदलाव की अग्रदूत रही हैं।”
अब जब हर संदेश की कीमत तय हो गई है, ब्रैंड्स को अपनी रणनीति दोबारा सोचनी पड़ रही है।
शांतनु डेविड, स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
जुलाई 2025 से वॉट्सऐप (WhatsApp) के 'पे-पर-मैसेज' मॉडल में बदलाव भारतीय कंपनियों के लिए किसी अलार्म से कम नहीं। अकेले भारत में 85 करोड़ से ज्यादा सक्रिय WhatsApp यूजर्स हैं और 1.5 करोड़ से अधिक बिजनेस अकाउंट्स WhatsApp Business पर मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश अब तक एक निश्चित शुल्क पर अनलिमिटेड प्रमोशनल मैसेज भेजने के आदी थे। अब जब हर संदेश की कीमत तय हो गई है, ब्रैंड्स को अपनी रणनीति दोबारा सोचनी पड़ रही है। यह बदलाव एक ऐसे समय में आया है जब कंपनियां बजट को लेकर पहले से दबाव में हैं- या कहें, यह बिल्कुल सही वक्त पर आया है, यदि आप इसे रचनात्मक रूप से अपनाएं।
नए शुल्क के अनुसार:
हर मार्केटिंग टेम्पलेट की कीमत ₹0.78 होगी।
यूटिलिटी और ऑथेंटिकेशन मैसेज ₹0.11 प्रति मैसेज।
जो कंपनियां हर महीने 30 करोड़ से ज्यादा यूटिलिटी मैसेज भेजती हैं, उनके लिए यह दर घटकर ₹0.08 हो सकती है।
ग्राहक द्वारा शुरू की गई चैट के लिए 24 घंटे की फ्री विंडो बरकरार है, साथ ही Click-to-WhatsApp विज्ञापनों के जरिए शुरू हुई चैट के लिए 72 घंटे की विंडो भी वैसी ही बनी रहेगी। सरल शब्दों में कहें तो जब कोई ग्राहक खुद से किसी ब्रैंड को WhatsApp पर मैसेज करता है, तो ब्रैंड को 24 घंटे तक मुफ्त में उस ग्राहक से बात करने की अनुमति होती है और यदि कोई ग्राहक किसी Click-to-WhatsApp विज्ञापन (ऐसा ऐड जिस पर क्लिक करके सीधे WhatsApp चैट खुलती है) से ब्रांड को मैसेज करता है, तो ब्रैंड को 72 घंटे तक उस ग्राहक से मुफ्त बातचीत की अनुमति रहती है।
लेकिन अब वो दौर खत्म हो गया जब बातचीत अनलिमिटेड और मुफ्त समझी जाती थी। अब हर टेम्पलेट की कीमत है।
बड़ा झटका: अब बल्क मैसेजिंग सस्ती नहीं रही
Alpha Zegus के फाउंडर रोहित अग्रवाल कहते हैं, “पहले बल्क मैसेज भेजना बेहद सस्ता था। अब ₹0.78 प्रति संदेश बहुत जल्दी खर्च बढ़ा देता है। कार्ट छोड़ देने की रिमाइंडर या त्योहारों पर भेजे जाने वाले सामान्य मैसेज अब बजट पर असर डालेंगे। इससे ब्रैंड्स को सोचना होगा कि क्या ये मैसेज वाकई इस कीमत के लायक है?”
बदलते बिजनेस ट्रेंड में आया यह बड़ा मोड़
Deloitte-IMAI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बिजनेस मैसेजिंग का बाजार 2024 में $810 मिलियन से बढ़कर 2025 में $1.1 बिलियन पार कर जाएगा। WhatsApp अब सिर्फ ब्रैंड प्रमोशन का जरिया नहीं रह गया है। यह मेट्रो टिकटिंग, ग्राहक सेवा, अपॉइंटमेंट बुकिंग और सरकारी घोषणाओं तक का मुख्य चैनल बन गया है। अब यह केवल सोशल ऐप नहीं, बल्कि इन्फ्रास्ट्रक्चर है। और इन्फ्रास्ट्रक्चर मुफ्त नहीं होता।
हर मैसेज की कीमत है, तो हर मैसेज मायने रखेगा
Gozoop Group के चीफ ग्रोथ ऑफिसर अमयन घडियाली साफ शब्दों में कहते हैं, “पे-पर-मैसेज मॉडल गेम को पूरी तरह बदल देता है। अगर हर इंटरैक्शन का पैसा देना है, तो हर इंटरैक्शन असरदार होना चाहिए। अब मैसेजिंग केवल CRM टीम का काम नहीं रह गया, ब्रैंड, क्रिएटिव और टेक तीनों को साथ बैठना होगा।”
एक FMCG कंपनी के ब्रैंड मैनेजर कहते हैं, “पहले हम WhatsApp को सिर्फ ब्रॉडकास्ट टूल की तरह इस्तेमाल करते थे, अब हर मैसेज को उसकी लागत का औचित्य साबित करना होता है। हमने त्योहारों पर भेजे जाने वाले ब्लास्ट मैसेज कम कर दिए हैं और अब उपभोग चक्रों के हिसाब से क्षेत्रीय स्तर पर मैसेज भेजते हैं। अब बात पहुंच से ज्यादा तालमेल की है।”
'ज्यादा नहीं, बेहतर' की ओर बदलाव
अमयन घडियाली मानते हैं कि यह बदलाव क्वॉलिटी फोकस को बढ़ावा देगा। ब्रैंड अब स्पैमिंग की बजाय माइक्रो-जर्नी तैयार करेंगे—Click-to-WhatsApp एड्स, समयबद्ध यूटिलिटी टेम्पलेट्स, रिमाइंडर और पर्सनल कंटेंट का मेल। “आप इंप्रेशन नहीं खरीद रहे, आप इरादा (intent) खरीद रहे हैं। यानी हर मैसेज या तो मदद करे या खुशी दे।”
छोटे ब्रैंड्स के लिए मुश्किल, बड़े ब्रैंड्स के लिए मौका?
Mobupps के सीईओ यारोन टॉमचिन कहते हैं, “जिन ब्रैंड्स के पास मजबूत फर्स्ट-पार्टी डेटा और MarTech सेटअप है, वे जल्दी ढल जाएंगे। लेकिन मिड-लेवल और छोटे D2C ब्रैंड्स को दिक्कत हो सकती है। उनके लिए तो WhatsApp की सस्ती दरें ही USP थीं। अगर ROI स्पष्ट नहीं हुआ, तो वे SMS, ईमेल या RCS की ओर वापस लौट सकते हैं।”
वह एक और चुनौती की ओर इशारा करते हैं- एट्रिब्यूशन। “WhatsApp बेहतर मेजरमेंट का दावा करता है, लेकिन यह एक वॉल्ड गार्डन है। अगर आप मल्टी-प्लेटफॉर्म कैंपेन चला रहे हैं, तो ₹0.78 के एक WhatsApp मैसेज का असर Meta एड या ईमेल फनल के साथ जोड़ना आसान नहीं।”
Meta का फोकस भारत पर
Meta ने WhatsApp के मोनेटाइजेशन में लगातार निवेश जारी रखा है। 2025 की पहली छमाही में इसके बिजनेस मैसेजिंग रेवेन्यू ने $1.6 बिलियन का आंकड़ा पार कर लिया है, जिसमें भारत सबसे तेजी से बढ़ता बाजार है। eMarketer की जून 2025 रिपोर्ट बताती है कि भारतीय ग्राहक WhatsApp मैसेज मिलने के बाद 3.5 गुना ज्यादा संभावना रखते हैं खरीदारी पूरी करने की, बनिस्बत ईमेल के।
फैशन हो या फूड, अब सब कुछ है टाइमिंग
एक देसी फैशन ब्रैंड के डिजिटल हेड कहते हैं, “अगर कोई नया प्रोडक्ट WhatsApp के पहले मैसेज में कन्वर्ट नहीं हुआ, तो दोबारा मौका या बजट नहीं मिलता। अब हम WhatsApp कैंपेन को इन्वेंटरी मूवमेंट के हिसाब से री-अलाइन कर रहे हैं, सिर्फ मार्केटिंग कैलेंडर से नहीं।”
AI से होगा व्यक्तिगत अनुभव संभव
रोहित अग्रवाल कहते हैं, “अब हर मैसेज रोबोटिक नहीं लगना चाहिए। मैं क्लाइंट्स को सलाह दे रहा हूं कि AI से टेम्पलेट को डायनामिक बनाएं- पहला नाम, आखिरी देखा गया प्रोडक्ट, दिन का समय सब कुछ। ताकि मैसेज एक बिल्कुल नॉर्मल लगे, डांट की तरह नहीं।”
टॉमचिन बताते हैं कि ब्रैंड अब 72 घंटे की मुफ्त विंडो में लॉयल्टी प्रोग्राम, शॉपेबल मैसेजेस और गेमिफाइड ऑफर्स की टेस्टिंग कर रहे हैं। “ये विंडो अब गोल्ड है। स्मार्ट मार्केटर्स ऐसी कैंपेन डिजाइन कर रहे हैं जो पहले टैप को ट्रिगर करें। उसके बाद अपसेल, रिटेंशन, रेफरल—सब कुछ फ्री में हो सकता है अगर सही प्लानिंग हो।”
बजट, भाषा और बॉट्स- भारत में मैसेजिंग की जटिलता
LS Digital में Biddable Performance के वाइस प्रेजिडेंट निखिल खत्री मानते हैं कि यह बदलाव ब्रैंड्स को ज्यादा अनुशासित प्लानिंग की ओर ले जाएगा। “अब हर कंटेंट को ज्यादा गहराई से आंकने की जरूरत होगी। ब्रैंड्स को अब अपने मैसेजिंग मिक्स को नए सिरे से परखना होगा।”
वह कहते हैं, “हर ब्रैंड की रणनीति अलग होगी। यह इस पर निर्भर करता है कि वे क्या हासिल करना चाहते हैं और उनके ग्राहक किस तरह रिस्पॉन्ड करते हैं।”
लेकिन भारत की विविधता इस प्रक्रिया को चुनौतीपूर्ण बनाती है- भाषाओं की विविधता, साक्षरता स्तर में अंतर और डेटा कनेक्टिविटी की असमानता। नतीजतन, वॉइस मैसेज, लोकल वीडियो और हाइब्रिड चैटबॉट्स जैसे उपाय सामने आ रहे हैं।
“हिंदी या तमिल में Voice AI का असर जबरदस्त है”, घडियाली कहते हैं। “हमने देखा है कि टियर-2 शहरों में कैश ऑन डिलीवरी कन्फर्मेशन या डिलीवरी ट्रैकिंग के लिए वॉइस नज की सफलता दर काफी अच्छी रही है।”
अंततः, WhatsApp अब एक प्रीमियम चैनल है और इसे उसी गंभीरता से लेना होगा। जो ब्रैंड नए लागत ढांचे के हिसाब से स्मार्ट सेगमेंटेशन, संदर्भ आधारित क्रिएटिविटी और सटीक फनल डिजाइन के साथ काम करेंगे, वे इससे ज्यादा वैल्यू निकाल पाएंगे। जबकि जो पुराने तरीकों पर अटके रहेंगे, उन्हें न सिर्फ मैसेज अनदेखे मिलेंगे, बल्कि बजट भी खत्म हो सकते हैं और यूजर उन्हें ब्लॉक कर सकते हैं।
यारोन टॉमचिन की बात में सार है: “यह केवल मैसेजिंग में बदलाव नहीं है, यह पूरा बिजनेस मॉडल बदलने जैसा है। अगर WhatsApp आपकी ब्रैंड की ‘फ्रंट डोर’ है, तो उस दरवाजे को खोलने लायक कुछ होना चाहिए।”
और यदि नहीं है? तो Telegram अब भी मौजूद है।
EaseMyTrip और Optimo के को-फाउंडर प्रशांत पिट्टी को 16वें इंडियन डिजिटल मार्केटिंग अवार्ड्स (IDMA) में Person of the Year के सम्मान से नवाजा गया।
EaseMyTrip और Optimo के को-फाउंडर प्रशांत पिट्टी को 16वें इंडियन डिजिटल मार्केटिंग अवार्ड्स (IDMA) में Person of the Year के सम्मान से नवाजा गया। यह प्रतिष्ठित अवॉर्ड एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप द्वारा आयोजित समारोह में प्रदान किया गया। सम्मान प्राप्त करने के बाद पिट्टी ने अपनी 18 साल लंबी उद्यमशील यात्रा के अनुभव साझा करते हुए दर्शकों को अपने ‘मेंटल प्लेबुक’ से रूबरू कराया।
हार से सीखें, जीत से प्रेरणा लें: प्रशांत पिट्टी की सोच
अपने विचार साझा करते हुए प्रशांत पिट्टी ने बताया कि असफलताओं से सीखना जरूरी है, लेकिन असली प्रेरणा उस जीत से मिलती है जो आपकी पहचान बनाती है। उन्होंने अपनी सफलता को तीन मूल मंत्रों में समेटते हुए कहा, “पहला: जिज्ञासु बनिए, सतर्क नहीं। गलतियां कीजिए, जल्दी सीखिए, और जब मायने रखे तब जीतिए। एक जीत ही काफी है, दुनिया को आखिरी जीत ही याद रहती है।”
उन्होंने आदतों की ताकत को रेखांकित करते हुए कहा, “मैं कभी लगातार दो दिन जिम मिस नहीं करता।” पिट्टी के मुताबिक सफलता तीव्रता से नहीं, निरंतरता से मिलती है। तीसरा मंत्र: भीड़ से अलग सोचने से न डरें।
‘असहमति नहीं, विश्वास है यह विपरीत सोच’
पिट्टी ने परंपरा के विरुद्ध सोचने की महत्ता को सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि दृढ़ विश्वास बताया। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि जब उन्होंने EaseMyTrip पर मेडिकल इमरजेंसी में 100% रिफंड गारंटी की शुरुआत की, तब कई विश्लेषकों ने इसे जोखिम भरा कदम माना। लेकिन जल्द ही इस मॉडल को व्यापक स्वीकृति मिल गई और यह एक बदलावकारी पहल बन गई।
AI से बेंगलुरु ट्रैफिक को सुधारने की योजना
अपने नवीनतम प्रयास की जानकारी देते हुए पिट्टी ने बताया कि अब वह बेंगलुरु के ट्रैफिक को AI के ज़रिए बेहतर बनाने की कोशिश में जुटे हैं। इसके लिए उन्होंने गूगल के साथ साझेदारी की है, 1 करोड़ रुपये का निजी निवेश किया है और 600 से अधिक AI डेवलपर्स को वॉलंटियर के रूप में जोड़ लिया है।
उन्होंने कहा, “भारत पीछे दौड़कर नहीं जीत सकता, हमें अपनी शर्तों पर जीतना होगा।”
व्यवसाय नहीं, दृष्टिकोण बदल रहे हैं प्रशांत पिट्टी
आज पिट्टी केवल कंपनियां नहीं बना रहे हैं, बल्कि व्यवसायियों के जोखिम, कार्य और तरक्की के प्रति दृष्टिकोण को भी बदल रहे हैं। वह सुर्खियां बटोरने के लिए नहीं, बल्कि एक स्पष्ट सोच के साथ काम कर रहे हैं- “साहसी बनो, सोच समझकर निर्णय लो और परिणाम अपने आप बोलेगा।”
मुंबई में आयोजित e4m TechManch 2025 के मंच पर जब ITC के चीफ डिजिटल मार्केटिंग ऑफिसर शुभदीप बनर्जी ने बात शुरू की, तो उनके विचार और दृष्टिकोण ने पूरे ऑडिटोरियम को बांधे रखा।
मुंबई में आयोजित e4m TechManch 2025 के मंच पर जब ITC के चीफ डिजिटल मार्केटिंग ऑफिसर शुभदीप बनर्जी ने बात शुरू की, तो उनके विचार और दृष्टिकोण ने पूरे ऑडिटोरियम को बांधे रखा। उन्होंने ब्रैंड बिल्डिंग को "पर्पजफुल स्टोरीटेलिंग" यानी उद्देश्यपूर्ण कहानी कहने की प्रक्रिया से जोड़ते हुए न सिर्फ मार्केटिंग की दिशा दिखाई, बल्कि यह भी बताया कि कैसे आज के दौर में बदलते ट्रेंड्स के बीच ब्रैंड्स को खुद को नए सिरे से गढ़ना चाहिए।
शुभदीप ने अपनी बात की शुरुआत होंडुरास के उस पुल की कहानी से की जो तूफान तो झेल गया, लेकिन नदी का रास्ता ही बदल दिया। उनके मुताबिक, यही मार्केटिंग की असल चुनौती है- "हम चाहे जितना AI, GenAI या डेटा साइंस सीख लें, यदि हम नए हालात को समझ नहीं पाए, तो सब व्यर्थ है। हमें बदलाव से लड़ना नहीं, बल्कि उसकी धारा पढ़नी है।"
COVID-19 के समय ITC ने अपने ‘Sunfeast Mom’s Magic’ ब्रैंड के पैक से ब्रैंड नेम हटाकर उसकी जगह एक लाल केप पहनी मां की तस्वीर और "Stay Strong Moms" टैगलाइन दी। शुभदीप ने बताया, “उस वक्त घर की महिलाएं भावनात्मक और शारीरिक रूप से टूट रही थीं। हमने महसूस किया कि हमारा पैकेजिंग सिर्फ ब्रैंडिंग का जरिया नहीं, बल्कि सहारा भी बन सकता है।”
इस ब्रैंड ने Truecaller ट्यून की तरह रिंगटोन लॉन्च की, जो लोगों को मां की कॉल न काटने का इमोशनल संदेश देती थी। फिर एक कैंपेन में बेटियों को वसीयत में शामिल न करने की सामाजिक सोच पर चोट की। बनर्जी बोले, “हमने स्टडी की कि एक उम्र के बाद लड़के अपनी मां से गले लगाना बंद कर देते हैं, यही रिसर्च मजबूत कैंपेन का आधार बनती है।”
बनर्जी ने बताया कि भारत में सिर्फ 7% माता-पिता बेटियों को वसीयत में जगह देते हैं। इस सोच को बदलने के लिए #WillOfChange नाम का कैंपेन लॉन्च किया गया, जहां माताओं को समाज में बदलाव लाने वाली 'चेंज एजेंट' के रूप में पेश किया गया। इसके साथ ही adoption जैसे नाजुक विषय पर भविष्य के कैंपेन की झलक भी दी गई।
Ashirvaad Organic को लेकर चुनौती क्वॉलिटी की नहीं, भरोसे की थी। शुभदीप बोले, “हर ब्रैंड खुद को ऑर्गेनिक बताता है, लेकिन ग्राहक सबूत चाहते हैं।” इसके लिए ITC ने 50+ होममेकर ब्लॉगर्स को ऑर्गेनिक फार्म्स पर ले जाकर दिखाया, QR कोड दिए ताकि ग्राहक यह जान सकें कि उनका उत्पाद किस खेत से आया है। यह कैंपेन 21.5 मिलियन लोगों तक पहुंचा और 6,000 से ज्यादा किसानों को फायदा हुआ।
Gen Z विज्ञापनों से बचती है, प्राइवेसी टूल्स ऑन करती है, और पेड कंटेंट की तरफ जा रही है। शुभदीप ने Bingo! के तहत 'Let’s Boing' नामक एक नया प्लेटफॉर्म लॉन्च किया, जिसमें कॉमेडी, म्यूजिक और स्पोर्ट्स के जरिए यूथ से जुड़ने की कोशिश की गई। AI चैटबॉट्स, फनी राशिफल और मीम क्रिएटर्स जैसे एलिमेंट्स इसमें शामिल हैं।
Sunfeast ने एक नया कैंपेन लॉन्च किया है जिसमें परिवार को फिर से "मित्रता" के तौर पर जोड़ने की कोशिश की गई। इसमें पर्सनलाइज्ड पोस्टर, फैमिली ग्रुप फीचर्स और इंटरएक्टिव टेम्पलेट्स के जरिए डिजिटल को डिस्ट्रैक्शन नहीं, बल्कि कनेक्शन का जरिया बनाने पर जोर है।
शुभदीप बनर्जी ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा, “पर्पजफुल स्टोरीटेलिंग सिर्फ बड़े ब्रैंड्स का अधिकार नहीं। इसके लिए आपको लीडर नहीं, सिर्फ इंसान होना चाहिए।” उनके विचारों ने यह साबित कर दिया कि आज की दुनिया में ब्रैंड सिर्फ प्रोडक्ट नहीं बेचते, बल्कि अपनी सोच और मूल्यों से पहचान बनाते हैं।
यह सत्र सिर्फ एक मार्केटिंग प्रेजेंटेशन नहीं था, बल्कि एक सोच थी कि ब्रैंड्स यदि इंसानों की तरह सोचें, तो वे हमेशा दिल में जगह बना सकते हैं।
मार्केटिंग की जानी-मानी प्रोफेशनल व सीनियर कॉर्पोरेट लीडर दीपाली नायर ने CKA बिड़ला ग्रुप में ग्रुप चीफ मार्केटिंग ऑफिसर (CMO) के पद से इस्तीफा दे दिया है।
मार्केटिंग की जानी-मानी प्रोफेशनल व सीनियर कॉर्पोरेट लीडर दीपाली नायर ने CKA बिड़ला ग्रुप में ग्रुप चीफ मार्केटिंग ऑफिसर (CMO) के पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने वर्ष 2023 की शुरुआत में, जब कंपनी को CK बिड़ला ग्रुप के नाम से जाना जाता था, ग्रुप CMO के रूप में पदभार संभाला था। लगभग ढाई वर्षों की सफल पारी के बाद अब उन्होंने अगला कदम उठाने का फैसला किया है।
हमारी सहयोगी वेबसाइट 'एक्सचेंज4मीडिया' को इस बदलाव की पुष्टि उच्च पदस्थ सूत्रों ने की है। नायर इससे पहले IBM में भारत के डिजिटल सेल्स की डायरेक्टर और भारत व दक्षिण एशिया की CMO रह चुकी हैं, जहां उन्होंने लगभग पांच वर्षों तक अपनी सेवाएं दी थीं। उसके बाद ही उन्होंने CK बिड़ला ग्रुप में कदम रखा था।
दीपाली नायर को तीन दशकों से अधिक का अनुभव है और उन्होंने सेल्स, ई-कॉमर्स और पीएंडएल मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में कई प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने टाटा मोटर्स में सीनियर ऑफिसर के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने BPL मोबाइल कम्युनिकेशन, FCB उल्का एडवर्टाइजिंग, मैरिको और HSBC एसेट मैनेजमेंट इंडिया जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों में अहम पदों पर कार्य किया। HSBC में वह मार्केटिंग की उपाध्यक्ष और प्रमुख थीं।
इसके अलावा, उन्होंने एलएंडटी जनरल इंश्योरेंस कंपनी में ब्रैंड, कस्टमर सर्विस और ई-कॉमर्स के कंट्री हेड की जिम्मेदारी संभाली। वे महिंद्रा हॉलीडेज एंड रिजॉर्ट्स इंडिया की CMO भी रही हैं। IIFL वेल्थ ग्रुप ऑफ कंपनियों में वह CMO और CDO के पद पर रहीं और साथ ही IIFL वेल्थ फाइनेंस के बोर्ड का भी हिस्सा रहीं।
दीपाली नायर एक चर्चित पॉडकास्ट "Being CEO with Deepali Naair" की होस्ट भी हैं, जिसे इंंडस्ट्री में काफी सराहा जाता है। फिलहाल उनके अगले कदम की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इंडस्ट्री को उनके अगले अध्याय का बेसब्री से इंतजार है।
ITC लिमिटेड के चीफ डिजिटल मार्केटिंग ऑफिसर शुवदीप बनर्जी एक स्पॉटलाइट सेशन करेंगे जिसका शीर्षक है- "Purpose, Platform, and Performance: Redefining Brand Building in the Digital Decade."
एक ऐसा दौर जहां डिजिटल प्लेटफॉर्म तेजी से बदल रहे हैं, प्रदर्शन को रीयल टाइम में मापा जा रहा है और उद्देश्य ही ब्रैंड की धारणा को आकार देता है, वहां ब्रैंड बिल्डिंग की परिभाषा पूरी तरह बदल रही है। e4m TechManch 2025 में आईटीसी लिमिटेड के चीफ डिजिटल मार्केटिंग ऑफिसर शुवदीप बनर्जी इसी विषय पर एक स्पॉटलाइट सेशन करेंगे जिसका शीर्षक है- "Purpose, Platform, and Performance: Redefining Brand Building in the Digital Decade."
TechManch 2025 का आयोजन 17 जुलाई को यानी आज मुंबई में हो रहा है, जहां मार्केटिंग और टेक्नोलॉजी के दिग्गज भारत के तेजी से बदलते उपभोक्ता इकोसिस्टम में डिजिटल के भविष्य को समझने के लिए एकत्र हो रहे हैं। बनर्जी का सेशन उन ब्रैंड मार्केटर्स के लिए बेहद अहम है जो दीर्घकालिक दृष्टि और तात्कालिक प्रभाव के बीच संतुलन बनाना चाहते हैं।
भारत के सबसे विविध व्यवसायिक समूहों में से एक, आईटीसी के डिजिटल नेतृत्वकर्ता के रूप में शुवदीप बनर्जी का नजरिया स्केल, इनोवेशन और इनसाइट से प्रेरित है। उनका सेशन इस बात को गहराई से समझाएगा कि आज के दौर में ब्रैंड्स को किस तरह अपने उद्देश्य (Purpose) को प्लेटफॉर्म स्ट्रैटेजी से जोड़ते हुए, मापनीय प्रदर्शन (Performance) से जोड़ना होगा, ताकि वे न सिर्फ प्रासंगिक बने रहें, बल्कि तेजी से बदलते बाजार में टिकाऊ भी बन सकें।
इस सत्र में गहराई से चर्चा होगी:
डिजिटल-फर्स्ट युग में पर्पज-आधारित ब्रैंडिंग कैसे विकसित हो रही है
आधुनिक भारतीय उपभोक्ता से जुड़ाव में प्लेटफॉर्म-नेटिव सोच की भूमिका
परफॉर्मेंस मार्केटिंग को ब्रैंड इक्विटी से कैसे जोड़ा जाए
बिखरे हुए मीडिया परिदृश्य में डेटा, फुर्ती और कहानी कहने की कला से रास्ता निकालना
आईटीसी के डिजिटल मार्केटिंग ब्लूप्रिंट को आकार देने में बनर्जी की भूमिका उन्हें खास बनाती है, खासकर उन मार्केटर्स के लिए जो मल्टी-ब्रैंड पोर्टफोलियोज, बड़े उपभोक्ता आधार और एकीकृत डिजिटल इकोसिस्टम्स को संभालते हैं।
exchange4media द्वारा आयोजित TechManch 2025 का फोकस है भारत में मार्केटिंग के बदलते स्वरूप को समझना — जिसमें AI, MarTech, डेटा स्ट्रैटेजी, ग्राहक अनुभव और परफॉर्मेंस ऑप्टिमाइजेशन की अहम भूमिका है।
दिनभर के सत्रों की प्रमुख थीमें होंगी:
AI और ब्रैंड रेजिलिएंस
फर्स्ट-पार्टी डेटा और पर्सनलाइजेशन
ओम्नीचैनल कंज्यूमर एक्सपीरियंस
शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट के जरिए अटेंशन इकॉनमी में जीत
शुवदीप बनर्जी का स्पॉटलाइट सेशन इन विषयों से सीधा जुड़ता है और यह दिखाता है कि तकनीक, मूल्य और मापनीय परिणाम किस तरह स्थायी ब्रैंड निर्माण की धुरी बनते जा रहे हैं।
सम्मेलन के समापन पर आयोजित होगा Indian Digital Marketing Awards (IDMA) का 16वां संस्करण, जिसमें उन कैंपेंस और रचनात्मक पहलों को सम्मानित किया जाएगा, जो डिजिटल की सीमाओं को लांघते हुए नई ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं। इस वर्ष की जूरी के अध्यक्ष थे HUL के CEO और MD रोहित जावा।
InMobi और Glance द्वारा प्रस्तुत, तथा Mobavenue द्वारा गोल्ड पार्टनर के रूप में समर्थित TechManch 2025 ऐसे समय पर हो रहा है जब डिजिटल मार्केटिंग रणनीतियों को AI, ऑटोमेशन और वैल्यू-फर्स्ट अप्रोच के साथ नए सिरे से परिभाषित किया जा रहा है।
एक ऐसे डिजिटल दशक में जहां ब्रैंड का अर्थ उसके मार्केट शेयर जितना ही महत्वपूर्ण हो गया है, शुवदीप बनर्जी का सत्र यह बताएगा कि कैसे उद्देश्य और दक्षता- दोनों को साथ लेकर एक मजबूत ब्रैंड की राह बनाई जा सकती है।
एजुकेशन कंपनी PhysicsWallah (PW) ने सतीश शर्मा को अपना नया चीफ मार्केटिंग ऑफिसर (CMO) नियुक्त करने की घोषणा की है।
एजुकेशन कंपनी PhysicsWallah (PW) ने सतीश शर्मा को अपना नया चीफ मार्केटिंग ऑफिसर (CMO) नियुक्त करने की घोषणा की है। इस नई भूमिका में सतीश कंपनी की ब्रैंड और मार्केटिंग रणनीति को आकार देने और उसे लागू करने की ज़िम्मेदारी संभालेंगे, खासकर ऐसे समय में जब PW लगातार अपने विस्तार और विकास की दिशा में आगे बढ़ रही है।
सतीश शर्मा को उद्यमिता, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, मार्केटिंग लीडरशिप और रणनीतिक विकास के क्षेत्रों में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव है। हाल ही में उन्होंने Unyscape नामक एक मार्केटिंग और एनालिटिक्स कंपनी की सह-स्थापना की थी, जो वैश्विक ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करती है। वहां उन्होंने COO और CMO दोनों भूमिकाएं निभाईं, और अलग-अलग सेक्टर्स व ग्लोबल मार्केट्स में ब्रैंडिंग, परफॉर्मेंस और कम्युनिकेशन स्ट्रेटेजी का नेतृत्व किया।
IIT वाराणसी से स्नातक सतीश शर्मा ने अपने करियर की शुरुआत IBM और टाटा स्टील जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ की थी, जहां उन्होंने बड़े पैमाने की टेक्नोलॉजी और ऑपरेशनल पहलों में योगदान दिया।
PW की कोशिश शिक्षा को लोकतांत्रिक और हर किसी की पहुंच में लाने की है। इस मिशन में सतीश का उद्यमशील दृष्टिकोण और इनसाइट-आधारित स्केलेबल मार्केटिंग इकोसिस्टम का अनुभव ब्रैंड को और मज़बूत बनाएगा और मापनीय परिणामों की दिशा में कंपनी की कोशिशों को गति देगा।
PhysicsWallah में अपने नए पद को लेकर सतीश शर्मा ने कहा, “PhysicsWallah जैसे ब्रैंड से जुड़ना मेरे लिए गर्व की बात है, खासकर ऐसे समय में जब यह कंपनी एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। इसकी कोशिश- उन लोगों के लिए शिक्षा को सुलभ बनाना जो वास्तव में सीखना चाहते हैं, मेरे लिए बेहद प्रेरणादायक है। मैं टीम के अब तक के प्रयासों को और आगे ले जाने और प्रभाव को प्रामाणिकता और सहानुभूति के साथ बढ़ाने की कोशिश करूंगा।”
PhysicsWallah के फाउंडर और CEO आलख पांडे ने इस नियुक्ति पर कहा, “सतीश एक ऐसा दुर्लभ संयोजन लेकर आते हैं जिसमें रणनीतिक स्पष्टता और परिचालन दक्षता दोनों शामिल हैं। जैसे-जैसे हम अपनी यात्रा के अगले चरण में प्रवेश करने जा रहे हैं, उनके अनुभव से हमें एक ऐसा ब्रैंड बनाने में मदद मिलेगी जो अलग हो, टिकाऊ हो, और जिसे विद्यार्थी भरोसे और प्यार के साथ अपनाएं।”
PhysicsWallah की सेवाएं टेस्ट प्रेपरेशन, स्किलिंग वर्टिकल, हायर एजुकेशन और एजुकेशन एब्रॉड जैसे विभिन्न शैक्षिक क्षेत्रों में फैली हुई हैं।