'अखबार आज पाठक की जरूरत नहीं बल्कि आदत की वजह से खरीदा जाता है’

समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। आज हिंदी का ह्रास और पत्रकारिता का अवमूल्यन हो रहा है। अखबार आज पाठक की जरूरत नहीं बल्कि आदत की वजह से खरीदा जाता है। ये बात हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए जाने-माने टिप्पणीकार, पद्मश्री प्रोफेसर पुष्पेश पंत ने कही। संगोष्ठी में मुख्य वक

Last Modified:
Wednesday, 01 June, 2016
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। आज हिंदी का ह्रास और पत्रकारिता का अवमूल्यन हो रहा है। अखबार आज पाठक की जरूरत नहीं बल्कि आदत की वजह से खरीदा जाता है। ये बात हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में बोलते हुए जाने-माने टिप्पणीकार, पद्मश्री प्रोफेसर पुष्पेश पंत ने कही। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर पुष्पेश पंत ने कहा कि वर्तमान में मीडिया की विश्वसनीयता घट रही है, जो कि चिन्तनीय है। यह लड़ाई अकेले पत्रकार की नही है बल्कि इसके लिए पूरे समाज को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि हिंदी अखबारों में धीरे-धीरे पाठ्य सामग्री भी कम हो रही है, इससे हिंदी पत्रकारिता को नुकसान हो रहा है। प्रो.पंत ने हिंदी अखबारों में अंग्रेजी के लेखकों के अनुदित कॉलम पर भी सवाल उठाए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर नागेश्वर राव ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता को पाठकों को भी ध्यान में रखकर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो समाचार पत्र पाठकों के अनुरूप नही ढल पाए वह सफल नही हो सके, इसलिए समाचार पत्र को पाठकों के अनुरूप चलना चाहिए। प्रो. राव ने कहा कि दूरस्थ्य शिक्षा ने हिंदी पत्रकारिता को आगे बढ़ाने में काफी सहयोग दिया है। दूरस्थ्य शिक्षा कम पैसे में बेहतर शिक्षा देने का प्रयास कर रही है। पत्रकारिता विभाग के निदेशक प्रो. गोविन्द सिंह ने हिंदी पत्रकारिता दिवस के महत्व के बारे बताया। उन्होंने कहा कि आज समाचार पत्रों का विस्तार तो हो रहा है, लेकिन उस विस्तार को संभाल पाने की हमारी तैयारी नही है। साथ ही चुनौतिया भी कहीं अधिक बढ़ी हैं और व्यावसायीकरण हावी हो गया है। कार्यक्रम में ‘हिन्दुस्तान’ अखबार के स्थानीय संपादक योगेश राणा ने कहा कि आज हिंदी भाषी राज्यों में पत्रकारों पर हमले की घटनाएं बढ़ रही है, जो कि चिन्ताजनक है। उन्होंने कहा कि अखबारों का स्वरूप बदल रहा है अखबार से साहित्य संस्कृति खत्म हो रही है। हमें न्यू मीडिया के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए। संगोष्ठी के दौरान ‘अमर उजाला’ के संपादक अनूप वाजपेयी ने कहा कि इस दिवस को उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। नई चुनौतियों के साथ नया एजेंडा तय करना चाहिए। उन्होंने कहा पत्रकारिता एक कठिन विधा है इसमें पककर जो तैयार होते है, वह ही सफल पत्रकार बन पाते है। वहीं ‘आधारशिला’ पत्रिका के संपादक दिवाकर भट्ट ने कहा कि आज की पत्रकारिता की व्यवसायिक चुनौतियां है, हमें लोगों का विश्वास कायम रखना है तो निष्पक्ष पत्रकारिता करनी होगी। कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में अध्यापक और पत्रकारगण मौजूद थे।   समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं।
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