यह निर्णय अखबार के मालिक पैट्रिक सून-शियोंग के आगामी चुनावों में किसी भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का समर्थन न करने के विवादास्पद फैसले के बाद सामने आया।
'लॉस एंजेलिस टाइम्स' की एडिटोरियल एडिटर (संपादकीय पेज संपादक) मारियल गार्जा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह निर्णय अखबार के मालिक पैट्रिक सून-शियोंग के आगामी चुनावों में किसी भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का समर्थन न करने के विवादास्पद फैसले के बाद सामने आया। इस फैसले की आलोचना न सिर्फ अखबार के कर्मचारियों, बल्कि पाठकों ने भी की है।
यह जानकारी पत्रकारिता पेशे से जुड़े एक प्रकाशन ने बुधवार को दी। ‘कोलंबिया जर्नलिज्म रिव्यू’ के साथ एक इंटरव्यू में मारियल गार्जा ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि लॉस एंजिल्स टाइम्स ने संकट के समय में इस मुकाबले पर चुप रहने का फैसला किया।
मारियल गार्जा ने कहा, "मैं इस्तीफा दे रही हूं क्योंकि मैं यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि मैं चुप रहने के पक्ष में नहीं हूं। खतरनाक समय में, ईमानदार लोगों को खड़े होने की जरूरत है। मैं इसलिए खड़ी हूं।’’
'लॉस एंजिल्स टाइम्स' के मालिक पैट्रिक सून-शियॉन्ग ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि बोर्ड को हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में उनके कार्यकाल के दौरान की नीतियों का तथ्यात्मक विश्लेषण करने के लिए कहा गया था। इसके अतिरिक्त, ‘‘बोर्ड से प्रचार अभियान के दौरान उम्मीदवारों द्वारा घोषित नीतियों और योजनाओं तथा अगले चार वर्षों में राष्ट्र पर इसके संभावित प्रभाव के बारे में अपने विचार साझा करने के लिए कहा गया था। इस स्पष्ट और गैर-पक्षपातपूर्ण जानकारी के साथ, हमारे पाठक यह तय कर सकते हैं कि अगले चार वर्षों के लिए राष्ट्रपति बनने के योग्य कौन होगा।’’ वर्ष 2018 में अखबार खरीदने वाले सून-शियॉन्ग ने कहा कि बोर्ड ने ‘‘कोई टिप्पणी नहीं करने का फैसला किया और मैंने उनके फैसले को स्वीकार कर लिया।’’
आंतरिक प्रतिक्रिया
वहीं न्यूजवेबसाइट TheWrap को मिले आंतरिक दस्तावेजों के अनुसार, कर्मचारियों ने गार्जा के इस्तीफे को लेकर गहरी चिंता जताई। एक कर्मचारी ने Slack पर कहा कि 'लॉस एंजिल्स टाइम्स' ने राजनीतिक समर्थन देने की अपनी जिम्मेदारी छोड़ दी है, जो अखबार की परंपरा रही है। एक अन्य कर्मचारी ने बताया कि संपादकीय बोर्ड स्वतंत्र है, लेकिन सार्वजनिक रूप से अखबार का प्रतिनिधित्व रिपोर्टर ही करते हैं, जो इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं।
खबरों के अनुसार, संपादकीय बोर्ड कमला हैरिस का समर्थन करने की योजना बना रहा था, जो कि अखबार के लंबे समय से डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों को समर्थन देने की परंपरा का हिस्सा रहा है। 2008 में बराक ओबामा के चुनाव अभियान के बाद से एलए टाइम्स ने हर चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार का समर्थन किया है। लेकिन इस बार डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस का समर्थन न करने का निर्णय अखबार के रुख में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है।
पाठकों की प्रतिक्रिया और सदस्यता रद्द करने की चिंताएं
कई पाठकों ने सोशल मीडिया पर इस फैसले पर नाराजगी जताई और कुछ ने अपनी सदस्यता रद्द करने की धमकी दी। कुछ पाठक इस कदम को "अस्वीकार्य" मान रहे हैं और इसके चलते अखबार से दूर जा रहे हैं। TheWrap की रिपोर्ट के मुताबिक, एक कर्मचारी ने पूछा, "इस गैर-समर्थन के कारण कितने पाठकों ने अपनी सदस्यता रद्द की है?"
कर्मचारी भी इस फैसले के दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं, यह मानते हुए कि इसके आर्थिक परिणाम सबसे ज्यादा उन पर ही पड़ेंगे। कुछ कर्मचारियों ने अनुमान लगाया कि सून-शियोंग के फैसले का उद्देश्य व्यावसायिक हितों से जुड़ा हो सकता है, जो एलए टाइम्स से परे हैं।
कंपनी पर प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
गार्जा के इस्तीफे ने 'लॉस एंजेलिस टाइम्स' के भविष्य और उसकी संपादकीय स्वतंत्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। चुनावी समर्थन न करने का निर्णय अखबार की प्रतिष्ठा को खतरे में डालता है, क्योंकि राजनीतिक समर्थन पत्रकारिता के नैतिक सिद्धांतों का एक प्रमुख हिस्सा माना जाता है। TheWrap के अनुसार, उद्योग विश्लेषक इस ऐतिहासिक निर्णय के प्रभावों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
यह स्थिति पत्रकारिता में व्यापक प्रवृत्तियों की ओर इशारा करती है, जहां संपादकीय सामग्री पर मालिकों के दबाव का असर बढ़ता जा रहा है। जैसे-जैसे मीडिया संस्थान दर्शकों और प्रायोजकों की मांगों से जूझ रहे हैं, व्यावसायिक हित और पत्रकारिता की नैतिकता के बीच की रेखा धुंधली होती जा रही है।
'लॉस एंजिल्स टाइम्स' के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है, और यह देखना बाकी है कि यह फैसला अखबार के पाठकों, कर्मचारियों और भविष्य की दिशा को कैसे प्रभावित करेगा।
इससे पहले, डिमिट्री कॉन्टोपिडिस ने YouTube में 9 से अधिक वर्षों तक काम किया। उन्होंने वहां अंतिम रूप से सीनियर प्रिंसिपल, स्ट्रेटेजी की भूमिका निभाई थी।
दिमित्री कॉन्टोपिडिस (Dimitri Kontopidis) वॉल्ट डिज्नी कंपनी में डिज्नी एंटरटेनमेंट व ईएसपीएन में टेक्नोलॉजी स्ट्रेटेजी व ऑपरेशंस के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में शामिल हो गए हैं। उन्होंने लिंक्डइन पर अपनी नई भूमिका की घोषणा की है।
कॉन्टोपिडिस ने कहा कि वह एडम स्मिथ के साथ साझेदारी करने के लिए उत्साहित हैं, क्योंकि वे डिज्नी की विश्वस्तरीय कहानी कहने की कला को बेहतरीन प्रोडक्ट्स के साथ जोड़कर दुनियाभर के यूजर्स को खुशी प्रदान करने की योजना बना रहे हैं।
उन्होंने अपनी लिंक्डइन पोस्ट में लिखा, "मुझे यह साझा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि 9 वर्षों तक YouTube/Google में काम करने के बाद, मैं वॉल्ट डिज्नी कंपनी में डिज्नी एंटरटेनमेंट व ईएसपीएन में टेक्नोलॉजी स्ट्रेटेजी व ऑपरेशंस के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में शामिल हुआ हूं।"
इससे पहले, डिमिट्री कॉन्टोपिडिस ने YouTube में 9 से अधिक वर्षों तक काम किया। उन्होंने वहां अंतिम रूप से सीनियर प्रिंसिपल, स्ट्रेटेजी की भूमिका निभाई थी।
डिमिट्री को YouTube और PwC / Strategy& में स्ट्रेटेजी, फाइनेंस और ऑपरेशंस से जुड़े विभिन्न भूमिकाओं में 10 से अधिक वर्षों का अनुभव है। वह वर्तमान में YouTube के स्ट्रेटेजी, एनालिटिक्स और फाइनेंस ग्रुप (SAF) के प्रिंसिपल थे, जो सीधे अल्फाबेट के सीएफओ को रिपोर्ट करता है।
इससे पहले, लीसा फॉक्स कॉरपोरेशन में एक्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट, बिजनेस एंड लीगल अफेयर्स और एसोसिएट जनरल काउंसल के रूप में कार्यरत थीं।
लीसा रिचर्डसन को YouTube में डायरेक्टर, हेड ऑफ स्टूडियो व स्पोर्ट्स पार्टनरशिप डील्स के रूप में नियुक्त किया गया है। YouTube की स्पोर्ट्स व स्टूडियो पार्टनरशिप की हेड जेन चुन ने लिंक्डइन पोस्ट के माध्यम से लीसा की नियुक्ति की घोषणा की।
चुन ने अपनी लिंक्डइन पोस्ट में लिखा, "मैं यह साझा करते हुए उत्साहित हूं कि लीसा रिचर्डसन हमारे YouTube टीम में डायरेक्टर, हेड ऑफ स्टूडियो व स्पोर्ट्स पार्टनरशिप डील्स के रूप में शामिल हुई हैं। उनके व्यापक अनुभव और शानदार ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, मुझे यकीन है कि लीसा हमारी टीम के लिए एक बेहतरीन योगदानकर्ता साबित होंगी। स्वागत है, लीसा!"
इससे पहले, लीसा फॉक्स कॉरपोरेशन में एक्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट, बिजनेस एंड लीगल अफेयर्स और एसोसिएट जनरल काउंसल के रूप में कार्यरत थीं।
लीसा एक अनुभवी कार्यकारी और रणनीतिक सलाहकार हैं, जिन्हें मीडिया डिस्ट्रीब्यूशन के क्षेत्र में 20 से अधिक वर्षों का अनुभव है। वे जटिल और उच्च-स्तरीय सौदों को सफलतापूर्वक संपन्न करने में निपुण हैं और एक प्रभावी टीम लीडर के रूप में जानी जाती हैं, जिन्होंने कुशल टीमों का निर्माण, प्रबंधन और विकास किया है।
अपने पिछले कार्यकाल में, लीसा फॉक्स कॉरपोरेशन और जेमस्टार-टीवी गाइड सहित अन्य कंपनियों के साथ काम कर चुकी हैं।
मोबाइल को पीछे छोड़ते हुए टीवी अब अमेरिका में यूट्यूब देखने के लिए प्राथमिक डिवाइस बन गया है। यह जानकारी यूट्यूब के सीईओ नील मोहन ने अपने ब्लॉग पोस्ट में दी।
मोबाइल को पीछे छोड़ते हुए टीवी अब अमेरिका में यूट्यूब देखने के लिए प्राथमिक डिवाइस बन गया है। यह जानकारी यूट्यूब के सीईओ नील मोहन ने अपने ब्लॉग पोस्ट में दी। इस पोस्ट में उन्होंने 2025 के लिए यूट्यूब के चार बड़े लक्ष्यों के बारे में बताया।
2025 में यूट्यूब अपनी 20वीं वर्षगांठ मनाएगा। नील मोहन ने इस मौके पर वीडियो के जरिए सांस्कृतिक बदलाव और क्रिएटर इकोनॉमी के विकास पर चर्चा की। उन्होंने प्लेटफॉर्म को विकसित करने वाले समुदाय का आभार व्यक्त करते हुए इसके भविष्य को लेकर आशा व्यक्त की। उन्होंने यूट्यूब के चार मुख्य फोकस क्षेत्रों को रेखांकित किया—यूट्यूब को सांस्कृतिक केंद्र के रूप में मजबूत करना, स्टार्टअप मानसिकता के साथ क्रिएटर इकोनॉमी को बढ़ावा देना, टीवी अनुभव को बेहतर बनाना और एआई-संचालित टूल्स में निवेश करना।
उन्होंने कहा, "यूट्यूब सिर्फ एक प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि संस्कृति का केंद्र है और हम एक ऐसा जीवंत समुदाय विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जहां हर किसी की आवाज सुनी जा सके।" यह बयान उन्होंने यूट्यूब के पहले मुख्य स्तंभ को रेखांकित करते हुए दिया।
हॉलीवुड में स्टार्टअप मानसिकता लाने वाले क्रिएटर्स की सराहना करते हुए, मोहन ने कहा कि यूट्यूब इस दिशा में पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, "प्लेटफॉर्म क्रिएटर्स को उनके स्थान पर ही आवश्यक टूल्स और फीचर्स उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे अपने बिजनेस और समुदाय को आगे बढ़ा सकें।"
उन्होंने आगे कहा, "हम उनके विकास को पारंपरिक राजस्व स्रोतों, जैसे विज्ञापनों और यूट्यूब प्रीमियम के माध्यम से समर्थन देना जारी रखेंगे, साथ ही ब्रैंड्स के साथ साझेदारी करने के नए तरीके भी पेश करेंगे, ताकि वे अपने उत्पादों को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकें।"
मोहन ने यह भी बताया कि यूट्यूब का कनेक्टेड टीवी पर बढ़ता उपयोग नए विज्ञापनदाताओं को आकर्षित कर रहा है। उन्होंने यह वादा किया कि यूट्यूब बड़े स्क्रीन के लिए खास तौर पर उपयुक्त नए विज्ञापन फॉर्मेट पेश करेगा, जिनमें क्यूआर कोड और पॉज़ ऐड्स शामिल होंगे।
मोहन ने कहा, "हमारी सब्सक्रिप्शन सेवाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं: यूट्यूब टीवी के 80 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं, और यूट्यूब म्यूजिक और प्रीमियम के 10 करोड़ से अधिक सब्सक्राइबर (ट्रायल यूजर्स सहित) हैं। हम फैन-फेवरेट यूट्यूब टीवी फीचर्स, जैसे कि की-प्लेज़ और मल्टीव्यू को और बेहतर बनाएंगे और यूट्यूब प्रीमियम सब्सक्राइबर्स के लिए नए फायदे लाएंगे।"
अपनी अंतिम बात में उन्होंने एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की भूमिका पर जोर दिया और बताया कि यह यूट्यूब के अनुभव को सभी के लिए अधिक सहज और उन्नत बनाने में मदद करेगा।
उन्होंने कहा, "पिछले साल हमने ड्रीम स्क्रीन और ड्रीम ट्रैक लॉन्च किया था, जो शॉर्ट्स के लिए इमेज बैकग्राउंड, वीडियो बैकग्राउंड और इंस्ट्रुमेंटल साउंडट्रैक जेनरेट करता है। हम इन फीचर्स में निवेश जारी रखेंगे और जल्द ही ड्रीम स्क्रीन में Veo 2 को इंटीग्रेट करेंगे।"
मोहन ने इस बात पर जोर दिया कि यूट्यूब "एआई की शक्ति का जिम्मेदारी से उपयोग करता रहेगा।" उन्होंने अपनी बात समाप्त करते हुए क्रिएटर्स, कलाकारों, दर्शकों और साझेदारों के समुदाय को धन्यवाद दिया।
28 फरवरी से Eurosport और TNT Sports का विलय होने जा रहा है, जिससे ब्रिटेन में कुछ प्रमुख खेल आयोजनों के मुफ्त प्रसारण (Free-to-Air Coverage) को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
28 फरवरी से Eurosport और TNT Sports का विलय होने जा रहा है, जिससे ब्रिटेन में कुछ प्रमुख खेल आयोजनों के मुफ्त प्रसारण (Free-to-Air Coverage) को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह विलय उन चैनलों को एक साथ लाएगा, जिन्होंने टूर डी फ्रांस, स्नूकर मेजर्स और टेनिस ग्रैंड स्लैम जैसे बड़े खेल आयोजनों का प्रसारण किया है।
TNT Sports के मालिक Warner Bros. Discovery (WBD) ने इस विलय की पुष्टि की है। कंपनी का कहना है कि यह बदलाव फैन्स के लिए खेल देखने के अनुभव को आसान बनाने के लिए किया जा रहा है।
WBD Sports Europe के प्रमुख स्कॉट यंग ने कहा, "यूके और आयरलैंड में Eurosport और TNT Sports के कंटेंट को मिलाने से हम खेल प्रेमियों को एक बेहतरीन और प्रीमियम अनुभव दे पाएंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "हमें पता है कि दर्शक अपने पसंदीदा खेलों को आसानी से खोजने के लिए एक सरल अनुभव चाहते हैं। इस कदम से हमारी लीग और फेडरेशन पार्टनर्स को भी अधिक मूल्य मिलेगा, क्योंकि हम 35 से अधिक वर्षों से खेलों में निवेश कर रहे हैं और इसे बढ़ावा दे रहे हैं।"
Eurosport ने 2024 ओलंपिक्स के लिए 2020 में ब्रॉडकास्टिंग राइट्स हासिल किए थे। हालांकि, यह समझा जा रहा है कि ओलंपिक्स पर इस विलय का प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि इसके प्रसारण अधिकार BBC के साथ साझा किए गए हैं।
लेकिन अन्य प्रमुख खेल आयोजन अब TNT Sports पर प्रसारित होंगे और इन्हें Discovery+ पर स्ट्रीम किया जा सकेगा। हालांकि, इसके लिए दर्शकों को £30.99 (करीब ₹3,200) प्रति माह भुगतान करना होगा।
हाल ही में यह खबर आई थी कि TNT Sports, Six Nations Rugby Championship के प्रसारण अधिकार हासिल करने वाला है। इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि यह आयोजन भी अब मुफ्त प्रसारण से बाहर हो जाएगा।
यंग ने इस विलय पर कहा, "हम इस देश में खेल और मनोरंजन की सर्वश्रेष्ठ प्रोफाइल तैयार कर रहे हैं। अब लोग यह तय कर सकते हैं कि वे हमारे साथ कैसे जुड़ना चाहते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "हम साइक्लिंग में निवेश कर रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि खेल प्रेमियों को अब खेल देखने के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म खोजने की जरूरत नहीं होगी। वे अब एक ही जगह पर अपना पसंदीदा खेल देख सकेंगे।"
अब देखना यह होगा कि यह बदलाव खेल प्रेमियों के अनुभव को सुधारता है या बाधा बनता है।
डोनाल्ड जे. ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में दूसरी बार शपथ ग्रहण ने राजनीतिक शोभा और रणनीति की मिसाल पेश की।
डोनाल्ड जे. ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में दूसरी बार शपथ ग्रहण ने राजनीतिक शोभा और रणनीति की मिसाल पेश की। वाशिंगटन डीसी में खराब मौसम के कारण यह समारोह आमतौर पर खुले में होने के बजाय इनडोर आयोजित किया गया। सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के इस मौके पर कैमरों ने न केवल वर्तमान, बल्कि अतीत और भविष्य को भी दर्शाया।
पूर्व राष्ट्रपति जोसेफ आर. बाइडन के पीछे उनकी परिवार और पुराने राजनेताओं की जमात बैठी थी, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति ओबामा, बुश और क्लिंटन, उनकी पत्नियां, सीनेटर और दीर्घकालिक सरकारी अधिकारी शामिल थे। वहीं, ट्रंप और उनके परिवार के पीछे उनकी नई सरकार के मुख्य व्यक्ति और समर्थक, जैसे एलन मस्क, डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंटल एफिशिएंसी (DOGE) के सह-अध्यक्ष विवेक रामास्वामी, और टेक जगत के बड़े नाम, जिनमें अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई भी शामिल थे, बैठे नजर आए।
शपथ ग्रहण के तुरंत बाद, 45वें और अब 47वें राष्ट्रपति ट्रंप ने ओवल ऑफिस में कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए। इनमें सबसे पहला आदेश अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के टिकटॉक पर लगाए गए प्रतिबंध पर 75 दिनों की रोक लगाना था। यह कदम ट्रंप के पहले के रुख के विपरीत था, जिसे उन्होंने टिकटॉक के सीईओ शो जी च्यू के मार-ए-लागो रिसॉर्ट पर हुई मुलाकात के बाद बदला। च्यू को समारोह में प्रमुखता से स्थान दिया गया था।
75 दिनों की समयसीमा के दौरान ट्रंप एक ऐसे प्रस्ताव को लाने की प्लानिंग कर रहे हैं, जिसकी मदद से वे ना सिर्फ इस प्लेटफॉर्म को प्रतिबंध से बचाएंगे, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा भी करेंगे। बताते चलें कि भारत में TikTok पहले से बैन है।
डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा हस्ताक्षर किए गए कार्यकारी आदेश में कहा कि मैं अटॉर्नी जनरल को निर्देश दे रहा हूं कि आज से 75 दिनों तक लिए अधिनियम को लागू करने के लिए कोई कार्रवाई न करें ताकि मेरे प्रशासन को व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ने का अवसर मिल सके। ऐसे में Tiktok प्लेटफॉर्म को अचानक बंद होने से बचाने के लिए के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा भी की जा सके।
अन्य कार्यकारी आदेशों में ट्रंप ने अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अलग कर दिया, मेक्सिको और कनाडा से आयातित वस्तुओं पर 25% शुल्क लगाने की घोषणा की (1 फरवरी से लागू), 6 जनवरी के दंगाइयों को माफी दी (करीब 1500 लोग), विशेष परिस्थितियों में जन्मसिद्ध नागरिकता का अधिकार समाप्त किया, और न्याय एवं आव्रजन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को पद से हटाया। इसके अलावा, उन्होंने खाड़ी के मेक्सिको का नाम बदलकर "गल्फ ऑफ अमेरिका" कर दिया और बाइडन प्रशासन की व्यापक जांच शुरू की।
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में टेक्नोलॉजी और मीडिया प्रमुख मुद्दे होंगे, खासकर राष्ट्रपति के प्रेस के साथ कटु संबंध और उनके सलाहकारों के बड़े टेक कंपनियों, सोशल मीडिया और एआई से गहरे संबंधों के कारण। समर्थक और आलोचक, दोनों ही, यह उम्मीद कर रहे हैं कि आगामी कार्यकारी आदेश टेक्नोलॉजी, कंटेंट सेंसरशिप और मीडिया रिपोर्टिंग पर केंद्रित होंगे।
ट्रंप के इन नए फैसलों ने न केवल अमेरिका में राजनीतिक माहौल को नया रूप दिया है, बल्कि उनके दूसरे कार्यकाल के प्राथमिकताओं और उद्देश्यों को भी स्पष्ट किया है। आने वाले दिनों में ये निर्णय अमेरिकी राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर गहरी छाप छोड़ेंगे।
ब्रिटेन के प्रतिष्ठित गार्डियन अखबार के मालिक गार्डियन मीडिया ग्रुप ने बुधवार, 18 दिसंबर को पुष्टि की कि उसने दुनिया के सबसे पुराने रविवारी अखबार 'ऑब्जर्वर' को टॉर्टोइज मीडिया को बेच दिया है।
ब्रिटेन के प्रतिष्ठित गार्डियन अखबार के मालिक गार्डियन मीडिया ग्रुप (GMG) ने बुधवार, 18 दिसंबर को पुष्टि की कि उसने दुनिया के सबसे पुराने रविवारी अखबार 'ऑब्जर्वर' को टॉर्टोइज मीडिया को बेच दिया है। इस डील की राशि का खुलासा नहीं किया गया है।
कैश और शेयरों के संयोजन से हुआ सौदा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्कॉट ट्रस्ट, जो गार्डियन मीडिया ग्रुप के मालिक हैं, ने एक बयान में कहा कि टॉर्टोइज मीडिया ने ऑब्जर्वर को कैश और शेयरों के संयोजन से खरीदा है। यह डील गार्डियन और टॉर्टोइज के बीच पांच साल की व्यावसायिक साझेदारी भी सुनिश्चित करता है, जिसके तहत टॉर्टोइज गार्डियन से प्रिंट, डिस्ट्रीब्यूश और मार्केटिंग सेवाएं लेगा।
इस डील के तहत स्कॉट ट्रस्ट टॉर्टोइज मीडिया में 9% हिस्सेदारी लेगा और इसमें 25 मिलियन पाउंड के निवेश का हिस्सा बनने के लिए 5 मिलियन पाउंड का योगदान करेगा।
ऑब्जर्वर का इतिहास और नई दिशा
ऑब्जर्वर की स्थापना 1791 में हुई थी और यह 1993 में गार्डियन मीडिया ग्रुप का हिस्सा बना। यह अखबार ब्रिटेन के मीडिया परिदृश्य में उदार मूल्यों का प्रमुख पैरोकार माना जाता है।
टॉर्टोइज मीडिया की स्थापना 2019 में लंदन टाइम्स के पूर्व संपादक और बीबीसी मेंन्यूज डायरेक्टर जेम्स हार्डिंग और पूर्व अमेरिकी राजदूत मैथ्यू बारज़ुन ने की थी।
टॉर्टोइज मीडिया के प्रमुख जेम्स हार्डिंग ने बताया कि यह डील ऑब्जर्वर के लिए नए निवेश और विचारों का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिससे इसकी पहुंच नई ऑडियंस तक बढ़ेगी और उदार पत्रकारिता की भूमिका और मजबूत होगी।
ऑब्जर्वर को पहली महिला प्रिंट संपादक
इस डील के साथ ही, लूसी रॉक को ऑब्जर्वर की प्रिंट संपादक नियुक्त किया गया है। यह पहली बार है जब 100 वर्षों में कोई महिला इस भूमिका को निभाएगी। रॉक डिजिटल संपादक के साथ मिलकर काम करेंगी ताकि ऑब्जर्वर का ऑनलाइन ब्रांड मजबूत हो सके। रॉक, जेम्स हार्डिंग को रिपोर्ट करेंगी, जो ऑब्जर्वर के एडिटर-इन-चीफ के रूप में कार्य करेंगे।
डील का विरोध और पत्रकारों की हड़ताल
हालांकि, इस प्रस्तावित बिक्री का गार्डियन मीडिया ग्रुप के पत्रकारों ने विरोध किया है। इस विरोध ने इस महीने की शुरुआत में 48 घंटे की हड़ताल का रूप ले लिया था।
यह डील ऑब्जर्वर के लिए नए अवसरों और चुनौतियों का द्वार खोलता है, जहां इसकी ऐतिहासिक विरासत को नए डिजिटल युग में प्रासंगिक बनाए रखने पर जोर दिया जाएगा।
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में शनिवार रात एक बांग्लादेशी महिला पत्रकार को भीड़ ने घेर लिया और और कुछ देर तक बंधक बनाकर रखा। पुलिस ने उसे भीड़ के बीच से बचाया।
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में शनिवार रात एक बांग्लादेशी महिला पत्रकार को भीड़ ने घेर लिया और और कुछ देर तक बंधक बनाकर रखा। पुलिस ने उसे भीड़ के बीच से बचाया।
महिला पत्रकार पर भारत का एजेंट होने का आरोप लगाते हुए कहा गया कि वह "बांग्लादेश को भारत का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रही हैं।" इसके साथ ही उन पर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना का समर्थक होने का आरोप लगाया गया। यह घटना ढाका के करावन बाजार इलाके में हुई, जब टीवी पत्रकार मुन्नी साहा अपने कार्यालय से लौट रही थीं।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि मुन्नी साहा अपनी कार में बैठी हैं और भीड़ उन्हें घेरकर नारेबाजी कर रही है। एक अन्य वीडियो में वह भीड़ के बीच खड़ी दिखाई देती हैं, जहां एक व्यक्ति उन पर चिल्ला रहा है।
भीड़ ने आरोप लगाया कि वह "गलत सूचनाएं फैला रही हैं और बांग्लादेश को भारत का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रही हैं।" इस पर वह लगातार इन आरोपों को नकारते हुए कहती रहीं, "यह देश मेरा भी है।"
एक वीडियो में एक व्यक्ति कहता सुना गया, "तुम हर वो काम कर रही हो, जिससे यह देश भारत का हिस्सा बन जाए। छात्रों के खून के लिए तुम जिम्मेदार हो।"
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मुन्नी साहा को पुलिस वाहन में ले लिया। उन्हें पहले तेजगांव पुलिस स्टेशन ले जाया गया और फिर ढाका मेट्रोपॉलिटन डिटेक्टिव ब्रांच कार्यालय भेजा गया, जिससे उनकी गिरफ्तारी को लेकर चिंताएं बढ़ गईं थीं। हालांकि, पुलिस ने स्पष्ट किया कि उन्हें हिरासत में नहीं लिया गया और रविवार सुबह रिहा कर दिया गया। पुलिस ने बताया कि भीड़ ने उन्हें जब घेर रखा था, तो उन्हें पैनिक अटैक आया और वह बीमार पड़ गई थीं।
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अधिकारी रेज़ाउल करीम मल्लिक ने 'द डेली स्टार' को बताया, "लोगों ने उन्हें पुलिस को सौंप दिया। उन्हें पैनिक अटैक आया। हमने उनके स्वास्थ्य और महिला पत्रकार होने के आधार पर उन्हें रिहा कर दिया।" अधिकारी ने कहा कि मुन्नी साहा चार मामलों में आरोपी हैं। उन्हें जमानत लेने और भविष्य के पुलिस समन का पालन करने के लिए अदालत में पेश होना होगा।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई के समर्थन में हुए विरोध प्रदर्शन की रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार मतिउल्लाह जान को गिरफ्तार कर लिया गया।
पाकिस्तान से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई के समर्थन में हुए विरोध प्रदर्शन की रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार मतिउल्लाह जान को गिरफ्तार कर लिया गया। सबसे हैरानी की बात यह है कि उनके साथ उनके सहयोगी साकिब बशीर को भी हिरासत में लिया गया और दोनों पर आतंकवाद का गंभीर आरोप लगाया गया। इस गिरफ्तारी की पुष्टि उनके वकील इमान मजारी ने की है।
मतिउल्लाह जान को रावलपिंडी आतंकवाद निरोधक अदालत (एटीसी) में पेश किया गया, जहां न्यायाधीश ताहिर अब्बास सिप्रा ने पत्रकार को दो दिन की रिमांड पर रखने की अनुमति दे दी। दरअसल, पुलिस ने 30 दिन की रिमांड देने के अनुरोध किया था।
सेना के प्रभाव के आलोचक और गिरफ्तारी का कारण
मतिउल्लाह जान पाकिस्तान के प्रमुख टीवी पत्रकारों में से एक हैं और अपने शो के जरिए पाकिस्तानी राजनीति में सेना के प्रभाव की आलोचना के लिए जाने जाते हैं। गिरफ्तारी से ठीक पहले उन्होंने एक शो में सरकारी दावों का खंडन करते हुए अस्पताल के रिकॉर्ड दिखाए थे। इन रिकॉर्ड्स से पता चला कि विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षाबलों ने गोलियां चलाई थीं, जबकि सरकार ने इससे इनकार किया था।
सहयोगी को बंधक बनाकर छोड़ा गया
साकिब बशीर ने बताया कि दोनों को इस्लामाबाद के पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीआईएमएस) की पार्किंग से हथियारबंद लोगों ने उठाया। उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी गई और एक कार में डाल दिया गया। तीन घंटे बाद साकिब को सड़क किनारे छोड़ दिया गया, लेकिन मतिउल्लाह जान अब भी हिरासत में हैं। बशीर के मुताबिक, वे विरोध प्रदर्शन में मारे गए लोगों के आंकड़े जुटा रहे थे।
परिवार ने की रिहाई की मांग
मतिउल्लाह जान के बेटे अब्द-उ-रज़ाक ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर अपने पिता की रिहाई की मांग की। वकील इमान मजारी का कहना है कि जान पर आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और पुलिस पर हमला करने जैसे बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं।
इस मामले में इस्लामाबाद पुलिस और सूचना मंत्रालय से प्रतिक्रिया मांगी गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जान की रिपोर्ट ने सरकारी दावों पर सवाल उठाते हुए प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी और सुरक्षाकर्मियों की मौत के संबंध में जांच की मांग की थी।
पीटीआई का प्रदर्शन और मौत का दावा
यह विवाद इमरान खान की पार्टी पीटीआई द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन से जुड़ा है, जिसमें चार सुरक्षाकर्मियों की मौत की पुष्टि हुई थी। पीटीआई ने दावा किया कि प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों लोगों को गोली मारी गई और 8 से 40 लोगों की मौत हुई।
पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल
इस घटना पर पाकिस्तान में पत्रकारों की सुरक्षा समिति ने चिंता जताई है और मतिउल्लाह जान की तत्काल रिहाई की मांग की है। यह मामला न केवल पत्रकारों की सुरक्षा बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी सवाल खड़ा करता है।
इसके तहत सोशल मीडिया कंपनियों को 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के अकाउंट बनाने से रोकने में नाकाम रहने पर भारी जुर्माना भरने की बात की गई है।
सोशल मीडिया पर बच्चों की सक्रियता और उनकी ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर अक्सर विवाद उठते रहे हैं। अभिभावकों के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन चुकी है, खासकर बच्चों को इंटरनेट पर सुरक्षित रखने के संदर्भ में। इस मामले में अब ऑस्ट्रेलिया ने एक बड़ा कदम उठाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंधित करने वाले विधेयक को पारित कर दिया है। अब यह विधेयक सीनेट द्वारा कानून बनने के लिए विचाराधीन है। यदि यह कानून लागू हो जाता है, तो ऑस्ट्रेलिया इस तरह का कानून लागू करने वाला पहला देश बन जाएगा।
प्लेटफॉर्म्स पर जुर्माने का प्रस्ताव
इस विधेयक का समर्थन ऑस्ट्रेलिया के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने किया है। इसके तहत सोशल मीडिया कंपनियों को 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के अकाउंट बनाने से रोकने में नाकाम रहने पर भारी जुर्माना भरने की बात की गई है। टिकटॉक, फेसबुक, स्नैपचैट, रेडिट, एक्स (पूर्व ट्विटर) और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्मों को 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (लगभग 33 मिलियन अमेरिकी डॉलर) तक जुर्माना भरना पड़ सकता है।
कंपनियों को एक साल का समय
यह विधेयक हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में 102 वोटों के पक्ष में और 13 वोटों के विरोध में पारित हुआ। यदि यह विधेयक सीनेट से इस सप्ताह कानून के रूप में पारित हो जाता है, तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अकाउंट बनाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक साल का समय मिलेगा। इसके बाद, अगर कंपनियां इस कानून का पालन नहीं करतीं, तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा।
ऑस्ट्रेलिया में पोर्न कंटेंट पर भी रोक की तैयारी
ऑस्ट्रेलिया की संचार मंत्री मिशेल रोलैंड ने हाल ही में कहा था कि 95 प्रतिशत ऑस्ट्रेलियाई अभिभावक मानते हैं कि बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा पर ध्यान देना उनके पालन-पोषण की सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अतिरिक्त, ऑस्ट्रेलिया सरकार 18 साल से कम उम्र के बच्चों को इंटरनेट पर उपलब्ध पोर्न कंटेंट से बचाने के लिए भी उपायों पर काम कर रही है।
एलन मस्क ने उठाए सवाल
वहीं, एक्स (पूर्व ट्विटर) के मालिक एलन मस्क ने इस विधेयक पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “यह विधेयक ऑस्ट्रेलियाई लोगों के लिए इंटरनेट की पहुंच को नियंत्रित करने का एक छिपा हुआ प्रयास प्रतीत हो रहा है।”
ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया के गलत प्रभाव से बचाने के लिए बड़ा कदम उठाया है।
ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया के गलत प्रभाव से बचाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को ऑस्ट्रेलियाई संसद में एक विधेयक पेश किया गया, जो दुनिया में अपनी तरह का पहला कानून होगा। इस कानून के तहत, टिकटॉक, फेसबुक, स्नैपचैट, इंस्टाग्राम, रेडिट और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बच्चों को अकाउंट बनाने से रोकने की जिम्मेदारी दी जाएगी। अगर वे इस नियम का पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें 33 मिलियन डॉलर (लगभग 280 करोड़ रुपये) तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
किशोरों के लिए बढ़ते खतरों पर ध्यान
ऑस्ट्रेलिया की संचार मंत्री मिशेल रोलैंड ने इस बिल को संसद में पेश करते हुए बताया कि 14 से 17 साल के करीब 66% किशोरों ने सोशल मीडिया पर हिंसक या खुद को नुकसान पहुंचाने वाले कंटेंट देखे हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून बच्चों को दंडित करने या अलग-थलग करने के लिए नहीं है, बल्कि उनकी सुरक्षा और माता-पिता के सहयोग के लिए है।
शोध के अनुसार, 95% अभिभावकों ने ऑनलाइन सुरक्षा को सबसे बड़ी चुनौती माना है। मंत्री ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को न केवल आयु सीमा लागू करनी होगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके एल्गोरिदम हानिकारक कंटेंट को बढ़ावा न दें।
कब हो सकता है लागू
बिल को राजनीतिक समर्थन हासिल है और इसके कानून बनने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को इसे लागू करने के लिए एक साल का समय मिलेगा। इस दौरान, प्लेटफॉर्म्स को आयु सत्यापन के लिए एक पारदर्शी और सुरक्षित प्रणाली विकसित करनी होगी। अगर वे इस प्रक्रिया में यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग करते हैं, तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
ब्रिटेन भी बना रहा योजना
ऑस्ट्रेलिया की राह पर चलते हुए ब्रिटिश सरकार भी 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन के टेक्नोलॉजी सेक्रेटरी पीटर काइल ने कहा कि बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। पीटर काइल ने यह भी कहा कि युवाओं पर स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के प्रभावों को लेकर और ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है।
भारत में सोशल मीडिया का प्रभाव
भारत में भी सोशल मीडिया के खतरों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीपफेक टेक्नोलॉजी और डिजिटल अरेस्ट के खतरों पर आगाह किया है। भारत सरकार ने पिछले साल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें गलत सूचनाओं और डीपफेक वीडियो पर सख्त कदम उठाने की बात कही गई थी।
एक रिसर्च के अनुसार, भारतीय यूजर्स औसतन 7.3 घंटे रोजाना स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं, जिसमें से अधिकांश समय सोशल मीडिया पर बिताया जाता है। भारत में एक व्यक्ति औसतन 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय है, जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक है।
सामाजिक जिम्मेदारी का आह्वान
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इस पहल के जरिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को उनकी सामाजिक जिम्मेदारी याद दिलाई है। यह कानून बच्चों को ऑनलाइन खतरों से बचाने और उनके मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है।