यूक्रेन में युद्ध को कवर करते हुए एक फ्रांसीसी पत्रकार की मौत हो गई।
यूक्रेन में युद्ध को कवर करते हुए एक फ्रांसीसी पत्रकार की मौत हो गई। फ्रांस के न्यूज ब्रॉडकास्टर ‘बीएफएम टीवी’ ने जानकारी देते हुए कहा कि पूर्वी यूक्रेन में निकासी अभियान को कवर करते समय गोलाबारी में उसके 32 वर्षीय पत्रकार फ्रेडरिक लेक्लेर-इमहॉफ (Frederic Leclerc-Imhoff) की मौत हो गई।
‘बीएफएम टीवी’ ने कहा कि उसके पत्रकार फ्रेडरिक लेकलेर्क इमहोफ की उस समय मौत हुई, जब वह डोनबास क्षेत्र में सिविएरोदोनेत्सक शहर के पास एक बख्तरबंद वाहन में मानवीय अभियान को कवर कर रहे थे। इस क्षेत्र में यूक्रेन की सेना और रूसी सैनिकों के बीच भीषण जंग जारी है।
वहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों ने ट्वीट कर पत्रकार इमहोफ को श्रद्धांजलि देते हुए उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की। मैक्रों ने ट्वीट में कहा कि इमहोफ युद्ध की हकीकत दिखाने के लिए यूक्रेन में थे। उन्होंने कहा कि लोगों की निकासी के दौरान रूसी सेना की बमबारी के बीच वह हमले के शिकार हुए।
फ्रांस की विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना ने हमले में पत्रकार की मौत को ‘बेहद दुखद’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘फ्रांस मांग करता है कि इस त्रासदी के हालात पर प्रकाश डालने के लिए जल्द से जल्द एक पारदर्शी जांच शुरू की जाए।’
इससे पहले, लुहांस्क क्षेत्र के गवर्नर सरहेई हैदई ने टेलीग्राम पोस्ट के जरिए हमले में पत्रकार की मौत की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रूसी सैनिकों ने बख्तरबंद वाहन पर हमला किया जिसके जरिए लोगों को वहां से निकाला जा रहा था।
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‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ के अनुसार, महिला पत्रकारों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है और 76 प्रतिशत को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा किए जाने के एक साल के भीतर स्थानीय मीडिया पर क्या असर पड़ा है, इसे लेकर फ्रांस स्थित मीडिया की दशा-दिशा पर नजर रखने वाले गैर-सरकारी संगठन ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (आरएसएफ) ने एक सर्वे पब्लिश किया है।
इस सर्वे के अनुसार, एक साल पहले तालिबान द्वारा कब्जे के बाद से अब तक अफगानिस्तान के लगभग 60 प्रतिशत पत्रकार अपनी नौकरी खो चुके हैं या देश छोड़कर भाग गए हैं।
तालिबान द्वारा 15 अगस्त 2021 को सत्ता संभालने के बाद से देश के 547 मीडिया संस्थानों में से 219 ने अपना संचालन बंद कर दिया है। महिला पत्रकारों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है और 76 प्रतिशत को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। सर्वे में पाया गया कि काबुल में फिलहाल केवल 656 महिला पत्रकार काम कर रही हैं, जबकि एक साल पहले यह संख्या करीब 2,756 थी।
मीडिया रिपोर्ट्स में ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ के महासचिव क्रिस्टोफ डेलॉयर (Christophe Deloire) के हवाले से कहा गया है, ‘अफगानिस्तान में पिछले एक साल में पत्रकारिता समाप्त हो चुकी है। अधिकारियों को मीडिया कर्मियों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए और उन्हें अपना काम बिना छेड़छाड़ के करने देना चाहिए।‘
काबुल स्थित पत्रकार मीना हबीब ने ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ को बताया कि अफगानिस्तान में महिला पत्रकारों का रहन-सहन और काम करने की स्थिति हमेशा कठिन रही है, लेकिन आज वे लोग एक अभूतपूर्व स्थिति का सामना कर रहे हैं। यहां महिलाएं बिना किसी सुरक्षा के शारीरिक और मानसिक रूप से हिंसक और थकाऊ परिस्थितियों में काम करती हैं। कुछ मीडिया संस्थानों को म्यूजिक और अन्य कंटेंट के प्रसारण के कारण बंद करने के लिए मजबूर किया गया है, जबकि अन्य अंतरराष्ट्रीय फंडिंग के बिना जारी रखने में असमर्थ रहे हैं।
‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ का कहना है कि पिछले एक साल में सुरक्षा बलों ने कम से कम 80 पत्रकारों को अलग-अलग समय के लिए हिरासत में लिया, जिनमें से तीन को फिलहाल जेल में रखा गया है। इसके साथ ही ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ ने वर्ष 2022 के लिए अपने प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (Press Freedom Index) में 179 देशों में से अफगानिस्तान को 156वें नंबर पर रखा है।
इस सर्वे रिपोर्ट को आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।दो बच्चों की मां इस पत्रकार को इस मामले में दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की जेल हो सकती है।
रूस की एक अदालत ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन विरोधी प्रदर्शन के लिए एक महिला पत्रकार को अक्टूबर तक घर में नजरबंद करने का आदेश दिया है। महिला पत्रकार पर यह एक्शन यूक्रेन पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हमले की निंदा करने के मामले में लिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूसी टीवी पत्रकार मरीना ओव्स्यानिकोवा (Marina Ovsyannikova) ने विरोध प्रदर्शन के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अपने हाथों में एक पोस्टर ले रखा था, जिसमें पुतिन के खिलाफ कई बातें लिखी हुई थीं। इसके बाद जांचकर्ताओं ने 44 वर्षीय ओव्स्यानिकोवा को हिरासत में ले लिया। उन पर रूसी सशस्त्र बलों के बारे में गलत जानकारी फैलाने का आरोप है।
दो बच्चों की मां मरीना को इस मामले में दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की जेल हो सकती है। बता दें कि इसी साल मार्च में ‘चैनल वन टेलीविजन’ की तत्कालीन संपादक ओव्स्यानिकोवा ने दुनिया भर में काफी सुर्खियां बटोरीं थी, जब उन्होंने शाम के समाचार पढ़ते हुए ‘नो वॉर’ लिखा हुआ एक पोस्टर पकड़ा हुआ था।
हालांकि, इस नजरबंदी का उस विरोध प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है। यह क्रेमलिन के पास जुलाई के मध्य में उस विरोध से जुड़ा हुआ है, जब ओव्स्यानिकोवा ने एक पोस्टर पकड़ रखा था, जिसमें कथित रूप से लिखा था कि पुतिन एक हत्यारा है, उसके सैनिक फासीवादी हैं।
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म्यांमार में सुरक्षाबलों ने देश के सबसे बड़े शहर यांगून में सैन्य शासन के खिलाफ निकाले गए विरोध मार्च को कवर कर रहे जापान के एक वीडियो पत्रकार को हिरासत में लिया है। हिरासत में लिए गए इस वीडियो जर्नलिस्ट का नाम तोरू कुबोता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तोरू टोक्यो स्थित एक वृत्तचित्र फिल्म निर्माता हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में विरोध मार्च का आयोजन करने वाले समूह ‘यांगून डेमोक्रेटिक यूथ स्ट्राइक’ के प्रमुख ताइप फोन के हवाले से बताया गया है कि तोक्यो के रहने वाले कुबोता को यांगून में शनिवार को हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान सादा वर्दी में आए पुलिसकर्मियों ने हिरासत में ले लिया। इस दौरान दो अन्य प्रदर्शनकारियों को भी गिरफ्तार किया गया और उन्हें यांगून के एक थाने में रखा गया है। हालांकि, म्यांमार की सैन्य सरकार ने कुबोता को हिरासत में लिए जाने की पुष्टि नहीं की है।
म्यांमार की सेना ने पिछले साल फरवरी में आंग सान सूकी की चुनी हुई सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था और तब से देश में सैन्य शासन ने असंतोष पर कड़ी कार्रवाई की है। म्यांमार की सैन्य सरकार (जुंटा) के नेता ने सोमवार को देश में सेना का शासन छह माह और बढ़ाने की घोषणा की।
मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि सैन्य सरकार ने अब तक लगभग 140 पत्रकारों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से लगभग 55 को विभिन्न आरोपों या मुकदमे की सुनवाई जारी रहने के कारण हिरासत में रखा गया है।
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ब्रिटेन में इन दिनों सियासी गर्मी बढ़ती ही जा रही है। ब्रिटेन पीएम की रेस में ऋषि सुनक (Rishi Sunak) और लिज ट्रस (Liz Truss) आमने सामने हैं, जिसमें भारतीय मूल के ऋषि सुनक पीएम पद की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं। फिलहाज दोनों नेता अपने प्रचार-प्रसार के साथ-साथ टीवी चैनल्स पर डिबेट के लिए आमने-सामने भी आ रहे हैं। इसी बीच, एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आई है, जब दोनों की लाइव डिबेट के दौरान एक एंकर बेहोश होकर गिर पड़ी। इसके बाद उस डिबेट को रद्द करना पड़ा।
दरअसल, हुआ यूं कि बीते मंगलवार शाम एक लाइव टीवी डिबेट शो था। सन और टॉक टीवी की ओर से आयोजित डिबेट को पत्रकार केट मैक्केन (Kate McCann) होस्ट कर रही थीं, इस दौरान दोनों में ब्रिटेन (Britain) की स्वास्थ्य सेवा और कर कटौती के मुद्दों पर तीखी बहस चल रही थी। तभी लिज ट्रस (Liz Truss) ने रूस और राष्ट्रपति पुतिन के बारे में कुछ बोला, इसी दौरान टीवी एंकर केट मैक्केन अचानक बेहोश हो गईं। ऋषि सुनक को जैसे ही लगा कि मैक्केन गिर पड़ेंगी, उन्होंने लाइव शो कार्यक्रम को छोड़कर तुरंत उनकी मदद के लिए दौड़ पड़े। हालांकि, इसकी वजह से कार्यक्रम को तत्काल रोकना पड़ा और फिर दूसरी होस्ट इयान कॉलिन्स ने इस लाइव डिबेट को पूरा कराया, लेकिन ऋषि सुनक के इस मानवीय चेहरे की काफी तारीफ हो रही है।
वहीं, घटना के तत्काल बाद मैक्केन को अस्पताल ले जाया गया। अब वह स्वस्थ हैं और डॉक्टरों ने उन्हें आराम की सलाह दी हुई है।
ब्रिटेन में अगले प्रधानमंत्री बनने के दावेदार ऋषि सुनक (Rishi Sunak) और लिज ट्रस (Liz Truss) के बीच 24 घंटे में दूसरी लाइव टीवी बहस थी।
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न्यूज एंकर हुआंग शिनकी (Huang Xinqi) Suzhou News में कार्यरत हैं। लाइव शो के दौरान अचानक उनकी नाक से खून निकलने लगता है
न्यूज पढ़ने के दौरान एंकर के सामने कई बार असहज स्थित पैदा हो जाती है, जिसे एंकर कभी संभाल पाता है, तो कभी असफल हो जाता है। ऐसा ही एक वाक्या चीन से सामने आया है, जो हैरान करने वाला है। दरअसल यहां लाइव शो के दौरान एक न्यूज एंकर की नाक से खून निकलने लगता है, लेकिन फिर भी वह इस परिस्थिति को संभाल पाने में समर्थ रहता है और न्यूज बुलेटिन पढ़ना जारी रखता है।
बता दें कि न्यूज एंकर का नाम हुआंग शिनकी (Huang Xinqi) है, जो Suzhou News में कार्यरत हैं। लाइव शो के दौरान जब अचानक उनकी नाक से खून निकलने लगता है, तब भी वे न्यूज बुलेटिन खत्म होने तक शो को बीच में छोड़कर नहीं जाते हैं और अपना धैर्य बनाए रखते हैं। हालांकि इस दौरान उनकी साथी एंकर ने न्यूज बुलेटिन पढ़ने में उनकी मदद की।
The host of a TV station in Suzhou suffered from nosebleeds during the live broadcast and persisted to the end... pic.twitter.com/1z3J2wRmHG
— PN News (@PN_News_EN) July 12, 2022
न्यूज एंकर हुआंग शिनकी का ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और लोग एंकर के वीडियो पर अलग-अलग तरह के रिएक्शन दे रहे हैं। कुछ लोगों ने तो एंकर हुआंग शिनकी के पेशेवर होने की तारीफ की है।
गौरतलब है कि ऐसा ही एक वाक्या कोरिया से दिसंबर, 2018 में सामने आया था, जब SPOTV में लाइव शो के दौरान एक एंकर की नाक से अचानक खून बहने लगा था, लेकिन तब भी एंकर नहीं रुके और बुलेटिन जारी रखा था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी खूब तारीफ हुई थी।
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क्या हो जब अचानक लाइव एंकरिंग के दौरान न्यूज पढ़ते-पढ़ते किसी एंकर की जुबान फिसल जाए और वह भी एक बार नहीं बल्कि कई बार। वह गलत शब्दों का उच्चारण करने लगे, तो शायद आप यह देख-सुनकर हैरत में पड़ जाएंगे। ऐसा ही कुछ हुआ अमेरिकी चैनल CBS 6 में काम करने वाली एंकर हीथर कोवर (Heather Kovar) के साथ।
दरअसल, हुआ यूं कि लाइव टीवी (LIVE TV) पर एंकर हीथर कोवर की जुबान लड़खड़ा गई, जब वह पिछले सप्ताह शनिवार को इवनिंग शो में न्यूज पढ़ रही थीं। उनके शब्दों का उच्चारण अस्पष्ट था। कोवर न्यूज पढ़ते हुए कई बार गड़बड़ी करती नजर आई। इस वीडियो को देखकर महिला एंकर ट्रोलिंग का भी शिकार हो गई है। इसका एक वीडियो भी वायरल हो गया और कई लोगों ने लिखा कि महिला एंकर नशे में लग रही हैं। हालांकि, महिला एंकर इन आरोपों पर खुद जवाब दिया है।
महिला एंकर हीथर कोवर ने कहा कि वह ठीक से सो नहीं पाई थीं और काम करके थक गई थीं, इसलिए ऐसा हुआ। शनिवार को सुबह 6 बजे और फिर इवनिंग में भी उनकी शिफ्ट लगाई गई थी। थके होने के कारण बार-बार एंकर की जुबान फिसल रही थी।
वीडियो के वायरल होते ही टीवी चैनल ने कार्रवाई करने की और एंकर को सस्पेंड किए जाने की बात कही, जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। बता दें कि इस कार्रवाई के बाद न्यूज एंकर ने रिजाइन दे दिया। ये महिला एंकर इस चैनल में 2016 से काम कर रही थीं।
Viewers expressing concern over train wreck of local evening newscast out of Albany. Anchor Heather Kovar appeared disheveled, misspoke, and slurred her words for the entire newscast. Here, she tries to set up the weather and toss to the meteorologist, who’s name she gets wrong. pic.twitter.com/70jwwvykKt
— Mike Sington (@MikeSington) July 10, 2022
महिला एंकर ने इस घटना के बाद ट्वीट भी किया था, जिसमें लिखा था कि वह अगले दिन के शो में नजर आएंगी, लेकिन जब अगला शो टेलीकास्ट हुआ तो उनकी जगह कोई और एंकर एंकरिंग करती हुई दिखाई दी।
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संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि कतर के न्यूज चैनल ‘अल-जजीरा’ की वरिष्ठ संवाददाता शिरीन अबू अक्लेह और उनके साथियों पर इजराइली सैनिकों की ओर से ‘सोच-समझकर लक्षित करके गोलियां’ चलायी गयी थीं और उसने पत्रकार की पिछले महीने हुई हत्या की आपराधिक जांच कराने का अनुरोध किया।
बता दें कि प्रतिष्ठित फलस्तीनी-अमेरिकी रिपोर्टर अबू अक्लेह को वेस्ट बैंक के जेनिन शहर में इजराइली सेना के हमले को कवर करते हुए 11 मई को गोली मारी गयी थी, जिसमें उनकी मौत हो गयी थी।
इजराइल ने पत्रकार को निशाना बनाने से इनकार किया और कहा कि शायद वह फलस्तीन की गोलीबारी की चपेट में आ गयी होंगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैशलेट की प्रवक्ता ने कहा कि उनके कार्यालय ने ‘निगरानी’ की, न कि पूर्ण जांच की, जिसमें उसने गवाहों, विशेषज्ञों और आधिकारिक पत्रों के साथ ही घटनास्थल की तस्वीरों, वीडियो और ऑडियो से सूचना जुटायी है। उसके निष्कर्षों से पता चलता है कि अबू अक्लेह की मौत गोलियां लगने से हुई, जो इजराइली सुरक्षाबलों की ओर से चलायी गयी थीं और सशस्त्र फलस्तीनियों की ओर से की गई अंधाधुंध गोलीबारी से उनकी मौत नहीं हुई थी। गोलीबारी में अक्लेह का एक सहकर्मी भी घायल हो गया था।
प्रवक्ता ने कहा कि यह बहुत निराश करने वाली बात है कि इजराइली प्राधिकारियों ने आपराधिक जांच नहीं की है।
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‘खालसा टेलीविजन लिमिटेड’ ने ब्रिटेन में अपना ब्रॉडकास्ट लाइसेंस सरेंडर कर दिया है। दरअसल, ब्रिटेन में मीडिया पर नजर रखने वाले विभाग ने पाया था कि ‘खालसा टेलीविजन लिमिटेड‘ के चैनल ‘केटीवी’ (KTV) ने खालिस्तानी प्रचार (खालिस्तानी प्रोपेगेंडा) कर प्रसारण नियमों का उल्लंघन किया है। इसके बाद विभाग ने पिछले महीने ‘खालसा टेलीविजन लिमिटेड’ के लाइसेंस के तहत संचालित होने वाले ‘खालसा टीवी‘ (KTV) का लाइसेंस रद करने के लिए एक मसौदा नोटिस जारी किया था।
ब्रिटेन के संचार कार्यालय (Ofcom) ने मंगलवार को कहा कि 26 मई को भेजे गए उसके नोटिस के जवाब में ‘खालसा टेलीविजन लिमिटेड’ ने अपना लाइसेंस सरेंडर कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संचार कार्यालय ने कहा कि लाइसेंस रद करने से संबंधित नोटिस जारी करने से पहले ‘केटीवी‘ को निलंबन का नोटिस भेजा गया था। यह नोटिस पिछले साल 30 दिसंबर को ‘केटीवी‘ पर प्रसारित 'प्राइम टाइम' कार्यक्रम को लेकर जारी किया गया था।
इस बारे में कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि नोटिस 'अपराध के लिए प्रोत्साहित करने या उकसाने या अव्यवस्था पैदा करने' की संभावना वाली विषयवस्तु' प्रसारित कर प्रसारण संहिता के उल्लंघन के लिए जारी किया गया था। बयान में कहा गया है, '13 मई 2022 को संचार कार्यालय ने ‘केटीवी‘ चैनल पर हिंसा के लिए उकसाने वाली विषयवस्तु के प्रसारण को लेकर ‘खालसा टेलीविजन लिमिटेड‘ का प्रसारण लाइसेंस रद करने को लेकर एक मसौदा नोटिस जारी किया था। इसके बाद कार्यालय ने लाइसेंस पर रोक लगा दी थी।'
संचार कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, ‘चार साल के भीतर यह तीसरी बार है जब यह चैनल हमारे नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया गया है।‘ बता दें कि ‘केटीवी‘ 31 मार्च से बंद हो गया था, जब संचार कार्यालय ने अपने प्रसारण नियमों के गंभीर उल्लंघन के बाद ‘खालसा टेलीविजन लिमिटेड‘ का लाइसेंस निलंबित कर दिया था।
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यूक्रेन पर रूस के हमले अभी भी जारी है। इस युद्ध के 115 से अधिक दिन गुजर चुके हैं, लेकिन युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच, रूसी अधिकारियों ने ब्रिटिश समाचार पत्र ‘द टेलीग्राफ’ की वेबसाइट को एक लेख प्रकाशित करने पर ब्लॉक कर दिया है। यह जानकारी इंटरनेट अधिकार समूह रोस्कोम्सवोबोदा ने मंगलवार को दी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन के क्षेत्र में रूस के सशस्त्र बलों द्वारा किए गए विशेष सैन्य अभियान के बारे में गलत जानकारी प्रसारित करने के बाद वेबसाइट (Telegraph.co.uk) को बैन कर दिया गया है।
फरवरी में यूक्रेन में सैनिकों को भेजने के बाद से, रूस ने संघर्ष के मीडिया कवरेज पर नकेल कस दी है, विदेशी समाचार आउटलेट्स की वेबसाइटों को अवरुद्ध कर दिया है, जो अपने सैन्य अभियान के बारे में "फर्जी" समाचार फैलाते हैं।
रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर आक्रमण की घोषणा की, जिसे ‘विशेष सैन्य अभियान’ कहा गया। आक्रमण के बाद से ही रूस ने मीडिया कवरेज पर नकेल कसने शुरू दी थी। कई विदेशी न्यूज आउटलेट्स की वेबसाइट्स को बैन कर दिया था। रूस का दावा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट्स उनके सैन्य अभियान के बारे में ‘फर्जी खबरें’ फैलाते हैं।
हालांकि, ‘द टेलीग्राफ’ ने दावा किया है कि वह पहला ऐसा ब्रिटिश अखबार है, जिसकी वेबसाइट को रूस में बैन किया गया है। लेकिन, बीबीसी की वेबसाइट उन अन्य वेबसाइट्स में से एक थी, जिन्हें यूक्रेन युद्ध के कवरेज के लिए रूस में पहले ही बैन किया जा चुका है।
बैन किए जाने पर द टेलीग्राफ ने कहा कि उसे यूक्रेन पर आक्रमण की अपनी रिपोर्टिंग पर गर्व है और रूस द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के प्रयासों पर खेद है।
इस बीच, रूस के कब्जे वाले यूक्रेन के दक्षिणी क्षेत्र खेरसॉन में एक रूसी टेलीविजन सिग्नल को चालू कर दिया गया, जोकि क्षेत्र पर मास्को के नियंत्रण को मजबूत करने के उद्देश्य से नवीनतम कदम के रूप में प्रतीत होता है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।नेपाल सरकार ने धनुषा के वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र झा को सरकारी न्यूज एजेंसी ‘राष्ट्रीय समाचार समिति’ (RSS) का अध्यक्ष नियुक्त किया है।
नेपाल सरकार ने धनुषा के वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र झा को सरकारी न्यूज एजेंसी ‘राष्ट्रीय समाचार समिति’ (RSS) का अध्यक्ष नियुक्त किया है। सोमवार को हुई नेपाल सरकार की मंत्रिपरिषद की एक बैठक में उन्हें अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला लिया गया है। वे चार तक इस पद पर रहेंगे।
नेपाल में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी साझा की।
बता दें कि पिछले अध्यक्ष हरिहर अधिकारी 'श्यामल' के चार साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद से यह पद खाली था।
आरएसएस के नवनियुक्त अध्यक्ष धर्मेंद्र झा फेडरेशन ऑफ नेपाली जर्नलिस्ट्स (FNJ) के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष हैं। पत्रकार झा को मुख्यधारा की नेपाली पत्रकारिता का लंबा अनुभव है और वे नेपाली पत्रकारिता के अनुभवी प्रशिक्षक भी हैं।
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