अमेरिका में कार्यरत विदेशी पत्रकारों के लिए हालात अचानक बेहद मुश्किल हो गए हैं।
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Vikas Saxena
अमेरिका में कार्यरत विदेशी पत्रकारों के लिए हालात अचानक बेहद मुश्किल हो गए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूएस एजेंसी फॉर ग्लोबल मीडिया (USAGM) के गैर-कानूनी घटकों व वैधानिक कार्यों को समाप्त व सीमित करने का आदेश न केवल पत्रकारों की नौकरियों पर असर डाल रहा है, बल्कि उनकी कानूनी स्थिति और सुरक्षा पर भी संकट खड़ा कर रहा है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 14 मार्च 2025 को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इस आदेश के तहत, उन्होंने यूएस एजेंसी फॉर ग्लोबल मीडिया (USAGM) सहित सात सरकारी एजेंसियों के कार्यों में कटौती करने और उन्हें न्यूनतम स्तर तक सीमित करने का निर्देश दिया। इस आदेश के परिणामस्वरूप, USAGM के अंतर्गत आने वाले वॉयस ऑफ अमेरिका (VOA), रेडियो फ्री एशिया (RFA), और रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी जैसे मीडिया संगठनों के संचालन प्रभावित हुए। कई कर्मचारियों को प्रशासनिक अवकाश पर भेज दिया गया और इन संगठनों के प्रसारण भी प्रभावित हुए।
वैसे बता दें कि USAGM के अंतर्गत आने वाले इन मीडिया संस्थानों के पत्रकार दुनिया के उन हिस्सों में सेंसरशिप से मुक्त, निष्पक्ष और लोकतंत्र के समर्थन में रिपोर्टिंग भी करते हैं, जहां स्वतंत्र मीडिया की कोई जगह नहीं है।
कंबोडियाई पत्रकार वुथी था (Vuthy Tha) और हॉर हूम (Hour Hum) ने थाईलैंड में सात साल छिपकर बिताने के बाद अमेरिका में शरण ली थी। वे RFA के जरिए अपने देशवासियों को निष्पक्ष खबरें पहुंचा रहे थे। लेकिन अब ट्रंप के आदेश से उनकी नौकरी और वीजा दोनों पर खतरा मंडरा रहा है।
वुथी, जो दो बच्चों के अकेले पिता हैं, कहते हैं कि यह आदेश उनके जीवन पर कहर बनकर टूटा है। वहीं हॉर हूम को अफसोस है कि अब उनके श्रोताओं तक सच्ची खबरें नहीं पहुंच पाएंगी। दोनों पत्रकारों को डर है कि अगर उन्हें कंबोडिया वापस भेजा गया, तो वहां की तानाशाही सरकार उन्हें उनके काम के लिए सजा दे सकती है।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और 36 मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, अमेरिका में कार्य वीजा पर रह रहे कम से कम 84 पत्रकारों को निर्वासन का खतरा है। इनमें से 23 पत्रकार ऐसे हैं जिन्हें अपने देश लौटने पर तुरंत गिरफ्तार किया जा सकता है, या उन्हें लंबे समय तक जेल की सजा हो सकती है।
RFA की पत्रकार शिन डेवे म्यांमार में "आतंकवाद को समर्थन" देने के आरोप में 15 साल की सजा काट रही हैं। वियतनाम में RFA के चार पत्रकार जेल में हैं और एक नजरबंद है।
थीबो ब्रुटिन, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के प्रमुख ने कहा, “यह शर्मनाक है कि जो पत्रकार अपने देश की दमनकारी नीतियों को उजागर करने के लिए जान जोखिम में डालते हैं, उन्हें अब अमेरिका में ही छोड़ दिया जा रहा है। यह न केवल नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता का भी सवाल है।”
वॉइस ऑफ अमेरिका से जुड़े कई पत्रकारों ने ट्रंप के आदेश के खिलाफ अमेरिकी संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया है। याचिका में दो विदेशी पत्रकारों का उल्लेख है, जिनमें से एक अपने काम की वजह से दस साल की जेल की सजा भुगत सकता है, जबकि दूसरे को अपने देश में शारीरिक उत्पीड़न का खतरा है।
फिलहाल अदालत ने इन पत्रकारों के कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने पर रोक लगा दी है, जिससे उन्हें अस्थायी राहत मिली है। RFA और रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी ने भी अपनी फंडिंग बहाल करने की मांग को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
हालांकि हालात मुश्किल हैं, लेकिन पत्रकारों को अभी भी उम्मीद है। वुथी था कहते हैं, “RFA आज भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है — और जब तक लड़ाई जारी है, उम्मीद भी जिंदा है।”
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, सवाल यह है कि क्या अमेरिका, जो दुनिया भर में प्रेस की आजादी का झंडा उठाता रहा है, अब खुद उन पत्रकारों को बेसहारा छोड़ देगा जो उसकी ही लोकतांत्रिक नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए जान जोखिम में डालते हैं?
यह सिर्फ पत्रकारों का नहीं, बल्कि अमेरिका की साख और उसकी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी का भी सवाल है।
एलन मस्क की सोशल मीडिया कंपनी X (पूर्व में ट्विटर) में बड़े स्तर पर एक और झटका लगा है। कंपनी के विज्ञापन प्रमुख जॉन निट्टी (John Nitti) ने महज 10 महीने बाद ही अपना पद छोड़ दिया है।
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Samachar4media Bureau
एलन मस्क की सोशल मीडिया कंपनी X (पूर्व में ट्विटर) में बड़े स्तर पर एक और झटका लगा है। कंपनी के विज्ञापन प्रमुख जॉन निट्टी (John Nitti) ने महज 10 महीने बाद ही अपना पद छोड़ दिया है।
संभावित CEO उत्तराधिकारी माने जा रहे थे निट्टी
जॉन निट्टी को X में ग्लोबल हेड ऑफ रेवेन्यू ऑपरेशंस और ऐडवर्टाइजिंग इनोवेशन के रूप में नियुक्त किया गया था। कंपनी की पूर्व सीईओ लिंडा याकारिनो के जुलाई में इस्तीफा देने के बाद, निट्टी को उनके संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा था।
उनका इस्तीफा मस्क की कंपनी में लगातार हो रहे टॉप लेवल एग्जिक्यूटिव्स के बाहर जाने की कड़ी में एक और नाम जोड़ता है।
कई वरिष्ठ अधिकारी पहले ही छोड़ चुके हैं कंपनी
निट्टी से पहले, X के मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) महमूद रेजा बंकी ने अक्टूबर में इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले, मस्क की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी xAI के CFO और जनरल काउंसिल दोनों ने भी गर्मियों के दौरान पद छोड़ा था।
लगातार हो रहे ये इस्तीफे कंपनी के अंदर बढ़ते असंतोष और अस्थिर माहौल की ओर इशारा करते हैं।
अचानक फैसलों से बढ़ी नाराजगी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई वरिष्ठ अधिकारियों को मस्क की अचानक रणनीतिक बदलावों और एकतरफा फैसलों से नाराजगी है। बताया जा रहा है कि मस्क ने हाल ही में विज्ञापनों से हैशटैग हटाने का निर्णय भी बिना अपनी ऐड टीम से चर्चा किए ले लिया था, जिससे टीम के भीतर असंतोष और बढ़ गया।
विज्ञापन विभाग पर बढ़ा दबाव
एलन मस्क इन दिनों अपनी कंपनी के AI प्रोजेक्ट्स में अरबों डॉलर झोंक रहे हैं ताकि OpenAI और DeepMind जैसी कंपनियों से मुकाबला कर सकें।
इस बीच, विज्ञापन विभाग पर दबाव लगातार बढ़ रहा है क्योंकि X की ज्यादातर कमाई विज्ञापन से ही होती है।
हालांकि, 2023 के अंत में मस्क ने कुछ ब्रैंड्स से विवाद के बाद कहा था कि जो नहीं चाहें, वो “Go f* yourself**” कर सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद Disney जैसी बड़ी कंपनियां बाद में प्लेटफॉर्म पर लौट आईं।
फिर भी, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई ब्रैंड्स खुद को मजबूर महसूस करते हैं क्योंकि X ने Shell और Pinterest जैसी कंपनियों पर विज्ञापन बंद करने के आरोप में मुकदमे भी दर्ज किए हैं।
लंबे समय से विज्ञापन जगत में रहे हैं निट्टी
जॉन निट्टी इससे पहले करीब 9 साल तक Verizon में काम कर चुके हैं और उससे पहले American Express में भी लंबे समय तक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनके जाने से X के विज्ञापन विभाग में एक बार फिर नेतृत्व का खालीपन पैदा हो गया है।
न्यूजीलैंड में अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि सरकार 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल सीमित करने वाला बिल संसद में पेश करेगी।
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Samachar4media Bureau
न्यूजीलैंड में अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि सरकार 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल सीमित करने वाला बिल संसद में पेश करेगी। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ऑनलाइन मौजूदगी के दौरान बच्चे किसी तरह के नुकसान से बच सकें।
इस प्रस्तावित कानून के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को उम्र की पुष्टि (age verification) प्रक्रिया लागू करनी होगी। यह ऑस्ट्रेलिया में 2024 में पास हुए दुनिया के पहले किशोर सोशल मीडिया बैन कानून की तरह होगा।
इस बिल को मई में राष्ट्रीय पार्टी की सांसद कैथरीन वेड ने सदन में सदस्य बिल के रूप में पेश किया था। गुरुवार को इसे संसद में पेश करने के लिए चुना गया। हालांकि, राष्ट्रीय पार्टी के सदस्यों ने इसका समर्थन किया है, लेकिन उनके गठबंधन साझेदारों ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया कि वे बिल का समर्थन करेंगे या नहीं।
सदस्यों के बिल किसी भी सांसद द्वारा पेश किए जा सकते हैं जो कैबिनेट में नहीं है। इन्हें एक औपचारिक लॉटरी प्रक्रिया के बाद संसद में पेश किया जाता है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि बिल कब संसद में पेश होगा।
न्यूजीलैंड की एक संसदीय समिति सोशल मीडिया के बच्चों पर प्रभाव और सरकार, व्यवसाय एवं समाज की जिम्मेदारियों पर अध्ययन कर रही है। इस समिति की रिपोर्ट 2026 की शुरुआत में आने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने लगातार कहा है कि किशोरों में सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है, जिसमें गलत जानकारी, धमकियां और शरीर की छवि को लेकर नकारात्मक प्रभाव शामिल हैं।
हालांकि, नागरिक स्वतंत्रता संगठन PILLAR ने कहा कि यह बिल बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित नहीं रखेगा। इसके बजाय यह गोपनीयता के गंभीर जोखिम पैदा करेगा और न्यूजीलैंडवासियों की ऑनलाइन आजादी को सीमित करेगा। PILLAR के कार्यकारी निदेशक नाथन सियुली ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के साथ मेल खाना जिम्मेदार दिख सकता है, लेकिन यह नीतिगत दृष्टि से आलसी काम है।”
'कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स' (CPJ) ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह इजरायल पर दबाव बनाए ताकि गाजा में पत्रकारों के प्रवेश पर लगी पाबंदी तुरंत हटाई जा सके।
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पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले संगठन 'कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स' (CPJ) ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह इजरायल पर दबाव बनाए ताकि गाजा में पत्रकारों के प्रवेश पर लगी पाबंदी तुरंत हटाई जा सके। यह अपील ऐसे समय आई है जब इजरायल के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस प्रतिबंध से जुड़ी याचिका पर जवाब देने के लिए 30 दिन का और समय दे दिया है।
इजरायल सरकार ने अदालत से इस रोक की वैधता पर फैसला टालने की मांग की थी। यह सुनवाई साल 2025 में पहले ही तीन बार टाली जा चुकी थी। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों को गाजा में प्रवेश से लगातार रोका जा रहा है।
CPJ की सीईओ जोडी गिन्सबर्ग ने कहा, 'दो साल से पत्रकारों को गाजा में स्वतंत्र रूप से रिपोर्टिंग की अनुमति नहीं दी गई है। अब और इंतजार अस्वीकार्य है। हम इजरायली सरकार के और देरी करने के अनुरोध को खारिज करते हैं और मांग करते हैं कि तुरंत और बिना किसी प्रतिबंध के मीडिया को गाजा में प्रवेश दिया जाए। पत्रकारों को अभी गाजा में जाने का अधिकार है, न कि एक महीने बाद। जनता के जानने का अधिकार रोका नहीं जा सकता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस रोक को स्थायी बनने नहीं देना चाहिए।'
सुनवाई के दौरान राज्य के अटॉर्नी ने अदालत में माना कि 'स्थिति बदल गई है,' लेकिन उन्होंने कहा कि सरकार को अपना रुख दोबारा तय करने में एक और महीने का समय चाहिए। उन्होंने बताया कि इजरायल जल्द ही पत्रकारों के लिए सीमित 'आईडीएफ एस्कॉर्ट' यात्राएं शुरू करने की योजना बना रहा है, जो उस 'पीली रेखा' तक होंगी जहां इस महीने की शुरुआत में युद्धविराम के दौरान सेना पीछे हटी थी।
हालांकि, ये एस्कॉर्ट यात्राएं बेहद सीमित और सेना के सख्त नियंत्रण में होती हैं। पत्रकारों को सिर्फ कुछ घंटों के लिए गाजा ले जाया जाता है, खास स्थान दिखाए जाते हैं और उन्हें स्थानीय फिलिस्तीनियों से स्वतंत्र रूप से बात करने की अनुमति नहीं होती। यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के विपरीत है, जो स्वतंत्र मीडिया पहुंच को अनिवार्य मानते हैं। सेना के साथ जाने की ऐसी यात्राएं पत्रकारिता की स्वतंत्रता नहीं देतीं, बल्कि उन्हें एक प्रचार उपकरण में बदल देती हैं।
फॉरेन प्रेस एसोसिएशन (FPA) की ओर से याचिका दायर करने वाले वकील गिलियड शेअर (Gilead Sher) ने अदालत में कहा कि इजरायल को कई बार युद्धविराम के दौरान या संघर्ष कम होने पर इस प्रतिबंध की समीक्षा का मौका मिला, लेकिन उसने कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े मुद्दों पर 'कोई तत्परता' नहीं दिखाई है। अब तक केवल आठ FPA पत्रकारों को ही IDF के साथ गाजा ले जाने की अनुमति दी गई है।
CPJ ने 5 अक्टूबर को FPA की दूसरी याचिका के समर्थन में एक एमिकस ब्रीफ (amicus brief) दाखिल किया था, जिसमें गाजा में पत्रकारों के स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रवेश की मांग की गई थी। अदालत ने इस दस्तावेज को स्वीकार कर लिया है और इसे अगली सुनवाई में विचार के लिए रखा जाएगा।
अंत में CPJ ने फिर दोहराया कि इजरायल को पत्रकारों पर लगी रोक तुरंत हटानी चाहिए और एक पारदर्शी व निष्पक्ष प्रणाली बनानी चाहिए ताकि सभी पत्रकार गाजा में सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। संगठन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर युद्धविराम कराने वाले देशों से अपील की कि गाजा में स्वतंत्र मीडिया की पहुंच सुनिश्चित करना इजरायल के लिए अनिवार्य शर्त होनी चाहिए, बिना सेंसरशिप और बिना डर के।
ब्रिटिश टेलीविजन के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी कार्यक्रम को AI प्रेजेंटर ने होस्ट किया।
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Samachar4media Bureau
ब्रिटेन के 'चैनल 4' ने इतिहास रच दिया है। इस टीवी चैनल ने पहली बार अपने एक करंट अफेयर्स प्रोग्राम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एंकर का इस्तेमाल किया। यह एपिसोड सोमवार को प्रसारित हुआ, जिसमें उभरती तकनीकों के असर पर चर्चा की गई।
बताया जा रहा है कि ब्रिटिश टेलीविजन के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी कार्यक्रम को AI प्रेजेंटर ने होस्ट किया। हालांकि, 'चैनल 4' में न्यूज एंड करंट अफेयर्स की हेड लुइसा कॉम्पटन (Louisa Compton) ने साफ किया कि फिलहाल इसे नियमित तौर पर इस्तेमाल करने की कोई योजना नहीं है।
‘डिस्पैचेज’ शो में दिखा AI एंकर
'चैनल 4' के लंबे समय से चल रहे करंट अफेयर्स शो Dispatches के नए एपिसोड में इस AI प्रेजेंटर का इस्तेमाल किया गया। इस फैसले के पीछे मकसद था यह समझना कि डिजिटल युग में भरोसे और असली जानकारी की अहमियत पर AI का क्या असर पड़ रहा है।
कॉम्पटन ने कहा कि 'चैनल 4' हमेशा प्रीमियम और फैक्ट-चेक्ड जर्नलिज्म पर ध्यान देता है, जो काम AI नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रयोग दिखाता है कि AI तकनीक कितनी ‘डिसरप्टिव’ हो सकती है और कैसे यह बिना जांचे-परखे कंटेंट से दर्शकों को भ्रमित कर सकती है।
विभिन्न इंडस्ट्रीज में AI के असर पर केंद्रित रहा एपिसोड
एपिसोड का नाम था 'Will AI Take My Job?' यानी 'क्या AI मेरी नौकरी ले लेगा?' इसमें लॉ, म्यूजिक, फैशन और मेडिकल जैसे कई इंडस्ट्रीज पर AI के प्रभाव की पड़ताल की गई। कार्यक्रम के आखिर में यह खुलासा किया गया कि शो की एंकर ‘आइशा गबान’ (Aisha Gaban) असल में एक इंसान नहीं, बल्कि पूरी तरह से कंप्यूटर द्वारा बनाई गई AI होस्ट थी।
उन्होंने खुद दर्शकों से कहा, 'आपमें से कुछ ने शायद अंदाजा लगाया होगा कि मैं असल में मौजूद नहीं हूं। मैं इस स्टोरी को कवर करने के लिए कहीं नहीं गई थी। मेरी आवाज और चेहरा, दोनों AI की मदद से तैयार किए गए हैं।'
AI एंकर का इस्तेमाल नया नहीं
शो में यह भी बताया गया कि ब्रिटेन के करीब तीन-चौथाई बॉस अब अपने दफ्तरों में ऐसे कामों के लिए AI टूल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं जो पहले इंसान किया करते थे। वैसे टीवी पर AI प्रेजेंटर का इस्तेमाल पहली बार नहीं हुआ है। चीन और भारत जैसे देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी Xinhua ने साल 2018 में एक डिजिटल न्यूज एंकर पेश किया था, जो उनके असली एंकर की AI प्रतिकृति थी और उसी की तरह खबरें पढ़ता था। वहीं भारत में भी कई न्यूज चैनल्स पर इस तरह AI न्यूज एंकर ने खबरें पढ़ी हैं।
इटली के शीर्ष खोजी पत्रकारों में से एक सिगफ्रीडो रानूची (Sigfrido Ranucci) के घर के बाहर गुरुवार देर रात बम धमाका हुआ।
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Samachar4media Bureau
इटली के शीर्ष खोजी पत्रकारों में से एक सिगफ्रीडो रानूची (Sigfrido Ranucci) के घर के बाहर गुरुवार देर रात बम धमाका हुआ। इस धमाके में उनके परिवार की दो कारें क्षतिग्रस्त हो गईं। घटना के बाद पत्रकारों और नेताओं ने रानूची के समर्थन में एकजुटता जताई है।
सिगफ्रीडो रानूची, जो सरकारी चैनल RAI के साप्ताहिक खोजी शो 'Report' के एंकर हैं, लंबे समय से पुलिस सुरक्षा में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें और उनके न्यूज रूम को लगातार धमकियां मिलती रहती हैं, जिनमें गोलियां भेजना भी शामिल है।
रानूची ने बताया कि लगभग एक किलो वजनी बम उनके घर के बाहर गेट के पास लगाया गया था। यह इलाका कैंपो अस्कोलानो (Campo Ascolano) है, जो रोम से करीब 30 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। धमाका रात 10:17 बजे हुआ, यानी लगभग 20 मिनट बाद जब वे घर लौटे थे। विस्फोट में उनकी और उनकी बेटी की कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।
रानूची ने कहा, 'सौभाग्य से कोई घायल नहीं हुआ। बस काफी तेज झटका महसूस हुआ।'
इतालवी न्यूज एजेंसी ANSA के मुताबिक, इस मामले में माफिया जैसी कार्यशैली अपनाने के आरोपों के साथ आपराधिक क्षति के मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
इस सप्ताह की शुरुआत में पत्रकार संगठन FNSI ने बताया था कि 2025 की पहली छमाही में 81 पत्रकारों को धमकी या हिंसा का सामना करना पड़ा, जिनमें 16 मामलों में शारीरिक हमले शामिल थे। यह संख्या 2024 की इसी अवधि में दर्ज 46 मामलों से कहीं ज्यादा है।
प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि 'यह एक गंभीर धमकी की घटना है। सूचना की स्वतंत्रता और निष्पक्षता हमारे लोकतंत्र की मूल आत्मा है, और हम इसकी रक्षा करते रहेंगे।'
गृह मंत्री माटेयो पियांटेदोसी (Matteo Piantedosi) ने घोषणा की कि रानूची की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी और उन्हें एक बख्तरबंद (armoured) कार भी दी जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय पत्रकार महासंघ (International Federation of Journalists) ने इस बम हमले को 'बेहद चिंताजनक' बताया, क्योंकि यह माल्टा में भ्रष्टाचार विरोधी पत्रकार डेफनी कारोआना गलीजिया (Daphne Caruana Galizia) की हत्या की बरसी के आसपास हुआ है। संगठन ने कहा, 'हम इस हमले की सख्त निंदा करते हैं। यह मीडिया की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। हम मांग करते हैं कि पूरी जांच कर अपराधियों को सजा दी जाए।'
'Report' कार्यक्रम, जो इटली का सबसे प्रसिद्ध खोजी शो माना जाता है, अक्सर सरकार की नीतियों पर तीखे सवाल उठाता रहा है। शो पर प्रधानमंत्री मेलोनी के कई सहयोगियों — जिनमें वित्त मंत्री जियानकार्लो जियोर्जेटी, उद्योग मंत्री अडोल्फो उर्सो और उनके चीफ ऑफ स्टाफ गैटानो कापुती शामिल हैं, ने पहले मुकदमे भी दायर किए थे।
इस पॉलिसी का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखना बताया गया है, लेकिन पत्रकारों और मीडिया संगठनों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए विरोध जताया है।
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Vikas Saxena
अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने हाल ही में पत्रकारों के लिए एक नई मीडिया पॉलिसी लागू की है, जिसके तहत उन्हें बिना अनुमति के कोई भी जानकारी प्रकाशित नहीं करने की शपथ लेनी होगी और पेंटागन में उनकी गतिविधियां सिर्फ कुछ निर्धारित क्षेत्रों तक सीमित रहेंगी, जब तक कि वे किसी अधिकारी के साथ न हों।
इस पॉलिसी का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखना बताया गया है, लेकिन पत्रकारों और मीडिया संगठनों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए विरोध जताया है।
न्यूयॉर्क टाइम्स, एसोसिएटेड प्रेस, रॉयटर्स, सीबीएस न्यूज, फॉक्स न्यूज, और द वॉशिंगटन पोस्ट जैसे प्रमुख मीडिया संगठनों ने इस पॉलिसी पर आपत्ति जताई है। इनका कहना है कि यह पॉलिसी पत्रकारों को बिना अनुमति के कोई भी जानकारी प्रकाशित करने से रोकती है, जिससे स्वतंत्र पत्रकारिता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
पत्रकारों की प्रतिक्रिया
पत्रकारों ने इस पॉलिसी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए पेंटागन से अपनी प्रेस पास लौटा दी है और कार्यस्थल छोड़ दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे अपनी रिपोर्टिंग जारी रखेंगे, लेकिन अब उन्हें पेंटागन के अंदर से रिपोर्टिंग करने की अनुमति नहीं होगी। पत्रकारों का कहना है कि यह पॉलिसी प्रेस स्वतंत्रता और स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए खतरा है।
पेंटागन का पक्ष
पेंटागन के प्रवक्ता शॉन पार्नेल ने इस पॉलिसी का बचाव करते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारों को केवल यह स्वीकार करना होगा कि वे पॉलिसी को समझते हैं, न कि उस पर सहमति जतानी होगी।
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह पॉलिसी पत्रकारों को अपनी स्वतंत्रता से वंचित करती है और सरकार द्वारा नियंत्रित जानकारी के प्रसार को बढ़ावा देती है। इस विरोध के बावजूद, पेंटागन ने कहा था कि मंगलवार शाम 5 बजे तक पत्रकारों को इस पॉलिसी को स्वीकार करना होगा, अन्यथा उन्हें अपने प्रेस बैज लौटाने होंगे और कार्यस्थल छोड़ना होगा। इस अल्टीमेटम के बाद कम से कम 30 प्रमुख मीडिया संगठनों ने इस पॉलिसी को अस्वीकार कर दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एयर फोर्स वन पर आयोजित प्रेस सेशन के दौरान Politico की महिला पत्रकार दशा बर्न्स (Dasha Burns) के सवालों का उत्तर नहीं दिया
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Samachar4media Bureau
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एयर फोर्स वन पर आयोजित प्रेस सेशन के दौरान Politico की महिला पत्रकार दशा बर्न्स (Dasha Burns) के सवालों का उत्तर नहीं दिया और उनकी कंपनी को “फेक न्यूज” कहकर खारिज कर दिया।
ट्रंप उस समय तेल अवीव जा रहे थे, ताकि इजरायल और हमास के बीच शांति समझौते के पहले चरण की निगरानी कर सकें। प्रेस सेशन लगभग 25 मिनट तक चला, जिसमें मध्य पूर्व की स्थिति से लेकर संभावित सरकार बंद होने तक के सवाल उठाए गए।
हालांकि, मामला तब बदल गया जब दशा बर्न्स ने चीन पर हाल ही में लगाए गए टैरिफ के बारे में सवाल पूछना शुरू किया। जब उन्होंने 100% टैरिफ के प्रस्ताव के बारे में पूछा, ट्रंप ने हंसते हुए कहा, “वाह, तुम बहुत सवाल पूछती हो। तुम किसके साथ हो?” जब बर्न्स ने खुद को Politico की रिपोर्टर बताया, तो ट्रंप ने जवाब दिया, “Politico खराब हो गया है। उन्होंने हर चीज में गलती की है!” इसके बाद उन्होंने उनके सवाल बंद करवा दिए और कहा, “कृपया कोई और सवाल पूछे, क्योंकि Politico फेक न्यूज है।”
दशा बर्न्स पहले NBC News की राष्ट्रीय संवाददाता रह चुकी हैं और अब Politico की व्हाइट हाउस ब्यूरो चीफ हैं। वे ट्रंप से नए टैरिफ के संभावित आर्थिक प्रभावों पर सवाल कर रही थीं, लेकिन ट्रंप ने इसे चीन के दुर्लभ धातु निर्यात प्रतिबंधों का जवाब बताया और कहा कि यह उनकी पहल नहीं थी।
साथ ही, ट्रंप ने इजरायल में हमास द्वारा बंदी बनाए गए 20 अगवा लोगों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि बंदी जल्दी ही रिहा किए जा सकते हैं और उनकी परिस्थितियां काफी कठिन रही हैं। यह रिहाई उस बड़े समझौते का हिस्सा है, जिसमें हमास लगभग 2,000 फिलस्तीनी कैदियों के बदले 20 बंदियों को छोड़ने की योजना बना रहा है।
नेटिजन्स ने ट्रंप की प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया दी। एक यूजर ने लिखा, “यही वह हमेशा करता है।” एक अन्य ने कहा, “यदि वह सवालों का जवाब नहीं देता, तो जवाब देने की जरूरत नहीं।” कई ने कहा कि केवल तभी फेक न्यूज होती है जब रिपोर्ट उसके मनमाने अनुसार न हो।
इस घटना ने एक बार फिर दिखाया कि ट्रंप प्रेस से सवाल पूछने वाले पत्रकारों के प्रति अक्सर सीधे और विवादास्पद रवैया अपनाते हैं।
जब यह प्लेटफॉर्म अमेरिकी नियंत्रण में आएगा, तो बैरन ट्रम्प को इसमें प्रमुख भूमिका देने पर विचार किया जा रहा है।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के छोटे बेटे बैरन ट्रम्प को अब TikTok में एक बड़ा पद देने पर विचार किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, जब यह प्लेटफॉर्म अमेरिकी नियंत्रण में आएगा, तो बैरन ट्रम्प को इसमें प्रमुख भूमिका देने पर विचार किया जा रहा है। यह जानकारी राष्ट्रपति के पूर्व सोशल मीडिया मैनेजर Jake Advent ने दी। वैसे बता दें कि बैरन ट्रम्प को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और युवा मतदाताओं के बीच कनेक्शन बनाने में मदद करने का श्रेय दिया जाता है।
Jake Advent, जिन्हें राष्ट्रपति प्यार से “TikTok Jack” कहते हैं, ने Daily Mail को बताया, “मुझे उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रम्प अपने बेटे बैरन और अन्य युवा अमेरिकियों को TikTok के बोर्ड में शामिल करेंगे, ताकि यह ऐप युवाओं के लिए आकर्षक बना रहे।”
बैरन ने चुनाव में कैसे की मदद
2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान, बैरन ट्रम्प ने अपने पिता के चुनाव अभियान में पॉडकास्ट सलाहकार के रूप में काम किया। उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प का कैंपेन टीवी से पॉडकास्ट-केंद्रित रणनीति की ओर मोड़ा, जिससे युवा दर्शकों तक उनकी पहुंच बढ़ी।
ट्रम्प के वरिष्ठ सलाहकार Jason Miller ने बैरन की तारीफ करते हुए कहा, “इस युवा की हर सिफारिश ने इंटरनेट पर धमाल मचा दिया। उन्हें सलाम।”
TikTok अब अमेरिकी नियंत्रण में
सितंबर के अंत में, डोनाल्ड ट्रम्प ने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि उनकी योजना TikTok के अमेरिकी संचालन को अमेरिकी और वैश्विक निवेशकों को बेचने की, 2024 के कानून में तय राष्ट्रीय सुरक्षा नियमों के अनुसार होगी। हालांकि अब तक यह एक चीनी कंपनी बाइटडांस के स्वामित्व में थी।
ट्रम्प ने प्लेटफॉर्म पर लौटते हुए घोषणा की, “TikTok के सभी युवाओं, मैंने TikTok को बचाया है, इसलिए आप मेरा आभार व्यक्त कर सकते हैं। अब आप मुझे ओवल ऑफिस में देख रहे हैं और किसी दिन आप में से कोई इसी डेस्क पर बैठने वाला है और आप भी बेहतरीन काम करेंगे।”
अमेरिकी सरकार के आदेश के अनुसार, टिकटॉक का अमेरिकी ऐप अब एक नई अमेरिकी कंपनी द्वारा संचालित होगा। इस कंपनी का अधिकांश हिस्सा और नियंत्रण अमेरिकी लोगों के पास होगा। ओरेकल, सिल्वर लेक और कुछ अन्य अमेरिकी निवेशक इस नई कंपनी में बहुमत हिस्सेदारी रखेंगे। इसमें यह भी कहा गया कि टिकटॉक की चीनी मालिक कंपनी बाइटडांस इस संस्था में 20 प्रतिशत से कम हिस्सेदारी रखेगी। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने घोषणा की थी कि टिकटॉक यूएस का मूल्य 14 बिलियन डॉलर होगा।
उन्होंने कहा था कि हम टिकटॉक को अमेरिका में चलाने की अनुमति देना चाहते थे, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहते थे कि अमेरिकी नागरिकों की डेटा गोपनीयता कानून के अनुसार सुरक्षित रहे। इस समझौते से अमेरिकी लोग टिकटॉक का उपयोग अधिक भरोसे के साथ कर सकेंगे, क्योंकि उनका डेटा सुरक्षित रहेगा और इसे प्रचार के हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
वेंस ने इस बात पर भी जोर दिया था कि टिकटॉक के एल्गोरिदम का नियंत्रण अमेरिकी निवेशकों के पास रहेगा।
अमेरिकी मीडिया कंपनी पैरामाउंट (Paramount) लीनियर टेलीविजन मार्केट से बड़े पैमाने पर पीछे हटने की योजना बना रही है।
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अमेरिकी मीडिया कंपनी पैरामाउंट (Paramount) लीनियर टेलीविजन मार्केट से बड़े पैमाने पर पीछे हटने की योजना बना रही है। इसके तहत यूरोप में कई MTV चैनल 2025 के अंत में बंद हो जाएंगे।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन में MTV Music, MTV 80s, MTV 90s, Club MTV और MTV Live 31 दिसंबर 2025 को ऑफ एयर हो जाएंगे। वहीं, प्रमुख चैनल MTV HD, जो अब मुख्य रूप से रियलिटी और एंटरटेनमेंट फॉर्मेट पर केंद्रित है, उपलब्ध रहेगा। यह फैसला दर्शकों में लीनियर म्यूजिक चैनलों की लंबी अवधि से गिरती लोकप्रियता और दर्शकों के YouTube और TikTok जैसी प्लेटफॉर्म्स की ओर बढ़ते रुझान को दर्शाता है।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्रिटेन में ये बंद होने वाले चैनल पैरामाउंट के अंतरराष्ट्रीय पोर्टफोलियो के व्यापक पुनर्संयोजन का हिस्सा हैं। मध्य और पूर्वी यूरोप के कई मार्केट्स में, जिनमें पोलैंड और हंगरी शामिल हैं, MTV Music, TeenNick, NickMusic, Comedy Central Extra और Paramount Network 2025 के अंत में बंद होने की उम्मीद है। बेनेलक्स क्षेत्र से भी ऐसी ही रिपोर्ट्स सामने आई हैं, जहां MTV 80s, MTV 00s और अन्य थीमेटिक चैनलों के स्थानीय संस्करण भी बंद किए जा रहे हैं।
जिन टीवी प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स ने Broadband TV News को पुष्टि दी, उनके अनुसार MTV की पैरेंट कंपनी जर्मनी और ऑस्ट्रिया में भी MTV ब्रैंडेड चैनलों को बंद करेगी। जर्मनी में एक ऑपरेटर ने अपने B2B ग्राहकों को पहले ही MTV Live HD के साल के अंत में बंद होने की जानकारी दे दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पैरामाउंट ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और ब्राजील में भी MTV म्यूजिक चैनल बंद करने वाला है। ये बंदी कंपनी की वैश्विक पोर्टफोलियो में 500 मिलियन डॉलर तक की लागत बचाने की योजना का हिस्सा है।
अगस्त में, पैरामाउंट ने Paramount Television Studios को बंद किया गया था, जो Jack Ryan और The Spiderwick Chronicles जैसी सीरीज बनाता था।
वैसे इन सबका असर ब्रिटेन में MTV प्रोडक्शंस पर भी पड़ा है, जहां Gonzo और Fresh Out UK जैसे मूल शो रद्द कर दिए गए।
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने मंगलवार को संसद (फोकटिंग) के उद्घाटन सत्र के दौरान घोषणा की कि देश में 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
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Samachar4media Bureau
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने मंगलवार को संसद (फोकटिंग) के उद्घाटन सत्र के दौरान घोषणा की कि देश में 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मोबाइल फोन और सोशल नेटवर्क “हमारे बच्चों का बचपन चुरा रहे हैं।” अपने भाषण में उन्होंने कहा, “हमने एक राक्षस को आजाद कर दिया है। पहले कभी इतने बच्चों और युवाओं में चिंता और अवसाद के इतने मामले नहीं देखे गए।”
फ्रेडरिक्सन ने कहा कि आज कई बच्चों को पढ़ने और ध्यान लगाने में भी मुश्किल होती है, क्योंकि स्क्रीन पर वे वो चीज़ें देख रहे हैं जो किसी बच्चे या युवा को नहीं देखनी चाहिए।”
हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि यह नया नियम किन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लागू होगा, लेकिन इतना कहा कि यह “कई” सोशल नेटवर्क्स को कवर करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि इसमें एक अपवाद (exception) होगा। यानी यदि माता-पिता चाहें, तो वे अपने बच्चे को 13 साल की उम्र से सोशल मीडिया इस्तेमाल करने की अनुमति दे सकते हैं।
सरकार को उम्मीद है कि यह प्रतिबंध अगले साल से लागू हो सकता है।
यह कदम ऑस्ट्रेलिया और नॉर्वे की नीति की तर्ज पर उठाया गया है। ऑस्ट्रेलिया में फेसबुक, स्नैपचैट, टिकटॉक और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बैन लागू किया जा रहा है, जबकि नॉर्वे के प्रधानमंत्री योनास गहर स्टोरे ने भी सोशल मीडिया की न्यूनतम आयु सीमा 13 से बढ़ाकर 15 साल करने का ऐलान किया है।
योनास ने पिछले साल कहा था कि यह “एक कठिन लड़ाई” होगी, लेकिन बच्चों को “एल्गोरिद्म की ताकत” से बचाने के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप जरूरी है।
डेनमार्क की डिजिटलाइजेशन मंत्री कैरोलीन स्टेज ने इस घोषणा को “एक बड़ी प्रगति” बताया। उन्होंने कहा, “मैं पहले भी कह चुकी हूं और दोबारा कहूंगी कि हम बहुत भोले रहे हैं। हमने बच्चों की डिजिटल दुनिया उन प्लेटफॉर्म्स के हवाले कर दी जिनका उनके हितों से कोई लेना-देना नहीं था। अब हमें डिजिटल कैद से बाहर निकलकर समुदाय की ओर बढ़ना होगा।”
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कुछ चिंताजनक आंकड़े भी साझा किए। उन्होंने बताया कि 11 से 19 साल के 60% लड़के अपने खाली समय में किसी दोस्त से नहीं मिलते, जबकि 94% डेनिश बच्चे सातवीं कक्षा तक पहुंचने से पहले ही सोशल मीडिया पर प्रोफाइल बना लेते हैं।
उन्होंने दोहराया, “मोबाइल फोन और सोशल मीडिया हमारे बच्चों का बचपन चुरा रहे हैं।”
यह घोषणा उस फैसले के बाद आई है, जिसमें डेनमार्क ने फरवरी में सभी स्कूलों और आफ्टर-स्कूल क्लबों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। यह फैसला सरकार की वेलबीइंग कमीशन की सिफारिश पर लिया गया था, जिसने यह निष्कर्ष निकाला कि 13 साल से कम उम्र के बच्चों के पास अपना मोबाइल फोन या टैबलेट नहीं होना चाहिए।
बच्चों और युवाओं पर सोशल मीडिया के प्रभाव को लेकर किए जा रहे कई अंतरराष्ट्रीय शोधों ने दुनियाभर की सरकारों को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने के लिए मजबूर किया है।
इसी साल जून में ग्रीस ने यूरोपीय संघ से यह प्रस्ताव रखा था कि एक “डिजिटल वयस्कता की आयु सीमा (age of digital adulthood)” तय की जाए, ताकि माता-पिता की अनुमति के बिना बच्चे सोशल मीडिया तक पहुंच न सकें।