'द गार्जियन' ने इस वजह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X को कहा 'अलविदा'

ब्रिटेन के प्रमुख अखबार 'गार्जियन' ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने आधिकारिक अकाउंट से पोस्ट करना बंद करने का फैसला लिया है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 14 November, 2024
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Thursday, 14 November, 2024
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ब्रिटेन के प्रमुख अखबार 'गार्जियन' ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने आधिकारिक अकाउंट से पोस्ट करना बंद करने का फैसला लिया है। गार्जियन का कहना है कि X पर बढ़ते नकारात्मक प्रभाव और नस्लवाद, कॉन्स्पिरेसी थ्योरीज़ जैसी आपत्तिजनक सामग्री के चलते अब इस प्लेटफॉर्म पर बने रहने का कोई विशेष लाभ नहीं है।

गार्जियन ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि X पर लाभ से अधिक अब नकारात्मक प्रभाव बढ़ गए हैं, और हमारी पत्रकारिता को प्रमोट करने के लिए इन संसाधनों का उपयोग अन्यत्र बेहतर तरीके से किया जा सकता है।" गार्जियन ने यह निर्णय काफी विचार करने के बाद लिया, क्योंकि उनका मानना है कि X पर अकसर चरमपंथी विचारधाराओं और नस्लवाद को बढ़ावा दिया जाता है। 

अखबार ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान इस बात पर और भी स्पष्टता आई कि X अब एक "विषैला मीडिया प्लेटफॉर्म" बन गया है। गार्जियन का मानना है कि इसके मालिक एलॉन मस्क ने इस प्लेटफॉर्म के प्रभाव का इस्तेमाल राजनीतिक संवाद को अपने हित में मोड़ने के लिए किया है। 

हालांकि, गार्जियन ने यह भी स्पष्ट किया है कि X के उपयोगकर्ता अभी भी उनके आर्टिकल्स को प्लेटफॉर्म पर शेयर कर सकेंगे। इसके अलावा न्यूज इकठ्ठा करने के उद्देश्यों के लिए भी रिपोर्टर इसका प्रयोग कर सकते हैं।

गार्जियन की स्थापना 1821 में "मैनचेस्टर गार्जियन" के रूप में हुई थी, और बाद में 1959 में इसका नाम बदलकर "गार्जियन" कर दिया गया और इसका मुख्यालय लंदन में स्थापित किया गया। X पर गार्जियन के आधिकारिक अकाउंट के करीब 10.8 मिलियन फॉलोअर्स हैं, जो उसकी व्यापक लोकप्रियता को दर्शाता है।

गार्जियन के इस कदम से सोशल मीडिया पर बढ़ते नफरत और नस्लीय विचारधाराओं के प्रभाव को लेकर एक गंभीर संदेश गया है। यह कदम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास माना जा रहा है।

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पाकिस्तान सरकार के आलोचकों की अभिव्यक्ति पर संकट, यूट्यूब ने उठाया ये कदम

डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों का कहना है कि यदि यह प्रतिबंध लागू होता है, तो पाकिस्तान में पहले से ही सीमित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कमजोर हो जाएगी।

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Published - Thursday, 10 July, 2025
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Thursday, 10 July, 2025
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अल्फाबेट के स्वामित्व वाले यूट्यूब ने पाकिस्तान सरकार की आलोचना करने वाले दो दर्जन से अधिक कंटेंट क्रिएटर्स को सूचित किया है कि वह उनके चैनलों को ब्लॉक करने संबंधी अदालत के आदेश की समीक्षा कर रहा है। इन चैनलों पर "राष्ट्र-विरोधी" कंटेंट प्रसारित करने का आरोप है।

24 जून को जारी और इस सप्ताह सार्वजनिक हुए इस अदालती आदेश में कहा गया है कि जिन चैनलों को ब्लॉक किया जा सकता है, उनमें मुख्य विपक्षी पार्टी, उसके नेता और जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ-साथ कई स्वतंत्र पत्रकारों के यूट्यूब चैनल शामिल हैं, जो सरकार की आलोचना करते रहे हैं।

इस्लामाबाद की एक न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने यह आदेश उस रिपोर्ट के बाद दिया, जिसमें पाकिस्तान की नेशनल साइबर क्राइम इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने 2 जून को इन चैनलों को राज्य संस्थानों और अधिकारियों के खिलाफ “अत्यंत उकसाऊ, भड़काऊ और अपमानजनक सामग्री” प्रसारित करने का दोषी ठहराया था।

डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों का कहना है कि यदि यह प्रतिबंध लागू होता है, तो पाकिस्तान में पहले से ही सीमित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कमजोर हो जाएगी। देश में जहां मुख्यधारा की प्रेस और टीवी चैनलों पर पाबंदियों के आरोप हैं, वहीं सोशल मीडिया को अब तक असहमति जाहिर करने का एकमात्र माध्यम माना जाता रहा है।

यूट्यूब ने 27 कंटेंट क्रिएटर्स को ईमेल भेजकर चेतावनी दी है कि यदि वे अदालत के आदेशों का पालन नहीं करते हैं, तो उनके चैनल बंद किए जा सकते हैं। ईमेल में कहा गया, “यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो हमारी स्थानीय कानूनों के तहत की जाने वाली जिम्मेदारियों के अनुसार हम बिना किसी अतिरिक्त सूचना के अनुरोध को मान सकते हैं।”

 

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X की CEO लिंडा याकारिनो ने दिया इस्तीफा

याकारिनो का कार्यकाल ऐसे समय में समाप्त हुआ है जब X (ट्विटर) नई दिशा में अग्रसर हो रहा है और XAI जैसे नए इनिशिएटिव्स पर कंपनी का फोकस बढ़ रहा है।

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Published - Thursday, 10 July, 2025
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Thursday, 10 July, 2025
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एक्स (पहले ट्विटर) की CEO लिंडा याकारिनो ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी में दो वर्षों तक नेतृत्व संभालने के बाद उन्होंने अपने विदाई संदेश में इसे ‘जिंदगी का सबसे बड़ा अवसर’ बताया।

लिंडा याकारिनो ने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए लिखा, “हमने उस शुरुआती अहम काम से शुरुआत की, जो यूजर्स- खासतौर पर बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए जरूरी था और साथ ही विज्ञापनदाताओं का भरोसा फिर से बहाल करने की दिशा में कदम उठाए।”

उन्होंने आगे कहा, “इस टीम ने लगातार मेहनत की, फिर चाहे वो ग्राउंडब्रेकिंग इनोवेशन Community Notes हो या जल्द आने वाला X Money... हम सबसे प्रभावशाली आवाजों और कंटेंट को इस प्लेटफॉर्म पर लेकर आए। अब, जब @xai के साथ X एक नए अध्याय में प्रवेश कर रहा है, तो सबसे अच्छा अभी आना बाकी है।”

याकारिनो का कार्यकाल ऐसे समय में समाप्त हुआ है जब X (ट्विटर) नई दिशा में अग्रसर हो रहा है और XAI जैसे नए इनिशिएटिव्स पर कंपनी का फोकस बढ़ रहा है। उनकी विदाई को एक युग के समापन के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें X ने कंटेंट, विज्ञापन और सुरक्षा को लेकर कई बड़े बदलावों की शुरुआत की थी।

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पैगंबर मुहम्मद व मूसा को लेकर कार्टून छापने पर चार पत्रकार गिरफ्तार

तुर्की की प्रसिद्ध व्यंग्य पत्रिका LeMan के एक कार्टून को लेकर मचे विवाद के बीच चार पत्रकारों को सोमवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

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Published - Tuesday, 01 July, 2025
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Tuesday, 01 July, 2025
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तुर्की की प्रसिद्ध व्यंग्य पत्रिका LeMan के एक कार्टून को लेकर मचे विवाद के बीच चार पत्रकारों को सोमवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इस कार्टून पर आरोप है कि इसमें पैगंबर मुहम्मद और पैगंबर मूसा को आपत्तिजनक ढंग से चित्रित किया गया है, जिससे धार्मिक समुदाय में गहरा आक्रोश फैल गया।

गिरफ्तार किए गए पत्रकारों में प्रमुख कार्टूनिस्ट डोआन पहलवान, एक ग्राफिक डिजाइनर, LeMan के मुख्य संपादक और संस्थागत निदेशक शामिल हैं। तुर्की के गृह मंत्री अली यरलीकाया ने X (पूर्व में ट्विटर) पर इन गिरफ्तारियों की पुष्टि करते हुए लिखा, “मैं एक बार फिर उन लोगों को धिक्कारता हूं जो हमारे प्यारे पैगंबर मुहम्मद की कार्टून बनाकर समाज में फूट डालना चाहते हैं। यह घृणित चित्र बनाने वाले DP को पकड़ लिया गया है और उसे हिरासत में लिया गया है… ये बेशर्म लोग कानून के सामने जवाबदेह होंगे।”

मंत्री द्वारा साझा किए गए तीन वीडियो में देखा गया कि पुलिसकर्मी अन्य तीन आरोपियों को बलपूर्वक उनके घरों से निकालकर पुलिस वैन में ले जा रहे हैं, जिनमें से एक व्यक्ति नंगे पांव था। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्टून के सिलसिले में कुल छह लोगों पर हिरासत के आदेश जारी किए गए हैं।

इससे पहले तुर्की के न्याय मंत्री यिलमाज तुंच ने पत्रिका LeMan के खिलाफ “सार्वजनिक रूप से धार्मिक मूल्यों का अपमान” करने के आरोप में औपचारिक जांच की घोषणा की थी।

विवादित कार्टून में पैगंबर मुहम्मद और पैगंबर मूसा को आकाश में हवा में मिलते हुए दिखाया गया है, जबकि नीचे मिसाइलें गिर रही हैं। इस छवि को लेकर कई धार्मिक संगठनों और रूढ़िवादी तबकों ने इसे मजहबी भावनाओं का घोर अपमान बताया। कार्टून प्रकाशित होने के बाद एक इस्लामिक गुट से जुड़े युवाओं के एक समूह ने LeMan के इस्तांबुल मुख्यालय पर पथराव भी किया।

न्याय मंत्री तुंच ने कहा, “ऐसे चित्र न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाते हैं, बल्कि सामाजिक सद्भाव को भी नुकसान पहुंचाते हैं। कोई भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इस बात की इजाजत नहीं देती कि किसी धर्म के पवित्र मूल्यों का भद्दे तरीके से मजाक उड़ाया जाए।”

यह घटना 2015 में पेरिस स्थित फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका Charlie Hebdo पर हुए आतंकवादी हमले की याद दिलाती है, जब पैगंबर मुहम्मद के कार्टून छापने के विरोध में दो बंदूकधारियों ने दफ्तर में घुसकर 12 लोगों की हत्या कर दी थी, जिनमें कई जाने-माने कार्टूनिस्ट भी शामिल थे।

LeMan मामले में तुर्की सरकार और धार्मिक समुदाय के व्यापक विरोध के बाद यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान का केंद्र बनता जा रहा है। प्रेस स्वतंत्रता और धार्मिक संवेदनशीलता के टकराव के इस नए उदाहरण ने तुर्की में एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि व्यंग्य की सीमाएं क्या होनी चाहिए और क्या धार्मिक आस्था पर सवाल उठाने की कोई नैतिक या कानूनी इजाजत होनी चाहिए।

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वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार थॉमस फाम लेग्रो पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी का आरोप

वॉशिंगटन पोस्ट में कार्यरत पत्रकार और वॉशिंगटन डीसी निवासी 48 वर्षीय थॉमस फाम लेग्रो को शुक्रवार को अमेरिकी जिला अदालत में पेश किया गया। उन पर बाल अश्लील सामग्री रखने के आरोप का आरोप है।

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Published - Saturday, 28 June, 2025
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Saturday, 28 June, 2025
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वॉशिंगटन पोस्ट में कार्यरत पत्रकार और वॉशिंगटन डीसी निवासी 48 वर्षीय थॉमस फाम लेग्रो (Thomas Pham LeGro) को शुक्रवार को अमेरिकी जिला अदालत में पेश किया गया। उन पर बाल अश्लील सामग्री रखने के आरोप का आरोप है। लेग्रो को गुरुवार को उनके आवास पर की गई छापेमारी के बाद हिरासत में लिया गया।

यह जानकारी संयुक्त राज्य की अटॉर्नी जीनिन फेरिस पिरो ने मीडिया को दी। पिरो ने इस मामले की जांच में सक्रिय भूमिका निभा रहे एफबीआई के असिस्टेंट डायरेक्टर इन चार्ज स्टीवन जे. जेंसन और मेट्रोपॉलिटन पुलिस डिपार्टमेंट की चीफ पामेला स्मिथ का आभार व्यक्त किया।

26 जून 2025 को एफबीआई एजेंट्स ने लेग्रो के निवास पर सर्च वारंट के तहत छापा मारा और कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए। लेग्रो के कार्यस्थल के लैपटॉप की जांच के दौरान एक फोल्डर मिला, जिसमें 11 वीडियो बाल यौन शोषण सामग्री से संबंधित पाए गए।

तलाशी के दौरान एजेंट्स को उस कमरे के बाहर गलियारे में एक हार्ड ड्राइव के टूटे हुए टुकड़े भी पड़े मिले, जहां लेग्रो का वर्क लैपटॉप मिला था।

इस मामले की जांच एफबीआई वॉशिंगटन फील्ड ऑफिस के चाइल्ड एक्सप्लॉयटेशन एंड ह्यूमन ट्रैफिकिंग टास्क फोर्स द्वारा की जा रही है। इस टास्क फोर्स में एफबीआई एजेंट्स के अलावा उत्तरी वर्जीनिया और वॉशिंगटन डीसी के अन्य संघीय एजेंट और जासूस शामिल हैं। इसका उद्देश्य बाल शोषण और मानव तस्करी में संलिप्त लोगों के खिलाफ संघीय स्तर पर मुकदमा चलाना है।

इस मामले का अभियोजन डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया की असिस्टेंट यूएस अटॉर्नी कैरोलाइन बरेल और जननी अय्यंगार द्वारा किया जा रहा है।

यह मामला डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की "प्रोजेक्ट सेफ चाइल्डहुड" पहल का हिस्सा है। फरवरी 2006 में अटॉर्नी जनरल द्वारा शुरू की गई यह राष्ट्रीय पहल बच्चों को ऑनलाइन शोषण और दुर्व्यवहार से सुरक्षा देने के लिए बनाई गई थी। यूएस अटॉर्नी ऑफिस द्वारा संचालित इस योजना के तहत संघीय, राज्य और स्थानीय संसाधनों का समन्वय कर ऐसे लोगों को खोजा और सजा दिलाई जाती है जो इंटरनेट के जरिए बच्चों का शोषण करते हैं, साथ ही पीड़ितों की पहचान कर उन्हें बचाया भी जाता है।   

जानें, कौन हैं थॉमस फाम लेग्रो 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, थॉमस फाम लेग्रो ने 2013 में वॉशिंगटन पोस्ट में ब्रेकिंग न्यूज डेस्क पर वीडियो एडिटर के रूप में काम शुरू किया था। दो साल बाद, 2015 में उन्हें सीनियर प्रड्यूसर बना दिया गया, जहां उन्होंने इंटरनेशनल, स्टाइल और टेक्नोलॉजी डेस्क की टीमों का नेतृत्व किया। 2017 में लेग्रो उस टीम का हिस्सा थे, जिसे रॉय मूर की सीनेट उम्मीदवारी की कवरेज के लिए पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

2021 में थॉमस फाम लेग्रो को एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर पद पर नियुक्त किया गया, जिसके बाद से वे वॉशिंगटन पोस्ट की राजनीतिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वीडियो टीमों की अगुवाई कर रहे हैं। उन्हें मिले प्रमुख सम्मानों में 2018 में इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग के लिए पुलित्जर पुरस्कार (टीम के साथ) और एडवर्ड आर. मुरो पुरस्कार शामिल हैं, जो उन्हें खोजी पत्रकारिता में योगदान के लिए मिला था।

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सऊदी अरब में सात साल lतक जेल में रखने के बाद पत्रकार को दी गई फांसी

सऊदी अरब में एक पत्रकार को आतंकवाद और देशद्रोह के आरोपों में सात साल की कैद काटने के बाद फांसी दे दी गई।

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Published - Monday, 16 June, 2025
Last Modified:
Monday, 16 June, 2025
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सऊदी अरब में एक पत्रकार को आतंकवाद और देशद्रोह के आरोपों में सात साल की कैद काटने के बाद फांसी दे दी गई। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि जिन आरोपों के तहत पत्रकार को मृत्युदंड दिया गया, वे उसके सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़े थे। इस खबर की पुष्टि एसोसिएटेड प्रेस (AP) ने की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्रकार तुर्की अल-जासिर को शनिवार को सऊदी अरब की सर्वोच्च अदालत द्वारा मौत की सजा बरकरार रखे जाने के बाद फांसी दे दी गई। उन्हें 2018 में गिरफ्तार किया गया था, जब सुरक्षा बलों ने उनके घर पर छापा मारकर कंप्यूटर और मोबाइल फोन जब्त किए थे। यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें किस अदालत में, कितनी लंबी प्रक्रिया के बाद सजा सुनाई गई।

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) नामक न्यूयॉर्क स्थित संस्था के अनुसार, अल-जासिर पर आरोप था कि वे ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक गुप्त अकाउंट चला रहे थे, जिस पर सऊदी शाही परिवार के भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारियां साझा की गई थीं। साथ ही उन्होंने कुछ कट्टरपंथी संगठनों पर भी सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की थी।

CPJ के कार्यक्रम निदेशक कार्लोस मार्टिनेज दे ला सेरना ने AP को बताया, “जमाल खशोगी के मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की विफलता ने न सिर्फ एक पत्रकार से न्याय छीन लिया, बल्कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को मीडिया के दमन के लिए और अधिक निर्भीक बना दिया।”

फांसी विरोधी अभियान चलाने वाले संगठन Reprieve की जीद बासयूनी ने कहा, “तुर्की अल-जासिर को पूरी तरह से गुप्त तरीके से पत्रकारिता जैसे ‘अपराध’ के लिए दोषी ठहराकर सज़ा दी गई।”

अल-जासिर ने अरेब स्प्रिंग, महिलाओं के अधिकारों और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर लेख लिखे थे और 2013 से 2015 के बीच एक व्यक्तिगत ब्लॉग भी चलाया था।

सऊदी अरब पहले से ही मानवाधिकार संगठनों के निशाने पर है, खासकर मौत की सज़ा को लेकर। रिपोर्ट्स के अनुसार, सिर्फ 2024 में ही वहां 330 से अधिक फांसी दी जा चुकी हैं।

पिछले महीने भी बैंक ऑफ अमेरिका के लिए काम कर रहे एक ब्रिटिश एक्सपर्ट को कथित तौर पर एक हटाए गए सोशल मीडिया पोस्ट के कारण 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।

एक अन्य मामले में, अमेरिका और सऊदी की दोहरी नागरिकता रखने वाले साद अलमादी को 2021 में अमेरिका में रहते हुए किए गए ट्वीट्स के आधार पर जेल में डाल दिया गया था। उन्हें 2023 में रिहा तो किया गया, लेकिन देश छोड़ने की अनुमति नहीं है।

गौरतलब है कि 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने उस ऑपरेशन के पीछे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को ज़िम्मेदार माना था, हालांकि सऊदी सरकार ने इस दावे को खारिज किया है।

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लाइव रिपोर्टिंग कर रही ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार को अमेरिकी पुलिस ने मारी गोली, वीडियो वायरल

ऑस्ट्रेलियाई मीडिया चैनल नाइन न्यूज की अमेरिकी संवाददाता लॉरेन टोमासी को एक विरोध प्रदर्शन की रिपोर्टिंग के दौरान पुलिस ने कैमरे के सामने गोली मार दी, जिससे वह घायल हो गईं

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Published - Tuesday, 10 June, 2025
Last Modified:
Tuesday, 10 June, 2025
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अमेरिका जहां अक्सर दुनिया को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों का पाठ पढ़ाता है, वहीं उसके अपने ही देश में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं सामने आई हैं। ताजा मामला लॉस एंजिल्स से सामने आया है, जहां ऑस्ट्रेलियाई मीडिया चैनल नाइन न्यूज की अमेरिकी संवाददाता लॉरेन टोमासी को एक विरोध प्रदर्शन की रिपोर्टिंग के दौरान पुलिस ने कैमरे के सामने गोली मार दी, जिससे वह घायल हो गईं। हालांकि यह रबर बुलेट थी।

लॉस एंजिल्स में उस समय हालात तनावपूर्ण हो गए जब सड़क पर प्रदर्शन कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया। इसी दौरान लॉरेन टोमासी अपने कैमरामैन के साथ रिपोर्टिंग कर रही थीं। वायरल हो चुके वीडियो में साफ दिख रहा है कि पुलिसकर्मी ने सीधे लॉरेन की ओर बंदूक तानी और रबर बुलेट दाग दी, जो उनके पैर में लगी। गोली लगने के बाद लॉरेन दर्द से चीख उठीं और पास खड़े एक प्रदर्शनकारी ने चिल्लाकर पुलिस को चेताया कि उन्होंने एक रिपोर्टर को गोली मार दी है।

हालांकि घायल होने के बावजूद लॉरेन ने खुद को संभाला और बताया कि वह ठीक हैं। इसके बाद वे और उनकी टीम सुरक्षित स्थान की ओर चले गए। नाइन न्यूज ने इस बात की पुष्टि की कि लॉरेन को हल्की चोट आई है और उन्होंने कुछ ही समय में रिपोर्टिंग फिर से शुरू कर दी। लॉरेन ने बाद में सोशल मीडिया पर भी घटना की जानकारी दी और बताया कि घटनास्थल पर हालात काफी तनावपूर्ण हैं और पुलिस प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाने की कोशिश कर रही है।

लॉरेन टोमासी एक अनुभवी ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार हैं, जो इस समय अमेरिका से नाइन न्यूज के लिए रिपोर्टिंग कर रही हैं। उन्होंने सिडनी की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स से पत्रकारिता की पढ़ाई की है और अपने करियर की शुरुआत बतौर स्नो रिपोर्टर की थी। वे अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप से जुड़े मुकदमे, ऑस्कर, ग्रैमी और गोल्डन ग्लोब्स जैसे प्रमुख आयोजनों की रिपोर्टिंग कर चुकी हैं। लाइव रिपोर्टिंग और सामाजिक मुद्दों पर उनकी स्पष्ट राय के लिए उन्हें जाना जाता है।

यह घटना प्रेस की आजादी को लेकर अमेरिका के दावों पर सवाल खड़े करती है। इससे पहले भी देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन कवर कर रहे पत्रकारों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब लोकतंत्र का दावा करने वाले देश में ही पत्रकार सुरक्षित न हों, तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर उसके उपदेश खोखले लगने लगते हैं।

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खालिस्तानियों ने कनाडा के खोजी पत्रकार पर किया हमला

कनाडा के स्वतंत्र व खोजी पत्रकार मोचा बेजिरगन ने आरोप लगाया है कि उन पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला किया और उन्हें रिपोर्टिंग से रोकने की कोशिश की।

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Published - Monday, 09 June, 2025
Last Modified:
Monday, 09 June, 2025
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कनाडा के स्वतंत्र व खोजी पत्रकार मोचा बेजिरगन ने आरोप लगाया है कि उन पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला किया और उन्हें रिपोर्टिंग से रोकने की कोशिश की। यह घटना उस वक्त हुई जब वह वैंकूवर में एक खालिस्तानी रैली की ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे थे। बेजिरगन के मुताबिक, कुछ लोगों ने उन्हें घेरकर धमकाया, फोन छीन लिया और उनके साथ धक्का-मुक्की की, जबकि कनाडा की पुलिस मौके पर मौजूद होते हुए भी मूकदर्शक बनी रही।

बेजिरगन ने घटना के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर अपना अनुभव साझा करते हुए लिखा, "मैं अब भी कांप रहा हूं। एक व्यक्ति मुझसे सवाल पूछता हुआ मेरे बेहद करीब आ गया और फिर अचानक 2-3 और लोग मुझे घेरने लगे। माहौल इतना तनावपूर्ण था कि मैंने चुपचाप कैमरे और फोन दोनों से रिकॉर्डिंग शुरू कर दी थी।"

उन्होंने आगे बताया कि जैसे ही उन्होंने वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू किया, कई लोगों ने अपने चेहरे छुपा लिए, लेकिन एक शख्स आगे बढ़ता रहा और अंततः उनका फोन छीन लिया। यह वही व्यक्ति था जिसके खिलाफ उन्होंने पहले भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बेजिरगन के मुताबिक, घटना के वक्त वह व्यक्ति पुलिसकर्मियों से बातचीत करता नजर आया, जबकि पत्रकार का फोन छीना जा चुका था।

बेजिरगन ने कहा, "मुझे डराने और चुप कराने की कोशिश की गई।" उन्होंने दावा किया कि हमलावरों में से एक लंबे समय से उन्हें ऑनलाइन परेशान कर रहा है और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करता रहा है। बेजिरगन के मुताबिक, वह कनाडा, अमेरिका, यूके और न्यूजीलैंड में खालिस्तान से जुड़े आंदोलनों को कवर करते रहे हैं। उनका कहना है कि मेरा एकमात्र लक्ष्य स्वतंत्र पत्रकारिता करना और जो कुछ हो रहा है उसे रिकॉर्ड करना और रिपोर्ट करना है और क्योंकि मैं संपादकीय रूप से स्वतंत्र हूं, इसलिए यह कुछ लोगों को निराश करता है।”

घटना की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब यह ध्यान दिया जाए कि यह हमला एक ऐसी रैली के दौरान हुआ जिसमें इंदिरा गांधी के हत्यारों जैसे लोगों को ‘शहीद’ बताया जा रहा था। बेजिरगन ने बताया कि हमलावर उन्हें रैली स्थल से लेकर ट्रेन स्टेशन तक पीछा करते रहे।

उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ रिपोर्टिंग कर रहा था, लेकिन कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आया। वे मुझे डराना और प्रभावित करना चाहते थे।" इस घटना ने कनाडा में मीडिया स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

बेजिरगन ने ऐलान किया है कि वह इस पूरी घटना की विस्तृत वीडियो फुटेज जल्द ही अपने चैनल पर जारी करेंगे। उन्होंने पुलिस से हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए प्रवासी हमलावर के निर्वासन की अपील भी की है। 

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परिवार के सामने पत्रकार की हत्या से सहमा बलूचिस्तान, अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग

पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में एक और पत्रकार की हत्या ने मानवाधिकार हनन के मुद्दे को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर ला दिया है।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 27 May, 2025
Last Modified:
Tuesday, 27 May, 2025
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पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में एक और पत्रकार की हत्या ने मानवाधिकार हनन के मुद्दे को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर ला दिया है। बलूच समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पत्रकार अब्दुल लतीफ की शनिवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी, जब उन्होंने अपहरण की कोशिश का विरोध किया। यह वारदात उनके पत्नी और बच्चों के सामने हुई।

अब्दुल लतीफ ने 'डेली इंतिखाब' और 'आज न्यूज' जैसे प्रकाशनों के साथ काम किया था और वह बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों और स्थानीय प्रतिरोध आंदोलनों पर साहसी रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे।

पुलिस के अनुसार, हमलावर लतीफ के घर में घुसे और उन्हें जबरन ले जाने की कोशिश की। डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस दानियाल काकर ने मीडिया को बताया, "उन्होंने विरोध किया तो उन्हें मौके पर ही गोली मार दी गई। हमलावर फरार हो गए हैं और अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। मामले की जांच जारी है।" 

हैरानी की बात यह है कि कुछ महीने पहले अब्दुल लतीफ के बड़े बेटे सैफ बलोच और उनके सात अन्य परिजनों को भी अगवा कर लिया गया था, जिनकी बाद में लाशें बरामद हुईं।

इस क्रूर हत्याकांड को लेकर बलोच यकजहती कमेटी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। संगठन ने एक बयान में कहा, "यह सिर्फ एक परिवार का दुख नहीं, बल्कि एक पूरे समुदाय को डराने और चुप कराने की कोशिश है। हम संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मीडिया और प्रेस स्वतंत्रता संगठनों से अपील करते हैं कि वे इस मानवता विरोधी अपराध पर चुप्पी तोड़ें और पाकिस्तान की जवाबदेही सुनिश्चित करें।"

पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (PFUJ) समेत कई पत्रकार संगठनों ने भी लतीफ की हत्या की निंदा की है। इसे पाकिस्तान में कथित ‘किल एंड डंप’ अभियान का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसमें पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को निशाना बनाया जा रहा है।

बलोच वुमन फोरम की आयोजक शाले बलोच ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "मश्के, अवारान जिले में पत्रकार अब्दुल लतीफ की निर्मम हत्या बलूचिस्तान में जारी मानवाधिकार हनन की भयावह तस्वीर पेश करती है। यह घटना राज्य प्रायोजित हिंसा (जबरन गुमशुदगी, यातना और फर्जी मुठभेड़ों) का उदाहरण है।"

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह इस संकट की गंभीरता को समझे और पाकिस्तान पर जवाबदेही तय करने का दबाव बनाए। उन्होंने कहा कि बलूच नरसंहार पर लगातार चुप्पी अब बर्दाश्त से बाहर है। यदि दुनिया ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो और खून बहेगा। न्याय अब और टल नहीं सकता।  

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बीबीसी के पूर्व क्रिएटिव डायरेक्टर व जाने-माने एंकर एलन येंटोब का निधन

ब्रिटेन के प्रतिष्ठित मीडिया हस्ती और बीबीसी के पूर्व क्रिएटिव डायरेक्टर एलन येंटोब का शनिवार को निधन हो गया।

Samachar4media Bureau by
Published - Sunday, 25 May, 2025
Last Modified:
Sunday, 25 May, 2025
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ब्रिटेन के प्रतिष्ठित मीडिया हस्ती और बीबीसी के पूर्व क्रिएटिव डायरेक्टर एलन येंटोब का शनिवार को निधन हो गया। 78 वर्षीय येंटोब के निधन की जानकारी उनके परिवार ने साझा की, जिसे बीबीसी ने सार्वजनिक किया।

येंटोब ने बीबीसी में 1968 में ट्रेनी के रूप में शुरुआत की थी और बाद में बीबीसी वन और टू के कंट्रोलर, डायरेक्टर ऑफ टेलीविजन, हेड ऑफ म्यूजिक एंड आर्ट्स, डायरेक्टर ऑफ ड्रामा, एंटरटेनमेंट एंड चिल्ड्रन और अंततः क्रिएटिव डायरेक्टर जैसे कई अहम पदों पर काम किया।

उनकी अगुवाई में Absolutely Fabulous, Have I Got News for You और Pride and Prejudice जैसे चर्चित कार्यक्रम तैयार हुए। बच्चों के लिए CBBC और CBeebies चैनल्स की शुरुआत भी उनके नेतृत्व में हुई। 1970 के दशक में उन्होंने Omnibus और Arena जैसी कलात्मक सीरीज से अपनी पहचान बनाई और 2003 से वे Imagine नामक लोकप्रिय डॉक्यूमेंट्री श्रृंखला के संपादक और प्रस्तोता रहे।

बीबीसी के डायरेक्टर जनरल टिम डेवी ने उन्हें “ब्रिटिश संस्कृति के इतिहास में एक परिभाषित चेहरा” बताया और कहा, “एलन एक रचनात्मक शक्ति और सांस्कृतिक दृष्टा थे, जिन्होंने बीबीसी की दशकों की प्रोग्रामिंग को आकार दिया।”

एलन येंटोब ने लगभग 60 वर्षों तक मीडिया में मौलिकता, जोखिम लेने और कलात्मक महत्वाकांक्षा को बढ़ावा दिया। उन्होंने Arena से Imagine तक, और नवोदित प्रतिभाओं को मंच देने से लेकर संस्कृति के विविध पहलुओं को गहराई से समझने तक, हर क्षेत्र में योगदान दिया। वे हमेशा इस बात के पक्षधर रहे कि बीबीसी रचनात्मकता, जिज्ञासा और कला का सार्वजनिक मंच बना रहे – और वह भी सभी के लिए सुलभ रूप में।

पत्रकार अमोल राजन ने उन्हें “अप्रत्याशित शुरुआत से उभरे एक अद्भुत शख्सियत” कहा और कहा कि उन्होंने आधुनिक कला को हमेशा एक वफादार साथी की तरह साथ दिया।

1947 में लंदन में एक इराकी यहूदी परिवार में जन्मे येंटोब ने मैनचेस्टर में शुरुआती पढ़ाई की और लीड्स यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की, जहां उन्होंने थिएटर से गहरा नाता बनाया। बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में शामिल होने पर वे उस साल के एकमात्र गैर-ऑक्सब्रिज ग्रेजुएट थे।

उन्होंने डेविड बॉवी, माया एंजेलो, ग्रेसन पेरी और चार्ल्स साची जैसे विश्वप्रसिद्ध कलाकारों का साक्षात्कार लिया और Cracked Actor जैसी डॉक्यूमेंट्री से अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई। 2015 में उन्होंने बीबीसी के क्रिएटिव डायरेक्टर पद से इस्तीफा दिया, लेकिन इसके बाद भी बीबीसी के लिए अनेक कार्यक्रम बनाते रहे। 2024 में उन्हें CBE सम्मान से नवाजा गया।

एलन येंटोब के निधन से कला, मीडिया और सार्वजनिक सेवा को एक बड़ा झटका लगा है। वे उन बिरले लोगों में थे जो नए विचारों को बढ़ावा देते हुए दूसरों की रचनात्मकता को भी निखारते थे। उनकी ऊर्जा, संवेदना और दृष्टि हमेशा याद रखी जाएगी।

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ब्रिटिश अखबारों में 15% तक विदेशी निवेश का जल्द खुलेगा रास्ता, सरकार बना रही योजना

ब्रिटेन की सरकार ने गुरुवार को कहा कि वह विदेशी सरकारों के स्वामित्व वाले निवेशकों को ब्रिटिश अखबारों में अधिकतम 15% हिस्सेदारी खरीदने की इजाजत देने की योजना बना रही है।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 16 May, 2025
Last Modified:
Friday, 16 May, 2025
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ब्रिटेन की सरकार ने गुरुवार को कहा कि वह विदेशी सरकारों के स्वामित्व वाले निवेशकों को ब्रिटिश अखबारों में अधिकतम 15% हिस्सेदारी खरीदने की इजाजत देने की योजना बना रही है। यह फैसला मीडिया से जुड़ी कुछ बड़े बदलावों का हिस्सा है, जिससे The Telegraph अखबार की लंबे समय से अटकी हुई बिक्री का रास्ता साफ हो सकता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले सरकार सिर्फ 5 फीसदी हिस्सेदारी की इजाजत देने वाली थी, लेकिन बाकी मीडिया मालिकों की अपील के बाद यह सीमा बढ़ाकर 15 फीसदी करने की योजना बनायी गई है। उनका कहना था कि मीडिया इंडस्ट्री को अब विदेशों से निवेश की जरूरत है, खासकर ऐसे दौर में जब प्रिंट से डिजिटल की ओर तेजी से बदलाव हो रहा है।

ब्रिटेन की संस्कृति मंत्री लीसा नैंडी ने कहा कि ये अहम और आधुनिक सुधार मीडिया की विविधता की रक्षा करने के लिए हैं और यह भी दर्शाते हैं कि आज लोग खबरें किस तरह से अलग-अलग माध्यमों से पढ़ते और देखते हैं।

उन्होंने कहा, “हम पूरी तरह इस बात को मानते हैं कि हमारे न्यूज मीडिया को विदेशी सरकारों के नियंत्रण से सुरक्षित रखना जरूरी है, लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि न्यूज संस्थाएं अपना काम चलाने के लिए जरूरी फंडिंग जुटा सकें।”

The Telegraph अखबार की मिल्कियत को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं कि कहीं इस पर विदेशी सरकारों का असर तो नहीं पड़ रहा है, जो ब्रिटेन की राजनीति पर अप्रत्यक्ष दबाव बना सकती हैं।

सरकार ने यह भी कहा है कि कुछ खास विदेशी निवेशकों- जैसे कि सरकारी संपत्ति फंड (sovereign wealth funds) या पेंशन फंड को ब्रिटिश अखबारों और पत्रिकाओं में 15% तक की हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दी जाएगी। इससे मीडिया को जरूरी आर्थिक मदद मिलेगी, लेकिन साथ ही यह विदेशी दखल को सीमित भी रखेगा।

हालांकि सरकार ने साफ किया कि कर्ज के जरिए निवेश (debt financing) को छूट नहीं दी जाएगी और यदि कोई विदेशी ताकत किसी डिफॉल्ट (कर्ज न चुका पाने) के चलते मीडिया का नियंत्रण हासिल करने की कोशिश करती है, तो सरकार उसमें दखल दे सकती है।

पिछली कंजरवेटिव सरकार ने RedBird IMI नाम की अमेरिकी कंपनी को Telegraph अखबार खरीदने से रोक दिया था क्योंकि उसमें अधिकांश पैसा अबू धाबी से आया था। इस कंपनी को CNN के पूर्व प्रमुख जेफ जुकर चला रहे हैं। RedBird IMI ने 2023 में Barclay परिवार का £1.2 अरब का कर्ज चुकाने में मदद की थी और बदले में Telegraph और The Spectator का नियंत्रण अपने हाथ में लिया था।

The Spectator तो पिछले साल हेज फंड के मालिक पॉल मार्शल को बेच दिया गया, लेकिन The Telegraph अब तक किसी को नहीं बेचा गया है। अब जो नया नियम बना है (जिसमें 15% तक हिस्सेदारी की अनुमति है) उससे अबू धाबी को अखबार में कुछ हिस्सेदारी बनाए रखने का मौका मिल जाएगा।

 

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