‘मीडिया एंड मीडिया एजुकेशन समिट’ (Media & Media Education Summit) में...
समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
‘मीडिया एंड मीडिया एजुकेशन समिट’ (Media & Media Education Summit) में ‘Conflict between Mainstream Media & Social Media and it’s Impact on Media Education’ शीर्षक से हुए पैनल डिस्कशन में हिंदी न्यूज चैनल ‘आजतक’ के एग्जिक्यूटिव एडिटर सईद अंसारी ने बताया कि आखिर क्यों वे सोशल मीडिया से इतनी दूरी बनाकर रखते हैं।
'समाचार4मीडिया' के डिप्टी एडिटर अभिषेक मेहरोत्रा ने जब ये सवाल उठाया कि जहां चैनलों के एंकर्स की लोकप्रियता के लिए सोशल मीडिया काफी मायने रखता है। लगभग हर एंकर बताता है कि मेरे इतने लाइक्स हैं और मेरे इतने रिट्वीट्स हैं। ऐसे दौर में वह सोशल मीडिया से दूर रहकर भी कैसे इतने लोकप्रिय हैं?
इस सवाल के जवाब में सईद अंसारी ने भी सवाल उठाया, ‘मेरी नजर में ऐसा करना जरूरी नहीं हैं। यहां पर एंकर्स पत्रकारिता के लिए हैं, लोगों की खबरें दिखाने के लिए हैं अथवा अपनी लोकप्रियता और फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए हैं?’
उन्होंने कहा, ‘आजकल की नई पीढ़ी और हमारे कई साथियों की परेशानी यही हो गई है कि वो किसी भी खबर या चर्चा के मुद्दे को सोशल मीडिया से चुनते हैं। वे शाम को टीवी पर चर्चा के लिए फेसबुक से मुद्दे चुनते हैं। वे सोशल मीडिया से काफी प्रभावित होते हैं और मुझे लगता है यही सबसे बड़ी गड़बड़ है। न्यूज के मामले में क्रेडिबिलिटी बहुत बड़ी बात है। आप वॉट्सऐप अपने पारिवारिक मित्रों के लिए तो इस्तेमाल कर सकते हैं। फेसबुक आप अपने दोस्तों के लिए तो इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन फेसबुक का इस्तेमाल आप पत्रकारिता के लिए कैसे कर सकते हैं, आप उससे कैसे प्रभावित हो सकते हैं? ‘
इसके साथ ही उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि किसी के पर्सनल ट्विटर हैंडल से कैसे तय कर सकते हैं कि हमारे देश की 130 करोड़ जनता इससे प्रभावित होगी और उसका प्रतिनिधित्व भी करेगी। सोशल मीडिया कभी न्यूजमेकर नहीं हो सकता है और हमारी गलती यही है कि हम इस्तेमाल हो रहे हैं।
क्रेडिबिलिटी के बारे में उन्होंने कहा कि मान लीजिए कुछ ट्रेंड कर रहा है, तो क्या आप मानकर चल रहे हैं कि वह सही है। क्या फेसबुक पर किसी के लाखों लाइक्स आ रहे हैं या यूट्यूब पर किसी विडियो को लाखों-करोड़ों व्यूज मिल रहे हैं तो क्या वे सही लोग द्वारा किया जा रहा हैं। उनका यह भी कहना था, ‘क्या आप यह नहीं मानते कि आजकल इस तरह के बड़े-बड़े मीडिया हाउस हैं, जो बड़े-बड़े उद्योगपतियों या बड़े राजनेताओं के हैं अथवा वे उसकी फंडिंग करते हैं। वहां जितने भी ऑफिसर्स हैं, उनका काम ही इन्हें लाइक करना, फॉलो करना और प्रमोट करना है और उनके विडियो को वायरल करना है, क्या ऐसा नहीं है? यदि ऐसा नहीं है तो ये बहुत ही अच्छी बात है और अगर ऐसा है तो बंद होना चाहिए।’
आखिर में पत्रकारिता के छात्रों के आगे बढ़ने के बारे में सलाह देते सईद अंसारी ने कहा कि पढ़ना बहुत जरूरी है। आप ये नहीं कह सकते कि मुझे राजनीति में रुचि है, तो मैं इसी की पत्रकारिता करूंगा। स्पोर्ट्स, पॉलिटिक्स, साइंस और डिफेंस आदि सब के बारे में पता होना चाहिए और यह सिर्फ और सिर्फ पढ़ने से आ सकता है।’ प्रोफेसर्स, टीचर्स और एजुकेटर्स के लिए उनका कहना था कि टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बदल रही है। रोजाना कुछ न कुछ नया आ रहा है, तो यदि आप इसके अनुसार नहीं बदलेंगे और खुद को अपग्रेड नहीं करेंगे तो आप अपने छात्रों को डिग्री जरूर दे देंगे, लेकिन उन्हें इस लायक नहीं बना पाएंगे कि वो इंडस्ट्री में जाकर जॉब हासिल कर पाएं।
आईआईएमसी में आयोजित 'शुक्रवार संवाद' में पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा विषय पर अपने विचार व्यक्त किए
‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (आईआईएमसी) द्वारा शुक्रवार को 'शुक्रवार संवाद' (Friday Dialogue) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार और ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ के पूर्व अध्यक्ष आलोक मेहता ने ‘पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। आलोक मेहता का कहना था,‘पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा को पवित्र मानकर उसका पालन कीजिए। यह मार्ग कांटों भरा भले ही हो, लेकिन यदि आपके पास पूरे तथ्य और प्रमाण हैं और आपको अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी है, तो आपको बेबाक होकर अपनी बात रखनी चाहिए।’
मेहता ने कहा कि पत्रकारिता करते समय किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं रखना चाहिए। मौजूदा दौर में अधिकतर लोग जिम्मेदारी से अपना काम कर रहे हैं, लेकिन कहीं-कहीं लोग अपनी लक्ष्मण रेखा को पार भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में आचार संहिता का सख्ती से पालन किया जाता है, लेकिन भारत में अब तक हम आचार संहिता को अनिवार्य रूप से लागू करने में सफल नहीं हो पाए हैं।
मेहता ने युवा पीढ़ी के पत्रकारों को आगाह करते हुए कहा कि उन्हें ध्यान रखना होगा कि वे सदैव सुनने को तैयार रहें। दूसरों को भी सुनिए। आप लोगों के प्रति पूर्वाग्रह न रखिए। धर्म, जाति आदि का उल्लेख करने से बचिए। अपराधी की कोई धर्म या जाति नहीं होती। एक व्यक्ति के कारण पूरे समुदाय को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। पहले लिखा जाता था कि दो समुदायों के बीच कोई मामला हुआ, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। आप इतनी सावधानी तो बरत ही सकते हैं कि किसी वर्ग और समुदाय को चोट न पहुंचे।
उनका कहना था कि पत्रकार अपनी आचार संहिता स्वयं तय कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम अपने अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं, यहीं से गड़बड़ होती है। मीडिया को अपने अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए।’
आलोक मेहता के अनुसार, ‘मीडिया को पारदर्शिता भी बरतनी होगी। आप यदि पत्रकारिता का पेशा चुनते हैं तो आपको भविष्य का ख्याल रखना होगा। आपको देखना होगा कि आने वाली पीढ़ियों को क्या मिलेगा। पत्रकारिता के मूल्यों का पालन कीजिए। आप ऐसे लिखिए कि लोगों को लगे कि यदि अमुक व्यक्ति ने लिखा है तो सही लिखा होगा। मीडिया का काम समाज में निराशा पैदा करना नहीं है।’
कार्यक्रम में आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी विशेष तौर पर उपस्थित थे। आईआईएमसी के डीन अकादमिक प्रो. (डॉ.) गोविंद सिंह ने आलोक मेहता का स्वागत किया। डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विकास पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) राजेश कुमार ने किया।
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‘भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण’ (TRAI) के पूर्व चेयरमैन राहुल खुल्लर का मंगलवार की सुबह निधन हो गया है। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। 1975 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी खुल्लर को मई 2012 में ट्राई का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। वह करीब तीन साल तक इस पद पर रहे।
खुल्लर ने ऐसे समय में ट्राई के मुखिया का पद संभाला था, जब दूरसंचार आपरेटरों ने स्पेक्ट्रम नीलामी पर नियामक की सिफारिशों के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से पोस्ट ग्रेजुएट खुल्लर ट्राई का चीफ नियुक्त होने से पहले वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में सेक्रेटरी के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
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उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण के बाद विपक्षी दलों ने विधानसभा की पत्रकार दीर्घा में कवरेज के लिए मीडिया को नहीं बैठने देने का मुद्दा उठाया, जिसके जवाब में विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना काल के कारण पत्रकारों के लिए अलग व्यवस्था की गई थी और इस बारे में जल्द ही कोई फैसला लिया जाएगा।
नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने राज्यपाल के अभिभाषण के बाद पूछा कि विधानसभा में पत्रकार दीर्घा से पत्रकारों को क्यों दूर रखा गया है और क्या कोविड-19 केवल पत्रकारों को ही प्रभावित करता है, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और नेता विपक्ष को नहीं?
चौधरी की इस बात का समर्थन बहुजन समाज पार्टी के विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता अराधना मिश्रा ने भी किया। इस पर विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि कोरोना काल में पत्रकारों की सहमति से यह निर्णय लिया गया था कि मीडिया के लिए बैठने की अलग व्यवस्था कर दी जाए और उसी हिसाब से अलग व्यवस्था की गई थी।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों ने कोई आपत्ति नहीं जताई है। लालजी वर्मा और अराधना मिश्रा ने इस पर कहा कि कुछ पत्रकारों को अनुमति दी जानी जाए, जिससे कि वे सदन की कार्यवाही सही ढंग से देखें और उसकी रिपोर्टिंग करें। विधानसभा अध्यक्ष ने इसके जवाब में कहा कि इस पर कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में विचार कर लिया जाएगा।
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मध्यप्रदेश का स्टेट प्रेस क्लब हर साल की तरह पत्रकारिता पर केंद्रित अपना सालाना जलसा ‘भारतीय पत्रकारिता महोत्सव’ 19 फरवरी यानी आज से आयोजित कर रहा है, जोकि तीन दिनों तक चलेगा। मध्यप्रदेश का यह बहुप्रतिष्ठित का आयोजन रविन्द्र नाट्यगृह इंदौर में आयोजित किया जा रहा हैं। तीन दिनी इस बौद्धिक अनुष्ठान में पत्रकारिता, शिक्षा और सामाजिक सरोकारों से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर रोजाना टॉक-शो, परिचर्चा, परिसंवाद आदि कार्यक्रम होंगे। रोजाना रात्रि को 8 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
इस जलसे में गुजरात, दिल्ली,जम्मू कश्मीर, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों से तीन सौ से अधिक पत्रकार शिरकत करेंगे। इस बार का आयोजन भारत के महान शब्द शिल्पियों और संपादकों- राहुल बारपुते, राजेंद्र माथुर, शरद जोशी, प्रभाष जोशी और माणिक चन्द्र वाजपेई जी को समर्पित है। इन सभी ने इंदौर को अपनी कर्मस्थली बनाया।
19 से 21 फरवरी 2021 तक चलने वाले इस आयोजन में प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार और विभिन्न महाविद्यालयों में अध्ययनरत् शोधार्थी छात्र शामिल होंगे। पत्रकारिता महोत्सव के तहत रोजाना मीडिया की लक्ष्मण रेखा, देश की प्रगति और मीडिया, टूटता भरोसा, बढ़ता गुस्सा, महिला मुद्दे और मीडिया, भविष्य की मीडिया शिक्षा एवं कोरोना काल और पत्रकारिता विषय पर टॉक शो होंगे।
इस प्रतिष्ठित आयोजन में जहां मीडियाकर्मियों का सम्मान समारोह होगा, वहीं फैशन फोटोग्राफी पर वर्कशॉप भी होगी। तीनों दिन तीसरे प्रेस आयोग की मांग पर विभिन्न पत्रकार संगठन गंभीर चिंतन करेंगे। इस मौके पर ‘मीडिया की लक्ष्मण रेखा’ विषय पर केन्द्रित स्मारिका का प्रकाशन भी होगा।
असम के मंत्री हेमंत बिस्व सरमा की छवि खराब करने की कोशिश करने के आरोप में बुधवार को चार पत्रकारों समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया
असम के मंत्री हेमंत बिस्व सरमा की छवि खराब करने की कोशिश करने के आरोप में बुधवार को चार पत्रकारों समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसमें एक महिला पत्रकार भी शामिल है। इन पर ‘गलत मंशा’ से मंत्री की अपनी बेटी के साथ फोटो शेयर करने का आरोप है।
मंत्री की पत्नी ने पॉक्सो कानून के तहत गुवाहाटी के दिसपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की।
गुवाहाटी शहर के पुलिस आयुक्त मुन्ना प्रसाद गुप्ता ने बताया कि स्थानीय समाचार वेबसाइट ‘प्रतिबिंब लाइव’ के प्रधान संपादक तौफीकुद्दीन अहमद और समाचार संपादक आसिफ इकबाल हुसैन को साजिश की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा दो अन्य कर्मचारियों नजमुल हुसैन और नुरुल हुसैन को हिरासत में लिया गया, जिसके बाद उन्हें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
पुलिस ने कहा कि दो अन्य पत्रकारों शिवसागर में 'स्पॉटलाइट अस' के नांग नोयोनमोनी गोगोई और 'बोडोलैंड टाइम्स' की पुली मुचाहेरी को भी इस सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
वहीं, मंत्री सरमा ने पत्रकारों से कहा कि यह राजनीतिक साजिश का एक स्पष्ट मामला है, लेकिन इस हद तक नीचे जाने से संबंधित लोगों की घटिया मानसिकता झलकती है। यह फोटो गलत इरादे से पोस्ट किया गया। यह बड़ा ही परेशान करने वाला है, जिससे वह रात भर सो नहीं सके।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) जीपी सिंह ने कहा कि पुलिस यौन अपराध से बच्चों की सुरक्षा (पॉक्सो) अधिनियम के सख्त प्रावधानों के तहत ऐसे सभी प्रयासों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।‘भारतीय जनता युवा मोर्चा’ (बीजेवाईएम), दिल्ली के पूर्व सचिव मनीष मिश्रा ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ‘ट्विटर’ (Twitter) पर अपना अकाउंट सस्पेंड करने का आरोप लगाया है।
‘भारतीय जनता युवा मोर्चा’ (बीजेवाईएम), दिल्ली के पूर्व सचिव मनीष मिश्रा ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ‘ट्विटर’ (Twitter) पर अपना अकाउंट सस्पेंड करने का आरोप लगाया है। मनीष मिश्रा का आरोप है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के गांधी परिवार पर अपने विचारों को सोशल मीडिया पर व्यक्त करने पर उनके ट्विटर अकाउंट पर प्रतिबंध लगा दिया है।
एक लिखित बयान में मिश्रा का कहना है कि इस तरह का निलंबन लोकतंत्र का अपमान करता है और बोलने की आजादी पर सवाल उठाता है। मिश्रा के अनुसार, ‘अगर किसी राजनीतिक दल के एक प्रमुख व्यक्ति के खिलाफ ट्वीट किया जाता है तो यह कैसे गलत है? यदि राजनीतिक बल पर लोगों को निशाना बनाया जा रहा है तो लोकतंत्र की दुनिया कैसे चलेगी?’
बता दें कि मिश्रा ने हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को लेकर एक ट्वीट किया था। भारत के संविधान का हवाला देते हुए मिश्रा ने कहा, ‘अनुच्छेद 19 (1) (ए) ने हमें वह अधिकार दिया है जो वैचारिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हक देता है। हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं, फिर भी हमने जो दृष्टिकोण हासिल किया है वह अत्याचार के काफी करीब है।’
मिश्रा ने हाल की स्थिति की तुलना वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल से करते हुए कहा, ‘इस बार भी सिर्फ उनके खिलाफ उठाने वाली आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है। गांधी परिवार के खिलाफ आवाज उठाने पर इस तरह के कदम उठाए जाते हैं, विशेषकर जब कोई उनसे सही सवाल करता है। उन्हें वास्तव में लोकतंत्र की परिभाषाएं सीखने की जरूरत है।’
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नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के अध्यक्ष और लेखक रास बिहारी ने नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बंगाल के सियासी परिदृश्य को को केंद्रबिंदु बनाकर लिखी गई अपनी तीन पुस्तकें 'रक्तांचल-बंगाल की रक्तचरित्र राजनीति', 'रक्तरंजित बंगाल लोकसभा चुनाव-2019' और 'बंगाल-वोटों का खूनी लूटतंत्र' भेंट कीं।
इस मौके पर नरेंद्र सिंह तोमर ने इन पुस्तकों को पठनीय बताते हुए कहा कि लेखक रास बिहारी ने कई वर्षों की मेहनत और तथ्यात्मक खोजपरक के उपरांत हर उस मुद्दे की गहराई से पड़ताल की है, जो बंगाल की सियासत पर असर डालता है। इस मौके पर रास बिहारी के साथ प्रेस कांउसिल ऑफ इंडिया के सदस्य तथा एनयूजे के संगठन सचिव आनंद राणा, एनयूजे के उपाध्यक्ष तथा वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप तिवारी, एनयूजे के कोषाध्यक्ष अरविंद सिंह, कार्यकारिणी सदस्य तथा पत्रकार विवेक जैन और पत्रकार डीआर सोलंकी भी मौजूद थे।
गौरतलब है कि वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी की इन तीनों पुस्तकों का विमोचन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने विक्टोरिया हॉल, कोलकाता में किया था। तीनों पुस्तकों को यश पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है।
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कर्नाटक के वरिष्ठ पत्रकार और लेखक निरंजन निक्कम अब हमारे बीच नहीं रहे। दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार रात उनका निधन हो गया। वे 66 साल के थे।
बताया जा रहा है कि दिल में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें मंगलवार की रात को बेंगलुरु स्थित कोलंबिया एशिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिवार ने इस बात की जानकारी दी कि इलाज से पहले ही उनका निधन हो गया।
निक्कम के परिवार में पत्नी, एक पुत्र और एक पुत्री है। निरंजन निक्कम, डेक्कन हेराल्ड के मैसूर ब्यूरो प्रमुख के रूप में रिटायर हो चुके थे। निक्कम ने कई वर्षों तक स्थानीय अग्रणी अंग्रेजी दैनिक ‘स्टार ऑफ मैसुरू’ के लिए भी काम किया था।
मैसुरू जिला पत्रकार संघ के सदस्यों ने निक्कम के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
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विश्व रेडियो दिवस के संदर्भ में, ‘मन का रेडियो’ विषय पर पीआईबी, भोपाल, आरओबी भोपाल और शोध पत्रिका ‘समागम’ द्वारा 17 फरवरी 2021 को पीआईबी भोपाल में दोपहर 3 बजे एक सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।
रेडियो की उपयोगिता, स्वीकार्यता और प्रभाव पर केंद्रित इस सेमिनार में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.जी. सुरेश, डॉक्टर सुदाम खाड़े, सचिव, जनसम्पर्क, मध्य प्रदेश, पूजा वर्धन, संयुक्त निदेशक, आकाशवाणी और दूरदर्शन समाचार मध्यप्रदेश, वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार, आकाशवाणी मध्य प्रदेश के कार्यक्रम प्रमुख विश्वास केलकर, माय एफएम भोपाल के कार्यक्रम प्रमुख विकास अवस्थी, आर.जे. अनादि और पीआईबी भोपाल के अपर महानिदेशक प्रशांत पाठराबे वक्ता के रूप में भाग लेंगे।
इस अवसर पर शोध पत्रिका ‘समागम’ के सामुदायिक रेडियो विशेषांक का लोकार्पण भी किया जाएगा। कार्यक्रम आप पीआईबी भोपाल के यू-ट्यूब चैनल, ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज पर लाइव भी देख सकते हैं।
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‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स’ से संबद्ध ‘नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया’ (NUJI) ने केंद्र सरकार से डिजिटल मीडिया के लिए पॉलिसी बनाने की मांग की है। देश में पत्रकारों के प्रमुख संगठन एनयूजे (आई) का कहना है कि डिजिटल मीडिया के माध्यम से फर्जी पत्रकार निजी स्वार्थों के लिए मीडिया का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे देशभर में पत्रकारों की साख पर संकट पैदा हो गया है।
एनयूजे (आई) के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में अध्यक्ष रास बिहारी ने कहा कि देश में पत्रकारों के लिए नेशनल रजिस्टर बनाने की जरूरत है। इसकी मांग लंबे समय से की जा रही है। इस बारे में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री से मुलाकात करके ज्ञापन दिया जाएगा। एनयूजे के महासचिव प्रसन्ना मोहंती ने कहा डिजिटल मीडिया के माध्यम से स्वतंत्र पत्रकार होने का दावा करते हुए बड़ी संख्या में फर्जी पत्रकार मीडिया की साख बिगाड़ने में लगे हुए हैं। एनयूजे के संगठन सचिव और प्रेस काउंसिल सदस्य आनंद राणा ने कहा कि डिजिटल मीडिया के नियमन से फर्जी पत्रकारों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाई जा सकती है।
एनयूजे उपाध्यक्ष प्रदीप तिवारी ने कहा कि डिजिटल मीडिया के माध्यम से फर्जी पत्रकार अपना-अपना एजेंडा साधने में लगे हैं। इन पर रोक लगाने की आवश्यकता है। एनयूजे कोषाध्यक्ष डा.अरविन्द सिंह ने कहा कि मीडिया की साख बरकरार रखने के लिए फर्जी पत्रकारों की चिह्नित करके उनके खिलाफ कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
‘दिल्ली पत्रकार संघ’ (DJA) के अध्यक्ष राकेश थपलियाल ने कहा कि डिजिटल मीडिया की आड़ में फर्जी पत्रकारों द्वारा राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को ब्लैकमेल करने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। बैठक में उत्तरप्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष रतन दीक्षित, एनयूजे के पूर्व उपाध्यक्ष विवेक जैन, जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष राकेश शर्मा, एनयूजे की कार्यकारिणी सदस्य अनिल अग्रवाल, रणवीर सिंह, दीपक सिंह, जम्प कोषाध्यक्ष डी आर सोलंकी, उपजा के कोषाध्यक्ष संतोष यादव, डीजेए के वरिष्ठ सदस्य अशोक किंकर, अमित गौड़ आदि ने सरकार से इस संबंध में जल्दी से जल्दी नीति बनाने की मांग की।
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