समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। अरनब गोस्वामी के नए वेंचर ‘रिपब्लिक टीवी’ (Republic TV) के जम्मू ब्यूरो की कमान वरिष्ठ पत्रकार तेजिंदर सिंह सोढ़ी के हाथों में होगी। यहां वह संपादक की हैसियत से काम करेंगे।
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
अरनब गोस्वामी के नए वेंचर ‘रिपब्लिक टीवी’ (Republic TV) के जम्मू ब्यूरो की कमान वरिष्ठ पत्रकार तेजिंदर सिंह सोढ़ी के हाथों में होगी। यहां वह संपादक की हैसियत से काम करेंगे।
सोढ़ी इससे पहले देश की प्रमुख न्यूज एजेंसी ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (PTI) के जम्मू ब्यूरो में मुख्य संवाददाता (Principal Correspondent) के रूप में काम कर चुके हैं।
सोढ़ी ने अपने कॅरियर की शुरुआत ‘द कश्मीर मॉनिटर’ (The Kashmir Monitor) से की थी। इसके अलावा वह ‘इंडो एशियन न्यूज सर्विस’ (IANS), ‘द हिन्दुस्तान टाइम्स’ (The Hindustan Times) और ‘द ट्रिब्यून’ (The Tribune) में भी विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं।
कश्मीर विश्वविद्यालय में ‘मीडिया एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर’ (MERC) के छात्र रहे सोढ़ी ने यहां से पत्रकारिता में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। इसके अलावा वह यूनिवर्सिटी आफ कंसास (USA) के ‘William Allen White School of Journalism’ से मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री भी ले चुके हैं।
उन्हें फोर्ड फाउंडेशन फेलोशिप (Ford Foundation Fellowship) और मैक्कार्मिक फेलोशिप (McCormick Fellowship) भी मिल चुकी है। इसके अलावा वह Army Command and General Staff College Ford Leavenworth (Kansas USA) से स्पेशल मीडिया और मिलिटरी कोर्स भी कर चुके हैं।
वहीं वर्ष 2012 में सोढ़ी को ‘वर्ल्ड सिख अवॉर्ड्स लंदन’ (Sikhs in Media category) के लिए भी नामित किया जा चुका है।
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने मराठी अखबार Sachoti के एडिटर राजकुमार छाजेड़ के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर पर सवाल उठाए हैं। बता दें कि महाराष्ट्र पुलिस ने छाजेड़ द्वारा सर्कुलेट किए गए एक वॉट्सऐप मैसेज के आधार पर उन पर दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने का आरोप लगाया है।
जस्टिस एसएस शिंदे और मनीष पिटाले की खंडपीठ ने वॉट्सऐप मैसेज को लेकर महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या आपको लगता है कि यह संदेश वास्तव में दो समुदायों के बीच नफरत पैदा करने के लिए है? साथ ही कहा कि यदि आप हर चीज को लेकर अतिसंवेदनशील हो जाएंगे, तो ये मुश्किल हो जाएगा।
57 वर्षीय छाजेड़ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के निवासी हैं। वह रत्नागिरी जिले के चिपलून में एक गौशाला भी चलाते हैं। उनके मुताबिक, पैसों को लेकर हुए विवाद की वजह से कुछ लोगों ने उनकी गौशाला में तोड़फोड़ की और वहां बंधी गायों की पिटाई की।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि अगले दिन छाजेड़ ने दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने के इरादे से एक वॉट्सऐप मैसेज सर्कुलेट किया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उन्हें स्थानीय अदालत से जमानत मिल गई। लेकिन उन्होंने अब अपने ऊपर दर्ज एफआईआर को रद्द करने और नुकसान की हुई भरपाई के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
छाजेड़ ने कहा कि उन्होंने पुलिस से हमलावरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अनुरोध किया था, लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी। पुलिस को ये लगता है कि कुछ गौशाला संरक्षकों को किया उनका वॉट्सऐप मैसेज उनके लिए परेशानी का सबब बन गया।
पीठ ने सरकारी वकील डॉ. एफआर शेख से पूछा, ‘क्या आपने मैसेज देखा है और यह किस अपराध का खुलासा करता है?’
इस पर शेख ने कहा, 'छाजेड़ के खिलाफ 14 अन्य मामले दर्ज हैं और इस विशेष मामले में उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए (जानबूझकर कृत्यों से धार्मिक भावनाओं को अपमानित करना) लागू होती है।
जस्टिस शिंदे ने फिर से मैसेज को देखा और कहा, ‘उन्होंने मैसेज में किसी भी धर्म का उल्लेख नहीं किया है। इसके बाद जस्टिस ने फिर पूछा कि क्या उन्होंने किसी जाति का या फिर किसी विशेष वर्ग के लोगों का उल्लेख किया है? जस्टिस ने कहा कि मैसेज में उनकी मुख्य पीड़ा का पता चलता है कि सरकार गौशाला को अनुदान नहीं दे रही है।
फिर शेख ने कहा कि मैसेज में एक समुदाय के खिलाफ विशिष्ट आरोप है। इस पर, पीठ ने कहा, ‘यदि तथ्यों पर जाएं, तो ये एक समुदाय के खिलाफ आरोप नहीं हैं। ये ऐसी चीजें हैं जो हुई हैं। यह उनकी पीड़ा है, जो बताती है कि उनके शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
जांच अधिकारी से इस मामले में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए वकील ने पीठ के समझ थोड़ा और समय मांगा। अदालत ने फिलहाल सुनवाई 8 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है।
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पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता के खिलाफ गुजरात के कच्छ जिला अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। मामला अडानी समूह द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे से संबंधित है, जो 2017 में दायर किया गया था।
इस मामले में गुरुवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने बयान जारी कर इसकी निंदा की है। एडिटर्स गिल्ड ने बयान जारी कर कहा, ‘परंजॉय ठाकुरता के खिलाफ निचली अदालत द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करना इस बात का एक और उदाहरण है कि बिजनेस हाउस किसी भी तरह की होनी वाली आलोचनाओं के प्रति कितने असहिष्णु हो गए हैं कि इसकी वजह से लगातार इनकी ओर से स्वतंत्र और निडर पत्रकारों को टारगेट किया जा रहा है।’
गिल्ड ने ठाकुरता के खिलाफ कार्रवाई को ‘प्रेस को बोलने की आजादी’ पर कुठाराघात के रूप में वर्णित किया है और कहा है कि ये स्वीकार करना बहुत मुश्किल हो गया है कि न्यायपालिका भी अब इसका हिस्सा बन गई है।
एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में अडानी ग्रुप से ठाकुरता के खिलाफ मुकदमे को वापस लेने की मांग की और कहा कि एडिटर्स गिल्ड ये देखकर बहुत निराश है कि कैसे इन मामलों में प्रेस को दबाने के लिए न्यायतंत्र का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह के कानूनों का इस्तेमाल सत्ता में बैठे लोग मीडिया के किए गए खुलासे को दबाने के लिए करते हैं।
दरअसल, वरिष्ठ पत्रकार परांजय ठाकुराता ने 2017 में अडानी समूह को सरकार की ओर से ‘500 करोड़ रुपए का उपहार’ मिलने की खबर प्रकाशित की थी, इसी को लेकर समूह ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया गया था कि केंद्र ने अडानी पावर लिमिटेड को कच्चे माल के लिए शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र नियमों में संशोधन किया था, जिससे 500 करोड़ रुपए का लाभ हुआ।
पत्रकार ठाकुरता के वकील आनंद याग्निक के मुताबिक अडानी समूह को लेकर जिस वेबसाइट पर लेख प्रकाशित किया था, उसमें सभी के खिलाफ शिकायतें वापस ले ली गई हैं, लेकिन ठाकुरता के खिलाफ मामला वापस नहीं लिया गया है। वकील के मुताबिक, जब लेख प्रकाशित करने वाली पत्रिका आपराधिक मानहानि के लिए जिम्मेदार नहीं है, सह-लेखक के खिलाफ भी मामला वापस ले लिया गया है, तो आप लेखक के खिलाफ शिकायत वापस क्यों नहीं ले रहे हैं। वकील ने कहा, ‘हमने अदालत में मुकदमा खरिज करने की अर्जी दी है।’
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हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया टीवी’ (India TV) में सिद्धार्थ बिश्वास ने बतौर AVP (Strategy and Special Project) जॉइन किया है। बिस्वास इससे पहले पीटीसी नेटवर्क से जुड़े हुए थे और हेड (ब्रैंड मार्केटिंग और डिजिटल) की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जहां से उन्होंने पिछले महीने इस्तीफा दे दिया था।
पूर्व में बिश्वास ‘जी’ (Zee), ‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) और ‘जागरण प्रकाशन’ (Jagran Prakashan) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संसथानों में ब्रैंड मार्केटिंग का काम संभाल चुके हैं।
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मुंबई की सेशन कोर्ट ने टीआरपी (TRP) से छेड़छाड़ के मामले में गिरफ्तार ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के पूर्व चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने इस बारे में 20 जनवरी 2021 को आदेश जारी किए।
बता दें कि टीआरपी घोटाले में कथित संलिप्तता के आरोप में मुंबई पुलिस ने दिसंबर के आखिरी हफ्ते में पार्थो दासगुप्ता को गिरफ्तार किया था। वे 31 दिसंबर, 2020 तक पुलिस हिरासत में थे, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
न्यायिक हिरासत में ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल कम होने के बाद दासगुप्ता को 15 जनवरी को मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह दूसरी बार है जब दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज की गई है। इससे पहले मुंबई की मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने चार जनवरी को दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
गौरतलब है कि टीआरपी से छेड़छाड़ का मामला अक्टूबर में तब सामने आया था, जब ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) द्वारा देश में टीवी दर्शकों की संख्या मापने के लिए घरेलू पैनल के प्रबंधन का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी ‘हंसा रिसर्च’ (Hansa Research) के अधिकारी नितिन देवकर ने एक शिकायत दर्ज की, जिसमें कहा गया था जिन घरों में बार-ओ-मीटर लगे हैं, उन घरों को भुगतान करके कुछ टीवी चैनल्स दर्शकों की संख्या में हेरफेर कर रहे हैं।
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अडानी समूह द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में वरिष्ठ पत्रकार परांजय गुहा ठाकुराता की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस मामले में गुजरात के कच्छ जिले में मुंद्रा की एक अदालत ने मंगलवार को उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई दिल्ली की निजामुद्दीन थाना पुलिस को निर्देश जारी करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रदीप सोनी की अदालत ने कहा, ‘आईपीसी की धारा 500 के तहत आरोपी के खिलाफ आरोप तय किया जाता है। आपको उक्त आरोपी को गिरफ्तार करने और मेरे समक्ष पेश करने का निर्देश दिया जाता है।’
गौरतलब है कि वरिष्ठ पत्रकार परांजय ठाकुराता ने 2017 में अडानी समूह को सरकार की ओर से ‘500 करोड़ रुपए का उपहार’ मिलने की खबर प्रकाशित की थी, इसी को लेकर समूह ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
रिपोर्ट्स मुताबिक, उनके वकील आनंद याग्निक ने कहा, ‘हमें अभी तक (अदालत से) सूचना प्राप्त नहीं हुई है। हमारे पास यह सूचना (गिरफ्तारी वारंट की) मीडिया के माध्यम से पहुंची है।’ उन्होंने कहा कि अडानी समूह ने पत्रिका के संपादक सहित सभी के खिलाफ अपनी शिकायत वापस ले ली है, सिर्फ पत्रकार के खिलाफ शिकायत कायम है। वकील ने कहा कि ‘लेख प्रकाशित करने वाली पत्रिका आपराधिक मानहानि के लिए जिम्मेदार नहीं है, सह-लेखक के खिलाफ भी मामला वापस ले लिया गया है लेकिन आप लेखक के खिलाफ शिकायत वापस नहीं ले रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमने अदालत में मुकदमा खरिज करने की अर्जी दी है।’
वकील ने बताया कि महामारी के कारण अदालत में सुनवाई बाधित होने की वजह से अडानी समूह द्वारा दायर मुकदमे पर सोमवार को सुनवाई हुई और अदालत ने कहा कि वह समुचित आदेश देगी। उन्होंने कहा, ‘आज उन्होंने समुचित आदेश दिया है।’
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बार्क (BARC) के पूर्व सीईओ पार्थो दास गुप्ता की तबीयत शुक्रवार को अचानक बिगड़ गई, जिसके चलते उन्हें मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया। बता दें कि उनका ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल कम हो गया था, जिसके बाद तंजोला जेल प्रशासन ने उन्हें शुक्रवार दोपहर एक बजे अस्पताल में शिफ्ट किया था।
उनकी पत्नी सम्राज्नी दासगुप्ता (Samrajni Dasgupta) के मुताबिक, डॉक्टर्स की देखरेख में आज सुबह उन्हें आईसीयू (Intensive Care Unit) में शिफ्ट किया गया। उन्होंने बताया, ‘पार्थो किसी भी वॉयस कमांड का जवाब नहीं दे पा रहे हैं और न ही कुछ बोल पा रहे हैं। वह ब्लड शुगर के मरीज हैं और उनका ब्लड प्रेशर भी घट-बढ़ रहा है। हमें आज सुबह ही उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी गई थी। उनकी हालत नाजुक है।’
बता दें कि टीआरपी घोटाले मामले में कथित संलिप्तता के आरोप में मुंबई पुलिस ने दिसंबर के आखिरी हफ्ते में उन्हें गिरफ्तार किया था। वे 31 दिसंबर, 2020 तक पुलिस हिरासत में थे, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
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प्रख्यात फिल्म समीक्षक राजीव मसंद ने फिलहाल पत्रकारिता से दूरी बना ली है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब उन्होंने बतौर चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर यानी COO टैलेंट मैनेजमेंट फर्म धर्मा कॉर्नरस्टोन एजेंसी (DCA) जॉइन कर लिया है। कंपनी में चलने वाले ऑपरेशन्स की जिम्मेदारी अब राजीव मसंद के कंधो पर होगी।
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में फिल्म निर्माता करण जौहर ने बंटी सजदेह के साथ अपनी इस टैलेंट मैनेजमेंट फर्म की घोषणा की थी। सजदेह की कंपनी कॉर्नरस्टोन की स्थापना 2008 में हुई थी। कंपनी विराट कोहली, विनेश फोगाट, के एल राहुल, सानिया मिर्जा और युवराज सिंह जैसे खिलाड़ियों का कामकाज देखती है।
बता दें कि 41 वर्षीय मसंद दो दशक से अधिक समय तक पत्रकार और मनोरंजन उद्योग के समीक्षक के तौर पर काम कर चुके हैं। राजीव मसंद ने 16 साल की उम्र में पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखा था, उसके बाद वे कई मीडिया ग्रुप्स के साथ काम कर चुके हैं। वो हमेशा के लिए पत्रकारिता छोड़ चुके हैं या नहीं, इस पर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
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कोरोना महामारी ने अपनों को खोने का बहुत से लोगों को दर्द दिया है और वो सारे रस्म और दस्तूर बदल डाले जो हमारे जीवन का हिस्सा थे। इस महामारी के सामने हमारी सारी परम्पराओं ने एक पल में घुटने टेंक दिए। कोरोना से हुई मौतों से उबर पाना हरगिज आसान नहीं है। इस महामारी से दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश अमेरिका में अब लोगों का धैर्य टूटने लगा है। सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जो इस तरह लोगों के मौत से होने वाली तकलीफ को बयां कर रहा है।
दरअसल, पिछले सप्ताह सीएनएन की एक रिपोर्टर सारा सिडनर लॉस एंजिलिस से लाइव रिपोर्टिंग के दौरान इस कदर भावुक हुईं कि फूट-फूटकर रो पड़ीं। उनका वीडियो पूरी दुनिया में तेजी से वायरल हो गया। वह कोरोना के कारण 12 जनवरी को अपने माता और सौतेले पिता दोनों को खो चुकीं एक महिला की व्यथा कवर रही थीं। सारा ने इस लाइव रिपोर्टिंग के दौरान कहा कि वह रिपोर्टिंग के लिए लगातार 10 अस्पतालों में गईं, जहां उन्होंने कोरोना से पीड़ित मरीजों व उनके परिवार के लोगों को जिस तरह से अस्पताल में रहते हुए देखा, इससे उन्हें बेहद दु:ख हुआ।
लाइव रिपोर्टिंग के दौरान सिडनर ने रोते हुए कहा कि कोरोना वायरस सभी समुदायों के लोगों को ‘असम्मानजनक’ रूप से मार रहा है। वे इसका खामियाजा उठा रहे हैं। उन लोगों में से कई ऐसे लोग हैं, जिन पर हम अपना दैनिक जीवन जीने के लिए भरोसा करते हैं।
सारा ने कहा कि यह सब होने के बाद इन परिवारों के लिए जीवन जीना कितना कठिन है और इनके दिल में कितना दर्द है, इस बात को समझ पाना वास्तव में काफी कठिन है।
सिडनर के कहा कि मुझे गुस्से में रोना आया। गुस्सा उन लोगों पर, जिन्होंने बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया और सच्चाई के खिलाफ लड़ते रहे। ऐसे लोगों ने अन्य लोगों की जान जोखिम में डाली। सिडनर ने इस दौरान आंसुओं से सराबोर रहीं।
यही नहीं कार्यक्रम में दौरान भावुक होने के बाद रिपोर्टर ने एंकर से माफी भी मांगी। इसके बाद एंकर ने अपनी सहकर्मी को बार-बार आश्वासन देते हुए कहा कि कोई माफी की जरूरत नहीं है। साथ ही एंकर ने कहा कि उसके सहयोगियों और दर्शकों ने आपके दिल से किए गए इस उत्कृष्ट रिपोर्टिंग की सराहना की है।
इस वीडियो को साझा करते हुए सारा ने लिखा कि रिपोर्टर के तौर पर मैं अपने काम को भले ही अच्छे से नहीं कर पाई लेकिन अब वापस उस समय को नहीं लाया जा सकता है।
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— Faith Abubéy (@ReporterFaith) January 12, 2021
दि ग्रोथ स्कूल के एसोसिएट पार्टनर के रूप में समाचार4मीडिया पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के इच्छुक लोगों के लिए कार्यशाला शुरू करने जा रहा है।
इस वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना ने सारे संसार को घुटनों पर ला दिया। कई व्यवसाय बंद हो गए, नौकरियां खत्म हुईं और वेतन घट गए। इस महामारी से मीडिया उद्योग भी अछूता नहीं रहा और बहुत से मीडिया घरानों के शटर गिर गए। कई अखबारों के अलाभप्रद संस्करण बंद हो गए। पत्रकारों और मीडिया उद्योग से जुड़े बहुत से कर्मियों का बड़ा वर्ग सड़क पर आ गया। जब तक लोग नौकरी में थे, सुखी थे, कंफर्ट जोन में थे, कुछ और सोचने की जरूरत ही नहीं थी। बेरोजगार हुए तो बहुत से लोगों ने विकल्पों के बारे में सोचना शुरू किया और कुछ लोगों ने अलग-अलग छोटी-मोटी नौकरियां पकड़ लीं, पर कुछ लोगों ने उद्यम की राह पकड़ी। इतिहास गवाह है कि जब-जब भी मंदी आती है या नौकरियों का अकाल पड़ता है तो उद्यम सबसे ज्यादा अच्छा विकल्प बनकर उभरता है और ज्यादा से ज्यादा लोग उद्यमी बनने के रास्ते तलाशते हैं।
मीडिया उद्योग में पिछले कई सालों से यह हो रहा है कि रिटायर होने के बाद, नौकरी से इस्तीफा देने के बाद या नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद बहुत से पत्रकारों ने न्यूज पोर्टल बना लिए। पत्रकार रह चुकने के कारण उन्हें शायद यह सबसे आसान विकल्प लगा। दिक्कत यह है कि ऐसे बहुत से लोग बहुत छोटे से दायरे में सिमटकर रह गए और लॉकडाउन के समय उनकी दिक्कतें और बढ़ गईं,क्योंकि आय के साधन नहीं बचे। अब सवाल यह है कि जब नौकरियों का अकाल हो और व्यवसाय का आसान विकल्प भी न रह गया हो तो क्या किया जाए।
इस सारी स्थिति के मद्देनज़र दि ग्रोथ स्कूल के एसोसिएट पार्टनर के रूप में समाचार4मीडिया ने एक अनूठी पहल करते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के इच्छुक लोगों के लिए वेबिनार शुरू किये हैं। इस विशिष्ट कार्यशाला में पत्रकारिता, खासकर हिंदी पत्रकारिता का ज्ञान रखने वाले लोगों को नौकरी के अलावा उद्यमी बनने के नए विकल्पों की जानकारी भी दी जाएगी, ताकि पत्रकारिता का ज्ञान रखने वाले लोग सिर्फ नौकरी के ही मोहताज न रहें। मीडिया जगत इस समय गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है, इस दौर में आत्मनिर्भरता का यह प्रयास समय की आवश्यकता है।।
समाचार4मीडिया के पूर्व संपादक, प्रसिद्ध लेखक, स्तंभकार और मोटिवेशनल स्पीकर पी.के. खुराना इस ऑनलाइन शिविर का संचालन करेंगे, जो 30 और 31 जनवरी 2021 को दोनों दिन प्रात:10 बजे से दोपहर एक बजे तक और फिर अपराह्न तीन बजे से शाम छह बजे तक चलेगा।
पी.के खुराना ने दैनिक भास्कर और पंजाब केसरी सहित कई मीडिया घरानों और प्रेस क्लबों के लिए पत्रकारिता कार्यशालाओं का सफल संचालन किया है। व्यावहारिक गतिविधियों से भरपूर उनकी कार्यशालाएं सदैव एक आनंददायक अनुभव होती हैं। अपने चुटीले अंदाज में वे प्रतिभागियों को सफलता की राह पर ले चलते हैं। यानी, वे सिर्फ पत्रकारिता के क्षेत्र में सफल होना ही नहीं सिखाते, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि तनावरहित जीवन जीते हुए खुश कैसे रहा जाए।
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देश के बड़े मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘टीवी9 नेटवर्क’ (TV9 Network) ने जसविंदर सिंह (Jaswinder Singh) को वाइस प्रेजिडेंट (स्पेशल प्रोजेक्ट्स और इवेंट्स) के पद पर नियुक्त किया है। अपनी नई भूमिका में वह रेवेन्यू आधारित तमाम पहलों का नेतृत्व करेंगे।
जसविंदर सिंह को इंडस्ट्री में काम करने का 18 साल से ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह विजक्राफ्ट (Wizcraft) और जागरण सॉल्यूशंस (Jagran Solutions) आदि संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। टीवी9 नेटवर्क’ को जॉइन करने से पहले वह ‘जी मीडिया’ (Zee Media) की इनोवेशन सैल (Innovation cel) का हिस्सा थे।
इस बारे में टीवी9 स्टूडियो के सीओओ (डिजिटल और ब्रॉडकास्टिंग) रक्तिम दास ने कहा, ‘हम नेटवर्क में जसविंदर सिंह की नियुक्ति का स्वागत करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमें उनके अनुभवों का काफी लाभ मिलेगा और हम इंडस्ट्री में नए बेंचमार्क स्थापित करेंगे।’
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